• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ


पेशे खिदमत है वो कहानी जिसके पहले भाग को पढ़ कर मैंने लिखना शुरू किया . जिनकी ये कहानी है अगर वो कभी इसे पढ़े तो अपने कमेंट जरूर दे .

कहानी के सभी भाग कहीं नहीं मिले तो उन्हें पूरा करने का प्रयास किया है

उम्मीद है मेरा लेखन पसंद आएगा .

आमिर हैदराबाद


मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

INDEX
UPDATE 01मेरे निकाह मेरी कजिन जीनत के साथ 01
UPDATE 02मेरे निकाह मेरी कजिन जीनत के साथ 02.
UPDATE 03रुकसाना के साथ रिज़वान का निकाह.
UPDATE 04मेरा निकाह मेरी कजिन के साथ- रुकसाना के साथ रिज़वान का निकाह.
UPDATE 05मेरी बहन का निकाह मेरे कजिन के साथ और सुहागरात.
UPDATE 06मेरी बहन सलमा की चुदाई की दास्ताँ.
UPDATE 07मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ - छोटी बीवी जूनि.
UPDATE 08मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ- छोटी बीवी जूनि.
UPDATE 09मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ - सेक्सी छोटी बीवी जूनी.
UPDATE 10चुदाई किसको कहते है.
UPDATE 11छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात.
UPDATE 12छोटी बेगम की जूनी. सुहागरात-2
UPDATE 13मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ- छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात.
UPDATE 14छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात की सुबह
UPDATE 15अल्हड़ छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात की चटाकेदार सुबह.
UPDATE 16दोनों कजिन्स जूनी जीनत.चुदासी हुई.
UPDATE 17ज़ीनत आपा के साथ स्नान
UPDATE 18ज़ीनत आपा का स्तनपान
UPDATE 19में ही ऊपर से चोदूंगी फिर लंड चुसाई और चुदाई
UPDATE 20लंड चुत चुदाई और चुदाई
UPDATE 21कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई
UPDATE 22तीसरी बेगम कमसिन अर्शी
UPDATE 23तीसरी बेगम कमसिन अर्शी की चुदाई
UPDATE 24तीसरी बेगम अर्शी की चुदाई
UPDATE 25तीसरी बेगम अर्शी की तृप्ति वाली चुदाई
UPDATE 26तीन सौत कजिन जूनी जीनत अर्शी
UPDATE 27मीठा, नमकीन, खट्टा- जीनत जूनी अर्शी
UPDATE 28दुल्हन बनी चौथी कजिन रुखसार
UPDATE 29मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ चौथी दुल्हन रुखसार.
UPDATE 30मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ चौथी दुल्हन रुखसार.
UPDATE 31कुंवारी चौथी कजिन रुखसार.
UPDATE 32तीखा कजिन रुखसार
UPDATE 33लंड चुसाई
UPDATE 34बुलंद चीखे
UPDATE 35चारो बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत- जीनत जूनी अर्शी रुखसार
UPDATE 36बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत -जीनत जूनी अर्शी रुखसार
UPDATE 37जीनत जूनी अर्शी रुखसार बेगमो के साथ कहानी अभी बाकी है-
UPDATE 38ज़ीनत आपा की मदहोश अदा
UPDATE 39चारो बेगमो ने लंड चूसा और चाटा
UPDATE 40चलो अब एक साथ नहाते हैं
UPDATE 41नहाते हुए चुदाई
UPDATE 42खूबसूरती
UPDATE 43मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ मस्ती करने दो
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 152


नफीसा से भेंट और बातचीत

'फलक और राफिया' शबनम फूफी की सौतेली और दत्तक पुत्रीया थीं। उसकी माँ, रोजी, शबनम फूफी के शौहर की दूसरी बीबी जो की तुर्किश गोरी थी , उनकी बच्चिया थी और अपने शौहर और उसकी दूसरी पत्नी रोजी की एक दुर्घटना में अचानक मौत के बाद शबनम फूफी ने फलक और राफिया (जिनके लिए फुफु ने कोई भी व्यवस्था नहीं की थी) की जिम्मेदारी संभाली और उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित किया।

जब नफीसा की शादी हुई, तो शबनम फूफी फलक और राफिया को अपने साथी के रूप में घर ले आई। फलक और राफिया आकर्षक छोटी युवतीया थी, लगभग अवर्णनीय अंग्रेजी किस्म की जिनके लिए 'मीठी' और स्वीटी , ' आदि जैसे विशेषणों या उपनाम का उपयोग करना आवश्यक था , वह सार्वभौमिक पसंदीदा और पड़ोस की स्वीकृत सुंदरियों में से एक थी; और हालाँकि वह अभी अठारह वर्ष की हुई थी, फूफी को अभी से उनकी शादी के एक से अधिक अच्छे प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से फलक और राफिया ने सभी को ठुकरा दिया था। शबनम फूफी आधा मजाक में और आधा गंभीरता से कहा करती थी कि फलक और राफिया मुझसे (सलमान) प्यार करती हैं. मैं यह तो नहीं कह सकता कि मैंने भी उन्हें उस स्नेह का प्रतिदान किया, लेकिन मैं यह स्वीकार करता हूँ कि उनकी खूबसूरती से प्रभावित, मैं यह सोचने लगा था कि फलक और राफिया नायाब फूल हैं, जिन्हें तोड़ना एक बड़े सौभाग्य की बात है।

फलक और राफिया शबनम फूफी की पूरी तरह से दीवानी थी , और चाहे उसके निजी विचार और राय कुछ भी हों, शबनम फूफी की छोटी से छोटी इच्छा को पूरा करने के लिए तैयार रहती थी

शबनम फूफी की घर , घर नहीं, आफताब हवेली कुछ एकड़ में फैली हुई थी और बड़ी पुरानी पर आरामदायक जगह थी। यह एक पुराने जमाने की नवाबो की पुरानी हवेली जो एक देहाती इलाके में थी और मुख्य शहर से लगभग चार मील की दूरी पर मैदान के बीचोबीच में खड़ी थी । वास्तव में दो इमारतें थीं, घर खुद और वह विंग जिसमें घरेलू कार्यालय और नौकरों के कमरे थे। घर में भूतल और एक प्रथम तल था; नौकरों के आने-जाने के लिए एक तरह का एक मंज़िला रास्ता था-ताकि रात में परिवार और आगंतुक घरेलू कर्मचारियों से बिल्कुल अलग हो जाएँ। शबनम फूफी का बेडरूम एक छोर पर था और मैदान की ओर खुलता था, और फलक और राफिया के बेडरूम और आम तौर पर आगंतुकों को आवंटित कमरे से पर्दे वाले दरवाज़ों से जुड़ा हुआ था या पर्दे इन कमरों को अलग करते थे।

जब मैं अपनी स्टडी से नीचे की ओर जा रहा था, तो मुझे आश्चर्य हो रहा था कि क्या नफीसा के निमंत्रण का कोई विशेष महत्व था। मुझे पता था कि उसने अपनी माँ को हमारे संबंधों के बारे में बता दिया था, और शबनम फूफी को अपने उदार विचारों के कारण (वसीयत की शर्तों को देखते हुए और अपनी बेटी के कामुक स्वभाव को जानते हुए) तब तक कोई आपत्ति नहीं थी जब तक कि कोई विवाद न खड़ा हो जाए। लेकिन नफीसा और मुझे उसकी अपनी छत के नीचे एक दूसरे के साथ रहने की इजाजत देना मुझे बहुत ही असाधारण फैसला लगा।

मैं अपनी गाडी ले जाना चाहता था पर नफीसा ने मुझे कहा की वह मुझे लेने आ रही है , तो मैंने कहा आ जाओ तुम्हारा स्वागत है , तब उसने कहा मैं हवेली पर नहीं आउंगी , तुम मुझे बाहर ही मिलो फिर नफीसा मुझे पास के बस स्टाप से पहले अपनी कार में मेरा इन्तजार करती हुई मिली। वह बिना किसी ड्राइवर के आयी थी और खुद गाड़ी चला रही थी। मेरा हल्का सामान जल्दी ही अंदर रख दिया गया-मैंने उसके बगल में सीट ली और हम आफताब फूफी की आफताब हवेली की ओर चल पड़े।

जब हम शहर से बाहर निकले तो सड़क सुनसान हो गयी तब नफीसा ने गाडी साइड में रोकी, फिर मेरी ओर मुड़ते हुए बोली: 'अब सलमान, मैं तुमसे गंभीरता से कुछ बात करना चाहती हूँ।'

'हे भगवान! अब मैंने ऐसा क्या कर दिया!' मैंने आश्चर्य से कहा। नफीसा हँसी। 'तुमने जो किया है, उसके बारे में नहीं, बल्कि तुमसे जो करने की अपेक्षा की जाती है, उसके बारे में मैं बात करना चाहती हूँ,' उसने जवाब दिया। 'अब सलमान, एक अच्छा लड़का बनो और वादा करो कि तुम वही करोगे जो हम सब चाहते हैं!'

