shekhar824
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Bhai plz update de do… at least yeh tho Bata do update kab doge??
WaahUpadate 15 :
शालिनी और चाचाजी दोनों सोने आते है
,शालिनी के एक स्तन मे अभी दुध बचा था तो वो चाचाजी को स्तनपान करने को कहती है पर चाचाजी मना करते है।
शालिनी : क्या हुआ? कोई भूल हो गई क्या ?कोई तकलीफ है ?
चाचाजी : नहीं मे ठीक हुँ और आपसे कोई भूल नहीं हुई ,
शालिनी : तो फिर क्या हुआ ?
चाचाजी : मे क्या कहता हूं ?
शालिनी : क्या ?
चाचाजी : अभी आप ये ब्रा को निकाल सकती है।
शालिनी : क्यु ?क्या दिक्कत है ?
चाचाजी : वैसे दिक्कत तो नहीं है पर सोचा कि पूरे दिन तो ब्रा पहने रखते हों तो अब रात को थोड़ा राहत मिले और वैसे अभी तो अंधेरा है तो क्या फर्क़ पड़ेगा
शालिनी भी सोच मे पड़ जाती है क्युकी जब नीरव के साथ होती थी तब वो बिना ब्रा के ही सोती थी वो तो अब तक चाचाजी के होने से शर्म की वज़ह से पहन रही थी पर जबकि अब चाचाजी के साथ खुल गई है तो अब कैसा पर्दा? वैसे भी चाचाजी स्तन को देख चुके है चूस चुके है फिर क्या शर्माना ?वैसे भी पूरे दिन ब्रा पहनने से उसके पीठ और कंधे पर ब्रा के स्ट्रिप के निसान पड़ गए थे और स्तनों के नीचे वाले हिस्से मे कभी जलन भी होती थी ,वो तो अब तक स्तनों के दर्द के आगे सब नजरअंदाज कर रही थी ,उसे भी चाचाजी की बात सही लगी।
चाचाजी : कोई झिझक है ?
शालिनी : नहीं नहीं ..कुछ नहीं बस थोड़ा सोच रही थी ,पर अब कोई दिक्कत नहीं ,सब सही है अब।
चाचाजी : मेने कहा था कि आपको मेरी कुछ बात अजीब लगेगी ,पर मे तो बस आपके राहत के बारे मे सोच के कहा,अब तक हमारे बीच एक पर्दा या कहो एक रिश्ते और रिवाजों की दीवार थी जो अब ढह गई है और अब हम एक नए रिश्ते का निर्माण कर रहे है ,जिस मे ना कोई पर्दा होगा और ना ही कोई ज़माने के रिवाजों की बंदिश।
शालिनी : हाँ सही कहा , मे भी यही चाहती हूं कि हमारे बीच कोई दुविधा या शर्माना जैसी बात ना आए,
चाचाजी : तो फिर अब आप मुझे दूदू पिलायें ,
शालिनी : रुको मे ब्रा निकाल देती हू
शालिनी ब्रा निकाल ने लगती है ,वो धीरे से अपने ब्रा के हूक खोलती है और कंधे से ब्रा की पट्टी सरका कर ब्रा को अपने से दूर करती है और बेड के नीचे रख देती है ,नाइट लैम्प की रोशनी मे बेड पर बैठी शालिनी किसी अप्सरा जैसी लग रही थी ,वो भी अधनंगी अवस्था मे उसके सुडोल गोल स्तन जो आपस मे सटकर थे ,उसपर उसके तने हुए अनार के दाने जैसा गुलाबी निप्पल ,स्तनों के वजन से शालिनी के कमर मे बल पड़ रहे थे।
शालिनी : आप कैसे पियेंगे?गोदी मे या लेटकर?
चाचाजी : गोदी मे।
चाचाजी शालिनी की गोदी मे अपना सिर रख देते है उस वज़ह से उसके स्तन ठीक उसके चेहरे के ऊपर थे
जिससे शालिनी का चेहरा नहीं दिखता और उसके स्तन का नीचे का हिस्सा चाचाजी के होंठ को छु रहा था, शालिनी निप्पल को चाचाजी के होंठ मे रख देती है तब चाचाजी भी बिना देरी के अपने मुँह मे लेकर चूसने लगते है ,जैसे ही दूध की धार चाचाजी के मुँह मे आती है दोनों की आंखे बंध हो जाती है चाचाजी धीरे धीरे चूस रहे थे
जिस से आधे स्तन को खाली होने मे 10 मिनट लग जाते है ,जब स्तनपान हो जाता है शालिनी चाचाजी के माथे के चूम लेती है और वो एसे ही बिना ब्रा पहने लेट जाती है।
चाचाजी : अभी आप ब्रा नहीं पहनेंगे?
शालिनी : नहीं ,क्युकी सायद रात मे भी पिलाना पड़ जाए तब वापिस निकालना पड़ेगा और गर्मी भी लगेगी।
शालिनी चाचाजी को अपने से सटा के सुला देती है और खुद भी सो जाती हैं ,रात के करीब तीन बजे शालिनी की नींद खुलती है और चाचाजी को स्तनपान करवाती है,स्तनपान करने के बाद दोनो सो जाते है ,तब चाचाजी को एक सपना आता है
[ " सपना "]
चाचाजी सपने मे देखते है कि शालिनी सुबह को बिना टॉप के योग कर रही है
,बाद मे उसको भी बिना टॉप को ही नहलाने
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लगती है ,बाद मे सिर्फ लहंगा पहन के ही नास्ता बनाती है ,फिर जब चाचाजी किचन मे आते है तब शालिनी उसे सामने से अपने पेट पर हाथ रख के पीछे से चिपकने को कहती है
,जैसे वो हररोज करते थे, फिर शालिनी साथ मे नास्ता करने उसके सामने ही बैठ जाती है
और बिना पल्लू के नील के स्तनपान करवा रही थी, बाद मे घर के काम भी बिना ब्रा या ब्लाउज पहने ही कर रही है
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,फिर जब वो काम निपटाकर आती है बाद मे एक दूसरा लहंगा पहनकर उसके साथ नृत्य करती है
फिर वो उसको स्तनपान करवाती है ,बाद मे खाना ,सोना और सारा दिन टॉपलेस ही रहकर ही बिताती है मानो उसे चाचाजी के सामने एसे रहने मे कोई शर्म या झिझक नहीं थी उससे उल्टा वो एसे रहती है मानो वो उसके लिए हर रोज की दिनचर्या हो ,सोते समय भी वो चाचाजी को स्तनपान करवाती है और अपने स्तन से चिपका कर प्यार से सुलाती है।
,सुबह को जब शालिनी जगती है तो देखती है चाचाजी उसके स्तन पर सिर रखे सोये है और उसका हाथ पेट पर है ,वो हाथ हटा के बेड पर बैठे बैठे अंगड़ाई लेती है
और फ्रेश होके अपने योग वाले कपड़े पहनने आती है तब तक चाचाजी भी जग गए थे ,शालिनी ये आईने में देखती है।
शालिनी : जग गए ?जाइए फ्रेश हो जाए
चाचाजी : ठीक है।
चाचाजी खड़े होते है तब शालिनी उसके सिर को चूम लेती है फिर चाचाजी फ्रेश होने जाते है और शालिनी अपने कपड़े बदल लेती है और एक योग्य ड्रेस पहन के हॉल मे आती है
,शालिनी योग करने लगती है,कुछ देर बाद चाचाजी बाथरूम मे से बाहर आते है तो देखते हैं कि शालिनी योग कर रही है
तभी उसे अपने सपना याद आता है कि सपने मे शालिनी कैसे योग करती है।
( वास्तव मे..) (चाचाजी के दिमाग में)
चाचाजी भी अपने हल्के योग करते है फिर शालिनी चाचाजी को नहलाने लेके जाती है ,जहां चाचाजी मज़ाक मज़ाक मे फव्वारा चालू कर देते है जिससे ठंडे पानी की बूंदे दोनों के पसीने से भीगे गर्म शरीर पर पड़ती है ,पहले तो शालिनी डांटने लगती है ,पर चाचाजी उसे कहते है कि अभी नहीं तो बाद मे आपको नहाना तो है फिर अभी मेरे साथ भीग जाओ ,
शालिनी फिर चाचाजी के शरीर को पूरा साबुन लगा कर नहलाया और फिर चाचाजी ने भी शालिनी के पीठ पर साबुन लगा दिया और फिर दोनों ने एकदूसरे को साफ़ किया,चाचाजी का तो तौलिया था पर शालिनी का तौलिया और कपड़े कमरे मे थे ,पहले चाचाजी अपने शरीर को सुखा के तौलिया लिपटकर कमरे मे जाते है और शालिनी का तौलिया लाके देते है।
शालिनी : मेरे कपड़े कहा है ?
चाचाजी : मुझे नहीं पता कि आप कोन से कपड़े पहनने वाली हो।
शालिनी : ठीक है ,आप तैयार हो जाओ और नील को जगा के हॉल में बैठो
चाचाजी : ठीक है
चाचाजी के जाने के बाद शालिनी अपना टॉप उतार देती है और पेंट भी उतार देती है और सिर्फ पेंटी पहनकर नहाती है ,और बाद मे तौलिया लपेटकर बाहर आती है
,जब वो बाहर आती है तब चाचाजी की नजर उसपे पड़ती है ये पहली बार थे कि शालिनी उसके सामने तौलिया लपेटे खड़ी थी ,उसका तौलिया उसकी जांघों तक ही आता था जिससे शालिनी की गोरी जांघें और गोरे पैर साफ साफ दिख रहे थे मानो कोई संगमरमर के खंबे हो जिस पर कोई कारीगर ने काम कर के उसे सुन्दर बना दिया हो।
शालिनी कमरे मे आती है एक सुन्दर सी साड़ी पहनकर आती है ,पहले तो वो नील को स्तनपान करवाती है फिर वो नास्ता बनती है और साथ मे नास्ता करते है ,शालिनी जो भी काम करती थी चाचाजी को उसके सपने मे दिखी शालिनी नजर आती है जिसने ब्लाउज नहीं पहना था ,सब काम निपटाकर शालिनी जब चाचाजी के बग़ल में आकर बैठती है और आवाज लगाती है तब चाचाजी अपने ख्यालो से बाहर आते है।
शालिनी : क्या हुआ ? कहा खो गए ?
चाचाजी : कुछ नहीं ,बस एसे ही ..
शालिनी : आप कुछ सोचिए वर्ना कल से मुझे फिर से पहले की जैसे दर्द मे जीना पड़ेगा ,प्लीज जल्दी सोचिए आज आख़री दिन है पता है ना?
चाचाजी : ये तीन दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला, आज मे कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लूँगा।
शालिनी : आप सोचो मे तब तक नृत्य के लिए तैयार होकर आती हूं।
नील सो गया था इस लिए उसे लेकर शालिनी कमरे मे आती है और तैयार होने लगती है और इधर चाचाजी अपने सपने के बारे मे सोच रहे थे ,
चाचाजी : (मन मे...)ये मुझे कैसा सपना आया था ?लगता है इतने दिनों से स्तनपान करने से शालिनी के स्तनों से लगाव हो गया है इस लिए दिमाग उस स्तन को नहीं भूल पाता, यहा तक नींद मे भी नहीं ,लगता है अब स्तनपान सिर्फ शालिनी की नहीं मेरी भी जरूरत बन गया है ,मे स्तनपान करना नहीं छोड़ना चाहता ,मुझे कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ना पड़ेगा
चाचाजी फिर सब हालात के बारे मे सोच के उससे कैसे कैसे सुलझाया जाए ताकि स्तनपान जारी रहे ,अब उसका दिमाग पूरी तरह से इस रास्ते के खोज मे चलने लगता है और जैसे शालिनी दरवाजा खोलकर कमरे मे आती है तभी चाचाजी का दिमाग भी एक रास्ता निकाल लेता है ,वो सोफ़े से खड़े होकर एक हाथ ऊपर करके खुशी का इजहार करते है।
शालिनी : क्या हुआ ?
चाचाजी पिछे मुड़कर देखते है शालिनी तैयार होके आयी थी वो जाकर उससे गले से लगा लेते है
चाचाजी : वो ...वो एक योजना है जिस से हमारा काम हो सकता है।
शालिनी : क्या सच मे ..?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : क्या है योजना ?मुझे बताओ
चाचाजी : ठीक है पहले आओ बैठकें बताता हू।
दोनों आके सोफ़े पर बैठते है
शालिनी : जल्दी से बताओ ,क्या है योजना ?क्या करना होगा?
चाचाजी : आराम से ...ठीक है सुनो ,पर आपको इसमे थोड़ा धैर्य और थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी।
शालिनी : मे सब करूंगी,आप बस योजना बताओ।
चाचाजी शालिनी को विस्तार से अपनी योजना बताते है ,जिसमें उसको क्या करना होगा और चाचाजी क्या करेंगे सब बताते है। उसमें कुछ कठिनाई भी होगी तो शालिनी को उनसे मजबूती से सामना करना होगा, शालिनी पूरी योजना शांति से सुनती है।
शालिनी : वैसे तो कुछ खास दिक्कत नहीं पर बस नील को लेके चिंता है ,उसे तो दिक्कत नहीं होगी ना?
