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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2025 ~ Reviews Thread ★☆★

Lucifer

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Unfortunately We are facing a server issue which limits most users from posting long posts which is very necessary for USC entries as all of them are above 5-7K words ,we are fixing this issue as I post this but it'll take few days so keeping this in mind the last date of entry thread is increased once again,Entry thread will be closed on 7th May 11:59 PM. And you can still post reviews for best reader's award till 13th May 11:59 PM. Sorry for the inconvenience caused.

You can PM your story to any mod and they'll post it for you.

Note to writers :- Don't try to post long updates instead post it in 2 Or more posts. Thanks. Regards :- Luci
 
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Mrxr

ᴇʏᴇꜱ ʀᴇᴠᴇᴀʟ ᴇᴠᴇʀʏᴛʜɪɴɢ ᴡʜᴀᴛ'ꜱ ɪɴ ᴛʜᴇ ʜᴇᴀʀᴛ
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thx bro for your review. harek kahani mein aisa hi hota hai ke kisi ko koi chij pasand nahi aati to kisi ko koi. kahin par pathak exaggerate kar dete hain to kahin se writer se kuchh na kuchh miss ho jata hai. life ka naam hi sikhna hai. main wo insaan hun jo apni har galti par sikhne ki koshish karta hun. maine bahut kahaniyan likhi hain aur ek app par to regularly hindi stories likh raha hun, jinme suspense to raha par murder mystery pehli baar likhi hai. Ye bahut dhyan se likhni hoti hai to loopholes reh jaate hain, mujhse bhi reh gaye hain maanta hain. Har kadam par sikhna hai, har kadam par khud ko improve karna hai. yahi mera lakshya hai. thanks a lot bro...
Yahi sab chize toh ek writer ko aur behtar aur accha writer banati hain.... jo aap me hai.....I hope aap aise hi likhte aur sikhte rahenge.....
 

Shetan

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कत्ल की रात
ये कहानी शुरू होती है कश्मीर की नगरी से जहां का ज्यादा तर हिस्सा बर्फ की चादर से ढका रहता है ऐसी ही एक सर्द भरी रात में एक कार तेजी से पहाड़ी रस्ते से होते हुए चली जा रही थी सर्द रात साथ गहरी धुंध के कारण रास्ता भी साफ दिखना नामुमकिन था तभी वो कार रस्ते में चलते चलते अचानक से एक पेड़ से टकरा जाती है तब एक आदमी बेल्ट खोल के कार से बाहर निकलता है तेज धुंध ऊपर से अंधेरी रात में उसे साफ कुछ नहीं दिखता तो कार से टॉर्च निकाल के जला के देखता है यूकी कार का एक टायर निकल गया है ऐसे में वो आदमी चारो तरफ देखता है इसे धुंध के सिवा कुछ नजर नहीं आता हाथ में टॉर्च लिए वो आदमी रस्ते में आगे चलता जाता है कुछ दूर चलने पर उसे एक घर दिखता है घर के बाहर आते ही वो आदमी घर का दरवाजा खट खटखटा है जवाब ना मिलने पर आदमी दरवाजा खोल के अन्दर देखता है जहां अंधेरा होता है टॉर्च की रोशनी में वो चारो तरफ देख रहा होता है तभी एक तरफ एक कुर्सी में आदमी बैठा नजर आता है जिसकी पीठ दिख रही होती है उस आदमी को तब वो आदमी दूसरे आदमी के पास जाता है बोलते हुए.

आदमी – माफ कीजियेगा दअरसल बाहर मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है मदद के लिए आस पास देख रहा था तभी आपका घर नजर आया , अगर आपको एतराज ना हो तो क्या मै एक कॉल कर सकता हु.

बोलते हुए जैसे वो आदमी उस आदमी के कंधे पे हाथ रखता है तभी कुर्सी में बैठा आदमी अपने सामने पड़ी टेबल में गिर जाता है ये देख वो आदमी पीछे हट जाता है टॉर्च की रोशनी से गोर से देखता है तो पता चलता है वो आदमी मरा हुआ है तभी उस आदमी को लगता है जैसे उसके सामने कोई है टॉर्च की रोशनी से जैसे सामने देखता है एक औरत खड़ी है हाथ में रिवॉल्वर लिए.

औरत – ये खून मैने किया है.

आदमी – और ये कौन था.

औरत – ये मेरे पति थे.

आदमी – आपने अपने पति को मार दिया.

औरत – टेलीफोन सामने मेज पर रखा है आप चाहे तो पुलिस को बुला लीजिए.

बोल के औरत रोने लगती है.

आदमी – आप रो रही है.

औरत – पांच साल से रो ही रही हूँ मैं इस नर्क में अपनी जिंदगी के पांच साल काट लिए मैने सिर्फ इस आदमी की वजह से बात बात पर गाली देना , झगड़ना करना जी चाहता था आत्महत्या कर लू लेकिन आज मेरे सब्र का बांध टूट गया इन्होंने बंदूक निकाली मुझे मारने जा रहे थे मै झपट पड़ी हाथा पाई हुए और गोली चल गई.

आदमी – गोली चली और किसीने सुना नहीं क्या इस घर में आप अकेली रहती है.

औरत –वैसे तो घर में मेरी सास एक नौकर और एक नौकरानी है और इस घर में गोली चलना कोई नई बात नहीं एक कार एक्सीडेंट में इनकी दोनों टांग बेकार हो गई तब से ये इस व्हीलचेयर में बैठे रहते गोली चलाते कई लोग तो मरते मरते बचे इनकी हरकतों से तंग आकर शहर से इतनी दूर यहां पर घर ले लिया तब से दिन रात ये आराम कम करते बस गोली चला के पक्षियों को मारते रहते जब कोई शिकार नहीं मिलता तो घर में सभी के साथ गुस्सा करते या गंदी गलियों से बात करते.

आदमी – तो बाकी के घर के लोग कहा है अभी.

औरत – सो रहे है सब खेर आप ये सब छोड़िए आप पुलिस को कॉल करके बुला लीजिए.

आदमी – (औरत को देख सोचते हुए) मै पुलिस को नहीं बुलाऊंगा.

औरत –क्यों.

आदमी – ऐसे जानवर के लिए जान देने की क्या जरूरत है.

औरत – लेकिन खून तो हुआ है.

आदमी – ये बात मेरे सिवा और कोई नहीं जानता.

औरत – तो अब क्या.

आदमी –अब मै आपको बचाऊंगा.

औरत – मुझे लेकिन क्यों.

आदमी – क्योंकि ये एक इतफ़ाक़ी हादसा है गोली आपको भी लग सकती थी.

औरत – लेकिन कानून इस बात को नहीं मानेगा.

आदमी – कानून वही देखता है जो उसे दिखाया जाता है अगर हम कुछ ऐसा करे ये खून बाहर के आदमी का मालूम हो तो.

औरत – बाहर का आदमी मतलब.

आदमी – हा ये खून कोई चोर भी कर सकता है खेर मुझे ये बताए ये अपने पैसे कहा रखते थे.

औरत – अलमारी में.

आदमी – अलमारी और अलमारी की चाबी कहा है.

औरत – (पति की तरफ इशारा करके)चाबी इनकी जेब में (एक तरफ इशारा करके) उस कमरे में है अलमारी.

आदमी – ठीक है अब मेरी बात सुनिए ध्यान से (दरवाजे की तरफ इशारा करके) चोर इस दरवाजे से धीरे धीरे अन्दर आता है वो देखता है आपके पति कुर्सी पे सो रहे है वो चुप चाप उनकी जेब से चाबी निकलता है कमरे की तरफ जाके अलमारी खोल के सारा सामान बाहर निकाल देता है और पैसे मिलते ही चोर धीरे से कमरे से बाहर निकल रहा होता है तभी आपके पति की नींद खुल जाती है सामने खड़े आदमी पर उसके हाथ में पैसे को देख समझ जाते है कि ये चोर है तुरंत अपनी रिवॉल्वर निकाल के मारने जा रहे होते है तभी वो चोर झपट पड़ता है दोनों में हाथा पाई होती है गोली चल जाती है आपके पति मर जाते है और चोर भाग जाता है.

औरत –(सारी बात सुन के) लेकिन ये सब बताएगा कौन.

आदमी – मै बताऊंगा.

औरत – आप मै कुछ समझी नहीं.

आदमी – वो मुझपे छोड़ दीजिए लेकिन इससे पहले हमें कुछ ऐसा करना होगा कि ये लगे जब खून हुआ तब आप यहां नहीं कही और थी.

औरत – मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा.

आदमी – देखिए अगर आप बचना चाहती है तो जैसे जैसे मै कह रहा हूँ आप वैसे वैसे करिए.

औरत – ठीक है.

आदमी –आप कहा सोती है.

औरत – ऊपर के कमरे में.

आदमी – ठीक है आप जाइए नाइटी पहनिए और लेट जाइए और अपनी नौकरानी को बुलाइए और उससे बोलिए कि आपके सिर में दर्द हो रहा है एक कप चाय बना दे और उसके जाने के बाद आप सिर दर्द के बहाने सीधे किचेन में चले जाइए वहां आप उससे सिर दर्द की दवा मांगे लेकिन वो दवा आपको वहां नहीं मिलनी चाहिए.

औरत – फिर.

आदमी – (दवा से भरी ट्रे देख) दवा यहां पर है (ऊपर दीवार में घड़ी देख के) अभी 10 बज के 40 मिनिट हो रहे है ठीक 11 बजे आपको गोली चलने की आवाज आएगी जो मैं चलाऊंगा ये आपके लिए इशारा होगा कि आप अपनी नौकरानी को इस कमरे में सिर दर्द की दवा लेने भेजे ताकि सबसे पहले आपकी नौकरानी इस खून को देखे चुकी आप किचेन में होगी तो आपके ऊपर शक नहीं जाएगा और बाकी आप मुझपे छोड़ दीजिए.

