mashish
BHARAT
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Superb updateभाग ३१
सभी लोग अपनी अपनी जरूरतों का सामान पैक कर रहे थे, कालदूत की लोकेशन प्राप्त होने के बाद हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठ सकते थे
रूद्र एक कोने मैं बैठा अपनी जरुरत का सामान पैक कर रहा था, उसपर नरेशजी की मौत का काफी गहरा असर हुआ था भले ही वो किसी से कुछ नहीं कहता था पर वो अब भी अंदर से काफी दुखी था तभी शिवानी उसके पास आई
शिवानी-तुम पर चाचा की मौत का काफी गहरा असर हुआ है
शिवानी की बात सुन कर रूद्र बाद पैक करते करते रुक गया और शिवानी की तरफ देख कर बोला
रूद्र-वो मेरे पिता नहीं थे शिवानी लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया, उनको न बचा पाने का गम तो साडी जिंदगी रहेगा
शिवानी-तुम एक मानव नहीं हो, मतलब वैसे नहीं हो जैसे हम सब है फिर भी तुम्हारे अंदर भी वैसी ही भावनाए है जैसी हममे है ये देख कर मैं हतप्रभ हु
रूद्र(मुस्कुराकर)- मैं कोई रोबोट नहीं हु शिवानी, मेरा शारीर भी उसी तरह काम करता है जैसीक सामान्य मनुष्य का बस उसमे फर्क सिर्फ इतना है के मेरी हड्डिया और त्वचा का कम्पोजीशन सामान्य इंसान से बेहद भिन्न है
शिवानी-मैंने कभी सोचा नहीं था के जिंदगी मैं तुमसे मिलना होगा, मैंने हिडन वारियर्स के साथ काम करते हुए अपने पिता महेश के बारे मैं काफी बाते सुनी थी लेकिन कभी सोचा नहीं था की उनकी रचना से मिलने का मौका मिलेगा, अब चाचा और पिताजी दोनों ही इस दुनिया मैं नहीं है पर कही न कही वे दोनों ही तुमसे जुड़े हुए है और यही बात तुम्हे खास बनती है
रूद्र और शिवानी बात कर ही रहे थे के राघव अपने कमरे से बाहर आया, उसने टीशर्ट जीन्स और एक ब्लैक लेदर जैकेट पहना हुआ था और कंधे पर उसका बैग टंगा हुआ था, उसको देख कर शिवानी उसके पास आयी और आँखों मे देख कर बोली
शिवानी- क्या बात है शास्त्री बड़े हैण्डसम लग रहे हो तुम कालदूत से लड़ने जा रहे हो या गुजरात की लडकियों को पटाने
राघव-तुम ठीक तो हो ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रही हो आज तक तो कभी तुम्हारे मुह से ये नहीं सुना मैंने
शिवानी-कमाल है अब तुम आचे लग रहे हो तो बोलू भी ना मैं भी लड़की हु यार हा मानती हु दिनभर दुनिया को बुरी शक्तियों से बचाती हु पर कभी कभी तो अरमान जाग ही जाते है शास्त्रीजी
शिवानी की बात सुनकर राघव मुस्कुराने लगा, दोनों थोड़ी देर एक दुसरे को देखते रहे पर ये समय इन बातो मैं उलझने का नहीं था अजीब सी स्तिथि को नकारने के लिए राघव के बात बदली और शिवानी से प्रश्न कर डाला
राघव-वैसे एक बात बताओ शिवानी, तुम लोग अपनी आर्गेनाईजेशन के लिए लोगो का चयन कैसे करते हो ?
शिवानी-वो काम हमलोग नहीं हमसे उपर के लोग करते है, ऐसा तभी होता है जब बहुत जरुरत हो और ऐसा बहुत कम होता है, हमें हमेशा बेस्ट लोग चाहिए अपने साथ
राघव-तो मान लो की आर्गेनाईजेशन का कोई आदमी काम छोड़ना चाहे या आर्गेनाईजेशन के राज दुनिया के सामने लेन की धमकी दे तो?
शिवानी-तो दोनों ही सूरतो मे एक विशेष प्रकार की गैस का इस्तमाल करके व्यक्ति की याददाश्त मिटा दी जाती है, और अगर वो इससे बाख भी गया तो भी अगर वो दुनिया के सामने चिल्ला चिल्ला कर भी हमारी आर्गेनाईजेशन के बारे मैं बताएगा तो कोई भला उसपर यकीन क्यों करेगा क्युकी हमारी उपस्तिति का कोई सबूत भी तो होना चाहिए, वैसे छोडो इन बातो को तुम्हारी ट्रेनिंग आचे से हो गयी है और उस काले जादू की किताब से तुम भी telekinesis जानते हो और तो अगर सोचो की लडाई है सेकड़ो कालसैनिक तुमपर हमला करे तो बाख जाओगे न?
राघव-तुम्हे कोई डाउट है क्या? वैसे शक्तिशाली होने के अपने फायदे है कालसैनिको से तो मैं चुटकी बजा के निपट लू
शिवानी-तो कालदूत से भिड़ने के लिए तयार हो?
