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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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dhparikh

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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
Nice update...
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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Update 9

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा, वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"

ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं
वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं,
एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...


अब आगे:

सामने से दो लड़कियां क्लास में आती हैं जिन्हें वीर और सनी एक टक देखते ही रह जाते हैं, वो दोनों धीरे-धीरे चलकर उन दोनों के पास आती हैं!

वो कोई और नहीं बल्कि अपनी सुप्रिया और कंचन ही थी! दोनो का ध्यान उनकी तरफ केवल एक बार ही गया था
और फिर अपनी बातों में लग गई थी, इधर ये दोनो भी अपनी बातों को भूल कर उनको देखने में ही लगे रहे!
अचानक सुप्रिया को कुछ एहसास हुआ तो उसने अपनी बेंच से नज़र घुमाके देखा, तो दोनो उनकी तरफ ही देख रहे थे!

सुप्रिया की नजरों का पिछा कंचन ने भी किया तो यहीं पाया, जैसे उसने उसकी नजर सनी से टकराई,

उसने अपनी नजर झुका ली पर सुप्रिया ने ऐसा नहीं किया वो सवालिया नजरों से और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए!

सुप्रिया: क्या बात है वीर! ऐसे क्या देख रहे हो? कुछ गड़बड़ है क्या?

वीर: नहीं प्रिया बस ऐसे ही!

प्रिया: ऐसे ही क्या? तुम बताओ सनी!

सनी: क.क... कुछ नहीं प्रिया बस ऐसे ही, मुझे तो बात ही नहीं पता क्या है?

प्रिया: कुछ नहीं ?? जब से क्लास में आये हो तुम दोनों ऐसे घूर रहे हो हमें, कुछ तो गड़बड़ है!!

सनी चुप हो कर अपनी नजरें झुका लेता है तो प्रिया वीर की और सवालिया नजरों से देखती है जबकी कंचन भी चोरी-चोरी देख ले रही थी!

वीर: क्या? मैने क्या किया है प्रिया जो अब ऐसे घूर रही हो?

प्रिया: ????? कुछ बताओगे? या फिर आज के बाद बात नहीं करूंगी सोच लेना फिर मुंह मांगोड़ी (अजीब सा) सा करके घूमोगे !!.

वीर: अरे यार तू भी ना अब तक वैसी ही है!
वो क्या है ना तुम पहले सिंपल रहती थी, मेरा मतलब है कि आजकल...थोड़ा अलग लगती है..
मेरा मतलब.. कुछ अलग दिख रही हो..
अब क्या हाी बोलू कैसे समझाऊं , तुम खुद ही समझ जाओ यार,
पहले तुम लिपस्टिक बहुत कम... मेरा मतलब सजना संवर....समझ जा ना चिकुड़ी। :D

प्रिया : एक मारूंगी तोते अगर यहां पे चिकुड़ी बोला तो!
और मैं समझ गई क्या खुन्नक है तुझे (बोलके हंसने लगती है)

ये सुनकर वीर भी राहत की सांस लेता है और सनी भी (मन मैं बच गया बेन... नहीं तो ये पीछा नहीं छोड़ती)

तभी क्लास में और भी स्टूडेंट्स आने लगते हैं और ये लोग भी चुप होकर बैठ जाते हैं और आपस में ही खुश होकर फुसर करने लगते हैं

सनी: वैसे एक बात तो बता वीरा ये माजरा क्या है मैंने भी नोट किया है कि तू आजकल प्रिया को कुछ अलग नजरों से ही देख रहा है? कहि...वो वाला तो चक्कर नहीं है?

वीर: क्या भाई कोन सा वो चक्कर है? कोई चक्कर नहीं है! बस थोड़ा अलग लग रही थी तो बार-2 नजर जा रही थी उधर!!

सनी: (मुस्कान के साथ) साले कितने दिनों से जानता हूँ तुझे! मुझे बेवकूफ बनाना आसान नहीं है।

वीर: अरे यार बचपन की दोस्त है वो मेरी, और मैंने कभी उसको उन नजरों से नहीं देखा।

सनी: तो क्या हुआ अब देख ले :D यार कितनी सुंदर है देख तो सही, काश ये मुझ पर लाइन मारे!

