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शाम हो गई थी और मै अभी तक अपने कमरे में था कि कुछ हल्की फुल्की खिलखिलाहट से मेरी आँखें खुल गई , ये खिलखिलाहट अम्मी की थी
मैने झट से अपने कपड़े सही किए और कमरे से बाहर आया तो देखा कि अब्बू आ गए थे और हाल में ही अम्मी को दबोच लिया था आते थी ।
उनका बैग वही किनारे फेका हुआ था और वो अम्मी को अपने पास कसे हुए उनके चूतड़ों को सहलाते हुए उनके लिप्स चूस रहे थे
अम्मी कसमसा रही थी : उम्मम छोड़ो न धत्त आए हो तो पानी पी लो
अब्बू उनके चूतड़ मसलते हुए : मुझे तो बस तेरी चिकनी बुर का पानी चाहिए मेरी जान
अम्मी शर्माई और उनसे दूर होने लगी तो अब्बू ने एकदम से उनकी बाह पकड़ कर अपनी ओर खींचा और हवा में उठा कर उनको अपनी गोद में ले लिया
मेरी आँखें सन्न रह गई , अम्मी इतनी भारी थी फिर वो उनकी गोद में ऐसे उछल कर चलो गई जैसे छोटी बच्ची हो
अम्मी ने अपने मजबूत पंजे से उनके दोनों चूतड़ों को थाम रखा था और उनके लिप्स चूसने लगे
अम्मी : शानू के अब्बू , थोड़ा सबर करिए न
अब्बू उनके अपनी बाहों के उठाए हुए : सबर होता तो ऐसे भाग कर आता , चलो अब अपनी गुलाबी बुर दिखाओ
अम्मी चौक कर हंसती हुई : यही
अब्बू हस्ते हुए : चलो कमरे में चलते है
अम्मी खिलखिलाने लगी और अब्बू उन्हें वैसे ही गोद में उठाए लेकर कमरे में घुस गए
इधर मेरा लंड अकड़ गया था
कुछ खिलखिलाती और सिसकती आवाजें अब अम्मी के कमरे से उठने लगी थी । कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और ऐसे में मेरी नीचे जाने से फट रही थी कि कही अब्बू ने देख लिया तो कूट न दे
लेकिन अम्मी की मादक सिसकिया मुझे पागल कर रही थी , मै बेचैन था और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
न चाहते हुए भी खुद को रोक नहीं पाया और धीरे से कमरे की खिड़की के पास चला गया
अंदर देखा तो आंखे बड़ी हो गई
अंदर अब्बू अम्मी को बिस्तर पर लिटा रखा था और उनकी सलवार उनके पैरो में थी , दोनो पैर हवा में नीचे उनकी चिकनी बुर में अब्बू ने मुंह लगा रखा था और चाट रहे
अम्मी उनका सर पकड़ कर अपनी बुर में दबा रखा था : ओह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम और चूसो अह्ह्ह्ह्ह खा जाओ मेरी बुर को उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह कितना तड़पाते हो उम्मम उम्मम ओह्ह्ह
अब्बू : उफ्फ फरीदा मेरी जान कितनी चुदासी है तू मेरी रांड उम्मम और तेरी बुर साफ करने के बाद कितनी रसीली हो गई है अह्ह्ह्ह इसको तो फोन पर देख कर ही मै झड़ गया था और फिर तूने बिना कुछ पहने जो बाजार जाने का वीडियो भेजा तो मै पागल हो गया
अब्बू अपना नाडा खोलते हुए अपना लंड हिला रहे थे और अम्मी से बाते किए जा रहा था और एकदम से उन्होंने लंड को उनकी गीली बुर के फांके पर लगाया और हचक से पेल दिया
अम्मी की आंखे फेल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और उम्मम ऐसे ही कितना तड़प रही थी मै आपके लंड के लिए अह्ह्ह्ह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह
मै अम्मी की बाते सुनकर भीतर से गर्म हो गया था लंड एकदम उफान पर था और मै उसको बाहर निकाल कर हिला रहा था
अंदर अब्बू अम्मी की टांगे फैलाए तेजी से उनकी चूत में लंड पेल रहे थे : अह्ह्ह्ह्ह साली रंडी मेरी कुतिया , तेरी बुर कितनी रसीली है और अह्ह्ह्ह आज तो फाड़ दूंगा तेरी चूत को अह्ह्ह्ह
अम्मी भी अब्बू को जोश दिला रही थी :: अह्ह्ह्ह्ह हा मेरे राजा पेलो फाड़ दो मेरी बुर को भोसड़ा बना दो इसको उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चोदो अपनी रंडी बीवी को उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
अब्बू अम्मी की बातों से पूरे जोश में थे और उन्होंने अम्मी के पैर एक तरफ करके उन्हें थोड़ा करवट कर दिया जिससे अम्मी की बुर कस गई और अब्बू के लंड पर दोहरा दवाब होने लगा , अम्मी की बुर की दीवारें अब पहले ज्यादा घर्षण महसूस कर रही थी और उनकी आंखे पलटने लगी
अब्बू उनके टांगे बांधे हुए तेजी से उनकी बुर में पेले जा रहे थे : अह्ह्ह्ह्ह कितनी कस जाती है तेरी बुर ऐसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई झड़ रही है क्या तू मेरी जान
अम्मी अपनी बुर कचोट कर अब्बू का लंड निचोड़ रही थी और सिसक रही : हा मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और और उम्मम रुकना मत अह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही और और
अब्बू पूरे जोश में आ गए और तेजी से अपना लंड उनके कूल्हे पकड़ कर बुर के पेलने लगे और चिंघाड़ने लगे : अह्ह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरी रंडी मेरी जान अह्ह्ह्ह
और एकदम से अपना लंड बाहर निकाल दिया जिसका सुपाड़ा फर्श पर ही वीर्य उगल रहा था
अम्मी झट से उठ कर अपना सलवार पहनने लगी और अब्बू को चूम कर कमरे से बाहर आने लगी
मै भी तेजी से जीने की ओर बढ़ गया ।
कमरे में रुकना बड़ा अजीब लग रहा था , लंड की कसावट कम नहीं हो रही थी और उसपर से आज अब्बू के आने से अम्मी और मेरे बीच हुई प्लानिंग को सोच कर मेरा लंड अकड़ रहा था । आखिर क्या मिलेगा अब्बू के मोबाइल में ।
करीब आधे घंटे बाद अम्मी छत पर आई , मै किताबों में खोया हुआ था ।
अम्मी : अरे , पढ़ाई
मै मुस्कुरा कर : हा , क्यों ? नहीं करु ?
