Update 13
इसी तरह राधा अपनी सोच में गुम होकर आंगन में झुककर झाड़ू लगा रही थी और उधर राजू नींद से जाग चुका था और अब वह छत से नीचे आ रहा था।
अब आगे...
राजू छत से नीचे आकर देखता की उसकी माई ने अभी तक वो ही काली साड़ी पहन रखी है और पीठ पर सिर्फ एक डोरी थी जिसने उसके ब्लाउज को टाईट कर रक्खा जिस कारण उसकी पूरी पीठ दिख रही थी राजू राधा की चिकनी गोरी नंगी पीठ देख उत्तेजित हो जाता है और ऊपर से राधा की सुराहीदार गांड़ राजू को अपनी ओर खींच रही थी।
अब राजू अपने लण्ड को इस तरह सेट करता है जैसे वह राधा को अभी चोद देगा और फिर राधा के पास जाकर उसे पीछे से पकड़ लेता है और उसकी गांड़ से चिपक जाता है वही राधा को जैसे ही अपनी गांड़ में कुछ गुस्ता हुआ महसूस होता है तो वह इस अचानक हमले से डर जाती है और जल्दी से पीछे मुड़कर देखने लगती है और जब राधा अपने बेटे को देखती है तब उसकी तेजी से चल रही धड़कन शांत होने लगती है और अब उसके होंठो में मुस्कुराहट के साथ साथ कामुखता आने लगती है।
राधा...राजू छोड़ो मुझे काम करने दो अभी बहुत से काम करने है आज वैसे भी मैं देर से जगी हूं।
राधा ये सब कह तो रही थी लेकिन अभी तक वह उसी तरह झुकी हुई थी और अपने बेटे राजू के मोटे लण्ड को अपनी गांड़ में महसूस कर अंदर ही अंदर मजे ले रही थी उसका मन तो राजू के लण्ड को पकड़ने का हो रहा था लेकिन वह खुद से आगे नहीं बढ़ना चाहती थी।
वही राजू अपनी मां की मुलायम गांड़ को महसूस कर उसका लण्ड अब झटके खाते हुए अपनी पूरी औकात में आके खड़ा हो जाता है और अब राजू अपने एक हाथ से राधा की खुली पीठ को सहलाने लगता है और अपनी माई से बोलता है।
राजू...माई तू इस साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लगती है और ये नए कट वाला ब्लाउज तो उससे भी ज्यादा खूबसूरत है।
राधा...अच्छा तो तेरे कहने का मतलब है की साड़ी खूबसूरत है मैं नही।
अब राजू अपनी कमर को थोड़ा पीछे खींचते हुए एक जोरदार झटका राधा की गांड़ में मारता है जिससे राजू का लण्ड एक बार फिर से घुसता हुआ राधा की गांड़ के सुराख में ठोकर मारता है जिससे राधा की सिसकी छूट जाती है और उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है,लेकिन राजू यही नहीं रुकता वह अपनी जीभ निकालकर राधा की खुली पीठ को चाट लेता है जिससे राधा बुरी तरह कांप जाती है और उसके होठ फड़फड़ाने लगते है।
राजू...कौन कहता है की ऐसा, उसके दांत तोड़ दूं मेरी माई इतनी खूबसूरत और जबदस्त है की उनके सामने 25 साल की लड़कियां भी पानी भरती है।
वहीं राधा अपने बेटे से अपनी तारीफ सुन शर्मा जाती है अब उसकी बोलती बंद हो चुकी थी वह तो बस राजू के लण्ड को अपने इतने पास महसूस कर मदहोश हुए जा रही थी और अब उसकी बुर भी पानी छोड़ने लगी थी।
राधा... रा... जू क्या कर रहा है क्यूं मुझे सुबह सुबह से तंग करने लगा जा जाकर कुआ से पानी भर ला।
राजू...अपना हाथ बढ़ाकर राधा की नाभी में उंगली घुसा देता है और अपनी कमर को खींचकर एक और झटका मारता है जो राधा को एक बार फिर उसी छेद में जाकर ठोकर मारता है और राधा बस सिसक के रह जाती है उसके पैर कांप जाते है।
