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कुछ देर मैं मजा लेता हुआ पड़ा रहा. चाची की गांड कस के मेरे लंड को पकड़े हुए थी. मैं बस झड़ने ही वाला था. आखिर न रहकर मैने उनकी गांड मारना शुरू कर दी. अब तक सब थूक सूख जाने से मेरा लंड और उनकी गांड का छेद सूख गये थे और इसलिये लंड फ़िसल नहीं रहा था, बस फंसा हुआ था उनकी गांड में. मुझे तो इस घर्षण से बड़ा मजा आया. पर चाची बिलबिला उठीं. गांड में फंसे लोडे के आगे पीछे होने से उन्हें बहुत तकलीफ़ हो रही थी. पर मै अब इतना उत्तेजित हो गया था कि उनके सिसकने की परवाह न करके कस के दस बारा धक्के लगाये और झड़ गया.
"मजा आ गया चाची, आपकी गांड बड़ी कसी हुई है." मैंने उन्हें चूमते हुए कहा. वे कराह कर बोली. "लल्ला, मुझे तो बहुत दर्द हुआ. ऐसी सूखी गांड मारता है कोई भला? गांड मराने का, लंड अंदर बाहर होने का तो मजा आया ही नहीं." फ़िर मुन्नी से बोली. "जा लाकर तेल ले आ, मैं कहती हूँ वैसा कर अब."
"मजा आ गया चाची, आपकी गांड बड़ी कसी हुई है." मैंने उन्हें चूमते हुए कहा. वे कराह कर बोली. "लल्ला, मुझे तो बहुत दर्द हुआ. ऐसी सूखी गांड मारता है कोई भला? गांड मराने का, लंड अंदर बाहर होने का तो मजा आया ही नहीं." फ़िर मुन्नी से बोली. "जा लाकर तेल ले आ, मैं कहती हूँ वैसा कर अब."

चाची की हिदायत के अनुसार मैंने अपना झड़ा लंड आधे से ज्यादा बाहर निकाला. "अरे पूरा मत निकाल नहीं तो फ़िर घुसाते समय मुझे दुखेगा." उस पर मुन्नी ने तेल लगाया. फ़िर चम्मच से लंड के आजू बाजू से चाची के गुदा मे तेल छोड़ा. मेरा लंड आधा खड़ा था इसलिये मैंने उसे दो तीन बार अंदर बाहर किया और चाची का गुदा और मेरा लंड तेल से बिलकुल चिकने हो गये.
चाची ने राहत की सांस ली. मेरे लंड को खड़ा होने का समय देने के लिये दस पंद्रह मिनिट हमने मिलकर बारी बारी से मुन्नी की चूत चूसी. जब मेरा फ़िर तन्ना कर खड़ा हो गया तो चाची मुझे ललकार कर बोली. "अब आ मैदान में लल्ला, अब मार, देखूँ कितना दम है तुझमें."
अगले आधे घंटे हम दोनों ने असली गांड चुदाई का मजा लिया. लंड मस्त सटक सटक कर माया चाची की गांड में अंदर बाहर हो रहा था. उधर मैं उनके स्तन अपने हाथों में लेकर उन्हें दबा और मसल रहा था. मैंने खूब हचक हचक कर गांड मारी. चाची भी अब एकदम गरम हो गयी थी. मुझे उकसा उकसा कर और जोर से पेलने को कह रही थी और चूतड उछाल उछाल कर मरवा रही थी. मैंने भी आखिर उनकी चुदैल प्रव्रुत्ति का लोहा मान लिया और आधे घंटे बाद आखिर कसमसा कर झड़ गया. वे अब भी तैश में थी. "बस हथियार डाल दिये राजा बेटा? अब तेरी जीभ को मेरी चूत की प्यास बुझानी पड़ेगी."
उन्हों ने आखिर जब मेरी जीभ से चुदवाया तब जाकर वे झड़ीं. रस की ऐसी धार लगी कि मेरा और मुन्नी का पेट भर गया उसे पीकर.
रोज चाची की गांड मारने का एक कार्यक्रम हमारी रति क्रीडा में जुड. गया. अक्सर यह दोपहर को ही होता. हमने बहुत से तरीके भी आजमाये, खड़े खड़े, लेटकर, गोदी में बिठाकर इत्यादि. दीवार से चाची को टिकाकर खड़े खड़े उनकी गांड मारने में काफ़ी मजा आता था. गोद में बिठाने का आसन बहुत देर मजा लेने को सबसे अच्छा था. इस आसन में मैं एक कुर्सी में बैठता था और चाची मेरे लंड को अपने गुदा में लेकर मेरी गोद में बैठ जाती थी. मुन्नी सामने जमीन पर बैठकर चाची की चूत चूसती और मैं उनके मम्मे दबाता हुआ उनसे चूमाचाटी करता हुआ हौले हौले ऊपर नीचे अपना लंड उनकी गांड में मुठियाता.
