If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
बसन्ती काफी गरम हो गई थी वो अपने हाथो से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुह को अपने चुत पर रगड़ने लगती है.....
ओर निचे बसंती के लंड को छोड़ते ही सोनाली सतीश के दोनों और पेर करके अपने हाथ से उसके लंड को अपनी चुत के छेद पर सेट करती है और धीरे धीरे लंड पर बैठने लगती है थोड़ी देर.मे ही सतीश का पूरा लंड सोनाली की.चुत मे था, अब सोनाली उसके लंड को अपनी चुत मे लेकर अपनी गांड गोल गोल घुमाने लगती है.... सतीश तो एक अलग ही दुनिया मे था ऐसा मजा उसे ज़िन्दगी मे पहली बार आ रहा था...
अब सोनाली अपनी गांड तेजी से सतीश के लंड पर ऊपर निचे करने लगी थि, उसके चूतडो का सतीश की जाँघों से टकराने से थप थप की आवाज हो रही थी.... सतीश भी अब अपनी कमर को ऊपर निचे करके अपनी मोम.की हेल्प करने लगता है.....
सोनाली अब जोश मे आकर उसके लंड के ऊपर अब तेजी से ऊपर निचे कुदने लगी थि, जिससे बीच बीच मे सतीश का लंड उसकी चुत से बाहर आ जाता पर वो तुरंत उसे अपनी चुत पर सेट करके उसे अंदर लेकर उसपर कुदने लगती... और और साथ ही साथ उसके मुह से सिसकारी भी निकल रही थी...
सोनाली- आआआह्ह्ह्हह्ह्..... क्या मस्त लंड है..... एकदम कसा हुआ अंदर जा रहा है... स्स्स्सह्ह्हह्ह कितना चुड़क्कड़ बेटा पैदा किया है मैंने जो आज मेरी ही चुत मार रहा है...
अब बसंती मेरे ऊपर से हट जाती है शायद अब उसे भी अपनी चुत की कुटाई करवानी थी..... में उसके हटते ही माँ को अपनी बाजुओं से पकड़ कर निचे लीटा लेता हूँ और खुद उनके ऊपर आकर ताबाड तोड़ धक्के लगाने लगता हु.... में बसंती को मम्मी के ऊपर आने का इशारा करता हु, बसंती मम्मी के ऊपर अपने दोनों पेर उनकी कमर के दोनों और करके उनके ऊपर झुक जाती है और उनके होंठो को चुसते हुये उनके मम्मो को मसलने लगती है... में उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा पीछे की और खींचता हु जिससे उसक चुत माँ की चुत के थोड़ा ऊपर उभार कर बाहर की तरफ आ जाती है....
अब पोजीशन ये थी की में माँ के पैरों को फैला कर उनके पैरों के बीच उनकी चुत मे अपना लंड डाले बैठा था और बसंती माँ के ऊपर अपने दोनों पेर साइड मे करे हुए लाइटी हुई थी और उसकी चुत माँ की चुत के ऊपर थी...
मैने माँ की चुत से लंड निकल कर बसंती की चुत मे दाल दिया और धक्के लगाने लगा, में उसकी मोटी गांड को मसलते हुए अब अपना लंड उसकी चुत मे अंदर बाहर कर रहा था....
थोड़ि देर तक उसकी चुत चोदने के बाद में अपना लंड उसमे से निकाल कर माँ की चुत मे दाल कर धक्के लगने लगता हु....
ऐसे ही में उन दोनों को १० मिनट तक चोदता हु, कभी माँ की चुत मे लंड दाल कर और कभी बसंती की चुत मे लंड दाल कर.... और ऊपर वो दोनों एक दूसरे को किस करते हुए अपनी छातियाँ एक दूसरे से रगड रही थी....
अब में माँ की चुत मे लंड दाल चोद रहा होता हु की माँ का बाँध टूट जाता है और उनकी चुत अपना रस बहा देती है, माँ झड चुकी थी इस्लिये में अपना लंड बसंती की चुत मे दाल कर उसे पेलने लगता हूँ और ५ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चुत भी पानी छोड़ देती है और उसके पानी को अपने लंड पर महसूश करके मेरा लंड भी पानी उगलने को होता है में तुरंत उसकी चुत से अपना लंड निकाल लेता हूँ और उन दोनों के मुह के पास ले जाता हूँ वो दोनों भी तुरंत उठ कर बैठ जाती है में अपने लंड को हिलाते हुए अपन सारा पानी उन दोनों के चेहरे पर दाल देता हु... उनदोनो का चेहरा मेरे सफ़ेद पानी से भिग जाता है और मेरा कुछ पानी उनकी चूचि और पेट् पर भी गिर जाता है....
ओर में वहि बैठ कर अपनी साँसे दुरस्त करने लगता हु, आज की चुदाई से शरीर मे काफी वीकनेस फिल हो रही थी....
