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Incest चूत में घुसी चींटी ने मां चुदवा दी

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चूत में घुसी चींटी ने मां चुदवा दी

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम राजेश है और मैं आपको अपनी हॉट सेक्सी मॉम स्टोरी बताने जा रहा हूं.

कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ और जानकारी दे देता हूं. मेरी उम्र 20 साल है. मेरी हॉट सेक्सी मॉम, नाम नेहा (बदला हुआ) है और वो 44 साल की है. मेरी मॉम का फिगर बहुत सेक्सी है. 42-36-44.

वो घर में हो या बाहर हो, हमेशा साड़ी ही पहनती है. उसकी साड़ी उसकी नाभि के काफी नीचे तक रहती है जिससे उसकी नाभि से नीचे का पेट का हिस्सा दिखता रहता है और किसी भी मर्द की नज़र सबसे पहले वहीं पर जा टिकती है.

उसके छोटे ब्लाउज में उसके स्तन एकदम तने हुए रहते हैं क्योंकि मेरी मॉम ब्लाउज का साइज बहुत छोटा रखती है. छोटा ब्लाउज होने के कारण उसकी पीठ का काफी बड़ा हिस्सा दिखता रहता है और मोटी मोटी चूचियां हमेशा ब्लाउज से बाहर निकलने को हुई रहती हैं.

जिस दिन ये घटना हुई थी उस दिन मैं अपनी मॉम के साथ अपनी मौसी के घर से लौट रहा था. मौसम दोपहर बाद से ही खराब हो रहा था और आसमान में गहरे काले बादल मंडरा रहे थे. जब हम मौसी के यहां से निकले तो करीबन 6 बजे का टाइम रहा होगा.

हम लोग बाइक पर थे और अपने घर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर थे. उस वक्त सांय के 7 बजे का टाइम हो चुका था और अंधेरा होने लगा था. तभी बीच रास्ते में ही जोर से बारिश गिरने लगी. देखते ही देखते हम दोनों ऊपर से नीचे तक पूरे भीग गये.

मैंने सामने देखा तो एक निर्माणाधीन इमारत थी जिसका काम शायद काफी समय से बंद पड़ा हुआ लग रहा था. वह लगभग 70 प्रतिशत बन कर तैयार हो चुकी थी. मैंने मॉम से कहा कि सामने वाली बिल्डिंग में जाकर खड़े हो जाते हैं ताकि बारिश से बच सकें.

मेरे कहने पर मॉम भी तैयार हो गयी और हम दोनों बिल्डिंग में चले गये. बाइक को मैंने बिल्डिंग के नीचे पार्क कर दिया. उस इमारत में 10 मंज़िलें थीं. चलते चलते हम लोग ऊपर चौथे माले पर पहुंच गये. वहां पर थोड़ा साफ था और उस फ्लोर का काम लगभग पूरा हो चुका था.

बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. हमने काफी देर तक इंतजार किया. फिर भी बारिश बंद नहीं हो रही थी. इसलिए हम अपार्टमेंट में अंदर चले गये और टहलकर उसको देखने लगे. फिर बालकनी में जाकर खड़े हो गये.

काफी देर तक खड़े रहे लेकिन बारिश होती रही. वैसे तो हम लोगों को किसी बात की जल्दी नहीं थी. मेरे पापा भी काम से बाहर गये हुए थे और खाना हम लोग मौसी के यहां पर ही खाकर आ गये थे. इसलिए इंतजार करने को तो लम्बे समय तक किया जा सकता था लेकिन समस्या केवल बारिश की नहीं थी. हमारे कपड़े भी पूरे गीले हो गये थे और अब मुझे ठंड लगनी शुरू हो गयी थी.

मॉम बोली- बेटा, बारिश तो रुक ही नहीं रही है.
मैं- हां मॉम, एक घंटे से ज्यादा हो गया है हमें यहां रुके हुए. अब मुझे ठंडी लग रही है.

उस दिन मॉम ने एक लाल रंग की साड़ी पहनी थी जो काफी हद तक पारदर्शी थी और बारिश में भीगने के बाद तो और भी ज्यादा पारदर्शी हो गयी थी. मॉम की साड़ी उसके बदन से पूरी चिपकी हुई थी.

उसमें से उसका ब्लाउज साफ दिख रहा था. कपड़े गीले होने की वजह से अंदर का सब कुछ साफ पता लग रहा था. हॉट सेक्सी मॉम ने ब्लाउज के अंदर ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी. वैसे मैंने ये देखा था कि मेरी मॉम ब्रा और पैंटी बहुत कम पहनती थी.

ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैंने अपनी मॉम को कभी भी पैंटी या ब्रा खरीदते हुए नहीं देखा था. यहां तक कि मैंने कभी उनकी ब्रा और पैंटी को छत पर सूखते हुए भी नहीं देखा था.

