Manoj Kumar sharma
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super duper updateभाग ३२
सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी
अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा
अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?
रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं
अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे
रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे
इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे
रूद्र-तो अब क्या प्लान है?
रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला
रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है
अविनाश-बिलकुल सही
बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था
राघव-ये क्या है?
अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है
रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना
चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है
संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?
चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा
राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना
अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है
रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे
चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती
रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?
अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है
रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?
रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे
रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है
चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है
रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन
अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा
रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले
चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है
राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे
शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है
राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है
जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था
चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो
राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा
चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा
अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते
राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही
राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी
अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.
अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली
शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है
राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो
पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी
रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए
अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे
बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला
रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा
तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला
पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है
संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे
रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा
राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........
Nice updateभाग ५
घर के सारे काम ख़त्म करने के बाद श्रुति ने फिर से सुमित्रा देवी से अपना सवाल दोहराया और अब सुमित्रा देवी ने उसे सब बताने की ठानी
श्रुति- अब बताइए माजी राघव भैया के बारे मैं
सुमित्रादेवी- सबसे पहले तो ये बात तुम राघव से नहीं करोगी क्युकी उसे इस बात के बारे मैं पता नहीं है और मैं नहीं चाहती के उसे कभी भी पता चले पहले तुम मुझसे वडा करो ये बात तुम राघव से नहीं करोगी
श्रुति- जैसा आप चाहे माजी मैं इस बात के बारे मैं राघव भैया को पता नहीं चलने दूंगी
सुमित्रादेवी- राघव हमारा बेटा नहीं है रमण बहुत छोटा था जब राघव को उसके दादाजी यानि मेरे ससुरजी इस घर मैं लेकर आये थे जिसके बाद उनके कहने पर हमने राघव को विधिवत गोद लिया था, हमारे शहर के बहार जो प्राचीन शिव मंदिर है न वही मेरे ससुरजी रहते थे वो उस मंदिर मैं पुजारी थे और एक विद्वान् साधू
मेरी शादी को ३ साल हो गए थे और रमण भी २ साल का हो गया था पर इन ३ सालो मैं मैंने अपने ससुरजी को बहुत कम बार देखा था असल मैं वो बहुत कम घर आते थे और रमण के बाबूजी को भी उनसे खास लगाव नहीं था पर फिर भी इन्होने बाबूजी की कोई बात कभी नहीं ताली दरअसल जब हमने राघव को विधिवत गोद लिया तभी से ही उन्होंने घर मैं रहना सुरु किया,