'बेशक अगर मैं कर सकता हूँ तो जरूर करूँगा !' मैंने ततपरता से जवाब दिया। 'ऐसा क्या है?-कोई बहुत गंभीर या बहुत मुश्किल बात?'

नफीसा हँसी से काँप उठी। और मेरे गले में बाहे डाल कहने लगी 'सलमान, तुम बहुत मज़ाकिया हो! हाँ, यह बहुत गंभीर है और यह मुश्किल भी हो सकता है! मेरा विश्वास करो अब मैं तुम्हे जो कह रही हूँ वही सच है क्योंकि यह सबसे आसान और सही तरीका होगा! सलमान, हम सब-सब, ध्यान रहे, फ़लक और राफ़िया भी-चाहते हैं कि तुम...हमें पाओ! वहाँ!'

'क्या!' मैंने आश्चर्य से उसे घूरते हुए कहा। 'यह बिल्कुल सच है, सलमान जान !' नफ़ीसा ने जवाब दिया, हल्के से रंग बदलते हुए, 'हम सब चाहते हैं तुम्हे । अब सुनो!

'तुम जानते हो मेरा मेरे शौहर से झगड़ा हुआ था और क्यों हुआ था और मैंने उससे अलग ही रह रही हूँ. अब जब हम दिल्ली में इलाज के लिए गए और दिल्ली में हमारे बीच जो हुआ उसके बाद मैं तुम्हें बहुत चाहने लगी हूँ, मेरे जानू !-ओह, बहुत बुरी तरह से तुम्हे प्यार करती हूँ और मैं ही जानती हूँ की मैंने अब ये कुछ दिन कैसे काटे हैं और फिर मैंने अम्मी को सब बताया और उनसे कहा कि या तो सलमान अब मेरे पास आएगा या मैं तुम्हारे पास जाऊँंगी !

उन्हें यह पसंद नहीं था कि तुम मुझे अपनी पुरानी पुश्तैनी हवेली के नीचे रखो। और मैं शहर में अलग घर में रहना नहीं चाहती थी। अचानक मेरे दिमाग में एक विचार आया। जैसा कि तुम जानते हो, सलमान, अम्मी अभी भी एक जवान औरत है-मुझे मेरा गर्म सेक्सी स्वभाव उनसे ही मिला है, और मैं जानती हूँ कि उन्हें अपने अकेले बिस्तर से कितनी नफ़रत है! मैंने उन्हें तडप तडप कर राते काटते हुए देखा है और मुझे ये भी पता है की वह तुमसे प्यार करती है, सलमान! इसलिए मैंने अपनी बांह अम्मी के चारों ओर लपेटी और फुसफुसाते हुए कहा: "देखो, अम्मी चलो सलमान को यही बुला लेते हैं और... उसे बाँटते हैं!" मेरा बात सुन अम्मी एक स्कूली छात्रा की तरह शरमा गई। "अम्मी ," मैं फिर फुसफुसायी - "तुम जानती हो कि तुम्हें... कुछ चाहिए... बहुत बुरी तरह से, बिल्कुल मेरी तरह!"-वह जवाब में काँप उठी- "क्या तुम मुझे इसे यहाँ बुलाने की इजाजत नहीं दोगी?"-फिर वह बहुत शरमा गई- "आओ, अम्मी , सलमान को मेरे साथ बाँट लो !" और मैंने उसे चूमा और उसके कान में तब तक फुसफुसाती रही , जब तक कि वह बुदबुदायी नहीं, "बहुत बढ़िया, डार्लिंग- अगर तुम्हारी यही इत्छा है और अगर सलमान तैयार है तो जैसा तुम चाहती हो, वैसा ही होगा!" तो, अब जनाब , आप क्या कहते हैं?'

मैं आश्चर्यचकित हूँ!' मैंने हकलाते हुए कहा-और मैं सच में ऐसा ही था मेरा मुँह खुला खुला रह गया था । 'नफीसा,' मैंने तुरंत कहा, 'तुम मेरे साथ कोई चाल नहीं चल रही हो, है न?' ये कोई मजाक तो नहीं है ना ?


जारी रहेगी
 
Last edited:

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।


happy-new-year-sparkle

यह नया साल आपके जीवन में खुशिया, ऐश्वर्य, धन ,समृद्धि, सौभाग्य और आनंद दे ऐसी कामना हैं ।

आमिर
 

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 153


दयालु शबनम फूफी

जैसा कि तुम जानते हो, सलमान, अम्मी अभी भी एक जवान औरत है-मुझे मेरा गर्म सेक्सी स्वभाव उनसे ही मिला है, और मैं जानती हूँ कि उन्हें अपने अकेले बिस्तर से कितनी नफ़रत है! मैंने उन्हें तडप तडप कर राते काटते हुए देखा है और मुझे ये भी पता है की वह तुमसे प्यार करती है, सलमान! इसलिए मैंने अपनी बांह अम्मी के चारों ओर लपेटी और फुसफुसाते हुए कहा: "देखो, अम्मी चलो सलमान को यही बुला लेते हैं और... उसे बाँटते हैं!" मेरा बात सुन अम्मी एक स्कूली छात्रा की तरह शरमा गई। "अम्मी ," मैं फिर फुसफुसायी - "तुम जानती हो कि तुम्हें... कुछ चाहिए... बहुत बुरी तरह से, बिल्कुल मेरी तरह!"-वह जवाब में काँप उठी- "क्या तुम मुझे इसे यहाँ बुलाने की इजाजत नहीं दोगी?"-फिर वह बहुत शरमा गई- "आओ, अम्मी , सलमान को मेरे साथ बाँट लो !" और मैंने उसे चूमा और उसके कान में तब तक फुसफुसाती रही , जब तक कि वह बुदबुदायी नहीं, "बहुत बढ़िया, डार्लिंग- अगर तुम्हारी यही इत्छा है और अगर सलमान तैयार है तो जैसा तुम चाहती हो, वैसा ही होगा!" तो, अब जनाब , आप क्या कहते हैं?'

मैं आश्चर्यचकित हूँ!' मैंने हकलाते हुए कहा-और मैं सच में ऐसा ही था मेरा मुँह खुला खुला रह गया था। 'नफीसा,' मैंने तुरंत कहा, 'तुम मेरे साथ कोई चाल नहीं चल रही हो, है न?' ये कोई मजाक तो नहीं है ना ?

"मैं तुम्हें सच्चाई बता रही हूँ, सलमान", नफीसा ने जवाब दिया, अब वह काफ़ी गंभीरता से बोल रही थी और मेरी आँखों में सीधे देख रही थी।' तुम अम्मी को मना नहीं करोगे, है न सलमान? '

'बिल्कुल नहीं, मेरी प्रिय नफीसा!' मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रखते हुए कहा-'मैं अपने आपको पूरी तरह से तुम्हारे और तुम्हारी अम्मी के अधीन रखने का वादा करता हूँ और वादा करता हूँ तुम्हारी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ूँगा!'

नफीसा ने प्यार से मेरी तरफ़ देखा और मैंने देखा कि उसकी आँखें भीग रही थीं। कुछ देर बाद उसने धीरे से कहा, 'तुमने जो कहा उसके लिए शुक्रिया, मेरे प्यारे। मुझे यह सोचकर गर्व और ख़ुशी हो रही है कि तुम मेरे अनुरोध पर मेरी अम्मीजान के साथ वही करोगे जो तुमने मेरे साथ इतनी बार इतनी मधुरता से किया है!' फिर एक विराम के बाद उसने हल्के अंदाज़ में कहा, 'और तुम पाओगे कि तुम्हारे इस काम का मीठा फल तुम्हें ही मिलता है, सलमान!-क्योंकि माँ एक प्यारी महिला हैं, !'

