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Erotica वूमंडली की लौंडिया

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naag.champa

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वूमंडली की लौंडिया

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(मलाई- एक रखैल भाग -२)
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय २ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ (समाप्ति )
 
Last edited:

Delta101

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अध्याय ३



"हां, मैं तभी जाग गई थी जब तू नहाने के लिए बाथरूम में गई थी... मुझे अच्छी तरह पता है कि तेरा पति तुझे बिल्कुल भी संतुष्टि नहीं दे पाता है... इसलिए तू कई कई रात, अपने पति के घर रहते हुए भी; अपने शरीर में भटकती हुई वासना की गर्मी को शांत करने के लिए ठंडे पानी से नहा कर आती है|

आज भी तेरे साथ वैसा ही हुआ। मैं भी कभी तेरी उम्र की हुआ करती थी और मैं भी एक औरत हूं; इसलिए औरत के मन और शरीर को मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं। कई बार मैंने सोचा कि जहां तक हो सके मैं खुद तुझे यौन संतुष्टि जाकर दूँ... लेकिन आज तक किसी न किसी वजह से मैं जीजाक्ति रही... तू मेरा यकीन मान अगर मैं मर्द होती तो शायद मैं तेरा अकेलापन और तेरी जिंदगी का यह खोखलापन दूर करने की जरूर कोशिश करती है... अच्छा अब एक अच्छी लड़की की तरह अपनी टांगें फैला दे... शर्मा मत। चल चल चल इतना शर्मा क्यों रही है अपनी टांगों को फैला? भगवान ने तुझे एक योनि दी है, क्या तू इसे सारी जिंदगी सिर्फ पिशाब ही करती रहेगी?"

"कमला मौसी न जाने मुझे कैसा-कैसा लग रहा है" मैंने इसी सकते हुए कहा।

"तुझे कैसा लग रहा है? क्या चल रहा है तेरे दिमाग में तू अपनी कमला मौसी को खुलकर नहीं बताएगी?" यह कहते-कहते कमला मौसी ने मेरे बदन से मेरी नाइटी उतार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया|

मैं बोलना शुरू किया, "ठीक है लेकिन क्या बताऊं मौसी? मैं सपना देख रही थी कि मैं एक गांव में अकेली तालाब में सिर्फ एक पेटिकोट पहन कर- जिससे कि मेरी छाती से जंग तक ढकी रहे; नहा रही थी... अचानक कहीं से वहां चार लोग आए और मुझे जबरदस्ती उठा कर ले गए"

कमला मौसी मेरे पूरे बदन को प्यार से सहलाती हुई बोली, "हां हां हां बोलते रह बोलते रह... तूने कहा तुझे उठा कर ले गए? मतलब तुझे अगवा करके ले गए? अगर चार आदमी एक जवान लड़की को अगवा करके ले जाते हैं, फिर क्या हुआ बोलते रह"

मैं बोलना जारी रखा, " उन्होंने मेरे हाथ और पैर बांध दिए थे| मेरे मुंह पर भी पट्टी बंधी हुई थी ताकि मैं चिल्ला ना सकूं और मैं लगभग अधनंगी हो चुकी थी... वह मुझे अपने किसी अड्डे में ले गए"

"उसके बाद क्या हुआ?"

मैं बोलना जारी रखा, "मुझे अभी भी अच्छी तरह याद है, उन लोगों ने जहां मुझे रखा था वह किसी तरह का एक गोदाम घर जैसा था। आसपास पुआल के बंडल बंधे हुए थे। एक कोने में सिर्फ एक स्टॉल रखा हुआ था जिसके ऊपर एक मोटी सी मोमबत्ती चल रही थी। फिर वह चारों जमीन पर बैठकर और मुझे दिखाते हुए शराब पीने लगे। शराब पीते पीते वह मुझे पत्ते पत्ते इशारे कर रहे थे चिढ़ा रहे थे और कह रहे थे कि आज उन्हें एक अच्छा सा शिकार मिल गया है"

कमला मौसी ने पूछा, " अच्छा वह लोग दिखने में कैसे थे?"

मैंने जवाब दिया, "तगड़े तगड़े से काले काले से"

पता नहीं उन लोगों का वर्णन देते देते मेरे दिमाग में बंटी मिस्त्री का चेहरा क्यों उभर कर आ रहा था।

फिर कमला मौसी ने सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए मुझसे कहा, "अच्छा एक बात बता? तुझे क्या लगता है वह लोग तुझे इस तरह से उठाकर क्यों ले आए थे?"

मुझे लगा कि मेरे मां के अंदर जैसे बांध टूट गया और मैं फूट-फूट कर रोने लगी और मैंने कहा, " वह लोग मुझे भोगने के लिए उठा कर लेकर आए थे कमला मौसी"

कमला मौसी ने हैरानी जताते हुए कहा, "है ? भोगेंगे मतलब ?"

