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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Supreme
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
ये नक्षत्रा ने जेनिथ को तौफिक की पुरी जन्मकुंडली दिखा दी साथ ही साथ लाॅरेन की भी
बहुत ही जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Aage bhi bohot kaam ka saabit hone wala hai ye nakchatra :shhhh: Thank you so much for your valuable review and superb support bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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टोटा आते ही, नार मैं फ़र्क आवै,
चोधर मिलते ही, यार मै फर्क आवै,
माॅ के मरते ही, घरबार मै फर्क आवै,
पिता के मरते ही, संस्कार मै फर्क आवै,
भरोसा ना हो तो, व्यापार मै फर्क आवै,
हमनें देखी है, जिंदगी की हर परिस्थित,
समय के साथ , प्यार में भी फर्क आवै।।
:writing:
 
Last edited:
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#66.

अचानक वह ढाल नाचते हुए वहीं पर जमीन में समा गयी। जहां पर वह ढाल जमीन में समायी थी, अब वहां पर एक 5 फुट चौड़ाई का गड्ढ़ा (छेद) दिखाई देने लगा।

जेम्स ने गड्डे में झांक कर देखा। गड्डे में नीचे की तरफ जाती हुई सीढ़ियाँ दिखाई देने लगी।

आश्चर्याजनक तरीके से वह सीढ़ियाँ ऐसे चमक रही थी, जैसे उनमें सुनहरी लाइट लगी हो। सीढ़ियों के अगल-बगल घुप्प अंधेरा था।

विल्मर ने अपने टूल बैग से एक पावरफुल टार्च निकाली और उसे ऑन कर उसकी रोशनी गड्डे में मारी, पर टार्च की रोशनी भूसे में तिनके के समान लगी। टार्च की रोशनी 10 फुट से ज़्यादा आगे नहीं जा रही थी।

“क्या हमें नीचे चलकर देखना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर की ओर देखते हुए पूछा।

“अब जब इतनी मेहनत की है, तो नीचे भी जाकर अवश्य देखेंगे।" विल्मर ने हामी भरते हुए कहा।

“पर ये सीढ़ियाँ तो बहुत ज़्यादा दिख राही हैं, इनका तो कही अंत भी नही दिख रहा है।" जेम्स ने सीढ़ियों की ओर देखते हुए कहा- “शायद ये हजार से भी ज़्यादा है? पता नही जमीन से इतना नीचे ऑक्सीजन भी
होगा कि नही?"

“एक काम करते है। कुछ नीचे तक उतर कर देखते है, अगर हम उतने नीचे तक कंफर्टेबल नहीं होंगे तो वहां से वापस आ जाएंगे।" विल्मर ने जेम्स के सामने अपनी राय रखते हुए कहा।

“ठीक है, तो मैं नीचे चलने को तैयार हू।" जेम्स ने भी विल्मर की राय पर अपनी सहमती जताते हुए कहा।

फिर क्या था दोनो ने अपने कंधे पर टूल बैग टांगा और हाथो में टार्च लेकर सीढ़ियों पर उतर गये।

अभी वह 6-7 सीढ़ियाँ ही उतर पाये थे कि तभी उन्हे एक तेज हवा का झोंका महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे कुछ उनके बगल से तेजी से निकला हो और इसी के साथ एक तेज गड़गड़ाहट के साथ ढाल वाला रास्ता ऊपर से बंद हो गया।

“ये तो ऊपर वाला रास्ता बंद हो गया?" जेम्स ने डरते हुए कहा-“अब हम वापस कैसे जाएंगे?“

“परेशान मत हो।" विल्मर ने जेम्स का हौसला बढ़ाते हुए कहा-“अगर ऊपर से दरवाजा खोलने का तरीका था तो नीचे से भी जरूर होगा। पहले नीचे चलते है, ऊपर की बाद में सोचेंगे।"

दोनो अब सावधानी से नीचे उतरने लगे। लगभग 800 सीढ़ियाँ उतरने के बाद उन्हे आगे सीढ़ियाँ ख़तम होती दिखि। यह देख दोनों ने राहत की साँस ली।

कुछ और आगे जाने पर अब इन्हे आखरी सीढ़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी।

“यह क्या? आखरी सीढ़ी तो लाल रंग में चमक रही है।" जेम्स ने आखरी सीढ़ी की ओर देखते हुए कहा।

विल्मर को भी कुछ समझ में नहीं आया। अब दोनों जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतरने लगे।

अगले 5 मिनट में ही दोनों आखरी सीढ़ी के पास पहुंच गये।

जेम्स ने आखरी सीढ़ी से पहले ही टार्च को सामने की ओर मारा। सामने लगभग 10 कदम आगे अंधेरे में एक दीवार थी।

कुछ सोच विल्मर ने धीरे से अपना एक पैर लाल रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया।

विल्मर के ऐसा करते ही लाल वाली सीढ़ी का रंग हरा हो गया।

यह देख जेम्स ने भी अपना पैर हरे रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया और जेम्स के ऐसा करते ही उस हरी सीढ़ी को छोड़ बाकी सभी सीढ़ियों का चमकना बंद हो गया।

अब पीछे कुछ भी नहीं दिख रहा था की वो लोग कहां से आये थे?

तभी उस पहाड़ में कहीं ‘खट्-खट्’ की आवाज उभरी और इसके साथ ही इनके सामने की दीवार सुनहरी रोशनी से जगमगा उठी।

उस दीवार में उसी सुनहरी धातु से बना एक दरवाजा लगा था, जिसको काटने की इन्होने कोशिश की थी। उस दरवाजे के बीचोबीच में एक चाँदी जैसी धातु से बना शेर का उभरा हुआ सिर लगा था।

उस शेर का मुंह खुला हुआ था और उस खुले मुंह से शेर की जीभ बाहर आ रही थी।

जेम्स और विल्मर के सामने वह चमकता दरवाजा था और बाकी की दोनो साइड बिल्कुल अंधेरा था।

“यह तो बहुत विचित्र जगह लग रही है। विल्मर ने जेम्स से कहा- “लगता है सच में हमने किसी नयी दुनियां को खोज लिया है?"

“क्या फायदा ऐसी नयी दुनियां का, जिसके बारे में अब हम किसी को बता ही नहीं सकते।" जेम्स ने नकारात्मक अंदाज में कहा।

“परेशान मत हो जेम्स। हमको यहां से निकलने का रास्ता जरूर मिल जायेगा।" विल्मर ने फ़िर जेम्स की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा- “पहले यह सोचो कि यहां से आगे बढ़ने का रास्ता किधर है?"

यह सुन जेम्स ने आगे बढ़कर शेर की आँख को अंदर दबाने की कोशिश की, पर वह अंदर नहीं दबी।

अब जेम्स कभी शेर के कान उमेठता तो कभी उसकी जीभ, पर शेर के सिर का कोई भाग चलायमान नहीं था।

विल्मर ध्यान से जेम्स की यह बच्चे जैसी हरकत देख कर मुस्कुरा रहा था। तभी विल्मर की निगाह शेर के खुले मुंह के अंदर की ओर गयी। विल्मर ने जाने क्या सोचकर शेर के मुंह के अंदर टार्च मारकर देखा।

विल्मर को शेर के मुंह के अंदर कोई लीवर सा दिखाइ दिया। यह देख विल्मर ने शेर के मुंह में हाथ डालकर उस लीवर को धीरे से हिलाने की कोशिश की।

विल्मर के छेड़-छाड़ करने पर वह लीवर आगे की तरफ खिंच गया और तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज के साथ, वह दरवाजा अंदर की ओर खुल गया।

जेम्स और विल्मर उस दरवाजे को पार कर दूसरी तरफ आ गये।

दरवाजे के दूसरी तरफ एक विशालकाय कमरा था। देखने में वह कमरा किसी पुराने राजा के दरबार जैसा था।

कमरे के बीचोबीच एक गोल पानी का फव्वारा लगा था। उस फव्वारे के बीच में एक विचित्र सी नक्काशी
किया हुआ एक धातु का खंभा बना था। उस खंभे के ऊपर की आकृति एक 7 सिर वाले साँप (सर्प) की थी, जिसके सातों फन गोल आकृति में आपस में जुड़े थे।