मैं हँसा। 'लेकिन फलक और राफिया का क्या!' मैंने पूछा।

'ओह! हम उन्हें बिना किसी कठिनाई के मनाने में कामयाब रहे!' नफीसा ने मुस्कुराते हुए कहा, ' तुम्हें पता है कि सलमान, अम्मी के लिए फलक और राफिया कुछ भी करने को तैयार हैं।

अब कुछ फलक और राफिया के बारे में, 'फलक और राफिया' शबनम फूफी की सौतेली बेटिया थी जिन्हे फूफी ने अपनाया और अपनी बेटी नफीसा की तरह ही पाला था । उनकी माँ, रोजी, शबनम फूफी के शौहर की दूसरी बीबी जो की तुर्किश गोरी थी, की बच्चिया थी और अपने शौहर और उसकी दूसरी पत्नी रोज़ी की एक दुर्घटना में अचानक मौत हुई थी।

मेरी फूफी शबनम अपनी बेटी नफीसा के साथ लखनऊ में रहते थे और फुफु की दूसरी पत्नी रोज़ी (जिसे मैं रोज़ी फूफी कहता था) उनकी बेटिया फलक रफिया और एक पुरानी वफादार नौकरानी, मार्था हिमालय की पहाड़ियों की शृंखला की तलहटी में, नैनीताल की सीमा पर रहते थे। फुफु अपना समय अपनी दोनों बीवियों के बीच में बारी-बारी से बिताते थे । फूफू से शादी करने से पहले मार्था फलक की माँ रोज़ी की नौकरानी थी और परिवार की काफ़ी भरोसेमंद सदस्य थी। दरअसल, फूफी रोज़ी को छोड़ने का विचार न तो कभी मार्था के दिमाग़ में आया और न ही रोज़ी फूफी के। उनके दूसरे नौकर शायद ही कभी एक साल से ज़्यादा रुकते थे क्योंकि वे इतने शांत और नीरस जगह और कौन-सी औरत, एक स्थिर, बुज़ुर्ग औरत को छोड़कर, ऐसी जगह को पसंद करने की उम्मीद कर सकती है? जब फूफू रोज़ी की बड़ी बेटी फलक दसवीं क्लास के और रफीस नौवीं क्लास के अंतिम चरण में थी, तब तक वह इस घर में ही रहती थी और उनका जीवन इतना समतल और शांत था कि मार्था ने कभी भी इस जगह को छोड़ने के बारे में नहीं सोचा। अगर फूफू और रोज़ी फूफी उन वर्षों के दौरान कुछ भी बूढ़े हो गए थे, तो किसी ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। हमारे लिए वे हमेशा एक जैसे थे और वास्तव में मार्था भी वैसी ही थी। फूफू किताबों का बहुत शौकीन थे, विज्ञान में बहुत पारंगत थे और उनका और फलक और राफिया का सबसे बड़ा आनंद यह था कि वे उनसे पढ़ाई करती थी। वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, पशु और कीट प्रकृति उनके अध्ययन के साथ फलक ने अपनी माँ से पियानो बजाना सीखा और राफिया ने फूफू से गाना सीखा और कुल मिलाकर सब बहुत खुश थे।

जैसा कि मैंने पहले कहा है कि वे सभी ख़ुशी भरे दिन थे। लेकिन यह सब ख़त्म होने वाला था। शुरुआती गर्मियों की एक सुबह-ओह! मुझे याद है कि यह 2 फरवरी का दिन था, फूफू और फूफी एक शादी में शामिल होने के लिए नैनीताल गए थे और जब वे लौट रहे थे, तो उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

मार्था, फलक और राफिया उस भारी दुख और वीरानी से स्तब्ध थीं जो उन पर आई थी। पहली स्पष्ट बात जो मुझे फलक ने बतायी थी और मुझे याद है कि बूढ़ी मार्था ने उससे कहा था कि उसे अपने पिता के एकमात्र मित्र, मेरे अब्बू को इस हादसे की तुरंत ख़बर करनी चाहिए, जिन्हें उसने कई बार देखा था जब वे मेरे फूफू जो की उनके मित्र थे और उनसे एक बार मिलने आये थे। फलक ने ऐसा किया लेकिन उस समय मेरे पिता व्यापार के लिए दुबई में थे। अब्बू को इस दुखद समाचार से अवर्णनीय रूप से सदमा लगा और दुख हुआ। निश्चित रूप से उन्हें बहुत दर्द हुआ और उन्होंने अपने दयालु हृदय को लड़कियों के प्रति सबसे कोमल और पिता के रूप में खोल दिया। उनकी अनुपस्थिति में मुझे अपनी फूफी को इस दुर्घटना के बारे में सूचित करने और उनसे मिलने का निर्देश दिया गया था। फूफी नफीसा और रोज़ी के बीच सम्बंध बहुत सौहार्दपूर्ण नहीं थे लेकिन वह अपने पति के खोने से बहुत दुखी हुई।

फिर अब्बू जल्दी वापिस लौटे और मेरी दिवंगत फूफा की दो पत्नियों फूफी और रोज़ी के बीच तनाव को जानते हुए, अब्बू ने मार्था को फुफु या रोज़ी फूफी के कुछ नजदीकी रिश्तेदारों के बारे में सोचने की सलाह दी और उनमें से किसी एक को लिखने को कहा कि जब तक कि लड़कियों के भविष्य के लिए कुछ योजना नहीं बन जाती, वह रिश्तेदार कुछ समय के लिए लड़कियों के साथ आकर रहे, क्योंकि वकीलों के लिए कुछ काम होगा और सभी मामलों को अच्छी तरह से व्यवस्थित करने से पहले बहुत कुछ किया जाना था।

लड़कियाँ अभी नाबालिग थीं और किसी को उनका अभिभावक नियुक करना था। फुफु की वसीयत का पता लगाया जाना था और जब यह सब हो रहा था, तब अब्बू ने कहा कि लड़कियों के साथ रहने और देखभाल के लिए कोई होना चाहिए, जो उन्हें खुश करे और उनके दुखी विचारों को किसी उज्ज्वल और पूरी तरह से अलग दिशा में मोड़ दे। मैंने देखा की लड़किया बहुत सुस्त, बहुत उदासीन महसूस कर रही थी।

ऐसे में मैं वहाँ कुछ दिन इन लड़कियों के पास रहा और उन्हें उनकी इस दुःख की घडी से निकलने में मदद की और उनकी पढ़ाई में मदद की ।

तभी फूफी शबनम अब्बू के पास आयी और कहने लगी भाईजान जहन तक मैं जानती हूँ आपके और मेरे इलावा मेरे मरहूम शौहर और उसकी दूसरी बीबी रोज़ी का कोई रिश्तेदार नहीं था और मेरे रहते अब इन बच्चियों की देखभाल की आप बिलकुल चिंता मत करें । ये मेरे मरहूम शौहर की बहुत प्यारी निशानिया है इनकी देखभाल और परवरिश की पूरी जिम्मेदारी अब मेरी है । इस तरह फुफु और उनकी दूसरी पत्नी रोज़ी की उस दुर्घटना में अचानक मौत के बाद शबनम फूफी ने अपनी सौतेली बेटियों फलक और राफिया (जिनके लिए फुफु ने कोई भी व्यवस्था नहीं की थी) की पूरी जिम्मेदारी संभाली और उन्हें अपनी बेटी नफीसा से अधिक प्यार दिया और मार्था की देखरेख में उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित किया।


जारी रहेगी
 
Last edited:

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 154


भाग्यशाली आदमी

"फलक और राफिया को हमे मनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई "नफीसा ने मुस्कुराते हुए कहा, जिसे सुन मैं फलक और रफ़ीया के पुराने इतिहास के अपने विचारो से बाहर आया, " सलमान! तुम्हें तो अच्छी तरह से पता है कि अम्मी के लिए फलक और राफिया कुछ भी करने को तैयार हैं। "

"हम्म"

नफीसा ने अपनी बात जारी राखी "उसी दोपहर, हम उनके कमरे में गयी और हमने देखा की दोनों आलिंगन में तुम्हार्रा नाम ले कराह रही थी। मैंने उन्हें बताया कि हम दोनों उनके बारे में बहुत चिंतित हैं और क्योंकि हम देख सकती थी कि उनकी प्राकृतिक इच्छाएँ उनके स्वास्थ्य और रूप को प्रभावित करने लगी थीं।"

ये बात सुन और हमे वहाँ देख फलक और राफ़िया बुरी तरह से लड़खड़ा गईं। फिर अम्मी ने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया और अपनी बाहों में ले लिया, कोमलता से चूमा और प्यार से कहा:

"मेरी प्यारी, मेरी बेटीयो, दुनिया में एकमात्र आदमी जिसे हम मानते हैं कि तुम प्यार करती हो, -तुम्हारा सलमान! कुछ दिनों के लिए यहाँ आ रहा है"

ये सुन फलक और राफ़िया बहुत शरमा गईं।

"अगर तुम उसे सहमत हो, तो नफीसा और मैं तुम्हारा साथ देंगे और उसे हमारे साथ ही रहने देंगे, ताकि हम सब कमरे में एक साथ रह सकें जहाँ हम तुम्हारी देखभाल कर सकें! क्या तुम सहमत हो, डार्लिंग?"

बेचारी फलक और राफ़िया को समझ में नहीं आया कि क्या कहें-वह भयानक रूप से हैरान थी!