"वह मेरे साथ बलात्कार करेंगे मौसी"

"हैं? वह लोग तेरे साथ बलात्कार करेंगे? मतलब तुझे जबरदस्ती पकड़ कर कर तुझे जमीन पर चित करके लिटा के रखेंगे? उसके बाद कोई तेरे हाथ पकड़ कर रखेगा और कोई तेरी टांगों को फैला कर पकड़ कर रखेगा और फिर उनमें से एक तेरे ऊपर चढ़कर अपना लंड तेरी चुत में जबरदस्ती घुस देगा? उसके बाद वह तब तक हिलाता रहेगा जब तक की उसकी सफेदी यानी की वीर्य तेरी चुत में फूट नहीं पड़ता?"

"हां हां हां कमला मौसी हां"

“अच्छा अच्छा अच्छा, अब रो मत लड़की, रो मत" कमला मौसी ने मुझे दिलासा देने की कोशिश की फिर वह कहने लगी, "देख, वह लोग जब सपने में तेरा बलात्कार करने में उतारु हो रखे हैं, तो ऐसा तो वह तभी कर पाएंगे, जब वह लोग तुझे पूरी तरह नंगी कर दे; देख मैं भी तो तुझे नंगी कर दिया है... अब मैं धीरे-धीरे तेरी चुत में उंगली डालकर हिला रही हूं.... तू अपने सपना के बारे में बताती रह”

फिर उन्होंने पुआल का एक ढेर काटा और उसे बिस्तर की तरह जमीन पर बिछा दिया। फिर उन्होंने मुझे कठपुतली की तरह उठाया और पुआल के बिस्तर पर जबरदस्ती लिटा दिया. उनमें से दो लोगों ने मेरे पैरों फैलाकर पकड़ कर रखे और उनमें से तीसरे ने ने मेरे हाथ मेरे सिर के ऊपर खींच लिए और मेरे हाथों को कस कर जमीन पर दबाये रखा... और फिर उनमें से चौथा, मुझ पर चढ़कर अपना लिंग मेरी योनि जबरदस्ती में डाल दिया।'

कमला मौसी ने मेरी बात सुनी और कहा, "हां, उन्होंने तेरी जैसी अनछुई लड़की जो को उठाया है... वे तेरे जैसी खूबसूरत को लड़की पाकर बहुत खुश हैं... क्योंकि वे जानते हैं कि उनके ऐसे दुर्लभ शिकार में हर किसी का हिस्सा है" ... यह कहते हुए, कमला मौसी ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी योनी में डाल दीं। मैं एक मीठे मीठे दर्द से कराह उठी... "आह!"

कमला मौसी धीरे-धीरे अपनी उंगलियां मेरी योनि के अंदर बाहर अंदर बाहर करती हुई मिथुन करने लगी... और मैं चुपचाप ऐसे ही लेटे लेटे इस चीज के मजे लेने लगी।

थोड़ी देर के लिए कमरे के अंदर एक अजीब सी खामोशी छा गई फिर कमला मौसी ने पूछा, " ग्रुप क्यों गई लड़की? बोलना फिर क्या हुआ?"

अब मेरे साथ से गहरी और तेज होने लगी थी इसलिए मैं हल्का-हल्का हाँफते हुए बोलना जारी रखा, "अब क्या बताऊं मौसी ? न जाने क्यों, अचानक यह सब मुझे बहुत अच्छा लगने लगा... मैं सपने में ही यह सोचने लगी कि यह लोग मुझे जबरदस्ती अपना शिकार बनना चाहते हैं... मुझे भोगना चाहते हैं... लेकिन यह लोग इसके साथ यह भी सोच रहे हैं कि मैं इनका जबरदस्त विरोध करूंगी... और मैं जितना इनका विरोध करूंगी; यह लोग मेरे साथ उतनी ही ज्यादा जबरदस्ती करेंगे | उनको और मजा आएगा कि लोग मेरे बदन को मसल मसल के और जोर लगा के मेरा बलात्कार करेंगे... और यकीन मानो कमला मौसी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो यह सब मेरे साथ सचमुच का हो रहा हो और जैसा कि मैंने कहा अब तो मुझे भी बहुत मजा आने लगा था... इसलिए मैं जानबूझकर सपने में ही और चीखने चिल्लाने लगी... छटपटाना लगी... और हां मुझे ऐसा लग रहा था... यह चार लोग; जो मुझे यहां जबरदस्ती उठाकर यहां लेकर आए हैं... वह पूरा का पूरा मजा ले रहे थे"

इतना बोलने के बाद मेरे अंदर और इतनी शक्ति नहीं बची थी कि मैं और कुछ बोल सकूं; क्योंकि कमला मौसी ने अपनी उंगलियों से मुझे मैथुन करने की बढ़ा दी थी और मेरा दम फूलने लगा था।

मैं सिर्फ आहें भरती रही , "आआआह! आआआह! उममममह"

मुझे ऐसा लग रहा था कि कमला मौसी शायद मेरी नस-नस से वाकिफ थी| उनको मेरी हालात का अच्छी तरह अंदाजा था... इसलिए उन्होंने मैथुन की गति और बढ़ा दी... कुछ ही देर बाद मेरे अंदर परमानंद और एक महा संतोष का जबरदस्त विस्फोट हुआ...

