Office and Stressful life
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अपडेट १३
कुछ देर बाद ताईजी ब्लाउज और पेटीकोट में कमरे के अंदर दाखिल हुई, मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि ताईजी ने ब्लाउज के अंदर से ब्रा नहीं पहना था क्योंकि उनकी बड़ी बड़ी चुचियों की कड़क भूरे रंग की घुंडिया ब्लाउज के ऊपर से साफ दिखाई पड़ रही थी, फिर ताईजी धीरे से बिस्तर पर करवट लेकर लेट गई तभी मेरी नजर उनकी भारी गांड पर पड़ती है तो मैं दंग रह जाता हूं ताईजी ने पेटीकोट के अंदर पैंटी तक नहीं पहनी थी क्योंकि पेटीकोट के ऊपर से उनकी चर्बीदार गांड दिखाई पड़ रही थी अगर उन्होंने पैंटी पहनी होती तो पैंटी का आकार नजर आता जो नजर नहीं आ रहा था मतलब उनकी गांड पैंटी में कैद नहीं थी।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही ताईजी की गांड को घूरता रहा और धोती के ऊपर से लन्ड पकड़कर मुठ मारने लगा और मुझे पता नहीं कब नींद आ गई, फिर थोड़ी देर के बाद अचानक मेरी नींद खुलती है तो मैं देखता हू ताईजी मेरी तरफ करवट लेकर सोई हुई थी और उनका पेटीकोट ऊपर तक उठा हुआ था उनकी फूली हुई चिकनी चूत नजर आ रही थी मस्त गुलाबी चूत थी और ऊपर से उनके ब्लाउज के बटन खुले हुए थे जिसमे से उनकी बड़ी बड़ी चूचिया काफी ज्यादा बाहर निकली हुई थीं, मैंने थोड़ा आगे बढ़कर ताईजी के बूब्स को हाथों में पकड़कर सहलाने लगा, फिर मैंने उनके मोटे मोटे बूब्स को ब्लाउज से बाहर निकाल लिया और मुंह में भरकर चूसने लगा, ५ मिनट तक मैं ऐसे ही उनके चूचियों को चूसता रहा और सहलाता रहा, फिर मैंने अपने लन्ड को धोती से बाहर निकालकर पकड़ लिया, मेरा लन्ड तन कर खड़ा हो गया था और मैं मुठ मारने लगा।
तभी अचानक मेरी आंख खुल गई "अरे ये क्या मैं सपना देख रहा था" ऐसा मैंने मन में खुद से कहा, लेकिन तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे हाथ किसी नरम और मुलायम चीज़ पर थे मैने देखा कि सच में मेरे साथ ताईजी की बड़ी बड़ी मुलायम चूचियों पर थे, मैने हल्का सा ऊपर देखा तो मेरी गांड में धमाका हो गया मैंने देखा कि ताईजी की आंखें खुली हुई थीं और वह मुझे देख रही थीं मेरे हाथ उनकी चूचियों पर थे और मैंने महसूस किया कि कोई मेरे लन्ड को पकड़कर सहला रहा है मेरा लन्ड धोती के बाहर तनकर खड़ा था और ताईजी के हाथ में था ताईजी मेरे लन्ड को अपनी मुठ्ठी में भरकर आगे पीछे कर रही थी हमारी नजरें एक दूसरे से टकरा गई थीं लेकिन न तो मैने अपने हाथों से ताईजी की चूचियों को मसलना बंद किया न ही ताईजी में मेरे लन्ड को सहलाना बंद किया, न ताईजी कुछ बोल रही थी और न ही मैं।
मेरे पास सुनहरा मौका था और इस मौके को मैं किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नही देना चाहता था इसलिए मैंने थोड़ा हिम्मत दिखाई और आगे बढ़कर ताईजी की चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगा और ताईजी भी मेरे लन्ड को अपनी मुठ्ठी में भरकर सहला रही थी मेरे लन्ड की मोटाई ताईजी के कलाई जितनी थी जो बड़ी मुश्किल से उनकी मुठ्ठी में आ रहा था, कुछ देर उनकी रसीली चूचियों का रस निचोड़ने के बाद मैने ताईजी की आंखों में देखा तो हम दोनों की नजरें मिली और मैंने हल्के से ताईजी के होंठों को चूम लिया फिर एक के बाद एक २०–२२ चुम्मियां हल्के से उनके होंठों पर जड़ दिया ताईजी ने मेरा थोड़ा सा भी विरोध नहीं किया जिससे मेरी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई और इस बार मैं ताईजी के गुलाबी होंठों को अपने होंठों में जकड़कर चूसने लगा, ये मेरी जिंदगी का पहला चुम्बन था जिसमे सामने वाला भी मुझे रिस्पॉन्स दे रहा था वैसे तो मैं सोती हुई अपनी मां को चूम चुका था लेकिन यहां बात अलग थी यहां ताईजी चुम्बन में मेरा साथ दे रही थी, ताईजी मेरे होंठों को अपने गुलाबी होंठों में कैद करके चूस रही थी और अपनी जीभ को मेरे मुंह के अंदर डालकर हर तरह घुमा रही थी इधर ताईजी का हाथ मेरे लन्ड पर लगातार चल रहा है और उधर मेरे हाथ ताईजी की चूचियों को निचोड़ने में लगे हुए थे।
