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Incest जीवन रस की एक - एक घूंट पिए जा पिए जा

karan77

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सन्जु : दीदी तुम्हारा नहीं हुआ न ।

रीता : कोई बात नही मेरे पास बैंगन है न। कह कर रीता मुस्कुरा दी।

जब सन्जु और रीता ऑटो से उतरे तो रात के 10 बज चुके थे। घर में उमा दोनो बच्चो का इन्तज़ार कर रही थी।

उमा : "उफ़ आ गए। मैं तो घबरा रही थी।

रीता : तुम ऐसे ही घबराती हो माँ। मेरे साथ सन्जु था तो सही।

उमा : पर ये भी तो अभी बच्चा ही है न।

रीता : अरे नही माँ सन्जु अब बडा हो गया है। क्यु है न सन्जु कह कर रीता और सन्जु हॅसने लगे । फ़िर उमा ने रीता और सन्जु को खाना खिलाया ।

सोने जाने से पहले रीता ने सन्जु को एक बडा सा चुम्मा दिया और फ़िर दरवाजा बन्द करके सन्जु की दी हुई किताब पढने लगी। सन्जु अपने पास सोती हुई अपनी माँ और सरोज के डर से रीता के कमरे में नहीं जा सकता था। आखिर सन्जु ने अपने लौड़े को अपने हाथ में ले लिया और दबाने लगा और धीरे धीरे दबा दबा कर मुठ मारने लगा ।
good
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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सन्जु रीता से नोट ले कर खुश हो गया। आज पहली बार रीता ने उसे कुछ दिया था ओर सन्जु खुशी में झूमता हुआ कॉमिक लेने बाजार भाग गया ।

रीता ने अपने कमरे का दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर लेट गई।

रीता का धयान बार बार सन्जु की तरफ़ जा रहा था। वो सन्जु के बारे में सोचते हुए अपने हाथ को बार बार अपनी छाती पर सहलाने लगी और बहुत जल्दी ही उसका हाथ फिर से उसकी दोनो जांघों के बीच में था। रीता अवसर अपने पड़ोस के लड़को या अपने स्कूल के लड़को के बारे में सोचा करती थी पर आज उसे अपने भाई के बारे में सोच कर बहुत ही अधिक मजा आ रहा था।

जब रीता ने फिर से अपने कमरे का दरवाजा खोला तो सन्जु सामने सोफे पर बैठा कॉमिक पढ़ रहा था ।

रीता को देख कर वो कुछ घबरा गया ओर अपनी कॉमिक को जल्दी से नीचे रख कर शरारत से मुस्करा दिया। रीता भी मुस्करा दी और फ़िर सन्जु के पास आ गई।

सन्जु ने अपनी जेब से बचे हुए पैसे निकाल कर रीता को दे दिए। "लो दीदी ये तुम्हारे पैसे रीता: "अरे तु रख ले। अब ये तेरे पैसे हैं ओर ये कोन सी कॉमिक है, -हूँ स्पाइडरमैन दिखा तो। "

सन्जु अपने हाथ में कॉमिक के पीछे कुछ छुपा रहा था ।

रीता: ला दिखा तो ये क्या है।

रीता ने अचानक ही सन्जु की कॉमिक को खींच लिया और खोल कर देखा तो सन्जु की कॉमिक के पीछे एक नंगी फोटो वाली किताब थी।

सन्जु रीता के अचानक ही आ जाने से बहुत घबरा गया था और अब तो उसकी आवाज़ ही बन्द हो गई थी।

रीता हंस दी "तो ये बात है चल शरारती कहीं का।"

रीता : वाह क्या किताब है, दिखा तो ।

सन्जु : नही दीदी ।

सन्जु ने किताब को कॉमिक के अन्दर बन्द कर दिया ।

रीता: अरे दिखा न। मैं कुछ नही कहूंगी। बस देखना चाहती हूँ कि कौन सी किताब है।

सन्जु ने कॉमिक, किताब समेत रीता के हवाले कर दी।

रीता ने किताब को खोल कर देखा, किताब में गंदी कहानीयाँ ओर कुछ अध नंगी औरतो की तस्वीरे थी।

