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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Localmusafir

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ले करले जासूसी और, भईए जब समर ने मना करा था ना तुझको की बाहर मत निकलना तो कौनसे कीड़े काट रहे तुझे अंदर जो बाहर आ गया।
अब भुगत ।।
शिविका ने नहीं बताया होगा, शायद।
कोई डील तो नहीं हो रही श्रेय और पोलिस अधीक्षक की?
समर का काम बढ़ा दिया इसने तो।
इतने सांप तो सांप सीढ़ी मैं नहीं आते जितने मनीष के जीवन में आ रहे है।

बहुत ही रोमांचक होती जा रही है कहानी।
अदभुत रिकी भाई
 

Ajju Landwalia

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#अपडेट ३१


अब तक आपने पढ़ा -


फिर यही तय हुआ, और अगले दिन शाम में उसको निकलना था। अगला दिन भी होटल में रह कर ही बिताया मैने, समर ने मुझे ज्यादा बाहर न घूमने की सलाह दी थी। शाम को जाने से पहले वो मुझसे मिलने आया, और जाते जाते उसने मुझे एक चिट्ठी पकड़ाई....


अब आगे -


मैने उसे सवालिया नजरों से देखा।


"ये शिविका की है।"


"तुमने बताया उससे कि मैं.."


"तुम्हारे जाने के बाद जब वो मुझसे मिलने आई थी तब ही दी थी उसने, कहा था कि मैं पक्का तुम्हारे टच में हूं तो ये चिट्ठी कभी न कभी तुमको मिल जाएगी। इसीलिए मैने दे दी तुम्हे।"


मैने उसे खोल कर पढ़ना शुरू किया।



मनीष,


कैसे कहूं ये समझ नहीं आ रहा, इसीलिए इस चिट्ठी का सहारा ले रही हूं।


मनीष हमारे घर में शादी ब्याह के मामले में बड़ों की राय ही सबसे महत्वपूर्ण है। मगर मुझे बड़े होते ही ये बताया गया कि मेरी और तुम्हारी शादी होगी, पहले तो मैं इसके खिलाफ थी, मगर जब तुम यहां आए और मैने तुमको जाना, तुम्हारे लिए मेरे मन में प्यार अंकुरित होने लगा था। याद है एक बार मैने तुमको कहा था कि सबसे पहले मुझे बताना अगर जो तुम्हे कोई पसंद आए तो। मगर शायद तुम समझे नहीं।


खैर, प्यार पर किसका जोर चलता है। तुम्हारे जीवन में नेहा आई और तुम उससे प्यार बैठे। सच कहती हूं जब मुझे ये पता चला, मेरा दिल बहुत बुरी तरह से टूट गया था। मगर तुम्हारी खुशी अगर जो नेहा में थी, तो मैं कौन होती हूं बीच में आने वाली। श्रेय ने मुझे कई बार अपनी बात बताने के लिए कहा, मगर मैने तुम्हारी खुशी को देखते हुए कभी ये बात तुमसे कहने की हिम्मत नहीं जुटाई।


ये चिट्ठी भी अभी मैने तुमको ये बताने के लिए नहीं, बल्कि ये कहने के लिए लिखी है कि भले ही दुनिया तुमको गलत समझ रही हो, मगर मैं तुमको बिल्कुल गलत नहीं मानती, और मैं हर समय तुम्हारे साथ खड़ी हूं। इस सबके पीछे जो कोई भी है, कोई हमारी कंपनी का ही है। याद है तुम्हे उस दिन चाचा ने फोन करके तुमको बुलाया था और कहा था कि तुम्हे फंसाया जा रहा है इन सब में, और उसके बाद जैसे ही तुम आए उनके ऊपर हमला हो चुका था।


उस समय मैं चाची से किसी काम से मिलने आई थी, और वो तुमसे बात कर रहे थे। मैं पूछना चाहती थी कि क्या हुआ है, मगर तब तक मां ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया, और मैं पूछ भी नहीं पाई और चाचा जी इस हालत में आ गए। इस बात का मैं खुद को गुनाहगार मानती हूं मनीष। इसीलिए तुम मुझे बताओ, जो होगा मैं करूंगी उसको बेनकाब करने के लिए।


