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Incest लालटेन 2.0

fuckerg

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Update 12



अभी यहां से राजू का घर कोई 500 मीटर की दूरी पर था तो माधव अरुणा को लेके घर की ओर निकल जाता है और राजू को वही पर रुकने का बोल देता है।

अब आगे...

अरुणा माधव के पीछे पीछे अभी बस में हुए राजू के साथ काउंटर अटैक को सोचते हुए जा रही थी।

माधव...अरुणा देखो अगर राधा ने खाना बना लिया हो तो ठीक है नहीं तो तुम जल्दी से कुछ हल्का फुल्का बना लो मुझे बहुत जोरो से भूँख लगी है।

अरुणा... रा रा राजू (अरुणा अपनी सोच में गुम जब होश में आती है तो उसके मुंह से बार राजू राजू ही निकलता है)

माधव...क्या हुआ अरुणा तुम्हारी तबियत तो ठीक है??

अरुणा...जी जी मेरी तबियत ठीक है वो थोड़ी थकावट की वजह से उलझन हो रही है।

माधव...ठीक है तुम जाकर आराम करो मैं खुद से राधा भाभी के घर जाकर भोजन का पूछ लेता हूं।

अरुणा..ठीक है आप खा लेना मुझे भूंख नही है अब तो बस मैं सोना चाहती हूं।

माधव...ठीक है अरुणा अब तुम घर जाओ और मैं राधा भाभी से भोजन का पता लगाता हूं अगर भूंख लगी हो तो चलो थोड़ा तुम भी खा लेना और चाहे तो वही लेट जाना।

अरुणा..ठीक है चलो मैं भी राधा दीदी के घर ही चल कर सो जाती हूं अब मुझसे और काम नहीं किया जाएगा, और आप भी कही अपने सोने के लिए देख लेना नहीं तो बाहर ही चारपाई पर सो जाना....

गांवों अक्सर लोग गर्मियों के मौसम में बाहर ही लेटते है, यहां अरुणा उसी वजह से माधव को भी बाहर कही लेटने को कह देती है दरअसल अरुणा अपने घर जाकर कोई काम नहीं करना चाहती थी और अब रात के भी 11 बज चुके थे पूरा गांव सो चुका था और हर और सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा हुआ था।

इस सन्नाटे में अगर कही कोई आवाज आ रही थी तो वो सिर्फ कुत्तों के भौंकने की ही आवाज आ रही थी।

वही माधव के साथ अरुणा राधा के घर पहुंच जाते है और फिर माधव राधा से भोजन के बारे में पूछता है तो राधा माधव से कहती है की उसने माधव और अरुणा दोनो के लिए खाना बना रक्खा है जिसके बाद माधव राजू को लिवाने अपने तबेले के पास चला जाता है और वहां से बैलों को निकालकर गाड़ी में जोत देता है और फिर माधव बैलगाड़ी को लेकर राजू की ओर निकल जाता है।

इधर अरुणा राधा से खाना खाने के लिए मना करने लगती है लेकिन राधा उसे जबरदस्ती खिला के सबके सोने के लिए छत पर चटाई और बिस्तर बिछा देती है अब अरुणा वहां जाकर लेट जाती है और उसे पता ही नही चलता की वह कब सो जाती है।

इधर राजू भी सभी बोरियो को उस बैलगाड़ी में लदवाकर घर के आंगन में लाकर जमा करता है और फिर हाथ मुंह धो कर माधव और राजू खाना खाने के लिए नीचे जमीन पर बैठ जाते है।

अब राधा अपने देवर और अपने बेटे को थाली में खाना परोषकर दे देती है और खुद वहां बैठकर दोनो का इंतजार करने लगती है, तब राजू अपनी माई से बोलता है।

राजू...माई छोटी माई नहीं दिख रही क्या वो घर पर चली गई क्या उन्होंने खाना खाया या नहीं।

राधा...तेरी छोटी माई को खाना खिलाकर ऊपर सुला दिया है वह बहुत थक गई है जाते ही बिस्तर फैल गई और शो भी गई