चाचाजी : नहीं उसे कुछ नहीं होगा ,मे वादा कर्ता हूं।
शालिनी : ठीक है फिर हम एसा ही करेंगे ,सब योजना की मुताबिक होगा तो अच्छा है इससे पापाजी को भी कुछ नहीं पता चलेगा ,अगर उसे पता चलेगा तो वो हमारे बारे मे क्या सोचेंगे? सायद वो हमारे बीच बने इस नए रिश्ते को ना समझ पाये और हमे गलत समझने लगे तो सब कुछ खत्म हो जाएगा,
चाचाजी : इस बात का ध्यान रखते हुए ही ये योजना बनाई है ,जिससे किसीको हमारे इस रिश्ते की वज़ह से दूसरे रिश्ते बिगड़े नहीं,और अगर कुछ सुधार करना पड़ेगा तो मे बता दूँगा
शालिनी : आशा करती हूं कि सब अच्छा हो और सब खुशी खुशी मिल-जुलकर रहे।
चाचाजी : सब अच्छा ही होगा ,अब आप उस चिंता को छोड़ो और अभी जो करना है वो करो ,चलो नृत्य नहीं करना ?
शालिनी : हाँ हाँ चलो
चाचाजी और शालिनी मिल के नृत्य करने लगते है ,आज भी नृत्य मे कल की तरह ही शालिनी के स्तन कमर और पैरों मे काफी थिरक थी ,
उसी बीच एक गाने मे चाचाजी शालिनी के पल्लू को पकड लेते है ,और शालिनी आगे चलती रहती है जिसे साड़ी उसके शरीर से निकलने लगती है
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,फिर जब साड़ी निकल जाती है तब चाचाजी उसके करीब आके उसके स्तनों पर सिर टिका देते है
फिर धीरे से नीचे आके नाभि पर चुंबन करते है ,शालिनी चाचाजी को हल्का धक्का देके सोफ़े पर बैठा देती है और खुद झुक जाती है जिससे उसके स्तन चाचाजी के चेहरे के पास आते है और चाचाजी को एक हल्का चुंबन करते है,ये सब गाने मे था इस लिए।
फिर एक दूसरे गाने मे चाचाजी सोफ़े पर बैठे थे और शालिनी नृत्य करते हुए एक गुलदस्ते से एक एक फूल लेकर अपने कमर मे और अपने स्तनों के बीच लगाती है
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और एक गाने मे अभिनेता अभिनेत्री के स्तनों मे सिर टिकता है और फिर अपनी उंगली स्तनों के उभार पर फिराते है चाचाजी भी ठीक वैसा ही करते है
जो देखने में काफी कामुक था पर शालिनी और चाचाजी नृत्य को जैसा है ठीक वैसा करते थे ,और एक गाने मे अभिनेता जैसे अभिनेत्री के नितंबों को सहला रहा था चाचाजी भी वैसा ही करते है
, एसे ही नृत्य करते हुए दोनों थककर सोफ़े पर आते है।
शालिनी : आज तो आपने आग लगा दी।
चाचाजी : फिर भी आप के 50 प्रतिशत तक भी नहीं हो सकता ,आप तो हूबहू अभिनेत्री जैसा और उससे भी अच्छा नाचती है
शालिनी : बस बस ...पर क्या हम गाव मे नृत्य कर सकेंगे ?
चाचाजी : कुछ दिन सायद नहीं कर पाएंगे ,पर जब भी मौका मिलेगा मे आपके साथ नृत्य जरूर करना चाहूँगा।
शालिनी : ठीक है तब कि तब देखेंगे ,अभी आप इधर आइए
शालिनी चाचाजी को स्तनपान करने को बुलाती है,चाचाजी भी गोदी मे सिर रख देते है और शालीन अपने एक स्तन को चाचाजी के मुँह मे रख देती है ,चाचाजी निप्पल मुँह मे लेके चूसने लगते है, तब उसे कल रात का सपना याद आता है ,कैसे ये स्तन सभी समय उसके सामने रहे थे और उससे दुध पिया था।
15 मिनट बाद स्तन खाली हो जाता है और शालिनी उसे अपने दूसरे स्तन की ओर आने को कहती है।
चाचाजी : मे एक बात कहना चाहता हूं ,
शालिनी : हाँ बोलिए
चाचाजी : वो ...वो ...मे ..मेें..
शालिनी : क्या बकरे की तरह मे..मे..कर रहे हैं, आप से कितनी बार कहा अब आप को झिझक नहीं होनी चाहिये।
चाचाजी : हाँ ठीक कहा ,वो मे स्तनपान करना चाहता हूं।
शालिनी : वो तो मे करवा तो रही हूँ।
चाचाजी : वहीं तो ..आप करवा रही है पर मे अपने हिसाब से स्तनपान करना चाहता हूं।
शालिनी : क्या मतलब ?मे समझी नहीं।
चाचाजी : आप बस बैठे रहिए ,सब मे करूंगा ,पहले से लेके आखिरी तक सब
शालिनी : मे नही समझ पा रही, एक काम करती हूं मे बैठी हूं आपको जो करना है करो ठीक?
चाचाजी : ठीक
चाचाजी पहले तो शालिनी के ब्रा के हूक को लगा देते है।
शालिनी : ये क्या आपने तो हूक लगा दिए।
चाचाजी : (मुँह पर उंगली रख के ..)शू.....
मुझे डिस्टर्ब ना करो मुझे पीने दो
शालिनी : अच्छा अच्छा ..आप को जैसे पीना है पियो बस मुझे राहत दिला दो
चाचाजी फिर अपने काम मे लग जाते है ,सारे हूक बंध कर के वो फिर अपनी दो उँगलियों से ब्रा को स्तन पर से सरका कर उसे नंगा कर रहे थे पर शालिनी के स्तन का आकार बढ़ गया था तो उसका स्तन पूरा नहीं खुलता तो फिर चाचाजी दो हूक खोल देते है फिर ब्रा को सरका देते है जिससे शालिनी का स्तन पूरा दिख रहा था
अब वो चाचाजी के सामने किसी रसगुल्ले के जैसा था जिसमें से चाचाजी को दूध रूपी चासनी पीनी थी ,शालिनी ये सब देखकर मन ही मन हँस रही थी ,उसके लिए पहली बार था कि नीरव के अलावा कोई और उसके स्तन को नंगा कर रहा था ,उसे भी रोमांच और थोड़ी शर्म का अह्सास हो रहा था पर वो रोकना नहीं चाहती थी
शालिनी : (मन मे ..)क्या बचपना है ?अरे हा है भी तो बच्चे,कैसे भी पीए मुझे दर्द से राहत तो मिल रही है।
चाचाजी निप्पल को मुँह मे ले लेते है और चूसने लगते है ,जिससे दोनों की आंखे बंध हो जाती है ,स्तनपान के दौरान चाचाजी ने अपनी उँगलियों को ब्रा मे से निकाली नहीं थी ताकि वो बिना किसी रुकावट के स्तनपान का आनंद ले सके ,चाचाजी "चप चप" करके स्तनों से दूध चूस रहे थे ,करीब 15 मिनट बाद जब स्तन खाली हो जाता है तब शालिनी स्तन छुड़ाने लगती है तब चाचाजी छोड़ नहीं रहे थे।
शालिनी : अरे बस ! खाली हो गया ,अब जब आएगा तब पिलाऊंगी।
चाचाजी : मुझे पीने दो ना ! कल से फिर कब मुझे एसे आराम से पीने का मौका मिले,कृपया थोडी देर पीने दो।
शालिनी भी मान जाति है क्युकी कल से उसकी दिनचर्या बदल जाएगी और फिर कब उसे पिलाने का मौका मिले ,इसलिए वो भी साथ देती है ,करीब 15 20 मिनट बाद जब चाचाजी स्तनों को चूसने बंध करते है ,शालिनी खड़ी होकर अपनी ब्रा पहनने लगती है।
चाचाजी : सुनो ! क्या आप मेरी एक बात मानोगे? मुझे नहीं पता मे ये सही कर रहा हूं या नहीं ,पर मेरे में मे एक अजीब सी ईच्छा हो रही है, क्युकी अब मे आपसे सब बिना शर्माते हुए और बिना झिझक बात कर सकता हूं।
शालिनी : सही है कि आप एसे ही रहे ,और जो कहना है बेफ़िक्र होके कहो।
चाचाजी : बात एसी है कि कल से हम गाव जाएंगे और फिर सायद एसे रहने का मौका मिले या ना मिले ,आज एक दिन है तो मे चाहता हूं मे अपनी इस ईच्छा को आपसे कह दु ,पर इसका आखिरी निर्णय आप लेगी और जो भी निर्णय करोगी वो मुझे खुशी खुशी मंजूर होगा
शालिनी : पहले आप बताओ तो सही।
चाचाजी : मे चाहता हूं कि आज रात हम गाव जानेवाले है तो कल से मुझे आपके ये सुंदर स्तनों से स्तनपान करने मे कुछ मुश्किलें आएगी तो आज मे इस स्तनों की हो सके उतनी ज्यादा यादे बनाना चाहता हूं ताकि आने वाले कुछ दिनों मे मुझे ये यादो के सहारे खुशी मिले।
शालिनी : अच्छा ! भला वो कैसे?
चाचाजी : सच कहूँ तो अब मुझे स्तनपान की आदत सी होने लगी है ,जैसे आपके ऊपर पैर रख के सोता हूं वैसे।
शालिनी : अब बात को घुमाओ मत ,सीधा सीधा बोले।
चाचाजी : ठीक है ! (गहरी साँस लेते हुए ..) मे आज पूरा दिन आपके स्तनों को देखना चाहता हूं ,इसे देख के इसकी यादे बना के आने वाले दिनों को काट सकू,
शालिनी : क्या ? मतलब?
चाचाजी : मतलब आप आज पूरा दिन अपने स्तनों को ना ढंके, ताकि जी भर के इसको देखते हुए मेरा दिन गुजरे ,क्युकी कल से आपके स्तनों को कब देख सकूँगा ,मुझे गलत मत समझना।
शालिनी : (मन मे ..)क्या? पूरा दिन ! मे बिना स्तनों को ढंके कैसे रह सकती हूं ?स्तनपान करवाना दूसरी बात है ,उसमे कुछ समय तक ही दिखता है ,पर ये तो पूरा दिन कैसे रह सकती हूं ,नहीं मे ये नहीं कर सकती ,पर उन्होंने पहले ही कहा था कि उसकी ईच्छा अजीब होगी ,मे क्या करूँ?
चाचाजी : आपका मन नहीं मान रहा है तो रहने दीजिए, सायद मेने कुछ ज्यादा ही मांग कर दी, कोई बात नहीं।
शालिनी : नहीं एसी बात नहीं है पर मेने कभी एसा कुछ कभी नहीं किया और पूरा दिन रहना है तो थोड़ा अजीब भी लगा, पर मे आपका दिल भी नहीं तोड़ना चाहती।
चाचाजी : ठीक है कोई बात नहीं।
चाचाजी नीचे नजर करके बैठ जाते है ,शालिनी समझ जाती है चाचाजी को बुरा लगा है ,वो अपना रिश्ता खराब करना नहीं चाहती थी इस लिए वो एक बीच का रास्ता निकालती है।
शालिनी : आप नाराज ना हो ,एक काम करती हूं जिससे आपकी ईच्छा भी पूरी होगी और मेरी भी बात का समाधान हो जाएगा।
चाचाजी : कैसे?
शालिनी : आपकी बात मानते हुए मे ब्लाउज नहीं पहनती पर अपनी साड़ी के पल्लू से स्तनों को ढक लुंगी ,जिससे हम दोनों की बात का मान रह जाएगा,ठीक है।
चाचाजी : ठीक है
शालिनी कमरे मे आती है और आईने से सामने आके अपनी ब्रा निकाल देती है और एक साड़ी पहनती है और पल्लू को इस कदर रखती है जिससे उसके दोनों स्तन सामने से ढक जाते है पर साइड से दिख रहे थे
,वो आईने के सामने बैठ के खुद को निहार रही थी तभी चाचाजी कमरे मे आते है और शालिनी को देख के मुस्कराते है
जिससे शालिनी को तसल्ली होती है कि चाचाजी नाराज नहीं है ,फिर वो खड़ी होके किचन मे आती है और चाचाजी भी पीछे पीछे जाते है ,साड़ी के पल्लू मे से शालिनी के स्तन की निप्पल का उभार दिख रहा था ,पर शालिनी को उससे परेसानी नहीं थी।
जब खाना खाने बैठते है तब चाचाजी नील को लेके आते है ,शालिनी पहले उसे पीसी हुई दाल खिलाती है फिर पल्लू मे ढककर उसको स्तनपान करवाती है ,अभी नील ने एक ही स्तन से स्तनपान किया और एक स्तन को भरा हुआ छोड़ दिया।
नन्ही सी जान खाए भी कितना !
लेकिन अब शालिनी को उसको लेके चिंता नहीं रही थी कि एक स्तन पूरा भरा हुआ है क्युकी अब एक और था जो उसके स्तन से पूरा दुध पी जाता है ,खाना खाने के बाद चाचाजी नील को कमरे मे लाते है और उसके साथ थोड़ी देर खेल के उसे सुला देते है तभी शालिनी काम निपटाकर आती है।
शालिनी : नील सो गया?
चाचाजी : अभी पालने मे डाला है ,देखो सो गया की जग रहा है ?
शालिनी : (पालने मे देखकर..)सो गया है ,लगता है पेट पूरा भरा हुआ है
चाचाजी : हाँ ,पर मेरा पेट थोड़ा खाली है
शालिनी समझ जाती है कि चाचाजी क्या कहना चाहते है।
शालिनी : अच्छा ! मेरे पास कुछ है जिससे आपका पेट भर जाएगा ,आपको चाहिए?
चाचाजी : हाँ चाइये चाइये ..