मों बसंती का चेहरा पकड़ कर अपनी जीभ निकल कर उसके चेहरे से मेरा सारा पानी चाट लेती है और फिर बसंती भी माँ के चेहरे से सारा पानी चाट कर उसे साफ़ कर देती है.... में तो बस हैरत भरी नजऱों से उन्हें देखता रह जाता हूँ की कैसे वो मेरे पानी को एक दूसरे के चेहरे से साफ़ कर रही है...
उन दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे, वो दोनों ही काफी खुश नजर आ रही थी.... वो दोनों अपनी चूचि पर पड़े मेरे पानी को अपने हाथो से अपनी चूचियों पर मल लेती है.... और पेट् पर गिरे पानी को अपनी ऊँगली से लेकर, ऊँगली को लेकर अपने मुह मे दाल कर चुस लेती है.... कसम से दोनों पक्की रंडी लग रही थी उस वक़्त.. फिर वो दोनों उठ कर वाशरूम जाकर अपने आप को साफ़ करके बाहर आती है....
दोनो कपडे पहनती है, कपडे पहनने के बाद बसंती किचन मे चलि जाती है और माँ मेरे पास आकर मेरे होंठो पर किस करते हुये....
सोनाली : कपडे पहन लो शिप्रा के आने का टाइम हो रहा है....
मैन-ह्म्मम्... पहनता हु...
माँ शायद मेरी मरी हुई आवाज से समझ जाती हैं की मुझे वीकनेस हो रही है.... इस्लिये वो उठ कर किचन मे चलि जाती है और थोड़ी देर मे ही एक दूध का गिलास लिए रूम मे एंटर होती है.... में उस समय अपना शार्ट पहनना रहा था....
माँ गिलास आगे बड़ा देती है....
मै बेध्यानि मे- इसमें क्या है माँ?
सोनाली : तेरे लिए बादाम दूध लाइ हूँ इसे पीकर तुझे अच्छा महसूस होगा.... देखो इतनी मेहनत करने के बाद कैसे चेहरा लटक गया है तेरा....
मैन- अरे माँ आप के साथ तो में दिन रात ऐसी मेहनत कर सकता हु...
ओर इसी के साथ में माँ की कमर मे हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ खिंच कर छाती से लगा लेता हु....
माँ-आरेरे क्या कर रहा है दूध गिर जायेगा...
मै माँ के दूध को अपने हाथो मे लेते हुये...
मैन- चिंता मत करो माँ मैंने हाथ लगा लिया है में आपका दूध नहीं गिरने दूंगा....
माँ मुस्कुराती हुई मुझसे अलग होते हुये- हट बदमाश कही का में इस गिलास मे भरे दूध की बात कर रही हु, अपने दूध की नहि...
मै- अच्छा में संमझा की....
इससे पहले मेरी बात पूरी होती...
सोनाली : मुझे पता है की तूने क्या समझा, तेरी इस शैतान खोपड़ी मे यहि सब चलता रहता है.... ले पकड इसे और पीले मुझे बिस्तर भी सही करना है अगर शिप्रा ने देख लिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा....
मै माँ के हाथ से गिलास ले लेता हूँ और एक ही सांस मे सारा दूध पि जाता हु...
जबकी माँ हमारी धमा चौकडी से ख़राब हुई चादर को बिस्तर से हटा कर धोने को दाल देती है और नयी चादर बिचाने के लिए ले आती है...
माँ झुक कर बेडशीट बिछाने लगती है... झुकने के कारन उनकी गांड सारी मे से उभर कर मेरी आँखों के सामने आ जाती है...
मेरे अंदर फिर से ठरक आ जाती है... में आगे बढ़ कर उनके चूतडो से अपने लंड को सटा देता हु.... और उनके चूतडो को अपने हाथों से साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगता हु.....
सोनाली : आआह्ह्ह्हह, क्या कर रहा है.... इतना सब करने के बाद भी तेरा मन नहीं भरा...
मै- जब आप जैसी सेक्सी आइटम अपने इतने मस्त चूतडो को दीखाती है तो मन कैसे भरेगा...
ओर में अपने लंड को उनके चूतडो के ऊपर मसलने लगता हु...
सोनाली : हाय दयां, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को आइटम कहते हुये.... और में अपने चुत्तड़ तुझे नहीं दिखा रही ये तो तू ही है जो मेरे चूतडो के पीछे पड़ा हुआ है...
मै- आअह्ह्ह्हह... क्या करू माँ आपके इन चूतडो का तो में दीवाना हो गया हु, पागल कर दिया है आपके चूतडो ने मुझे.... मन तो कर रहा है की अभी आपकी गांड मे अपना लंड डाल दु....