मुझे पता है कि नेहा ने जो तुम्हारे साथ किया उससे शायद मुझ पर क्या किसी पर भी तुम्हारा विश्वास करना कठिन है, लेकिन मैं आज भी तुम्हे एक दोस्त के रूप में देखती हूं और तुम्हारी हर संभव मदद करना चाहती हूं।


तुम्हारी हमेशा


शिविका



चिट्ठी पढ़ कर मुझे एक और झटका लगा, मित्तल सर ने मुझे फोन किया था?


मैने फौरन समर से पूछा, "मित्तल सर का फोन रिकॉर्ड चेक किया था तुमने?"


"हां, मगर क्यों?"


"उनका लास्ट कॉल किसे था?"


"तुमको।"


"मगर मैने तो उनका कोई कॉल रिसीव नहीं किया?"


"क्या?" अब चौंकने की बारी समर की थी। "अच्छा रुक दो मिनिट।" ये बोल कर वो किसी को फोन लगाने लगा।


पांच मिनिट बाद उसने मुझे एक रिकॉर्डिंग सुनवाई।



"हेलो मनीष?" मित्तल सर


"ह्म्म्म"


"बेटा जल्दी घर आओ, तुमको इन सब में फंसाया जा रहा है बेटा, यहां आओ मैं सब बताता हूं तुमको।


"ह्म्म्म"



इतनी ही रिकॉर्डिंग थी।


समर, "ये ही आखिरी कॉल थी तुम्हारे फोन पर, और मित्तल सर के फोन से भी। तुम्हारा फोन जो रिकॉर्डिंग पर डाला था उसमें आखिरी रिकॉर्डिंग यही हुई थी, फिर मैने बंद करवा दिया था। वैसे भी ये अनऑफिशियल था।"


"मगर मैने ये कॉल नहीं ली।"


"अच्छा चलो अभी फिलहाल तो मुझे उज्जैन से आने दो, पहले इस बिट्टू का पता लगाना जरूरी है। फिर इस कॉल का रहस्य भी सुलझाया जाएगा। और हां अपना ख्याल रखना, और बाहर कम से कम निकलना, मैं आता हूं 2 3 दिन में।" ये बोल कर समर निकल गया। जाते जाते उसने मुझे फिलहाल शिविका से मिलने को मना किया था।


अगले दिन मैं बैठा बोर हो रहा था तो दोपहर में फिर एक बार हॉस्पिटल के लिए निकल गया। और वहीं उसी वेटिंग रूम में शाम तक बैठ कर देखता रहा। आज मित्तल सर को देखने महेश अंकल और दोनो आंटी आईं थी।


अगले दिन मैं फिर से वहां चला गया। आज फिर शिविका आई थी, और फिर वो किसी को ढूंढ रही थी। उसकी नजर एक बार फिर मुझ पर टिकी, और वो कुछ देर ध्यान से मुझे देखती रही। तभी श्रेय ने उसके कंधे पर हाथ रखा, और वो दोनों फिर मित्तल सर के कमरे में चले गए।



थोड़ी देर बाद शिविका बदहवास सी कमरे से निकल कर नर्स को अंदर बुला ले गई, और नर्स ने भी फौरन किसी को कॉल किया....

Bahut hi umda update he Riky007 Bhai,

Shivika ke man me manish ke liye abhi bhi soft corner he...........

Manish ke phone ki cloning ho chuki thi un dino..............ye shayad samar bhi na padak paya tha........

Ab mittal sir ko kya ho gaya..........shayad unko hosh aa gaya he............

