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Update 10
उसने रश्मी को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो रश्मी ने आज जुए में जीते थे...और वो उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुंवारेपन को लुटाना चाहती थी... गरमा गरम करारे नोटों के उपर रश्मी का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..
रश्मी बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी..
.शायद जो थोड़ी बहुत शुरूवाती शरम थी वो लाला के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो लाला की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर उतनी खुश नही थी, जितनी अब मोनू के सामने रखकर हो रही थी.. रश्मी ने अपनी दोनो टांगे फेला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का गुलाबीपन देखकर मोनू की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..
उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना मोनू...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा जाओ मुझमे...''
मोनू ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए और कुछ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था रश्मी के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ और मोनू जंप मारकर सीधा रश्मी के उपर कूद गया.. पर उसके कूदने से पहले ही रश्मी बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी.. अब मोनू की जगह पर वो खड़ी थी और रश्मी की जगह पर मोनू लेटा हुआ था..
रश्मी (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''
उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक मोनू की टाँगो के बीच..
मोनू : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''
रश्मी : "तरस तो मैं भी रही हू ना मोनू...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते है...''
मोनू : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''
रश्मी : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''
मोनू उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने लाला के साथ कुछ...''
रश्मी : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''
मोनू की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं लाला ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और रश्मी भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..
वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''
मोनू ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है लाला ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..
रश्मी ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , मोनू तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर.. वो समझ गया की रश्मी उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..
रश्मी बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''
मोनू के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले.. और यहा इस वक़्त रश्मी उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..
उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...रश्मी पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को मोनू ने चूसना शुरू किया.
.. और फिर धीरे-2 मोनू ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से रश्मी का पूरा शरीर ऐंठ रहा था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती...
''अहहssssssssssssssssssssss ...... ऑश मोनू .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''
और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....मोनू ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..
''उम्म्म्मममममममममममम पुचहssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''
और एक लंबे चुंबन मे डूब गये दोनो... मोनू ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फेला कर उसकी चूत को चूम लिया... रश्मी ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने रश्मी की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..
''ओह मोनू ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे रुची की चूस रहा था..
.. वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह मोनू .............. मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''
उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार आ गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी.. मोनू बीच-2 मे खड़ा हो जाता और रश्मी से अपने लंड को मसलवा कर फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता.. वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..
रश्मी भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर.. काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, मोनू ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो रश्मी की कुंवारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...
रश्मी भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की मोनू का लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठूस लिया , ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..
पर मोनू जानता था की ऐसा कुछ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डूब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी... मोनू ने उसके भरे हुए कुल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....रश्मी ने भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार में ... मोनू का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....
उसने रश्मी को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो रश्मी ने आज जुए में जीते थे...और वो उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुंवारेपन को लुटाना चाहती थी... गरमा गरम करारे नोटों के उपर रश्मी का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..
रश्मी बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी..

.शायद जो थोड़ी बहुत शुरूवाती शरम थी वो लाला के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो लाला की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर उतनी खुश नही थी, जितनी अब मोनू के सामने रखकर हो रही थी.. रश्मी ने अपनी दोनो टांगे फेला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का गुलाबीपन देखकर मोनू की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..

उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना मोनू...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा जाओ मुझमे...''
मोनू ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए और कुछ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था रश्मी के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ और मोनू जंप मारकर सीधा रश्मी के उपर कूद गया.. पर उसके कूदने से पहले ही रश्मी बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी.. अब मोनू की जगह पर वो खड़ी थी और रश्मी की जगह पर मोनू लेटा हुआ था..
रश्मी (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''
उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक मोनू की टाँगो के बीच..
मोनू : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''
रश्मी : "तरस तो मैं भी रही हू ना मोनू...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते है...''
मोनू : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''
रश्मी : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''
मोनू उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने लाला के साथ कुछ...''
रश्मी : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''
मोनू की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं लाला ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और रश्मी भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..
वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''
मोनू ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है लाला ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..
रश्मी ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , मोनू तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर.. वो समझ गया की रश्मी उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..
रश्मी बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''
मोनू के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले.. और यहा इस वक़्त रश्मी उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..
उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...रश्मी पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को मोनू ने चूसना शुरू किया.

.. और फिर धीरे-2 मोनू ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से रश्मी का पूरा शरीर ऐंठ रहा था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती...
''अहहssssssssssssssssssssss ...... ऑश मोनू .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''
और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....मोनू ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..
''उम्म्म्मममममममममममम पुचहssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''
और एक लंबे चुंबन मे डूब गये दोनो... मोनू ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फेला कर उसकी चूत को चूम लिया... रश्मी ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने रश्मी की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

''ओह मोनू ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे रुची की चूस रहा था..
.. वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह मोनू .............. मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''
उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार आ गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी.. मोनू बीच-2 मे खड़ा हो जाता और रश्मी से अपने लंड को मसलवा कर फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता.. वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..
रश्मी भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर.. काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, मोनू ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो रश्मी की कुंवारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...
रश्मी भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की मोनू का लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठूस लिया , ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..
पर मोनू जानता था की ऐसा कुछ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डूब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी... मोनू ने उसके भरे हुए कुल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....रश्मी ने भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार में ... मोनू का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....

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