राघव-हा अब ऐसा कह सकते है पर सच बहुँत तो अंदर से काफी घबराया हुआ हु, कालसैनिको से लड़ना एक बात है और कालदूत का मुकाबला करना अलग बात, कालदूत कुछ और ही है, उसको मैं अकेला नहीं हरा सकता, उसने अपने एक भक्त हो अपनी शक्ति का हिस्सा दे दिया तो वो मुझपर और रूद्र पर भरी पड़ गया तो कालदूत की शक्ति की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती, हम लोग जब तक साथ है हम उसे हरा पाएंगे जिसमे हमें हिडन वारियर्स के हथियारों की भी जरुरत पद सकती है अकेले तो कालदूत के सामने जाना आत्महत्या के समान है
रमण और संजय बडी देर से राघव और शिवानी को बात करते हुए देख रहे थे
रमण-संजय भाई मुझे यहाँ कुछ कुछ होता है टाइप फीलिंग क्यों आ रही है
संजय-तुम शिवानी के बारे मैं बात कर रहे हो
रमण-मुझे लगता है अपना छोटा भाई पसंद करता है उसे क्या बोलते हो?
संजय(हसकर)- वाह इंस्पेक्टर बाबु दस मिनट की बातचीत से कितना कुछ पता कर लिया तुमने तो
तभी चेतन और अविनाश घर के अंदर आये जो बाहर लगातार किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे
चेतन-मेरी बात राहुल से हो गयी है अब हम लोगो को निकलना होगा
रमण-ये राहुल कौन है?
चेतन-हमारी आर्गेनाईजेशन के जिन खतरनाक हथियारों का हमने जिक्र किया था उनका इंस्पेक्शन राहुल ही करता है वो सिर्फ देख कर किसी भी आधुनिक हथीयार के अंदर की बारीक़ बारीक़ खराबी को न सिर्फ पहचान सकता है बल्कि ठीक भी कर देता है, हिडन वारियर्स के पास छोटे मोटे पिस्तौल राइफल जैसे हथियारों के साथ कई ऐसे भी हथीयार है जिनका निर्माण कई देशो मैं बन है,ऐसे हथीयार जो आजतक कभी चलाये नहीं गए, वो अलग अलग जगहों पर रखे गए थे ताकि किसी अमानवीय शक्ति से सामना हो तो काम आ सके, राहुल उन्ही हथियारों को सुरक्षित करने मैं लगा हुआ था ताकि वो किसी गलत हाथ मैं न पड़े, वो हमारे उन गिने चुने लोगो मैं से है जो न सिर्फ आधुनिक हथीयार की समझ ररखते है बल्कि उन्हें चलाना भी जानते है, वो गुजरात पहुच चूका है इसीलिए हमें भी निकलना होगा समय बहुत कम है हमारे पास
संजय-लेकिन इतने कम समय मैं गुजरात कैसे पहुचेंगे हम जब तक वहा पहुचेंगे कालदूत वहा से निकल भी सकता है
अविनाश-आप सफ़र की चिंता मत्कारिये बस बाहर चलकर देखए
सभी लोग अपने अपने बग्स टांग कर बाहर आ गए
रमण-यहाँ तो कुछ भी नहीं है
तभी अचानक एक बेहद आधुनिक जेट हवा मैं प्रकट होने लगा जिसे देखकर राघव रमण रूद्र संजय बुरी तरह चौक गए
रमण-अरे! ये क्या है?
चेतन-हम लोग हिडन वारियर्स है रमण जी और एक शताब्दी से दुनिया के सर्वश्रेष्ट वैज्ञानिको से साथ काम कर रहे है और अब विज्ञान के ऐसे अजूबे देखने की आदत दाल लीजिये वैसे आपसब की जानकारी के लिए बता दू के ये जेट हमें सिर्फ १ घंटे मैं गुजरात पंहुचा देगा सामान्य लोगो की नजरो मैं न आने के लिए हम हमेशा अपना इनविजिबल मोड ओं रखते है अब सभी लोग अंदर चलो ताकि हम आगे कूच कर सके
उसके बाद सभी लोग एक एक करके जेट मे जाने लगे पर राघव ने रमण को बाहर रोक लिया
राघव-भैया आपका आना जरुरी है क्या? वह क्या होगा हम मे से कोई नहीं जानता आपको कुछ हो गया तो?
रमण-बकवास बंद करो अपनी राघव भलेही तुम्हारे पास पावर्स होंगी पर हो तुम मेरे छोटे भाई ही इसीलिए मैं इस लडाई से पीछे नहीं हटने वाला और अब चलो चुपचाप हमें देर हो रही है
उसके बाद राघव और रमण भी जेट मैं चले गए.....
To Be Continue........
Nice superb updateभाग ३२
सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी
अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा
अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?
रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं
अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे
रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे
इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे
रूद्र-तो अब क्या प्लान है?
रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला
रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है
अविनाश-बिलकुल सही
बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था
राघव-ये क्या है?
अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है
रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना
चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है
संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?
चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा
राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना
अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है
रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे
चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती
रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?
अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है
रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?
रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे
रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है
चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है
रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन
अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा
रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले
चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है
राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे
शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है
राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है
जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था
चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो
राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा
चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा
अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते
राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही
राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी
अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.
अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली
शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है
राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो
पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी
रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए
अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे
बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला
रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा
तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला
पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है
संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे
रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा
राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........
