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भाग ६
शाम होते होते रोहित और संतोष राजनगर पहुच चुके थे पर वह पहुच कर उन्हें राजनगर की हवा मैं एक अजीब सा सूनापन महसूस हुआ, सर्दी और कोहरा बढ़ गया था और लोग कम हो गए थे, वो पहले वाली चहल पहल भी नहीं थी जो राजनगर मैं हुआ करती थी,
संतोष- यार कुछ कुछ अजीब सा लग रहा है.
रोहित- हा कुछ अजीब बात तो है, लगता नहीं की ये वही जगह है जहा हमने अपने कॉलेज के दिन गुजारे थे
संतोष- लोग भी डरे डरे से लग रहे है
रोहित और संतोष राजनगर पहुच कर अपनी पसंदीदा जगह पर खड़े होकर शहर के बदले वातावरण के बारे मैं बात कर रहे थे की तभी उनके पीछे से एक रौबीली और कड़कदार आवाज आयी “ये उनकी वजह से है “ रोहित और संतोष ने पीछे मुड़कर देखा तो इस रौबीली आवाज का मालिक इंस्पेक्टर रमण उनके पीछे खड़ा था, रमण अपने थाने से गश्त लगाने बहार आया हुआ था और जब वो इस जगह पहुच तो इन दो नए लोगो को देख कर और इनकी बातो को सुनकर वह ठिठक गया
रमण- आपलोग टूरिस्ट है क्या??
संतोष- जी नहीं, दरअसल हमने हमारी कॉलेज की पढाई यहाँ के विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरी की है, ग्रेजुएशन तक हम यही थे फिर नौकरी के सिलसिले मैं अलग अलग जगह जाना पड़ा, हमारा एक और दोस्त भी आज रत तक यहाँ आने वाला है
रमण- हम्म,फिरतो आपलोगों को पता नहीं होगा की यहाँ क्या चल रहा है ?
संतोष- जी नहीं
रमण- किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि मैं संलग्न लोग गायब हो रहे है, मुख्या रूप से बड़े बड़े पंडित मौलवी पादरी इत्यादि, काफी तहकीकात करने के बाद भी हम केवल इतना पता लगा पाए है की ये किसी एक आदमी का काम नहीं बल्कि किसी रहस्मयी संगठन का काम है.
रोहित- क्या? ये तो बहुत बड़े स्टार का मामला है फिर इस घटना का उल्लेख अखबारों मैं या कसी न्यूज़ चैनल पर्क्यु नहीं नहीं ?
रमण- ये मामला भि पेचिदा है सुरु की घटनाओ कोटो मैंने ही मीडिया की नजरो मैं आने से रोक रखा था, ये एक संवेदनशील मुद्दा है कुछ पोलिटिकल पार्टीज अपने लाभ के लिए इस बात का प्रयोग करने की कोशिश कर सकती है जिससे शायद सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे इसीलिए पुलिस प्रशासन ने सोचा था के ये बात जितनी दबी रहे ठीक होगा पर लगता है मीडिया को इस मामले की भनक है और इसी के चलते उनकी चुप्पी से भी अचंभे मैं हु, अब बस उम्मीद कर सकता हु के जो भी इस के पीछे है जल्द से जल्द उसे गिरफ्तार कर सकू.
संतोष- लेकिन कोई भी धार्मिक क्रिया मैं जुड़े व्यक्ति को ही क्यों उठाना चाहेगा?
रमण- यही तो हम पता लगाने की कोशिश कर रहे है, आप लोग शहर मैं आज हि आये है आप लोगो को अपने आसपास कोई भी अजीब घटना होते दिखे तो तुरंत पुलिस से संपर्क करे, फिलहाल तो पूरा शहर आतंकित है
रोहित- जी ठीक है
रमण- देखिये ऐसा कहकर मैं आपको हतोत्साहित नहीं करना चाहता लेकिन आपने राजनगर आने के लिए शायद सही समय नहीं चुना है.
रमण से बात करने के बाद रोहित और संतोष वह से निकल गए,
रमण- चन्दन इन लोगो पर नजर रखो मुझे कुछ खटक रहा है और कोई भी गड़बड़ हो तो तुरंत मुझे फ़ोन करना
चन्दन-ठीक है सर
रमण ने चन्दन को रोहित और संतोष पर नजर रखने कह दिया और वापस पुलिस स्टेशन आ गया वही रोहित और संतोष रमण की कही बातो पर भी गाड़ी मैं बात चित कर रहे थे
संतोष- इंस्पेक्टर साहब ने काफी मदद की
रोहित-(गंभीर स्वर मैं ) हम्म
संतोष- अब तुमको क्या हुआ?
रोहित- इंस्पेक्टर की बाते सुनी न तुमने ?
संतोष- हा, लेकिन ये लोगो का अपहरण करने वाले हो कौन सकते है ?