हर सर्प के फन से पानी की फुहार निकल रही थी, जो उस गोल फव्वारे में गिर रही थी। सर्प के उन फनों पर एक छोटा सा चबूतरा बना था, जिस पर एक असली कमल का फूल रखा हुआ था।

गोल फव्वारे के अंदर काफ़ी मात्रा में पानी भरा था जिसमें नीले रंग की छोटी-छोटी सुंदर मछिलयां तैर रही थी।

उस कमरे में दीवार से चिपके हुए 7 कांच के ताबूत भी लगे थे। सभी ताबूत के बीच लगभग 10 मीटर की दूरी थी।

हर एक ताबूत में अलग-अलग रंग का द्रव्य भरा था, जिसके बीच 7 पौराणिक योद्धाओ के निर्जीव शरीर भी उपस्थित थे।

हर एक योद्धा लंबा- चौड़ा दिख रहा था। उनमें से बीच वाले ताबूत के सामने एक 2 फुट का, धातु का पोडियम बना था, जिस पर 3 छोटे-छोटे सुराख बने थे।

कमरे की दीवार और छत पर उसी सुनहरी धातु से नक्काशी की गई थी। कमरे की छत पर एक उसी धातु से एक चित्र को उकेरा गया था।

उस चित्र में पहाड़ो के बीच बनी किसी घाटी के सीन को दिखाया गया था, जिसमें सूर्य पहाड़ो के बीच से निकलता दिखाई दे रहा था और सूर्य की किरणें घाटी में पड़ रही थी।
उस घाटी के आसमान पर एक इंद्रधनुष भी चमक रहा था।

कुल मिलाकर कमरे का माहौल बहुत ही रहस्यमयी दिख रहा था।

जेम्स और विल्मर कमरे में घूमते हुए पहले एक-एक कर सारी चीज़ो को देखने लगे। कमरे में सबसे आशचर्यजनक उन्हें वही काँच के ताबूत दिखे।

“विल्मर!" जेम्स ने विल्मर को सम्बोधित करते हुए कहा-

“क्या ये पौराणिक समय की ममी है जिन्हें किसी द्रव के अंदर सुरक्षित रखा गया है?"

“लग तो कुछ ऐसा ही रहा है, पर ताबूत में बंद हर द्रव का रंग अलग-अलग क्यों है?“ विल्मर ने कहा।

“एक बात और अजीब सी है।" जेम्स ने कमरे में एक नजर दौड़ाते हुए कहा- “उस खंभे पर मौजूद सर्प के 7 सिर है, यहां पर 7 ही ताबूत है और उन ताबूतों में 7 ही रंग का द्रव्य भरा है। तुम्हे यह अजीब सी समानता देख कर क्या लग रहा है?"

“तुमने छत की ओर ध्यान नहीं दिया।" विल्मर ने छत की ओर इशारा करते हुए कहा- “वहां पर भी जो चित्र बना है, उसमें सूर्य से 7 ही किरणें निकल रही है और वहां बने इंद्रधनुष में भी 7 ही रंग भरे है। इसका साफ मतलब है की 7 अंक का कुछ ना कुछ तो चक्कर है?"

“इंद्रधनुष!"

जेम्स इंद्रधनुष का नाम सुनकर फ़िर से उन काँच के ताबूतों की ओर देखने लगा और फ़िर चहक कर बोला- “विल्मर, इन ताबूत के अंदर भरा द्रव का रंग इंद्रधनुष के रंग से मैच कर रहा है। जरा ध्यान से इन सारे ताबूतों को देखो, पहले ताबूत में बैंगनी रंग का द्रव है, दूसरे में आसमानी, तीसरे में नीला, चौथे में हरा, पांचवे में पीला, छठे में नारंगी और सातवां में लाल रंग का द्रव भरा है, और इंद्रधनुष में भी यही सारे रंग पाये जाते है।"

विल्मर भी यह देखकर आश्चर्य से भर गया क्यों की जेम्स का अवलोकन बिल्कुल सही था।

“अच्छा, इस पूरे कमरे को देखकर यह भी महसूस हो रहा है जैसे कि ये पूरा सेटअप कल ही लगाया गया हो।" जेम्स ने कहा- “पूरा कमरा साफ-सुथरा नजर आ रहा है, यहां तक कि उन सर्प के ऊपर रखा कमल का फूल भी बिल्कुल ताजा दिख रहा है।"

कहते-कहते जेम्स उस फव्वारे के पास आ गया और ध्यान से उन सर्प की आकृति वाले खंभे को देखने लगा। कुछ सोचकर जेम्स ने फव्वारे के पानी में अपना कदम रख दिया।

उसके पानी में कदम रखते ही पानी में मौजूद नीली मछिलयां भाग कर दूसरी साइड चली गई।





जारी रहेगा_______✍️
Awesome and mind blowing update bhai 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 
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अचानक वह ढाल नाचते हुए वहीं पर जमीन में समा गयी। जहां पर वह ढाल जमीन में समायी थी, अब वहां पर एक 5 फुट चौड़ाई का गड्ढ़ा (छेद) दिखाई देने लगा।

जेम्स ने गड्डे में झांक कर देखा। गड्डे में नीचे की तरफ जाती हुई सीढ़ियाँ दिखाई देने लगी।

आश्चर्याजनक तरीके से वह सीढ़ियाँ ऐसे चमक रही थी, जैसे उनमें सुनहरी लाइट लगी हो। सीढ़ियों के अगल-बगल घुप्प अंधेरा था।

विल्मर ने अपने टूल बैग से एक पावरफुल टार्च निकाली और उसे ऑन कर उसकी रोशनी गड्डे में मारी, पर टार्च की रोशनी भूसे में तिनके के समान लगी। टार्च की रोशनी 10 फुट से ज़्यादा आगे नहीं जा रही थी।

“क्या हमें नीचे चलकर देखना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर की ओर देखते हुए पूछा।

“अब जब इतनी मेहनत की है, तो नीचे भी जाकर अवश्य देखेंगे।" विल्मर ने हामी भरते हुए कहा।

“पर ये सीढ़ियाँ तो बहुत ज़्यादा दिख राही हैं, इनका तो कही अंत भी नही दिख रहा है।" जेम्स ने सीढ़ियों की ओर देखते हुए कहा- “शायद ये हजार से भी ज़्यादा है? पता नही जमीन से इतना नीचे ऑक्सीजन भी
होगा कि नही?"

“एक काम करते है। कुछ नीचे तक उतर कर देखते है, अगर हम उतने नीचे तक कंफर्टेबल नहीं होंगे तो वहां से वापस आ जाएंगे।" विल्मर ने जेम्स के सामने अपनी राय रखते हुए कहा।

“ठीक है, तो मैं नीचे चलने को तैयार हू।" जेम्स ने भी विल्मर की राय पर अपनी सहमती जताते हुए कहा।

फिर क्या था दोनो ने अपने कंधे पर टूल बैग टांगा और हाथो में टार्च लेकर सीढ़ियों पर उतर गये।

अभी वह 6-7 सीढ़ियाँ ही उतर पाये थे कि तभी उन्हे एक तेज हवा का झोंका महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे कुछ उनके बगल से तेजी से निकला हो और इसी के साथ एक तेज गड़गड़ाहट के साथ ढाल वाला रास्ता ऊपर से बंद हो गया।

“ये तो ऊपर वाला रास्ता बंद हो गया?" जेम्स ने डरते हुए कहा-“अब हम वापस कैसे जाएंगे?“

“परेशान मत हो।" विल्मर ने जेम्स का हौसला बढ़ाते हुए कहा-“अगर ऊपर से दरवाजा खोलने का तरीका था तो नीचे से भी जरूर होगा। पहले नीचे चलते है, ऊपर की बाद में सोचेंगे।"

दोनो अब सावधानी से नीचे उतरने लगे। लगभग 800 सीढ़ियाँ उतरने के बाद उन्हे आगे सीढ़ियाँ ख़तम होती दिखि। यह देख दोनों ने राहत की साँस ली।

कुछ और आगे जाने पर अब इन्हे आखरी सीढ़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी।

“यह क्या? आखरी सीढ़ी तो लाल रंग में चमक रही है।" जेम्स ने आखरी सीढ़ी की ओर देखते हुए कहा।

विल्मर को भी कुछ समझ में नहीं आया। अब दोनों जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतरने लगे।

अगले 5 मिनट में ही दोनों आखरी सीढ़ी के पास पहुंच गये।

जेम्स ने आखरी सीढ़ी से पहले ही टार्च को सामने की ओर मारा। सामने लगभग 10 कदम आगे अंधेरे में एक दीवार थी।

कुछ सोच विल्मर ने धीरे से अपना एक पैर लाल रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया।

विल्मर के ऐसा करते ही लाल वाली सीढ़ी का रंग हरा हो गया।

यह देख जेम्स ने भी अपना पैर हरे रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया और जेम्स के ऐसा करते ही उस हरी सीढ़ी को छोड़ बाकी सभी सीढ़ियों का चमकना बंद हो गया।

अब पीछे कुछ भी नहीं दिख रहा था की वो लोग कहां से आये थे?