Superb Updateभाग १६
सुशेन ने सिद्धार्थ को रवाना कर दिया था और खुद गाडी लेकर हीरालाल रेस्टोरंट की और निकल गया और कुछ ही समय मैं वो हीरालाल रेस्टोरंट मैं था, सुशेन ने अपनी गाड़ी भीड़ भाड से दूर शांत जगह पार्क की और रेस्टोरंट मैं चला गया,
जब कुछ समय तक गाडी की कोई हलचल नहीं हुयी तो राघव ने बहार निकलने का सोचा, उसने डिक्की को हल्का सा खोलकर बाहर का जायजा लिया की कही कोई उसे देख तो नहीं रहा और जब वो पूर्ण निश्चिन्त हो गया तब वो डिक्की से निकलकर बहार आया, गाडी पहले ही भीडभाड से दूर कड़ी होने की वजह से राघव का काम आसान हो गया था और अब वो भी हीरालाल रेस्टोरंट की और जाने लगा तभी उसे उसका दोस्त सूरज वहा मिल गया
सूरज-ओए राघव
राघव-सु..सूरज तू...तू यहाँ क्या कर रहा है
सूरज-वही सवाल मुझे पूछना है, जब मैंने तुझे सुबह फ़ोन किया था तब तो तू बोल रहा था के तेरी तबियत ख़राब है और अब तू यहाँ रेस्टोरंट मैं जा रहा है, कोई लड़की वडकी पता ली क्या जो छिप कर उससे मिलने जा रहा था
राघव-अरे नहीं भाई वो...कुछ काम से आया था
सूरज-वो सब काम बादमे करियो पहले मेरे साथ चल मेरा काम ज्यादा जरुरी है
राघव-पर..भाई...वो...
सूरज-पर वर नहीं बैठ गाड़ी पे और चल
राघव ने सूरज को टालने की काफी कोशिश की लेकिन आखिर मैं उसे सूरज के साथ जाना पड़ा
वही दूसरी तरफ सुशेन रेस्टोरंट मैं पंहुचा वो वहा पहुचकर इधर उधर देख ही रतः था के तभी एक २०-२२ साल के लड़के ने उसकी तरफ देख्कर हाथ हिलाया, सुशेन उस तरफ गया, लड़का काला चश्मा लगाकर एक ब्राउन लंग का ब्लेजर और जीन्स पहनकर बैठा था, सुशेन को देखकर वो मुस्कुराता हुआ बोला “बडी ठण्ड है न राजनगर मैं, है न?
सुशेन को यकीन नहीं हो रहा था के इन हत्याओ के पीछे इस लड़के का हाथ हो सकता है, उसने पैनी नजरो से उसे देखते हुए पुचा “तो कालसैनिको को मारने के पीछे तुम्हारा हाथ है?”
वो लड़का बड़े हिउ निश्चिन्त भाव से बोला “हा, और हाथ नहीं उनको मारने के पीछे पूरा का पूरा मैं ही हु”
सुशेन अविश्वास से बोला “यकीन नहीं होता की एक बच्चा इतने काबिल लोगो को मार सकता है जो काले जादू और telekinesis मैं विशेषज्ञ थे”
लकड़ा फिर मुस्कुराता हुआ बोला..”दाढ़ी बढ़िया राखी है तुमने”
सुशेन को अब काफी गुस्सा आ रहा था लेकिन उस समय वहा रेस्टोरंट मैं काफी लोग थे इसीलिए सुशेन इस समय कुछ नहीं कर सकता था, उसने क्रोध से तमतमाते हुए पूछा “तुझे डर नहीं लग रहा लड़के?”
लड़के ने फिर बेफिक्री से कहा “मुझे भला क्यों डर लगेगा?”
सुशेन ने फिर अपनी मुट्ठी भींच ली थी, उसके क्रोध के कारण मेज पर रखे चाय के कप हिलने लगे थे, उसने उस लड़के को फाड़ कर खा जाने वाली नजरो से घूरते हुए जवाब दिया..”पता नहीं तुम बहुत ज्यादा हिम्मत वाले हो या बहुत ही ज्यादा बेवकूफ जो मेरे ही लोगो को मारकर मुझे यहा मिलने का न्योता दिया, अब तू इओस धरती पर ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है, पूरी कालसेना तेरे पीछे पड़ जाएगी फिर चले वो ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड”
उस लड़के की जगह अगर कोई और होता तो सुशेन का वो अवतार देख कर सूखे पत्ते की तरफ डर से कांपने लगता लेकिन उस लड़के पर कोई असर नहीं हो रहा था
उस लड़के से सुशेन से घूरते हुए पूछा “और मुझे मरोगे कैसे? अपने काले जादू या telekinesis से? क्युकी मुझपर दोनों ही असर नहीं करते, तुम कहो तो कोशिश करके देख लो”
सुशेन(आश्चर्य से)-तुम कौन हो??
लड़के ने जवाब दिया “मेरा नाम रूद्र है और इससे ज्यादा तुम्हे बस ये जानने की जरुरत है की तुम लोग अपने अंत के लिए तयार रहो, तुम कालसेना के लोगो का पाप का घड़ा भर गया है”
सुशेन-लेकिन क्यों? क्यों मार रहे हो तुम मेरे लोगो को?
रूद्र-हा हा हा, देखो पूछ भी कौन रहा है? उस सेना का मुखिया जो १००० वर्षो से हर तीन साल के भीतर १०० लोगो की बलि दे रहा है
सुशेन-ये...ये जानकारी तुझे कैसे मिली?
रूद्र-मैंने भी अपनी रिसर्च की है कालसेना पर, खैर जो मेरी समझ मैं नहीं आया वो ये के ऐसा क्या हुआ था १००० साल पहले जो इस कालसेना की स्थापना की गयी?