कभी कभी हम घंटे दो घंटे इसी तरह मजा करते. सवाल सिर्फ़ मेरा था कि मैं कितनी देर इस मीठे दर्द को सह सकता हूँ. चाची तो खूब झड़ती इसलिये उन्हें बहुत मजा आता था. मुन्नी भी खुश रहती थी क्योंकी उसे मनमानी अपनी मौसी की बुर से घंटों खेलने का मौका मिलता. जब वह ज्यदा गरम हो जाती तो हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती और हम दोनों में से एक झुककर उसकी बुर चूस देते.
मुठ्ठ मारने की सब कलाएं मौसी ने उसे सिखा दी थी इसलिये इस आसन में मुन्नी कई बार चाची की चूत चूसने के साथ साथ केले या ककड़ी से उन्हें हस्तमैथुन भी करा देती.
बीच मे एक दिन मैं पास के शहर में जाकर कुछ सचित्र चुदाई की किताबें ले आया. कुछ मेगेज़ीन चाची ने अपनी अलमारी में से निकालीं. उन्हें देख देख कर सबको और तैश चढता था. मैं हर तरह के चित्रों की किताबें लाया था, स्त्री-स्त्री, स्त्री-पुरुष पुरुष-पुरुष इत्यादि. चाची की किताबों में सब पुरुषों के आपसी संभोग के ही चित्र थे. उनमें से कई मोडेल तो बड़े हेंडसम थे. चुन चुन कर मोटे लंबे लंडों वाले जवानो के फ़ोटो उनमें थे.
चाची को और मुन्नी को यह पुरुष संभोग के चित्र देखने में बड़ा मजा आता था, शायद उन मस्त लंडों की वजह से. उनमें से एक दो लंड तो इतने बड़े थे कि उन्हें किसी की गांड में घुसे चित्रों को देखकर मैं सोच पड़ता था कि आखिर कैसे ये लोग इतने बड़े लंड ले लेते है.
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हुआ यह कि एक दिन मुन्नी के सो जाने के बाद मैंने चाची की गांड मारते हुए पूछा कि आखिर चाचाजी का क्या प्रॉब्लेम है जो खुद इतने हेंडसम हैं और फ़िर भी अपनी खूबसूरत चुदैल बीबी को हाथ तक नहीं लगाते! चाची ने उस दिन मुझे पूरी बात बतायी.
"तेरे राजेशचाचा असल में बेटे होमो हैं. औरतों में कतई दिलचस्पी नहीं है उन्हें. शादी के दूसरे दिन ही उन्हों ने मुझे बता दिया था. उनके शायद यार दोस्त हैं बाहर इसीलिये महीने में बीस पचीस दिन गायब रहते हैं, नौकरी का तो बहाना है. यह सब जो मर्द मर्द वाले चित्रों की किताबें हैं ना, सब उनकी अल्मारी में मिली थी मुझे"
मैं सुनकर चकरा गया. जब मैंने चाचाजी की कल्पना दूसरे किसी मर्द के साथ संभोग करते हुए की तो न जाने क्यों मेरा तन्ना कर खड़ा हो गया और मैं आपे के बाहर होकर कस के चाची की गांड मारने लगा. झड़ कर ही दम लिया. वे कहती ही रह गई कि अरे मजा ले लेकर धीरे धीरे मार.
फ़िर उन्हों ने मुझे चूमते हुए पूछा "क्या तू तेरे चाचाजी को मेरी ओर मोड सकता है?" मैं समझा नहीं और चाची से साफ़ साफ़ कहने को कहा.
वे बोली. "अरे, वे चिकने जवानों पर और खास कर किशोरो पर फ़िदा रहते हैं. मुझे मालूम है, उनके देखने के अंदाज से. जब भी कोई कमसिन चिकना लड़का नजर में आता है, उनकी नजर ही बदल जाती है. तू भी बड़ा सुंदर चिकना है पर सगा भतीजा होने के कारण वे अपने आप को काबू में रखते हैं और तेरे बारे में सोचते भी नहीं. तुझे उनके साथ कुछ भी करना नही है... बस उन्हे अच्छे से समझाना है... तेरे प्यार से समझाने पर हो सकता है कि धीरे धीरे वे मुझे चोदना शुरू कर दें. मेरा यह काम करेगा लल्ला? ऐसा इनाम दूँगी कि तू खुश हो जायेगा."
मैंने काँपते स्वर में पूछा कि क्या इनाम देगी. मेरे खड़े होते लंड को सहलाती हुई चाची बोली. "मुन्नी को तुझसे चुदवा दूँगी. उसकी कच्ची बुर को तू जितना चाहे भोगना. और उस छोकरी की कसी गांड भी मारने में सहायता करूंगी. वह जरूर चिल्लायेगी पर उसे किसी भी तरह राजी कर लेंगे। कचाकच चोद डालना छोरी को आगे और पीछे से. बोल है मंजूर?"