राजू मन में...अब इतना पानी बहाने के बाद कैसे कोई नहीं थकेगा चलो कोई बात नही थक तो मैं भी बहुत गया हूं और कल मुझे खेतों में खाद भी डालनी है।

जब सभी का भोजन हो जाता है तो राधा सारे बर्तन उठाकर एक जगह इकट्ठा कर राजू के साथ अरुणा के पास सोने चली जाती और माधव अपने घर के बाहर तबेले के पास ही चारपाई बिछाकर लेट जाता है जहां वह रोजाना सोया करता था।

राधा राजू से थोड़ी इधर उधर की बाते करते हुए शो जाते है।

अगली सुबह जब दिन अच्छे से निकल आता है और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज होने लगती है सूरज की हल्की धूप छत पर आने लगती तभी राधा और अरुणा की नींद खुल जाती है।

आज दोनो ही देर तक सोई थी वही राजू अभी भी सो रहा था लेकिन सुबह की सलामी के लिए उसका मजबूत सिपाही अपनी ड्यूटी पर खड़ा था और राजू के निकर में टेंट बना हुआ था इधर अब राजू की दोनो माई राजू की तरफ करवट ले लेती है और राजू को देखने लगती है अब दोनो ही एक साथ राजू के लण्ड को घूरे जा रही थी और सोचती जा रही थी कितना बड़ा है जहां अरुणा ने तो राजू के लण्ड को हाथ से भी पकड़ा था लेकिन अभी राधा सिर्फ उसे एक बार अपनी गांड़ में ही महसूस की थी वो भी राजू ने जबरदस्ती उसकी गांड़ पर धक्के मारे थे दोनो ही अपनी अपनी यादों में खोई थी और जब दोनो के हवस की कामुकता की कामुत्तेजना बढ़ी तो दोनो की सिसकी एक साथ निकल गई जो दोनो के कानो पर पड़ी और जिसे सुन दोनो की नजरे जब आपस में टकराई तो दोनो ही अपनी नजरे चुराने लगी किसी की भी हिम्मत नहीं होई की नजर उठा के देख सके और फिर राधा बहुत सारा काम का बहाना बना वहां से तुरत सरक ली।

इधर अरुणा सोच में पड़ जाती है *****

अरुणा....ये राधा को क्या हुआ उसकी सिसकी क्यूं निकली और फिर मुझसे नजरे क्यूं चुरा रही थी कही ये तो नहीं जो मैं देख रही थी वही राधा भी देख रही हो लेकिन वो कैसे देख सकती है वो तो उसकी माई है, लेकिन माई तो तू भी है अरुणा, लेकिन उसने उसको जन्म दिया है, तो क्या हुआ तूने भी तो राजू को अपनी गोद में खिलाया है, अरुणा अपनी सोच में डूबी खुद से ही सवाल करती और अपने आपको ही संतुष्टि देने के लिए उस सवाल का जवाब भी खुद ही देती।

अरुणा...नही नही ये जो हो रहा है वह गलत है एक बेटा अपनी माई के साथ वो सब कैसे कर सकता है और राधा को भी रोकना होगा हो सकता है वह अपने जिस्म की आग में आगे बढ़ जाए और मां बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर बैठे, उसका तो चलो फिर भी समझ आता है की उसका पति उसके साथ नही है लेकिन तेरा तो पति है अरुणा तुझे राजू को रोकना चाहिए कल रात जो बस में हुआ वह अच्छा नही था।

कही ऐसा ना हो की मेरे एक गलत कदम से राजू भी सोनू की तरह आवारा हो जाए या फिर उससे भी कहीं ज्यादा बिगड़ जाए अरुणा तू चाहती तो उसे कल ही बस में रोक सकती थी अगर नहीं मानता तो पहले जैसे एक थप्पड़ भी लगा देती उससे राजू ज्यादा से ज्यादा थोड़ी देर के लिए नाराज ही होता लेकिन तूने तो वो कर दिया जो आज तक मां बेटे में कभी नहीं हुआ इतना तो शायद राधा भी आगे ना बढ़ी होगी और अब अरुणा एक पल के लिए बस की यादों में खो जाती है जिसे याद कर उसकी आंख में आशू आ जाते है।