हम लोग २०–२५ मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते चूसते और सहलाते रहे फिर मैंने ताईजी के पेटीकोट पर हाथ रखकर ऊपर खिसका के उनकी कमर तक चढ़ा दिया और अपने हाथ को उनकी मंसाल जांघों पर फेरने लगा, फिर धीरे धीरे अपने हाथ को उनकी गुलाबी चूत पर फेरने लगा और हल्के हल्के उनकी चूत को सहलाने लगा और अपनी उंगलियों से उनकी चूत की पंखुड़ियो को कुरेदने लगा तो ताईजी मस्त हो गई और आआआह्ह करके सिसकियां भरने लगी, उसके बाद मैंने एक हाथ से ताईजी के पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उनके जिस्म से अलग करके उनकी चर्बीदार मटके जैसी गांड को नंगा कर दिया और दूसरे हाथ से उनके ब्लाउज का बटन खोलकर उनके कंधे से ऊपर की तरफ खिसका के उनकी बड़ी बड़ी पहाड़ जैसी चूचियों को नंगा कर दिया और फिर ताईजी के ऊपर लेट गया और एक हाथ से उनकी चूत मसलने लगा और दूसरे हाथ से उनकी चूचियां दबाने लगा।
ताईजी की हथेली में मेरा लन्ड कैद था इसलिए ताईजी को और मजा देने के लिए मैंने अपने लन्ड को ताईजी की हथेली से आजाद किया और हल्के हल्के अपने लन्ड को ताइजी की चूत पर रगड़ने लगा, ताईजी ने इशारा करके मुझे ऐसा करने से मना किया लेकिन मैं कहां मानने वाला था मैंने अपनी गांड को हवा में उछालकर हल्के से धक्का मारा और मेरा आधा लन्ड ताइजी की चूत की गहराई में धस गया।
ताईजी चिल्लाई लेकिन मैंने उनके मुंह पर हाथ रख दिया जिसके कारण उनकी आवाज दब गई, ये पहली बार था कि मेरा लन्ड किसी की चूत में गया था मुझे इस वक्त जिंदगी का सबसे हसीन खुशनुमा और प्यारा एहसास हो रहा था ऐसा लग रहा था कि इस वक्त मैं इस दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान हूं, ताईजी की चूत अंदर से बहुत गीली–गीली थी और बहुत ज्यादा नरम और मुलायम भी महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था कि मेरा लन्ड किसी पिघलती हुई आइस क्रीम में डूबा हुआ है लेकिन चूत अंदर से बहुत गर्म भी थी तो इसे लिक्विड हॉट चॉकलेट बोलना बेहतर रहेगा, मैने हल्के हल्के धक्के मारना चालू किया , मुझे मस्ती का एक अजीब एहसास हो रहा था जो आज तक मुठ मारते वक्त भी नही हुआ था, चूत में लन्ड पेलना हजार बार मुठ मारने जैसा लग रहा था, आज मैं सांतवे आसमान पर पहुंच गया था पता नही यहां तक पहुंचने के लिए मैं कबसे ख्वाइश कर रहा था।
मैंने हल्के हल्के अपने लन्ड को ताइजी की रसीली चूत में अंदर बाहर करना चालू किया और इसके साथ मैं ताईजी के गुलाबी होंठों को अपने होंठों में जकड़कर उनका रस चूस रहा था और अपनी जीभ को ताइजी के मुंह के अंदर घुसेड़कर उनके मुंह का मुआइना कर रहा था और मेरे दोनों हाथ बहुत मस्ती से ताईजी के थनों को मसल रहे थे, धीरे धीरे धक्के की गति तेज होने लगी जैसे जैसे मेरी लन्ड की गति ताईजी की चूत में बढ़ रही थी वैसे वैसे मस्ती बढ़ती जा रही थी और अब ताईजी नीचे से अपनी गांड उछालकर मेरे लन्ड को अपनी चूत की गहराइयों में लेने की कोशिश कर रही थी और मेरी पीठ पर हाथ रखकर पागलों की तरह मुझे सहला रही थी। मेरा दिल किया कि थोड़ा ताबड़तोड़ धक्के मारता हूं और फिर मैंने ताईजी की भारी गांड को हवा में उठाकर उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया ताकि धक्के की गति और तेज कर सकूं, अब मैंने एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्के लगाने चालू करे और ताईजी के मुंह पर एक हाथ रख दिया ताकि उनकी सिसकियां कमरे से बाहर न निकले, मैं ताईजी की आंखों में देखते हुए उन्हें ठोक रहा था लेकिन ताईजी के मुंह से सिसकियो के अलावा एक शब्द भी नही निकल रहा था।
आआआआह्हह्ह उह्ह्ह्ह्हहह्ह्ह ये हल्की हल्की सिसकियां मेरे शरीर को अंदर तक हिलाकर रख देती थी और मुझे बहुत मस्ती चढ़ने लगती थी, ताईजी की आवाज में एक अजीब सी हलचल होने लगी थी जिसकी वजह से मेरे शरीर में भी अजीब लहर उठने लगी थी ऐसा लग रहा था कि मैं किसी नई दुनिया में पहुंच गया हूं जहां ताईजी के नंगे जिस्म और उनकी मस्ती भरी सिसकियों के अलावा मुझे कुछ दिखाई और सुनाई नही दे रहा था, अचानक ताईजी का जिस्म झटके खाना शुरू कर दिया और उनकी सिसकियां पहले से और ज्यादा तेज और ऊंची हो गई और मैंने अपने हथेली की पकड़ को उनके मुंह पर कस लिया ताकि उनकी सिसकियां दबी रहें। मैं समझ गया था कि ताईजी अब झड़ रही हैं और गांड उछालकर जोरदार झटके मारते हुए ताइजी ने पानी छोड़ दिया, मुझे अपने लन्ड और आंड पर गीला–गीला महसूस होने लगा, करीब ३० सेकंड्स तक ताईजी झड़ती रही,