उस समय हमारा राजनगर इतना बड़ा शहर नहीं था फिर भी महंत शिवदास के पास लोग दूर दूर से आते थे, बाबूजी मंदिर के पुजारी के साथ साथ एक सिद्ध साधू थे और उन्होंने मंदिर मैं रहते हुए कई सिद्धिय हासिल की थी, अपनी समस्याओ के समाधान के लिए दूर दूर से लोग उनके पास आते थे, बाबूजी के पास दिमाग पढने की अदभुत सिद्धि थी वो अगर किसी की आँखों मैं कुछ सेकंड्स के लिए देख लेते थे तो बता देते की उसके दिमाग मैं क्या चल रहा है और इसके साथ ही उन्हें तंत्र विद्या का भी थोडा ज्ञान था
जीवन एकदम सलार चल रहा था एक दिन रात को ३ बजे दरवाजा खटखटाने की आवाज से हमारी नींद खुली और जब दरवाजा खोला तो हमने देखा के बहार बाबूजी है और उनकी गोद मैं राघव, उन्होंने बताया के राघव उन्हें राघव उन्हें शिवमंदिर मैं शिवलिंग के पास मिला वो मंदिर के पीछे की तरफ कोई अनुष्ठान कर रहे थे की उन्हें राघव के रोने की आवाज आई जिसके बाद उन्होंने जब मंदिर मैं जेक देखा तो शिवलिंग के पास उन्हें राघव दिखाई दिया, इसके बाद उन्होंने वाला आसपास काफी देखा लेकिन उन्हें ऐसा कोई नहीं दिखा जिसने राघव को वह छोड़ा हो इसके बाद बाबूजी राघव को शिव का प्रसाद मान कर घर ले आये, उनका कहना था के भगवान् शिव की इचा से ही राघव उन्हें मिला है और अवश्य की उसके जन्म के पीछे कोई बहुत गहरा उद्देश्य है और शिव चाहते है ये राघव का पालन हमारे परिवार मैं हो इसीलिए वो राघव को घर ले आये और हमसे मांग की के हम राघव को गोद लेले और उनकी इसी बात का आदर करते हुए हमने राघव को गोद ले लिया
अब चुकी राघव पिताजी के लिए शिव का प्रसाद था इसीलिए वो भी राघव के साथ घर मैं ही आ गए वो हमेशा कहते थे के राघव कोई बहुत बड़ा काम करेगा अपने जीवन मैं और उस काम के लिए मुझे उसे तयार करना है, वो अपना सारा ज्ञान राघव पर उड़ेल देना चाहते थे,
राघव जब ३ साल का हुआ तबसे की उन्होंने राघव की शिक्षा दीक्षा आरम्भ कर दी थी और उससे मंत्रोच्चार करवाते थे, उन्होंने रमण को भी ये सब सीखने कहा पर रमण ने कभी इस और रूचि नहीं दिखाई और बाबूजी ने भी उसे कभी जबरदस्ती राघव के साथ मंत्रपाठ नहीं करवाया, राघव बचपन से मस्तीखोर और हसमुख बच्चा था और घर मैं सिर्फ बाबूजी और रमण ही थे जिनकी वो बात सुनता था, जितना प्रेम बाबूजी को राघव से था उतना किसी और से नहीं था और राघव भी अपने दादाजी से उतना ही प्रेम करता था, जब राघव १६ वर्ष का हुआ तब तक बाबूजी ने उसे कई शास्त्रों मैं निपुण बना दिया था, पर इसका असर उसकी पढाई पर हो रहा था जिससे रमण के पापा बहुत नाराज थे पर बाबूजी कहते थे जब राघव की असली परीक्षा की घडी आएगी तब उसका साथ केवल ये शास्त्र देंगे जो उन्होंने उसे पढाये थे और अब उन्होंने राघव को विविध सिद्धियों का अभ्यास सिखाना सुरु किया पर अब बाबूजी की उम्र उनका साथ नहीं दे रही थी उनकी तबियत बिगड़ने लगी और इतनी ख़राब हो गयी के उन्हें हॉस्पिटल मैं भारती करवाना पड़ा, उन्होंने हॉस्पिटल जाते हुए ही कह दिया था के वो अब वापिस नहीं आयेंगे और राघव के कहा था के वो अपनी सिद्धियों का अभ्यास जरी रखेगा, बाबूजी हॉस्पिटल मैं ३ दिन रहे और इन ३ दिनों तक राघव ने बगैर अन्न जल के महामृतुन्जय का जप किया अपने दादाजी के लिए पर जो होनी होती है वो होकर ही रहती है
बाबूजी के निर्वाण के बाद से ही राघव के स्वाभाव मैं बदलाब आ गया वो गुमसुम सा चिडचिडा हो गया किसी से ढंग से बात नहीं करता था उसके मन मैं भगवन के लिए गुस्सा भर गया था को उसके दादाजी को ठीक नहीं कर पाए, वो कहने लगा के ऐसे भगवन की पूजा करने का क्या उपयोग को अपने भक्त की प्राणरक्षा न कर पाए
हमने उसे बहुत समझाया के इस बात के लिए इश्वर को दोष देना ठीक नहीं है और तुम्हे अपने दादाजी की कही बात पूरी करनी है उनके बताये अनुष्ठान पुरे करने है पर राघव ने एक बात नहीं सुनी और तभी से इश्वर के मुद्दे पर ये दोनों बाप बेटो मैं नोकझोक होती रहती है
हमारे घर के पीछे की तरफ एक कमरा बना हुआ है जो हमेशा बंद रहता है वो बाबूजी का कमरा है उसमे उनके सरे ग्रन्थ सारी किताबे उन्हें अपनी विविध अनुष्ठानो के अनुभव सब राखी हुयी है और मुझे यकीन है के बाबूजी ने राघव को आगे क्या करने है इसके बारे मैं भी कुछ लिख रखा होगा बाबूजी की कही कोई भी बात कभी गलत साबित नहीं हुयी है पर अब लगता है राघव ही नहीं चाहता के उसके दादाजी की उसके प्रति भविष्यवाणी सही हो, उनके मरने के बाद राघव कभी उस कमरे मैं गया ही नहीं के देख सके उसके दादाजी ने उसके लिए विरासत मैं क्या छोड़ा है, बाबूजी ने कहा था के राघव के हाथो कोई महँ काम होने निश्चित है पर राघव का बर्ताव देख कर अब मुझे उनकी बातो पर संदेह होता है
बोलते बोलते सुमित्रादेवी का गला भर आया श्रुति अब तक चुप चाप सुमित्रादेवी की बात बड़े धयन से सुन रही थी, श्रीति ने तो कभी सोचा भी नहीं था के राघव को उसके सास ससुर ने गोद लिया होगा,
सुमित्रादेवी ने इशारे से श्रुति से पानी माँगा जो लेन के लिए वो किचन की तरफ जा ही रही थी के उसकी नजर दरवाजे पर पड़ी जहा राघव खड़ा था और नजाने कब से उनकी बाते सुन रहा था.......
Mast update broभाग ६
शाम होते होते रोहित और संतोष राजनगर पहुच चुके थे पर वह पहुच कर उन्हें राजनगर की हवा मैं एक अजीब सा सूनापन महसूस हुआ, सर्दी और कोहरा बढ़ गया था और लोग कम हो गए थे, वो पहले वाली चहल पहल भी नहीं थी जो राजनगर मैं हुआ करती थी,
संतोष- यार कुछ कुछ अजीब सा लग रहा है.