मैं एकदम निढाल होकर हाँफने और सुस्ताने लगी... कमला मौसी ने मेरी योनि से अपनी उंगलियां निकाल कर थोड़ा सा दम लेने के बाद मुझसे कहा, " मैं तेरी सारी बातें सुनी और समझी| मैं बहुत दिनों से सोच रही थी कि तुझे एक बात बोलूंगी इसलिए आज मैं तुझे कुछ बताने वाली हूं; पर मेरी बातें सुनकर अपनी कमला मौसी को बुरा मत समझना"

मैंने कांपती हुई आवाज में पूछा, " कौन सी बात कमला मौसी ?"

कमला मौसी ने एक गंभीर स्वर में मुझसे कहा, "जैसा कि मैं देख रही हूं, तो काफी दिनों से यौन के स्वाद और और उससे प्राप्त हुई संतुष्टि से वंचित है| इसलिए तेरे शरीर के साथ-साथ तेरा मन भी इतना गरम हो जा रहा है और शायद इसीलिए तो ऐसे ऐसे सपने देख रही है... अब तो मुझे ऐसा लगने लगा है कि तुझे शांत करने के लिए कम से कम चार आदमियों की जरूरत पड़ेगी| चिंता मत कर; तू चिंता मत कर मैं हूं ना तेरी मौसी? बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी"

यह कहकर कमला मौसी मुझसे लिपटकर मेरे बगल में लेट गई और वह मुझे तब तक पुचकारती , सहलाती और चूमती गई कि जब तकमैं गहरी नींद में सोने गई...

क्रमशः
nice....
 

chantu

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aap ko namskar
aap ki nai siriz ka intzar tha
sayog se aap ne prarmbh bhi krdi
kahani colkatta se aage ka hi bhag lg rha hai


dhanybad
 

naag.champa

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aap ko namskar
aap ki nai siriz ka intzar tha
sayog se aap ne prarmbh bhi krdi
kahani colkatta se aage ka hi bhag lg rha hai


dhanybad
आदरणीय पाठक मित्र chantu जी,

आपका मंतव्य पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई|
आपने बिल्कुल सही फरमाया, हालांकि यह कहानी काल्पनिक है परंतु इस कहानी की अवस्थिति कोलकाता शहर बाह्यांचल खरदह टाउन और कल्याणी हाईवे के आसपास है|
इसके अलावा यह कहानी इस फोरम में मेरी पूर्व-प्रकाशित कहानी मलाई - एक रखेल का दूसरा भाग है|

आप मेरे एक बहुत पुराने पाठक हैं, और मैं उम्मीद करती हूं कि मैं आगे भी आप जैसे पाठकों का अपनी कहानियों के जरिए मनोरंजन करती रहूंगी|
 
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chantu

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आदरणीय पाठक मित्र chantu जी,

आपका मंतव्य पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई|
आपने बिल्कुल सही फरमाया, हालांकि यह कहानी काल्पनिक है परंतु इस कहानी की अवस्थिति कोलकाता शहर बाह्यांचल खरदह टाउन और कल्याणी हाईवे के आसपास है|
इसके अलावा यह कहानी इस फोरम में मेरी पूर्व-प्रकाशित कहानी मलाई - एक रखेल का दूसरा भाग है|

आप मेरे एक बहुत पुराने पाठक हैं, और मैं उम्मीद करती हूं कि मैं आगे भी आप जैसे पाठकों का अपनी कहानियों के जरिए मनोरंजन करती रहूंगी|
namaskar
aap ki is siriz me kuch alg padne ko milega
esi asha hai ,,,,,
 

naag.champa

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namaskar
aap ki is siriz me kuch alg padne ko milega
esi asha hai ,,,,,


आदरणीय पाठक मित्र chantu जी,
जी हां, मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं हमेशा अपने पाठकों के लिए कुछ नया प्रस्तुत कर सकूं|

यह कहानी कुछ अलग तरह की है| मुझे उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी|
 

naag.champa

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अध्याय ४


जब मेरी नींद खुली, मैं अपने आप को बिल्कुल एक अच्छी नींद सोई हुई और तरोताजा महसूस कर रही थी| भोर की गुलाबी-गुलाबी रोशनी बाहर छाई हुई थी- फिर मुझे एहसास हुआ कि मैं और कमला मौसी अभी भी एक दूसरे से लिपटे हुए थे और हम दोनों बिल्कुल नंगी थी|

मैंने धीरे-धीरे अपने आप को उनके आलिंगन से मुक्त किया और फिर चुपचाप जमीन पर पड़ी हुई नाइटी उठाकर अपने ऊपर चढ़ा ली और कमला मौसी का नंगा बदन मैंने एक चद्दर से ढक दिया और बिल्कुल दबे पांव कमरे से बाहर निकाल कर बाथरूम में जाकर अपने मुंह हाथ धोएं|

सुबह की नित्य-क्रिया करके मैंने जल्दी-जल्दी घर में झाड़ू लगाई, फर्श पर पोंछा लगाया और फिर जब मैं किचन में घुसी; तो मैंने देखा कि कमला मौसी चाय बना रही थी|

मुझे नहीं पता कि आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है? दुकान पर आए स्वामीजी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की रखैल ने तो मेरी खूब तारीफ की बरसात ही उसने यह भी कहा था कि उसकी इच्छा है कि वह मुझे नंगी देखे... फिर बातों ही बातों में कमला मौसी ने भी मुझसे पूछा था- क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?