अब मेरा लन्ड चिकनाहट के साथ और तेज गति से ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था, मैंने ताईजी की गुलाबी चूत के परखच्चे उड़ाकर उसका भोसड़ा बना कर रख दिया था, ताईजी की चूत का रस निकल जाने के बाद उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ते हुए रुकने का इशारा किया लेकिन मैं रुकने वाला कहां था बल्कि उल्टा मैंने अपने लन्ड की गति उनके भोसड़े में और तेज कर दिया था, तभी पहली बार ताईजी ने विरोध करते हुए मेरी छाती पर हल्के से धक्का मारा लेकिन मैंने तुरंत उनके कंधों को पकड़ कर कस लिया और बहुत ताबड़तोड़ धक्के मार कर ताईजी को चोदने लगा, ताईजी अपने भारी जिस्म को इधर उधर पटकने लगी, उनकी आंखों में आसूं आने लगे थे लेकिन मेरे लिए यहां तक पहुंचकर रुकना बहुत मुश्किल था मैंने उनके आंसुओं को नजरंदाज कर दिया था।
अब मुझे १०–१२ मिनट हो गए थे ताईजी को ताबड़तोड़ गति से चोदते हुए, इस वक्त मुझे मेरी पहली चूदाई का नशा चढ़ा था मैं इतना डूब गया था उस नशे में कि अपनी ताईजी की आंखों से आने वाले आंसू भी मुझे रोक पाने में असमर्थ थे, ताईजी खुद को इधर उधर पटक रही थी और मुझे अपनी बाहों में कसके जकड़कर मेरी पीठ को अपने नाखूनों से नोचने लगी थी, ताईजी को लग रहा था कि मुझे दर्द होगा और मैं उन्हें छोड़ दूंगा, दर्द तो मुझे हो रहा था लेकिन इस दर्द में भी एक अजीब सा मजा था जिसने मुझे रोकने का नही बल्कि और तेज गति से चोदने का इशारा किया और मैं ताबड़तोड़ तरीके से ताइजी की चूत में अपना काला लन्ड घुसेड़ घुसेड़कर पेलने लगा, ऐसे ही और १०–१२ मिनट झटके ठोकने और ताईजी के तपड़ने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं तो मैंने अपने लन्ड के झटकों को ताईजी के भोसड़े में और बेरहम कर दिया और लन्ड का सारा वीर्य चूत में उड़ेल दिया, मुझे अपना वीर्य ताईजी की चूत में गिरता हुआ महसूस हुआ और हल्के हल्के झटकों के साथ मैं कपकपा कर झड़ता रहा और फिर मेरा शरीर बिलकुल ढीला पड़ गया तो मैंने अपना लन्ड ताईजी की चूत से बाहर निकाल लिया और बेसुध होकर पलट के बिस्तर पर लेट गया, मैं अपनी पहली चूदाई से इतना थक गया था कि मुझे पता नही चला कि कब नींद के आगोश में चला गया।
Badhiya update.अपडेट २४
अगले दिन मैं सुबह 7 बजे उठकर अपने नियम अनुसार कसरत करके नहाने चला गया। अब मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था मैं नहाकर धोती लपेटा और आंगन में चला गया। मैंने देखा कि पीहू दीदी चारपाई पर बैठी हुई है तो मैं उन्हें नजरंदाज करके अपने कमरे में चला गया तो पीछे पीछे पीहू दीदी भी मेरे कमरे में आ गई।
"क्या हुआ दीदी, अब क्या है?" मैं थोड़ा गुस्से में बोला
"भाई तू मां को सूरज के बारे में कुछ कहेगा तो नहीं" पीहू दीदी विनती करती हुई बोली
"मैंने वादा किया था कि कुछ नहीं कहूंगा लेकिन आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी"
"भाई मैं सब कुछ करूंगी अपने प्यार के लिए"
"तो सूरज को कॉल करके बता देना कि आप कुछ दिन के लिए अपने चाचा के घर जा रही हो और आप अब घर से बाहर नहीं जाओगी और न ही सूरज से फोन पर बात करोगी।"
"लेकिन भाई"
"आपको मुझ पर विश्वास है ना! तो फिर मेरी इतनी बात मान लीजिए"
"ठीक है भाई मुझे पता नहीं तू क्या सोच रहा है लेकिन मुझे तुझ पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है"
इतना कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में नहाने चली जाती हैं, और मैं कुछ सोचता हुआ खेत में चला आता हूं, खेत में मुझे कल्लू दिखाई देता है जिसकी मुझे तलाश थी, मैं कल्लू के पास चला जाता हूं।
"राम राम बाबूजी, आप इतनी सुबह यहां खेत में क्या कर रहे हैं?"
