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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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krish1152

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भाग:–135


स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।

बड़े बड़े फोकस लाइट उस गड्ढे को पूरा रौशन कर रहे थे, जहां नायजो की फंसी अपार भीड़ को देखा जा सकता था। अचानक ही चारो ओर से जड़ें फैलनी शुरू हो गयी। मोटे–मोटे कांटों वाली जड़ें हर नायजो के शरीर मे घुस रहा था। एक के ऊपर एक चारो ओर से गोल–गोल घुमाकर नायजो के ऊपर नायजो को कांटों की अर्थी पर लीटा दीया गया।

सभी जिंदा नायजो 40 फिट के गड्ढे में कांटों की अर्थी पर लेटे थे। रूही ने उनके दर्द पर तड़का लगाते हुये सबको एक जैसा ट्रीटमेंट दिया। और कैस्टर ऑयल के जहर का स्वाद सबने एक साथ चखा। सभी पीड़ित नायजो एक जैसा दर्द महसूस कर रहे थे। छोटे–छोटे मक्खी कैमरा उड़ते हुये नीचे फसे नाजयो के चेहरे पर फोकस कर रहे थे। स्क्रीन देख रहे लोग स्क्रीन क्या देखेंगे, चारो ओर से आती चींख पर अपना कलेजा पकड़कर बैठ गये। लागातार आधे घंटे तक सबको चींख सुनाने के बाद खेल शुरू हुआ सबको जिंदा जलाने का।

इसके लिये आर्यमणि खुद भी डंपिंग ग्राउंड तक गया। अल्फा पैक के हर वुल्फ ने जमीन पर पड़े एक जड़ को छू रखा था। साफ देखा जा सकता था की अल्फा पैक के सभी वुल्फ की नब्ज से काला द्रव्य बहते हुये जड़ों में उतर रहा था। और वहां से नीचे पूरे कांटों की अर्थी में फैलता जा रहा था। स्क्रीन पर तो मात्र बड़ा सा विशालकाय गड्ढा दिख रहा था, जहां से पागल कर देने वाली चिंखे निकल रही थी। कैमरा इतने क्लोज एंगल में था कि सैकड़ों नयजो का बड़ा खुला मुंह कैप्चर हो रहा था। खासकर अजुर्मी के ऊपर तो 4 कैमरा अलग–अलग एंगल से फोकस था।

तभी लोगों ने देखा बड़े से कुवानुमा गड्ढे में एक पतली लाइन जलते जा रही थी। सबको समझते देर न लगी की यह आग थी। वह आग जैसे ही नीचे पहुंची, धू–धू–धू करती लपटें कुएं के बाहर तक 40–45 फिट ऊंची उठ रही थी। वुल्फ पैक के टॉक्सिक इतने ज्यादा प्रजवलनशील थे कि उसके सामने एलपीजी भी फेल हो जाये। और नीचे लिपटी जड़ें, जलने के बाद पहले कोयला बनती फिर कोयला जलकर राख बनता। इतने में तो सब स्वाहा हो जाना था।

10 मिनट तक उन्हे लगातार जलाते दिखाने के बाद आर्यमणि पुनः स्क्रीन पकड़ते.... “तो जैसा की आप सबने देखा और मेहसूस किया की, गुरु निशि और उसके शिष्यों को जलकर कैसा लगा होगा। कैसा लगा होगा उनके अभिभावक को, जिनके पास उनके बच्चों के मरने की सूचना तो थी, पर उस जगह साबूत कुछ न बचा था। तुम सब कान खोलकर सुन लो... पृथ्वी खाली करने के लिये मैं तुम सबको 3 साल का वक्त देता हूं। यहां जितने काम अधूरे है, उन्हे समेटो और चलते बनो। हां लेकिन कई अपराधिक मामलों में जितने विकृत नायजो नेता दोषी है, उनके पास भी केवल 3 साल का वक्त है। खुद को दर्द भरी मौत से बचाना है तो आसान मौत का तरीका खुद ढूंढ लेना। वरना भागकर ब्रह्मांड के किसी भी कोने में छिप जाओ, वहां जाकर केवल तुम्हे ही नही मारूंगा, बल्कि विश्वास मानो उस जगह से समस्त नायजो को ही साफ कर दूंगा।”

“जो 3 साल का वक्त मैने तुम्हे दिया है, उन 3 साल में यदि एक भी इंसान को तुम्हारे वजह से खरोच भी आयी तो फिर मैं काल बनकर आऊंगा। फिर तुम्हे मौत नही दूंगा बल्कि दर्द भरी जिंदगी दूंगा। मेरे कांटे तुम्हे बदन के हर हिस्से में घुसे होंगे। तुम अपनी हीलिग की वजह से मारोगे नही और जड़ों के पोषण से तुम भूखे रहोगे नही। बस कांटों के दर्द का मजा अपने अनंत काल के जीवन तक लेते रहोगे। और इस पूरे संधि का गवाह बना तू करेनाराय, खास ख्याल रखना की संधि टूटे न वरना मेरा पहला शिकार तू होगा।”

करेनाराय, इशारों में माइक ऑन करने कहा। आर्यमणि ने जैसे ही माइक ऑन किया..... “तू कितने मार सकता है। हमारी संख्या भी जनता है? तुझे पहले ही कहा था, मेरो बीवी को छोड़ दे, लेकिन तु नही माना। अब तेरी इस बदसुलूकी का अंजाम पृथ्वी के समस्त इंसान भुगतेंगे। उन्हे जब पता चलेगा की हम कौन है और क्या कर सकते है, तब वो थर–थर मूतेंगे। हमारे कदमों में बिछ जायेंगे।”..