अम्मी : अच्छा ठीक है कर लेना पढ़ाई , चल नीचे खाना खा ले और तेरे ( अम्मी थोड़ी शर्माई ) अब्बू आ गए है
मै मुस्कुरा कर उन्हें देखता हुआ : हम्ममम पता है
अम्मी आंखे उठा कर देखती हुई : कैसे ? कब देखा तूने ?
मै उठ कर : तभी , जब आप कमरे में चीख रही थी हीही
अम्मी थोड़ी लजाई: धत्त बदमाश, तुझसे तो कुछ नहीं छिपता
मै : फिर आज रात का क्या सोचा है , अब्बू को सुलाना है न
अम्मी मुस्कुराई : हा लेकिन उसके लिए तेरे अब्बू को थकाना पड़ेगा
मै : सिर्फ अब्बू को ही थकाना खुद नहीं हीही
अम्मी हस कर : पागल ,
फिर हम दोनो खाने के लिए नीचे चले गए , मैने अब्बू से मिला और फिर हम सबने एक साथ खाना खाया ।
अब्बू ने बताया कि उन्होंने शहर में मेरे लिए एक अच्छा हॉस्टल देख लिया है और आगे तैयारी के लिए मुझे वही जाना है । बाहर पढ़ने जाने का सोच कर ही मेरा और अम्मी का चेहरा थोड़ा उतर गया था
फिर हमने खाना खाया और मै अपने कमरे में चला गया , अम्मी ने सख्त हिदायत दी थी कि मै नीचे ना आऊ । वो किसी भी तरह आज का खेल बिगाड़ना नहीं चाहती थी । इसके लिए उन्होंने मुझे कसम तक दे दी ।
करीब ढाई घंटे तक मै कमरे में करवटें बदलता रहा , नींद आंखों से दूर थी । रात के 11 बजने वाले थे और मेरे अंधेर कमरे में दरवाजे पर आहट हुई और हल्की सी चरमराहट से दरवाजा खुला तो मैने उधर देखा ।
बाहर गैलरी की रोशनी में अम्मी को अंदर आते देखा और उठ गया : अम्मी आ गई क्या आप ?
अम्मी मुझे चुप कराती हुई दरवाजा बंद करके : हा भाई आ गई
मै : बत्ती जलाऊ
अम्मी ने हाथों में ली हुई मोबाइल की स्क्रीन की रोशनी के बिस्तर तक आती हुई : नहीं रहने दे आ गई हुई
मै : मोबाइल मिला
अम्मी मुझे मोबाइल देती हुई : दोनो लाई हू
मै मेरे हाथ में दो मोबाइल पकड़ कर : दोनो ?
अम्मी : हा उनके पास दो मोबाइल है तुझे नहीं पता
मै : नहीं
तभी मैने एक मोबाइल को जलाया और उसकी स्क्रीन पर लगे लॉक वॉलपेपर को देखते ही मेरी आँखें फैल गई
अब्बू के मोबाइल के लॉक स्क्रीन के वॉलपेपर पर नंगी औरत की की तस्वीरें लगी थी जो आगे की ओर झुकी हुई थीं और पीछे से उसके बड़े चौड़े चूतड़ हवा में थे जिसमें उसी चिकनी गुलाबी बुर और गाड़ की गुलाबी सुराख साफ साफ दिख रही थी और नीचे उसके मोटे मोटे चूचे पपीते के तरह लटके हुए जमीन को छू रहे थे
मै : ये किसकी है
अम्मी मुस्कुरा कर : पहचान ले , कितनी बार तो देखा है फिर भी
मै शौकड होकर : अब्बू ने आपकी फोटो लगाई है ऐसे मोबाइल पर
अम्मी : ये मोबाइल छिपा कर रखते है तेरे अब्बू
मै थूक गटक कर अम्मी से पासवर्ड पूछता हुआ : पासवर्ड ?
अम्मी मुस्कुरा कर : इतनी जल्दी भूल गया हीहीही
मै खुश होकर : आपका नाम ही है , अभी तक वही मुझे लगा बदल दिया होगा
अम्मी हस कर : उनकी हिम्मत है कि बदल पाए हाहाहा
मैने बारी बारी FAREEDA को कैप्टल लेटर में डाल कर मोबाइल खोला तो एक और फोटो
जिसमें अम्मी नकाब में एक मोटा काला मूसल जैसा लंड पकड़ रखी थी
मै : उफ्फ लग रहा है कि ये मोबाइल अब्बू ने सिर्फ आपके लिए ही लिया है
अम्मी : चुप बदमाश
मै एक गहरी सांस लेकर : व्हाट्सअप खोले?