बड़ा मधुर और उत्तेजना भरा सवाल था. मुन्नी की कमसिन चूत और गांड में लंड घुसेडने की कल्पना ही इतनी मदहोश करने वाली थी कि मैंने तुरंत हाँ कर दिया. वैसे मुझ लगता है कि चाची ने यह लालच न भी दिया होता तो भी शायद मैं मान जाता.
अब मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि फ़िर चाची को चोदने के सिवाय कोई चारा नहीं था. आज मैंने उन्हें ऐसे चोदा कि उनकी पूरी खुमारी उतार दी.
जब मैं उनपर पड़ा पड़ा सुस्ता रहा था तब अचानक उन्हों ने अपनी एक उंगली अपनी चूत के रस से गीली करके मेरी गांड में डाल दी. मैं चिहुँक उठा. वे दूसरी उंगली भी डालने लगी. बड़ा दर्द हुआ तो मैं कसमसा कर उठ बैठा. "क्या करती हैं चाची?"
"वाह लल्ला, मेरी दो उंगली तो गुदा में ली जातीं नहीं, और अपना लंड तो बड़ी बेदर्दी से मेरी गांड में पेल देता है!" बात सच थी. वे उठीं और अंदर जाकर एक छोटा गाजर ले आई. "चलो लल्ला, उलटे सो जाओ." मैंने डरते हुए पूछा. "क्या कर रही हैं चाची?" वे बोली. "आज यह गाजर मैं तेरी गांड में डाल देती हूँ, तुझे भी तो पता चलें की गांड में लेने में कितना मज़ा आता है!!"
चाची ने गाजर मेरी गांड में डाल दिया... शुरुआत में काफी दर्द हुआ पर कुछ मिनटों बाद उस गाजर से मेरे छेद ने अनुकूलन साध लिया.
अब मैंने चाची जी की मालिश करना भी शुरू कर दिया। हमारे बूढ़े नाई से मैंने दो तीन दिन मालिश करवाई और फ़िर चाची के शरीर पर प्रयोग किया. चाची की मालिश करने में बहुत मजा आया.
एक तो उन पर मालिश करके मेरा हाथ एकदम सध गया. दूसरे उनके मुलायम शरीर को गूँदने में उन्हें और मुझे जो मजा आता था वह मानों बोनस था. खास कर जांघों की मालिश करते करते तो मैं ऐसे अपनी उंगलियों से उनके भगोष्ठ हल्के हल्के रगड कर उनकी चूत को तड़पाता कि वे चूतड उचकाने लगती थी. "हाय लल्ला बड़ा मजे का मालिश करता है रे तू" अपनी जांघों को मसलवाते हुई वे मुझे कहतीं.
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हमने मुन्नी से शुरू में सब छुपा कर रखने का निश्चय किया इसलिये चाचाजी लौटने वाले थे उस दिन उसे हफ़्ते भर के लिये पास के गाँव में उसकी दूर की बुआ के यहाँ भेज दिया. जब चाचाजी वापस आये तो चाची को खुश देखकर बहुत प्रसन्न हुए. समझ गये कि उनके किशोर भतीजे ने उनकी पत्नी की चूत को खूब तृप्त रखा है. मुझे आँख भी मारी कि बहुत अच्छा किया बेटे.
चाचाजी मुस्कराकर माया चाची से बोलें. "क्यों, कैसा लगा मेरा उपहार?" चाचीजी भाव विभोर हो गई. "मेरे प्राणनाथ, आपने तो मुझे निहाल कर दिया. इतना खूबसूरत बच्चा, वह भी घर का माल, मेरा सगा भतीजा, मैने तो कल्पना भी नहीं की थी. कैसे आपका कर्ज़ चुकाऊँ. अनुराग को मेरी चुदासी बुझाने को बुलाकर आपने मेरा जनम सफल कर दिया. बस अब मेरी यही कामना है की आपके मूसल से मेरी चुत का मंथन करे "
चाचाजी विवश होकर हाथ मलते हुए बोले. "मैं तो तैयार हूँ भागवान पर कैसे करूँ, तुम तो जानती हो औरतों को देखकर मेरा नहीं खड़ा होता."
मैं बोला. "चाचाजी, मैं आपको हेल्प करूंगा. हम सब साथ ही सोएंगे रोज, देखिये कैसे चाची को आपसे चुदवाता हूँ." चाचाजी तैयार हो गये. चाची सच कह रही थी. मेरे किशोर शरीर को देखकर वह उत्तेजित हो जाएँ तो बाद में चाची जी को चुदवाने में आसानी होगी.
हमारा प्रयोग अति सफ़ल रहा. पहली ही रात में माया चाची ने राजेशचाचा का लंड अपने शरीर में घुसा ही लिया, भले ही पति पत्नी का पहला संभोग चाची की गांड में हुआ.