राजू... पहले इस कुआ से तो पानी निकाल लेने दो माई इतना बोल राजू फिर से अपनी माई की पीठ को कभी चूमने लगता तो कभी अपनी पूरी जीभ निकालकर चाटने लगता है।
वही राधा राजू की बात समझते हुए सिहर जाती है लेकिन अंजान बनते हुए वह राजू से बोलती है।
राधा...कौन सा कुआ राजू अब यहां कौन सा कुआ है तेरे पास
राजू....जब पानी निकलेगा तब तुझे बता दूंगा माई।
राधा...वो तो ठीक है लेकिन तेरी रस्सी और बाल्टी कहां है।
अब राजू एक बार फिर से अपने लण्ड को बाहर खींचता है जिससे राधा को समझ आ जाता है की राजू फिर से इसे अंदर डालने वाला है और इस बार राधा पहले से ही अपने बेटे के लण्ड का इंतजार करने लगती है लेकिन राजू इस बार रुक जाता है और अब वो राधा की पीठ को भी चाटना भी बंद कर देता है लेकिन अपना हाथ और उंगली को राधा की नाभी से नही हटाता इधर जब राधा को अपनी गांड़ पर कोई धक्का नहीं लगता तो वह पीछे मुड़कर राजू की आंखों में देखने लगती है जैसे पूछना चाह रही हो की क्या हुआ धक्का क्यूं नहीं लगा रहे हो और वही राजू भी राधा की आंखों में देखते हुए मुस्कुराने लगता है राजू अपनी माई की आंखो को अच्छे से पढ़ पा रहा था।
लेकिन राधा को जैसे ही अपनी हरकत का अहसास होता है वह बुरी तरह शर्मा जाती है और अपने मूंह को घुमा लेती है और खुद से अब उठने की कोशिश करने लगती है लेकिन उससे पहले ही राजू अपने एक हाथ से राधा की पीठ पर रख उसे नीचे दवा देता है और इस बार राजू अपनी पूरी ताकत से जोरदार धक्का अपनी माई की गांड़ में मारता है जिससे राजू का मोटा और लंबा लण्ड राधा की गांड़ में पूरी तरह घुस जाता है और वही पर राधा की जोरदार सिसकारी निकल जाती है उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे राजू का टोपा उसकी गांड़ में घुसने ही वाला है लेकिन शुक्र था की वह अभी साड़ी में थी लेकिन राधा इस बार अपनी बुर के बांध को नहीं रोक पाती और वह भलभलाकार झड़ने लगती है और जैसे ही राजू को अहसास होता है की उसको माई झड़ रही है वह राधा के कान में बोलता है देखा माई कुआ से पानी निकल आया मैं इसी कुआ से पानी निकालने की बात कर रहा था और फिर राजू एक करारा थप्पड़ राधा की गांड़ में मारकर बाहर निकल जाता है।
इधर राधा राजू की बात सुन मारे शर्म के पानी पानी हुए जा रही थी उसे अपने आप पर और अपनी हरकतों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की वह किसी दिन खुद इतना बदल जायेगी।
इधर राजू अब गागर लेके अरुणा के घर जाता है तो देखता है की अरुणा किचेन में चाय बना रही थी और उसके माधव चाचा हॉल में बैठे अखबार पढ़ रहे थे।
राजू...छोटी माई मैं कुआ से पानी निकालने जा रहा हूं आपका भी पानी निकालना है क्या? यहां राजू उसकी बुर से पानी निकालने के लिए पूछ रहा था?
वही अरुणा राजू की बात से अनजान राजू को जवाब देती है हां राजू मेरा भी पानी निकालना है तू रुक पहले चाय पी ले उसके बाद चलते है।
राजू अब माधव के पास आता है और उससे पूछता है...