इसके बाद वो आदमी अलमारी की चाबी लेके अलमारी खोल के सारा सामान बिखेर कर पैसे निकाल के औरत को देता है.

आदमी – ये पैसे लीजिए और जल्दी से अपने कमरे मे जाय जब तक मैं यहां फर्नीचर से आपकी उंगली के निशान मिटाता हूँ.

जिसके बाद औरत चली गई कमरे में उसके जाते ही आदमी रिवॉल्वर अपने हाथ में लेके जेब से रुमाल निकालता है तभी उसकी चाबी नीचे गिर जाती है वो आदमी तुरंत नीचे झुक के चाबी उठता है तभी उसे पर्स दिखता है उसे भी उठा के जेब में डाल देता है जिसके बाद सब कुछ वैसा ही होता है जैसे उस आदमी ने कहा था लेकिन इस बीच जब वो औरत दावा लेने के बहाने किचेन में आती है तब अपनी नौकरानी को दवा के लिए पूछती है फिर दराज में दवा ढूंढने लगती है और दवा दराज में होती है फिर वो औरत घड़ी में देखती है जिसमें 11 बजने में कुछ सेकेंड थे तभी गोली चलने की आवाज आती है तब.

नौकरानी – (गोली की आवाज सुन के) दुनिया सो रही है और साहेब अभी तक बिल्लियों को मारने में लगे है.

औरत – दवा यहां पर नहीं है मेरे सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है तू जाके दवा ले आ साहब के कमरे से.

जिसके बाद जैसे ही नौकरानी दवा लेने आती है कमरे में तभी अपने मालिक को मरा देख चिल्लाती है जिसे सुन के वो औरत और उसकी सास वहां आ जाती है लाश को देख रोने लगते है तीनों लोग तभी कोई दरवाजा खट खटाता है तब नौकरानी दरवाजा खोलती है तब वो आदमी अन्दर आता है.

आदमी – जी माफ कीजिए गा मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया बाहर अगर एक कॉल करने को मिल जाता बड़ी मेहरबानी होती.

बोलते ही उस आदमी को रोने की आवाज आती है जिसे सुन.

आदमी – क्या हुआ है.

नौकरानी – (लाश की तरफ इशारा करके) किसी ने हमारे साहब को मार दिया.

आदमी – Oh My God आपने पुलिस को बुलाया.

नौकरानी – अभी नहीं.

आदमी – क्या मै बुला दूं.

औरत की सास – जी आप कॉल करके बुला लीजिए पुलिस को.

आदमी – (पुलिस को कॉल करके) हैलो पुलिस.

सामने से पुलिस – हा जी बोलिए.

आदमी – एक खून हुआ है.

पुलिस – क्या कहा पर.

आदमी –(औरत की सास से) यहां का एड्रेस क्या है.

एड्रेस मिलने के बाद पुलिस को बता देता है कुछ देर में पुलिस आती है घर में आते ही पुलिस लाश को देख उसके चारों तरफ सभी को हटा के पूरे कमरे का जायजा लेती है साथ में अपने आदमी से फोटो खिंचवाती है लाश की साथ ही लाश के बगल पड़ी चाय की ट्रे उठा लेती है तभी पुलिस वाले को जमीन में पड़ा सिगरेट कंटेनर मिलता है उसे उठा लेती है जिसके बाद.

पुलिस वाला – (सभी से) क्या आप सभी घर के लोग है यहां.

आदमी – (बीच में) जी मै यहां का नहीं हूँ अजनबी हूँ मैं.

पुलिस – फिर आप यहां कैसे.

आदमी – जी रस्ते में मेरी गाड़ी एक्सीडेंट हो गया था पैदल आगे बढ़ते हुए ये घर मुझे दिखा सोचा यहां से कुछ मदद मिल जाय.

पुलिस वाला – फिर.

आदमी –जब मैं आ रहा था तब इस घर से एक आदमी भागता हुआ मुझसे टकरा गया और उसकी कोई चीज गिर गई मैने उठाया तो देखा रिवॉल्वर है पलट के देखा वो आदमी धुंध में गायब था उसे लेके मै यहां आया तो देखा इस घर के मालिक की मौत हो गई है (जेब से रिवॉल्वर निकाल के पुलिस को देते हुए) ये है वो रिवॉल्वर.

पुलिस वाला –(रिवॉल्वर को अपने रुमाल में लेते हुए) शुक्रिया वैसे आपका नाम क्या है.

आदमी – जी मेरा नाम धीरज है.

पुलिस वाला – धीरज जी आपने हमें इनफॉर्म करके बहुत अच्छा काम किया.

धीरज – जी मैने तो एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाया है केवल की पुलिस को खबर कर दूं और जाने से पहले अपना बयान देदूं.

पुलिस वाला – अच्छा धीरज जी क्या आपने भागते हुए उस आदमी का चेहरा देखा.

धीरज – नहीं असल में उस आदमी ने लंबा सा ओवर कोट पहना हुआ था और सिर पर टोपी ऊपर से घना अंधेरा साथ में धुंध मै ठीक से कुछ देख नहीं पाया.

पुलिस वाला – हम्ममम ठीक है धीरज जी चुकी ये खून का मामला है और आप गवाह है तो प्लीज आप ये शहर छोड़ के मत जाइएगा लेकिन अगर जाना हो तो पहले हमें इनफॉर्म कर दीजिएगा.

धीरज – ठीक है.

पुलिस वाला – वैसे आप कहा रुके है.

धीरज – जी मै xx होटल के xx कमरे मे रुका हूँ इंस्पेक्टर साहेब क्या अब मैं चलू.

पुलिस वाला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल लेकिन कैसे जाएंगे आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है.

धीरज – माफ कीजिए गा यहां के हालात देख मै ये बात भूल ही गया था.

पुलिस वाला – कोई बात नहीं थोड़ी देर रुकिए हमारे साथ हम आपको आपके होटल छोड़ देगे.

इस बीच दूसरे हवालदार ने घर के बाकी लोगों का बयान ले लिया जिसमें घर की नौकरानी और औरत की सास ने वही बयान दिया जो उन्होंने देखा था और उस औरत ने वही बोला जैसा धीरज ने प्लान किया था पुलिस वाला हवलदार से बयान वाला रजिस्टर लेके सभी के बयान पढ़ता है जिसके बाद.

पुलिस वाला –(अपने साथ आए हवलदारों से) तुम लोग इस कमरे की अच्छे से जांच करो जब तक मैं घर के लोगो से बात करता हूँ.

पुलिस वाला औरत की सास के पास जाके.

पुलिस वाला – आपका नाम.

सास – सुमन.

पुलिस वाला – मरने वाले आपके कौन थे.

सुमन – जी मां हूँ मैं उसकी.

पुलिस वाला – oh I M Sorry (औरत के पास जाके) आपका नाम.

औरत –सुनीता.

पुलिस वाला – मेरा नाम महेश है मरने वाले आपके कौन थे.

सुनीता – जी पति थे.

महेश – आपके पति का नाम.

सुनीता – विजय.

महेश – माफ कीजिए गा सुनीता जी आपके पति के लिए हमें अफसोस है लेकिन क्या आप बता सकती है इतनी रात में जब सब सो रहे थे आपके पति यहां अकेले क्या कर रहे थे.

सुनीता – जी इनकी ये रोज की आदत है देर से सोने की.

महेश – तो इतनी देर अकेले यहां क्या करते थे.

सुनीता – अपनी रिवॉल्वर से कुत्ते बिल्ली का शिकार करते थे या दीवार पर (दीवार में इशारा करके) निशाना लगाते थे.

महेश – (दीवार को देख के) लगता है निशाना काफी अच्छा है इनका.

तब घर की नौकरानी के पास जाके.

महेश – तुम्हारा नाम क्या है.

नौकरानी – जी रानी.

महेश – अच्छा तो रानी तुमने कहा जब तुम कमरे में आई तब सबसे पहले तुमने लाश देखी.

रानी – जी साहेब.

महेश – अच्छा रानी किचेन कहा पर है ले चलो हमें वहां पर.

इसके बाद महेश ,रानी , सुनीता और सुमन किचेन में चलने वाले होते है तभी.

महेश –(अपने साथ दूसरे पुलिस वाले से) सुरेश घड़ी देखो.

जिसके बाद चलते हुए किचेन की तरफ जाते है वहां आते ही.

महेश – (दूसरे पुलिस वाले से) सुरेश कितना वक्त लगा यहां आने में.

सुरेश – सर 46 सेकेंड.

महेश – (सोचते हुए) इतना वक्त काफी है खूनी को खून करके भागने के लिए.

सुरेश – जी सर.

महेश – (रानी से) हा तो रानी तुमने बताया कि सुनीता जी को सिर में दर्द हो रहा था इसीलिए तुम उस कमरे में गई दवा लेने जहां तुम्हारे साहेब का खून हुआ था.

रानी – जी साहेब वैसे तो दवा यहां पे राखी रहती है लेकिन मेमसाहब को मिली नहीं थी.

महेश – कहा रखी रहती है दवा यहां पर.

रानी –(दराज की तरफ इशारा करके) यहां पर.

महेश जैसे ही दराज खोलता है उसे दवा दिख जाती है दावा हाथ में लिए सुनीता से.

महेश – दवा तो यही पर राखी थी.

सुनीता – (चौक के संभालते हुए) मैने देखा तब दिखी नहीं.

महेश – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं शायद सिर दर्द की वजह से ध्यान नहीं दिया होगा आपने.

सुरेश – (बीच में) सर ये तो अच्छी बात है अगर दवा यही मिल जाती तो सुबह तक पता ही नहीं चलता खून का.

महेश – नहीं सुरेश पता जरूर चलता क्योंकि धीरज टेलीफोन करने आ रहे थे खेर (सुनीता से) आपके घर में बस इतने लोग है.

