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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bhut hi badhiya update

Medusa ne shaifali ko sapna dikhaya jisme kuch naye patro megra or Casper ka jikar huva hai
Dekhte hai ab ye sapne me ghati ghatna bhut khal se sambandhit thi ya bhavishya khal se
Mere hosaab se to bhootkaal se hi honi chahiye, baaki kah nahi sakte :D
Agla update aaj raat ko hi dunga:approve:
Ab jald se jald story ka ye chapter khatam karke, araka ke maayavan Jungle ka rahasya batana hai mujhe:declare:Taaki uske baad tilism todne ki kaaryawahi suru ki ja sake, or fir us brahm kann wali kaale moti ki saktiya bhi to dekhni hai:D
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Badhiya update bhai

Mujhe to lagta ha Shefali hi mekgra ha jis prakar mayawan me vrakshon ne Shefali ka sath diya tha kyonki shayd wo pechan gaye the ki unki nirmata yahi ha isse lagta ha ki mekgra or koi nahi shefali hi ha or jaise sapna aya ha usse lagta bhi yahi ha
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Badhiya update bhai

Mujhe to lagta ha Shefali hi mekgra ha jis prakar mayawan me vrakshon ne Shefali ka sath diya tha kyonki shayd wo pechan gaye the ki unki nirmata yahi ha isse lagta ha ki mekgra or koi nahi shefali hi ha or jaise sapna aya ha usse lagta bhi yahi ha
Abb apun bole to bole kya bhai :D
Abhi sab bata diya to locha ho jayega, is liye itna hi kahunga ki sab maaya hai, intzaar kariye, uunt kis karbat baithe, 🤔 Thank you very much for your valuable review and superb support bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#93.

वृक्ष शक्ति

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 15:15, मायावन, अराका द्वीप)

असलम के मरने के बाद अब सुयश की टीम में केवल 10 लोग बचे थे।

जहां एक तरफ सुयश सहित सभी थोड़ा उदास दिख रहे थे, वहीं उनका पीछा कर रहे युगाका की आँखों में खुशी के भाव थे।

“तौफीक!"
जेनिथ ने तौफीक का हाथ थामते हुए कहा- “यहां द्वीप पर हम साधारण जिंदगी तो जी नहीं रहे हैं। ना ही तुम्हारे कोई दुश्मन यहां पर हैं, फिर भी यहां पर तुम मुझसे दूर क्यों रहते हो?"

“देखो जेनिथ मैं वैसा इंसान नहीं हूं जैसा तुम्हे पसंद है।" तौफीक ने बहुत सीरियस अंदाज में कहा- “हर समय दिल की मत सुना करो, कभी-कभी दिमाग भी लगा लिया करो।"

“मैं तुम्हारी इस बात का मतलब नहीं समझी।" जेनिथ ने उलझे-उलझे भाव से कहा- “देखो तुम पहेलियां मत बुझाओ। तुम मुझे सीधे-सीधे बताओ कि तुम क्या कहना चाहते हो?"

“देखो जेनिथ मैं पहले तुमसे प्यार नहीं करता था, पर अब करने लगा हूं। पर पता नहीं क्यों मुझे महसूस होता है कि हम तुम इस जिंदगी में कभी मिल नहीं पायेंगे।" तौफीक ने निराशावादी व्यक्ति की तरह कहा।

यह सुनकर जेनिथ का दिल टूट सा गया।

“ऐसा कह के मेरा दिल क्यों दुखा रहे हो तौफीक?.... मैं जानती हूं कि तुम अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकते। तुम दूसरोँ से थोड़ा अलग हो, पर इस तरह से मत बोलो।" इतना कहकर जेनिथ की आँखों से आँसू निकलने लगे।

तभी जेनिथ के गले में टंगे उस देवी के लॉकेट से कुछ चमक निकली और उसने जेनिथ के आँसुओ को सोख लिया। पर यह घटना कोई देख नहीं पाया।

उधर चलते-चलते एलेक्स के जूते के फीते खुल गये। एलेक्स जूते के फीते बांधने के लिये उस जगह पर बैठ गया और अपने जूते के फीते बांधने लगा।

किसी ने एलेक्स को रुकते नहीं देखा, वह सभी आपस में बात करते आगे बढ़ते जा रहे थे।

एलेक्स ने एक नजर आगे जाते हुए सभी लोगो पर मारी, पर उसने किसी को रोका नहीं। उसे लगा कि वह अभी जूते के फीते बांधकर दौड़कर उन लोगो के पास पहुंच जायेगा।

एलेक्स जूते के फीते बांधकर जैसे ही आगे बढ़ने चला, उसे पास के एक पेड़ के पीछे से कुछ खटके की आवाज आयी और एक इंसानी साया दिखाई दिया।

जंगल में इंसानी साया देखकर एलेक्स के मन मे उत्सुकता जागी, वह धीरे-धीरे उस पेड़ की ओर बढ़ा, जिधर से वह आवाज आयी थी।

पर एलेक्स ने एक गलती की, उसने किसी को भी रुकने के लिये आवाज नहीं लगाई।

एलेक्स ने पेड़ के पीछे झांक कर देखा, पर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

“वह इंसानी साया कहां गया? अभी तो यहीं पर था।" एलेक्स मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी एलेक्स को अपने पीछे एक सरसराहट का अहसास हुआ।

एलेक्स एक झटके से पलट गया। उसे अपने पीछे युगाका खड़ा दिखाई दिया, पर इससे पहले कि एलेक्स युगाका से कुछ पूछ पाता या फिर अपने साथियों को इस अंजाने खतरे से आगाह कर पाता, युगाका के हाथो से एक गाढ़े हरे रंग का धुंआ निकलने लगा।

एलेक्स हैरानी से धुंए को देखने लगा। तभी एलेक्स को अपना सिर नाचता हुआ सा महसूस हुआ और वह बेहोश होकर युगाका के हाथो में झूल गया।

युगाका ने एलेक्स को धीरे से वहीं पेड़ के नीचे लिटाया और स्वयं एलेक्स बनकर, भागकर सुयश की टीम में शामिल हो गया।

किसी को भी यह पता नहीं चल पाया कि एलेक्स बदल चुका है।

युगाका ने एलेक्स का रूप तो धारण कर लिया, पर परेशानी अब उसकी आवाज की थी क्यों कि युगाका में किसी का भी रूप बदलने का हुनर तो था, पर वह अपनी आवाज नहीं बदल सकता था।

और युगाका को पता था कि कोई ना कोई उससे कुछ ना कुछ तो पूछेगा ही? फ़िर वह कब तक नहीं बोलेगा?

तभी चलते हुए सभी को कुछ पौधे दिखाई दिये। यह पौधे देखने में छोटे थे। इन पर सूरजमुखी के समान कुछ फूल और रसभरी के समान कुछ फल लगे दिखाई दिये।

कुछ तितलीयां और भौंरे उस पौधे के पास मंडरा रहे थे, परंतु जैसे ही कोई भौंरा या तितली उस फूल के पास जाने की कोशिश कर रहा था, वैसे ही वह फूल अपनी पंखुडियों को बंद कर लेता था और जैसे तितली या भौंरा उस फूल से दूर हो जाता था, वह फूल पुनः खिल जाता था।

इस प्रकार फूल के खिलने और बंद होने पर एक अजीब सी ध्वनि उत्पन्न हो रही थी और इस ध्वनि को सुन उस पौधे पर लगा रसभरी के समान फल हर बार अलग-अलग रंगो में परिवर्त्तित हो जा रहा था।

उस पौधे को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह फूल नहीं चाहता कि कोई भौंरा या तितली उसमें उपस्थित मकरंद को ले सके।

सभी इस विचित्र पौधे को देख वही रुक गये।

“बड़ा ही विचित्र पौधा लग रहा है।" अल्बर्ट ने पौधे को देखते हुए कहा।

“ऐसा लगता है जैसे कि इस द्वीप के हर पौधे में जीवन है और ये खुद की अपनी समझ भी रखते हैं।" जेनिथ ने कहा।

अभी ये लोग इस प्रकार से पौधे को देख ही रहे थे कि तभी आसमान से एक उड़ती हुई चिड़िया आयी और उस पौधे से एक फल को तोड़कर आसमान में उड़ गयी।

“लगता है यह फल साधारण है, नहीं तो वह चिड़िया इस प्रकार फल को नहीं ले जाती।" सुयश ने कहा।

यह देख युगाका के मन में तुरंत एक ख़याल आया। वह धीरे से आगे बढ़ा और उसने पौधे से एक फल तोड़कर खा लिया।

फल को खाते ही युगाका जानबूझकर जमीन पर गिर गया और अपना गला पकड़कर खांसने की एक्टिंग करने लगा। यह देख सभी डर गये।

क्रिस्टी लपककर एलेक्स बने युगाका के पास आ गयी।

“क्या हुआ एलेक्स?" क्रिस्टी ने अपनी पानी की बोतल को युगाका के मुंह से लगाते हुए कहा- “लग रहा फल अटक गया।....लो पानी पी लो।"

युगाका ने क्रिस्टी के हाथ से पानी पीया। अब उसका खांसना बंद हो गया था। यह देख सभी ने राहत की साँस ली।

क्रिस्टी भी एलेक्स को खड़ा होते देख मुस्कुरा कर बोली- “जंगली बनने को कहा था। जंगली की तरह खाने को नहीं पगलू।" क्रिस्टी की बात सुन सभी मुस्कुरा दिये।

अब युगाका ने बोलने की एक्टिंग करते हुए फ़िर से अपना गला पकड़ लिया।

“कुछ तो परेशानी हुई है एलेक्स के गले के साथ।" सुयश ने सभी को आगाह करते हुए कहा- “कोई भी इस पौधे के फलो को नहीं खाएगा।"

युगाका ने इशारे से सभी को बताया कि उसके गले से आवाज नहीं निकल रही है।

अल्बर्ट ने टॉर्च की रोशनी से युगाका के मुंह में झांककर देखा। अल्बर्ट को कोई परेशानी समझ में नहीं आयी।

“मुझे लगता है कि यह भी कोई आवाज छीन लेने वाला विचित्र पौधा है?" अल्बर्ट ने कहा।

“अब मैं बात किससे करूंगी?" क्रिस्टी की आँखो से अब झर-झर आँसू बहने लगे- “सॉरी एलेक्स.... मैंने तुम्हारा मजाक उड़ाया।"

यह कहकर क्रिस्टी ने युगाका को कसकर झकझोरा।

युगाका एकटक क्रिस्टी को देख रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि अगर एलेक्स उसकी जगह होता तो कैसे व्यव्हार करता?