रोहित- हा कुछ अजीब बात तो है, लगता नहीं की ये वही जगह है जहा हमने अपने कॉलेज के दिन गुजारे थे
संतोष- लोग भी डरे डरे से लग रहे है
रोहित और संतोष राजनगर पहुच कर अपनी पसंदीदा जगह पर खड़े होकर शहर के बदले वातावरण के बारे मैं बात कर रहे थे की तभी उनके पीछे से एक रौबीली और कड़कदार आवाज आयी “ये उनकी वजह से है “ रोहित और संतोष ने पीछे मुड़कर देखा तो इस रौबीली आवाज का मालिक इंस्पेक्टर रमण उनके पीछे खड़ा था, रमण अपने थाने से गश्त लगाने बहार आया हुआ था और जब वो इस जगह पहुच तो इन दो नए लोगो को देख कर और इनकी बातो को सुनकर वह ठिठक गया
रमण- आपलोग टूरिस्ट है क्या??
संतोष- जी नहीं, दरअसल हमने हमारी कॉलेज की पढाई यहाँ के विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरी की है, ग्रेजुएशन तक हम यही थे फिर नौकरी के सिलसिले मैं अलग अलग जगह जाना पड़ा, हमारा एक और दोस्त भी आज रत तक यहाँ आने वाला है
रमण- हम्म,फिरतो आपलोगों को पता नहीं होगा की यहाँ क्या चल रहा है ?
संतोष- जी नहीं
रमण- किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि मैं संलग्न लोग गायब हो रहे है, मुख्या रूप से बड़े बड़े पंडित मौलवी पादरी इत्यादि, काफी तहकीकात करने के बाद भी हम केवल इतना पता लगा पाए है की ये किसी एक आदमी का काम नहीं बल्कि किसी रहस्मयी संगठन का काम है.
रोहित- क्या? ये तो बहुत बड़े स्टार का मामला है फिर इस घटना का उल्लेख अखबारों मैं या कसी न्यूज़ चैनल पर्क्यु नहीं नहीं ?
रमण- ये मामला भि पेचिदा है सुरु की घटनाओ कोटो मैंने ही मीडिया की नजरो मैं आने से रोक रखा था, ये एक संवेदनशील मुद्दा है कुछ पोलिटिकल पार्टीज अपने लाभ के लिए इस बात का प्रयोग करने की कोशिश कर सकती है जिससे शायद सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे इसीलिए पुलिस प्रशासन ने सोचा था के ये बात जितनी दबी रहे ठीक होगा पर लगता है मीडिया को इस मामले की भनक है और इसी के चलते उनकी चुप्पी से भी अचंभे मैं हु, अब बस उम्मीद कर सकता हु के जो भी इस के पीछे है जल्द से जल्द उसे गिरफ्तार कर सकू.
संतोष- लेकिन कोई भी धार्मिक क्रिया मैं जुड़े व्यक्ति को ही क्यों उठाना चाहेगा?
रमण- यही तो हम पता लगाने की कोशिश कर रहे है, आप लोग शहर मैं आज हि आये है आप लोगो को अपने आसपास कोई भी अजीब घटना होते दिखे तो तुरंत पुलिस से संपर्क करे, फिलहाल तो पूरा शहर आतंकित है
रोहित- जी ठीक है
रमण- देखिये ऐसा कहकर मैं आपको हतोत्साहित नहीं करना चाहता लेकिन आपने राजनगर आने के लिए शायद सही समय नहीं चुना है.
रमण से बात करने के बाद रोहित और संतोष वह से निकल गए,
रमण- चन्दन इन लोगो पर नजर रखो मुझे कुछ खटक रहा है और कोई भी गड़बड़ हो तो तुरंत मुझे फ़ोन करना
चन्दन-ठीक है सर
रमण ने चन्दन को रोहित और संतोष पर नजर रखने कह दिया और वापस पुलिस स्टेशन आ गया वही रोहित और संतोष रमण की कही बातो पर भी गाड़ी मैं बात चित कर रहे थे
संतोष- इंस्पेक्टर साहब ने काफी मदद की
रोहित-(गंभीर स्वर मैं ) हम्म
संतोष- अब तुमको क्या हुआ?
रोहित- इंस्पेक्टर की बाते सुनी न तुमने ?
संतोष- हा, लेकिन ये लोगो का अपहरण करने वाले हो कौन सकते है ?
रोहित-क्या पता? शायद आतंकवादी हो, भय का माहोल कायम करने के लिए धार्मिक कार्यो से जुड़े नमी गिरामी लोगो को उठा लिया होगा, ये जो भी लोग है बहुत चालक है, इतनी आसानी से पुलिस को चकमा देते हुए लोगो को उठाना किसी साधारण गंग के बस की बात नहीं है.
