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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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अपडेट 71 :

तो यह अराका द्वीप अटलांटिस का ही अंग है। और वहाँ बर्फ़ के नीचे भी जो भी दबा हुआ है (शलाका का महल), वो मेरे पूर्व के अनुमान के अनुरूप ही अटलांटिस का ही अंग है।
Sayad aapka kahna hi sahi ho :blush:
Hum abhi se kaise directly ha bol de bhai ji:D



छः फुट की शलाका देवी की मूर्ति आदमक़द ही है। सुयश को उससे महक भी महसूस हुई और शरीर की गर्माहट भी (आपने लिखा नहीं, लेकिन हमने पढ़ लिया... हा हा हा हा)! तो संभव है कि यह मूर्ति शलाका का एक होलोग्राम जैसा प्रतिबिम्ब हो - ऐसा होलोग्राम जो स्थिर है, लेकिन शलाका की जीवन-शक्ति से जुड़ा हुआ है।
सुयश को शलाका की महक महसूस हुई (ये बात तो केवल SANJU ( V. R. ) भैया को पता थी। आप को किसने बताया भाई :D


बात तो है, हमारी पूजा पाठ परंपरा में मूर्तियों का बड़ा ही महत्व है। ईश्वर को निराकार और साकार दोनों रूपों में माना जाता है और मूर्ति ईश्वर के साकार रूप को दर्शाती है और भक्तों में उनकी उपस्थिति का अनुभव करने में सहायता करती है। मूर्तियों के कारण ईश्वर में ध्यान लगाना सरल और सहज हो जाता है। देखा जाए तो मूर्ति ईश्वर का केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है, बल्कि भक्त की आस्था और भक्ति का एक सशक्त माध्यम है।


1001 % सहमत हूं भाई आपसे।:approve:


सुयश (आर्यन) और शलाका का पुराना सम्बन्ध है। किस रूप में, यह बताया नहीं अभी तक। लेकिन जिस तरह से सुयश शलाका की मूर्ति की तरफ़ आकर्षित हुआ और जिस तरह से वो उसको स्पर्श करने के बाद बिना क्षति / हानि के बच गया (युगाका को भी आश्चर्य हुआ इस बात पर), उससे तो साफ़ लगता है कि शलाका और सुयश का गहरा सम्बन्ध है। तिलिस्म का टूटना भी सुयश के कारण ही संभव है - मतलब अभी तक का अपना खोटा सिक्का उतना भी खोटा नहीं है! 🙂

मै तो शुरू से ही बोल रहा हूं की सुयश को आप लोग समझ नही पा रहे हो:D। वैसे भी नियती ने जिसको तिलिस्मा जैसे भारी तिलिस्म को तोडने के लिए नियुक्त किया हो वो........:shhhh:

वैसे, शलाका शब्द से एक बात याद आ गई, जो संभवतः यहाँ कई पाठकों को पता न हो।


संत तुलसीदास जी की रामचरितमानस में शुरुवात में ही ‘श्री राम शलाका प्रश्नावली’ है। शलाका शब्द के कई अर्थ हैं, लेकिन उसका एक अर्थ तीली/सलाई/सलाख भी होता है। यदि जीवन में कोई बहुत ही कठिन समस्या हो, तो इस प्रश्नावली का प्रयोग करें। संभव है कोई हल मिल जाए। कुछ नहीं तो एक दोहा ही पता चल जाएगा 🙂

[मान्यवर मॉडरेटर महोदय लोग, इस कमेंट को अनावश्यक बैन / एडिट न कर दीजिएगा। यह जानकारी बस सभी का ज्ञान बढ़ाने के लिए शेयर करी है]

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शलाका के ओर भी कई अर्थ निकलते है भाई साहब, लेकिन आप जो बोल रहे है वो भी तर्कसंगत है।:approve:

अपडेट 72 :


सात दिन पहले की घटना से पता चलता है कि रोजर जीवित है। उसने एक सिंह-मानव देख लिया। सबसे पहले ऐसे एक जीवों का वर्णन मैंने सुपर कमाण्डो ‘ध्रुव’ की दो कॉमिक्स “आदमखोरों का स्वर्ग” और “स्वर्ग की तबाही” में पढ़ा था - सन 1987 / 1988 में! बचपन की याद ताज़ा हो आई भाई! 🙂
मतलब आप भी कोमिक्स पढ़ने के शौकीन थे:D
रोजर अभी जीवित भी है, ओर सुरक्षित भी, लेकिन क्या रह पायेगा:?:

मकोटा ने ज्योतिष विद्या से जान लिया है कि तिलिस्मा अब टूटने ही वाला है। आकृति कौन है, क्यों है, यह नहीं समझा। और सामरा पर अधिकार करना तिलिस्मा के टूटने से पहले ही क्यों आवश्यक है, समझा नहीं।

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आकृति के बारे में आपको जल्द ही कुछ पढने को मिलेगा:approve: रही बात सामरा पर अधिकार की, तो उसमें थोड़ा-बहुत समय लग जाएगा:shhhh:
अपडेट 73 :