राजू...चाचा आज तो देरी उठे तो खाद भी नहीं पड़ पाई और अभी खेतो तरफ मैं गया भी नहीं हूं पता नहीं खेतों में अभी नमी कैसी है।
माधव...राजू मैं गया था परेशानी की कोई बात नही है खेतो में अभी हल्की सी नमी है हम शाम दिन ढलने से पहले ही खेतों में खाद डाल सकते है।
राजू...ठीक है चाचा
और राजू इतना बोलकर अंदर किचेन में चला जाता है और अपनी अरुणा माई को ऊपर से नीचे तक घूरने लगता है उसकी अरुणा माई वही कल वाली साड़ी में कहर ढा रही थी उसकी मोटी और भड़कीली गांड़ राजू को अपनी ओर खींच रही थी इधर राजू का लण्ड अभी तक झड़ा नहीं था वह अभी भी राधा की वजह से खड़ा था और यहां अरुणा की गांड़ देख राजू का लण्ड एक बार फिर से झटके खाने लगता है, अरुणा की गांड़ राधा की गांड़ से बड़ी और भारी थी।
अब राजू फिर से अपने लण्ड को आगे की ओर सेट कर अरुणा से जाके चिपक जाता ओर वही अरुणा भी अचानक डर जाती है जैसे ही उसे अचानक अपनी गांड़ में कुछ घुसता हुआ महसूस होता है वह आगे को होती है लेकिन आगे जा नहीं पाती क्योंकि आगे किचेन की स्लैब थी अब अरुणा पीछे मुड़कर देखती है तो वो राजू को पाकर थोड़ी हैरान हो जाती है उसने कभी राजू से ऐसी उम्मीद नहीं थी अरुणा राजू को मना करती उससे पहले ही राजू अरुणा की दोनो चुचियों को पकड़कर मसलते हुए बोलता है।
राजू...(थोड़ा ऊंची आवाज में) छोटी माई तुझे तो पता है मैं चाय नहीं पीता और बच्चो को चाय नहीं दूध देना चाहिए छोटी माई मुझे दूध पिलाओ ना।
अरुणा...राजू की पकड़ से बाहर निकलना चाहती थी लेकिन राजू के मजबूत पकड़ से और अब उसके चुचियों के मर्दन से अरुणा के जिस्म में करेंट सा दौड़ने लगता है जिससे वह कमजोर होने लगती है लेकिन फिर भी अपने आप को काबू कर वह राजू से बोलती है।
अरुणा धीमी आवाज में सिस्कियो के साथ....आह रा...जू छोड़ दे मुम्मझे ये ग..गलत है।
अरुणा अभी इतना ही बोल पाई थी की राजू ने एक ताकतवर धक्का अरुणा की गांड़ में दिया जिससे अरुणा पूरी हिल गई और उसकी बोलती बंद हो गई अरुणा को राजू का लण्ड उसे अपनी गांड़ के सुराख में घुसता हुआ महसूस हुआ जिससे उसकी सिसकी निकल गई जिसे बाहर बैठे माधव ने भी सुन लिया।
माधव...क्या हुआ अरुणा?
अरुणा अपने पति की आवाज सुन डर गई उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की वह अपने पति को जवाब क्या दे।
तब राजू अरुणा के कान में बोलता है...
बोल ना अरुणा मेरी जान अपने पति को बता की तेरे बेटे का लण्ड उसकी पत्नी की गांड़ में घुसा हुआ है।
अरुणा...,राजू की बात सुन हक्की बक्कि सी रह जाती है और जब उसे कुछ नहीं सूझता है तो वो बोलती है।
अरुणा... अजी कुछ नहीं वो वो चूहा अदंर घुस आया है।
राजू अपनी छोटी माई के बहाने को सुन हस देता है और एक बार फिर से करारा शॉट मार देता है और बोलता है।
राजू...बोल मेरी रानी ये तुझे चूहा नजर आ रहा है।
लेकिन इस बार अरुणा अपनी मुट्ठी बांध अपने मुंह में दवा लेती है जिससे उसकी जोरदार सिसकारी दब जाती है लेकिन उसकी बुर उसका साथ नहीं देती और उसकी बुर रिसने लगती है और अब उसका शरीर भी उत्तेजित होने लगता है लेकिन अरुणा अभी तक अपने मन से कमजोर नही हुई थी।
अरुणा अपनी उत्तेजना को संभालते हुए मुड़ जाती है और राजू के गाल पर हल्के से तमाचा जड़ देती है और उसे पीछे को धक्का दे देती है जिससे राजू अरुणा से दूर हट जाता है और अरुणा उसे घुटकर देखने लगती है वही एक पल के लिए राजू भी सोच में पड़ जाता है की इसे क्या हुआ कल तो मेरे साथ बड़े मजे किए, आज क्या हो गया इसे? ऐसा क्यूं कर रही है?