तभी उस पहाड़ में कहीं ‘खट्-खट्’ की आवाज उभरी और इसके साथ ही इनके सामने की दीवार सुनहरी रोशनी से जगमगा उठी।

उस दीवार में उसी सुनहरी धातु से बना एक दरवाजा लगा था, जिसको काटने की इन्होने कोशिश की थी। उस दरवाजे के बीचोबीच में एक चाँदी जैसी धातु से बना शेर का उभरा हुआ सिर लगा था।

उस शेर का मुंह खुला हुआ था और उस खुले मुंह से शेर की जीभ बाहर आ रही थी।

जेम्स और विल्मर के सामने वह चमकता दरवाजा था और बाकी की दोनो साइड बिल्कुल अंधेरा था।

“यह तो बहुत विचित्र जगह लग रही है। विल्मर ने जेम्स से कहा- “लगता है सच में हमने किसी नयी दुनियां को खोज लिया है?"

“क्या फायदा ऐसी नयी दुनियां का, जिसके बारे में अब हम किसी को बता ही नहीं सकते।" जेम्स ने नकारात्मक अंदाज में कहा।

“परेशान मत हो जेम्स। हमको यहां से निकलने का रास्ता जरूर मिल जायेगा।" विल्मर ने फ़िर जेम्स की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा- “पहले यह सोचो कि यहां से आगे बढ़ने का रास्ता किधर है?"

यह सुन जेम्स ने आगे बढ़कर शेर की आँख को अंदर दबाने की कोशिश की, पर वह अंदर नहीं दबी।

अब जेम्स कभी शेर के कान उमेठता तो कभी उसकी जीभ, पर शेर के सिर का कोई भाग चलायमान नहीं था।

विल्मर ध्यान से जेम्स की यह बच्चे जैसी हरकत देख कर मुस्कुरा रहा था। तभी विल्मर की निगाह शेर के खुले मुंह के अंदर की ओर गयी। विल्मर ने जाने क्या सोचकर शेर के मुंह के अंदर टार्च मारकर देखा।

विल्मर को शेर के मुंह के अंदर कोई लीवर सा दिखाइ दिया। यह देख विल्मर ने शेर के मुंह में हाथ डालकर उस लीवर को धीरे से हिलाने की कोशिश की।

विल्मर के छेड़-छाड़ करने पर वह लीवर आगे की तरफ खिंच गया और तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज के साथ, वह दरवाजा अंदर की ओर खुल गया।

जेम्स और विल्मर उस दरवाजे को पार कर दूसरी तरफ आ गये।

दरवाजे के दूसरी तरफ एक विशालकाय कमरा था। देखने में वह कमरा किसी पुराने राजा के दरबार जैसा था।

कमरे के बीचोबीच एक गोल पानी का फव्वारा लगा था। उस फव्वारे के बीच में एक विचित्र सी नक्काशी
किया हुआ एक धातु का खंभा बना था। उस खंभे के ऊपर की आकृति एक 7 सिर वाले साँप (सर्प) की थी, जिसके सातों फन गोल आकृति में आपस में जुड़े थे।

हर सर्प के फन से पानी की फुहार निकल रही थी, जो उस गोल फव्वारे में गिर रही थी। सर्प के उन फनों पर एक छोटा सा चबूतरा बना था, जिस पर एक असली कमल का फूल रखा हुआ था।

गोल फव्वारे के अंदर काफ़ी मात्रा में पानी भरा था जिसमें नीले रंग की छोटी-छोटी सुंदर मछिलयां तैर रही थी।

उस कमरे में दीवार से चिपके हुए 7 कांच के ताबूत भी लगे थे। सभी ताबूत के बीच लगभग 10 मीटर की दूरी थी।

हर एक ताबूत में अलग-अलग रंग का द्रव्य भरा था, जिसके बीच 7 पौराणिक योद्धाओ के निर्जीव शरीर भी उपस्थित थे।

हर एक योद्धा लंबा- चौड़ा दिख रहा था। उनमें से बीच वाले ताबूत के सामने एक 2 फुट का, धातु का पोडियम बना था, जिस पर 3 छोटे-छोटे सुराख बने थे।

कमरे की दीवार और छत पर उसी सुनहरी धातु से नक्काशी की गई थी। कमरे की छत पर एक उसी धातु से एक चित्र को उकेरा गया था।

उस चित्र में पहाड़ो के बीच बनी किसी घाटी के सीन को दिखाया गया था, जिसमें सूर्य पहाड़ो के बीच से निकलता दिखाई दे रहा था और सूर्य की किरणें घाटी में पड़ रही थी।
उस घाटी के आसमान पर एक इंद्रधनुष भी चमक रहा था।

कुल मिलाकर कमरे का माहौल बहुत ही रहस्यमयी दिख रहा था।

जेम्स और विल्मर कमरे में घूमते हुए पहले एक-एक कर सारी चीज़ो को देखने लगे। कमरे में सबसे आशचर्यजनक उन्हें वही काँच के ताबूत दिखे।

“विल्मर!" जेम्स ने विल्मर को सम्बोधित करते हुए कहा-

“क्या ये पौराणिक समय की ममी है जिन्हें किसी द्रव के अंदर सुरक्षित रखा गया है?"

“लग तो कुछ ऐसा ही रहा है, पर ताबूत में बंद हर द्रव का रंग अलग-अलग क्यों है?“ विल्मर ने कहा।

“एक बात और अजीब सी है।" जेम्स ने कमरे में एक नजर दौड़ाते हुए कहा- “उस खंभे पर मौजूद सर्प के 7 सिर है, यहां पर 7 ही ताबूत है और उन ताबूतों में 7 ही रंग का द्रव्य भरा है। तुम्हे यह अजीब सी समानता देख कर क्या लग रहा है?"

“तुमने छत की ओर ध्यान नहीं दिया।" विल्मर ने छत की ओर इशारा करते हुए कहा- “वहां पर भी जो चित्र बना है, उसमें सूर्य से 7 ही किरणें निकल रही है और वहां बने इंद्रधनुष में भी 7 ही रंग भरे है। इसका साफ मतलब है की 7 अंक का कुछ ना कुछ तो चक्कर है?"

“इंद्रधनुष!"