उनके भीगे ब्लाउज में मॉम की चूचियों के निप्पल साफ साफ उभरे हुए दिख रहे थे. उनकी गहरी और गोल नाभि भी बिल्कुल चमक रही थी. मेरा मन कर रहा था कि मैं मॉम की नाभि में जीभ डालूं और उसको चूसूं.

अब मुझे कंपकंपी चढ़ने लगी थी.
मेरी हालत को देख कर मॉम ने कहा- जब इतनी ठंड लग रही है तो अपने कपड़े उतार कर तू सुखा क्यों नहीं लेता?

मॉम के कहने पर मैंने अपनी शर्ट को उतार दिया. अब मैं ऊपर से बनियान में था. मगर मेरी पैंट भी गीली थी और पैंट के नीचे अंडरवियर भी पूरा पानी में तर हो गया था. इसलिए मुझे अभी भी ठंड लग रही थी.

मुझे अभी भी कांपता हुआ देख कर मॉम बोली- पैंट भी उतार ले.
मैं मॉम के सामने पैंट उतारने में थोड़ा हिचकिचा रहा था. मगर फिर मैंने पैंट भी उतार दी. अब मैं मॉम के सामने केवल अंडरवियर और बनियान में था.

मॉम को भी ठंड लग रही थी. मैंने उनसे भी कह दिया- अगर आपको ठंड लग रही है तो आप भी उतार लो अपने कपड़े और सुखा लो.
वो कुछ नहीं बोली और कांपती रही.

मैंने फिर कहा- आपको ठंड जल्दी लगती है मां, आप अपने कपड़े उतार लो.
मॉम ने अपनी साड़ी उतार ली. उनके भीगे हुए ब्लाउज में उनकी मोटी मोटी चूचियों के निप्पल देख कर मेरी नजरें बार बार मॉम के बूब्स पर ही टिकने लगीं.

मॉम ब्लाउज और पेटीकोट में थी. मगर उनको अभी भी ठंड लग रही थी.
मैंने कहा- आप अपना पेटीकोट भी क्यों नहीं उतार देतीं?
वो बोली- मैंने नीचे से कुछ नहीं पहना हुआ है. मैं पूरे कपड़े नहीं उतार सकती.

मैंने कहा- ठीक है, मैं कहीं देखता हूं शायद कोई कपड़ा यहां रखा हो जिसे आप बदन पर लपेट सको.
फिर मैं बिल्डिंग में यहां वहां देखने लगा. मुझे कुछ कपड़े मिल गये. मगर वो पहनने वाले कपड़े नहीं थे. बस कपड़ों के कुछ टुकड़े थे जो रुमाल से तीन-चार गुना बड़े थे.
 
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उनमें से मैंने दो कपड़े उठा लिये ताकि मॉम अपने बूब्स और अपनी चूत को ढक सके. मैं कपड़े लेकर आ गया और मॉम को दिये. फिर वो अपने बाकी बचे कपड़े उतारने के लिए दूसरे रूम में चली गयी.

मेरा मन करने लगा था कि मैं हॉट सेक्सी मॉम को नंगी होते हुए देखूं लेकिन मेरी ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
कुछ मिनटों के बाद मॉम जब बाहर आई तो उनका वो रूप देख कर मेरी आंखें फटीं रह गयीं.

मॉम के गीले खुले बाल उनके कंधों पर पड़े हुए थे. कुछ आगे लटक रहे थे और कुछ पीछे पीठ पर थे. उनकी चूचियों पर वो सफेद कपड़ा लिपटा हुआ था जिसमें उनके बूब्स आधे से ज्यादा तो बाहर ही दिख रहे थे. बस चूचियों के निप्पलों तक ही वो कपड़ा उनको ढक पा रहा था.

चूंकि चूचियों वाला हिस्सा ज्यादा उभरा हुआ था इसलिए कपड़ा छोटा पड़ रहा था और मॉम ने उसको कसकर लपेटा हुआ था. इतने कसाव में मॉम के भरे-भरे मोटे बूब्स किसी पोर्न स्टार से कम नहीं लग रहे थे.

नीचे जांघों पर मॉम ने दूसरा कपड़ा लपेटा हुआ था. जो एक तरफ से ज्यादा नीचे था और दूसरी तरफ से उतना ही ऊपर था. अगर वो 2 इंच और ऊपर होता तो मॉम की चूत भी दिख जाती शायद. पीछे से गांड तो बिल्कुल ही नंगी थी.

मॉम के उस सेक्सी रूप को देख कर मेरा तो गला सूखने लगा. उनकी नंगी टांगें और वो कसे हुए बूब्स और उसके नीचे गहरी गोल नाभि देख कर मेरा बदन गर्म होने लगा.