सुनीता – एक नौकर भी है.

महेश – अच्छा उसका नाम क्या है और कहा है वो दिखा नहीं यहां पर अभी तक.

रानी – साहेब उसका नाम शंकर है वो रात में साढ़े नौ बजे साहेब को चाय देके चला गया था.

महेश – कहा चला गया शंकर.

रानी – पता नहीं साहेब वो हफ्ते में तीन बार रात की चाय साहेब को देखे निकल जाता है घूमने बाजार में.

अभी महेश इनकी बात सुन रहा था तभी हवलदार आके बोला.

हवलदार – साहेब उधर कमरे में अलमारी खुली पड़ी है सारा सामान बिखरा पड़ा है.

हवलदार की बात सुन सभी कमरे की तरफ जाते है जहां अलमारी खुली थी समान बिखरा पड़ा था जिसे देख.

महेश अलमारी को देखता है जिसमें कुछ फाइल होती है जैस ही महेश फाइल पे हाथ रखता है वो जमीन में गिर पड़ती है तभी उसमें से एक फोटो गिरती है जिसे उठा के देखता है महेश वो फोटो एक लड़की की होती है उस फोटो में नाम लिखा होता है किरण.

महेश – (फोटो सुनीता को दिखा के) आप इसे जानती है.

सुनीता – (फोटो को देख के) जी नहीं.

महेश – (सुनीता से) इस अलमारी में पैसे भी रखते है.

सुनीता – जी.

सुरेश – (अलमारी और बाहर पड़े समान देख के महेश से) सर लगता है ये खून चोरी की वजह से हुआ है.

महेश – मालूम होता है ये काम किसी भेदी का है जिसे घर के बारे में सब कुछ मालूम है जैसे अलमारी कहा है चाबी कहा है रुपया कहा है और देखो अलमारी तोड़ी नहीं गई है (सुमन से) आपका नौकर शंकर कहा जाता है आपको पता है.

सुमन – मुझे ज्यादा तो नहीं पता लेकिन मैने कई बार शंकर को किसी xx एरिया के बारे में बात करते सुन है.

सुरेश – (xx एरिया का नाम सुनके महेश के कान में धीरे से) सर मुझे लगता है इनका नौकर शंकर जरूर मुजरा देखने जाता होगा क्योंकि मैडम ने जिस एरिया का नाम बताया वो इस मामले में काफी मशहूर है.

महेश – (सारी बात सुन के) हम्ममम (सुमन और सुनीता से) अच्छा हम चलते है हवलदार लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाएंगे हम जल्द ही मिलते है.

घर के बाहर आके.

महेश – (धीरज को देख जो खड़ा था बाहर) अरे आप यहां क्यों खड़े है.

धीरज – बस आपके बाहर आने का इंतजार कर रहा था.

महेश – (मुस्कुरा के) आइए आपको आपके होटल छोड़ देते है हम.

धीरज को होटल छोड़ने के बाद महेश अपने साथी सुरेश के साथ निकल जाता है शंकर को पकड़ने के लिए xx एरिया से शंकर को पकड़ पुलिस स्टेशन लाते है.

महेश – तुम्हारा नाम शंकर है.

शंकर – जी साहेब लेकिन बात क्या है.

महेश – तुम्हे पता नहीं.

शंकर – नहीं साहेब लेकिन हुआ क्या है.

महेश – तुम्हारे मालिक का खून हो गया है.

शंकर – (बात सुन हस्ते हुए) आपको जरूर कोई गलत फेमी हुईं है साहेब हमारे साहब खून कर सकता है लेकिन उसका खून कोई नहीं कर सकता है.

महेश – (गुस्से में) तो तुम्हे लग रहा है हम मजाक कर रहे है.

शंकर – (हसी रोकते हुए) मतलब सच में साहेब का खून हो गया है (हाथ जोड़ के) साहेब मैने कुछ नहीं किया साहेब.

महेश – हा पता है हमें जब तुम चाय देके निकल गए उसके बाद हुआ है खून तुम्हारे साहेब का अब ये बताओ मुझे तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुम्हारा साहेब खून कर सकता है.

शंकर – वो साहब हमारा साहेब बहुत गुस्से वाला था बात बात पर गुस्सा करता था घर में सभी के ऊपर और हमारी मेमसाहब को खाने की प्लेट फेक के मारता था.

महेश – (हैरान होके) ऐसा क्यों करता था तुम्हारा साहेब.

शंकर – वो हमारा साहेब का जब से एक्सीडेंट हुआ था तब से हमारा साहेब चल नहीं सकता था बस दिन रात व्हील चेयर में बैठ के कुत्ते बिल्ली कबूतर चिड़िया का निशाना लगाया करता था.

महेश –(शंकर की बात सुन के) लेकिन तुम यहां क्या करने आते हो रात में.

शंकर – (हल्का मुस्कुरा के) वो साहेब हफ्ते में 3 बार आता हूँ मैं यहां मुजरा देखने.

महेश – कितने बजे आते हो तुम यहां.

शंकर – साहेब को रात में साढ़े नौ बजे चाय देके निकल आता हूँ यहां और सीधा सुबह आता हूँ मैं.

महेश – हम्ममम हफ्ते में तीन दिन और बाकी दिन कहा रहते हो.

शंकर – बाकी दिन तो उसी घर में रहता हूँ.

महेश – अच्छा शंकर तुम्हे क्या लगता है कौन मार सकता है तुम्हारे साहेब को किसी पे शक है तुम्हे.

शंकर – नहीं साहेब भले वो मालिक था लेकिन बिल्कुल थर्ड क्लास था उसे कोई भी मर सकता था.

महेश – हम्ममम मसलन कौन कौन.

शंकर – वो जो उसकी सौतेली मां है न उसका बस चलता तो वो उसे गोली मार देती और उसकी बीवी तौबा तौबा मेरा मालिक तो उसको बात बात पर गली देता हाथ उठाता था.

महेश – हम्ममम सौतेली मां ठीक है जब भी जरूरत पड़े तो हम बुलाएंगे तुम आ जाना पुलिस चौकी.

अगले दिन महेश मिलने जाता है सुमन से घर में.

महेश – (सुमन से) सुमन जी क्या आप विजय की सगी मां है.

सुमन – जी नहीं सौतेली.

महेश – हम्ममम मारने वाले के साथ कैसे ताल्लुकात थे आपके.

सुमन – वैसे जैसे सौतेली मां के होते है.

महेश – मतलब अच्छे नहीं थे.

सुमन – मेरे साथ तो क्या किसी के साथ नहीं थे मुझे तो कभी मा समझा नहीं बात बात पर बेइज्जती करता था.

महेश – मतलब पैसे की तंगी होगी आपको.

सुमन – बहुत छोटी से छोटी चीजों के लिए उसके आगे हाथ फैलाना पड़ता था.

महेश –आपके पति आपके लिए कुछ छोड़ के नहीं गए थे.

सुमन – नहीं उनकी अचानक से हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.

महेश – हम्ममम बड़ा जुल्म हुआ आपके साथ क्या आपकी अपनी कोई औलाद नहीं.

सुमन – नहीं.

महेश – हम्ममम विजय के मरने के बाद यहां की जायदाद की मालिक आप बन गई अब.

सुमन – (चौक के) मतलब.

तभी घर में एक आदमी आता है उसे देख.

महेश – हैलो मिस्टर रवि.

रवि – हैलो इंस्पेक्टर महेश (सुमन से) माजी घर में ये सब हो गया अपने मुझे बताया तक नहीं.

तभी अपने कमरे से निकल के सुनीता आती है सुमन के पास.

रवि – सुनीता अफसोस हुआ मुझे आज सुबह के अखबार पढ़ा तब पता चल विजय की मौत का लेकिन ये सब हुआ कैसे.

सुमन – पता नहीं.

महेश –हैलो मिस्टर रवि बिजनेस में काफी नाम सुना है मैने वैसे मरने वाले को आप जानते थे.

रवि – जी इंस्पेक्टर साहेब बहुत अच्छे से इस घर के लोगो से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती है मेरा रोज का आना जाना लगा रहता था लेकिन कल ही नहीं आया था मै वैसे इंस्पेक्टर खूनी का कुछ पता चला.

महेश – अभी तक नहीं लेकिन एक बात पता चल गई ये कम किसी ऐसे इंसान का है जो इस घर के बारे में सब कुछ जनता है.

रवि – कौन है वो.

महेश –(हस्ते हुए) आप भी हो सकते है.

दोनों हस्ते है तभी रवि सिगार कंटेनर से सिगार निकाल के पीने जाता तभी.

महेश –(सिगार देख के) सिगार बहुत कीमती है.

रवि –(महेश को सिगार देते हुए) शौक फरमाए.

महेश – जी शुक्रिया अभी मै ड्यूटी में हूँ बाद में पी सकता हु.

रवि – आपकी मर्जी.

बोल के इंस्पेक्टर महेश चला जाता है.

रवि – (सुमन से) माजी ये इंस्पेक्टर यह क्यों आया था.

सुमन – मेरा बयान लेने उसे लगता है विजय की मौत से मुझे फायदा होने वाला है.

सुनीता – (बीच में) लेकिन ऐसा क्यों माजी धीरज ने बोला था उसने कल रात को घर बाहर भागते हुए देखा है.

रवि – ये धीरज कौन है.

सुनीता – कल रात में आया था.

रवि – क्या उसने किसी को भागते हुए देखा था घर से.

सुनीता – हा.

रवि – कहा है वो.

सुनीता – xx होटल में है.

सुनीता की बात सुन कुछ सोचते हुए चला जाता है रवि सीधा धीरज के होटल में जहां उसे पता चलता है धीरज लॉन में बैठा लंच कर रहा है तब रवि , धीरज की तरफ जाता है धीरज की टेबल के पास जान बूझ के अपनी चाबी गिरा के आगे जाने लगता है तभी.

