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Incest घरेलू जब रंडी बनी ( no pakkau only Vasna )

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दोस्तो.. मेरी सेक्स स्टोरी में आपने अब तक पढ़ा था कि चचिया ससुर बहू सेक्स के बाद उन दोनों की बच्चे को लेकर बात चल रही थी।
अब आगे..

मोना- लड़की होगी तो भी अच्छा है उसमें मेरी खूबसूरती और आपके जैसी ताक़त होगी.. वो भी अपने पति को फुल मज़ा देगी।
अपनी बहू की बात सुनकर काका मुस्कुराने लगे और मोना को अपनी बांहों में भर लिया।

मोना की Xforum अब दोबारा जाग गई थी, वो लंड को अब मुँह में लेकर चूसने लगी थी। उधर काका भी अब गर्म हो गए थे- आह.. चूस रानी आज तो मेरे लंड के भाग खुल गए.. तेरी जैसी अप्सरा इसको चूस रही है.. ओफ.. चल रानी घूम जा और मुझे भी तेरी चुत का रस पीने दे।

अब दोनों 69 के पोज़ में हो गए और एक-दूसरे का रस चाटने लगे। दस मिनट तक ये चुसाई चलती रही उसके बाद काका सीधे होकर लेट गए और मोना को समझते देर ना लगी कि काका क्या चाहते हैं।

मोना सीधे जाकर काका के खड़े लंड पर अपनी चुत सैट करके बैठ गई और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगी।
काका- आह.. मोना रानी तू तो बड़ी समझदार है आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… कूद रानी मेरे लंड पे कूद आह.. कर दे इसको अपनी चुत में गायब आह.. उहह ले आह.. ले पूरा खा ले।

काका भी अब नीचे से झटके मारने लगे थे और मोना गांड को ऊपर-नीचे करके मज़ा ले रही थी। अब कमरे में दोनों की आहें गूँजने लगी थीं और चुदाई का तूफान जोरों पे था।
मोना- आह.. काका आह जोर से आह.. काश मेरी शादी आपसे हुई होती आह.. मज़ा आ जाता आह.. कब से प्यासी थी में आह.. आज अपने मेरी चुत को तृप्त कर दिया आह.. आह..

बहू की बातें काका को और जोश दिला रही थीं.. वो स्पीड से धक्के मारने लगे और मोना को अपने ऊपर लेटा कर उसके निप्पल को चूसने लगे।

कुछ मिनट ये चुदाई चली, काका के तगड़े लंड के दमदार झटके मोना की चुत सह नहीं पाई और उसकी चुत का बाँध टूट गया.. वो लंबी साँसें लेते हुए झड़ने लगी। मोना तो ठंडी हो गई.. मगर काका के लंड का जोश तो वैसा का वैसा ही था। अब मोना को लंड की चोट बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. वो झट से लंड से उठ गई और फ़ौरन लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

काका- आह साली छिनाल आह.. ये क्या किया चुत में मज़ा आ रहा था.. उफ़ चूस साली चूस आह.. अब तुझे घोड़ी बना के ऐसे शॉट मारूँगा आह.. तू क्या याद करेगी।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मोना समझ गई कि ये लंड मुँह से नहीं चुत से ही ठंडा होगा तो वो घोड़ी बन गई- आह.. काका ले आह.. कर ले अपना अरमान पूरा आह.. ले तेरी घोड़ी तैयार है आजा चढ़ जा!

काका खड़ा हुआ और मोना के पीछे जाकर लंड को चुत पे सैट किया फिर मोना की कमर को कस के पकड़ के एक जोरदार धक्का मारा तो पूरा लंड एक हे बार में मोना की चुत में जड़ तक समा गया।
मोना- आआईइ काका मार डाला रे.. उफ़ आह.. आज तो बरसों की चुदाई आपने एक ही रात में कर दी आह.. आ उफ़फ्फ़ मारो आह.. और धक्के मारो आह.. आ..

