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जोरू का गुलाम भाग २४९ , एम् -१ पृष्ठ १५५०
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Yaha subject means ... कोमल का पति हुआ na...???.M का काम- मिलन्द नवलकर
गेलार्ड रेस्टोरेंट
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M का काम करने वाले बहुत कम लोग और वैसे एक्सपर्ट तो शायद दो चार ही होंगे। काम भी टेढ़ा था. इंडस्ट्रियल एस्पियोनज की दुनिया में जासूसी बहुत आम बात थी, पेटेंट्स, कस्टमर डाटा, बिजनेस प्रॉसेस से लेकर रिसर्च तक, ... पर वह बहुत शुरूआती बातें थीं, उस जासूसी को रोकने के लिए कांउटर सरवायलेंस और उसके एल्क्ट्रॉनिक रूप,... पर यह आखिरी स्टेप था, ... कौन सरवायलेंस कर रहा है उसका पता लगाना और न जिसका सर्वयालेंस हो रहा हो उसे पता चले और न जो करवा रहा हो उसे,... दिक्क्त ये थी की हर एजेंसी कम से कम चार पांच कट आउट तो इस्तेमाल करती ही थी और पता यह करना की कौन कम्पनी करवा रही है, उसके स्ट्रक्चर में कौन आदमी है
M के लिए भी यह बाएं हाथ का खेल नहीं था लेकिन तब भी सक्सेस रेट काफी हाई था।
मिलन्द नवलकर इस समय चर्चगेट स्ट्रीट में गेलार्ड रेस्टोरेंट में बैठे थे और उनके मोबाइल पे एक फ़ूड ट्रक की पिक्चर थी.
देख वो उसे रहे थे लेकिन मन में एसाइनमेंट का पूरा पर्पज घूम रहा था. एक फार्च्यून १०० मल्टीनेशनल कम्पनी, उसकी इंडियन सब्सिडयरी पर टेकओवर के लिए हमला हुआ जो नाकामयाब रहा लेकिन अब इंटरनेशनल कम्पनी को लग रहा था की दुबारा फिर उसपर अटैक होगा, बाजार में साफ साफ़ मेसेज था और बाजार कभी झूठ नहीं बोलता।
अब तीन बातें थीं
" कौन अटैक करने वाला था, क्यों अटैक होगा और अटैकर का इंट्रेस्ट क्या है। "
इन तीनो का पता नहीं था, और जब ये नहीं पता हो तो डिफेन्स की क्या स्ट्रेटजी बनेगी, लेकिन उस कपंनी ने तय किया था, " रण होगा " लेकिन किसके खिलाफ?
सूत्र सिर्फ एक था और वो रिपोर्ट M के पास भी थी
अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...
M का काम था सर्वयालेंस के तारों को पकड़ के पता करना रिपोर्ट कहाँ कहाँ जा रही है, कौन करवा रहा है विदेशी कम्पनी कौन है , इंडियन कम्पनी कौन है।
जो आसान नहीं था।
लेकिन वो और मुश्किल हो गया था ' सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।
सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।
ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।
नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
अरे जिस जगह का आपने वर्णन किया है मैं यहीं से हु.... बताना कुछ पता लगाना हो तो..... फ़ूड ट्रक
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उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।
सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।
फ़ूड ट्रक से तीन सवाल उठ रहे थे, जो सर्वयालेंस कर रहा है उसकी तो नहीं होगी, उसने हायर ही की होगी या पता उसकी ही हो। तो किसकी है फ़ूड ट्रक ?
दूसरी बात उसमे रह रहे लोग जो सर्वयालेंस में हैं वो कौन हैं, कहाँ के हैं और उन्हें क्या काम सौंपा गया है ?
और तीसरी बात डाटा फ़ूड ट्रक से कैसे भेजा जा रहा है?