"अरे मैं तो ऐसे ही घूमने फिरने आया था, तुम इतनी सुबह हल चला रहे हो, बहुत मेहनत करते हो भाई"
"बाबूजी पापी पेट का सवाल है, जब मेहनत करेंगे तभी तो खाने के लिए मिलेगा"
"ये बात भी ठीक है लो ये रख लो" मैंने ५०० रुपए का नोट कल्लू की तरफ बढ़ा दिया।
"ये किसलिए बाबूजी?"
"अरे पूछो मत रख लो"
"नहीं बाबूजी"
"शरमाओ नहीं तुम्हारी मां के लिए हैं, साड़ी खरीद देना सभ्या चाची के लिए"
कल्लू ५०० का नोट मुझसे लेकर रख लेता है।
"बाबूजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद"
"५०० और दूंगा लेकिन उसके लिए एक छोटा सा काम करना पड़ेगा"
"बाबूजी आप हुकुम कीजिए"
"तुम्हे प्रधान जी के बेटे सूरज पर नजर रखनी पड़ेगी, सुबह से लेकर रात तक सूरज क्या करता है? कहां जाता है? सब कुछ पता करना पड़ेगा"
"नहीं बाबूजी प्रधान जी का बेटा नहीं बाकी गांव में किसी पर भी नजर रख लेंगे"
"१००० रुपए दूंगा"
"ठीक है बाबूजी आपके लिए कर रहा हूं।"
"और सुन मुझे पल–पल की खबर चाहिए, अभी से चालू हो जा"
फिर कल्लू हल रखकर वहां से चला जाता है, तभी मैं सभ्या चाची को सब्जियों के खेत में घूमते देखता हूं।
"सभ्या चाची इधर आना"
सभ्या चाची दौड़कर मेरे पास आने लगती है और उनकी चूचियां बहुत जोर जोर से ऊपर नीचे हिलती जाती हैं, सच कहूं तो मन कर रहा था कि यहीं सभ्या चाची को पटक के पेल दूं लेकिन मैं रागिनी काकी वाली गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहता था।
"क्या हुआ बेटा तू इतनी सवेरे यहां किसलिए आया है?"
"चाची उस दिन हम दोनों के बीच शर्त लगी थी और मैं जीता था याद है की नहीं?"
"हां बेटा और मुझे ये भी याद है कि मुझे २४ घंटों के लिए तेरी सेवा करनी है लेकिन उस दिन के बाद तू पता नही कहां गायब हो गया"
"चाची मुझे कुछ काम आ गया था इसलिए याद नहीं रहा, आज फुरसत में हूं अब देखना कितनी मेहनत करवाता हूं।"
"मैं अपने बेटे की सेवा नहीं करूंगी तो कौन करेगा"
"आओ चाची पंपहाउस में बैठते हैं मेरे लिए चारपाई लगाओ और पानी लेकर आओ बहुत प्यास लगी है"
सभ्या चाची भागकर पंपहाउस में जाती है जिससे उनकी मोटी भरावदार गांड़ थिरकन करने लगती है, मेरा मन किया कि साली की गांड़ दबोचकर चूम लूं, मुझे खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो रहा था मैंने सोचा कि सभ्या चाची को पंपहाउस में घुसते ही दबोच लेता हूं लेकिन ऐसा करता तो सब कुछ सत्यानाश हो जाता।
सभ्या चाची पंपहाउस के अंदर मेरे लिए चारपाई लगाती हैं और पानी लेने मटके के पास चली जाती हैं मैं सभ्या चाची के जिस्म के कटाव ताड़ते हुए चारपाई पर बैठता हूं।
"लो बेटा पानी" सभ्या चाची मुझे पानी का ग्लास देती हुई बोली
सभ्या चाची पानी देने के लिए झुकी हुई थी तो मैंने उनकी उंगलियों को स्पर्श करते हुए ग्लास का पानी उनकी साड़ी पर गिरा दिया और ऐसे दर्शाया जैसे की मुझसे गलती से गिरा हो।
"ओह चाची माफ कीजिए"
"ये क्या मेरी साड़ी गीली हो गई, अब मुझे अपने कमरे तक जाना पड़ेगा"
"कोई बात नहीं चाची साड़ी उतार कर बाहर डाल दीजिए कुछ देर में सूख जाएगी"
"ये तू क्या कह रहा है बेटा"
"चाची ठीक ही तो कह रहा हूं"
"कोई देखेगा तो क्या सोचेगा"
"चाची यहां कोई नहीं आएगा आप निश्चिंत हो जाओ"
"कल्लू देख लेगा तो गजब हो जाएगा"
"चाची कल्लू किसी काम से गया है शाम तक आएगा, और क्या कल्लू के जैसे मैं आपका बेटा नहीं हूं जो मुझसे इतना शर्मा रही हो"
"ऐसी कोई शर्म वाली बात नहीं है, चल ठीक है कर रही हूं" इतना कहकर सभ्या चाची ने अपनी साड़ी उतार कर बाहर झाड़ियों पर सुखाने के लिए डाल दी।
सभ्या चाची को ब्लाउज और पेटीकोट में देख मेरे लन्ड में हल्की हल्की अकड़न आने लगी क्योंकि उन्होंने ब्लाउज और पेटीकोट के अंदर कुछ नहीं पहना था और ब्लाउज और पेटीकोट का कपड़ा इतना पारदर्शी था कि उनकी बड़ी बड़ी चूचिया और उभारदार गांड़ कपड़े के बाहर छलक रहे थे और उनकी चने के दाने जैसी घुंडियां और उनका भूरा रंग नजर आ रहा था।
"चाची बड़ी खूबसूरत लग रही हो कसम से" मैं सभ्या चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को घूरते हुए बोला
"चल झूठे मक्खन मत लगा" सभ्या चाची मुस्कुराती हुई बोली
"चाची सच में इस अवतार में तो आप कामदेवी से कम नही लग रही हो"
"बड़ा बदमाश हो गया है तू, अब बता क्या करना है।"
मैंने अपना मोबाइल चालू किया और उसमें एक गाना लगा दिया "बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया"
"मेरी प्यारी चाची इस गाने पर नाचना शुरू कीजिए"
"क्या?"
"चाची शर्त मैं जीता था जो मैं कहूंगा आपको करना पड़ेगा"
सभ्या चाची थोड़ा गुस्से वाला मुंह बनाकर आंख दिखाने लगी लेकिन आखिर में उन्होंने नाचना शुरू किया और जैसे जैसे गाने की घुन पर उनकी गांड़ थिरकने लगी तो मेरे लन्ड में भी तनाव आना शुरू हो गया, सभ्या चाची की मोटी गांड़ आपस से टकरा रही थी जिससे एक कामुक ध्वनि बजने लगी थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ब्लाउज फाड़कर बाहर आने लगी थी।
तभी मैंने दूसरा गाना लगा दिया "टिप टिप बरसा पानी" सभ्या चाची ने नाचना चालू रखा और मैं कहां अपनी शरारत से बाज आने वाला था इसलिए मैंने पंपहाउस में लगी हुई छोटी सी टोटी को चालू कर दिया जिसमे एक पाइप लगा हुआ था और पाइप से सभ्या चाची के ऊपर पानी की बौछार मारने लगा तो उनकी ब्लाउज और पेटीकोट ऊपर से नीचे तक गीला होने लगा।
"आह्ह ये क्या कर रहा है तू" सभ्या चाची नाचती हुई रुक कर बोली
"उफ्फफ्फ चाची मजा आ गया हाहाहाहा" मैं मुस्कुराते हुए बोला
अब सभ्या चाची मादरजात नंगी नजर आ रही थी उनके ब्लाउज और पेटीकोट के पीछे छुपा अनमोल खजाना मेरी आंखों की गर्मी के साथ मेरे लन्ड की गर्मी को भी बढ़ा रहा था। सभ्या चाची का पूरा जिस्म गीला हो चुका था वह अपनी बड़ी बड़ी रसदार चुचियों को अपने दोनो हाथों से ढक कर उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी।
"बेशरम ये क्या किया?" सभ्या चाची थोड़ा गुस्से में बोली
"चाची मैं थोड़ी मस्ती कर रहा था, आप इतना गुस्सा मत कीजिए, सब कुछ तय हुआ था कि २४ घंटों के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं और अभी तो १ घंटे भी नहीं हुए हैं, और अगर शर्त आप जीत जाती तो मुझे १ महीने तक गुलाम बनाती और अब ये गुस्सा मुझे मत दिखाओ नहीं तो देख लेना मैं आपसे कभी बात भी नहीं करूंगा इसलिए जो तय हुआ था निभाना पड़ेगा"
"ठीक है बेटा मैं आगे से गुस्सा नही करूंगी लेकिन तुम ऐसे मुझसे नाराज़ मत हो" सभ्या चाची मुझसे विनती करती हुई बोली
"चाची अब मेरी पीठ की तेल से मालिश कर दीजिए" कहकर मैंने धोती को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतारे और पेट के बल चारपाई पर लेट गया
Yeh kya klpd ho gai. Sab ko jaldi set karaअपडेट २५
सभ्या चाची ने चारपाई के नीचे से सरसों के तेल की डिब्बी उठाई और मेरी पीठ पर तेल की बूंदे टपका के अपनी मोटी उभारदार गांड को मेरे कूल्हों पर टिका कर बैठ गई और नरम–नरम हथेलियों से मेरी पीठ की मालिश करने लगी, सभ्या चाची की मोटी गांड़ की गर्मी मैं अपने कूल्हों में महसूस कर पा रहा था, मेरा लन्ड लोहे जैसा सख्त हो गया था जो चारपाई में छेद करके नीचे लटक कर झूल रहा था, सभ्या चाची के मालिश करने का अंदाज गजब था ऐसा लग रहा था जैसे कोई मालिश वाली मसाज कर रही है।
"आह्ह्ह्ह चाची दर्द हो रहा है" मैं चिल्लाते हुए बोला
"क्या हुआ बेटा कहां दर्द हो रहा है" सभ्या चाची हैरान होती हुई बोली
"चाची मेरी लुल्ली चारपाई में अटक गई है आआआह्हह्ह्" मैं चारपाई के छेद से बाहर आ रहे अपने झूलते हुए लन्ड की तरफ इशारा करके एक नादान बच्चे के जैसे बोला