आर्यमणि:– हमारे माथे पर क्या कुछ लिखा है। मैं तेरी बीवी को छोड़ देता और कुछ दिन शांत होकर मेरे खिलाफ ही साजिश रचती। और ये जो तू धमकी दे रहा है ना इंसान भुगतेंगे... नाना ऐसे मामलों में जवाब तो अपनी अलबेली ही देगी... अलबेली इस चुतिये राजा को जरा ठीक से समझाओ...

अलबेली:– “सुन बे फटे दूध की खट्टी औलाद, चुतिये पृथ्वी के इंसान तो तेरे जुल्म पहले से भुगत रहे। तू इस बात का डर क्यों दिखा रहा की भुगतेंगे। हां पर तू शायद इंसान को ठीक से समझता न है। तो पहले तुझे मैं इंसान से परिचय करवा दूं। इंसान की उत्पत्ति के पहले, उनकी उत्पत्ति के वक्त और उनकी उत्तपत्ति के बाद भी पृथ्वी जो था, कई विशाल और खूंखार जानवर का घर हुआ करता था। ये बड़े–बड़े डायनाशोर जो अकेले ही लाखो इंसानों को मार सकते थे। उस दौर में शायद मारे भी होंगे लेकिन आज विलुप्त है।”

“जंगल का राजा शेर, इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होता है। आज वो विलुप्त के कगार पर है और इंसान उनका संरक्षण कर रहे। साले फटे ढोल के बेसुरा नतीजा ठीक से जानता भी है क्या इंसान को? इंसान वो है जो अपने उत्पात मचाने की ताकत से ईश्वर तक को पृथ्वी पर आने के लिये विवश कर चुके। उतना ही नही उन उत्तपाती इंसानों को ईश्वर अपने ईश्वरीय रूप में नही मार सकते थे, इसलिए इंसान को मारने के लिये ईश्वर तक को इंसान बनकर जन्म लेना पड़ा। तू ऐसे इंसान को घुटनों पर लायेगा जिनकी दुनिया में हम जैसे वेयरवोल्फ, इक्छाधरी नाग, अनेकों तरह के सुपरनैचुरल अपना अस्तित्व छिपाकर जीते है। कसम से एक बार अपने अस्तित्व का प्रमाण तू इंसानों के बीच दे दे, फिर तो हम छुट्टियां मनाने जायेंगे और तुझे जो अपने समुदाय के संख्या पर गुमान है, उसे फिर वही इंसान संरक्षित करके कहेंगे... “विलुप्त नायजो को मारना कानूनन अपराध होगा।” कुछ समझ में आया की नही मंद बुद्धि। इंसान जो है वो तेरे बाप है और पृथ्वी पर बाप बेटे के सामने झुकते नहीं।”

आर्यमणि:– कुछ समझ में आया बेसुरा नतीजा। इसलिए जहां है वहां शांति से राज कर और यहां पृथ्वी से अपने जैसों को समेटकर चलता बन। नही, यदि चुलक ज्यादा मची हो तो आज के बाद तुम में से कोई भी किसी इंसान को खरोच देकर बताना... पहले तो मैं ही इंसानो के सामने तुम्हारे अस्तित्व को उजागर कर दूंगा। साथ ही साथ करेनाराय तुझे मैं कांटों की ऐसी चिता पर लिटाऊंगा जिसके दर्द से तुझे भी जिंदा रहना गलती लगने लगेगा।

आर्यमणि अपनी बात कहकर लाइन डिस्कनेक्ट कर दिया। सभी सिस्टम समेट लिये। पलक तेजी से खुद को आजाद करती गुस्से में आर्यमणि पर चिल्लाने लगी...

आर्यमणि, पलक का गुस्सा समझते... “धीरे से थप्पड़ मारने पर वो रिएक्शन नहीं आता, जो तुम दे रही थी। क्या समझी?”

पलक, खुद को पूरा शांत करती.... “मैं थप्पड़ के लिये नही चिल्लाई। खैर, मैं समझ रही हूं, क्यों तुमने कहा था कि “पहले हमारे पास कोई नाम नहीं, लेकिन अब है।”... यदि मैं अजुर्मी का नाम नही बताती तो शायद यहां करेनाराय को टेलीपोर्ट करके लाते...

आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझी...

पलक:– सही वक्त पर मेरे मुंह से एक नाम निकल गया वर्ना दुश्मन को ठीक से न पहचान पाने के भूल की सजा भुगत रहे होते..

रूही:– क्या मतलब सजा भुगत रहे होते?

पलक:– आर्य ने तो टेलीपोर्ट करके अजुर्मी जैसे पापी को कोई मौका नहीं दिया, सीधा यहां ले आया। नतीजा पक्ष में रहा। पर करेनाराय बिलकुल उसका उलट शिकार होता। उसके पास अचानक पहुंचकर अजुर्मी की तरह टेलीपोर्ट नही कर सकते थे।

रूही:– ऐसा क्यों..

पलक:– “गुरियन नामक एक पूरा प्लेनेट है। शायद पृथ्वी से भी बहुत बड़ा प्लेनेट होगा। उस प्लेनेट पर 300 करोड़ नायजो आबादी बसती है। उस पूरी आबादी को अकेला करेनाराय नियंत्रित करता है। पृथ्वी का पहला एक्सपेरिमेंटेड बॉडी और लगभग 450 वर्ष की आयु। नायजो की कुछ खास बातें तुम सबको समझनी जरूरी है। नायजो की शक्तियां कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी है और प्रकृति से जुड़े रहस्य को खोज निकालने में वो माहिर होते है। सोलस, नायजो इतिहास और रहस्य की पुस्तक ले आओ”...