मेरा बनियान और अंडरवियर अभी दोनों गीले थे. मेरा लौड़ा आधा जाग गया था और मेरे अंडरवियर में अलग से दिख रहा था. मॉम की नज़र बार बार मेरे अंडरवियर पर ही जा रही थी लेकिन जैसे ही मैं मॉम की ओर देखता था, वैसे ही वो नज़र को हटा लेती थी.

फिर वो बोली- तू अपना बनियान और अंडरवियर भी उतार ले बेटा.
मैंने कहा- मॉम, मैं बनियान तो उतार दूंगा लेकिन अंडरवियर … कैसे?
मॉम बोली- इतना हिचकिचा क्यों रहा है मेरे सामने? मैं तेरी मॉम हूं, मैंने तो बचपन में न जाने कितनी बार तुझे नंगा देखा हुआ है.

फिर मॉम मेरी अंडरवियर की ओर देखने लगी. मैंने धीरे से अंडरवियर भी अपनी जांघों से निकाल कर अलग कर लिया और मैं अब बनियान में मॉम के सामने नंगा था. मेरा लंड आधा तनाव में आ चुका था और 6 इंच का होकर मेरे बनियान के नीचे आधा बाहर लटकता दिख रहा था.

मेरे झांट और मेरी लंड की गोटियां अभी भी बनियान के नीचे छुपी हुई थीं. मॉम लगातार मेरे लंड वाली जगह पर देखे जा रही थी. फिर मैं बनियान उतारने लगा. मगर उतारते हुए मेरा बनियान फंस गया क्योंकि बनियान पूरा गीला था और बदन से चिपक रहा था.

मैं खींचने लगा तो चर्र … करके आवाज हुई और मॉम बोली- रुक फाड़ेगा क्या?
मैं मन में बोला- आज तो बस आपकी फाड़ ही दूंगा मां.

फिर मॉम मेरे पास आ गयी. वो मेरी हेल्प करने लगी. मेरी आंखें मेरे बिनयान के नीचे दबी थीं मगर मैं बीच में से खाली जगह में से देख पा रहा था.

मॉम की चूत वाला हिस्सा मेरे लंड के बिल्कुल करीब था और मैं नीचे से देख पा रहा था कि मॉम की नजर मेरे लंड पर ही थी. वो अपनी चूत को मेरे लंड से छुआने की कोशिश कर रही थी.

उसके हाथ मेरे बनियान पर थे लेकिन उसका ध्यान मेरे लंड पर था इसलिए वो बनियान को ऊपर खींचने की बजाय अपनी चूत को मेरे लंड के करीब ला रही थी. जब बनियान निकलने को हो गया तो मॉम की चूत मेरे लंड के बिल्कुल करीब आ गयी मगर टच होते होते रह गयी.

इन सब हरकतों की वजह से मेरा लौड़ा अब और ज्यादा तनाव में आ गया था. अब मैं मॉम के सामने पूरा का पूरा नंगा था. मैंने अपने बनियान और अंडरवियर को लिया और दूसरे रूम में सुखाने के लिये चला गया.

जब तक मैं वापस आया तो मॉम ने अपने दोनों कपड़े जो अपने बूब्स और चूत पर लपेटे हुए थे वो दोनों उतार कर फेंक दिये.
मैं हैरानी से मॉम की ओर देखने लगा तो वो बोली- ऐसे क्या देख रहा है? मुझे इन कपड़ों में खुजली हो रही थी. इसलिए मैंने उतार दिये. वैसे भी, बेटे के सामने कैसी शर्म?

मॉम मेरे सामने पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी. मॉम की चूत मेरे सामने नंगी हो गयी थी और बार बार मेरी नज़र उसकी चूत पर जा रही थी. उसकी चूत काफी खुली हुई थी और देखकर लग रहा था कि जैसे वो अपनी चूत को बहुत चुदवाती है.

वैसे मेरी मॉम एक पतिव्रता नारी थी लेकिन आज उसका मन मेरे लंड को देख कर मचल रहा था. उसका मन आज चुदने का कर रहा था और वो आज शायद पहली बार एक पराया लंड अपनी चूत में लेने की तैयारी में थी.

मेरा लंड भी उसकी चूत को नंगी देख कर पूरा का पूरा तन गया और मुझे असहजता होने लगी. मैं अपना ध्यान भटकाने के लिए यहां वहां टहलने लगा. मेरा तना हुआ लौड़ा मॉम के सामने मेरी जांघों के बीच दायें बायें डोलता रहा.