रीता किताब के पन्ने पलट पलट कर तस्वीरें देखने लगी और फ़िर कॉमिक को वापस दे कर बोली “अच्छी है। ले पढ़ ले। फ़िर मुझे देना मैं भी पढ़ लुंगी।“

सन्ज : ओ सच दीदी।

रीता : हाँ क्यु नहीं। अब तो हम दोस्त हैं न। तुम पढ़ सकते हो तो मैं क्यु नही पढ सकती । अच्छा तुम पढो मैं माँ के पास बैठती हूँ । अगर माँ या सरोज अन्दर आयगी तो मैं आवाज़ दे कर तुम्हें बता दूंगी। तुम किताब छुपा देना । सन्जू रीता के बरताव से हैरान था। उसने इससे पहले कभी रीता को एक दोस्त की तरह बर्ताव करने नही देखा था। आज अचानक ही उसे रीता एक अच्छी दोस्त लगी। उसने अब किताब को खोल कर पढना शुरु कर दिया और रीता बाहर चली गई।
Funtastic updates
 

Game888

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सन्जु ने अपने हाथ से रीता के दूसरे मम्मे को हाथ से पकड़ कर दबाया ।

सन्जु : “दीदी तुम्हारे मम्मे” सन्जू शर्मा कर चुप हो गया।

रीता ने सन्जु का लण्ड पकड़ कर हिलाते हुए कहा "सन्जु बोल न मेरे मम्मे क्या? भैया राजा मुझसे शर्मा क्यु रहे हो ।"

"तुम मुझसे कैसी भी बात कर सकते हो चाहे कितनी भी गंदी हो।"

सन्जु ने संकोच छोड कर कहा। "दीदी तुम्हारे मम्मे मुझे बहुत अच्छे लग रहें हैं। जी चाहता है कि मम्मों को चुस लुं ।

रीता : सन्जु घर जा कर मैं तुम्हे अपने दोनो मम्में दे दूंगी आराम से दबाना और चुसना ।

"सच दीदी" सन्जु ने खुश होते हुए कहा ।

रीता ने सन्जु के लौड़े पर से लन्ड की खाल खींच कर नीचे कर दी और सन्जु के गीले सुपाडे को निकाल कर उसके लौड़े को कस कर पकड लिया ।

"मजा आया न सन्जु ।"

उफ़ हाय दीदी। बहुत टाईट लग रहा है। एसे ही दबा दो।

रीता ने अपनी उन्गली और अन्गुठे से गोल घेरा बना कर सन्जु के लौड़े को उसमे कस रखा था और बार बार वो जोर से लौड़े को कस लेती। सुपाड़े के छेद से गरम गरम लेसदार पानी की बुँदे निकल कर रीता के हाथ को गीला कर रही थी।

सन्जु को अपनी बहन की उन्गली के घेरे से बहुत मजा आ रहा था। वो बार बार रीता को अपना हाथ जोर जोर से चलाने को कहता जा रहा था।

सन्जु का एक हाथ अपनी बहन के मम्मो को जोर जोर से मसल रहा था। रीता की टांगो के बीच वाली जगह फूल कर कड़ी हो गई थी, चूत की फांके फरफरा रही थी। मोटे लण्ड को हाथ में पकड़ने की सनसनी उसके टांगो के बीच अंदर तक उतर चुकी थी। चूत रिसने लगी थी और पानी से एक दम गीली हो चुकी थी और रीता बार बार अपनी मासल जांघो को भीच भीच कर अपनी गरम चूत को दबा रही थी।

रीता को सन्जु से मम्मे दबवाने में बहुत मजा आ रहा था। सन्जु रीता के मम्मो की घुण्डी को अपने हाथों में ले कर जोर जोर से मसल रहा था। रीता के दोनो निप्पल एक दम से खड़े हो गए थे । रीता ने सन्जु को जोर से निप्पल मस्लने को कहा ओर फ़िर सन्जु को लौड़े को जोर जोर से हिलाने लगी। सन्जु को रीता के हाथ से इतना मजा आया की वो अपनी जांघो को उठा उठा कर अपना लण्ड अपनी बड़ी बहन के हाथ में देने लगा ।