सभ्या चाची मेरी पीठ पर बैठे बैठे ही चारपाई के नीचे झुककर देखने लगी और जैसे ही उनकी नजरें मेरे लन्ड पर पड़ी तो वह झटके से चारपाई से उठकर खड़ी हो गई।
"हे भगवान ये क्या है इतना बड़ा सांप पालकर रखा है तू" सभ्या चाची मेरे लन्ड को घूरते हुए बोली
"चाची ये पता नहीं कैसे बड़ा हो जाता है और इसमें बहुत दर्द भी होता है" मैं नादान बच्चे की एक्टिंग करते हुए बोला और चारपाई के छेद में से अपना लन्ड बाहर करके पीठ के बल लेट गया
मेरा लन्ड धोती के बाहर ९० डिग्री का कोण बनाए अपना फन उठाकर खड़ा था और सभ्या चाची मेरे लन्ड को एकटक घूरे जा रही थी।
"बेटा मेरे पास तेरे इस दर्द का एक इलाज है लेकिन तू मुझसे वादा कर किसी को इस बारे में कहेगा नहीं"
सभ्या चाची को लगा कि मैं कोई नादान बच्चा हूं जो कुछ जानता नहीं है मैं समझ गया कि सभ्या चाची मेरे भोलेपन का फायदा उठाने की सोच रही है लेकिन इस बेचारी चाची को ये नहीं पता था कि ये खुद मेरे जाल में फस रही है।
"हां चाची आप कैसे भी करके बस मुझे इस दर्द से छुटकारा दिलाओ मैं वादा करता हूं किसी से कुछ नहीं कहूंगा"
तभी सभ्या चाची नीचे अपने घुटनों के बल बैठ गई और किसी चूदाई की प्यासी शेरनी के जैसे मेरे लन्ड को लपक कर अपनी दोनों हथेलियों में भरके कसकर जकड़ लिया।
अचानक तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे और सभ्या चाची को उम्मीद ही नहीं थी, हमें ताईजी की आवाज सुनाई दी।
मैंने पंपहाउस की खिड़की से देखा तो पता चला कि ताईजी मुझे ढूंढ रही हैं।
"मालकिन आ गई हे भगवान अब क्या होगा?"
"चाची आप अभी पंपहाउस के पिछवाड़े से निकल जाओ, ताईजी की चिंता मत कीजिए उन्हें मैं देखता हूं"
सभ्या चाची ने झाड़ियों से अपनी साड़ी उठाई और पंपहाउस के पिछवाड़े से निकल गई और मैं अपने कपड़े पहन के टूल बॉक्स में से कुछ औजार लेकर पंप के पास बैठ गया और एक्टिंग करने लगा जैसे मैं पंप को ठीक कर रहा हूं।
कुछ देर बाद ताईजी पंपहाउस के अंदर दाखिल होती हैं।
"ये क्या कर रहा है तू लल्ला"
"ताईजी ये पंप काम नहीं कर रहा था तो ठीक कर रहा हूं, स्विच ऑन कीजिए"
ताईजी ने स्विच ऑन किया तो पंप चालू हो गया, मुझे खुद पर बहुत हसी आ रही थी।
"ये सभ्या और कल्लू कहां है और तुझे यहां आने के लिए किसने कहा था, सुबह से बिना भोजन करे घूम रहा है तबियत खराब हो गई तो"
"तो मेरी जान किसलिए है" मैं ताईजी को खींचकर अपनी बाहों में भरते हुए बोला
"लल्ला कितना बेशर्म हो गया है तू" कहकर मुझे धक्का देकर पंपहाउस में बाहर निकल गई
मैं भी ताईजी के पीछे पंपहाउस के बाहर आ गया, आज तो किसी तरह बच गया नहीं तो ताईजी मेरी चमड़ी उधेड़ देती।
फिर कुछ देर बाद हम घर पर थे। ताईजी मेरे लिए रसोई में खाना लाने के लिए चली है और मैं कुर्सी लेकर आंगन में आ गया।
घर पर भीमा भईया और शीला भाभी के साथ पीहू दीदी आंगन में चटाई पर बैठकर टीवी देख रही थी, मुझे देखकर बड़ा अजीब लगा कि १० बज चुके हैं और आज भईया भाभी अभी तक घर पर बैठे हैं।
"अरे भईया आज दुकान नहीं जाना क्या?"
"नहीं भाई आज तुम्हारी भाभी के साथ पास के झील पर जा रहा हूं, वैसे आज तुम क्या कर रहे हो?"