फिर हम दोनों आमने सामने बैठ गये. बारिश अभी भी उतनी ही जोर से पड़ रही थी. मैंने बालकनी से नीचे झांक कर देखा तो नीचे पूरा पानी भर गया था और ऐसा लग रहा था जैसे ये बिल्डिंग किसी तालाब में खड़ी हो.

मॉम बोली- लगता है आज बारिश नहीं थमेगी.
मैंने कहा- हां मां, इससे अच्छा तो हम भीगते हुए ही घर पहुंच जाते. कम से कम यहां फंसना तो नहीं पड़ता.
वो बोली- कोई बात नहीं. कुछ देर और इंतजार कर लेते हैं. शायद बारिश रुक जाये.

फिर मुझे ध्यान आया कि मैं बाइक की चाबी नीचे बाइक में टंगी हुई ही भूल आया हूं.
मैं बोला- मां, शायद मैंने बाइक की चाबी वहीं पर लगी हुई छोड़ दी है. मुझे नीचे जाना होगा चाबी लेने के लिये. अगर अंधेरे में कोई बाइक को उठा ले गया तो घर कैसे जायेंगे?

वो बोली- ठीक है, चल चलते हैं.
मैंने कहा- आप तो यहीं रुको. मैं लेकर आता हूं.
 
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वो बोली- नहीं, मैं यहां अकेली नहीं रुक सकती. मुझे डर लग रहा है. मैं तेरे साथ ही चलूंगी. ये पूरी बिल्डिंग सुनसान है. मैं अकेली नहीं रह सकती.

मैंने कहा- ओके, तो चलो. मगर इस हालत में आप नीचे कैसे जाओगी? आपके बदन पर तो एक भी कपड़ा नहीं है.
वो बोली- कोई बात नहीं, चाहे मुझे नंगी ही जाना पड़े लेकिन मैं यहां अकेली नहीं रुकूंगी. वैसे भी, इतनी रात को इतनी तेज बारिश में यहां बिल्डिंग के पास कौन आने वाला है? देख, नीचे कितना पानी भर गया है. ऐसी हालत में तो कोई दूर-दूर तक नहीं मिलेगा.

वो मेरे साथ आने की जिद करने लगी. फिर मैंने भी हां कर दिया.
हम दोनों नीचे सीढ़ियों से उतरने लगा. मॉम ने मेरे कंधे को पकड़ा हुआ था. उसकी गांड बीच बीच में मेरी जांघों के बगल वाले हिस्से से टच हो रही थी और मेरा लौड़ा बार बार उछल कूद कर रहा था.

फिर हम धीरे धीरे सीढ़ियों से नीचे पहुंच गये. नीचे बहुत अंधेरा था और पानी भी बहुत भर गया था. मैंने बाइक को देखा तो वो काफी पानी में थी. 8-10 इंच तक पानी भरा हुआ था और बाइक के टायर काफी डूबे हुए दिख रहे थे.

मैंने कहा- मां, मैं आगे जाता हूं. आगे काफी पानी भरा है. यहां पर आपका मेरे साथ आना सेफ नहीं है.
वो बोली- ठीक है, मैं यहीं रुक कर तेरा इंतजार करती हूं. तू ध्यान से जा और जल्दी से चाबी निकाल कर ले आ.

आहिस्ता से पानी में चलते हुए मैं नंगा ही बाइक के पास पहुंचा. मैंने बाइक से चाबी निकाली और फिर वापस आने लगा. वापस आते हुए पानी में एक पत्थर से मेरा पैर टकराया और मैं लड़खड़ा कर वहीं पानी में गिर पड़ा.

मुझे गिरता देख मॉम वहां से मेरी मदद के लिए दौड़ी और जल्दी से आकर मेरे हाथ पकड़ कर मुझे उठाने लगी. मॉम की चूचियां नीचे मेरे चेहरे के ठीक सामने लटक रही थीं. उनके निप्पल ऐसे लग रहे थे जैसे आइसक्रीम पर टॉपिंग लगा दी गयी हो.

जैसे ही मॉम मुझे ऊपर खींचने लगी तो मॉम का पैर भी फिसल गया और वो मेरे साथ ही धड़ाम से पानी में आ गिरी. हम दोनों छटपटाने लगे और फिर खुद को संभालते हुए दोबारा से उठे.

किसी तरह पानी से निकल कर हम दोनों सीढ़ियों पर पहुंचे. वापस सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आये. वहां थोड़ी रोशनी थी और मैंने देखा कि मॉम का बदन कई जगह से कीचड़ में सन गया था.

मॉम की गांड के करीब और जांघों पर हल्की खरोंचें भी आ गयी थी. मैंने मॉम से कहा- आपको तो चोट लग गयी है.
वो बोली- कोई बात नहीं. हल्की ही है.