हम्म, तो आकृति भी एक बंधक है यहाँ! और मकोटा की छल के अधीन है।

मकोटा जैगन का भक्त है, जो तमराज है (किल्मिष भाई... हीहीही)! सॉरी शक्तिमान! हा हा हा! 😂
वो किलविष का बाप है भाई, ओर उस से टक्कर ले सके ऐसा फिलहाल इस द्वीप पर मौजूद नही है, हां बाद मे आयेगा/आयेगी वो अलग बात है।:shhhh:
आकृति फिलहाल कैद मे ही समझो:approve:

वो पिरामिड जैगन का ही मंदिर है। मतलब बहुत सारा स्यापा इस जैगन और मकोटा के कारण ही है। ये मकोटा थोड़ा थोड़ा "लार्ड ऑफ़ द रिंग्स" के “सारोमान” जैसा ही है। वो सिंह/पशु-मानव लुफासा सिनोर का राजकुमार है! यार - बड़ी दिक्कत हो रही है। अनगिनत पात्र और सबके नाम कठिन! मेरे जैसा भुलक्कड़ कुछ लिखे भी तो कैसे?
आप बिल्कुल ठीक सोच रहें है मित्र,:approve: ये सारा रायता इन दोनों की ही वजह से फैला है।
भुलक्कड़ ओर आप :D ये मै क्या देख रहा हूं।

हम्म्म, तो वो ऊर्जा/स्वर्ण-मानव अपना रोजर ही था।
:approve:
आकृति का यह कहना कि तिलिस्मा के टूटने से सभी मुक्त हो जाएँगे - यह एक बचकानी सी बात है। कोई मुक्त नहीं होने वाला। यह खेल बहुत बड़ा है। जैगन इतनी आसानी से किसी को नहीं छोड़ेगा।
सही कह रहे हो दोस्त :approve: और वैसे भी, तिलिस्म के टूटने से काला मोती हासिल होगा। और वो जिसके पास होगा.......:shhhh: (समझ रहे हो ना।)
अल्बर्ट की यह बात, “यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है” एकदम सही है। सब कुछ कृत्रिम है यहाँ।
कृत्रिम तो सब कुछ नहीं, पर प्रकृति अनुरूप नहीं है। एसा कह सकते है।:D
ऐमू ने दो शब्द कहे। अंदाज़ा लगा रहा हूँ कि आरू : मतलब आर्यन, और आकी : मतलब आकृति या फिर अक्का (दीदी)? लेकिन फिर आरू की आकी... ई तो सुसरा प्रेम-त्रिकोण बन जायेगा ऐसे तो (अगर संजू भाई की बात सही है तो)! वैसे ही बरमूडा त्रिकोण के लफ़ड़े से निकल नहीं पा रहे हैं, अब एक और त्रिकोण! दादा रे!
आकृति और आर्यन का ही नाम है दोनो:shhhh:और त्रिकोण भी होगा।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐमू को कैसे पता कि सुयश की आर्यन है?

बड़े रहस्य हैं भाई! बड़े रहस्य! कहानी ही “तिलिस्मा” है ये तो!

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ऐमू को कैसे पता इसका पता आपको जल्द ही चल जाएगा, हो सका तो आज के अपडेट में ही।:approve:
अपडेट 74 :

आदमखोर पेड़! सुयश भाई का किरदार अचानक से ही खतरे में आ गया। मतलब यह आवश्यक नहीं कि हमारे इन किरदारों को कोई क्षति न हो। पूरी तरह संभव है यह।
बिल्कुल संभव है सर:approve:
“सुयश की पीठ पर बना सुनहरे रंग का सूर्य का टैटू चमकने लगा” -- लेकिन वो गोदना (टैटू) तो काले रंग का था न? हाँ - और यही बात ब्रैंडन ने भी पूछी! वैसे अगर शेफ़ाली का अनुमान सही है, तो यह गोदना एक आवश्यक क्रिया है, जो शलाका के कहने पर पाँच सौ साल पहले शुरू की होगी, सुयश के पुरखों ने।
टैटू तो काला ही था भाई साहब, पर ये शलाका बीच मे कहां से आ गई?:D
मतलब, सुयश के किसी पुरखे के साथ शलाका जी का प्रेम/वैवाहिक सम्बन्ध था...

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कुछ भी? :D ऐसा नही है दोस्त :nope:
अपडेट 75 :

ये चूहा बिल्ली लुफासा और उसके ही जैसी शक्ति वाला कोई अन्य सिनोर-वासी तो नहीं? अगर हाँ, तो आकृति और रोजर की सब असलियत उनको पता हैं।

ये है तो वैसा ही कुछ जो आप सोच रहे हो, पर आकृति ओर रोजर की असलियत उनको पता नहीं है। :nope:
हरे प्राणी, उड़नतश्तरी, झोपड़ी... बाप रे! किन किन बातों को ध्यान में रखें हम! और आप कैसे रख रहे हैं राज भाई!? कमाल है और बलिहारी है आपकी कल्पना और स्मरण-शक्ति के! वाह! अद्भुत!
:smarty:
आज तो चने के झाड पर चढ गये हम।


इन सब बातों के बीच में असलम की याद आ गई। उसको कैसे पता था कि सुप्रीम को अटलांटिस की तरफ़ लाना है?
कहीं वो भी तो मकोटा का ही कोई मातहत (कर्मचारी) नहीं?