शालिनी बेड पर आके लेट जाती है और धीमे से अपने पल्लू को सरका देती है
जिससे उसके गोल सुडोल रसगुल्ले जैसे स्तन दिखने लगते है ,
ना जाने कितनी ही बार चाचाजी ने इन्हें देखा था पर हर बार उसको एसा लगता है मानो पहली बार देख रहे हों ,हर बार उसको नयापन लगता है ,कहीं ना कहीं शालिनी को भी इस बात का एहसास हो गया था, कि क्युकी हर बार उसको चाचाजी की आँखों मे एक उतावलापन और उत्सुकता दिख जाती मानो उसके लिए ये पहली बार हो।
शालिनी पल्लू हटाकर लेट जाती है और अपना दूध से भरा स्तन चाचाजी के मुँह के आगे करती है जिससे चाचाजी अपने खुरदरे होठों से निप्पल को मुँह मे ले लेते है और चूसने लगते है
,शालिनी सिर मे हाथ घुमाकर दुलारती है ,देखते ही देखते चाचाजी पूरे दूध को स्तनों से निकाल देते है ,और फिर वो अपने होठों से निप्पल को आजाद करते है।
शालिनी : क्या आपको ओर पीना है ?
चाचाजी गर्दन हिलाकर हा कहते है।
शालिनी : इस दूसरे स्तन मे अभी जितना है उतना पी लीजिए।
चाचाजी उसे भी "चप-चप"करके पी जाते है ,उसमे अभी ज्यादा था नहीं तो 2 मिनट में खाली हो जाता है।
शालिनी : आज आपके लिए खुली छुट है ,आपको जितना चुसना है उतना चूस लीजिए ,कल से फिर कब मौका मिले ,पर आराम से ..मे सो जाती हूँ
चाचाजी ये बात सुनकर खुश हो जाते है ,वो खाली स्तनों को चूसने लगते है और शालिनी उसके सिर पर हाथ घूमती हुई सो जाती है ,और चाचाजी को भी कब चुसते चुसते नींद आ जाती है पता नहीं रहता।
शाम को शालिनी की नींद खुलती है तो देखती है कि चाचाजी मुँह मे निप्पल लिए सो रहे है उसे देखकर वो मुस्करा देती है
शालिनी : पागल है ,देखो किसी बच्चे की तरह सो रहे हैं।
शालिनी चाचाजी के सिर को स्तनों से अलग करते है तब चाचाजी नींद मे निप्पल को ज्यादा जोर से जकड़ लेते है ,पर शालिनी दोबारा सिर को हटा देती है जिससे चाचाजी की नींद खुल जाती है।
चाचाजी को हटाकर शालिनी बैठे बैठे अपने पल्लू को फिर से लगा रही थी जिसे चाचाजी देखते है ,शालिनी अंगड़ाई लेके खड़ी होती है
और अपने बाल को ठीक से बंध ने लगती है जिससे उसके चिकनी बग़ल दिख रही थी ,शालिनी हाथ मुँह धोने जाती है और बाद मे हॉल मे आके बैठ जाती है ,इधर चाचाजी भी हाथ मुँह धोने जाते है ,इधर शालिनी आज के दिन जो पल्लू मे काट रही है उसके बारे मे सोच रही है।
शालिनी : क्या मेने सही किया ? क्या ये ज्यादा तो नहीं हो रहा ना ,नहीं चाचाजी ने पहले ही कहा था कि उसकी कुछ ईच्छा या मांग अजीब लगेगी ,और उसने ये मांग भी तब कहीं जब हम अकेले है और बाद मे सायद एसे आराम से कैसे स्तनपान होगा इस लिए जब तक योजना सफल नहीं होगी तब तक अपनी यादो के लिए कि कैसे उसे मेरे स्तनों से एक आनंद और सुकून मिलता जिससे वो खुश रह सके ,पर मे उनकी इस बात को भी नहीं पूरा कर सकीं ,मे कैसी छोटी माँ हूं जो एक ईच्छा नहीं पूरी कर सकती,वैसे एक बात है सिर्फ पल्लू लगाने से गर्मी नहीं हो रही, अभी मे आज का बचा हुआ समय अपने बच्चों के नाम करती हूं उसकी हर ईच्छा को पूरी करूंगी
चाचाजी हॉल मे आके बैठ जाते है वो देखते है शालिनी किसी सोच मे डूबी हुई है और उसे उसके आने का भी ध्यान नहीं है।
चाचाजी : (चुटकी बजाते हुए ..)कहा खो गयी, चाय नहीं बनानी? मे बना दूँ आज ?
शालिनी : अरे नहीं नहीं ,अभी बनाने जा रही हूं ,पर मे ये सोच रही थी कि मे कितनी कठोर हृदय की माँ हूं जो अपने बच्चों की ख्वाहिश और ईच्छा नहीं पूरी नहीं की।
चाचाजी : कौनसी ईच्छा ?
शालिनी : आज जो दोपहर को आपने ईच्छा जतायी थी वो
चाचाजी : आपने पूरी तो कि मेरी ईच्छा।
शालिनी : हाँ पर आधी ,और उसमे मेरी मर्जी भी मिलाई।
चाचाजी : अरे, इस मे कोई बड़ी बात नहीं ,आप सबसे अच्छी माँ है ,
शालिनी : नहीं मे अपने बच्चे की हर ईच्छा पूरी करूंगी
चाचाजी : पर इससे बच्चा बिगड़ जाएंगे, इस लिए कभी कभी ना भी कहना पड़ता है।
शालिनी : वो जो हो, भले बिगड़ जाए ,पर आज मे आपकी ईच्छा पूरी करूंगी।
शालिनी खड़ी होती है आपने बांये हाथ को कंधे पे ले जाकर अपने पल्लू को सरका देती है जिससे उसके दोनों स्तन चाचाजी के सामने थे ,फिर शालिनी अपने पल्लू को कमर मे लपेट लेती है।
शालिनी : अब ठीक है ?
चाचाजी : इनकी कोई जरूरत नहीं थी ,वो तो बस मेरे मन मे विचार आया था तो बता दिया था।
शालिनी : वो जो भी हो, अभी आप जो चाहते थे वो रहा है तो खुश रहें ,और अपनी यादो मे बसा लीजिए ,मेरे लिए बस मेरा परिवार खुश रहना चाहिए वो ही मायने रखता है।
चाचाजी की नजर बार बार शालिनी के स्तनों पे चली जाती ,क्युकी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी ईच्छा पूरी हो रही है ,जिसका परिणाम ये था कि आज जितना भी समय है शालिनी एसे ही अपने स्तनों को बेपर्दा रखकर रहेगी,फिर शालिनी चाय बनाने जाती है और चाचाजी उसे देख रहे थे कि कैसे चाय बनाते समय इधर उधर चलने से शालिनी के स्तन हिल रहे थे
कभी आपस में टकराते, कभी दाएं बाये होते और एकबार जब कुछ गिर जाता है तब उसे उठा ने के लिए शालिनी झुकती है तब उसके स्तन किसी मीठे पके हुए फल की तरह झूलने लगते है ,चाचाजी को यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सच मे हो रहा है।
चाचाजी : (मन मे ...)ये कोई चमत्कार ही है कि एक स्त्री जो एक आदमी को कुछ महीने पहले जानती भी नहीं थी आज उसकी ईच्छा के लिए अधनंगी होके घर के काम कर रही है और स्तनपान भी करवाती है, और इसी स्त्री ने उसको अपने परिवार के देहांत के ग़म से बाहर निकाला था और अपने परिवार का हिस्सा बना लिया और एक अटूट रिश्ता बना लिया।
शालिनी चाय नाश्ता लेके आती है और चाचाजी के सामने आके बैठ जाती है ,
दोनों नास्ता करके बैठे थे कि नील के रोने की आवाज आती है ,चाचाजी नील को ले आती है और उसे चुप कराते हैं, नील को शालिनी के गोद मे देकर सोफ़े पर बैठ जाते है ,अब शालिनी बिना पल्लू के ही नील को स्तनपान करवा रही थी ,नील एक स्तन मे से ही दूध पिता है उतने मे ही उसका पेट भर जाता है इस लिए उसे बाजू मे रख कर शालिनी चाचाजी को स्तनपान करने को कहती है ,चाचाजी भी गोदी मे सिर रख के लेट जाते है और स्तन से दुध चूसने लगते है ,अभी चाचाजी ने स्तनपान शुरू ही किया था कि शालिनी के मोबाइल मे कॉल आता है ,वो चाचाजी को इशारे ने स्तनपान जारी रखने को कहती है और कॉल को उठाती है ,वो कॉल पुलिस की ओर से था।
पुलिस : मेरी बात शालिनीजी से हो रही है ?
शालिनी : हाँ बोल रही हूँ।
पुलिस : वो आज रात 12 बजे आपकी ट्रेन की टिकट है तो आप 11 बजे तक तैयार रहना ,हम आपको 11 बजे लेने आयेंगे।
शालिनी : ठीक है ,हम तैयार रहेंगे ,
पुलिस : बहुत बढ़िया ! ठीक है ,सावधान रहिए और किसी को बतायेगा नहीं ,
शालिनी : हाँ हम ध्यान रखेंगे, धन्यवाद।
शालिनी कॉल रख देती है तब चाचाजी पूछते है किसका कॉल था ,तब शालिनी सब बताती है।
चाचाजी : मतलब अब हमारे पास 5 घंटे है।
शालिनी : हाँ
चाचाजी स्तनपान पूरा करते है फिर शालिनी उसका मुँह साफ कर देती है,फिर शालिनी घर के सब समान को सही से ढंक कर रखने लगती है जिसमें चाचाजी भी मदद करते है ,तब तक खाने का समय हो चुका था तो शालिनी खाना बनाने लगती है और चाचाजी नील को सम्भाल रहे थे ,बाद मे सब भोजन करके आराम से बैठते है ,अभी 9 बजे थे और अभी समय बचा था
शालिनी : हम कब तक गाव पहुंचेंगे?
चाचाजी : हम ट्रेन से जा रहे है इसलिए 12 घंटा बड़े शहर तक पहुचने मे होगा फिर वहा से 2.5 - 3 घंटे बस से लगता है।
शालिनी : मतलब कल का पूरा दिन तो सफर मे गुजरेगा, और सफर भी लंबा है ,ऊपर से गर्मी ,पर शुक्र है कि A.C. वाला डिब्बा है।
चाचाजी : हाँ वो सही है पर मे क्या कहता हूं कि अभी समय है तो हम ठंडे पानी से नहा लेते है इससे सफर मे आराम मिलेगा ,कल फिर नहाने का मौका सायद गाव जाकर मिले।
शालिनी : हाँ सही कहा ,मेने भी सोचा था ,नहाने से ताजगी रहेगी।
चाचाजी : मुझे आप नहला दोगी?
शालिनी : ठीक है ,अभी समय है ,आप जल्दी से जाइए और नहाने की तैयारी करो मे नील को स्तनपान करवा देती हूं ,ताकि रात मे वो परेसान ना हो।
चाचाजी : ठीक है।
चाचाजी नहाने के लिए बाल्टी भरते है और अपने कपड़े निकाल कर कच्छे मे बैठ जाते है ,नील भी ज्यादा दूध नहीं पिया क्युकी अभी उसने खाया था ,इस लिए शालिनी को देर नहीं लगती ,वो आके देखती है चाचाजी उसकी ही राह देख रहे थे, और चाचाजी उसे देख रहे थे कि कैसे शालिनी अपने सुंदर स्तनों को बिना छुपाये सिर्फ घाघरा पहने हुए अधनंगी हालत मे अपनी ओर धीरे धीरे बढ़ रही थी जिसे चाचाजी बस देखे जा रहे थे।
शालिनी चाचाजी को नहलाने लगती है ,चाचाजी बस चुपचाप शालिनी के झूलते हुए स्तनों की जोड़ी को निहार रहे थे ,शालिनी चाचाजी का सिर अपने हाथो से धोने लगती है जिससे चाचाजी के ठीक सामने शालिनी के स्तन झूल रहे थे ,जिसे चाचाजी एकटक निहार रहे थे ,जब शालिनी ने चाचाजी के बालों मे शैंपू लगाया था तब चाचाजी सिर को दाएं बाएं करके छींटे उड़ाते है, जिससे शालिनी उसे हल्का डाँटा क्युकी शैंपू वाले छींटे उसके ऊपर गिरे थे
,वो चाचाजी को फव्वारे के नीचे खड़े होकर नहाने को कहती है और खुद अपने स्तनों को साफ़ करने लगती है।
चाचाजी नहाकर बाहर आते है और शालिनी नींबु काटकर उसे घिसकर नहाने लगती है ताकि लंबे समय तक फ्रेश महसूस हो
,शालिनी के नहाकर आने के बाद वो तौलिये मे लिपटकर कमरे मे आती है और एक साड़ी और ब्लाउज पहन लेती है ,अब तो शालिनी को ब्लाउज पहनना भी पसंद नहीं आ रहा था क्युकी उसे ब्रा मे ज्यादा आराम मिलता था ,पर ना चाहते हुए भी उसे ब्लाउज पहनना पड़ता है, फिर वो नील को हल्का सा नहला देती है ,फिर वो तैयार हो जाती है जब वो तैयार होके आती है तो देखती है अभी 11 बजने मे आधा घंटा बाकी है और वो सोफ़े पर आके बैठती है और नील को स्तनपान करवाने लगती है ,नील ज्यादा नहीं पिता इस लिए वो चाचाजी को अपनी गोदी मे सुलाती है।
शालिनी : आइए , आखिरी बार आराम से स्तनपान कर लीजिए ,कल से एसा मौका मिले ना मिले।
चाचाजी 15 मिनट ने दोनों स्तनों से दूध चूस कर खाली कर देते है।
शालिनी : अब सफर मे दिक्कत नहीं रहेगा।
शालिनी स्तनपान करवाकर अपने ब्लाउज के बटन बंध कर रही थी इतने मे पुलिस का कॉल आता है ,उसकी गाड़ी आ गई थी,शालिनी नील को और एक पहिये वाली सूटकेस लेके आगे चलती है और पीछे चाचाजी सब खिड़की दरवाजे और बिजली बंध करके आते है ,शालिनी बग़ल वाली चाची के घर जाके घंटी बजती है।
चाची : अरे!शालिनी इस समय ,और ये समान और नील?,कहा जा रही हो ?