अम्मी : तुझे जो चेक करना है कर ले
मै : क्यों आपको नहीं जानना
अम्मी थोड़ी चुप थी
मैने ध्यान नहीं दिया और जल्दी से व्हाट्सअप खोला तो उसमें 10 से ज्यादा एडल्ट ग्रुप थे ,जिनके नाम पढ़ते ही मै समझ गया कि अब्बू किस तरह से sex के लिए पागल है
मै : अम्मी अब्बू वो सब वाले वीडियो भी देखते है , आपको पता भी है
अम्मी : हम्ममम
मै उनसे बाते कर रहा था लेकिन अम्मी न जाने क्यों चुप हो गई थी , मगर मेरे हाथों में आज अब्बू का खजाना लग रहा था तो मेरा उनपर फिलहाल तो जरा भी ध्यान नहीं था और मैं स्क्रॉल करके देखने लगा कि मुझे एक चैट दिखी , जिसपर आखिरी मैसेज आज दोपहर की थी । "Rahim"
मै : अम्मी लग रहा है यही है
अम्मी : हम्ममम
मै : खोलू इसको ?
अम्मी : खोल ले , तेरा मन है तो
मैने अम्मी की उतरती उदासी पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और चैट खोल दी
रिसेंट में ज्यादा बात नहीं थी , अब्बू ने दुपहर वाली वही वीडियो डॉ अंकल को फॉरवर्ड की थी , जो अम्मी ने आज माल जाने से पहले से अब्बू को भेजी थी ।
मै : देखो अम्मी , अब्बू ने आज वाली वीडियो भेजी है , नहीं रुको देखो शर्ट वाली फोटो भी भेजी है
अम्मी : हम्म्म
मै : देखा मै कह रहा था न कि अब्बू के इरादे ठीक नहीं
अम्मी : हम्म्म
मैने अभी तक अम्मी की उदासी को ध्यान नहीं दिया और ऊपर स्क्रोल करके पुरानी चैट खोजने लगा और करीब 1 मिनट की स्क्रोलिंग के बाद मै पहली चैट पर गया
जो महज एक वीडियो थी
मै : शायद ये पहला वाला है
अम्मी : देखूं ?
मैने वो वीडियो प्ले करके अम्मी को दिखाने लगा और खुद भी देखने लगा , जिसमें अम्मी बाथरूम में खड़ी होकर मोबाइल से वीडियो बना रही थी कपड़े निकालते हुए
मै : ये तो काफी पुरानी है
अम्मी : हम्मम पहली बार मैने यही भेजा था तेरे अब्बू को , कितनी मिन्नतें, कितनी कसमें देने के बाद मैने भेजी थी और...
मैने अम्मी की उदासी अब थोड़ी महसूस की और हिचक कर : इसमें उधर से कुछ मैसेज आया है
अम्मी : क्या ?
मै हिचक कर : " what a delicious pussy yarr "
अम्मी: मतलब ?
मै अटक कर : वो मतलब अंकल कह रहे है कि आपकी वो मतलब बुर बड़ी रसीली है
अम्मी एकदम से चुप हो गई और रुक कर : और तेरे अब्बू
मै : नहीं उनका कोई रिप्लाई नहीं है इस पर
इसके बाद फिर फोटो है आपकी जो उन्होने अंकल को भेजी है ये वाली सेल्फी
मैने वो फोटो खोलकर अम्मी को दिखाई जिसमें अम्मी बाथरूम में ब्रा पहने हुए एक सेल्फी भेजती और उनके चूचे पूरे बाहर थे । अम्मी ने अंधेरे में बिना कुछ बोले बस चुप होकर फोटो देखा । मुझे महसूस हो रहा था शायद अम्मी को ये सब पसंद नहीं आ रहा होगा
मैने नीचे आने लगा चैट्स में उसमें एक वीडियो मिली जिसमें अब्बू अम्मी को चोदते हुए वीडियो बना रहे थे और अम्मी अपनी चूचियां दबा रही थी और सिसक रही ।
शायद ये पहली वीडियो होगी जब अब्बू ने साथ बनाई थी ।
जिसपर रहीम अंकल के बहुत गंदे गंदे कमेंट किए थे
अम्मी : क्या हुआ
मै : वो अंकल ने बहुत गंदा बोला और सबसे ज्यादा इस वाले फोटो पर
मैने अम्मी को उनकी एक सेल्फी दिखाई जो अब्बू ने अंकल को भेजी थी जिसमें अम्मी ने अपनी पूरी नंगी सेल्फी भेजी थी जिसमें उन्होंने बुर साफ करके एक फुल बॉडी सेल्फी भेजी थी
अम्मी की गहराती सांसे साफ महसूस हो रही थी मुझे : क्या बोल रहे है
मै थूक गटक कर : वो कह रहे है कि वो आपकी बुर में अपना लंड घुसाना चाहते है
अम्मी : और तेरे अब्बू
मै : वो कुछ नहीं बोले है आगे और भी फोटो है जो अब्बू ने छिपकर आपकी निकाली है सोते और नहाते हुए ।
अम्मी : बस इतना सब ही है
तभी मेरी नजर नीचे एक वीडियो पर गई और मैने उसको ओपन किया इस बार जो झटका मुझे लगा वो देख कर मेरी आँखें सन्न रह गई
मेरा कलेजा जोरो से धकधक होने लगा , अम्मी मेरे बगल में थी और सामने मेरे हाथ में मोबाइल में उनकी चुदाई की वीडियो चल रही थी
उस वीडियो को देख कर मै कांपने लगा था और मेरी जुवान लड़खड़ाने लगी
: अ अम्मी ये सब क्या है ? इसमें तो आप ... ( मेरी इतनी भी हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि मैं अपनी बात पूरी रख पाऊं )
मेरी आँखें रुआंसी हो गई थी , दिल जोरो से धड़क रहा था और मेरे जिस्म में कामकंपी होने लगी थी ।
अम्मी बस चुप थी और मैने जब मोबाइल स्क्रीन की लाइट में अम्मी का चेहरा देखा तो उनकी आंखे बह रही थी
मै भीतर से पूरी तरह से पिघल गया और अम्मी के गाल छू कर : अम्मीईई !!!
