• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
जोरू का गुलाम भाग २४९ , एम् -१ पृष्ठ १५५०

अपडेट पोस्टेड

कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
जोरू का गुलाम भाग २४९

एम् -१

३७,७५, ७७९
"माइसेल्फ मिलिंद नवलकर, फ्रॉम रत्नागिरी। "

हल्की मुस्कान, बड़ा सा चश्मा, एक बैग और खिचड़ी बाल, दलाल स्ट्रीट के आसपास या कभी यॉट क्लब के नजदीक तो शाम को बॉम्बे जिमखाना में ढलते सूरज को देखते हुए मिल जाते हैं।



मनोहर राव, थोड़ा दबा रंग , एकदम काले बाल, गंभीर लेकिन कारपोरेट क़ानून की बात हो या कर्नाटक संगीत वो अपनी खोल से बाहर आ जाते थे. दिन के समय बी के सी में लेकिन अक्सर माटुंगा के आस पास, टिफिन खाते वहीँ के किसी पुराने रेस्ट्रोरेंट में,...

मनोज जोशी, चाहे हिंदी बोले या अंग्रेजी,… गुजराती एक्सेंट साफ़ झलकता था। पढ़ाई से चार्टर्ड अकउंटेंट, पेशे से कॉटन ट्रेडिंग में कभी कालबा देवी एक्सचेंज में तो कभी कॉटन ग्रीन में, और अड्डों में कोलाबा कॉजवे, लियोपॉल्ड

महेंद्र पांडे
धुर भोजपुरी बनारस के पास के, अभी गोरेगांव में लेकिन जोगेश्वरी, गोरेगांव, और कांदिवली से लेकर मीरा रोड और नाला सोपारा तक, दोस्त, धंधे सब

मुन्तज़िर खैराबादी, मोहमद अली रोड के पास एक गली में कई बार सुलेमान की दूकान पे दिख जाते थे, खाने के शौक़ीन, पतली फ्रेम का चश्मा और होंठों पर हमेशा उस्तादों के शेर, फिल्मो में गाने लिखने की कोशिश नाकामयाब रही थी तो अब सीरियल में कभी भोजपुरी म्यूजिकल के लिए और आक्रेस्ट्रा के लिए

लेकिन असली नाम, ... पता नहीं। सच में पता नहीं।

असल नक़ल में फरक मिटाने के चक्कर में खुद असल नकल भूल चूके थे। हाँ जहाँ जाना हो, जो रूप धरना हो, जो भाषा एक्सेंट, मैनरिज्म, ज्यादा समय नहीं लगता और कई बार तो लोकल में सामने बैठे आदमी को देखकर आधे घंटे में कम्प्लीट एक्सेंट और

मैनरिज्म , उन्हें लगता की शायद उनका असली पेशा ऐक्टिंग हो सकता था और राडा ( रॉयल अकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स ) में उन्होंने एक छोटा मोटा कोर्स भी किया था,

नाम के लिए, सब लोग एम् के नाम से ही जानते थे और वो सिर्फ इसलिए की जिस देश में जिस शहर में वो नया रूप धरते, उसके सारे नाम एम से ही शुरू होते थे।




मूल रूप से कहाँ के इसमें भी विद्वानों में मतभेद था हाँ जेनेसिस मिक्स्ड थी, सेन्ट्रल यूरोप, मिडल ईस्ट और मेडिटेरेनियन। पर वह सब बंद किताब थी
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
M का काम- मिलन्द नवलकर
गेलार्ड रेस्टोरेंट
Gyalord-040417-Gaylord01.jpg


M का काम करने वाले बहुत कम लोग और वैसे एक्सपर्ट तो शायद दो चार ही होंगे। काम भी टेढ़ा था. इंडस्ट्रियल एस्पियोनज की दुनिया में जासूसी बहुत आम बात थी, पेटेंट्स, कस्टमर डाटा, बिजनेस प्रॉसेस से लेकर रिसर्च तक, ... पर वह बहुत शुरूआती बातें थीं, उस जासूसी को रोकने के लिए कांउटर सरवायलेंस और उसके एल्क्ट्रॉनिक रूप,... पर यह आखिरी स्टेप था, ... कौन सरवायलेंस कर रहा है उसका पता लगाना और न जिसका सर्वयालेंस हो रहा हो उसे पता चले और न जो करवा रहा हो उसे,... दिक्क्त ये थी की हर एजेंसी कम से कम चार पांच कट आउट तो इस्तेमाल करती ही थी और पता यह करना की कौन कम्पनी करवा रही है, उसके स्ट्रक्चर में कौन आदमी है