शालिनी : पुलिस की देखरेख में हम गाव जा रहे हैं, सुरक्षा के देखते हुए हमे जाना पड़ेगा ,और ये हमारे घर की चाबी है आप ध्यान रखना।
चाची : हाँ ,ये भी कोई कहने की बात है ,कब तक रहोगी गाव मे ?
शालिनी : कुछ कह नहीं सकते, पर कुछ महीने हो जायेंगे।
चाची : ठीक है ,ध्यान से जाना और अपना और बच्चे का ख्याल रखना और घर की चिंता मत करना। शुभ यात्रा।
तभी एक पुलिस वाला शालिनी और चाचाजी को लेने आता है और सभी पुलिस की गाड़ी मे बैठ के रेल्वे स्टेशन आते है, 15 मिनट मे ट्रेन आती है,साथ मे आया पुलिसकर्मी ट्रेन के T.C. को जानकारी देता है। तभी गाड़ी का हॉर्न बजता है और पुलिसकर्मी उतर जाता है।
T.c. : वो पुलिस मे मुझे सब बता दिया है इस लिए सुरक्षा के लिए आपकी इस कैबिन मे कोई नहीं है और आप एक काम करे कैबिन के आगे ये चादर बांध दीजिए जिससे सोते हुए भी आपको दिक्कत ना हो वैसे एक पुलिसकर्मी डिब्बे मे है ,अगर आपको कोई दिक्कत हो तो उसे बता दीजियेगा ,आपकी यात्रा शुभ हो।
शालिनी : आपका बहुत बहुत धन्यावाद सर।
चाचाजी : पहले मे वो सफेद चादर बाँध देता हूं।
कैबिन मे 6 सीट थी जिसमें 4 सीट आमने सामने और 2 दूसरी खिड़की के पास ऊपर नीचे।
चादर बाँध देने के बाद केबिन एक छोटे कमरे जैसी हो गई थी ,चाचाजी एक चादर से दोनों सीटों के जंजीर से बाँध कर एक पालना बना देते है जिससे नील आराम से सो सके ,नील को पालने मे रख के दोनों आमने सामने बैठ जाते है और बातें करते है ,फिर शालिनी नीरव को कॉल करके बता देती है कि वो ट्रेन मे बैठ चुके गई और गाव जा रहे हैं, फोन रखने के बाद दोनों नीचे वाली सीट पर सो जाते है।
रात के तीन बजे थे ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी थी ,शालिनी की नींद खुल जाती है क्युकी हर रात की तरह आज भी स्तन दूध से भरे हुए थे जिसे वो खाली करना चाहती थी ,घर पर तो दिक्कत नहीं होती थी क्युकी चाचाजी को पीला देती थी पर अब क्या करे? इस बात से शालिनी बैचेन हो गई थी ,तभी ट्रेन स्टेशन से चलने लगती है ,शालिनी ध्यान भटकाने के लिए मोबाइल देखती है और देखती है अगले स्टेशन आने मे अभी 1 घंटे से ज्यादा है, इस बात से शालिनी के दिमाग में फिर से द्वंद चलने लगता है।
शालिनी : (मन मे ..) अभी अगले स्टेशन आने मे 1 घंटे से ज्यादा का समय है,इसका मतलब ना कोई आएगा और ना जाएगा ,और अभी तक सभी सो रहे होगे ,और ये चादर भी बंधी हुई है तो कोई नहीं देख सकता और किसी को पता नहीं चलेगा,तो क्या मे चाचाजी को जगा दूँ?
तभी एक दर्द की लहर शालिनी के स्तनों मे दौड़ जाती है, जिससे शालिनी से अब रहा नहीं जाता और वो चाचाजी को जगाने का निर्णय लेती है।
शालिनी : सुनो ,जरा उठो ,आपसे काम है
चाचाजी : क्या हुआ ? कोई परेसानी है ?
शालिनी : जी ,वो हर रात की तरह अभी दर्द हो रहा है तो क्यु ना आप मुझे अभी इस दर्द से राहत दिलाए।
चाचाजी : क्या अभी ?इस चलती ट्रेन में ?नींद से जगो, अभी हम घर पर नहीं है ,
शालिनी : पता है ,आप बस स्तनपान करके मुझे दर्द से राहत दिलाए।
चाचाजी : अगर किसी ने देख लिया तो ?
शालिनी : मेने देखा है कि अगला स्टेशन आने मे 1 घंटा है और अभी सब सो रहे है तो कोई नहीं आएगा ,और ये चादर भी तो है ,कोई नहीं देख सकता,अगर ज्यादा डर है तो ये खिड़की का पर्दा भी लगा देती हूं।
चाचाजी : ये एक जोखिम भरा काम है ,
शालिनी : अभी आपने आधा दूध पी भी लिया होता ,अभी आप ज्यादा मत सोचो बस मे कह रही हूँ उतना कीजिए।
चाचाजी : वैसे भी मेरी कहा चलती है ?ठीक है।
शालिनी खिड़की के पास बैठ जाती है और चाचाजी उसके गोदी मे सिर रख देते है। और आंखे बंध करके स्तनपान करने लगते है जैसे जैसे चाचाजी स्तनपान करते जाते है वैसे वैसे उसका डर भी कम होता जाता है,दोनों स्तनों से दूध पीकर चाचाजी वापिस अपनी सीट पर आके सो जाते है और शालिनी भी सो जाती है उसे भी सुकून भरी नींद आती है ,सुबह जब शालिनी की नींद खुली तो देखती है चाचाजी सामने बैठे हुए खिड़की के बाहर का नज़ारा देख रहे थे।
शालिनी : आप कब जागे?
चाचाजी : आधे घंटे पहले। तुम चैन से सो रही थी इस लिए नहीं जगाया।
शालिनी अपने बाल सही से बाँध देती है फिर खड़ी होके नील को देखती है वो सो रहा था ,शालिनी फिर फ्रेश होने जाती है और जब आती है देखती है नील चाचाजी की गोद मे खेल रहा था।
शालिनी : लाइये इन्हें मे संभालती हूं आप फ्रेश हो जाए।
चाचाजी के जाने के। बाद शालिनी नील को स्तनपान करवाती है ,नील दोनों स्तनों से दुध पी लेता है ,शालिनी भी खुश थी कि नील ने अच्छे से स्तनपान किया ,जब चाचाजी आए तब शालिनी ने उसे वो पर्दा हटाने को कहा और चाचाजी ने वो सफेद चादर बांध रखी थी वो निकाल दिया।
शालिनी : अब जाके कहीं सुरक्षित महसूस हो रहा है।
चाचाजी : हाँ सही कहा ,पर मेरे होते आपको कोई कुछ नहीं कर सकता।
तभी चाय वाला आता है और शालिनी और चाचाजी चाय और नास्ता करते है फिर एसे ही सुरक्षित तरीके से दोनों 1 बजे अपने स्टेशन पहुंच जाते है ,दोनों स्टेशन पर थोड़ी देर बैठते है और फिर बारी बारी से नहाने जाते है ,फिर चाचाजी सामने ही बस स्टैंड था वहा जाकर अपने गाव की बस के बारे मे पता लगाने जाते है।
जब चाचाजी बस ढूंढ रहे थे तभी उसे एक आदमी बुलाता है ,जो चाचाजी का पहचान वाला था ,वो एक ट्रैवल एजेंसी मे गाड़ी चलाता था ,उसकी रात की ड्यूटी थी जो खत्म करके वो घर जाने वाला था हालाकि उसका गाव चाचाजी के गाव से पहले आ जाता था पर चाचाजी से पहचान होने से वो उसे घर तक छोड़ने आने को राजी होता है।
चाचाजी : पर मे अकेला नहीं हूं ,मेरे साथ मेरे दोस्त की बहू और उनका बेटा साथ मे है वो सामने रेलवे-स्टेशन पर है मे उसे ले आता हूं ,
ड्राईवर दोस्त : एक काम करो मे अपनी गाड़ी उधर ले आता हूं आप समान लेके आइए हम वही से निकल जाएंगे।
चाचाजी शालिनी को लेके आते है और दोनों बस में बैठ जाते है,वो घर जा रहा था इस लिए पूरी बस मे कोई नहीं था ,और बस भी स्लीपर वाली थी
,इस लिए शालिनी समान रख के आराम से दो सीट वाले सोफ़े पर आके बैठ जाती है उसमे भी उसका शटर बंध करके वो सो जाती है और चाचाजी बाहर ड्राइवर के साथ बातचीत कर रहे थे ,अभी गाव आने मे समय था तो ड्राइवर दोस्त चाचाजी को सो जाने को कहता है ,चाचाजी भी उसकी बात मान कर अंदर आके शालिनी के सामने सिंगल सीट वाला सोफा था उधर आके लेट जाते है,इधर ड्राइवर केबिन का दरवाजा लॉक करके अपने गाने सुनते हुए अपनी मस्ती मे गाड़ी चलाने लगता है।
अभी 3 बजे थे और 1 घन्टा और लगने वाला था तब चाचाजी को शालिनी के ससुर का कॉल आता है ,वो उनसे बात कर रहे थे जिससे शालिनी की नींद खुल जाती है ,उसे अपने स्तनों मे हल्का दर्द होने लगता है वो देखती है ड्राइवर और सीट के बीच का दरवाजा बंध है और पर्दा लगा हुआ है और गाने की हल्की आवाज आ रही थी और पूरी बस मे वो दोनों ही है ,उसे लगता है कि किस्मत भी उसका साथ दे रही है तो क्यु ना इस का फायदा लिया जाए, इधर चाचाजी फोन रख देते है।
शालिनी : किसका फोन था ?
चाचाजी : आपके ससुर का ,हम कहा पहुचे उसके लिए
शालिनी : अभी कितनी देर है ?
चाचाजी : करीब एक घंटा।
शालिनी : फिर तो काफी समय है ,मे क्या कहती हूँ को वो मेरे सीने में दर्द हो रहा है तो क्या आप ....
चाचाजी : आप पागल है ? हम चलती बस मे है।
शालिनी : पर बस मे कोई नहीं है और मुझे नहीं लगता ड्राइवर भी इधर ध्यान देगा ,और हम ये शटर बंध कर लेंगे ,और अभी ये आखिरी बार मौका है फिर गाव पहुच कर कब मौका मिले और मुझे पूरा दिन दर्द मे निकालना पड़ेगा।
चाचाजी : पर कैसे ?
शालिनी : वैसे जैसे कल ट्रेन मे किया था।
वैसे चाचाजी का भी मन था स्तनपान करने का इस लिए वो ज्यादा दलील नहीं करते,नील को अपनी सीट पर सुला कर चाचाजी शालिनी के साथ बड़ी सीट पर आ जाते है और दोनों लेट जाते है शालिनी शटर बंध करके अपने ब्लाउज के बटन खोल देती है ,अभी चलती बस मे स्तनपान करने मिलेगा वो चाचाजी ने सोचा भी नहीं था ,ये अनुभव दोनों के लिए डर और रोमांच से मिश्रित था ,एक डर भी था और एक करना ही है वाली भावना दोनों के मन थी ,चाचाजी तो बस आंखे बंध करके अपने काम मे लग जाते है ,अब जो भी हो उसे फर्क़ नहीं पड़ने वाला था वो बस शालिनी के स्तनों से अपने मुँह में आ रहे दूध से खुश थे ,उसे अब कुछ नहीं चाहिए ,करीब 20 - 25 मिनट तक स्तनों को चूस कर चाचाजी ने एक बूंद भी दूध की नहीं रहने दी
,उसे तो ज्यादा चूसने का मन था पर परिस्थिति अभी सही थी थी इस लिए वो स्तनों को आजाद करते है और शालिनी को भी मानो ज्यादा चूसने से कोई एतराज नहीं था तो वो चाचाजी को जितना चाहे उतना चूसने दे रही थी ,समय के साथ बिताने से दोनों के बीच एक दृढ़ और परिपक्व रिश्ता बन गया था ,जिसमें दोनों एक दूसरे की ईच्छा और बात का मान रखते थे।
चाचाजी अभी आगे आके ड्राइवर के साथ बैठ जाते है और आधे घंटे में गाव आ जाता है ,बस होने की वह से वो गाव के बीच नहीं चल सकती थी क्युकी रास्ते की चौड़ाई कम थी ,इस लिए वो गाव के बाहर से एक कच्चा पर बड़ा रास्ता जो गाव के दूसरे सिरे पर निकलता था उस रास्ते से जाते है और चाचाजी का घर भी गाव के दूसरे सिरे मे आखिरी मे था तो बस सीधा वहीं जाके रुकती है और चाचाजी और शालिनी दोनों बस मे से नीचे उतरते है और चाचाजी अपने गाव की धूल को अपने माथे पे लगाकर नमन करते है।
Upadate 15 :
शालिनी और चाचाजी दोनों सोने आते है
,शालिनी के एक स्तन मे अभी दुध बचा था तो वो चाचाजी को स्तनपान करने को कहती है पर चाचाजी मना करते है।
शालिनी : क्या हुआ? कोई भूल हो गई क्या ?कोई तकलीफ है ?