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अपडेट 76 :

जैगन -- बुद्ध-ग्रह वासी है। हरे कीड़े भी वहीं की उपज हैं।

लेकिन कुछ भी हो, पृथ्वी और बुद्ध दोनों ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं -- अतः सूर्य उन दोनों पर ही भारी पड़ेगा। मतलब, सुयश भाई का पलड़ा खगोलीय दृष्टि से बहुत भारी तो है। सूर्यवंशी है वो! तो जैगन जैसा हरा कीड़ा उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। 😂 मकोटा भी नहीं।

जब तक आप सब साथ हो, तब तक तो सुयश उन पर भारी ही रहेगा।:D

मेरा एक और विचार है -- शायद अनजाने में ही सही, आकृति ने रोजर के रूप में एक ‘भेदी’ को रिक्रूट कर लिया है। समय आने पर रोजर ‘सुयश एंड कं.’ को सारे रहस्य समझा देगा।

बिल्कुल ठीक :approve: बस मैका मिल जाए।

नटराज -- भगवान शिव का ताण्डव नृत्य करता हुआ रूप हैं। वैसे तो इस रूप का दार्शनिक ज्ञान मुझको कम ही है, लेकिन इतना पता है कि ताण्डव नृत्य पाँच आदि-शक्तियों को प्रदर्शित करता है -- सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोधन (शुभ का आगमन और अशुभ हटाना), और अनुग्रह (अनुकम्पा)! चूँकि मुझे इस विषय में बहुत कम पता है, इसलिए अनावश्यक बनावटी ज्ञान नहीं झाडूँगा।

चलिए आपकी थोड़ी सी ज्ञान वर्धन ओर कर देते है सरकार, सबसे पहले उन्होनें पार्वती जी के लिए, और अपस्मार को हराने के लिए ही ये रूप धारण किया था।:approve:

देवी शलाका के मंदिर / महल में नटराज की उपस्थिति रोचक है।


Raj_sharma राज भाई -- पढ़ तो लेता हूँ, लेकिन अपने विचार नहीं रख पाता समय पर।

क्या अद्भुत लेखन है भाई! आपको सच में पुस्तक / उपन्यास लिखना चाहिए। बहुत ही अच्छा लेखन है आपका।
उससे भी अच्छी है आपकी कल्पना।
क्या समां बाँधा है इस कहानी में! वाह! वाह!


ऐसे ही लिखते रहें! देर सवेर ही सही, साथ तो बने ही हैं हम आपके!

भाई साहब, आपके इस अपडेट रूपी रिव्यू को पढकर हम अती हर्षित हुए। ओर इसमे कोई भी दोराय नही है। की आप जैसे मित्रो का साथ ही हमें आगे लिखने की प्रेरणा देता है। :roflbow:
ईस शानदार रिव्यू के लिए आप का बोहोत बोहोत आभार प्रकट करता हूं।🙏🏼🙏🏼🙏🏼
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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खुद को मासूम कहने वाला शैतान बच्चा भी आ ही गया

ये सभी प्रकार की कामुकता (व्यभिचार, इन्टरफेथ, कुकोल्ड व इन्सेस्ट आदि) से मुक्त विषय-वस्तु पर आधारित कथा है‌...

आपके हवस के कारनामे यहां नहीं मिलेंगे तो निराश हो कर पढ़ना मत छोड़ना
Raj_sharma ye mahanubhav kaun hain, jaane pahchane se kyo lag rahe apan ko :?:
 
Last edited:

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Aakhir der sawer aa hi gaye ju:D
Thank you very much for your valuable words :thanx: And bhale hi ju ko kitna bhi pasand ho, per apni story me ek bhi sex scene nahi hoga:D Yaha saaf suthre readers hain ju ki tarah:approve: Aur jitne bhi Dhurandhar log hai idhar, ye unka hi prem aur aasirwaad hai :declare: So sath bane rahiye, i promise, boring to bilkul nahi lagega:hug:
Wo to aana hi tha apan ko, pahle hi bola tha. Ye to betichod time ka lafda hai is liye der sawer ka matter ho gayla hai. Khair...jaldi hi start karega apan :dost:
 

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#75.