बाते करते करते ही दोनों होटल पाइनग्रोव पहुचे गाड़ी पार्क करके होटल मैं चेक इन किया
रोहित- ये होटल भी कही....शांत शांत सा लग रहा है
संतोष- हा सही कहा खैर चलो अपने अपने रूम देख लेते है
रिसेप्शन पर चेक इन करके रोहित और संतोष अपने अपने कमरों मै चले गए , संतोष ने कमरे मैं घुसते से ही अपना बैग एक साइड पटका और बहार का व्यू शिद्की के शिशे से देखने लगा, शायद ये वो राजनगर नहीं था जिसे ये लोग जानते थे, वह उन्होंने अपने कॉलेज का सबसे बेहतरीन समय गुजरा था, हर तरफ मौत सा संन्नता पसरा हुआ था और लोग घर से बहार निकलने मैं डरते थे तभी अचानक रोहित संतोष के कमरे मैं आया
रोहित- विक्रांत से बात हुई तुम्हारी
संतोष- इतनी जल्दी क्या है वो आ जायेगा तो खुद की फ़ोन करेगा.
रोहित- अरे तुमको यार नहीं क्या उसके परिवार का फार्महाउस है यहाँ पर, हम लोग तो कॉलेज होटल मैं रहते थे उसका घर था, जितनी जल्दी वो आ जायेगा हाही शिफ्ट हो जायेंगे वैसे भ ये तेल थोडा महंगा है.
संतोष-(मुस्कुराते हुए) लगता हा इंस्पेक्टर ने तुमको अपनी कहानी से डरा दिया है
रोहित-क्या!! नहीं नहीं उसकी बातो से इसका कोई लेना देना नहीं है
संतोष- ठीक है मेरे बहादुर भाई आ होटल बालकनी से राजनगर कि सुन्दरता देखे , इतने समय बाद यहाँ आना का मौका मिला है
रोहित और संतोष बालकनी मैं कहते थे की तभी उनने देखा के होटल से थोड़ी दुरी पर एक तरफ एक सुनसान इलाका थ जहा छोटी छोटी तोड़ी झाडिया उगी हुयी थी वह खड़ा एक रहस्यमयी व्यक्ति जिसने काले रंग का चोगा रहना हुआ था और चेहरा भी नकाब से ढक रखा था लगातार उनके फ्लोर की तरफ घूरे जा रहा था
रोहित- ये कौन है?और हमारी तरफ क्यों देख रहा है
संतोष- मुझे कैसे पता होगा
रोहित-पहनने ओढने के ढंग से कोई सामान्य व्यक्ति तो नै लगता
संतोष-होगा कोई पागल हमें क्या करना है आओ केलकर कुछ खाने के लिए ऑर्डर करते है
होटल मैं कहना का करोहित आर संतोष होटल के बहार टहलने के लिए निकल गये, रोहित के दिमाग मैं अभी भी उस रहस्यमयी व्यक्ति की अजीब सी वेशभूषा का ख्याल रह रहकर आ रहा था, दोनों दोस्त बाते करते हुए होटल से दूर सुनसान जंगल के इलाके की तरफ निकल आये थे
रोहित- ये होटल शहर से थोड़ी दूर है यहाँ तो जंगले झाड सब है
संतोष- सोचो इतने साल राजनगर मैं रहने के बाद भी हमें इस जगह का पता नहीं था
रोहित- राजनगर काफी बड़ी जगह है संतो तुम हर आदमी से राजनगर का पूरा नक्षा जानने की उम्मीद नहीं कर सकते
तभी संतोष का फ़ोन बज उठा
संतोष- अरे विक्रांत का फ़ोन है
संतोष ने फ़ोन उठा लिया
संतोष- हेल्लो बिक्रांत! कहा तक पहुचे भाई
विक्रांत(फोनेपर)- बस अभी निकला हु जल्द ही मिलते है
संतोष- ठीक है तो तुम यहाँ पहुच कर हमें होटल पाइनग्रोव से पिक कर लेना
विक्रांत- ठीक है पहुच कर बात करता हु
और फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया
रोहित- क्या बोला
संतोष- आ रहा है मैंने बता दिया के हमें कहा से पिक करना है
रोहित-सही है ......
तभी अचानक पास के झाड मैं दोनों को कुछ हलचल महसूस हुयी दोनों ने मुड़कर देखा तो बुरी तरह चौक गए क्युकी एक सात फूट का व्यक्ति चिंघाड़ मार कर भरी सी कुल्हाड़ी लेकर उनकी तरफ दौड़ा आ रहा था..........
Mast update broभाग ७
वो सात फूट लम्बा आदमी भागते हुए रोहित और संतोष के पास पंहुचा और उसने रोहित और संतोष पर अपनी कुल्हाड़ी से वार करने की कोशिश तो दोनों ने उसका वार बचा लिया फिर उसने संतोष की तरफ वार किया लेकिन संतोष ने असाधारण फुर्ती दिखाते हुए उसका वार नाकाम कर दिया और उसके हाथ पर लात मार कर उसके हाथ से कुल्हाड़ी निचे गिरा दी औरन सिर्फ कुल्हाड़ी गिराई बल्कि उस आदमी की छाती मैं लात मार कर उसे कुछ फूट पीछे धकेल दिया, फिर वो व्यक्ति रोहित की तरफ मुड़ा और उसे गर्दन से पकड़ कर उठा लिया
रोहित- स...संतोष कुछ कर..!