"हाँ कहो, डार्लिंग," माँ ने प्यार से फुसफुसाया। 'धीरे-धीरे जवाब आया: "अगर आप चाहो, आंटी, हाँ!"' हम दोनों ने उसे गले लगाया, चूमा और शांत किया और अब सब ठीक है और तुम्हारा इन्तजार हो रहा है, हालाँकि दोनों बहुत डरी हुई है! सलमान, तुम एक "भाग्यशाली आदमी" बनने जा रहे हो! '

'बनने जा रहे हैं' मैंने उसे कोमलता से देखते हुए कहा, जैसे ही मेरा हाथ उसकी गोद में सरका और प्यार से उसके क्षेत्र को दबाया। 'क्या मैं पहले से ही ऐसा नहीं हूँ, क्योंकि मेरे पास इस खजाने का पूरा अधिकार है!'-और फिर से मेरा हाथ उसके यौन अंग पर टिक गया। 'और क्या यह किसी भी आदमी के लिए पर्याप्त भाग्यशाली होना नहीं है, और तुम मुझे सबसे सुंदर लड़कीयो का प्रेमी बनाने जा रही हो! नफीसा डार्लिंग, मैं तुम्हारा कभी भी पर्याप्त धन्यवाद कैसे कर सकता हूँ?'

नफीसा दुष्टता से हँसी। 'बस मेरे लिए थोड़ा-सा प्रेम बचा कर रखो, डार्लिंग,' उसने जवाब दिया-'हम तुमसे बहुत मेहनत करवाने वाली हैं, हाँ इसके अतिरिक्त मेरी दलाली मत भूलना!'

मैं हँसा। 'तुम जानती ही हो, अगर मुझमें सिर्फ़ एक बूँद बची हो और तुम उसे चाहती हो, डार्लिंग, तो तुम्हें मिल जाएगी! अब बताओ, तुम इस काम को कैसे करना चाहती हो?-क्या तुमने मेरे लिए भी घोड़ों की तरह काम के घंटे और अपॉइंटमेंट की लिस्ट बना रखी है या फिर मुझे तब तक सीढ़ियों पर बैठना है जब तक कोई दरवाज़ा न खुल जाए और मुझे अंदर आने का इशारा न किया जाए?'

नफ़ीसा ने हँसते हुए कहा। 'तुम्हें चाय के बाद अम्मी से यह सब तय करना होगा,' उसने कहा-'वह तुमसे बात करना चाहती है और मैंने तुम्हे अम्मी के साथ अकेले छोड़ने का इंतज़ाम कर लिया है, ताकि तुम दोनों को साथ छोड़ सकूँ। सलमान, मुझे लगता है कि अम्मी के इरादा है कि घर में दोपहर ढलते ही हम उसके बेडरूम में मिलेंगे, और वहीं शाम का कार्यक्रम तय करेंगे।'

इसके साथ ही कार फिर से चल पड़ी और कुछ पल में हम हवेली के दरवाज़े से अंदर चले गए। 'सलमान देखो वह , अम्मी वहाँ है...देखो, उसने फलक और राफिया का हाथ थाम लिया है ताकि वह तुमसे उन्हें मिलवा सके और देखो ...फलक और राफिया कैसे शरमा रही हैं!'

'हम तुम्हें देखकर बहुत खुश हैं, सलमान! मेरे प्यारे!' शबनम फूफी ने मेरे गाडी से उतरते ही कहा। 'हमें तुम्हारा सन्देश पाकर बहुत ख़ुशी हुई कि तुम आओगे!' और उसने मुझे गले लगा लिया और प्यार से चूमा, नफीसा को कुछ हद तक आश्चर्य हुआ, क्योंकि यह उसकी अम्मी की एक असामान्य कार्यवाही थी।

'तुम्हें नहीं पता कि मैं कितना खुश था, फूफी!' मैंने उसे सलाम करते हुए जवाब दिया। 'तुम कैसी हो, फलक और राफिया?-तुम बिल्कुल ठीक नहीं दिख रही हो!' मैंने उनके छोटे हाथों को अपने हाथों में लेते हुए उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा-'मुझे लगता है की अब वास्तव में मुझे ही तुम्हारा ख़्याल रखना चाहिए!' मैंने जारी रखा।

फिर राफिया और फलक को गले लगा कर पहली बार मैंने पहले राफिया फिर फलक के कुंवारे गालों को चूमा, जो अब शर्म से ढके हुए थे, दोनों पूरे घटनाक्रम को स्पष्ट रूप से मेरे इस सार्वजनिक चुंबन से कुछ परेशानी अनुभव कर रही थी। फूफी ने उन्हें प्यार से देखा, लेकिन मैं देख सकता था कि मेरी दुस्साहस और फलक और राफिया पर इसके प्रभाव को देखकर फूफी को मुस्कुराहट को दबाने में कठिनाई हो रही थी।

'सलमान को उसके कमरे में ले चलो, नफीसा,' शबनम फूफी ने कहा और प्यार से अभी भी शरमा रही फलक और राफिया के चारों ओर अपना हाथ फेरा।

'पांच मिनट में चाय तैयार हो जाएगी!' 'नफीसा ने कहा, जब हम मेरे कमरे में पहुँचे तो नफीसा हंसी से मेरे साथ लिपट गयी-' बेचारी फलक और राफिया' मैंने जवाब दिया, जैसे ही मैं उसकी ख़ामोश ख़ुशी में शामिल हुआ, 'यह सब एक अचानक प्रेरणा से हुआ और मुझे लगता है कि ये एक सुखद प्रेरणा थी!'

'बहुत सुखद प्रेरणा!' उसने बड़बड़ाया-फिर मेरी आँखों में कोमलता से देखते हुए ख़ुद को मेरे खिलाफ दबाया। मैंने उसकी इच्छा को भांप लिया और धीरे से फुसफुसाया, 'उंगली या जीभ, प्रिय?'

'उंगली!' उसने बड़बड़ाया-'अभी दूसरे के लिए समय नहीं है, लेकिन मुझे जल्दी से कुछ चाहिए!'

मैं तुरंत एक आरामकुर्सी पर बैठ गया और उसे अपने घुटनों पर ले गया और उसे चूमा और जैसे ही मेरा हाथ उसके कपड़ों के नीचे घुस गया और उसकी स्वादिष्ट टांगों पर चला गया, उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन के चारों ओर डाल दीं, अपने होंठ मेरे होंठों पर दबा दिए और अपनी जाँघों को मेरे हाथ की मदद करने के लिए फैला दिया जो उस समय उसकी चड्डी के अंदर घुस कर छेद की तलाश कर रहा था-जिसे मेरी ऊँगली ने जल्द ही पा लिया; फिर मेरी उत्सुक उंगलियाँ नफीसा की योनि के पहले से ही नम होंठों पर टिकी हुई थीं, जो अब यौन उत्तेजना से धड़क रही थीं और मुँह बना रही थीं। मुझे कसकर गले लगाते हुए, नफीसा अब मेरे घुटनों पर सबसे दिव्य तरीके से मचलने लगी क्योंकि उसने महसूस किया कि मेरी उंगली उसकी योनि में स्वादिष्ट उत्तेजना में घुस रही है और फिर चालाकी से उसके उत्तेजित भगशेफ पर हमला कर रही है।

'ओह! सलमान! ...ओह! ...डार्लिंग!' वह आनंदित परमानंद में टूट कर हांफने लगी-फिर मुझे अपने पास खींच कर उसने स्खलित होकर कहा, ' मैं आ रही हूँ! ...मैं आ रही हूँ! ...ओह! मैं गयी !!"

तुरंत मेरी उंगली उसके भगशेफ पर खेलने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके अंदर एक अवर्णनीय कंपन दौड़ गई-और फिर उसने अपने आनंदित आनंद में अपने सिर को मेरे कंधे पर गिराते हुए एक प्रचुर स्खलन के साथ मेरी उंगलीयो को भर दिया।

मैंने उसे तब तक आराम करने दिया जब तक कि वह अपनी आधी बेहोशी से उबर नहीं गई। जैसे ही वह अपने होश में आई, नफीसा ने एक लंबी सांस ली, धीरे से अपना सिर उठाया-फिर प्यार से मेरी ओर देखते हुए उसने मुझे अभी भी नम आँखों से देखा और भावुकता से मुझे चूमा और बुदबुदायी। 'ओह! डार्लिंग! यह अच्छा था!' और धीरे से मेरे घुटनों से उठी। अचानक वह झुकी और मेरे कान में फुसफुसायी, 'क्या मैं तुम्हारे साथ कुछ करूँ, सलमान?' उसी समय उसने अपना हाथ धीरे से मेरी पतलून के ऊपर रख दिया। मैं उसके स्पर्श से ख़ुशी से काँप उठा और लगभग प्रलोभन में पड़ गया, लेकिन ख़ुद पर इतना नियंत्रण बनाए रखा कि वह मुझे जो मीठा आनंद दे रही थी।

'नहीं, डार्लिंग!' मैंने कहा, 'मुझे यह बहुत पसंद आएगा, लेकिन मुझे आज रात और तुम चारो के लिए ख़ुद को बचाकर रखना होगा!'

