Cooldude1986
Supreme
Nice updateUpdate 16
अब तक…
लकी की लोकेशन जैसे ही पुलिस को मिली उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर, “सबसे पहले उसे अस्पताल रेफर किया”….
अब आगे..
रात के तकरीबन एक बजे जब लकी के घरवाले अस्पताल पहुंचे, उन्हें उसकी कंडीशन के बारे में बताया गया…..
लकी की ऐसी दुर्दशा देख… उसके नाना का गुस्सा सातवें आसमान पर था !! उन्होंने लकी के पिता की कॉलर पकड़ते हुए कहा…… इस दिन के लिए तुझे अपनी बेटी दी थी, एक ही बेटा था बेचारी का, तुझसे वो भी नहीं सम्हाला गया…..
उनकी आंखों में खून उतर आया था….. “वो इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार “अपनी बेटी और नाती” से ही….. तो करते थे”
पुलिस अभी “डेड बॉडीज और लकी के बीच” कनेक्शन की जांच कर रही थी साथ ही उन्होंने अपराध स्थल को सील कर दिया, जहां सिवाय टेम्पो के….. उन्हें कुछ नहीं मिला…
लकी का परिवार :
०नाना : नरेंद्र सक्सेना (एमएलए)– “नानाजी” नाम से मशहूर यह व्यक्ति नेता बनने से पूर्व ना जाने कितने ही अपराधों में लिप्त रहा, कितने ही गैर कानूनी काम किए, आज भी सबकुछ वैसा ही है पर, ढकी–छुपी हालत में….
०पिता : राजेश (एसडीएम)– सज्जन व्यक्ति जो एक दलदल में आ फंसा….…. ”कोशिश है किसी तरह इससे आजाद हो”
→मां : सुनीता– “नानाजी” की लाडली
→बहन : साक्षी
इस घटना से लकी के परिवार में दो लोग अंदर ही अंदर बहुत खुश हुए……. तो दो लोग ऐसे भी थे जिनको इस घटना ने अंदर तक हिला के रख दिया……
खैर, पुलिस को लकी की मेडिकल रिपोर्ट सौंपी गई…. जिस निर्दयता से उसके साथ व्यवहार किया गया था…… डॉक्टरों ने काफी डिटेल्ड रिपोर्ट बनाई थी…. उन्हें इतना तो पता था ये काम किसी ऐसासिन का है, लेकिन इससे पहले इस तरह के जितने भी केसेस दर्ज किए गए थे, उनकी रिपोर्ट इस मामले को और अधिक उलझा रही थी…
3 लोगों को मारने में पॉइजनस वेपन का इस्तेमाल हुआ था इसके पहले इस तरीके से जितने भी व्यक्ति मरे थे वो रात में मरे थे, जबकि ये वाकया दोपहर बाद हुआ…
लकी की पीठ पर किलर नंबर १ का साइन था लेकिन उसके हाथ और पैरों के घाव बता रहे थे ये किलर नंबर १ का तरीका नहीं…
सुबह 6 बजे :
काव्या नींद से जागी तो रंभा उसके पास नहीं थी, कल घटित घटना के दृश्य अब तक उसके दिमाग में घूम रहे थे लेकिन उनका प्रभाव……….. अपेक्षाकृत अब, कम हो चुका था…..
कुल मिलाके काव्या, सब भूलकर एकदम फ्रेश महसूस कर रही थी, इसलिए उसने वीर से बात करने के लिए फोन उठाया और कॉल लगा दिया,…… दूसरी तरफ रिंग जाती रही..…पर कॉल पिक नहीं हुआ
काव्या, टेबल पे रखी वीर की तस्वीर की तरफ देखते हुए…… “एक बार आप आ जाओ, फिर देखना आपकी, ये बिल्ली आपको कैसा सबक सिखाती है”…..