चाचाजी : नहीं मे ठीक हुँ और आपसे कोई भूल नहीं हुई ,
शालिनी : तो फिर क्या हुआ ?
चाचाजी : मे क्या कहता हूं ?
शालिनी : क्या ?
चाचाजी : अभी आप ये ब्रा को निकाल सकती है।
शालिनी : क्यु ?क्या दिक्कत है ?
चाचाजी : वैसे दिक्कत तो नहीं है पर सोचा कि पूरे दिन तो ब्रा पहने रखते हों तो अब रात को थोड़ा राहत मिले और वैसे अभी तो अंधेरा है तो क्या फर्क़ पड़ेगा
शालिनी भी सोच मे पड़ जाती है क्युकी जब नीरव के साथ होती थी तब वो बिना ब्रा के ही सोती थी वो तो अब तक चाचाजी के होने से शर्म की वज़ह से पहन रही थी पर जबकि अब चाचाजी के साथ खुल गई है तो अब कैसा पर्दा? वैसे भी चाचाजी स्तन को देख चुके है चूस चुके है फिर क्या शर्माना ?वैसे भी पूरे दिन ब्रा पहनने से उसके पीठ और कंधे पर ब्रा के स्ट्रिप के निसान पड़ गए थे और स्तनों के नीचे वाले हिस्से मे कभी जलन भी होती थी ,वो तो अब तक स्तनों के दर्द के आगे सब नजरअंदाज कर रही थी ,उसे भी चाचाजी की बात सही लगी।
चाचाजी : कोई झिझक है ?
शालिनी : नहीं नहीं ..कुछ नहीं बस थोड़ा सोच रही थी ,पर अब कोई दिक्कत नहीं ,सब सही है अब।
चाचाजी : मेने कहा था कि आपको मेरी कुछ बात अजीब लगेगी ,पर मे तो बस आपके राहत के बारे मे सोच के कहा,अब तक हमारे बीच एक पर्दा या कहो एक रिश्ते और रिवाजों की दीवार थी जो अब ढह गई है और अब हम एक नए रिश्ते का निर्माण कर रहे है ,जिस मे ना कोई पर्दा होगा और ना ही कोई ज़माने के रिवाजों की बंदिश।
शालिनी : हाँ सही कहा , मे भी यही चाहती हूं कि हमारे बीच कोई दुविधा या शर्माना जैसी बात ना आए,
चाचाजी : तो फिर अब आप मुझे दूदू पिलायें ,
शालिनी : रुको मे ब्रा निकाल देती हू
शालिनी ब्रा निकाल ने लगती है ,वो धीरे से अपने ब्रा के हूक खोलती है और कंधे से ब्रा की पट्टी सरका कर ब्रा को अपने से दूर करती है और बेड के नीचे रख देती है ,नाइट लैम्प की रोशनी मे बेड पर बैठी शालिनी किसी अप्सरा जैसी लग रही थी ,वो भी अधनंगी अवस्था मे उसके सुडोल गोल स्तन जो आपस मे सटकर थे ,उसपर उसके तने हुए अनार के दाने जैसा गुलाबी निप्पल ,स्तनों के वजन से शालिनी के कमर मे बल पड़ रहे थे।
शालिनी : आप कैसे पियेंगे?गोदी मे या लेटकर?
चाचाजी : गोदी मे।
चाचाजी शालिनी की गोदी मे अपना सिर रख देते है उस वज़ह से उसके स्तन ठीक उसके चेहरे के ऊपर थे
जिससे शालिनी का चेहरा नहीं दिखता और उसके स्तन का नीचे का हिस्सा चाचाजी के होंठ को छु रहा था, शालिनी निप्पल को चाचाजी के होंठ मे रख देती है तब चाचाजी भी बिना देरी के अपने मुँह मे लेकर चूसने लगते है ,जैसे ही दूध की धार चाचाजी के मुँह मे आती है दोनों की आंखे बंध हो जाती है चाचाजी धीरे धीरे चूस रहे थे
जिस से आधे स्तन को खाली होने मे 10 मिनट लग जाते है ,जब स्तनपान हो जाता है शालिनी चाचाजी के माथे के चूम लेती है और वो एसे ही बिना ब्रा पहने लेट जाती है।
चाचाजी : अभी आप ब्रा नहीं पहनेंगे?
शालिनी : नहीं ,क्युकी सायद रात मे भी पिलाना पड़ जाए तब वापिस निकालना पड़ेगा और गर्मी भी लगेगी।
शालिनी चाचाजी को अपने से सटा के सुला देती है और खुद भी सो जाती हैं ,रात के करीब तीन बजे शालिनी की नींद खुलती है और चाचाजी को स्तनपान करवाती है,स्तनपान करने के बाद दोनो सो जाते है ,तब चाचाजी को एक सपना आता है
[ " सपना "]
चाचाजी सपने मे देखते है कि शालिनी सुबह को बिना टॉप के योग कर रही है
,बाद मे उसको भी बिना टॉप को ही नहलाने
image hosting
लगती है ,बाद मे सिर्फ लहंगा पहन के ही नास्ता बनाती है ,फिर जब चाचाजी किचन मे आते है तब शालिनी उसे सामने से अपने पेट पर हाथ रख के पीछे से चिपकने को कहती है
,जैसे वो हररोज करते थे, फिर शालिनी साथ मे नास्ता करने उसके सामने ही बैठ जाती है
और बिना पल्लू के नील के स्तनपान करवा रही थी, बाद मे घर के काम भी बिना ब्रा या ब्लाउज पहने ही कर रही है
![]()
,फिर जब वो काम निपटाकर आती है बाद मे एक दूसरा लहंगा पहनकर उसके साथ नृत्य करती है
फिर वो उसको स्तनपान करवाती है ,बाद मे खाना ,सोना और सारा दिन टॉपलेस ही रहकर ही बिताती है मानो उसे चाचाजी के सामने एसे रहने मे कोई शर्म या झिझक नहीं थी उससे उल्टा वो एसे रहती है मानो वो उसके लिए हर रोज की दिनचर्या हो ,सोते समय भी वो चाचाजी को स्तनपान करवाती है और अपने स्तन से चिपका कर प्यार से सुलाती है।
,सुबह को जब शालिनी जगती है तो देखती है चाचाजी उसके स्तन पर सिर रखे सोये है और उसका हाथ पेट पर है ,वो हाथ हटा के बेड पर बैठे बैठे अंगड़ाई लेती है
और फ्रेश होके अपने योग वाले कपड़े पहनने आती है तब तक चाचाजी भी जग गए थे ,शालिनी ये आईने में देखती है।
शालिनी : जग गए ?जाइए फ्रेश हो जाए
चाचाजी : ठीक है।
चाचाजी खड़े होते है तब शालिनी उसके सिर को चूम लेती है फिर चाचाजी फ्रेश होने जाते है और शालिनी अपने कपड़े बदल लेती है और एक योग्य ड्रेस पहन के हॉल मे आती है
,शालिनी योग करने लगती है,कुछ देर बाद चाचाजी बाथरूम मे से बाहर आते है तो देखते हैं कि शालिनी योग कर रही है
तभी उसे अपने सपना याद आता है कि सपने मे शालिनी कैसे योग करती है।
( वास्तव मे..) (चाचाजी के दिमाग में)
चाचाजी भी अपने हल्के योग करते है फिर शालिनी चाचाजी को नहलाने लेके जाती है ,जहां चाचाजी मज़ाक मज़ाक मे फव्वारा चालू कर देते है जिससे ठंडे पानी की बूंदे दोनों के पसीने से भीगे गर्म शरीर पर पड़ती है ,पहले तो शालिनी डांटने लगती है ,पर चाचाजी उसे कहते है कि अभी नहीं तो बाद मे आपको नहाना तो है फिर अभी मेरे साथ भीग जाओ ,
शालिनी फिर चाचाजी के शरीर को पूरा साबुन लगा कर नहलाया और फिर चाचाजी ने भी शालिनी के पीठ पर साबुन लगा दिया और फिर दोनों ने एकदूसरे को साफ़ किया,चाचाजी का तो तौलिया था पर शालिनी का तौलिया और कपड़े कमरे मे थे ,पहले चाचाजी अपने शरीर को सुखा के तौलिया लिपटकर कमरे मे जाते है और शालिनी का तौलिया लाके देते है।
शालिनी : मेरे कपड़े कहा है ?
चाचाजी : मुझे नहीं पता कि आप कोन से कपड़े पहनने वाली हो।
शालिनी : ठीक है ,आप तैयार हो जाओ और नील को जगा के हॉल में बैठो
चाचाजी : ठीक है
चाचाजी के जाने के बाद शालिनी अपना टॉप उतार देती है और पेंट भी उतार देती है और सिर्फ पेंटी पहनकर नहाती है ,और बाद मे तौलिया लपेटकर बाहर आती है
,जब वो बाहर आती है तब चाचाजी की नजर उसपे पड़ती है ये पहली बार थे कि शालिनी उसके सामने तौलिया लपेटे खड़ी थी ,उसका तौलिया उसकी जांघों तक ही आता था जिससे शालिनी की गोरी जांघें और गोरे पैर साफ साफ दिख रहे थे मानो कोई संगमरमर के खंबे हो जिस पर कोई कारीगर ने काम कर के उसे सुन्दर बना दिया हो।
शालिनी कमरे मे आती है एक सुन्दर सी साड़ी पहनकर आती है ,पहले तो वो नील को स्तनपान करवाती है फिर वो नास्ता बनती है और साथ मे नास्ता करते है ,शालिनी जो भी काम करती थी चाचाजी को उसके सपने मे दिखी शालिनी नजर आती है जिसने ब्लाउज नहीं पहना था ,सब काम निपटाकर शालिनी जब चाचाजी के बग़ल में आकर बैठती है और आवाज लगाती है तब चाचाजी अपने ख्यालो से बाहर आते है।
शालिनी : क्या हुआ ? कहा खो गए ?
चाचाजी : कुछ नहीं ,बस एसे ही ..
शालिनी : आप कुछ सोचिए वर्ना कल से मुझे फिर से पहले की जैसे दर्द मे जीना पड़ेगा ,प्लीज जल्दी सोचिए आज आख़री दिन है पता है ना?
चाचाजी : ये तीन दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला, आज मे कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लूँगा।
शालिनी : आप सोचो मे तब तक नृत्य के लिए तैयार होकर आती हूं।
नील सो गया था इस लिए उसे लेकर शालिनी कमरे मे आती है और तैयार होने लगती है और इधर चाचाजी अपने सपने के बारे मे सोच रहे थे ,
चाचाजी : (मन मे...)ये मुझे कैसा सपना आया था ?लगता है इतने दिनों से स्तनपान करने से शालिनी के स्तनों से लगाव हो गया है इस लिए दिमाग उस स्तन को नहीं भूल पाता, यहा तक नींद मे भी नहीं ,लगता है अब स्तनपान सिर्फ शालिनी की नहीं मेरी भी जरूरत बन गया है ,मे स्तनपान करना नहीं छोड़ना चाहता ,मुझे कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ना पड़ेगा
चाचाजी फिर सब हालात के बारे मे सोच के उससे कैसे कैसे सुलझाया जाए ताकि स्तनपान जारी रहे ,अब उसका दिमाग पूरी तरह से इस रास्ते के खोज मे चलने लगता है और जैसे शालिनी दरवाजा खोलकर कमरे मे आती है तभी चाचाजी का दिमाग भी एक रास्ता निकाल लेता है ,वो सोफ़े से खड़े होकर एक हाथ ऊपर करके खुशी का इजहार करते है।
शालिनी : क्या हुआ ?
चाचाजी पिछे मुड़कर देखते है शालिनी तैयार होके आयी थी वो जाकर उससे गले से लगा लेते है
चाचाजी : वो ...वो एक योजना है जिस से हमारा काम हो सकता है।
शालिनी : क्या सच मे ..?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : क्या है योजना ?मुझे बताओ
चाचाजी : ठीक है पहले आओ बैठकें बताता हू।
दोनों आके सोफ़े पर बैठते है
शालिनी : जल्दी से बताओ ,क्या है योजना ?क्या करना होगा?
चाचाजी : आराम से ...ठीक है सुनो ,पर आपको इसमे थोड़ा धैर्य और थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी।
शालिनी : मे सब करूंगी,आप बस योजना बताओ।
चाचाजी शालिनी को विस्तार से अपनी योजना बताते है ,जिसमें उसको क्या करना होगा और चाचाजी क्या करेंगे सब बताते है। उसमें कुछ कठिनाई भी होगी तो शालिनी को उनसे मजबूती से सामना करना होगा, शालिनी पूरी योजना शांति से सुनती है।
शालिनी : वैसे तो कुछ खास दिक्कत नहीं पर बस नील को लेके चिंता है ,उसे तो दिक्कत नहीं होगी ना?