तभी ऐमू चीखता हुआ युगाका के सिर पर जाकर उड़ने लगा-“दोस्त नहीं... दोस्त नहीं.... ये ऐमू का दोस्त नहीं।"

चूंकि ऐमू कुछ समय पहले शैफाली और ब्रूनो के लिये भी ‘गंदी लड़की’ और ‘गंदा कुत्ता’ जैसे शब्दो का प्रयोग कर रहा था इसिलये ऐमू की बात पर शैफाली को छोड़ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।

शैफाली की तेज निगाहें अब एलेक्स बने युगाका पर गई, अचानक शैफाली की आँखों के भाव बदले।

अब उसके चेहरे पर गुस्सा था, पर उसने किसी को कुछ महसूस नहीं होने दिया।

“चुप हो जाओ क्रिस्टी... इस जंगल में सभी को कुछ ना कुछ परेशानी हो ही रही है। कम से कम एलेक्स तुम्हारे साथ तो है। उनके बारे में सोचो जो अब हमारे साथ नहीं हैं।" अल्बर्ट ने क्रिस्टी को दिलासा देते हुए कहा।

सुयश ने भी क्रिस्टी के कंधे पर हाथ रखकर उसे शांत रहने का इशारा किया।

अब क्रिस्टी का रोना कम हो गया था, पर उसने युगाका के हाथ को अभी भी नहीं छोड़ा था।

उधर युगाका का हाथ पहली बार किसी इंसान ने पकड़ा था, इसिलये उसे बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा था।

तभी शैफाली ने धीरे से पास पड़ा, लकड़ी का मोटा डंडा उठाया और युगाका के सिर के पीछे पहुंच गयी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, शैफाली ने वह डंडा जोर से युगाका के सिर पर मार दिया।

एक तेज सी आवाज हुई और युगाका वहीं गिरकर बेहोश हो गया।

“यह तुमने क्या किया?" क्रिस्टी ने ना समझने वाले भाव से शैफाली को घूरा।

“यह एलेक्स भैया नहीं है क्रिस्टी दीदी।" शैफाली ने कहा- “यह कोई बहुरूपिया है, जो एलेक्स भैया बनकर हमारे साथ चल रहा था। कैप्टन अंकल .... इससे पहले कि यह होश में आये, आप इसे तुरंत किसी चीज से बाँध दीजिए।"

शैफाली की बात सुन सभी नीचे पड़े एलेक्स को देखने लगे।

“यह तुम क्या कह रही हो शैफाली?" जैक ने कहा- “इसका चेहरा तो बिल्कुल एलेक्स से मिल रहा है। कहीं तुम गलत तो नहीं हो?"

“अगर आपको लगता है कि मैं गलत बोल रही हूं, तो जरा देर रुक जाइये। अभी इसके होश में आते ही आपको सब पता चल जायेगा।" शैफाली ने नाराज होते हुए कहा।

“नहीं-नहीं.... मेरा यह कहने का मतलब नहीं था। मैं तो बस वैसे ही पुष्टि कर रहा था।" जैक ने घबराकर कहा।

तभी ब्रेंडन पास लगे एक पेड़ की जड़ को चाकू से काटकर ले आया। देखने में वह जड़ काफ़ी मजबूत लग रही थी। ब्रेंडन ने उसी जड़ से युगाका के हाथ उसके शरीर के पीछे करके बांध दिये।



जारी रहेगा________✍️
Yugaka ki chalaki uss par hi bhari pad gaya hai dekhte hain Yugaka ke hosh mein aane par kya hota hai.

Sach hai kabhi kabhi had* se jyada chalaki hume khatre mein daal deti hai jo abhi Yugaka ke sath hua hai.

Aapne jis prakar se paudhe ke bare mein bataya kafi interesting tha.

Beautiful update brother.
 

dhalchandarun

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#94.

“अगर यह एलेक्स नहीं है तो एलेक्स कहां है?" क्रिस्टी ने युगाका की ओर देखते हुए कहा।

“कुछ कह नहीं सकते .... अब तो इसके होश में आने पर ही सब कुछ पता चलेगा।" शैफाली ने कहा।

तभी सुयश ने एक बोतल का पानी युगाका के सिर पर डाल दिया। सिर पर पानी पड़ते ही युगाका होश में आ गया।

होश में आते ही उसने अपने बंधे हाथो को देखा और चीख कर बोला- “मेरे सिर पर किसने चोट की.... जल्दी बताओ नहीं तो एक-एक को यहीं मार दूँगा।"

“बंधा तू खुद है और हमें मारने की बात कर रहा है।" जॉनी ने हंसते हुए कहा।

“लगता है पहले तेरी मौत आयी है।" युगाका ने कहा।

तभी आश्चर्यजनक तरीके से युगाका के हाथ पर बंधी जड़ अपने आप ही खुल गयी।

युगाका को इतनी आसानी से अपने हाथ खोलते देख सभी हैरान हो गये।

युगाका अब थोड़ा हिंसक नजर आने लगा था। यह देख तौफीक और ब्रेंडन ने अपने हाथ में चाकू निकाल लिया।

अब सभी सतर्क हो गये थे। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था। सभी बस युगाका के अगले कदम का इंतजार कर रहे थे।

युगाका अब अपने असली रूप में आ गया था। उसने गुस्से से एक पेड़ की ओर देखा। तुरंत उस पेड़ की डाली हिली और उसने जॉनी को अपनी गिरफ़्त में ले लिया।

पेड़ की डाली जॉनी के शरीर से लिपट गयी और उसने जॉनी को ऊपर हवा में उठा लिया।

यह देख ऐमू डर के मारे आसमान में उड़कर भाग गया।

तभी तौफीक ने पूरी ताकत से चाकू को युगाका की ओर उछाल दिया।

निशाना तो बिल्कुल सटीक था, पर उसी समय युगाका और चाकू के बीच एक पेड़ की डाल आ गयी। चाकू पेड़ की डाल में धंस गया।

युगाका ने अब घूरकर तौफीक की ओर देखा। तभी जमीन से पेड़ की एक जड़ निकली और तौफीक के चारो ओर लिपट कर उसे जमीन से इस कदर चिपका दिया कि अब तौफीक हिल भी नहीं सकता था।

“ठहरो ...!“ शैफाली ने युगाका की ओर देखकर चिल्लाकर कहा-“ मैंने मारा था तुम्हारे सिर पर डंडा....जो कहना हो मुझे कहो....बाकी सबको छोड़ दो।"

तभी एक पेड़ की डालियां बिल्कुल किसी राक्षस के हाथ की तरह से नीचे आई और शैफाली के शरीर को अपनी गिरफ़्त में ले हवा में टांग दिया।

“रुक जाओ .... ।"
अल्बर्ट यह देखकर चीखा- “उस बच्ची को छोड़ दो। वह अभी छोटी है। जो कुछ कहना है, हम लोगो को कहो।"

“ठीक है .... सबको एक साथ समझाता हूं।" इतना कहकर युगाका ने अपना हाथ हवा में हिलाया।

युगाका के ऐसा करते ही वहां मौजूद सभी पेड़ और पौधे आक्रामक अंदाज में वहां खड़े सभी लोगो से लिपट गये।

तभी एक पेड़ ने हवा में ही एक बड़ी सी कुर्सी का रूप लिया और उस पेड़ की जडों ने, युगाका को हवा में उठाकर, उस कुर्सी पर बैठा दिया।

यह देखकर सब समझ गये कि इस योद्धा से लड़ने का कोई मतलब नहीं है।

“आप हो कौन?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए पूछा।

“मेरा नाम युगाका है। मैं इस द्वीप का युवराज हूं। मेरे पास वृक्ष शक्ति है। इस लिये यहां के सारे पेड़ मेरा कहना मानते हैं।"

“हम आपसे लड़ना नहीं चाहते। शैफाली ने भी गलती से आपके सिर पर वार कर दिया था।" सुयश ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।

“तुम मनुष्यो की झूठ बोलने की आदत जायेगी नहीं ।" युगाका ने गुस्से में ही जवाब दिया- “अगर उस लड़की ने मुझे गलती से मारा तो तुम लोगो ने मुझे बांधा क्यों?"

