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जोरू का गुलाम भाग २४९ , एम् -१ पृष्ठ १५५०
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thanks so much aur aap ne shuru se padhana shuru kiya aur shruu ki posts pe comments bhi kiye bahoot thanksItna kast karke,Aap ne pathak aur pathikaon keliye INDEX banayi hain,issiliye Aap ka bahut bahut Dhanyabad !![]()
वोमन आन टॉप
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आलवेज आन टॉप।
पल भर में मैं उनके ऊपर थी।
मेरे गुलाबी होंठ हलके हलके उनके होंठों को छू रहे थे , उनके दोनों हाथों को मोड़ के उनके सर के नीचे मैने दबा दिया। दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी ,
और मैं उनके ऊपर।
मेरे कड़े उरोज बस हलके से उनके होंठों को रगड़ कर दूर हट गए ,
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और नीचे मेरी 'गीली गुलाबी सहेली' उनके खड़े खूंटे के बस ठीक उपर।
अपने कंचे ऐसे कड़े कड़े निपल उनके प्यासे पागल होंठों पे छुला के , तड़पा के , उनकी आँख में अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे डालते मैंने पूछा,
" क्यों , मुन्ना , … चाहिए। "
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" हाँ हाँ ,… दो न , हाँ ,"
उन्होंने उचकने की कोशिश की , लेकिन उनकी दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी और शरारत से ,
ललचाते मेरे जोबन उनकी पहुँच के बाहर हो गए।
"ऐसे थोड़ी , … अरे जरा ठीक से मांगों , विनती करो तब , .... "
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मैंने भी अदा दिखाई /
" मुझे ये , तुम्हारे बूब्स , चाहिए। "
वो बेताबी से बोले , लेकिन मैं ऐसे थोड़े पटने वाली थी।
" ऐसे थोड़ी , तू भी न , खुल के बोलो न , जरा इसकी तारीफ करो , कैसे हैं ये तो बताओ न। "
मैंने कहा और अब मेरे ३४ सी उरोज बस इंच भर उनके होंठों से दूररहे होंगे।
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" ओह्ह ओह्ह ये तुम्हारे बूब्स , सेक्सी ,बहुत रसीले हैं " कुछ खुले वो लेकिन ,…
" अरे ऐसे थोड़ी अंग्रेजी में नहीं , और जरा खुल के , तुम भी न " मैंने मुंह बनाया।
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थोड़ा हिचक के फिर वो बोले ,
" तुम्हारे उरोज , रसीले कुच , बहुत मन कर रहा है , दो न "
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वो एक दम बेताब थे। पर मैंने अपनें उभारों को एकदम दूर कर लिया, और मुंह बना के बोली ,
" लगता है तेरा एकदम मन नहीं कर रहां है , अगर ये चहिये तो एक दम साफ साफ , देसी देसी भाषा में खुल के , अब ये मत कहना की अपने मायके में तूने ऐसे बोलना सीखा नहीं। एकदमदेसी ,समझ लो , पूरा खुल कर लास्ट चांस। "
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" नहीं नहीं प्लीज , सच्ची मेरा बहुत मन कर रहा है दो न। अपने ये गदराये जोबन , ये ये ,… ये रसीली चूंचियां ,.... दो न "
" हाँ हाँ हाँ बोलते रहो , बहुत अच्छा लग रहा ओह और बोलो , "
और ये कहते मेरे इंच भर कड़े खड़े निपल अब खुल के ऊनके होंठो पे रगड़ रहे थे "
और मैने अपनी एडवांटेज थोड़ा और प्रेस किया ,
" बेबी माई लवली बेबी , बस एक छोटी सी बात और बोल दो तो ये निप्स अब तुम्हारे , बोलो। "
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"पूछो न। "
उचकते हुए उन्होंने अपने होंठो के बीच मेरे उरोजों को दबोचने की कोशिश की ,
लेकिन मेरी कलाई की पकड़ तगड़ी थी और मेरे कबूतर उनकी पहुँच से दूर उड़ गए लेकिन बस थोड़ी दूर।
Bahut kamu
" हाँ ये बताओ "
मैं रुकी और झुक के एक छोटा सा किस उनके होंठों पे जड़ा और हटा लिया , और पूछा ,
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अरे हर राउंड के बीच ब्रेक भी होगा और वो बेचारा रिचार्ज भी करेगा, फिर भरतपुर के साथ चित्तौड़गढ़ पर भी तो चढ़ाई होनी है, तो चार बार हो ही गया7 8 घंटे तो बहुत हैं....रसगुल्लों का रस निचोड़ लेने के लिए.........