M के लिए भी यह बाएं हाथ का खेल नहीं था लेकिन तब भी सक्सेस रेट काफी हाई था।



मिलन्द नवलकर इस समय चर्चगेट स्ट्रीट में गेलार्ड रेस्टोरेंट में बैठे थे और उनके मोबाइल पे एक फ़ूड ट्रक की पिक्चर थी.


देख वो उसे रहे थे लेकिन मन में एसाइनमेंट का पूरा पर्पज घूम रहा था. एक फार्च्यून १०० मल्टीनेशनल कम्पनी, उसकी इंडियन सब्सिडयरी पर टेकओवर के लिए हमला हुआ जो नाकामयाब रहा लेकिन अब इंटरनेशनल कम्पनी को लग रहा था की दुबारा फिर उसपर अटैक होगा, बाजार में साफ साफ़ मेसेज था और बाजार कभी झूठ नहीं बोलता।



अब तीन बातें थीं

" कौन अटैक करने वाला था, क्यों अटैक होगा और अटैकर का इंट्रेस्ट क्या है। "

इन तीनो का पता नहीं था, और जब ये नहीं पता हो तो डिफेन्स की क्या स्ट्रेटजी बनेगी, लेकिन उस कपंनी ने तय किया था, " रण होगा " लेकिन किसके खिलाफ?

सूत्र सिर्फ एक था और वो रिपोर्ट M के पास भी थी

अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...

M का काम था सर्वयालेंस के तारों को पकड़ के पता करना रिपोर्ट कहाँ कहाँ जा रही है, कौन करवा रहा है विदेशी कम्पनी कौन है , इंडियन कम्पनी कौन है।

जो आसान नहीं था।

लेकिन वो और मुश्किल हो गया था ' सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।

सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।

ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।


नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
. फ़ूड ट्रक

Food-Truck-Double-Decker-Food-Truck.jpg


उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।

सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।

फ़ूड ट्रक से तीन सवाल उठ रहे थे, जो सर्वयालेंस कर रहा है उसकी तो नहीं होगी, उसने हायर ही की होगी या पता उसकी ही हो। तो किसकी है फ़ूड ट्रक ?

दूसरी बात उसमे रह रहे लोग जो सर्वयालेंस में हैं वो कौन हैं, कहाँ के हैं और उन्हें क्या काम सौंपा गया है ?

और तीसरी बात डाटा फ़ूड ट्रक से कैसे भेजा जा रहा है?

पहले सवाल का जवाब करीब करीब मिल गया।

फोटो में फ़ूड ट्रक की नंबर प्लेट थी और नंबर गाजियाबाद का है। ट्रक के ओनर का नाम पता सब मिल गया, वो एक एजेंसी थी जो फ़ूड ट्रक अलग कैटरिंग एजेंसीज को हायर करती थी और यह ट्रक आठ महीने पहले एक मेरठ की कैटरिंग एजेंसी को दी थी , दो साल की लीज पे।

मेरठ की एंजेसी ने चार फूड ट्रक किसी कम्पनी को ढाई महीने पहले दी थी और यह ट्रक उन्ही में से एक थी।

अब यह साफ़ हो गया था की यह आपरेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोई एजेंसी चला रही थी, कई सर्वयालेंस एजेंसी वाले भी फ़ूड ट्रक हायर करते हैं और वह कम्पनी उसी तरह की होगी।

उस कम्पनी का नाम पता चल गया था, थर्ड आई।

वह कम्पनी मिलेट्री और पुलिस के कुछ रिटायर्ड आफिसर मिल कर चलाते थे। कुछ उन के फोन हैक कर के कुछ कंप्यूटर के रिकार्ड चेक कर के पता चला था की थर्ड आई ने इस फ़ूड ट्रक को सर्वयालेस के लिए इक्विप किया है पर अभी उन्होंने दो ट्रक किसी एजेंसी को दिए है जिसने दोनों ट्रक को दो महीने के लिए हायर किया है। पर उस एजेंसी का कोई ट्रेस नहीं मिल पाया। उन्होंने सारा पेमेंट कैश में एडवांस किया है। जिस फोन से बात हुयी थी वो नंबर अब बंद हो चूका है और काल डाटा रिकार्ड के हिसाब से बात उसी शहर से हुयी थी लेकिन उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ उसी ट्रांजेक्शन के लिए किया गया था।