इधर सभी को युगाका ने असहाय कर दिया था, उधर पोसाइडन पर्वत की मूर्ति की आँखें शैफाली को हवा में लटके देख लाल हो गयी।

वहां से एक अंजान ऊर्जा शैफाली की ओर बढ़ी और हवा में लटकी शैफाली से आकर टकरायी।

उस ऊर्जा के टकराते ही शैफाली को एक तेज झटका लगा और उसके बाल हवा में लहराये।

“आपने हमें मनुष्य क्यों बोला? क्या आप मनुष्य नहीं हो?" सुयश ने फ़िर युगाका को बातों में फंसाया।

“नहीं....मैं मनुष्य नहीं हूं। मैं अटलांटियन हूं और अटलांटियन मनुष्य से श्रेष्ठ होता है।" युगाका के शब्दो में घमंड साफ नजर आ रहा था।

“तो फ़िर तुम्हे मनुष्यो की मदद की आवश्यकता क्यों है?" इस बार शैफाली ने बीच में बोलते हुए कहा।

युगाका शैफाली के शब्द सुनकर हड़बड़ा सा गया- “किसने कहा कि मुझे मनुष्यो की मदद चाहिये?"

“क्यों देवी क्लिटो को स्वतंत्र नहीं कराना क्या?" शैफाली के शब्द अब रहस्य से भरे थे।

शैफाली के शब्द युगाका को छोड़ किसी की भी समझ में नहीं आ रहे थे।

“त.... तुम्हे कैसे पता?" युगाका के शब्दो में पूरे जहान का आश्चर्य था।

“तुम्हे क्या लगता है कि इस जंगल के सारे पेड़ तुम्हारा कहना मानते है?" शैफाली ने युगाका की बात को काटते हुए, धीरे से हवा में इशारा किया।

सभी पेडों ने शैफाली सहित सभी लोग को नीचे उतार दिया।

“य.... ये कैसे किया तुमने....म... मेरा मतलब है कि आपने?"अचानक से युगाका के अंदर शैफाली के लिये आदर के भाव आ गये।

तभी शैफाली का हाथ पुनः हवा में लहराया और युगाका की कुर्सी बने सभी पेडों ने युगाका का साथ छोड़ दिया।

शान से कुर्सी पर बैठा युगाका ‘धड़ाम’ से जमीन पर आकर गिरा।

युगाका ने हवा में हाथ हिलाया, पर किसी भी पेड़ ने युगाका की बात नहीं मानी।

“मैंने तुम्हे जानबूझकर मारा था।" तभी शैफाली ने गुस्से से कहा-“ क्यों की मैं तुम्हे पहचान गयी थी। तुम 'नयनतारा' पेड़ की दृष्टि को भ्रमित नहीं कर सकते।"

“आप कौन हो? और आप इन पेडों के बारे में इतना कैसे जानती हो?" युगाका ने आदर भरे स्वर में पूछा।

“मैं तो एक साधारण सी लड़की हूं। मुझे भी नहीं पता कि मैं ये सब कैसे जानती हूं?" अचानक से शैफाली फ़िर से सामान्य लगने लगी- “पर अब तुम्हे बताना पड़ेगा कि एलेक्स भैया कहां है?"

“मैंने एलेक्स को यहां से कुछ दूर पहले बेहोश करके एक पेड़ के किनारे छोड़ दिया था। हमें वो वहीं मिल जायेगा।" युगाका ने कहा।

“मुझे आपसे अभी बहुत कुछ पूछना है?" सुयश ने युगाका को देखते हुए कहा- “पर पहले हमें एलेक्स को अपने साथ लेना होगा, कहीं वह किसी मुसीबत में ना फंस जाए।"

सभी ने सुयश की बात पर अपनी सहमित जताई। पर जैसे ही युगाका आगे बढ़ने चला, उसके हाथ में बंधे एक रिस्ट-बैंड पर लगा लाल रंग का रत्न जोर से चमकने लगा। उसे चमकता देख युगाका विचलित हो गया।

“मैं आप लोगो से माफ़ी मांगता हूं, पर मुझे कुछ ज़रूरी काम से तुरंत यहां से जाना पड़ेगा, मगर मैं आपसे वादा करता हूं कि जल्दी ही आप लोगो से वापस आकर मिलूंगा, फ़िर आप जो कुछ पूछेंगे, वो सब मैं बताऊंगा। और हां यहां से 3 दिन की पैदल दूरी पर आपको पोसाइडन पर्वत मिलेगा, वहीं से आपको वापस जाने का मार्ग भी मिल जायेगा।" युगाका ने सभी से माफ़ी मांगते हुए कहा।

वापस जाने के मार्ग के बारे में सुनकर सभी के चेहरे खिल उठे।

सुयश को महसूस हो गया कि युगाका को वास्तव में ही कुछ ज़रूरी काम है, इसिलये उसने कहा-
“ठीक है आप जा सकते हो, पर एलेक्स को जहां छोड़ा था वह स्थान हमें बता दो।"

युगाका ने जल्दी से एलेक्स के बारे में उन्हें बताया और वहां से दौड़ते हुए जंगल में गायब हो गया।

कुछ ही देर में सभी युगाका के बताए स्थान पर पहुंच गये, पर उन्हें वहां कोई नजर नहीं आया।

यह देख जैक बोला- “कहीं वह जंगली हमें बेवकूफ तो नहीं बना गया?"

“नहीं...वह झूठ नहीं बोलेगा।" शैफाली ने कहा।

“तो बेहोश एलेक्स इतनी जल्दी कहां चला गया?" क्रिस्टी ने रुंधे गले से कहा- “कहीं वह किसी दूसरे खतरे में तो नहीं पड़ गया?"

“मुझे लगता है कि युगाका जल्दी ही हमसे आकर वापस मिलेगा और वही बताएगा कि एलेक्स इस समय कहां होगा? क्योंकि तुम लोगो ने देखा कि उसके पास कितनी जादुई शक्तियां थी।" जेनिथ ने कहा।

“शक्तियां तो हमारी शैफाली में भी कम नहीं हैं, बस इसे कुछ याद नहीं आ रहा।" अल्बर्ट ने शैफाली को प्यार से देखते हुए कहा।

“सही कह रहे हैं आप प्रोफेसर।" सुयश ने भी शैफाली की तारीफ की- “अगर शैफाली हमारे साथ ना होती तो हम लोग कब का इस जंगल में मारे गये होते?"

“मेरे ख़याल से अब हमें जल्दी से जल्दी पोसाइडन पर्वत पर पहुंचना चाहिए।"

ब्रेंडन ने कहा- “वहीं से हमें निकलने का मार्ग मिलेगा और तब तक युगाका भी आकर हमें सब कुछ बता ही देगा।"

ब्रेंडन की बात सुनकर क्रिस्टी को छोड़ सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। क्रिस्टी अभी भी एलेक्स के लिये चिन्तित नजर आ रही थी।

सभी फ़िर से आगे की ओर बढ़ गये, पर इस बार सभी के कदमो में उत्साह दिख रहा था।


जारी रहेगा_______✍️
Nice! Nice! Nice!!!

Posaiden ki murti ki aankh se kya rishta hai Shefali ka jo murti bhi gusse se laal ho uthi khair ye toh sabhi ko pata hai ki Shefali bahut hi special hai lekin kitni special hai ye story end hone ke baad hi pata chalega.

Wonderful update brother.
 

dhalchandarun

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#95.

हिमालयन यति :

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 15:30, ट्रांस अंटार्कटिक-पर्वत-अंटार्कटिका)

जेम्स और विल्मर को शलाका के दिये कमरे में रहते हुए आज एक दिन बीत गया था, पर ना तो शलाका उनसे मिलने आयी थी और ना ही उन दोनों को अपने पास बुलाया था।

जेम्स और विल्मर एक कमरे में बंद ऊब रहे थे। पर उन्हें यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर देवी शलाका से संपर्क कैसे करे?

उस कमरे में ना तो कोई दरवाजा था और ना ही कोई खिड़की? आख़िर वह बाहर जायें तो जायें कैसे?

“यार जेम्स!" हम लोग यहां क्या सोच कर आये थे कि खजाना मिलेगा? पर यहां कुछ मिलना तो छोड़ो, हम यहां खुद ही कैद हो गये।" विल्मर ने निराश होते हुए कहा।

“नकारात्मक मत सोचो दोस्त।" जेम्स ने विल्मर का हौसला बढ़ाते हुए कहा- “वह तो देवी हैं और पता नहीं कितने समय से यहां सो रही थी। अब इतने बाद अगर वो उठी हैं तो बहुत से काम बाकी होंगे। देवी पहले उसको पूरा करेंगी, फ़िर समय निकालकर हम लोगो से मिलेंगी। वैसे वह हमसे काफ़ी खुश हैं। हम तो जो मांगेंगे, उसे वह पूरा करेंगी । तू चिंता मत कर, हमारा खजाना मिलना तो पक्का है।"

“पता नहीं क्यों? पर मुझे तो थोड़ी टेंशन हो रही है।" विल्मर ने कहा- “अगर वह सच में हमसे इतना खुश थी, तो उसी समय क्यों नहीं खजाना देकर हमें वापस भेज दिया? और मान लिया कि उनके पास बहुत काम होंगे जिसकी वजह से वह हमसे नहीं मिल पा रही हैं, तो कम से कम ऐसे कमरे में रखती, जहां कुछ खिड़की व दरवाजे तो होते। उन्होने तो हमें ऐसे कमरे में बंद कर दिया है, जैसे हम उनके मेहमान ना होकर कोई कैदी हैं?"