'ओह, तुम बहुत अच्छे हो!' उसने फुसफुसाते हुए कहा-फिर मुझे फिर से चूमने के बाद उसने अपनी सामान्य आवाज़ में कहा, 'अब मैं तुम्हे चाय पर मिलूंगी अब मैं आज रात तक अच्छी तरह से रह सकती हूँ! ओह, सलमान! मुझे उम्मीद है कि तुम पहले मेरे पास आओगे!' और फिर अपने कमरे की तरफ़ चली गयी।

जब मैं डाइनिंग रूम में गया तब मैंने देखा कि शबनम फूफी, फलक और राफिया पहले से ही चाय की मेज पर थी। मुझे देखकर फलक और राफिया फिर से शरमा गईं और मुझे लगा कि शबनम फूफी मेरी ओर कुछ पूछताछ भरी नज़रों से देख रही हैं। 'नफीसा कहाँ है?' उन्होंने पूछा।

'मुझे उम्मीद थी कि वह यहाँ मिलेगी,' मैंने जवाब दिया-' वह मुझे मेरा कमरा दिखाने के बाद अपने कमरे में चली गई; फिर उसके कम की तरफ़ देख कहा -'उधर, वह आ रही है!'

हमने हँसी-मज़ाक किया। मैंने उन्हें दिल्ली और हवेली में मेरी अम्मी, खाला और मेरी बीवियों और बहनो के बारे में ताज़ा समाचार दिए और उन्होंने मुझे अपनी खेती, फ़सल, व्यापार और परिवार के बारे में विस्तार से बताया, क्योंकि मैं-मैं उनके ससुराल के परिवार को जानता था। फलक और राफिया कुछ खुल कर बात करने लगी थी और अब खुश दिख रही थी, इस तरह चाय ख़त्म हुई और जब हम उठे तो मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि फलक और राफिया की शर्म और हिचक गायब हो गए थे।


जारी रहेगी
 
Last edited:

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,925
116,021
304
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 154


भाग्यशाली आदमी

"फलक और राफिया को हमे मनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई "नफीसा ने मुस्कुराते हुए कहा, जिसे सुन मैं फलक और रफ़ीया के पुराने इतिहास के अपने विचारो से बाहर आया, " सलमान! तुम्हें तो अच्छी तरह से पता है कि अम्मी के लिए फलक और राफिया कुछ भी करने को तैयार हैं। "

"हम्म"

नफीसा ने अपनी बात जारी राखी "उसी दोपहर, हम उनके कमरे में गयी और हमने देखा की दोनों आलिंगन में तुम्हार्रा नाम ले कराह रही थी। मैंने उन्हें बताया कि हम दोनों उनके बारे में बहुत चिंतित हैं और क्योंकि हम देख सकती थी कि उनकी प्राकृतिक इच्छाएँ उनके स्वास्थ्य और रूप को प्रभावित करने लगी थीं।"

ये बात सुन और हमे वहाँ देख फलक और राफ़िया बुरी तरह से लड़खड़ा गईं। फिर अम्मी ने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया और अपनी बाहों में ले लिया, कोमलता से चूमा और प्यार से कहा:

"मेरी प्यारी, मेरी बेटीयो, दुनिया में एकमात्र आदमी जिसे हम मानते हैं कि तुम प्यार करती हो, -तुम्हारा सलमान! कुछ दिनों के लिए यहाँ आ रहा है"

ये सुन फलक और राफ़िया बहुत शरमा गईं।

"अगर तुम उसे सहमत हो, तो नफीसा और मैं तुम्हारा साथ देंगे और उसे हमारे साथ ही रहने देंगे, ताकि हम सब कमरे में एक साथ रह सकें जहाँ हम तुम्हारी देखभाल कर सकें! क्या तुम सहमत हो, डार्लिंग?"

बेचारी फलक और राफ़िया को समझ में नहीं आया कि क्या कहें-वह भयानक रूप से हैरान थी!

"हाँ कहो, डार्लिंग," माँ ने प्यार से फुसफुसाया। 'धीरे-धीरे जवाब आया: "अगर आप चाहो, आंटी, हाँ!"' हम दोनों ने उसे गले लगाया, चूमा और शांत किया और अब सब ठीक है और तुम्हारा इन्तजार हो रहा है, हालाँकि दोनों बहुत डरी हुई है! सलमान, तुम एक "भाग्यशाली आदमी" बनने जा रहे हो! '

'बनने जा रहे हैं' मैंने उसे कोमलता से देखते हुए कहा, जैसे ही मेरा हाथ उसकी गोद में सरका और प्यार से उसके क्षेत्र को दबाया। 'क्या मैं पहले से ही ऐसा नहीं हूँ, क्योंकि मेरे पास इस खजाने का पूरा अधिकार है!'-और फिर से मेरा हाथ उसके यौन अंग पर टिक गया। 'और क्या यह किसी भी आदमी के लिए पर्याप्त भाग्यशाली होना नहीं है, और तुम मुझे सबसे सुंदर लड़कीयो का प्रेमी बनाने जा रही हो! नफीसा डार्लिंग, मैं तुम्हारा कभी भी पर्याप्त धन्यवाद कैसे कर सकता हूँ?'

नफीसा दुष्टता से हँसी। 'बस मेरे लिए थोड़ा-सा प्रेम बचा कर रखो, डार्लिंग,' उसने जवाब दिया-'हम तुमसे बहुत मेहनत करवाने वाली हैं, हाँ इसके अतिरिक्त मेरी दलाली मत भूलना!'

मैं हँसा। 'तुम जानती ही हो, अगर मुझमें सिर्फ़ एक बूँद बची हो और तुम उसे चाहती हो, डार्लिंग, तो तुम्हें मिल जाएगी! अब बताओ, तुम इस काम को कैसे करना चाहती हो?-क्या तुमने मेरे लिए भी घोड़ों की तरह काम के घंटे और अपॉइंटमेंट की लिस्ट बना रखी है या फिर मुझे तब तक सीढ़ियों पर बैठना है जब तक कोई दरवाज़ा न खुल जाए और मुझे अंदर आने का इशारा न किया जाए?'

नफ़ीसा ने हँसते हुए कहा। 'तुम्हें चाय के बाद अम्मी से यह सब तय करना होगा,' उसने कहा-'वह तुमसे बात करना चाहती है और मैंने तुम्हे अम्मी के साथ अकेले छोड़ने का इंतज़ाम कर लिया है, ताकि तुम दोनों को साथ छोड़ सकूँ। सलमान, मुझे लगता है कि अम्मी के इरादा है कि घर में दोपहर ढलते ही हम उसके बेडरूम में मिलेंगे, और वहीं शाम का कार्यक्रम तय करेंगे।'

इसके साथ ही कार फिर से चल पड़ी और कुछ पल में हम हवेली के दरवाज़े से अंदर चले गए। 'सलमान देखो वह , अम्मी वहाँ है...देखो, उसने फलक और राफिया का हाथ थाम लिया है ताकि वह तुमसे उन्हें मिलवा सके और देखो ...फलक और राफिया कैसे शरमा रही हैं!'

'हम तुम्हें देखकर बहुत खुश हैं, सलमान! मेरे प्यारे!' शबनम फूफी ने मेरे गाडी से उतरते ही कहा। 'हमें तुम्हारा सन्देश पाकर बहुत ख़ुशी हुई कि तुम आओगे!' और उसने मुझे गले लगा लिया और प्यार से चूमा, नफीसा को कुछ हद तक आश्चर्य हुआ, क्योंकि यह उसकी अम्मी की एक असामान्य कार्यवाही थी।

'तुम्हें नहीं पता कि मैं कितना खुश था, फूफी!' मैंने उसे सलाम करते हुए जवाब दिया। 'तुम कैसी हो, फलक और राफिया?-तुम बिल्कुल ठीक नहीं दिख रही हो!' मैंने उनके छोटे हाथों को अपने हाथों में लेते हुए उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा-'मुझे लगता है की अब वास्तव में मुझे ही तुम्हारा ख़्याल रखना चाहिए!' मैंने जारी रखा।

फिर राफिया और फलक को गले लगा कर पहली बार मैंने पहले राफिया फिर फलक के कुंवारे गालों को चूमा, जो अब शर्म से ढके हुए थे, दोनों पूरे घटनाक्रम को स्पष्ट रूप से मेरे इस सार्वजनिक चुंबन से कुछ परेशानी अनुभव कर रही थी। फूफी ने उन्हें प्यार से देखा, लेकिन मैं देख सकता था कि मेरी दुस्साहस और फलक और राफिया पर इसके प्रभाव को देखकर फूफी को मुस्कुराहट को दबाने में कठिनाई हो रही थी।

'सलमान को उसके कमरे में ले चलो, नफीसा,' शबनम फूफी ने कहा और प्यार से अभी भी शरमा रही फलक और राफिया के चारों ओर अपना हाथ फेरा।

'पांच मिनट में चाय तैयार हो जाएगी!' 'नफीसा ने कहा, जब हम मेरे कमरे में पहुँचे तो नफीसा हंसी से मेरे साथ लिपट गयी-' बेचारी फलक और राफिया' मैंने जवाब दिया, जैसे ही मैं उसकी ख़ामोश ख़ुशी में शामिल हुआ, 'यह सब एक अचानक प्रेरणा से हुआ और मुझे लगता है कि ये एक सुखद प्रेरणा थी!'