जल्द ही उसे नाश्ता तैयार करना था इसीलिए वो नहाने जाने लगी पर ठीक उसी वक्त, उसे कीर्ति का मैसेज आ गया…”भाभी, आज रूही आने वाली है आपके पास…… लगभग 7 बजे यहां से निकलेगी तो8:30 तक वहां पहुंच जाएगी”
काव्याने भी मैसेज का रिप्लाई करते हुए लिखा….. "ठीक है, मैं उसे लेने चली जाऊंगी"…. और नहाने चली गई !!
सुबह 7 बजे :
पुलिस, सोनू से पूछताछ कर रही थी…. जिसमें उसने बताया….. आखिरी बार लकी से वो कॉलेज में मिला था और वो उससे मिलने आने वाला था जब काफी देर तक नहीं आया तब ही उसने इतने सारे कॉल्स….. उसे किए…
खैर पुलिस ने उसे आगे पूछताछ के लिए दोबारा बुलाया जा सकता है कहते हुए, छोड़ दिया…. (लकी वहां से निकलते ही अस्पताल पहुंचा)
वहां पर लकी के सभी घरवाले मौजूद थे…… और उसके होश में आने का इंतजार कर रहे थे ! सोनू ने जब लकी की हालत देखी तो उसकी फट गई, अब उसे डर सताने लगा….. अगर सच बता दिया कि हम क्या करने वाले थे तो कहीं मै ही इसके लपेटे में ना आ जाऊं….
सुबह–सुबह ही पुलिस ने किलर नंबर वन द्वारा ये सब किए जाने की आशंका जता दी थी…….. परन्तु अभी तक इसकी पुष्टि करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत नहीं थे !!
सोनू : नानाजी मेरे दोस्त के साथ ये सब कैसे हो गया?
नाना : ये तो तू बताएगा कहां–कहां, किस–किस से तुम लोगों ने लफड़ा किया है…
सोनू : नहीं ! नानाजी, हमारा किसी के साथ कोई लफड़ा नहीं था !
नाना : वो तो मैं पता लगाऊंगा ही पर……..तभी वहां पर डीएसपी साहब आ गए…… (नाना की मौजूदगी ने इस घटना को स्पेशल केस जो बना दिया था)
नाना : आओ डीएसपी आओ…… बताओ तो कौन है, ये किलर ?
डीएसपी : देखिए, विधायक जी ये जानने की कोशिश तो पुलिस सालों कर रही है, न जाने कितने ही लोगों को उसने मौत के घाट उतारा है….. पर हमारे हाथ आज तक, उसकी एक जानकारी नहीं लगी…
नाना (लकी के पिता से) : साले सब के सब सरकारी नौकर किसी काम के नहीं…. चाहे वो वर्दीधारी डीएसपी हो या ये एसडीएम
|| किलर नंबर 1 की जानकारी किसी को नहीं और अभी तो ये स्पष्ट होना बाकी है कि…… “ये उसी का काम है”||
घर पर :
काव्या नाश्ता बना रही थी तभी रंभा ने उसे आज कॉलेज न जाने के लिए कहा….. कल की घटना की वजह से वो, अभी उसे वापिस से उस परिवेश में नहीं भेजना चाहतीं थी….. जहां से ये सब शुरू हुआ !!
काव्या ने भी उनकी इस बात पर हामी भर दी और घर के कामों में लग गई…..
वो अपने काम में इतना मशग़ूल थी कि वीर कब उसके सामने आके खड़ा हो गया, उसे पता ही नहीं चला…
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वीर : क्या हुआ, इतनी हैरान क्यूँ हो ??
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काव्या : आप तो कुछ दिन रुककर आने वाले थे ना
वीर : हम्म…. तो मुझे अभी नहीं आना चाहिए था ?….
काव्या : मैने ऐसा तो नहीं कहा….. वो तो आप हो जिसने सुबह मेरा कॉल नहीं उठाया था….