रोहित-क्या पता? शायद आतंकवादी हो, भय का माहोल कायम करने के लिए धार्मिक कार्यो से जुड़े नमी गिरामी लोगो को उठा लिया होगा, ये जो भी लोग है बहुत चालक है, इतनी आसानी से पुलिस को चकमा देते हुए लोगो को उठाना किसी साधारण गंग के बस की बात नहीं है.
बाते करते करते ही दोनों होटल पाइनग्रोव पहुचे गाड़ी पार्क करके होटल मैं चेक इन किया
रोहित- ये होटल भी कही....शांत शांत सा लग रहा है
संतोष- हा सही कहा खैर चलो अपने अपने रूम देख लेते है
रिसेप्शन पर चेक इन करके रोहित और संतोष अपने अपने कमरों मै चले गए , संतोष ने कमरे मैं घुसते से ही अपना बैग एक साइड पटका और बहार का व्यू शिद्की के शिशे से देखने लगा, शायद ये वो राजनगर नहीं था जिसे ये लोग जानते थे, वह उन्होंने अपने कॉलेज का सबसे बेहतरीन समय गुजरा था, हर तरफ मौत सा संन्नता पसरा हुआ था और लोग घर से बहार निकलने मैं डरते थे तभी अचानक रोहित संतोष के कमरे मैं आया
रोहित- विक्रांत से बात हुई तुम्हारी
संतोष- इतनी जल्दी क्या है वो आ जायेगा तो खुद की फ़ोन करेगा.
रोहित- अरे तुमको यार नहीं क्या उसके परिवार का फार्महाउस है यहाँ पर, हम लोग तो कॉलेज होटल मैं रहते थे उसका घर था, जितनी जल्दी वो आ जायेगा हाही शिफ्ट हो जायेंगे वैसे भ ये तेल थोडा महंगा है.
संतोष-(मुस्कुराते हुए) लगता हा इंस्पेक्टर ने तुमको अपनी कहानी से डरा दिया है
रोहित-क्या!! नहीं नहीं उसकी बातो से इसका कोई लेना देना नहीं है
संतोष- ठीक है मेरे बहादुर भाई आ होटल बालकनी से राजनगर कि सुन्दरता देखे , इतने समय बाद यहाँ आना का मौका मिला है
रोहित और संतोष बालकनी मैं कहते थे की तभी उनने देखा के होटल से थोड़ी दुरी पर एक तरफ एक सुनसान इलाका थ जहा छोटी छोटी तोड़ी झाडिया उगी हुयी थी वह खड़ा एक रहस्यमयी व्यक्ति जिसने काले रंग का चोगा रहना हुआ था और चेहरा भी नकाब से ढक रखा था लगातार उनके फ्लोर की तरफ घूरे जा रहा था
रोहित- ये कौन है?और हमारी तरफ क्यों देख रहा है
संतोष- मुझे कैसे पता होगा
रोहित-पहनने ओढने के ढंग से कोई सामान्य व्यक्ति तो नै लगता
संतोष-होगा कोई पागल हमें क्या करना है आओ केलकर कुछ खाने के लिए ऑर्डर करते है
होटल मैं कहना का करोहित आर संतोष होटल के बहार टहलने के लिए निकल गये, रोहित के दिमाग मैं अभी भी उस रहस्यमयी व्यक्ति की अजीब सी वेशभूषा का ख्याल रह रहकर आ रहा था, दोनों दोस्त बाते करते हुए होटल से दूर सुनसान जंगल के इलाके की तरफ निकल आये थे
रोहित- ये होटल शहर से थोड़ी दूर है यहाँ तो जंगले झाड सब है
संतोष- सोचो इतने साल राजनगर मैं रहने के बाद भी हमें इस जगह का पता नहीं था
रोहित- राजनगर काफी बड़ी जगह है संतो तुम हर आदमी से राजनगर का पूरा नक्षा जानने की उम्मीद नहीं कर सकते
तभी संतोष का फ़ोन बज उठा
संतोष- अरे विक्रांत का फ़ोन है
संतोष ने फ़ोन उठा लिया
संतोष- हेल्लो बिक्रांत! कहा तक पहुचे भाई
विक्रांत(फोनेपर)- बस अभी निकला हु जल्द ही मिलते है
संतोष- ठीक है तो तुम यहाँ पहुच कर हमें होटल पाइनग्रोव से पिक कर लेना
विक्रांत- ठीक है पहुच कर बात करता हु
और फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया
रोहित- क्या बोला
संतोष- आ रहा है मैंने बता दिया के हमें कहा से पिक करना है
रोहित-सही है ......
तभी अचानक पास के झाड मैं दोनों को कुछ हलचल महसूस हुयी दोनों ने मुड़कर देखा तो बुरी तरह चौक गए क्युकी एक सात फूट का व्यक्ति चिंघाड़ मार कर भरी सी कुल्हाड़ी लेकर उनकी तरफ दौड़ा आ रहा था..........