: हम्मम : क्यों ? : नहीं बता सकती बेटा : आखिर क्यों ? : पता नहीं ( अम्मी सुबक कर बोली )
: अम्मी , मुझे डर लग रहा है , प्लीज ( मेरा दिल कमजोर सा हुआ जा रहा था )
: नहीं बेटा , मै ... मै ( अम्मी विवश नजर आ रही थी , ना जाने क्या रोक रहा था उन्हें )
: प्लीज बताओ न , प्लीज अम्मी
: ऐसा समझ ले कि तेरी अम्मी भी यही चाहती थी ( अम्मी बिलख पड़ी)
मुझे लगा कि अम्मी जरूर कुछ ऐसा है जो छिपा रही है ।
: अम्मी , आपको मेरी कसम है प्लीज बताओ मुझे
: शानू ... बेटा मै तुझे खुद नहीं बता सकती थी और कैसे बताती कि मै अपनी जरूरतों के लिए कैसे बदल गई हूं ( अम्मी सिसक रही थी ) इसीलिए मैं चाहती थी कि तू खुद इस बारे में पता लगाए
: कबसे चल रहा है ये सब ( मैने गहरी सांस लेते हुए पूछा )
: वही जब मै तेरे अब्बू के पास गई थी
मेरा दिल अभी भी ऐसा महसूस कर रहा था मानो भीतर गहरे कुछ ऐसा घाव हुआ है और वहां सर्दी सी महसूस हो रही थी , बर्फ सी कड़ाके और डरा देने वाली सर्दी का अहसास जहां आपको महसूस होता है कि आपकी रूह न जम जाए , वो पत्थर न हो जाए । मेरे नथुने भर भर सांस लेने की कोशिश कर रहे थे और लेटे हुए भी अब अजीब सी थकान महसूस हो रही थी ।
: तो क्या ये अब्बू की वजह से है , उन्होंने आपको तैयार किया न
: नहीं ( अम्मी ने तुरंत मुझे रोक ) नहीं बेटा बिल्कुल नहीं , ये हम दोनो ने चुना था । हा पहल जरूर उनकी थी लेकिन उन्होंने कभी इसके लिए मेरे साथ जबरजस्ती नहीं की ।
मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था ये सोच कर कि अम्मी कैसे ऐसे हो सकती थी और मेरे दिमाग में कुछ अलग ही बाते चल रही थी । उस तीसरे आदमी के बारे में जिससे अम्मी छिप कर बातें करती और मिलती है । उसको सोच कर तो मन और चिढ़ सा जा रहा था , एक अजीब सा गुस्सा एक अहले दरजे का पोजेसिव नेस, जैसे अम्मी को मेरे सीवा किसी और से वो रिश्ता बनाने का अधिकार न हो । गुस्से में मै भूल था कि वो भी एक आजाद इंसान है उन्हें भी अपने लिए फैसले लेने का हक है ।
मेरे दिमाग में सवाल उठ रहे थे मगर उनको पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी । मेरा दिल इतना कमजोर हो गया था कि मन में उठ रही कल्पनाओं को सच होता जानने की मानो हिम्मत नहीं थी अब उसमें ।
इसी बीच अम्मी फिर बोली
: इसकी शुरुआत नगमा से हुई थी, तुझसे तेरे अब्बू की हकीकत और उनका मुझको लेकर दीवानापन छिपा नहीं है । नगमा से मेरी दोस्ती पुरानी थी और तेरे अब्बू भी उसके साथ हसी मजाक कर लेते थे । तेरे अब्बू को नई चीजें करने का शौक है और मैने इसके लिए उन्हें कभी नहीं रोका , शायद इतने सालों में मै खुद इस नशे में डूब चुकी थी , उनके नए नए तरीके मुझे रोमांचित करते थे, एक रोज हम लोग मोबाइल पर कुछ नए कपड़े देख रहे थे और मुझे याद आया कि नगमा ने भी वैसे ही कपड़े मंगवाए थे तो बस मैने हंसी में ये बात उनको कह दिया और जब बात आगे बढ़ी लेकिन उन्हें यकीन नहीं था । मैने उन्हें उसकी फोटो दिखाने का वादा किया और उसके लिए मुझे नगमा को मनाना था । फोटो तो मिल गई लेकिन मुझे नहीं पता था कि नगमा के दिल में तेरे अब्बू के लिए कुछ था , उसकी बातों से मै समझ गई थी और वही मुझे एक ख्याल ने रोमांचित कर दिया कि जिस तरह से तेरे अब्बू मुझे प्यार करते है अगर उन्हें नगमा जैसी गर्म औरत मिल जाए तो
अम्मी की बाते सुनकर मेरा लंड अकड़ने लगा , कहानी बड़ी दिलचस्प थी ।
मै : फिर
अम्मी : फिर मैने तेरे अब्बू को नगमा कि तस्वीरें दिखाई जब वो वापस आए ड्यूटी से , उस नाइटी में भी और बिना नाइटी के भी । पहले तो वो चौके लेकिन उनके दिल भी कही न कही नगमा को लेकर अरमान थे और मैने उन्हें पकड़ लिया । फिर ऑफर दिया कि करना है उसके साथ, उन्होने एक बार भी मना नहीं किया और फिर हमने उसको लेकर बातें की और उस रात तेरे अब्बू ने मुझे नगमा बना कर खूब प्यार दिया , जैसे वो कभी कभी मुझे अम्मी बना कर देते थे ।
अम्मी की बातें से भीतर गर्मी बढ़ रही थी और मेरा लंड अकड़ने लगा था , मैं उसे एडजस्ट कर रहा था । लेकिन वो बोलती रही
