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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

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mashish

BHARAT
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भाग २३



राघव संजय और रमण अपनी जीप से कुछ ही समय मैं कब्रिस्तान पहुच गए थे और उन्होंने अपनी जीप कब्रिस्तान से कुछ दूर पहले ही कड़ी कर दी थी ताकि उसकी आवाज से कही कालसैनिक सतर्क नहो जाए फिर जीप की पिछली सीट से एक एक रायफल उठाकर वो सावधानी से कब्रिस्तान की और बढे, कब्रिस्तान के बाहर लोहे के गेट के बगल मैं एक बरगद का पेड़ था वो लोग उसकी ओट मैं छिप गए,

वहा से कब्रिस्तान के अंदर का दृश्य देख पाना इतना आसन नहीं था क्युकी अँधेरा होने के कारण दूर तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन कब्रिस्तान के अंदर से आ रही आवाजो को सुना जा सकता था, ये आवाजे उनलोगों को दूर से ही सुने दे रही थी जिससे इतना तो तय हो चूका था के ये लोग अंदर की है और कुछ भरी गड़बड़ कर रहे है

रमण(फुसफुसाकर)- ये क्या! ये लोग तो अंदर कोई मंत्र वगैरा पढ़ रहे है

राघव-इन्हें अंतिम कुर्बानी मिल गयी है भैया ये वही मंत्र है जो मैंने उस किताब मैं देखे थे, इनकी तो....! मैं इन्हें अभी ख़त्म कर दूंगा..!

संजय-रुको राघव! गुस्से मैं बेवकूफी के कदम नहीं उठाया करते, तुम पूरी तरह टायर नही हो, हमें रूद्र का इंतजार करना है, देखो वो भी आ गया है

संजय को रूद्र दूर से आता हुआ दिखाई दिया, रूद्र ने अपनी बाइक उनकी जीप के पास कड़ी कर दी और तेजी से उनलोगों के पास पंहुचा

रूद्र-क्या चल रहा है?

राघव-उन लोगो को अंतिम कुर्बानी मिल गयी है

रूद्र-अच्छा है ये सब एक जगह है, मैं उन कमीनो को छोडूंगा नहीं तुम लोग यही रुको

राघव-तुम नहीं हम मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा

रूद्र-तुम तयार हो

राघव-बिलकुल ज्यादा नहीं तो उनके दिमाग मैं घुस के उनकी नसे तो फाड़ ही सकता हु

रूद्र-ठीक है तो फिर चलो आज इनका काम ही ख़तम कर दे

रमण-रुको हम भी चलते है

रूद्र-क्या आप मेरी तरह कृत्रिम मानव है या आपके पास राघव के जैसी शक्तिया है

रमण-आ....नहीं

रूद्र-तो फिर अप दोनों यही रुके, मेरा तो यर लोग वैसे भी जादू टोने से कुछ बिगाड़ नहीं सकते और राघव अपनी शक्तियों से इन्हें मसल देगा बस अगर कोई कालसैनिक हमसे बचकर बाहर भागने का प्रयास करे तो उसे गोली मारने मैं देर मत कीजियेगा, अपने हथियार तयार रखिये

राघव-रूद्र सही कह रहा है भाई....

फिर कुछ पल के लिए राघव ने वही आसन लगा कर अपनी आँखें बंद की और ध्यान की मुद्रा मैं बैठ गया मनो अपनी शक्तियों का आकलन कर रहा हो और जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी आँखें हलके हरे रंग मैं चमक रही थी और उसके होठो पर एक मुस्कान थी और मस्तिक्ष एकदम शांत, अब राघव जानता था की उसे क्या करना है

वही रूद्र धडधडाते हुए कब्रिस्तान मैं घुस गया लेकिन वहा का दृश्य देख कर उसका खून खुल उठा, कालसैनिक गोल घेरा बनाकर मंत्रोच्चारण कर रहे थे और उनके घेरे के ठीक बीच मैं बुरी तरह से घायल नरेश अर्धबेहोशी की अवस्था मैं दिवार मे के एक बड़े से टुकड़े मैं गडी हुयी लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था

रूद्र को देखते ही मंत्र का उच्चारण करते कालसैनिक एकदम से रुक गए और रूद्र ने गुस्से मैं अपनी मुट्ठिया भींच ली

यहाँ राघव ने जैसे ही आंखन खोली तब तक रूद्र कब्रिस्तान मैं जा चूका था तो राघव ने भी उसके पीछे दौड़ लगा दी पर इस बार उसकी गति अकल्पनीय रूप से बढ़ी हुयी थी वो पलक झपकते ही रूद्र के पास खड़ा था मनो उसने एक जगह से दूसरी जगह टेलिपोर्ट किया हो, राघव खुद अपनी गति से चौक गया था पर ये समय इन सब के बारे मैं सोचने का नहीं था सामने का नजारा देख कर राघव भी गुस्से से उबलने लगा तभी रूद्र क्रोध मैं आकर बोला

रूद्र-तुम लोगो की यह हिम्मत जो नरेशजी को कैद करो!! मैं तुममे से किसी एक भी जिन्दा छोड़ने वाला नहीं हु

राघव वहा मौजूद सभी कालसैनिको की मानसिक स्तिथि का अंदाजा लगा सकता था उसने जैसे ही कब्रिस्तान के मैंदान मैं चारो तरफ नजर दौडाई उसी के साथ वो अपनी शक्तियों से वहा मौजूद सभी के दिमाग से मानसिक रूप से जुड़ चूका था पर वो एकसाथ सब पर हमला नहीं कर पा रहा था पर उनके दिमाग को भाप रहा था ,रूद्र की गुस्से भरी गर्जना सुन कर कालसैनिक कुछ समय के लिए घबराये जरूर थे पर उनमे डर का नामोनिशान नहीं था

रूद्र तेज कदमो से उस घेरे की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी अचानक किसी ने उसे एक जोरदार लात मार कर दूर फेक दिया,, रूद्र के जीवन मैं ये पहली बार था के वो किसी के प्रहार से इतनी दूर जाकर गिरा था वही इस बात ने राघव को भी चौका दिया था क्युकी जो रूद्र की क्षमता को जनता था और अगर किसी ने रूद्र को एक लात मैं इतनी दूर फेका है तो वो कोई मामूली इंसान नहीं हो सकता, राघव और रूद्र दोनों ने रूद्र पर हमला करने वाले को देखा तो सामने चेहरे पर राक्षसी भाव लिए सुशेन खड़ा था, उसकी आँखों की पुतलिया पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसके कारण वो बेहद भयानक लग रहा था

सुशेन(कुटिलता से मुस्कुराते हुए)- तो अब हम दोबारा मिल गए! और तुम अपने साथ इस बच्चे को भी ले आये, अगर मुझे पहले पता होता की तुम इस तुच्छ इंसान को अपने साथ लाने वाले हो तो अंतिम कुर्बानी के लिए इस बुड्ढे को नहीं चुनता मैं

राघव-अभी तुम्हे पता चल जायेगा की तुच्छ कौन है

और राघव ने सुशेन की तरफ दौड़ लगा दी और पलक झपकने भर मणि राघव ने सुशेन को पूरी ताकत से एक मुक्का जड़ दिया पर उसका सुशेन पर इतना खास प्रभाव नहीं परा पर इतना उसे समझ आ गया था के राघव कोई मामूली इंसान नहीं है, सुशेन राघव ने मुक्के से बस एक फूट दूर सरका था और फिर जब उसने राघव पर telekinesis करने का सोचा तो वो उसका दिमाग भेद नहीं आया, सुशेन ने इतना प्रबल मस्तिक्ष पहले कभी महसूस नहीं किया था

सुशेन(हैरानी से )-कौन हो तुम??

राघव-इतनी जल्दी क्या है जान जाओगे

तभी रूद्र अपनी जगह से उठ आया और उसने सुशेन पर वार करने की कोशिश की लेकिन सुशेन ने इस बार भी उसका हमला नाकाम कर दिया

सुशेन-तुम आज मुझसे नहीं बचोगे रूद्र

रूद्र-तुममे इतनी जबरदस्त शक्ति कहा से आ गयी?? क्या किया है तुमने?

सुशेन-हमारे प्रभु कालदूत का शारीर भले ही समुद्र की गहराइयों मैं दफ़न है लेकिन वे मंसिर रूप से हरदम हम लोगो के रूप मैं सक्रिय है इसीलिए उनको ये बात ज्ञात है की उनको स्वतंत्र करने से हम लोग केवल १ कुर्बानी दूर है इसीलिए उन्होंने अपनी शक्ति का एक बड़ा हिस्सा मुझे दे दिया है तकी इस कार्य मैं कोई बाधा न आये मेरे शारीर मैं इस वक़्त ऐसी शक्ति है की मैं तुझे चींटी की तरह अभी मसल दू

वहा मौजूद सारे कालसैनिक इस वाकये को अपने सामने होता देख रहे थे मगर कोई भी एक वक़्त सुशेन के बीच मैं नहीं आ रहा था या राघव और रूद्र को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था

राघव-मेरे होते हुए ये इतना भी आसन नहीं है

राघव ने सुशेन से कहा औरपने दोनों हाथ हवा मैं एक विशिष्ट मुद्रा मैं लहराए और उन्हें सुशेन की तरफ किया जिससे एक तेज हवा का झोका धुल को अपने मैं समेटे सुशेन की तरफ बढ़ा और उसी हवा की रफ्तारसे राघव ने सुशेन पर हमला किया लेकिन सुशेन ने अपने एक हाथ राघव का वार खली कर दिया और उसे दूर फेक दिया

रूद्र गुस्से से चिल्लाते हुए सुशेन की तरफ भगा लेकिन सुशेन ने फिर एक जोरदार घुसा रूद्र के मुह पर रसीद किया जिससे वो वही गिर५ पड़ा, उसके कृत्रिम शारीर ने जीवन मैं पहली बार खून दर्द और बेबसी का अनुभव किया था, रूद्र और राघव दोनों ही इस वक़्त अपने आप को सुशेन के सामने बेबस महसूस कर रहे थे, सुशेन रूद्र को घसीटते हुए राघव के पास ले गया, राघव इस वक़्त जमीन पर पड़ा करह रहा था, क्या करे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, सुशेन ने उन दोनों को गर्दन से पकड़कर उठा लिया, राघव और रूद्र दोनों अपनी पूरी ताकत के लगाकर भी सुशेन की पकड़ से छुट नहीं पा रहे थे, राघव तो दर्द मैं अपनी शक्तिया भी भुला बैठा था

सुशेन(क्रोध से)- तुम लोगो ने मेरे भाई को मार डाला! पता है कितना दर्द होता है जब हम किसी अपने को खोते है? मैं बताता हु,

सुशेन ने दोनों को गर्दन से पकड़ कर उठाकर रखा था फिर उसने एक कालसैनिक को इशारा किया और उसने राघव और रूद्र के सामने telekinesis द्वारा नरेश को यातना देना शुरू किया, नरेश दर्द के कारण बुरी तरह चीख रहा था क्युकी धीरे धीरे उसके पेट का उपरी आवरण हट रहा था और त्वचा से फटकार बाहर आती अंतड़िया दिखने लगी थी

राघव और रूद्र काफी कोशिशो के बाद भी खुद को छुड़ा नहीं पा रहे थे

सुशेन- हा हा हा! अब वक़्त है आखरी कुर्बानी देने का, इस कुर्बानी के कारण हजार वर्षो से चला आ रहा कुर्बानी का चक्र समाप्त हो जायेगा और महान कालदूत का आगन इस धरती पर होगा, फिर वे देवताओ की इस सृष्टि को अपनी सृष्टि बनायेंगे और मैं बनूँगा इस नई दुनिया के सृजन मैं उनका सहयाक, उनका परम अनुयायी!


सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......
super action update
 

Mr.Marlega

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भाग २२



अरुण और नरेश तेजी से अपनी गाड़ी मैं पूरब दिशा की और बढ़ रहे थे, जिस तरफ वो लोग इस वक़्त जा रहे थे वो कुछ कुछ जंगली इलाका था, समय समय पर गीदड़ और भेडियो की मनहूसियत भरी आवाज से वातावरण गूंज रहा था लेकिन उनके पास इन सब बातो पर ध्यान देने का वक़्त नहीं था.

वो एक ऐसे इलाके मैं पहुचे जहा सड़क और संकरी हो गयी थी और चारो तरफ जमीन पर छोटी छोटी झाड उगी हुयी थी, दूर दूर तक एक भी स्ट्रीटलाइट नहीं थी, इंसान तो छोडो कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था, ख़राब इंटरनेट की वज्र से नरेश के मोबाइल का जीपीएस ढंग से काल नहीं कर रहा था और इसी वजह से मजबूरन उन्हें कागज का नक्षा खोलकर देखना पड़ा..

नरेश-नक़्शे के हिसाब से तो यही वो जगह है जाया ये कालसैनिक एक बार नहीं बल्कि कई बार देखे जा चुके है, यहाँ से कई लोगो सारे को गायब किया है उन्होंने

अरुण-इसका मतलब हमें गाडी की गति धीमी कर लेनी चाहिए और सतर्क हो जाना चाहिए, इस प्रकार की अँधेरे और वीरान जगह पर वो लोग कही भी घात लगा कर बैठे हो सकते है हमें काफी सावधानी बरतनी होगी

नरेश-वो तो ठीक है अरुण पर तुम ज्यादा जोश मैं मत आ जाना, हमें पहले छिपकर चुपचाप चीजों का अवलोकन करना है उन्हें शक नहीं होना चाहिए

अरुण-मैं ये बात जानता हु नरेश भाई मुझे पता है की ये सब कितना जरुरी है

नरेश-और और बात है अरुण

अरुण-तो बोलिए न नरेश भाई

नरेश-अगर वो लोग मुझे पकड़ ले तो तुम तेजी से निकल जाना पहले अपनी जान बचाना समझे...

अरुण-पर आप ऐसा सोच ही क्यों करे है? हमारा प्लान जरूर कामयाब होगा और अगर उनलोगों ने आपको कुछ भी किया तो रूद्र हर एक के दस टुकड़े कर देगा.

नरेश-इसी बात का तो डर है

अरुण-मतलब?

नरेश-रूद्र कोई इंसान तो है नहीं न अरुण, मतलब मेरी या तुम्हारी तरह नहीं, वो बिना ज्यादा सोचे लोगो को निर्दयता से मार देता है, हालाँकि ये कालसैनिक जिन्दा छोड़े जाने के लायक भी नहीं है पर कभी कभी मैं सोचता हु के अगर रूद्र इंसानियत के विपक्ष मैं लड़ा तो क्या होगा? राघव ही केवल एकमात्र ऐसा इंसान है जो रूद्र की क्षमताओ पर काबू कर सकता है बस वो जल्द से अपने अप को जान ले

अरुण(मजाकिया अंदाज मे)-वो सब तो ठीक है नरेश भाई पर पहले फिलहाल तो हमें अपने लक्ष्य परे ध्यान देना चाहिए, वैसे भी आप इस तरह के काम के लिए बूढ़े हो चले है

नरेश(मुस्कुराकर)- हा हा और तुम तो अभी बच्चे हो न

तभी अचानक अरुण ओ गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े और नरेश को झटका महसूस हुआ, एक व्यक्ति सड़क पर बेहोश पडा हुआ था

नरेश-लगता है उनलोगों को उनका शिकार मिल गया, इसे किसी कारण उन्होंने यहा छोड़ दिया, तुम इसे उठा लो और एम्बुलेंस को फ़ोन कर दो

अरुण-रुको नरेश भाई! गाड़ी से उतरना ठीक नहीं होगा ये उनलोगों की कोई चाल भी हो सकती है

नरेश-और अगर चाल नहीं हुयी तो? एक जिर्दोश मारा जायेगा अरुण, अपनी बन्दूक उठाओ और सावधानी से जाकर चेक करो

बारिश और कदक्तो बिजली माहोल को और भिज्यदा भयानक बना रही थी, इस माहोल मैं अरुण गाडी से बाहर निकला, वातावरण मैं अब कुत्तो और बिल्लियों की मनहूस आवाजे भी शामिल हो गयी थी, अरुण धीरे धीरे बन्दूक लेकर बेहोश व्यक्ति की तरफ बढा, उसने धीरे से उस व्यक्ति को देखने के लिए उसे हाथ लगाया ही था के तभी अचानक उस बेहोश पड़े व्यक्ति ने अरुण के गर्दन को पकड़ लिया और एक ‘चटाक’ की आवाज़ हुयी और उसी के साथ ही अरुण की जान चली गयी, नरेश गाड़ी मैं बैठ ये नजारा देख चूका था और अब वो घबराने लगा था,

वो व्यक्ति उठा और उसने अपना काला चोगा और नकाब पहना और अरुण को वही सड़क पर मरा छोड़कर वो व्यक्ति गाडी की तरफ बढ़ा, अब तक नरेश गाडी का स्टीयरिंग संभाल चूका था, उसने तेजीसे गाडी को उस इंसान की तरफ बढाया लेकिन उस व्यक्ति ने केवल अपना हाथ हवा मैं उठाया और गाडी बंद पड गयी, नरेश ने कई बार चाबी घुमाकर गाडी दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ,

उस व्यक्ति के हाथो मैं फिर से हरकत हुयी और अबकी बार गाडी का पूरा दरवाजा उखाड़कर निकल गया, उस इंसान ने कुछ देर नरेश को घुरा और फिर उसके करीब आया, नरेश अबतक उस आदमी का चेहरा ठीक ढंग से देख नहीं पाया था और उसने अरुण को मारते ही नकाब पहन लिया था और अब उस इंसान से नरेश को घूरते हुए फिर से अपना काला नकाब उतारा.....

वो कोई और नहीं सुशेन था और इस वक़्त उसके चेहरे पर अजीब सा वहशिपन था! उसने नरेश को गाडी से बाहर खिंच लिया, नरेश ने एक जोरदार मुक्का उसके चेहरे पर जड़ना चका लेकिन उसने नरेश का हाथ पकड़ कर जोर से भींच दिया जिससे नरेश की हथेली की हड्डियों का कचूमर बन गया जिससे नरेश की चींख निकल गयी, नरेश की चींख ने उस सुनसान माहोल को बुरी तरह देहला दिया, फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश के पेट मैं जादा जिससे उनके मुह से खून आने लगा, अब नरेश पूरी तरफ अशक्त होकर जमीन पर पड़ा हुआ था.....

सुशेन-तुम लोग मेरे भाई के मौत के जिम्मेदार हो.

सुशेन ने काफी क्रोध मैं कहा

नरेश-तुम...तुम्हे कैसे पता?

सुशेन-जब पुलिस स्टेशन मे रूद्र ने शक्ति को मारा और इस इंस्पेक्टर और उसके भाई को लेकर तुमसे मिलने आया तब भी मेरे लोग बेहद सावधानी से उनका पीछा कर रहे थे, उन्हें तुम्हारी लोकेशन मिल गयी, हम चाहते तो किसी भी वक़्त तुम्हारे घर पर हमला कर सकते थे लेकिन हमसे सही मौके का इंतजार किया और तुम तक हमारी खबर पहुचाई और हमें मौका मिल गया जब तुम लोग अलग अलग रस्ते हमारी तलाश मैं निकले

नरेश-म...मतलब तुम्हे पुरे समय हमपर नजर राखी?

सुशेन-हा हा हा, हमने इस मामले मैं तुमसे थोडा ज्यादा होशियारी से काम किया लेकिन चिंता मत करो, तुम्हारी मृत्यु को हम ऐतहासिक बनायेंगे, क्युकी तुमको हम मौका देंगे वो अंतिम कुर्बानी बनने का को कालदूत के लिए इस दुनिया का मार्ग प्रशस्त करेगी.....

फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश को जड़ा जिससे उसका दिमाग बेहोशी के अँधेरे मैं डूबता चला गया, फिर उसके बेहोश शारीर को अपने कंधे पर डालकर सुशेन एक और बढ़ता चला गया

दूसरी तरफ राघव जो रमण और संजय के साथ निकला था उसे किसी अनहोनी घटना का आभास होने लगा, उन्हें अब तक अपने मार्ग मैं कोई भी ऐसी चीज़ या हरकत नहीं दिखी थी जो इस और इशारा करे करे की यहाँ कालसेना की मौजूदगी होसकती है

राघव ने अरुण और नरेश ने संपर्क बनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उनका फ़ोन नहीं लग रहा था और जब राघव की कई कोशिशो ने बाद भी नरेश का फ़ोन नहीं लगा तो उसे चिंता होने लगी और उसने रूद्र को फ़ोन लगाया

रूद्र बाइक से तेजी से बढ़ रहा था तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाकर कान को लगाया

राघव-रूद्र! मैं राघव बात कर रहा हु

रूद्र-हा! क्या हुआ है सब ठीक है न?

राघव-हमारे पास सब ठीक है लेकिन अरुण और नरेश जी से हमारा संपर्क टूट गया है

रूद्र-शायद बारिश की वजह से ऐसा हो..!

राघव-काश ऐसा ही हो वैसे हमें यहाँ किसी भी कालसैनिक का नामोनिशान नहीं मिला है तुम कहो

रूद्र-अभी तक तो नहीं...

राघव-तो क्या नरेश जी और अरुण......रूद्र मेरे मन को किसी अनहोनी का आभास हो रहा है

राघव की बात सुनकर रूद्र भी बुरी तरह आशंकित हो गया उसे अचानक कुछ याद आया और उसने राघव की बात को बीच मैं काटकर पूछा

रूद्र-रमण ने किसी कब्रिस्तान के बारे मैं बताया था कुछ!

राघव-हा एक पुराना कब्रिस्तान है जहा भाई को रोहित नाम के एक इंसान की जली हुयी लाश मिली थी मैं जानता हु उस जगह के बारे मैं

रूद्र-तुम सबको लेकर तुरंत वहा पहुचो मैं भी पहुच रहा हु बस एक बात का ध्यान रखना राघव मेरे आये तक प्लीज कोई एक्शन मत लेना मेरा इंतजार करना

राघव-ठीक है...

उसके बाद राघव ने रमण और संजय को ये बात बताई और वो लोग उस कब्रिस्तान की और निकल गए और रूद्र ने भी अपनी बाइक उस कब्रिस्तान की और मोड़ ली.....




To Be Continue......
badhiya Update
 

Mr.Marlega

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भाग २३



राघव संजय और रमण अपनी जीप से कुछ ही समय मैं कब्रिस्तान पहुच गए थे और उन्होंने अपनी जीप कब्रिस्तान से कुछ दूर पहले ही कड़ी कर दी थी ताकि उसकी आवाज से कही कालसैनिक सतर्क नहो जाए फिर जीप की पिछली सीट से एक एक रायफल उठाकर वो सावधानी से कब्रिस्तान की और बढे, कब्रिस्तान के बाहर लोहे के गेट के बगल मैं एक बरगद का पेड़ था वो लोग उसकी ओट मैं छिप गए,

वहा से कब्रिस्तान के अंदर का दृश्य देख पाना इतना आसन नहीं था क्युकी अँधेरा होने के कारण दूर तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन कब्रिस्तान के अंदर से आ रही आवाजो को सुना जा सकता था, ये आवाजे उनलोगों को दूर से ही सुने दे रही थी जिससे इतना तो तय हो चूका था के ये लोग अंदर की है और कुछ भरी गड़बड़ कर रहे है

रमण(फुसफुसाकर)- ये क्या! ये लोग तो अंदर कोई मंत्र वगैरा पढ़ रहे है

राघव-इन्हें अंतिम कुर्बानी मिल गयी है भैया ये वही मंत्र है जो मैंने उस किताब मैं देखे थे, इनकी तो....! मैं इन्हें अभी ख़त्म कर दूंगा..!

संजय-रुको राघव! गुस्से मैं बेवकूफी के कदम नहीं उठाया करते, तुम पूरी तरह टायर नही हो, हमें रूद्र का इंतजार करना है, देखो वो भी आ गया है

संजय को रूद्र दूर से आता हुआ दिखाई दिया, रूद्र ने अपनी बाइक उनकी जीप के पास कड़ी कर दी और तेजी से उनलोगों के पास पंहुचा

रूद्र-क्या चल रहा है?

राघव-उन लोगो को अंतिम कुर्बानी मिल गयी है

रूद्र-अच्छा है ये सब एक जगह है, मैं उन कमीनो को छोडूंगा नहीं तुम लोग यही रुको

राघव-तुम नहीं हम मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा

रूद्र-तुम तयार हो

राघव-बिलकुल ज्यादा नहीं तो उनके दिमाग मैं घुस के उनकी नसे तो फाड़ ही सकता हु

रूद्र-ठीक है तो फिर चलो आज इनका काम ही ख़तम कर दे

रमण-रुको हम भी चलते है

रूद्र-क्या आप मेरी तरह कृत्रिम मानव है या आपके पास राघव के जैसी शक्तिया है

रमण-आ....नहीं

रूद्र-तो फिर अप दोनों यही रुके, मेरा तो यर लोग वैसे भी जादू टोने से कुछ बिगाड़ नहीं सकते और राघव अपनी शक्तियों से इन्हें मसल देगा बस अगर कोई कालसैनिक हमसे बचकर बाहर भागने का प्रयास करे तो उसे गोली मारने मैं देर मत कीजियेगा, अपने हथियार तयार रखिये

राघव-रूद्र सही कह रहा है भाई....

फिर कुछ पल के लिए राघव ने वही आसन लगा कर अपनी आँखें बंद की और ध्यान की मुद्रा मैं बैठ गया मनो अपनी शक्तियों का आकलन कर रहा हो और जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी आँखें हलके हरे रंग मैं चमक रही थी और उसके होठो पर एक मुस्कान थी और मस्तिक्ष एकदम शांत, अब राघव जानता था की उसे क्या करना है

वही रूद्र धडधडाते हुए कब्रिस्तान मैं घुस गया लेकिन वहा का दृश्य देख कर उसका खून खुल उठा, कालसैनिक गोल घेरा बनाकर मंत्रोच्चारण कर रहे थे और उनके घेरे के ठीक बीच मैं बुरी तरह से घायल नरेश अर्धबेहोशी की अवस्था मैं दिवार मे के एक बड़े से टुकड़े मैं गडी हुयी लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था

रूद्र को देखते ही मंत्र का उच्चारण करते कालसैनिक एकदम से रुक गए और रूद्र ने गुस्से मैं अपनी मुट्ठिया भींच ली

यहाँ राघव ने जैसे ही आंखन खोली तब तक रूद्र कब्रिस्तान मैं जा चूका था तो राघव ने भी उसके पीछे दौड़ लगा दी पर इस बार उसकी गति अकल्पनीय रूप से बढ़ी हुयी थी वो पलक झपकते ही रूद्र के पास खड़ा था मनो उसने एक जगह से दूसरी जगह टेलिपोर्ट किया हो, राघव खुद अपनी गति से चौक गया था पर ये समय इन सब के बारे मैं सोचने का नहीं था सामने का नजारा देख कर राघव भी गुस्से से उबलने लगा तभी रूद्र क्रोध मैं आकर बोला

रूद्र-तुम लोगो की यह हिम्मत जो नरेशजी को कैद करो!! मैं तुममे से किसी एक भी जिन्दा छोड़ने वाला नहीं हु

राघव वहा मौजूद सभी कालसैनिको की मानसिक स्तिथि का अंदाजा लगा सकता था उसने जैसे ही कब्रिस्तान के मैंदान मैं चारो तरफ नजर दौडाई उसी के साथ वो अपनी शक्तियों से वहा मौजूद सभी के दिमाग से मानसिक रूप से जुड़ चूका था पर वो एकसाथ सब पर हमला नहीं कर पा रहा था पर उनके दिमाग को भाप रहा था ,रूद्र की गुस्से भरी गर्जना सुन कर कालसैनिक कुछ समय के लिए घबराये जरूर थे पर उनमे डर का नामोनिशान नहीं था

रूद्र तेज कदमो से उस घेरे की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी अचानक किसी ने उसे एक जोरदार लात मार कर दूर फेक दिया,, रूद्र के जीवन मैं ये पहली बार था के वो किसी के प्रहार से इतनी दूर जाकर गिरा था वही इस बात ने राघव को भी चौका दिया था क्युकी जो रूद्र की क्षमता को जनता था और अगर किसी ने रूद्र को एक लात मैं इतनी दूर फेका है तो वो कोई मामूली इंसान नहीं हो सकता, राघव और रूद्र दोनों ने रूद्र पर हमला करने वाले को देखा तो सामने चेहरे पर राक्षसी भाव लिए सुशेन खड़ा था, उसकी आँखों की पुतलिया पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसके कारण वो बेहद भयानक लग रहा था

सुशेन(कुटिलता से मुस्कुराते हुए)- तो अब हम दोबारा मिल गए! और तुम अपने साथ इस बच्चे को भी ले आये, अगर मुझे पहले पता होता की तुम इस तुच्छ इंसान को अपने साथ लाने वाले हो तो अंतिम कुर्बानी के लिए इस बुड्ढे को नहीं चुनता मैं

राघव-अभी तुम्हे पता चल जायेगा की तुच्छ कौन है

और राघव ने सुशेन की तरफ दौड़ लगा दी और पलक झपकने भर मणि राघव ने सुशेन को पूरी ताकत से एक मुक्का जड़ दिया पर उसका सुशेन पर इतना खास प्रभाव नहीं परा पर इतना उसे समझ आ गया था के राघव कोई मामूली इंसान नहीं है, सुशेन राघव ने मुक्के से बस एक फूट दूर सरका था और फिर जब उसने राघव पर telekinesis करने का सोचा तो वो उसका दिमाग भेद नहीं आया, सुशेन ने इतना प्रबल मस्तिक्ष पहले कभी महसूस नहीं किया था

सुशेन(हैरानी से )-कौन हो तुम??

राघव-इतनी जल्दी क्या है जान जाओगे

तभी रूद्र अपनी जगह से उठ आया और उसने सुशेन पर वार करने की कोशिश की लेकिन सुशेन ने इस बार भी उसका हमला नाकाम कर दिया

सुशेन-तुम आज मुझसे नहीं बचोगे रूद्र

रूद्र-तुममे इतनी जबरदस्त शक्ति कहा से आ गयी?? क्या किया है तुमने?

सुशेन-हमारे प्रभु कालदूत का शारीर भले ही समुद्र की गहराइयों मैं दफ़न है लेकिन वे मंसिर रूप से हरदम हम लोगो के रूप मैं सक्रिय है इसीलिए उनको ये बात ज्ञात है की उनको स्वतंत्र करने से हम लोग केवल १ कुर्बानी दूर है इसीलिए उन्होंने अपनी शक्ति का एक बड़ा हिस्सा मुझे दे दिया है तकी इस कार्य मैं कोई बाधा न आये मेरे शारीर मैं इस वक़्त ऐसी शक्ति है की मैं तुझे चींटी की तरह अभी मसल दू

वहा मौजूद सारे कालसैनिक इस वाकये को अपने सामने होता देख रहे थे मगर कोई भी एक वक़्त सुशेन के बीच मैं नहीं आ रहा था या राघव और रूद्र को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था

राघव-मेरे होते हुए ये इतना भी आसन नहीं है

राघव ने सुशेन से कहा औरपने दोनों हाथ हवा मैं एक विशिष्ट मुद्रा मैं लहराए और उन्हें सुशेन की तरफ किया जिससे एक तेज हवा का झोका धुल को अपने मैं समेटे सुशेन की तरफ बढ़ा और उसी हवा की रफ्तारसे राघव ने सुशेन पर हमला किया लेकिन सुशेन ने अपने एक हाथ राघव का वार खली कर दिया और उसे दूर फेक दिया

रूद्र गुस्से से चिल्लाते हुए सुशेन की तरफ भगा लेकिन सुशेन ने फिर एक जोरदार घुसा रूद्र के मुह पर रसीद किया जिससे वो वही गिर५ पड़ा, उसके कृत्रिम शारीर ने जीवन मैं पहली बार खून दर्द और बेबसी का अनुभव किया था, रूद्र और राघव दोनों ही इस वक़्त अपने आप को सुशेन के सामने बेबस महसूस कर रहे थे, सुशेन रूद्र को घसीटते हुए राघव के पास ले गया, राघव इस वक़्त जमीन पर पड़ा करह रहा था, क्या करे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, सुशेन ने उन दोनों को गर्दन से पकड़कर उठा लिया, राघव और रूद्र दोनों अपनी पूरी ताकत के लगाकर भी सुशेन की पकड़ से छुट नहीं पा रहे थे, राघव तो दर्द मैं अपनी शक्तिया भी भुला बैठा था

सुशेन(क्रोध से)- तुम लोगो ने मेरे भाई को मार डाला! पता है कितना दर्द होता है जब हम किसी अपने को खोते है? मैं बताता हु,

सुशेन ने दोनों को गर्दन से पकड़ कर उठाकर रखा था फिर उसने एक कालसैनिक को इशारा किया और उसने राघव और रूद्र के सामने telekinesis द्वारा नरेश को यातना देना शुरू किया, नरेश दर्द के कारण बुरी तरह चीख रहा था क्युकी धीरे धीरे उसके पेट का उपरी आवरण हट रहा था और त्वचा से फटकार बाहर आती अंतड़िया दिखने लगी थी

राघव और रूद्र काफी कोशिशो के बाद भी खुद को छुड़ा नहीं पा रहे थे

सुशेन- हा हा हा! अब वक़्त है आखरी कुर्बानी देने का, इस कुर्बानी के कारण हजार वर्षो से चला आ रहा कुर्बानी का चक्र समाप्त हो जायेगा और महान कालदूत का आगन इस धरती पर होगा, फिर वे देवताओ की इस सृष्टि को अपनी सृष्टि बनायेंगे और मैं बनूँगा इस नई दुनिया के सृजन मैं उनका सहयाक, उनका परम अनुयायी!


सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......
bahut hi shaandaar update
 

Adirshi

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jis tarah se kahani ne gati li hai aur jis aur rukh li hai ye meri soch se bhi pare hai... but I really like it.. each nd every moment... btw I thought ki raghav jayega kisi dur manjil ke aur wo hota hai na fantasy stories pe pari se pyaar samudra ka safar dragon Princess se pyaar karna etc etc but is kahani ne bilkul alag hi mod li hai...
kahani hai nyaay aur anyaay ke bich ke yuddh ki, kahani hai achhai raah kitni bhi kathin kyun na ho par jeet ushi ki hogi wohi kahani ye bhi dikhane ki koshish ki hai kuch ek lalchi log ek bure shakti ke adheen hoke kya kuch nahi kar rahe hai... haalaki abhi wo log shaktisali hai lekin jaldi unlogo ki Patan ki suruwat hogi aur ab to suruwat ho bhi chuki hai..
:yourock: :yourock: :yourock: :yourock:
Is behtarin samiksha ke liye aapba bahut bahut aabhar naina ji :thanks:
 

Adirshi

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are hadd hai yaar :doh:
dhett teri ki :doh:
in bure logo ko kuch zyada hi takatwar bana aap ne :bat:
lo bali bhi chadha di naresh ki?
lekin dono ne hi puri koshish ki is bali wale pakriya ko rokne ke liye lekin ab kya kare writer sahab villain logis matlab kaldut ke logo ko kuch zyada hi powerful bana diya hai...
hmm.... to kya sach mein ab kaldut azad ho jayega kya phir se wo raaj karega... kya iske chalte chaaro aurr sirf aur sirf burayi hi reh jayegi... ya ab bhi koi last hope hai is bali pratha ko rokne ki..?
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
abi jab tak villain takatwar nahi hoga tab tak ladne mai maja bhi nai ayega na :D
kaaldoot ka azad hona to tay hai bali prakriya purn ho chuki hai dekhna hai ye ki kya ye log kaaldoot ko apna samrajya banane se rok payenge
:thanks:
 
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