मेरा लंड भी अब अपना सर उठाने लगता है, जिसका एहसाश माँ को भी हो गया था.....
सोनाली : हाय दया तीन बार झड़ने के बाद भी इसे चैन नहीं है.... देखो कैसे खड़ा हो रहा है.... चल हट शिप्रा आने वाली होगी और मुझे और भी काम निपटाने है...
मै- अरे माँ इसे तो चैन तब आएगा जब ये आपकी गांड़ मे जायेगा....
माँ मुझे धक्का देते हुये...
सोनाली : चल हट ठरकी कही का.... हे हे ह
ओर माँ रूम से निकल जाती है और में रूम मे अपना लंड मसलता रह जाता हु....
तभी डोर वेल बजती है में उठ कर गेट खोलने जाता हु, बाहर शिप्रा थि, में साइड मे हो जाता हूँ वो अंदर आकर सीधा अपने रूम मे चलि जाती है... और में डोर लॉक करके सोफ़े पर बैठ जाता हूँ और टीवी ऑन कर लेता हु..
दोस्तो अब कहानी में नये पात्रो की एन्ट्री हो रहि है
images
ईशा:-उम्र-19 वर्ष मेरी बहुत अच्छी दोस्त इसके साथ अब तक सेक्स का रिश्ता नही है उसका बॉय फ्रेंड है
कुणाल :-उम्र 22 वर्ष ईशा का बॉय फ्रेंड
निर्मला आंटी:-ईशा की माँ उम्र 40 वर्ष जिन्हें मैं आंटी कहता हूं यह इस कहानी में ज्यादा नही है
बाकी पत्रों से आगे मिलता रहूंगा
अगले दिन शनिवार था सुबह सुबह मेरा फोन बज रहा था फोन देखा तो ईशा का था मैंने आपको पहले ही बताया था कि मेरी बहुत सी लड़कियों से संबंध थे पर ईशा मेरी दोस्त थी वह भी बहुत अच्छी सिर्फ दोस्त हम आपस मे बहुत क्लोज थे उसे मेरे सब लफडोके बारे में पता था हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था. एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे ईशा का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !दो महीने से वह अपने गांव गई हुई थी दो दिन पहले वह वापस आगई थी
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,”सतीश सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?”
मैंने जवाब दिया,”नहीं, मत बोल. तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?”
ईशा ने जवाब दिया,,”सुन तो ले क्या कह रही हूँ !”
मैंने कहा,”तो बोल ना गधी?”
वो बोली,”अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है.”
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,”ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !”
और उधर से जवाब आया- ओके.
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था.
मैंने कहा,”कहो, क्या हुकुम है?”
बोली,”रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !”
मैंने कहा,”ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !”
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक.
उसके बाद मैंने कहा,”अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?”
ईशा फिर बोली,”क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?”
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,”जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी.”
फिर वो बोली,”ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी.”
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी.
मैंने उसे कहा,”सुन जरा !”
वो बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”इधर देख !”
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,”आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?”
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,”मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ.” .
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,”अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ.”
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं.
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया.
मैंने उसे कहा,”जागो मैडम कहा हो तुम?”
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया.
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी.
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
Keep reading keep supporting give suggestions and comments like
Ek suggestion if do not mind...agar isko Adualtary main change karna hai tok ek nayi story suru kardo....isko aage badhana hai toh maa ke sath mausi ya Chachi add jardo
बसन्ती काफी गरम हो गई थी वो अपने हाथो से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुह को अपने चुत पर रगड़ने लगती है.....
ओर निचे बसंती के लंड को छोड़ते ही सोनाली सतीश के दोनों और पेर करके अपने हाथ से उसके लंड को अपनी चुत के छेद पर सेट करती है और धीरे धीरे लंड पर बैठने लगती है थोड़ी देर.मे ही सतीश का पूरा लंड सोनाली की.चुत मे था, अब सोनाली उसके लंड को अपनी चुत मे लेकर अपनी गांड गोल गोल घुमाने लगती है.... सतीश तो एक अलग ही दुनिया मे था ऐसा मजा उसे ज़िन्दगी मे पहली बार आ रहा था...
अब सोनाली अपनी गांड तेजी से सतीश के लंड पर ऊपर निचे करने लगी थि, उसके चूतडो का सतीश की जाँघों से टकराने से थप थप की आवाज हो रही थी.... सतीश भी अब अपनी कमर को ऊपर निचे करके अपनी मोम.की हेल्प करने लगता है.....
सोनाली अब जोश मे आकर उसके लंड के ऊपर अब तेजी से ऊपर निचे कुदने लगी थि, जिससे बीच बीच मे सतीश का लंड उसकी चुत से बाहर आ जाता पर वो तुरंत उसे अपनी चुत पर सेट करके उसे अंदर लेकर उसपर कुदने लगती... और और साथ ही साथ उसके मुह से सिसकारी भी निकल रही थी...