सुनहरे मानव का रहस्य
(आज से 3 दिन पहले.... 5 जनवरी 2002, शिनवार 12:15, सीनोर राज्य, अराका)

रोजर आकृति के दिये हुए कमरे में पिछले 4 दिन से बोर हो रहा था।
आकृति ने अभी तक उसे कोई काम भी नहीं बताया था।

आकृति ना तो उसे कमरे से निकलने दे रही थी और ना ही कोई काम बता रही थी।

आकृति बस पूरे दिन भर में एक बार उससे मिलने आती थी और वह भी केवल 5 मिनट के लिये।

आज रोजर ने सोच रखा था कि वह आकृति से कहेगा कि या तो काम बता दो या फ़िर उसे बाहर जाने दो।

तभी दरवाजे की आवाज ने रोजर की सोच पर विराम लगाया।

आने वाली आकृति ही थी।

इससे पहले की रोजर आकृति को कुछ बोल पाता, वह स्वयं ही रोजर से बोल पड़ी- “रोजर तैयार हो जाओ, अब सुप्रीम पर जाने के लिये।“

रोजर यह सुनकर बहुत खुश हो गया। वह फौरन बिस्तर से उठा और एकदम चाक चौबंद नजर आने लगा।

लेकिन इससे पहले कि आकृति कुछ कर पाती, तभी कमरे के दरवाजे से एक चूहा और बिल्ली भागते हुए अंदर प्रविष्ट हुए।

आकृति यह देखकर कि कर चूहा और बिल्ली को देखने लगी। आकृति की तीव्र निगाहें दोनों जनवारों पर थी।

बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।

बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।

आकृति ने फ़िर से एक नजर रोजर पर मारी। रोजर ने भी आकृति को देख अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को ‘थम्स-अप की तरीके से ऊपर उठाया, जो कि रोजर के रेडी होने का संकेत था।

आकृति ने रोजर को देखा और अपना ‘नीलदंड’ उठाकर रोजर की ओर लहराया।

नीलदंड से सुनहरे रंग की किरणें निकली और उन किरणों ने रोजर के शरीर को अपने घेरे में ले लिया।

रोजर ने डर के कारण अपनी आँखे बंद कर ली। अचानक रोजर का शरीर धीरे-धीरे पत्थर में तबदील होने लगा।

रोजर ने जब आँखे खोली तब तक उसके शरीर का गरदन तक का हिस्सा पत्थर में तबदील हो चुका था।

रोजर को कुछ समझ नहीं आया। उसने आकृति की ओर नजर उठा कर देखा। तब तक वह पूरा पत्थर का बन चुका था।

आकृति ने जब रोजर को पूरा पत्थर का बनते देखा तो फ़िर से अपने नीलदंड को उठाकर रोजर की ओर घुमाया।

इस बार रोजर के शरीर से एक सुनहरा प्रकाश-पुंज निकल कर बाहर आ गया।

वह प्रकाश-पुंज किसी सुनहरे मानव की तरह तेज चमक बिखेर रहा था।

“अब तुम सुनहरे मानव के रूप में परिवर्तित हो चुके हो। ये एक प्रकार का उर्जा रूप है, इस रूप में तुम किसी चीज को स्पर्श कर सकते हो, उसे उठा सकते हो और अपने हाव भाव व्यक्त कर सकते हो, मगर इस रूप में तुम किसी से बात नहीं कर सकते।

उर्जा के इस रूप में तुम्हे द्वीप की अदृश्य दीवार भी नहीं रोक पायेगी और तुम पानी पर दौड़ सकते हो या फ़िर पानी में साँस ले सकते हो।

तुम्हारा शरीर यहां मेरे पास सुरक्षित है। तुम्हारे पास केवल 8 घंटे का समय है। 8 घंटे से ज़्यादा तुम इस उर्जा रूप में नहीं रह सकते। 8 घंटा पूरा होते ही तुम्हारा उर्जा रूप स्वतः ही तुम्हारे शरीर में वापस आ जायेगा।

इसिलये याद रहे तुम्हे अपना काम इस 8 घंटे में ही पूरा करना पड़ेगा। क्या तुम अब तैयार हो यहां से जाने के लिये?" आकृति ने रोजर को सारी बातें अच्छे से समझा दी।

रोजर ने धीरे से सहमित से अपना सर हिलाया और उस कमरे से निकलकर उस गुफा के रास्ते से द्वीप के बाहर की ओर चल पड़ा।

रोजर द्वीप की अदृश्य दीवार को पारकर जैसे ही समुद्र के किनारे पहुंचा, उसे पूरा द्वीप पानी में नाचता हुआ दिखायी दिया ।

“ओ माई गॉड......यह द्वीप तो..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है.... ऐसा कैसे संभव है? लगता है यह द्वीप अभी और बहुत से अंजान खतरों से भरा है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी रोजर को आसमान पर उड़ता हुआ एक हेलीकाप्टर दिखायी दिया।

रोजर को तुरंत अपने हेलीकाप्टर के साथ हुआ हादसा याद आ गया।

रोजर को लगा कि अब यह हेलीकाप्टर भी दुर्घटना ग्रस्त हो जायेगा, पर तभी उसे वह हेलीकाप्टर द्वीप से दूर जाता हुआ दिखायी दिया।

यह देख रोजर ने राहत की साँस ली।

तभी रोजर को हवा में उड़ती हुई एक झोपड़ी दिखायी दी ।

“ये मैं क्या देख रहा हुं, यह झोपड़ी हवा में कैसे उड़ रही है?"

