अध्याय ४
जब मेरी नींद खुली, मैं अपने आप को बिल्कुल एक अच्छी नींद सोई हुई और तरोताजा महसूस कर रही थी| भोर की गुलाबी-गुलाबी रोशनी बाहर छाई हुई थी- फिर मुझे एहसास हुआ कि मैं और कमला मौसी अभी भी एक दूसरे से लिपटे हुए थे और हम दोनों बिल्कुल नंगी थी|
मैंने धीरे-धीरे अपने आप को उनके आलिंगन से मुक्त किया और फिर चुपचाप जमीन पर पड़ी हुई नाइटी उठाकर अपने ऊपर चढ़ा ली और कमला मौसी का नंगा बदन मैंने एक चद्दर से ढक दिया और बिल्कुल दबे पांव कमरे से बाहर निकाल कर बाथरूम में जाकर अपने मुंह हाथ धोएं|
सुबह की नित्य-क्रिया करके मैंने जल्दी-जल्दी घर में झाड़ू लगाई, फर्श पर पोंछा लगाया और फिर जब मैं किचन में घुसी; तो मैंने देखा कि कमला मौसी चाय बना रही थी|
मुझे नहीं पता कि आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है? दुकान पर आए स्वामीजी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की रखैल ने तो मेरी खूब तारीफ की बरसात ही उसने यह भी कहा था कि उसकी इच्छा है कि वह मुझे नंगी देखे... फिर बातों ही बातों में कमला मौसी ने भी मुझसे पूछा था- क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?
और सबसे बड़ी बात, पिछली रात जो मेरे और कमला मौसी बीच हुआ उसका एहसास मेरे दिलों दिमाग पर छाने लगा लगा और मुझे शर्म आ रही थी और थोड़ी ग्लानि भी हो रही थी|
मैं चुपचाप रसोई घर से बाहर जाने लगी तो कमला मौसी ने मेरी तरफ शरारत भरी मुस्कान लिए मुझे तिरछी नजरों से देखते हुए कहा, "मलाई? तूने तो मेरी वाली नाइटी पहन रखी है..."
अब मुझे ध्यान आया सुबह उठकर ध्यान न देते हुए मैंने जमीन पर पड़ी हुई जो नाइटी उठाई थी वह कमला मौसी की थी|
जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ हम दोनों खिल खिलाकर हंस पड़ी और मुझे जो असहजता महसूस हो रही थी वह अचानक गायब हो गई|
चाय नाश्ते के बाद कमला मौसी मुझे ऊपर हमारे कमरे में ले गई जहां मैं और मेरे पति अनिमेष यहां किराए पर रहते थे|
अलमारी से कपड़े निकाल कर कमला मौसी ने खुद मुझे सजया।
मुझे मेरी अच्छी वाली लाल बॉर्डर और क्रीम कलर की साड़ी पहना दी और एक लाल रंग का ब्लाउज जो की काफी लोकाट और बैकलेस और उसके स्टेप्स काफी पतले पतले थे| ब्लाउज इतना कटा कटा और खुला खुला सा था कि इस ब्लाउज को पहनने के बाद मेरी पीठ और स्थानों की वक्र रेखा और विपाटन काफी हद तक दिखता था| ऐसा ब्लाउज पहनने के बाद ब्रा पहनना बिल्कुल नामुमकिन होता है| इसलिए मैंने ब्रा नहीं पहनी
कमला मौसी ने बड़े जतन के साथ मेरे बालों में कंघी करके साइड में एक मांग निकली थी, जिसकी वजह से मेरा सिंदूर बालों से ढक गया था और फिर उन्होंने मेरे माथे पर एक लाल रंग की बड़ी सी बिंदी लगा दी। फिर बड़े जतन से उन्होंने मेरे नाखूनों में नेल पॉलिश लगाई और मेरे होठों पर एक भड़कीले लाल रंग की लिपस्टिक लगाने से पहले दो-तीन बार मेरे होठों को उन्होंने चूमा फिर मुझे आईने के सामने खड़ा करके मुझे और मेरे प्रतिबिंब को निहारने लगी, "वाह, बड़ी सुंदर लग रही है तू, मलाई"
यह कहकर कमला मौसी ने मेरे सर की चांदी के ऊपर जैसे तैसे बंधा हुआ जुड़ा खोल कर बड़े जतन से मेरे बालों में कंघी किया और फिर उन्होंने एक लटकता जुड़ा बांध दिया| फिर मेरे कानों में बड़े-बड़े झुमके पहना दिए |
मैं उत्सुकता से खुद के प्रतिबिंब को आईने में देखा, मेरे गर्दन तक मेरे बाल बिल्कुल ढीले ढाले से थे जुड़ा ठीक मेरे गर्दन के नीचे लटक रहा था और मेरे चेहरे पर एक अजीब सी स्रैण चमक झलक रही थी... मैं तो सिर्फ स्वामी जी गुड़धानी खाँ के घर सामान पहुंचाने जा रही थी|
ऐसे काम कितनी बार तो बंटी मिस्त्री हमारे लिए कर चुका है और इस काम के लिए हम उसे पैसे भी देते थे|
पता नहीं क्यों कमला मौसी मुझे स्वामी जी गुड़धानी खाँ की आश्रम में भेजना चाहती थी वह भी इतना सजा धजा कर...