सोनाली- आआआह्ह्ह्हह्ह्..... क्या मस्त लंड है..... एकदम कसा हुआ अंदर जा रहा है... स्स्स्सह्ह्हह्ह कितना चुड़क्कड़ बेटा पैदा किया है मैंने जो आज मेरी ही चुत मार रहा है...
अब बसंती मेरे ऊपर से हट जाती है शायद अब उसे भी अपनी चुत की कुटाई करवानी थी..... में उसके हटते ही माँ को अपनी बाजुओं से पकड़ कर निचे लीटा लेता हूँ और खुद उनके ऊपर आकर ताबाड तोड़ धक्के लगाने लगता हु.... में बसंती को मम्मी के ऊपर आने का इशारा करता हु, बसंती मम्मी के ऊपर अपने दोनों पेर उनकी कमर के दोनों और करके उनके ऊपर झुक जाती है और उनके होंठो को चुसते हुये उनके मम्मो को मसलने लगती है... में उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा पीछे की और खींचता हु जिससे उसक चुत माँ की चुत के थोड़ा ऊपर उभार कर बाहर की तरफ आ जाती है....
अब पोजीशन ये थी की में माँ के पैरों को फैला कर उनके पैरों के बीच उनकी चुत मे अपना लंड डाले बैठा था और बसंती माँ के ऊपर अपने दोनों पेर साइड मे करे हुए लाइटी हुई थी और उसकी चुत माँ की चुत के ऊपर थी...
मैने माँ की चुत से लंड निकल कर बसंती की चुत मे दाल दिया और धक्के लगाने लगा, में उसकी मोटी गांड को मसलते हुए अब अपना लंड उसकी चुत मे अंदर बाहर कर रहा था....
थोड़ि देर तक उसकी चुत चोदने के बाद में अपना लंड उसमे से निकाल कर माँ की चुत मे दाल कर धक्के लगने लगता हु....
ऐसे ही में उन दोनों को १० मिनट तक चोदता हु, कभी माँ की चुत मे लंड दाल कर और कभी बसंती की चुत मे लंड दाल कर.... और ऊपर वो दोनों एक दूसरे को किस करते हुए अपनी छातियाँ एक दूसरे से रगड रही थी....
अब में माँ की चुत मे लंड दाल चोद रहा होता हु की माँ का बाँध टूट जाता है और उनकी चुत अपना रस बहा देती है, माँ झड चुकी थी इस्लिये में अपना लंड बसंती की चुत मे दाल कर उसे पेलने लगता हूँ और ५ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चुत भी पानी छोड़ देती है और उसके पानी को अपने लंड पर महसूश करके मेरा लंड भी पानी उगलने को होता है में तुरंत उसकी चुत से अपना लंड निकाल लेता हूँ और उन दोनों के मुह के पास ले जाता हूँ वो दोनों भी तुरंत उठ कर बैठ जाती है में अपने लंड को हिलाते हुए अपन सारा पानी उन दोनों के चेहरे पर दाल देता हु... उनदोनो का चेहरा मेरे सफ़ेद पानी से भिग जाता है और मेरा कुछ पानी उनकी चूचि और पेट् पर भी गिर जाता है....
ओर में वहि बैठ कर अपनी साँसे दुरस्त करने लगता हु, आज की चुदाई से शरीर मे काफी वीकनेस फिल हो रही थी....
मों बसंती का चेहरा पकड़ कर अपनी जीभ निकल कर उसके चेहरे से मेरा सारा पानी चाट लेती है और फिर बसंती भी माँ के चेहरे से सारा पानी चाट कर उसे साफ़ कर देती है.... में तो बस हैरत भरी नजऱों से उन्हें देखता रह जाता हूँ की कैसे वो मेरे पानी को एक दूसरे के चेहरे से साफ़ कर रही है...
उन दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे, वो दोनों ही काफी खुश नजर आ रही थी.... वो दोनों अपनी चूचि पर पड़े मेरे पानी को अपने हाथो से अपनी चूचियों पर मल लेती है.... और पेट् पर गिरे पानी को अपनी ऊँगली से लेकर, ऊँगली को लेकर अपने मुह मे दाल कर चुस लेती है.... कसम से दोनों पक्की रंडी लग रही थी उस वक़्त.. फिर वो दोनों उठ कर वाशरूम जाकर अपने आप को साफ़ करके बाहर आती है....
दोनो कपडे पहनती है, कपडे पहनने के बाद बसंती किचन मे चलि जाती है और माँ मेरे पास आकर मेरे होंठो पर किस करते हुये....
सोनाली : कपडे पहन लो शिप्रा के आने का टाइम हो रहा है....
मैन-ह्म्मम्... पहनता हु...