जेम्स इंद्रधनुष का नाम सुनकर फ़िर से उन काँच के ताबूतों की ओर देखने लगा और फ़िर चहक कर बोला- “विल्मर, इन ताबूत के अंदर भरा द्रव का रंग इंद्रधनुष के रंग से मैच कर रहा है। जरा ध्यान से इन सारे ताबूतों को देखो, पहले ताबूत में बैंगनी रंग का द्रव है, दूसरे में आसमानी, तीसरे में नीला, चौथे में हरा, पांचवे में पीला, छठे में नारंगी और सातवां में लाल रंग का द्रव भरा है, और इंद्रधनुष में भी यही सारे रंग पाये जाते है।"

विल्मर भी यह देखकर आश्चर्य से भर गया क्यों की जेम्स का अवलोकन बिल्कुल सही था।

“अच्छा, इस पूरे कमरे को देखकर यह भी महसूस हो रहा है जैसे कि ये पूरा सेटअप कल ही लगाया गया हो।" जेम्स ने कहा- “पूरा कमरा साफ-सुथरा नजर आ रहा है, यहां तक कि उन सर्प के ऊपर रखा कमल का फूल भी बिल्कुल ताजा दिख रहा है।"

कहते-कहते जेम्स उस फव्वारे के पास आ गया और ध्यान से उन सर्प की आकृति वाले खंभे को देखने लगा। कुछ सोचकर जेम्स ने फव्वारे के पानी में अपना कदम रख दिया।

उसके पानी में कदम रखते ही पानी में मौजूद नीली मछिलयां भाग कर दूसरी साइड चली गई।





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जेम्स अब उस खंभे की ओर बढ़ा। उसने सर्प के एक फन को धीरे से हिलाकर देखा, पर कहीं कोई हरकत नहीं हुई। जेम्स ने सर्प के मुंह में भी हाथ डालकर देखा, मगर वहां भी कुछ नहीं था। कुछ सोचकर जेम्स ने सर्प के सिर पर रखा कमल का फूल हाथ में उठा लिया।

जेम्स के द्वारा फूल उठाए जाते ही अचानक से फव्वारे के पानी में मौजूद नीली मछिलयां बहुत तेजी से इधर-उधर भागने लगी।

यह देखकर जेम्स घबरा कर फव्वारे से फूल लेकर बाहर आ गया। मछलियों के पानी में भागने की रफ़्तार अब और भी तेज हो गयी।

“अरे यह क्या?" विल्मर ने मछलियों को देखते हुए आशचर्य से कहा- “इन मछलियों का तो आकार भी बढ़ता जा रहा है।"

विल्मर की बात सुन जेम्स भी हैरान रह गया क्यों की मछलियों का आकार सच में बढ़ रहा था और इसी के साथ कम होता जा रहा था फव्वारे का पानी भी।

ऐसा लग रहा था कि मछिलयां फव्वारे का पानी पीकर ही बड़ी हो रही है। जेम्स और विल्मर घबरा कर थोड़ा पीछे हट गये।

कुछ ही देर में नींबू के आकार की मछिलयां फुटबॉल के आकार की हो गयी और धीरे-धीरे फव्वारे
का सारा पानी भी ख़तम हो गया।

जैसे ही सारा पानी ख़तम हुआ, अचानक से उस सर्पकार खंभे ने लट्टू की तरह से नाचना शुरू कर दिया और नाचते-नाचते जमीन में समाने लगा।

धीरे-धीरे वह पूरा का पूरा खंभा जमीन में समा गया और उसके साथ ही उस गड्डे में सारी मछिलयां भी समा गई।

अब जमीन से हल्की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने लगी और इसी के साथ उस खाली स्थान से एक बर्फ़ की सिल्ली बाहर निकलती हुई दिखाई दी।

धीरे-धीरे 6 फुट की एक बर्फ़ की सिल्ली पूरी बाहर आ गयी।

सिल्ली के बाहर निकलते ही अचानक छत पर बने सूर्य से 7 रंग की किरण निकलकर उस बर्फ़ की
सिल्ली पर पड़ने लगी और इसी के साथ सिल्ली की बर्फ़ पिघलने लगी।

बर्फ़ के अंदर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बंद थी जो बर्फ़ के पिघलने के साथ-साथ सजीव होने लगी। वह लड़की किसी अप्सरा की मानिंद खूबसूरत दिख रही थी।

हिरन के समान काली आँखें, अग्नि के समान घुंघराले सुनहरे बाल, सीप से पतले होंठ, गुलाब सा चेहरा, सुराहीदार गरदन, दूध सा चमकता गोरा शरीर, सब कुछ उसकी खूबसूरती को बयां कर रहे थे।

उसके माथे पर सुनहरा मगर छोटा सा मुकुट था। उसने योद्धाओं के समान सुनहरी धातु की पोशाक भी पहन रखी थी। उसने हाथ में एक 6 फुट की सुनहरी धातु का त्रिशूल पकड़ रखा था।

जेम्स और विल्मर तो यह सीन देख डर कर भागने वाले थे, पर उस लड़की का सौंदर्य ही ऐसा था जो कि उनको वहां से हटने ही नहीं दे रहा था। दोनों मंत्र-मुग्ध से उस योद्धा अप्सरा को निहार रहे थे।

कुछ ही देर में बर्फ़ पूरी तरह से पिघल गयी और वह अप्सरा पूर्ण सजीव हो गयी।

अब उस अप्सरा की नजरे जेम्स और विल्मर पर गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उन दोनों के सामने आ खड़ी हुई।

“जेम्स और विल्मर को शलाका का प्रणाम।" उस अप्सरा ने झुककर जेम्स और विल्मर को अभिवादन किया।

अपना नाम शलाका के मुंह से सुनकर जेम्स और विल्मर के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा। उन्हें कुछ
बोलते नहीं बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके होंठ उनके तालू से चिपक गये हो।

“क.... क.... कौन हो आप?" बहुत मुश्किल से विल्मर ने डरते हुए शलाका से पूछा- “और हमारा नाम कैसे जानती हो?"

“थोड़ी देर इत्मिनान रखिये, अभी सब बताऊंगी आप लोग को, पहले जरा इन सबको तो जगा दू।" इतना कहकर शलाका ने उन ताबूतों को देखा जो कि कमरे में खड़े थे।

शलाका अब चलती हुई बीच वाले ताबूत के पास रखे पोडियम के पास पहुंच गयी। उसने एक बार सभी ताबूतों की ओर देखा और फ़िर पोडियम के बीच बने तीनो सुराख में अपना त्रिशूल घुसा दिया।

त्रिशूल के घुसाते ही हर ताबूत में जमीन की तरफ एक सुराख हो गया और उस सुराख के
माध्यम से सारा रंगीन द्रव्य जमीन में समा गया।

जैसे ही पूरा द्रव्य ताबूत से ख़तम हुआ, सारे योद्धा जीवित हो गये। योद्धाओं के जीवित होते ही सभी काँच के ताबूत जमीन में समा गये।

“सभी भाइयों का सन् 2004 में स्वागत है।" शलाका ने झुक कर सभी का अभिवादन किया।

आठों योद्धाओ ने अपने हाथ से मुक्के बनाकर आपस में टकराये। अब उनकी निगाहें डरे-सहमें जेम्स और विल्मर की ओर थी।

“हम 5000 वर्ष के बाद आज जागे है।" शलाका ने जेम्स और विल्मर की ओर देखते हुए कहा- “हम आपको सब बतायेंगे, पर अभी आप लोग थोड़ा आराम करे और हमें अपने कुछ जरुरी काम कर लेने दे। फ़िर हम आप को सब बतायेंगे।"

जेम्स और विल्मर के पास तो बहस करने की हिम्मत भी नहीं थी अतः उनहोने शांति से सर हिला दिया।

शलाका ने सहमित देख अपना त्रिशूल हवा में लहराया। जिसकी वजह से हवा में एक दरवाजा उत्तपन्न
हुआ। शलाका ने दोनों को उस दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया।

जेम्स और विल्मर ना चाहते हुए भी उस दरवाजे के अंदर प्रवेश कर गये।

दरवाजे के दूसरी तरफ एक शानदार शयनकक्ष था जिसमें खाने-पीने के सामान के अलावा टॉयलेट भी मौजूद था। परंतु उस कमरे में कोई दरवाजा नहीं था और उनके शयनकक्ष में घुसते ही शलाका का बनाया द्वार भी गायब हो गया था।

जेम्स और विल्मर अब बिल्कुल असहाय महसूस कर रहे थे। उनके पास अब इंतजार करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था।

इसिलए दोनों बिस्तर पर जाकर बैठ गये और इंतजार करने लगे शलाका के आने का।


नयनतारा:
8 जनवरी 2002, मंगलवार, 10:00, मायावन, अराका द्वीप

सुबह उठकर नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद सभी ने हलका-फुलका फलो का नास्ता किया और फ़िर से जंगल के अंदर की ओर चल दिये।

इस समय सभी सावधानी से अपने कदम बढ़ा रहे थे। उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि द्वीप बहुत ही खतरनाक और विचित्र चीज़ों से भरा पड़ा है।