Keep rocking Bro
 
Last edited:

Ajju Landwalia

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#अपडेट ३२

अब तक आपने पढ़ा -

अगले दिन मैं फिर से वहां चला गया। आज फिर शिविका आई थी, और फिर वो किसी को ढूंढ रही थी। उसकी नजर एक बार फिर मुझ पर टिकी, और वो कुछ देर ध्यान से मुझे देखती रही। तभी श्रेय ने उसके कंधे पर हाथ रखा, और वो दोनों फिर मित्तल सर के कमरे में चले गए।

थोड़ी देर बाद शिविका बदहवास सी कमरे से निकल कर नर्स को अंदर बुला ले गई, और नर्स ने भी फौरन किसी को कॉल किया....

अब आगे -



अब उस तरफ थोड़ी आगरा तफरी मची हुई थी। मेरा दिल भी किसी अंजानी आशंका से घिर गया था। कुछ देर बाद पूरी मित्तल फैमिली भी आ चुकी थी।

मैं भी उठ कर थोड़ा उस तरफ गया और सुनने की कोशिश की क्या हो रहा है। पता चला कि मित्तल सर कोमा से बाहर आ गए थे। ये सुन मुझे बहुत राहत मिली कि अब कम से कम सच बाहर आयेगा।

आज का दिन भी बीत गया। समर ने अभी तक मुझे कोई फोन नहीं किया था।

अगले दिन फिर से मैं वैसे ही जा कर हॉस्पिटल में बैठ गया। कल मित्तल सर को होश आने के बाद अभी उनको डॉक्टर ने किसी भी तरह के स्ट्रेस से दूर रखने को कहा था, इसीलिए पुलिस का स्टेटमेंट।नहीं हुआ था। आज पुलिस स्टेटमेंट लेने वाली थी।

दोपहर में पुलिस को हलचल बढ़ी हॉस्पिटल में और थोड़ी देर बाद एक SP रैंक का ऑफिसर आया उनके कमरे में जाने के लिए। शायद यही SP अमरकांत थे, इस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर। थोड़ी देर बाद वो मित्तल सर के कमरे में जाते हैं, और वहां पर पहले से मौजूद शिविका और मित्तल सर की पत्नी बाहर आते हैं।

वो दोनों भी आ कर इधर ही बैठ जाते हैं, लेकिन मुझसे थोड़ा दूर, जहां से हम लोग एक दूसरे को देख तो सकते थे मगर हमारी बात नहीं हो सकती थी। शिविका आंटी से बात करते हुए मुझे ही देख रही थी। कुछ देर बाद अमरकांत रूम से निकले और वो दोनों उनके पास जा कर कुछ बात करने लगे। फिर अमरकांत चले गए और वो दोनों भी मित्तल सर के कमरे में चले गए। जाते जाते एक बार फिर शिविका ने मेरी ओर देखा। इसके बाद फिर दिन भर कुछ खास नहीं हुआ।

अगले दिन फिर वही सिलसिला चला। आज समर को गए हुए चौथा दिन था, मगर मेरी उससे कोई बात नहीं हुई थी। शाम को शिविका वापस जाने हुए फिर से मुझे देखा, और इस बात वो थोड़ा मुस्कुराई, और चली गई।

मुझे बैठे हुए बहुत देर हो गई थी, तो मैं भी अपनी जगह से उठा और बाहर की ओर जाने लगा।

वेटिंग रूम से बाहर निकलते ही एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा, और मैने घूम कर देखा। ये एक इंस्पेक्टर था।

"चलिए मनीष बाबू, बहुत भाग लिए अब आप।"

उसके इतना कहते ही दो लोग सादे कपड़ों में मेरे आजू बाजू खड़े हो गए।

"चुपचाप इन दोनों के साथ नीचे जाइए, हम अभी हॉस्पिटल में आपको गिरफ्तार करके कोई हंगामा नहीं करना चाहते, और वैसे भी sp साहब ने आपको चुपचाप लाने कहा है पुलिस स्टेशन में।" वो इंस्पेक्टर फिर से बोला।


मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....

Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,

Mittal sir ko hosh aa gaya aur unka statement bhi record ho gaya he.........

Manish ki jayada hoshiyari ne hi use police se pakdwa diya.............shayad shivika ke kehne par.........

Lekin ab sawal ye ki hi ki mittal sir ne asli hamlawar ka naam bataya bhi ya nahi..........

