Naik
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Manju ke Saath mast pyar Bharat pal gujara#१०
धीरे से मंजू ने अपना मुह खोला और मेरी जीभ उसकी जीभ से उलझने लगी. उसके होंठो का रस आज भी ऐसा ही था जैसा पहले चुम्बन पर महसूस किया था. जल्दी ही वो मेरी गोदी में बैठी चुम्बन में खोई हुई थी . उसके होंठो , उसके गालो को बार बार चूमा मैंने. धीरे से हाथ उसकी चुचियो पर सरकाया और भींचा उन्हें.
“कबीर, खाना बना लेने दे मुझे ” बोली वो
मैं- मैं कहाँ तुझे रोक रहा हु
मंजू- मानेगा नहीं न तू
मैंने मंजू के पैरो को फैलाया और उसकी सलवार का नाडा खोल दिया. हाथ ने जैसे ही उसकी गर्म चूत को छुआ मंजू के बदन में सरसराहट बढ़ने लगी.
“तेरी चूत बहुत गर्म है मंजू ” मैंने उसके कान को दांतों से काटते हुए कहा .
मंजू- पसंदीदा मर्द के लिए हर औरत की चूत गर्म ही रहती है. तू पहले चोद ले खाना उसके बाद ही बनाउंगी चल बेड पर चल.
मंजू गोदी से उठी और तुरंत ही नंगी हो गयी. उसने निर्वस्त्र देखने का भी अपना ही सुख था. बेड पर आते ही मंजू ने पैरो को चौड़ा कर लिया. काले झांटो से भरी उसकी चूत एक बार फिर से मुझे निमंत्र्ण दे रही थी की आ और समां जा मुझमे.
“बनियान तो उतार ले ” बोली वो
मैं-रहने दे .
मैंने अपने सर को चूत पर झुकाया और चूत के दाने को अपने मुह में भर लिया.
“कमीने , उफ्फ्फ तेरी ये अदा ” मंजू ने अपनी गांड को ऊपर उठाया और सर पर अपने दोनों हाथ टिका लिए. चूत के नमकीन रस को पीते हुए मैं मंजू के बदन की उत्तेजना को चरम पर ले जा रहा था . कभी कभी मैं अपने दांत उसकी जांघो पर गडा देता तो वो सिसक उठती. चूत से आती कामुम सुंगंध मेरे लंड की ऐंठन बढ़ा रही थी तो मैंने भी देर करना मुनासिब नहीं समझा और लंड को चूत पर रगड़ने लगा.
“तडपाने की आदत गयी नहीं तेरी अभी तक. ” मंजू ने मस्ती से भरे स्वर में कहा ठीक तभी मैंने लंड अन्दर को ठेल दिया और जल्दी ही उसकी जांघो पर मेरी जांघे चढ़ चुकी थी. अपनी गांड को ऊपर निचे करते हुए मंजू मेरे बालो में हाथ फेर रही थी मेरे कंधो को चूम रही थी.
“होंठ तो चूस ले जालिम ” शोखी से बोली वो
मुस्कुराते हुए मैंने उसका कहा माना और हमारी चुदाई शुरू हो गयी. कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर आ गयी और उछलने लगी. उसकी झांटो के बाल मेरे बदन पर चुभ रहे थे पर उस चुभन का भी अपना ही मजा था . उत्तेजनापूर्ण हरकते करते हुए मंजू ने अपने दोनों हाथ मेरी बनियान में घुसा दिए.मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी वो की अचानक उसने मेरी बनियान को फाड़ दिया और उसकी आँखे फैलती चली गयी.
“ये क्या है कबीर ” ज़ख्मो के निशान को देखती हुई बोली वो.
“ये घाव , कैसे है ये घाव. एक मिनट, तो , तो ये है वो वजह जिसकी वजह से तू दूर हुआ. किसने किया ये कबीर ” मंजू मेरे लंड से उतर कर बाजु में बैठ गयी. उसकी सवालिया नजरे मेरे मन में उतर रही थी ..