“तुम सब इस पुस्तक को जरूर पढ़ना। बाकी संक्षिप्त जानकारी मैं करेनाराय के बारे में दे देती हुं। वह अनोखे पत्थरों का जानकर है और उनके इस्तमाल करने में महारत हासिल किया है। कोई भी यदि करेनाराय को बिना उसकी मर्जी के छूने जायेगा तो वह एक अभेद जाल में फंसकर रह जायेगा। उसके सीने पर लटक रहा सौभाग्य पत्थर वह पत्थर है, जिसका सौदा तो हुर्रीयेंट और विषपर प्लेनेट पर बसने वाले नायजो के मुखिया भी करना चाहते है।”

“इन दो ग्रहों के नायजो आज भी अपने पुराने धरोहर को गुप्त रूप से आगे बढ़ाते है जिनमे... जड़ी–बूटी विज्ञान, दुर्लभ पत्थर विज्ञान, कंबाइंड नेचुरल एंड आर्टिफिशियल साइंस और हाई–टेक मॉडर्न साइंस आते है। यूं समझ लो की विषपर और हुर्रीयेंट के नायजो ऊंचे दर्जे के नायजो है, जो अपने बारे में किसी से बात नही करते। अपने किसी भी टेक्नोलॉजी का राज नही खोलते। हमे बस उनका बनाया समान मिलता है जिन्हे हम इस्तमाल कर सकते है, लेकिन वह बनता कैसे है इस बात को जान नही सकते।”

“करेनाराय ने वह सौभाग्य पत्थर कहां से पाया किसी को नही पता। लेकिन उस पत्थर के गुण अजूबे है। ये पत्थर न तो किसी प्रकार का विध्वंश फैलता है ना ही इसके कोई वास्तविक प्रत्यक्ष गुण है। केवल अप्रत्यक्ष गुण है और उस गुण के चलते यह पत्थर ऊंचे कुल वाले विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट के नायजो को भी चाहिए। सौभाग्य पत्थर सौभाग्य लाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो इसके बहुत फायदे हैं लेकिन यदि बात करे किसी हमले की तो”...

“किसी भी प्रकार का हमला क्यों न हो। घटना छोटी, मध्यम या कितनी ही बड़ी क्यों न हो... सौभाग्य पत्थर अपने धारक को हर घटना से दूर रखता है। अब करेनाराय को सुई चुभोने जाओ या उसे एटम बॉम्ब से मारो, सौभाग्य पत्थर दोनो ही घटना को निष्क्रिय कर देगा। निर्जीव चीज निष्क्रिय हो तो किसी को पता नही चलता। किंतु सोचकर देखो यदि तुम करेनाराय के ऊपर हाथ रखे और हाथ रखते ही निष्क्रिय अवस्था में आ जाओ तब”..

आर्यमणि:– हम्मम... मतलब वो करेनाराय डरा नही बल्कि उल्टा वो हमले की तैयारी कर रहा होगा। मैने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी...

पलक:– अंदर से खून उबाल मार रहा है। क्या कहूं तुम्हारे इस बेवकूफी पर। फिर से एकतरफा योजना जहां दुश्मन को पूर्ण रूप से जाने बगैर फैसला किये। इस बार इंसानों की जान वाकई खतरे में है। अब तो आमने–सामने की लड़ाई होगी, जिसमे पता न कितना जान जायेगा।

ओजल:– थोड़े बेवकूफ है तो अब पूरा बेवकूफ बना जाये... चलो करेनाराय को वाकई में डराया जाये। जो पत्थर करेनाराय से ऊंचे खून वाले, न जाने किस–किस ग्रह के नायजो न ले पाये उसे हम लेकर आते हैं।

सभी एक साथ.... “मतलब”..

ओजल:– मतलब साफ है कि आज यहां से करेनाराय को बिना डराये गये, तब वह इंसानों के लिये और खासकर अपने परिवार के लिये बड़ा खतरा बन जायेगा। तो चलो उसके सौभाग्य पत्थर को छीनकर न सिर्फ करेनाराय को डराए, बल्कि समस्त नायजो के उन सभी वीर को डरा दे, जो अलौकिक वस्तु अपने पास रखकर खुद को वीर समझते हैं। करेनाराय आज एक उधारहण बनकर उभरेगा जिसकी हालत देख दूसरे नायजो कितना भी बलवान क्यों न हो, खौफ में आ जायेगा...

आर्यमणि:– हां लेकिन ये होगा कैसे... अभी–अभी तो उसकी बीवी को उसके प्लेनेट से टेलीपोर्ट किया था। अभी तो वो पूरे सुरक्षा का इंतजाम कर चुका होगा। ऊपर से करेनाराय के पास वो पत्थर भी है... वहां जाने का मतलब खुद की जान ऐसे फेंक कर आ जाना..

रूही:– ये लड़की ना हाथ से निकल गयी है। पता न इसके दिमाग में क्या चलते रहता है। ठीक है जा, लेकिन जिंदा आना...

आर्यमणि:– रूही.... ये क्या कह रही हो.... हम कोई और रास्ता देखते है। इतना खतरा उठाकर नही जाना...

ओजल:– ओ जीजू भरोसा रखो.... उसे डराना जरूरी है। शिवम् सर और निशांत मेरे साथ चल रहे। आपलोग इंतजार करो...