फिर मॉम खुद को कपड़े से साफ करने लगी. उसने अपनी जांघों को साफ किया तो वो उसकी हल्की आह … निकल गयी.
मैंने पूछा- क्या हुआ मां?
वो बोली- कुछ नहीं, चोट की वजह से दर्द हो रहा है.

मैं बोला- रुको, मैं आपकी चोट पर ठीक करने वाली क्रीम लगा देता हूं.
मैं गया और अपने बैग को टटोलने लगा. मैं छोटी-मोटी जरूरत का सामान अपने बैग में ही रखता था. मुझे क्रीम मिल गयी और मैं लेकर आ गया.

मॉम ने तब तक अपनी चूत के आसपास का हिस्सा साफ कर लिया था. फिर मैंने उनकी जांघ पर क्रीम लगाई और उसको मसलने लगा. मॉम आह्ह … आह्ह … करके आवाजें करने लगी. मुझे पता नहीं चल रहा था कि मॉम ये आवाजें कामुकता में कर रही थी या ऐसा दर्द के कारण हो रहा था.

दवाई लगा कर मैं पीछे हो गया और मॉम अपनी पीठ को साफ करने लगी. मगर उसका हाथ पीछे नहीं पहुंच रहा था.
मैंने मॉम को कहा- आप नीचे लेट जाओ. मैं अच्छी तरह से आपको साफ कर देता हूं.

मॉम ने वो दो छोटे छोटे कपड़े बिछाये और बिछाकर उनके ऊपर जमीन पर पेट के बल लेट गयी. मैं मॉम की पीठ को साफ करने लगा. धीरे धीरे मैं उनकी कमर पर आ गया और मॉम के मोटे मोटे चूतड़ मेरे सामने थे.

उनके मोटे चूतड़ों पर कीचड़ लग गया था और मैं उनको दबा दबा कर साफ करने लगा. मॉम फिर से आह्ह … आह्ह … करने लगी. अबकी बार मुझे लग रहा था कि वो गर्म होकर ऐसी आवाजें निकाल रही है.

मैं मॉम की गांड की दरार में हाथ से मसाज करता हुआ हॉट सेक्सी मॉम के चूतड़ों को साफ कर रहा था और मेरा लौड़ा फटने को हो रहा था.
फिर मसाज करते करते अचानक मॉम जोर से चिल्लाई- आह्ह … आईई … आऊच।

वो एकदम से उछल पड़ी और उठ कर बैठ गयी. उसने मेरी तरफ घूमकर अपनी टांगें खोल लीं और अपनी चूत को जोर से मसलने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ मां?
वो बोली- लगता है किसी कीड़े ने काट लिया मुझे प्राइवेट पार्ट पर!

मैंने तुरंत बैग से अपना छोटा फोन निकाला और उसकी टॉर्च जलाकर मॉम की चूत पर मारने लगा. मॉम की गीली चूत पर काफी घने बाल थे. वो अपनी चूत की फांकों को टॉर्च की रोशनी में खोल कर देखने लगी. टॉर्च की हल्की नीली रोशनी में मॉम की गीली चूत बहुत रसीली लग रही थी.

जैसे ही चूत में अंदर टॉर्च पड़ी तो अंदर से मॉम की लाल लाल चूत मुझे दिखने लगी. मेरे मुंह में चूत को देखकर पानी आने लगा. इतनी सेक्सी चूत थी मेरी मॉम की. बस मन कर रहा था उसमें जीभ देकर उसके सारे रस को चाट लूं.
 
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फिर वो बोली- थोड़ा करीब से टॉर्च मार.
मैंने टॉर्च को और करीब कर दिया तो देखा कि मॉम की चूत के बालों में एक दो चींटियां घूम रही थीं. मॉम उनको चूत से झाड़ने लगी.

उसके फिर मेरा ध्यान नीचे गया तो पाया कि कपड़े पर कई सारी चीटियां घूम रही थीं.
मैं एकदम से बोला- कपड़े पर चींटियां हैं, हटो यहां से मां.

मॉम एकदम से उछल कर हट गयी और मेरी बांहों में आकर लिपट गयी. उसकी चूचियां मेरे सीने से सट गयीं और मेरे मुंह से एक हल्की सी आह्ह … करके सिसकार निकल पड़ी.

कुछ पल तक मैं उसकी चूचियों को अपने सीने से सटाये रहा और मज़ा लेता रहा. फिर मैंने मां को अलग किया और उन कपड़ों को झाड़ दिया. मैं कपड़े झाड़ रहा था कि मां फिर से चिल्लाई- आऊच!

मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- अभी भी कोई चीटी चढ़ी हुई है शायद.
मैं फिर से मां को लिटा कर उसकी चूत में टॉर्च मारने लगा.
वो बोली- अंदर तक देख.