वह झोपड़ी हवा में उड़ती हुई पोसाइडन की मूर्ति के पास जाकर गायब हो गयी।

तभी रोजर को द्वीप की धरती पर कुछ कंपन होते दिखे- “बाप रे....यह तो पूरी धरती कांप रही है। अब क्या होने वाला है?" रोजर बड़बड़ाया।

तभी द्वीप के किनारे से बहुत तेज तरंगे निकली और समुद्र में दूर तक चली गयी।

अभी रोजर इन तरंगो के बारे में सोच ही रहा था कि तभी वैसी ही तरंगे पूरे आसमान में भी फैल गयी।

रोजर को अब वह हेलीकाप्टर हवा में लहराते हुए दिखायी दिया। रोजर समझ गया कि अब वह हेलीकाप्टर दुर्घटना ग्रस्त होने वाला है।

हेलीकाप्टर का चालक हेलीकाप्टर को नीचे उतारने की कोशिश कर रहा था। हेलीकाप्टर आसमान में किसी परकटे पक्षी की तरह डोल रहा था।

थोड़ी देर के बाद उस हेलीकाप्टर के चालक ने हेलीकाप्टर का संतुलन बनाकर उसे पानी पर उतार लिया।

रोजर की आँखो में चालक के लिए प्रशंसा के भाव उभरे। रोजर अब पानी पर चलता हुआ उस हेलीकाप्टर की ओर बढ़ने लगा।

तभी रोजर को पानी की सतह पर बहती हुई एक बूढ़ी महिला दिखायी दी-

“यह कैसे संभव है? यह महिला पानी पर कैसे तैर रही है? नहीं..नहीं ये तो बेहोश है...या फिर शायद जिंदा ही नहीं है, पर यह इस महिला के आसपास का पानी हरा क्यों दिख रहा है? ....ओ माई गॉड...ये तो मेढक के जैसे हरे रंग के कीड़े हैं, पर यह इस महिला को उठाकर कहां ले जा रहे हैं?"

वह महिला अल्बर्ट की पत्नी मारिया थी।

तभी 'गुलुप' की आवाज के साथ मारिया का शरीर पानी में डूब गया।

“अरे, वह महिला कहां गयी? कहीं वह कीड़े उस महिला को पानी में तो नहीं खींच ले गये।" यह सोच रोजर ने पानी में डुबकी लगायी।

पानी के अंदर का दृश्य देखते ही रोजर के दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया।

पानी के नीचे नीली रोशनी बिखेरती एक बड़ी सी उड़नतश्तरी तैर रही थी। उड़नतश्तरी का आकार बिल्कुल गोल था। उसमें सैकड़ों दरवाजे बने दिखाई दे रहे थे।

उन्हिं में से एक दरवाजा खुला हुआ था, और वह हरे कीड़े मारिया को लेकर उसी दरवाजे से अंदर जा रहे थे।

रोजर ने घबराकर अपना सिर पानी के बाहर निकाल लिया।

तभी उसे पीछे की ओर से किसी बोट के इंजन की आवाज सुनाई दी।

रोजर ने पीछे पलट कर देखा, यह वही हेलीकाप्टर था, जो अब द्वीप की ओर बढ़ रहा था।

रोजर को एक पल के लिये समझ नहीं आया कि वह क्या करे? वह उड़नतश्तरी के पीछे जाये या फ़िर उस बोट के।

रोजर ने तुरंत फैसला ले लिया कि वह बोट की ओर जायेगा। शायद यह उसका अपनी दुनिया के प्रति लालच था।

यह सोच रोजर तुरंत पानी के बाहर आ गया और लहरो पर खड़ा होकर बोट को देखने लगा।

चूंकी इस समय बोट द्वीप की ओर बढ़ रही थी इसिलये रोजर ने बोट की ओर दौड़ लगा दी।

रोजर की स्पीड बहुत ज्यादा थी। धीरे-धीरे बोट पास आती जा रही थी।

तभी रोजर को बोट के पीछे एक विशालकाय व्हेल मछली दिखाई दी।
उस व्हेल ने बिना किसी तरह की आवाज किये हुए, पानी में एक ज़बरदस्त गोता लगाया, जिससे समुद्र का पानी बोट के पीछे लगभग 50 फुट तक ऊपर उठ गया।

रोजर के पास उस बोट के चालक को आगाह करने का भी समय नहीं था। इसिलये उसने अपने भागने की स्पीड और तेज कर दी।

उधर बोट पर मौजूद व्योम की निगाहें अब उस सुनहरे मानव की ओर थी।

तभी व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दी।

“ओ माइ गॉड!......यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।"

व्योम ने घड़ी के सेकंडवे हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी।