निशांत जो अब तक सेकंड फ्लोर पर छिपा सब कुछ लाइव देख रहा था, वह नीचे आया। आर्यमणि अपने बाजू से एनर्जी फायर निकालकर संन्यासी शिवम् के हाथ में दे दिया। तीनो ही सीधा टेलीपोर्ट होकर करेनाराय के महल के बड़े से उस कमरे में थे, जहां करेनाराय अपने बड़े–बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठा हुआ था।

जैसे ही तीनो टेलीपोर्ट होकर पहुंचे, तीनो जिस स्थान पर थे, उसके चारो ओर पॉइंट बन गये, और देखते ही देखते उन पॉइंट्स से तेज रौशनी सिलिंग तक गयी। यह पॉइंट्स एक गोल घेरे का निर्माण कर रहे थे जिसमे संन्यासी शिवम्, ओजल और निशांत फ्रीज हो चुके थे। पर ये क्या रौशनी के बने एक गोले में तीनो ही फ्रिज थे और उस हॉल के दूसरे हिस्से में भी तीनो नजर आ रहे थे।

इधर तीनो जैसे टेलीपोर्ट होकर उस स्थान पर पहुंचे, निशांत का भ्रम जाल उसी वक्त फैल चुका था। हां लेकिन वो लोग भी तब चौंक गये, जब उनके भ्रम को ही फ्रिज कर दिया गया और वास्तविक रूप में तीनो कहां थे ये सबको नजर आने लगा था।

निशांत:– ओजल जो भी सोचकर आयी थी उसे अभी ही कर दो। इनकी शक्ति तो देखो, मेरे भ्रम तक को कैद कर लिये।

“बस हो ही गया”.... कहते हुये ओजल अपने नब्ज काट चुकी थी। बहते खून के साथ फ्रीज होने के मंत्र वो पढ़ चुकी थी। और चूंकि ओजल एक नायजो थी, इसलिए उसके मंत्र के प्रभाव से वहां माजूद हर नायजो फ्रीज हो चुका था, सिवाय करेनाराय के...

कारेनाराय:– हरामजादी मुझे फ्रीज तो नही कर पायी, लेकिन अब देख मैं क्या करता हूं...

कारेनाराय की बात समाप्त हुई और अगले ही पल वापस से कई बिंदु तीनो को चारो ओर से घेर लिये। हां लेकिन इस से पहले की आगे उन्हे फ्रीज किया जाता, करेनाराय खुद ही फ्रिज हो चुका था। हुआ ये की कल्पवृक्ष दंश की मदद से ओजल पूरा माहोल फ्रीज कर चुकी थी। बस 2 सेकंड का वक्त चाहिए था करेनाराय को जड़ों में जकड़ने के लिये, जिसका मौका खुद करेनाराय ने दे चुका था, अपना डायलॉग मारकर। बस उतने ही वक्त में करेनाराय जड़ों की चपेट में था और जड़ों की कई साखा पर न सिर्फ वह सौभाग्य पत्थर लटक रहा था बल्कि 112 और अनोखे पत्थर थे...
Nice update
 

krish1152

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भाग:–136


ओजल और निशांत तेजी दिखाते हुये उन पत्थरों को इकट्ठा करने लगे।.... “तुम्हे कैसे यकीन था कि करेनाराय जड़ों ने लिपटा जायेगा”..

ओजल:– जड़े तो प्रकृति है, और भाला प्रकृति किसी के बदन को छुए तो इसमें मुझे नही लगता की कोई भी पत्थर उसे दुश्मन समझेगा...

निशांत:– कम समय में कमाल की समीक्षा... चलो यहां से चला जाये...

बिना वक्त गवाए ओजल अपना काम पूरा करके सबके साथ वापस लौट आयी। जैसे ही वह पहुंची, रूही ओजल के कलाई को पकड़कर.... “शिवम भैया, इस लड़की को जल्दी से अपने साथ ले जाओ वरना बली प्रथा से जादू के चक्कर में ये एक दिन अपनी जान ले लेगी”...

ओजल बड़े प्यार से अपनी दीदी के गले लगी। ये स्पर्श और एहसास ही कुछ अलग था।... “जा रही हूं दीदी, और बली प्रथा से जादू को अलविदा कहकर लौटूंगी।”..

पलक तालियां बजाती... “कमाल का विश्वास और कमाल का काम.. जब इतना कर लिये तो कारेनाराय को लेते ही चले आते। उसकी जिंदगी समाप्त कर देते फिर तो सब एलियन पृथ्वी छोड़ आज ही भाग जाते”...

संन्यासी शिवम्:– या पृथ्वी पर अनचाहा युद्ध का खतरा आ जाता। किसी को अपने क्षेत्र से भागना हो तो उन्हे डराना चाहिए। और यदि युद्ध चाहिए तो जान से मार देना चाहिए। यह ठीक उसी प्रकार से था पलक जैसे मरते हुये विकृत नायजो को तुमने चाकू मारने का विचार दिया। वह मर तो रहे ही थे। खोने को कुछ न था, फिर क्या चाकू चलाए, उनका नतीजा सबके सामने था। करेनाराय अब पूर्ण रूप से डरा होगा। उसके साथ–साथ वो लोग भी सकते में आ गये होंगे जिन्हें लगता होगा की अपने तिलिस्म के दम पर वह कुछ भी कर सकते है। आज के मीटिंग का मकसद ही डराना था जो पूरा हुआ।

आर्यमणि:– सही कहे शिवम् सर.. हम सब भी यहीं सभा समाप्त करते है, लेकिन इतने सारे दुर्लभ पत्थर का करे क्या? चूंकि पलक इसकी जानकर है इसलिए इसे समझने के बाद अभी ही इसपर कोई फैसला लेकर चलेंगे.....