वीर : अगर मैं कॉल उठा लेता तो तुम्हे यूं सरप्राइस कैसे देता….
काव्या :मै तो इनको सबक सीखने वाली थी, अब क्या करूं…. (वीर को देखते ही उसका गुस्सा छू मंतर हो गया और सारे जज्बात धरे के धरे गए)…..
वीर : अरे ! कहां खो गई ?…
काव्या : क…कहीं नहीं…… रूही आने वाली है न तो उसे लेने जाना है, बस वही सोच रही थी….
वीर : तो मेरे साथ चलना…..
काव्या : ओके !
वीर :कल जैसा दी ने बताया था, हालात तो उससे कहीं ज्यादा बेहतर है,
हां थोड़ा समय साथ बिताऊंगा तो सब भूल जाएगी और अच्छा फील करेगी
“उन्हं..उन्हुं..उन्ह”
रिया : अरे ! भाई हम से भी तो हाल चाल पूंछ लो
वीर : अरे ! हां दीदी क्यों नहीं….. (और वीर, रिया के साथ बैठकर बाते करने लगा)
लगभग 8 बजे :
काव्या : चलिए ! रूही की बस……”बस आने ही वाली होगी”
रिया : क्या ? रूही आने वाली है, भाभी ! आपने मुझे ये पहले क्यूँ नहीं बताया ??
काव्या : सॉरी दी, दिमाग से निकल गया…
रिया : अरे ! कोई बात नहीं भाभी…… आप जाओ और उसे ले आओ…
वीर : ठीक है, चलो ले आते है, उसे…. (और, वीर काव्या साथ में बस स्टैंड निकल गए)
अशोक के घर :
यशस्वी ; अरे पापा जल्दी आओ ना….
अशोक : आ रहा हूं बेटा, बस आ रहा हूं….
जैसे ही अशोक, तैयार होकर बाहर आया यशस्वी ने माथे पर तिलक लगाते हुए उसकी आरती उतारी….
यशस्वी : गुड लक ! पापा
अशोक : थैंक यू बेटा…..
अशोक अस्पताल जाने के लिए घर से बस निकला ही था कि….. सामने उसे रंभा नजर आ गई
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“ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम बवाल” उसका दिल जोरो से धड़क रहा था….. फिर भी उसने कार ले जाके उसके पास लगा दी
अशोक : चलिए ! मैं भी वही जा रहा हूं, छोड़ दूंगा……(रंभा ने कुछ सोचकर यहां–वहां देखा और जल्दी से कार में बैठ गई)
रंभा : जी….. रिया बता रही थी आप आज से ज्वाइन करने वाले है !!
अशोक : हम्म… कल से आप मेरे साथ ही अस्पताल चल लिया करिए !
रंभा : लेकिन अस्पताल तो बस आधा किमी ही दूर है…. मैं पैदल ही चली जाऊंगी….
अशोक : आधा किमी है तो क्या हुआ, क्या आप को मेरे साथ चलने में कोई परेशानी है
रंभा : ऐसी बात नहीं है, अशोक जी…. मेरा काम वहां जल्दी खत्म हो जाता है, अभी कुछ ही देर से मै वापिस आ जाऊंगी और फिर सीधा शाम को जाऊंगी !!
अशोक : कोई बात नहीं, आप बार–बार आती जाती हैं,…… कम से कम सुबह एक बार मैं छोड़ दूंगा और शाम को साथ वापिस ले आऊंगा….
रंभा : ठीक है…. ( इतने में ही दोनो अस्पताल पहुंच गए)
वहीं “घर पे यशस्वी” अच्छा हुआ– काव्या दी ने खुद ही मुझे कॉलेज जाने से मना कर दिया…. वैसे भी कल जो हुआ उसकी वजह से मेरा कॉलेज जाने का जरा भी मन नहीं कर रहा ….
बस स्टैंड :
वीर और काव्या तो बस स्टैंड पहुंच गए, पर बस अभी तक नहीं आई….