अम्मी : मैने कभी नहीं सोचा था कि मेरी ये पहल मेरी जिंदगी बदल देगी , क्योंकि तेरे अब्बू की अलग ही तरह की चाहत थी , जब मिलन का मौका आया तो उन्होंने हम दोनो को साथ में प्यार किया और वो अहसास मेरे लिए सबसे अनोखा था । फिर उस दिन से मेरे अंदर वो बदलाव आया जिसकी मैने कल्पना नहीं की थी , तेरे अब्बू ने मेरी शारीरिक दवाओं के लिए रहीम अंकल को दिखाने के लिए कहा , फिर मुझे उनकी नियत समझ आईं और मैने तेरे अब्बू से बात की तो उन्होंने मुझे मजाक मजाक में बताया कि वो मेरे पुराने आशिक है , उनकी नजर हमेशा से मुझ पर रही है और फिर जब बाते गहरी हुई तो उन्होंने मुझे अपनी एक आखिरी इच्छा बताई और ये वादा लेते हुए कहा कि इसके बाद वो मुझसे और कुछ नहीं मागेंगे । उस रात उन्होने मुझे तरह तरह से तंग किया और आखिर में मनमानी करते हुए खुद डॉ साहब बन कर मेरे साथ वो सब किया ।
मेरी सांसे तेज हो रही थी , लंड एकदम फड़फड़ा रहा था : फिर
अम्मी : मै उस पल शुरू तो बस तेरे अब्बू की खुशी के लिए किया था लेकिन अगले कई बार वो मुझे ऐसे ही प्यार करते रहे और फिर जब मै इस बार उनके पास गई तो मेरे लिए एक सरप्राईज था । उन्होंने मेरे लिए एक ऑनलाइन नर्स मंगाई थी , वो फोटो भी है तेरे अब्बू के मोबाइल में है ।
अम्मी की बात सुनते ही मैने झट से अब्बू के मोबाइल की गैलरी खोली और ढेरों नंगी तस्वीरों के एक फोटो निकाला
जिसमें अम्मी एक बेबीडॉल नाइट ड्रेस में , जिसकी थीम हॉस्पिटल नर्स की थी । बड़ी मुश्किल से उनकी छातियों को उन्होंने उसमें भरा था और नीचे वो ड्रेस बड़ी मुश्किल से उनके आधे चूतड़ों पर जा पाया था ।
मै वो फोटो देख रहा था कि अम्मी फिर से बोली: लेकिन असल सरप्राईज ये नहीं था ।
देखने को बहुत कुछ था वीडियो में लेकिन मैने वापस मोबाइल बंद करते हुए : फिर ?
अम्मी ने गहरी सांस ली और बोली : जब मै कमरे से तैयार होकर बाहर हाल में आई तो देखा वहां डॉ साहब भी थे , और मै समझ गई कि मै इससे बहुत भाग नहीं सकती थी । मैने बंद कमरे में बहुत पहले ही डॉ साहब को स्वीकार लिया था और अब मुझे हकीकत से भी रूबरू होना था तो मैने इसके लिए तेरे अब्बू को सहमति दे दी । उस वक्त मुझे यही सही लगा क्योंकि अगर मैं वहा उसके उलट कुछ फैसला करती थी तो उससे हम दोनो के बीच एक बड़ी दीवार खड़ी हो जाती और जिसका सबसे ज्यादा नुकसान तुझे उठाना पड़ता । मेरे दिल तेरा ही ख्याल था और फिर तेरे अब्बू ने भी वादा लिया था कि ये बस पहली और आखिरी बार होगा ।
मै एकदम सन्न था
अम्मी : लेकिन ?
मै एकदम से चौका: क्या ?
अम्मी : लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं उस रोज के बाद बहक जाऊंगी और
मै : हम्ममम , तो क्या अब्बू को इसके बाद के बारे में कुछ नहीं पता
अम्मी ने हुंकारी भरी ।
अब मैंने मेरे अंदर उठ रहे सवालों को पूछना शुरू किया : इसका मतलब उस रोज कार में आप डॉ अंकल के साथ ही आई थी वापस
अम्मी समझ गई कि मैंने उन्हें देख लिया था : हम्ममम , ना जाने क्या था उनमें और ये उनका ही आइडिया था कि हम कुछ चीजें तेरे अब्बू से छिपा कर करें । उनका ये आइडिया काफी हद कर रोमांचित भी था और बाकी तो तू जानता ही है । कितनी बार मुझे रंगे हाथ पकड़ चुका है ।
मै : इसका मतलब वो रात ने मोबाइल पर और वो दुकान में , वो भी डॉ अंकल थे
अम्मी : हम्मम
मैने एक गहरी सांस ली और अपने पैर फैलाने लगा ।
अम्मी : मुझे माफ कर दे बेटा , मै तुझे सब बताना चाहती थी लेकिन हिम्मत नही होती थी । कही न कही मुझे महसूस होता था कि मैं गलत हूं
मै चुप रहा और अम्मी बोलती रही , अपनी सफाई देती रही । : लेकिन डरती थी कि कही तू मुझसे दूर हो गया तो , मुझसे नफरत करने लगा तो । मेरे लिए तेरे से बढ़ कर और कुछ नहीं था ( अम्मी मेरे सर को कान के पास सहलाते हुए बोली )
: लेकिन फिर मुझे खुद से दूर रखा , कितना तड़पा मै आपके लिए, कितनी मार खाई एक पल को आपको मेरी मुहब्बत नहीं दिखी , एक पल के लिए मेरे लिए आपका दिल नहीं पसीजा हुह छोड़ो
ये कह कर मै उनकी ओर पीठ करते हुए करवट हो गया , जैसे की बच्चा नाराज हो गया हो
अम्मी मुझे पीछे से पकड़ ली मेरे बाह के बीच अपना हाथ घुसा कर मेरे सीने को कस लिया , मुझे मेरी पीठ पर अम्मी के गुदाज मुलायम चूचे महसूस हो रहे थे उनका नथुना गर्म गर्म सांसे मेरे गर्दन के पास छोड़ रहा था और मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी थी , एड़ियों के अलग ही गुदगुदी ऊपर की ओर होने लगी थी और मै उन्हें आपस में रगड़ रहा था बहुत हौले हौले