सन्जु : हाय दीदी। मेरा निकल जायगा ।

रीता ने जब देखा की सन्जु का लण्ड पानी उगलने को तैयार है तो रीता ने सन्जु के लण्ड से अपना हाथ खींच लिया और सन्जु को रुकने को कहा।

सन्जु ने बडी मुशकिल से अपने आप को झड़ने से रोका। सन्जु ने रीता की चुच्ची को मसलते हुए कहा "दीदी। मुझे बहुत मजा आ रहा था तुमने हाथ क्यु हटा लिया।"

"सन्जु अभी इंटरवल होने वाला है। सारो कपडे गन्दे हो जाते। चल तु अपनी बन्दुक को फ़िर से अपनी पैण्ट में डाल ले बाद में फिर से मजा दूंगी।"

सन्जु ने अपने लण्ड को बडी मुशकिल से अपनी पैण्ट में डाला और फिर चुपचाप फ़िल्म देखने लगा । रीता की चूची अभी भी सन्जु के हाथ में थी पर वो अब उसे आराम से सहला रहा था। तभी रीता ने संजु का हाथ पकड़ा और अपनी दोनों जांघो के बीच ले जाकर रख दिया। सन्जु का पूरा बदन सिहर उठा। रीता उसके कान में फुसफुसाते हुए बोली "सन्जु मेरी निचे की सहेली को धीरे धीरे सहला मैंने अपना जाँघ फैला दिया है।" सन्जु मजे सिहरता हुआ धीरे से रीता जांघो के बीच हाथ ले जा उसकी फूली हुई चुत को मुठ्ठी में भर लेता है, हालाँकि उसे कुछ खास पता नहीं चलता है।

रीता : सन्जु, तूने किसी लड़की का निचे वाला नहीं देखा है न।

सन्जु : नहीं दीदी मैंने किसी का नहीं देखा तुम क्या अपना दिखा………।


रीता : सन्जु के हाथ को अपने जांघो के बीच कसते हुए "दिखाउंगी तुझे अपनी निचे की सहेली को घर चल कर। अभी जरा मेरी चुत को सहला। रीता के मुंह से चुत सुनकर सन्जु सिहर गया और उसकी जांघो के बीच चुत को कस कर दबोचता हुआ धीरे से कान में बोला "दीदी….पर पता नहीं चल रहा।" तभी इंटरवल हो गया।
Very erotic update
 
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Game888

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सन्जु : दीदी तुम्हारा नहीं हुआ न ।

रीता : कोई बात नही मेरे पास बैंगन है न। कह कर रीता मुस्कुरा दी।

जब सन्जु और रीता ऑटो से उतरे तो रात के 10 बज चुके थे। घर में उमा दोनो बच्चो का इन्तज़ार कर रही थी।

उमा : "उफ़ आ गए। मैं तो घबरा रही थी।

रीता : तुम ऐसे ही घबराती हो माँ। मेरे साथ सन्जु था तो सही।

उमा : पर ये भी तो अभी बच्चा ही है न।

रीता : अरे नही माँ सन्जु अब बडा हो गया है। क्यु है न सन्जु कह कर रीता और सन्जु हॅसने लगे । फ़िर उमा ने रीता और सन्जु को खाना खिलाया ।

सोने जाने से पहले रीता ने सन्जु को एक बडा सा चुम्मा दिया और फ़िर दरवाजा बन्द करके सन्जु की दी हुई किताब पढने लगी। सन्जु अपने पास सोती हुई अपनी माँ और सरोज के डर से रीता के कमरे में नहीं जा सकता था। आखिर सन्जु ने अपने लौड़े को अपने हाथ में ले लिया और दबाने लगा और धीरे धीरे दबा दबा कर मुठ मारने लगा ।
Maast update
 

motabansh

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सन्जु कुर्सी पर बैठा टीवी देख रहा था, जब रीता नहा कर बाथरूम से निकली और तौलिये से अपने बाल सुखाने लगी I

रीता के खुले काले बाल और सुन्दर चेहरा सुबह की धूप में चमक रहे थे। सन्जु ने जब रीता के निखरे हुए चेहरे को देखा तो उस पर जादू सा हो गया वो एक टक अपनी बहन को देखे जा रहा था । रीता ने आज निले रंग की स्कर्ट पहनी हुई थी और उपर सफ़ेद रंग की टी शर्ट थी। रीता की शर्ट में से उसकी छातीयों के उभार बहुत बड़े और तने हुए लग रहे थे।