उस रात छत पर हम तीनों मच्छरदानी के नीचे साथ सोये. चाची चाचाजी का लोडा चूसना चाहती थी. "अपने पतिदेव का प्रसाद तो पा लूँ एक भारतीय नारी की तरह." वे बोली.
शुरू में कठिनाई हुई. पक्के होमो चाचाजी का लंड चाची के चूसने से खड़ा ही नहीं हुआ. आखिर मैं उनके काम आया. मेरे नंगे शरीर को देखते ही चाचाजी ताव में आने लगे और फिर माया चाची ने उनका लंड मुंह में ले लिया.
चाची लंड चूसने में माहिर थी ही. इतना बड़ा लंड भी वे पूरा निगल गई. ऐसे मस्त कर के चूसा कि आखिर चाचाजी भी मान गये और चाची के सिर को पकडकर उनके मुंह को चोदने लगे. जब झड़ें तो उनका वीर्य पान करके चाची खुशी से रो दी.
चाची ने राहत की सांस ली. मेरे लंड को खड़ा होने का समय देने के लिये दस पंद्रह मिनिट हमने मिलकर बारी बारी से मुन्नी की चूत चूसी. जब मेरा फ़िर तन्ना कर खड़ा हो गया तो चाची मुझे ललकार कर बोली. "अब आ मैदान में लल्ला, अब मार, देखूँ कितना दम है तुझमें."
अगले आधे घंटे हम दोनों ने असली गांड चुदाई का मजा लिया. लंड मस्त सटक सटक कर माया चाची की गांड में अंदर बाहर हो रहा था. उधर मैं उनके स्तन अपने हाथों में लेकर उन्हें दबा और मसल रहा था. मैंने खूब हचक हचक कर गांड मारी. चाची भी अब एकदम गरम हो गयी थी. मुझे उकसा उकसा कर और जोर से पेलने को कह रही थी और चूतड उछाल उछाल कर मरवा रही थी. मैंने भी आखिर उनकी चुदैल प्रव्रुत्ति का लोहा मान लिया और आधे घंटे बाद आखिर कसमसा कर झड़ गया. वे अब भी तैश में थी. "बस हथियार डाल दिये राजा बेटा? अब तेरी जीभ को मेरी चूत की प्यास बुझानी पड़ेगी."
उन्हों ने आखिर जब मेरी जीभ से चुदवाया तब जाकर वे झड़ीं. रस की ऐसी धार लगी कि मेरा और मुन्नी का पेट भर गया उसे पीकर.
रोज चाची की गांड मारने का एक कार्यक्रम हमारी रति क्रीडा में जुड. गया. अक्सर यह दोपहर को ही होता. हमने बहुत से तरीके भी आजमाये, खड़े खड़े, लेटकर, गोदी में बिठाकर इत्यादि. दीवार से चाची को टिकाकर खड़े खड़े उनकी गांड मारने में काफ़ी मजा आता था. गोद में बिठाने का आसन बहुत देर मजा लेने को सबसे अच्छा था. इस आसन में मैं एक कुर्सी में बैठता था और चाची मेरे लंड को अपने गुदा में लेकर मेरी गोद में बैठ जाती थी. मुन्नी सामने जमीन पर बैठकर चाची की चूत चूसती और मैं उनके मम्मे दबाता हुआ उनसे चूमाचाटी करता हुआ हौले हौले ऊपर नीचे अपना लंड उनकी गांड में मुठियाता.
कभी कभी हम घंटे दो घंटे इसी तरह मजा करते. सवाल सिर्फ़ मेरा था कि मैं कितनी देर इस मीठे दर्द को सह सकता हूँ. चाची तो खूब झड़ती इसलिये उन्हें बहुत मजा आता था. मुन्नी भी खुश रहती थी क्योंकी उसे मनमानी अपनी मौसी की बुर से घंटों खेलने का मौका मिलता. जब वह ज्यदा गरम हो जाती तो हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती और हम दोनों में से एक झुककर उसकी बुर चूस देते.
मुठ्ठ मारने की सब कलाएं मौसी ने उसे सिखा दी थी इसलिये इस आसन में मुन्नी कई बार चाची की चूत चूसने के साथ साथ केले या ककड़ी से उन्हें हस्तमैथुन भी करा देती.
बीच मे एक दिन मैं पास के शहर में जाकर कुछ सचित्र चुदाई की किताबें ले आया. कुछ मेगेज़ीन चाची ने अपनी अलमारी में से निकालीं. उन्हें देख देख कर सबको और तैश चढता था. मैं हर तरह के चित्रों की किताबें लाया था, स्त्री-स्त्री, स्त्री-पुरुष पुरुष-पुरुष इत्यादि. चाची की किताबों में सब पुरुषों के आपसी संभोग के ही चित्र थे. उनमें से कई मोडेल तो बड़े हेंडसम थे. चुन चुन कर मोटे लंबे लंडों वाले जवानो के फ़ोटो उनमें थे.