'बहुत सुखद प्रेरणा!' उसने बड़बड़ाया-फिर मेरी आँखों में कोमलता से देखते हुए ख़ुद को मेरे खिलाफ दबाया। मैंने उसकी इच्छा को भांप लिया और धीरे से फुसफुसाया, 'उंगली या जीभ, प्रिय?'

'उंगली!' उसने बड़बड़ाया-'अभी दूसरे के लिए समय नहीं है, लेकिन मुझे जल्दी से कुछ चाहिए!'

मैं तुरंत एक आरामकुर्सी पर बैठ गया और उसे अपने घुटनों पर ले गया और उसे चूमा और जैसे ही मेरा हाथ उसके कपड़ों के नीचे घुस गया और उसकी स्वादिष्ट टांगों पर चला गया, उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन के चारों ओर डाल दीं, अपने होंठ मेरे होंठों पर दबा दिए और अपनी जाँघों को मेरे हाथ की मदद करने के लिए फैला दिया जो उस समय उसकी चड्डी के अंदर घुस कर छेद की तलाश कर रहा था-जिसे मेरी ऊँगली ने जल्द ही पा लिया; फिर मेरी उत्सुक उंगलियाँ नफीसा की योनि के पहले से ही नम होंठों पर टिकी हुई थीं, जो अब यौन उत्तेजना से धड़क रही थीं और मुँह बना रही थीं। मुझे कसकर गले लगाते हुए, नफीसा अब मेरे घुटनों पर सबसे दिव्य तरीके से मचलने लगी क्योंकि उसने महसूस किया कि मेरी उंगली उसकी योनि में स्वादिष्ट उत्तेजना में घुस रही है और फिर चालाकी से उसके उत्तेजित भगशेफ पर हमला कर रही है।

'ओह! सलमान! ...ओह! ...डार्लिंग!' वह आनंदित परमानंद में टूट कर हांफने लगी-फिर मुझे अपने पास खींच कर उसने स्खलित होकर कहा, ' मैं आ रही हूँ! ...मैं आ रही हूँ! ...ओह! मैं गयी !!"

तुरंत मेरी उंगली उसके भगशेफ पर खेलने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके अंदर एक अवर्णनीय कंपन दौड़ गई-और फिर उसने अपने आनंदित आनंद में अपने सिर को मेरे कंधे पर गिराते हुए एक प्रचुर स्खलन के साथ मेरी उंगलीयो को भर दिया।

मैंने उसे तब तक आराम करने दिया जब तक कि वह अपनी आधी बेहोशी से उबर नहीं गई। जैसे ही वह अपने होश में आई, नफीसा ने एक लंबी सांस ली, धीरे से अपना सिर उठाया-फिर प्यार से मेरी ओर देखते हुए उसने मुझे अभी भी नम आँखों से देखा और भावुकता से मुझे चूमा और बुदबुदायी। 'ओह! डार्लिंग! यह अच्छा था!' और धीरे से मेरे घुटनों से उठी। अचानक वह झुकी और मेरे कान में फुसफुसायी, 'क्या मैं तुम्हारे साथ कुछ करूँ, सलमान?' उसी समय उसने अपना हाथ धीरे से मेरी पतलून के ऊपर रख दिया। मैं उसके स्पर्श से ख़ुशी से काँप उठा और लगभग प्रलोभन में पड़ गया, लेकिन ख़ुद पर इतना नियंत्रण बनाए रखा कि वह मुझे जो मीठा आनंद दे रही थी।

'नहीं, डार्लिंग!' मैंने कहा, 'मुझे यह बहुत पसंद आएगा, लेकिन मुझे आज रात और तुम चारो के लिए ख़ुद को बचाकर रखना होगा!'

'ओह, तुम बहुत अच्छे हो!' उसने फुसफुसाते हुए कहा-फिर मुझे फिर से चूमने के बाद उसने अपनी सामान्य आवाज़ में कहा, 'अब मैं तुम्हे चाय पर मिलूंगी अब मैं आज रात तक अच्छी तरह से रह सकती हूँ! ओह, सलमान! मुझे उम्मीद है कि तुम पहले मेरे पास आओगे!' और फिर अपने कमरे की तरफ़ चली गयी।

जब मैं डाइनिंग रम में गया तब मैंने देखा कि शबनम फूफी, फलक और राफिया पहले से ही चाय की मेज पर थी। मुझे देखकर फलक और राफिया फिर से शरमा गईं और मुझे लगा कि शबनम फूफी मेरी ओर कुछ पूछताछ भरी नज़रों से देख रही हैं। 'नफीसा कहाँ है?' उन्होंने पूछा।

'मुझे उम्मीद थी कि वह यहाँ मिलेगी,' मैंने जवाब दिया-' वह मुझे मेरा कमरा दिखाने के बाद अपने कमरे में चली गई; फिर उसके कम की तरफ़ देख कहा -'उधर, वह आ रही है!'

हमने हँसी-मज़ाक किया। मैंने उन्हें दिल्ली और हवेली में मेरी अम्मी, खाला और मेरी बीवियों और बहनो के बारे में ताज़ा समाचार दिए और उन्होंने मुझे अपनी खेती, फ़सल, व्यापार और परिवार के बारे में विस्तार से बताया, क्योंकि मैं-मैं उनके ससुराल के परिवार को जानता था। फलक और राफिया कुछ खुल कर बात करने लगी थी और अब खुश दिख रही थी, इस तरह चाय ख़त्म हुई और जब हम उठे तो मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि फलक और राफिया की शर्म और हिचक गायब हो गए थे।


जारी रहेगी
Shaandar Mast Lajwab Hot Kamuk Update 🔥 🔥 🔥
 

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 155

किस्मत वाला

हमने हँसी-मज़ाक किया। मैंने शबनम फूफी, नफीसा, फलक और राफिआ को अपने दिल्ली दौरे की कुछ बातें और हवेली में मेरी अम्मी, खाला और मेरी बीवियों और बहनो के बारे में ताज़ा समाचार दिए और उन्होंने मुझे अपनी खेती, फ़सल, व्यापार और परिवार के बारे में विस्तार से बताया, क्योंकि मैं-मैं उनके ससुराल के परिवार को जानता था। फलक और राफिया कुछ खुल कर बात करने लगी थी और अब खुश दिख रही थी, इस तरह चाय ख़त्म हुई और जब हम उठे तो मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि फलक और राफिया की शर्म और हिचक गायब हो गए थे।

अपने वादे के अनुसार, नफीसा ने फलक और राफिया की बांह अपने हाथों में लेकर ड्राइंग रूम के दूसरे कोने में उनसे बाते करने लगी, जबकि मैं शबनम फूफी से बातें करता रहा और चूंकि मैं लंबे समय से वहाँ नहीं गया था, इसलिए हमने उसके बगीचे के बारे में बात की और मैंने शबनम से अनुरोध किया कि वह मुझे बगीचे में किए गए सुधार और नए फूल और पौधे दिखाए

उसने सब नए बदलाव दिखाए और नए लगे पौधे और वहाँ लगे फूलो की किस्मे दिखाई और उनके बारे में बताया । ऐसे ही, एक छायादार रास्ते पर, चलते चले बाते करते, हम काफ़ी दूर चले गए, जहाँ पेड़ों की ओट में किसी के लिए हमे देखना और हमारी बाचीत सु पाना संभव नहीं था । इसलिए मैं थोड़ा और खुलकर आगे बढ़ा। "शबनम निश्चित रूप से तुम, प्यार में हो। मैं तुम्हारी तरल आंखों और धड़कती उभरी हुई छाती से यह बता सकता हूँ।"

उसकी सुंदर ढली हुई छाती के बारे में मेरे संकेत पर उसके चेहरे पर लाल रंग की लाली छा गई, लेकिन यह स्पष्ट रूप से सुखद था और उसके चंचल शब्दों से यह अनुमान लगाना कि "ओह! सलमान, कुछ शर्म करो!"

फिर शबनम मुड़ी और वहाँ कुछ झाडिया थी उनमे चली गयी और मैं उसके पीछे-पीछे चला गया। जैसे ही हम उस झाड़ियों के झुण्ड में पहुँचे, मैंने अपनी बात दोहराई, "सच शबनम निश्चित रूप से तुम, प्यार में हो। " शबनम पहले शर्मायी फिर अपने बाहे खोली और अपनी खूबसूरत आँखों में प्यार लिए मेरी ओर आई, मुझे अपनी ओर खींचा और प्यार से मुझे चूमा, फुसफुसाते हुए बोली, 'सलमान! हम बेचारी महिलाओं की मदद के लिए आना बहुत तुम्हारा अच्छा काम है-लेकिन तुमने ऐसा क्या किया सोच लिया है?'