माँ शायद मेरी मरी हुई आवाज से समझ जाती हैं की मुझे वीकनेस हो रही है.... इस्लिये वो उठ कर किचन मे चलि जाती है और थोड़ी देर मे ही एक दूध का गिलास लिए रूम मे एंटर होती है.... में उस समय अपना शार्ट पहनना रहा था....
माँ गिलास आगे बड़ा देती है....
मै बेध्यानि मे- इसमें क्या है माँ?
सोनाली : तेरे लिए बादाम दूध लाइ हूँ इसे पीकर तुझे अच्छा महसूस होगा.... देखो इतनी मेहनत करने के बाद कैसे चेहरा लटक गया है तेरा....
मैन- अरे माँ आप के साथ तो में दिन रात ऐसी मेहनत कर सकता हु...
ओर इसी के साथ में माँ की कमर मे हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ खिंच कर छाती से लगा लेता हु....
माँ-आरेरे क्या कर रहा है दूध गिर जायेगा...
मै माँ के दूध को अपने हाथो मे लेते हुये...
मैन- चिंता मत करो माँ मैंने हाथ लगा लिया है में आपका दूध नहीं गिरने दूंगा....
माँ मुस्कुराती हुई मुझसे अलग होते हुये- हट बदमाश कही का में इस गिलास मे भरे दूध की बात कर रही हु, अपने दूध की नहि...
मै- अच्छा में संमझा की....
इससे पहले मेरी बात पूरी होती...
सोनाली : मुझे पता है की तूने क्या समझा, तेरी इस शैतान खोपड़ी मे यहि सब चलता रहता है.... ले पकड इसे और पीले मुझे बिस्तर भी सही करना है अगर शिप्रा ने देख लिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा....
मै माँ के हाथ से गिलास ले लेता हूँ और एक ही सांस मे सारा दूध पि जाता हु...
जबकी माँ हमारी धमा चौकडी से ख़राब हुई चादर को बिस्तर से हटा कर धोने को दाल देती है और नयी चादर बिचाने के लिए ले आती है...
माँ झुक कर बेडशीट बिछाने लगती है... झुकने के कारन उनकी गांड सारी मे से उभर कर मेरी आँखों के सामने आ जाती है...
मेरे अंदर फिर से ठरक आ जाती है... में आगे बढ़ कर उनके चूतडो से अपने लंड को सटा देता हु.... और उनके चूतडो को अपने हाथों से साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगता हु.....
सोनाली : आआह्ह्ह्हह, क्या कर रहा है.... इतना सब करने के बाद भी तेरा मन नहीं भरा...
मै- जब आप जैसी सेक्सी आइटम अपने इतने मस्त चूतडो को दीखाती है तो मन कैसे भरेगा...
ओर में अपने लंड को उनके चूतडो के ऊपर मसलने लगता हु...
सोनाली : हाय दयां, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को आइटम कहते हुये.... और में अपने चुत्तड़ तुझे नहीं दिखा रही ये तो तू ही है जो मेरे चूतडो के पीछे पड़ा हुआ है...
मै- आअह्ह्ह्हह... क्या करू माँ आपके इन चूतडो का तो में दीवाना हो गया हु, पागल कर दिया है आपके चूतडो ने मुझे.... मन तो कर रहा है की अभी आपकी गांड मे अपना लंड डाल दु....
मेरा लंड भी अब अपना सर उठाने लगता है, जिसका एहसाश माँ को भी हो गया था.....
सोनाली : हाय दया तीन बार झड़ने के बाद भी इसे चैन नहीं है.... देखो कैसे खड़ा हो रहा है.... चल हट शिप्रा आने वाली होगी और मुझे और भी काम निपटाने है...
मै- अरे माँ इसे तो चैन तब आएगा जब ये आपकी गांड़ मे जायेगा....
माँ मुझे धक्का देते हुये...
सोनाली : चल हट ठरकी कही का.... हे हे ह
ओर माँ रूम से निकल जाती है और में रूम मे अपना लंड मसलता रह जाता हु....
तभी डोर वेल बजती है में उठ कर गेट खोलने जाता हु, बाहर शिप्रा थि, में साइड मे हो जाता हूँ वो अंदर आकर सीधा अपने रूम मे चलि जाती है... और में डोर लॉक करके सोफ़े पर बैठ जाता हूँ और टीवी ऑन कर लेता हु..