पहले सवाल का जवाब करीब करीब मिल गया।
फोटो में फ़ूड ट्रक की नंबर प्लेट थी और नंबर गाजियाबाद का है। ट्रक के ओनर का नाम पता सब मिल गया, वो एक एजेंसी थी जो फ़ूड ट्रक अलग कैटरिंग एजेंसीज को हायर करती थी और यह ट्रक आठ महीने पहले एक मेरठ की कैटरिंग एजेंसी को दी थी , दो साल की लीज पे।
मेरठ की एंजेसी ने चार फूड ट्रक किसी कम्पनी को ढाई महीने पहले दी थी और यह ट्रक उन्ही में से एक थी।
अब यह साफ़ हो गया था की यह आपरेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोई एजेंसी चला रही थी, कई सर्वयालेंस एजेंसी वाले भी फ़ूड ट्रक हायर करते हैं और वह कम्पनी उसी तरह की होगी।
उस कम्पनी का नाम पता चल गया था, थर्ड आई।
वह कम्पनी मिलेट्री और पुलिस के कुछ रिटायर्ड आफिसर मिल कर चलाते थे। कुछ उन के फोन हैक कर के कुछ कंप्यूटर के रिकार्ड चेक कर के पता चला था की थर्ड आई ने इस फ़ूड ट्रक को सर्वयालेस के लिए इक्विप किया है पर अभी उन्होंने दो ट्रक किसी एजेंसी को दिए है जिसने दोनों ट्रक को दो महीने के लिए हायर किया है। पर उस एजेंसी का कोई ट्रेस नहीं मिल पाया। उन्होंने सारा पेमेंट कैश में एडवांस किया है। जिस फोन से बात हुयी थी वो नंबर अब बंद हो चूका है और काल डाटा रिकार्ड के हिसाब से बात उसी शहर से हुयी थी लेकिन उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ उसी ट्रांजेक्शन के लिए किया गया था।
बात बनी भी नहीं और बन भी गयी।
मामला जितना समझ आया मतलब दिमाग का पूरा उपयोग किया है सामने वाले ने भी.....सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ )
अब ये साफ़ था कोई सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ ) एजेंसी है जिसने ढेर सारे कट आउट इस्तेमाल किये हैं, पहली बात तो फ़ूड ट्रक उन्होंने इस तरह हायर किया था की बहुत खोज बीन कर के भी बात सिर्फ थर्ड आई तक पहुंचे और वो सिर्फ ये कहेंगे की उन्होंने उसे हायर पर दिया है और फ़ूड ट्रक हायर पर देने के लिए अभी किसी के वाई सी की जरूरत नहीं है। अभी वो हायर के पीरियड में है इसलिए उन्हें कोई चिंता भी नहीं हुयी। इस एस ३ ने फ़ूड ट्रक हायर करने के लिए अलग आदमियों का इस्तेमाल किया होगा और मैन पावर हायर करने के लिए अलग एजेंसी।
नवलकर ने दो बार वो वेजिटेबल वेंडर के साथ गीता की पिक देखी,
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गीता की एक बात भी रिकार्ड हो गयी थी की बात में यह आदमी पश्चिम का लगता था तो साफ़ था की जहाँ से फ़ूड ट्रक ली गयी थी, वहीँ से वो लोग भी हायर किये गए होंगे जो काउंटर स्रवयलेंस कर रहे होंगे,... मेरठ गाजियाबाद की ट्रक थी और लोग भी वहीँ से हायर किये गए होंगे।
नवलकर ने अपने अनुभव से बात समझ ली की असली आदमी जो कोआर्डिनेट कर रहा है वो वही गाजर वाला है सबजी के ठेले वाला, इसलिए फिजिकल सरव्यालेंस भी व्ही कर रहा है और फ़ूड ट्रक से कोआर्डिनेट भी।
अब बात यह थी की डाटा फ़ूड ट्रक से ट्रांसमिट कैसे हो रहा है।
उन्होंने एक सेटलाइट एजेंसी को काम पर लगाया था जो अगले ४८ घंटे तक हर आधे घंटे की उस फ़ूड ट्रक की तस्वीर रिले करेंगे।
मामला ये नहीं था की क्या फ़ूड ट्रक क्या डाटा इकठ्ठा कर रही है, नवलकर को पता ये करना था की ये डाटा जा कहाँ रहा है, कौन उस डाटा को एनलाइज कर रहा है और इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कहाँ से हो रहा है।
फ़ूड ट्रक वो प्वाइंट था जहाँ से फिजिकल सर्वयालेंस ख़त्म हो के डाटा का काम शुरू हो रहा था।
नवलकर को ये पूरा विश्वास था की ये सारा डाटा उस फ़ूड ट्रक से किसी कम्युनिकेशन सेटलाइट से ही भेजा जा रहा है।
और उसके तीन कारण थे, स्टोरेज साइज, डाटा सिक्योरिटी, और फ़ूड ट्रक का इस्तेमाल। क्योंकि सरवायलेंस में आडियो, वीडियो, और बाकी सब डाटा था और वो सिर्फ मोबाइल और कम्यूटर हैकिंग तक नहीं था। हर दिन की डाटा की साइज बहुत होती और इसे फोन से ट्रांसमिट से करना पॉसिबल नहीं था।
दूसरे डाटा अगर सब फ़ूड ट्रक में स्टोर होगा तो किसी भी हैकर के लिए या जांच एजेंसी वाले के लिए सीधे ट्रक पे रेड करके उस डाटा को पकड़ना आसान था। फिर मोबाइल डाटा को ट्रैंगुलेट करके टावर का पता करना और फिर उस फोन की लोकेशन पता करना आसान हो जाता लेकिन सेटलाइट डाटा में ये थोड़ा मुश्किल था, बशर्ते किसी स्पाई सेटलाइट का इस्तेमाल न किया जाए।
ज्यादातर सेटलाइट नेविगेशन के काम में आने वाली कम्युनिकेशन सेटलाइट होती हैं लेकिन बाकी कम्युनिकेशन वाली भी काफी है जिनका इस्तेमाल न्यूज सर्विसेज के लोग वार जोन्स में करते हैं और वो किराए के लिए उपलब्ध होती हैं। नवलकर का विश्वास था वैसे ही कोई सेटलाइट होगी।
और वह विश्वास सही सिद्ध हुआ लेकिन उम्मीद से दुगना बल्कि और ज्यादा,