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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
भाग 126 (मध्यांतर)
भाग 127 भाग 128 भाग 129 भाग 130 भाग 131 भाग 132
भाग 133 भाग 134 भाग 135 भाग 136 भाग 137 भाग 138
भाग 139 भाग 140 भाग141 भाग 142 भाग 143 भाग 144 भाग 145 भाग 146 भाग 147 भाग 148
 
Last edited:

mamta singh

A sweet housewife and mom
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Missings parts को पढ़के बहुत मजा आया।
धन्यवाद लवली जी missings parts share करने के लिए।
अगले update की इंतजार रहेगी।।
 
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LustyArjuna

Member
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भाग 142

सोनू बेहद उत्साहित था। रात भर वह अगले दिन के बारे में सोचता रहा और मन ही मन अपने ईश्वर से प्रार्थना करता रहा की सुगना और उसके मिलन में कोई व्यवधान नहीं आए उसे इतना तो विश्वास हो चला था कि जब सुगना ने ही मिलन का मन बना लिया है तो विधाता उसका मन जरूर रखेंगे..

अगली सुबह सुगना के बच्चों सूरज और मधु को भी यह एहसास हो चला था कि उनकी मां उन्हें कुछ घंटे के लिए छोड़कर सलेमपुर जाने वाली है। वह दोनों सुबह से ही दुखी और मुंह लटकाए हुए थे।

बच्चों का अपना नजरिया होता है सुगना को छोड़ना उन्हें किसी हालत में गवारा नहीं था सोनू ने उन दोनों को खुश करने की भरसक कोशिश की तरह-तरह के खिलौने बक्से से निकाल कर दिए पर फिर भी स्थिति कमोवेश वैसी ही रही।

तभी सरयू सिंह ने बाकी बच्चों को बाहर पार्क चलने के लिए आग्रह किया लाली के बच्चे तुरंत ही तैयार हो गए और अब सूरज और मधु भी अपने साथियों और दोस्तों के साथ पार्क में जाने के लिए राजी हो गए।

सोनू और सुगना दोनों संतुष्ट थे।

सोनू ने गाड़ी स्टार्ट की और अपनी अप्सरा को अपनी बगल में बैठ कर सलेमपुर के लिए निकल पड़ा।

अपने मोहल्ले से बाहर निकलते ही सोनू ने सुगना की तरफ देखा जो कनखियों से सोनू को ही देख रही थी

आंखें चार होते ही सोनू ने मुस्कुराते हुए पूछा

“दीदी का देखत बाड़े”

सुगना ने अपनी नज़रें झुकाए हुए कहा.

“तोर गर्दन के दाग देखत रहनि हा”

“अब तो दाग बिल्कुल नईखे..” सोनू ने उत्साहित होते हुए कहा।

“हमरा से दूर रहबे त दाग ना लागी” सुगना ने संजीदा होते हुए कहा उसे इस बात का पूरी तरह इल्म हो चुका था कि सोनू के गर्दन का दाग निश्चित ही उनके कामुक मिलन की वजह से ही उत्पन्न होता था।

“हमारा अब भी की बात पर विश्वास ना होला. सरयू चाचा के भी तो ऐसा ही दाग होते रहे ऊ कौन गलत काम करत रहन” सोनू ने इस जटिल प्रश्न को पूछ कर सुगना को निरुत्तर कर दिया था। सरयू सिंह सुगना की दुखती रख थे। यह बात वह भली भांति जानती थी कि उनके माथे का दाग भी सुगना से मिलन के कारण ही था परंतु उनके बारे में बात कर वह स्वयं को और अपने रिश्ते को आशाए नहीं करना चाहती थी उसने तुरंत ही बात पलटी और बोला..

“चल ठीक बा …और लाली के साथ मन लगे लगल”

“का भइल सोनी के गइला के बाद हिंदी प्रैक्टिस छूट गईल?” शायद सोनू इस वक्त अपने और लाली के बारे में बात नहीं करना चाहता था उसका पूरा ध्यान सुगना पर केंद्रित था।

“नहीं नहीं मैं अब भी हिंदी बोल सकती हूं” सुगना ने हिंदी में बोलकर सोनू के ऑब्जरवेशन को झूठलाने की कोशिश की।

“अच्छा ठीक है मान लिया…वास्तव में आप साफ-साफ हिंदी बोलने लगी है.. “

अपनी तारीफ सुनकर सुगना खुश हो गई और सोनू की तरफ उसके आगे बोलने का इंतजार करने लगी..