सबसे आगे सुयश चल रहा था, फ़िर उसके पीछे अल्बर्ट था, उसके पीछे एलेक्स और क्रिस्टी, फ़िर शैफाली और ब्रूनो, फ़िर जेनिथ और तौफीक, फ़िर असलम और ब्रैंडन और फ़िर सबसे पीछे जैक और जॉनी।

जैक और जॉनी इसिलये सबसे पीछे थे जिससे खतरा महसूस होते ही वह पीछे से भाग सके।

“पता नहीं कब ख़तम होगा ये जंगल?" जैक ने जॉनी से धीमी आवाज में कहा- “परेशान हो गया हू चलते-चलते।"

“मुझसे तो बिना शराब के चला ही नहीं जा रहा है।" जॉनी ने रोनी सूरत बनाते हुए कहा- “पूरे 2 दिन से शराब की एक बूंद भी नहीं गयी हलक के नीचे। बेकार है इतने पैसे का होना, जबकि हम उसे प्रयोग में
ही ना ला सके।"

“तुझे शराब की पड़ी है। यहां मैंने कितने सपने सजाए थे कि ऑस्ट्रेलिया जाकर बीच पर घूमूंगा, लडकियों का डांस देखूंगा..... पर हाय री फूटी किस्मत.... सब बरबाद हो गया ... डांस देखने की छोड़ो अब तो यहां हमारे खुद पत्तियों को पहन कर जंगल में डांस करने की हालत आ गयी है।"

जैक की बात सुन जॉनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

जॉनी को मुस्कुराता देखकर जैक को गुस्सा आ गया और वह बोल उठा- “तू क्यूं मुस्कुरा रहा है मेरी बात सुनकर?"

“बस तुझे पत्तियों को पहन कर डांस करते हुए कल्पना कर रहा हुं। सच्ची में यार बहुत खूबसूरत लगेगा तू तो ऐसी स्थिति में।" जॉनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

जैक जॉनी की बात सुनकर भड़क उठा और एक घूंसा धीरे से जॉनी की पीठ में जड़ते हुए बोला-
“अच्छा होता कि ड्रेजलर कि बजाय वह अजगर तुझे मार देता।"

जॉनी घूंसा खाकर आगे भाग गया और सुयश से बोला-
“कैप्टन, यदि ड्रेजलर के पत्थर पर साँप बना था तो उस पर अजगर ने हमला कर दिया। मेरे पत्थर पर तो बंदर बना था तो मुझ पर अब किंग-कॉन्ग हमला करेगा या गोरिल्ला?"

ना चाहते हुए भी सुयश सिहत सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“ऐसा कुछ भी नहीं है।" सुयश ने सबका डर कम करने के लिये कहा- “ये सिर्फ एक इत्तेफाक भी हो सकता है।"

“मैं इसे इत्तेफाक मानने को तैयार नहीं हुं कैप्टन।"अल्बर्ट ने सुयश को देखते हुए कहा- “क्यों की हम सभी शैफाली के सपनों के बारे में जानते
हैं। उसकी कही हर एक बात सच होती जा रही है।"

अल्बर्ट की बात सुन सभी अल्बर्ट और सुयश के पास आ गये।

शैफाली अब इन सबसे पीछे हो गयी थी। तभी उसे अपने कान के पास कुछ फुसफुसाहट सी सुनाई दी
जो की यकीनन इनमें से किसी की नहीं थी- “नयनताराऽऽऽऽ!"

शैफाली यह सुनकर विस्मित हो गयी और बिना किसी से बोले एक दिशा की ओर चल दी।




जारी रहेगा________✍️
Bojot hi rahasyamayi kahani, and mind blowing update bhai, kya khoob likh rahe ho bhai 👌🏻👌🏻👌🏻👌
 
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#72.

तभी दूर कहीं समुंदर में एक काला धब्बा सा दिखाई दिया। रोजर ने धीरे से पायलेट को हैलीकाप्टर को उस दिशा की ओर मोड़ने का इशारा करते हुए कहा- “सर हमें बहुत दूर एक काला धब्बा सा दिखाई दे रहा है। हम लोग अब उस दिशा में बढ़ रहे हैं। शायद वह कोई पानी का जहाज हो।"

पायलेट ने हैलीकाप्टर अब उस दिशा में मोड़ लिया।

थोड़ी देर रुककर रोजर ने फिर कहा- “हम लोग गलत थे सर। वह कोई जहाज नहीं, बल्कि कोई द्वीप है। अब हम लोग धीरे-धीरे उसके और पास जा रहे हैं। यह कोई छोटा सा, परंतु हरा-भरा द्वीप है।

इसके आसपास हल्कि सी धुंध दिखाई दे रही है।.................अब हम द्वीप के और पास पहुंच गए हैं सर। अचानक कुछ गर्मी बढ़ सी गई है। शायद यह द्वीप कुछ ज़्यादा ही गरम है।

क्यों की इस द्वीप से, समुद्र की ठंडी लहरें टकराकर, धुंध के रुप में आस पास फैल रही है, जो कोहरे के रुप में मुझे दूर से ही दिखाई दे रही है।................. यहां एक विचित्र सी पहाड़ी भी है। दूर से देखने पर यह कोई ताज पहने हुए मानव आकृति के समान प्रतीत हो रही है.. ..... ऐसा लग रहा है जैसे कोई योद्धा इस द्वीप की रखवाली कर रहा हो...........!

अब हम इस द्वीप के ऊपर उड़ान भर रहे हैं सर। ....... यहां किसी भी प्रकार के जीवन का कोई निशान नहीं है। हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। द्वीप के बीच में, एक साफ पानी की झील भी दिख रही है। देखने में यह द्वीप काफ़ी सुंदर लग रहा है सर।

ऊंचाई से देखने पर यह द्वीप एक त्रिभुज की आकृति के लिए हुए दिखाई दे रहा है। पर यह क्या सर?....ओऽऽऽ नोऽऽऽ ...... यह कैसे संभव है?....."

तभी द्वीप के चारो तरफ फैली धुंध धीरे-धीरे हैलीकाप्टर को घेरने लगी और आसमान में एक गहरे लाल रंग के बादलों की टुकड़ी उड़कर उस धुंध में समाहित हो गयी।

उस धुंध का अक्स पानी में पड़कर एक अजीब सा रंग उत्पन्न कर रहा था।

यह देख रोजर की आवाज अत्यन्त विस्मय से भर गई। इतना विचित्र नजारा देख रोजर की आँखो में खौफ साफ नजर आने लगा।

“क्या हुआ रोजर? क्या दिख रहा है तुम्हें?" वॉकी-टॉकी पर सुयश की घबरायी आवाज आयी।

“मैं समझ .....नहीं पा ......रहा हूं सर की मैं......आपको कैसे बताऊं? .......... मैं इस समय .....बड़ा अजीब सा ....महसूस कर रहा हु। ऐसा लगता है जैसे धुंध.......बड़ी तेजी से बढ़ गई है।

आसमान का रंग........समझ में ....नहीं आ ....रहा है।......पानी भी......जैसा दिखना चाहिए....... वैसा नहीं दिख रहा है....और ये क्या?......ये....ये .....यहां ये..... मुझे क्या दिख रहा है.....सर ऐसा लग रहा है .....जैसे कि हम.......।"

अभी रोजर इतना ही बोल पाया था कि तभी द्वीप से निकली एक रहस्मयी तरंग ने हैलीकाप्टर के मैकेनिजम को खराब कर दिया।

“खट् ....खट्..... खटाक।" और इसी के साथ रोजर का संपर्क सुयश से टूट गया।

“सर, हैलीकाप्टर के सारे कण्ट्रोलस एकाएक खराब हो गये हैं। शायद इस क्षेत्र में भी विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं।" पायलेट ने चीख कर रोजर को खतरे से आगाह किया।

हैलीकाप्टर अब किसी परकटी चिड़िया की तरह हवा में लहराने लगा। रोजर समझ गया कि अब हैलीकाप्टर को दुर्घटना होने से कोई नहीं बचा सकता।

रोजर की नजर अब द्वीप में फैले जंगल पर गयी।

घने जंगल के आगे कुछ दूरी पर रोजर को एक रेगिस्तान जैसा क्षेत्र नजर आया।

“उस तरफ ..... हैलीकाप्टर को कैसे भी उस रेगिस्तान में लैन्ड कराने की कोशिश करो।"