व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था।

एक सेकंड के लिये उसकी आंखें समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या? उसके सात पुस्तो को चौकाने के लिये काफ़ी थी।

पानी के अंदर एक उड़नतश्तरी नाच रही थी।
और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई।

रोजर ने व्योम को बेहोश होते देख उसे अपने हाथो में थाम लिया। अब उसने सोच लिया था कि वह व्योम को बचाकर ही रहेगा।

रोजर ने व्योम को अपने हाथो में ले द्वीप की ओर दौड़ लगा दी।

तभी ‘जन्नऽऽऽऽऽऽ‘की तेज आवाज करती वह उड़नतश्तरी, पानी के अंदर से निकली और उड़कर द्वीप के पास पहुंचकर गायब हो गयी।

उड़नतश्तरी के इतनी तेज नाचकर पानी में निकलने से पानी में एक विशालकाय भंवर बन गयी।

यह भंवर देख रोजर समझ गया कि उस रात ‘सुप्रीम’ के ऊपर से यही उड़नतश्तरी निकली होगी और इसी के वजह से पानी में भंवर बनी होगी, जिसमें कि सुप्रीम फंस गया था।

रोजर ने भंवर से बचने के लिये एक लंबा रास्ता चुना और व्योम को लेकर द्वीप की ओर चल दिया।

लगभग 25 मिनट के अंदर रोजर ने व्योम को द्वीप की दूसरी दिशा में ले जाकर समुद्र किनारे लिटा दिया।



जारी
रहेगा_______✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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#76.

रोजर काफ़ी देर तक व्योम को देखता रहा और फ़िर वहां से उठकर पुनः लहरो पर दौड़ने लगा।

आकृति के पास से निकले, रोजर को लगभग 3 घंटे हो गये थे। रोजर के पास अभी भी 5 घंटे का वक्त था।

पर इतने बड़े समुद्र में वह सुप्रीम को ढूंढे कैसे? यह भी बड़ा प्रश्न था। क्योंकि रोजर को तो यह भी नहीं पता था कि सुप्रीम है किस दिशा में?

तभी रोजर को उन हरे कीड़ो का ध्यान आया-
“वह हरे कीड़े कैसे थे? और वह बूढ़ी महिला...हो ना हो वह महिला जरूर सुप्रीम की ही होगी... मुझे उसी दिशा में चलना चाहिए जिधर से वह कीड़े आ रहे थे।“ यह सोचकर रोजर ने उस दिशा की ओर दौड़ लगा दी।

रोजर को दौड़ते हुए लगभग 2:30 घंटे बीत गये, पर ‘सुप्रीम’ कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी रोजर को पानी की एक लहर तेजी से अपनी ओर आती दिखाई दी।

रोजर यह देखकर वहीं लहरो पर खड़ा हो गया- “क्या यह किसी तरह का खतरा है? जो मेरी ओर आ रहा है।"

कुछ ही देर में पानी की वह लहर तेजी से रोजर के बगल से निकली। लहर की स्पीड बहुत ज्यादा थी फ़िर भी रोजर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे गया।

वह ऑक्टोपस की तरह का कोई विशालकाय जलीय जीव था, जिसकी एक भुजा में उसने लोथार को पकड़ रखा था।

उस जीव की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि रोजर के लिये उसका पीछा कर पाना असंभव था।

सेकंड से भी कम समय में वह जीव रोजर की आँखो से ओझल हो गया।

“अब तो पक्का हो गया कि सुप्रीम इसी दिशा में है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया और फ़िर पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ लगा दी।

कुछ ही देर में रोजर को ‘सुप्रीम’ नजर आने लगा।

लगभग 8 घंटे होने वाले थे। रोजर को पता था कि उसके पास समय बहुत कम है। इसिलये वह तेजी से दौड़ रहा था और इतनी ही तेजी से दौड़ रहा था रोजर का दिमाग भी।

जाने क्यों रोजर को आकृति पर भरोसा नहीं हो पाया था। उसे लग रहा था कि आकृति जरूर कुछ ना कुछ झूठ बोल रही थी।

रोजर के पास कोई चारा नहीं था, आकृति की बात मानने के सिवा, पर उसने सोच लिया था कि वह कैप्टन सुयश को सही राह ही दिखाएगा, भले ही आकृति उसे इसकी सजा ही क्यों ना दे दे।

क्यों कि सुप्रीम की जिम्मेदारी उसकी भी थी और वह नहीं चाहता था कि इतने खतरनाक द्वीप पर सुप्रीम पहुंचे।

बहरहाल उसकी सोच पर विराम लग गया क्यों कि तभी सुप्रीम से सिग्नल फ्लेयर आसमान में फ़ेंके जाने लगे।

रोजर समझ गया कि सुप्रीम के लोगो ने उसे देख लिया है।

वह फ्लेयर तेजी से आसमान में जाकर फट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे बीच समुद्र में ‘दीपावली’ या ‘बैस्ताइल डे’ मनाया जा रहा हो।