बात बनी भी नहीं और बन भी गयी।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ )

अब ये साफ़ था कोई सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ ) एजेंसी है जिसने ढेर सारे कट आउट इस्तेमाल किये हैं, पहली बात तो फ़ूड ट्रक उन्होंने इस तरह हायर किया था की बहुत खोज बीन कर के भी बात सिर्फ थर्ड आई तक पहुंचे और वो सिर्फ ये कहेंगे की उन्होंने उसे हायर पर दिया है और फ़ूड ट्रक हायर पर देने के लिए अभी किसी के वाई सी की जरूरत नहीं है। अभी वो हायर के पीरियड में है इसलिए उन्हें कोई चिंता भी नहीं हुयी। इस एस ३ ने फ़ूड ट्रक हायर करने के लिए अलग आदमियों का इस्तेमाल किया होगा और मैन पावर हायर करने के लिए अलग एजेंसी।



नवलकर ने दो बार वो वेजिटेबल वेंडर के साथ गीता की पिक देखी,


geeta-tumblr-p7bgrv-Xl-Lr1ulv4rso1-540.jpg



गीता की एक बात भी रिकार्ड हो गयी थी की बात में यह आदमी पश्चिम का लगता था तो साफ़ था की जहाँ से फ़ूड ट्रक ली गयी थी, वहीँ से वो लोग भी हायर किये गए होंगे जो काउंटर स्रवयलेंस कर रहे होंगे,... मेरठ गाजियाबाद की ट्रक थी और लोग भी वहीँ से हायर किये गए होंगे।

नवलकर ने अपने अनुभव से बात समझ ली की असली आदमी जो कोआर्डिनेट कर रहा है वो वही गाजर वाला है सबजी के ठेले वाला, इसलिए फिजिकल सरव्यालेंस भी व्ही कर रहा है और फ़ूड ट्रक से कोआर्डिनेट भी।

अब बात यह थी की डाटा फ़ूड ट्रक से ट्रांसमिट कैसे हो रहा है।

उन्होंने एक सेटलाइट एजेंसी को काम पर लगाया था जो अगले ४८ घंटे तक हर आधे घंटे की उस फ़ूड ट्रक की तस्वीर रिले करेंगे।

मामला ये नहीं था की क्या फ़ूड ट्रक क्या डाटा इकठ्ठा कर रही है, नवलकर को पता ये करना था की ये डाटा जा कहाँ रहा है, कौन उस डाटा को एनलाइज कर रहा है और इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कहाँ से हो रहा है।

फ़ूड ट्रक वो प्वाइंट था जहाँ से फिजिकल सर्वयालेंस ख़त्म हो के डाटा का काम शुरू हो रहा था।

नवलकर को ये पूरा विश्वास था की ये सारा डाटा उस फ़ूड ट्रक से किसी कम्युनिकेशन सेटलाइट से ही भेजा जा रहा है।

और उसके तीन कारण थे, स्टोरेज साइज, डाटा सिक्योरिटी, और फ़ूड ट्रक का इस्तेमाल। क्योंकि सरवायलेंस में आडियो, वीडियो, और बाकी सब डाटा था और वो सिर्फ मोबाइल और कम्यूटर हैकिंग तक नहीं था। हर दिन की डाटा की साइज बहुत होती और इसे फोन से ट्रांसमिट से करना पॉसिबल नहीं था।

दूसरे डाटा अगर सब फ़ूड ट्रक में स्टोर होगा तो किसी भी हैकर के लिए या जांच एजेंसी वाले के लिए सीधे ट्रक पे रेड करके उस डाटा को पकड़ना आसान था। फिर मोबाइल डाटा को ट्रैंगुलेट करके टावर का पता करना और फिर उस फोन की लोकेशन पता करना आसान हो जाता लेकिन सेटलाइट डाटा में ये थोड़ा मुश्किल था, बशर्ते किसी स्पाई सेटलाइट का इस्तेमाल न किया जाए।

