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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Wow!!! Nice update brother.

Phir se Lauren ki maut dimag mein taza ho gaya.

Saka ye Jack maal akele akele lutna chahta hai. Shama!!! Isliye kehte hain gaddar se dosti bilkul nahi nahi karna chahiye.

Let's see Taufiq ko kaisi saza milti hai!!! Taufiq kabhi sapne mein bhi nahi soch raha hoga ki koi uska sach janta hai, lekin ek kahawat hai na ki doshi kitna hi shatir kyun na sach kisi na kisi tarah samne aa hi jati hai.

Pahle wale question ka answer mujhe nahi pata hai Taufiq ko kya saza milni chahiye lekin ye toh crystal clear hai ki Taufiq ke bina mayavan ka tilism toda ja sakta hai.

Beautifully written brother 💕 🌹 💕
Bilkul theek kah rahe ho, tilishma ko uske bina bhi toda ja sakta hai,
Aur her ek gaddar ko saja bhi milni chahiye, jo ki milegi bhi, chahe wo kisi bhi tarah ki ho:shhhh:
Thank you so much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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To bhai log bas 3 aur update, and ye chapter khatam ho jayega, aur fir maayavan me pravesh kar jayenge:approve: Aur uske baad, agla padaav Tilishma :declare:
 

ak143

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#102.

इसी के साथ तौफीक और जैक ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल ली। जैक के हाथों में इस समय रबर के दस्ताने दिखाई दे रहे थे, जबकि तौफीक ने रिवाल्वर को अपने रुमाल से पकड़ रखा था।

दोनो की ही नजर एक ही जगह पर थी, पर उनके निशाने अलग-अलग थे।

जहां तौफीक के निशाने पर अंधेरे में चमकता वह लॉकेट था, वहीं जैक के निशाने पर जॉनी था क्यों की वह बैंक से लूटा हुआ पूरा पैसा हड़पना चाहता था।

तभी पूरे हॉल में एक फॅायर की आवाज गूंजी- “धांयऽऽऽऽऽऽ।"

अजीब सी किस्मत थी कि दोनों गोलियां एक साथ चली। तौफीक के द्वारा चलायी गयी गोली तो निशाने पर लगी, पर जैक के द्वारा चलाई गयी गोली स्टेज पर पीछे जाकर लकड़ी में धंस गयी।

जैक ने गोली चलाने के बाद अपनी रिवाल्वर वहीं पर फेंक दी। जबकि तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते धुंए को उड़ाया और फ़िर रिवाल्वर को अपनी जेब में डाल लिया।

दृश्य-11

जेनिथ डारथी के कमरे से बाहर निकलकर डेक की ओर चल दी।

जेनिथ ने गलती से डारथी के कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। तौफीक छिपकर यह सब देख रहा था।

जेनिथ के जाते ही वह धीरे से डारथी के कमरे में घुस गया। किस्मत से डारथी इस समय स्नानघर में थी।

तौफीक को जेनिथ का पर्स वहीं बेड पर पड़ा हुआ दिखाई दिया। तौफीक को पता था कि जेनिथ के कमरे की चाबी जेनिथ के पर्स में है, उसने जेनिथ के पर्स से जेनिथ के रूम की चाबी निकाली और चुपचाप पर्स को बंद कर बाहर आ गया।

तौफीक ने एक नजर गैलरी में मारी और फ़िर धीरे से चाबी को जेनिथ के रूम के की-होल में लगाकर जेनिथ के रूम का दरवाजा खोल दिया।

तौफीक की नजर अब तेजी से हर अलमारी को उलझने में लग गयी।

“लॉरेन ने कहा था कि उसने मेरी और उसकी फोटो को अलमारी में ही रखा है।" तौफीक मन ही मन बुदबुदाया।

पर आधा घंटे के बाद भी जब तौफीक को फोटो नहीं मिली तो उसने अपनी जेब से ट्रेंच सिगरेट निकाली और वहीं सोफे पर बैठकर पीने लगा।

अभी उसने आधी सिगरेट ही पी थी कि तभी उसे लगा कि कहीं वह फोटो लॉरेन की जेब में ही तो नहीं थी। यह सोच तौफीक ने घबराकर अपनी सिगरेट बुझाई और अपने जेब से निकालकर एक स्प्रे अपने पूरे शरीर पर किया। इस स्प्रे के प्रभाव से तौफीक के शरीर की गंध छिप गयी।

अब वह तेजी से कमरे से निकलकर स्टोर रूम की ओर भागा। स्टोर रूम का दरवाजा खुला हुआ था।

तौफीक ने स्टोर रूम के दरवाजे को अंदर की ओर धक्का दिया। दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया।

तौफीक स्टोर रूम में दाख़िल हो गया। तौफीक ने पहले उसे जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी गयी थी, पर वहां लाश को ना पाकर तौफीक घबरा गया और वह स्टोर रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से बाहर निकल गया।

तभी तौफीक को दूसरे डेक पर खड़ा एक सुरक्षा गार्ड दिखाई दिया।

सुरक्षा गार्ड को देख तौफीक वहीं रखे ड्रम के पीछे छिप गया। छिपते वक्त तौफीक की जेब में रखा लॉरेन का दिया हुआ नीला चेकदार रूमाल वहीं गिरगया, जिसे तौफीक देख नहीं पाया।

सुरक्षा गार्ड के जाते ही तौफीक ने 2 खम्भों के पास गिणत के 8 का निशान बनाया और वहां से निकल गया।

तौफीक ने ब्रेंडन के मुंह से ब्रूनो की बात सुन ली थी। उसे लगा कि कहीं कैप्टन उसका पीछा ब्रूनो से ना करवाये।

अब तौफीक एक गैलरी से निकलकर जा रहा था कि तभी क्रिस्टी के रूम से आती आवाज ने उसके कदमों को उधर मोड़ दिया।

क्रिस्टी के कमरे से एक हरा कीड़ा उछलता हुआ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, जिसे तौफीक ने एक गार्ड के हाथ से रिवाल्वर छीनकर मार दिया।

दृश्य-12

तौफीक बिना आवाज किये लैब में प्रविष्ट हो गया।
थॉमस अपनी लैब में बैठा हुआ था। उसके बगल में रूमाल का एक ढेर लगा था।

वह बार-बार अलग-अलग रूमाल उठाता और उस पर कोई केमिकल डालकर रूमाल को चेक कर रहा था।

अचानक एक रूमाल पर केमिकल डालते ही उसकी आँखे चमक उठी। रूमाल पर कुछ छोटे-छोटे कण अब चमकने लगे थे।

“निश्चित ही यह बारूद के कण हैं।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया-“इसका मतलब है कि जिसने भी हॉल में लॉरेन को गोली मारी, यह रूमाल उसी का है और उसने रिवाल्वर को रूमाल से पकड़ रखा था।"
रूमाल का एक हिस्सा रिवाल्वर की नाल की वजह से थोड़ा जल भी गया था, जो अब थॉमस को साफ दिख रहा था। रूमाल से अभी भी संदल की खुशबू आ रही थी।

थॉमस ने तुरंत रूमाल को उठाकर उसे पीछे पलटा। रूमाल के पीछे की ओर तौफीक का नाम और उसका रूम नंबर पड़ा था।

“खाना खाने नहीं चलना है क्या सर?" पीछे से उसके सहायक पीटर ने आवाज लगाई- “सभी लोग लंच के लिए जा चुके हैं, बस हम ही लोग बाकी बचे हैं।"

“2 मिनट रुक जाओ पीटर। ........ या फिर ऐसा करो कि तुम खाने के लिए चलो, मैं बस थोड़ी ही देर में आ रहा हूँ।" थॉमस ने पीटर से कहा।

“ओ.के. सर।" कहकर पीटर रूम से बाहर निकल गया, शायद उसे तेज भूख लगी थी।

“मुझे तुरंत कैप्टन को कातिल का नाम बता देना चाहिए।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया।
यह सोचकर वह फोन की ओर बढ़ गया।

थॉमस को फोन की ओर बढ़ते देख तौफीक ने वहां रखे दूसरे फोन का रिसीवर उठा लिया।

थॉमस ने जैसे ही फोन को उठाकर अपने कान से लगाया, उसे फोन पर तौफीक खरखराती आवाज सुनाई दी- “तुझे अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या? जो मेरे बारे में कैप्टन को बताने जा रहा है।"

एकदम से फोन पर आयी आवाज ने थॉमस को चोंका दिया। वह एक पल में समझ गया कि इस फोन के पैरलल में लगे किसी फोन पर तौफीक मौजूद है और वह उसे भली भाँति देख रहा है। यह अहसास ही उसे एक पल के लिये कंपा गया।

थॉमस ने तुरंत आसपास के सभी फोन पर नजर मारी। उसकी निगाहें एक दिशा में जाकर ठहर गई। एक खंभे के पास अंधेरे में खड़ा, उसे तौफीक नजर आया। जो उसी की तरफ देख रहा था।

“कौन हो तुम?" थॉमस ने हिम्मत करते हुए जोर से पूछा और फिर रिसीवर को धीरे से क्रैडल पर रख दिया।

“अभी-अभी तुमने मेरा नाम रूमाल पर से पढ़ा तो है, फिर भी भूल गए।" तौफीक की गुर्राती हुई आवाज वातावरण में गूंजी।

“तो क्या तुम ......?"