अरुणा तुझे राजू को फिर से डराना होगा जो तूने सपना देखा है उसके लिए अभी राजू के लिए ये सब सही समय नहीं है।

और अरुणा एक पल के लिए राजू के लण्ड को एक बार और देखती है और फिर एक ठंडी सी सांस भरते हुए वहां से उठ जाती है और नीचे आकर बिना राधा से मिले अपने घर को निकल जाती है।

वही राधा अपनी सोच में डूबी हुई घर के काम करते जा रही थी******

राधा...तो अब अरुणा भी राजू के ला ला अरे राधा क्या बोल रही है तो क्या हुआ जब देख सकती हूं तो बोल भी तो सकती हूं और फिर यहां राजू थोड़े ही सुन रहा है आखिर अब ला लण्ड को लण्ड ना बोले तो और क्या बोले और फिर राधा मुस्कुराते हुए एक बार फिर से अरुणा के बारे में सोचने लगती है।

तो राजू ने जरूर कुछ बस में किया होगा तभी अरुणा आज उसके लण्ड को ऐसे देखकर सिसक रही थी मतलब अब क्या अरुणा राजू को वो सब करने की छूट दे देगी, हम्म्म मुझे ना इन दोनो पर नजर रखनी पड़ेगी, आखिर वो भी तो राजू की माई है, क्या उसे अपनी इज्जत मान और मर्यादा का डर नहीं है, इसी तरह राधा अपनी सोच में गुम होकर आंगन में झुककर झाड़ू लगा रही
थी और उधर राजू नींद से जाग चुका था और अब वह छत से नीचे आ रहा था।




Guys ye update subah aa jata lekin network or some site problem I couldn't update story😕
 
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fuckerg

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Apne valuable comments or suggestions jarur dena
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 

R@ndom_guy

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Ab to koi kitna roke
Radha aruna khud ko ni rok payegi
Update 12



अभी यहां से राजू का घर कोई 500 मीटर की दूरी पर था तो माधव अरुणा को लेके घर की ओर निकल जाता है और राजू को वही पर रुकने का बोल देता है।

अब आगे...

अरुणा माधव के पीछे पीछे अभी बस में हुए राजू के साथ काउंटर अटैक को सोचते हुए जा रही थी।

माधव...अरुणा देखो अगर राधा ने खाना बना लिया हो तो ठीक है नहीं तो तुम जल्दी से कुछ हल्का फुल्का बना लो मुझे बहुत जोरो से भूँख लगी है।

अरुणा... रा रा राजू (अरुणा अपनी सोच में गुम जब होश में आती है तो उसके मुंह से बार राजू राजू ही निकलता है)

माधव...क्या हुआ अरुणा तुम्हारी तबियत तो ठीक है??

अरुणा...जी जी मेरी तबियत ठीक है वो थोड़ी थकावट की वजह से उलझन हो रही है।

माधव...ठीक है तुम जाकर आराम करो मैं खुद से राधा भाभी के घर जाकर भोजन का पूछ लेता हूं।

अरुणा..ठीक है आप खा लेना मुझे भूंख नही है अब तो बस मैं सोना चाहती हूं।

माधव...ठीक है अरुणा अब तुम घर जाओ और मैं राधा भाभी से भोजन का पता लगाता हूं अगर भूंख लगी हो तो चलो थोड़ा तुम भी खा लेना और चाहे तो वही लेट जाना।

अरुणा..ठीक है चलो मैं भी राधा दीदी के घर ही चल कर सो जाती हूं अब मुझसे और काम नहीं किया जाएगा, और आप भी कही अपने सोने के लिए देख लेना नहीं तो बाहर ही चारपाई पर सो जाना....