ज्यादातर सेटलाइट नेविगेशन के काम में आने वाली कम्युनिकेशन सेटलाइट होती हैं लेकिन बाकी कम्युनिकेशन वाली भी काफी है जिनका इस्तेमाल न्यूज सर्विसेज के लोग वार जोन्स में करते हैं और वो किराए के लिए उपलब्ध होती हैं। नवलकर का विश्वास था वैसे ही कोई सेटलाइट होगी।



और वह विश्वास सही सिद्ध हुआ लेकिन उम्मीद से दुगना बल्कि और ज्यादा,
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
सेटलाइट
Satelite-gallery-satellite-68-3.webp


नवलकर के कम्यूटर पर एक मेसज पॉप आप हुआ और फिर जिस सेटलाइट का वो इस्तेमाल फ़ूड ट्रक के सरवायलेंस के लिए कर रहे थे उसको उन्होंने लिंक किया। उनके लैपटॉप पर उस सेटलाइट की सीधे स्क्रीन खुल गयी और जहाँ से सेटलाइट कंट्रोल होती थी वहां का एक कम्म्युनिऐक्शन चैनल भी।



रात के १ बजकर ४० मिनट हो रहे थे, और उस फ़ूड ट्रक के छत पर एक डिश निकल आयी, जैसे टीवी वालों के ओ बी वान पर होती है थोड़ी और बड़ी साइज की।

बस यह तय की कोई कम्युनिकेशन सेटलाइट होगी जी आधे, पौन घंटे उस वान के टच में रहेगी और वो डाटा उसी सेटलाइट को पास होगा।

सेटलाइट कंट्रोल के कम्युनोइकेशन चैनल पर बिना उनके कहे एक डेढ़ सौ किलोमीटर का उस इलाके का स्काई मैप आ गया। और उन्होंने पहचान लिया।


एक सेटलाइट जो उस लोकेशन पर १० मिनट में पहुँचने वाली थी, और उस मैप पर उस सेटलाइट पर उन्होंने करसर से प्रेस किया, वो एक इंटरैक्टिव स्क्रीन था, बगल में एक पैनल खुल गया, सेटलाइट की लांच होने की डेट, जिस कम्पनी की वो थी, यूरो स्टार, और अचानक उनकी चमकी, ये दो साल पहले ही बानी थी, लक्जमबर्ग, हेडक्वार्टर और एक अमेरिकन कम्पनी इको स्टार से अलग होकर, लेकिन उसके बिजनेस का सी ए जी आर १५ % से भी ऊपर था जो उस सिग्मेंट में एक बड़ी बात थी। तबतक जो एक कम्युनिकेशन चैनल नवलकर ने खोल रखा था, उसपे उस सेटलाइट के बारे में एक और बात आयी।



यह सेटलाइट SAR (Synthetic Aperture Radar) की क्षमता से लैस है यानी यह दिन के साथ साथ रात में, बादलो और बर्फ में भी इमेज ले सकता है और रेडियो वेव्स के जरिये ये ऑब्जेक्ट को प्रकाशित कर देता है, जिससे घुप अँधेरे में भी इमेजिंग होती है। यह सतह के उभार की मदद से दरवाजे खिड़कियां और थर्मल इमेजिंग से लिविंग आब्जेक्ट्स की भी इमेज लेता है, लेकिन उस इमेज का क्षेत्र बाकी सेटलाइट इमेज के मुकाबले कम और ज्यादा फोकस्ड होता है। यह १ वर्ग मीटर तक के आब्जेक्ट की अच्छी फोटो ले सकता है।

नवलकर ने जिस सेटलाइट से हर दो घंटे में इमेजिंग करवाई थी उसे गूगल अर्थ से जोड़कर, उस टाउनशिप का एक डिटेल मैप बना लिया था , जिसे करीब बीस वर्ग किलोमीटर तक की हर छोटी बड़ी ईमारत, सड़क, रस्ते, आ जाते थे और उसमें उन्होंने उस फ़ूड ट्रक और उसके आस पास के ५०० मीटर के इलाके को हाइलाइट कर रखा था।