सुशेन-मैं तुमको कुछ भी नहीं बताने वाला
रूद्र-देखो तुम मुझपर यहा हमला तो वैसे भी नहीं करने वाले क्युकी ये एक सार्वजनिक जगह है और तुम लोगो की आदत है छिपकर वार करना और हमला करके भी तुम खुदको ही हानि पहुचाओगे क्युकी तुम्हारा जादू मुझपर असर नहीं करता हा पर मेरे वारो का असर तुमपर जरूर पड़ेगा और वैसे भी व्यर्थ के झगडे से अच्छा है समय का सदुपयोग किया जाये
रूद्र की बातो ने सुशेन पर जादू जैसा असर किया, वो खुद को एकदम बेबस महसूस कर रहा था, आखिर वो गहरी सास लेकर बोला
सुशेन-ठीक है, वैसे भी तुमको बताने मैं कोई हानि नहीं है, हम तो चाहते है कि ये कहानी ज्यादा से ज्यादा लोग जाने और हमारे आराध्य कालदूत की शरण मैं आये तो सुनो, आज से १००० साल पहले.......(पूर्ण कहानी विस्तृत रूप से पहले और दुसरे भाग मैं बताई गयी है) बिरजू ने समुरतल से बहार आकर ऐसे लोगो को ढूंढा जो इश्वर से असंतुष्ट और नाराज थे, उनमे ऐसे लोग भी शामिल थे जिन्होंने किसी न किसी प्रकार के युद्ध मैं, महामारी के कारन या फिर किसी और वजह से अपनों को खो दिया था जिसकी वजह से इश्वर पर उनका अटूट विश्वास बुरी तरह डगमगा गया था, ऐसे लोगो को कालसेना मैं शामिल किया गया, कालसेना मैं कालदूत के भक्त सिमित संख्या मैं थे लेकिन वो ऐसे लोग थे जिनकी पहुच राजनीति, मीडिया अभिनय जैसे बड़े बड़े क्षेत्रो मैं थी, फिर शुरू हुआ बलि देने का दौर, सर्वप्रथम महात्मा बिरजू ने अपने ही पिता की बलि दी थी जो उनकी कालदूत की भक्ति के आड़े आ रहे थे, हर ३ सालो मैं कालसेना के लोग बहार निकलते और और कुर्बानी देते और फिर से गायब हो जाये और अगले तीन सालो मैं किसकी कुर्बानी देनी है इसकी प्लानिंग करते, हमारा निशाना मुख्य रूप से वो लोग रहे जो धार्मिक क्रियाओ मैं सम्मिलित रहते, कल कालसेना के लोग प्राण त्याग देते थे तब उनकी जगह उनके बच्चे ले लेते है और साथ ही नए लोग भी शामिल हो जाते है,मुखिया की म्रोत्यु के बाद सबसे काबिल लोगो मैं जंग होती है और जीतने वाले को मुखिया बनाया जाता है, अब इसे संयोग कहो या कालदूत का आशीर्वाद बिरजू के वंशजो ने हमेशा खुद को साबित करके सत्ता को अपने हाथ मैं रखा है, हमने अलग अलग देशो मैं इतनी सफाई के साथ हत्याए की थी की पुलिस प्रशासन का हमें पकड़ना नामुमकिन था, लोगो के सामने तो कालसेना कभी आई ही नहीं, दरअसल हम ही लोगो के सामने नहीं आना चाहते थे और अदृश्य रहने का काम हमने बहुत सहजता पूर्वक किया, बड़े बड़े देशो की ख़ुफ़िया एजेंसीज जैसे रॉ, CIA आदि मैं भी हमारे लोग उची पोजीशन पर थे जिन्होंने हमारे राज को बनाये रखने मैं सहायत की...
रूद्र-और अब १००० साल पुरे होने को है
सुशेन-हा इन तीन सालो मैं हम लोगो ने ९९ कुर्बानि दे दी है एक आखरी कुर्बानी और फिर हमारा देवता आजाद होगा समुद्र की गहराइयों से
रूद्र-अब ऐसा कुछ नहीं होगा
सुशेन-तुम हमको रोक नहीं पाओगे
रूद्र-दरअसल मैं रोक सकता हु पूरी कालसेना को रोक सकता हु, पता है मैंने तुम्हारे लोगो को कैसे मारा? उन्होंने मुझसे याचना की ताकि मैं रहम खाकर उन्हें छोड़ दू लेकिन मैंने अपने इन्हों हाथो से उनकी गर्दन की हड्डी तोड़ डाली, तुमको मैं छोड़ रहा हु क्युकी कालसेना को ख़तम करने के लिए किसी को पहले ही चुन लिया गया है मैं तो बस उसका काम आसान कर रहा हु पर ऐसा मत सोचना की मैं हर बार तुम्हे छोड़ दूंगा, अगली बार जब हम मिलेंगे तब हम दोनों मैं से कोई एक ही जिन्दा जायेगा.....
इतना कहकर रूद्र तेजी से वहा से बाहर निकल गया लेकिन सुशेन अब भी वही बैठा था, वो पहली बार डर महसूस कर रहा था, वही डर तो कालसेना की वजह से राजनगर मैं व्याप्त था
रूद्र के रेस्टोरंट से बहार जाते ही उसने अपने एक आदमी को फ़ोन किया “हा, एक २०-२२ साल का लड़का है...हा पीछा करो उसका....वो अभी हीरालाल रेस्टोरंट से बाहर निकला है काले रंग का चश्मा और ब्राउन रंग का ब्लेजर पहना है, पता करो वो कहा जाता है बस उसे तुम्हारी भनक नहीं लगनी चाहिए......