विल्मर की बात में दम था, इसिलये जेम्स ने इस बार कोई विरोध नहीं किया।

जेम्स भी अब बैठे-बैठे थक गया था। इसिलये वह उठकर कमरे में ही टहलने लगा।

टहलते-टहलते जेम्स की निगाह एक दीवार पर चिपके दरवाजे के स्टीकर पर गयी।

स्टीकर देखकर उसे थोड़ा सा अजीब लगा। इसिलये वह दीवार के पास जाकर स्टीकर को देखने लगा।

वह एक साधारण स्टीकर ही था। ध्यान से देखने पर जेम्स को उस स्टीकर के दरवाजे पर एक उभरा हुआ लाल रंग का बटन दिखाई दिया।

जेम्स ने धीरे से उस बटन को दबा दिया।

बटन दबाने पर उसका रंग बदल कर लाल से हरा हो गया, पर कहीं से कोई आवाज नहीं आयी।

तभी जेम्स को स्टीकर देखते हुए एक अजीब सा अहसास हुआ।


एक बार फ़िर जेम्स ने स्टीकर को छूना चाहा, पर स्टीकर पर हाथ लगाते ही जेम्स को अपना हाथ दरवाजे के पार होता दिखाई दिया।

जेम्स ने एक बार विल्मर की ओर देखा। विल्मर कुर्सी पर आँख बंद किये हुए बैठा था।

जेम्स ने वापस स्टीकर की ओर देखा और धीरे से अपना एक हाथ स्टीकर के अंदर कर दिया।

दूसरी ओर खाली स्थान देख जेम्स पूरा का पूरा उस स्टीकर में घुस गया।

जेम्स के सामने एक गैलरी सी दिखाई दी। जिसमें हल्का उजाला था। जेम्स उस गैलरी में आगे बढ़ गया।

थोड़ा चलने के बाद जेम्स को हर तरफ दरवाजे ही दरवाजे दिखने लगे।

जेम्स ने घूमकर चारो ओर के दरवाजो को देखा, पर पलटने पर वह खुद भूल गया कि वह किस दरवाजे से यहां आया था।

अब जेम्स घबरा गया। काफ़ी देर तक उसने अंदाजा लगाने की सोची, पर उसे कुछ समझ नहीं आया।

अंततः वह एक दरवाजे से बाहर निकल गया। वह रास्ता एक बर्फ़ की गुफा में निकला था।

एक बार तो जेम्स खुश हो गया कि उसने बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया, पर सामने का नजारा देख वह चकरा गया क्यों कि उसे अपने अगल-बगल चारो तरफ बर्फ़ के पहाड़ दिखाई दे रहे थे।

“यह मैं कहां आ पहुंचा? यह अंटार्कटिका नहीं है। अंटार्कटिका का एक-एक चप्पा मैं पहचानता हूं, वहां इतने पहाड़ नहीं है और...और वहां की बर्फ़ का रंग भी इतना सफेद नहीं है।....पर मैं 10 कदम के अंदर अंटार्कटिका से इतना दूर कैसे आ सकता हूं?” जेम्स मन ही मन बुदबुदाया।

जेम्स गुफा से निकल कर बाहर आ गया। तभी उसे अपने सामने एक 30 इंच लंबा पैर का निशान बर्फ़ पर बना दिखाई दिया।

“हे भगवान ... ये किस दैत्य के पैरों के निशान हैं बर्फ़ पर?" जेम्स के चेहरे पर आश्चर्य ही आश्चर्य दिख रहा था-“ये मैं कहां आ गया? मुझे तुरंत वापस जाना होगा।"

इतना सोचकर जेम्स जैसे ही वापस जाने के लिये घूमा, उसे अपने पीछे की गुफा गायब दिखाई दी।

“अब ये गुफा कहां गायब हो गयी?" गुफा को गायब देख जेम्स डर गया- “अब मैं वापस कैसे जाऊंगा?"

जेम्स ने अपने आप को एक मैदान में खड़े पाया। उसे समझ में नहीं आया कि अब वो कहां जाये? तभी आसमान से बर्फ़ गिरना शुरू हो गयी।

पहले ही जेम्स को ठंड लगने लगी थी और अब उस अनचाही बर्फ़ ने जेम्स का शरीर गलाना भी शुरू कर दिया।

अब जेम्स के पास और कोई चारा नहीं था, उन विशालकाय कदमों का पीछा करने के अलावा। कुछ सोच जेम्स उन कदमों के निशान के पीछे चल पड़ा।

थोड़ा आगे जाने पर उसे वो कदमों के निशान एक गुफा की ओर जाते हुए दिखाई दिये।

आसपास कुछ और ना होने की वजह से जेम्स भी उस गुफा की ओर चल दिया।

जेम्स ने बाहर से ही धीरे से झांक कर गुफा में देखा।

जेम्स को गुफा में कोई दिखाई नहीं दिया। गुफा के छत की ओर एक गोल सा सुराख था, जिसमें से होकर बर्फ़ ने गुफा में एक छोटा सा पहाड़ बना दिया था।

वह गुफा आगे जाकर सुरंग में बदलती दिख रही थी। आसमान से गिरती बर्फ़ से बचने के लिये जेम्स उस गुफा के एक किनारे खड़ा हो गया।

जेम्स को वहां खड़े हुए अभी ज़्यादा देर नहीं हुआ था कि अचानक जेम्स को गुफा के अंदर का बर्फ़ का टीला हिलता हुआ सा दिखाई दिया।

यह देख जेम्स डरकर वहीं दीवार से चिपक गया।

अब वह बर्फ़ तेजी से हिली और उसमें से एक 12 फुट का विशाल यति निकल आया।

यति को देख जेम्स बहुत डर गया और वह गुफा से चीखकर बाहर की ओर भागा।

यति की नजर भी जेम्स की ओर गयी। वह भी जेम्स के पीछे भागा।
मुस्किल से 5 सेकंड में ही यति ने जेम्स को अपने हाथों में पकड़ लिया।

यति ने एक बार ध्यान से जेम्स की ओर देखा। जेम्स ने डर के मारे अपनी आँखे बंद कर ली।

उसे लगा कि यति अब उसे खाने जा रहा है। जेम्स के मुंह से एक तेज चीख भी निकल गयी।

तभी जेम्स को अपना शरीर हवा में झूलता हुआ महसूस हुआ। जेम्स ने एक झटके से अपने आँखे खोली। उसने देखा कि यति हवा में ऊंचे-ऊंचे कूदता हुआ किसी दिशा में जा रहा है और वह यति के हाथों में है।

बस इससे ज़्यादा जेम्स कुछ नहीं देख पाया क्यों की अब वह बेहोश हो चुका था।

ऊंची छलांग लगाता हुआ वह यति एक विशालकाय पर्वत के पास पहुंच गया।

पर्वत पर एक बर्फ़ से लदा हुआ घर बना था।

घर बर्फ़ से इतना ज़्यादा ढका था कि यही नहीं पता चल रहा था कि वह घर किस चीज से बना है।

उस घर का दरवाजा छोटा था।

यह देख यति का आकार अपने आप छोटा होने लगा।

अब यति का आकार इंसान के बराबर हो गया और वह जेम्स को लेकर उस घर में दाख़िल हो गया।
पता नहीं यति किस प्रकार चल रहा था कि उसके पैरों से रत्ती भर भी आवाज नहीं हो रही थी।

2 कमरे पारकर यति एक बड़े से हॉल में पहुंचा।

उस हॉल के बीचोबीच एक काले रंग के पत्थर से निर्मित शिवाला बना था। जिसके पास एक सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा बैठा भगवान की पूजा कर रहा था।

यह तिब्बत का एक भिक्षुक नीमा था।

यति ने धीरे से शिवाला को सिर झुकाया और सामने की ओर चुपचाप बैठकर नीमा की पूजा ख़तम होने का इंतजार करने लगा।

लगभग 10 मिनट के बाद नीमा ने अपनी पूजा ख़तम करके अपनी आँखे खोली।

आँख खोलते ही नीमा की नजर यति और उसके पास बेहोश पड़े जेम्स की ओर गयी।

“यह कौन है हनुका?" नीमा ने यति की ओर देखते हुए पूछा।

“मुझे भी नहीं पता। मुझे ये म.. हा….देव की ‘योग-गुफा’ में मिला था।"
हनुका ने कहा- “मुझे शकल से ये विदेशी दिखाई दिया, इसिलये इसे मैं आपके पास ले आया।"

“गुरुत्व शक्ति के प्रकट होने का समय आ रहा है। हो सकता है ये वही चुराने के लिये यहां आया हो।"

नीमा ने कहा- “आप इसे रूद्राक्ष और शिवन्या को सौंप दो। वही देखेंगे कि इसका आगे क्या करना है?"

“जी धर्मगुरु!" इतना कहकर हनुका जेम्स को ले वहां से बाहर निकल गया।



जारी रहेगा_________✍️
Huh James aur Vilmer alag ho gaye dekhte hain dono ke kismat mein kya likha hai??? Dono ne ek important work kiya hai, kya dono ko uska inaam nahi milega kya???

Iss episode mein ek sath aur 4 new characters ka janm ho gaya hai.

Nice update brother.
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#96.

चैपटर-12 : अटलांटिस वृक्ष

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 15:45, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

व्योम लगातार किसी अंधे कुंए में गिरता हुआ सा प्रतीत हो रहा था।

कुछ देर तक ऐसे गिरते रहने के बाद व्योम को अपना शरीर किसी धरातल से छूता हुआ प्रतीत हुआ।

व्योम ने अपनी आँखो को खोला। वह इस समय एक घने जंगल में घास पर पड़ा हुआ था।

“ये मैं कहां आ गया?"
व्योम याद करते हुए बड़बड़ाया- “मैं तो द्वीप के नीचे के स्थान पर किसी विज्ञान की दुनियां में था। वहां पर मैने एक मशीन का बटन दबाया था, तभी मुझे अपना शरीर खंडों मे विभक्त होता हुआ महसूस हुआ। जिसके फल स्वरूप मैं यहां पहुंच गया। क्या....क्या वो मशीन ट्रांसमिट मशीन थी? पर उस मशीन ने मुझे कहां भेज दिया?"