चाची को और मुन्नी को यह पुरुष संभोग के चित्र देखने में बड़ा मजा आता था, शायद उन मस्त लंडों की वजह से. उनमें से एक दो लंड तो इतने बड़े थे कि उन्हें किसी की गांड में घुसे चित्रों को देखकर मैं सोच पड़ता था कि आखिर कैसे ये लोग इतने बड़े लंड ले लेते है.
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हुआ यह कि एक दिन मुन्नी के सो जाने के बाद मैंने चाची की गांड मारते हुए पूछा कि आखिर चाचाजी का क्या प्रॉब्लेम है जो खुद इतने हेंडसम हैं और फ़िर भी अपनी खूबसूरत चुदैल बीबी को हाथ तक नहीं लगाते! चाची ने उस दिन मुझे पूरी बात बतायी.
"तेरे राजेशचाचा असल में बेटे होमो हैं. औरतों में कतई दिलचस्पी नहीं है उन्हें. शादी के दूसरे दिन ही उन्हों ने मुझे बता दिया था. उनके शायद यार दोस्त हैं बाहर इसीलिये महीने में बीस पचीस दिन गायब रहते हैं, नौकरी का तो बहाना है. यह सब जो मर्द मर्द वाले चित्रों की किताबें हैं ना, सब उनकी अल्मारी में मिली थी मुझे"
मैं सुनकर चकरा गया. जब मैंने चाचाजी की कल्पना दूसरे किसी मर्द के साथ संभोग करते हुए की तो न जाने क्यों मेरा तन्ना कर खड़ा हो गया और मैं आपे के बाहर होकर कस के चाची की गांड मारने लगा. झड़ कर ही दम लिया. वे कहती ही रह गई कि अरे मजा ले लेकर धीरे धीरे मार.
फ़िर उन्हों ने मुझे चूमते हुए पूछा "क्या तू तेरे चाचाजी को मेरी ओर मोड सकता है?" मैं समझा नहीं और चाची से साफ़ साफ़ कहने को कहा.
वे बोली. "अरे, वे चिकने जवानों पर और खास कर किशोरो पर फ़िदा रहते हैं. मुझे मालूम है, उनके देखने के अंदाज से. जब भी कोई कमसिन चिकना लड़का नजर में आता है, उनकी नजर ही बदल जाती है. तू भी बड़ा सुंदर चिकना है पर सगा भतीजा होने के कारण वे अपने आप को काबू में रखते हैं और तेरे बारे में सोचते भी नहीं. तुझे उनके साथ कुछ भी करना नही है... बस उन्हे अच्छे से समझाना है... तेरे प्यार से समझाने पर हो सकता है कि धीरे धीरे वे मुझे चोदना शुरू कर दें. मेरा यह काम करेगा लल्ला? ऐसा इनाम दूँगी कि तू खुश हो जायेगा."
मैंने काँपते स्वर में पूछा कि क्या इनाम देगी. मेरे खड़े होते लंड को सहलाती हुई चाची बोली. "मुन्नी को तुझसे चुदवा दूँगी. उसकी कच्ची बुर को तू जितना चाहे भोगना. और उस छोकरी की कसी गांड भी मारने में सहायता करूंगी. वह जरूर चिल्लायेगी पर उसे किसी भी तरह राजी कर लेंगे। कचाकच चोद डालना छोरी को आगे और पीछे से. बोल है मंजूर?"
बड़ा मधुर और उत्तेजना भरा सवाल था. मुन्नी की कमसिन चूत और गांड में लंड घुसेडने की कल्पना ही इतनी मदहोश करने वाली थी कि मैंने तुरंत हाँ कर दिया. वैसे मुझ लगता है कि चाची ने यह लालच न भी दिया होता तो भी शायद मैं मान जाता.
अब मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि फ़िर चाची को चोदने के सिवाय कोई चारा नहीं था. आज मैंने उन्हें ऐसे चोदा कि उनकी पूरी खुमारी उतार दी.
जब मैं उनपर पड़ा पड़ा सुस्ता रहा था तब अचानक उन्हों ने अपनी एक उंगली अपनी चूत के रस से गीली करके मेरी गांड में डाल दी. मैं चिहुँक उठा. वे दूसरी उंगली भी डालने लगी. बड़ा दर्द हुआ तो मैं कसमसा कर उठ बैठा. "क्या करती हैं चाची?"