“मेरा नाम लेने की कोशिश मत करो।" तौफीक ने थॉमस के शब्दो को बीच में ही काटते हुए, उसे चुप करा दिया- “क्योंकी मेरे हिसाब से हवा के भी कान होते हैं और मैं नहीं चाहता कि मेरी आवाज, मेरा नाम अभी किसी तक पहुंचे।"
“क्या चाहते हो तुम?" थॉमस के शब्दो में भय साफ नजर आ रहा था।

“अजीब पागल हो तुम ......।" तौफीक के स्वर में खतरनाक भाव आ गये- “अब जब तुमने मेरा नाम ‘जान’ लिया है, तो अब मैं भी तुम्हारी ‘जान’ ही लूंगा।"

“तुम ..... तुम मुझे नहीं मार सकते।" थॉमस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

थॉमस की आँखे अब अंधेरे में भी तौफीक के हाथ में थमे रिवाल्वर को स्पस्ट देख रही थी।

और इससे पहले कि थॉमस अपने बचाव में कुछ कर पाता, एक ‘पिट्’ की आवाज हुई और एक गोली उसके गले में सुराख कर गई।

थॉमस किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से फ़र्श पर गिर गया। उसकी आँखों में आश्चर्य के भाव थे। शायद मरते दम तक उसे अपनी मौत पर विश्वास नहीं था।

तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते हुए धुंए को फूंक मारकर हवा में उड़ाया और फिर रिवाल्वर की नाल पर लगा साइलेंसर हटाकर, दोनों ही चीज अपनी जेब के हवाले कर ली।
अब तौफीक रूमाल के ढेर के पास पहुंच गया।

उसने अपनी जेब में हाथ डालकर एक लाईटर निकाल लिया। ‘खटाक’ की आवाज के साथ लाइटर ऑन हुई और उससे निकलती हुई लौ ने तुरंत ही रूमाल के गट्ठरों को अपने घेरे में ले लिया।

तौफीक ने एक-दो जलते हुए रूमाल थॉमस के ऊपर व कुछ रूमाल कमरे में इधर-उधर फेंक दिये।
धीरे-धीरे पूरे कमरे ने आग पकड़ ली।

कुछ ज्वलनशील रसायन को भी आग ने अपने घेरे में ले लिया। तौफीक अब सधे कदमों से रूम के बाहर निकला और एक दिशा में चल दिया।

कुछ आगे जाने पर उसकी रफ़्तार एकाएक तेज हो गई। अब वह तेजी से चिल्ला रहा था- “आग.....आग .....लैब में आग लग गई......गार्ड.....गार्ड..जल्दी सीजफायर लाओ।"

उसके चिल्लाते ही बहुत से लोगों का का ध्यान उस ओर आकर्षित हो गया।

तब तक लैब से काला धुआं निकलने लगा था। बहुत से लोग लैब से धुंआ निकलते देख वहां पर एकत्रित हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर आग बुझाने के यन्त्र निकाल लिये। वह सिलेंडर हाथ में लेकर लैब में घुस गए।

आग अभी इतनी ज्यादा नहीं फैली थी कि उसे बुझाया न जा सके। धीरे-धीरे गार्ड्स ने आग पर काबू पा लिया।
तौफीक भी अब भीड़ में शामिल हो गया था। आग पर नियंत्रण होते देख उसके चेहरे पर एक दबी-दबी सी मुस्कान आ गयी।

इसी के साथ नक्षत्रा ने रुका हुआ समय फिर से चालू कर दिया और जेनिथ के सामने दिखने वाले दृश्य हवा में विलोप हो गये।

इसी के साथ जेनिथ वहां पर लहराकर गिर गयी। उसके गिरने की आवाज काफ़ी तेज थी, जिसे सुनकर अल्बर्ट की खुल गयी। उसने दूर जेनिथ को पड़ा देखा तो सबको उठा दिया।
सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।

“क्या हुआ जेनिथ?" तौफीक ने जेनिथ का हाथ पकड़ते हुए पूछा।

तौफीक के हाथ पकड़ते जेनिथ को बहुत तेज़ गुस्सा आया, तभी उसे अपने मस्तिष्क में नक्षत्रा की आवाज सुनाई दी- “अपनी भावनाओं पे नियंत्रण करो दोस्त...तुमने मुझसे वादा किया था।"

यह सुन जेनिथ ने अपने गुस्से को अंदर दबाया, पर तौफीक का हाथ अपने हाथ से धीरे से छुड़ाते हुए कहा- “कुछ नहीं हुआ मुझे ... बस थोड़ी सी बेचैनी हो रही थी इसिलये टहलने आ गयी थी। टहलते-टहलते चक्कर आ गया था बस।"

यह सुनकर सबने राहत की साँस ली।

“बहुत अच्छे दोस्त... अच्छा नियंत्रण किया तुमने।" नक्षत्रा ने कहा- “थोड़ा सा ठहर जाओ, वक्त आने पर इस तौफीक से भी निपट लेंगे, बस तुम अपने होश को संभाले रखो।"

“मैं अब ठीक हूँ।" जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा से कहा- “और बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे आइना दिखाने के लिये।"

इतना कहकर जेनिथ उठी और क्रिस्टी के साथ वापस सोने वाले स्थान की ओर चल दी।



जारी रहेगा______✍️
Nice update 👌👌
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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जब यह कहानी शुरू हुई थी, तब लग रहा था कि यह कोई मर्डर मिस्ट्री बनेगी।
और जब तक बरमूडा / अटलांटिस वाली घटनाएँ शुरू नहीं हुई थीं, तब तक एक बहुत ही बढ़िया मर्डर मिस्ट्री थी - अगर उतना भी रहती तो।
लेकिन मर्डर, इंटरनेशनल स्मगलिंग इत्यादि तो बस मामूली सब-प्लॉट बन कर रह गए।
और जो मुख्य प्लाट निकला, उसकी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सका!

लगता है कि अगर कहानी का स्कोप बस उतना ही रहता, तो मेरे जैसे पाठक एक बेहतरीन sci-fi fantasy नॉवेल पढ़ने से वंचित रह जाते।

बहुत ही बढ़िया Raj_sharma राज भाई! बहुत ही बढ़िया। 👏👏👏

तौफ़ीक़ का राज़ हम सभी के सामने है। यह तो सबसे बड़ा विलेन निकला।
अगर छोटी मोटी बदमाशियों के लिए जॉनी गोरिल्ला बन सकता है, तब तो तौफ़ीक़ जैसे जघन्य अपराधी के लिए बेहद कठोर और दहला देने वाली सज़ा मुक़र्रर होनी चाहिए।
कम से कम अब ज़ेनिथ को उसकी सच्चाई अच्छी तरह से पता चल गई है। नक्षत्रा एक बढ़िया SI (सुपर इंटेलिजेंस) टूल है।
यह किसी ग़लत (जैसे तौफ़ीक़) के हाथ नहीं लगना चाहिए।

एक और बात समझ में आती है - शेफ़ाली के पास चाहे कितनी भी शक्तियाँ क्यों न हों, उसको आदमी की अच्छाई बुराई समझने की शक्ति नहीं है।
नयनतारा भी उसको यह शक्ति न दे सकी। ख़ैर!


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Raj_sharma

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जब यह कहानी शुरू हुई थी, तब लग रहा था कि यह कोई मर्डर मिस्ट्री बनेगी।
और जब तक बरमूडा / अटलांटिस वाली घटनाएँ शुरू नहीं हुई थीं, तब तक एक बहुत ही बढ़िया मर्डर मिस्ट्री थी - अगर उतना भी रहती तो।
लेकिन मर्डर, इंटरनेशनल स्मगलिंग इत्यादि तो बस मामूली सब-प्लॉट बन कर रह गए।
और जो मुख्य प्लाट निकला, उसकी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सका!

लगता है कि अगर कहानी का स्कोप बस उतना ही रहता, तो मेरे जैसे पाठक एक बेहतरीन sci-fi fantasy नॉवेल पढ़ने से वंचित रह जाते।

बहुत ही बढ़िया Raj_sharma राज भाई! बहुत ही बढ़िया। 👏👏👏
आपको कहानी इतबी पसंद आई, असके लिए बोहोत बोहोत धन्यवाद भाई, और यहां तक आपने जो साथ निभया है, उसके लिए आभार, :hug: जैसा की आपने कहा था, मैने अपडेट की साइज भी बढाई है।, और भी कोई आदेश हो तो अवश्य बताईएगा।:approve:
तौफ़ीक़ का राज़ हम सभी के सामने है। यह तो सबसे बड़ा विलेन निकला।
अगर छोटी मोटी बदमाशियों के लिए जॉनी गोरिल्ला बन सकता है, तब तो तौफ़ीक़ जैसे जघन्य अपराधी के लिए बेहद कठोर और दहला देने वाली सज़ा मुक़र्रर होनी चाहिए।
कम से कम अब ज़ेनिथ को उसकी सच्चाई अच्छी तरह से पता चल गई है। नक्षत्रा एक बढ़िया SI (सुपर इंटेलिजेंस) टूल है।
यह किसी ग़लत (जैसे तौफ़ीक़) के हाथ नहीं लगना चाहिए।

एक और बात समझ में आती है - शेफ़ाली के पास चाहे कितनी भी शक्तियाँ क्यों न हों, उसको आदमी की अच्छाई बुराई समझने की शक्ति नहीं है।
नयनतारा भी उसको यह शक्ति न दे सकी। ख़ैर!
हाॅ आप सही क। रहे है, शेफाली के पासमन में झांककर देखने की शक्ति नहीं है।:nope:
और एक बात अपडेट 105 के बाद इस कहानी का अगला पडाव शुरू होगा, :shhhh: वो भी बोहोत सारे सवालों के साथ :D
धन्यवाद भाई साहब 🙏🏼🙏🏼
 

parkas

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#102.