वीर : तुम्हें जब मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब मैं तुम्हारे पास नहीं था, क्या इस बात से तुम्हें बुरा लगा…
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काव्या : हां थोड़ा सा….. (अगर इस तरह पूछोगे तो मैं कहां कुछ कह पाऊंगी)
वीर : आगे से मै तुम्हे, ऐसी शिकायत का मौका नहीं दूंगा…..
काव्या : काव्या, हम्म… (तभी रूही की बस आए गई)
और वो बस से उतरते ही, काव्या से चिपकने लगी…… “भाभी मैं आ गई”
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दूर खड़ा वीर उन दोनो की ये नौटंकी देख हंसने लगा….
रूही : भैया ज्यादा हंसने की जरूरत नहीं…… ये डॉक्यूमेंट्स गांव से आए है, इन्हें पते पर पहुंचा दो…..
वीर ने डॉक्यूमेंट्स लिए और पते को देखा, अरे ! ये जगह तो यहीं पीछे वाली गली में है…..
रूही : हां पता है, यहीं कहीं है ये जगह !!
वीर : फिर तो तुम दोनों यहीं रुको, इन्हें मैं वहां दे आता हूं….. (और वीर पते पर चला गया)
काव्या और रूही दोनो खड़ी उसके आने का इंतेज़ार कर रही थी…… तभी कार में पड़ा उसका मोबाइल बजने लगा….
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काव्या और रूही दोनों ने गाड़ी की ओर देखा…..(रूही ने झट से मोबाइल निकाल, काव्या के हाथ में पकड़ा दिया, लो भाभी बात करो)
इससे पहले काव्या कॉल पिक करती, फोन कट गया….
काव्या : अननोन नंबर था
रूही : भाभी ….. (इससे पहले वो कुछ कहती फिर से फोन बजने लगा)
रूही ; उठाओ ! उठाओ ! उठाओ ना…
काव्या ने झिझकते हुए फोन उठाया…… और जैसे कि कान में लगाया…..
लड़की : हेलो !
काव्या : हेलो !! कौन ??
लड़की : ये वीर का ही नंबर है, ना ?
काव्या : हां, पर आप कौन…
लड़की : पहले आप बताइए आप कौन ? और वीर का फोन आपके पास कैसे….
काव्या : मै उनकी वाइफ बोल रही हूं, अब आप बताओ आप कौन ?…
लड़की : ज…जी मै श्रेया !!
काव्या : कौन श्रेया और वीर जी से आपको क्या काम है ?
श्रेया : व…वो कुछ नहीं, बस ऐसे ही कॉल किया था….. और जल्दी से कॉल कट कर दिया
अब काव्या और रूही दोनो ही अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगी…. आखिर, ये श्रेया है कौन….
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तभी, वीर वापिस आ गया…. और उन दोनों से कार में बैठने के लिए कहा….
वीर : क्या हुआ ? तुम दोनो तो मेरे जाने से पहले तो बहुत चहक रहीं थीं….
कुछ भी सवाल करने से काव्या डर रही थी….. क्योंकि वीर उसे कई बार समझा चुका था उसकी जिंदगी में अब उसके सिवा कोई दूसरी नहीं आ आएगी…… तो रूही अपने भाई का गुस्सा जानती थी इसीलिए कुछ नहीं पूंछा (दोनो शांत रही)….
घर आ गया…. दरवाजा खुला था इसीलिए रुही सनसनाते हुए अंदर चली गई….. सामने रिया और यशस्वी बैठे हुए थे !!
रूही : अरे तुम !! और सीधा जाके यशस्वी के गले लग गई….
”वीर और रिया”
रिया : तुम यशस्वी को कैसे जानती हो ??
रूही : वीडियो कॉल से…..
रिया : हम्म…. तो इसलिए ही मुझे भूल गई ??