काका अब स्पीड से मोना की चुत में लंड पेल रहे थे और साथ में अपनी उंगली से मोना की गांड का भी मुआयना कर रहे थे- आह.. ले साली रांड आह.. तेरी गांड तो बहुत कसी हुई लगती है आह.. गोपाल ने इसको ज़्यादा नहीं चोदा होगा।
मोना- आह.. ऑउच नहीं काका.. उफ़फ्फ़ प्लीज़ आप बस चुत से ही संतुष्ट हो जाओ.. आह.. गांड नहीं ये आपका मूसल झेल नहीं पाएगी।
काका- क्यों रानी आह.. ले दुनिया में कोई चुत और गांड ऐसी नहीं बनी जो लंड ना ले सके.. रानी भगवान ने ये बनाई ही चुदाई के लिए है आह.. ले आह आह ले..

काका अब बहुत तेज झटके मारने लगे थे.. उनका लंड फूलने लगा था। मोना की चुत तो फिर से झड़ गई मगर काका फिर भी 5 मिनट और उसको चोदते रहे, तब कहीं जाकर उनका लावा फूटा और वो निढाल होकर मोना के पास लेट गए। काका ने मोना को अपने सीने पे लिटा लिया।

काका- उफ साली क्या गर्म माल है रे तू कितनी चुदाई की.. साला मन ही नहीं भरता।
मोना- आह.. काका आप हो ही असली मर्द.. कसम से मज़ा आ गया। अब तो जब तक यहाँ हूँ.. रोज ऐसे ही आपसे चुदाई करवाऊंगी।
काका- अच्छा मेरी रानी को लंड इतना पसंद आया.. मगर आज तो कोई नहीं इसलिए खुल कर चुदाई हो गई। रोज थोड़े ऐसा हो सकेगा.. कल तो सब यहाँ होंगे ही फिर?
मोना- होने दो.. मुझे किसी का डर नहीं.. जब उस लड़के से चुदने मैं छत पर जा सकती हूँ.. तो आपसे क्यों नहीं?

काका- हा हा हा साली पक्की चुदक्कड़ है तू.. चल घबरा मत, मैं कोई ना कोई तरकीब लगा लूँगा। मगर आज बस एक बार तेरी गांड भी मार लेने दे.. साली बहुत कसी हुई है.. मेरा तो मन ललचा गया।
मोना- नहीं काका, प्लीज़ नहीं, ये तो गोपाल के लंड से ही बहुत दर्द करती है.. फिर आपका तो बम्बू है.. ये तो मेरी गांड को फाड़ ही देगा।
काका- अरे एक बार तो चुत में भी दर्द होता है.. तू डर मत.. मैं हौले-हौले मारूँगा और वैसे ये खुली हुई तो है ही, तो ज़्यादा दर्द नहीं होगा तुझे।
मोना- नहीं काका खुली हुई नहीं है, शादी के दस दिन बाद गोपाल ने एक बार मारी थी.. मेरी जान निकल गई थी। उसके बाद कोई 2 महीने बाद दोबारा मारी तब भी वही हाल हुआ। बस तब से ना गोपाल ने कहा.. ना मैंने कहा।

काका- ही ही मोना रानी तभी कहूँ ये गुलाबी छेद ऐसे बंद क्यों है.. तू ज़िद ना कर मैं तो गांड मारके ही रहूँगा। अब तू मेरी रानी है.. मेरी बात मानने का तेरा फ़र्ज़ बनता है.. समझी!
मोना- ठीक है काका.. आप इतना कह रहे हो तो मान लेती हूँ मगर मेरी भी एक शर्त है। आप आज मेरी गांड नहीं मारोगे.. क्योंकि आज तो चुत का ही हाल बुरा हो गया.. आप कल मेरी गांड मार लेना।
काका- अरे पगली.. कल तो सब होंगे गांड में लंड जाएगा तो तुझे दर्द होगा और तू चिल्लाएगी, तो सबको पता लग जाएगा।
मोना- नहीं काका.. आप मेरी चिंता मत करो मैं सब संभाल लूँगी प्लीज़ मान जाओ।
काका- अच्छा ठीक है.. मान गया मगर आज की रात चुत तो मरवाएगी ना!