चाचाजी : नहीं उसे कुछ नहीं होगा ,मे वादा कर्ता हूं।
शालिनी : ठीक है फिर हम एसा ही करेंगे ,सब योजना की मुताबिक होगा तो अच्छा है इससे पापाजी को भी कुछ नहीं पता चलेगा ,अगर उसे पता चलेगा तो वो हमारे बारे मे क्या सोचेंगे? सायद वो हमारे बीच बने इस नए रिश्ते को ना समझ पाये और हमे गलत समझने लगे तो सब कुछ खत्म हो जाएगा,
चाचाजी : इस बात का ध्यान रखते हुए ही ये योजना बनाई है ,जिससे किसीको हमारे इस रिश्ते की वज़ह से दूसरे रिश्ते बिगड़े नहीं,और अगर कुछ सुधार करना पड़ेगा तो मे बता दूँगा
शालिनी : आशा करती हूं कि सब अच्छा हो और सब खुशी खुशी मिल-जुलकर रहे।
चाचाजी : सब अच्छा ही होगा ,अब आप उस चिंता को छोड़ो और अभी जो करना है वो करो ,चलो नृत्य नहीं करना ?
शालिनी : हाँ हाँ चलो
चाचाजी और शालिनी मिल के नृत्य करने लगते है ,आज भी नृत्य मे कल की तरह ही शालिनी के स्तन कमर और पैरों मे काफी थिरक थी ,
उसी बीच एक गाने मे चाचाजी शालिनी के पल्लू को पकड लेते है ,और शालिनी आगे चलती रहती है जिसे साड़ी उसके शरीर से निकलने लगती है
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,फिर जब साड़ी निकल जाती है तब चाचाजी उसके करीब आके उसके स्तनों पर सिर टिका देते है
फिर धीरे से नीचे आके नाभि पर चुंबन करते है ,शालिनी चाचाजी को हल्का धक्का देके सोफ़े पर बैठा देती है और खुद झुक जाती है जिससे उसके स्तन चाचाजी के चेहरे के पास आते है और चाचाजी को एक हल्का चुंबन करते है,ये सब गाने मे था इस लिए।
फिर एक दूसरे गाने मे चाचाजी सोफ़े पर बैठे थे और शालिनी नृत्य करते हुए एक गुलदस्ते से एक एक फूल लेकर अपने कमर मे और अपने स्तनों के बीच लगाती है
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और एक गाने मे अभिनेता अभिनेत्री के स्तनों मे सिर टिकता है और फिर अपनी उंगली स्तनों के उभार पर फिराते है चाचाजी भी ठीक वैसा ही करते है
जो देखने में काफी कामुक था पर शालिनी और चाचाजी नृत्य को जैसा है ठीक वैसा करते थे ,और एक गाने मे अभिनेता जैसे अभिनेत्री के नितंबों को सहला रहा था चाचाजी भी वैसा ही करते है
, एसे ही नृत्य करते हुए दोनों थककर सोफ़े पर आते है।
शालिनी : आज तो आपने आग लगा दी।
चाचाजी : फिर भी आप के 50 प्रतिशत तक भी नहीं हो सकता ,आप तो हूबहू अभिनेत्री जैसा और उससे भी अच्छा नाचती है
शालिनी : बस बस ...पर क्या हम गाव मे नृत्य कर सकेंगे ?
चाचाजी : कुछ दिन सायद नहीं कर पाएंगे ,पर जब भी मौका मिलेगा मे आपके साथ नृत्य जरूर करना चाहूँगा।
शालिनी : ठीक है तब कि तब देखेंगे ,अभी आप इधर आइए
शालिनी चाचाजी को स्तनपान करने को बुलाती है,चाचाजी भी गोदी मे सिर रख देते है और शालीन अपने एक स्तन को चाचाजी के मुँह मे रख देती है ,चाचाजी निप्पल मुँह मे लेके चूसने लगते है, तब उसे कल रात का सपना याद आता है ,कैसे ये स्तन सभी समय उसके सामने रहे थे और उससे दुध पिया था।
15 मिनट बाद स्तन खाली हो जाता है और शालिनी उसे अपने दूसरे स्तन की ओर आने को कहती है।
चाचाजी : मे एक बात कहना चाहता हूं ,
शालिनी : हाँ बोलिए
चाचाजी : वो ...वो ...मे ..मेें..
शालिनी : क्या बकरे की तरह मे..मे..कर रहे हैं, आप से कितनी बार कहा अब आप को झिझक नहीं होनी चाहिये।
चाचाजी : हाँ ठीक कहा ,वो मे स्तनपान करना चाहता हूं।
शालिनी : वो तो मे करवा तो रही हूँ।
चाचाजी : वहीं तो ..आप करवा रही है पर मे अपने हिसाब से स्तनपान करना चाहता हूं।
शालिनी : क्या मतलब ?मे समझी नहीं।
चाचाजी : आप बस बैठे रहिए ,सब मे करूंगा ,पहले से लेके आखिरी तक सब
शालिनी : मे नही समझ पा रही, एक काम करती हूं मे बैठी हूं आपको जो करना है करो ठीक?
चाचाजी : ठीक
चाचाजी पहले तो शालिनी के ब्रा के हूक को लगा देते है।
शालिनी : ये क्या आपने तो हूक लगा दिए।
चाचाजी : (मुँह पर उंगली रख के ..)शू.....
मुझे डिस्टर्ब ना करो मुझे पीने दो
शालिनी : अच्छा अच्छा ..आप को जैसे पीना है पियो बस मुझे राहत दिला दो
चाचाजी फिर अपने काम मे लग जाते है ,सारे हूक बंध कर के वो फिर अपनी दो उँगलियों से ब्रा को स्तन पर से सरका कर उसे नंगा कर रहे थे पर शालिनी के स्तन का आकार बढ़ गया था तो उसका स्तन पूरा नहीं खुलता तो फिर चाचाजी दो हूक खोल देते है फिर ब्रा को सरका देते है जिससे शालिनी का स्तन पूरा दिख रहा था
अब वो चाचाजी के सामने किसी रसगुल्ले के जैसा था जिसमें से चाचाजी को दूध रूपी चासनी पीनी थी ,शालिनी ये सब देखकर मन ही मन हँस रही थी ,उसके लिए पहली बार था कि नीरव के अलावा कोई और उसके स्तन को नंगा कर रहा था ,उसे भी रोमांच और थोड़ी शर्म का अह्सास हो रहा था पर वो रोकना नहीं चाहती थी
शालिनी : (मन मे ..)क्या बचपना है ?अरे हा है भी तो बच्चे,कैसे भी पीए मुझे दर्द से राहत तो मिल रही है।
चाचाजी निप्पल को मुँह मे ले लेते है और चूसने लगते है ,जिससे दोनों की आंखे बंध हो जाती है ,स्तनपान के दौरान चाचाजी ने अपनी उँगलियों को ब्रा मे से निकाली नहीं थी ताकि वो बिना किसी रुकावट के स्तनपान का आनंद ले सके ,चाचाजी "चप चप" करके स्तनों से दूध चूस रहे थे ,करीब 15 मिनट बाद जब स्तन खाली हो जाता है तब शालिनी स्तन छुड़ाने लगती है तब चाचाजी छोड़ नहीं रहे थे।
शालिनी : अरे बस ! खाली हो गया ,अब जब आएगा तब पिलाऊंगी।
चाचाजी : मुझे पीने दो ना ! कल से फिर कब मुझे एसे आराम से पीने का मौका मिले,कृपया थोडी देर पीने दो।
शालिनी भी मान जाति है क्युकी कल से उसकी दिनचर्या बदल जाएगी और फिर कब उसे पिलाने का मौका मिले ,इसलिए वो भी साथ देती है ,करीब 15 20 मिनट बाद जब चाचाजी स्तनों को चूसने बंध करते है ,शालिनी खड़ी होकर अपनी ब्रा पहनने लगती है।
चाचाजी : सुनो ! क्या आप मेरी एक बात मानोगे? मुझे नहीं पता मे ये सही कर रहा हूं या नहीं ,पर मेरे में मे एक अजीब सी ईच्छा हो रही है, क्युकी अब मे आपसे सब बिना शर्माते हुए और बिना झिझक बात कर सकता हूं।
शालिनी : सही है कि आप एसे ही रहे ,और जो कहना है बेफ़िक्र होके कहो।
चाचाजी : बात एसी है कि कल से हम गाव जाएंगे और फिर सायद एसे रहने का मौका मिले या ना मिले ,आज एक दिन है तो मे चाहता हूं मे अपनी इस ईच्छा को आपसे कह दु ,पर इसका आखिरी निर्णय आप लेगी और जो भी निर्णय करोगी वो मुझे खुशी खुशी मंजूर होगा
शालिनी : पहले आप बताओ तो सही।
चाचाजी : मे चाहता हूं कि आज रात हम गाव जानेवाले है तो कल से मुझे आपके ये सुंदर स्तनों से स्तनपान करने मे कुछ मुश्किलें आएगी तो आज मे इस स्तनों की हो सके उतनी ज्यादा यादे बनाना चाहता हूं ताकि आने वाले कुछ दिनों मे मुझे ये यादो के सहारे खुशी मिले।
शालिनी : अच्छा ! भला वो कैसे?
चाचाजी : सच कहूँ तो अब मुझे स्तनपान की आदत सी होने लगी है ,जैसे आपके ऊपर पैर रख के सोता हूं वैसे।
शालिनी : अब बात को घुमाओ मत ,सीधा सीधा बोले।
चाचाजी : ठीक है ! (गहरी साँस लेते हुए ..) मे आज पूरा दिन आपके स्तनों को देखना चाहता हूं ,इसे देख के इसकी यादे बना के आने वाले दिनों को काट सकू,
शालिनी : क्या ? मतलब?
चाचाजी : मतलब आप आज पूरा दिन अपने स्तनों को ना ढंके, ताकि जी भर के इसको देखते हुए मेरा दिन गुजरे ,क्युकी कल से आपके स्तनों को कब देख सकूँगा ,मुझे गलत मत समझना।
शालिनी : (मन मे ..)क्या? पूरा दिन ! मे बिना स्तनों को ढंके कैसे रह सकती हूं ?स्तनपान करवाना दूसरी बात है ,उसमे कुछ समय तक ही दिखता है ,पर ये तो पूरा दिन कैसे रह सकती हूं ,नहीं मे ये नहीं कर सकती ,पर उन्होंने पहले ही कहा था कि उसकी ईच्छा अजीब होगी ,मे क्या करूँ?
चाचाजी : आपका मन नहीं मान रहा है तो रहने दीजिए, सायद मेने कुछ ज्यादा ही मांग कर दी, कोई बात नहीं।
शालिनी : नहीं एसी बात नहीं है पर मेने कभी एसा कुछ कभी नहीं किया और पूरा दिन रहना है तो थोड़ा अजीब भी लगा, पर मे आपका दिल भी नहीं तोड़ना चाहती।
चाचाजी : ठीक है कोई बात नहीं।
चाचाजी नीचे नजर करके बैठ जाते है ,शालिनी समझ जाती है चाचाजी को बुरा लगा है ,वो अपना रिश्ता खराब करना नहीं चाहती थी इस लिए वो एक बीच का रास्ता निकालती है।
शालिनी : आप नाराज ना हो ,एक काम करती हूं जिससे आपकी ईच्छा भी पूरी होगी और मेरी भी बात का समाधान हो जाएगा।
चाचाजी : कैसे?
शालिनी : आपकी बात मानते हुए मे ब्लाउज नहीं पहनती पर अपनी साड़ी के पल्लू से स्तनों को ढक लुंगी ,जिससे हम दोनों की बात का मान रह जाएगा,ठीक है।
चाचाजी : ठीक है
शालिनी कमरे मे आती है और आईने से सामने आके अपनी ब्रा निकाल देती है और एक साड़ी पहनती है और पल्लू को इस कदर रखती है जिससे उसके दोनों स्तन सामने से ढक जाते है पर साइड से दिख रहे थे
,वो आईने के सामने बैठ के खुद को निहार रही थी तभी चाचाजी कमरे मे आते है और शालिनी को देख के मुस्कराते है
जिससे शालिनी को तसल्ली होती है कि चाचाजी नाराज नहीं है ,फिर वो खड़ी होके किचन मे आती है और चाचाजी भी पीछे पीछे जाते है ,साड़ी के पल्लू मे से शालिनी के स्तन की निप्पल का उभार दिख रहा था ,पर शालिनी को उससे परेसानी नहीं थी।
जब खाना खाने बैठते है तब चाचाजी नील को लेके आते है ,शालिनी पहले उसे पीसी हुई दाल खिलाती है फिर पल्लू मे ढककर उसको स्तनपान करवाती है ,अभी नील ने एक ही स्तन से स्तनपान किया और एक स्तन को भरा हुआ छोड़ दिया।
नन्ही सी जान खाए भी कितना !
लेकिन अब शालिनी को उसको लेके चिंता नहीं रही थी कि एक स्तन पूरा भरा हुआ है क्युकी अब एक और था जो उसके स्तन से पूरा दुध पी जाता है ,खाना खाने के बाद चाचाजी नील को कमरे मे लाते है और उसके साथ थोड़ी देर खेल के उसे सुला देते है तभी शालिनी काम निपटाकर आती है।
शालिनी : नील सो गया?
चाचाजी : अभी पालने मे डाला है ,देखो सो गया की जग रहा है ?
शालिनी : (पालने मे देखकर..)सो गया है ,लगता है पेट पूरा भरा हुआ है
चाचाजी : हाँ ,पर मेरा पेट थोड़ा खाली है
शालिनी समझ जाती है कि चाचाजी क्या कहना चाहते है।
शालिनी : अच्छा ! मेरे पास कुछ है जिससे आपका पेट भर जाएगा ,आपको चाहिए?
चाचाजी : हाँ चाइये चाइये ..