इसी के साथ तौफीक और जैक ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल ली। जैक के हाथों में इस समय रबर के दस्ताने दिखाई दे रहे थे, जबकि तौफीक ने रिवाल्वर को अपने रुमाल से पकड़ रखा था।

दोनो की ही नजर एक ही जगह पर थी, पर उनके निशाने अलग-अलग थे।

जहां तौफीक के निशाने पर अंधेरे में चमकता वह लॉकेट था, वहीं जैक के निशाने पर जॉनी था क्यों की वह बैंक से लूटा हुआ पूरा पैसा हड़पना चाहता था।

तभी पूरे हॉल में एक फॅायर की आवाज गूंजी- “धांयऽऽऽऽऽऽ।"

अजीब सी किस्मत थी कि दोनों गोलियां एक साथ चली। तौफीक के द्वारा चलायी गयी गोली तो निशाने पर लगी, पर जैक के द्वारा चलाई गयी गोली स्टेज पर पीछे जाकर लकड़ी में धंस गयी।

जैक ने गोली चलाने के बाद अपनी रिवाल्वर वहीं पर फेंक दी। जबकि तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते धुंए को उड़ाया और फ़िर रिवाल्वर को अपनी जेब में डाल लिया।

दृश्य-11

जेनिथ डारथी के कमरे से बाहर निकलकर डेक की ओर चल दी।

जेनिथ ने गलती से डारथी के कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। तौफीक छिपकर यह सब देख रहा था।

जेनिथ के जाते ही वह धीरे से डारथी के कमरे में घुस गया। किस्मत से डारथी इस समय स्नानघर में थी।

तौफीक को जेनिथ का पर्स वहीं बेड पर पड़ा हुआ दिखाई दिया। तौफीक को पता था कि जेनिथ के कमरे की चाबी जेनिथ के पर्स में है, उसने जेनिथ के पर्स से जेनिथ के रूम की चाबी निकाली और चुपचाप पर्स को बंद कर बाहर आ गया।

तौफीक ने एक नजर गैलरी में मारी और फ़िर धीरे से चाबी को जेनिथ के रूम के की-होल में लगाकर जेनिथ के रूम का दरवाजा खोल दिया।

तौफीक की नजर अब तेजी से हर अलमारी को उलझने में लग गयी।

“लॉरेन ने कहा था कि उसने मेरी और उसकी फोटो को अलमारी में ही रखा है।" तौफीक मन ही मन बुदबुदाया।

पर आधा घंटे के बाद भी जब तौफीक को फोटो नहीं मिली तो उसने अपनी जेब से ट्रेंच सिगरेट निकाली और वहीं सोफे पर बैठकर पीने लगा।

अभी उसने आधी सिगरेट ही पी थी कि तभी उसे लगा कि कहीं वह फोटो लॉरेन की जेब में ही तो नहीं थी। यह सोच तौफीक ने घबराकर अपनी सिगरेट बुझाई और अपने जेब से निकालकर एक स्प्रे अपने पूरे शरीर पर किया। इस स्प्रे के प्रभाव से तौफीक के शरीर की गंध छिप गयी।

अब वह तेजी से कमरे से निकलकर स्टोर रूम की ओर भागा। स्टोर रूम का दरवाजा खुला हुआ था।

तौफीक ने स्टोर रूम के दरवाजे को अंदर की ओर धक्का दिया। दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया।

तौफीक स्टोर रूम में दाख़िल हो गया। तौफीक ने पहले उसे जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी गयी थी, पर वहां लाश को ना पाकर तौफीक घबरा गया और वह स्टोर रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से बाहर निकल गया।

तभी तौफीक को दूसरे डेक पर खड़ा एक सुरक्षा गार्ड दिखाई दिया।

सुरक्षा गार्ड को देख तौफीक वहीं रखे ड्रम के पीछे छिप गया। छिपते वक्त तौफीक की जेब में रखा लॉरेन का दिया हुआ नीला चेकदार रूमाल वहीं गिरगया, जिसे तौफीक देख नहीं पाया।

सुरक्षा गार्ड के जाते ही तौफीक ने 2 खम्भों के पास गिणत के 8 का निशान बनाया और वहां से निकल गया।

तौफीक ने ब्रेंडन के मुंह से ब्रूनो की बात सुन ली थी। उसे लगा कि कहीं कैप्टन उसका पीछा ब्रूनो से ना करवाये।

अब तौफीक एक गैलरी से निकलकर जा रहा था कि तभी क्रिस्टी के रूम से आती आवाज ने उसके कदमों को उधर मोड़ दिया।

क्रिस्टी के कमरे से एक हरा कीड़ा उछलता हुआ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, जिसे तौफीक ने एक गार्ड के हाथ से रिवाल्वर छीनकर मार दिया।

दृश्य-12

तौफीक बिना आवाज किये लैब में प्रविष्ट हो गया।
थॉमस अपनी लैब में बैठा हुआ था। उसके बगल में रूमाल का एक ढेर लगा था।

वह बार-बार अलग-अलग रूमाल उठाता और उस पर कोई केमिकल डालकर रूमाल को चेक कर रहा था।

अचानक एक रूमाल पर केमिकल डालते ही उसकी आँखे चमक उठी। रूमाल पर कुछ छोटे-छोटे कण अब चमकने लगे थे।

“निश्चित ही यह बारूद के कण हैं।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया-“इसका मतलब है कि जिसने भी हॉल में लॉरेन को गोली मारी, यह रूमाल उसी का है और उसने रिवाल्वर को रूमाल से पकड़ रखा था।"
रूमाल का एक हिस्सा रिवाल्वर की नाल की वजह से थोड़ा जल भी गया था, जो अब थॉमस को साफ दिख रहा था। रूमाल से अभी भी संदल की खुशबू आ रही थी।

थॉमस ने तुरंत रूमाल को उठाकर उसे पीछे पलटा। रूमाल के पीछे की ओर तौफीक का नाम और उसका रूम नंबर पड़ा था।

“खाना खाने नहीं चलना है क्या सर?" पीछे से उसके सहायक पीटर ने आवाज लगाई- “सभी लोग लंच के लिए जा चुके हैं, बस हम ही लोग बाकी बचे हैं।"

“2 मिनट रुक जाओ पीटर। ........ या फिर ऐसा करो कि तुम खाने के लिए चलो, मैं बस थोड़ी ही देर में आ रहा हूँ।" थॉमस ने पीटर से कहा।

“ओ.के. सर।" कहकर पीटर रूम से बाहर निकल गया, शायद उसे तेज भूख लगी थी।

“मुझे तुरंत कैप्टन को कातिल का नाम बता देना चाहिए।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया।
यह सोचकर वह फोन की ओर बढ़ गया।

थॉमस को फोन की ओर बढ़ते देख तौफीक ने वहां रखे दूसरे फोन का रिसीवर उठा लिया।

थॉमस ने जैसे ही फोन को उठाकर अपने कान से लगाया, उसे फोन पर तौफीक खरखराती आवाज सुनाई दी- “तुझे अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या? जो मेरे बारे में कैप्टन को बताने जा रहा है।"

एकदम से फोन पर आयी आवाज ने थॉमस को चोंका दिया। वह एक पल में समझ गया कि इस फोन के पैरलल में लगे किसी फोन पर तौफीक मौजूद है और वह उसे भली भाँति देख रहा है। यह अहसास ही उसे एक पल के लिये कंपा गया।

थॉमस ने तुरंत आसपास के सभी फोन पर नजर मारी। उसकी निगाहें एक दिशा में जाकर ठहर गई। एक खंभे के पास अंधेरे में खड़ा, उसे तौफीक नजर आया। जो उसी की तरफ देख रहा था।

“कौन हो तुम?" थॉमस ने हिम्मत करते हुए जोर से पूछा और फिर रिसीवर को धीरे से क्रैडल पर रख दिया।

“अभी-अभी तुमने मेरा नाम रूमाल पर से पढ़ा तो है, फिर भी भूल गए।" तौफीक की गुर्राती हुई आवाज वातावरण में गूंजी।

“तो क्या तुम ......?"