दोबारा चुदाई के नाम से मोना की आँखें थोड़ी बड़ी हो गईं।
मोना- अरे काका आप आदमी हो या घोड़े.. कितना चोदोगे? देखो मेरी चुत का क्या हाल हो गया.. सूजन आ गई!

मोना की बात सुनकर काका को हँसी आ गई- अब तू घोड़ा समझ या घड़ा.. भाई मेरी तो आदत है एक बार में कम से कम 3 या 4 बार चुदाई ना करूँ तो मज़ा नहीं आता।
मोना- मन तो मेरा भी यही है मगर हाथ पैर जवाब दे गए। आपकी चुदाई इतनी लंबी होती है क्या बताऊं।
काका- अरे अभी थोड़े करूँगा.. तू थोड़ा आराम कर ले उसके बाद चुदाई करूँगा और वैसे तूने मेरा लंड रस भी नहीं पिया तो मैं अबकी बार तेरे मुँह में रस डालूँगा।
मोना- समझ गई काका.. आप नहीं मानोगे.. चलो मुझे थोड़ा सोने दो कमर में दर्द हो रहा है। उसके बाद आप चाहे चुत में पानी निकालो या मुँह में.. आपकी मर्ज़ी।
काका- चल ठीक है.. तू आराम कर मैं तब तक थोड़ा बाहर हो आता हूँ।

क्यों दोस्तो… मज़ा आ रहा है ना लगातार चुदाई ही चुदाई चल रही है। अभी जितना एंजाय करना है कर लो, बाद में स्टोरी अलग मोड़ पर जाएगी तब शायद चुदाई के मज़े थोड़े रुक जाएं.. हा हा हा हा डरो मत मजाक कर रही हूँ चलो आपकी वो पूजा के बारे में बताकर दुविधा दूर कर देती हूँ।

टीना और संजय आराम से बैठ कर बियर का मज़ा ले रहे थे।

टीना- यार संजय अब कितना तड़पाएगा.. बता भी दे क्या बात है कौन है ये पूजा?
संजय- देख टीना मैं तुझपे भरोसा करता हूँ इसलिए बता रहा हूँ.. मगर उन कमीनों को मत बताना समझी!
टीना- अरे यार तू जानता है.. मैं तेरी दीवानी हूँ। वो सब को तो तेरी वजह से झेलती हूँ.. तेरी कसम मैं किसी को नहीं बताऊंगी।
संजय- अच्छा तो सुन तू तो जानती है मैं अपने मॉम डैड का एक ही बेटा हूँ।
टीना- हाँ यार मुझे पता है।
संजय- सुन तो ले यार.. मेरे अंकल की बेटी आरती को भी तू जानती है ना!
टीना- हाँ जानती हूँ.. तू क्या अपनी फैमिली के बारे में बता रहा है? यार पूजा के बारे में बता ना मुझे।
संजय- अबे साली.. वही बता रहा हूँ ये बातें बताऊंगा तब तेरे भेजे में सब बात घुसेंगी.. अब चुपचाप आगे सुन।

संजय के गुस्सा होने से टीना सहम गई उसने बस ‘हाँ’ में गर्दन हिलाई और अपने दोनों हाथ गाल पर रख कर बैठ गई।

संजय- गुड ऐसे ही सुन तू.. अब देख मेरी कोई बहन तो थी नहीं.. तो मैं बचपन से आरती को अपनी बहन मानता था.. उसे मैं सग़ी से भी ज़्यादा मानता था।
‘ओके..’
‘आरती मुझसे 10 साल बड़ी थी वो एकदम छोटे भाई की तरह मेरा ख्याल रखती थी। यहाँ तक की जब उसकी शादी हुई, मैं इतना रोया कि क्या बताऊं तुझे!’
टीना- हूँउऊ.. ये बातें नहीं पता थी मुझे.. फिर आगे क्या हुआ?