मैंने भी प्यार से उसके चुंबन का जवाब दिया, फिर अपनी बांह उसकी कमर के चारों ओर घुमाई और उसे वहाँ दो लोगों के लिए बने एक बेंच पर ले गया, जहाँ हम दोनों ने एक-दूसरे के साथ बहुत ही सुखद और अंतरंग ढंग से एक-दूसरे से चिपक गए। 'मैं सिर्फ़ एक ही बात सोच सकता हूँ, शबनम फूफी,' मैंने उसकी आँखों में देखते हुए धीरे से कहा-'तुम, नफीसा और फलक और राफिया वाकई फ़रिश्ते हैं।'

वह हँसी और शरमा गई, फिर फुसफुसाते हुए बोली, 'तुमने आते ही मुझे शबनम कहा-मैं तुम्हारे लिए शबनम ही रहना चाहती हूँ और चाहती हूँ तुम मुझे सिर्फ़ शबनम ही पुकारो क्योंकि अब हम इतने...इतने...अंतरंग होने जा रहे हैं!' उसने मुझे अपनी ओर खींचा और शरमाती हुई शबनम के गले में अपनी बाहें डालकर मैंने उसके लाल होठों को चूमा और उसे अपने पास खींचते हुए कहा, "अब, शबनम, प्रिय, मैं इन खूबसूरत होठों को चूमे बिना नहीं रह सकता, जिन्हें मैं तब से हमेशा चूमता था जब हम छोटे थे; अब तुम्हें सब कबूल करना होगा, उसके बाद ही मैं तुम्हें जाने दूँगा।"

"लेकिन मेरे पास कबूल करने के लिए कुछ भी नहीं है।"

"क्या तुम कह सकती हो कि मेरा तुम्हारे लिए प्यार तुम्हारे सीने के लिए अजनबी है, तो मेरी तरफ़ देखो," मैंने अपने हाथ को उसके गले में तब तक रखा जब तक कि मेरा दाहिना हाथ उसकी छाती के एक उभरे हुए गोले पर नहीं आ गया। उसने अपना चेहरा मेरी तरफ़ घुमाया, जो पहले से कहीं ज़्यादा लाल हो गया था, जैसे कि उसकी गहरी आँखें मेरी आँखों से मिलीं, मेरे मतलब की निडर खोज में, लेकिन इस मूक अपील के जवाब में बोलने के बजाय, मैंने उसे उत्साहपूर्वक चूमा, उसकी मीठी साँसों की ख़ुशबू को तब तक चूसा जब तक कि वह भावनाओं से काँप नहीं उठी। शाम होने ही वाली थी, मेरे हाथ उसकी खूबसूरत गर्दन के सफ़ेद, दृढ़ मांस को सहला रहे थे, धीरे-धीरे नीचे की ओर उभरे हुए स्तनों की ओर बढ़ रहे थे; अंत में मैंने फुसफुसाते हुए कहा, "वाह क्या बढ़िया, क्या सुंदर स्तन विकसित हुए हैं?"

वह गर्म थी और जलती हुई लग रही थी, भावनाओं का रोमांच हम दोनों में फैल रहा था और कई क्षणों तक वह मेरी बाहों में लगभग गतिहीन पड़ी रही, उसका एक हाथ मेरी जांघ पर टिका हुआ था। मेरा लिंग भी जाग गया था और काम के लिए तैयार था।

कुछ देर बाद उसने मुझे चूमा और ख़ुद को आज़ाद किया। 'मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ, सलमान-तुम्हें और मुझे सब कुछ व्यवस्थित करना है! नफीसा ने मुझे बताया है कि तुम...प्रेम के इस खेल में सहयोग करोगे! अब क्या तुम कुछ सुझा सकते हो?'

'मैं ख़ुद को तुम्हारे हाथों में छोड़ना चाहता हूँ, शबनम डार्लिंग,' मैंने कहा, मेरे सम्बोधन के तरीके पर उसकी ख़ुशी को देखते हुए। 'मुझे यक़ीन है कि तुमने और नफीसा ने मामले पर चर्चा की होगी और तुम्हारे पास कोई न कोई योजना ज़रूर होगी और प्यारी-सी फलक और राफ़िया है, जो तुम दोनों से अलग है-मुझे यक़ीन है कि तुम उसके कौमार्य खोने का इंतज़ाम मुझसे बेहतर तरीके से कर सकती हो! लेकिन मुझे बताओ, शबनम, क्या फलक और राफिया वाकई अपनी कौमार्य को मुझे सौंपने के लिए तैयार हैं?-यह अविश्वसनीय लगता है!'

'वह वाकई तैयार है, सलमान,' शबनम फूफी ने जवाब दिया; 'तुम्हारे पास उनका दिल हैं और तुम उनके प्यार हो, सलमान और वह तुम्हें अपना शरीर, अपना कौमार्य, अपना सब कुछ देने के लिए बिल्कुल तैयार है! और सलमान, मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, और स्वेच्छा से ख़ुद को तुम्हें सौंपती हूँ!' और मुझे अपनी ओर खींचते हुए उसने मुझे जोश से चूमा।

मैं बहुत भावुक हो गया। 'मेरे पास यह कहने के लिए शब्द नहीं हैं कि मैं क्या महसूस कर रहा हूँ, शबनम डार्लिंग,' मैंने उसके कान में फुसफुसाया-'लेकिन क्या मुझे आज रात तुम्हें यह दिखाने का मौका मिल सकता है कि मैं तुम्हारी इस अद्भुत दयालुता और प्यार की कितनी सराहना करता हूँ!'

... मैंने जवाब दिया और उसे अपने पास खींचा ताकि वह फुसफुसा सके-क्योंकि मैं जानता था कि वह फुसफुसाकर ही वह कह सकती है जो वह सामान्य तरीके से नहीं कह सकती और उस मधुर अंतरंगता को दर्शाने के लिए जिसमें उसने मुझे अब स्वीकार कर लिया था, मेरा खुला हाथ उसकी छाती की ओर बढ़ा और प्यार से उसके कामुक वक्ष पर फिरने लगा।

जारी रहेगी
 

aamirhydkhan

Active Member
961
2,119
139
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 156

प्रेम के खेल का कार्यक्रम बना

मैं बहुत भावुक हो गया। 'मेरे पास यह कहने के लिए शब्द नहीं हैं कि मैं क्या महसूस कर रहा हूँ, शबनम डार्लिंग,' मैंने उसके कान में फुसफुसाया-'लेकिन क्या मुझे आज रात तुम्हें यह दिखाने का मौका मिल सकता है कि मैं तुम्हारी इस अद्भुत दयालुता और प्यार की कितनी सराहना करता हूँ!'

... मैंने जवाब दिया और उसे अपने पास खींचा ताकि वह फुसफुसा सके-क्योंकि मैं जानता था कि वह फुसफुसाकर ही वह कह सकती है जो वह सामान्य तरीके से नहीं कह सकती और उस मधुर अंतरंगता को दर्शाने के लिए जिसमें उसने मुझे अब स्वीकार कर लिया था, मेरा खुला हाथ उसकी छाती की ओर बढ़ा और प्यार से उसके कामुक वक्ष पर फिरने लगा।

शबनम ने फिर कहना शुरू किया। ', सलमान कि सभी नौकर हवेली में अलग से नौकरो के लिए अलग से बने कमरों में सोते हैं, जिससे हवेली के मुख्य भाग में हम अकेले रह जाते हैं। नौकरो के कमरे ऐसे स्थान पर हैं कि वे रात में हमारे कमरे की रोशनी नहीं देख सकते और वे जानते हैं कि मैं कभी-कभी सोने के बाद घंटों पढ़ती रहती हूं-क्योंकि मैं अकेली होती हूँ!' उसने शरमाते और मुस्कुराते हुए कहा। 'भोजन के बाद जब नौकर अपने कमरों में चले जाते हैं तब रात में लगभग नौ बजे तक घर बिल्कुल शांत हो जाता है। मेरा विचार है कि हमारे अपने कमरों में बारी-बारी तुमसे मिलने के बजाय, हम सभी को मेरे बेडरूम में मिलना चाहिए जिससे हममे से किसी को कोई ईर्ष्या नहीं होगी-सभी कुछ कमोबेश उसी समय सब की उपस्थिति में शुरू किया जाएगा-और यह भावना कि आननद के लिए हर कोई दूसरों की मदद कर रहा है और अपनी उपस्थिति से कार्यवाही की रोचकता में योगदान दे रहा है, हमारे आनंद में उत्साह भर देगी। यह तुम्हें कैसा लगा?-मुझे तुम्हारे होठों पर मुस्कान दिख रही है!'