“मेरा नाम लेने की कोशिश मत करो।" तौफीक ने थॉमस के शब्दो को बीच में ही काटते हुए, उसे चुप करा दिया- “क्योंकी मेरे हिसाब से हवा के भी कान होते हैं और मैं नहीं चाहता कि मेरी आवाज, मेरा नाम अभी किसी तक पहुंचे।"
“क्या चाहते हो तुम?" थॉमस के शब्दो में भय साफ नजर आ रहा था।

“अजीब पागल हो तुम ......।" तौफीक के स्वर में खतरनाक भाव आ गये- “अब जब तुमने मेरा नाम ‘जान’ लिया है, तो अब मैं भी तुम्हारी ‘जान’ ही लूंगा।"

“तुम ..... तुम मुझे नहीं मार सकते।" थॉमस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

थॉमस की आँखे अब अंधेरे में भी तौफीक के हाथ में थमे रिवाल्वर को स्पस्ट देख रही थी।

और इससे पहले कि थॉमस अपने बचाव में कुछ कर पाता, एक ‘पिट्’ की आवाज हुई और एक गोली उसके गले में सुराख कर गई।

थॉमस किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से फ़र्श पर गिर गया। उसकी आँखों में आश्चर्य के भाव थे। शायद मरते दम तक उसे अपनी मौत पर विश्वास नहीं था।

तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते हुए धुंए को फूंक मारकर हवा में उड़ाया और फिर रिवाल्वर की नाल पर लगा साइलेंसर हटाकर, दोनों ही चीज अपनी जेब के हवाले कर ली।
अब तौफीक रूमाल के ढेर के पास पहुंच गया।

उसने अपनी जेब में हाथ डालकर एक लाईटर निकाल लिया। ‘खटाक’ की आवाज के साथ लाइटर ऑन हुई और उससे निकलती हुई लौ ने तुरंत ही रूमाल के गट्ठरों को अपने घेरे में ले लिया।

तौफीक ने एक-दो जलते हुए रूमाल थॉमस के ऊपर व कुछ रूमाल कमरे में इधर-उधर फेंक दिये।
धीरे-धीरे पूरे कमरे ने आग पकड़ ली।

कुछ ज्वलनशील रसायन को भी आग ने अपने घेरे में ले लिया। तौफीक अब सधे कदमों से रूम के बाहर निकला और एक दिशा में चल दिया।

कुछ आगे जाने पर उसकी रफ़्तार एकाएक तेज हो गई। अब वह तेजी से चिल्ला रहा था- “आग.....आग .....लैब में आग लग गई......गार्ड.....गार्ड..जल्दी सीजफायर लाओ।"

उसके चिल्लाते ही बहुत से लोगों का का ध्यान उस ओर आकर्षित हो गया।

तब तक लैब से काला धुआं निकलने लगा था। बहुत से लोग लैब से धुंआ निकलते देख वहां पर एकत्रित हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर आग बुझाने के यन्त्र निकाल लिये। वह सिलेंडर हाथ में लेकर लैब में घुस गए।

आग अभी इतनी ज्यादा नहीं फैली थी कि उसे बुझाया न जा सके। धीरे-धीरे गार्ड्स ने आग पर काबू पा लिया।
तौफीक भी अब भीड़ में शामिल हो गया था। आग पर नियंत्रण होते देख उसके चेहरे पर एक दबी-दबी सी मुस्कान आ गयी।

इसी के साथ नक्षत्रा ने रुका हुआ समय फिर से चालू कर दिया और जेनिथ के सामने दिखने वाले दृश्य हवा में विलोप हो गये।

इसी के साथ जेनिथ वहां पर लहराकर गिर गयी। उसके गिरने की आवाज काफ़ी तेज थी, जिसे सुनकर अल्बर्ट की खुल गयी। उसने दूर जेनिथ को पड़ा देखा तो सबको उठा दिया।
सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।

“क्या हुआ जेनिथ?" तौफीक ने जेनिथ का हाथ पकड़ते हुए पूछा।

तौफीक के हाथ पकड़ते जेनिथ को बहुत तेज़ गुस्सा आया, तभी उसे अपने मस्तिष्क में नक्षत्रा की आवाज सुनाई दी- “अपनी भावनाओं पे नियंत्रण करो दोस्त...तुमने मुझसे वादा किया था।"

यह सुन जेनिथ ने अपने गुस्से को अंदर दबाया, पर तौफीक का हाथ अपने हाथ से धीरे से छुड़ाते हुए कहा- “कुछ नहीं हुआ मुझे ... बस थोड़ी सी बेचैनी हो रही थी इसिलये टहलने आ गयी थी। टहलते-टहलते चक्कर आ गया था बस।"

यह सुनकर सबने राहत की साँस ली।

“बहुत अच्छे दोस्त... अच्छा नियंत्रण किया तुमने।" नक्षत्रा ने कहा- “थोड़ा सा ठहर जाओ, वक्त आने पर इस तौफीक से भी निपट लेंगे, बस तुम अपने होश को संभाले रखो।"

“मैं अब ठीक हूँ।" जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा से कहा- “और बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे आइना दिखाने के लिये।"

इतना कहकर जेनिथ उठी और क्रिस्टी के साथ वापस सोने वाले स्थान की ओर चल दी।



जारी रहेगा______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Luckyloda

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Tof
#102.

इसी के साथ तौफीक और जैक ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल ली। जैक के हाथों में इस समय रबर के दस्ताने दिखाई दे रहे थे, जबकि तौफीक ने रिवाल्वर को अपने रुमाल से पकड़ रखा था।

दोनो की ही नजर एक ही जगह पर थी, पर उनके निशाने अलग-अलग थे।

जहां तौफीक के निशाने पर अंधेरे में चमकता वह लॉकेट था, वहीं जैक के निशाने पर जॉनी था क्यों की वह बैंक से लूटा हुआ पूरा पैसा हड़पना चाहता था।

तभी पूरे हॉल में एक फॅायर की आवाज गूंजी- “धांयऽऽऽऽऽऽ।"

अजीब सी किस्मत थी कि दोनों गोलियां एक साथ चली। तौफीक के द्वारा चलायी गयी गोली तो निशाने पर लगी, पर जैक के द्वारा चलाई गयी गोली स्टेज पर पीछे जाकर लकड़ी में धंस गयी।

जैक ने गोली चलाने के बाद अपनी रिवाल्वर वहीं पर फेंक दी। जबकि तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते धुंए को उड़ाया और फ़िर रिवाल्वर को अपनी जेब में डाल लिया।

दृश्य-11

जेनिथ डारथी के कमरे से बाहर निकलकर डेक की ओर चल दी।

जेनिथ ने गलती से डारथी के कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। तौफीक छिपकर यह सब देख रहा था।

जेनिथ के जाते ही वह धीरे से डारथी के कमरे में घुस गया। किस्मत से डारथी इस समय स्नानघर में थी।

तौफीक को जेनिथ का पर्स वहीं बेड पर पड़ा हुआ दिखाई दिया। तौफीक को पता था कि जेनिथ के कमरे की चाबी जेनिथ के पर्स में है, उसने जेनिथ के पर्स से जेनिथ के रूम की चाबी निकाली और चुपचाप पर्स को बंद कर बाहर आ गया।

तौफीक ने एक नजर गैलरी में मारी और फ़िर धीरे से चाबी को जेनिथ के रूम के की-होल में लगाकर जेनिथ के रूम का दरवाजा खोल दिया।

तौफीक की नजर अब तेजी से हर अलमारी को उलझने में लग गयी।

“लॉरेन ने कहा था कि उसने मेरी और उसकी फोटो को अलमारी में ही रखा है।" तौफीक मन ही मन बुदबुदाया।

पर आधा घंटे के बाद भी जब तौफीक को फोटो नहीं मिली तो उसने अपनी जेब से ट्रेंच सिगरेट निकाली और वहीं सोफे पर बैठकर पीने लगा।

अभी उसने आधी सिगरेट ही पी थी कि तभी उसे लगा कि कहीं वह फोटो लॉरेन की जेब में ही तो नहीं थी। यह सोच तौफीक ने घबराकर अपनी सिगरेट बुझाई और अपने जेब से निकालकर एक स्प्रे अपने पूरे शरीर पर किया। इस स्प्रे के प्रभाव से तौफीक के शरीर की गंध छिप गयी।

अब वह तेजी से कमरे से निकलकर स्टोर रूम की ओर भागा। स्टोर रूम का दरवाजा खुला हुआ था।

तौफीक ने स्टोर रूम के दरवाजे को अंदर की ओर धक्का दिया। दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया।

तौफीक स्टोर रूम में दाख़िल हो गया। तौफीक ने पहले उसे जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी गयी थी, पर वहां लाश को ना पाकर तौफीक घबरा गया और वह स्टोर रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से बाहर निकल गया।

तभी तौफीक को दूसरे डेक पर खड़ा एक सुरक्षा गार्ड दिखाई दिया।

सुरक्षा गार्ड को देख तौफीक वहीं रखे ड्रम के पीछे छिप गया। छिपते वक्त तौफीक की जेब में रखा लॉरेन का दिया हुआ नीला चेकदार रूमाल वहीं गिरगया, जिसे तौफीक देख नहीं पाया।

सुरक्षा गार्ड के जाते ही तौफीक ने 2 खम्भों के पास गिणत के 8 का निशान बनाया और वहां से निकल गया।

तौफीक ने ब्रेंडन के मुंह से ब्रूनो की बात सुन ली थी। उसे लगा कि कहीं कैप्टन उसका पीछा ब्रूनो से ना करवाये।

अब तौफीक एक गैलरी से निकलकर जा रहा था कि तभी क्रिस्टी के रूम से आती आवाज ने उसके कदमों को उधर मोड़ दिया।