अरुणा...तू रुक आज माधव के जाने के बाद तुझे बताती हूं, देखती हूं तेरे में कितनी गर्मी है तू रुक सही आज तेरी खैर नहीं
इतना बोल अरुणा किचेन से निकल जाती है और माधव को चाय देती है और फिर राजू को चाय पीने के लिए बुलाती है लेकिन राजू चाय पीने से मना कर देता है और माधव के सामने ही अरुणा का दूध पीने के लिए मांगता है।
राजू...मुझे कोई चाय वाय नहीं पीनी चाचा छोटी माई से बोलो ना की मुझे दूध पिला दे मुझे गर्मा गर्म दूध पीना है।
माधव...अरे अरुणा तुम मेरे लाडले को दूध क्यूं नहीं देती है देखो तो बेचारा कैसे दूध पीने के लिए तड़प रहा है तुम्हे पता नहीं है क्या बच्चो को चाय पीने से नुकसान होता है और दूध पीने से शरीर स्वस्थ रहता है लाओ राजू को दूध दो आकर।
अरुणा...अजी अभी मैंने उसे गर्म होने के लिए रक्खा है लेकिन आप चिंता ना करो आज इसे मैं पेट भर दूध पिलाऊंगी।
माधव...ठीक है राजू मैने बोल दिया है और वैसे तुझे किसने रोका टोका है अपने हाथ निकाल कर खुद से पी लिया करो।
राजू...ठीक है चाचा अब तो मैं अपने हाथो से ही निकाल कर पियूंगा और इतना बोलकर अरुणा को देखने लगा और मुस्कुराने लगा।
वही अरुणा अपने मन...अरे आप भी क्या क्या बोले जा रहे है और ये हरामखोर रुक आज मैं तेरी सारी इच्छा पूरी करती हूं तू ऐसे नहीं मानेगा आज तुझे मैं दूध ही पिलाकर रहूंगी और अरुणा कुछ सोचकर मुस्कुराने लगती है।
इधर माधव अपनी चाय खत्म कर जल्दी से घर से बाहर निकल जाता है उसे अपने केस के चलते किसी वकील से मिलने जाना था।
अब घर में सिर्फ अरुणा और राजू ही बचे थे की तभी राधा आ जाती है और वह राजू से पूछती है।
राधा...क्यूं रे कामचोर अगर पानी नहीं लाना था तो पहले बता देता, मैं कबसे तेरा इंतजार कर रही हूं मुझे खाना बनाने की देरी हो रही है।
राजू...अरे माई मैं तो जा रहा था लेकिन छोटी माई का भी तो पानी निकालना था ना।
राधा को राजू की बात कुछ तो समझ में आ रही थी इसलिए वह कभी अरुणा तो कभी राजू के चेहरे बड़े गौर से देख रही थी और सोच रही थी कही इसने मेरी तरह अरुणा की बुर से भी पानी तो नही निकाल दिया ये माधव कहां है ये दोनो घर में अकेले मुझे कुछ तो गड़बड़ लग रही है।
राधा...अरुणा ये माधव नहीं नजर आ रहे क्या कही बाहर गए है।
अरुणा...हां दीदी वो वकील से मिलने गए है उनके केस की तारीख आने वाली है।
राधा...कितना समय हुआ उनको निकले...