और सबसे बड़ी बात, पिछली रात जो मेरे और कमला मौसी बीच हुआ उसका एहसास मेरे दिलों दिमाग पर छाने लगा लगा और मुझे शर्म आ रही थी और थोड़ी ग्लानि भी हो रही थी|

मैं चुपचाप रसोई घर से बाहर जाने लगी तो कमला मौसी ने मेरी तरफ शरारत भरी मुस्कान लिए मुझे तिरछी नजरों से देखते हुए कहा, "मलाई? तूने तो मेरी वाली नाइटी पहन रखी है..."

अब मुझे ध्यान आया सुबह उठकर ध्यान न देते हुए मैंने जमीन पर पड़ी हुई जो नाइटी उठाई थी वह कमला मौसी की थी|

जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ हम दोनों खिल खिलाकर हंस पड़ी और मुझे जो असहजता महसूस हो रही थी वह अचानक गायब हो गई|

चाय नाश्ते के बाद कमला मौसी मुझे ऊपर हमारे कमरे में ले गई जहां मैं और मेरे पति अनिमेष यहां किराए पर रहते थे|

अलमारी से कपड़े निकाल कर कमला मौसी ने खुद मुझे सजया।

मुझे मेरी अच्छी वाली लाल बॉर्डर और क्रीम कलर की साड़ी पहना दी और एक लाल रंग का ब्लाउज जो की काफी लोकाट और बैकलेस और उसके स्टेप्स काफी पतले पतले थे| ब्लाउज इतना कटा कटा और खुला खुला सा था कि इस ब्लाउज को पहनने के बाद मेरी पीठ और स्थानों की वक्र रेखा और विपाटन काफी हद तक दिखता था| ऐसा ब्लाउज पहनने के बाद ब्रा पहनना बिल्कुल नामुमकिन होता है| इसलिए मैंने ब्रा नहीं पहनी

कमला मौसी ने बड़े जतन के साथ मेरे बालों में कंघी करके साइड में एक मांग निकली थी, जिसकी वजह से मेरा सिंदूर बालों से ढक गया था और फिर उन्होंने मेरे माथे पर एक लाल रंग की बड़ी सी बिंदी लगा दी। फिर बड़े जतन से उन्होंने मेरे नाखूनों में नेल पॉलिश लगाई और मेरे होठों पर एक भड़कीले लाल रंग की लिपस्टिक लगाने से पहले दो-तीन बार मेरे होठों को उन्होंने चूमा फिर मुझे आईने के सामने खड़ा करके मुझे और मेरे प्रतिबिंब को निहारने लगी, "वाह, बड़ी सुंदर लग रही है तू, मलाई"

यह कहकर कमला मौसी ने मेरे सर की चांदी के ऊपर जैसे तैसे बंधा हुआ जुड़ा खोल कर बड़े जतन से मेरे बालों में कंघी किया और फिर उन्होंने एक लटकता जुड़ा बांध दिया| फिर मेरे कानों में बड़े-बड़े झुमके पहना दिए |

मैं उत्सुकता से खुद के प्रतिबिंब को आईने में देखा, मेरे गर्दन तक मेरे बाल बिल्कुल ढीले ढाले से थे जुड़ा ठीक मेरे गर्दन के नीचे लटक रहा था और मेरे चेहरे पर एक अजीब सी स्रैण चमक झलक रही थी... मैं तो सिर्फ स्वामी जी गुड़धानी खाँ के घर सामान पहुंचाने जा रही थी|

ऐसे काम कितनी बार तो बंटी मिस्त्री हमारे लिए कर चुका है और इस काम के लिए हम उसे पैसे भी देते थे|

पता नहीं क्यों कमला मौसी मुझे स्वामी जी गुड़धानी खाँ की आश्रम में भेजना चाहती थी वह भी इतना सजा धजा कर...