नवलकर ने जिस सेटलाइट को लगा रखा था और जिसके कंट्रोल से सेंटर से वो टच में थे, सिर्फ दो बात पूछी, एक की जो डाटा फ़ूड ट्रक से सेटलाइट को पास होगा, उसके साथ पिगी बैक कर के, क्या वो कोई आइडेंटीफायर भेज सकते हैं। उसका जवाब उन्हें हाँ में मिला लेकिन यह भी उस डाटा को सेटलाइट से हैक करना या अपलोड करते समय हैक करना मुश्किल है,हाँ एक बार सेटलाइट वो डाटा ट्रांसमिट कर दे तो वहां से वो अगर अपने सोर्सेज से हैक करा लें उसकी बात अलग है।

दूसरे सवाल का जवाब भी हाँ में मिला,

एक अंदाजन एरिया का पता चल सकता है हाँ स्पेसिफिक बिल्डिंग का पता चलना मुश्किल है।

कुछ देर में ही फ़ूड ट्रक से निकला सेटलाइट एंटीना सारा डाटा उस सेटलाइट पर अपलोड कर रहा था। वह काम तो पांच से दस मिनट में हो गया लेकिन अगले पांच मिनट तक SAR इमेजिंग होती रही।

और उन्हें उनके कम्युनिकेशन चैनल से पता चल गया की वह फ़ूड ट्रक से करीब १०० मीटर दूर के जगह की है और २५० वर्ग मीटर, फिर वहां तक पहुँचने वाले रास्तों की,
यानी यह साफ़ था की जिस की निगरानी हो रही है उस के घर और आसपास की डिटेल्ड फोटोग्राफी हो रही है।

करीब आधे घंटे बाद उन्हें पता चल गया की जो डाटा फ़ूड ट्रक से अपलोड हुआ था, वो केपटाउन को ट्रांसमिट किया गया है और नवलकर की सब उम्मीदों पर पानी फिर गया।



उन्हें उम्मीद थी की डाटा का डेसिनेशन ट्रेस कर के वो उस कम्पनी या उसकी सिक्योरटी कम्पनी तक पहंचु जाएंगे, जो सर्वेलेंस करवा रही है।



पर केपटाउन का नाम आते ही उन्हें अंदाज लग गया की, डाटा किसके पास गया है, और ५० मीटर के अंदर तक की लोकेशन जैसी पता चली उनका शक विश्वास में बदल गया।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,339
62,646
259
केपटाउन
Capetown-the-7-biggest-attractions-in-cape-town-2-1024x683.jpg


और नवलकर ने केपटाउन फोन लगाया हाँ अब वो एक डच नागरिक थे, उसी रूप में तो मिले थे केप टाउन में

कम से कम २५- ३० तरीके से उच्चारण, स्वराघात, और किससे बात करते समय किस रूप में मिलना है ये सब उनके खून में मिला था

जैसा उन्हें उम्मीद थी, पीछे की आवाजों से साफ़ था वह एक बार था। केपटाउन का समय मुंबई से साढ़े तीन घंटे पीछे चलता है। यहाँ पर अभी तीन बज रहा था तो वहां साढ़े गयारह, रात तो अभी शुरू हुयी थी।

" आधे घंटे बाद मैं, मोनिका के पास रहूंगा, वही डॉमिनीट्रिक्स, " और यह कह कर फोन कट गया।

मतलब साफ था, डार्क वेब पर चैट रूम में एक बी डी एस एम् रूम में वो मोनिका बन के मिलता और फिर वो एक प्राइवेट चैट रूम सेट कर के,

डार्क वेब पर कम्युनिकेशन काफी सेफ था, जबतक आप तीन इलाकों में न भटकें, पिडोफिल या चाइल्ड पॉर्न साइट्स, किलर फॉर हायर और ड्रग्स, इन तीनो जगहों पर कई देश के साधु नुमा पुलिस वाले शैतान बने घूमते हैं। और उस जंगल में बी डी एस एम् की कोई परवाह नहीं करता।

आधे घंटे बाद बात हो गयी और मुम्बई के समय के हिसाब से साढ़े छह बजे उन्हें पता भी चल गया।

और इसी बीच नवलकर ने दो घंटे की नींद भी मार ली, खूब गाढ़ी।

केप टाउन से डाटा चार जगहों पर गया था, एक तो मुम्बई में मलाड में, एक जेनेवा में और दो जगह अमेरिका में।