अखिर पहली-पहली बार में कितने ही राउन्ड कर पाएँगी बेचारी![]()
एकदम सही कहा आपने,कोमल से दुश्मनी..... कोरी gand की खुली जगह.....
साथ में अनछुए रसगुल्लों का रस.... वो भी दोनों जगहों का....
अब के कमेंट बरस रहे हैं तो तीज भी आ ही जायेगीGajab चल रहा है सब कुछ.......
बस जल्दी से तीज आ जाए..... यहां तो सावन खत्म होने के कगार पर हैं.......
बहुत जल्दबहुत ही सुंदर update
.......इंतजार रहेगा अगले अपडेट का....
गागर में सागर शायद इसी को कहते हैइन नए अपडेट्स को पढ़ते हुए हास्य और उत्तेजना, दोनों का लेवल एक साथ स्काईरॉकेट कर गया!
आपने जिस बेबाकी से सीनियर लेडीज क्लब की राजनीति, चालाकियाँ, और उनके पार्टी-प्लानिंग के नाम पर चल रहे गहरे खेल को उजागर किया है, पढ़कर मज़ा आ गया..
नायिका (या फिर एंटी-हीरोइन?) की फंडिंग और स्पॉन्सरशिप जुटाने की चतुराई तो देखने लायक है! CSR फंड्स, सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स, और थर्ड-पार्टी पार्टिसिपेशन के नाम पर जो जुगाड़ लगाया गया, उसे पढ़कर लगता है कि अगर ये चालाकियाँ कॉर्पोरेट जगत में लगा दी जाएँ, तो कोई कंपनी घाटे में नहीं जाएगी!खासकर वो हिस्सा जहाँ "बुक्स में कुछ दिखाने की ज़रूरत नहीं, बस झलकाना है" वाला फिलॉसफी दिया गया.. उस पर तो दिल फिदा हो गया..!!
मिसेज मोइत्रा की बेटियों का जिक्र जितनी मासूमियत से शुरू होता है, उतना ही मसालेदार अंदाज़ में आगे बढ़ता है.. "कोरी चूत फटनी थी" जैसे लाइन्स ने कहानी को एक अलग ही मोड़ पर पहुँचा दिया.. और फिर वो प्लानिंग कि मिसेज मोइत्रा को क्लब में लंबे समय तक रोका जाए, ताकि उनकी बेटियों का होम डिलीवरी का काम पूरा हो सके.. ये सब पढ़कर चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कान आ गई..
बच्ची पार्टी vs सीनियर पार्टी का टकराव, मिसेज मोइत्रा की चालबाज़ियाँ, और वो मजाकिया डायलॉग्स.. सब मिलाकर कहानी को एक हल्की-फुल्की, पर जबरदस्त एंटरटेनिंग रीड बना देते हैं.. खासकर जब अन्नया (बेबी ऑफ़ द ग्रुप) को बार की जिम्मेदारी दी जाती है और सीनियर्स को "बिना टुन्न हुए नहीं छोड़ना" का टारगेट दिया जाता है.. वह सीन बेहद ही लजीज बन पड़ा है!
इन बेहतरीन कॉकटेल अपडेट्स पढ़ने में मज़ा आ गया.. जिसमें सियासत, सेक्स, और सटायर का बेहतरीन मिश्रण था.. इसे पढ़ते हुए कभी पाठक का दिमाग चकराएगा तो कभी हंसी छूट जाएगी..
तो बस इतना कहूँगा आपने जो सीनियर्स की पार्टी प्लान की है, उसमें हमें भी इनवाइट कर लीजिएगा!
अगले अपडेट में नैरेटर भी बदलेंगे और कहानी का रंग भीकोमल मैम
अब किस - किस का इंतजार करें ??
आपने तो इतना सारा इंतजाम कर दिया है कि सब लोग दिल थाम के बैठे हैं कि अगले अपडेट में पता नहीं किसका नंबर लग जाए।
कीड़े वाले भी कन्फ्यूज़िया गए होंगे कि होने वाला क्या है ? या एकदम श्योर हो गए होंगे कि सोना - मोना फुल ठरकी हैं और यही तो उनको समझाना है।
गजबे सीन क्रिएट कर दिए हैं।
अब तो अगले अपडेट में ही कुछ पता लगेगा।
सादर
बात आपकी सही है, बिघन बाधाएं बहुत आ रही हैंKomal Ji, kya likha tha aapne, ekdam ghazab. bua aur unki beti wale episode me, me do baar online hua comment karne ko, pata ni kya tha us episode me, me apne aap par control kho deta tha isliye type ni kr pata tha. itna to mujhe Guddi ke Honeymoon par bhi feel nahi hua tha.