Superb Updateभाग १७
राजनगर एक बहुत ही खुबसूरत हिल स्टेशन था, चारो और पहाड़ो और घने पेडो बीच बसा हुआ पर पिछले कुछ दिनों मैं गायब हो रहे लोगो ने शहर मैं दहशत भर दी थी,
रूद्र सुशेन से मिल कर उसे चेता कर अपने रस्ते निकल गया था उर इस वक़्त वो एक सुनसान रस्ते पर अकेला चलता हुआ जा रहा था की तभी उसे अपने पीछे कुछ हलचल सुनाई दी, उसने जब पीछे मिदकर देखा तो वहा कोई नहीं था, वो थोडा मुस्कुराया और तेज आवाज मैं बोला “ऐसे कायरो की तरह छिपने का कोई फायदा नहीं है मैं जनता हु की तुम मेरा पीछा कर रहे हो” उसके इतना बोलते ही ६ लोग काले कपडे पहने हुए झाड़ियो से निकल कर उसके सामने आ गए, उनमे से एक बोला “वैसे तो हमें कहा गया था के सिर्फ चुपचाप तेरा पीछा करे लेकिनाब इस सुनसान इलाके मैं अगर हम तुझे मार भी दे तो शायद बॉस बुरा नहीं मानेंगे, उनको रेस्टोरंट मैं बुलाकर धमकाना तेरी आखरी गलती थी लड़के!”
रूद्र-और इस तरह मेरे सामने आना तुम सब की जिंदगी की आखरी गलती है
उन सब लोगो ने रूद्र को गोला बनाकर घेर लिया और उनमे से एक व्यक्ति धारदार कुल्हाड़ी लेकर रूद्र को मरने के लिए आगे आया लेकिन रूद्र ने तेजी से उसके हाथ को पकड़ा और एक झटके के साथ उसका हाथ उखाड़कर फेक दिया, वो आदमी दर्द के कारन जोर से चीखने लगा वही बाकि सब की आँखें ये दृश्य देख कर फटी रह गयी,
ये सब देखकर एक कालसैनिक दुसरे से बोला “ये आखिर है कौन? धरती पर कोई भी इस तरह हमारा मुकाबला नहीं कर सकता” इसपर दूसरा कालसैनिक बोला “इस पर telekinesis का प्रयोग करके देखो, ये हमसे बल मैं अधिक हो सकता है लेकिन इसके पास हमारी शक्तियों की कोई काट नहीं होगी”
सभी कालसैनिको ने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं घुमाया, इस दौरान रूद्र ने कुछ नहीं किया, वो बस खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और ये देखकर सभी कालसैनिक सकते मैं आ गए, उनमे से एक घबरायी आवाज मैं बोला “ये...ये तो हमारी शक्तियों का विरोध कर रहा है” तभी रूद्र के चेहरे से भाव तेजी से बदलने लगे, उसने तेजी से घूमकर एक कालसैनिक की छाती पर अपने हाथ से प्रहार किया जो इतना शक्तिशाली था के वो कालसैनिक वही धराशायी हो गया और ये देखकर बाकि सब के पैर उखड गए और वो वहा से भागने लगे
भागते हुए उनमे से एक ने कहा “ये कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता हमें फ़ौरन बॉस को इस बारे मैं खबर करनी होगी” लेकिन रूद्र की रफ़्तार उन सब से अधिक थी उसने आगे जाकर उनका रास्ता रोक लिया और बस फिर कुछ ही मिनटों मैं सभी कालसैनिको की लाश वहा पड़ी थी और रूद्र खून से सने हाथ लिए वहा खड़ा था
रूद्र-हम्म्फ़....जिन्हें लोगो को लाश बनाने का शौक था आज वो खुद लाश बन गए
फिर रूद्र वापिस अपने रस्ते किसी सामान्य नागरिक की तरह निकल गया जैसे कुछ हुआ ही न हो
राजनगर से बहार थोडा दूर खुबसूरत वादियों मैं एक छोटा सा घर बना हुआ था जिसकी दीवारे सफ़ेद और दरवाजा गोलाकार था और दरवाजे पर डोरबेल लगी थी, रूद्र इस समय इसी घर के बहार खड़ा था, उसने बेल बजायी तो दरवाजा एक ५०-५५ की उम्र के आदमी ने खोला, वो आदमी उम्र के हिसाब से काफी तंदरुस्त था, बाल हलके हलके सफ़ेद थे और चेहरा क्लीन शेव, उसने जीन्स और टीशर्ट पहना हुआ था और रूद्र को देखते ही वो बोला “मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की तुम कही से दंगा फसाद करके आ रहे हो ?”
रूद्र- वो कुच्घ काले कपडे वाले कालसैनिको ने हमला कर दिया था मुझ पर नरेश जी
नरेश-हा हा...फिर तो मैं ये समझू की ये उनकी आखरी गलती थी
रूद्र-सही कहा
नरेश-आओ जल्दी अंदर आओ
रूद्र-बाकि सब कहा गए ?