“ दीदी एक बात बता उस दिन जो मैंने सलेमपुर में किया था क्या वह गलत था?”

सुगना को यह उम्मीद नहीं थी उसने प्रश्न टालने की कोशिश की “किस दिन?”

“वह दीपावली के दिन”

अब कुछ सोचने समझने की संभावना नहीं थी सुगना को उसे काली रात की याद आ गई जब उसके और सोनू के बीच पाप घटित हुआ था।

पर शायद वह पाप ही था जिसने सोनू और सुगना को बेहद करीब ला दिया था इतना करीब कि दोनों दो जिस्म एक जान हो चुके थे।

प्यार सुगना पहले भी सोनू से करती थी परंतु प्यार का यह रूप प्रेम की पराकाष्ठा थी और उसका आनंद सोनू और सुगना बखूबी उठा रहे थे। सोनू के प्रश्न का उत्तर यदि वर्तमान स्थिति में था तो यही था कि हां सोनू तुमने उस दिन जो किया था अच्छा ही किया था पर सुगना यह बात बोल नहीं पाई वह तब भी मर्यादित थी और अब भी।

“बोल ना दीदी चुप काहे बाड़े”

सोनू ने एक बार फिर अपनी मातृभाषा बोलकर सुगना की संवेदनाओं को जागृत किया।

“हां ऊ गलत ही रहे”

“पर क्यों अब तो आप उसको गलत नहीं मानती”

“तब मुझे नहीं पता था की मैं तुम्हारी सगी बहन नहीं हूं”

सुगना ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की तभी उसे सोनू की बात याद आने लगी।

अच्छा सोनू यह तो बता “मैं किसकी पुत्री हूं मेरे पिता कौन है?”

“माफ करना दीदी मैं यहां बात बात कर हम दोनों की मां पदमा को शर्मसार नहीं कर सकता हो सकता है उन्होंने कभी भावावेश में आकर किसी पर पुरुष से संबंध बनाए हों पर अब उसे बारे में बात करना उचित नहीं होगा”

सुगना महसूस कर रही थी कि उसके और सोनू के बीच बातचीत संजीदा हो रही थी। उधर सुगना आज स्वयं मिलन का मूड बनाए हुए थी। उसने अपना ध्यान दूसरी तरफ केंद्रित किया और सोनू को उकसाते हुए बोली..

“तोरा अपना बहिनी के संग ही मन लागेला का?”

काहे? सोनू ने उत्सुकता बस पूछा।

“ते पहिले लाली के संग भी सुतत रहले अब हमरो में ओ ही में घासीट लीहले”

आशय

तुम पहले लाली के साथ भी सो रहे थे और बाद में मुझे भी उसमें घसीट लिया।

अब सोनू भी पूरी तरह मूड में आ चुका था उसने कहा..

“तोहर लोग के प्यार अनूठा बा…”

काहे…? सुगना ने सोनू के मनोभाव को समझने की चेष्टा की।

सोनू ने अपना बाया हाथ बढ़ाकर सुगना की जांघों को दबाने का प्रयास किया पर सुगना ने उसकी कलाई पकड़ ली और खुद से दूर करते हुए बोली।

“ठीक से गाड़ी चलाओ ई सब घर पहुंच कर”

सुगना की बात सुनकर सोनू बाग बाग हो गया उसने गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी सुगना मुस्कुराने लगी उसने सोनू की जांघों पर हाथ रखकर बोला

“अरे सोनू तनी धीरे चल नाता हमरा के बिस्तर पर ले जाए से पहले अस्पताल पहुंचा देबे” सुगना खिलखिलाकर हंस पड़ी।

हस्ती खिलखिलाती सुगना को यदि कोई मर्द देख ले तो उसकी नपुंसकता कुछ ही पलों में समाप्त हो जाए ऐसी खूबसूरत और चंचल थी सुगना सोनू ने अपनी रफ़्तार कुछ कम की और मन ही मन सुगना को खुश और संतुष्ट करने के लिए प्लानिंग करने लगा।

उधर सुगना भी सोनू को खुश करने के बारे में सोच रही थी। आज वह उसे दीपावली की काली रात में घटित पाप को पूरी सहमति और समर्पण के साथ अपनाने जा रही थी।

