Office and Stressful life
No time to write
wait few more days
Take care of yourself and your family
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1st Runner-Up | 1500 Rupees + ![]() |
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Kabhi Kabhi tere jaiso ki maa ko chodne me busy ho jaate haiSare Writer ese hi apni maa chuda lete hai.... Aadhi story chod kr.
अपडेट ३
सुबह 6 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सभ्या चाची (कल्लू की मां) आंगन में झाड़ू लगा रही है, सभ्या चाची सुबह घर पर झाड़ू और बर्तन करने के लिए आती थी उन्होंने एक ढीली ब्लाउज और पुरानी साड़ी पहनी हुई थी और मैं केवल धोती में चारपाई पर लेटा हुआ था, मैंने देखा कि सभ्या चाची झाड़ू लगाते हुए मेरी धोती की तरफ बार बार देख रही थी, तभी मैंने ध्यान दिया कि मेरी धोती में तम्बू बना हुआ है, सुबह का वक्त था इसलिए मेरा लन्ड धोती में अपनी औकात में खड़ा था, सभ्या चाची झुक कर झाड़ू लगा रही थी मेरी नजर जैसे ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरा लन्ड धोती में फड़कने लगा, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में झाड़ू लगाने चली गई तो मैं चारपाई से उठकर घर के पिछवाड़े में मूतने चला गया।
फिर मैं घर के पिछवाड़े में ही कसरत करने लगा, बचपन से मेरी आदत थी की सुबह–सुबह मैं देसी दंड मार लिया करता था, कुछ देर बाद सभ्या चाची कमरे से झाड़ू लगाकर बाहर निकली और आंगन के नल से बाल्टी में पानी भरकर पोछा लगाने लगी, मैंने आंगन में सभ्या चाची की तरफ ध्यान दिया तो मेरे तो होश ही उड़ गए, सभ्या चाची अपने घुटनों के बाल बैठके फर्श पर पोछा लगा रही था, मुझे उनकी साड़ी में कैद उनकी भारी गांड नजर आ रही थी, सभ्या चाची ऐसे झुकी हुई थी कि उनकी साड़ी में से उनकी पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी, सभ्या चाची के भारी चूतड़ों को छोटी सी पैंटी में कैद देख मैं पागल होने लगा और फिर से मेरा लन्ड धोती में तनकर खड़ा हो गया था, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में पोछा लगाने चली गई।
घर के पिछवाड़े में ही गुसलखाना बना था, मैं अपना तौलिया लेकर नहाने चला गया।
कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर निकला तो देखा कि ताईजी आंगन में चारपाई पर बैठकर चाय पी रही थी, सभ्या चाची रसोईघर में बर्तन कर रही थी और शीला भाभी खाना बना रही थी, भीमा भईया ने मुझे देखा तो वह तौलिया लेकर नहाने चल दिए, इधर पीहू दीदी अभी तक अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रही थी, फिर मैंने अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के लिए कुर्सी पर बैठ गया।
करीब एक घंटे के बाद भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके बाइक से बाजार के लिए निकल चुके थे, बाजार में उनके कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है। कुछ देर बाद मैंने भोजन किया और साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, आज कोचिंग बंद थी मुझे तो ताईजी पर नजर रखनी थी इसलिए मैं कोचिंग का बहाना देकर घर से बाहर निकला था, मैने अपनी साइकिल को ताईजी के गन्ने के खेत में छुपा दिया और घर से थोड़ी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पीछे आकर छुप गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे दोस्त राज की बहन रजनी ताईजी के घर में गई है, कुछ देर के बाद मैंने देखा कि रजनी दीदी और पीहू दीदी एक साथ घर से बाहर निकली और पता नही किसलिए प्रधान जी के हवेली की तरफ चली गई, कुछ समय बाद सभ्या चाची एक गठरी में कपड़े लेकर घर से बाहर आई और गांव की नदी के किनारे चली गई।