मलाड में गया मेसेज उन्होंने खोल भी लिया सिम्पल था NAD मतलब नो एक्टिविटी डिटेक्टेड। लेकिन काम की बात ये थी की अब पता चल गया था की हिंद्स्तान में की मैन कौन है और उसपर निगाह रखी जा सकती थी।

जेनेवा में जिस जगह मेसेज गया था उसे वह एड्रेस देख के ही पहचान गए, एक कोवर्ट सिक्योरटी एजेंसी का डाटा एनेलेटिक्स सेंटर और वहां सेंध लगाना एक तो करीब असम्भव था और फिर वह २५६ कंपनियों के लिए काम करती थी तो ये कैसे पता चलेगा की उसे किसने हायर किया

तालिबानों ने सिक्योरटी एजेंसीज को बहुत नाच नचाया लेकिन एक बात एजेंसीज ने सीख भी ली की अभी सबसे सेफ मेसेज भेजने का तरीका आदमी है, कूरियर सिस्टम, आप लाख सिग्नल चेक करें आदमी कहाँ से पकड़ेंगे। और पकड़ने पर भी उससे मेसेज निकलवाना आसान नहीं तो वो अपने आका को रिपोर्ट कुरियर से ही भेजेंगे।

और बाकी जो दो अमेरिका के सेंटर थे वो एक घंटे की मेहनत के बाद फुस्स निकले। नवलकर ने अपनी एजेंसी से जुडी एक इंटरेनट फर्म को लगाया तो वो दोनों एड्रेस डम्प्स के थे यानी वहां डाटा पहुंच के सिर्फ डिलीट कर दिया जाता है और डाटा अक्सर गार्बेज होता है जिसे डाटा ट्रेस करने वाला भटकता रहे।

लेकिन तीन बातें काम की मालूम हो गयीं,
 
Last edited:

Luckyloda

Well-Known Member
2,636
8,499
158
M का काम- मिलन्द नवलकर
गेलार्ड रेस्टोरेंट
Gyalord-040417-Gaylord01.jpg


M का काम करने वाले बहुत कम लोग और वैसे एक्सपर्ट तो शायद दो चार ही होंगे। काम भी टेढ़ा था. इंडस्ट्रियल एस्पियोनज की दुनिया में जासूसी बहुत आम बात थी, पेटेंट्स, कस्टमर डाटा, बिजनेस प्रॉसेस से लेकर रिसर्च तक, ... पर वह बहुत शुरूआती बातें थीं, उस जासूसी को रोकने के लिए कांउटर सरवायलेंस और उसके एल्क्ट्रॉनिक रूप,... पर यह आखिरी स्टेप था, ... कौन सरवायलेंस कर रहा है उसका पता लगाना और न जिसका सर्वयालेंस हो रहा हो उसे पता चले और न जो करवा रहा हो उसे,... दिक्क्त ये थी की हर एजेंसी कम से कम चार पांच कट आउट तो इस्तेमाल करती ही थी और पता यह करना की कौन कम्पनी करवा रही है, उसके स्ट्रक्चर में कौन आदमी है

M के लिए भी यह बाएं हाथ का खेल नहीं था लेकिन तब भी सक्सेस रेट काफी हाई था।



मिलन्द नवलकर इस समय चर्चगेट स्ट्रीट में गेलार्ड रेस्टोरेंट में बैठे थे और उनके मोबाइल पे एक फ़ूड ट्रक की पिक्चर थी.


देख वो उसे रहे थे लेकिन मन में एसाइनमेंट का पूरा पर्पज घूम रहा था. एक फार्च्यून १०० मल्टीनेशनल कम्पनी, उसकी इंडियन सब्सिडयरी पर टेकओवर के लिए हमला हुआ जो नाकामयाब रहा लेकिन अब इंटरनेशनल कम्पनी को लग रहा था की दुबारा फिर उसपर अटैक होगा, बाजार में साफ साफ़ मेसेज था और बाजार कभी झूठ नहीं बोलता।



अब तीन बातें थीं

" कौन अटैक करने वाला था, क्यों अटैक होगा और अटैकर का इंट्रेस्ट क्या है। "

इन तीनो का पता नहीं था, और जब ये नहीं पता हो तो डिफेन्स की क्या स्ट्रेटजी बनेगी, लेकिन उस कपंनी ने तय किया था, " रण होगा " लेकिन किसके खिलाफ?