Keep rocking Bro
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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ले करले जासूसी और, भईए जब समर ने मना करा था ना तुझको की बाहर मत निकलना तो कौनसे कीड़े काट रहे तुझे अंदर जो बाहर आ गया।
अब भुगत ।।
शिविका ने नहीं बताया होगा, शायद।
कोई डील तो नहीं हो रही श्रेय और पोलिस अधीक्षक की?
समर का काम बढ़ा दिया इसने तो।
इतने सांप तो सांप सीढ़ी मैं नहीं आते जितने मनीष के जीवन में आ रहे है।

बहुत ही रोमांचक होती जा रही है कहानी।
अदभुत रिकी भाई
चूल है उसे, अब से शायद सही हो जाय ये।

पर कोई भरोसा नहीं है मनुष्य की जिज्ञासा का 😌

धन्यवाद मुसाफिर भाई 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bahut hi umda update he Riky007 Bhai,

Shivika ke man me manish ke liye abhi bhi soft corner he...........

Manish ke phone ki cloning ho chuki thi un dino..............ye shayad samar bhi na padak paya tha........

Ab mittal sir ko kya ho gaya..........shayad unko hosh aa gaya he............

Keep rocking Bro
जी होश आ गया है उनको।
Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,

Mittal sir ko hosh aa gaya aur unka statement bhi record ho gaya he.........

Manish ki jayada hoshiyari ne hi use police se pakdwa diya.............shayad shivika ke kehne par.........

Lekin ab sawal ye ki hi ki mittal sir ne asli hamlawar ka naam bataya bhi ya nahi..........

Keep rocking Bro
सारे सवाल के जवाब अगले अपडेट में, रात तक पोस्ट कर दूंगा।

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Napster

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#अपडेट ३२

अब तक आपने पढ़ा -

अगले दिन मैं फिर से वहां चला गया। आज फिर शिविका आई थी, और फिर वो किसी को ढूंढ रही थी। उसकी नजर एक बार फिर मुझ पर टिकी, और वो कुछ देर ध्यान से मुझे देखती रही। तभी श्रेय ने उसके कंधे पर हाथ रखा, और वो दोनों फिर मित्तल सर के कमरे में चले गए।

थोड़ी देर बाद शिविका बदहवास सी कमरे से निकल कर नर्स को अंदर बुला ले गई, और नर्स ने भी फौरन किसी को कॉल किया....

अब आगे -


अब उस तरफ थोड़ी आगरा तफरी मची हुई थी। मेरा दिल भी किसी अंजानी आशंका से घिर गया था। कुछ देर बाद पूरी मित्तल फैमिली भी आ चुकी थी।

मैं भी उठ कर थोड़ा उस तरफ गया और सुनने की कोशिश की क्या हो रहा है। पता चला कि मित्तल सर कोमा से बाहर आ गए थे। ये सुन मुझे बहुत राहत मिली कि अब कम से कम सच बाहर आयेगा।

आज का दिन भी बीत गया। समर ने अभी तक मुझे कोई फोन नहीं किया था।

अगले दिन फिर से मैं वैसे ही जा कर हॉस्पिटल में बैठ गया। कल मित्तल सर को होश आने के बाद अभी उनको डॉक्टर ने किसी भी तरह के स्ट्रेस से दूर रखने को कहा था, इसीलिए पुलिस का स्टेटमेंट।नहीं हुआ था। आज पुलिस स्टेटमेंट लेने वाली थी।

दोपहर में पुलिस को हलचल बढ़ी हॉस्पिटल में और थोड़ी देर बाद एक SP रैंक का ऑफिसर आया उनके कमरे में जाने के लिए। शायद यही SP अमरकांत थे, इस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर। थोड़ी देर बाद वो मित्तल सर के कमरे में जाते हैं, और वहां पर पहले से मौजूद शिविका और मित्तल सर की पत्नी बाहर आते हैं।

