छोटी सी कहानी है मित्र
पढ़ते पढ़ते ही पता नहीं लगेगा खत्म हो जाएगी
जल्द ही सारे दबे हुए रहस्य अब खुल कर सामने आएंगे
बड़े दिनों बाद आए और कहानी के बारे अपनी राय साझा किए उसके लिए धन्यवाद मित्र ।
रही बात कहानी के शीर्षक और कहानी के प्लॉट में मतभेद की
तो फेंटेसी के सबके अपने अपने मायने है , शायद मै जिस रूप में फैंटेसी को देखता हु वो ऐसा ही कुछ होता है । फैंटेसी को जहां तक मैने समझा है उसका सटीक और तय मानक नहीं रखा जा सकता । सबके अपने अपने मायने अपने अपने विचार और धारणाएं है और उन्हीं से उनकी वासना रूपी फैंटेसी दुनिया बनती है ।
बाकी थ्रीड होती ही इसीलिए है कि लेखक के साथ साथ पाठक भी अपनी बातें साझा करें
कहानी के प्रति अपना नजरिया भी बताए कि वो किस तरह से कहानी को देख पा रहे है । ऐसे ही समीक्षाओं की तलाश में मै होता हु । आप जैसे लेखक से मुझे यही उम्मीद है ।
( एक प्राइवेट बात कहनी है सुनो

टाइम मिले तो dm देख लेना

)