रूही : अरे ! नहीं दी, आप तो मेरी प्यारी दी हो, भला आपको मै कैसे भूल सकती हूं
|| फिर ये चारों बैठ के गप्पें लड़ाने लगी….. वहीं वीर सुबह–सुबह ड्राइव करके आया था तो जाके रूम में सो गया ||…
रूही : दी ! आपको श्रेया के बारे में पता है ??
रिया : कौन श्रेया ?
रूही : जिसे भाई जानते है ??
रिया : हां जानती हूं पर तुम्हें इस बारे में कैसे पता ?
काव्या :कौन है ये ?
रिया : वीर के साथ कॉलेज में पढ़ती थी….
रूही : क्यायाया ??
रिया : पर हुआ क्या ? वीर और वो तो कबसे अलग हो चुके हैं…
काव्या : अलग हो चुके है, मतलब ??
रिया :
“अब रूही, काव्या और यशस्वी तीनों ही रिया को खा जाने वाली नजरों से देख रही थी”…..
रिया : ठीक है बाबा, वो कॉलेज में तुम्हारे भाई की गर्लफ्रेंड थी
काव्या : आप बोल रही हो वो अलग हो चुके है, मतलब बात भी नहीं होती होगी ??
रिया : हां, नहीं होती
रूही : पर आज तो उसने भाई के नंबर पे कॉल किया था ???
अब तो रिया के ऊपर भी बम फूट गया….
रिया : क्या सच में ??
रूही : अरे दी ! मेरे सामने ही भाभी ने भाई के मोबाइल पर उससे बात की…
रिया : हो सकता है, ये कोई दूसरी हो तुम अपने भाई से जाके पूंछो ना
रूही : ना बाबा ना….. अगर मैने भाई से ऐसी बातें पूंछी ……. तो वो मुझे उल्टा लटका देंगे….
रिया : ठीक है, तो मैं पूंछ दूंगी तुम्हारे लिए….
काव्या : नहीं दी, ये हम दोनों के बीच की बात है, मै खुद ही उनसे पूंछ लूंगी….
यशस्वी : वाओ दी !! आप तो अभी से काफी समझदार हो..
काव्या : हां, वो तो है….. (इसपर सभी हंसने लगी)
रिया : ठीक है तुम लोग बातें करो मुझे हॉस्पिटल जाना है !! मै तैयार होती हूं…. (और वो अपने रूम में चली गई)
यशस्वी : दी, कल संडे है, “याद तो है ना आपको स्कूटी सीखनी है”
काव्या : याद है बाबा…
रूही : भाभी मैं भी चलूंगी, मुझे भी आती है स्कूटी
काव्या : हां, हां तीनों चलेंगे….
लकी के घर :
लकी, अब तक होश में नहीं आया था, उसे मेडिसिन के हाइ डोज दिए गए थे, ताकि रिकवरी जल्दी से हो जाए
“नानाजी” के सामने डीएसपी बैठा हुआ था…..
डीएसपी : देखिए नानाजी किलर नंबर १ पुलिस रिकॉर्ड के हिसाब से अबतक 65 लोगों को मार चुका है…… और जिसको भी वो मारता है वो कोई अच्छे आदमी नहीं होते….
नानाजी (चिल्लाते हुए) : डीएसपी, अपनी औकात में रह….
डीएसपी : अरे ! नानाजी में तो पुलिस रिकॉर्ड के बारे में बता रहा हूं, वैसे भी आपके लकी का रिकॉर्ड भी कुछ खास अच्छा नहीं है, उसके मोबाइल से हमें सारी जानकारियां मिल चुकी है, तो ज्यादा चिल्लाइए मत….
नानाजी : ये रामू ! इस पुलिसिये को घर से बाहर तो फेंक….
डीएसपी : मुझे हाथ भी मत लगा देना मै खुद से बाहर चला जाऊंगा……. और नानाजी आपको एक सलाह देता हूं, गलत जगह हाथ मत डालिए वर्ना…..