दोस्तो अब कहानी में नये पात्रो की एन्ट्री हो रहि है
images
ईशा:-उम्र-19 वर्ष मेरी बहुत अच्छी दोस्त इसके साथ अब तक सेक्स का रिश्ता नही है उसका बॉय फ्रेंड है
कुणाल :-उम्र 22 वर्ष ईशा का बॉय फ्रेंड
निर्मला आंटी:-ईशा की माँ उम्र 40 वर्ष जिन्हें मैं आंटी कहता हूं यह इस कहानी में ज्यादा नही है
बाकी पत्रों से आगे मिलता रहूंगा
अगले दिन शनिवार था सुबह सुबह मेरा फोन बज रहा था फोन देखा तो ईशा का था मैंने आपको पहले ही बताया था कि मेरी बहुत सी लड़कियों से संबंध थे पर ईशा मेरी दोस्त थी वह भी बहुत अच्छी सिर्फ दोस्त हम आपस मे बहुत क्लोज थे उसे मेरे सब लफडोके बारे में पता था हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था. एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे ईशा का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !दो महीने से वह अपने गांव गई हुई थी दो दिन पहले वह वापस आगई थी
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,”सतीश सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?”
मैंने जवाब दिया,”नहीं, मत बोल. तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?”
ईशा ने जवाब दिया,,”सुन तो ले क्या कह रही हूँ !”
मैंने कहा,”तो बोल ना गधी?”
वो बोली,”अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है.”
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,”ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !”
और उधर से जवाब आया- ओके.
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था.
मैंने कहा,”कहो, क्या हुकुम है?”
बोली,”रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !”
मैंने कहा,”ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !”
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक.
उसके बाद मैंने कहा,”अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?”
ईशा फिर बोली,”क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?”
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,”जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी.”
फिर वो बोली,”ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी.”
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी.
मैंने उसे कहा,”सुन जरा !”
वो बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”इधर देख !”
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,”आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?”
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,”मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ.” .
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,”अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ.”
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं.
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया.
मैंने उसे कहा,”जागो मैडम कहा हो तुम?”
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया.
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी.
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
Keep reading keep supporting give suggestions and comments like
बसन्ती काफी गरम हो गई थी वो अपने हाथो से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुह को अपने चुत पर रगड़ने लगती है.....
ओर निचे बसंती के लंड को छोड़ते ही सोनाली सतीश के दोनों और पेर करके अपने हाथ से उसके लंड को अपनी चुत के छेद पर सेट करती है और धीरे धीरे लंड पर बैठने लगती है थोड़ी देर.मे ही सतीश का पूरा लंड सोनाली की.चुत मे था, अब सोनाली उसके लंड को अपनी चुत मे लेकर अपनी गांड गोल गोल घुमाने लगती है.... सतीश तो एक अलग ही दुनिया मे था ऐसा मजा उसे ज़िन्दगी मे पहली बार आ रहा था...
अब सोनाली अपनी गांड तेजी से सतीश के लंड पर ऊपर निचे करने लगी थि, उसके चूतडो का सतीश की जाँघों से टकराने से थप थप की आवाज हो रही थी.... सतीश भी अब अपनी कमर को ऊपर निचे करके अपनी मोम.की हेल्प करने लगता है.....
सोनाली अब जोश मे आकर उसके लंड के ऊपर अब तेजी से ऊपर निचे कुदने लगी थि, जिससे बीच बीच मे सतीश का लंड उसकी चुत से बाहर आ जाता पर वो तुरंत उसे अपनी चुत पर सेट करके उसे अंदर लेकर उसपर कुदने लगती... और और साथ ही साथ उसके मुह से सिसकारी भी निकल रही थी...
सोनाली- आआआह्ह्ह्हह्ह्..... क्या मस्त लंड है..... एकदम कसा हुआ अंदर जा रहा है... स्स्स्सह्ह्हह्ह कितना चुड़क्कड़ बेटा पैदा किया है मैंने जो आज मेरी ही चुत मार रहा है...
अब बसंती मेरे ऊपर से हट जाती है शायद अब उसे भी अपनी चुत की कुटाई करवानी थी..... में उसके हटते ही माँ को अपनी बाजुओं से पकड़ कर निचे लीटा लेता हूँ और खुद उनके ऊपर आकर ताबाड तोड़ धक्के लगाने लगता हु.... में बसंती को मम्मी के ऊपर आने का इशारा करता हु, बसंती मम्मी के ऊपर अपने दोनों पेर उनकी कमर के दोनों और करके उनके ऊपर झुक जाती है और उनके होंठो को चुसते हुये उनके मम्मो को मसलने लगती है... में उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा पीछे की और खींचता हु जिससे उसक चुत माँ की चुत के थोड़ा ऊपर उभार कर बाहर की तरफ आ जाती है....
अब पोजीशन ये थी की में माँ के पैरों को फैला कर उनके पैरों के बीच उनकी चुत मे अपना लंड डाले बैठा था और बसंती माँ के ऊपर अपने दोनों पेर साइड मे करे हुए लाइटी हुई थी और उसकी चुत माँ की चुत के ऊपर थी...
मैने माँ की चुत से लंड निकल कर बसंती की चुत मे दाल दिया और धक्के लगाने लगा, में उसकी मोटी गांड को मसलते हुए अब अपना लंड उसकी चुत मे अंदर बाहर कर रहा था....