क्रिस्टी के कमरे से एक हरा कीड़ा उछलता हुआ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, जिसे तौफीक ने एक गार्ड के हाथ से रिवाल्वर छीनकर मार दिया।

दृश्य-12

तौफीक बिना आवाज किये लैब में प्रविष्ट हो गया।
थॉमस अपनी लैब में बैठा हुआ था। उसके बगल में रूमाल का एक ढेर लगा था।

वह बार-बार अलग-अलग रूमाल उठाता और उस पर कोई केमिकल डालकर रूमाल को चेक कर रहा था।

अचानक एक रूमाल पर केमिकल डालते ही उसकी आँखे चमक उठी। रूमाल पर कुछ छोटे-छोटे कण अब चमकने लगे थे।

“निश्चित ही यह बारूद के कण हैं।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया-“इसका मतलब है कि जिसने भी हॉल में लॉरेन को गोली मारी, यह रूमाल उसी का है और उसने रिवाल्वर को रूमाल से पकड़ रखा था।"
रूमाल का एक हिस्सा रिवाल्वर की नाल की वजह से थोड़ा जल भी गया था, जो अब थॉमस को साफ दिख रहा था। रूमाल से अभी भी संदल की खुशबू आ रही थी।

थॉमस ने तुरंत रूमाल को उठाकर उसे पीछे पलटा। रूमाल के पीछे की ओर तौफीक का नाम और उसका रूम नंबर पड़ा था।

“खाना खाने नहीं चलना है क्या सर?" पीछे से उसके सहायक पीटर ने आवाज लगाई- “सभी लोग लंच के लिए जा चुके हैं, बस हम ही लोग बाकी बचे हैं।"

“2 मिनट रुक जाओ पीटर। ........ या फिर ऐसा करो कि तुम खाने के लिए चलो, मैं बस थोड़ी ही देर में आ रहा हूँ।" थॉमस ने पीटर से कहा।

“ओ.के. सर।" कहकर पीटर रूम से बाहर निकल गया, शायद उसे तेज भूख लगी थी।

“मुझे तुरंत कैप्टन को कातिल का नाम बता देना चाहिए।" थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया।
यह सोचकर वह फोन की ओर बढ़ गया।

थॉमस को फोन की ओर बढ़ते देख तौफीक ने वहां रखे दूसरे फोन का रिसीवर उठा लिया।

थॉमस ने जैसे ही फोन को उठाकर अपने कान से लगाया, उसे फोन पर तौफीक खरखराती आवाज सुनाई दी- “तुझे अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या? जो मेरे बारे में कैप्टन को बताने जा रहा है।"

एकदम से फोन पर आयी आवाज ने थॉमस को चोंका दिया। वह एक पल में समझ गया कि इस फोन के पैरलल में लगे किसी फोन पर तौफीक मौजूद है और वह उसे भली भाँति देख रहा है। यह अहसास ही उसे एक पल के लिये कंपा गया।

थॉमस ने तुरंत आसपास के सभी फोन पर नजर मारी। उसकी निगाहें एक दिशा में जाकर ठहर गई। एक खंभे के पास अंधेरे में खड़ा, उसे तौफीक नजर आया। जो उसी की तरफ देख रहा था।

“कौन हो तुम?" थॉमस ने हिम्मत करते हुए जोर से पूछा और फिर रिसीवर को धीरे से क्रैडल पर रख दिया।

“अभी-अभी तुमने मेरा नाम रूमाल पर से पढ़ा तो है, फिर भी भूल गए।" तौफीक की गुर्राती हुई आवाज वातावरण में गूंजी।

“तो क्या तुम ......?"

“मेरा नाम लेने की कोशिश मत करो।" तौफीक ने थॉमस के शब्दो को बीच में ही काटते हुए, उसे चुप करा दिया- “क्योंकी मेरे हिसाब से हवा के भी कान होते हैं और मैं नहीं चाहता कि मेरी आवाज, मेरा नाम अभी किसी तक पहुंचे।"
“क्या चाहते हो तुम?" थॉमस के शब्दो में भय साफ नजर आ रहा था।

“अजीब पागल हो तुम ......।" तौफीक के स्वर में खतरनाक भाव आ गये- “अब जब तुमने मेरा नाम ‘जान’ लिया है, तो अब मैं भी तुम्हारी ‘जान’ ही लूंगा।"

“तुम ..... तुम मुझे नहीं मार सकते।" थॉमस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

थॉमस की आँखे अब अंधेरे में भी तौफीक के हाथ में थमे रिवाल्वर को स्पस्ट देख रही थी।

और इससे पहले कि थॉमस अपने बचाव में कुछ कर पाता, एक ‘पिट्’ की आवाज हुई और एक गोली उसके गले में सुराख कर गई।

थॉमस किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से फ़र्श पर गिर गया। उसकी आँखों में आश्चर्य के भाव थे। शायद मरते दम तक उसे अपनी मौत पर विश्वास नहीं था।

तौफीक ने रिवाल्वर की नाल से निकलते हुए धुंए को फूंक मारकर हवा में उड़ाया और फिर रिवाल्वर की नाल पर लगा साइलेंसर हटाकर, दोनों ही चीज अपनी जेब के हवाले कर ली।
अब तौफीक रूमाल के ढेर के पास पहुंच गया।

उसने अपनी जेब में हाथ डालकर एक लाईटर निकाल लिया। ‘खटाक’ की आवाज के साथ लाइटर ऑन हुई और उससे निकलती हुई लौ ने तुरंत ही रूमाल के गट्ठरों को अपने घेरे में ले लिया।

तौफीक ने एक-दो जलते हुए रूमाल थॉमस के ऊपर व कुछ रूमाल कमरे में इधर-उधर फेंक दिये।
धीरे-धीरे पूरे कमरे ने आग पकड़ ली।

कुछ ज्वलनशील रसायन को भी आग ने अपने घेरे में ले लिया। तौफीक अब सधे कदमों से रूम के बाहर निकला और एक दिशा में चल दिया।

कुछ आगे जाने पर उसकी रफ़्तार एकाएक तेज हो गई। अब वह तेजी से चिल्ला रहा था- “आग.....आग .....लैब में आग लग गई......गार्ड.....गार्ड..जल्दी सीजफायर लाओ।"

उसके चिल्लाते ही बहुत से लोगों का का ध्यान उस ओर आकर्षित हो गया।

तब तक लैब से काला धुआं निकलने लगा था। बहुत से लोग लैब से धुंआ निकलते देख वहां पर एकत्रित हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर आग बुझाने के यन्त्र निकाल लिये। वह सिलेंडर हाथ में लेकर लैब में घुस गए।

आग अभी इतनी ज्यादा नहीं फैली थी कि उसे बुझाया न जा सके। धीरे-धीरे गार्ड्स ने आग पर काबू पा लिया।
तौफीक भी अब भीड़ में शामिल हो गया था। आग पर नियंत्रण होते देख उसके चेहरे पर एक दबी-दबी सी मुस्कान आ गयी।

इसी के साथ नक्षत्रा ने रुका हुआ समय फिर से चालू कर दिया और जेनिथ के सामने दिखने वाले दृश्य हवा में विलोप हो गये।

इसी के साथ जेनिथ वहां पर लहराकर गिर गयी। उसके गिरने की आवाज काफ़ी तेज थी, जिसे सुनकर अल्बर्ट की खुल गयी। उसने दूर जेनिथ को पड़ा देखा तो सबको उठा दिया।
सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।

“क्या हुआ जेनिथ?" तौफीक ने जेनिथ का हाथ पकड़ते हुए पूछा।

तौफीक के हाथ पकड़ते जेनिथ को बहुत तेज़ गुस्सा आया, तभी उसे अपने मस्तिष्क में नक्षत्रा की आवाज सुनाई दी- “अपनी भावनाओं पे नियंत्रण करो दोस्त...तुमने मुझसे वादा किया था।"

यह सुन जेनिथ ने अपने गुस्से को अंदर दबाया, पर तौफीक का हाथ अपने हाथ से धीरे से छुड़ाते हुए कहा- “कुछ नहीं हुआ मुझे ... बस थोड़ी सी बेचैनी हो रही थी इसिलये टहलने आ गयी थी। टहलते-टहलते चक्कर आ गया था बस।"

यह सुनकर सबने राहत की साँस ली।

“बहुत अच्छे दोस्त... अच्छा नियंत्रण किया तुमने।" नक्षत्रा ने कहा- “थोड़ा सा ठहर जाओ, वक्त आने पर इस तौफीक से भी निपट लेंगे, बस तुम अपने होश को संभाले रखो।"

“मैं अब ठीक हूँ।" जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा से कहा- “और बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे आइना दिखाने के लिये।"

इतना कहकर जेनिथ उठी और क्रिस्टी के साथ वापस सोने वाले स्थान की ओर चल दी।



जारी रहेगा______✍️
Tofik ने ही लगभग सारा तहलका मचा हुआ है सुप्रीम पर.....
 
