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भाग २४
सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......
जल्द ही नरेश ने रहा सहा प्रतिरोध करना भी बंद कर दिया, उसके शारीर की सारी हरकते और तड़प शांत हो चुकी थी, अब तक हलकी पड़ चुकी बारिश अब एकबार फिर तेज हो गयी थी और अब तक बुरी तरह गल चुके उनके शारीर को जलाती आग भी धीरे धीरे बारिश से बुझने लगी थी लेकिन आग बुझने तक वो शारीर शारीर नहीं रहा बल्कि जंजीरों मैं लटका मांस का एक लोथड़ा बन चूका था, आखरी कुर्बानी की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी थी, रूद्र बस एकटक उस जगह की तरफ देखे जा रहा था जहा कुछ समय पहले नरेश जी जीवित मौजूद थे,
सुशेन ने उन दोनों की गर्दन छोड़ दी, रूद्र घुटनों के बल जमीन पर बैठ गया वही राघव अर्धबेहोशी की हालत मैं पहुच चूका था और जमीन पर लेट रहा था और अपनी सास नोर्मल कर रहा था,
रूद्र जमीन पर बैठा नरेश को लाश को एकटक देख रहा था, पहले इनलोगों ने उसके निर्माता को मारा था फिर जिस व्यक्ति ने उसे पिता की तरह पाला उसे इन कालसैनिको ने इतनी भयानक मौत दी थी, रूद्र की पूरी दुनिया ही उजाड़ गयी थी और जब किसी के साथ ऐसा होता है तो उसे दुःख नहीं होता बल्कि उसका पूरा दिमाग ही कुछ समय के लिए शुन्य मैं चला जाता है, रूद्र के साथ ऐसा ही हुआ था उसके रोना नहीं आ रहा था, सही कहा जाये तो उसे कुछ भी महसूस होना बंद हो चूका था,
नरेश की मौत से वो भी इतनी भयानक मौत से राघव भी शोक मैं डूबा हुआ था कही न कही उसे ऐसा लग रहा था के ये सब उसी के कारण हुआ है क्यों वो अपनी शक्तिया सही से इस्तमाल नहीं कर पाया, उसने मान ही लिया थाए ये जंग वो हार चुके थे और अब कुछ नहीं बचा था और धीरे धीरे राघव की ऑंखें बंद होने लगी
वही सुशेन कुटिल और विजयी मुस्कान लेकर खड़ा था, गोले मैं खड़े कालसैनिको के मंत्रोच्चारण बंद हो चुके थे, कालदूत के जागने की प्रक्रिया पूर्ण होने की आपर ख़ुशी उन सबके चेहरे पर देखी जा सकती थी
सुशेन- हा हा हा...प्रक्रिय पूरी हुयी, अब १००० साल का इंतज़ार ख़त्म! हमारे देवता अब इस नापाक धरती पर अपना कदम रखेंगे, सभी धर्मो के लोग अब सिर्फ कालदूत की पूजा करेंगे और को विरोध करेगा उसे ऐसी ही भयानक मौत दी जाएगी और सबसे पहले इन्ही लोगो की बारी है जिन्होंने कालदूत के माहन कार्य मैं बाधा बनने की कोशिश की है
रूद्र के मुह से खून रिस रहा था और उसके कपडे जगह जगह से फटे हुए थे पर अब भी वो शुन्य मैं था, उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी वही राघव ने जैसे ही अपनी आंखे बंद की उसे उसके मस्तिष्क मैं उसके दादा की छवि उभर्तोई दिखी मनो वो उससे कह रहे हो की ये अंत नहीं है अभी तो और भी काम करने बाकि है, अब राघव की चेतना लौटने लगी थी और उसमे एक नई हिम्मत का संचार हुआ था, राघव की हालत भी रूद्र से अलग नहीं थी चोटे उसे भी आयी थी लेकिन वो दोबारा उठ खड़ा हुआ, अब उसे दर्द महसूस नहि हो रहा था और शारीर मैं ये नई उर्जा न मनो प्रवाह बह रहा हो, इस बार राघव के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे न डर न गुस्सा न दुःख, उसकी हिम्मत देख कर रूद्र भी अपनी चेतना मैं वापिस आया और एक बार फिर वो कालसैनिको से लड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ
अभी तक सुशेन और कालसैनिको का ध्यान इनपर नहीं गया था सुशेन कालदूत की आज़ादी की ख़ुशी मन रहा था
सुशेन-हा हा, कालसैनिको कुछ ही समय मैं हमारे भगवान हमारे बीच होंगे उसके पहले हमें इन बद्जतो को इनके किये की सजा देनी है सबसे पहले तो ये मरेगा जिसपर telekinesis असर नहीं करती, इसे मैं अपने हाथो से मारूंगा और उसके बाद इसके साथ आया हुआ लड़का
तभी पीछे से राघव से सुशेन को आवाज दी जिससे सुशेन का ध्यान उन दोनों पर गया
राघव-ओ.....तट्टो के सौदागर, ये लडाई अभी ख़त्म नहीं हुयी है और भेंचोद अगर मरना ही है तो कमसे कम तुमको मार के मरेंगे मादरजात.....