वो दोनों भी आ कर इधर ही बैठ जाते हैं, लेकिन मुझसे थोड़ा दूर, जहां से हम लोग एक दूसरे को देख तो सकते थे मगर हमारी बात नहीं हो सकती थी। शिविका आंटी से बात करते हुए मुझे ही देख रही थी। कुछ देर बाद अमरकांत रूम से निकले और वो दोनों उनके पास जा कर कुछ बात करने लगे। फिर अमरकांत चले गए और वो दोनों भी मित्तल सर के कमरे में चले गए। जाते जाते एक बार फिर शिविका ने मेरी ओर देखा। इसके बाद फिर दिन भर कुछ खास नहीं हुआ।

अगले दिन फिर वही सिलसिला चला। आज समर को गए हुए चौथा दिन था, मगर मेरी उससे कोई बात नहीं हुई थी। शाम को शिविका वापस जाने हुए फिर से मुझे देखा, और इस बात वो थोड़ा मुस्कुराई, और चली गई।

मुझे बैठे हुए बहुत देर हो गई थी, तो मैं भी अपनी जगह से उठा और बाहर की ओर जाने लगा।

वेटिंग रूम से बाहर निकलते ही एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा, और मैने घूम कर देखा। ये एक इंस्पेक्टर था।

"चलिए मनीष बाबू, बहुत भाग लिए अब आप।"

उसके इतना कहते ही दो लोग सादे कपड़ों में मेरे आजू बाजू खड़े हो गए।

"चुपचाप इन दोनों के साथ नीचे जाइए, हम अभी हॉस्पिटल में आपको गिरफ्तार करके कोई हंगामा नहीं करना चाहते, और वैसे भी sp साहब ने आपको चुपचाप लाने कहा है पुलिस स्टेशन में।" वो इंस्पेक्टर फिर से बोला।

मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
मित्तल साहब के होश में आने के बाद एस पी अमरकांत को क्या बयान दिया और उसके बाद शायद शिविका या एस पी के कहने पर मनिष को उठाया गया है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
मित्तल साहब के होश में आने के बाद एस पी अमरकांत को क्या बयान दिया और उसके बाद शायद शिविका या एस पी के कहने पर मनिष को उठाया गया है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
धन्यवाद भाई 🙏🏼

अपडेट बस कुछ ही देर में, इसमें कई सवालों के जवाब मिलेंगे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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#अपडेट ३३

अब तक आपने पढ़ा -

मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....

अब आगे -

मुझे पुलिस हैडक्वाटर ले जाया गया, और एक कमरे में बैठा दिया गया। इस कमरे में एक पलंग लगा था, और कुछ कुर्सियां थी। और एक पंखा और लाइट। कोई खिड़की नहीं थी इसमें।

मुझे पलंग पर बैठने बोला गया, और वो लोग दरवाजा बाहर से बंद करके चले गए। मेरे हाथ खुले थे। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और SP अमरकांत अंदर आए, उनके साथ वही इंस्पेक्टर था जिसने मुझे हॉस्पिटल में साथ चलने कहा था।

"और कुछ चाय पानी पिलाया की नहीं इनको, हरीश।" बैठते हुए अमरकांत ने उस इंस्पेक्टर से पूछा।

"अभी नहीं सर।"

"ठीक है दो चाय मंगवाओ।"

"और मनीष बाबू, बहुत छकाया हमे अपने। क्या किया जाय आपके साथ अब?"

"देखिए मैने कुछ नहीं किया।" मैने घबराते हुए कहा।

"वो तो हम पता ही कर लेंगे। या तो आप सीधे से बताइए या फिर हम अपना तरीके से पूछेंगे।"

तब तक चाय आ चुकी थी।

"लीजिए चाय पीजिए। और जब मन हो बताने का, बस दरवाजा खटखटा दीजिएगा। फिलहाल आप समर के दोस्त हैं, और उसकी थ्योरी के मुताबिक अपने कुछ नहीं किया। आपके कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनी है मैने। लेकिन वो कोई सबूत नहीं है आपके पक्ष में। क्योंकि वाल्ट की सारी एक्सेस आपके पास ही थी, लुटेरे आपके इश्यू किए हुए पास से अंदर आए। मित्तल साहब के पास भी आपही पाए गए। ये सारे सबूत आपके खिलाफ है मनीष बाबू। बस दो कड़ी नहीं मिल रही, हथियार वाल्ट के अंदर कैसे पहुंचा और फॉर्महाउस से नेहा से साथ और कौन भागा था?"