पालन ने अपने खास साथी सोलस को इशारा किया। वह तुरंत ही एक बैग के साथ लौटा। पलक बैग से एक छोटी सी चमचमाती छेनी, हथौड़ी और एक चिमटा निकाली। एक पत्थर को सोलस ने चिमटे से पकड़ा और पलक ने छेनी से उस पत्थर को तराशना शुरू किया। एक इंच लंबे, चौड़े और मोटे पत्थर के बीच से चमकता हुआ छोटा मोती जैसा हिस्सा निकाली। सोलस के लाये बैग से 4 इंच चौड़ा और 12 इंच लम्बा एक प्लेन पत्थर के टुकड़े की सतह पर उस मोती से पत्थर को कुछ देर घिसने के बाद.... “लो ये पत्थर अपने सबसे प्रबल रूप में आ गया है। देखना चाहोगे कमाल”.....

इतना कहकर पलक ने वह पत्थर मुट्ठी में दबाया और दौड़ लगा दी... वह ऐसे दौड़ी जैसे अदृश्य हो गयी हो। लोगों ने जब भी उसे देखा अपनी जगह पर ही देखा, लेकिन उनके आस पास की चीजें कब अस्त व्यस्त हुई पता भी नही चला। रुक कर जब वो अपनी मुट्ठी खोली, उसके हाथ में बस धूल ही धूल थे..

पूरा अल्फा पैक बड़े ध्यान देखने लगा। मन में जिज्ञासा आना लाजमी था, और सवाल अपने आप होटों पर... “अभी इस पत्थर की मदद से कोई जादू हुआ था क्या? और ये पत्थर कणों में कैसे तब्दील हो गया?

पलक:– “आराम से सब बताती हूं। पत्थर की शक्तियों को जितना इस्तमाल करेंगे, वह पत्थर उतना ही अपने अंत के करीब जायेगी। पत्थर का मूल रूप उसके मध्य में होता है, जिसके ऊपर पत्थर की कठोड़ परत पड़ी होती है। जैसे की अभी लाये पत्थर में से ये पत्थर गति को इतना बढ़ा देता है कि लोग अदृश्य लगने लगते है। परंतु यह पत्थर एक बार इस्तमाल में लाये जाने के बाद ध्वस्त हो गया।”

“प्रयोग में लाये जाने के हिसाब से पत्थर की शक्ति निर्भर करती है। अब जैसे ओजल के दंश का पत्थर, वह एक अलौकिक और अंतहीन पत्थर है। इसका कितना भी प्रयोग करो कहीं से भी क्रैक नही होगा। उसके बड़े से आकर को देखो। मूल रूप से पत्थर का मध्य भाग जो मोती से ज्यादा बड़ा नहीं होता बस उतना ही काम का हिस्सा रहता है, और वो हिस्सा जितना कवर रहेगा उतना ही असर कम दिखाएगा। परंतु ओजल के दंश का पत्थर जो है वह अपने मूल रूप में है। इतना बड़ा दुर्लभ पत्थर पूरे ब्रह्मांड में बहुत ही मुश्किल से मिलेंगे।”

“अंतहीन पत्थर काफी दुर्लभ होते है, मिलना मुश्किल और मिल गया तो संभालना मुश्किल और संभाल लिये तो दुश्मनों से अपना जान बचाना मुश्किल... उसके अलावा निचले स्तर के पत्थर आते है, जिन्हे मैं कैटिगरी 1, 2, और 3 में बांटे हूं... कटीगरी 3 के पत्थर एक बार ही प्रयोग में लाये जा सकते है। जिस पत्थर को अभी सबने देखा। कैटोगरी 2 के पत्थर 10 साल तक चलते है, लेकिन जैसे–जैसे प्रयोग में आता जायेगा, उसका असर धीरे–धीरे कम होता जायेगा और फिर दम तोड़ देगा। पहले कैटोगेरी के प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर का कितना भी इस्तमाल करो उसका असर कभी कम नही होता, लेकिन कोई निश्चित नही की कब उन पत्थरों में क्रैक आ जाये और वो नष्ट हो जाये। हां लेकिन ऐसे पत्थर को पौराणिक तरीके से बचाने का उपाय पहले से है। हिंदू आस्था के प्रतीक शिव लिंग के कई अलौकिक रूप को ऐसे ही संरक्षित किया जाता है। उन विधि को यदि पूरे नियम से माने जाये तो कैटिगरी 1 के पत्थर को अंतहीन पत्थर को तरह इस्तमाल कर सकते हैं। फिर उनसे मिलने वाले लाभ कभी कम न होंगे न कभी खत्म होंगे और कैटोगारी 1 के पत्थर मिलने में थोड़े आसान भी होते हैं।

आर्यमणि:– पत्थरों की अद्भुत जानकारी तुम्हे मिली कहां से...

पलक:– मैं पिछले कई महीनों से बस इसी पर रिसर्च तो कर रही हूं। दुनियाभर के बड़े–बड़े पुस्तकालय को ही छान रही थी। जितनी जानकारी जहां से भी मिली, बटोर रही थी।

संन्यासी शिवम:– पलक तुम सभी पत्थरों को यहां तरासो। उनके गुण और अवगुण सभी को बताओ। किस वर्ग का कौन सा पत्थर है, वो भी बताना। फिर मैं बताऊंगा की उन पत्थरों को आसानी से संरक्षित कैसे रख सकते हैं और प्रयोग में लाये जाने वाले एक भी पत्थर कैसे प्रयोग करने वाले से कभी चुराया नही जा सकता...

पलक खुशी से उछल गयी। उछलकर वह सीधे संन्यासी शिवम के गले लग गयी। रूही पलक को उनसे अलग करती.... “मतलब अब शिवम् सर पर डोरे डाल रही।”..

पलक:– अब क्या दूसरों पर भी डोरे न डालूं.. क्या चाहती है, तेरे पति पर ही डोरे डालूं...

रूही:– नाना मैं तो तुझे तेरी उस हाहाकारी की याद दिला रही थी जिसके बारे में तुमने बताया था... एक पहले से है, तब क्यों सबके गले पड़ रही...