संजय- होना क्या था.. उसकी शादी एक अच्छे लड़के से हुई, वो यहीं मुंबई में ही एक बैंक में जॉब करता था। धीरे-धीरे वक़्त गुज़रता रहा। आरती माँ बनी.. उसको एक लड़की हुई। छोटी गुड़िया के आने से मैं बहुत खुश था। जैसे-जैसे वो बड़ी हुई.. मैं उसके साथ खूब खेलता था। फिर दीदी को एक बेटा हुआ.. मेरी ख़ुशी और बढ़ गई। अब तो सारा दिन दीदी के घर आना-जाना लगा रहता था। दोनों बच्चे मुझसे इतने घुल गए कि क्या बताऊं, सारा दिन ‘मामा मामा..’ कहते मुझसे चिपके रहते थे।
टीना- वाउ यार तू तो किसी फिल्म की कहानी जैसे बता रहा है.. फिर क्या हुआ?

संजय- फिर जीजू की बैंक ने उनका ट्रान्सफर बंगलोर कर दिया.. पूरे 5 साल बाद दीदी और जीजू वापस मुंबई आए हैं क्योंकि दीदी की तबीयत ठीक नहीं रहती इसलिए जीजू ने वापस अपना ट्रान्सफर मुंबई करवा लिया। इत्तफ़ाक़ की बात ये है हमारे घर के सामने ही दोनों को घर मिल गया है।

अब इस पूजा के बारे में क्या कहानी बनती है वो मैं आपको इस ससुर बहू सेक्स स्टोरी में आगे लिखूंगी..
यार तुम्हारी कहानी पढ कर तो तुम्हे ही चोदने का मन कर रहा है।
 

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दोस्तो, आपने मेरी इस सेक्सी कहानी में अब तक जाना कि संजय पूजा के बारे में बताने से पहले उसी के सन्दर्भ में अपनी दीदी के बारे में बता रहा था और उसकी चुदक्कड़ फ्रेंड टीना सुन रही थी।
अब आगे..

टीना- इट्स गुड यार.. ये तो बहुत ख़ुशी की बात है.. मुझे भी दीदी से मिलवाना, आज तक उनके बारे में बस सुना है.. उन्हें देखा नहीं है।
संजय- हाँ ज़रूर मिलवा दूँगा तुझे..
टीना- यार बुरा मत मानना.. कहानी का हैप्पी एंड हो गया मगर पूजा नहीं आई, ये कन्फ्यूजन दूर करो.. मेरा इस कहानी का पूजा से क्या सम्बन्ध है?
संजय- अबे साली तेरी समझ में नहीं आया क्या पूजा मेरी दीदी की बेटी है और आर्यन उसका छोटा भाई है?

टीना- ओ माय गॉड… मगर कन्फ्यूजन फिर भी वैसा का वैसा है.. पूजा तो बच्ची है और तेरी हालत तो ऐसी थी जैसे कोई गजब का माल देखा हो।
संजय- यार टीना तू समझ नहीं रही है वो लोग जब बंगलोर गए थे पूजा बच्ची ही थी.. आज जब उसको देखा तब भी मेरी नजर में बच्ची ही लगी, लेकिन वो अब बड़ी हो चुकी है, पूरे 18 की! और दोपहर से शाम तक जो हुआ, पूछ मत यार मेरी क्या हालत हुई है!
टीना- ओह गॉड अब समझी कुछ ना कुछ गड़बड़ तो हुई है.. यार बता जल्दी नहीं तो मेरा दिमाग़ सोच-सोच कर फट जाएगा।
संजय- यार तेरा क्या मेरा खुद का दिमाग़ घूमा हुआ है।
टीना- प्लीज़ यार बता ना?
संजय- अच्छा सुन.. वैसे तो वो लोग रात को शिफ्ट हो गए थे, मगर मेरी मुलाकात उनसे सुबह हुई।