अब 10 बज चुके थे लेकिन ताईजी अभी तक घर में ही थी, कुछ देर बाद ताईजी घर से बाहर आई और घर के फाटक पर कुंडी मारकर अपने आम के बगीचों की तरफ जाने लगी। मैं चुपके से बरगद के पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे धीरे ताईजी के पीछे चलने लगा, मैं बहुत दूर था इसलिए ताईजी मुझे देख नही सकती थी और मुझे भी इस बात की बड़ी चिंता थी कि कहीं ताईजी मेरी आंखों से ओझल न हो जाए और ठीक ऐसा ही हुआ, कुछ दूर के बाद ताईजी मेरी आंखों से ओझल हो गई, मैंने आम के बगीचों में ताईजी को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे ताईजी कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी, मैंने ऐसी ही आधा घंटा तक ताईजी को आम के बगीचे में ढूंढता रहा और फिर थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, तभी मुझे ध्यान आया कि आम के बगीचे के पीछे एक पंपहाउस है वहां तो मैंने देखा ही नहीं।
फिर मैं थोड़ा जोश में उठकर खड़ा हुआ और थोड़ी देर चलने के बाद मुझे पंपहाउस नजर आ गया।
मैं अभी पंपहाउस से थोड़ा दूर ही था कि मुझे किसी की सिसकियां सुनाई पड़ी, आवाज ताईजी की ही थी कल जैसे आह्ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह कर रही थी , मैं समझ गया कि अंदर खेल चालू है, मैं पंपहाउस के पास पहुंचा तो ताईजी की सिसकियां और तेज होने लगी, कल तो ताईजी को डर था कि कोई आ न जाए इसलिए धीरे आवाज कर रही थी पर आज उन्हें यकीन था कि यहां कोई आने वाला नही है इसलिए वह बिना किसी डर के सिसकियां भर रही हैं, पंपहाउस का दरवाजा लकड़ी से बना था और अंदर से लॉक था।
मैंने keyhole से देखा कि ताईजी बिलकुल नग्न अवस्था में गद्दे पर कल्लू के ऊपर बैठी है और कल्लू का लन्ड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है, पंपहाउस में झोपड़ी जितना अंधेरा तो नहीं था लेकिन keyhole से ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था, ताईजी की चूचियां सच में बहुत बड़ी बड़ी थी और इस उम्र में भी उनकी चूचियां लटकी नही थी लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ हो गई थी पर इतनी बड़ी बड़ी चूचियां थी तो नीचे झुकना तो जायज था।
ताईजी ऊपर नीचे हो रही थी और कल्लू का लन्ड ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कल के मुकाबले आज कल्लू का लन्ड थोड़ा मोटा लग रहा था और उसके लन्ड की लंबाई छोटी लग रही थी, कल्लू का लन्ड भूरे रंग लग रहा था जबकि कल तक उसका लन्ड काला था। मैंने सोचा कि कल उसका लन्ड काला इसलिए लग रहा होगा क्योंकि झोपड़ी में अंधेरा था लेकिन उसका लन्ड आज मोटा कैसे हो गया और लंबाई में छोटा। अब मैं समझ गया कि यह कल्लू नही है, आखिर कौन हो सकता है, तभी मुझे नजर आया कि पंपहाउस में दो नहीं चार लोग हैं।