"वाह लल्ला, मेरी दो उंगली तो गुदा में ली जातीं नहीं, और अपना लंड तो बड़ी बेदर्दी से मेरी गांड में पेल देता है!" बात सच थी. वे उठीं और अंदर जाकर एक छोटा गाजर ले आई. "चलो लल्ला, उलटे सो जाओ." मैंने डरते हुए पूछा. "क्या कर रही हैं चाची?" वे बोली. "आज यह गाजर मैं तेरी गांड में डाल देती हूँ, तुझे भी तो पता चलें की गांड में लेने में कितना मज़ा आता है!!"
चाची ने गाजर मेरी गांड में डाल दिया... शुरुआत में काफी दर्द हुआ पर कुछ मिनटों बाद उस गाजर से मेरे छेद ने अनुकूलन साध लिया.
अब मैंने चाची जी की मालिश करना भी शुरू कर दिया। हमारे बूढ़े नाई से मैंने दो तीन दिन मालिश करवाई और फ़िर चाची के शरीर पर प्रयोग किया. चाची की मालिश करने में बहुत मजा आया.
एक तो उन पर मालिश करके मेरा हाथ एकदम सध गया. दूसरे उनके मुलायम शरीर को गूँदने में उन्हें और मुझे जो मजा आता था वह मानों बोनस था. खास कर जांघों की मालिश करते करते तो मैं ऐसे अपनी उंगलियों से उनके भगोष्ठ हल्के हल्के रगड कर उनकी चूत को तड़पाता कि वे चूतड उचकाने लगती थी. "हाय लल्ला बड़ा मजे का मालिश करता है रे तू" अपनी जांघों को मसलवाते हुई वे मुझे कहतीं.
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हमने मुन्नी से शुरू में सब छुपा कर रखने का निश्चय किया इसलिये चाचाजी लौटने वाले थे उस दिन उसे हफ़्ते भर के लिये पास के गाँव में उसकी दूर की बुआ के यहाँ भेज दिया. जब चाचाजी वापस आये तो चाची को खुश देखकर बहुत प्रसन्न हुए. समझ गये कि उनके किशोर भतीजे ने उनकी पत्नी की चूत को खूब तृप्त रखा है. मुझे आँख भी मारी कि बहुत अच्छा किया बेटे.
चाचाजी मुस्कराकर माया चाची से बोलें. "क्यों, कैसा लगा मेरा उपहार?" चाचीजी भाव विभोर हो गई. "मेरे प्राणनाथ, आपने तो मुझे निहाल कर दिया. इतना खूबसूरत बच्चा, वह भी घर का माल, मेरा सगा भतीजा, मैने तो कल्पना भी नहीं की थी. कैसे आपका कर्ज़ चुकाऊँ. अनुराग को मेरी चुदासी बुझाने को बुलाकर आपने मेरा जनम सफल कर दिया. बस अब मेरी यही कामना है की आपके मूसल से मेरी चुत का मंथन करे "
चाचाजी विवश होकर हाथ मलते हुए बोले. "मैं तो तैयार हूँ भागवान पर कैसे करूँ, तुम तो जानती हो औरतों को देखकर मेरा नहीं खड़ा होता."
मैं बोला. "चाचाजी, मैं आपको हेल्प करूंगा. हम सब साथ ही सोएंगे रोज, देखिये कैसे चाची को आपसे चुदवाता हूँ." चाचाजी तैयार हो गये. चाची सच कह रही थी. मेरे किशोर शरीर को देखकर वह उत्तेजित हो जाएँ तो बाद में चाची जी को चुदवाने में आसानी होगी.
हमारा प्रयोग अति सफ़ल रहा. पहली ही रात में माया चाची ने राजेशचाचा का लंड अपने शरीर में घुसा ही लिया, भले ही पति पत्नी का पहला संभोग चाची की गांड में हुआ.
उस रात छत पर हम तीनों मच्छरदानी के नीचे साथ सोये. चाची चाचाजी का लोडा चूसना चाहती थी. "अपने पतिदेव का प्रसाद तो पा लूँ एक भारतीय नारी की तरह." वे बोली.
शुरू में कठिनाई हुई. पक्के होमो चाचाजी का लंड चाची के चूसने से खड़ा ही नहीं हुआ. आखिर मैं उनके काम आया. मेरे नंगे शरीर को देखते ही चाचाजी ताव में आने लगे और फिर माया चाची ने उनका लंड मुंह में ले लिया.
चाची लंड चूसने में माहिर थी ही. इतना बड़ा लंड भी वे पूरा निगल गई. ऐसे मस्त कर के चूसा कि आखिर चाचाजी भी मान गये और चाची के सिर को पकडकर उनके मुंह को चोदने लगे. जब झड़ें तो उनका वीर्य पान करके चाची खुशी से रो दी.

उसके बाद चूमा चाटी हुई. बारी बारी से मैंने और राजेशचाचा ने चाची को चुम्मा दिया. माया चाची लगातार उनके लंड से खेलती रही. फ़िर चाचा ने उनके चूतड सहलाये. बड़े मांसल और मजबूत नितंब थे उनके. कुछ ही देर में वे चाची से लिपट लिपट कर उन्हें चूमने लगे और मम्मे भी दबाने लगे.