: ऐसा मत बोल , कौन मां भला अपने बेटे को इतने सारे हक देती है जो मैने तुझे दिए उम्मम बोल
: फिर भी अभी बहुत कुछ है जिसका हक नहीं मुझे ( मैने तुनक कर कहा )
तभी मुझे उनका हाथ नीचे की ओर जाता हुआ महसूस हुआ और उन्होंने लोवर के ऊपर से ही मेरा खड़ा लंड पकड़ किया
: अह्ह्ह्ह सीईईई छोड़ो अम्मी उसको
: सब समझती हूं कि तुझे कौन सा हक चाहिए , बदमाश कही का ( अम्मी मेरे लंड को अपने हाथों के भर कर खींचने लगी )
मेरे भीतर पहले से हलचल मची हुई थी ये सोच कर कि अम्मी डॉ अंकल से चुदवा चुकी है वो भी पापा के साथ मिल कर , दो दो लंड का एक साथ मजा लिया था उन्होंने और अब वो खुद से वो मेरा लंड पकड़ पर उसे मसल रही है । हर बार ऐसा होता था कि मै जब बहुत गुस्से में होता था तो अम्मी मुझे फुसला लेती थी और आज भी वही कर रही थी वो
मै उसके नरम हाथों के स्पर्श से कसमसाने लगा मेरी आँखें बंद होने लगी ,लंड में कसावट आने लगी और मेरे नथुने फूलने लगे : अह्ह्ह्ह अम्मीईई उम्ममम अम्मी आगे बढ़ने लगी मेरे लोवर में हाथ घुसा कर मेरा लंड बाहर निकाल दिया और अपनी उंगलियों को मेरे लंड पर घुमाने लगी वो मेरे आड़ो को टटोलती और मै सिहरन लगा : उफ्फ मै तो उसी पल से पसीजने लगी जब मुझे पता चला कि मेरा शानू मेरा इतना बड़ा दीवाना है
मेरे भीतर बादल घुमड़ने लगे थे और सांसे अजीब सी होकर अंदर बाहर हो रही थी : अह्ह्ह्ह अम्मीई सच कह रही हो
अम्मी मेरे लंड को पकड़ कर उसकी चमड़ी आगे पीछे करने लगी : हा मेरा बच्चा , भले ही मैने तुझे कितनी बार मारा लेकिन एक मा के लिए इससे बढ़ कर क्या होगा कि उसके बेटे की पहली पसंद वो खुद है
अम्मी की बाते मेरे दिल को छू गई और मै उनकी ओर घूम गया : ये तो आपने पहले क्यों नहीं कहा ।
अम्मी ने वापस से सामने से मेरा लंड पकड़ कर उसको छेड़ती हुई : तेरा मन बिगड़ जाता तो और तब तेरी उम्र ही क्या थी , 9वीं कक्षा में था तो जबसे तुम ये सब करना शुरू किया ।
मै झट से अम्मी को कस लिया और उनसे लिपट गया : आई लव यू अम्मी , आई लव यू
अम्मी मुझे भी अपने करीब कर ली : मै भी मेरा बेटा
मै : थैंक्यू सो मच
अम्मी : क्यों ?
मै : आपने मेरे प्यार को फाइनली एक्सेप्ट कर लिया
अम्मी : धत्त पागल , मै कब बोली कि मै तुझे नहीं चाहती बस राह देख रही थी कि कब तू बड़ा हो और
अम्मी के हाथ अभी भी मेरे आड़ों को टटोल रहे थे
: और सीईईई क्या अम्मी बोलो न
: और मै तुझे वो सब दु जो तू चाहता है
: सच में ( मेरी सांसे तेज थी और मन खुश )
मैने लपक कर अम्मी के लिप्स चूसने लगा और अम्मी भी मेरा साथ देने लगी और मेरे हाथ उनके सूट के ऊपर से उनकी छातियों को मिजने लगे
: अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह बेटा आराम से
: बहुत तड़पाया है तुमने अम्मी अब और नहीं खोलो इसे ( मैने उनका सूट ऊपर करने लगा और जल्दी जल्दी उनके रसीले मम्में को ब्रा के ऊपर सहलाने लगा )
वो सिसक रही और मै ब्रा के ऊपर से ही उनकी रसीली छातियां मिज कर पीने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम बेटा अह्ह्ह्ह्ह आराम से अभी भी दर्द होता है आह्ह्ह्ह
मै उनकी रसीली छातियां पकड़ कर उन्हें ब्रा से बाहर करने लगा और उन्हें दबोचने लगा : अम्मी एक बात कहूं
अम्मी मेरे पंजों से अपने चूचियां मिलवाती हुई : हा लल्ला बोल न मेरा बेटा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: अम्मी मुझे आपसे खूब सारी गंदी गंदी बाते करनी है बोलो करोगे न ( मै अपनी बात कहते हुए उनके एक निप्पल को मुंह में ले लिया)
: ओह्ह्ह हा हा बेटा क्यों नहीं बोल न अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म काटते नहीं उसको उम्मम ( अम्मी मेरे सर पर हाथ फेर रही थी
: अम्मी आपकी चुची बहुत मस्त है कितनी रसीली और मुलायम है आह्ह्ह्ह मन कर रहा है पीता रहूं अह्ह्ह्ह्ह ( निप्पल बदलता हुआ मै बोला )
: हा बेटा तेरा ही तो हक है इनपर अह्ह्ह्ह्ह चूस ले पी ले मेरा लाल अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
