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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,
पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
 

Raj_sharma

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One upon a time miss briganza asked a question in her class,
Pyar kya hai?
And her student answered
Pyar dosti hai

Ab wo student Raj_sharma hoga ye nahi pata tha :D
Talking about story it's still in its initial stage to jyada kuch bolne ko abhi to hai nahi, love and friendship is a widely used topic in romance stories to main ye dekhna chahunga ke writer sahab isme kya naya aur refreshing lekar aate hai, main leads ka intro ho chuka hai lekin 2nd update ke baad unpar baat honi baki hai wo relationship kaise explore hota hai dekhne wali baat hogi baki villain badhiya establish kiye ho raghuveer ka unko tackle karne ka tarika dekhne layak hoga.
Waiting for the next one aaj Monday aa gaya hai update jab aa jaye batana :D

पंडित जी ने इस फोरम की लगभग सभी महिलाओं को इस थ्रीड पर इकट्ठा कर लिया है । वाह , क्या बात है !

रोमांटिक प्रीफिक्स पर आधारित इस स्टोरी पर आपने अच्छा खासा मेहनत किया है और यह सफल भी है । शेरो - शायरी पर आपकी मजबूत पकड़ है ही जो इस स्टोरी की खुबसूरती मे चार चांद लगा ही देता है ।

रघुवीर और सुप्रिया का किरदार प्रारम्भिक दौर पर है । इनका चरित्र धीरे धीरे ही डेवलप होगा । कालेज के छोटे - मोटे सीन्स और लड़ाई झगड़ा को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है आपने ।
मोहित और उसका बाहुबली बाप शायद इस स्टोरी मे नेगेटिव किरदार मे है । इन किरदारों को भी अच्छी तरह से पेश किया गया है ।

जहां तक बात है उस लड़की की जिसकी वजह से त्रिपाठी सर के इज्ज़त का कबाड़ा हुआ तो मेरा मानना है कि सारी गलती लड़की की ही थी । बदनामी के डर से उसने पुलिस थाने मे कोई कम्प्लेन नही की जो एक तरह से अपराधी को प्रोत्साहित करना ही था ।

बहुत बेहतरीन लिख रहे है आप शर्मा जी ।
ऐसे ही लिखते रहिए ।


Kuch busy tha kai dino se, job aur baki kaam me. Ju ki story bhi padhunga jald.

Nice update 🌟🌟🌟🌟🌺🌺🌺✔️✔️
Story is building up nicely.
Raj_sharma

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and awesome update....

Mast update
Ab ye sunny kaun hai ,
AUr wo veer ke papa ko chacha bol rha hai , kahi sage chacha to nhi hai ...?

But Bhai ji itna chota update diya aapne

Awesome update,
College me ab जमेगा rang jab mil बैठे do yar,
Kya ye त्रिकोणीय hone wali Hai love story

Shandar update

आगे से बताना भी नहीं है कुछ क्योंकि इससे वास्तव से मजा खराब हो जाएगा हमें ऐसे ही idea लगाते रहने दीजिए

Nice update....

Kabhi esa feel hota he jese tripathi raghubir se help nahi le raha. Balki mohra bana ne ki kosis kar raha hai.

Reging ke daylog muje mast lage. Khas kar miss world ke jawab me jo bola
Muje ese sokh nahi hai.

Amezing aur mazedar daylog story ko dilchap banate hai.

Sunny. Ek positive man mila hero ko. Chahe pahechan purani nikali ho. Par hero ke side koi hai. Maza aaya update padhne me.

Kya kahna bhai ji mast ekdum dhasu Jabardast superb update :rock1:

Bahut sundar bhamaon se aot prot…

Jabardast story 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

Mast updates


Nice update....

Nice update....khani..mast h bas update Dene ke sath chota sa mention 🤭

Pehle Shetan ke kisse padh lu .. fir itminaan se aap ko dekh lungi... pakka 💋 :cool3:
Riky007
kamdev99008
Tiger 786

Friends update post kar diya hai :declare:
 
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Raj_sharma

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Awesome update bro

Bahut h mast update bro and nice story waiting for next update

Kya kahna bhai ji mast Lajawab Jabardast superb ekdum dhasu update :rock1:

Awesome update

Excellent update...

Bahut hi umda update
Bhai aapne kaha tha ki abhay aur Sandhya ke kuchh Raj hai jo abhay ke aane ke baad khulega aur abhay par Sandhya vishwas kyun nahi karti thi ye bhi pata chega

Superb apdet Bhai

Thank you sooo mucchhhh

Update post kar diya hai bhidu.
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

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jabardast update bhai

Ye Mohit itni jaldi nhi sudhrega
Isko tagda dose chahiye
 

Shetan

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Update ki bat bad me. Nahi to ye bhul jaungi. Kya daylog likhe hai yaar. Amezing.

1) कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं
2) "ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

Aur bhi bahot daylog hai. San copy karungi to yahi update ho jaega. Vo medhak vala muhavra bhi bast tha. Aur raghubir ka ab bhokega vala bhi superb tha.

Akhir kya dar ya soch rahi hogi tumhari jo tum ab tak sirf redrs the. Kya skill hai. Ye story ke lie nahi hai. Ese special daylog muje ek to komal Rani ke pasand hai. Aur ab aap bhi. Amezing you yaar. Aap koi bhi story ko amezing bana sakte ho. Apna name raj sharma hatakar daylog master rakh lo panditji. Kyo ki aap jese bahot hi kam hai.


Sunny ki najar Kanchan se mili. Matlab sayad 2 hiroin hai. Ye update padhkar muje kai filmo ki yaad aa gai. Najro ka milna aur chori se pakadna. Maza aa gaya. Aage thoda jaldi likhna please. Me special ye story ke updates padhti hu.
 

kas1709

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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
Nice update...
 
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