“बोलता क्यों नहीं ” थोडा गुस्से से बोली वो.
मैं- बस इसी सवाल का जवाब नहीं मालूम मुझे, अगर ये पता चल जाये तो बहुत सी मुश्किल आसान हो जाये.
मंजू- कुछ तो हुआ होगा न
मैं- कुछ हुआ ही तो नहीं था अगर कुछ होता तो बात ही क्या होती.थानेदार भर्ती की दौड़ पास करके वापिस लौट रहा ही था की अचानक से एक शोर सुनाई दिया, और फिर दर्द मेरी हड्डियों में समाता चला गया . होश आया तो मैं हॉस्पिटल में पड़ा था . बहुत समय लग गया पैरो पर खड़ा होने में
मंजू- खबर क्यों नहीं की तूने किसी को
मैं- खबर की थी मैंने , ख़त लिखा था पर उसके जवाब से फिर मन ही नहीं हुआ लौटने का . गाँव में तीन जश्न मनाये गए थे
मंजू- एक मिनट इसका मतलब तुझ पर हमला करने वाले परिवार में से ही कोई है
मैं- जो बह गया वो परिवार का खून था
मंजू- कौन कर सकता है तुझसे इतनी नफरत
मैं- मूझसे नफरत तो सब करते है मंजू, मेरा भाई, चाचा ताऊ कोई एक हो तो बताये
मंजू- तेरा चाचा तो है ही साला गांडू आदमी . आधे गाँव की गांड में बम्बू किया हुआ है उसने.
मैं- कुछ भी नहीं बचा यहाँ पर, लौटने का जरा भी मन नहीं था बहन की शादी की खबर हुई तो रोक नहीं सका खुद को और फिर तू मिल गयी. बस यही है कहानी.
मंजू- वैसे तेरा चाचा क्यों खुन्नस रखता है तुझसे.
मैं- जिसकी लुगाई मुझसे चुद रही वो खुन्नस ही तो रखेगा न
मंजू के चेहरे पर शरारती हंसी आ गयी.
“वैसे सही ही तोड़ी तेरी गांड किसीने, बहनचोद किस किस पर चढ़ गया तू. ” चूत को खुजाते हुए बोली वो.
मैं- चूत के लिए कोई किसी को नहीं मारता पर फिलहाल तेरी चूत जरुर मरेगी . ले मुह में ले ले इसे.
मैंने मंजू का सर लंड पर झुका दिया. उसने मुह खोला और सुपाडे को मुह में भर लिया.
“तेरे होंठ जब जब लंड पर लगते है कसम से वक्त रुक सा जाता है ” मैंने उसके बालो को सहलाते हुए कहा.
मंजू- बचपन में सेक्सी फिल्म देख कर इसे चुसना ही सीखा है जिन्दगी में
उसने कहा और दुबारा से चूसने लगी. कुछ देर बाद मैंने उसे बेड की साइड में झुकाया और चोदने लगा. एक सुखद चुदाई के बाद अब किसे भूख थी मंजू को बाँहों में लिए मैंने आँखे मूँद ली, मंजू की बातो ने एक बार मेरे मन में ये विचार ला दिया था की हमला आखिर किया किसने था. सुबह एक बार फिर से मैं हवेली में मोजूद था पिताजी के कमरे में .
“सबसे बड़ा धन तुम्हारा मन है बेटे मन का संगम तुम्हे वहां ले जायेगा जहाँ तुम उसे पाओगे जो होकर भी नहीं है पाया तो सब पाया छोड़ा तो जग छोड़ा ” पिताजी के अंतिम शब्द मेरे कानो में गूँज रहे थे.
Ab poori pariwar hi nafrat karta h tow koyi bhi ho Sakta h hamla Karne Wala
Dekhte h aage kabhi pata chalega kia ki kisne kaia tha