मैंने सब ख्यालों में खोई हुई थी कितने में कमला मौसी का फोन बज उठा|

"हां हां शैली खाला; आपका सारा सामान तैयार है... बस में मलाई को तुम्हारे यहां भेजना ही वाली थी... बस वह निकल ही रही है... मैं जानती हूं कि स्वामी जी गुड़धानी खाँ कि यहां उनके खास भक्त आसनसोल से आए हुए हैं... ठीक है ठीक है, चिंता मत करो मेरी लौंडिया तुम्हारे यहां पहुंचने वाली है... हैं? है क्या कहा तुमने? अरे नहीं नहीं नहीं, फिलहाल मेरी लौंडिया बिल्कुल साफ सुथरी है| जहां तक मैं जानती हूं, उसके मासिक होने में अभी दो-तीन दिन का वक्त है, इसलिए जो सामान आपके पास भेज रही हूं, उसमें अशुद्ध का कोई कारण ही नहीं है"

मैं समझ गई कि कमला मौसी और शैली खाला आपस में बात कर रहे थे... लेकिन वह मेरे मासिक के बारे में बातें क्यों कर रहे थे... बड़ी अजीब बात है; जहां तक मुझे मालूम है स्वामी जी गुड़धानी खाँ कोई आम तंत्र-मंत्र वाले साधु महात्मा नहीं है बल्कि वह एक तांत्रिक भूत और पिशाच सिद्ध व्यक्ति है... वह भगवान की पूजा नहीं करते|

ऑटो स्टैंड घर से 5 मिनट का पैदल रास्ता था| लेकिन मैंने जो दो थैली अपने हाथों में पकड़ रखी थी वह काफी वजनी थे| लेकिन मुझे ज्यादा देर चलना नहीं पड़ा, एक टोटो (ई-रिक्शा) वाले ने मुझे डर से ही देख लिया और अपना फोटो लेकर उसने मेरे पास आकर मुझे ताड़ते हुए पूछा पूछा, "कहां जाना है दीदी ?"

मैंने कहा, “स्वामीजी गुरुधानी खार का आश्रम”

उसकी नजरों से ऐसा लग रहा था कि उससे पहले से ही मालूम है कि मुझे कहां जाना है फिर उसने उससे कहा, "ठीक है; लेकिन रास्ता बहुत लंबा है, दीदी। इसलिए आपको टोटो रिजर्व करके जाना होगा - और वहां से आते वक्त मुझे ख़ाली न आना पड़ेगा इसलिए मैं रास्ते में एक-दो सवारी जरूर चढ़ाऊंगा"

मेरे दोनों के दोनों थैली काफी भारी थे और हमारा घर खरदह टाउन रेलवे फाटक के पास था और स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आश्रम कल्याणी हाईवे के मुहाने पर था| सचमुच रास्ता काफी लंबा है इसलिए मैंने टोटो वाले से कोई बहस नहीं की|

थोड़ी दूर जाने के बाद ही टोटो वाले को दूसरी सवारी मिल गई| एक अधेड़ उम्र की महिला और उसके साथ एक लड़की जिसकी उम्र शायद मेरे बराबर की ही होगी| बड़ी अजीब सी बात है मैंने देखा कि इन दोनों के माथे पर भी मेरी तरह लाल रंग की बड़ी सी बिंदिया लगी हुई थी|

वह लोग भी स्वामी जी गुड़धानी खाँ के आश्रम जाने वाले थे और हम लोगों में बातचीत शुरू होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा|

उसे अधेड़ उम्र की औरत ने मुझसे पूछा, "तो क्या तुम भी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की वूमंडली में शामिल हो चुकी हो?"

यह सुनकर मुझे शैली खाला की बात याद आ गई उसने कहा था- ई लौंडिया हमर के वूमंडली खातिर बिल्कुल परफेक्ट बा...

लेकिन मैं तो वूमंडली के बारे में कुछ नहीं जानती, "माफ कीजिएगा, मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम"

वह अधेड़ और की औरत और वह लड़की दोनों हंस पड़े और मैंने गौर किया कि टोटो वाला भी रियर व्यू मिरर में मुझे देखकर एक अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था|

फिर उसे दिन उम्र की महिला ने मुझसे कहा, "इसका मतलब है कि तुम बिल्कुल नई नवेली हो... तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। कई महिलाएं स्वामी जी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की भक्त है। वह अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए स्वामी जी के पास आती हैं... शायद तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि स्वामी जी गुड़धानी खाँ कोई आम तंत्र-मंत्र वाले साधु महात्मा नहीं है बल्कि वह एक तांत्रिक भूत और पिशाच सिद्ध व्यक्ति है... वह भगवान की पूजा नहीं करते... और ना ही कोई दुआ ताबीज करते हैं... इसलिए यूं तो ज्यादातर महिलाएं ही उनके पास अपनी इच्छा पूर्ति के लिए आती है लेकिन अगर कोई आदमी अपनी समस्या का समाधान करना चाहता हो तो उसे भी अपने साथ एक औरत को स्वामी जी गुड़धानी खाँ कि यहां लाना पड़ता है... अपनी इच्छा पूर्ति या फिर अपनी समस्या का समाधान का मोल चुकाने के लिए... और जो महिलाएं स्वामी जी गुड़धानी खाँ की शरण में आती है; वह ज्यादातर स्वामी जी गुड़धानी खाँ की अनुगामी बन जाती हैं... और ऐसी औरतों के समूह को वूमंडली का नाम दिया गया है... और मुझे तो पूरी उम्मीद है कि तुम भी जल्द ही वूमंडली में शामिल होने वाली हो"

मैंने पूछा, "औरतें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए स्वामी जी गुड़धानी खाँ जैसे किसी सिद्ध पुरुष के पास जाती है यह बात तो मेरी समझ में आ गई, लेकिन अगर कोई आदमी उनके पास जाए तो उन्हें अपने साथ एक औरत को लाना जरूरी होता है, ऐसा क्यों?"