अरुणा...अभी अभी चाय पीकर निकल गए उनके बाद आप आ गई अरे मैं तो भूल ही गई दीदी चाय पी लो राजू के लिए बनाई थी लेकिन ये पीने से मना कर रहा है और अरुणा किचेन से चाय गर्मा कर राधा को देती है।
राधा... क्यूं तूने क्यूं नहीं पी चाय वैसे तो घर में मीठी चीज मिले नहीं की सबसे ज्यादा तेरे को ही चाहिए।
राजू...अरे माई अब मैं चाय नहीं गर्मा गर्म दूध पिया करूंगा और मेरी दोनो माई मुझे अब दोनो घर का ताजा दूध पीना है।
राजू की ये बात सुन अरुणा और राधा एक दूसरे को देखने लगती है लेकिन एक बार फिर से दोनो ही अपनी नजरे एक दूसरे से चुरा जाती है।
अरुणा...हां हां ठीक है तुम मेरी गाय को ले जाकर अपनी गाय के साथ ही बांध लो और मुझे सिर्फ चाय का दूध देना बाकी सारा दूध तुम पियो इससे तुम्हारे शरीर को अंदरूनी ताकत मिलेगी और तुम हमेशा जवान भी दिखोगे, अरुणा को इतना लंबा चौड़ा भाषण राधा की वजह से देना पड़ा।
अब चल जल्दी से पानी ले आते है नहीं तो दीदी तुझे तो डाटेंगी ही और साथ में मुझे भी डांट खानी पड़ेगी।
वही राधा राजू को जल्दी से पानी लाने का बोल अपने घर चली जाती है और अरुणा राजू के साथ कुआ की तरफ निकल जाता है।
अरुणा अपने मन में...ये सही मौका है इससे बात करते हुए इसे समझाने की कोशिश करती हूं यहां बाहर सबके सामने ये मुझे हाथ नहीं लगा सकता और मेरी बात को समझने की कोशिश भी करेगा।
अरुणा...राजू सुन मेरी बात देख जो बस में हुआ उसे भूल जा इससे आगे हम नहीं जा सकते हमारा रिश्ता और हमारा समाज इसकी इजाजत कभी नहीं देगा इसलिए जो भी हुआ उसे बस एक हादसा समझ भूल जा तू मेरी बात सुन रहा है ना।
राजू...मुझे कुछ नहीं सुनना मुझे तो दूध पीना है बस...
अरुणा...राजू अभी तेरी उम्र ये सब करने की नहीं है अभी तुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए अरुणा अभी राजू को समझाते हुए कुआ की ओर जा ही रही थी की रास्ते में मधू मिल जाती है।
राजू...बस इतनी सी बात तू मेरी इच्छा पूरी करती जा और मैं तेरी इच्छा पूरी करता जाऊंगा नहीं तो मेरे पास और भी साधन है।
अब राजू दौड़कर मधू के पास चला जाता है और एक बार अरुणा को देखता है जो उसे ही देख रही थी और फिर राजू मधू की गांड़ पर हाथ रख उसे मसल देता है।
मधू अचानक इस हमले से ठिठक जाती है और पीछे मुड़कर देखती है तो राजू उसे देख मुस्कुरा रहा था मधू राजू को देख खुश हो जाती है और उसके गाल को चूम लेती है शायद मधू ने अभी तक अरुणा को नहीं देखा था वरना उसकी हिम्मत ना होती की वह राजू से ऐसी हरकत करती।
राजू भी मधू का हाथ पकड़ उसे जल्दी से आगे चलने को कहता है और फिर जब मधू चलने लगती है तो राजू पीछे देख मुस्कुराता है और फिर से मधू की गांड़ को मसलने लगता है।
जिसे देख अरुणा का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ जाता है
अरुणा को राजू का दूसरी औरत के साथ ये सब करना बिलकुल भी पसंद नहीं आया।
अरुणा मन में...राजू तू ये गलत कर रहा है.....