थोड़ि देर तक उसकी चुत चोदने के बाद में अपना लंड उसमे से निकाल कर माँ की चुत मे दाल कर धक्के लगने लगता हु....
ऐसे ही में उन दोनों को १० मिनट तक चोदता हु, कभी माँ की चुत मे लंड दाल कर और कभी बसंती की चुत मे लंड दाल कर.... और ऊपर वो दोनों एक दूसरे को किस करते हुए अपनी छातियाँ एक दूसरे से रगड रही थी....
अब में माँ की चुत मे लंड दाल चोद रहा होता हु की माँ का बाँध टूट जाता है और उनकी चुत अपना रस बहा देती है, माँ झड चुकी थी इस्लिये में अपना लंड बसंती की चुत मे दाल कर उसे पेलने लगता हूँ और ५ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चुत भी पानी छोड़ देती है और उसके पानी को अपने लंड पर महसूश करके मेरा लंड भी पानी उगलने को होता है में तुरंत उसकी चुत से अपना लंड निकाल लेता हूँ और उन दोनों के मुह के पास ले जाता हूँ वो दोनों भी तुरंत उठ कर बैठ जाती है में अपने लंड को हिलाते हुए अपन सारा पानी उन दोनों के चेहरे पर दाल देता हु... उनदोनो का चेहरा मेरे सफ़ेद पानी से भिग जाता है और मेरा कुछ पानी उनकी चूचि और पेट् पर भी गिर जाता है....
ओर में वहि बैठ कर अपनी साँसे दुरस्त करने लगता हु, आज की चुदाई से शरीर मे काफी वीकनेस फिल हो रही थी....
मों बसंती का चेहरा पकड़ कर अपनी जीभ निकल कर उसके चेहरे से मेरा सारा पानी चाट लेती है और फिर बसंती भी माँ के चेहरे से सारा पानी चाट कर उसे साफ़ कर देती है.... में तो बस हैरत भरी नजऱों से उन्हें देखता रह जाता हूँ की कैसे वो मेरे पानी को एक दूसरे के चेहरे से साफ़ कर रही है...
उन दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे, वो दोनों ही काफी खुश नजर आ रही थी.... वो दोनों अपनी चूचि पर पड़े मेरे पानी को अपने हाथो से अपनी चूचियों पर मल लेती है.... और पेट् पर गिरे पानी को अपनी ऊँगली से लेकर, ऊँगली को लेकर अपने मुह मे दाल कर चुस लेती है.... कसम से दोनों पक्की रंडी लग रही थी उस वक़्त.. फिर वो दोनों उठ कर वाशरूम जाकर अपने आप को साफ़ करके बाहर आती है....
दोनो कपडे पहनती है, कपडे पहनने के बाद बसंती किचन मे चलि जाती है और माँ मेरे पास आकर मेरे होंठो पर किस करते हुये....
सोनाली : कपडे पहन लो शिप्रा के आने का टाइम हो रहा है....
मैन-ह्म्मम्... पहनता हु...
माँ शायद मेरी मरी हुई आवाज से समझ जाती हैं की मुझे वीकनेस हो रही है.... इस्लिये वो उठ कर किचन मे चलि जाती है और थोड़ी देर मे ही एक दूध का गिलास लिए रूम मे एंटर होती है.... में उस समय अपना शार्ट पहनना रहा था....
माँ गिलास आगे बड़ा देती है....
मै बेध्यानि मे- इसमें क्या है माँ?
सोनाली : तेरे लिए बादाम दूध लाइ हूँ इसे पीकर तुझे अच्छा महसूस होगा.... देखो इतनी मेहनत करने के बाद कैसे चेहरा लटक गया है तेरा....
मैन- अरे माँ आप के साथ तो में दिन रात ऐसी मेहनत कर सकता हु...
ओर इसी के साथ में माँ की कमर मे हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ खिंच कर छाती से लगा लेता हु....
माँ-आरेरे क्या कर रहा है दूध गिर जायेगा...
मै माँ के दूध को अपने हाथो मे लेते हुये...
मैन- चिंता मत करो माँ मैंने हाथ लगा लिया है में आपका दूध नहीं गिरने दूंगा....
माँ मुस्कुराती हुई मुझसे अलग होते हुये- हट बदमाश कही का में इस गिलास मे भरे दूध की बात कर रही हु, अपने दूध की नहि...
मै- अच्छा में संमझा की....
इससे पहले मेरी बात पूरी होती...
सोनाली : मुझे पता है की तूने क्या समझा, तेरी इस शैतान खोपड़ी मे यहि सब चलता रहता है.... ले पकड इसे और पीले मुझे बिस्तर भी सही करना है अगर शिप्रा ने देख लिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा....