मैंने देखा कि कोई ताईजी से कुछ दूर खड़ा हुआ है और अपने लन्ड को किसी औरत के मुंह में डालकर अंदर बाहर कर रहा है, मैंने उसके लन्ड को ध्यान से देखा तो पता चला कि वह कोई और नही बल्कि कल्लू ही है लेकिन अब वह औरत कौन है जो कल्लू का लन्ड चूस रही है और ताईजी किसके लन्ड के ऊपर इतना उछल–उछल कर चुद रही है,,,, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। इधर ताईजी बहुत तेजी से अपनी गांड को उस आदमी के मोटे भूरे लन्ड पर पटक रही थी और उधर उस औरत ने कल्लू के लंबे काले लन्ड को अपने गले तक उतार लिया था। ताईजी नग्न अवस्था में थी जबकि वह औरत हरे रंग की सलवार कमीज में थी लेकिन उसकी सलवार घुटनों तक सरकी हुई थी और कमीज़ उसके स्तन के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, बड़ी गोरी चिट्ठी औरत थी, उसकी चूचियां भी बड़ी बड़ी थीं लेकिन ताईजी के जितनी बड़ी नही थीं, उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इधर ताईजी उस आदमी के ऊपर झुक गई थी और वह आदमी ताईजी की गांड को थामकर उनकी चूत में अपने लन्ड के ताबड़तोड़ धक्के जड़ रहा था लेकिन वह आदमी थोड़ी भी आवाज नहीं कर रहा था मुझे सच में ताईजी किसी बाजार की रण्डी लग रही थी।
अपडेट ३सुबह 6 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सभ्या चाची (कल्लू की मां) आंगन में झाड़ू लगा रही है, सभ्या चाची सुबह घर पर झाड़ू और बर्तन करने के लिए आती थी उन्होंने एक ढीली ब्लाउज और पुरानी साड़ी पहनी हुई थी और मैं केवल धोती में चारपाई पर लेटा हुआ था, मैंने देखा कि सभ्या चाची झाड़ू लगाते हुए मेरी धोती की तरफ बार बार देख रही थी, तभी मैंने ध्यान दिया कि मेरी धोती में तम्बू बना हुआ है, सुबह का वक्त था इसलिए मेरा लन्ड धोती में अपनी औकात में खड़ा था, सभ्या चाची झुक कर झाड़ू लगा रही थी मेरी नजर जैसे ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरा लन्ड धोती में फड़कने लगा, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में झाड़ू लगाने चली गई तो मैं चारपाई से उठकर घर के पिछवाड़े में मूतने चला गया।फिर मैं घर के पिछवाड़े में ही कसरत करने लगा, बचपन से मेरी आदत थी की सुबह–सुबह मैं देसी दंड मार लिया करता था, कुछ देर बाद सभ्या चाची कमरे से झाड़ू लगाकर बाहर निकली और आंगन के नल से बाल्टी में पानी भरकर पोछा लगाने लगी, मैंने आंगन में सभ्या चाची की तरफ ध्यान दिया तो मेरे तो होश ही उड़ गए, सभ्या चाची अपने घुटनों के बाल बैठके फर्श पर पोछा लगा रही था, मुझे उनकी साड़ी में कैद उनकी भारी गांड नजर आ रही थी, सभ्या चाची ऐसे झुकी हुई थी कि उनकी साड़ी में से उनकी पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी, सभ्या चाची के भारी चूतड़ों को छोटी सी पैंटी में कैद देख मैं पागल होने लगा और फिर से मेरा लन्ड धोती में तनकर खड़ा हो गया था, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में पोछा लगाने चली गई।घर के पिछवाड़े में ही गुसलखाना बना था, मैं अपना तौलिया लेकर नहाने चला गया।कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर निकला तो देखा कि ताईजी आंगन में चारपाई पर बैठकर चाय पी रही थी, सभ्या चाची रसोईघर में बर्तन कर रही थी और शीला भाभी खाना बना रही थी, भीमा भईया ने मुझे देखा तो वह तौलिया लेकर नहाने चल दिए, इधर पीहू दीदी अभी तक अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रही थी, फिर मैंने अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के लिए कुर्सी पर बैठ गया।