धीरज – सुनिए.

रवि – (पलट के) जी आपने मुझसे कुछ कहा.

धीरज – वो आपकी चाबी नीचे गिर गई है.

रवि – (चाबी उठा के) शुक्रिया (बोल के आगे जाके लंबी सास लेके) शुक्र है भगवान का इसने मुझे देखा नहीं.

जबकि इस तरफ पुलिस स्टेशन में.

महेश – (सुरेश से) सुरेश फिंगर प्रिंट्स की रिपोर्ट आई.

सुरेश – अभी नहीं सर लेकिन सर कमाल है जिस घर में इतने लोग रहते है लेकिन जिस कमरे में खून हुआ उस कमरे में किसी के उंगलियों के निशान नहीं मिले लगता है किसी ने बारीकी से सारे निशान मिटा दिए हैं.

तभी हवलदार आके बोलता है.

हवलदार – (सेल्यूट करके) जै हिंद सर फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट आ गईं है.

महेश – (रिपोर्ट हाथ में लेके उसे खोलके पढ़ने लगता है) चाय की ट्रे में तीन लोगों के निशान मिले है जिसमें एक विजय का दूसरा शंकर का और तीसरा किसी अंजान इंसान का.

सुरेश – (बात सुन के) जरूर ये उसी कातिल की उंगलियों के निशान होगे सर लेकिन किसके हो सकते है ये निशान.

महेश – (कुछ सोच के अपनी जेब से सिगार कंटेनर निकाल सुरेश को देते हुए) सुरेश इस कंटेनर में मिले उंगलियों के निशान को इससे मैच करवा के देखो जरा क्या पता चलता है.

सुरेश – (सिगार कंटेनर देख के) सर ये तो वही सिगार कंटेनर है जो हमें कत्ल की जगह में मिला था.

महेश – हम्ममम इसीलिए एक बार इसकी भी जांच करवा के देखो.

कुछ घंटों बाद महेश के पास रिपोर्ट आती है जिससे पता चलता है कि चाय की ट्रे में उंगली के निशान और सिगरेट कंटेनर में मिले निशान एक ही इंसान के है जिसके बाद.

महेश – (सुरेश से) सुरेश एक काम करो जरा शंकर को बुलवाओ उससे कुछ बात करनी है मुझे.

सुरेश – ठीक है सर.

जिसके बाद शंकर पुलिस स्टेशन आता है महेश से मिलने.

शंकर – क्या बात है साहेब आपने मुझे बुलाया.

महेश – शंकर मुझे तुमसे कुछ पूछना है.

शंकर – साहेब पिछली बार मैने सब कुछ बता दिया था आपको.

महेश – हम्ममम लेकिन अभी कुछ और पूछना है मुझे ये बताओ क्या तुम रवि साहेब को जानते हो या अच्छे से जानते हो.

शंकर – साहेब उनको तो बहुत अच्छी तरह से जनता हूँ साथी पूरे घर वाले भी जानते है रवि बाबू हमारे साहब के साथ अक्सर शतरंज खेला करते थे साथ में मेरा भी ध्यान रखते थे.

महेश – (चौक के) तुम्हारा ध्यान मतलब.

शंकर – वो साहेब रवि बाबू जब भी आते थे मुझे भी कुछ खर्चा पानी देते थे इसीलिए.

महेश – अच्छा जिस रात खून हुआ उस रात रवि साहेब तुम्हारे घर आए थे.

शंकर – नहीं साहेब.

महेश –अच्छा शंकर एक बात बताओ रवि साहेब की दोस्ती तुम्हारे साहेब के साथ ज्यादा थी या मेमसाहब के साथ.

शंकर – ज्यादा तो मेमसाहब के साथ थी.

जिसके बाद महेश ने शंकर को वापस भेज दिया और निकल गया रवि के पास मिलने उसके ऑफिस.

महेश – हैलो रवि साहेब.

रवि – हैलो इंस्पेक्टर कैसे है आप.

महेश – अच्छा हूँ आपसे कुछ बात करनी है विजय के खून के सिलसिले में.

रवि –लेकिन मेरा उससे क्या ताल्लुख.

महेश – ताल्लुख तो नहीं लेकिन अपने कहा था आप हर रोज जाते थे विजय के घर लेकिन उस रात नहीं गए थे.

रवि – जी.

महेश – आप उस रात कहा थे.

रवि – मै उस रात xx होटल में था पार्टी में.

महेश – कैसे पार्टी.

रवि – मेरा टेंडर पास हुआ था उस खुशी में पार्टी दी थी मैने अपने स्टाफ के सभी लोगों को.

महेश – ठीक है.

रवि – अब अगर आपकी इजाजत हो तो मैं चलू कुछ कम से जाना है मुझे.

महेश – हा बिल्कुल.

सुरेश – (रस्ते में गाड़ी चलाते हुए महेश से) सर मुझे लगता है हम बिना वजह रवि पे शक कर रहे है.

महेश – ऐसा तुम्हे क्यों लगता है.

सुरेश – अब देखिए ना सर हमें फिंगर प्रिंट्स मिले लेकिन कोई फायदा नहीं क्योंकि रवि तो हर रोज उस घर में जाते थे तो ऐसा हो सकता है चाय की ट्रे में निशान 1 दिन पहले के हो वैसे भी रवि तो उस रात xx होटल में टेंडर मिलने की खुशी में अपने स्टाफ को पार्टी दे रहा था.

महेश – (बात सुन के) एक काम करो होटल चलो पता करते है वहां पर.

होटल में आते ही होटल के मैनेजर से मिलते है.

मैनेजर – जी कहिए इंस्पेक्टर साहेब क्या सेवा करू मै.

महेश – फिलहाल तो आप मदद करिए कानून की क्या आप बता सकते है xx तारीख को आपके होटल में कोई पार्टी थी.

मैनेजर – (अपना रजिस्टर चेक करते हुए) जी इंस्पेक्टर साहेब उस रात रवि बाबू ने पार्टी राखी थी इस होटल में.

महेश – तब तो रवि पूरा वक्त होटल में रहे होगे.

मैनेजर – बिल्कुल जाहिर सी बात है.

महेश – हम्ममम अच्छा ठीक है हम चलते है.

मैनेजर – (महेश को रोकते हुए) एक मिनिट रुकिए इंस्पेक्टर साहेब.

महेश – क्या बात है मैनेजर साहेब.

मैनेजर – असल में सर उस रात को रवि बाबू के लिए किसी का कॉल आया था जिसे मैने उठाया था किसी औरत की आवाज थी मैने रवि बाबू को बुला के बात करवाई उसके बाद रवि बाबू चले गए यहां से.

महेश – चले गए होटल से ये तकरीबन कितने बजे की बात होगी.

मैनेजर – ये करीबन दस बजे के आस पास की बात है.

महेश – उसके बाद रवि वापस नहीं आय.

मैनेजर – आए थे वापस करीबन सवा ग्यारह से साढ़े ग्यारह के आस पास.

महेश – ठीक है मैनेजर साहेब.

बोल के महेश पुलिस स्टेशन में आता है तभी.

सुरेश – सर एक बात तो पक्की है कि रवि ने झूठ बोला है हमसे उनकी पार्टी थी जरूर लेकिन पार्टी की बीच से चले गए थे करीबन एक घंटे बाद वापस आ गए थे लेकिन किसका फोन आया था होटल में रवि को.

महेश – वो कॉल जरूर सुनीता का होगा क्योंकि शंकर ने बताया था कि रवि का विजय से ज्यादा सुनीता से मिलना जुलना था और वैसे भी कत्ल की रात धीरज ने किसी को घर से भागते हुए देखा था.

सुरेश – सर मुझे लगता है हमें एक बार फिर से धीरज से मिलना चाहिए.

महेश – हम्ममम चलो फिर.

कुछ समय बाद महेश बाकी पुलिस वालों के साथ xx होटल जाके धीरज के पास जाते है.

महेश – कैसे है धीरज साहेब गोल्फ खेल रहे है.

धीरज – (मुस्कुराते हुए) क्या करे इंस्पेक्टर साहेब आप जाने ही नहीं दे रहे है.

महेश – (मुस्कुराते हुए) आप तो जानते है कत्ल का मामला न होता तो मैं आपको नहीं रोकता.

धीरज – कोई बात नहीं इंस्पेक्टर साहेब फरमाए क्या मदद कर सकता हु मै आपकी.

महेश – (धीरज को रवि की फोटो दिखाते हुए) आपने कहा था उस रात अपने किसी को भागते हुए देखा था क्या यहीं था वो.

धीरज – मैने आपसे कहा था इंस्पेक्टर साहेब उस रात घना अंधेरा था तेज धुंध थी मै उसका चेहरा नहीं देख पाया था (रवि की तस्वीर देख के) लेकिन इनको मैने देखा है.

महेश – कहा देखा है आपने.

धीरज – दो दिन पहले इसी होटल में कौन है ये.

महेश – बहुत बड़े बिजनेस मैंन है ये अच्छा धीरज साहेब फिर मिलते है.

जिसके बाद पुलिस चली जाती है लेकिन धीरज निकल जाता है सीधा सुनीता के पास उसके घर जहां सुनीता अकेले होती है.

धीरज – कैसे है आप सुनीता जी.

सुनीता – धीरज बाबू आप आइए मै अच्छी हूँ , और मुझे माफ कीजिए गा उस रात के बाद मैं आपका शुक्रिया तक अदा नहीं कर पाई.

धीरज – कोई बात नहीं सुनीता जी वैसे भी अपने इतनी मुसीबत झेली है उसके आगे ये मामूली सी मदद की है मैने.

सुनीता – मुझे लगा था आप वापस चले गए होगे.

धीरज – जाना तो था लेकिन पुलिस ने जाने नहीं दिया रोक लिया मुझे आज आई थी मिलने मुझसे.