आर्यमणि:– चुप हो जाओ रे तुम सब। इन लड़कियों की बात समाप्त ही नही होती... लो पत्थरों का ढेर लग गया।

पत्थरों के ढेर में वह पत्थर भी था जो आचार्य जी निकलते वक्त आर्यमणि और अपस्यु को दिये थे। डायनिंग टेबल पर कुल मिलाकर 848 पत्थर थे। सब लोगों की मदद से काम जल्द ही समाप्त हो गया। एनर्जी फायर और नागमणि को छोड़कर कुल 22 पत्थर थे जो अंतहीन पत्थर थे। ज्यादातर अंतहीन पत्थर सुकेश के घर से चोरी की हुई पत्थरों में से था। कुछ पलक पास अंतहीन पत्थर थे तो कुछ पत्थर करेनाराय से मिला था।

128 पत्थर जो थे वह कैटोगारी 1 के पत्थर थे, जिन्हे संभाल कर रखते तो अंतहीन इस्तमाल किया जा सकता था। इन पत्थरों में वह पत्थर भी सामिल थे जो अल्फा पैक को मंत्र सिद्ध करने दिये गये थे। बचे हुये पत्थर को भी अलग–अलग कैटोगारी में बांटा जा चुका था।

संन्यासी शिवम वहां मजूद जितने भी आज के साथी थे, महा से लेकर 52 नायजो और अल्फा पैक, सबको तरासे हुये पत्थर मिले। लेकिन उन्हें यूं ही हाथ में नही दिया गया। बल्कि सन्यासी शिवम् के बड़े से योजन में ओजल और निशांत ने हिस्सा लिया। उन लोगों ने पलक से वह अनोखी धातु मांगी जिसे हाइवर मेटल कहते थे और जो सूरज की भट्टी में तपकर तैयार होता था।

उनकी मदद से तीनो ने मिलकर सबके लिये एमुलेट बनाया। अभिमंत्रित एमुलेट जिसके मध्य में एक बड़ा पत्थर लगा सकते थे और धातु के उस गोलाकार बॉक्स के बीच में कई सारे मोती जैसे पत्थरों को भी रखा जा सकता था। हर एमुलेट उसके पहनने वाले के नाम से अभिमंत्रित किया गया। यदि किसी कारणवश किसी भी वायक्ति की मृत्यु हुई फिर वह एमुलेट स्वतः ही आश्रम पहुंच जाएगी।

कोई चोर एमुलेट को एक क्षण के लिये चुरा जरूर सकता था, लेकिन अगले ही क्षण वो एमुलेट गायब होकर उसके धारक के पास पहुंच जायेगी। कोई ऐसा मंत्र नही था जो एमुलेट को उसके मंत्र से अलग कर सके क्योंकि एक संपूर्ण सुरक्षा घेरे के बीच मंत्र को सिद्ध किया गया था। कोई साधक उसे तोड़ने की कोशिश करता तो पहले सुरक्षा मंत्र को तोड़ना पड़ता, जिसके लिये उसे खुद सामने आकर आश्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़नी पड़ती। कई अलौकिक एमुलेट की रचना की गयी जिसमे कम से कम एक पत्थर डालकर सबको सौंप दी गयी।


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सबसे ज्यादा मेहनत अल्फा पैक और पलक के एमुलेट पर किया गया। जिसे हर मानक चिह्न को सिद्ध करते, ग्रहों की संपूर्ण दिशा को साधकर वह एमुलेट बनाया गया था। सबसे ज्यादा पत्थर आर्यमणि के एमुलेट में ही थे, जिसमे 25 तराशे हुये अंतहीन एनर्जी स्टोन को एक चेन में लगाया गया था, जिसके बीच एक रक्षा स्टोन था, जिसे आचार्य जी ने दिया था। ठीक वैसे ही एमुलेट की रचना बाकियों के लिये भी किया गया था, जिसमे पत्थर की संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।

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सबको अपना अपना एमुलेट मिल गया था। तराशा हुआ सौभाग्य पत्थर संन्यासी शिवम ने ओजल को उसकी सूझ–बूझ और बुद्धिमता के लिये दे दिये। पलक के पास जो 5 स्टोन थे वह भी अंतहीन स्टोन ही थे, जिसे उसके एमुलेट में डाल दिया गया था। इसके अलावा पलक के एमुलेट में 6 कैटोग्री 1 वाले तराशे पत्थर भी थे, जिन्हे सन्यासी शिवम् अपनी स्वेक्षा से पलक को सौंपे थे। सबसे ज्यादा खतरे के बीच पलक ही थी, इस बात को ध्यान में रख कर।

इतनी अलौकिक वस्तु पाकर पलक और उसकी टीम काफी खुश थी। सबके एमुलेट में तराशे हुये कई नये पत्थरों को रखा जा सकता था। पलक ने एमुलेट के तर्ज पर ही एक बड़ा बॉक्स बनवाया, जिसके अंदर जो पत्थर एक बार गयी, फिर कभी चोरी न हो सके। क्योंकि उसे पता था, नायजो के पास अलौकिक पत्थरों की कमी नहीं थी।

बातों के दौरान ही पलक अपनी शक्तियों के राज से पर्दा उठाती हुई कहने लगी... “मैं शक्ति के पीछे नही थी और न ही मैं प्रथम श्रेणी की नायजो हूं। मेरे पास तो केवल बिजली की शक्ति थी, जिसका ज्ञान मुझे गुरु निशि के आश्रम से लौटने के बाद हुआ था। तुम सब विश्वास नही करोगे, उस छोटी उम्र में मैं कितनी विचलित थी और दिमाग पर पूरे समाज से ही अपनी मां के खोने का बदला लेना था। मैने वैसा किया भी। अपने बाप को बिजली के झटके दिये। अपनी मां को दिया। दोनो मुंह फाड़कर मुझ पर ऐसे हंसे जैसे मेरे विचलित मन की खिल्ली उड़ा रहे हो।”