करीब एक घंटे के बाद भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके बाइक से बाजार के लिए निकल चुके थे, बाजार में उनके कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है। कुछ देर बाद मैंने भोजन किया और साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, आज कोचिंग बंद थी मुझे तो ताईजी पर नजर रखनी थी इसलिए मैं कोचिंग का बहाना देकर घर से बाहर निकला था, मैने अपनी साइकिल को ताईजी के गन्ने के खेत में छुपा दिया और घर से थोड़ी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पीछे आकर छुप गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे दोस्त राज की बहन रजनी ताईजी के घर में गई है, कुछ देर के बाद मैंने देखा कि रजनी दीदी और पीहू दीदी एक साथ घर से बाहर निकली और पता नही किसलिए प्रधान जी के हवेली की तरफ चली गई, कुछ समय बाद सभ्या चाची एक गठरी में कपड़े लेकर घर से बाहर आई और गांव की नदी के किनारे चली गई।अब 10 बज चुके थे लेकिन ताईजी अभी तक घर में ही थी, कुछ देर बाद ताईजी घर से बाहर आई और घर के फाटक पर कुंडी मारकर अपने आम के बगीचों की तरफ जाने लगी। मैं चुपके से बरगद के पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे धीरे ताईजी के पीछे चलने लगा, मैं बहुत दूर था इसलिए ताईजी मुझे देख नही सकती थी और मुझे भी इस बात की बड़ी चिंता थी कि कहीं ताईजी मेरी आंखों से ओझल न हो जाए और ठीक ऐसा ही हुआ, कुछ दूर के बाद ताईजी मेरी आंखों से ओझल हो गई, मैंने आम के बगीचों में ताईजी को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे ताईजी कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी, मैंने ऐसी ही आधा घंटा तक ताईजी को आम के बगीचे में ढूंढता रहा और फिर थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, तभी मुझे ध्यान आया कि आम के बगीचे के पीछे एक पंपहाउस है वहां तो मैंने देखा ही नहीं।फिर मैं थोड़ा जोश में उठकर खड़ा हुआ और थोड़ी देर चलने के बाद मुझे पंपहाउस नजर आ गया।मैं अभी पंपहाउस से थोड़ा दूर ही था कि मुझे किसी की सिसकियां सुनाई पड़ी, आवाज ताईजी की ही थी कल जैसे आह्ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह कर रही थी , मैं समझ गया कि अंदर खेल चालू है, मैं पंपहाउस के पास पहुंचा तो ताईजी की सिसकियां और तेज होने लगी, कल तो ताईजी को डर था कि कोई आ न जाए इसलिए धीरे आवाज कर रही थी पर आज उन्हें यकीन था कि यहां कोई आने वाला नही है इसलिए वह बिना किसी डर के सिसकियां भर रही हैं, पंपहाउस का दरवाजा लकड़ी से बना था और अंदर से लॉक था।मैंने keyhole से देखा कि ताईजी बिलकुल नग्न अवस्था में गद्दे पर कल्लू के ऊपर बैठी है और कल्लू का लन्ड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है, पंपहाउस में झोपड़ी जितना अंधेरा तो नहीं था लेकिन keyhole से ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था, ताईजी की चूचियां सच में बहुत बड़ी बड़ी थी और इस उम्र में भी उनकी चूचियां लटकी नही थी लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ हो गई थी पर इतनी बड़ी बड़ी चूचियां थी तो नीचे झुकना तो जायज था।ताईजी ऊपर नीचे हो रही थी और कल्लू का लन्ड ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कल के मुकाबले आज कल्लू का लन्ड थोड़ा मोटा लग रहा था और उसके लन्ड की लंबाई छोटी लग रही थी, कल्लू का लन्ड भूरे रंग लग रहा था जबकि कल तक उसका लन्ड काला था। मैंने सोचा कि कल उसका लन्ड काला इसलिए लग रहा होगा क्योंकि झोपड़ी में अंधेरा था लेकिन उसका लन्ड आज मोटा कैसे हो गया और लंबाई में छोटा। अब मैं समझ गया कि यह कल्लू नही है, आखिर कौन हो सकता है, तभी मुझे नजर आया कि पंपहाउस में दो नहीं चार लोग हैं।