"कुछ नहीं भईया पढ़ाई करूंगा"
फिर ताईजी मेरे लिए खाना लगा देती हैं मैं रसोई से खाना लेकर अपने कमरे में चला जाता हूं।
Mast lugai payi hai bhaiअपडेट २६
ताईजी मुझे लस्सी देने के लिए मेरे कमरे में आती है मैं भोजन कर चुका था।
"लल्ला मुझे मंदिर जाना है बगीचे से आम की पत्तियां और फूल लाओ और नारियल खरीद लाना"
कुछ देर के बाद मैं बगीचे में चला गया और आम की पत्तियां और फूल लेकर बाजार से नारियल खरीद लाया, ताईजी ने पूजा की थाली सजाई और मंदिर चली गईं।
मैं अपने कमरे में आ रहा था कि तभी मुझे ताईजी के फोन की घंटी सुनाई दी, उनका फोन टीवी के ऊपर रखा हुआ था। शहनाज खाला का कॉल था।
"हेल्लो"
"बेटा अपनी मां को फोन देना"
"खाला मैं बलराम हूं और ताईजी गांव के मंदिर गई हुई हैं"
"बेटा घर में और कौन है?"
"क्या बात है खाला आप बहुत परेशान लग रही हैं"
"बलराम बेटा बात ये है कि मैं नुसरत के साथ इसकी फूफी के घर आई हूं और घर पर रूबीना की तबियत थोड़ी खराब हो गई है और शादाब दुकान पर है"
"आप चिंता मत कीजिए खाला, मैं ताईजी को बता दूंगा और मैं भी घर पर हूं, आप निश्चिंत रहिए"
"तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया बेटा"
"खाला आप शुक्रिया कहकर मुझे शर्मिंदा कर रही हैं, आप निश्चिंत रहिए, मैं भाभीजान का ख्याल रखूंगा" कहकर मैंने फोन कट कर दिया
"देवरजी किसका ख्याल रखने की बात हो रही है? कौन था?" शीला भाभी अपने कमरे से तैयार होकर बाहर आती हुई बोली
मैं भाभी को देखते ही थोड़ी देर के लिए ठहर गया, क्या लग रही थी जैसे स्वर्ग की कोई देवी हो, गुलाबी रंग की पारदर्शी साड़ी में बिलकुल कहर ढहा रही थी।
"देवरजी कौन था?" शीला भाभी मुझे झकझोरते हुए बोली।
"भाभी पड़ोस वाली खाला का फोन था" कहकर मैंने सारी बातें भाभी को बता दी
"अरे देवरजी तुम कैसे ख्याल रखोगे और आज मंदिर में हवन है इसलिए मां भी दोपहर तक आएंगी"
"मैं कोई बच्चा नहीं हूं भाभी, आप चिंता मत कीजिए"
"तुम्हारे भईया नहाने गए हैं उन्हें आने दो मैं बात करती हूं" कहकर शीला भाभी अपने कमरे में चली जाती हैं।
कुछ देर बाद भीमा भईया घर के पिछवाड़े से नहाकर अपने कमरे में चले जाते हैं। मुझे अब खुजली होने लगती है इसलिए मैं उनके कमरे के बाहर छुपके से अपने कान लगाकर उनकी बातें सुनता हूं।
"कोई बात नहीं, बलराम है ना और पीहू भी तो है"
"मेरे भोंदू पतिदेव रात वाली बात याद नहीं है क्या? रूबीना के करीब आने का ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा"
"लेकिन हम झील पर घूमने के लिए जाने वाले थे ना, घर पर बलराम है पीहू है किसी ने कुछ सुन लिया या कुछ देख लिया तो?"
"आप मेरी बात सुनिए मां दोपहर तक मंदिर से आएंगी, पीहू को रसोई के काम में लगा देना और मैं बलराम के साथ घूमने के लिए झील चली जाती हूं, आप रूबीना पर ध्यान दीजिए"
"लेकिन क्या बलराम तुम्हारे साथ झील घूमने के लिए मानेगा?"
"मानेगा कैसे नहीं, मैं बात करती हूं आप रूबीना के घर चले जाओ"
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Introduction–
मेरा नाम बलराम है मेरी उम्र 20 साल है, मेरे बारहवीं में 90% अंक आए थे इसलिए मेरे मां बापू ने आगे कॉम्पिटिशन और सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए मुझे मेरी ताइजी के गांव भेज दिया था क्योंकि वहां से शहर पास पड़ता था मैं साइकिल से कोचिंग जाता था, मेरे घर में मेरे मां बापू के अलावा मेरी दो बड़ी बहनें भी हैं लेकिन अभी के लिए इस कहानी में मेरे परिवार को कोई रोल नहीं है इसलिए मैं अपने परिवार का परिचय बाद में दूंगा।
मैं अपने ताईजी के घर में रहता था, मेरी ताईजी का नाम कजरी है उम्र करीब 50 साल है, देखने में थोड़ी मोटी हैं या यूं कहें कि गदराय जिस्म की मालकिन हैं, इनके पति की मौत को काफी साल हो चुके हैं। मेरी ताईजी अपने बेटे, बहू और अपनी बेटी के साथ रहती हैं, ताईजी के बेटे का नाम भीमा है , भीमा भईया की उम्र 30 साल है देखने में हट्ट कट्टे हैं, गांव के बाजार में कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है भीमा भईया की पत्नी का नाम शीला है, उम्र 26 साल है। शीला भाभी गांव की सबसे खूबसूरत औरतों में से एक हैं, जवान से लेकर बूढ़े और बच्चे भी शीला भाभी के दीवाने हैं। ताईजी की बेटी का नाम पीहू है पीहू दीदी की उम्र 26 साल है, इसके आगे पीछे गांव के जवान लड़के अपनी गांड हिलाए घूमते रहते हैं लेकिन ये किसी को भाव नहीं देती तो ये है मेरी ताईजी का छोटा सा परिवार।