मैंने सब ख्यालों में खोई हुई थी कितने में कमला मौसी का फोन बज उठा|
"हां हां शैली खाला; आपका सारा सामान तैयार है... बस में मलाई को तुम्हारे यहां भेजना ही वाली थी... बस वह निकल ही रही है... मैं जानती हूं कि स्वामी जी गुड़धानी खाँ कि यहां उनके खास भक्त आसनसोल से आए हुए हैं... ठीक है ठीक है, चिंता मत करो मेरी लौंडिया तुम्हारे यहां पहुंचने वाली है... हैं? है क्या कहा तुमने? अरे नहीं नहीं नहीं, फिलहाल मेरी लौंडिया बिल्कुल साफ सुथरी है| जहां तक मैं जानती हूं, उसके मासिक होने में अभी दो-तीन दिन का वक्त है, इसलिए जो सामान आपके पास भेज रही हूं, उसमें अशुद्ध का कोई कारण ही नहीं है"
मैं समझ गई कि कमला मौसी और शैली खाला आपस में बात कर रहे थे... लेकिन वह मेरे मासिक के बारे में बातें क्यों कर रहे थे... बड़ी अजीब बात है; जहां तक मुझे मालूम है स्वामी जी गुड़धानी खाँ कोई आम तंत्र-मंत्र वाले साधु महात्मा नहीं है बल्कि वह एक तांत्रिक भूत और पिशाच सिद्ध व्यक्ति है... वह भगवान की पूजा नहीं करते|
ऑटो स्टैंड घर से 5 मिनट का पैदल रास्ता था| लेकिन मैंने जो दो थैली अपने हाथों में पकड़ रखी थी वह काफी वजनी थे| लेकिन मुझे ज्यादा देर चलना नहीं पड़ा, एक टोटो (ई-रिक्शा) वाले ने मुझे डर से ही देख लिया और अपना फोटो लेकर उसने मेरे पास आकर मुझे ताड़ते हुए पूछा पूछा, "कहां जाना है दीदी ?"
मैंने कहा, “स्वामीजी गुरुधानी खार का आश्रम”
उसकी नजरों से ऐसा लग रहा था कि उससे पहले से ही मालूम है कि मुझे कहां जाना है फिर उसने उससे कहा, "ठीक है; लेकिन रास्ता बहुत लंबा है, दीदी। इसलिए आपको टोटो रिजर्व करके जाना होगा - और वहां से आते वक्त मुझे ख़ाली न आना पड़ेगा इसलिए मैं रास्ते में एक-दो सवारी जरूर चढ़ाऊंगा"
मेरे दोनों के दोनों थैली काफी भारी थे और हमारा घर खरदह टाउन रेलवे फाटक के पास था और स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आश्रम कल्याणी हाईवे के मुहाने पर था| सचमुच रास्ता काफी लंबा है इसलिए मैंने टोटो वाले से कोई बहस नहीं की|
थोड़ी दूर जाने के बाद ही टोटो वाले को दूसरी सवारी मिल गई| एक अधेड़ उम्र की महिला और उसके साथ एक लड़की जिसकी उम्र शायद मेरे बराबर की ही होगी| बड़ी अजीब सी बात है मैंने देखा कि इन दोनों के माथे पर भी मेरी तरह लाल रंग की बड़ी सी बिंदिया लगी हुई थी|
वह लोग भी स्वामी जी गुड़धानी खाँ के आश्रम जाने वाले थे और हम लोगों में बातचीत शुरू होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा|
उसे अधेड़ उम्र की औरत ने मुझसे पूछा, "तो क्या तुम भी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की वूमंडली में शामिल हो चुकी हो?"