आईये अब उधर दक्षिण अफ्रीका में सोनी और विकास का हाल-चाल ले लेते हैं वह भी विकास की जुबानी​


(मैं विकास)

खाना खाने के पश्चात मैं और सोनीटहलते हुए होटल के शॉपिंग एरिया में आ गए थे

मैंने सोनीके लिए कुछ उपहार खरीदे वही पास में एक मसाज सेंटर था। सोनीअपने लिए कुछ छोटे-मोटे सामान खरीद रही थी तब तक मैं उस मसाज सेंटर में चला गया। यह मसाज सेंटर अद्भुत था मैंने रिसेप्शनिस्ट से वहां मिल रही सुविधाओं के बारे में जानना चाहा उसने मुझे ब्राउज़र दे दिया और कहा सर इसमें सभी प्रकार की सुविधाएं हैं आप अपनी इच्छा अनुसार जो सुविधा चाहिए वह पसंद कर सकते हैं। यह सारी बातें उसने धाराप्रवाह अंग्रेजी में समझायीं।

मैं ब्राउज़र लेकर वापस आ गया। सोनीबहुत खुश थी मैं उसे एक लिंगरी शॉप में ले गया मैंने सोनीके लिए कई सारे लिंगरी सेट खरीदें। वहां मिलने वाली ब्रा और पेंटी बहुत ही खूबसूरत थी। और उनमें एक अलग किस्म की कामुकता थी। सोनीउसे देखकर शरमा रही थी। पता नहीं सोनीमें ऐसी कौन सी खासियत थी कि ऐसे अद्भुत कामुक कार्य करने के बाद भी वह उसी सादगी और सौम्यता से मेरी प्यारी बन जाती और छोटी-छोटी बातों पर उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता सुगना की कुछ खूबियां सोनी में भी आ गईं थीं

हम सब कुछ देर बाद होटल वापस आ चुके थे।

रात में मैं और सोनीअल्बर्ट के बारे में बातें कर रहे थे सोनीअल्बर्ट के लिंग के बारे में मुझसे खुलकर बात कर रही वह अपनी कोहनी से हाथ की कलाई को दिखाते हुए बोली विकास उसका लिंग इतना बड़ा और एकदम काला था।

मैं उसकी बात सुनकर हंस रहा था सोनीके कोमल हाथों मैं मैं उसके लिंग की कल्पना से ही अत्यंत उत्तेजित हो उठा। सोनीमेरे ऊपर आ चुकी थी और अपनी कमर को धीरे धीरे हिला रही मैं उसके स्तनों को अपने सीने में सटाए हुए उसे चूम रहा था।

उसके कोमल नितंबों पर हाथ फेरते हुए मुझे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी। आज सोनीने जो किया था वह शाबाशी की हकदार थी मैं उसके नितंबों पर हल्के हाथों से थपथपा कर उसके अदम्य साहस की तारीफ कर रहा था और वह मेरी तरफ देख कर कामुकता भरी निगाहों से मुस्कुरा रही थी।

अचानक मैंने उससे कहा

"सोनीयदि अल्बर्ट का काला लिंग तुम्हारी बुरमें होता तो?"

वह मुस्कुराई और बोली

"यह बुर तब आपके किसी काम की नहीं रहती"

मैंने उसे फिर छेड़ा अरे यह सोनी जिम्नास्ट की बुरहै… उंगली और अंगूठे को एक जैसा ही पकड़ती है।.

मेरी इन उत्तेजक बातों से सोनीकी कमर तेजी से हिलने लगी थी ऐसा लग रहा था जैसे वह भी इस कल्पना से ही उत्तेजित हो रही थी। मैंने उससे फिर कहा

" एक बार कल्पना करो कि यह अल्बर्ट का काला लिंग है" वह शरमा गई उसमें मेरे गालों पर चिकोटी काटी उसकी कमर अभी भी तेजी से चल रही थी। उसने आंखें बंद कर ली अचानक मैंने उसकी कमर में अद्भुत तेजी दिखी चेहरा तमतमाता हुआ लाल हो चुका था।

मेरी सोनी स्खलित हो रही थी मैने भी अपना योगदान देकर उसके स्खलन को और उत्तेजना प्रदान की और स्वयं भी स्खलित हो गया। मैंने उसके चेहरे पर ऐसी उत्तेजना आज के पहले कभी नहीं देखी थी उसकी बुर ने आज जी भर कर प्रेम रस छोड़ा था मैं उसकी उत्तेजना से स्वयं विस्मित था। मेरे हाथ उसके नितंबों को सहला रहे थे और वह निढाल होकर मेरे सीने पर गिर चुकी थी।