मेरी बात सुनकर वह अधेड़ उम्र की औरत और उसके साथ आई लड़की, कहां का मार कर हंस उठी, फिर उसे औरत ने कहा, " तुम सचमुच कुछ भी नहीं जानती हो| तुम्हारे माथे पर बड़ी सी लाल रंग की बिंदिया देखकर मैंने सोचा कि तुम भी वुमंडली की सदस्या हो... मुझे तो लग रहा था कि तुम्हारा शुद्धिकरण और आशीर्वाद प्राप्ति भी हो चुकी है... खैर जो भी हो, तो बहुत जल्दी ही सब कुछ समझ जाओगी... लेकिन एक बात बताओ तुम्हारी शक्ल बहुत जानी पहचानी से लग रही है, ऐसा लगता है कि मैं तुमको पहले भी कहीं देखा है... ओह हां, अब याद आया तुम कमला दीदी की दस-कर्मा भंडार वाली दुकान में काम करती हो ना?"

मैंने कहा, "जी हां, मैं और मेरे पति कमला मौसी के यहां किराए पर रहते हैं; पर मेरे पति अक्सर काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं और मैं घर में अकेली ना रहूं, इसलिए मैं कमला मौसी का दुकान में थोड़ा हाथ बंटा दिया करती हूँ"

इसके बाद मैंने गौर किया कि किसी ने भी कोई बात नहीं की और वह अधेड़ उम्र की महिला, उसके साथ आई हुई लड़की एक अजीब सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लिए सिर्फ मेरी तरफ देख रहे थे यहां तक की टोटोवाला भी रियर व्यू मिरर में मुझे देख देख कर इस अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था।

न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि इन सबको शायद ऐसा कुछ मालूम है जिस बात का मुझे नहीं पता...

क्रमशः
 

Vachanpremi

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आपने रश्मि का रोमांच कहानी अधूरी छोड़ी थी 4, 5 साल हो गए. उस कहानी विषय सरल था. अब शायद गुरु या महाराज पर आपने कहानी लिखना शुरू किया है।
 

naag.champa

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आपने रश्मि का रोमांच कहानी अधूरी छोड़ी थी 4, 5 साल हो गए. उस कहानी विषय सरल था. अब शायद गुरु या महाराज पर आपने कहानी लिखना शुरू किया है।
आदरणीय पाठक मित्र Vachanpremi जी,

सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगी कि एक पुराने पाठक मित्र का मंतव्य प्रकार मुझे बड़ी खुशी हुई|

पलक झपकते ही वक्त बीत जाता है; आपने सही कहा "रश्मि का रोमांच" नामक कहानी को अधूरा छोड़े हुए वास्तव में मुझे काफी दिन बीत गए... ईश्वर ने चाहा तो इस बार में से पूरा करके ही छोडूंगी|

फिलहाल आपको यह कहानी कैसी लग रही है जरूर बताइएगा|
 

naag.champa

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अध्याय ५



टोटोवाला ने हमें सीधे स्वामीजी गुरुधानी खार आश्रम के द्वार पर छोड़ दिया। आश्रम कल्याणी हाईवे बिल्कुल लगा हुआ है। लगभग 14 फीट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ एक विशाल भूखंड

इसके बीचों-बीच में एक बड़ी दो मंजिला आयताकार इमारत है। पूरी संपत्ति विभिन्न प्रकार के पौधों से भरी हुई है और बाहर से ऐसा लगता है कि इमारत के अंदर एक बड़े से बगीचे जैसी जगह है क्योंकि अंदर बड़े पेड़ -पौधे दिखाई दे रहे थे|


Compound-WKL.png

इसके अलावा मैंने एक कर हैरान करने वाली बात को गौर किया| स्वामी जी गुड़धानी खाँ के यहां आई हुई सभी महिलाओं के माथे पर लाल रंग की बड़ी सी बिंदिया सजी हुई थी और जिन्होंने सिंदूर पहन रखा था उनके सिंदूर का रंग नारंगी था|

मेरे साथ टोटो में आई हुई वह अधेड़ उम्र की औरत और वह लड़की न जाने भीड़ में कहां गायब हो गई है| कौतूहल वश मेरी आंखें उन्हीं को ढूंढ रही थी कि मेरी नजर एक जाने पहचाने चेहरे पर पड़ी- बंटी मिस्त्री|

मुझे देखते ही वह देश कदमों मेरी तरफ आया| मुस्कुराते हुए उससे पूछा, "अरे बंटी? तू यहां क्या कर रहा है?"