यह सुनकर मुझे शैली खाला की बात याद आ गई उसने कहा था- ई लौंडिया हमर के वूमंडली खातिर बिल्कुल परफेक्ट बा...
लेकिन मैं तो वूमंडली के बारे में कुछ नहीं जानती, "माफ कीजिएगा, मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम"
वह अधेड़ और की औरत और वह लड़की दोनों हंस पड़े और मैंने गौर किया कि टोटो वाला भी रियर व्यू मिरर में मुझे देखकर एक अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था|
फिर उसे दिन उम्र की महिला ने मुझसे कहा, "इसका मतलब है कि तुम बिल्कुल नई नवेली हो... तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। कई महिलाएं स्वामी जी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की भक्त है। वह अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए स्वामी जी के पास आती हैं... शायद तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि स्वामी जी गुड़धानी खाँ कोई आम तंत्र-मंत्र वाले साधु महात्मा नहीं है बल्कि वह एक तांत्रिक भूत और पिशाच सिद्ध व्यक्ति है... वह भगवान की पूजा नहीं करते... और ना ही कोई दुआ ताबीज करते हैं... इसलिए यूं तो ज्यादातर महिलाएं ही उनके पास अपनी इच्छा पूर्ति के लिए आती है लेकिन अगर कोई आदमी अपनी समस्या का समाधान करना चाहता हो तो उसे भी अपने साथ एक औरत को स्वामी जी गुड़धानी खाँ कि यहां लाना पड़ता है... अपनी इच्छा पूर्ति या फिर अपनी समस्या का समाधान का मोल चुकाने के लिए... और जो महिलाएं स्वामी जी गुड़धानी खाँ की शरण में आती है; वह ज्यादातर स्वामी जी गुड़धानी खाँ की अनुगामी बन जाती हैं... और ऐसी औरतों के समूह को वूमंडली का नाम दिया गया है... और मुझे तो पूरी उम्मीद है कि तुम भी जल्द ही वूमंडली में शामिल होने वाली हो"
मैंने पूछा, "औरतें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए स्वामी जी गुड़धानी खाँ जैसे किसी सिद्ध पुरुष के पास जाती है यह बात तो मेरी समझ में आ गई, लेकिन अगर कोई आदमी उनके पास जाए तो उन्हें अपने साथ एक औरत को लाना जरूरी होता है, ऐसा क्यों?"
मेरी बात सुनकर वह अधेड़ उम्र की औरत और उसके साथ आई लड़की, कहां का मार कर हंस उठी, फिर उसे औरत ने कहा, " तुम सचमुच कुछ भी नहीं जानती हो| तुम्हारे माथे पर बड़ी सी लाल रंग की बिंदिया देखकर मैंने सोचा कि तुम भी वुमंडली की सदस्या हो... मुझे तो लग रहा था कि तुम्हारा शुद्धिकरण और आशीर्वाद प्राप्ति भी हो चुकी है... खैर जो भी हो, तो बहुत जल्दी ही सब कुछ समझ जाओगी... लेकिन एक बात बताओ तुम्हारी शक्ल बहुत जानी पहचानी से लग रही है, ऐसा लगता है कि मैं तुमको पहले भी कहीं देखा है... ओह हां, अब याद आया तुम कमला दीदी की दस-कर्मा भंडार वाली दुकान में काम करती हो ना?"
मैंने कहा, "जी हां, मैं और मेरे पति कमला मौसी के यहां किराए पर रहते हैं; पर मेरे पति अक्सर काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं और मैं घर में अकेली ना रहूं, इसलिए मैं कमला मौसी का दुकान में थोड़ा हाथ बंटा दिया करती हूँ"
इसके बाद मैंने गौर किया कि किसी ने भी कोई बात नहीं की और वह अधेड़ उम्र की महिला, उसके साथ आई हुई लड़की एक अजीब सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लिए सिर्फ मेरी तरफ देख रहे थे यहां तक की टोटोवाला भी रियर व्यू मिरर में मुझे देख देख कर इस अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था।
न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि इन सबको शायद ऐसा कुछ मालूम है जिस बात का मुझे नहीं पता...
क्रमशः