प्रिय Dmahi19,
सबसे पहले मैं आपको दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने Swati's Life जैसी अनोखी और अद्भुत कहानी लिखी—ऐसी कहानी जो पूरे इंटरनेट पर और कहीं देखने को नहीं मिलती। आपकी लेखनी में जिस तरह का psychological और emotional realism है, वह इस कहानी को बाक़ी सब कहानियों से अलग बनाता है।
यह जानकर दिल को बेहद खुशी हुई कि अब आप अटैक्सिया से पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप हमेशा स्वस्थ रहें और हमें आपकी शानदार कहानियों का सुखद अनुभव मिलता रहे।
आपकी कहानी ने मुझ पर गहरा प्रभाव डाला है। यह सिर्फ़ एक erotic humiliation कहानी नहीं है; इसमें जो मानवीय संवेदनाएँ, रिश्तों की पेचीदगियाँ, और भावनात्मक उथल-पुथल है, वह किसी और कहानी में नहीं देखी।
हालाँकि, मुझे इस बात का भी एहसास हुआ कि कहानी के पहले भाग में अंत थोड़ा अधूरा रह गया। स्वाति ने अपने पति अंशुल के सबसे नाज़ुक क्षण में उसका अपमान किया, उसे नीचा दिखाया, उसका मज़ाक उड़ाया, और फिर बिना किसी सज़ा के अंशुल के साथ अमेरिका जाकर रहने लगी। अंशुल के लिए यह कितना दुखद था, जबकि सबसे ज़्यादा ग़लती और पाप स्वाति ने किया था। मुझे लगता है कि कहानी के दूसरे भाग में अंशुल को भी न्याय मिलना चाहिए और उसे स्वाति के सामने खड़ा होकर उसका सामना करना चाहिए। मेरे लिए तो स्वाति ही असली खलनायिका थी, जयराज से भी ज़्यादा।
मैं जानता हूँ कि बहुत से पाठकों को erotic humiliation जैसी चीज़ें पसंद आती हैं, जो आपने इस कहानी में बेहतरीन ढंग से दी हैं। लेकिन इस कहानी को जो चीज़ सबसे ख़ास बनाती है, वह है इसका भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलू, जो आपने कमाल के ढंग से लिखा है।
मैं बेहद ख़ुश हूँ कि आपने कहानी के दूसरे भाग को पूरा करने की इच्छा जताई है। मैं तहे दिल से इसके अगले भाग का इंतज़ार करूँगा। आप सच में सबसे बेहतरीन लेखक हैं जिन्हें मैंने कभी पढ़ा है!
धन्यवाद और एक बार फिर आपको शुभकामनाएँ।
आपका पाठक