बंटी मिस्त्री ने मुझे अपने चेहरे पर एक चुटीली मुस्कान लिए मेरे चेहरे की ओर देखा... उसकी नज़रें बता रही थी कि मैं वास्तव में काफी सुंदर और आकर्षक लग रही हूँ और फिर मर्दों की स्वभाव के अनुसार उसकी नज़रें मेरी साड़ी के आँचल से ढके मेरे स्तनों पर पड़ी और और उसने उत्तर दिया दिया, "आपको तो पता है ना मलाई दीदी, मैं जल और नल का कारीगर हूं, जहां जल और नल की समस्या होती है- वहां मुझे बुला लिया जाता है... और यहां तो मुझे काफी बड़ा काम मिला हुआ है… और आप यहां क्या कर रही हैं?”

मैंने कहा, "मैं तो स्वामी जी गुड़धानी खाँ के यहां यह सामान पहुंचाने आई थी..."

मैं जब बंटी मिस्त्री से बात कर रही थी तब पता नहीं कब आ कर शैली खाला मेरे पीछे खड़ी थी, उसने कहा "अरे मलाई, कब आईल इहां? हे भगवान, तू त पूरा पसीना से तर-बतर हो गइल ह .. ई मौसम भी बहुत अजीब बा। कई दिन से बारीश होखे वाला बा , फिर भी बरखा नइखे होखत, एही से नमी आ दम घुटना बढ़ गइल बा." यह कहकर उसमें एक प्लास्टिक का मुड्डा मेरे पास लाकर रखा और बोली, " तू एक काम कर तू खिड़की के लगे बइठ के आराम करीं थोड़ देर.. अरे बंटी अइसन आँख फाड़ फाड़ कर का दे रख रहा तो मलाई को? के ई सब सामान स्टोरेज रूम में रख लीं।"

बंटी ने मेरे हाथों से भारी भारी थैलों को लिया और फिर उन्हें यथा स्थान पर रखना चला गया |

उसके बाद शैली खान ने झुक कर मेरे गालों को सहलाते हुए मुझसे कहा , "मलाई तू बिल्कुल ठीक समय पर आई है , थोड़ी देर बाद ही मैं तुझे स्वामी जी गुड़धानी खाँ के दर्शन के लिए ले जाऊंगी..." इतने में शैली खाला ने गौर किया कि मैं बड़ी उत्सुकता के साथ यहां आई हुई दूसरी औरतों को देख रही हो , खासकर उनके माथे पर सजी बड़ी-बड़ी लाल-लाल बिंदिया और उनके मांग में भारी नारंगी रंग की सिंदूर को...

शायद मेरे मन की बात को भांप कर शैली खला ने मुझसे कहा , "और हां एक बात और हम सब स्वामी जी गुड़धानी खाँ को स्वामी जी या फिर सिर्फ स्वामी कह कर बुलाते हैं... यहां के उसूलों के मुताबिक हम - यानी के स्वामी जी के महिला अनुयाई लोग या फिर उनकी वूमंडली अपने माथे पर अपने पति के नाम की बिंदिया लगती है और अपनी मांग में स्वामी जी के नाम का नारंगी रंग का सिंदूर भरती है "

शैली खाला शायद मुझे एक ही सांस में गागर में सागर थमा गई, इसलिए मुझे समझने में थोड़ी देर लग रही थी... पर फिर भी मैंने वह सवाल दोहराया मेरे मन में घूम रहा था , "वूमंडली मतलब?"

शैली खाला ने एक अजीब से इरादे से भरी मुस्कान लिए हुए मेरी तरफ देखा और फिर बोली, "वूमंडली के बा? हाहाहा! इहे नाम ह स्वामीजी के महिला भक्तन के एगो समूह के - बहुत जल्दी तू भी स्वामीजी के दिहल सिंदूर के माथे प पहिरब - ठीक ओसही जइसे तेरी कमला मासी अपना पति के मौत के पहले पहिरले रहली... जल्दिये तू भी पहिरब जल्द ही तोहार भी शुद्धिकरण हो जावेगी और तू भी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की आशीर्वाद लेकर हमारे ग्रुप से जुड़ जाएगी- तू भी बनेगी वूमंडली की लौंडिया"

जिस खिड़कीके पास में बैठी थी, उस खिड़की से इस भूखंड का आंतरिक भाग दिखाई दे रहा था। मैंने देखा कि इस संपत्ति के अंदर एक बड़ा सा बगीचा है लेकिन यह पूरी तरह से पेड़ों से ढका हुआ है इसलिए बगीचे के अंदर का हिस्सा ठीक से नहीं देखा जा सकता।

थोड़ी देर बाद एक लड़की आई और मुझे एक छोटी प्लेट में एक मिठाई और एक गिलास पानी दिया।