सन्जू की नज़र रीता के चेहरे से फिसलती हुई उसकी छातियों के उभारों पर ठहर गई, रीता की शर्ट के कपड़े में से उसके दोनो निप्पल कड़े होकर बाहर उभर आए थे। सन्जु, रीता की छातीयों पर उठे हुए दोनों निप्पलों के आकार को देखने लगा। रीता ने जब सन्जु को अपनी तरफ देखते पाया तो मुस्करा दी और फ़िर सन्जू के पास आ कर खड़ी हो गई। "क्या देख रहे हो सन्जू कहती हुई रीता ने सन्जू के कन्धे पर पर हाथ रख दिया । सन्जु ने रीता को अपने पास खड़े पाया तो धीरे से बोला । तुम बडी सेक्सी लग रही हो दीदी ।

रीता : "हाय सच । रीता खिलखिला कर हँस दी।"

रीता, सन्जु की कुर्सी के बिल्कुल पास आ कर सन्जु से सट कर खड़ी हो गई। अब रीता की कमर सन्जु के कन्धे से सट रखी थी, रीता की नंगी टांगे सन्जु के हाथ से छू रही थी, सन्जु ने अपने हाथ को रीता के घुटने पर रख दिया और रीता की गोरी सुडोल टांगों को देखने लगा । कुछ देर बाद सन्जु ने अपना हाथ रीता की गरम मांसल टांगो पर फेरना शुरु कर दिया ।

वो अपनी बहन के स्कर्ट को उपर उठा कर नीचे से देखना चाहता था। कुछ देर वो रीता की टांगो पर अपना हाथ फेरता रहा और फ़िर सन्जु ने अपने हाथ को अपनी बहन के घुटनो के उपर ले जा कर रीता के स्कर्ट के अन्दर कर दिया । रीता ने जब सन्जु का हाथ अपनी जांघों की तरफ़ बढ़ता पाया तो उसने अपनी दोनो टांगो को थोडा खोल दिया। सन्जु का हाथ अब रीता की मोटी चिकनी जांघो पर चल रहा था। रीता की चिकनी मखमली जांघों को छूना सन्जु को बहुत अच्छा लग रहा था। सन्जु अपनी बहन की जांघो को सहलाता हुआ अपना हाथ और उपर ले गया। सन्जु का हाथ जब रीता की दोनो टांगों के बीच वाली फूली हुई जगह पर लगा तो रीता और सन्जु दोनो ही सिहर उठे।

रीता का दिल जोर जोर से धडकने लगा। सन्जु ने कांपते हाथों से अपनी बहन की भीगी हुई पैण्टी के बीच वाली जगह को ऊँगली से छुकर देखा। रीता ने अपनी गरम चूत को सन्जु के हाथ पर रख कर हलका सा दबा दिया। सन्जु अब रीता की पैण्टी को एक तरफ़ कर के अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से छूना चाहता था, पर रीता ने अचानक ही अपनी दोनों टांगे बन्द कर ली ओर सन्जु से पीछे हट कर खड़ी हो गई।

सन्जु ने देखा तो कमरे में सरोज आ कर बैठ गई थी ओर टी वी का रीमोट ढुंड रही थी। सन्जु कुछ देर तक सरोज को मन ही मन कोसता रहा, उसको सरोज पर बहुत गस्सा आ रहा था।

रीता पास में पड़ी कुर्सी खींच कर सन्जू से कुछ ही दूर बैठ गई, वो सोच गही थी कि सरोज को कैसे भगाए कमरे से ओर अभी कुछ ही देर हुई थी की उमा ने टेबल पर नाश्ता रख दिया ।

रीता नाश्ता करते करते अपने पैर को सन्जु के पैर पर रख कर सन्जु से मजे ले रही थी। एक बार तो रीता ने सन्जु की पैंट के आगे वाले भाग को अपनी हथेली से इतनी जोर से दवाया कि सन्जू के लण्ड से कुछ गरम पानी की बुन्दे निकल आई। सन्जू सोच रहा था कि सरोज और माँ के घर में होते हुए रीता की चूत मिलना बहुत ही मुश्कील है।