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#91. (मेगा अपडेट)

डायरी का राज

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 13:30, मायावन, अराका द्वीप)


सुयश की नजर अब मोईन के काले बैग पर थी। सुयश ने ब्रेंडन से मोईन का बैग मांगा।

सुयश ने आसपास नजर दौड़ायी। सुयश को कुछ दूरी पर एक साफ क्षेत्र दिखाई दिया।

सुयश उधर आकर एक बड़े से पत्थर पर बैठ गया।

सभी लोग सुयश के चारो ओर बैठ गये। सभी के दिल में उस्मान अली की डायरी को लेकर उत्सुकता थी। वह जानना चाहते थे कि डायरी में आखर लिखा क्या है?

सुयश ने अब मोईन का काला बैग खोलकर, उसमें रखा सारा सामान वहीं पत्थर पर बिखेर दिया।

उस बैग में एक डायरी, एक पुराना नक्शा, एक छोटा सा गले में पहनने वाला लॉकेट व एक पेन रखा था।

सुयश ने पहले लॉकेट को उठा कर देखा। लॉकेट एक सुनहरी धातु की जंजीर से बना था, जिसके बीच
में एक काले रंग का गोल मोती लगा था।

“कैप्टन अंकल!" शैफाली ने कहा- “इस लॉकेट का मोती बिल्कुल वैसा ही है, जैसा कि देवी शलाका के हाथ में पकड़ा मोती था।"

सुयश ने धीरे से अपना सिर हिलाकर अपनी सहमित दी।

पता नहीं ऐसा उस मोती में क्या था कि जेनिथ लगातार उस मोती को देखे जा रही थी।

सुयश ने एक नजर लॉकेट को घूरते हुए जेनिथ पर डाली और कुछ सोच उसे जेनिथ की ओर बढ़ा दिया।

जेनिथ ने उस लॉकेट को सुयश के हाथ से ले लिया।

जेनिथ अभी भी बिल्कुल सम्मोहित तरीके से उस लॉकेट को देख रही थी।

अचानक वह लॉकेट आश्चर्यजनक तरीके से हवा में उछला और खुद बा खुद जेनिथ के गले में जाकर बंध गया।

यह घटना देख, सब आश्चर्य से कभी जेनिथ को तो कभी उसके गले में बंधे लॉकेट को देखने लगे।

जेनिथ भी अब सम्मोहन से बाहर आ गयी थी।

“यह क्या था प्रोफेसर?" सुयश ने आश्चर्य से अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “क्या यह लॉकेट चमत्कारी था? और अगर हां तो इसने जेनिथ को ही क्यों चुना?"

“देखिये कैप्टन। इस द्वीप पर बहुत अजीब-अजीब सी घटनाएं घट रही हैं।" अल्बर्ट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा-

“मुझे तो यह घटना भी उसी विचित्र घटना का हिस्सा लग रही है। जैसा कि शैफाली ने उन पत्थरों पर बनी विचित्र आकृतियों को देख कर कहा था कि हमारा इस द्वीप पर आना हमारी नियति थी। तो उस हिसाब से मुझे लगता है कि शायद हम सब किसी बड़ी चमत्कारिक घटना का हिस्सा हैं या बनने जा रहे हैं और हम स्वयं यहां नहीं आये हैं, बल्की हमें यहां लाया गया है। मोईन तो मात्र एक कारक था हमें यहां लाने के लिये।

अगर आप ध्यान से देखें तो धीरे-धीरे हम सभी के साथ कुछ ना कुछ चमत्कारिक घट रहा है। पहले शैफाली की शक्तियों का जागना, फ़िर कैप्टन के टैटू में शक्तियों का समा जाना और अब जेनिथ के साथ भी कुछ ऐसा ही चमत्कारिक होना। यह सब बातें यह बताती हैं कि शायद हमारे किसी जन्म की घटनाएं इस क्षेत्र से जुड़ी हैं। हमारा ‘सुप्रीम’ की दुर्घटना में जिंदा बचना एक इत्तेफाक नहीं है। केवल वही लोग जिंदा बचे हैं, जो किसी ना किसी रूप से इस द्वीप से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।"

“इसका मतलब मुझमें भी कुछ चमत्कारिक शक्तियां है?" जॉनी ने खुश होकर बोला।

“ऐसा जरूरी नहीं है।" जेनिथ ने जॉनी की ओर देखते हुए कहा-“कुछ लोग मर भी तो रहे हैं।"

जॉनी, जेनिथ का कटाक्ष समझ गया। उसने गुस्से से अपने दाँत पीसे, मगर जेनिथ को कोई जवाब नहीं दिया।

“तुम्हें इस लॉकेट को पहनने के बाद क्या महसूस हुआ जेनिथ?" क्रिस्टी ने जेनिथ की ओर देखते हुए पूछा।

“मैं इस लॉकेट को देखकर पहले सम्मोहित सी हो गयी थी।" जेनिथ ने लॉकेट के मोती को छूते हुए कहा-
“पर मुझे ऐसा नहीं लगा कि मेरा इस लॉकेट से कोई भी पुराना संबंध है? ना ही इसको पहनने के बाद मुझे कुछ भी अलग सा महसूस हुआ?"

“पर कैप्टन.... यह चमत्कारी लॉकेट मोईन के पास कहां से आया?" ब्रेंडन ने कहा।

अब सबका ध्यान फ़िर से काले बैग से निकले बाकी सामान पर गया।

अब सुयश ने वह पुराना नक्शा खोल लिया। नक्शे में कुछ पत्थर, पहाड़, नदियां, झरने और कुछ आड़ी-टेढ़ी रेखाएं बनी थी।

“इसको समझने में समय लगेगा।" सुयश ने नक्शे को वापस गोल लपेटते हुए कहा- “हमें पहले डायरी पर ध्यान देना होगा। उसमें जरूर कुछ काम की बातें होंगी।"

सुयश ने अब डायरी को उठा लिया।

पहला पन्ना खोलते ही उन्हें खूबसूरत अक्षरो में उस्मान अली लिखा हुआ दिखाई दिया।

आखिरकार सुयश ने तेज आवाज में डायरी पढ़ना शुरू कर दिया।

“मेरा नाम उस्मान अली है। मैं आपको एक ऐसे रहस्यमय द्वीप के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसका अनुभव मैंने स्वयं किया है।

13 दिसंबर 1984 की ठंड भरी रात थी। मैं ‘ब्लैक-थंडर’ नामक पुर्तगाली जहाज से न्यूयॉर्क से प्यूट्रो-रिको जा रहा था। रात का समय था। मैं जहाज के डेक पर खड़ा अपनी दुनियां में कुछ सोच रहा था। तभी मुझे दूर कहीं आसमान में सिग्नल फ़्लेयर उड़ते दिखाई दिये। मैंने तुरंत डेक पर खड़े लोगो का ध्यान सिग्नल फ़्लेयर की ओर करवाया।

हमें लगा कि जरूर कोई दूसरा पानी का जहाज वहां मुसीबत मे है। मैंने तुरंत इस बात की सूचना एक गार्ड के माध्यम से अपने जहाज के कैप्टन को भिजवा दी। कुछ ही देर में कैप्टन सिहत बहुत सारे लोग डेक पर आ गये। सिग्नल फ़्लेयर अभी भी आसमान में फ़ेंके जा रहे थे। मैंने जहाज के कैप्टन को जहाज को उस दिशा में ले जाने को कहा।

पहले तो जहाज का कैप्टन जहाज को उस दिशा में मोड़ने को तैयार नहीं हुआ । पर बाद में यात्रियो की जिद्द के कारण कैप्टन को सभी की बात माननी पड़ी। ब्लैक थंडर सिग्नल फ़्लेयर की दिशा में आगे बढ़ गया। थोड़ी देर में सिग्नल फ़्लेयर दिखने बंद हो गये। हम अंदाजे से समुद्र में काफ़ी आगे तक आ गये, पर फ़िर भी हमें किसी भी शिप के डूबने का कोई निशान प्राप्त नहीं हुआ? तभी अचानक मौसम काफ़ी खराब हो गया और समुद्र की लहरें ऊंची-ऊची उठने लगी।

ब्लैक थंडर किसी तिनके की तरह समुद्र की लहरों पर डोल रहा था। तभी एक जोरदार झटके से शिप के सारे कन्ट्रोल खराब हो गये। अब ब्लैक थंडर रास्ता भटक चुका था। हमें वापसी के लिये कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था। तभी जाने कहां से एक विशालकाय ब्लू व्हेल मछली आ गयी और उसने शिप पर टक्कर मारना शुरू कर दिया।

ब्लू व्हेल से बचने के लिये कैप्टन ने ब्लैक थंडर को एक अंजान दिशा में मुड़वा दिया। ब्लू व्हेल से अब हमारा पीछा छूट चुका था। हम पुनः आगे बढ़े। अभी हम सब डेक पर ही थे कि तभी एक नीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी, आसमान से गोल-गोल नाचती हुई हमारे जहाज से कुछ आगे आकर पानी में गिरी।

जिस स्थान पर वह उड़नतस्तरी पानी में गिरी थी, उस स्थान पर समुद्र में एक विशालकाय भंवर बन गयी। भंवर की विशालता और उसकी तेज-गति देखकर कैप्टन ने ब्लैक थंडर को दूसरी दिशा में मोड़ लिया। कुछ आगे जाने पर ब्लैक थंडर अचानक समुद्र में अपने आप रुक गया। कैमरे द्वारा पानी के नीचे देखने पर हमें एक विशालकाय ‘प्लिसियोसारस’ (एक विलुप्तप्राय समुद्री डाइनोसोर) ब्लैक थंडर को पकड़े हुए दिखाई दिया।