टीना को अभी भी संजय की बात समझ नहीं आ रही थी मगर उसने सोचा दोबारा पूछेगी तो संजय गुस्सा होगा इसलिए वो चुपचाप बैठी थी।

संजय- सुबह हमने साथ नाश्ता किया फिर गप्पें लड़ाईं और दोपहर लंच तक सब कुछ ठीक था। उसके बाद मैं अपने कमरे में आराम करने चला गया बाकी सब नीचे बैठे बातें कर रहे थे।
टीना- अच्छा फिर क्या हुआ?
संजय- फिर क्या होना था.. रोज की तरह मैंने अपने सारे कपड़े निकाले सिर्फ़ एक पतला सा बरमूडा पहना और लेट गया।
टीना- सारे कपड़े मतलब.. अंडरवियर भी छी कितने गंदे हो तुम.. सिर्फ़ बरमूडा में सोते हो हा हा हा हा हा..
संजय- अबे साली, लड़के ऐसे ही सोते हैं.. अंडरवियर सारा दिन पहने रहेंगे, तो लंड को आराम कैसे मिलेगा?
टीना- पता है मेरे जानू.. मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रही थी।

संजय- तुझे मजाक सूझ रहा है मेरी टेंशन से हालत खराब है।
टीना- यार तू बुरा मत मानना मगर तेरी कहानी मेरे समझ के बाहर है। पूजा से तू मिला, बातें की, फिर सो गया तो शाम को ऐसा क्या हुआ जो तू इतना पागल हो गया?
संजय- ऐसे तेरी समझ में कुछ नहीं आएगा.. मैं तुझे पूरी बात बताता हूँ, जिसकी वजह से ये सब हुआ ओके!

ओ हैलो आप लोग भी कन्फ्यूज हो ना.. तो भाई ऐसे ना तो आपको समझ आएगा ना मज़ा आएगा। इससे अच्छा आपको सीधा संजय के घर लेकर चलती हूँ। वहाँ का नजारा देख के शायद मज़ा आ जाए।

संजय अपने बिस्तर पर आराम से लेटा हुआ था तभी पूजा कमरे में आती है और सीधा संजय के पेट पर आकर बैठ जाती है।

पूजा देखने में एकदम स्वीट सी है, उसने पिंक टी-शर्ट और ब्लैक स्कर्ट पहना हुआ था।

आपको बता दूँ पूजा बहुत खूबसूरत लड़की है.. छोटे-छोटे गहरे काले बाल, एकदम बड़ी-बड़ी आँखें और आँखों का कलर नीला.. जैसे कोई लेंस लगाया हुआ हो, चाँदी जैसा चमकता रंग, सीना तो ज़्यादा नहीं मगर संतरे एकदम ठोस हैं और हाँ इसकी जांघें मोटी-मोटी और गांड बाहर को निकली हुई है, वो बहुत मस्त लग रही थी। चलो अब आगे का सीन देखते हैं।

संजय- अरे ये क्या है पूजा ऐसे कोई करता है क्या.. चलो नीचे उतरो।
पूजा- क्यों उठूँ मैं.. हाँ पहले भी ऐसे ही बैठती थी ना.. अब भी ऐसे ही बैठूंगी। आप मेरे प्यारे मामू हो ना।
संजय- अरे उस टाइम तू छोटी थी अब मोटी हो गई है हा हा हा हा..
पूजा- अच्छा मुझे मोटी कहा हाँ.. अभी रूको आपको बताती हूँ।

इतना कहकर पूजा ने संजय के हाथ पकड़ लिए और उसके ऊपर लेट गई और अपने दांतों से उसकी गर्दन पर काटने लगी।