अब चाचा ने माया चाची को उल्टा लिटा दिया. गांड तो चाची की बहुत खूबसूरत थी. उस खूबसूरत गोरी गाँड़ को देखकर चाचाजी का लंड खड़ा हो गया है. अब मैं उठ कर चुपचाप बाजू में हो लिया और राजेशचाचा वासना से उफ़ानते हुए जोर जोर से चाची की गांड चूसने लगे, उनके गुदा में जीभ डालने लगे. चाची भी वासना से कराहने लगी.
तब मैंने उनसे पूछा."माया चाची, गांड मरायेंगी चाचाजी से? यही मौका है. दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा." वे तैयार थी. मैंने चाचाजी से कहा कि चढ जाएँ. लंड और गुदा दोनों गीले थे, फ़िर भी चाची के गुदा में मैंने थोड़ा तेल मल दिया कि बाद में तकलीफ़ न हो.
चाचाजी चाची के ऊपर झुक कर तैयार हुए. पहली बार किसी स्त्री से संभोग कर रहे थे चाहे गुदा संभोग ही क्यों न हो. वे मस्ती में चिहुक उठे. मैंने फ़िर अपने हाथ में उनका लोडा पकडकर सुपाड़ा चाची के गुदा पर रखा. चाची के मुलायम छोटे छेद पर वह मोटा गेंद सा सुपाड़ा देखकर मैं समझ गया कि काम मुश्किल है. चाची रो देगी.
अब चाचा ने माया चाची को उल्टा लिटा दिया. गांड तो चाची की बहुत खूबसूरत थी. उस खूबसूरत गोरी गाँड़ को देखकर चाचाजी का लंड खड़ा हो गया है. अब मैं उठ कर चुपचाप बाजू में हो लिया और राजेशचाचा वासना से उफ़ानते हुए जोर जोर से चाची की गांड चूसने लगे, उनके गुदा में जीभ डालने लगे. चाची भी वासना से कराहने लगी.
तब मैंने उनसे पूछा."माया चाची, गांड मरायेंगी चाचाजी से? यही मौका है. दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा." वे तैयार थी. मैंने चाचाजी से कहा कि चढ जाएँ. लंड और गुदा दोनों गीले थे, फ़िर भी चाची के गुदा में मैंने थोड़ा तेल मल दिया कि बाद में तकलीफ़ न हो.
चाचाजी चाची के ऊपर झुक कर तैयार हुए. पहली बार किसी स्त्री से संभोग कर रहे थे चाहे गुदा संभोग ही क्यों न हो. वे मस्ती में चिहुक उठे. मैंने फ़िर अपने हाथ में उनका लोडा पकडकर सुपाड़ा चाची के गुदा पर रखा. चाची के मुलायम छोटे छेद पर वह मोटा गेंद सा सुपाड़ा देखकर मैं समझ गया कि काम मुश्किल है. चाची रो देगी.

चाचाजी एक्सपर्ट थे. चाची को प्यार से उन्हों ने समझाया "रानी, गुदा ढीला करो जैसा टट्टी के समय करती हो" उधर चाची ने जोर लगाया और उधर चाचाजी ने लोडा पेल दिया. एक ही बार में वह अंदर हो गया. चाची की चीख निकल गयी और वे छटपटाने लगी. कोई सुन न ले और बना बनाया काम न बिगड जाये इसलिये मैंने हाथ से चाची का मुंह कस कर बंद किया और कहा. "पेलिये चाचाजी, जड तक उतार दीजिये, यही मौका है.".
उन्हें मजा आ गया. चाची की गर्दन के पिछले हिस्से को चूमते हुए उन्हों ने कस के दो चार धक्कों में ही अपना पूरा आठ नौ इंची शिश्न अपनी पत्नी के चूतड़ों के बीच गाड दिया. चाची अब ऐसे छटपटा रही थी जैसे कोई उन्हें हलाल कर रहा हो. उनके मुंह पर कसे मेरे हाथ पर उनके आँसू बहने लगे. जब उनकी तकलीफ़ कुछ कम हुई तो मैंने हाथ उनके मुंह से हटाया. "हा ऽ य मर गई राजा बेटा, इन्हों ने तो मेरी गांड फ़ाड दी रे." वे बिलबिलाते हुए बोली.
चाचाजी को अब काफ़ी मजा आ रहा था. वे चाची के शरीर पर लेट गये और धीरे धीरे दो तीन इंच लंड अंदर बाहर करते हुए अपनी पत्नी की गांड मारने लगे. मैं पास में लेटकर उन चाची जी के गाल चूमने लगा. चाची के आँसू मैंने अपनी जीभ से टिप लिये और उनका मुंह चूमने लगा. चाचा जी अब और तैश में आ गए और वे घचाघच चाची के चूतड़ों के बीच अपना लोडा अंदर बाहर करने लगे.