नरेश-बाकी सब है ही कौन, एक अरुण ही तो है और वो किसी काम से बाहर गया हुआ है बाकी शिवानी राहुल और बाकि की टीम कल शाम तक आयेगी
रूद्र-अच्छी बात है वैसे भी अब ज्यादा समय नहीं बचा है, वो लोग अगर आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हुए तो अनर्थ हो जायेगा
नरेश-सही कहा लेकिन अब किसी को मारना उनके लिए आसान नहीं होगा पुलिस को भी उनकी भनक लग चुकी है और मुझे लगता है अब समय भी हो गया है
रूद्र सोफे पर बैठा और उसने एक लम्बी सास की
रूद्र-मैं ये सब क्या कर रहा हु नरेश जी, लोगो को मारना मेरा काम नहीं है
नरेश-हममे से कोई भी किसी को भी मारना नहीं चाहता है रूद्र लेकिन उनलोगों को जिन्दा छोड़ना कितना खतरनाक हो सकता है इसका अंदेशा हम सबको है
रूद्र-हम्म
नरेश-मुझे लगता है अब यही समय है राघव को उसकी शक्तियों से अवगत करने का हमें जल्द से जल्द उसकी ट्रेनिंग शुरू करनी पड़ेगी
रूद्र कुछ बोलता उससे पहले ही नरेश का फ़ोन बजने लगा, फ़ोन अरुण का था नरेश ने फ़ोन स्पीकर पर डाला तो दूसरी तरह अरुण ने बस दो ही शब्द बोले...”रमण..शक्ति”
रूद्र जितनी तेजी के साथ घर आया था उतनी ही तेजी के साथ घर से निकल गया
इधर पुलिस स्टेशन मैं रमण विक्रांत से कुछ उगलवाने की कोशिश कर रहा था तभी उस कमरे मैं लगी एकमात्र लाइट जलने बुझने लगी जिससे रमण को परेशानि हो रही थी तो वो जोर से चिल्लाकर बोला “रामदास ये बल्ब क्यों काम नहीं कर रहा देखो जरा”
लेकिन रामदास की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो रमण अपनी खुर्ची से उठकर उस अँधेरे लॉकअप से बाहर आया और वहा उसने कुछ ऐसा देखा की उसे बहुत बड़ा झटका लगा, उसके सरे साथी मरे पड़े थे, किसी की आँखें निकली हुयी थी, किसी की अंतड़िया पेट के बाहर झाक रही थी, किसी की गर्दन फटी हुयी थी और हड्डिया साफ़ दिख रही थी,
रमण ने अपने पुरे जीवन मैं ऐसा वीभत्स दृश्य कभी नहीं देखा था, उसने लाशो को पार किया तो सामने नीला चोगा और नकाब पहने चार लोग खड़े थे, रमण पहचान गया की ये लोग कौन है, उनमे से एक ने अपना नकाब निकला, वो सुशेन का छोटा भाई शक्ति था जो फाड़ जाने वाली नजरो से रमण को घुर रहा था, रमण ने बगैर कुछ सोचे अपनी गन निकली लेकिन शक्ति ने अपने हाथ को हल्का सा झटका दिया और वो गन दूर जा गिरी
रमण- तुमने मेरे सभी साथियों को मार डाला दरिंदो!!
शक्ति-मगर तुम जिन्दा हो इंस्पेक्टर और वो भी शायद तुम्हारी बहादुरी की वजह से क्युकी मैं बहादुरों की क़द्र करता हु तुम जैसे बहादुर लोग कालदूत को काफी प्रिय है
रमण-भाड़ मैं गया तुम्हारा कालदूत, मुझसे क्या चाहते हो
शक्ति-विक्रांत को हमारे हवाले कर दो
रमण-नहीं होगा...और वो तो ब्लैक हुड का सदस्य है वो तुमको क्यों चाहिए?
शक्ति-वो एक कालसैनिक है और मेरे सम्बन्ध मेरे भाई से इतने भी ख़राब नहीं है की मैं उसके लोगो को तुम्हारे पास सड़ने दू
रमण- अच्छा भाईचारा है पर मैं किसी भी हाल मे विक्रांत को तुम्हे नहीं दूंगा और मेरे आदमियों की मौत का खामियाजा भी तुम्हे भुगतना होगा
शक्ति-तब तो मुझे तुम्हे भी ख़त्म करना होगा
शक्ति ने कुछ करने के लिए अपना हाथ हवा मैं उठाया लेकिन अचानक एक टेबल उडती हुयी उसकी तरफ आयी लेकिन शक्ति ने सही समय पर ध्यान देकर telekinesis से उसे हवा मे रोक दिया और उसके टुकड़े कर दिया, सभी लोगो का ध्यान टेबल फेकने वाले पर गया तो वहा रूद्र खड़ा था
रूद्र-हर बार telekinesis काम नहीं आयेगी
शक्ति(गुस्से से )- कौन हो तुम?
रूद्र-मेरे बारे मैं सोचने के लिए तुम जिन्दा नहीं रहोगे
शक्ति-इस लड़के और इंस्पेक्टर को पकड़ो
कालसैनिक दौड़कर रूद्र को पकड़ने गए लेकिन रूद्र एक एक जोरदार झापड़ से एक कालसैनिक की खोपड़ी ‘चटाक’ की आवाज से मुडी और वो धरती पर गिर गया, दुसरे से कालसैनिक ने telekinesis द्वारा रूद्र के शारीर को अंदर से फाड़ने की कोशिश की लेकिन रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ जिससे रमण और शक्ति दोनों चकित हो गए, दो और लोग रूद्र की तरफ बढे लेकिन उनका भी वही हाल हुआ वो पहले वालो का हुआ था, पुलिस वालो को निर्ममता से मरने वाले अब खुद लाश बने हुए थे और सिर्फ शक्ति बचा था, उसने रमण की गन उठाई और रूद्र पर चलायी लेकिन गोलियों का रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ
शक्ति-कौन हो तुम, तुम इंसान नहीं हो?