राघव की बात और उसके मुह से अपने लिए गाली सुनके सुशेन का गुस्सा भड़क रहा था मगर जब तक वो कुछ करता राघव ने उसकी तरफ दौड़ लगा दी और राघव इतनी तेजी से सुशेन की और लपका की किसी को समझ ही नहीं आया और राघव मे सुशेन पर अपने मुक्को की बारिश कर दी पर कालदूत की दी हुयी शक्तियों की वजह से सुशेन राघव के हमले को भाप गया और उसने भी अब राघव का प्रतिरोध करना शुरू कर दिया अब लग रहा था की दो टक्कर के प्रतिद्वंदी लड़ रहे है वही जब इनदोनो के बीच कालसैनिको ने हस्तक्षेप करने ने कोशिश की तो उनके बीच रूद्र खड़ा था
लड़ते लड़ते सुशेन ने एक जोरदार प्रहार राघव पर किया जिससे वो कुछ फूट पीछे सरक गया मगर इतने मैं रूद्र सुशेन से लड़ने उसके सामने थे, सुशेन ने फिर रूद्र को घुसा मारने की कोशिश की लेकिन इस बार रूद्र ने सुशेन के वार को अपने हाथ से रोक लिया, ये देख कर सुशेन को बेहद हैरानी हुयी, उसे कुछ देर पहले अपने शारीर मैं जो असीम शक्ति थी वो अब कम होती महसूस हो रही थी, उसकी आँखों की पुतलिया जो अब तक लाल थी वो सामान्य हो रही थी, अपने अंदर इतने शारीरिक परिवर्तन देख कर अब सुशेन घबराने लगा था
सुशेन-ये...ये क्या हो रहा है? मेरी शक्तिया कहा चली गयी?
रूद्र-तुम्हारा इश्वर तो स्वार्थी निकला रे...जबतक तुमसे काम था तबतक तुम्हे उसने शक्तिया दी और जैसे ही प्रक्रिया पूर्ण हुयी शक्ति वापिस ले ली?
सुशेन से चेहरे पर डर साफ़ देखा जा सकता था रूद्र ने उसके हाथ को जोर से भींच दिया जिससे उसके हाथ की हड्डीया टूट हाई और सुशेन अपना हाथ लेकर वही बैठ गया, ये घटना देख कर बाकि कालसैनिको ने वह से भागने की कोशिश की लेकिन रूद्र और राघव अब उन्हें छोड़ने के मूड मैं बिलकुल नहीं थे
राघव ने अपनी मानसिक शक्तियों के उपयोग से कालसैनिको के सोचने और भागने की गतिको धीमा कर दिया था और जल्द ही पुरे वातावरण कालसैनिको की चीख पुकार से दहल रहा था, रूद्र और राघव एक एक कालसैनिक को तेजी से मार रहे थे
रूद्र ने एक कालसैनिक की छाती के आरपार अपना हाथ ऐसे निकाल दिया मनो उसका शारीर हाड मांस का नहीं बल्कि कागज का बना हो, राघव कालसैनिको के telekinesis से ही उन्हें मात दे रहा था उस कब्रिस्तान मैं मनो इस समय प्रलय नाच रहा था
कुछ सौभाग्यशाली कालसैनिक को दरवाजे से बाहर भागने का मौका मिला भी लेकिन बाहर कदम रखते ही रमण और संजय ने अपनी भरी बन्दूको से उन्हें मारना शुरू कर दिया, कालसैनिक telekinesis के प्रयोग से पहले ही मौत के घाट उतर रहे थे वही कुछ कालसैनिक छिप कर वहा से भाग चुके थे
काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी......