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Adultery तेरे प्यार में .....

Napster

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#३१

“बाबा, इस से कहो की ये चली जाये यहाँ से ” मैंने कहा

भाभी- बाबा, मैं कबीर से अकेले में बात करना चाहती हु

बाबा मौके की नजाकत को समझते हुए उठ कर चले गए.

“कुछ कहना था तुमसे ” भाभी मेरे पास बैठते हुए बोली

मैं- कहने सुनने को कुछ नहीं बचा अब , तमाम रिश्ते राख हो चुके है मेरे लिए. मैं लिहाज भूल चूका हु इस से पहले की मेरे मुह से कुछ उल्टा सीधा निकल जाये चली जाओ यहाँ से

भाभी- किस बात का गुरुर है तुझे कबीर इतना

मैं- ये तुम कहती हो भाभी , गुरुर की बात तुम करती हो . गुरुर तो तब था जब हवेली को तोड़ रही थी तुम

भाभी- सौ हवेलिया तुझ पर वार दू पर काश तू समझ पाए

मैं- उफ्फ्फ,ये अदाए कातिल ही गुनाह को सही ठहराए

भाभी- मेरी सिर्फ इतनी चाहत है की तुम सुख से रहो. तुम अपने साथ साथ मंजू की जिन्दगी भी ख़राब कर रहे हो

मैं- तुम्हे उसकी फ़िक्र करने की जरुरत नहीं मुद्दे की बात करो

भाभी- तुम चले जाओ यहाँ से

मैं- रहना भी नहीं चाहता यहाँ पर

भाभी- शायद यही अच्छा रहे सब के लिए

मैं- वैसे भी बचा ही क्या है इस से ज्यादा क्या ही खराबी होगी

भाभी- हमाम में हम सब नंगे ही है

मैं- तुम थोड़ी ज्यादा नंगी हो

भाभी- ऐसे क्यों हो तुम

मैं- ऐसा तुमने बनाया भाभी

भाभी- मैंने, कितना आसान है न अपनी कमीज को दुसरो से ज्यादा उजली समझना

मैं- ये समय गिले शिकवो का तो हरगिज नहीं है वैसे भी ऐसा कोई रास्ता नहीं बचा जिसकी मंजिल तुम हो

भाभी- इस्तेमाल करने के बाद अकसर ऐसा ही होता है, दोष तुम्हारा नहीं ज़माने का दस्तूर ही यही है

मैं- दुनिया, तेरे और मेरे बीच दुनिया तो कभी आई ही नहीं भाभी . दुनिया तो तुम ही थी ना

भाभी- वो दुनिया उजड़ गयी कबीर.

मैं- तो फिर क्यों उसकी राख में ऐसी चिंगारी तलाश रही हो जो अगर भड़की तो फिर रहा सहा भी सुलग जायेगा

भाभी- कैसे समझाऊ तुझे मैं

मैं- फिलहाल मुझे कही जाना है और यदि हम दुबारा न मिले तो बेहतर होगा तुम्हारे लिए भी और मेरे लिए भी . एक बार फिर से मैं नहीं चाहता की मेरी वजह से तेरे घर में मुसीबत आये.

भाभी ने फिर कुछ नहीं कहा जाते जाते बस एक नजर भर कर मुझे देखा और चली गयी. खैर, थोड़ी देर बाद मैं मंजू को लेकर खेतो पर आ गया.

मंजू- इस जगह का मोह कब छोड़ेगा तू

मैं- प्रेम है पगली मोह होता तो कब का छूट जाता.

मंजू- तेरी इन बातो में जो एक बार आया फिर छुट न पाया.

मैं- चूत देगी क्या

मंजू- जानती थी इसीलिए लाया है खेतो पर

मैं- मन में आ गयी यार.

मंजू- चलने से पहले ले लिए

मैं- तुझे क्या लगता है फसल लायक कब तक हो जाएगी ये जमीन

मंजू- जब तक सावन रहेगा सफाई का कोई फायदा नहीं. जितनी बारिश पड़ेगी उतनी मुश्किल बढ़ेगी.

मैं- तुझे क्या लगता है घर वालो ने इतनी उपजाऊ धरा को बंजर क्यों होने दिया.

मंजू- मेहनत कोई करना ही नहीं चाहता था कबीर, बड़े ताउजी फ़ौज से रिटायर होने के बाद या तो ताश खेलते थे या फिर दारू में धुत्त रहते थे, चाचा का अपना धंधा पानी था, भैया-भाभी ने सबसे नाता तोड़ लिया तो जमीन भी रूठ गयी.

मैं- मैं सोचता हूँ इधर ही घर बना लू , तू बता कैसा रहेगा

मंजू- इधर , इस बियाबान में क्या ही करेगा रह कर. आदमी को जीने के लिए बस्ती तो चाहिए ही न

मैं- बस्ती में कोई रहने नहीं देता इधर तू मना कर रही है जाऊ तो कहाँ जाऊ

मंजू- तू जहाँ रहेगा वो जगह घर अपने आप बन जाएगी.

मैं- आ जंगल में चलते है घुमने

मंजू- क्या है तेरे मन में

मैं-बस इतना की तू पनाह दे तेरे आगोश में थोड़ी देर के लिए. आ तुझे कुछ दिखाता हु

जल्दी ही बाड के छेद से होते हुए हम दोनों जंगल में पहुँच गए थे , तालाब के पास से होते हुए हम दोनों उसी जली झोपडी के पास पहुंचे , हालाँकि झोपडी का नमो निशान मिट चूका था .

“क्या ” मंजू ने कहा

मैं- मान ले तू इतनी दूर इस जगह चुदने के लिए क्यों आएगी.

मंजू- मेरा दिमाग ख़राब है क्या , जब मैं कही भी चुद सकती हु तो इधर क्यों

मैं- विचार कर. जंगल में इतनी गहराई में कोई चुदने के लिए आएगा तो दो ही बात हो सकती है

मंजू- पहचान तो नहीं छुपाना चाहती होगी जो भी होगी . क्योंकि जंगल में इतना गहराई में गाँव की औरते आती ही नहीं .

मैं- पहचान का मुद्दा नहीं है मंजू कोई औरत इतनी गहराई में दो ही कारण से आ सकती है पहला की वो जंगल को अच्छे से समझती है दूसरा ये की जरुर वो किसी नाजुक रिश्ते में चुद रही हो.

मंजू- दोनों ही कारण बेतुके है कबीर, सिर्फ चुदाई के लिए तो कोई नहीं आएगा, क्योंकि गाँव में मौके बहुँत मिल जाते है इस कम के लिए . मैं ये मानती हु की चुदाई के अलावा कोई दूसरी वजह होगी

मैं- और क्या वजह हो सकती है

मंजू- कबीर, तुझे याद है बचपन में हम लोग ताउजी को खाना देने के लिए जंगल में बनी चोकी पर जाते थे.

मैं- हां

मंजू- तब ताउजी हमें क्या बताया करते थे

मैं- याद है मुझे

मंजू- जंगल हमारा दूसरा घर है , ये तमाम वो चीजे देता है जिसकी हमें जरुरत है पानी, लकडिया फल आदि. तो कबीर ये जंगल किसी और का भी तो घर हो सकता है न . अब गाँव बस्ती में इतने लोग है हो सकता है कोई न कोई भटकता फिर रहा हो इसमें सामान्य कुछ भी नहीं

मैं- यहाँ एक झोपडी होती थी और मुझे पूर्ण विश्वास है की कोई न कोई उसमे चुदती थी जरुर

मंजू- मैं इंकार नहीं करती तेरी बात से पर वो कोई भी हो सकता है न

मैं- चल छोड़ इस बात को और नाडा खोल ले अब

मंजू- खेत पर ही कर लियो चारपाई भी है उधर .

मैं- पेड़ के पास झुक जा

मंजू- मजा नहीं आयेगा उसमे

हम दोनों हंस दिए, खेत पर वापिस आने के बाद हमने चुदाई का आनंद लिया और हम ताई जी के घर आ गए. मैं ये सारी बाते निशा के साथ करना चाहता था , मैंने सोचा की जब हीरो के बड़े खरीदार से मिलने जाऊंगा तभी उसके लिए सन्देश भेजूंगा.

“ताईजी मैं खेतो पर दुबारा खेती करने को लेकर बहुत ही गंभीर हु ” मैंने कहा

ताई- कबीर, यदि तुम्हारी इच्छा है तो कर लो पर मेरा ये मानना है की जमीन की हालत खस्ता है बहुत मेहनत लगेगी

मैं- कर लेंगे उसमे क्या है

ताई- ठीक है फिर .

मैं- बहन भाई नहीं आये परिवार में मौत की खबर नहीं क्या उनको

ताई- जान कर ही मैंने उनको खबर नहीं की

मैं- परिवार के दुःख में शामिल होना चाहिए उनको

ताई- बेशक, पर आजकल की औलाद अपनी मर्जी करती है गाँव से इस घर से उनको कोई मोह नहीं रहा शहर ही उनकी जिन्दगी है . मैंने भी इस सच को स्वीकार कर लिया

मैंने फिर कुछ नहीं कहा. अगले दिन मैं शहर पहुँच गया , जोहरी की दुकान पर , उसने मुझे देखा और अन्दर आने को कहा और जब मैं उसके अन्दर वाले ऑफिस में पहुंचा तो खरीदार को देख कर मेरी आँखों ने पहचानने से मना कर दिया.

“तुम, तो तुम हो उन हीरो की खरीदार . तुम, तुमने छुपाया मुझसे. इसका मतलब वो सब झूठ था . ” मैंने अविश्वास से कहा

“हां मैं कबीर, सब कुछ मैं ही तो हु ” उसने मुस्कुराते हुए मुझे सीने से लगा लिया
बहुत ही सुंदर लाजवाब और खुबसुरत अपडेट है भाई मजा आ गया
ये अध्याय से तो पक्का हो गया की भाभी और कबीर के बीच काफी नाजूक अंतरंग संबंध रहें होगे
मंजु और कबीर के बीच का रीस्ता हर संबंधों के परे हैं
शहर में में ये हिरा खरीदने आया कौन हैं
खैर देखते हैं आगे
 

dhparikh

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#३१

“बाबा, इस से कहो की ये चली जाये यहाँ से ” मैंने कहा

भाभी- बाबा, मैं कबीर से अकेले में बात करना चाहती हु

बाबा मौके की नजाकत को समझते हुए उठ कर चले गए.

“कुछ कहना था तुमसे ” भाभी मेरे पास बैठते हुए बोली

मैं- कहने सुनने को कुछ नहीं बचा अब , तमाम रिश्ते राख हो चुके है मेरे लिए. मैं लिहाज भूल चूका हु इस से पहले की मेरे मुह से कुछ उल्टा सीधा निकल जाये चली जाओ यहाँ से

भाभी- किस बात का गुरुर है तुझे कबीर इतना

मैं- ये तुम कहती हो भाभी , गुरुर की बात तुम करती हो . गुरुर तो तब था जब हवेली को तोड़ रही थी तुम

भाभी- सौ हवेलिया तुझ पर वार दू पर काश तू समझ पाए

मैं- उफ्फ्फ,ये अदाए कातिल ही गुनाह को सही ठहराए

भाभी- मेरी सिर्फ इतनी चाहत है की तुम सुख से रहो. तुम अपने साथ साथ मंजू की जिन्दगी भी ख़राब कर रहे हो

मैं- तुम्हे उसकी फ़िक्र करने की जरुरत नहीं मुद्दे की बात करो

भाभी- तुम चले जाओ यहाँ से

मैं- रहना भी नहीं चाहता यहाँ पर

भाभी- शायद यही अच्छा रहे सब के लिए

मैं- वैसे भी बचा ही क्या है इस से ज्यादा क्या ही खराबी होगी

भाभी- हमाम में हम सब नंगे ही है

मैं- तुम थोड़ी ज्यादा नंगी हो

भाभी- ऐसे क्यों हो तुम

मैं- ऐसा तुमने बनाया भाभी

भाभी- मैंने, कितना आसान है न अपनी कमीज को दुसरो से ज्यादा उजली समझना

मैं- ये समय गिले शिकवो का तो हरगिज नहीं है वैसे भी ऐसा कोई रास्ता नहीं बचा जिसकी मंजिल तुम हो

भाभी- इस्तेमाल करने के बाद अकसर ऐसा ही होता है, दोष तुम्हारा नहीं ज़माने का दस्तूर ही यही है

मैं- दुनिया, तेरे और मेरे बीच दुनिया तो कभी आई ही नहीं भाभी . दुनिया तो तुम ही थी ना

भाभी- वो दुनिया उजड़ गयी कबीर.

मैं- तो फिर क्यों उसकी राख में ऐसी चिंगारी तलाश रही हो जो अगर भड़की तो फिर रहा सहा भी सुलग जायेगा

भाभी- कैसे समझाऊ तुझे मैं

मैं- फिलहाल मुझे कही जाना है और यदि हम दुबारा न मिले तो बेहतर होगा तुम्हारे लिए भी और मेरे लिए भी . एक बार फिर से मैं नहीं चाहता की मेरी वजह से तेरे घर में मुसीबत आये.

भाभी ने फिर कुछ नहीं कहा जाते जाते बस एक नजर भर कर मुझे देखा और चली गयी. खैर, थोड़ी देर बाद मैं मंजू को लेकर खेतो पर आ गया.

मंजू- इस जगह का मोह कब छोड़ेगा तू

मैं- प्रेम है पगली मोह होता तो कब का छूट जाता.

मंजू- तेरी इन बातो में जो एक बार आया फिर छुट न पाया.

मैं- चूत देगी क्या

मंजू- जानती थी इसीलिए लाया है खेतो पर

मैं- मन में आ गयी यार.

मंजू- चलने से पहले ले लिए

मैं- तुझे क्या लगता है फसल लायक कब तक हो जाएगी ये जमीन

मंजू- जब तक सावन रहेगा सफाई का कोई फायदा नहीं. जितनी बारिश पड़ेगी उतनी मुश्किल बढ़ेगी.

मैं- तुझे क्या लगता है घर वालो ने इतनी उपजाऊ धरा को बंजर क्यों होने दिया.

मंजू- मेहनत कोई करना ही नहीं चाहता था कबीर, बड़े ताउजी फ़ौज से रिटायर होने के बाद या तो ताश खेलते थे या फिर दारू में धुत्त रहते थे, चाचा का अपना धंधा पानी था, भैया-भाभी ने सबसे नाता तोड़ लिया तो जमीन भी रूठ गयी.

मैं- मैं सोचता हूँ इधर ही घर बना लू , तू बता कैसा रहेगा

मंजू- इधर , इस बियाबान में क्या ही करेगा रह कर. आदमी को जीने के लिए बस्ती तो चाहिए ही न

मैं- बस्ती में कोई रहने नहीं देता इधर तू मना कर रही है जाऊ तो कहाँ जाऊ

मंजू- तू जहाँ रहेगा वो जगह घर अपने आप बन जाएगी.

मैं- आ जंगल में चलते है घुमने

मंजू- क्या है तेरे मन में

मैं-बस इतना की तू पनाह दे तेरे आगोश में थोड़ी देर के लिए. आ तुझे कुछ दिखाता हु

जल्दी ही बाड के छेद से होते हुए हम दोनों जंगल में पहुँच गए थे , तालाब के पास से होते हुए हम दोनों उसी जली झोपडी के पास पहुंचे , हालाँकि झोपडी का नमो निशान मिट चूका था .

“क्या ” मंजू ने कहा

मैं- मान ले तू इतनी दूर इस जगह चुदने के लिए क्यों आएगी.

मंजू- मेरा दिमाग ख़राब है क्या , जब मैं कही भी चुद सकती हु तो इधर क्यों

मैं- विचार कर. जंगल में इतनी गहराई में कोई चुदने के लिए आएगा तो दो ही बात हो सकती है

मंजू- पहचान तो नहीं छुपाना चाहती होगी जो भी होगी . क्योंकि जंगल में इतना गहराई में गाँव की औरते आती ही नहीं .

मैं- पहचान का मुद्दा नहीं है मंजू कोई औरत इतनी गहराई में दो ही कारण से आ सकती है पहला की वो जंगल को अच्छे से समझती है दूसरा ये की जरुर वो किसी नाजुक रिश्ते में चुद रही हो.

मंजू- दोनों ही कारण बेतुके है कबीर, सिर्फ चुदाई के लिए तो कोई नहीं आएगा, क्योंकि गाँव में मौके बहुँत मिल जाते है इस कम के लिए . मैं ये मानती हु की चुदाई के अलावा कोई दूसरी वजह होगी

मैं- और क्या वजह हो सकती है

मंजू- कबीर, तुझे याद है बचपन में हम लोग ताउजी को खाना देने के लिए जंगल में बनी चोकी पर जाते थे.

मैं- हां

मंजू- तब ताउजी हमें क्या बताया करते थे

मैं- याद है मुझे

मंजू- जंगल हमारा दूसरा घर है , ये तमाम वो चीजे देता है जिसकी हमें जरुरत है पानी, लकडिया फल आदि. तो कबीर ये जंगल किसी और का भी तो घर हो सकता है न . अब गाँव बस्ती में इतने लोग है हो सकता है कोई न कोई भटकता फिर रहा हो इसमें सामान्य कुछ भी नहीं

मैं- यहाँ एक झोपडी होती थी और मुझे पूर्ण विश्वास है की कोई न कोई उसमे चुदती थी जरुर

मंजू- मैं इंकार नहीं करती तेरी बात से पर वो कोई भी हो सकता है न

मैं- चल छोड़ इस बात को और नाडा खोल ले अब

मंजू- खेत पर ही कर लियो चारपाई भी है उधर .

मैं- पेड़ के पास झुक जा

मंजू- मजा नहीं आयेगा उसमे

हम दोनों हंस दिए, खेत पर वापिस आने के बाद हमने चुदाई का आनंद लिया और हम ताई जी के घर आ गए. मैं ये सारी बाते निशा के साथ करना चाहता था , मैंने सोचा की जब हीरो के बड़े खरीदार से मिलने जाऊंगा तभी उसके लिए सन्देश भेजूंगा.

“ताईजी मैं खेतो पर दुबारा खेती करने को लेकर बहुत ही गंभीर हु ” मैंने कहा

ताई- कबीर, यदि तुम्हारी इच्छा है तो कर लो पर मेरा ये मानना है की जमीन की हालत खस्ता है बहुत मेहनत लगेगी

मैं- कर लेंगे उसमे क्या है

ताई- ठीक है फिर .

मैं- बहन भाई नहीं आये परिवार में मौत की खबर नहीं क्या उनको

ताई- जान कर ही मैंने उनको खबर नहीं की

मैं- परिवार के दुःख में शामिल होना चाहिए उनको

ताई- बेशक, पर आजकल की औलाद अपनी मर्जी करती है गाँव से इस घर से उनको कोई मोह नहीं रहा शहर ही उनकी जिन्दगी है . मैंने भी इस सच को स्वीकार कर लिया

मैंने फिर कुछ नहीं कहा. अगले दिन मैं शहर पहुँच गया , जोहरी की दुकान पर , उसने मुझे देखा और अन्दर आने को कहा और जब मैं उसके अन्दर वाले ऑफिस में पहुंचा तो खरीदार को देख कर मेरी आँखों ने पहचानने से मना कर दिया.

“तुम, तो तुम हो उन हीरो की खरीदार . तुम, तुमने छुपाया मुझसे. इसका मतलब वो सब झूठ था . ” मैंने अविश्वास से कहा


“हां मैं कबीर, सब कुछ मैं ही तो हु ” उसने मुस्कुराते हुए मुझे सीने से लगा लिया
Nice update.....
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#32

“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो

दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
 

Napster

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“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो

दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
बहुत ही शानदार लाजवाब और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
तो हिरा खरीदने रत्ना आ गयी जिसके लिए कबीर गाजी बाबा से भीड गया और लगबग उसके साम्राज्य को खत्म कर दिया
रत्ना तो उसकी गाडी और ट्रक ॲक्सीडंट में अपनी जान गवा बैठी लेकीन ये ट्रक का मालिक कौन हैं जिसका नाम सुनकर कबीर भौचक्का रह गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

parkas

Well-Known Member
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#32

“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो


दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....
Nice and lovely update....
 

vihan27

Be Loyal To Your Future, Not Your Past..
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#32

“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो


दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
Lajawab update Bhai, har bar suspense pe aake chor dete ho....
 

R_Raj

Engineering the Dream Life
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#32

“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो


दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.

Are Bc Ye To Ratna Nikal Gayi
Par Kiase?, Wo To Makan Malkin Thi n ?
Aur Bc Mar Bhi Gyi, Bina Kuch Bataye!

Lajwab Update Bro !
Ab Ye Truck KIska Hai ?
 
Last edited:

kamdev99008

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सारी ही चूतें कबीर का चूतिया काटने में लगीं हैं
अब ट्रक ताई का है या मंजू का? चाची और भाभी की तो कबीर उम्मीद कर सकता था

अब तक सिर्फ चूत मारी इन सबकी, अब गांड़ फाड़नी पड़ेगी.... वो भी बिना लण्ड डाले ।
तभी इन सबको कबीर का वजूद महसूस होगा

#32

“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा

“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा

“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा

“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा

मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया

“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा

“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.

“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा

मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू

“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा

“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा

रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .

मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना

रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.

मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था

रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.

मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.

रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ

मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था

रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी



“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .

“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया

मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है

दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो

मैं- उसे मैं मारूंगा .

दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.

मैं- ट्रक किसका था .

दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत

मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.

महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.

“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा

मैं- कौन है वो


दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
 
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