एक हाथ में मैंने टॉर्च ली और दूसरे हाथ से उसकी चूत की फांकों को खोल कर देखने लगा. जब ध्यान से देखा तो मां की चूत की फांकों पर एक चींटी मसली जा चुकी थी.

मैंने उसको चूत से हटाया तो मां सिसकार उठी- आह्ह … यहीं काटा हुआ है उसने।
मैं बोला- मैं मसाज कर देता हूं फिर नहीं दुखेगा.

धीरे धीरे मैं अपनी मां की चूत पर उंगली से मसाज देने लगा. उसकी चूत की फांकों को सहलाते हुए मुझे इतना मजा आने लगा कि मैं तो उसकी चूत पर हाथ फेरता ही रहा. मां भी कुछ नहीं बोल रही थी. बस अपनी टांगों को खोले हुए लेट कर अपनी चूत को सहलवाने का मजा ले रही थी.

थोड़ी ही देर में वो अपनी चूचियों को मसलने लगी. मेरा हाथ अभी भी उसकी चूत को पूरी सहला रहा था. उसकी चूत से पानी रिसना शुरू हो गया था और मुझे उसका गीलापन हथेली पर लगने लगा था.

मेरे लंड का तनाव के कारण बुरा हाल था. मन कर रहा था कि मां को बुरी तरीके से चोद दूं लेकिन मैं इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. उसकी नर्म-नर्म, गर्म व गीली चूत को सहलाते हुए मैं पागल हो रहा था और मेरा कंट्रोल मेरे हाथ से छूटता जा रहा था.

इधर मां का भी बुरा हाल था. वो जोर जोर से अपनी चूचियों को मसलते हुए आह्ह … आह्ह … करके सिसकारें भर रही थी.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और अंदर बाहर करने लगा. मां ने कुछ नहीं कहा बल्कि वो और जोर से सिसकारते हुए अपने चूचे मसलने लगी.

जब उससे रहा न गया तो वो एकदम से उठी और मुझे नीचे गिरा कर मेरे लंड पर झुक गयी और उसने मेरे लंड को मुंह में भर लिया. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मां मेरे लंड को मुंह में पूरा भर कर चूसने लगी.

मैं भी हैरान हो रहा था लेकिन मां के मुंह में लंड जाते ही मुझे मजा आने लगा. अब मैं आराम से नीचे लेट कर अपना लंड चुसवाने लगा और मां के बालों में हाथ फिराने लगा. वो मस्ती में लंड चूसते हुए अम्म … आह्ह … उम्म … मुच … आह्ह … पुच … पुच … की आवाज़ करते हुए लौड़े के रस को चूसने में लगी थी.

लगभग 10 मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रही. अब मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा. मैं किसी भी वक्त स्खलित हो सकता था. मैंने मॉम को सचेत भी किया कि मेरा निकलने वाला है लेकिन जैसे मॉम मेरी बात को सुन ही नहीं रही थी.

वो मेरी जांघों पर हाथ फेरते हुए गूं … गूं … की आवाज़ के साथ लंड को मुंह में चूसे जा रही थी. जब मैं बेकाबू हो गया तो मैंने उसके सिर को पकड़ कर जोर से अपने लंड पर दबा दिया. मेरा लंड पूरा उसके गले तक चला गया.

अब मैं भी नीचे से गांड उठा उठाकर उसके मुंह को चोदने लगा. 15-20 धक्के मैंने जोर से मारते हुए मां के मुंह को चोद दिया और मेरा बदन अकड़ने लगा. मैंने उसके सिर को पूरा लंड पर दबा दिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूट कर मां के मुंह में जाने लगी.

मैं झटके देता हुआ स्खलित हो गया और मैंने अपने माल से मां के मुंह को भर दिया. वो भी मेरे लंड से निकले हुए वीर्य को पूरा का पूरा अंदर ही गटक गयी.

पूरा चूसने और चाटने के बाद ही मॉम ने मेरे लंड को मुंह से निकाला.
फिर वो उठ गयी और उसका चेहरा उदास हो गया.
मैं भी कुछ बोल नहीं पा रहा था. हम दोनों चुप हो गये थे. मेरा लंड भी वापस सिकुड़ने लगा था.

फिर वो बोली- सॉरी बेटा. मैं ये सब नहीं करना चाहती थी. मगर मैं खुद को रोक नहीं पायी.
मैंने उनको समझाया- मॉम, कोई बात नहीं. ये इस स्थिति के अनुसार हुआ है. आपके प्राइवेट पार्ट को छेड़ने से आपका मन कर गया होगा. मैं समझ रहा हूं.