मैंने देखा कि कोई ताईजी से कुछ दूर खड़ा हुआ है और अपने लन्ड को किसी औरत के मुंह में डालकर अंदर बाहर कर रहा है, मैंने उसके लन्ड को ध्यान से देखा तो पता चला कि वह कोई और नही बल्कि कल्लू ही है लेकिन अब वह औरत कौन है जो कल्लू का लन्ड चूस रही है और ताईजी किसके लन्ड के ऊपर इतना उछल–उछल कर चुद रही है,,,, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। इधर ताईजी बहुत तेजी से अपनी गांड को उस आदमी के मोटे भूरे लन्ड पर पटक रही थी और उधर उस औरत ने कल्लू के लंबे काले लन्ड को अपने गले तक उतार लिया था। ताईजी नग्न अवस्था में थी जबकि वह औरत हरे रंग की सलवार कमीज में थी लेकिन उसकी सलवार घुटनों तक सरकी हुई थी और कमीज़ उसके स्तन के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, बड़ी गोरी चिट्ठी औरत थी, उसकी चूचियां भी बड़ी बड़ी थीं लेकिन ताईजी के जितनी बड़ी नही थीं, उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इधर ताईजी उस आदमी के ऊपर झुक गई थी और वह आदमी ताईजी की गांड को थामकर उनकी चूत में अपने लन्ड के ताबड़तोड़ धक्के जड़ रहा था लेकिन वह आदमी थोड़ी भी आवाज नहीं कर रहा था मुझे सच में ताईजी किसी बाजार की रण्डी लग रही थी।
Nice updateIndex–
update 1 update 2 update 3 update 4
update 5 update 6 update 7 update 8
update 9 update 10 update 11 update 12
update 13 update 14 update 15 update 16
update 17 update 18 update 19 update 20
update 21 update 22 update 23 update 24
update 25 update 26 update 27 update 28
Introduction–
मेरा नाम बलराम है मेरी उम्र 20 साल है, मेरे बारहवीं में 90% अंक आए थे इसलिए मेरे मां बापू ने आगे कॉम्पिटिशन और सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए मुझे मेरी ताइजी के गांव भेज दिया था क्योंकि वहां से शहर पास पड़ता था मैं साइकिल से कोचिंग जाता था, मेरे घर में मेरे मां बापू के अलावा मेरी दो बड़ी बहनें भी हैं लेकिन अभी के लिए इस कहानी में मेरे परिवार को कोई रोल नहीं है इसलिए मैं अपने परिवार का परिचय बाद में दूंगा।
मैं अपने ताईजी के घर में रहता था, मेरी ताईजी का नाम कजरी है उम्र करीब 50 साल है, देखने में थोड़ी मोटी हैं या यूं कहें कि गदराय जिस्म की मालकिन हैं, इनके पति की मौत को काफी साल हो चुके हैं। मेरी ताईजी अपने बेटे, बहू और अपनी बेटी के साथ रहती हैं, ताईजी के बेटे का नाम भीमा है , भीमा भईया की उम्र 30 साल है देखने में हट्ट कट्टे हैं, गांव के बाजार में कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है भीमा भईया की पत्नी का नाम शीला है, उम्र 26 साल है। शीला भाभी गांव की सबसे खूबसूरत औरतों में से एक हैं, जवान से लेकर बूढ़े और बच्चे भी शीला भाभी के दीवाने हैं। ताईजी की बेटी का नाम पीहू है पीहू दीदी की उम्र 26 साल है, इसके आगे पीछे गांव के जवान लड़के अपनी गांड हिलाए घूमते रहते हैं लेकिन ये किसी को भाव नहीं देती तो ये है मेरी ताईजी का छोटा सा परिवार।
इस गांव में मेरा एक दोस्त है जो की मेरे साथ कोचिंग में ही पढ़ता है, मेरे दोस्त का नाम राज है, जिसकी उम्र 20 साल है, राज थोड़ा शर्मिला है लेकिन बड़ा ही चतुर है। राज के बापू का नाम शम्भू है उम्र 48 साल है इनकी गांव में दूध की दुकान है राज की मां का नाम रागिनी है, उम्र 46 साल है, देखने में मदमस्त गदराई गाय लगती है, राज की बहन का नाम रजनी है उम्र 26 साल है, रजनी गांव की सबसे चुदक्कड़ लड़की है और पीहू दीदी की सहेली है।