मैंने मन ही मन सोच लिया था हो ना हो यह अल्बर्ट के लिंग की कल्पना मात्र का परिणाम था। हम दोनों संभोग के पश्चात मेरे द्वारा लाए गए मसाज पार्लर का ब्राउज़र पड़ने लगी मैंने सोनीकी तरफ एक बार फिर देखा और बोला चलो ना कल ट्राई करते हैं फिर यह मौका कहां मिलेगा वह शर्मा रही थी पर अंत में उसने मुझसे चिपकते हुए बोला ठीक है पर आप वही रहेंगे तभी और जरूरत पड़ने पर मेरी मदद करेंगे। मैं यह रिस्क अकेले नहीं ले पाऊंगी मैंने भी इस अद्भुत मिलन के लिए अपनी सहमति दे दी। मैं भी मन ही मन इस उत्तेजक संभोग को देखना चाहता था।

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।

अगले एपिसोड में आप क्या पढ़ना चाहेंगे
1 सोनू और सुगना का मिलन
Ya
2 सोनी का अद्भुत मसाज
आप सभी पाठकों के कॉमेंट्स का इंतजार रहेगा

सोनी की मसाज और रगड़ने मसलने तक तो ठीक है लवली भाई परन्तु निग्रो से चुदवा मत देना, वो काम सरयु सिंह के लिए ही रखना।
 

Lovely Anand

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सस्स्स् लगता है अब मोनी के कोमार्य भेदन का समय नजदीक है।
Padhate jaaieye
वाह आनंद जी... आख़िरकार चिर प्रतिशित सुगना और सोनू का सम्भोग कार्यक्रम शुरू हुआ।दोनों आज अकेले मैं जवानी के सागर भी खूब गोते लगाने को तैयार है। सोनू एक तगड़ा जवान मर्द और सुगना एक जवान मदमस्त योवना। रिश्ते की परिभाषा और महत्वत्ता को पीछे छोड़ दोनों एक दूजे को संपूर्ण आनंद और संतुष्टि देने को उत्तावले हैं..:आशा है अगला अपडेट और कामुक और रसभरा होगा
Dekhte hai...
Bahot hi khubsurati se likh rahe bhai 👌👌👌👍👍☺️
Thanks
Lovely bhai update kab aayega.
Jald
सोनी की उत्तेजना तो बढ़ती ही जा रही हैं, कही सरयु सिंह से पेहले निग्रो ही ना फाड़ डाले।
Kuchh chijen niyati ke hath chhod dijiye
Bahut hi kamuk update tha bhai sahab
Thanks
Nice But Moni Ko Bhi Lekar Aiyye Beech beech mein
Aayge sabra rakhen
बहोत अच्छे बहोत badhiya update diya hai ✍️ 👌 😍 😋
👌👌✍️✍️👌👌👌👌😍😍😍🔥🔥🔥👙👙💦💦💦💦💦💦💦💦💦
Thanks
please share update 120
Sent
Missings parts को पढ़के बहुत मजा आया।
धन्यवाद लवली जी missings parts share करने के लिए।
अगले update की इंतजार रहेगी।।
Thanks
सोनी की मसाज और रगड़ने मसलने तक तो ठीक है लवली भाई परन्तु निग्रो से चुदवा मत देना, वो काम सरयु सिंह के लिए ही रखना।
Dekhy Kya hota hai
Khubsurat or kamuk update
Welcome Back afTer a long time
 
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Lovely Anand

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।
 
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ChaityBabu

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं छाया)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में स्टीफन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। स्टीफन अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह स्टीफन की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।
So Soni Got BLACKED. Par Ye Chhaya Kaun Hai
 
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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं छाया)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में स्टीफन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। स्टीफन अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह स्टीफन की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।
बहुत ही जबर्दस्त और अद्भुत अपडेट दिया है आपने ! इसमें शायद कोई त्रुटि हुई है आपने छाया नाम लिखा है शायद सोनी की बजाय !

एक दम कामुक और जबर्दस्त 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं छाया)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में स्टीफन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। स्टीफन अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह स्टीफन की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।
अद्भुत लेखन शानदार प्रस्तुति
 
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