व्योम ने एक नजर अपने आसपास के स्थान पर मारी। वह एक बहुत ही खूबसूरत परंतु छोटी सी घाटी में था।

चारो ओर हरियाली थी। खूबसूरत पहाड़ो के बीच सुंदर फल और फूलों वाली घाटी रंग- बिरंगे फूलों से बिलकुल स्वर्ग के समान महसूस हो रही थी।

वहां लगे सभी पेड़-पौधे व्योम के लिये नये थे। इससे पहले उसने ऐसे फल और फूलों के पौधे अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे।

व्योम अभी जंगल की खूबसूरती का नजारा ले ही रहा था कि तभी उसे कुछ ‘धम-धम’ की आवाज सुनाई दी।

आवाज सुनते ही व्योम समझ गया कि कोई विशालकाय जीव उधर आ रहा है।

वह तुरंत एक पास के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया।

व्योम की नजर अब आवाज की दिशा की ओर थी, जो कि अब पास आती जा रही थी।

कुछ ही देर में व्योम को एक तरफ से एक मदममस्त हाथी आता हुआ दिखाई दिया।

उस हाथी की चाल से पता चल रहा था कि वह कुछ दिन पहले ही व्यस्क हुआ है। क्यों कि वह पूरी मस्ती में उछलता-कूदता दिखाई दे रहा था।

हाथी के दाँत लंबे और चमकीले थे। हाथी अपनी मस्तानी चाल से कुछ छोटे-छोटे पेडों को उखाड़ता चल रहा था।

हाथी को देख व्योम ने अपने आप को एक मोटी टहनी के पीछे छिपा लिया, जिससे हाथी की नजर उस पर ना पड़े।

झूमता हुआ हाथी अचानक एक पेड़ को उखाड़ते-उखाड़ते रुक गया। अब हाथी ध्यान से उस पेड़ पर लगे फलों को देखने लगा।

हाथी को ऐसा करते देख व्योम को थोड़ा आश्चर्य हुआ। वह भी ध्यान से उस पेड़ के फलों को देखने लगा।

उस पेड़ पर छोटे-छोटे आँवले के जैसे लाल और हरे फल लगे थे। कुछ देर तक देखते रहने के बाद हाथी ने एक लाल फल को खा लिया।

फल को खाते ही हाथी का आकार आश्चर्यजनक तरीके से एक चूहे के बराबर हो गया।

व्योम आँखे फाड़े उस दृश्य को देख रहा था।

चूहे के आकार में आकर हाथी काफ़ी खुश हो गया। अब वह चिंघाड़ते हुए वहां से चला गया।

“अरे बाप रे....यह तो बहुत ही विचित्र जगह है।" व्योम ने अपने मन मे सोचा- “ऐसे फलों के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं....यह फल तो किसी भी जीव के जीनोम को बदलने की क्षमता रखता है।"

यह सोच व्योम अब पेड़ से उतरकर उस विचित्र वृक्ष के पास आ गया और उसके फलों को ध्यान से देखने लगा। व्योम को देखने में वो फल बिल्कुल साधारण से ही लगे।

“इन लाल फलों को खाकर वह हाथी छोटा हुआ था। पर यह हरे फलों से क्या होता है? कहीं ये हरे फल वापस जीव को सामान्य आकार में तो नहीं लाते। जरूर ऐसा ही होगा। पर इस हरे फल को चेक कैसे करू? मैं स्वयं पर तो इसका प्रयोग कर नहीं सकता। चलो कुछ फल जेब में रख लेता हूं, बाद में इसका प्रयोग करके देखूंगा कहीं पर?"

यह सोचकर व्योम ने कुछ लाल और कुछ हरे फल, पेड़ से तोड़कर अपनी जेब में डाल लिये।

“अब मुझे सबसे पहले पता करना चाहिए कि मैं हूं कहां पर?"
यह सोचकर व्योम ने अपने बैग से दूरबीन को निकाल कर अपनी आँखों पर चढ़ा लिया और घाटी पर एक नजर डाली, पर उसे दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आया।

“यहां से तो मनुष्य के जीवन के कोई अवशेष नजर नहीं आ रहे, फ़िर मुझे बतायेगा कौन? कि मैं इस समय कहां पर हूं? मुझे पहाड़ पर चढ़कर देखना चाहिए। शायद वहां से कुछ नजर आ जाये।"

यह सोचकर व्योम एक पास वाले पहाड़ पर चढ़ना शुरू हो गया। 1 घंटे के अथक परिश्रम के बाद व्योम उस पहाड़ की चोटी पर पाहुंच गया।

पहाड़ पर उसे एक विशालकाय वृक्ष दिखाई दिया। उस वृक्ष की ऊंचाई कम से कम 100 फिट से कम नहीं थी।

उस वृक्ष पर हजारो शाखाएं थी और हर शाखा पर बहुत ज़्यादा पत्तियाँ लगी थी। वह पेड़ इतना घना था कि पेड़ के नीचे सूर्य की रोशनी भी नहीं आ रही थी।

उस पेड़ का तना 12 फिट चौड़ा था। दूर से देखने पर वह पेड़ किसी विशालकाय दैत्य की भाँति प्रतीत हो रहा था।

उस पेड़ पर एक भी फल और फूल नहीं लगे थे।

व्योम ने उस पेड़ को हाथ लगाकर देखा। पेड़ को छूते ही अचानक उसे अपने मस्तिष्क में बहुत शांति महसूस हुई।

व्योम को एक अतिन्द्रिय शक्ति का अहसास हुआ, इसिलसे जाने क्यों श्रद्धावश व्योम ने पेड़ को हाथ जोड़कर प्रणाम कर लिया।

धीरे-धीरे शाम होने वाली थी और व्योम को भूख और प्यास भी लग रही थी, इसिलये व्योम ने एक बार फिर दूरबीन को आँखों से लगाकर घाटी की दूसरी ओर देखना शुरू कर दिया।

घाटी के दूसरी ओर बहुत दूरी पर उसे कोई चमकती हुई चीज दिखाई दी। व्योम ने दूरबीन को समायोजित करके देखा।

“अरे यह तो कोई धातु की विशाल मूर्ति लग रही है। मुझे उस दिशा में ही चलना चाहिए। शायद वहां पर कोई इंसान मिल जाये।"

यह सोच व्योम धीरे-धीरे पहाड़ से उतरने लगा। व्योम के पलटते ही उस वृक्ष से रोशनी की एक किरण निकली और व्योम के शरीर में समा गयी, पर व्योम इस दृश्य को देख नहीं पाया।

सागरिका

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 16:20, कलाट महल, अराका द्वीप)

इस समय युगाका कलाट महल में कलाट के सामने बैठा था।

“क्या हुआ बाबा? आपने आपातकाल बटन क्यों दबाया? ऐसी क्या तत्काल जरूरत पड़ गयी? सब ठीक तो है ना?" युगाका ने एक नजर कलाट पर डालते हुए पूछा।

“मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं है बेटा। पर मुझे लग रहा है कि कोई बाहरी इंसान सामरा राज्य के अंदर दाख़िल हुआ है क्यों कि कुछ देर पहले अटलांटिस वृक्ष को, किसी के छूने के संकेत मुझे प्राप्त हुए हैं।" कलाट ने गंभीर होकर कहा।

“ऐसा कैसे हो सकता है? हमारी अदृश्य दीवार को कोई बाहरी शक्ति भेद नहीं सकती। फ़िर भला कोई अंदर कैसे आ सकता है? और बाहरी किसी इंसान को अटलांटिस वृक्ष के बारे में कैसे पता चलेगा?" युगाका के शब्दों में आश्चर्य के भाव नजर आने लगे।

“युगाका तुम तो जानते हो कि तुम्हारी वृक्ष शक्ति का आधार वही अटलांटिस वृक्ष है। हम गिने-चुने सामरा वासियो के अलावा उस वृक्ष की जानकारी तो सीनोर वासियो को भी नहीं है। फ़िर कोई भला उसके बारे में कैसे जान सकता है। बस यही तो मेरी चिंता का कारण है। लगता है हमें अटलांटिस वृक्ष तक चलना पड़ेगा।" कलाट ये कहकर खड़ा होने लगा।

“बाबा, मुझे भी आपसे कुछ बातें बतानी है?" युगाका ने कलाट को खड़ा होते देख कहा।

युगाका की बात सुन कलाट वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और युगाका की ओर देखने लगा।

“बाबा कुछ दिन पहले एक पानी का जहाज कुछ इंसानों को लेकर इस क्षेत्र में आया था, जिसे लुफासा ने अपनी शक्तियों से तोड़कर अधिकतर इंसानों को मार डाला, परंतु 12 इंसान किसी प्रकार बचकर मायावन में प्रविष्ट हो गये हैं। वह एक के बाद एक बाधाओं को पार करते जा रहे हैं। उनमें से कुछ मानव के पास तो असीमित शक्तियां भी हैं।" युगाका ने अपने भावनाओं को प्रदर्शित करते हुए कहा।

“इंसानों के पास शक्तियां? कैसी शक्तियां हैं उनके पास?" कलाट ने आश्चर्य से भरते हुए युगाका से पूछा।

“एक इंसान की पीठ पर ‘पंचशूल’ पर छपी सूर्य की आकृति बनी है। उसने देवी शलाका की मूर्ति को भी छुआ, फिर भी वो जिंदा बच गया।" युगाका ने कहा।

“पंचशूल वाली सूर्य की आकृति? और....और....उसे देवी शलाका की मूर्ति को छूकर भी कुछ नहीं हुआ? ..... असंभव!....ये नहीं हो सकता।" कलाट भी यह बात सुनकर घबरा गया।