गांवों अक्सर लोग गर्मियों के मौसम में बाहर ही लेटते है, यहां अरुणा उसी वजह से माधव को भी बाहर कही लेटने को कह देती है दरअसल अरुणा अपने घर जाकर कोई काम नहीं करना चाहती थी और अब रात के भी 11 बज चुके थे पूरा गांव सो चुका था और हर और सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा हुआ था।

इस सन्नाटे में अगर कही कोई आवाज आ रही थी तो वो सिर्फ कुत्तों के भौंकने की ही आवाज आ रही थी।

वही माधव के साथ अरुणा राधा के घर पहुंच जाते है और फिर माधव राधा से भोजन के बारे में पूछता है तो राधा माधव से कहती है की उसने माधव और अरुणा दोनो के लिए खाना बना रक्खा है जिसके बाद माधव राजू को लिवाने अपने तबेले के पास चला जाता है और वहां से बैलों को निकालकर गाड़ी में जोत देता है और फिर माधव बैलगाड़ी को लेकर राजू की ओर निकल जाता है।

इधर अरुणा राधा से खाना खाने के लिए मना करने लगती है लेकिन राधा उसे जबरदस्ती खिला के सबके सोने के लिए छत पर चटाई और बिस्तर बिछा देती है अब अरुणा वहां जाकर लेट जाती है और उसे पता ही नही चलता की वह कब सो जाती है।

इधर राजू भी सभी बोरियो को उस बैलगाड़ी में लदवाकर घर के आंगन में लाकर जमा करता है और फिर हाथ मुंह धो कर माधव और राजू खाना खाने के लिए नीचे जमीन पर बैठ जाते है।

अब राधा अपने देवर और अपने बेटे को थाली में खाना परोषकर दे देती है और खुद वहां बैठकर दोनो का इंतजार करने लगती है, तब राजू अपनी माई से बोलता है।

राजू...माई छोटी माई नहीं दिख रही क्या वो घर पर चली गई क्या उन्होंने खाना खाया या नहीं।

राधा...तेरी छोटी माई को खाना खिलाकर ऊपर सुला दिया है वह बहुत थक गई है जाते ही बिस्तर फैल गई और शो भी गई

राजू मन में...अब इतना पानी बहाने के बाद कैसे कोई नहीं थकेगा चलो कोई बात नही थक तो मैं भी बहुत गया हूं और कल मुझे खेतों में खाद भी डालनी है।

जब सभी का भोजन हो जाता है तो राधा सारे बर्तन उठाकर एक जगह इकट्ठा कर राजू के साथ अरुणा के पास सोने चली जाती और माधव अपने घर के बाहर तबेले के पास ही चारपाई बिछाकर लेट जाता है जहां वह रोजाना सोया करता था।

राधा राजू से थोड़ी इधर उधर की बाते करते हुए शो जाते है।

अगली सुबह जब दिन अच्छे से निकल आता है और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज होने लगती है सूरज की हल्की धूप छत पर आने लगती तभी राधा और अरुणा की नींद खुल जाती है।

आज दोनो ही देर तक सोई थी वही राजू अभी भी सो रहा था लेकिन सुबह की सलामी के लिए उसका मजबूत सिपाही अपनी ड्यूटी पर खड़ा था और राजू के निकर में टेंट बना हुआ था इधर अब राजू की दोनो माई राजू की तरफ करवट ले लेती है और राजू को देखने लगती है अब दोनो ही एक साथ राजू के लण्ड को घूरे जा रही थी और सोचती जा रही थी कितना बड़ा है जहां अरुणा ने तो राजू के लण्ड को हाथ से भी पकड़ा था लेकिन अभी राधा सिर्फ उसे एक बार अपनी गांड़ में ही महसूस की थी वो भी राजू ने जबरदस्ती उसकी गांड़ पर धक्के मारे थे दोनो ही अपनी अपनी यादों में खोई थी और जब दोनो के हवस की कामुकता की कामुत्तेजना बढ़ी तो दोनो की सिसकी एक साथ निकल गई जो दोनो के कानो पर पड़ी और जिसे सुन दोनो की नजरे जब आपस में टकराई तो दोनो ही अपनी नजरे चुराने लगी किसी की भी हिम्मत नहीं होई की नजर उठा के देख सके और फिर राधा बहुत सारा काम का बहाना बना वहां से तुरत सरक ली।