रोजर ने पायलेट को द्वीप के रेतीले हिस्से की तरफ इशारा करते हुए कहा- “अगर हमारा हैलीकाप्टर उधर गिरा तो जिंदा बचने की संभावनाएं ज़्यादा है।"

“मैं कोशिश कर रहा हुं सर।" पायलेट ने चीख कर कहा और हैलीकाप्टर को तेजी से नीचे करने लगा।

तभी एक धुंध ने हैलीकाप्टर के पंखे को अपने घेरे में ले लिया और पंखा नाचते-नाचते रुक गया। हैलीकाप्टर सीधे नीचे गिरने लगा। पायलेट और रोजर दोनों के ही पास अपने को बचाने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं था।

रोजर की निगाहे अब सिर्फ और सिर्फ जमीन की ओर थी जो कि धीरे-धीरे उसके पास आती जा रही थी। तभी हैलीकाप्टर द्वीप के ऊपर मौजूद किसी अदृस्य दीवार से टकराया।

हैलीकाप्टर से बहुत तेज़ चिंगारी निकली और इससे पहले कि रोजर कुछ समझ पाता, हैलीकाप्टर घने पेडों से टकराता हुआ जमीन पर आ गया।

रोजर सीट सहित हैलीकाप्टर से निकलकर दूर जा गिरा। आवाज इतनी भयानक थी कि थोड़ी देर तक तो रोजर को कुछ समझ ही नहीं आया कि वह कहां गिरा?

लगभग 5 मिनट के बाद रोजर थोड़ा चैतन्य हो गया।

रोजर ने सबसे पहले उठकर अपने शरीर को चेक किया, पर ईश्वर की कृपा से रोजर को छोटी-मोटी खरौंच के सिवा ज़्यादा चोट नहीं आई थी। अब रोजर की निगाह अपने आसपास गयी।

“ये क्या? हैलीकाप्टर तो रेगिस्तान के क्षेत्र में गिरा था, पर यहां तो रेत का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी उसे द्वीप की अद्रस्य दीवार का ख्याल आया।

“वह अदृस्य दीवार कैसी थी? शायद उसी दीवार की वजह से यहां रेगिस्तान नजर आ रहा था।" रोजर ने आसमान की ओर देखते हुए, अपने मन में कहा।

तभी उसे हैलीकाप्टर का ख्याल आया। रोजर ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई। रोजर को कुछ दूरी पर हैलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।

उसे तुरंत पायलेट का ख्याल आया और यह ख्याल आते ही रोजर ने हैलीकाप्टर की ओर दौड़ लगा दी।

हैलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था।

रोजर अभी हैलीकाप्टर से थोड़ा दूर ही था कि तभी उसे हैलीकाप्टर के पीछे किसी जानवर की पूंछ दिखायी दी। यह देख रोजर तुरंत रुक कर एक पेड़ की ओट में हो गया।

अब रोजर की निगाहें हैलीकाप्टर की ओर थी।

तभी उसे एक बड़ा सा शेर दिखाई दिया, जो अब हैलीकाप्टर के अंदर की ओर जा रहा था।

रोजर के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे वह शेर से लड़ सकता। इसिलये वह चुपचाप पेड़ के पीछे खड़ा शेर को देख रहा था।

थोड़ी देर बाद शेर पायलेट को मुंह में पकड़ कर बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

पायलेट का शरीर हवा में झूल रहा था। रोजर समझ गया कि पायलेट अब जीवित नहीं है।

शेर पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए एक दिशा की ओर चल दिया।
शेर को पायलेट की लाश ले जाते देख रोजर को काफ़ी आश्चर्य हुआ इसिलये रोजर दबे पांव शेर के पीछे-पीछे चल दिया।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को पेडों के झुरमुट के पीछे एक इमारत दिखाई दी। जंगल में इमारत देख कर रोजर को हैरानी हुई।

शेर उस इमारत की तरफ ही जा रहा था। थोड़ी ही देर में ऊंचे-ऊंचे पेड़ पीछे छूट गये।

अब वह इमारत बिल्कुल साफ नजर आने लगी थी।

वह पिरामिड थे और वह भी एक नहीं बल्की 4, वह पिरामिड भी किसी धातु के बने नजर आ रहे थे।

“ये जंगल में पिरामिड कहां से आ गये? और ये शेर....ये शेर उन पिरामिड की तरफ क्यों जा रहा है?" रोजर मन ही मन बुदबुदाया।

शेर अब पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था। रोजर के ये सब कुछ बहुत रहस्यमयी लग रहा था।

कुछ ही देर में शेर पिरामिड के दरवाजे तक पहुंच गया। शेर ने पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी।

इसके बाद शेर ने एक जोर की दहाड़ मारी, फ़िर पलट कर सीढ़ियों से उतरा और एक दिशा की ओर चल दिया।

रोजर कुछ देर तक सोचता रहा कि वह शेर के पीछे जाए या फ़िर पिरामिड के रहस्य को देखे।

पिरामिड तो अपनी जगह से हिलना नहीं था, इसिलये रोजर ने शेर के पीछे जाने का फैसला कर लिया।

तब तक शेर कुछ आगे तक जा चुका था। रोजर पेड़ के ओट लेते हुए शेर का पीछा करने लगा।

चलते-चलते जंगल का क्षेत्र खत्म होने लगा और पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो गया। मौसम में भी अब ठंडक का अहसास होने लगा था।

तभी रोजर को एक पहाड़ से झरना गिरता हुआ दिखाई दिया। शेर उस झरने के पास जाकर रूक गया।

शेर ने रूकने के बाद एक नजर चारो ओर मारी और फ़िर ना जाने क्या किया, कि शेर का शरीर धीरे-धीरे इंसान में बदल गया।

अब शेर की जगह एक लंबा-चौड़ा इंसान खड़ा दिखाई देने लगा। रोजर यह देख कर पूरी तरह से घबरा गया। रोजर का दिल अब बहुत तेज ‘धक-धक’ करने लगा।

रोजर के देखते ही देखते, वह इंसान झरने के अंदर प्रवेश कर गया। शायद झरने के अंदर कोई रास्ता था।

रोजर काफ़ी देर तक वहां खड़ा कुछ सोचता रहा। बहुत देर सोचने के बाद अब रोजर ने झरने के अंदर जाने का निर्णय कर लिया।

रोजर ने एक नजर चारो ओर मारी और धीरे-धीरे चलता हुआ झरने तक पहुंच गया। झरने के दूसरी तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

रोजर ने अपना एक हाथ झरने के अंदर डाला, उसे महसूस हुआ कि झरने के अंदर कोई रास्ता छिपा है। यह सोच रोजर झरने के अंदर प्रवेश कर गया।

झरने के दूसरी तरफ एक गुफा थी। गुफा प्रकाशमान थी। रोशनी गुफा में कहां से आ रही थी, यह पता
नहीं चल पा रहा था।

रोजर सधे कदमों से गुफा के अंदर की ओर चल दिया। गुफा अंदर से काफ़ी चौड़ी थी।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को गुफा में सामने की ओर 3 रास्ते दिखायी दिये।

रोजर को समझ नहीं आया कि वह सिंह मानव किस दिशा में गया था। अतः वह अंदाजे से बीच वाले रास्ते की ओर चल दिया। बीच वाला रास्ता आगे जाकर संकरा हो गया।

5 मिनट तक उस रास्ते पर चलने के बाद रोजर को पहाड़ में एक दरवाजा बना दिखाई दिया।

रोजर ने सतर्कता के साथ उस दरवाजे के अंदर कदम रखा। वह रास्ता एक विशालकाय कमरे में खुल रहा था।

यह कमरा अत्यन्त विशालकाय और खूबसूरत था। दीवार पर सुनहरी धातु की परत चढ़ी थी और उस परत पर भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न सजे थे। कमरे के बीच में एक सुनहरी धातु का शानदार पलंग रखा था। एक नजर में यह किसी रानी का शयनकक्ष नजर आ रहा था।

रोजर ये सब देखकर हत्तप्रभ रह गया।

तभी रोजर को किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। आहट सुनते ही रोजर एक बड़े से लकड़ी के संदूक में छिप गया। संदूक में एक छोटा सा सुराख था, जिससे रोजर को बाहर का सब कुछ दिखाई दे रहा था।

कमरे में आने वाले 2 लोग थे। पहली एक खूबसूरत सी लड़की थी, जिसने रानियों की वेशभूषा धारण कर रखी थी। उसके हाथ में जादूगरों की तरह एक लकड़ी का दंड था। उस दंड के ऊपरी कोने पर एक नीले रंग का कोई रत्न लगा था।

दूसरा इंसान ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसके सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसने भी अपने हाथ में एक सर्प के समान मुड़ी हुई, लंबी सी छड़ी ले रखी थी।

“तुम्हें अब सामरा राज्य में जाने की तैयारी शुरू करनी चाहिए ‘आकृति’, मेरी ज्योतिषी गणना के अनुसार ‘तिलिस्मा’ को टूटने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। तब तक तुम्हें सामरा वासियौ को अपने अधिकार में लेना ही होगा।" मकोटा ने कहा।




जारी
रहेगा_______✍️
Ekdum dhaasu update diya hai bhai ji :bow: :bow: :bow:
 
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#73.