“ऐसा मेरी आँखों के सामने ही हुआ है बाबा। मैं आपसे झूठ नहीं बोल रहा।" युगाका ने कलाट को यकीन दिलाते हुए कहा- “और दूसरी लड़की तो अभी मात्र xx-xx वर्ष की ही लग रही है, पर वह मायावन के बारे में सबकुछ जानती है, उसने....उसने तो आज मेरी वृक्ष शक्ति भी मुझसे छीन ली थी।"

“क्याऽऽऽऽऽऽ?" युगाका के शब्द सुन कलाट के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ।

“तुमने मुझे इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया? मुझे लगता है वह घड़ी आने वाली है जिसका अराका वासियों को हज़ारों सालो से इंतजार है। महाशक्ति ने अराका पर अपने कदम को रख दिया है। अब ‘सागरिका’ को फ़िर से खोलना पड़ेगा।"

“कौन महाशक्ति बाबा? और...और ये सागरिका क्या है?" युगाका के लिये कलाट का हर शब्द एक रहस्य के समान था।

“बताता हूं, सब बताता हूं...पर पहले सूर्य के अस्त होने के पहले हमें अटलांटिस वृक्ष तक पहुंचना होगा।" कलाट ने कहा।

“ठीक है बाबा तो पहले अटलांटिस वृक्ष तक पहुंचने की ही व्यवस्था करते हैं। आप मेरे साथ महल की छत पर चिलये।" इतना कहकर युगाका कलाट महल के छत की ओर भागा।

कलाट युगाका के पीछे था।

युगाका ने महल की छत पर पहुंचकर एक अजीब सी सीटी बजाई, कुछ देर बाद उसे हवा में उड़कर वही लकड़ी का ड्रोन आता दिखाई दिया।

ड्रोन महल की छत पर उतर गया। कलाट और युगाका दोनों ही ड्रोन में बैठ गये।

युगाका के इशारे पर अब वह ड्रोन अटलांटिस वृक्ष की ओर उड़ चला।

“क्या अब आप बतायेंगे बाबा कि महाशक्ति कौन है?" युगाका ने कलाट से पूछा।


जारी रहेगा_______✍️
Wow wow wow interesting!!!

Ek aur jahan Vyom kafi surprise hai uske sath kuchh alag hi game chal raha hai aur dusri aur Yugaka aur uske logo ke liye achhe samay aane ke sanket mil rahe hain.

Let's see how you unfold the mysteries jo aapne iss story ke liye banaya hai.
 

dhalchandarun

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#97.

“आज से 20000 वर्ष पहले जब पोसाइडन ने क्लीटो को कैद करने के लिये अराका द्वीप के निर्माण के बारे में सोचा, तो उसके दिमाग में पहला प्रश्न यह आया कि द्वीप की संरचना किस प्रकार की बनाई जाये? इसिलये तिलिस्मा और मायावन के निर्माण के लिये पोसाइडन ने कैस्पर और महाशक्ति मैग्रा का चुनाव किया।

ये दोनो उस समय के सबसे सफल निर्माणकर्ता थे। पोसाइडन चाहता था कि मायावन में विचित्र जीवो और वृक्षो का संसार हो, इस मायावन को इतनी आसानी से कोई ना पार कर पाये और अगर कोई इसे पार करने की कोशिश करे तो कैस्पर उस इंसान की शक्तियों को देखकर तुरंत ऐसे तिलिस्म का निर्माण करे, जिसको तोड़ना उस इंसान की शक्तियों से परे हो। इस प्रकार मैग्रा ने ‘वृक्षा शक्ति’ और ‘जीव शक्ति’ को मिलाकर इस मायावन का निर्माण किया और कैस्पर ने तिलिस्मा का निर्माण किया।

इस निर्माण के कुछ समय बाद पता नहीं किन अंजान कारणो से महाशक्ति मैग्रा ने पोसाइडन के विरूद्ध ही कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। जिसके बाद पोसाइडन और मैग्रा की शक्तियों के बीच टकराव शुरू हो गया और फ़िर 18000 वर्ष पहले महाशक्ति मैग्रा कहीं लुप्त हो गयी? उसके बाद से उसका आज तक कुछ पता नहीं चला?"

“कहीं वह छोटी लड़की ही तो मैग्रा नहीं?" युगाका ने हैरानी से पूछा।

“कुछ कह नहीं सकते। हो भी सकता है। इसीलिये तो ‘सागरिका’ खोलने चल रहे हैं।" कलाट ने कहा।

“ये सागरिका क्या है बाबा?" युगाका ने फ़िर कलाट से पूछा।

“जब देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण कार्य शुरू किया, तो 7 तत्वों की रचना की और उन 7 तत्वों की रचनाओ का इतिहास सुरक्षित रखने के लिये 7 चमत्कारी किताबों का निर्माण किया। इस प्रकार धरती, आकाश, वायु, अग्नि, जल, प्रकाश और ध्वनि के इतिहास के लिये क्रमश: भूमिका, निहारिका, वेगिका, अग्निका, सागरिका, प्रकाशिका और ध्वनिका नामक किताबों की रचना की और यह सभी किताबें पृथ्वी के अलग-अलग भागो में छिपा दी गयी।

इनमें से मुझे सागरिका किताब की जानकारी है। वह एक चमत्कारी पुस्तक है और भूतकाल के अलावा कुछ भविष्य भी दिखाती है। उस पुस्तक के, भविष्य के पन्नो को, पुस्तक की इच्छा के बगैर कोई नहीं खोल सकता। पिछली बार जब मैं उस पुस्तक के पास गया था, तो उसके आखरी पन्ने पर लिखा था कि जब मायावन में महाशक्ति के अस्तित्व का अहसास हो जाये तो उस पुस्तक का अगला पन्ना खुलेगा।"

अब इससे पहले कि युगाका कोई और प्रश्न पूछ पाता, ड्रोन अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गया।

ड्रोन से उतरकर कलाट और युगाका अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गये। दोनों ने ही पहले वृक्ष को प्रणाम किया।

“हे महावृक्ष क्या आज आपके पास कोई अंजान व्यक्ती आया था?" कलाट ने वृक्ष से पूछा।

“एक ऐसा व्यक्ती आया था, जो सामरा का नहीं था, पर फ़िर भी मुझे वो अपना सा लगा।" वृक्ष से आवाज आयी।

“मैं कुछ समझा नहीं महावृक्ष? वो सामरा का नहीं था फ़िर भी अपना लगा, ऐसा कैसे हो सकता है?" कलाट ने ना समझने वाले अंदाज मेंकहा।

“ठीक उसी प्रकार जैसे त्रिकाली.... ....।" कुछ कहते-कहते वृक्ष शांत हो गया।

“मैं आपके कथन को समझ गया महावृक्ष। अगर आपको ऐसा महसूस हुआ है तो फ़िर मुझे कोई आपत्ती नहीं है।" कलाट ने कहा।

पर युगाका को महावृक्ष की ये बात समझ नहीं आयी। उसे समझ नहीं आया कि महावृक्ष ने त्रिकाली का नाम क्यों लिया?

“परेशान मत हो कलाट, खुशियाँ अराका पर कदम रख चुकी हैं, मैंने उसे महसूस किया है। तुम तो बस अब ‘दूसरे देव युद्ध’ की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“क्या देव युद्ध निकट आ चुका है महावृक्ष?" कलाट ने पूछा।

“परिस्थितीयां बननी शुरू हो चुकी हैं, ये देव युद्ध पिछले से भी बड़ा होगा। पर देवताओं की शक्ति तुम्हारे साथ है। इसलिये तुम बिल्कुल भी परेशान मत हो। तुम तो अभी बस खुशियों की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“जी महावृक्ष... जैसी आपकी आज्ञा।" कलाट ने कहा- “हे महावृक्ष मैं सागरिका का अगला पन्ना पलटना चाहता हूं।"

“ठीक है ... यह उचित समय भी है, तुम सागरिका का अगला पन्ना पलट सकते हो।" वृक्ष के इतना कहते ही उस वृक्ष पर 2 सोने के सेब दिखाई देने लगे।

कलाट और युगाका ने एक-एक फल को खा लिया।

फल को खाते ही दोनों का शरीर एक ऊर्जा के प्रकाशपुंज के रूप में परिवर्त्तित हो गया और रोशनी की तेजी से उड़कर समुद्र में समा गया।

समुद्र में तेजी से यात्रा करता वह प्रकाशपुंज कुछ ही सेकंड में समुद्र के अंदर डूबे अटलांटिस तक पहुंच गया। अटलांटिस द्वीप के अवशेष चारो ओर बिखरे दिखाई दे रहे थे।


दोनों प्रकाशपुंज वहां मौजूद पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश कर गये।

पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश करते ही युगाका और कलाट दोनो अपने वास्ताविक रूप में आ गये।

मंदिर अंदर से बहुत विशालकाय था। चारो ओर पानी ही पानी भरा था। बहुत से जलीय जंतु वहां तैर रहे थे।

मंदिर में पोसाइडन की एक विशालकाय प्रतिमा लगी थी, जिसके नीचे एक शेर की मूर्ति भी थी।

कलाट ने शेर की मूर्ति को पकड़कर घुमा दिया। अब शेर का मुंह पोसाइडन की ओर हो गया था। तभी एक गड़गड़ाहट के साथ पोसाइडन की मूर्ति के पीछे, एक द्वार सा खुल गया।

कलाट और युगाका उस द्वार में प्रविष्ट हो गये।

वह एक 20 फुट लंबा- चौड़ा कमरा था, जिसकी दीवार पर अजीब-अजीब से जलीय जन्तुओं की उभरी हुई आकृतियाँ बनी थी। उस कमरे में पानी का नामो- निशान भी नहीं था।