उधर रीता सन्जू के लौड़े को देखने के लिए तड़प रही थी। वो बचपन से ही सन्जु को बहुत चाहती थी और अब तो सन्जू भी उसके शरीर के साथ खेलने के लिए तैयार था।

रीना जब भी सन्जु के लौड़े पर हाथ रखती उसकी अपनी चूत में से गरमा गरम पानी आने लगता। रीता जानती थी की सन्जू भी उसकी चूत के लिए वैसे ही तड़प रहा है जैसे वो सन्जु के लण्ड के लिये ।

रीता किसी बहाने से सन्जु को अपने कमरे में बुला कर दरवाजा बन्द करने की सोचने लगी। पर उसे कोई बहाना नही मिल पा रहा था। उसकी माँ और सरोज के घर से बाहर जाने की भी कोई उम्मीद नहीं थी। आखीर रीता मन मार कर बाहर धूप में जा कर बैठ गई।

दोपहर के अभी 12 बजे थे और उमा ने सारे घर की सफ़ाई कर दी थी। रीता पढने के बहाने अभी भी धूप में बैठी किताब के पन्ने पलट रही थी। सन्जु अपनी माँ और सरोज के बाहर धूप में बैठने जाने का इन्तजार कर रहा था, पर सरोज आज टी वी के साथ चिपक रखी थी। और बाहर जाने का नाम नहीं ले रही थी।

सन्जु ने जब बाहर रीता को धूप में अकेले बैठे देखा तो वो भी अपनी किताब ले कर बाहर धूप में आ गया और रीता के पास आकर खड़ा हो गया।

रीता : क्या बात है सन्जु बडी पढाई हो रही है आज ।

सन्जु : "दीदी मैंने आप को पढ़ते देखा तो सोचा कि मुझे भी पढाई कर लेनी चाहिये", कहते हुए सन्जु ने हाथ बडा कर रीता की उठी हुई चूच्ची को हाथ में ले कर दबा दिया ।

रीता घबरा गई। फिर सन्जु को डांटते हुए बोली "सन्जु तु पीछे हट" फिर सन्जु से दूर अपनी कुर्सी खींच कर बोली। "अगर माँ ने देख लिया तो हम दोनों को कच्चा खा जाएगी ।"

सन्जु हँसते हुए बोला "पर माँ तो अन्दर रसोई साफ़ कर रही है।"
 

motabansh

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रीता: सन्जु तु अकेले में मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो। मैं कभी मना नहीं करती। पर एसे खुले में नहीं।

सन्जु चुप हो कर अपनी कुर्सी खीच कर रीता के सामने कुछ दूरी पर बैठ गया । रीता जानती थी की सन्जु नाराज हो गया है। वो सन्जु को प्यार से मनाना चाहती थी पर अभी सन्जु के गुस्से को देख कर चुपचाप अपनी किताब पढ रही थी।

सन्जु बार बार रीता को देख रहा था। रीता भी बार बार सन्जु को घुरती जा रही थी।

आज मौसम बहुत ही अच्छा था, जयादा ठन्ड नही थी, और हल्की हल्की हवा से रीता के बाल बार बार उड कर उसके चेहरे पर आ रहे थे। धूप में चमकते रीता के लम्बे काले बाल और सन्दर मुखड़ा देखते ही सन्जु फिर से रीता की सन्दरता में डूब गया ।

सन्जु आंखे फाड़ फाड़ कर रीता के उठे हुए गोल मम्मो को देखने लगा। रीता जब भी सन्जु को ऐसे घूरते हुए देखती तो अपनी छाती को थोड़ा ओर उभार लेती। सन्जु का लण्ड अब फिर से तन गया था और पैंट में से साफ़ दिख रहा था। रीता अपने भाई के अकडे हुए लण्ड का आकार देख कर मस्त हुए जा रही थी वो भी बार बार सन्जू के लौड़े को घूर घूर कर देखने लगी। सन्जू ने जब रीता को अपने लण्ड को घुरते देखा तो अपने लण्ड को पैंट के उपर से अपने हाथ से पकड कर मसलने लगा। सन्जु को अपना लण्ड मसलते देख रीता के दिल की धड्‌कन फिर से बढ़ने लगी। उसे लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो। रीता किसी लड़के को हाथ से करते हुए देखने के लिये कई सालो से तरस रही थी और आज सन्जु उसे वो सब कुछ दिखा रहा था।