मै अम्मी ने पेट सहलाता हुआ उनके सलवार का नाडा खोलने लगा : पता जबसे आपने अपनी बुर साफ कराई है न
अम्मी मुस्कुराई : धत्त गंदा
मैने बिना कुछ जवाब दिए उनका सलवार खोलकर अपनी उंगलियों को सीधे उनके चिकनी बुर पर ले गया और टटोलने लगा : उफ्फ देखो कितनी मुलायम और चिकनी है आपकी चूत अम्मी उम्ममम , जी करता है इसको खा जाऊ
( मै उनकी बुर सहलाते हुए अपने होठ में वापस उनकी एक चुची रख ली और चूसने लगा
: धत्त ऐसे बात करेगा अब अपनी अम्मी से अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: क्यों अब्बू से करते हो न , मेरे साथ भी करना पड़ेगा ( मैने उनकी बुर की रस छोड़ती फांकों में उंगलियों को घुमाने लगा ) ओह्ह्ह देखो आपकी चूत बह रही है अम्मी
अम्मी ने मुझे कस लिया और सिसक पड़ी : अह्ह्ह्ह्ह बेटा बह तो रही है
मै : चटवाओगे नहीं मुझसे अपनी बुर अम्मी
ये शब्द अम्मी की भीतर से हिला दे रहे थे उनकी वासना भी तेज हो रही थी
: चाट ले न बेटा जा चूस ले अपनी अम्मी बुर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
मै झटके से उठा और कमरे की बत्ती जला दी
कमरे में उजाला हुआ तो सामने का नजारा बड़ा ही रसदार था
अम्मी का सूट चुचियों के ऊपर उठा था और सलवार चूत के नीचे
मैने उनकी टांग पकड़ कर उन्हें बेड के किनारे खींचा और सलवार निकाल दी और बिना एक भी पल गवाए पैर हवा में उठा कर अपना मुंह उनकी रसीले चूत पर लगा दिया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह सीईईईईई तेरी जीभ उम्ममम
अम्मी एकदम से मेरी लपलपाते जीभ के हरकतों से पागल हो उठी , बिस्तर पर खुद को इधर उधर पटकने लगी और तभी मैने उसके बुर की चर्बी को दोनो हाथों से फैला कर उनकी बुर के फांके के ऊपर दाने को चूसने लगा और इतना करना था कि अम्मी अपने कूल्हे उछालने लगी : ओह्ह्ह्ह तू मुझे पागल कर देगा अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह बेटा रुकना मत चाट अह्ह्ह्ह चूस उम्मम खा जा अपनी अम्मी की बुर
मै भी बिना एक बार भी सर उठाए अपनी जीभ अंदर उनकी बुर के फांके में पेल दिया और अंदर नचाने लगा इतना करना था कि अम्मी झड़ने लगी और अपने कूल्हे उठा कर झटके खाने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अम्मी की चीखे पूरे कमरे में गूंज रही थी और हम दोनो एकदम भूल गए थे कि घर में अब्बू भी सो रहे है ।
उनकी बहती हुई चूत को चाटते हुए मेरी जीभ ने नीचे उनकी गाड़ के सुराख को कुरेदना शुरू कर दी , वो और मचल उठी : ओह्ह्ह्ह कहा से सिखा तूने ये सब उम्मम
मै : अम्मी मै तो आपकी इसी गाड़ का दीवाना हूं आपकी गुलाबी छेद चाटने के लिए कितना तरसा हूं उम्ममम सीईईई कितनी मस्त गंध है आपके गाड़ की अम्मी उम्मम्म
अम्मी एकदम से मस्त हो गई थी वो अपनी चूचियां खुद बिस्तर पर मसल रही थी और नीचे मेरा लंड अकड़ रहा था और तभी मेरे कानो में वो शब्द पड़े
" डाल दे बेटा "
ये कहने की देरी थी कि मेरे भीतर वासना का बादल फट गया और मै पूरे जोश में अपना लंड निकाल कर उसके टोपे पर अपना थूक लगाने लगा
अम्मी मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मुझे सब कुछ आता है और मैने अपना टोपा उनकी बुर के फांके पर रखा और दाने पर रगड़ने लगा
अम्मी बिलबिला उठी : अह्ह्ह्ह ये क्या कर रहा है पागल उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
मै ऊपर सुपाड़े से नीचे आड़ो तक अपना लंड उनकी बुर के रसीले फांकों के रगड़ने लगा : उम्मम अम्मी आपकी बुर कितनी रसीली है और कितनी नरम है
अम्मी एकदम से बेचैन थी उनकी सांसे तेज थी वो कुछ भी बोलने की हालत में नहीं दिख रही थी शायद बार बार मेरे सुपाड़े के नीचे की गांठ ने उनके बुर के दाने को छेड़ कर उन्हें परेशान कर दिया : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह बेटा अंदर डाल और मजा आएगा
मैने भी आज सोच किया था कि आज इतने सालों का बदला लेके रहूंगा : उम्मम ऐसे ही , अच्छे से कहो
अम्मी मुस्कुरा कर : धत अब कैसे कहूं
मै हस कर अपना सुपाड़ा बुर पर कोंचते हुए : मै आपका बेटा हूं न तो कैसे कहोगे बेटे से अपने , कहो
अम्मी मुस्कुरा कर : मुझे भी अपने जैसे बनाना चाहता है क्या ?