कमरे के बीचोबीच में एक खंभे पर एक मोटी सी प्राचीन किताब रखी थी। उस किताब के कवर पर उभरा हुआ, एक सुनहरी धातु का ‘सी-हार्स’ बना था।

वह किताब काफ़ी मोटी दिख रही थी।

कलाट ने युगाका को उस किताब को ना छूने का इशारा किया और अपने वस्त्रो में छिपे एक मछली की खाल जैसे दस्तानों को अपने दोनों हाथों में पहन लिया।

अब कलाट ने किताब को प्रणाम कर उसके पन्नो को खोल दिया।

किताब के खोलते ही उस किताब से पानी की कुछ बूंदे निकलकर कलाट के सामने हवा में फैल गयी। इसी के साथ वह पानी, हवा में कुछ शब्दों को लिखने लगा। जो कि इस प्रकार थे-

“सप्तलोक से आयी शक्ति, ब्रह्मकण से बना त्रिकाल,
देवयुद्ध कण-कण में होगा, जब टूटेगा मायाजाल"

यह पंक्तियाँ देखकर कलाट मुस्कुरा दिया, पर युगाका की कुछ भी समझ में नहीं आया।

उसने कलाट की ओर देखा, पर कलाट ने इशारे से उसे सबकुछ बाद में बताने को कहा।

पंक्तियो को देख कलाट ने फ़िर से सागरिका को देख हाथ जोड़ा।

उसके हाथ जोड़ते ही सागरिका से निकलने वाला वह जल, फ़िर से सागरिका में समा गया और इसी के साथ वह किताब स्वतः बंद हो गयी।

अब कलाट, युगाका को लेकर वापस पोसाइडन के मंदिर में आ गया।

कलाट के गुप्त स्थान से निकलते ही गुप्त स्थान वापस से बंद हो गया और शेर की मूर्ति अपने यथास्थान
आ गयी।

कलाट और युगाका जैसे ही पोसाइडन के मंदिर से बाहर आये, वह फ़िर से प्रकाशपुंज में बदल गये और सामरा राज्य की ओर चल दिये।


जलपरी की मूर्ति

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 17:30, मायावन, अराका द्वीप)

“कैप्टन...शाम होने वाली है। हमें रात गुजारने के लिये फ़िर से कोई सुरक्षित स्थान देखना होगा।" अल्बर्ट ने सुयश को देखते हुए कहा।

“कुछ दूरी पर मुझे पेड़ ख़तम होते दिख रहे हैं। शायद वहां पर कोई सुरक्षित जगह हो?" सुयश ने अल्बर्ट को एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कैप्टन, ऐमू फ़िर गायब हो गया।" ब्रेंडन ने कहा- “जब युगाका ने हम पर हमला किया था, तब तक वह हमारे साथ था। उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं है?"

“मुझे ऐसा लगा जैसे ऐमू युगाका से बहुत ज़्यादा घबरा गया था।" जेनिथ ने कहा।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला ख़तम हो गया। अब सामने दूर-दूर तक मैदानी क्षेत्र था, जहां पर एक भी पेड़ नजर नहीं आ रहे थे।

तभी तौफीक ने कहा- “कैप्टन.... वहां कुछ दूरी पर जमीन पर कोई इमारत जैसी नजर आ रही है। हमें उस तरफ ही चलना चाहिये।"

सभी की नजर तौफीक की बताई दिशा की ओर घूम गयी। सभी उस दिशा की ओर चल दिये।

“यह तो संगमरमर पत्थरों से बनी कोई जगह दिखाई दे रही है।" शैफाली ने कहा

लगभग 5 मिनट में ही सभी उस स्थान पर पहुंच गये।

वह एक सफेद संगमरमर पत्थरों से बनी, एक पार्क जैसी जगह थी। इस जगह पर किसी भी प्रकार की कोई छत नहीं थी।

पार्क के बीचोबीच एक सुंदर और साफ पानी का तालाब था, जिसके चारो ओर उसमें उतरने के लिये सीढ़ियाँ बनी थी। उस तालाब के बीच में पानी का एक विचित्र फव्वारा लगा था।

उसे विचित्र इसलिये कहा क्यों की उस फव्वारे में एक ‘सर्प लड़की’ की मूर्ति लगी थी।

उस लड़की के शरीर के नीचे का भाग एक सर्प का था और कमर से ऊपर का भाग एक लड़की का था।

लड़की के बाल की जगह सैकडो सर्प निकले थे और हर सर्प के मुंह से पानी की एक धार फव्वारे की शकल में निकल रही थी।

“मेडूसा!" अल्बर्ट ने उस मूर्ति को देखते ही कहा- “ये ग्रीक कहानियों का पात्र ‘मेडूसा’ है। यह 3 ‘गारगन’ बहनो में से एक थी।"

“क्या इसकी कहानी हमें सुनाएंगे प्रोफेसर?" जेनिथ ने अल्बर्ट से अनुरोध करते हुए कहा।

“जरूर सुनाऊंगा, पर पहले एक बार इस पूरी जगह को ठीक से देख लिया जाये कि यह जगह रात गुजारने लायक है भी कि नहीं?" अल्बर्ट ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने धीरे से सिर हिलाकर अपनी हामी भर दी। अब सभी बाकी की जगह को देखने लगे।

उस पार्क के एक दूसरे क्षेत्र में खूबसूरत जलपरी की मूर्ति बनी थी, जिसका कमर से नीचे का हिस्सा एक मछली जैसा था और कमर के ऊपर का हिस्सा एक लड़की का था।


जारी रहेगा______✍️
Wonderful update brother.

Har ek update mein bahut kuchh likhne aur bolne ke liye hota hai lekin ek ya 2 point hi main include karta hoon reason hai time isse mera aur aapka dono ka samay bach sakta hai baki aapki story mein bahut jyada research work hai jo mujhe achha lagta hai.

Werewolf sir iss bande ne apni story ke liye kamaal ki research works ki hai jo aapki story mein dekhne ko milti hai.
 

dhalchandarun

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#98.

उस जलपरी ने अपने हाथ में एक मटकी पकड़ी हुई थी।

मटकी का मुंह नीचे की ओर था। नीचे की ओर पत्थर से बनी एक नाली के जैसी संरचना बनी थी, जो वहां से घुमावदार रास्ते की शकल में, कुछ दूर बने एक ड्रैगन की मूर्ति के मुंह तक जा रही थी।

कुल मिलाकर बहुत ही रहस्यमयी वातावरण था।

तभी सूर्य की आखरी किरण ने भी आसमान से अलविदा कहा और शाम हो गयी।

सूर्य की आखरी किरण के जाते ही अचानक उस क्षेत्र में किसी वाद्य यंत्र का एक मीठा संगीत सा बजने लगा।

संगीत को सुन सभी आश्चर्य से इधर-उधर देखने लगे, पर उन्हें यह समझ नहीं आया कि यह संगीत कहां से सुनाई दे रहा है।

वह आवाज चारो ओर गूंज रही थी और सभी के कानों को बहुत भली लग रही थी।

तभी जलपरी के मटके से एक गुलाबी रंग का द्रव निकलना शुरू हो गया।

“यह सब क्या हो रहा है?" क्रिस्टी ने कहा- “लगता है यह कोई तिलिस्मी जगह है?"

“कोई भी यहां कि किसी भी चीज को छुएगा नहीं।" सुयश ने सभी को चेतावनी दे दी।

उधर जलपरी के मटके से निकला गुलाबी द्रव, अब नालियों से होता हुआ, ड्रैगन के मुंह में जाने लगा।

एक बार देखने पर यह महसूस हो रहा था कि वह जलपरी ड्रैगन को शरबत पिला रही है।

पर यह नहीं पता चल रहा था कि जलपरी की मटकी में वह द्रव आ कहां से रहा है? और ड्रैगन के मुंह के बाद जा कहां रहा है?

तभी उस पूरे क्षेत्र में एक खुशबू सी फैल गयी। उस खुशबू में अजीब सा नशा महसूस हो रहा था।

“यह अजीब सी खुशबू किस चीज की है?" जेनिथ ने कहा।

“यह तो शराब जैसी खुशबू है।" जॉनी ने वातावरण में बसी गंध को सूंघते हुए कहा- “पर यह खुशबू आ कहां से रही है?"

अब जॉनी की नजर जलपरी की मटकी से निकलते गुलाबी रंग के द्रव पर पड़ी।

जॉनी धीरे-धीरे चलता हुआ, जलपरी की मूर्ति के पास पहुंच गया और खड़ा होकर उस द्रव को सूंघने लगा।
वह विचित्र सी खुशबू उस गुलाबी द्रव से ही आ रही थी।

“ओए नशेड़ी।" जैक ने जॉनी को चिढ़ाते हुए कहा- “वहां क्या सूंघ रहा है? वह कोई शराब नहीं है।“

जॉनी ने तो जैक की बात का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही बुरा माना। उसे तो बस अब वह गुलाबी द्रव ही आकर्षित कर रहा था।


जॉनी ने उस द्रव को अपने चुल्लू में उठाकर देखा और फ़िर धीरे से उसे पी लिया।

“अरे वाह! लॉटरी लग गयी.....ये तो शराब ही है।" जॉनी खुशी से चीखकर नाचने लगा।

उसका नाच देखकर सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। जॉनी अब जल्दी-जल्दी एक बोतल से पानी फेंक कर उसमें शराब भरने लगा।

“कोई और उस शराब को हाथ भी नहीं लगायेगा।" तौफीक ने चेतावनी देते हुए कहा- “यह किसी प्रकार का मायाजाल भी हो सकता है? नहीं तो इस जंगल में इतना सुंदर संगमरमर का पार्क कहां से आ गया?"