"देखिए मैं सच कह रहा हूं, मैने इनमें से कुछ भी नहीं किया।"

"मैं अभी बताने कह भी नहीं रहा आपको। समर के दोस्त हैं आप, कुछ करने से पहले सब मौका आपको दूंगा मैं।"

"पर आप लोग ने मुझे पकड़ा कैसे?"

"पुलिस का क्या आप बेवकूफ समझते हैं? पिछले चार दिन से आप आईसीयू वार्ड में हैं, न किसी से बात कर रहे हैं, न किसी मरीज की खोज खबर ले रहे हैं, बस आते हैं और बैठ जाते हैं। हमें आप पर शक क्यों नहीं होता? बस हमने आपकी फोटो ली और दाढ़ी मूंछ हटा कर देख लिया आप कौन हो।"

"मतलब किसी ने बताया नहीं आपको मेरे बारे में?"

"वैसे तो ये किसी सस्पेक्ट को बताना बनता नहीं है, पर सच में किसी ने नहीं बताया कि आप हॉस्पिटल में मौजूद हैं।"

मैने एक राहत की सांस ली। अब तक चाय भी खत्म हो चुकी थी। अमरकांत अपनी कुर्सी से खड़े हो कर

"मनीष बाबू, अब चलता हूं, भूख लगी हो तो बताइए, खाना भी भिजवा दूंगा। वैसे अब भूख तो मर ही है होगी आपकी।" एक टेडी मुस्कान के साथ अमरकांत ने मुझे बोला, और बाहर निकल गया।

हरीश ने मुझसे कहा, "तीन साल से इनके साथ हूं मैं, आज पहली बार देखा है कि किसी मुजरिम के साथ ऐसे पेश आ रहे हैं। वरना आते ही टॉर्चर शुरू कर देता हैं। वैसे भी अभी आपकी गिरफ्तारी ऑफिशियल नहीं दिखाई गई है। सारा सच जल्द से जल्द बता दीजिए, वरना कब इनका दिमाग घूम जाए, कुछ पता नहीं।"


हरीश ने एक वार्निंग दी थी मुझे।

"बुला लो उनको, जो बोलना है अभी ही बोलूंगा।" मैंने कहा।

कुछ देर बाद अमरकांत वापस मेरे पास आए। इस बार एक वीडियो कैमरा भी उनके साथ था। उसको सेट करने के बाद,

"बोलिए मनीष जी, क्या कहना है आपका?"

मैने भी शुरू से लेकर अभी अपने पकड़े जाने तक की सारी बात बता दी। सब सुनने के बाद।

"देखिए मनीष जी, आपने जो कहा वो सब हम लोग को पता ही है। समर ने भी यही थ्योरी बनाई थी। और कुछ ऐसा जो नया हो?"

"नहीं, मैने सब सच बता दिया आपको।"

"अगर जो आपके इस बयान को सच मानू तो आप लूट में शामिल नहीं थे। लेकिन मित्तल सर पर जो हमला किया उसका क्या?"

"क्या उन्होंने अपना बयान नहीं दिया?"

"हां दिया न, उनका कहना है कि उन्होंने गोली मारने वाले को नहीं देखा। पहले पीठ में गोली लगी उनको, और फिर वो बेहोश हो गए तो उन्हें नहीं पता किसने मारी गोली उनको। लेकिन आपको रिवॉल्वर के साथ प्रिया और मिसेज मित्तल ने देखा। फिर? और आपके अलावा कोई और बाहर का आदमी नहीं गया मेंशन में। इस मामले में तो बहुत सबूत हैं आपके खिलाफ।"

ये सुन कर मुझे एक और झटका लगा।

"और कुछ बताना रह गया हो तो बता दो मनीष बाबू।" अमरकांत ने फिर कहा मुझसे।

"बस समर को आ जाने दीजिए, वो बहुत सारी इनफॉर्मेशन ले कर आएगा।"

"समर तो अपने घर गया है, वो कौन सी इनफॉर्मेशन ले आएगा?"