इस गांव में मेरा एक दोस्त है जो की मेरे साथ कोचिंग में ही पढ़ता है, मेरे दोस्त का नाम राज है, जिसकी उम्र 20 साल है, राज थोड़ा शर्मिला है लेकिन बड़ा ही चतुर है। राज के बापू का नाम शम्भू है उम्र 48 साल है इनकी गांव में दूध की दुकान है राज की मां का नाम रागिनी है, उम्र 46 साल है, देखने में मदमस्त गदराई गाय लगती है, राज की बहन का नाम रजनी है उम्र 26 साल है, रजनी गांव की सबसे चुदक्कड़ लड़की है और पीहू दीदी की सहेली है।
मेरी ताईजी के खेत में एक नौकर काम करता है अपनी मजदूर विधवा मां के साथ जिसका नाम कल्लू है, कल्लू की उम्र 20 साल है, कल्लू की मां सभ्या की उम्र 43 साल है, सभ्या ताईजी के घर में खाना बनाने से लेकर झाड़ू पोछा और कपड़े धुलना सभी काम करती है। सभ्या की चाल में ही एक चुदक्कड़ रण्डी दिखती है इसके स्तन और गांड बहुत सुडोल हैं।
इस गांव के प्रधान का नाम है मुरारीलाल, उम्र करीब 52 साल है और देखने में थोड़ा गट्टा और मोटा सांड जैसा है। मुरारीलाल की पत्नी का नाम कमला है, उम्र 46 साल है गांव की सबसे चुदासी औरत है चूंकि मुरारीलाल तो बाहर के कुएं का पानी पी रहा होता है तो घर के कुएं का पानी कहां से पिएगा और इस चक्कर में कमला हिस्टीरिया की मरीज बन कर रह गई है , दिन रात अपनी चूत में उंगली डालकर बैठी रहती है। मुरारीलाल की एक बहन है मेनका उम्र 36 साल, इसकी शादी नहीं हुई है क्योंकि यह मांगलिक है। मुरारीलाल और कमला के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी, मुरारीलाल के बेटे का नाम सूरज है, उम्र 26 साल है, पीहू दीदी का सबसे बड़ा दीवाना है मुरारीलाल की बेटी का नाम डॉली है उम्र 22 साल है, डॉली बहुत ज़िद्दी और गुस्सैल प्रवृत्ति की है लेकिन उतनी ही खूबसूरत भी है, प्रधान की बेटी है इसलिए कोई इसके ऊपर नजर नहीं डालता। ।
मुरारीलाल अवैध धंधे भी करता है जैसे नशीले पदार्थ की स्मगलिंग इत्यादि, मुरारीलाल का नौकर हरिया इसके अवैध धंधे चलाता है, हरिया की उम्र 42 साल है अपनी पत्नी, बहन और बेटी के साथ गांव में ही रहता है। हरिया बहुत बड़ा नशेड़ी और चोदू किस्म का इंसान है, हरिया की पत्नी का नाम रेखा है उम्र 40 साल है, रेखा थोड़ी काली है लेकिन गदराया हुआ मस्त भारी भरकम जिस्म है, रेखा अपनी मालकिन कमला के सभी नाजायज काम करती है। हरिया और रेखा की बेटी मालती की उम्र 20 साल है, मेरा दोस्त राज मालती को बहुत पसंद करता है, मालती की चूचियां और गांड बेहद सुडोल हैं। हरिया की बहन का नाम कामिनी है उम्र 30 साल है, इसकी साड़ी को तीन साल हो चुके हैं लेकिन इसका पति गायब है और ये अपने बच्चे के साथ मायके आ गई है, देखने में कामिनी मस्त गदराई घोड़ी लगती है।
गांव में मेरी ताईजी के पड़ोस में शहनाज़ नाम की एक विधवा औरत रहती है शहनाज़ की उम्र 46 साल है, यह अपने घर में ही एक लेडीज टेलर की दुकान चलाती है, देखने में शहनाज़ बहुत गोरी चिट्ठी है और भरे हुए गदराए जिस्म की मालकिन है। शहनाज़ के परिवार में उसका बेटा , बहू और उसकी बेटी साथ में ही रहते हैं, शहनाज़ के बेटे का नाम शादाब है उम्र 30 साल है, देखने में अपनी मां के जैसे गोरा चिट्ठा है लेकिन हरकतें लड़की वाली हैं। शादाब की बीवी का नाम रुबीना है उम्र 26 साल है रुबीना और शादाब की शादी हुए छह साल हो चुके हैं, रुबीना बेहद खूबसूरत बदन की मालकिन है, देखने में बड़ी कमसिन लगती है लेकिन थोड़ी गुस्सैल स्वभाव की है रुबीना की अपनी सास बहुत लड़ाई झगड़े होते हैं। शहनाज़ की बेटी का नाम नुसरत है, उम्र 20 साल है नुसरत गांव की सबसे खूबसूरत जवान लड़कियों में से एक है, यह अपने घर में ही रहती है लेकिन कभी अगर अपनी अम्मी के साथ घर से बाहर निकलती है तो इसे देखने के लिए गांव के जवान लड़कों की कतार लग जाती है।