अब रोजर सुप्रीम के काफ़ी पास पहुंच गया था। रोजर को सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े दिखाई देने लगे।

अब रोजर सुप्रीम के बिल्कुल नीचे पहुंच गया।

उसे डेक पर खड़े सुयश, असलम, ब्रेंडन सहित जहाज के बहुत से लोग दिखाई दे गये। एक पल के लिये सबको इतने पास पाकर रोजर जैसे सब कुछ भूल गया।

क्षण भर के लिये मानो समय रुक सा गया।

डेक पर खड़े सभी लोग सम्मोहित अवस्था में विश्व के उस आठवें आश्चर्य को देख रहे थे। किसी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

रोजर की निगाह अब लगातार सुयश पर थी। उसके चेहरे के भाव तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन यकीनन उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कुराहट थी।

अच्छा ही हुआ कि रोजर के शरीर से इतनी तेज रोशनी निकल रही थी, वरना उसकी चेहरा देखकर ना जाने कितने यात्री बेहोश होकर गिर जाते और सबसे ज़्यादा अचंभा तो सुयश को होता।

अचानक जैसे रोजर को कुछ याद आया। उसने पहले सुयश की ओर देखा और फ़िर अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से एक दिशा में इशारा किया।

और इससे पहले की रोजर कोई और इशारा कर पाता, रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और एक पल के लिये रोजर की आँखे बंद हो गई।

जब उसकी आँखे खुली तो वह आकृति के सामने उसके कमरे में था।

रोजर का ऊर्जा-रूप अब गायब था और रोजर का शरीर भी पत्थर से फ़िर सामान्य बन गया था।

‘सुप्रीम’ को याद कर रोजर की आँखो से 2 बूंद आँसू निकल गये, जिसे उसने तुरंत पोंछ लिया।

“क्या रहा?“ आकृति ने रोजर से पूछा- “काम हुआ या नहीं?"

“मैंने तो अपनी तरफ से कैप्टन सुयश को द्वीप की ओर आने का इशारा कर दिया, अब बाकी उसके ऊपर है कि वह मेरी बात मानता है या नहीं।" रोजर ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।

“बहुत अच्छे.... तुमने अपना काम ईमानदारी से किया है, जल्दी ही मैं तुमहें यहाँ से छोड़ दूंगी।" आकृति
ने कहा और कमरे से बाहर निकलने लगी, तभी रोजर ने आकृति को रोक लिया।

“क्या मैं आपसे कुछ प्रश्न कर सकता हूँ?" रोजर ने पूछा।

यह सुन आकृति पलटकर वापस कमरे में आ गयी और रोजर की ओर देखते हुए बोली-

“कहो.... क्या पूछना चाहते हो?"

“मैंने देखा, ये द्वीप पानी पर घूम रहा था, ऐसा कैसे संभव है?" रोजर ने पूछा।

“यह एक साधारण द्वीप नहीं है। यह देवताओ के द्वारा निर्मित द्वीप है। इसिलये यह पानी पर तैर सकता है।" आकृति ने जवाब दिया।

“पानी पर तैरना एक बात होती है, पर यह द्वीप गोल-गोल घूम रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई इसे चला रहा हो? इसके अलावा मैंने इस द्वीप से कुछ तरंगे भी निकलती हुई देखी है जो यह साबित करती है कि जरूर इस द्वीप का नियंत्रण किसी के पास है।"

रोजर के प्रश्नो में दम था क्यों कि शायद आकृति के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।

आकृति कुछ देर खामोश रही और फ़िर बोली- “इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं है। शायद देवताओ ने इस द्वीप की रक्षा के लिये, इसका नियंत्रण किसी के हाथ में दे रखा हो?"

“यह उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य है?" रोजर ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“वह उड़ने वाली झोपड़ी तिलिस्मा में प्रवेश करने का द्वार है। उस झोपड़ी में हम घुस तो अपनी मर्जी से सकते हैं, पर निकल नहीं सकते। वह झोपड़ी इंसान को सीधा तिलिस्मा में ले जाती है। जिसे तोड़ कर ही कोई इंसान बाहर निकल सकता है।"

आकृति ने रोजर को देखते हुए कहा- “पर मानना पड़ेगा तुम्हें, एक दिन बाहर निकलते ही बहुत कुछ देख लिया तुमने? .... और कोई प्रश्न पूछना है या मैं जाऊं?"

“एक सवाल और ...।" जिद्दी रोजर ने मस्कुराते हुए एक सवाल और कर दिया- “वह उड़नतश्तरी किसकी है और उसमें मौजूद हरे कीड़े मृत लोगों को कहाँ ले जाते हैं?"