रीता ने सन्जु की आंखो में आंखे डाल कर देखा और फ़िर अपने होंठो को उचका कर सन्जु को हवा में पप्पी दे दी।

सन्जु ने रीता को अपने लण्ड की तरफ़ ईशारा किया तो रीता मुसकरा दी और अपनी दोनो टांगो को खोल कर अपने सामने पडे स्टूल पर रख दिया ।

रीता की दोनो टांगो के बीच से स्कर्ट उपर उठ गयी थी और दोनो जांघे धूप में जगमगा रही थी। सन्जु की उत्तेजना अब बहुत बढ गई। वो दोनों मोटी जांघो के बीच में अपनी बहन की सफ़ेद पैण्टी को साफ़ देख सकता था ।

रीता की सफ़ेद पैण्टी उसके मोटे चुतडों पर कस रखी थी। दोनो खुली टांगों के बीच में पैण्टी के अन्दर चूत की दोनो फ़ांको का आकार साफ दिख रहा था। सन्जु को लगा जैसे उसे नशा हो गया हो।

वो अपनी बहन की गरम गरम जांघों के बीच में कसी हुई पैण्टी को देखे जा रहा था। रीता की पैण्टी चूत वाली जगह से कुछ मैली हो कर पीले रंग की हो रखी थी और गिली होने के कारण पैण्टी का कपडा चूत से चिपक रखा था।
 

motabansh

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सन्जु अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा । । रीता ने सन्जु को ईशारे से रुकने को कहा और फिर उठ कर सन्जू के पास चली गई। क्या करते हो सन्जु एसे सब के सामने करोगे तो पकड़े जाएगे हम दोनो ।

सन्जू : तुम बहुत सेक्सी हो दीदी ।

रीता : चलो मेरे साथ आओ।

कहती हुई रीता ने सन्जु को उठने को कहा। सन्जु का लण्ड अब भी पूरी तरह खड़ा था और सन्जु बड़ी मुशकिल से चल रहा था। रीता ने सन्जु को किताब से अपना ढक कर चलने को कहा और फिर अन्दर कमरे में आ गई। उमा और सरोज कमरे में बैठे टी वी देख रहे थे।

रीता ने उमा को देखते ही कहा माँ देखो न सन्जु जब देखो खेलता ही रहता है। कभी नहीं पढता। मैं इसे पढने को कहती हूँ तो बुरा मानता है। उमा ने सन्जू को गुस्से से देखा और फ़िर डाटते हुए बोली सन्जु इस बार अगर तेरे नम्बर अच्छे नहीं आए तो मैं तेरा स्कूल छुडवा दूंगी ओर तुझे तेरे मामा के पास गांव भेज दूंगी सम्झा न।

सन्जु रीता की बात सम्झ नहीं पाया था और उसकी आंखो के सामने अभी भी रीता के खुले चुतड घुम रहे थे।

रीता : चलो न माँ आप टी वी बन्द करो, मैं सन्जु को अपने कमरे में पढाने ले जा रही हूँ, और मैं भी पढ लूंगी।

यहाँ टी वी बहुत डिस्टर्ब करता है, ईसे बन्द कर दो प्लीज ।

उमा, रीता की बात सुन कर खुश हो गई और सरोज को ले कर बहर धूप में बैठने चल दी।

अब सन्जु को रीता की बात समझ में आ गई थी और उसका दिल रीता से मिलन की कल्पना से झुम रहा था।

रीता : माँ, सन्जु मेरे कमरे में है ओर में दरवाजा बन्द कर रही हूँ ।

उमा: ठिक है रीता । तुम दोनों आराम से पढ लो मैं और सरोज दोनो बाहर जा रही हैं। दरवाजा बन्द होते ही सन्जु अपनी बहन के शरीर से चीपट गया।

"उफ सन्जु देख अब मैं तुझे अपनी किताब से पढ़ाती हूं"