सुनीता – क्यों.

धीरज – वो आपको बचाने के लिए मैने एक झूठी कहानी बना के पुलिस को सुनाई थी कि आपके घर आते वक्त एक आदमी मुझसे टकराया था , अब पुलिस ने उसे रंग रूप देना शुरू कर दिया है.

सुनीता – रंग रूप मतलब.

धीरज – मतलब आज पुलिस किसी की फोटो लेके मेरे पास आई थी कोई बिजनेसमैन है यहां का बहुत बड़ा उसकी फोटो.

सुनीता –(कुछ सोच के अपनी किताब से रवि की फोटो धीरज को दिखाते हुए) कही ये तो नहीं.

धीरज – (फोटो देख)अरे हा यही तो है वो लेकिन इनकी फोटो आपके पास क्या आप जानती है इनको.

सुनीता – इनका नाम रवि है आज से तीन महीने पहले की बात है अपने पति (विजय) से रोज के झगड़ों से थक हार के मै आत्महत्या करने पहाड़ी से कूदने जा रही थी तभी रवि ने आके मेरी जान बचा ली उसके बाद रवि ने आत्महत्या का कारण पूछा तब मैने उन्हें अपनी आपबीती बताई जिसे सुन के उन्होंने मुझे समझाया और घर लेके आए मेरे तब रवि की मुलाक़ात विजय से हुई तब विजय ने रवि से बात की और विजय को बता दिया मेरे आत्महत्या के बारे में जिसे सुन विजय ने बिना रवि की परवाह किए मुझे खूब खरी खोटी सुनाई लेकिन रवि ने बीच में आके हालत सम्भाल लिया जिसके बाद रवि और विजय की दोस्ती हो गई और तब से रवि का रोज मेरे घर आना होने लगा रवि के आने से मुझे एक अनजानी से खुशी मिलती कभी कभी जब विजय का ध्यान शिकार करने में होता तब रवि से मेरी चुप चुप के बाते होती जाने कब मै और रवि एक दूसरे से प्यार कर बैठे पता नहीं चला लेकिन एक दिन विजय ने हम दोनों के एक साथ गले लगाते देख लिया उस दिन रवि मेरे घर आया था पार्टी में इनवाइट करने के लिए जिसके बाद उस दिन शाम को विजय ने मेरे साथ झगड़ा किया रवि को लेके तब विजय ने मुझे धमकी दी कि रवि की पार्टी में जाके उसकी बेइज्जती करेगा सभी को बताएगा हम दोनों के बारे में जिससे रवि का नाम बदनाम हो जाएगा इस बात से मैने विजय को गुस्से में जवाब दिया तो विजय मुझसे मार पीट करने लगा तब मैने विजय को धक्का दिया व्हील चेयर पीछे हो गई जिसके बाद मैं सीधा अपने कमरे में आई तुरंत रवि को होटल में कॉल किया उसे सारी बात बता दी जिसके बाद रवि ने कहा वो अभी आ रहा है मेरे घर लेकिन ना जाने उस वक्त मेरे सिर में तेज दर्द होने लगा और मै बेहोश हो गई जब होश में आई तब मुझे नीचे से विजय के किसी से झगड़ने की आवाज आई और तभी आसमान से प्लेन गुजरने लगा जिससे आवाज थम गई जब प्लेन चला गया तब किसी की आवाज नहीं आई मुझे तभी मैने घर की खिड़की से बाहर देखा एक कार की लाल बत्ती दिखी जो जा रही थी शायद रवि था वो जिसके बाद मैं नीचे आई विजय गुस्से से भरे बैठे थे मुझे देख रिवॉल्वर निकाल के मारने जा रहे थे मै झपटी अपनी हाथा पाई में गोली चल गई और विजय मारा गया उसके बाद का आपको पता है क्या हुआ.

धीरज – (सारी बात सुन के) जिंदगी भी इंसान के साथ क्या मजाक करती है जब मैने आपको बचाने के लिए प्लान बनाया तो ऐसा लगता है मै किस्मत के साथ साज बाज कर रहा था फांसी का फंदा आपके गले से निकाल के रवि के गले में डाल दिया , मुझे लगता है हमें रवि को सारा सच बता देना चाहिए.

जिसके बाद सुनीता और धीरज निकल गए रवि के घर की तरफ तभी घर के बाहर से ही उन्होंने देखा पुलिस इंस्पेक्टर महेश अपने साथियों के साथ रवि को गिरफ्तार करके ले जा रहा था जिसके बाद.

धीरज – (सुनीता से) लगता है हमें देर हो गई है अब मामला शायद कचहरि में चला गया है.

जिसके बाद अगले दिन कोर्ट में मुकदमा चलता है जिसमें रवि को मुजरिम के कटघरे में खड़ा किया जाता है सारे सबूत पेश किए जाते है साथ ही एक एक करके धीरज , होटल मैनेजर , इंस्पेक्टर महेश , शंकर , रानी और सुमन की गवाही होती है फिर अदालत में जज रवि से पूछता है.

जज – मिस्टर रवि क्या आप अपने जुर्म का इकबाल करते है.

रवि – नहीं जज साहेब मैंने कोई खून नहीं किया मेरा विजय के खून से कोई ताल्लुक नहीं.

तब वकील जज के सामने सबूत रखता है साथ ही.

वकील – रवि साहेब आपने कई झूठ बोले है जैसे आपने पुलिस को बयान दिया कि आप उस रात विजय के घर नहीं गए थे साथ ही ये भी झूठ कहा कि आप पार्टी में थे जबकि होटल मैनेजर ने बताया कि आप दस बजे के आस पास पार्टी से चले गए थे और ठीक सवा दस बजे विजय का खून हुआ था , मिस्टर रवि अगर आपने खून नहीं किया तो आप क्यों गए थे विजय के घर.

रवि – ये सच है मै गया था विजय के घर लेकिन मैने खून नहीं किया बल्कि विजय को समझाने गया था लेकिन विजय गुस्से में भरा हुआ था मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं था जिसके चलते मै वहां से निकल गया लेकिन मेरा इस खून से कोई वास्ता नहीं.

वकील – आपका विजय की धर्म पत्नी से जरूर है वास्ता क्योंकि खून होने से पहले उन्होंने आपको घर बुलाया था और आप वहां गए थे क्या ये सच है.

रवि – हा ये सच है.

वकील – (हस्ते हुए) जेरे दफा 342 के मुताबिक मै किसी को मजबूर नहीं कर सकता हु ये तो जानते होगे आप रवि साहेब खेर.

तब वकील सुनीता को कटघरे में बुलाने को कहता है जिसके बाद वकील सुनीता से उस रात के बारे में पूछता है जिसमें सुनीता उस रात में विजय और अपने झगड़े के बारे में साथ रवि को कॉल करने की बात बताती है जिसके बाद.

वकील – जज साहेब पुलिस की जानकारी मुताबिक सुनीता और रवि का मिलना अक्सर रहता था जबकि विजय अपाहिज थे जिसके चलते सुनीता जी की शायद जरूरत पूरी नहीं कर पाते थे तब इनकी जिंदगी में रवि आ गए और तब रवि और सुनीता के बीच का रोड़ा सिर्फ विजय थे और तभी रवि ने उस रात बड़ी चालाकी से पहले विजय को मारा उसके बाद खून के इल्जाम से बचने के लिए सुनीता और रवि ने एक ड्रामा रचा चोरी का लेकिन इनकी खराब किस्मत धीरज के रूप में इनके घर की तरफ आ रहे थे तभी रवि घर से जल्दी भागते वक्त धीरज से टकरा गए और बाकी सारी बात कानून के सामने है.

सारी बात सुन गुस्से में सुनीता जोर से चिल्ला के बोलती है.

सुनीता – रवि ने कोई खून नहीं किया है मैने किया है ये खून.

वकील – (मुस्कुराते हुए) अपने प्रेमी को बचाने के लिए सारा इल्जाम आप अपने सिर ले रही है लेकिन इस बात का आपके पास कोई सबूत नहीं है सुनीता जी.

सुनीता – है सबूत मिस्टर धीरज.

वकील – (जज से) जज साहेब मै धीरज को बुलाने की इजाजत चाहता हु तभी शाम के 6 बज जाते है जज कोर्ट में अगले दिन की तारीख देता है लेकिन उसी शाम धीरज के होटल में एक लड़की आती है जो सीधे धीरज के कमरे का दरवाजा खट खटाती है तब धीरज दरवाजा खोल सामने लड़की को देख...

धीरज – (चौक के) तुम जिंदा हो.

जिसके बाद लड़की कमरे के अन्दर चली जाती है और दरवाजा बंद कर देती है ठीक अगले दिन कोर्ट के कटघरे में धीरज गवाही देने आता है साथ में वो लड़की बाकी सबके साथ बैठी होती है तब.

वकील – मिस्टर धीरज आप जानते है आपको क्यों बुलाया गया है.

धीरज – जी.

वकील – तो बताए सारी बात सच सच.

धीरज – उससे पहले मै एक कहानी सुनना चाहूंगा वकील साहेब जिसका इस केस से गहरा ताल्लुख है.

जज – ठीक है मिस्टर धीरज बताइए क्या बात है वो.

धीरज – ये बात आज से 5 साल पुरानी बात है दो दोस्त थे एक का नाम विजय दूसरे का नाम गौतम सिन्हा दोनों ने साथ में अपनी पढ़ाई की साथ में बिजनेस करते थे एक दिन गौतम की जिंदगी में किरण नाम की लड़की आई दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे और शादी कर ली लेकिन ये बात विजय को नहीं पता थी लेकिन विजय ने गौतम और किरण को एक साथ देख लिया और मिला तब उसे पता चला दोनों के बारे में फिर एक दिन अचानक विजय ने गौतम के खिलाफ गबन का मुकदमा कर दिया जिसमें गौतम को पांच साल की सजा हुई जब वो जेल से रिहा होके घर आया तब उसे पता चला कि विजय की नियत खराब थी किरण पर उसने गौतम के जेल जाते ही किरण का रेप कर दिया जिसके चलते किरण ने आत्महत्या कर ली इस बात से गौतम के दिल में नफरत की आग सुलग उठी उसने विजय के बारे में पता किया पता चलते ही उसे मारने गया लेकिन वहां जाते ही गौतम ने देखा विजय अपाहिज हो गया है गौतम ने उसके मू पर थूक के कहा.

