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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Last edited:

Shetan

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Kasam se Raj_sharma bhai ek bat to maani pdegi apni Shetan Devi ji ki ek ek shabd ka mtlb smjne ke bad he comment krti hai
.
Lekin comment bhi jordar hota hai
Ya ye khe
UNIQUE hota hai
Very Well Shetan Devi ji
Majak nahi
Acha lagta hai mujhe aapke comment krne ka method
Yahi to ek writer ki kamai hai. Kam se kam use vahi mile. Pardo ke pichhe kam karne vala writer hi hota hai. Jise log nahi jante.
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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मेरे मोबाइल में problm hai या फिर फोरम की साइट मे क्योकि पेज इतना slow open हो रहा है कि कोई भी पोस्ट पर react करता हूँ तो दस दस मिनट तक site पर इमोजी चिपका रहता है. सारे browesr चेक कर लिए. इसलिए किसी की पोस्ट पर कंमेंट तक नहीं कर पाता 😞

same problem in my laptop also ..... :verysad:

इस problm का कोई solution ढूँढिये 😔

Sorry dosto
Khas taur par Raj_sharma Bhai
Ajkal bete ke sath jyada samay de raha hu, isliye ap sab ko samay nahi de pata

Is problem ka easy solution hai
"Browser settings me jakar site settings me image display band kar dijiye.... Page extremely fast load honge"
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
Kafi bada update thoda chota diya kijiye,... 🥺🥺ek to roj toj nahi dete update diya to thola sa,😕... Koi na fir bhi waiting for your next update
 

park

Well-Known Member
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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
Nice and superb update....
 

vakharia

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Bhai mujhe nahi banana aata, tum bana do agar ho sakta hai to :declare:
चिंता की कोई बात नहीं है.. पाठकों की सहूलियत के लिए ये लीजिए अनुक्रमणिका.. कॉपी पेस्ट कर दीजिए सूत्र के प्रथम पन्ने पर। अपने हर नए अपडेट के साथ इसे भी अपडेट करते रहिएगा Raj_sharma

Update 1Update 2Update 3Update 4Update 5Update 6
Update 7Update 8Update 9Update 10Update 11Update 12
Update 13Update 14Update 15Update 16Update 17Update 18
Update 19Update 20Update 21Update 22Update 23Update 24
UpdateUpdateUpdateUpdateUpdateUpdate
UpdateUpdateUpdateUpdateUpdateUpdate
UpdateUpdateUpdateUpdateUpdateUpdate

Rajizexy भाभी जी आपके सुचन पर अमल हो गया

DEVIL MAXIMUM काम हो गया है..
 

Raj_sharma

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Yahi to ek writer ki kamai hai. Kam se kam use vahi mile. Pardo ke pichhe kam karne vala writer hi hota hai. Jise log nahi jante.
Bilkul sahi kaha aapne sarkar :hug:
 
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Raj_sharma

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Sorry dosto
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Is problem ka easy solution hai
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Waah ise kahte hai experience :hug:Hamare kamdev bhai ke pas har samasya ka samadhaan hai.
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Jaroor aaj saam ko hi deta hu fir:D
 
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