कैप्टन ने प्लिसियोसारस पर तारपीडो से हमला कर दिया। प्लिसियोसारस ने डरकर शिप को छोड़ दिया और अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से शिप को घूरता हुआ समुद्र की गहराइयों में गायब हो गया।
ब्लैक थंडर को फ़िर से आगे बढ़ा लिया गया। उसी रात शिप पर सफर कर रहे 400 यात्रियो में से 275 यात्री शिप से अपने आप गायब हो गये।

बहुत ढूंढने पर भी उन यात्रियो का कुछ पता नहीं चला। शिप पर अब कुल 125 यात्री बचे थे। सुबह हमें एक द्वीप दिखाई दिया जो अजीब सी त्रिभुज जैसी आकृति वाला था। ब्लैक थंडर को उस द्वीप की ओर मोड़ लिया गया। हम द्वीप पर पहुंचने वाले ही थे कि तभी अचानक प्लिसियोसारस ने पुनः ब्लैक थंडर पर आक्रमण कर दिया।

इस बार का उसका आक्रमण बहुत खतरनाक था। उसने अपनी अजगर के समान विशालकाय पूंछ से पूरे ब्लैक थंडर को लपेट लिया। प्लिसियोसारस की ताकत के सामने ब्लैक थंडर कुछ भी नहीं था। आखिरकार उस समुद्री दानव ने ब्लैक थंडर को तोड़ डाला। शिप में सवार कुछ बचे यात्री पानी में छलांग लगाकर द्वीप की ओर बढ़ने लगे और अंततः कुल 28 यात्री उस द्वीप पर बचकर पहुंचने में सफल हो गये। उन्ही लोगो में मैं और मेरा दोस्त गिलफोर्ड भी था।

यहां से शुरू होता है उस रहस्यमय द्वीप का एक भयानक सफर। इस सफर में आती हैं खतरनाक मुसीबतें जैसे दलदल, जंगली गैंडा, गुरिल्ला, पागल हाथी, भयानक शेर, विशालकाय मच्छर, खतरनाक बीमारियां, जहरीली मकिड़यां, खूनी चमगादड़, तेजाबी बारिश और ना जाने कितनी ऐसी भयानक मुसीबतें, जिन्होने 24 यात्रियो को मौत के घाट उतार दिया।

बाकी बचे 4 लोग किसी तरह बचते-बचाते पहाड़ में शरण लेते हैं। इन बचे हुए 4 लोगो में मैं और गिलफोर्ड भी शामिल थे। तभी हम पर एक विशालकाय आग उगलने वाली ड्रैगन ने हमला बोल दिया। ड्रैगन से घबराकर मैं और गिलफोर्ड एक पहाड़ी गुफा में घुस गए। ड्रैगन ने एक बड़ी सी चट्टान लुढ़काकर गुफा का द्वार बंद कर दिया।

अब मेरे और गिलफोर्ड के बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद हो चुके थे। हम दोनो गुफा में बुरी तरह से फंस चुके थे। 2 घंटे बाद हमें ऐसा महसूस हुआ कि जैसे गुफा में कहीं से ताजी हवा आ रही है। हम दोनो अंदाजे से अंधेरे में टटोलते हुए गुफा के अंदर की ओर चल दिये।

काफ़ी देर तक चलने के बाद हमें दूर गुफा में कहीं रोशनी सी प्रतीत हुई। हम अंदाज से लड़खड़ाते हुए उस दिशा में चल दिये। कई जगह पर हम गुफा में पत्थरों से टकराये। हमें बहुत सी चोट आ गयी थी। लगभग एक घंटे तक उस अंधेरी गुफा में चलने के बाद हम उस रोशनी वाले स्थान तक पहुंच गये।

वह गुफा के दूसरी ओर का द्वार था। गुफा से निकलने पर हमने अपने आप को एक खूबसूरत घाटी में पाया। चारो तरफ पहाड़ो से घिरी यह घाटी देखने में काफ़ी सुंदर लग रही थी। कई जगह से पहाड़ो से पानी के झरने गिर रहे थे। हमने घाटी के अंदर जाने के लिये पहाड़ो से उतरना शुरु कर दिया। पहाड़ो से उतरने के बाद हम एक बाग में पहुंचे। बाग में सैकड़ो फलों से लदे पेड़ थे। हमने पेडों से फल तोड़कर खाये और झरने का पानी पीया।

हममें एक नयी ताकत का संचार हो चुका था। रात होने वाली थी इसिलये हम वहीं एक पेड़ पर
चढ़कर सो गये। सुबह कुछ अजीब सी आवाज सुनकर हम दोनों की नींद खुल गयी। हमें एक स्थान पर जमीन से निकलते हुए कुछ इंसान दिखाई दिये। जो उस स्थान पर मौजूद एक देवी की मूर्ति के आगे नाच गा रहे थे। रात में अंधेरा होने की वजह से हम स्थान पर मौजूद देवी की मूर्ति को नहीं देख पाये थे।

तभी पूरी घाटी में एक बहुत ही सुगंधित खुशबू फैल गयी। यह विचित्र सुगंध सूंघकर हम दोनो बेहोश हो गये। होश में आने पर हमने अपने आप को एक विशालकाय मंदिर में खंभे से बंधा हुआ पाया। मंदिर में एक विशालकाय देवी की मूर्ति थी, जिनके गले में एक लॉकेट चमक रहा था। देवी के पैरों के पास हीरे, जवाहरात, रत्न, आभूषण असंख्य मात्रा में बिखरे पड़े हुए थे।

उन रत्नो की चमक इतनी ज़्यादा तेज थी कि शुरु में वहां पर आँख खोलकर रख पाना भी मुश्किल लग रहा था। हमने किताबों में भी कभी इतने बड़े खजाने के बारे में नहीं सुन रखा था। तभी मेरी नजर देवी के पैरों के पास रखी एक लाल रंग की जिल्द वाली पुरानी सी किताब पर पड़ी। वह पुरानी किताब एक रत्न जड़ित थाली में रखी थी, जो उसके विशेष होने की कहानी कह रही थी।
हमारे आसपास कुछ जंगली कबीले के लोग अजीब से धारदार हथियार लेकर खड़े थे। हम हैरानी से कभी मूर्ति की सुंदरता तो कभी उस खजाने को निहार रहे थे। तभी उन जंगलियों में से एक ने हमें खंभे से खोलकर देवी के चरणों में झुकने का इशारा किया। मैंने और गिलफोर्ड दोनों ने देवी के चरणों में झुककर प्रणाम किया। मैंने झुककर प्रणाम करते समय धीरे से उन जंगलियों से नजर बचाकर एक छोटा सा हीरा अपने हाथ में छिपा लिया। अब वह जंगली, देवी की पूजा करने लगे।

तभी मंदिर के बाहर से कहीं से शोर की आवाज सुनाई दी। कई जंगली यह आवाज सुन बाहर की ओर भागे। यह देख उनमें से एक जंगली हमारे पास आया और फ़िर से हमारे हाथ उस खंभे के साथ बांध दिया। हमारे हाथ बांधने के बाद वह भी मंदिर से बाहर की ओर भाग गया। अब मंदिर में मैंऔर गिलफोर्ड ही अकेले बचे थे। यह देख मैंने अपने हाथ में थमें हीरे से अपनी हाथ में बंधी रस्सी को काटने लगा।

लगभग 10 मिनट के अथक परिश्रम के बाद मैंने अपने हाथ की रस्सी को काटकर स्वयं को आजाद करा लिया। फ़िर मैंने गिलफोर्ड के हाथ की रस्सी काटी, जिसमें ज़्यादा समय नहीं लगा। हम दोनो देवी की मूर्ति के पास पहुंचे। मेरी नजर देवी की मूर्ति के गले में पहने लॉकेट पर थी। मैं तेजी से उस मूर्ति के ऊपर चढ़ा और देवी के गले में पड़ा लॉकेट निकालकर अपनी जेब में रख लिया। गिलफोर्ड ने वह लाल जिल्द वाली पौराणिक किताब उठा ली।

अब हम दोनों सावधानी से मंदिर के बाहर निकले। बाहर हमें कुछ हरे कीड़े उन जंगलियों को दौड़ाते हुए नजर आये। ऐसे मेढक जैसे विचित्र कीड़े हमने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे। हम दोनों सबकी नजर बचाकर जंगल की ओर भाग गये। काफ़ी दूर आने के बाद हमने राहत की साँस ली। शाम फ़िर से गहराने लगी थी, इसिलये हमने पेडों के फल खाकर गुजारा कर लिया। हम दोनों वहीं पेड़ के नीचे एक साफ सुथरी जगह देखकर वहीं सो गये।

रात में अजीब सी ढम-ढम की आवाज सुनकर हमारी नींद खुल गयी। हम समझ गये कि जंगली रात के अंधेरे में हमें ढूंढ रहे हैं और वह आस-पास ही हैं। गिलफोर्ड तुरंत लाल किताब को कमर में फंसाकर वहीं एक पेड़ पर चढ़ गया। चूंकि पेड़ सपाट था और मैं इतनी तेजी से पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। इसिलये मैं वहां से पहाडों की ओर भाग गया।