–“ये रामू देख क्या रहा है”
डीएसपी– “जा रहा हूं जा रहा हूं” ये फाइल है, पढ़ लेना….
||डीएसपी गुस्से से बाहर चला गया…… साला सालों से विपक्ष में पड़ा है तो इतने तेवर है, सरकार में होता तो जीना हराम कर देता…||
तभी नानाजी ने राजेश को नीचे बुलाया…… बेटा अस्पताल में पड़ा है और इसे है, कि कोई चिंता ही नहीं…. “इस फाइल को पढ़ के बता“
राजेश : क्या है इसमें……. “किलर नंबर १”…….
सबसे पहला केस : 12 लोगों की लाशें खंडहर में बहुत बुरी अवस्था में मिली…. किसी के हाथ कटे हुए तो किसी के पैर, कुछ की तो अंतड़िया तक बाहर निकली हुई थी कान और जीभ की हालत तो पूछो मत, हाथ के नाखून खींच–खींचकर उन्हें बुरी तरह से तड़पाया गया और बाद में उंगलियां ही काटकर अलग कर दी गई…….(राजेश की ये सब पढ़कर हालत पतली हो रही थी आवाज लड़खड़ा रही थी)….
ठीक उसी साल 19 लोग और इसी तरीके से अलग–अलग जगह मरे पाए गए “डॉक्टर्स ने जब बॉडीज को एग्जामिन किया तो इस तरह काटने की टेक्नीक को डायमंड कट नाम दिया”……
पिछले दो सालों से इसने, लोगों की जाने लेना बंद कर दिया है, पर उसकी जगह अलग–अलग अंगों को काटकर…… तड़पने के लिए छोड़ देता है…..
नानाजी () : इस चूज़े का आतंक हम खत्म करेंगे…… हमारे घर के बच्चे को हाथ लगाने की इसकी हिम्मत कैसे हुई…..
घर पर :
यशस्वी रूही को अपने साथ लेके घर चली गई….. (अब वहां सिर्फ काव्या और वीर थे )
काव्या अपने रूम में गई तो देखा, वीर सो रहा था..… उसने, उसके सिर को अपनी गोद में रखते हुए माथे पे किस किया…. और उसके बालों में उंगलियां फिरते हुए….
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“आप इतने अच्छे हो कि आपको देखते ही सारी शिकायतें दूर हो जाती है…. बस इसी तरह पूरी जिंदगी मेरे साथ रहना”….. “हर कदम, हर स्थिति में”…..बस मेरे साथ …
तभी वीर, नींद से बाहर आ गया….. और फट से काव्या के साथ पोजिशन स्विच कर ली “अब काव्या का सिर वीर की गोद में रखा था”…..
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वीर : बताओ क्या सोच रही थी ??…
काव्या : मै कहां कुछ सोच रही थी….. वो तो आप सोते हुए बोहोत अच्छे लग रहे थे, इसीलिए बस आपको देख रही थी…
साइड टेबल पे रखा मेडल वीर को थमाते हुए ये आपकी वाइफ ने जीता है….
वीर : हम्म….. मुझे पता था मेरी बिल्ली जरूर जीत के आएगी…
काव्या : वैसे आज कहीं घूमने ले चलिए ना, रूही बस कुछ ही दिनो के लिए आई है…… उसे भी अच्छा लगेगा…
वीर : बताओ फिर, कहां जाना है ??
काव्या :हम्म…. पहले वन विहार चलते है, उसके बाद साइंस म्यूजियम “वहां मैं कभी नहीं गई”….
वीर : ठीक है, ठीक है थोड़ी देर से चलते हैं…..
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दूसरी तरफ लकी को होंंस आ गया था, बोल तो वो नहीं सकता था, पर उसने लेटे–लेटे ही कागज पे बांए हाथ से काव्या, सोनू और जानवी लिख दिया…
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धन्यवाद !