गौतम – तू ऐसे ही सड़ यही तेरी सजा है.

बोल के जैसे ही गौतम जाने को हुआ था कि विजय ने रिवॉल्वर से मारने की कोशिश की तभी गौतम ने उसके साथ सीना झपटी की जिसके चलते गोली चली और विजय मारा गया उस वक्त आसमान में प्लेन के जाने की आवाज से गोली की आवाज दब गई.

वकील – (बीच में) और जब कातिल यानी मिस्टर रवि घर से बाहर जा रहा था तब आपसे टकराए यही ना.

धीरज – नहीं वकील साहेब वो रवि नहीं था.

वकील – तो फिर कातिल कौन है कहा है.

धीरज – कातिल इस अदालत में है आपके सामने.

वकील – (हैरानी से) मतलब आप है गौतम.

धीरज – जी वकील साहेब मेरा असली नाम धीरज गौतम सिन्हा है और (एक तरफ इशारा करके) वो रही मेरी बीवी किरण जिंदा है.

वकील – (किरण से) आप जिंदा है कैसे.

किरण – विजय के रेप करने के बाद मैं मरने के लिए नदी में कूद गई लेकिन कुछ लोगों ने मुझे मरते देख के डूबने से बचा लिया तब से मैं एक अनाथ आश्रम में लाचार लोगो की सेवा करने लगी थी लेकिन जब अखबार में मैने विजय के मरने की न्यूज देखी और गवाही में धीरज का नाम पढ़ा तब मै मिलने चली आई धीरज से उसे नहीं पता था मेरे जिंदा होने की बात.

सारी वारदात सुनने के बाद.

वकील – (धीरज से) अगर कत्ल आपने किया था तो आप वापस क्यों गए उस घर में.

धीरज – इस हादसे के बाद मैं तो ये शहर छोड़ के जाने वाला था इसीलिए तेजी से होटल जा रहा था ताकि अपना सामान लेके निकल सकू जल्द से जल्द लेकिन रस्ते में अचानक से मैने अपनी जेब में हाथ रखा तो पाया कि मेरा बटुआ मेरे पास नहीं है तब मुझे लगा शायद विजय से सीना झपटी में उसी के घर बटुआ गिर गया होगा इसीलिए मै उस घर की तरफ जाने लगा और जानबूझ के अपनी गाड़ी का एक्सीडेंट किया ताकि उस घर में मदद के बहाने जा सकू मैं उस घर में अंजान बन के दाखिल हुआ ताकि किसी को शक न हो और विजय के पास जाने लगा मदद की बात करते हुए तब मेरे छूते ही उसकी लाश टेबल में गिरी लेकिन मेरी हैरानी की सीमा तब न रही जब मैने देख एक औरत हाथ में रिवॉल्वर लिए बोली मुझसे की ये खून उसने किया है ये औरत सुनीता थी , जज साहेब मैं जनता था उसने कुछ नहीं किया है इसीलिए उसे बचाने के लिए एक झूठी कहानी मैने बनाई ये सच में तकदीर का खेल है जज साहेब की मेरे आने से कुछ देर पहले रवि उस घर विजय से झगड़ा कर के गए थे और सुनीता ने अपने सिर खून का इल्जाम इसीलिए लिया इनको लगा विजय का खून रवि ने किया है जज साहेब मोहब्बत क्या है मैं अच्छे से जनता हूँ अपनी प्यार को मैने बर्बाद होते देखा है रवि और सुनीता एक दूसरे से सच्चा प्यार करते है अनजाने में मैने फंसी का फंदा एक के गले से निकाल के दूसरे के गले में डाल दिया लेकिन कल रात में जब किरण मुझसे मिलने आई मेरी जीने की तमन्ना फिर से जाग गई इसीलिए मैने फैसला किया मै सबको सच सच बता दूंगा जज साहेब अब आप जो भी सजा दे मुझे मंजूर है.

सब कुछ सुनने के बाद.

वकील – जज साहेब सारा सच अब सामने आ गया है मिस्टर धीरज का अब आपके फैसले की बारी.

जज – अदालत तराजू के दो पलड़ों की तरह है एक में कानून होता है दूसरे में इंसाफ कानून की नजर में मिस्टर धीरज गौतम मुजरिम है लेकिन इंसाफ की नजर में वो बेगुनाह है इसीलिए मिस्टर धीरज को ये अदालत बाइज्जत बरी करती है


जिसके बाद रवि , सुनीता और धीरज , किरण अदालत के बाहर एक दूसरे से मिल के विदा ले निकल गए अपनी जिंदगी जीने के लिए..

समाप्त
DEVIL MAXIMUM
वाह अमेज़िंग. क्या ट्विस्ट डाला है कहानी मे. ऐसी कहानियो मे अगर दर्शक लास्ट तक उलझे नहीं रहेंगे तो फिर राइटर की खामी होंगी. और आप ने तो end तक उलझा कर रखा. सुनीता रवि को बचाने के लिए इल्जाम अपने सर लेना चाहती थी. धीरज ने क्या जबरदस्त प्लानिंग किया. खुद की गाड़ी का एक्सीडेंट किया. और हेल्प मांगने के बहाने वापस गया. ताकि अपना पर्स ढूढ़ के ला सके जज ने धीरज को बचा ही लिया. वैसे कायदे से तो वो सजा का हक़दार था. मगर बेचारा रवि और सुनीता बच गई. स्टोरी जबरदस्त मज़ेदार है. मझा आ गया.
 

Avaran

एवरन - I am Unpredictable
Supreme
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વસંતના ચધામણા
એક માં-દીકરાની પ્રેમ કથા
Writer - gujaratitty
Story genre - incest
Story line - Yeh ek story hai jismein ek ladka aur uski maa ke beech kuch incest relation ke baare mein bataaya gaya hai. Ek khaas din, maa aur pitaaji ek shaadi mein jaate hain, aur ladka ghar par rahata hai. Us din Valentine's Day bhi hota hai, isliye ladke ka kahin jaane ka man nahin hota. Jab uski maa taiyaar hoti hai, toh ladka use bahut sundar paata hai, aur unke beech kuchh incest relations hota hai. Story mein unke rishte ke baare mein bataaya gaya hai.

Positive point
.Erotic way good hai
.Lekhak ne achchhi tarah details mein likha hai.

Negative point
. kuch unique nahi hai aise story platform Bohat saari hai.
. bohat jyada predictable story Hai.

Overall its an average x forum story
Rating 4/10

Writer -Gujarati mujhe nahi aati but translation use karke isse read kiya hai
 

LONELYCHAHAK

Member
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Story- MAA AUR MAUSAJI KE KARIBI RISHTE
Writer - LONELYCHAHAK
Rating - 6.5/10

Yeh kahani ek aisi duniya se rubaru karwati hai jo samaj ke saaf chehre ke peeche chhupi hoti hai ek aisi katha hai jo Indian parivaar ke dual nature ko ubharti hai. XF pe aisi bhatero kahaniya bhari padi hai

Kahani ka sabse bada plus point iska detailed narration hai mummy ka bazaaru saree look, dadi ji ka sanskari gyaan, aur mausaji ki aankhon ki sharaarat sab aankhon ke saamne aa jaata hai. Narrator ke roop mein beta jo sirf observe karta hai, uska perspective kahani ko voyeuristic thrill deta hai. Sanskaar aur chhupi kaamukta ka yeh takraav kahani ko relatable banata hai,

Lekin kahani ki asli kami hai originality aur depth ka abhav. Is genre mein yeh sab pehle bhi dekha ja chuka hai rishtedaaro ke beech affair, pooja ghar ka backdrop, aur explicit scenes. Twist ya emotional complexity nahi hone se kahani ek layer tak hi simit reh jaati hai. Characters ke motives ya guilt par focus nahi hai, aur har scene ka detailed hona thodi monotony laata hai. Agar thoda subtlety, guilt ya internal conflict hota, toh kahani aur gehri hoti.

Bhasha simple aur genre-appropriate hai, lekin kabhi-kabhi zyada crude ho jaati hai. Thodi poetic ya layered language use hoti, toh kahani zyada yaadgaar ban sakti thi. Characters apni ichchhao se kabhi joojhte nahi dikhte, jisse moral grey areas miss ho jaate hai.

overall, yeh kahani khali sex story ke readers ke liye ek entertaining experience hai engaging aur thrilling. Hypocrisy aur kaamukta ka contrast achhe se dikhaya gaya hai. Lekin originality aur emotional depth ki kami ke kaaran yeh ek aur familiar kahani ban jaati hai. Genre ke shaukeen isse enjoy karenge, lekin nayaapan dhoondhne wale shayad disappoint ho sakte hai. Kahani apna kaam karti hai, par behtar ho sakti thi. all the best for contest
thank u sir
aapne meri story par apne views rakhe mujhe bohot khushi huyi.
 
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ᴇʏᴇꜱ ʀᴇᴠᴇᴀʟ ᴇᴠᴇʀʏᴛʜɪɴɢ ᴡʜᴀᴛ'ꜱ ɪɴ ᴛʜᴇ ʜᴇᴀʀᴛ
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Story ; AAP KITNE ACHCCHE HAIN PAPA
Written by ; Black
Story line ;
Drama​

Story arjun naam ke ek aadmi ki hai,jiski wife ki delivery ke time death ho jati hai, aur arjun apne navjaat bacche ko palne ke liye wo sab karta hai jo ek pita karta.