मुझे याद नहीं कि मैं कितनी देर तक खिड़की के पास बैठा रही। थोड़ी देर बाद ऐसा लगा मानो कमरे में महिलाओं की भीड़ अचानक काम होती हुई गायब हो गई हो। ऐसा लग रहा था कि सब के सब अब अपने-अपने घरों को चल दिए हैं| इस विशाल हॉल में केवल एक दो महिलाएँ और शैली खाला आपस में बातें कर रही थीं।

फिर अचानक मुझे लगा कि अंदर वाले बगीचे में शायद कोई है । मैंने ठीक से से देखने की कोशिश की; तभी मैंने देखा कि एक आदमी बगीचे में लगे हैंडपंप से बाल्टी में पानी भरकर नहा रहा है। पेड़ पौधों की पत्तियों के बीच से ही मैंने देखा कि मैं एक अधेड़ उम्र के आदमी जिसके सिर पर कोहनी तक बाल थे, शरीर की संरचना सुगठित और मजबूत थी... उसकी छाती बालों से भरी हुई थी और उसके पूरे चेहरे पर साबुन का झाग था|

उसने एक लाल रंग की लंगोट पहन रखी थी जो शायद उसके गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी | उसका प्रकांड लंबा और मोटा लिंग और उसके अंडकोषों का आकर स्पष्ट रूप से झलक रहा था |

यह देखकर मेरे पेट के निचले हिस्से में एक अजीब सी गुदगुदी महसूस होने लगी, मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई और मेरे अंदर जैसे कि मानो एक अपवित्र कामना की वासना जागने लगी| मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही हूं इसलिए मुझे पसीना आने लगा मुझे समझने में देर नहीं लगी कि यह आदमी और कोई नहीं बल्कि स्वयं स्वामी जी गुड़धानी खाँ ही है| मैंने आज तक इनका नाम ही सुना था और आज देख भी लिया| स्वामी जी ने नहाने का मक्का पानी की बाल्टी में डुबोया और फिर अपने ऊपर पानी डालने लगे| मैंने सोचा कि अब उनके चेहरे और आंखों पर लगा साबुन का झाग धुल जाएगा और हो ना हो वह मुझे देख लेंगे... इसलिए मैं छत से वहां से हट गई और दीवार से टिक कर खड़े होकर हाँफने लगी।

“का बात है मलाई, तू अतना पसीना से तर-बतर होये काहे अईसन हांफत रहील ?”, अचानक मुझे शैली खाला की आवाज सुनाई दी।

मैं हाँफते हुए जवाब दिया, "आज बहुत गर्मी है शैली खाला"

"हँ, तू एकदम सही कहत रहीं, आजु सचहूँ बहुते गरमी बा... एही के कारण स्वामी जी गुड़धानी खाँ सबेरे दू बेर नहा चुकल रहीं...आ वइसे भी पता ना काहे हमरा लागत बा कि तोरा तबियत बहुत ठीक नइखे... इहे बा काहे हम तोहरा के सीधे स्वामी जी के दर्शन में ले जाइब, ओकरा बाद तू सीधा घरे चली जा"

शैली खाला की बातें सुनकर मेरे दिल की धड़कन और पेट के निचले हिस्से की गुदगुदी और बढ़ गई| मैं जब भी आंखें बंद करती, मेरी आंखों के सामने स्वामी जी का लंगोट से ढका प्रकांड मोटा लंबा लिंग और उनके अंडकोष की छवि उभर कर आती है... मेरे पति अनिमेष के अंग तो स्वामी जी के आगे कुछ भी नहीं है... अगर वह अंडरवियर भी पहन कर रहता है तो शायद पता ही नहीं चलता कि सामने उसके कुछ है... और अनिमेष के अंगों के मुकाबले स्वामी जी का? बाप रे बाप!

"चल मलाई, अब हम तोका के स्वामी जी गुड़धानी खाँ के कमरे में ले जाइब" यह कहकर शैली खाला ने मेरे बालों का जुड़ा खोल दिया| कमला मौसी ने मुझे पहले ही बताया था कि स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक सिद्ध पुरुष है और शिष्टाचार के अनुसार मुझे या फिर मुझे सी लड़कियों को उनके आगे घुटने टेक कर बैठ के और फिर अपना माथा जमीन पर टिका के अपने बालों को उनके सामने फैला देना होगा... ताकि वह मेरे बालों अपने पैर रखकर मुझे आशीर्वाद दे सके|

शायरी खाना मुझे अंदर के कमरे में ले गई | वहां मैंने देखा कि तांत्रिक भूत पिशाच सिद्ध स्वामी जी गुड़धानी खाँ लाल रंग का वस्त्र पहने हुए विकासन पर बैठे हुए हैं... उनकी अध् गीले बकोहनी तक लम्बे बाल खुले हुए हैं उनकी आंखें बिल्कुल लाल है... शायद किसी नशीली वस्तु के कारण और चेहरे पर एक सम्मोहित कर देने वाली मुस्कान। उनका यह रूप देखते ही मेरे अंदर फिर से वही अपवित्र कामना की वासना जागने लगी|


क्रमशः
 
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