मेरी ताईजी के खेत में एक नौकर काम करता है अपनी मजदूर विधवा मां के साथ जिसका नाम कल्लू है, कल्लू की उम्र 20 साल है, कल्लू की मां सभ्या की उम्र 43 साल है, सभ्या ताईजी के घर में खाना बनाने से लेकर झाड़ू पोछा और कपड़े धुलना सभी काम करती है। सभ्या की चाल में ही एक चुदक्कड़ रण्डी दिखती है इसके स्तन और गांड बहुत सुडोल हैं।
इस गांव के प्रधान का नाम है मुरारीलाल, उम्र करीब 52 साल है और देखने में थोड़ा गट्टा और मोटा सांड जैसा है। मुरारीलाल की पत्नी का नाम कमला है, उम्र 46 साल है गांव की सबसे चुदासी औरत है चूंकि मुरारीलाल तो बाहर के कुएं का पानी पी रहा होता है तो घर के कुएं का पानी कहां से पिएगा और इस चक्कर में कमला हिस्टीरिया की मरीज बन कर रह गई है , दिन रात अपनी चूत में उंगली डालकर बैठी रहती है। मुरारीलाल की एक बहन है मेनका उम्र 36 साल, इसकी शादी नहीं हुई है क्योंकि यह मांगलिक है। मुरारीलाल और कमला के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी, मुरारीलाल के बेटे का नाम सूरज है, उम्र 26 साल है, पीहू दीदी का सबसे बड़ा दीवाना है मुरारीलाल की बेटी का नाम डॉली है उम्र 22 साल है, डॉली बहुत ज़िद्दी और गुस्सैल प्रवृत्ति की है लेकिन उतनी ही खूबसूरत भी है, प्रधान की बेटी है इसलिए कोई इसके ऊपर नजर नहीं डालता। ।
मुरारीलाल अवैध धंधे भी करता है जैसे नशीले पदार्थ की स्मगलिंग इत्यादि, मुरारीलाल का नौकर हरिया इसके अवैध धंधे चलाता है, हरिया की उम्र 42 साल है अपनी पत्नी, बहन और बेटी के साथ गांव में ही रहता है। हरिया बहुत बड़ा नशेड़ी और चोदू किस्म का इंसान है, हरिया की पत्नी का नाम रेखा है उम्र 40 साल है, रेखा थोड़ी काली है लेकिन गदराया हुआ मस्त भारी भरकम जिस्म है, रेखा अपनी मालकिन कमला के सभी नाजायज काम करती है। हरिया और रेखा की बेटी मालती की उम्र 20 साल है, मेरा दोस्त राज मालती को बहुत पसंद करता है, मालती की चूचियां और गांड बेहद सुडोल हैं। हरिया की बहन का नाम कामिनी है उम्र 30 साल है, इसकी साड़ी को तीन साल हो चुके हैं लेकिन इसका पति गायब है और ये अपने बच्चे के साथ मायके आ गई है, देखने में कामिनी मस्त गदराई घोड़ी लगती है।
गांव में मेरी ताईजी के पड़ोस में शहनाज़ नाम की एक विधवा औरत रहती है शहनाज़ की उम्र 46 साल है, यह अपने घर में ही एक लेडीज टेलर की दुकान चलाती है, देखने में शहनाज़ बहुत गोरी चिट्ठी है और भरे हुए गदराए जिस्म की मालकिन है। शहनाज़ के परिवार में उसका बेटा , बहू और उसकी बेटी साथ में ही रहते हैं, शहनाज़ के बेटे का नाम शादाब है उम्र 30 साल है, देखने में अपनी मां के जैसे गोरा चिट्ठा है लेकिन हरकतें लड़की वाली हैं। शादाब की बीवी का नाम रुबीना है उम्र 26 साल है रुबीना और शादाब की शादी हुए छह साल हो चुके हैं, रुबीना बेहद खूबसूरत बदन की मालकिन है, देखने में बड़ी कमसिन लगती है लेकिन थोड़ी गुस्सैल स्वभाव की है रुबीना की अपनी सास बहुत लड़ाई झगड़े होते हैं। शहनाज़ की बेटी का नाम नुसरत है, उम्र 20 साल है नुसरत गांव की सबसे खूबसूरत जवान लड़कियों में से एक है, यह अपने घर में ही रहती है लेकिन कभी अगर अपनी अम्मी के साथ घर से बाहर निकलती है तो इसे देखने के लिए गांव के जवान लड़कों की कतार लग जाती है।