उधर जॉनी लगातार शराब पीता जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह जन्म-जन्म का प्यासा हो।

तभी क्रिस्टी जॉनी को देखकर चीख उठी- “ईऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"

क्रिस्टी की चीख सुनकर सभी का ध्यान जॉनी की ओर गया। उसे देखकर सभी आश्चर्य से भर गये क्यों की जॉनी के शरीर पर बहुत तेजी से बाल निकल रहे थे।

क्रिस्टी की चीख सुन और सभी को अपनी ओर देखता पाकर, जॉनी की नजर स्वयं पर गयी।

उसके हाथ और पैर पर तेजी से बाल निकल रहे थे। अपने में हो रहे इस बदलाव को देख अब जॉनी भी चीखने लगा।

एक क्षण में ही उसका पूरा नशा काफूर हो गया।

“कैप्टन....बचाओऽऽऽऽ.... मुझे ये क्या हो रहा है?" जॉनी सुयश की ओर भागा।

सुयश को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? असहाय सी अवस्था में वह जॉनी को देख रहा था।

“मुझे बचा लो।" अब जॉनी शैफाली के पास जाकर गिड़गिड़ाने लगा- “तुम कुछ भी कर सकती हो....मुझे बचा लो।"

शैफाली भी सिर्फ जॉनी को देख रही थी, उसके पास भी जॉनी के लिये कोई उपाय नहीं था।

अब जॉनी के चेहरे पर भी बाल निकलने लगे और उसकी आवाज भी धीरे-धीरे बदलने लगी।

कोई अंजान खतरा देख ब्रेंडन और तौफीक ने अपने हाथ में चाकू निकाल लिया।

ब्रेंडन और तौफीक के हाथ में चाकू देख जॉनी डर कर एक तरफ खड़ा हो गया।

उसका बदलना अब भी जारी था।

कुछ ही देर में जॉनी एक पूर्ण विकसित गोरिल्ला में परीवर्तित हो गया।

यह देख जैक भी अब जॉनी से दूर हो गया। सभी डरी-डरी नज़रों से उस गोरिल्ले को देख रहे थे।

तभी गोरिल्ला ने अपने मुंह से बहुत तेज ‘खो-खो’ की आवाज निकाली और उछलकर उस पार्क से बाहर आ गया।

जब तक सभी उसे देखने के लिये बाहर निकले, तब तक वह गोरिल्ला अजीब सी आवाज निकालता और उछलता हुआ जंगल की ओर भाग गया।

जैक को जॉनी के गोरिल्ला बनने पर बिल्कुल भी अफसोस नहीं हुआ, वह तो मन ही मन खुश था क्यूकी अब इस जंगल से निकलने के बाद सारी दौलत जैक की हो जानी थी।

मगर जैक के चेहरे के भाव क्रिस्टी ने साफ पहचान लिये। क्रिस्टी के चेहरे पर अब जैक के लिये नफरत के भाव नजर आये।

एलेक्स और जॉनी के गायब होने के बाद अब वह लोग कुल 8 बचे थे।

सच पूछो तो जॉनी के गायब होने का अफसोस सुयश के अलावा किसी को नहीं हुआ था।

“कैप्टन.... इस घटना के बाद क्या हमें अब भी इस जगह पर रात गुजारनी चाहिये?" ब्रेंडन ने सुयश से पूछा।

“आसपास कोई और जगह इतनी साफ सुथरी नहीं है और वैसे भी अगर हम इस जगह की किसी वस्तु का इस्तेमाल ना करे तो मुझे नहीं लगता कि इस जगह पर रुकने में कोई परेशानी है?"
सुयश ने कहा- “वैसे आपका इस बारे में क्या कहना है प्रोफेसर?"

“मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा-
“अगर जॉनी भी जल्दबाजी नहीं करता तो वह भी अब तक हमारे पास होता। इस जगह पर सफाई और पानी दोनो उपलब्ध हैं, हम यहां रुक सकते हैं।"

फिर क्या था, उसी जगह पर एक किनारे बैठकर सभी खाना खाने लगे।

“प्रोफेसर आप हमें ‘मेडूसा’ की कहानी सुनाने वाले थे।" जेनिथ ने अल्बर्ट को याद दिलाते हुए कहा।

अल्बर्ट ने धीरे से सिर हिलाया और कहानी सुनाना शुरू कर दी-

“मेडूसा के पिता का नाम ‘फोर्किस’ और माँ का नाम ‘सीटो’ था। फोर्किस को जल का देवता कहा जाता था। उसके हाथ केकड़े की तरह थे और शरीर का निचला हिस्सा किसी विशाल सर्प की तरह था। शायद वह जलीय दैत्य की प्रजाति का था।

मेडूसा की माँ सीटो ड्रैगन परिवार से थी। बाद में फोर्किस और सीटो ने बहुत से वंश की स्थापना की। जैसे ‘गार्गन वंश’, जिन्हे हम नागवंश कह सकते हैं। गार्गन वंश में सीटो की 3 पुत्रियां हुई। ‘स्थेनो, यूरेल और मेडूसा’। इसमें मेडूसा सबसे छोटी थी। मेडूसा की दोनों बहन अमर थी। मेडूसा पहले बहुत खूबसूरत थी। मेडूसा ने आजीवन कुंआरे रहने का व्रत लिया और कोमार्य की देवी एथेना की पुजारिन बन गयी।

एक दिन समुद्र के देवता पोसाइडन की नजर मेडूसा पर पड़ी और मेडूसा के सौन्दर्य से आसक्त होकर पोसाइडन ने देवी एथेना के मंदिर में ही मेडूसा के साथ बलात्कार किया।
जिससे क्रुद्ध होकर देवी एथेना ने मेडूसा को श्राप देकर सर्प में परिवर्त्तित कर दिया। एथेना के इस श्राप का प्रभाव मेडूसा की दोनों बहनो पर भी हुआ। वह भी मेडूसा की ही तरह सर्प में परिवर्त्तित हो गयी। इस श्राप के प्रभाव से मेडूसा और उन तीन बहनो की आँखों में ऐसी शक्ति आ गयी कि अब जो भी उनकी आँखों में देखता वह पत्थर का बन जाता।

बाद में ‘जीयूष’ के पुत्र ‘पर्सियस’ ने एथेना की दी हुई ‘शील्ड’ से मेडूसा के अक्स को देखकर उसका सिर काट दिया।उस समय मेडूसा, पोसाइडन के बच्चे की माँ बनने वाली थी। मेडूसा का सिर कटने के बाद उसका खून समुद्र में जाकर मिल गया, जिससे पंखों वाले घोड़े ‘पेगासस’ का जन्म हुआ और सुनहरी तलवार के साथ एक योद्धा ‘क्राइसोर’ का जन्म हुआ। उधर फोर्किस और सीटो ने कुछ और वंश को जन्म दिया, जिनमें ‘हेस्पराइडस’ जो कि एक अप्सरा थी और ‘लैडन’ जो कि एक 100 सिर वाला हाइड्रा ड्रैगन था।

लैडन एक खतरनाक योद्धा था, जो कि हेस्पराइडस के ‘सोने के सेब’ के बाग में उस वृक्ष की रक्षा करता था। बाद में जीयूष के दूसरे पुत्र ‘हेराक्लस’ ने लैडन को सोने के सेब की खातिर मार दिया था। इस तरह फोर्किस और सीटो को मूलतः ‘नागवंश’ और ‘ड्रैगनवंश’ का जनक माना गया है। पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर ‘राक्षस’ इसी वंश से उत्पन्न हुआ है।" इतना कहकर अल्बर्ट चुप हो गया।

“बाप रे .... बड़ा खतरनाक था मेडूसा का परिवार।" क्रिस्टी ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा-
“पर एक बात समझ में नहीं आयी कि एथेना के मंदिर में मेडूसा की तो गलती ही नहीं थी, फ़िर एथेना ने पोसाइडन के बजाय मेडूसा को क्यों श्राप दिया?"

“यह हमेशा से ग्रीक माइथालोजी में विवाद का विषय रहा है। ज़्यादातर लोगो का यही मानना है कि एथेना ने उस समय गलत किया था।" अल्बर्ट ने कहा।

“तो क्या मेडूसा के माँ, बाप, भाई, बहनो ने कभी पोसाइडन से बदला लेने के बारे में नहीं सोचा?" जेनिथ ने अल्बर्ट ने पूछा।

“इस बारे में कुछ कह नहीं सकता क्यों कि किसी भी किताब में ऐसा कोई जिक्र किया नहीं गया है।" अल्बर्ट ने कहा- “पर जो भी हो, मुझे भी लगता है कि मेडूसा कभी गलत नहीं थी, पर माइथोलॉजी में उसे हमेशा एक शैतान की तरह प्रदर्शित किया गया है जो मेरे हिसाब से पूर्णतया गलत है।"

सभी ने एक नजर मेडूसा की मूर्ति पर डाली और देर रात हो जाने के कारण सोने के लिये चल दिये।



जारी रहेगा________✍️
Sabse pahle ye sabhi updates late se padhne ke liye sorry thoda personal works mein busy ho gaya tha.

Medusha ki story kamaal ki rahi baki dekhte hain Vyom wo phal ka kis par prayog karta hai ye toh pata chal gaya ki wo pahle Samya rajya ka hi ek vyakti raha hai aur Alex aur Johny ka kya hona hai.

Wonderful update brother.
 
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