दोस्तो, गड़बड़ यहीं से शुरू हुई। इसी खेल-खेल में पूजा की चुत संजय के लंड पर सैट हो गई थी और मस्ती की वजह से चुत धीरे-धीरे लंड पर घिस रही थी। उसके छोटे-छोटे संतरे संजय के सीने से सटे हुए थे। अब ऐसी पोज़िशन में आदमी का ध्यान भले ना जाए मगर ये कम्बखत लंड जो है ना.. ये खड़ा होकर अच्छे ख़ासे इंसान को सोचने पे मजबूर कर देता है।

वही हाल संजय का हुआ.. उसका लंड एकदम तन गया। अब उसको पूजा कच्ची कली नज़र आने लगी।
संजय- ओफ क्या कर रही हो पूजा आह.. हटो ना अफ..
पूजा- क्यों मज़ा आया ना.. अब बोलो मोटी हा हा हा हा..

संजय ने अपने हाथ छुड़ाए और पूजा को नीचे पटक कर उसके ऊपर आ गया और उसको गुदगुदी करने लगा।
गुदगुदी करते हुए संजय के हाथ उसके संतरों से भी टकरा गए.. क्या कड़क चूचे थे और एक बार उसकी स्कर्ट भी पूरी ऊपर को हो गई तो उसकी सफ़ेद पेंटी में छुपी उसकी फूली हुई चुत भी उसको दिखी। बस दोस्तों शैतान दिमाग़ में आने के लिए ये बहुत था।

अब संजय गुदगुदी के बहाने उसके जिस्म से खेलने लगा.. उसकी चुत पे लंड सैट करके आगे-पीछे झटके देने लगा।

पूजा- आह.. मामू छोड़ो ना.. उफ़ क्या कर रहे हो आह.. प्लीज़ आह.. नीचे कुछ चुभ रहा है।
संजय- बदमाश मुझे काटा था, तब मुझे भी दर्द हुआ था.. अब बोल दोबारा ऐसा करेगी?
पूजा- नहीं मामू सॉरी.. अब ऐसा नहीं करूँगी प्लीज़ छोड़ दो।

दोस्तों संजय का लंड एकदम लोहे जैसा सख़्त हो गया था.. इस वक्त उसने अंडरवियर भी नहीं पहना था तो बरमूडा तन के तंबू बन गया।

संजय को पता था उसका लंड बेकाबू हो गया है.. वो इस तरह उठा कि पूजा को तंबू ना दिखे, वो करवट लेकर अलग हो गया।

पूजा- मामू आप कितने अच्छे हो।

ये कहकर पूजा ने संजय के गाल पर एक किस कर दी। अब ये तो आग में घी डालने वाली बात थी। बेचारा संजय सोच में पड़ गया कि क्या करे.. एक बार सोचा कि नहीं ये ग़लत है, तो दूसरी आवाज़ आई कि कुछ ग़लत नहीं ये तो नादान है.. मगर तू तो पक्का खिलाड़ी है, थोड़े मज़े लेने में क्या जाता है।

संजय- अच्छा एक बात बता.. तू ऊपर कैसे आई बाकी सब कहाँ हैं?
पूजा- मॉम और डैड घर चले गए.. वो उनको सामान वगैरह सैट करना बाकी है ना.. तो यहाँ से भी अंकल आंटी और काम वाली बाई सब साथ गए हैं। मैंने कहा मुझे मामू के साथ खेलना है तो मैं यहीं रुक गई।
संजय- और आर्यन नहीं रुका ऐसे तो वो मुझसे बहुत चिपकता है?
पूजा- उसने तो बहुत ज़िद की मगर उसको बुखार है ना.. तो मॉम ने उसको मना किया और अपने साथ ले गईं।

पूजा की बात सुनकर संजय के दिमाग़ में शैतानी प्लान आ गया.. वो जान गया था कि घर में कोई नहीं है, अब वो खुलकर पूजा के मज़े ले सकता था।