ओफ़ दीदी सन्जू ने रीता के साथ लिपटते हुए रीता को चुम लिया ।

रीता को अपने से चिपटा हुआ सन्जु बहुत मजा दे रहा था। रीता का कद सन्जु से लम्बा था और अब सन्जु का मुँह रीता के दोनो मम्मों के बीच वाली जगह पर टीक रखा था। रीता ने अपने हाथों से सन्जु के पीठ को सहलाया ओर फिर धीरे से बोली ले सन्जु ले कर ले जो करना चाहता है।

सन्जु का हाथ रीता की पीठ पर उसकी ब्रा के स्ट्रैप से खेल रहा था। अपनी बहन के गरम शरीर से चिपटा हुआ वो एक दम नशे में डुब गया था।

रीता : सन्जु सन्जू । ओह मेरे राजा ।

"ओह पुच्च पुच्च"

रीता ने सन्जू के होंठों को अपने होंठो से चुमना शुरु कर दिया ।
 

motabansh

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सन्जू का एक हाथ अब रीता के मोटे रबड जैसे मम्मे को आटे की तरहा गुंथ रहा था। रीता ने सन्जु के दोनों हाथों को अपने मम्मो पर रख दिया "लो दबालो इनको" सन्जु ने दोनों मम्मों को दबाना शुरु कर दिया और रीता को लगा जैसे उसकी चूत फूल कर कस गई हो । रीता का हाथ अब अपने भाई की पैन्ट के बटन खोल रहा था। वो जल्दी से सन्जू के शरीर को सारा देख लेना चाहती थी।

एक एक करके रीता ने सन्जु की पैण्ट और शर्ट के सारे बटन खोल दिए और फ़िर उसके कपडे उतारने लगी ।

सन्जु रीता के मुँह को चुमता जा रहा था। रीता के गुलाबी होंठ अब खुले थे ओर सन्जु अपनी जीभ को बार बार रीता के मुँह में डाल कर अन्दर से चाट रहा था और रीता सन्जु की जीभ को अपने होंठो से चूस रही थी।

रीता भी बार बार अपनी जीभ को सन्जु के मुह में डाल देती। दोनो की सांसे तेज थी और दिल जोर जोर से धड्‌क रहे थे।

रीता ने सन्जु को अपने आप से अलग कर दिया और फ़िर उसकी आंखो में देखती हुई बोली "चल दिखा मुझे अपना लण्ड सन्जु "

सन्जु ने अपने कपडों को अलग कर के अपना फुला हुआ 7 ईन्च का लण्ड अपनी बहन की हथेली पर रख दिया । I

"ओफ़ सन्जु ये कितना मोटा है। ओफ़ मेरे राजा…."

रीता सन्जु के सामने घुटनों के बल बैठ गई ओर लण्ड की बनावट देखने लगी। वो सन्जु के लौड़े की मोटाई देख कर बहुत मस्त हो गई थी।

सन्जु के सावले रंग के लण्ड पर घने काले बाल थे और लण्ड के नीचे दो बड़े बड़े भारी अण्डे लटक रहे थे।

रीता सन्जु के अण्डो का आकार देखती हुई थोडा आगे झुकी ओर फिर अपने होंठों से लौड़े को हलका सा चुम लिया ।

रीता ने अपने हाथ से सन्जु के लण्ड को पकड़ कर हलका सा दबा दिया और उसकी गरम हथेली के सपर्श से सन्जु का लण्ड धीरे धीरे उचकने लगा ।

सन्जू रीता की छाती पर से अब एक एक करके कपड़े उतार रहा था। पहले सन्जु ने रीता की शर्ट को उतारा और फिर उसकी बा को खोल कर दोनो मम्मों को बाहर कर दिया ।

"ओह दीदी" सन्जु रीता के गोल गोल तने हुए मम्मे देख कर हैरान रह गया ।

"ओफ़ दीदी ये कितने बड़े हैं। ओह"

रीता के मम्मे आमो की तरह फूल रखे थे। दोनो मम्मो पर बड़े बड़े काले निप्प्ल तन कर बाहर निकल आए थे। सन्जु अभी आपनी बड़ी बहन के मम्मो को निहार ही रहा था कि रीता ने सन्जु के लण्ड की खाल को पीछे खींच कर उसका गीला सुपाड़ा बाहर कर दिया ।
 
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