इस तरह हम दोनों दोस्त अलग-अलग हो गये। मैंने भागकर एक पहाड़ी गुफा में शरण ली। मुझे नहीं पता चला कि उसके बाद गिलफोर्ड का क्या हुआ? गुफा में अंधेरा होने की वजह से हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था। अगर कुछ चमक रहा था तो वह था मेरे गले में पड़ा देवी का लॉकेट। तभी मेरी नजर अंधेरे में गुफा के अंदर चमक रहे 2 जुगनुओं पर पड़ी, जो धीरे-धीरे मेरे पास आ रहे थे।

पास आने पर मैं समझ गया कि वह जुगनू नहीं बाल्की किसी जानवर की आँखें हैं। किसी विशालकाय जानवर का अहसास होते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। धीरे-धीरे वह विशालकाय आकृति मेरे बिल्कुल समीप आ गयी। उधर गुफा के बाहर से जंगलियों की आवाज आने के कारण मैं गुफा से बाहर भी नहीं जा सकता था।

अब उस विशालकाय जानवर की साँसे भी मुझे अपने शरीर पर महसूस होने लगी थी। धीरे-धीरे आती गुर्र-गुर्र की आवाज से मुझे ये अहसास हो गया कि वह एक पहाड़ी जंगली भालू था। भालू बेहद पास आ गया था और मेरे गले में पड़े उस चमकते लॉकेट को देख रहा था। तभी उस लॉकेट की चमक एकाएक बढ़ सी गयी। भालू हैरान होकर दो कदम पीछे हो गया। मेरे लिये यह बहुत अच्छा मौका था, मैंने अपनी पूरी ताकत से गुफा के अंदर की ओर दौड़ लगा दी।

लॉकेट से निकली रोशनी मेरा मार्गदर्शन कर रही थी। मैं भागते-भागते थककर चूर हो गया, परंतु उस गुफा का दूसरा सिरा मुझे नहीं मिला। गनीमत यही थी कि पता नहीं कहां से मुझे ऑक्सीजन मिल रही थी। कुछ देर आराम करने के बाद मैं पुनः आगे की ओर चल दिया। घड़ी पास में ना होने की वजह से मुझे समय का अहसास नहीं हो पा रहा था।

जाने कितने घंटे मैं इसी तरह से चलता रहा। प्यास, भूख और थकान से मैं पूरी तरह से थककर चूर हो गया था। अंततः बहुत दूर मुझे एक रोशनी सी दिखाई दी। रोशनी देख मुझ में नयी ताकत का संचार हो गया।

वैसे मेरे शरीर में जान तो नहीं बची थी, फिर भी मैं रोशनी को देख आगे बढ़ता रहा। आखिरकार मैं गुफा के मुहाने तक पहुंच गया। वह शायद द्वीप का कोई दूसरा किनारा था क्योंकी समुद्र अब मेरे सामने था। सबसे पहले मैंने वहां लगे पेडों से पेट भरकर फल खाये और एक तालाब का पानी पीया।

फ़िर वहीं एक पेड़ पर चढ़कर सो गया। थकान और पेट भर जाने के कारण मैं कितनी देर तक सोता रहा, मुझे नहीं पता चला। जब मैं जागा तो सूर्य निकल रहा था। शायद मैं 24 घंटे तक सोया था। लेकिन मैं अब अपने आप को काफ़ी ताज़ा महसूस कर रहा था। अब मुझे यहां से निकलने के बारे में सोचना था।

पर कैसे...? बिना बोट के मैं समुद्र में ज़्यादा दूर तक जा भी नहीं सकता था। पर यहां बोट कहां से मिलती? धीरे-धीरे उस जगह पर रहते हुए मुझे कई दिन बीत गये, पर मुझे उस द्वीप से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला। भला यही था कि द्वीप के उस किनारे पर किसी भी प्रकार की मुसीबत नहीं थी। मैं रोज पेड़ के फल खाता और तालाब का पानी पी रहा था।

मैं उस द्वीप की जिंदगी से बोर होने लगा। एक दिन मैंने एक बोट बनाने का सोचा। फिर क्या था मैंने वहां लगे बांस के पेडों से कुछ बांस तोड़ लिये और जंगली बेल व पेड़ की जडों से सबको आपस में बांध लिया। इसी तरह मैंने 2 लकड़ी के चप्पू बना लिये। अब मैं लकड़ी के उस बेड़े पर बैठकर समुद्र में कुछ दूर तक जाने लगा। अब मैं नुकिले काँटो को छोटी-छोटी लकडिय़ों में पिरो कर उसे तीर और भाले का रूप देने लगा और मछलिय़ों का शिकार करने लगा।

मछलिय़ों को कच्चा खाना मेरे लिये बहुत मुश्किल था, पर मुझे आग जलाना अभी आया नहीं था। इसिलये कच्ची मछलिय़ों से ही काम चलाना पड़ रहा था। कुछ दिन और बीत गये। अब मेरी बोट भी थोड़ी और बड़ी हो गयी थी। मैंने कुछ जडों को पेड़ की छाल से बांधकर 10-12 टोकरियां भी बना ली। अब मैं समुद्र में खाना भी लेकर जाने को तैयार था। अब परेशानी केवल पानी की रह गयी थी। क्यों कि समुद्र में ज़्यादा से ज़्यादा दिन जिंदा रहने के लिये पानी का होना सबसे ज़्यादा जरुरी था।

फिलहाल इसका मेरे पास कोई उपाय नहीं था। फिर दिन बीतने लगे। मुझे द्वीप के उस किनारे पर रहते हुए 55 दिन बीत गये। आखिरकार एक दिन मुझे पत्थरों से आग जलाना भी आ गया। फिर तो मुझे मजा ही आ गया। अब मैं मछलिय़ों को पकड़ कर उन्हें पका कर भी खाने लगा।

जब 2 दिन और बीत गये तो अचानक से मेरे दिमाग में मिट्टी के घड़े बनाने का प्लान आया। मैंने 1 दिन के अंदर 20 बड़े-बड़े मटके बना लिये और उन्हें आग में पकाकर पक्का भी कर लिया। अब समुद्र में पानी की समस्या भी ख़त्म हो गयी थी। अब फाइनली मैंने इस द्वीप से निजात पाने का सोचा। अब मैंने कुछ और बांस तोड़कर अपने बेड़े को बड़ा बनाया। फिर 12 टोकरियां में खाने के फल और 20 मटको में तालाब का साफ पानी भरके उन सबको पेड़ की जडों से अच्छी तरह से बांधकर निकल पड़ा उस विशालकाय समुद्र में एक अंतहीन सफर पर।

धीरे-धीरे समुद्र में दिन बीतने लगे। शार्क, बड़ी मछिलयां और तूफान, ना जाने कितनी ऐसी मुसीबतो का सामना करते हुए मुझे 25 दिन बीत गये। मेरे पास अब सारा खाना ख़त्म हो गया था। पानी भी केवल एक मटकी में ही बचा था। 2 दिन बाद वो भी ख़त्म हो गया। 2 दिन के बाद मेरे शरीर में इतनी भी जान नहीं बची थी कि मैं उठकर खड़ा भी हो सकूं।

आख़िर मैं बेहोश होकर अपने बेड़े पर गिर गया। मुझे जब होश आया तो मैंने अपने आपको अंजान जहाज पर पाया। उस जहाज के लोगो को रात के अंधेरे में मेरे गले में पड़े लॉकेट की रोशनी दिखाई दी थी। जिसके बाद उन्होंने मुझे जहाज पर खींच लिया था। उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछा, पर मैंने पागल होने का नाटक कर उन्हें कुछ नहीं बताया।

जहाज वालों ने अमेरिका पहुंचकर मुझे पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने मेरा फोटो समाचार पत्र में प्रकाशित करवा दिया।
इस तरह मेरे घरवाले मुझे वहां लेने आ पहुंचे। जब पुलिस को यह पता चला कि मैं ब्लैक थंडर पर था, तो उन्होंने मुझसे जहाज के बारे में पूछने की बहुत किशिश की, पर मैं पहले के समान ही पागलो की तरह एक्टिंग करता रहा और मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।

धीरे-धीरे समय बीतता गया। मैंने अपने पूरे सफर को कलमबध्द कर अपनी डायरी में लिख लिया। उसके बाद मैंने अपनी याद के सहारे उस द्वीप का एक नक्शा भी बनाया। मेरा लड़का मोईन अभी छोटा है। मैंने यह सोच रखा है कि जब वह बड़ा हो जायेगा तो मैं ये सारी चीज़े उसके सुपुर्द कर दूंगा।"

इतना पढ़कर सुयश शांत हो गया और बारी-बारी सबका चेहरा देखने लगा। कुछ देर के लिये वहां पर एक सन्नाटा सा छा गया।



जारी रहेगा________✍️
To ye locha tha aslam ka, usmaan ki dairy ki vajah se wo wo yaha aaya tha,🤔 saala khud to aaya per poore 2700 se jyada logon ko marwaya us ke laalach ne:saint: aana hota to khud hi aa gaya hota, oron ko kyu marne ke liye laaye😐 accha hua nipat gaya, awesome update bhai👌🏻👌🏻
 
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