संतोष-चिंता मत करो मैं कुछ करता हु
संतोष गठीले शारीर का मालिक था लेकिन वो भी जोर लगाकर वो भरी कुल्हाड़ी नहीं उठा पा रहा था पर कुछ कोशिशो बाद उसने ताकत का एक एक कतरा लगा कर वो कुल्हाड़ी उठाई और उस लम्बे व्यक्ति की गार्डन पर जोरदार वार किया,
‘खच्च’ की आवाज उस सुनसान जंगल मैं गूंज उठी, कुल्हाड़ी उस आदमी के कंधे से होते हुए गर्दन के पार निकल गयी, हमला करने वाली की पकड़ रोहित की गर्दन पर ढीली पड़ गयी और उसका उसका निर्जीव शारीर धरती पर धराशायी हो गया. ये पूरा घटनाक्रम इतनी तेजी से घटित हुआ के रोहित और संतोष बिलकुल समझ नहीं पाए के आखिर ये सब था क्या .
रोहित(खस्ते हुए) – उफ़ ये कौन था?? और हमें मरना क्यों चाहता था??
संतोष हाथ मैं कुल्हाड़ी और चेहरे पर खून लिए स्तब्ध खड़ा था
संतोष-म...म..मैंने एक आदमी का खून कर दिया! उसे मार दिया!!!!
रोहित(संतोष को झंझोड़कर)- संतोष मेरि बात सुन..तूने जो कुछ भी किया है आत्मरक्षा के लिए किया है जिसमे कुछ गलत नहीं है...समझ रहा है न तू...
संतोष-तो क्या हमें पुलिस को बता देना चाहिए....
रोहित(कुछ सोचते हुए)- नहीं....देखो ये समझदारी की बात नहीं होगी उल्टा हम भी फस सकते है
संतोष-तो फिर क्या करे??
रोहित- एक काम करते है इसके शारीर को यही पास के जंगल मैं गाड देते है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा वैसे भी यहाँ हम दोनों और इस अनजान हमलावर के अलावा इस सुनसान जंगली इलाके मैं कोई नहीं है जिसने हमें देखो हो
संतोष-क्या ये उस समूह का हिस्सा हो सकता है जिसकी बात उस इंस्पेक्टर रमण ने की थी?? जिसकी वजह से लोग लापता हो रहे है??
रोहित-क्या पता? फ़िलहाल तो इसे उठाओ ताकि जंगल मैं इसको गाड़ा जा सके
संतोष को भी रोहित की बात सही लगी, रोहित और संतोष ने सम्लावर को उठाया और जंगल मैं ले जाने लगे, जंगल भी उस समय बड़ा शांत था, चिडियों के चहचहाने की भी आवाज नहीं आ रही थी
संतोष-ह्म्फ़!! बड़ा भरी है कम्भख्त
रोहित-हा सो तो है अच एक बात बताओ तुम इतना अच्छा लड़ना कब सीखे?
संतोष-वो...वो यहाँ से जाने के बाद करते की ट्रेनिंग ली थी कुछ समय के लिए
रोहित-और तुमने इतनी भरी कुल्हाड़ी भी उठा ली ये तो वाकई काबिले तारीफ था
संतोष-आ..हा....हा...धन्यवाद पर ये भैसा बहुत भरी है
रोहित-हा सो तो है
रोहित को संतोष का जवाब सुन कर लगा की वो बस उसे टालने के प्रयास कर रहा है लेकिन उसे इस विषय मैं सोचने का ज्यादा मौका नहीं मिला क्युकी उसी वक़्त उस शांत जंगल मैं उन दोनों को अपने अलावा किसी और की हलकी चहलकदमी कि अवाज आयी, रोहित ने संतोष की तरफ देखा तो संतोष उसका इशारा समझ गया, उन्होंने लाश वही पर छोड़ दी फिर दोनों उस आवाज की दिशा मैं बढे लेकिन वहा उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया फिर वो जब वापिस लाश लेने आये तो वह से लाश भी गायब थी और इस घटना से वो बुरी तरफ घबरा गए
संतोष(हैरान होकर)- लाश कहा गयी? इतने भरी आदमी की लाश इतनी जल्दी कौन गायब कर सकता है ?
रोहित-एक बात तो साफ़ है कोई हमें मरने का प्रयास कर रहा है और हो न हो ये वही संगठन है जिसके बारे मैं इंस्पेक्टर साहब बता रहे थे
संतोष-तुम कंपनी मैं काम करते हो और मैं बैंक मैं, इंस्पेक्टर के कहे अनुसार ये उन लोप्गो को गायब करते है जो किसी धर्मिल कार्य मैं संलग्न हो जबकि हमलोग तो साधारण नौकरी करते है हमें भला कोई क्यों मरना चाहेगा?