“वह उड़नतश्तरी ‘बुद्ध ग्रह’ की रासायिनक प्रयोगशाला है। वह हरे कीड़े भी वहीं के निवासी हैं, और उन लाशों पर कुछ प्रयोग कर रहे हैं।

इसका रहस्य पिरामिड से ही पता चल सकता है। क्यों कि ‘बुद्ध ग्रह’ के लोगो का देवता भी ‘जैगन’ ही है। इससे ज़्यादा मुझे उन हरे कीडो के बारे में कुछ नहीं पता।" आकृति ने कहा।

“बुद्ध ग्रह!" रोजर यह सुनकर हैरान हो गया- “तो क्या वह हरे कीड़े ‘एलियन’ हैं?"

“हां! कुछ ऐसा ही समझ लो।" आकृति ने कहा।

रोजर के पास फ़िलहाल कोई प्रश्न नहीं बचा था। उसने जानबूझकर व्योम वाली घटना आकृति को नहीं बताई।

आकृति रोजर को शांत होते देख वापस मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गयी।

रोजर ने आकृति के जाने के बाद एक गहरी साँस भरी और वहां रखे फलों की थाली से एक फल निकालकर खाने लगा। उसने सोच लिया था कि इस द्वीप का पूरा रहस्य जानकर ही रहेगा।


शलाका महल
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)

चलते-चलते फ़िर शाम गहराने लगी थी। पर जंगल में कोई भी ऐसी जगह किसी को नहीं दिखी थी, जहां पर रात बितायी जा सके।

“अब हम क्या करेंगे कैप्टन?" असलम ने सुयश से कहा- “हमें अभी तक रात गुजारने के लिये कोई जगह नहीं मिली है और अंधेरा होने में कुछ ही मिनट अब बचा है।"

“सामने बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिसकी वजह से आगे का दृश्य ज़्यादा नजर नहीं आ रहा है, थोड़ा और आगे देखते हैं, अगर इन पेडों के पीछे भी कोई जगह ना दिखी तो हमें आज रात पेडों पर बितानी पड़ेगी।" सुयश ने कहा।

पेडों पर रात बिताने का सुन जैक और जॉनी के शरीर में झुरझुरी सी उठी, पर उन्होंने बोला कुछ नहीं।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला समाप्त हो गया और उन्हें कुछ दूरी पर खंडहर से नजर आये।

“अरे वाह!" एलेक्स ने खुशी से किलकारी मारते हुए कहा- “मिल गयी रात बिताने की जगह। रात बिताने के लिये ये खंडहर बिल्कुल सही हैं।"

“कोई भागकर वहां नहीं जायेगा।" अल्बर्ट ने चीखकर कहा- “पहले हमें वह जगह चेक कर लेने दो।"

अल्बर्ट की आवाज सुन भागता हुआ एलेक्स अपनी जगह पर रुक गया।

सभी अब खंडहर के अंदर पहुंच गये। खंडहर काफ़ी प्राचीन लग रहे थे। खंडहर के बाहर एक कुंआ भी बना था, जिस पर एक धातु की बाल्टी रस्सी से बंधी हुई रखी थी।

तौफीक ने बाल्टी को कुंए में डाल, पानी निकाल कर देखा। पानी बिल्कुल साफ और पीने योग्य था।

“लगता है आज से हजारों साल पहले यहां कोई रहता था?" जेनिथ ने खंडहर की दीवार को देखते हुए कहा- “खंडहर की दीवारें काफ़ी पुरानी लग रही हैं ।"

अब सभी खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।

“यह खंडहर बहुत बड़े हैं, शायद यह पहले किसी का महल रहे होंगे?" क्रिस्टी ने कहा।

“कहीं ये देवी शलाका का महल तो नहीं?" शैफाली ने एक खंभे को छूते हुए कहा- “क्यों कि ध्यान से देखिये, हर दीवार पर कुछ वैसी ही आधी-अधूरी आकृतियां हैं, जैसी हमें देवी शलाका के महल में दिखि थी?"

“आपको सामने दीवार पर कोई आकृति नहीं दिख रही क्या?" शैफाली ने ब्रेंडन से आश्चर्य से पूछा।

“नहीं!" ब्रेंडन ने संछिप्त उत्तर दिया।

अब सभी की नजर सामने की दीवार पर थी, पर किसी को भी सामने कुछ भी नजर नहीं आया। सामने की दीवार पर केवल धूल और मिट्टी दिखाई दे रही थी।

यह देख शैफाली आगे बढ़ी और उसने अपने दाहिनी हाथ से सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को हाथ से पोंछ दिया। मिट्टी के पीछे नटराज की तस्वीर थी, जो समय के साथ आधी खराब हो गयी थी।



जारी रहेगा_________✍️
बहुत ही गजब का सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Raj_sharma

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Raj_sharma ye mahanubhav kaun hain, jaane pahchane se kyo lag rahe apan ko :?:
Subham mitra aap sukhi bhaiya ko bhool gaye:?: Kaamdev bhaiya apne sanju vr bhaiya, aur avsj, ye teeno ko to forum ka har ek lekhak jaanta hai:approve:
 

Raj_sharma

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
Thanks for your valuable review and support bhai :hug:
 
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