वीर: साले मुझे गुस्सा मत दिला तू दुनिया की किसी भी लड़की के लिए कुछ भी बोल पर मेरे भाई उसके लिए कुछ मत बोलना मैं हाथ जोड़ता हूं तेरे तू भाई है मेरा, और मैं नहीं चाहता कि अपने बीच में कुछ भी गलत फहमी हो या कोई बात हो.

सनी: जली ना? बस कमीने तेरे मुंह से यहीं सुनना चाहता था मैं, ईसी लिए बोला, मुझे जो जानना था (मुस्कुराते हुए) मैं जान चुका हूं।

वीर: क्या जाना तुमने? मुझे भी बताओ जरा!

सनी: यही कि तू उसको चाहता है, पर मन ही मन!

और जहां तक मुझे लगता है कि वो भी तुझे चाहती होगी।

वीर: चाहता है...! अरे भाई अगर मैं किसी को चाहूँगा तो मुझे तो पता होगा ना, हम बस बचपन के दोस्त हैं और कुछ नहीं!

सनी: यही तो बात है मेरे दोस्त बचपन को जब जवानी के पंख लगते हैं तो मन और दिल पता नहीं किन वादियों में और किन हवाओं में उड़ता रहता है!

वीर:
मोहब्बत कोई खेल नहीं होता. मोहब्बत की राहो में, अफ़साने हज़ार मिलते हैं,
दिल से मोहब्बत करने वाले, सच्चे दीवाने कहाँ मिलते हैं।
याद करके आँसू बहाने वाले, सच्चे आशिक नहीं होते।
सच्चे महबूब रोते नहीं है, महबूबा की याद में ताजमहल बनवाते हैं।
और धड़कती सांसों का कोई मोल नहीं होता, मोहब्बत कोई खेल नहीं होता.


ये प्यार मोहब्बत फिल्मो या किताबों में ही अच्छा लगता है भाई। हकीकत में ऐसा नहीं होता!

सनी: क्यों नहीं होता भाई, होता भी है, और देखा भी है हमने। अभी तुमको खुद को नहीं पता कि हकीकत क्या है! जब-कभी वो दिखाई नहीं देती, या कोई दूसरे गांव जाती है तो तुम्हारा दिल बेचैन रहता है? उसकी याद आती है? सोच के बता?

वीर: हा वो तो होता ही है इसमे सोचना क्या है वो मेरे बचपन की दोस्त है।
रही बात गांव जाने की तो वो भी सही है, उस समय मन काफी उदास रहता है।

सनी: तो सुन मेरे भाई यही प्यार है, बस तुझे ये दोस्ती वाला लगता है और मुझे ये प्यार वाला लगता है(मुस्कान)।

वीर: अबे जा ऐसा थोड़ी होता है? मुझे प्यार होता तो पता तो लगता ना?

"नजर से दूर है फिर भी फिजा में शामिल है कि तेरे प्यार की खुशबू हवा में शामिल है, हम चाह कर भी तेरे पास आ नहीं सकते कि दूर रहना भी, मेरी वफा में शामिल है"


सनी: साले प्यार होगा तो वायलिन थोड़ी बजेगा? बस तुझे एहसास नहीं हुआ है।

वीर: देखते हैं भाई थोड़े दिन रुक जा पता लग जाएगा(मुस्कान)।

ये लोग ऐसे ही बात करते रहते हैं, फिर क्लास शुरू हो जाती है, लंच में सब लोग पहले कैंटीन में जाते हैं। लेकिन आज कुछ भी प्रिय घटना नहीं घटी। ऐसे ही एक-एक करके दिन गुजर रहे थे की एक दिन...!

जारी है.....:writing:
Nicely updated
 

parkas

Well-Known Member
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"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा, वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"

ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं
वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं,
एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...