“पर आप ही तो कहते हैं, कि सामरावासी दिमाग से अत्यन्त चतुर हैं। ऐसे में मैं उन्हे ‘देवी शलाका’ बनकर कैसे बेवकूफ बना पाऊंगी। जबकि मेरे पास तो देवी जैसी कोई शक्ति भी नहीं है। ऐसे में सामरावासी मुझे तुरंत पहचान जायेंगे।" आकृति ने मकोटा को देखते हुए कहा।

“तुम्हारा चेहरा देवी शलाका से बिल्कुल मिलता है और मैंने तुम्हें अपना ‘नीलदंड’ भी दे दिया है। ऐसे में कोई भी तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।

वैसे भी मैं सदैव तुम पर अपनी गुप्त शक्तियो से नजर रखे रहूँगा और समय आने पर तुम्हारी सुरक्षा भी करुंगा।" मकोटा ने आकृति को साँत्वना देते हुए कहा।

“ठीक है मैं तैयार हूँ। आप जब कहेंगे मैं सामरा राज्य चली जाऊंगी। वैसे “ऐमू” का कुछ पता चला क्या? वह 2 दिन से गायब है, पता नहीं कहां चला गया।" आकृति ने कहा।

“ऐमू का अभी कुछ नहीं पता। जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं तुम्हें बता दूंगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ, किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।" यह कहकर मकोटा कमरे से बाहर निकल गया।

मकोटा के बाहर निकलते ही आकृति ने कमरे का द्वार बंद करके अपने नीलदंड को वहीं दीवार पर टांग दिया और आराम से आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी।

इधर संदूक में छिपे रोजर को मकोटा और आकृति की कोई भी बात समझ में नहीं आयी। वह तो परेशान था कि अब वहां से भागे कैसे? तभी रोजर को आकृति की आवाज सुनाई दी- “अब संदूक से बाहर आ जाओ रोजर, मकोटा यहां से चला गया है।"

रोजर, आकृति की यह बात सुन आश्चर्य से भर गया। एक क्षण के लिये रोजर ने कुछ सोचा और फ़िर
संदूक से निकलकर बाहर आ गया।

अब रोजर की नजर आकृति पर थी।
आकृति ने रोजर को पास रखी एक कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।

रोजर वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया और सवालिया निगाहोंसे आकृति की ओर देखने लगा।

आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहाट के भाव थे। उसने रोजर से अब बोलने का इशारा किया।

रोजर तो जैसे सवालों के बोझ से दबा हुआ था। आकृति का इशारा मिलते ही उसने बोलना शुरु कर दिया।

“आप कौन हो? मकोटा कौन है? मैं इस समय पर किस जगह पर हूँ? और आप मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर ने एक साथ असंख्य सवाल पूछ डाले।

आकृति ने एक गहरी साँस भरी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“मेरा नाम आकृति है, मैं इंडिया से हूँ। मैं इस क्षेत्र के पास से, एक बार एक पानी के जहाज से जा रही थी। तभी मेरा जहाज मकोटा ने अपनी शैतानी शक्तियों से डुबो दिया।

सारे लोग मारे गये, केवल मैं और मेरा तोता ऐमू ही इस हादसे में बच पाये। मुझे पकड़कर मकोटा ने इस द्वीप पर कैद कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरा चेहरा इस द्वीप की देवी शलाका से मिलता है। इसीलिये मकोटा ने मुझे बचाया था।"

इतना कहकर आकृति एक क्षण के लिये रुकी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“जिस द्वीप पर तुम खड़े हो, इसका नाम अराका है। यह द्वीप अटलांटिस का अवशेष है। इस द्वीप पर दो प्रजातियां रहती हैं। एक का नाम सामरा है और दूसरे का सीनोर।

तुम इस समय सीनोर राज्य में खड़े हो। मकोटा इस द्वीप का एक खतरनाक मान्त्रिक है, जो अंधेरे के देवता ‘जैगन’ की पूजा करता है।

इस द्वीप की देवी का नाम शलाका है, जो पिछले 5000 वर्ष से पता नहीं कहां गायब है? शलाका की सारी शक्तियां एक काला मोती में है जो कि इसी द्वीप पर मौजूद ‘तिलिस्मा’ में है। मकोटा मेरी सहायता से वह काला मोती प्राप्त करना चाहता है।" इतना कहकर आकृति खामोश हो गयी।

“तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर के शब्दो में उलझन के भाव नजर आये।

“मकोटा ने मुझे काफ़ी शक्तियाँ दे रक्खी है, जिस्में से कुछ का इस्तेमाल में कभी-कभी अपने लिये भी कर लेती हूं। उनमें से ही एक शक्ति का इस्तेमाल करने पर मुझे तुम हैलीकाप्टर में दिखाई दिये। मेरी ही शक्तियो से तुम उस दुर्घटना से बच पाये हो।" आकृति ने कहा।

“आसमान में वह धुंध और द्वीप के ऊपर वह दीवार कैसी थी?" रोजर ने पूछा।

“वह धुंध और अदृश्य दीवार, इस द्वीप की सुरक्षा के लिये है। उस अदृश्य दीवार की वजह से किसी को भी सामरा और सीनोर द्वीप आसमान से दिखाई नहीं देते। यहां तक कि कोई बाहरी व्यक्ती जमीन के रास्ते से सामरा और सीनोर राज्य में दाख़िल भी नहीं हो सकता।" आकृति ने समझाया।

“सीनोर द्वीप पर वह पिरामिड कैसा है? और वह शेर से इंसान में बदल जाने वाला मानव कौन था? उसने मेरे पायलेट की लाश उस पिरामिड के बाहर क्यों रखी?" रोजर ने एक बार फ़िर प्रश्नो की बौछार कर दी।

“वह पिरामिड अंधेरे के देवता ‘जैगन’ का पूजास्थल है। वहां जैगन मृत इंसानो पर कोई प्रयोग करता है। जिसका पता मुझे नहीं है। इसीलिये मकोटा हर इंसान की लाश को पिरामिड के बाहर रखवा देता है, जिसे बाद में जैगन अपने सेवक ‘गोंजालो’ के द्वारा पिरामिड के अंदर मंगवा लेता है और वह शेर बना इंसान सीनोर का राजकुमार ‘लुफासा’ है, जिसके पास किसी भी जानवर में बदल जाने की शक्ति है।“आकृति ने कहा।

“अब आखरी प्रश्न। तुम्हारे पास इतनी शक्तियां है, फ़िर तुमने मुझे क्यों बचाया? मुझसे तुम्हारा क्या काम हो सकता है?" रोजर ने आिखरी सवाल किया।

“हूं..... ये सवाल सही पूछा तुमने।" आकृति ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “दरअसल बात ये है कि मेरे पास जितनी भी शक्तियां हैं, वो सब मकोटा की दी हुई हैं। मैं उन शक्तियो का प्रयोग तो कर सकती हूं, पर इस स्थान से मकोटा की इच्छा के बिना कहीं जा नहीं सकती।