मैने बस हा में सर हिलाया
अम्मी ने एक गहरी सांस ली : अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम शानू
मै उनकी ओर देख कर उनकी आंखे के हवस से मदहोश थी ये नशा सा तैर रहा था : हा अम्मी कहो न
अम्मी : चोद न अपनी अम्मी को , डाल दे अपना लंड मेरी बुर में भर दे इसको अह्ह्ह्ह और नहीं रहा जाता मुझसे
मै पूरा सिहर उठा ये सुनते हुए और बिना एक पल गवाए अपना सुपाड़ा सेट करता हुआ लंड को बुर में दबाते हुए घुसाने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना मोटा है रे अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
मैने जरा भी रहम नहीं दिखाया और पूरी ताकत से लंड को उनकी रसीली बुर में उतार दिया और उनके ऊपर चढ़ आया ।
मेरा बड़ा सा लंड उनकी चूत के जड़ में था और मै उनके ऊपर उनकी आंखों के देखते हुए उनके लिप्स चूस लिए
अम्मी मुझे देख रही थी और फिर बोली: पेलेगा नहीं
मै फिर से जोश से भर गया और अपना कमर चलाने लगा । देखते ही देखते अम्मी की सूरत बिगड़ने लगी साथ में मेरी भी
मैने उन्हें कस किया और चोदने लगा : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अम्मी कितनी मुलायम बुर है आपकी अह्ह्ह्ह सीईईईईई
अम्मी : अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा न मेरे बेटे को और पेल मुझे अह्ह्ह्ह तेरा लंड बहुत मस्त है अब तो इसी से चुदुंगी रोज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह उम्ममम
मैने भी तेजी से उनकी बुर में जगह बनाते हुए पेलने लगा और अम्मी की सिसकिया फिर से उठने लगी और पूरे कमरे में गूंजने लगी
न मै रुकने वाला था और न वो चुप होने वाली
तेजी से मेरा लंड उनकी बुर में जाने और वो झड़ने लगी , उनका गर्म गर्म लावा मेरे सुपाड़े को जलाने लगा : ओह्ह्ह्ह बेटा रुकना मत चोद और तेज उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम नहीं अह्ह्ह्ह
वो अपनी बुर की कसने लगी अपनी जांघो से मुझे बांधने लगी , ऐसा लगने कहा मानो किसी सक्सन से मेरा लंड अंदर की सुरक रहा था और मै भी तेजी से चिंघाड़ता हुआ हच्च हच्च लेने लगा : ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अम्मी आई लव यू अम्मी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
तभी अम्मी एकदम से मुझे रोकने लगी लेकिन मै चरम पर था : शानू , शानू रुक रुक बेटा रुक जा वो वो
मै लगातार पेलते हुए अपने चरम पर था और बस झड़ने के करीब था : अह्ह्ह्ह्ह अम्मी बस हो गया ओह्ह्ह्ह आएगा
तभी अम्मी ने मुझे एक जोर का थप्पड़ मारा : पागल बोल रही हूं न रुक , तेरे अब्बू है
मेरी एकदम से फट गई लेकिन लंड की नशे भी फूट चुकी थी एक के बाद एक नीचे अम्मी की बुर में मेरा फब्बारा फूट रहा था और ठीक मेरे पीछे अब्बू खड़े थे लेकिन मै अपने कंट्रोल में नहीं थी
करीब 5 से 7 मिनट लगे थे मुझे खुद को संभालने में इतना ज्यादा वीर्य निकला था मानो देह में कोई रस नहीं था हो
वही अम्मी अब्बू के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ा रही थी , हर वो कोशिश कर रही थी कि उनके गुस्से की आंच मुझ तक ना आए और वो नंगी ही अब्बू को लेकर कमरे से बाहर गई
मैने भी सुरक्षा के लिए कमरा बंद कर लिया सारी रात झपकियां लेते हुए डर के गुजरी । डर जो भी था मुझे मेरे लिए था क्योंकि मुझे यकीन था जिस आदमी ने खुद के फैंटेसी के लिए अपनी बीवी अपने दोस्त को परोसा हो वो अपनी बीवी को कुछ नहीं कहेगा ।
सुबह होते होते फैसला हो गया
पढ़ाई के लिए जहां मुझे कुछ दिन बाद जाना था । अब्बू ने वो दिन आज का ही चुन लिया । पता नहीं क्या बातें हुई लेकिन अम्मी ने अपना मोबाइल मुझे दे दिया ये कहते हुए कि आगे से वो कभी भी मोबाइल नहीं लेंगी । कुछ जरूरत होगी तो उनसे बात करने के लिए पड़ोस की जुबैदा के फोन पर बात होगी ।
उसके बाद से मेरा घर और अम्मी दोनों ही मुझसे दूर हो गई । पहले पढ़ाई और फिर नौकरी ।
अलीना: तो क्या बीच में तुम कभी भी घर वापस नहीं गए
मै : गया था लेकिन बस त्योहारों पर वो भी अब्बू खुद मुझे लेकर आते थे साथ में और अगले दिन मुझे वापस छोड़ आते , इसके बाद जो कुछ हुआ तुम सब जानती हो ।
अलीना : हम्मम आई लव यू
मै मुस्कुरा और फोन को कान पर लगाए हुए ही : लव यू मेरी जान
अलीना : अच्छा ठीक है अब आराम कर लो
मै : ओके तुम भी करो , गुड नाइट
अलीना : ओके बॉय, उम्माह
मै मुस्कुरा कर फोन रख दिया और बिस्तर पर पसर गया ।