इस बात पर वो मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगी.
मैं बोला- अच्छा हुआ वो चींटी आपने मार दी. वरना अगर अंदर चली जाती तो फिर मुझे मेरा लंड घुसा कर ही मारनी पड़ती.
इस बात पर हम दोनों जोर से हंसने लगे.

फिर मां अपनी चूत को झुक कर देखने लगी. मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और उसका रस चूत पर पूरा फैल गया था. उसकी झांटें भी चमकने लगी थीं.
मैंने कहा- मां, ये इतनी गीली कैसे हो गयी?

मां बोली- मर्द के लंड को हाथ में लेने से इसमें खुजली होने लगती है. उसके बाद ये उसको अंदर लेने के लिए तड़पने लगती है. मैं बहुत देर से तुम्हारे लंड को देख रही थी. तभी इसमें पानी आना शुरू हो गया था.
 
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मैं बोला- मॉम, मन तो मेरा बहुत मचल रहा था आपको नंगी देख कर। मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
वो मेरी ओर हवस भरी नज़र से देखने लगी. फिर मेरे लंड को देखने लगी.

पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि मैं मां के सामने ही अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा. मेरे मुंह से आह्ह … स्स्स … मॉम … आह्ह … यू आर सो हॉट … जैसे कामुक शब्द निकलने लगे.

मॉम भी अपनी चूचियों पर हाथ फिराने लगी और हम दोनों उत्तेजित होकर एक दूसरे को होंठों पर डीप किस करने लगे. मां ने मेरे लंड को हाथ में भर लिया और मैं उसकी चूत को जोर जोर से सहलाने लगा.

हम दोनों बुरी तरह से एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मेरा लंड तन कर लोहे जैसा हो गया था. वो मां की चूत को चोदने के लिए अब एक पल का भी विलम्ब बर्दाश्त नहीं कर सकता था.

मैंने मां को वहीं पर फर्श पर गिरा लिया और उसकी चूचियों के ऊपर टूट पड़ा. उसके मोटे मोटे चूचों को बारी-बारी से मुंह में भर कर चूसने लगा. वो भी मेरे सिर को जोर-जोर से अपनी चूचियों पर दबाने लगी.

उत्तेजित होने के कारण मॉम के मुंह से कुछ इस तरह की सिसकारें निकल रही थीं- आह्ह … राजेश … मेरी चूत को चोद दे बेटा … तेरे पापा का लंड मुझे बहुत दिनों से नहीं मिला है … आह्ह … तेरे लंड को देखकर मैं चुदने के लिए मचल उठी हूं … तू ही मेरी चूत की प्यास को बुझा दे.

दोस्तो, दरअसल मेरे पापा बिजनेस के चलते कई कई दिनों तक घर से बाहर ही रहते थे. अब भी उनको गये हुए 10-15 दिन का वक्त हो गया था. मां मेरे पापा के लंड से चुदने को बहुत मिस कर रही थी. इसलिए अब उसको मेरा लंड चाहिए था.

मैंने भी सिसकारते हुए कहा- हां मॉम, आज मैं आपकी चूत चोद कर आपको खुश कर दूंगा. मैं तो खुद आपकी चूत चुदाई के लिए कितने दिनों से तड़प रहा था.
वो बोली- तो फिर देर किस बात की है! आह्ह … चोद दे बेटा … मेरी चूत लंड के लिए तड़प रही है।

इतना सुनते ही मैंने चूचियों पर से मुंह को हटाया और उसकी चूत में दे दिया. मैं जोर जोर से जीभ डाल कर चूत को अंदर तक चाटने लगा.
मॉम अब और जोर से सिसकारने लगी- आह्ह … ऊईई … याह … और तेज … आह्ह … और जोर से … चूस राजेश।

अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था और मैंने उनके पैर उठा कर अपने कंधों पर रखवा लिये और जांघों के बीच में जाकर अपने लंड को उसकी चूत पर टिका दिया. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा और हम दोनों के मुंह से सिसकारियां फूटने लगीं.

फिर मैंने धीरे से लंड पर दबाव दिया और मेरा लंड पक् … करके मेरी मां की चूत के अंदर चला गया. दोस्तो, क्या बताऊं आपको! जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में अंदर गया तो मुझे ऐसा लगा कि ये कोई जन्नत है. इतना आनंद आ रहा था मुझे.

कुछ देर तक तो मैं लंड को डालने के मजे में ही खो गया और मॉम की चूत में लंड डाल कर उनको अपनी बांहों में कस लिया. फिर मैंने लेटे हुए नीचे से अपनी गांड हिलानी शुरू की और मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा.