Positive points

  • Story me ek pita ke pyaar ko acche se dikhaya hai.
  • Samaj ki soch ko bhi dikhaya gaya hai.
  • Story me ye bhi dikhaya gaya hai ki sirf khoon ka rista hi mayne nahi rakhta, balki pyaar se nibhaye gaye riste bhi gahre ho sakte hain.

Nigative points

  • Story me bhikharan se dhudh pilana unrealistic lagta hai( jab ki delivery ke time agar maa ki death hoti hai toh doctor family se consult karta hain)
  • Aman ka character thoda unrealistic aur dramatic lagta hai, kyonki jitne saal se wo sab sath the utne time me toh kisi ko bhi lagao ho jata hai ek dusre se.
  • Arjun ne jo kadam itne saalon baad uthaya sayad wo kadam bahut pahle uthaya ja sakta tha.

Mistakes

Story me 1-2 galtiyan hai. Aman ka character thoda aur ubhara ja sakta tha. Sudha aur Arjun ke rishte ko aur highlight kiya ja sakta tha. Last wala scene thoda filmy lagta hai ankit ke liye, jabki wo unmarried ho.

Story acche se aur safai se likhi gai hai,jo padhne me accha feel aur connection deti hai.

Rating ; 7/10
 
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Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
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"The Eclipse Empire" by Kdry9

Ek futuristic sci-fi thriller jo 2150 ke dystopian duniya mein set hai jahan saat powerful families (Eclipse Empire) duniya ko control karti hain. Kahani ka center Sharma Dynasty aur uski ambitious beti Mahira Sharma ke ird-gird ghoomti hai jo apne pita ke ruthless empire mein apni compassionate nature ke saath ek change lane ki koshish karti hai. Isme action, suspense, romance aur political drama ka mishran hai jo ek engaging story banata hai.

Positive Points:

▪︎ World-Building: Kahani ka futuristic setup jaise Eclipse Prime ke skyscrapers, flying cars aur neon-lit vibe bahut vivid aur immersive hai. Saat families ke zones aur unke power dynamics ek complex aur believable duniya banate hain.

▪︎ Characters: Mahira aur Kabir ke characters well-developed hain. Mahira ka transformation ek sheltered princess se ek courageous reformer tak dilchasp hai aur Kabir ka rough exterior aur deep loyalty usko ek layered character banata hai. Unke beech chemistry natural aur engaging hai.

▪︎ Themes: Kahani inequality, corruption aur resistance ke themes ko strongly explore karti hai. Lower levels ke struggle aur upper class ke luxury ka contrast ek powerful social commentary deta hai.

▪︎ Plot Twists: Shamita ke betrayal aur Kabir ke double-crossing motives jaise twists kahani ko unpredictable rakhte hain. Summit wala climax high-stakes aur dramatic hai jo readers ko hooked rakhta hai.

▪︎ Pace aur Rhythm: Kahani ka flow smooth hai action scenes aur emotional moments ke beech balance acha hai. Dialogues crisp aur context ke hisab se natural lagte hain.

Negative Points:

▪︎ Predictable Tropes: Kuch plot points jaise Kabir ka "bad boy with a heart of gold" persona ya Mahira ka rebellious princess arc thoda clichéd lagte hain inme thodi aur originality add ki ja sakti thi.

▪︎ Supporting Characters: Saat families ke alawa baki characters jaise Rajveer ya Arav Malhotra zyada depth ke baghair surface-level rahte hain unki motivations ya backstory ko aur explore karna kahani ko aur rich kar sakta tha.

▪︎ Language Overuse: Kai jagah Hindi aur English ka mixed use repetitive ho jata hai jaise "Princess" ya "Eclipse" ka baar-baar istemal isse kahani ka flow kabhi-kabhi break hota hai.

▪︎ Resolution: Climax ke baad reforms aur empire ke transformation ka part thoda rushed lagta hai itna bada societal change itni jaldi believable nahi lagta isme aur buildup chahiye tha.

Ek Acchi Kahani Ke Liye Kya Accha Hai, Kya Bura Hai:

▪︎ Accha: Ek achi kahani mein strong characters, immersive setting aur emotionally resonant themes hona zaroori hai jo is kahani mein hai. Suspense aur twists readers ka interest banaye rakhte hain aur romance ka element relatable emotions deta hai.

▪︎ Bura: Cliched tropes ya underdeveloped subplots kahani ko weak kar sakte hain. Har major character ko depth dena aur resolution ko realistic rakhna zaroori hai warna kahani ka impact kam ho sakta hai.

Wartani (Spelling) aur Language:

Wartani mein koi major galti nahi hai; Hindi aur English ka mix context ke hisab se thik hai lekin kabhi-kabhi English phrases ka overuse Hindi ke flow ko thodi dikkat deta hai. Dialogues aur descriptions mein consistency hai jo padhne mein asaan banata hai. Thodi aur linguistic variety ya poetic flair kahani ko aur polished kar sakti thi.

Rhythm:

Kahani ka rhythm overall acha hai action aur emotional scenes ke beech switching natural lagta hai. Shuru ke descriptive parts aur climax ke fast-paced moments ke beech balance hai bas ant ke reforms wale section mein thodi aur pacing chahiye thi taaki wo rushed na lage.

Final Thoughts:

Engaging aur thought-provoking kahani hai jo sci-fi, drama aur romance ka acha blend hai. Strong world-building, layered protagonists aur social themes isko memorable banate hain. Thodi aur originality aur supporting characters ki depth isko aur behtar kar sakte hai.
 

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
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"Lady Doctors" by riya singh

Ek bold aur adult-themed kahani hai jo Mahima (Mahi) aur uski bhabhi Payal ke zindagi ke ird-gird ghoomti hai. Kahani ek tragic family crisis ke baad dono ladkiyon ke sexologist clinic shuru karne aur uske through apni zindagi ke naye raste dhoondhne ki daastan hai. Kahani mein drama, emotions aur heavy adult content ka mishran hai jo ek unconventional narrative deta hai.

Positive Points:

▪︎ Bold Narrative: Kahani ka subject matter bahut hi bold aur unconventional hai jo ek alag tarah ka perspective deta hai. Sexology clinic ke concept aur usme ladkiyon ka involvement ek unique plot point hai.

▪︎ Character Dynamics: Mahima aur Payal ke beech ka bond nanad-bhabhi se lekar saheliyon tak bahut natural aur relatable lagta hai. Dono ke emotional aur physical struggles kahani ko depth dete hain.

▪︎ Emotional Depth: Family tragedy jaise papa ka paralysis aur bhai ka ghar chhodna kahani mein emotional weight add karta hai. Ye elements readers ko characters ke pain se connect karte hain.

▪︎ Fast-Paced Plot: Kahani ka flow tezi se chalta hai har incident ek naye twist ya development ke saath aata hai jo readers ko engaged rakhta hai.

▪︎ Realistic Dialogue: Hindi aur colloquial language ka use dialogues ko authentic banata hai jo characters ke background ke saath match karta hai.

Negative Points:

▪︎ Overuse of Adult Content: Kahani mein adult scenes ka use thoda zyada hai jo plot ke emotional aur dramatic elements ko overshadows karta hai. Ye kahani ko one dimensional bana deta hai.

▪︎ Unrealistic Elements: Clinic mein ladkon ka aana aur openly inappropriate behavior thoda unrealistic lagta hai. Itna open setup ek professional setting mein believable nahi hai.

▪︎ Lack of Character Depth: Mahima aur Payal ke alawa baki characters jaise Anshuman, Rakshit aur Amar Singh zyada developed nahi hain. Unki motivations ya backstory ka abhaav hai.

▪︎ Moral Ambiguity: Kahani mein moral boundaries blur ho jati hain jo kuch readers ke liye uncomfortable ho sakta hai. Family dynamics ka unconventional portrayal thoda forced lagta hai.

▪︎ Rushed Ending: Shadi aur final family setup ka twist thoda abrupt aur underdeveloped lagta hai. Isme zyada buildup ya explanation ki zarurat thi.

Ek Acchi Kahani Ke Liye Kya Accha Hai, Kya Bura Hai:

▪︎ Accha: Ek achi kahani mein strong emotional connect, relatable characters aur engaging plot hona chahiye jo is kahani mein family tragedy aur Mahima-Payal ke bond ke through dikhayi deta hai. Unique aur bold themes bhi kahani ko stand out karte hain.

▪︎ Bura: Zyaada adult content ya unrealistic scenarios kahani ke impact ko kam kar sakte hain. Supporting characters ko depth dena aur plot ke moral aspects ko balance karna zaroori hai warna kahani superficial lag sakti hai.

Wartani (Spelling) aur Language:

Wartani mein chhoti-moti galtiyan hain lekin ye overall reading experience ko zyada affect nahi karti. Hindi ka colloquial style kahani ke tone ke saath fit hai lekin kabhi-kabhi repetitive phrases flow ko monotonous kar dete hain. Thodi aur linguistic variety ya subtle language kahani ko polished kar sakti thi.

Rhythm:

Kahani ka rhythm tezi se chalta hai jo iski strength hai. Har scene mein kuch na kuch action ya twist hota hai jo boredom nahi hone deta lekin adult scenes ke repetitive nature aur rushed climax ke wajah se rhythm kabhi-kabhi uneven lagta hai. Emotional moments ko aur space dene se balance better ho sakta tha.

Final Thoughts:

Bold, provocative aur emotionally charged kahani hai jo apne unique premise aur fast-paced narrative ke wajah se dhyan kheenchti hai. Mahima aur Payal ka bond aur unke struggles kahani ko relatable banate hain lekin zyada adult content aur kuch unrealistic elements iske impact ko kam karte hain. Thodi aur character depth aur balanced pacing isko aur behtar bana sakte the. Adult-themed stories pasand karne walon ke liye ye ek acchi kahani hai lekin moral complexity kuch readers ke liye issue ho sakta hai.
 