अब आगे:

सामने से दो लड़कियां क्लास में आती हैं जिन्हें वीर और सनी एक टक देखते ही रह जाते हैं, वो दोनों धीरे-धीरे चलकर उन दोनों के पास आती हैं!

वो कोई और नहीं बल्कि अपनी सुप्रिया और कंचन ही थी! दोनो का ध्यान उनकी तरफ केवल एक बार ही गया था
और फिर अपनी बातों में लग गई थी, इधर ये दोनो भी अपनी बातों को भूल कर उनको देखने में ही लगे रहे!
अचानक सुप्रिया को कुछ एहसास हुआ तो उसने अपनी बेंच से नज़र घुमाके देखा, तो दोनो उनकी तरफ ही देख रहे थे!

सुप्रिया की नजरों का पिछा कंचन ने भी किया तो यहीं पाया, जैसे उसने उसकी नजर सनी से टकराई,

उसने अपनी नजर झुका ली पर सुप्रिया ने ऐसा नहीं किया वो सवालिया नजरों से और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए!

सुप्रिया: क्या बात है वीर! ऐसे क्या देख रहे हो? कुछ गड़बड़ है क्या?

वीर: नहीं प्रिया बस ऐसे ही!

प्रिया: ऐसे ही क्या? तुम बताओ सनी!

सनी: क.क... कुछ नहीं प्रिया बस ऐसे ही, मुझे तो बात ही नहीं पता क्या है?

प्रिया: कुछ नहीं ?? जब से क्लास में आये हो तुम दोनों ऐसे घूर रहे हो हमें, कुछ तो गड़बड़ है!!

सनी चुप हो कर अपनी नजरें झुका लेता है तो प्रिया वीर की और सवालिया नजरों से देखती है जबकी कंचन भी चोरी-चोरी देख ले रही थी!

वीर: क्या? मैने क्या किया है प्रिया जो अब ऐसे घूर रही हो?

प्रिया: ????? कुछ बताओगे? या फिर आज के बाद बात नहीं करूंगी सोच लेना फिर मुंह मांगोड़ी (अजीब सा) सा करके घूमोगे !!.

वीर: अरे यार तू भी ना अब तक वैसी ही है!
वो क्या है ना तुम पहले सिंपल रहती थी, मेरा मतलब है कि आजकल...थोड़ा अलग लगती है..
मेरा मतलब.. कुछ अलग दिख रही हो..
अब क्या हाी बोलू कैसे समझाऊं , तुम खुद ही समझ जाओ यार,
पहले तुम लिपस्टिक बहुत कम... मेरा मतलब सजना संवर....समझ जा ना चिकुड़ी। :D

प्रिया : एक मारूंगी तोते अगर यहां पे चिकुड़ी बोला तो!
और मैं समझ गई क्या खुन्नक है तुझे (बोलके हंसने लगती है)

ये सुनकर वीर भी राहत की सांस लेता है और सनी भी (मन मैं बच गया बेन... नहीं तो ये पीछा नहीं छोड़ती)

तभी क्लास में और भी स्टूडेंट्स आने लगते हैं और ये लोग भी चुप होकर बैठ जाते हैं और आपस में ही खुश होकर फुसर करने लगते हैं

सनी: वैसे एक बात तो बता वीरा ये माजरा क्या है मैंने भी नोट किया है कि तू आजकल प्रिया को कुछ अलग नजरों से ही देख रहा है? कहि...वो वाला तो चक्कर नहीं है?

वीर: क्या भाई कोन सा वो चक्कर है? कोई चक्कर नहीं है! बस थोड़ा अलग लग रही थी तो बार-2 नजर जा रही थी उधर!!

सनी: (मुस्कान के साथ) साले कितने दिनों से जानता हूँ तुझे! मुझे बेवकूफ बनाना आसान नहीं है।

वीर: अरे यार बचपन की दोस्त है वो मेरी, और मैंने कभी उसको उन नजरों से नहीं देखा।

सनी: तो क्या हुआ अब देख ले :D यार कितनी सुंदर है देख तो सही, काश ये मुझ पर लाइन मारे!