रोहित-दिमाग बिलकुल काम नहीं कर रहा इस वक़्त इससे पहले की कोई और जानलेवा हमला हो चलो होटल लौट चले
संतोष- लेकिन वो लाश
रोहित-लाश को भूल जाओ यार यहाँ थोड़ी देर और रुके तो शायद हम ही लाश बन जायेंगे
संतोष-ठीक है
संतोष और रोहित दोनों होटल जाने के लिए लौट ही रहे थे कि न जाने कहा से काले नकाब और काले चोगे वाले लोग जंगल से निकल कर आये और उन्हें चारो तरफ से घेर लिया, रोहित और संतोष दोनों की ही धड़कने तेज हो उठी
रोहित(घबराकर)-ये...ये तो वैसी ही वेशभूषा वाले लोग है जैसी उस व्यक्ति ने पहनी थी जो हमको बालकनी से घूर रहा था उस लम्बे पहलवान की वेशभूषा भी ऐसी ही थी, अब शक की कोई गुंजाईश नहीं है के ये वही लोग है जो इतने दिनों से यहाँ राजनगर मैं आतंक मचाये हुए है
अचानक ही दो चार लोग तेजी से रोहित और संतोष की तरफ बढ़कर आये और उन्हें पकड़ लिया, उनके हाथो मैं जैसे कोई अमानवीय शक्ति थी जिसकी वजह से दोनों मैं से कोई भी छुट नहीं पा रहा था फिर उन्ही मैं से एक व्यक्ति ने सफ़ेद रुमाल पर क्लोरोफार्म डालकर उन्हें सुंघा दिया, अब उन दोनों के लिए अपने होश कायम रखना मुश्किल था, दो मिनट के अंदर ही उनकी आँखें बोझिल हो गयी और वो बेहोशी के समुन्दर मैं धुब्ते चले गए......
रमण के कहे अनुरस चन्दन रोहित और संतोष पर नजर बनाये हुए थे उसने इन्हें जंगल की तरफ जाते देखा था और कही इतनी शक न हो इसिलिओये इनके पीछे नहीं आया था जब जब काफी समय बीतने के बाद भी रोहित और संतोष जंगल से लौट कर नहीं आये तो चन्दन को थोडा अजीब लगा और उसने इस बात की जानकारी तुरंत रमण को दी
वही दूसरी तरफ शास्त्री सदन मैं सुमित्रादेवी अपनी बहु के पूछने पर उसे राघव के बारे मैं बता रही थी कि कैसी राघव उनका बीटा नहीं है बल्कि उन्होंने अपने ससुर के कहने पे उसे गोद लिया था और कैसे उनके सरुर के कहा था के राघव के हाथ से कोई महान काम होने वह है जिसे उनकी बहु श्रुति सुन रही और जब सुमित्रादेवी की बात ख़तम हुयी तब उनका और श्रुति का ध्यान दरवाजे के पास खड़े राघव पर गया जिसने उनकी सारी बाते सुन ली थी,
सुमित्रादेवी कभी नहीं चाहती थी के राघव को इस बात का कभी पता चले के उन्होंने उसे गोद लिया था, उन्होंने बचपन से ही राघव और रमण मैं कभी कोई भेदभाव नहीं किया था बल्कि राघव तो उनके लिए रमण से भी ज्यादा लाडला था और जब उन्होंने देखा ये राघव को इस बारे मैं पता चल गया है तो उनका मन घबरा रहा था ये सोच सोच कर की अब पता नहीं राघव क्या कहेगा या उसे कैसा लगेगा
राघव की आँखें पनिया गयी थी उसे समझ नहीं आ रहा था के किस बात का दुःख मनाये, वो अनिरुद्ध शास्त्री और सुमित्रादेवी का बेटा नहीं है इस बात का या अपने दादाजी की इच्छा पूर्ण न कर सकने का
राघव बस आँखों मैं पानी लिए सुमित्रादेवी को देख रहा था और फिर वो वह से निकल गया और जाते जाते अपनी माँ से ये कह गया के उसे कुछ समय अकेला रहना है
राघव को वह से ऐसे जाता देख सुमित्रादेवी की भी आँखें झलक आयी,
राघव वह से निकल कर सीधा अपने दादाजी के कमरे मैं आया, अपने दादाजी की मृत्यु के बाद वो पहली बार इस कमरे मैं आया था, यही वो जगह थी जहा उसके दादाजी उसे अभ्यास कराते थे, फिलहाल सुमित्रादेवी की कही बाते सुनने के बाद राघव का दिमाग फटा जा रहा था एक साथ कई ख्याल दिमाग मैं घूम रहे थे तभी उसकी नजर अपने दादाजी की तस्वीर पर पड़ी और उसके मन मैं ख्याल आया की अब वही राह दिखायेंगे जिन्होंने उसे इस घर मैं आया है और राघव अपने दादाजी की तस्वीर के सामने धयान की मुद्रा मैं बैठ गया, राघव ने आज कही समय बाद धयान लगाया था या हु कहे उसके दादाजी के जाने के बाद शायद पहली बार और जब राघव धयान्स्त होता तो उसे समय का भान नहीं रहता था
धयान करने से राघव का दिमाग शांत होने लगा और उसके दिमाग मैं एक सफ़ेद रौशनी कौंध उठी और उसके मानसिक पटल पर एक छवि उभरने लगी............