सूत्र सिर्फ एक था और वो रिपोर्ट M के पास भी थी

अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...

M का काम था सर्वयालेंस के तारों को पकड़ के पता करना रिपोर्ट कहाँ कहाँ जा रही है, कौन करवा रहा है विदेशी कम्पनी कौन है , इंडियन कम्पनी कौन है।

जो आसान नहीं था।

लेकिन वो और मुश्किल हो गया था ' सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।

सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।

ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।


नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
Yaha subject means ... कोमल का पति हुआ na...???.


Chalo itna to aamjha आया.... ab aage padhte है
 
  • Like
Reactions: komaalrani

Luckyloda

Well-Known Member
2,636
8,499
158
. फ़ूड ट्रक

Food-Truck-Double-Decker-Food-Truck.jpg


उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।

सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।

फ़ूड ट्रक से तीन सवाल उठ रहे थे, जो सर्वयालेंस कर रहा है उसकी तो नहीं होगी, उसने हायर ही की होगी या पता उसकी ही हो। तो किसकी है फ़ूड ट्रक ?

दूसरी बात उसमे रह रहे लोग जो सर्वयालेंस में हैं वो कौन हैं, कहाँ के हैं और उन्हें क्या काम सौंपा गया है ?

और तीसरी बात डाटा फ़ूड ट्रक से कैसे भेजा जा रहा है?

पहले सवाल का जवाब करीब करीब मिल गया।

फोटो में फ़ूड ट्रक की नंबर प्लेट थी और नंबर गाजियाबाद का है। ट्रक के ओनर का नाम पता सब मिल गया, वो एक एजेंसी थी जो फ़ूड ट्रक अलग कैटरिंग एजेंसीज को हायर करती थी और यह ट्रक आठ महीने पहले एक मेरठ की कैटरिंग एजेंसी को दी थी , दो साल की लीज पे।

मेरठ की एंजेसी ने चार फूड ट्रक किसी कम्पनी को ढाई महीने पहले दी थी और यह ट्रक उन्ही में से एक थी।

अब यह साफ़ हो गया था की यह आपरेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोई एजेंसी चला रही थी, कई सर्वयालेंस एजेंसी वाले भी फ़ूड ट्रक हायर करते हैं और वह कम्पनी उसी तरह की होगी।

उस कम्पनी का नाम पता चल गया था, थर्ड आई।

वह कम्पनी मिलेट्री और पुलिस के कुछ रिटायर्ड आफिसर मिल कर चलाते थे। कुछ उन के फोन हैक कर के कुछ कंप्यूटर के रिकार्ड चेक कर के पता चला था की थर्ड आई ने इस फ़ूड ट्रक को सर्वयालेस के लिए इक्विप किया है पर अभी उन्होंने दो ट्रक किसी एजेंसी को दिए है जिसने दोनों ट्रक को दो महीने के लिए हायर किया है। पर उस एजेंसी का कोई ट्रेस नहीं मिल पाया। उन्होंने सारा पेमेंट कैश में एडवांस किया है। जिस फोन से बात हुयी थी वो नंबर अब बंद हो चूका है और काल डाटा रिकार्ड के हिसाब से बात उसी शहर से हुयी थी लेकिन उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ उसी ट्रांजेक्शन के लिए किया गया था।



बात बनी भी नहीं और बन भी गयी।
अरे जिस जगह का आपने वर्णन किया है मैं यहीं से हु.... बताना कुछ पता लगाना हो तो....



कोमल भाभी की इतनी मदद तो कर ही देंगे....


शायद फिर रसगुल्लों को खाने का मौका हमे भी मिल जाए....