शालिनी बेड पर आके लेट जाती है और धीमे से अपने पल्लू को सरका देती है
जिससे उसके गोल सुडोल रसगुल्ले जैसे स्तन दिखने लगते है ,
ना जाने कितनी ही बार चाचाजी ने इन्हें देखा था पर हर बार उसको एसा लगता है मानो पहली बार देख रहे हों ,हर बार उसको नयापन लगता है ,कहीं ना कहीं शालिनी को भी इस बात का एहसास हो गया था, कि क्युकी हर बार उसको चाचाजी की आँखों मे एक उतावलापन और उत्सुकता दिख जाती मानो उसके लिए ये पहली बार हो।
शालिनी पल्लू हटाकर लेट जाती है और अपना दूध से भरा स्तन चाचाजी के मुँह के आगे करती है जिससे चाचाजी अपने खुरदरे होठों से निप्पल को मुँह मे ले लेते है और चूसने लगते है
,शालिनी सिर मे हाथ घुमाकर दुलारती है ,देखते ही देखते चाचाजी पूरे दूध को स्तनों से निकाल देते है ,और फिर वो अपने होठों से निप्पल को आजाद करते है।
शालिनी : क्या आपको ओर पीना है ?
चाचाजी गर्दन हिलाकर हा कहते है।
शालिनी : इस दूसरे स्तन मे अभी जितना है उतना पी लीजिए।
चाचाजी उसे भी "चप-चप"करके पी जाते है ,उसमे अभी ज्यादा था नहीं तो 2 मिनट में खाली हो जाता है।
शालिनी : आज आपके लिए खुली छुट है ,आपको जितना चुसना है उतना चूस लीजिए ,कल से फिर कब मौका मिले ,पर आराम से ..मे सो जाती हूँ
चाचाजी ये बात सुनकर खुश हो जाते है ,वो खाली स्तनों को चूसने लगते है और शालिनी उसके सिर पर हाथ घूमती हुई सो जाती है ,और चाचाजी को भी कब चुसते चुसते नींद आ जाती है पता नहीं रहता।
शाम को शालिनी की नींद खुलती है तो देखती है कि चाचाजी मुँह मे निप्पल लिए सो रहे है उसे देखकर वो मुस्करा देती है
शालिनी : पागल है ,देखो किसी बच्चे की तरह सो रहे हैं।
शालिनी चाचाजी के सिर को स्तनों से अलग करते है तब चाचाजी नींद मे निप्पल को ज्यादा जोर से जकड़ लेते है ,पर शालिनी दोबारा सिर को हटा देती है जिससे चाचाजी की नींद खुल जाती है।
चाचाजी को हटाकर शालिनी बैठे बैठे अपने पल्लू को फिर से लगा रही थी जिसे चाचाजी देखते है ,शालिनी अंगड़ाई लेके खड़ी होती है
और अपने बाल को ठीक से बंध ने लगती है जिससे उसके चिकनी बग़ल दिख रही थी ,शालिनी हाथ मुँह धोने जाती है और बाद मे हॉल मे आके बैठ जाती है ,इधर चाचाजी भी हाथ मुँह धोने जाते है ,इधर शालिनी आज के दिन जो पल्लू मे काट रही है उसके बारे मे सोच रही है।
शालिनी : क्या मेने सही किया ? क्या ये ज्यादा तो नहीं हो रहा ना ,नहीं चाचाजी ने पहले ही कहा था कि उसकी कुछ ईच्छा या मांग अजीब लगेगी ,और उसने ये मांग भी तब कहीं जब हम अकेले है और बाद मे सायद एसे आराम से कैसे स्तनपान होगा इस लिए जब तक योजना सफल नहीं होगी तब तक अपनी यादो के लिए कि कैसे उसे मेरे स्तनों से एक आनंद और सुकून मिलता जिससे वो खुश रह सके ,पर मे उनकी इस बात को भी नहीं पूरा कर सकीं ,मे कैसी छोटी माँ हूं जो एक ईच्छा नहीं पूरी कर सकती,वैसे एक बात है सिर्फ पल्लू लगाने से गर्मी नहीं हो रही, अभी मे आज का बचा हुआ समय अपने बच्चों के नाम करती हूं उसकी हर ईच्छा को पूरी करूंगी
चाचाजी हॉल मे आके बैठ जाते है वो देखते है शालिनी किसी सोच मे डूबी हुई है और उसे उसके आने का भी ध्यान नहीं है।
चाचाजी : (चुटकी बजाते हुए ..)कहा खो गयी, चाय नहीं बनानी? मे बना दूँ आज ?
शालिनी : अरे नहीं नहीं ,अभी बनाने जा रही हूं ,पर मे ये सोच रही थी कि मे कितनी कठोर हृदय की माँ हूं जो अपने बच्चों की ख्वाहिश और ईच्छा नहीं पूरी नहीं की।
चाचाजी : कौनसी ईच्छा ?
शालिनी : आज जो दोपहर को आपने ईच्छा जतायी थी वो
चाचाजी : आपने पूरी तो कि मेरी ईच्छा।
शालिनी : हाँ पर आधी ,और उसमे मेरी मर्जी भी मिलाई।
चाचाजी : अरे, इस मे कोई बड़ी बात नहीं ,आप सबसे अच्छी माँ है ,
शालिनी : नहीं मे अपने बच्चे की हर ईच्छा पूरी करूंगी
चाचाजी : पर इससे बच्चा बिगड़ जाएंगे, इस लिए कभी कभी ना भी कहना पड़ता है।
शालिनी : वो जो हो, भले बिगड़ जाए ,पर आज मे आपकी ईच्छा पूरी करूंगी।
शालिनी खड़ी होती है आपने बांये हाथ को कंधे पे ले जाकर अपने पल्लू को सरका देती है जिससे उसके दोनों स्तन चाचाजी के सामने थे ,फिर शालिनी अपने पल्लू को कमर मे लपेट लेती है।
शालिनी : अब ठीक है ?
चाचाजी : इनकी कोई जरूरत नहीं थी ,वो तो बस मेरे मन मे विचार आया था तो बता दिया था।
शालिनी : वो जो भी हो, अभी आप जो चाहते थे वो रहा है तो खुश रहें ,और अपनी यादो मे बसा लीजिए ,मेरे लिए बस मेरा परिवार खुश रहना चाहिए वो ही मायने रखता है।
चाचाजी की नजर बार बार शालिनी के स्तनों पे चली जाती ,क्युकी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी ईच्छा पूरी हो रही है ,जिसका परिणाम ये था कि आज जितना भी समय है शालिनी एसे ही अपने स्तनों को बेपर्दा रखकर रहेगी,फिर शालिनी चाय बनाने जाती है और चाचाजी उसे देख रहे थे कि कैसे चाय बनाते समय इधर उधर चलने से शालिनी के स्तन हिल रहे थे
कभी आपस में टकराते, कभी दाएं बाये होते और एकबार जब कुछ गिर जाता है तब उसे उठा ने के लिए शालिनी झुकती है तब उसके स्तन किसी मीठे पके हुए फल की तरह झूलने लगते है ,चाचाजी को यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सच मे हो रहा है।
चाचाजी : (मन मे ...)ये कोई चमत्कार ही है कि एक स्त्री जो एक आदमी को कुछ महीने पहले जानती भी नहीं थी आज उसकी ईच्छा के लिए अधनंगी होके घर के काम कर रही है और स्तनपान भी करवाती है, और इसी स्त्री ने उसको अपने परिवार के देहांत के ग़म से बाहर निकाला था और अपने परिवार का हिस्सा बना लिया और एक अटूट रिश्ता बना लिया।
शालिनी चाय नाश्ता लेके आती है और चाचाजी के सामने आके बैठ जाती है ,
दोनों नास्ता करके बैठे थे कि नील के रोने की आवाज आती है ,चाचाजी नील को ले आती है और उसे चुप कराते हैं, नील को शालिनी के गोद मे देकर सोफ़े पर बैठ जाते है ,अब शालिनी बिना पल्लू के ही नील को स्तनपान करवा रही थी ,नील एक स्तन मे से ही दूध पिता है उतने मे ही उसका पेट भर जाता है इस लिए उसे बाजू मे रख कर शालिनी चाचाजी को स्तनपान करने को कहती है ,चाचाजी भी गोदी मे सिर रख के लेट जाते है और स्तन से दुध चूसने लगते है ,अभी चाचाजी ने स्तनपान शुरू ही किया था कि शालिनी के मोबाइल मे कॉल आता है ,वो चाचाजी को इशारे ने स्तनपान जारी रखने को कहती है और कॉल को उठाती है ,वो कॉल पुलिस की ओर से था।
पुलिस : मेरी बात शालिनीजी से हो रही है ?
शालिनी : हाँ बोल रही हूँ।
पुलिस : वो आज रात 12 बजे आपकी ट्रेन की टिकट है तो आप 11 बजे तक तैयार रहना ,हम आपको 11 बजे लेने आयेंगे।
शालिनी : ठीक है ,हम तैयार रहेंगे ,
पुलिस : बहुत बढ़िया ! ठीक है ,सावधान रहिए और किसी को बतायेगा नहीं ,
शालिनी : हाँ हम ध्यान रखेंगे, धन्यवाद।
शालिनी कॉल रख देती है तब चाचाजी पूछते है किसका कॉल था ,तब शालिनी सब बताती है।
चाचाजी : मतलब अब हमारे पास 5 घंटे है।
शालिनी : हाँ
चाचाजी स्तनपान पूरा करते है फिर शालिनी उसका मुँह साफ कर देती है,फिर शालिनी घर के सब समान को सही से ढंक कर रखने लगती है जिसमें चाचाजी भी मदद करते है ,तब तक खाने का समय हो चुका था तो शालिनी खाना बनाने लगती है और चाचाजी नील को सम्भाल रहे थे ,बाद मे सब भोजन करके आराम से बैठते है ,अभी 9 बजे थे और अभी समय बचा था
शालिनी : हम कब तक गाव पहुंचेंगे?
चाचाजी : हम ट्रेन से जा रहे है इसलिए 12 घंटा बड़े शहर तक पहुचने मे होगा फिर वहा से 2.5 - 3 घंटे बस से लगता है।
शालिनी : मतलब कल का पूरा दिन तो सफर मे गुजरेगा, और सफर भी लंबा है ,ऊपर से गर्मी ,पर शुक्र है कि A.C. वाला डिब्बा है।
चाचाजी : हाँ वो सही है पर मे क्या कहता हूं कि अभी समय है तो हम ठंडे पानी से नहा लेते है इससे सफर मे आराम मिलेगा ,कल फिर नहाने का मौका सायद गाव जाकर मिले।
शालिनी : हाँ सही कहा ,मेने भी सोचा था ,नहाने से ताजगी रहेगी।
चाचाजी : मुझे आप नहला दोगी?
शालिनी : ठीक है ,अभी समय है ,आप जल्दी से जाइए और नहाने की तैयारी करो मे नील को स्तनपान करवा देती हूं ,ताकि रात मे वो परेसान ना हो।
चाचाजी : ठीक है।
चाचाजी नहाने के लिए बाल्टी भरते है और अपने कपड़े निकाल कर कच्छे मे बैठ जाते है ,नील भी ज्यादा दूध नहीं पिया क्युकी अभी उसने खाया था ,इस लिए शालिनी को देर नहीं लगती ,वो आके देखती है चाचाजी उसकी ही राह देख रहे थे, और चाचाजी उसे देख रहे थे कि कैसे शालिनी अपने सुंदर स्तनों को बिना छुपाये सिर्फ घाघरा पहने हुए अधनंगी हालत मे अपनी ओर धीरे धीरे बढ़ रही थी जिसे चाचाजी बस देखे जा रहे थे।
शालिनी चाचाजी को नहलाने लगती है ,चाचाजी बस चुपचाप शालिनी के झूलते हुए स्तनों की जोड़ी को निहार रहे थे ,शालिनी चाचाजी का सिर अपने हाथो से धोने लगती है जिससे चाचाजी के ठीक सामने शालिनी के स्तन झूल रहे थे ,जिसे चाचाजी एकटक निहार रहे थे ,जब शालिनी ने चाचाजी के बालों मे शैंपू लगाया था तब चाचाजी सिर को दाएं बाएं करके छींटे उड़ाते है, जिससे शालिनी उसे हल्का डाँटा क्युकी शैंपू वाले छींटे उसके ऊपर गिरे थे
,वो चाचाजी को फव्वारे के नीचे खड़े होकर नहाने को कहती है और खुद अपने स्तनों को साफ़ करने लगती है।
चाचाजी नहाकर बाहर आते है और शालिनी नींबु काटकर उसे घिसकर नहाने लगती है ताकि लंबे समय तक फ्रेश महसूस हो
,शालिनी के नहाकर आने के बाद वो तौलिये मे लिपटकर कमरे मे आती है और एक साड़ी और ब्लाउज पहन लेती है ,अब तो शालिनी को ब्लाउज पहनना भी पसंद नहीं आ रहा था क्युकी उसे ब्रा मे ज्यादा आराम मिलता था ,पर ना चाहते हुए भी उसे ब्लाउज पहनना पड़ता है, फिर वो नील को हल्का सा नहला देती है ,फिर वो तैयार हो जाती है जब वो तैयार होके आती है तो देखती है अभी 11 बजने मे आधा घंटा बाकी है और वो सोफ़े पर आके बैठती है और नील को स्तनपान करवाने लगती है ,नील ज्यादा नहीं पिता इस लिए वो चाचाजी को अपनी गोदी मे सुलाती है।
शालिनी : आइए , आखिरी बार आराम से स्तनपान कर लीजिए ,कल से एसा मौका मिले ना मिले।
चाचाजी 15 मिनट ने दोनों स्तनों से दूध चूस कर खाली कर देते है।
शालिनी : अब सफर मे दिक्कत नहीं रहेगा।
शालिनी स्तनपान करवाकर अपने ब्लाउज के बटन बंध कर रही थी इतने मे पुलिस का कॉल आता है ,उसकी गाड़ी आ गई थी,शालिनी नील को और एक पहिये वाली सूटकेस लेके आगे चलती है और पीछे चाचाजी सब खिड़की दरवाजे और बिजली बंध करके आते है ,शालिनी बग़ल वाली चाची के घर जाके घंटी बजती है।
चाची : अरे!शालिनी इस समय ,और ये समान और नील?,कहा जा रही हो ?