Excellent updateभाग ८
राघव को धयान लगाये हुए एक घंटा हो चला था, उसका चेहरा एकदम शांत था मगर मन मैं उथलपुथल मची हुयी थी, राघव के मन मैं अपने अस्तित्व को लेकर इस वक़्त ढेरो सवाल उमड़ रहे थे जिनका उसे जवाब जानना था, राघव का मानसिक पटल एक सफ़ेद दुधिया रौशनी मैं नाहा गया था और उसी प्रकाश मैं उसे एक आकृति उभरती दिखी, वो आकृति एक पुस्तक की थी, राघव को समझ नहीं आ रहा था की ये किताब उसे क्यों दिख रही है, धीरे धीरे वो प्रकाश का घेरा कम होने लगा और राघव ने अपनी आँखें खोली
राघव का मन अब पहले की तुलना मैं काफी ज्यादा शांत था मगर अब भी उसे उसके सवालो का जवाब नहीं मिला था
राघव ने अपनी आंखे खोली और उस कमरे मैं चारो तरफ अपनी नजर दौडाई, सारा कमरा उसके दादाजी के सामान से भरा हुआ था जिनमे से अधिकांश किताबे और ग्रन्थ थे, राघव अब उन सब चीजों को देखने लगा, बचपन मैं उसके दादाजी के कहने पर भी कभी राघव ने इन चीजों मैं ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी जितनी आज दिखा रहा था तभी उसकी नजर वह राखी एक किताब पर पड़ी जिसने राघव को हैरत मैं दाल दिया क्युकी ये यही पुस्तक थी जिसकी छवि उसने कुछ समय पहले देखि थी
राघव ने उस किताब को उठाया और धयान से देखने लगा, वो किताब उसके दादाजी ने खुद लिखी थी राघव ने जब उसे खोला तो उस किताब के पहले ही पन्ने पर उसके नाम का जिक्र था, वो किताब सिर्फ राघव के लिये लिखी गयी थी, राघव को अब उस किताब को पढने की और ज्यादा उत्सुकता होने लगी थी, उसने अगला पन्ना पलटा तो उसपर भगवन शिव का एक चित्र बना हुआ था जिसके सामने एक शिवलिंग था और उस शिवलिंग के पास एक छोटा सा बच्चा, राघव ने उस चित्र दो देखने के बाद अगला पन्ना पलटा
“राघव मेरे बच्चे मैं ये किताब सिर्फ तुम्हारे लिए लिख रहा हु, मैं जनता हु ये किताब जब तुम पढोगे तब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा और ऐसे समय मैं यही किताब तुम्हे आगे का रास्ता दिखाएंगी,
राघव मैंने अपना सारा जीवन शिव की आराधना मैं गुजारा है और उसी भगवान् शिव के आशीर्वाद से मुझे कई सिद्धिया और शक्तिया मिली जिनके उपयोग से मैंने कई लोगो की मदद की, मैं कुछ क्षण किसी भि९ की आँखों मैं देख कर उसके विचार बता सकता था और एक विशिष्ट अनुष्ठान की वजह से मुझे थोडा बहुत भविष्य का ज्ञान भी था,
जिस समय मैंने तुम्हे जंगल मैं उस शिव मंदिर मे देखा था तब मुझे काफी अचम्भा हा था क्युकी उस समय वह किसी इंसान का आना कफि दुर्लभ था, मैंने जब तुम्हे अ[प्निगोद मैं उठाया था तब मुझे एक विशिष्ट उर्जा का बहाव अपने अंदर महसूस हुआ था, राघव तुम्हे अंदाजा भी नहीं है की तुम किन शक्तियों के स्वामी हो बस जरुरत है तुम्हे उन शक्तियों को समझने की,
मेरे लिए तुम मेरे शिव का प्रसाद थे इसीलिए मैंने तुम्हे अपने साथ अपने घर ले आया और अनिरुद्ध को तुम्हे गोद लेने कहा, ये शायद मेरे पुण्य कर्म थे की मेरे बेटे बहु ने कभी मेरी कोई बात नहीं टाली, मैंने अपनी विद्याओ से कई बार तुम्हारे जन्म का समय जानने की कोशिश की और तुम्हारे असल माता पिता का पता भी लगा चाह पर मैं असफल रहा, शायद शिव की यही इच्छा हो की तुम अनिरुद्ध और सुमित्रा के बेटे बने रहो,
जिस समय तुम मुझे मले थे उस समय के अनुसार मैंने तुम्हारी कुंडली बनायीं थी और उस समय जोग्रहो का योग बन रहा था उसके हिसाब से तुम कोई साधारण बालक नहीं हो, इश्वर ने तुम्हे किसी खास कार्य के लिए चुना है, और मुझपर ये जिन्ना था की मैंने तुम्हे इश्वर के उस खास कार्य के लिए तयार करू जो मैंने मेरे हिसाब से किया,
मेरे बच्चे आने वाला समय काफी विकट है, इस ब्रह्माण्ड पर अन्धकार का सामराज्य फैलने वाला है, कई काली शक्तिया जागृत होने वाली है, ये मानवजाति अपने ही हाथो से अपनी मृत्यु को आमंत्रण देगी और अन्धकार का साम्राज्य इस ब्रह्माण्ड मैं स्तापित करेगी
निकट भविष्य मैं होने वाले महा विनाश को केवल तुम रोक सकते हो इसलिए तुम कौन हो इसपर अपना धयान केन्द्रित न कर तुम क्या हो ये सोचो अपनी सुप्त शक्तियों को जागृत करो,
इस महा विनाश को तुम अकेले नहीं रोक पाओगे राघव तुम्हे अपने साथ कुछ सच्चे और बहादुर लोगो की जरुरत होगी, उन महारथियों की खोज करो मैंने तुम्हे और रमण को सामान शिक्षा दी है रमण का मन साफ़ है इसलिए अपने भाई का साथ मत छोड़ना वो तुम्हारे इस कार्य मैं निरंतर तुम्हारा सहयोग करेगा
मैंने अपनी योग शक्ति से अपनी मृत्यु को भाप लिया था और उसे रोक भी सकता था लेकिन मैं इश्वर की बनायीं इस सृष्टि के नियमो मैं दखल नहीं देना चाहता था,
मैंने अपना शारीर त्यागने से पहले अपना सारा ज्ञान अपनी सटी सिद्धिया-शक्तिया अपनी रुद्राक्ष की माला मैं एकत्रित की थी वो माला मैं तुम्हे प्रदान करता हु, यर तुम्हे तुम्हारी लक्ष्पुर्ती मैं सहायता करेगी
राघव तुम्हारा सामना कालदूत नामक महाभयंकर शक्ति से होने वाला है, उससे सामना करने से पहले तुम्हे उसके बारे मैं जानना होगा....इससे अधिक मेरे पास तुम्हारे लिए और कुछ नहीं है
मेरा अशोर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है राघव......”
राघव ने वो किताब बंद की, जहा से उसने वो किताब उठाई थी वही उसे वो रुद्राक्ष की माला भी मिल गयी जो उसके दादाजी ने उसके लिए छोड़ी थी, राघव को अपने सवालो के जवाब मिल गए थे, उसके जीवन का उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट था और केवल एक ही नाम उसके दिमग मैं चल रहा था ‘कालदूत’
