एकदम जैसा आपने कहा इस कहानी पर अपडेट अगले हफ्ते ही दूंगी
गाँव में बरात जाने के बाद, डोमकच, या खोइया या रतजगा में इस तरह के बहुत से खेल होते हैं, जब कोई औरत पंडित तो कोई पुलिस तो कोई कुछ , कोई कुछ बनती है और उद्देश्य सिर्फ होता है, मस्ती, छेड़ छाड़ और खुल के मौज, और इसलिए भी की घर में कोई मरद तो होते नहीं और रात भर जगना होता हैAre wah... gajab... maja aa gya .....
Ab dekho baba kya kahte hai....
आप को और साथ में आपकी कविताओं को इस कहानी पे देखकर बहुत अच्छा लगता हैवाह कोमल जी मजा आ गया। शादी ब्याह का माहौल और शब्दों का ऐसा ताना बाना...ये काम सिर्फ और सिर्फ आप ही कर सकती हैं।
हमारे पंजाबियों के यहां शादी में भी हंसी मजाक, छेड़-छाड़ और गाली वगेरह चलती है लेकिन कभी ऐसा माहौल मैंने कभी नहीं देखा। ननद महतारी और भाभी की ऐसी खिंचाई नहीं कभी देखी नहीं कभी सुनी। सच में ऐसा होता है क्या?
अपनी बुच्ची मान गई रखेगी गप्पू का मन
पर पहले चूत में लेगी वो अपने भैया का लन
जब अम्मा पूछी भौजी से लौड़े की लम्बाई
बित्ते भर से ऊपर होगा वोआँखों से समझाई
नाग निकला पिटारे से आएगी सबकी बारी
फ़िर वो मामा की लड़की या अपनी महतारी






वाह आरुषि जी
बहुत दिनों बाद आपका आगमन हुआ और आते ही शानदार कविता, जैसी की आशा थीं।
कोमल जी की कहानियों को सजाने में आपका और शैतान जी का गजब का योगदान रहा है।
जहां एक और शैतान जी चित्रों के माध्यम से कहानी के पात्रों को मूर्त रूप दे देती हैं वहीं आप कहानी को काव्यमय।
पाठक वृंद आपकी तिकड़ी से धन्य हैं।
पुनः आपका स्वागत।
सादर
बहुत बहुत आभारCongratulations Komal Ji
बहुत बहुत आभार
यह आपके सहयोग और साथ से ही हो पाया है और असली धन्यवाद के पात्र तो आप ही हैं।