वीर: साले मुझे गुस्सा मत दिला तू दुनिया की किसी भी लड़की के लिए कुछ भी बोल पर मेरे भाई उसके लिए कुछ मत बोलना मैं हाथ जोड़ता हूं तेरे तू भाई है मेरा, और मैं नहीं चाहता कि अपने बीच में कुछ भी गलत फहमी हो या कोई बात हो.

सनी: जली ना? बस कमीने तेरे मुंह से यहीं सुनना चाहता था मैं, ईसी लिए बोला, मुझे जो जानना था (मुस्कुराते हुए) मैं जान चुका हूं।

वीर: क्या जाना तुमने? मुझे भी बताओ जरा!

सनी: यही कि तू उसको चाहता है, पर मन ही मन!

और जहां तक मुझे लगता है कि वो भी तुझे चाहती होगी।

वीर: चाहता है...! अरे भाई अगर मैं किसी को चाहूँगा तो मुझे तो पता होगा ना, हम बस बचपन के दोस्त हैं और कुछ नहीं!

सनी: यही तो बात है मेरे दोस्त बचपन को जब जवानी के पंख लगते हैं तो मन और दिल पता नहीं किन वादियों में और किन हवाओं में उड़ता रहता है!

वीर:
मोहब्बत कोई खेल नहीं होता. मोहब्बत की राहो में, अफ़साने हज़ार मिलते हैं,
दिल से मोहब्बत करने वाले, सच्चे दीवाने कहाँ मिलते हैं।
याद करके आँसू बहाने वाले, सच्चे आशिक नहीं होते।
सच्चे महबूब रोते नहीं है, महबूबा की याद में ताजमहल बनवाते हैं।
और धड़कती सांसों का कोई मोल नहीं होता, मोहब्बत कोई खेल नहीं होता.


ये प्यार मोहब्बत फिल्मो या किताबों में ही अच्छा लगता है भाई। हकीकत में ऐसा नहीं होता!

सनी: क्यों नहीं होता भाई, होता भी है, और देखा भी है हमने। अभी तुमको खुद को नहीं पता कि हकीकत क्या है! जब-कभी वो दिखाई नहीं देती, या कोई दूसरे गांव जाती है तो तुम्हारा दिल बेचैन रहता है? उसकी याद आती है? सोच के बता?

वीर: हा वो तो होता ही है इसमे सोचना क्या है वो मेरे बचपन की दोस्त है।
रही बात गांव जाने की तो वो भी सही है, उस समय मन काफी उदास रहता है।

सनी: तो सुन मेरे भाई यही प्यार है, बस तुझे ये दोस्ती वाला लगता है और मुझे ये प्यार वाला लगता है(मुस्कान)।

वीर: अबे जा ऐसा थोड़ी होता है? मुझे प्यार होता तो पता तो लगता ना?

"नजर से दूर है फिर भी फिजा में शामिल है कि तेरे प्यार की खुशबू हवा में शामिल है, हम चाह कर भी तेरे पास आ नहीं सकते कि दूर रहना भी, मेरी वफा में शामिल है"


सनी: साले प्यार होगा तो वायलिन थोड़ी बजेगा? बस तुझे एहसास नहीं हुआ है।

वीर: देखते हैं भाई थोड़े दिन रुक जा पता लग जाएगा(मुस्कान)।

ये लोग ऐसे ही बात करते रहते हैं, फिर क्लास शुरू हो जाती है, लंच में सब लोग पहले कैंटीन में जाते हैं। लेकिन आज कुछ भी प्रिय घटना नहीं घटी। ऐसे ही एक-एक करके दिन गुजर रहे थे की एक दिन...!

जारी है.....:writing:
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Thank you very much :heart:
Ye bas tumhari request pe aaj kiya hai Varna kal update deta mai , obituary thoda bada hota:D But now agla update Monday chalega na:yes1:
Nicely updated
 

Raj_sharma

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