राघव कालदूत के बारे मैं कुछ नहीं जानता था न ही अपनी शक्तियों के बारे मैं, सबसे पहले उसके सामने अब यही कार्य था की कालदूत के बारे मैं जितना हो सके पता करे लेकिन किससे......
राघव कमरे से बहार आया तो उसने देखा की सुमित्रादेवी गुमसुन की बैठी रो रही है और श्रुति उनके पास बैठी है
“भाभी क्या हुआ है माँ को ऐसे रो क्यों रही है” राघव ने एकदम नॉर्मली कहा जीने सुन श्रुति और सुमित्रादेवी हैरान ह गए की ये इतना शांत कैसे है
“वो...” श्रुति ने बोलने की कोशिश की तो सुमित्रादेवी से उसे इशारे से रोक दिया
राघव अपनी माँ के सामने जाकर घुटने पर बैठ गया और उनका हाथ पकड़ लिया
“माँ.....”
“तू...तू हमें छोड़ के जायेगा तो नहीं न वो सब सुन के.....”
“मैं...मैं कहा जाऊंगा, मैं अपनी माँ के पास से कही नहीं जाने वाला ये मेरा घर है मैं क्यों जाऊ यहाँ से..और किस बारे मैं बात कर रही हो तुम...”
राघव को इस तरह नार्मल देख कर सुमित्रादेवी काफी खुश हुयी उन्हें डर था की सच पता चलने के बाद राघव कही कुछ उल्टा सीधा न कर दे पर अब उनके मन को शांति मिली थी राघव को नार्मल देख कर
“भाभी कुछ खिला दो यार भूख लगी है” राघव ने कहा
वैसे तो राघव एकदम नार्मल लग रहा था पर अब भी उसके दिमाग मैं एक ही नाम घूम रहा था ‘कालदूत’
वही दूसरी तरफ जब संतोष और रोहित काफी समय तक जंगल से बहार नहीं आये तो चन्दन ने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण अपनी साडी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल पड़ा.....
bahut achha update..भाग ३२
सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी
अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा
अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?
रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं
अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे
रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे
इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे
रूद्र-तो अब क्या प्लान है?
रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला
रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है
अविनाश-बिलकुल सही
बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था
राघव-ये क्या है?
अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है
रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना
चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है
संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?
चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा
राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना
अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है
रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे
चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती
रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?
अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है
रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?
रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे
रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है
चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है
रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन
अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा
रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले
चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है
राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे
शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है
राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है
जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था
चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो
राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा
चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा
अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते
राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही
राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी
अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.
अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली
शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है
राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो
पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी
रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए
अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे
बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला
रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा
तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला
पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है
संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे
रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा
राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........