शालिनी : पुलिस की देखरेख में हम गाव जा रहे हैं, सुरक्षा के देखते हुए हमे जाना पड़ेगा ,और ये हमारे घर की चाबी है आप ध्यान रखना।
चाची : हाँ ,ये भी कोई कहने की बात है ,कब तक रहोगी गाव मे ?
शालिनी : कुछ कह नहीं सकते, पर कुछ महीने हो जायेंगे।
चाची : ठीक है ,ध्यान से जाना और अपना और बच्चे का ख्याल रखना और घर की चिंता मत करना। शुभ यात्रा।
तभी एक पुलिस वाला शालिनी और चाचाजी को लेने आता है और सभी पुलिस की गाड़ी मे बैठ के रेल्वे स्टेशन आते है, 15 मिनट मे ट्रेन आती है,साथ मे आया पुलिसकर्मी ट्रेन के T.C. को जानकारी देता है। तभी गाड़ी का हॉर्न बजता है और पुलिसकर्मी उतर जाता है।
T.c. : वो पुलिस मे मुझे सब बता दिया है इस लिए सुरक्षा के लिए आपकी इस कैबिन मे कोई नहीं है और आप एक काम करे कैबिन के आगे ये चादर बांध दीजिए जिससे सोते हुए भी आपको दिक्कत ना हो वैसे एक पुलिसकर्मी डिब्बे मे है ,अगर आपको कोई दिक्कत हो तो उसे बता दीजियेगा ,आपकी यात्रा शुभ हो।
शालिनी : आपका बहुत बहुत धन्यावाद सर।
चाचाजी : पहले मे वो सफेद चादर बाँध देता हूं।
कैबिन मे 6 सीट थी जिसमें 4 सीट आमने सामने और 2 दूसरी खिड़की के पास ऊपर नीचे।
चादर बाँध देने के बाद केबिन एक छोटे कमरे जैसी हो गई थी ,चाचाजी एक चादर से दोनों सीटों के जंजीर से बाँध कर एक पालना बना देते है जिससे नील आराम से सो सके ,नील को पालने मे रख के दोनों आमने सामने बैठ जाते है और बातें करते है ,फिर शालिनी नीरव को कॉल करके बता देती है कि वो ट्रेन मे बैठ चुके गई और गाव जा रहे हैं, फोन रखने के बाद दोनों नीचे वाली सीट पर सो जाते है।
रात के तीन बजे थे ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी थी ,शालिनी की नींद खुल जाती है क्युकी हर रात की तरह आज भी स्तन दूध से भरे हुए थे जिसे वो खाली करना चाहती थी ,घर पर तो दिक्कत नहीं होती थी क्युकी चाचाजी को पीला देती थी पर अब क्या करे? इस बात से शालिनी बैचेन हो गई थी ,तभी ट्रेन स्टेशन से चलने लगती है ,शालिनी ध्यान भटकाने के लिए मोबाइल देखती है और देखती है अगले स्टेशन आने मे अभी 1 घंटे से ज्यादा है, इस बात से शालिनी के दिमाग में फिर से द्वंद चलने लगता है।
शालिनी : (मन मे ..) अभी अगले स्टेशन आने मे 1 घंटे से ज्यादा का समय है,इसका मतलब ना कोई आएगा और ना जाएगा ,और अभी तक सभी सो रहे होगे ,और ये चादर भी बंधी हुई है तो कोई नहीं देख सकता और किसी को पता नहीं चलेगा,तो क्या मे चाचाजी को जगा दूँ?
तभी एक दर्द की लहर शालिनी के स्तनों मे दौड़ जाती है, जिससे शालिनी से अब रहा नहीं जाता और वो चाचाजी को जगाने का निर्णय लेती है।
शालिनी : सुनो ,जरा उठो ,आपसे काम है
चाचाजी : क्या हुआ ? कोई परेसानी है ?
शालिनी : जी ,वो हर रात की तरह अभी दर्द हो रहा है तो क्यु ना आप मुझे अभी इस दर्द से राहत दिलाए।
चाचाजी : क्या अभी ?इस चलती ट्रेन में ?नींद से जगो, अभी हम घर पर नहीं है ,
शालिनी : पता है ,आप बस स्तनपान करके मुझे दर्द से राहत दिलाए।
चाचाजी : अगर किसी ने देख लिया तो ?
शालिनी : मेने देखा है कि अगला स्टेशन आने मे 1 घंटा है और अभी सब सो रहे है तो कोई नहीं आएगा ,और ये चादर भी तो है ,कोई नहीं देख सकता,अगर ज्यादा डर है तो ये खिड़की का पर्दा भी लगा देती हूं।
चाचाजी : ये एक जोखिम भरा काम है ,
शालिनी : अभी आपने आधा दूध पी भी लिया होता ,अभी आप ज्यादा मत सोचो बस मे कह रही हूँ उतना कीजिए।
चाचाजी : वैसे भी मेरी कहा चलती है ?ठीक है।
शालिनी खिड़की के पास बैठ जाती है और चाचाजी उसके गोदी मे सिर रख देते है। और आंखे बंध करके स्तनपान करने लगते है जैसे जैसे चाचाजी स्तनपान करते जाते है वैसे वैसे उसका डर भी कम होता जाता है,दोनों स्तनों से दूध पीकर चाचाजी वापिस अपनी सीट पर आके सो जाते है और शालिनी भी सो जाती है उसे भी सुकून भरी नींद आती है ,सुबह जब शालिनी की नींद खुली तो देखती है चाचाजी सामने बैठे हुए खिड़की के बाहर का नज़ारा देख रहे थे।
शालिनी : आप कब जागे?
चाचाजी : आधे घंटे पहले। तुम चैन से सो रही थी इस लिए नहीं जगाया।
शालिनी अपने बाल सही से बाँध देती है फिर खड़ी होके नील को देखती है वो सो रहा था ,शालिनी फिर फ्रेश होने जाती है और जब आती है देखती है नील चाचाजी की गोद मे खेल रहा था।
शालिनी : लाइये इन्हें मे संभालती हूं आप फ्रेश हो जाए।
चाचाजी के जाने के। बाद शालिनी नील को स्तनपान करवाती है ,नील दोनों स्तनों से दुध पी लेता है ,शालिनी भी खुश थी कि नील ने अच्छे से स्तनपान किया ,जब चाचाजी आए तब शालिनी ने उसे वो पर्दा हटाने को कहा और चाचाजी ने वो सफेद चादर बांध रखी थी वो निकाल दिया।
शालिनी : अब जाके कहीं सुरक्षित महसूस हो रहा है।
चाचाजी : हाँ सही कहा ,पर मेरे होते आपको कोई कुछ नहीं कर सकता।
तभी चाय वाला आता है और शालिनी और चाचाजी चाय और नास्ता करते है फिर एसे ही सुरक्षित तरीके से दोनों 1 बजे अपने स्टेशन पहुंच जाते है ,दोनों स्टेशन पर थोड़ी देर बैठते है और फिर बारी बारी से नहाने जाते है ,फिर चाचाजी सामने ही बस स्टैंड था वहा जाकर अपने गाव की बस के बारे मे पता लगाने जाते है।
जब चाचाजी बस ढूंढ रहे थे तभी उसे एक आदमी बुलाता है ,जो चाचाजी का पहचान वाला था ,वो एक ट्रैवल एजेंसी मे गाड़ी चलाता था ,उसकी रात की ड्यूटी थी जो खत्म करके वो घर जाने वाला था हालाकि उसका गाव चाचाजी के गाव से पहले आ जाता था पर चाचाजी से पहचान होने से वो उसे घर तक छोड़ने आने को राजी होता है।
चाचाजी : पर मे अकेला नहीं हूं ,मेरे साथ मेरे दोस्त की बहू और उनका बेटा साथ मे है वो सामने रेलवे-स्टेशन पर है मे उसे ले आता हूं ,
ड्राईवर दोस्त : एक काम करो मे अपनी गाड़ी उधर ले आता हूं आप समान लेके आइए हम वही से निकल जाएंगे।
चाचाजी शालिनी को लेके आते है और दोनों बस में बैठ जाते है,वो घर जा रहा था इस लिए पूरी बस मे कोई नहीं था ,और बस भी स्लीपर वाली थी
,इस लिए शालिनी समान रख के आराम से दो सीट वाले सोफ़े पर आके बैठ जाती है उसमे भी उसका शटर बंध करके वो सो जाती है और चाचाजी बाहर ड्राइवर के साथ बातचीत कर रहे थे ,अभी गाव आने मे समय था तो ड्राइवर दोस्त चाचाजी को सो जाने को कहता है ,चाचाजी भी उसकी बात मान कर अंदर आके शालिनी के सामने सिंगल सीट वाला सोफा था उधर आके लेट जाते है,इधर ड्राइवर केबिन का दरवाजा लॉक करके अपने गाने सुनते हुए अपनी मस्ती मे गाड़ी चलाने लगता है।
अभी 3 बजे थे और 1 घन्टा और लगने वाला था तब चाचाजी को शालिनी के ससुर का कॉल आता है ,वो उनसे बात कर रहे थे जिससे शालिनी की नींद खुल जाती है ,उसे अपने स्तनों मे हल्का दर्द होने लगता है वो देखती है ड्राइवर और सीट के बीच का दरवाजा बंध है और पर्दा लगा हुआ है और गाने की हल्की आवाज आ रही थी और पूरी बस मे वो दोनों ही है ,उसे लगता है कि किस्मत भी उसका साथ दे रही है तो क्यु ना इस का फायदा लिया जाए, इधर चाचाजी फोन रख देते है।
शालिनी : किसका फोन था ?
चाचाजी : आपके ससुर का ,हम कहा पहुचे उसके लिए
शालिनी : अभी कितनी देर है ?
चाचाजी : करीब एक घंटा।
शालिनी : फिर तो काफी समय है ,मे क्या कहती हूँ को वो मेरे सीने में दर्द हो रहा है तो क्या आप ....
चाचाजी : आप पागल है ? हम चलती बस मे है।
शालिनी : पर बस मे कोई नहीं है और मुझे नहीं लगता ड्राइवर भी इधर ध्यान देगा ,और हम ये शटर बंध कर लेंगे ,और अभी ये आखिरी बार मौका है फिर गाव पहुच कर कब मौका मिले और मुझे पूरा दिन दर्द मे निकालना पड़ेगा।
चाचाजी : पर कैसे ?
शालिनी : वैसे जैसे कल ट्रेन मे किया था।
वैसे चाचाजी का भी मन था स्तनपान करने का इस लिए वो ज्यादा दलील नहीं करते,नील को अपनी सीट पर सुला कर चाचाजी शालिनी के साथ बड़ी सीट पर आ जाते है और दोनों लेट जाते है शालिनी शटर बंध करके अपने ब्लाउज के बटन खोल देती है ,अभी चलती बस मे स्तनपान करने मिलेगा वो चाचाजी ने सोचा भी नहीं था ,ये अनुभव दोनों के लिए डर और रोमांच से मिश्रित था ,एक डर भी था और एक करना ही है वाली भावना दोनों के मन थी ,चाचाजी तो बस आंखे बंध करके अपने काम मे लग जाते है ,अब जो भी हो उसे फर्क़ नहीं पड़ने वाला था वो बस शालिनी के स्तनों से अपने मुँह में आ रहे दूध से खुश थे ,उसे अब कुछ नहीं चाहिए ,करीब 20 - 25 मिनट तक स्तनों को चूस कर चाचाजी ने एक बूंद भी दूध की नहीं रहने दी
,उसे तो ज्यादा चूसने का मन था पर परिस्थिति अभी सही थी थी इस लिए वो स्तनों को आजाद करते है और शालिनी को भी मानो ज्यादा चूसने से कोई एतराज नहीं था तो वो चाचाजी को जितना चाहे उतना चूसने दे रही थी ,समय के साथ बिताने से दोनों के बीच एक दृढ़ और परिपक्व रिश्ता बन गया था ,जिसमें दोनों एक दूसरे की ईच्छा और बात का मान रखते थे।
चाचाजी अभी आगे आके ड्राइवर के साथ बैठ जाते है और आधे घंटे में गाव आ जाता है ,बस होने की वह से वो गाव के बीच नहीं चल सकती थी क्युकी रास्ते की चौड़ाई कम थी ,इस लिए वो गाव के बाहर से एक कच्चा पर बड़ा रास्ता जो गाव के दूसरे सिरे पर निकलता था उस रास्ते से जाते है और चाचाजी का घर भी गाव के दूसरे सिरे मे आखिरी मे था तो बस सीधा वहीं जाके रुकती है और चाचाजी और शालिनी दोनों बस मे से नीचे उतरते है और चाचाजी अपने गाव की धूल को अपने माथे पे लगाकर नमन करते है।