मुझे ये मकोटा के द्वारा पता चल गया है कि तुम्हारे जहाज ‘सुप्रीम’ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो कि इस द्वीप पर मौजूद तिलिस्मा को तोड़ पाने में सक्षम हैं, पर वह इस द्वीप पर आना नहीं चाहते। तो तुम्हे उन्हें भटकाकर इस द्वीप पर लाना पड़ेगा।"

“ये कैसे संभव है? अभी तुम्हीं ने कहा कि सामरा और सीनोर राज्य एक अदृश्य दीवार से घिरा है, जिसके आरपार जाना इंसानों के बस की बात नहीं, तो मैं भला इस दीवार को जमीन के रास्ते से कैसे पार कर पाऊंगा? और फ़िर सुप्रीम तक कैसे पहुंचुंगा?" रोजर ने अपनी परेशानी को आकृति के सामने रखा।

“वो तुम मेरे ऊपर छोड़ दो।" आकृति ने कहा- “मैं मकोटा की शक्तियो से तुम्हें एक ‘ऊर्जा-मानव’ में बदल दुंगी। ऐसी स्थिति में तुम कुछ बोल नहीं पाओगे पर तुममें द्वीप से बाहर जाकर पानी पर दौड़ने की शक्तियां आ जायेंगी।

ऐसे में तुम सुप्रीम तक आसानी से पहुंच जाओगे। तुम्हें सुयश को देखकर द्वीप की दिशा की ओर इशारा करना है। ऐसा करने पर सुयश सुप्रीम को इस द्वीप की दिशा में मोड़ देगा और पास आने पर हम उसे इस द्वीप पर लेते आयेंगे।"

“तुम कैप्टन सुयश को कैसे जानती हो?" रोजर के शब्द उलझन से भरे थे।

यह प्रश्न सुन आकृति के चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान आ गयी, पर उसने कहा कुछ नहीं।

रोजर समझ गया कि आकृति उसे बताना नहीं चाहती इसिलये उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। रोजर समझ गया कि इस द्वीप को जितना साधारण वो समझ रहा था, उतना साधारण ये द्वीप है नहीं।

रोजर को सोचते देख आकृति ने फ़िर कहा- “देखो रोजर, यहां पर मैं भी कैदी हूं और तुम भी। यहां तक कि इस क्षेत्र से ‘सुप्रीम’ भी अब बाहर नहीं निकल सकता और हम सभी के बचने का एक ही तरीका है कि यह तिलिस्मा टूट जाये।

तिलिस्मा के टूटते ही हम सभी आजाद हो जायेंगे। यहां तक कि बारामूडा त्रिकोण का क्षेत्र भी हमेशा-हमेशा के लिये मुक्त हो जायेगा। तो अब ज़्यादा सोचो नहीं, बस हां कर दो।"

यह सुन रोजर ने हां में सिर हिला दिया।

“ठीक है फ़िर तुम अभी आराम करो, समय आने पर मैं तुम्हें बता दुंगी।" यह कहकर आकृति रोजर को एक दूसरे कमरे में ले गयी और आराम करने को बोल वहां से चली गयी।

इस समय रोजर काफ़ी थकान महसूस कर रहा था इसिलये वह बेड पर लेट कर सो गया।

चैपटर-6 आदमखोर पेड़
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 16:30, मायावन, अराका)

चलते-चलते काफ़ी समय बीत गया था। सभी एक साथ चल रहे थे। जंगल में कोई रास्ता ना बना होने के कारण सभी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से, झाड़ियो को हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे।

“पता नहीं ये द्वीप इतना विचित्र क्यों है? और पूरी पृथ्वी पर ऐसे पेड़ और जानवर क्यों नहीं पाये जाते?" अल्बर्ट ने कहा।

“मुझे लगता है कि इन विचित्रताओँ के पीछे कोई ना कोई कारण तो जरूर है?" तौफीक ने कहा- “पता नहीं क्यों मुझे ये सारी चीजे नेचुरल नहीं लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने यह सब कुछ बनाकर यहां रख दिया हो?"

“ऐसी चीजे तो सिर्फ ईश्वर ही बना सकता है, मनुष्यो के तो बस में नहीं है ऐसी चीज़ो को बना पाना।" जेनिथ ने कहा।

“ईश्वर क्या है? क्या कोई बतायेगा?" अल्बर्ट ने एक बिलकुल विचित्र प्रश्न कर दिया।

किसी की भी समझ में नहीं आया कि अल्बर्ट क्या कहना चाह रहा है। इसिलये सभी चुप रहे।

अल्बर्ट ने सबको शांत देख स्वयं से ही ईश्वर की परिभाषा बताना शुरु कर दिया-

“ईश्वर वो है, जिसने हमको बनाया, यानी कि अगर हममें इतना ज्ञान आ जाये कि हम किसी जीव का निर्माण करने लगे, तो लोग हमारी भी तुलना ईश्वर से करने लगेंगे।

पर मुझे ये लगता है कि इस द्वीप की चीजे ईश्वर ने नहीं, बल्की हमारी ही तरह के किसी मनुष्य ने अपने ज्ञान और विज्ञान से की है। क्यों की ईश्वर द्वारा निर्मित हर वस्तु और जीव, कुछ सिद्धांतो पर काम करते है, पर यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है। जैसे कि पेडों का स्वयं हरकत करना, उनका इंसान की भावनाएं समझ जाना, जीव के अंदर पानी को बर्फ में बदल देने की ताकत आदि।"

मगर इससे पहले कि कोई अल्बर्ट से कुछ पूछ पाता कि तभी वातावरण में एक आवाज गूंजी-

“दोस्त मिल गया.... दोस्त मिल गया....ऐमू का दोस्त मिल गया।"

ऐमू की आवाज सुन सभी की दृष्टि आसमान की ओर गयी। ऐमू सुयश के सिर के ऊपर हवा में गोल-गोल उड़ रहा था।

“यह ऐमू इस द्वीप पर कैसे आ गया?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यह तो शिप के डूबने के काफ़ी पहले ही गायब हो गया था।"

ऐमू अब सुयश के हाथ पर आकर बैठ गया- “अब ऐमू को छोड़ के मत जाना दोस्त। तुम बार-बार ऐमू को छोड़ के चले जाते हो।"

ब्रेंडन ऐमू को देख गुस्से से भर उठा- “मैं आज इस ऐमू के बच्चे को मारकर सारा किस्सा ही ख़त्म कर
देता हूँ। इसी के बताए रास्ते पर चलने की वजह से हमारा शिप डूब गया। यही है सारे मुसीबत की जड़।"

पर इससे पहले कि ब्रेंडन कुछ कर पाता, सुयश ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।

अब सुयश की निगाहें पुनः ऐमू पर थी।

“तुम मुझे बार-बार दोस्त क्यों कहते हो?" सुयश ने ऐमू को देखते हुए पूछा।

“क्यों कि मैं ऐमू और तुम ऐमू के दोस्त।" ऐमू ने सुयश को देखते हुए भोलेपन से कहा।

“अच्छा ठीक है, तुम दोस्त ही हो।" सुयश ने मस्कुराते हुए कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आये?"

“आकी ने बोला, आरू के पास जाओ। मैं आ गया।" ऐमू ने कहा।

ऐमू की बात सुन सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कौन ‘आरू’? कौन ‘आकी’?" सुयश ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।

“आरू की आकी। तुम आरू। मैं आरू का दोस्त ।" ऐमू ने इस बार सुयश की आँखो में झांकते हुए कहा।

“पर मैं तो सुयश हूँ।" सुयश ने कहा- “मैं आकी को नहीं जानता।“

“तुम सब जानते .... तुम ऐमू के दोस्त।" यह कहकर ऐमू फ़िर से हवा में अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने लगा।

अब सुयश की नजर अपने आसपास खड़े सभी लोग पर गयी।

“मुझे लगता है कि ये ऐमू किसी गलतफहमी में है। यह मुझे अपना मालिक समझ रहा है।" सुयश ने इस बार अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हो कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।"

“पर जो भी है कैप्टन अंकल, मुझे लगता है कि यह ऐमू आगे चलकर हमारे बहुत काम आने वाला है।" शैफाली ने कहा।




जारी
रहेगा________✍️
Ye Aakruti aakhir hai kya bala? 😐 khdir, awesome update and mind blowing writing ✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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