'मुझे तुम्हारा विचार सबसे आकर्षक लगा,' मैंने उसे प्यार से देखते हुए और उसके वक्ष के उभार के साथ प्रेमपूर्वक खेलते हुए उत्तर दिया-'मैं अपने थोड़े से अनुभव से यह जानता हूँ कि एक औरत के होने का आनंद... दूसरी लड़की की उपस्थिति से कितना बढ़ जाता है। लेकिन हमारा मामला इससे बहुत अधिक असाधारण है और इसकी ख़ासियत ने मुझे बहुत रोमांचित किया है!'

'किस तरह से?' उसने पूछा।

मैंने कुछ सोचा। क्या मैं साफ़-साफ़ शब्दों का इस्तेमाल करूँ? ' मैंने पूछा।

'निश्चित रूप से, सलमान,' उसने संकोची मुस्कान और शर्मिंदगी के साथ उत्तर दिया।

'ठीक है, शबनम, तुम और नफीसा माँ और बेटी हो-बहुत कम बेटियाँ अपनी माँ की आँखों के सामने ...चुदती हैं और बहुत कम माँएँ अपनी बेटियों को उन्हें चुदते हुए देखने देती हैं! क्या तुम्हें यक़ीन है कि तुम और नफीसा इसका बुरा नहीं मानेंगी? मैं इस पर ज़ोर दूँगा कि तुम उस समय मेरे साथ बिल्कुल नंगी रहो!'

'बिलकुल!' शबनम ने दृढ़ता से उत्तर दिया-लेकिन वह बुरी तरह से शरमा गई। मैंने उसे प्यार से चूमा।

'यह बहुत मजेदार होगा!' मैंने प्रसन्नता से कहा और मैंने महसूस किया कि उसके अंदर एक संवेदनशील कंपन दौड़ गई। मुझे याद आ गया की कैसे मैंने खाला इकरा और उनकी बेटी, मेरी कजिन और बीवी रुखसार की एक साथ और दूसरे के सामने चुदाई की थी। और कैसे मैंने अम्मी के कहने से अपनी बहन रुखसाना आपा की अपनी अम्मी के सामने चुदाई की थी और इससे हमारे सम्बन्ध कितने प्रगाढ़ हुए थे । ये सब याद कर मेरे लिंग कड़ा हो गया था ।

मैंने आगे कहा। 'अब हम फ़लक और राफ़िया पर आते हैं। साफ़-साफ़ कहूँ तो, मुझे उन्हें लड़की से औरत बनाने का सौभाग्य मुझे मिलना है-है न शबनम?'

'यही सच है, सलमान,' उसने धीरे से, बहुत शरमाते हुए उत्तर दिया।

'क्या वह सार्वजनिक रूप से अपना कौमार्य मुझे समर्पित करने के लिए सहमत होगी, या वह अपने कमरे की गोपनीयता और मेरे साथ अकेले अपना कौमार्य खोना पसंद नहीं करेगी?'

'मुझे ऐसा नहीं लगता, सलमान,' शबनम ने मेरी ओर गंभीरता से देखते हुए उत्तर दिया; 'सलमान तुम जानते हो फलक और रफिया में से फलक बड़ी है, पर फिर भी दोनों अभी कमसिन है और बहुत डरपोक और घबराई हुई है और वास्तव में नफ़ीसा और मुझे दोनों को लगा कि वह राहत महसूस कर रही थी जब हमने उसे बताया कि उनका कौमार्य बहनड़ किये जाते समय हम उनकी देखभाल करने के लिए उनके पास ही मौजूद रहेंगी!'

'तो, शबनम, मुझे लगता है कि तुम्हारा विचार वास्तव में शानदार है और मैं इसके लिए तैयार हूँ। मैं सिर्फ़ एक सुझाव देना चाहूँगा-हममें से किसी एक को हर शाम कार्यवाही का निर्देशन करने और यह बताने के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए कि क्या किया जाना है और बाक़ी लोगों को पूरी तरह से उनके प्रति आज्ञाकारिता दिखानी पड़ेगी। हर शाम जब हम तुम्हारे कमरे में मिलें, तो ताश के पत्ते बाँटें और जिसके पास भी हुकुम का इक्का होगा, वह उस शाम की रानी या राजा होगा।'

'ओह, सलमान! क्या बढ़िया विचार है!' उसने ख़ुशी से कहा-'तो हम हर मुलाक़ात को एक नियमित मौज-मस्ती बना सकते हैं!'

मैंने उसे चूमा। 'मुझे यक़ीन है कि तुम सबको यह खेल इस प्रकार खेलने में मज़ा आएगा! एक और सवाल-क्या हम आज शाम मिलेंगे?'

वह शरमा गई। 'हमने सोचा कि हम ऐसा कर सकते हैं, सलमान, अगर तुम तैयार हो और अपनी यात्रा के बाद बहुत थके हुए नहीं हो!'

'शबनम, अगर किसी तरह की कोई थकान होती तो भी मिट गयी होती, क्योंकि तुम्हें तुम्हारी पूरी नग्न सुंदरता में देखने और तुम्हें अपनी बाहों में लेकर आनंद मिलने की संभावना ही सारी थकान को दूर करने के लिए पर्याप्त है, पर सचाई ये है कि मुझे कोई थकान नहीं है। इसलिए हम मिलेंगे!' और शबनम ने मुझे ख़ुशी से चूमा।

'क्या फलक और राफिया को आज शाम को...अपना कौमार्य खोना है, या तुम यह प्रस्ताव रखती हो कि ये कल के लिए बचा लिया जाए और आज रात तुम्हारे और नफीसा द्वारा उसे थोड़ा शिक्षित किया जाए? तुम क्या सोचती हो, शबनम?'

'हमने सोचा कि हम इसे तुम पर छोड़ देंगे, सलमान,' उसने जवाब दिया, -'हमने सोचा कि तुम्हें चुनने का अधिकार होना चाहिए।'

मैंने उसे अपने पास खींचा। 'तो हम कल रात फलक के लिए और फिर उससे अदली रात राफिया के लिए रखते हैं, डार्लिंग और मैं आज रात ख़ुद को तुम्हारे और नफीसा को समर्पित करूंगा। लेकिन हम आज रात फलक और राफिया ख़ुद को हमारे सामने नग्न दिखाएंगी-और उनके सामने हमारी प्रेमपूर्ण शरारतें निश्चित रूप से उनके कुंवारीपन को उत्तेजित करेंगी, और वे इस प्रेम को प्राप्त करने की लालसा करेगी। अब शबनम प्रिय, बस एक बात और; क्या तुम्हें कोई आपत्ति होगी अगर मैं पहले नफीसा को और फिर तुम्हें?'

'बिलकुल नहीं, सलमान,' शबनम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया-'मुझे लगता है कि तुम्हें ऐसा करना चाहिए, खासकर अगर वह ऐसा चाहती है।' 'मुझे यक़ीन है कि वह ऐसा चाहती है, क्योंकि वह वासना से बहुत पागल है!' मैंने कहा। 'तुम्हारे मेरी बाहों में होने का दृश्य, परमानंद से कांपते हुए, शायद उसे पागल कर देगा! इसके अलावा, शबनम, फ़लक और राफ़िया के लिए यह बेहतर होगा कि जब वह पहली बार चुदाई... देखेगी तो तुम उन दोनों के साथ हो!' (शबनम ने मुझे उत्साह से चूमा) । 'मैं नफ़ीसा के साथ ऐसा ही करूँगा-फिर हम फ़लक और राफ़िया के साथ थोड़ा खेलेंगे और हमें उत्तेजित करने के लिए उसके नग्न आकर्षण का उपयोग करेंगे-और फिर, मेरे प्रिय, तुम और मैं एक लंबी मीठी चुदाई करेंगे!' (शबनम ने फिर मुझे जोश से चूमा।)

'फिर मीटिंग ख़त्म करने के बाद मैं वापस तुम्हारे पास चली आउंगी और हम मधुर समय साथ में बिताएँगे! अब, एक आखिरी चुम्बन, औरआप नफीसा को ले जाओ और उसे बताओ कि हमने क्या तय किया है-मैं फ़लक और राफ़िया का मनोरंजन करूँगा जिससे वे मेरे साथ और सहज हो जाएँ; तुम फलक को यह भी बता दो कि कल रात उसके सेक्स जीवन की शुरआत के लिए आरक्षित रखी गयी है-जिससे वह आज रात ज़्यादा सहज रहेगी और हम उसे इस बात से उत्तेजित करने के लिए इस्तेमाल करेंगे। अब, शबनम डार्लिंग!' और फिर एक लंबे जोशीले चुम्बन के बाद, होंठों से होंठ मिलाते हुए, हम बगीचे में टहलने लगे। जैसा तय किया था हम लौटे तब तक लड़किया अपने कमरों में चली गयी थी और, शबनम नफीसा के कमरे की तरफ़ चली गयी ।

जारी रहेगी
 
Top