" वो नेहा के अतीत को खंगालने गया है, और हम दोनो के यकीन है कि उससे ही सब सुलझ जाएगा।"

मेरी ये बात सुनते ही अमरकांत ने अपना फोन निकला और कहीं फोन लगाया। कुछ देर बाद, "समर का फोन स्विच ऑफ बता रहा है मनीष जी। खैर कल तक की छुट्टी है उसकी, हम कल तक देखते हैं, फिर उसके बाद न मैं आपकी गिरफ्तारी छुपा सकता हूं, और न आपको बचा सकता हूं।"

ये बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गए। और थोड़ी देर बाद खाना भी आ गया मेरे लिए।

खाना खा कर मैं सोच में डूब गया।

"इन कुछ दिनों में मैने इतने धोखे खाए हैं कि अब मुझे किसी पर विश्वास नहीं हो रहा। शिविका की चिट्ठी झूठ नहीं थी लेकिन, वो मुझसे सच में प्यार करती है। और शायद इसीलिए नेहा और मेरे संबंध के जानने के बाद वो मुझसे कटी कटी रहने लगी। वैसे तो वो मुझे अच्छी लगती थी, मगर मैं ही खुद को मित्तल सर की फैमिली से दूर रखता आया था, क्या इसी कारण शिविका के इशारे मुझे समझ नहीं आ रहे थे? दूसरी तरफ समर, क्या कहूं उसको मैं दोस्त या तारणहार, लेकिन अब उसका फोन क्यों स्विचऑफ है? वैसे तो अभी तक तो समर ने ऐसा कुछ किया नहीं कि उस पर शक करूं, लेकिन वो भी तो इंदौर का ही है रहने वाला, क्या वही बिट्टू तो नहीं? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?"

यही सब सोचते सोचते मेरी आंख लग गई। सुबह एक हवलदार ने मुझे उठाया और अपने साथ ले कर चला गया बाथरूम वगैरा के लिए। मैं फ्रेश हो कर वापस उसी कमरे में आ गया। आज का दिन भी ऐसे ही निकल गया। शाम को अमरकांत मेरे पास आया, और मुझे कुछ घंटों की मोहलत और दे दी। देर रात तक तो समर नहीं ही आया था।

अगले दिन सुबह मुझे उठाने हरीश आया।

"मनीष जी अब चलिए, अब हम आपकी और सहायता नहीं कर सकते, क्योंकि मीडिया को आपके यहां पर होने की खबर लग गई है, और अब आपकी गिरफ्तारी हम छुपा नहीं सकते।"

"क्या समर से कोई कॉन्टेक्ट हुआ, या वो आया?" मैने उससे पूछा।

"नहीं।"

ये बोल कर वो मुझे अपने साथ ले कर ऑफिस में गया और कुछ जगह मेरे सिग्नेचर करवा कर इंटेरोगेशन रूम में ले गया, जहां दो और लोग मौजूद थे। ये दोनों बहुत हट्टे कट्टे आदमी थे, और दोनों बिना शर्ट के थे, देख कर ही डर लग रहा था उनको।

वहां जाते ही मुझे दोनों हाथ बांध कर लटका दिया गया और वो लोग मुझसे बोले, "मनीष जी सच सच बता दीजिए, हम फिर से आपसे कह रहे हैं, वरना हमको आपको मजबूरन टॉर्चर करना पड़ेगा।"

"मैने सब सच ही बताया है sp साहब को।"

मेरे ये बोलते ही वो दोनों और हरीश मेरे ऊपर डंडे बरसाने लगे, कुछ देर तो मैं सहता रहा, पर जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं बेहोश हो गया.....
 
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