नहीं तो भाभी की छिनाल नन्द है ही... उस पर chudai करवा देगी भाभी जी 😍😍😍😍😍😍
 
  • Like
Reactions: komaalrani

Luckyloda

Well-Known Member
2,636
8,499
158
सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ )

अब ये साफ़ था कोई सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ ) एजेंसी है जिसने ढेर सारे कट आउट इस्तेमाल किये हैं, पहली बात तो फ़ूड ट्रक उन्होंने इस तरह हायर किया था की बहुत खोज बीन कर के भी बात सिर्फ थर्ड आई तक पहुंचे और वो सिर्फ ये कहेंगे की उन्होंने उसे हायर पर दिया है और फ़ूड ट्रक हायर पर देने के लिए अभी किसी के वाई सी की जरूरत नहीं है। अभी वो हायर के पीरियड में है इसलिए उन्हें कोई चिंता भी नहीं हुयी। इस एस ३ ने फ़ूड ट्रक हायर करने के लिए अलग आदमियों का इस्तेमाल किया होगा और मैन पावर हायर करने के लिए अलग एजेंसी।



नवलकर ने दो बार वो वेजिटेबल वेंडर के साथ गीता की पिक देखी,


geeta-tumblr-p7bgrv-Xl-Lr1ulv4rso1-540.jpg



गीता की एक बात भी रिकार्ड हो गयी थी की बात में यह आदमी पश्चिम का लगता था तो साफ़ था की जहाँ से फ़ूड ट्रक ली गयी थी, वहीँ से वो लोग भी हायर किये गए होंगे जो काउंटर स्रवयलेंस कर रहे होंगे,... मेरठ गाजियाबाद की ट्रक थी और लोग भी वहीँ से हायर किये गए होंगे।

नवलकर ने अपने अनुभव से बात समझ ली की असली आदमी जो कोआर्डिनेट कर रहा है वो वही गाजर वाला है सबजी के ठेले वाला, इसलिए फिजिकल सरव्यालेंस भी व्ही कर रहा है और फ़ूड ट्रक से कोआर्डिनेट भी।

अब बात यह थी की डाटा फ़ूड ट्रक से ट्रांसमिट कैसे हो रहा है।

उन्होंने एक सेटलाइट एजेंसी को काम पर लगाया था जो अगले ४८ घंटे तक हर आधे घंटे की उस फ़ूड ट्रक की तस्वीर रिले करेंगे।

मामला ये नहीं था की क्या फ़ूड ट्रक क्या डाटा इकठ्ठा कर रही है, नवलकर को पता ये करना था की ये डाटा जा कहाँ रहा है, कौन उस डाटा को एनलाइज कर रहा है और इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कहाँ से हो रहा है।

फ़ूड ट्रक वो प्वाइंट था जहाँ से फिजिकल सर्वयालेंस ख़त्म हो के डाटा का काम शुरू हो रहा था।

नवलकर को ये पूरा विश्वास था की ये सारा डाटा उस फ़ूड ट्रक से किसी कम्युनिकेशन सेटलाइट से ही भेजा जा रहा है।

और उसके तीन कारण थे, स्टोरेज साइज, डाटा सिक्योरिटी, और फ़ूड ट्रक का इस्तेमाल। क्योंकि सरवायलेंस में आडियो, वीडियो, और बाकी सब डाटा था और वो सिर्फ मोबाइल और कम्यूटर हैकिंग तक नहीं था। हर दिन की डाटा की साइज बहुत होती और इसे फोन से ट्रांसमिट से करना पॉसिबल नहीं था।

दूसरे डाटा अगर सब फ़ूड ट्रक में स्टोर होगा तो किसी भी हैकर के लिए या जांच एजेंसी वाले के लिए सीधे ट्रक पे रेड करके उस डाटा को पकड़ना आसान था। फिर मोबाइल डाटा को ट्रैंगुलेट करके टावर का पता करना और फिर उस फोन की लोकेशन पता करना आसान हो जाता लेकिन सेटलाइट डाटा में ये थोड़ा मुश्किल था, बशर्ते किसी स्पाई सेटलाइट का इस्तेमाल न किया जाए।

ज्यादातर सेटलाइट नेविगेशन के काम में आने वाली कम्युनिकेशन सेटलाइट होती हैं लेकिन बाकी कम्युनिकेशन वाली भी काफी है जिनका इस्तेमाल न्यूज सर्विसेज के लोग वार जोन्स में करते हैं और वो किराए के लिए उपलब्ध होती हैं। नवलकर का विश्वास था वैसे ही कोई सेटलाइट होगी।



और वह विश्वास सही सिद्ध हुआ लेकिन उम्मीद से दुगना बल्कि और ज्यादा,
मामला जितना समझ आया मतलब दिमाग का पूरा उपयोग किया है सामने वाले ने भी.....


अब इनका दिमाग देखना है कि loop होल पकड़ पाते हैं या नहीं
 
Top