मॉम मेरी पीठ पर हाथ फिराते हुए मुझे सहलाने लगी और अपनी चूत को मेरे लंड की ओर उकसाने लगी. धीरे धीरे मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा और मेरी स्पीड बढ़ती चली गयी. मैं तेजी से मां की चुदाई करने लगा.

वो अब जोर जोर से सिसकारने लगी- आह्ह … ओह्ह … कमॉन … फक … आह्ह … फक हार्ड राजेश … माय सन … फक मी … फक मी माइ चाइल्ड (चोद मुझे मेरे बच्चे)।
मैं भी जोश में आकर मां को गाली देता हुआ चोदने लगा- हां रंडी, आज जी भरकर चोदूंगा तुझे. चोद चोदकर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा मैं।

इस तरह मैं पूरी ताकत के साथ उसकी चूत को अंदर तक पेलने लगा.
फिर चोदते हुए बोला- क्यों, मजा आ रहा है ना मेरी रांड? बता कैसा लग रहा है मेरे लंड से चुदते हुए?
वो भी सिसकारते हुए बोली- आह्ह … हां … बहुत मजा आ रहा है … साले … इतना मजा तो तेरे बाप का लंड भी नहीं देता. आह्ह … याह … और चोद … आह्ह … और जोर से।

कुछ देर चुदने के बाद वो बोली- अब मुझे तेरे ऊपर आना है.
मैं नीचे लेट गया और फिर मॉम मेरे लंड पर आकर बैठ गयी. उसने मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में अंदर ले लिया और मेरी जांघों पर बैठ कर ऊपर नीचे कूदने लगी.

मेरे लंड पर कूदते हुए वो अपनी चूचियों को भींचते हुए बोली- आह्ह … स्सस … राजेश … चोद दे अपनी मां की चूत को … आह्ह … इसे चोद चोद कर शांत कर दे … आह्ह।
मैं भी नीचे से गांड उठा उठाकर उसकी चूत को जोर से पेल रहा था.

कुछ ही देर के बाद मेरा निकलने को हो गया.
मैंने कहा- मॉम, मैं झड़ने वाला हूं.
वो बोली- हां तो निकाल दे अपना माल मेरी चूत के अंदर. मुझे तेरे बच्चे की मां बना दे. मैं तेरा बच्चा अपनी चूत में चाहती हूं. भर दे इसको अपने माल से मेरे लाल।

फिर मैंने मां की गांड को थाम लिया और जोर जोर से नीचे से धक्के लगाने लगा. 8-10 धक्कों के बाद ही मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा और मैंने वीर्य को उसकी चूत में छोड़ दिया. फिर हम दोनों शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे.

कुछ देर तक लेटे रहने के बाद मां फिर से मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. शायद वो अभी झड़ी नहीं थी इसलिए उसकी चूत की आग उसको चैन से नहीं बैठने दे रही थी.

पांच मिनट में ही मां ने मेरे लंड को चूस चूसकर फिर से खड़ा कर दिया. अबकी बार मैंने मां को बालकनी में रेलिंग पर झुका लिया. उसकी टांग को हाथ में उठाया और पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया.

मैं वहीं पर झुके हुए उसकी चूत में धक्के देने लगा. वो रेलिंग पर बाहर की ओर मुंडी निकाल कर मुझसे चुदने का मजा लेने लगी. उसके बाल हवा में लहरा रहे थे और उसका नंगा जिस्म मेरे लंड के धक्कों से लहरा रहा था.
 
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20 मिनट की चुदाई के दैरान इस बार मां दो बार झड़ गयी. मगर मेरा अभी नहीं निकला था. मैं उसकी चूत को पेलता रहा और फिर पांच मिनट के बाद एक बार फिर से मैंने मॉम की चूत में वीर्य निकाल दिया.

उसके बाद हम दोनों ही बुरी तरह से हाँफ रहे थे. अब तक रात के 12 बज गये थे और बारिश थम गयी थी.
माँ बोली "बेटा बारिश तो थम गयी है. अब घर चलते हैं और घर चल कर हम पूरा मजा करेंगे. ठीक है ?"
"हा माँ चलो घर चल कर अच्छी तरह से करते हैं. आज तो मेरा मन आपकी गांड भी मारने का कर रहा है. आप मुझसे गांड मरवाओगी न. ?"
"हाँ बेटा. अब तूने मुझे एक बार छोड़ दिया है तो अब बाकि क्या बचा? घर चलते हैं. जो तेरा मन चाहे मार लेना और जैसे चाहे चूत या गांड जो मन करे मार लेना. मैं अपने बेटे को मना कैसे कर सकती हूँ. अब तो तू ही मेरा मजे लेने का सहारा है. "
मैंने फिर अपनी माँ को गोद में उठाया और चल पड़ा.
अब हमारे किस्मत में मजे ही मजे थे.
समाप्त
 
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