इधर अरुणा सोच में पड़ जाती है *****

अरुणा....ये राधा को क्या हुआ उसकी सिसकी क्यूं निकली और फिर मुझसे नजरे क्यूं चुरा रही थी कही ये तो नहीं जो मैं देख रही थी वही राधा भी देख रही हो लेकिन वो कैसे देख सकती है वो तो उसकी माई है, लेकिन माई तो तू भी है अरुणा, लेकिन उसने उसको जन्म दिया है, तो क्या हुआ तूने भी तो राजू को अपनी गोद में खिलाया है, अरुणा अपनी सोच में डूबी खुद से ही सवाल करती और अपने आपको ही संतुष्टि देने के लिए उस सवाल का जवाब भी खुद ही देती।

अरुणा...नही नही ये जो हो रहा है वह गलत है एक बेटा अपनी माई के साथ वो सब कैसे कर सकता है और राधा को भी रोकना होगा हो सकता है वह अपने जिस्म की आग में आगे बढ़ जाए और मां बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर बैठे, उसका तो चलो फिर भी समझ आता है की उसका पति उसके साथ नही है लेकिन तेरा तो पति है अरुणा तुझे राजू को रोकना चाहिए कल रात जो बस में हुआ वह अच्छा नही था।

कही ऐसा ना हो की मेरे एक गलत कदम से राजू भी सोनू की तरह आवारा हो जाए या फिर उससे भी कहीं ज्यादा बिगड़ जाए अरुणा तू चाहती तो उसे कल ही बस में रोक सकती थी अगर नहीं मानता तो पहले जैसे एक थप्पड़ भी लगा देती उससे राजू ज्यादा से ज्यादा थोड़ी देर के लिए नाराज ही होता लेकिन तूने तो वो कर दिया जो आज तक मां बेटे में कभी नहीं हुआ इतना तो शायद राधा भी आगे ना बढ़ी होगी और अब अरुणा एक पल के लिए बस की यादों में खो जाती है जिसे याद कर उसकी आंख में आशू आ जाते है।

अरुणा तुझे राजू को फिर से डराना होगा जो तूने सपना देखा है उसके लिए अभी राजू के लिए ये सब सही समय नहीं है।

और अरुणा एक पल के लिए राजू के लण्ड को एक बार और देखती है और फिर एक ठंडी सी सांस भरते हुए वहां से उठ जाती है और नीचे आकर बिना राधा से मिले अपने घर को निकल जाती है।

वही राधा अपनी सोच में डूबी हुई घर के काम करते जा रही थी******

राधा...तो अब अरुणा भी राजू के ला ला अरे राधा क्या बोल रही है तो क्या हुआ जब देख सकती हूं तो बोल भी तो सकती हूं और फिर यहां राजू थोड़े ही सुन रहा है आखिर अब ला लण्ड को लण्ड ना बोले तो और क्या बोले और फिर राधा मुस्कुराते हुए एक बार फिर से अरुणा के बारे में सोचने लगती है।

तो राजू ने जरूर कुछ बस में किया होगा तभी अरुणा आज उसके लण्ड को ऐसे देखकर सिसक रही थी मतलब अब क्या अरुणा राजू को वो सब करने की छूट दे देगी, हम्म्म मुझे ना इन दोनो पर नजर रखनी पड़ेगी, आखिर वो भी तो राजू की माई है, क्या उसे अपनी इज्जत मान और मर्यादा का डर नहीं है, इसी तरह राधा अपनी सोच में गुम होकर आंगन में झुककर झाड़ू लगा रही
थी और उधर राजू नींद से जाग चुका था और अब वह छत से नीचे आ रहा था।




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