Adirshi

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Story - विधिलिखित
Writer - Adirshi

Ek aur dil chhu lene wali story. "विधिलिखित" ek aisi kahani hai jo prem, tyag, aur balidan ke saath-saath dharm aur kartavya ke beech ulajhti hai. Yeh kahani Gauri aur Vidhyadhar ke pavitra prem ko darshati hai, jo samajik bandhano aur vyaktigat ichchao se pare hai. Kahani mein Gauri ka character ek mazbut aur prernadayak nari ka pratik hai, jo apne kartavya ke liye sab kuch kurban karne ko taiyar hai.

Kahani ki khasiyat yeh hai ki yeh sirf ek prem kahani nahi, balki ek aisi gatha hai jo itihas, rajneeti aur adhyatmikta ko bhi saath le kar chalti hai. Mughalo ke viruddh sangharsh aur rashtra ki raksha ke liye Gauri ka samarpan kahani ko ek gahra aayam deta hai. Lekhak ne bhasha aur shaili ka prayog itni khubsurati se kiya hai ki har drishya aankho ke saamne sajeev ho uthta hai.

Gauri aur Vidhyadhar ka prem sharirik aakarshan se pare ek aatmik milan hai. Unka tyag aur samarpan prem ko ek nayi paribhasha deta hai. Kahani mein maheshwar aur bhavani maa ka sandarbh kahani ko ek adhyaatmik gahraai dete hai, jo jeewan ke ucchatar lakshya ko darshata hai.

Ye kahani na sirf padhe jaane ke layak hai, balki kai baar padhe jaane yogya hai. Har baar padne par ek naya aayam aur nayi prerna milti hai. Kahani ka ant bhale hi dukhad ho, lekin yeh ek aise balidan ki kahani hai jo hamesha yaad rahegi.

Rating: kya hi du, aur meri itni aukat nahi ke itne badhiya writer aur unki kahani ko rate karu ye to galat ho jayega kafi :nocomment:

"विधिलिखित" un sabhi ke liye hai jo prem, tyag aur balidan ki amar kahaniyo ko pasand karte hai. Yeh ek aisi kahani hai jo aapke dil mein hamesha ke liye jagah bana legi. :bow:

Story - बंदिश
Writer - Adirshi

"बंदिश" ek aisi kahani hai jo prem, khoya hua pyaar, aur ummeed ke beech ke jatil rishtey ko explore karti hai. Varsha, jiske pati Vivek ke gayab hone ke baad zindagi ruk si gayi hai, is kahani ka kendra hai. Uska dard, uski tanhayi, aur uski uljhan ko lekhak ne bade hi karigari se bayan kiya hai. Baarish ka mausam, jo aksar romanticism aur nayi shuruaat ka pratik hota hai, yahan Varsha ke liye udaasi aur yaado ka ek silsila ban gaya hai.

Amit ka kirdaar, jo Varsha ke liye ek dost aur shayad kuch aur bhi hai, kahani mein ek nayi pechidagi daalta hai. Kya wo Varsha ke dukh ko kam kar sakta hai? Kya wo use uske atit se aage badhne mein madad kar sakta hai? Ye sawal kahani ke ant tak reader ko bandhe rakhte hai.

Lekhak ki bhasha aur shaili shaandaar hai. Shabdon ka chunaav, vakyo ki sanrachna, aur pratikattmakta ka istemaal kahani ko ek alag hi star par le jaata hai. Phool, baarish, aur mausam ke badlav Varsha ki mansik sthiti ko darshate hain. Ye prateekattmakta kahani ko aur gehra aur arthpurn banati hai.

Kahani ka plot bhi kaafi majboot hai. Vivek ka gayab hona ek rahasya hai jo kahani ke ant tak suspense banaye rakhta hai. Aur ant me jo khulasa hota hai, woh readers ko hairaan kar dene wala hai. Ye ek aisa twist hai jo kahani ko yaadgaar bana deta hai.

Is kahani ki ek aur vishesh baat yeh hai ki isme koi bhi paatra bilkul saaf nahi hai. Har ek paatra ke apne-apne dosh aur kamzoriya hai, jo unhe insaan banati hai. Yeh kahani hume ye sikhati hai ki jeevan mein koi bhi faisla sahi ya galat nahi hota, bas paristhitiyan badalti hain.

Ant mein, "बंदिश " ek aisi kahani hai jo apne prabhavit karne wale kathanak aur gehrayi se reader ke man mei apni chhaap chhod jaati hai. Ye kahani un sabhi ke liye padhne layak hai jo ek gehri aur sochne par majboor karne wali kahani ki talash me hai. A must read story :claps2 :applause:

Story - The Memory Glitch
Writer - Adirshi

Story bhale english me ho review main hindi me hi dega :roll3:

Honestly kafi sahi story hai. Ye kahani aapko ek aisi duniya mein le jaati hai jahan technology aur manav jeevan ka milan hota hai, aur ye sochne par majboor karti hai ki hum apni yaado aur identity ko kitna mahatva dete hai. Mumbai 2050 ka chitran bahut hi vivid hai aur kalpanasheel hai, jahan purani sanskriti aur naye technology ka ek anokha sangam hai.

Meera Joshi ka character bahut hi prernadayak hai. Uski himmat aur sachai ke liye ladne ki lagan kahani ko aur bhi engaging banati hai. Uska safar, ek reporter se lekar ek sachai ke rakshak tak, bahut hi prabhavit karne wala hai. Rohan ke saath uski jodi ek perfect team ki tarah hai, jo Elysium ke khilaf ladti hai. writer ne is Sci-fi kahani me emotions ka bhi jod bithane ka pura prayas kiya hai aur ek unique concept parosa hai

Memento technology ka concept bahut hi innovative aur darawna hai. Ye kahani technology ke prabhav aur uske galat istemal ke khataro ko darshati hai wahi Vance ka character ek classic villain hai, lekin uski soch aur uske motives kahani ko ek alag mod dete hai.

Kahani ki bhasha, jismei bahut thodi Hindi aur English ka sundar milan hai, ekdum fresh aur engaging hai. Har scene ek naya twist lekar aata hai, jo padhne wale ko ant tak jode rakhta hai. Kahani sirf ek sci-fi thriller nahi hai, balki ek gambhir social commentary hai jo technology, memory, aur human identity ke beech ke complex sambandh ko ujaagar karti hai.

total me bolu to ye ek zabardast kahani hai jo na sirf entertain karti hai, balki humei technology aur human nature ke bare mein sochne par bhi majboor karti hai. Yeh ek must-read hai un sab ke liye jo sci-fi aur thrillers pasand karte hain. :applause: :applause:
Thank you for such awesome reviews men :thanx: :dost:
 

Adirshi

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Story. Bandish. Writer _ Adirshi

Isi liye main kehta hun ki aap bahut achcha likhte hain balki likhne mein aapka jawab nahi :bow:
Amit aur varsha ki baatein jab shuru hui toh maine socha ki amit kitna achcha insaan hai, varsha ka intezar aaj tak kar raha hai, kitna supporting hai woh, uska prem atoot hai . Lekin aakhiri pal mein jo hua use padhke main shocked ho gaya
Main bahut nirash hua ki prem kisi aur ka aur bali kisi aur ki. Lekhni wahi hoti hai jispe padhne ke baad insaan sochne pe majbur ho jaaye aur aapmein yeh kala koot koot ke bhari hai. Aapne jis tarah se dono character ke beech baat cheet dikhayi. Dono ke man mein kya chal rha hai dono kya sochte hain dono kya chahte hain woh bahut amulya hai
You are the best writer in my opinion sir.
Hope aap aise likhte rahenge
Kyunki aap jab likhte hain toh sab kuchh aisa lagta hai jaise saamne ghatit ho raha ho.
arey bhai bhai bhai :hug:
Thank you so much for such amezing reviews, aur hum aise hi likhte rahenge men jab tak tam logo ka sath hai kalam chalti rahegi :cheers:
 

Adirshi

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Story : विधिलिखित
Author : Adirshi

The first arc stole my heart. Descriptions about Deogarh and Pratapgarh were gorgeous. The uneasiness and anxiety of Gauri being at a new place and getting accustomed to new culture and surroundings, is beautifully described, you live, you feel everything. Societal rules on woman, depicted through the perspective of Gauri was thoughtful, it shows the feelings of a woman which are often neglected.

The moment between Gauri and Vidhyadhar at the temple, at the bank of the river was just beautiful…. I am unable to put my emotions in words. The love, the sacrifice of Gauri and Vidhyadhar reminded me of the pain and anxiety I went through, during Gunahon Ka Devta.

Then the story shifts. It turned into a thriller, which was stunning. The way the story is written, it seems like you are watching a romantic, historical-thriller movie.


Fuck man! What a beautiful narration about being newly married without even writing the word ‘Married’. Sometimes narrations like these make me envy a few writers like you.


During the first read, I was a bit dissatisfied due to lack of emotions at the end (as I was riding through the emotional essence of the first half). But when I reread, it felt satisfying, complete. Gauri and Vidhyadhar completed their journey, they got an ending, painful but satisfactory.

Rating : Some stories are beyond the boundaries of numbers.

PS : Few stories might have endings which might give sleepless nights, anxiety but stories like these are incomparable, despite having a heart wrenching outcome, it still eases the heart and gives peace to mind.
Thank you so much for this beautiful review brother. I'm really glad you noticed the little things, like the temple scene and the unspoken feelings. And that comparison to Gunahon Ka Devta, that was truly special for me though I can't imagine myself on that level ever. again thank you so much man, It's the readers like you who makes me write more, this kind of review is the real prize for me and just knowing that the story stayed with you is more than enough for me. Thank you so much :thanks:
 
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