रूद्र-कोई ऐसा जिसके लिए इंसानी जाने मायने रखती है और तुम जैसो को मारने के लिए मजबूर हु ताकि दोबारा ऐसा न हो
रूद्र शक्तिके पास गया और उसे अपने दोनों हाथो से उठाकर उसने सामने वाली दिवार पर फेक दिया, शक्ति का शारीर इतना तेज इम्पैक्ट झेल नहीं पाया और उसने प्राण त्याग दिए
फिर रूद्र ने रमण की गन उठाई और उस सेल की तरफ गया जहा विक्रांत बंद था, रमण उसे रोकने की हालत मैं नहीं था फिर उस सेल से गोलिया चलने की कुछ आवाजे आयी और विक्रांत का शारीर शांत पड गया
लॉकअप से बहार आकर रूद्र रमण को गन थमाते हुए बोला
रूद्र-रमण आओ मेरे साथ चलो
रमण-रुको!! कौन हो तुम और तुमने ये सब कैसे किया
रूद्र- सब बताता हु अभी मेरे साथ चलो..
तभी वहा राघव आ पंहुचा जो सूरज से पीछा छुड़ा कर रमण से मिलने आया था और उसे अपनी सुनी हुयी सब बाते बताना चाहता था लेकिन पुलिस स्टेशन का नजारा देख उसकी आँखें फटी रह गयी
रुद्र- राघव अच हुआ तुमज भी आ गए अब तुम दोनो मेरे साथ चलो, कालसैनिको को यहाँ की घटना के बारे मैं पता चलने मैं ज्यादा समय नहीं लगेगा थोड़ी देर मैं ये इलाका इन लोगो से भर जायेगा इसीलिए जल्दी निकलो यहाँ से
रमण भी स्तिथि की गंभीरता को समझ रहा था इसीलिए बिना कोई न नुकुर किया तो रूद्र के साथ चलने को तयार हुआ और राघव को भी साथ चलने कहा जो की अब भी वहा क्या हुआ ये समझने की कोशिश कर रहा था....
वही दूसरी तरफ सुशेन अपने घर की छत पर खड़ा था सूरज ढल चूका था और आसमान मैं काले बदल छाये हुए थे और बिजलिया कड़क रही थी लेकिन इस बिजली की कडकडाहत का सुशेन पर कोई असर नहीं हो रहा था तभी पीछे से सारा ने आवाज लगायी “वहा क्या कर रहे हो सुशेन? घर मैं चलो”
सुशेन मुडा तो सारा ने महसूस किया की उसकी आँखों मैं एक सूनापन था बहुत सारा दुःख था, अब सारा को किसी अनिष्ट की आशंका हो रही थी
सारा-क्या हुआ है सुशेन?
सुशेन-वो मर गया सारा...उन लोगो ने मेरे भाई को मार दिया........
Superb Updateभाग १८
रूद्र रमण और राघव को लेकर पुलिस जीप मैं काफी दूर निकल आया था, रमण अब वापिस बोलने की स्तिथि मैं आ चूका था, हालाँकि वो काफी साहसी व्यक्ति था लेकिन कुछ समय पहले उसने जो कुछ भी देखा था उससे वो बुरी तरह हिला हुआ था वही राघव पीछे बैठे हुए चुप चाप एकटक रूद्र को देख रहा था आखिर मैं रमण ने बोलना शुरू किया
रमण-तुम हमें कहा ले जा रहे हो?
रूद्र- किसी सुरक्षित स्थान पर, कालसेना के लोगो को अब तक पता चल चूका होगा इन सबकी मृत्यु का, वो तुम्हारे पीछे आयेंगे
रमण-मुझे अब भी समझ नहीं आ रहा की तुम पर इनके काले जादू का असर क्यों नहीं हुआ? आखिर तुम चीज़ क्या हो?
रूद्र-देखो रमण फिलहाल हम समय व्यर्थ नहीं कर सकते, मैं सही समय आने पर आपको सब कुछ बता दूंगा पहले हमें उनको आखरी कुर्बानी देने से रोकना होगा हम उन्हें कामयाब होने नहीं दे सकते वरना कालदूत जाग जायेगा औए हा राघव तुम जो ये इतने समय से मेरे दिमाग मैं झाकने की कोशिश कर रहे हो इसे प्लीज रोक दो, जब मुझपर telekinesis का असर नहीं हुआ तो तुम्हारी शक्तिया भी काम नहीं करेंगी
राघव-तुम..कैसे जानते हो मेरे और मेरी शक्तियों के बारे मैं?
रूद्र-मैं तुम्हारे बारे मैं तुमसे ज्यादा जानता हु दोस्त और मेरा यकीन करो मैं तुम्हारे ही साथ हु साडी बाते सही समय पर तुम्हे पता चलेंगी बस कुछ देर रुक जाओ
राघव-तुम कैसे जानते हो कालदूत के बारे मैं
रूद्र- वो....
रमण-पता नहीं क्या हो रहा है.....क्या सच मैं कोई कालदूत है भी...मैं अब इन सब अंधविश्वास से तंग आ गया हु
रूद्र-अपने भाई की दिमाग पढने की काबिलियत और पुलिस स्टेशन मैं जो कुछ हुआ उसे देखने के बाद भी तुम ऐसा कैसे कह सकते हो इंस्पेक्टर, जरा मुझे बताओगे की ये लोग बिना हाथ लगाये चीज़े कैसे हिला लेते है
रमण-इसके पीछे जरूर कोई न कोई कारन होगा, कोई ठोस कारण!
रूद्र-कारण है न!! कालदूत का शारीर जरूर समुद्र मैं बंधा हुआ है लेकिन वो मानसिक तरंगे भेजकर इन सबको इस तरह की शक्तिया प्रदान करता है, वो इनसे शक्तिया ले भी सकता है और इन्हें और शक्तिशाली भी बना सकता है इसीलिए अगर आखरी कुर्बानी दी गयी तो हम सब ख़तम हो जायेंगे
राघव-ये आखरी कुर्बानी है क्या?, अभी अभी इन लोगो ने पुलिस स्टेशन मैं इतना कुछ किया वो काफी नहीं था जो आखरी कुर्बानी बाकि है??