संजय- अच्छा ये बात है चल तुझे झुला देता हूँ.. जैसे पहले झुला देता था।
पूजा- वाउ मामू.. बहुत मज़ा आएगा।

संजय बेड से उठा और पहले उसने दरवाजे को लॉक किया.. फिर खिड़की भी बंद कर दी और कमरे की लाइट भी बुझा दी। उसके बाद सामने आराम कुर्सी पर जाकर बैठ गया।

संजय- आ जाओ पूजा मेरी गोदी में बैठ जाओ.. फिर मैं हिलूँगा तो मज़ा आएगा।

दोस्तो, पहले भी संजय ऐसे ही पूजा को आराम कुर्सी पर बैठा झूला झुला देता था मगर आज तो उसका इरादा कुछ और ही था।

पूजा- मामू ये क्या.. आपने तो अंधेरा कर दिया, कुछ दिख नहीं रहा।
संजय- अरे पगली दोपहर का टाइम है लाइट की क्या ज़रूरत है और अंधेरे में ज़्यादा मज़ा आएगा.. तू आ तो सही।

पूजा ख़ुशी से कुर्सी के पास आई और जब वो बैठने लगी तो संजय ने चालाकी से उसका स्कर्ट ऊपर को कर दिया।

अब पूजा संजय के खड़े लंड पर बैठी थी बीच में बस पतला सा बरमूडा और पेंटी आ रही थी।

पूजा- ऑउच मामू मुझे नीचे कुछ चुभ रहा है।
संजय- अच्छा ऐसी बात है.. तू खड़ी हो एक बार फिर नहीं चुभेगा।

पूजा खड़ी हुई तो उसकी पीठ संजय की तरफ थी उसने जल्दी से बरमूडा नीचे किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया और पूजा को धीरे से बैठने को कहा।

जैसे ही पूजा बैठी संजय ने दोबारा उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया। अब लंड पूजा की जाँघों से होता हुआ सीधा उसकी चुत से जा सटा था और कमरे में अंधेरा होने से पूजा ये सब देख भी नहीं पाई।

संजय अब कुर्सी को हिला रहा था और धीरे-धीरे लंड चुत पर घिस रहा था।

संजय- क्यों पूजा मज़ा आ रहा है ना।
पूजा- आह.. हाँ मामू बहुत मज़ा आ रहा है उफ़ लेकिन नीचे कुछ गीला-गीला अजीब सा लग रहा है।
संजय- अरे मेरी भोली पूजा, तुम ज़्यादा ध्यान मत दो बस मज़ा लो।

संजय बातों में उलझा कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब पूजा के संतरे भी सहला रहा था।

पूजा को समझ आ रहा था या नहीं ये तो पता नहीं मगर मज़े से उसकी आँखें बंद हो गई थीं.. और उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई थीं।

पूजा- आह.. ससस्स मामू ऐसा झूला आह.. अपने पहले कभी नहीं दिया आह.. कितना मज़ा आ रहा है।
संजय- तू पहले छोटी थी ना.. तो तुझे पता नहीं था। अब तू बड़ी हो गई है तब मज़ा आ रहा है और जोर से करूँ तो और मज़ा आएगा तुझे।
पूजा- आह.. हाँ मामू मैं भी इसस्स.. यही कहने वाली थी.. उफ़फ्फ़ जोर से करो ना.. आह..

संजय को अब अहसास हो गया था कि पूजा की चुत रिसने लगी है और उसका पानी वो अपने लंड पर महसूस कर रहा था। उसको भी कच्ची चुत पर लंड रगड़ने का अलग ही मज़ा मिल रहा था।

तो मेरे दिलजले साथियो… जवानी की दहलीज पर आई हुई एक नई और कच्ची चुत का मजा मिल रहा है न..
ओह कितनी बार लण्ड का पानी निकालोगी आंटी।
 
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