मै माँ के हाथ से गिलास ले लेता हूँ और एक ही सांस मे सारा दूध पि जाता हु...
जबकी माँ हमारी धमा चौकडी से ख़राब हुई चादर को बिस्तर से हटा कर धोने को दाल देती है और नयी चादर बिचाने के लिए ले आती है...
माँ झुक कर बेडशीट बिछाने लगती है... झुकने के कारन उनकी गांड सारी मे से उभर कर मेरी आँखों के सामने आ जाती है...
मेरे अंदर फिर से ठरक आ जाती है... में आगे बढ़ कर उनके चूतडो से अपने लंड को सटा देता हु.... और उनके चूतडो को अपने हाथों से साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगता हु.....
सोनाली : आआह्ह्ह्हह, क्या कर रहा है.... इतना सब करने के बाद भी तेरा मन नहीं भरा...
मै- जब आप जैसी सेक्सी आइटम अपने इतने मस्त चूतडो को दीखाती है तो मन कैसे भरेगा...
ओर में अपने लंड को उनके चूतडो के ऊपर मसलने लगता हु...
सोनाली : हाय दयां, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को आइटम कहते हुये.... और में अपने चुत्तड़ तुझे नहीं दिखा रही ये तो तू ही है जो मेरे चूतडो के पीछे पड़ा हुआ है...
मै- आअह्ह्ह्हह... क्या करू माँ आपके इन चूतडो का तो में दीवाना हो गया हु, पागल कर दिया है आपके चूतडो ने मुझे.... मन तो कर रहा है की अभी आपकी गांड मे अपना लंड डाल दु....
मेरा लंड भी अब अपना सर उठाने लगता है, जिसका एहसाश माँ को भी हो गया था.....
सोनाली : हाय दया तीन बार झड़ने के बाद भी इसे चैन नहीं है.... देखो कैसे खड़ा हो रहा है.... चल हट शिप्रा आने वाली होगी और मुझे और भी काम निपटाने है...
मै- अरे माँ इसे तो चैन तब आएगा जब ये आपकी गांड़ मे जायेगा....
माँ मुझे धक्का देते हुये...
सोनाली : चल हट ठरकी कही का.... हे हे ह
ओर माँ रूम से निकल जाती है और में रूम मे अपना लंड मसलता रह जाता हु....
तभी डोर वेल बजती है में उठ कर गेट खोलने जाता हु, बाहर शिप्रा थि, में साइड मे हो जाता हूँ वो अंदर आकर सीधा अपने रूम मे चलि जाती है... और में डोर लॉक करके सोफ़े पर बैठ जाता हूँ और टीवी ऑन कर लेता हु..
दोस्तो अब कहानी में नये पात्रो की एन्ट्री हो रहि है
images
ईशा:-उम्र-19 वर्ष मेरी बहुत अच्छी दोस्त इसके साथ अब तक सेक्स का रिश्ता नही है उसका बॉय फ्रेंड है
कुणाल :-उम्र 22 वर्ष ईशा का बॉय फ्रेंड
निर्मला आंटी:-ईशा की माँ उम्र 40 वर्ष जिन्हें मैं आंटी कहता हूं यह इस कहानी में ज्यादा नही है
बाकी पत्रों से आगे मिलता रहूंगा
अगले दिन शनिवार था सुबह सुबह मेरा फोन बज रहा था फोन देखा तो ईशा का था मैंने आपको पहले ही बताया था कि मेरी बहुत सी लड़कियों से संबंध थे पर ईशा मेरी दोस्त थी वह भी बहुत अच्छी सिर्फ दोस्त हम आपस मे बहुत क्लोज थे उसे मेरे सब लफडोके बारे में पता था हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था. एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे ईशा का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !दो महीने से वह अपने गांव गई हुई थी दो दिन पहले वह वापस आगई थी
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,”सतीश सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?”
मैंने जवाब दिया,”नहीं, मत बोल. तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?”
ईशा ने जवाब दिया,,”सुन तो ले क्या कह रही हूँ !”
मैंने कहा,”तो बोल ना गधी?”
वो बोली,”अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है.”
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,”ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !”
और उधर से जवाब आया- ओके.
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था.
मैंने कहा,”कहो, क्या हुकुम है?”
बोली,”रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !”
मैंने कहा,”ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !”
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक.
उसके बाद मैंने कहा,”अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?”
ईशा फिर बोली,”क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?”
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,”जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी.”
फिर वो बोली,”ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी.”
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी.
मैंने उसे कहा,”सुन जरा !”
वो बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”इधर देख !”
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,”आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?”
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,”मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ.” .
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,”अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ.”
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं.
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया.
मैंने उसे कहा,”जागो मैडम कहा हो तुम?”
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया.
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी.
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
Keep reading keep supporting give suggestions and comments like