उन्हें मजा आ गया. चाची की गर्दन के पिछले हिस्से को चूमते हुए उन्हों ने कस के दो चार धक्कों में ही अपना पूरा आठ नौ इंची शिश्न अपनी पत्नी के चूतड़ों के बीच गाड दिया. चाची अब ऐसे छटपटा रही थी जैसे कोई उन्हें हलाल कर रहा हो. उनके मुंह पर कसे मेरे हाथ पर उनके आँसू बहने लगे. जब उनकी तकलीफ़ कुछ कम हुई तो मैंने हाथ उनके मुंह से हटाया. "हा ऽ य मर गई राजा बेटा, इन्हों ने तो मेरी गांड फ़ाड दी रे." वे बिलबिलाते हुए बोली.
चाचाजी को अब काफ़ी मजा आ रहा था. वे चाची के शरीर पर लेट गये और धीरे धीरे दो तीन इंच लंड अंदर बाहर करते हुए अपनी पत्नी की गांड मारने लगे. मैं पास में लेटकर उन चाची जी के गाल चूमने लगा. चाची के आँसू मैंने अपनी जीभ से टिप लिये और उनका मुंह चूमने लगा. चाचा जी अब और तैश में आ गए और वे घचाघच चाची के चूतड़ों के बीच अपना लोडा अंदर बाहर करने लगे.

मैंने अपना एक हाथ चाची की जांघों के बीच डाला और उनका क्लिटोरिस मसलने लगा. दो उंगली अंदर भी डाल दी. अब माया चाची को भी कुछ मजा आने लगा. उनका रोना कम हुआ और दो मिनिट में एक दो हिचकियां और लेकर वे चुप हो गई. उनके तेल लगे गुदा में अब चाचाजी का लंड भी मस्त फ़िसल रहा था इसलिये दर्द काफ़ी कम हो गया था.
कुछ ही देर में वे मचल मचल कर मरवाने लगी. "मारो जी मेरी, और मारो, फ़ट जाये तो फ़ट जाये आखिर मेरे मर्द हो, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है." मैंने चाचाजी से कहा कि असली मजा लेना हो तो अब चाची के स्तन दबाते हुए गांड मारें.
मम्मे दबाने में चाचाजी को वह आनंद आया कि वे अपना मुंह चाची की झुलफ़ों में छुपाकर उनकी गर्दन चूमते हुए हचक हचक कर लंड पेलने लगे. पति पत्नी में अब घचाघच गुदा संभोग शुरू हो गया. दोनों को बहुत मजा आ रहा था. मेरा काम हो गया था इसलिये मैं अब हटकर अपना लंड मुठियाते हुए तमाशा देखने लगा.
चाचाजी ने मजा ले लेकर आधा घंटा चाची की मारी तब जाकर झड़ें. चाची दर्द से कराहते हुए भी मरवाती रही, रुकने को नहीं बोली, क्योंकी एक तो अब उनकी चूत भी पसीज गयी थी और फ़िर वे आखिर अपने पति से गांड मरवा रही थी इसका उन्हें संतोष था. जब चाचाजी झड़ें तो उनके गरम गरम वीर्य के फव्वारे से चाची की चुदी गांड को काफ़ी राहत मिली. अपनी ही बुर में उंगली करके चाची भी झड़ ली थी.
कुछ ही देर में वे मचल मचल कर मरवाने लगी. "मारो जी मेरी, और मारो, फ़ट जाये तो फ़ट जाये आखिर मेरे मर्द हो, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है." मैंने चाचाजी से कहा कि असली मजा लेना हो तो अब चाची के स्तन दबाते हुए गांड मारें.
मम्मे दबाने में चाचाजी को वह आनंद आया कि वे अपना मुंह चाची की झुलफ़ों में छुपाकर उनकी गर्दन चूमते हुए हचक हचक कर लंड पेलने लगे. पति पत्नी में अब घचाघच गुदा संभोग शुरू हो गया. दोनों को बहुत मजा आ रहा था. मेरा काम हो गया था इसलिये मैं अब हटकर अपना लंड मुठियाते हुए तमाशा देखने लगा.
चाचाजी ने मजा ले लेकर आधा घंटा चाची की मारी तब जाकर झड़ें. चाची दर्द से कराहते हुए भी मरवाती रही, रुकने को नहीं बोली, क्योंकी एक तो अब उनकी चूत भी पसीज गयी थी और फ़िर वे आखिर अपने पति से गांड मरवा रही थी इसका उन्हें संतोष था. जब चाचाजी झड़ें तो उनके गरम गरम वीर्य के फव्वारे से चाची की चुदी गांड को काफ़ी राहत मिली. अपनी ही बुर में उंगली करके चाची भी झड़ ली थी.
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