रूद्र-कुर्बानी के लिए इनके कुछ रिवाज मैं राघव और इन्हें उन रिवाजो के अनुसार चलना पड़ता है, व्यक्ति को लोहे की जंजीर मैं बांधकर जिन्दा जलना होता है तभी कुर्बानी मान्य होती है
राघव-ऐसा क्यों??
रूद्र-पता नहीं! शायद मानव आत्मा इस तरह से मारने पर ज्यादा समय तक इस लोक मे इस plane of existence पर बनी रहती है और कालदूत को आजाद होने के लिए आत्माओ की उर्जा की ही जरुरत है
रमण-ओह..तभी हमें रोहित की लाश जली हुयी मिली थी
रूद्र-हा..इन्होने सभी कुर्बानिया इसी प्रकार से दी है और अब अगर ये लोग आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हो गए तो वो प्राणी सदियों की कैद से आजाद हो जायेगा जिसे ये लोग अपना इश्वर मानते है.....
राघव-पर आखरी कुर्बानी मैं अभी एक माह का समय है, आखरी कुर्बानी आने वाली पुरनमासी को होगी
रूद्र-हा हा हा, ये किसने कह दिया तुम्हे
रमण-विक्रांत ने ऐसा बताया था
रूद्र-देखो भाइयो ये कालसैनिक किसी भी मुहूर्त या दिन मैं विश्वास रखने वालो मैं से नहीं है अगर ऐसा होता तो हर कुर्बानी किसी विशिष्ट दिन दी जाती लेकिन ऐसा नहीं है इन्हें जब उचित लगे और कोई व्यक्ति कुर्बानी के लिए मिल जाये उसी दिन उसे जलाया जाता है, और आज जब मैंने कालसेना के मुखिया के भाई को मारा है तो ते लोग अब जल्द से जल्द आखरी कुर्बानी पूर्ण करने की कोशिश करेंगे
राघव-तुम जानते हो उन लोगो को मैंने.....(फिर राघव ने रूद्र और रमण को साडी बात बताई जो भी उसने देखा सुना था सब)
रूद्र-तुमने अपनी तरफ से काफी कुछ पता लगा लिया है राघव पर इनमे से ज्यादातर बाते मैं जानता हु..मैंने ही सुशेन को मिलने बुलाया था
राघव-वो तो मैं जान गया था जब पुलिस स्टेशन मैं तुम्हे उन लोगो को मरते देखा था
रूद्र-लो बातो बातो मैं हम पहुच गए....
राघव-कहा??
रूद्र-जहा इन कालसैनिको से भिड़ने वाले मौजूद है....
वो तीनो जीप से निकलकर घर के अंदर पहुचे जहा नरेश पहलेसे ही मौजूद था और उसके साथ २८-३० साल का एक आदमी संजय हॉल मैं बैठा था, संजय एक दुबला पतला आदमी था और घनी मुछे और रौबीले व्यक्तित्व का मालिक
रूद्र-क्या हाल है संजय भाई? बहुत समय बाद दिखे
संजय-तुम भी तो बहुत समय बाद मिले हो
रूद्र-और नरेश जी अरुण भाई नहीं आये अभी तक?
नरेश-आ जायेगा थोड़े समय मैं वो कुछ जरुरी काम से गया हुआ है...
रमण-ये सब क्या चल रहा है यहाँ पे? कौन है आप लोग?
नरेश-राघव, रमण आराम से बैठो सोफे पर हम तुम्हे सब बताएँगे
राघव और रमण दोनों ने एक एक खुर्ची ली और बैठ गए, नरेश गौर से राघव को देख रहा था, कुछ समय तक वहा अजीब सी शांति मैं सिर्फ घडी की टिक टिक सुनाई दे रही थी, सबसे पहले नरेश ने अपनी चुप्पी तोड़ी
नरेश-मेरा नाम नरेश है और ये है संजय, हमारे एक और साथी अरुण को अभी आना है और रूद्र से तो तुम लोग मिल ही चुके हो.....हम सभी ने कही न कही कालसेना की वजह से अपनों को खोया है...मेरी बीवी और भाई को उन्होंने बडी ही क्रूरता से मार दिया....
संजय-और मेरा तो पूरा परिवार ही ख़तम कर दिया गया...बीवी बच्चा माँ बाप बहन सब, सबसे बुरी बात तो ये है की ये लोग इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया मैं उच्च पद पर है जिसकी वजह से इनकी कोई खबर हम तक नहीं पहुचती, जब मैंने नेट पर लोगो के ब्लॉग पढ़े तब पता चला की कितने लोग इनके शिकार हुए है, मैंने नरेश और अरुण से वही मिला था थोडा समय लगा कालदूत का अस्तित्व स्वीकारने मैं लेकिन सच्चाई जो है वो हम सब जानते है
रमण-आप सब की कहानी जान कर बहुत दुःख हुआ लेकिन मैं ये जानना चाहता हु की आपलोग मुझे और राघव को कैसे जानते है और ये रूद्र कौन है?
राघव-हा....
नरेश(मुस्कुरा कर)- मैं तो तुम्हारे पिताजी को भी जानता हु रमण...मैं तुमदोनो को शुरू से सारी बात बताता हु तब शायद तुम्हे पूरी बात समझ मैं आये और ये भी समझ मैं आये की इस वक़्त ये दुनिया कितने बड़े खतरे मैं जिसे हमें रोकना है......
नरेश-बात ऐसी है की...............
To Be Continue.......