वह मेरे गुस्से का कारण पूछते रहे पर मैं पूछ न सकी की मेरी मां, अब मुझे मां क्यों नही लगती। धीरे–धीरे वक्त बिता और मैं अपनी शक्ति को अपना अभिशाप समझने लगी, जो मेरे पास तो थी पर किसी काम की नही थी। क्या करूं क्या न करूं कुछ समझ ने नही आ रहा था। मायूसी ने ऐसा घेर रखा था कि मैं पूरी दुनिया से ही अलग–थलग हो गयी। मेरी 10 वर्ष की आयु रही होगी जब अमरावती में मैने किसी महात्मा के मुख से गुरु निशि की एक बहुप्रचलित बात सुनी.... “शक्ति का पास में होना किसी को बलवान नही बनता। शक्तियों के साथ धैर्य और संतुलन ही आपको बलवान बनाता है।”...

“इस छोटे से वाक्य ने मेरी जिंदगी को जैसे बदल दिया हो। 10 साल की आयु के बाद से ही मैं अपने बिजली की ताकत को निखारती रही। बस फिर धीरे–धीरे वही शक्तियां निखरती चली गयी। मेरे आंखों में कौन सी शक्ति है, वो मैं नही बता सकती, क्योंकि उसका ज्ञान मुझे भी नही। जो चीज कहीं दूर से इरिटेट करती है, उसे उड़ाने के ख्याल से देख लो और बूम।”..

पलक की बात को सभी ने बड़े ध्यान से सुना। आर्यमणि ने वहीं से अपस्यु को भी कॉल लगा दिया। वो भारत तो पहुंच चुका था लेकिन अभी योजनाबद्ध काम शुरू करने से पहले बाकी चीजों पर ध्यान दे रहा था। आर्यमणि के कहने पर अपस्यु ने पलक के साथ एक साल काम करने पर राजी हो गया। हालांकि अपस्यु का कहना था... “मैं तो मात्र कुछ इंसान से भिड़ने जा रहा है, राह ज्यादा मुश्किल नही होगी।”

जबकि आर्यमणि का कहना था कि... “सबसे ज्यादा खतरे के बीच वही जा रहा क्योंकि इंसान से बड़ा धूर्त कोई नही और धूर्त के बीच जीत चाहिए तो धैर्य जरूरी है। धैर्य किसे कहते हैं वो पलक से सीखना साथ में उस से पत्थर के रहस्य को भी समझाना।”

हालांकि आर्यमणि का अपस्यु से संपर्क करने के पीछे एक छिपा मकसद भी था। बात जब आखरी चरण में थी तब आर्यमणि ने इशारा दिया और अपस्यु टेलीपैथी के जरिए आर्यमणि से मन के भीतर संवाद करने लगा, जहां आर्यमणि ने अपनी मनसा जाहिर करते हुये कहा.... “पलक की परख करनी जरूरी है। मैं भरोसा करके बार–बार धोखा नही खाना चाहता। इसके अलावा पलक यदि सही है तो पलक और तुम्हारी कहानी लगभग एक सी है। दोनो के पिता ने ही मां का साया बड़ी बेरहमी से छीन लिया। पलक को जब अपने मां के कातिलों के बीच धार्य से काम करते देखोगे तब तुम्हे भी बुरे से बुरे परिस्थिति में धैर्य रखने का साहस मिलेगा।

आर्यमणि और अपस्यु की बातें समाप्त हो चुकी थी। इधर पलक भी सब पैक करके तैयार थी। वह महा और कुछ लोगों के साथ पोलैंड निकलती, जहां उसके दो विश्वशघाती दोस्त प्रिया और सार्थक से हिसाब लेने के बाद भारत पहुंचती... जाने से पहले आर्यमणि ने नकली अनंतकीर्ति की पुस्तक पलक को दे दिया। अंततः जर्मनी की सभा समाप्त हुई। अल्फा पैक पलक और महा को छोड़ने वुल्फ हाउस की सीमा तक पैदल ही निकले।

कुछ दूर चलते ही पलक आर्यमणि से कहने लगी.... “अच्छा हुआ याद आ गया। तुमने जब समान ढूंढने वालों को साफ किया था, उसमे कोई मोनक नाम का लड़का मिला था...

आर्यमणि:– नही जानता, मतलब मर गया है।

पलक:– 220 में अपने काम के 2 ही लोग थे। उसके बचने को भी सभावना नही लगती... चलो कोई न, किसी और को ढूंढना होगा।

आर्यमणि:– मैने एक एलियन को कैद में अब तक रखा है, नाम है जुल...

पलक:– क्या कहा तुमने...

आर्यमणि:– जुल...

पलक एक बार फिर उछली। उसे देख रूही ने जैसे भांप लिया और आर्यमणि को खींचकर अपने पीछे करती... “जुल के आगे बोल जूली”...

पलक खुश होकर रूही के ही गले लगती... “अरे वही तो अपने काम का बंदा है।”

आर्यमणि:– लेकिन वो तो एक्सपेरिमेंट बॉडी वाला नायजो है।

पलक:– उसे सोलस ने सेलेक्स्ट किया था, आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हूं।...

आर्यमणि:– 80 इंसान और एक नाजयो का पता भेज दिया हूं। छुड़ा लेना... चलो अब तुम्हे निकालना चाहिए... हम भी यहां से सब समेटकर निकलेंगे...

पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
Nice update
 

Pahakad Singh

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भाग:–135


स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।

बड़े बड़े फोकस लाइट उस गड्ढे को पूरा रौशन कर रहे थे, जहां नायजो की फंसी अपार भीड़ को देखा जा सकता था। अचानक ही चारो ओर से जड़ें फैलनी शुरू हो गयी। मोटे–मोटे कांटों वाली जड़ें हर नायजो के शरीर मे घुस रहा था। एक के ऊपर एक चारो ओर से गोल–गोल घुमाकर नायजो के ऊपर नायजो को कांटों की अर्थी पर लीटा दीया गया।

सभी जिंदा नायजो 40 फिट के गड्ढे में कांटों की अर्थी पर लेटे थे। रूही ने उनके दर्द पर तड़का लगाते हुये सबको एक जैसा ट्रीटमेंट दिया। और कैस्टर ऑयल के जहर का स्वाद सबने एक साथ चखा। सभी पीड़ित नायजो एक जैसा दर्द महसूस कर रहे थे। छोटे–छोटे मक्खी कैमरा उड़ते हुये नीचे फसे नाजयो के चेहरे पर फोकस कर रहे थे। स्क्रीन देख रहे लोग स्क्रीन क्या देखेंगे, चारो ओर से आती चींख पर अपना कलेजा पकड़कर बैठ गये। लागातार आधे घंटे तक सबको चींख सुनाने के बाद खेल शुरू हुआ सबको जिंदा जलाने का।

इसके लिये आर्यमणि खुद भी डंपिंग ग्राउंड तक गया। अल्फा पैक के हर वुल्फ ने जमीन पर पड़े एक जड़ को छू रखा था। साफ देखा जा सकता था की अल्फा पैक के सभी वुल्फ की नब्ज से काला द्रव्य बहते हुये जड़ों में उतर रहा था। और वहां से नीचे पूरे कांटों की अर्थी में फैलता जा रहा था। स्क्रीन पर तो मात्र बड़ा सा विशालकाय गड्ढा दिख रहा था, जहां से पागल कर देने वाली चिंखे निकल रही थी। कैमरा इतने क्लोज एंगल में था कि सैकड़ों नयजो का बड़ा खुला मुंह कैप्चर हो रहा था। खासकर अजुर्मी के ऊपर तो 4 कैमरा अलग–अलग एंगल से फोकस था।

तभी लोगों ने देखा बड़े से कुवानुमा गड्ढे में एक पतली लाइन जलते जा रही थी। सबको समझते देर न लगी की यह आग थी। वह आग जैसे ही नीचे पहुंची, धू–धू–धू करती लपटें कुएं के बाहर तक 40–45 फिट ऊंची उठ रही थी। वुल्फ पैक के टॉक्सिक इतने ज्यादा प्रजवलनशील थे कि उसके सामने एलपीजी भी फेल हो जाये। और नीचे लिपटी जड़ें, जलने के बाद पहले कोयला बनती फिर कोयला जलकर राख बनता। इतने में तो सब स्वाहा हो जाना था।

10 मिनट तक उन्हे लगातार जलाते दिखाने के बाद आर्यमणि पुनः स्क्रीन पकड़ते.... “तो जैसा की आप सबने देखा और मेहसूस किया की, गुरु निशि और उसके शिष्यों को जलकर कैसा लगा होगा। कैसा लगा होगा उनके अभिभावक को, जिनके पास उनके बच्चों के मरने की सूचना तो थी, पर उस जगह साबूत कुछ न बचा था। तुम सब कान खोलकर सुन लो... पृथ्वी खाली करने के लिये मैं तुम सबको 3 साल का वक्त देता हूं। यहां जितने काम अधूरे है, उन्हे समेटो और चलते बनो। हां लेकिन कई अपराधिक मामलों में जितने विकृत नायजो नेता दोषी है, उनके पास भी केवल 3 साल का वक्त है। खुद को दर्द भरी मौत से बचाना है तो आसान मौत का तरीका खुद ढूंढ लेना। वरना भागकर ब्रह्मांड के किसी भी कोने में छिप जाओ, वहां जाकर केवल तुम्हे ही नही मारूंगा, बल्कि विश्वास मानो उस जगह से समस्त नायजो को ही साफ कर दूंगा।”

“जो 3 साल का वक्त मैने तुम्हे दिया है, उन 3 साल में यदि एक भी इंसान को तुम्हारे वजह से खरोच भी आयी तो फिर मैं काल बनकर आऊंगा। फिर तुम्हे मौत नही दूंगा बल्कि दर्द भरी जिंदगी दूंगा। मेरे कांटे तुम्हे बदन के हर हिस्से में घुसे होंगे। तुम अपनी हीलिग की वजह से मारोगे नही और जड़ों के पोषण से तुम भूखे रहोगे नही। बस कांटों के दर्द का मजा अपने अनंत काल के जीवन तक लेते रहोगे। और इस पूरे संधि का गवाह बना तू करेनाराय, खास ख्याल रखना की संधि टूटे न वरना मेरा पहला शिकार तू होगा।”

करेनाराय, इशारों में माइक ऑन करने कहा। आर्यमणि ने जैसे ही माइक ऑन किया..... “तू कितने मार सकता है। हमारी संख्या भी जनता है? तुझे पहले ही कहा था, मेरो बीवी को छोड़ दे, लेकिन तु नही माना। अब तेरी इस बदसुलूकी का अंजाम पृथ्वी के समस्त इंसान भुगतेंगे। उन्हे जब पता चलेगा की हम कौन है और क्या कर सकते है, तब वो थर–थर मूतेंगे। हमारे कदमों में बिछ जायेंगे।”..

आर्यमणि:– हमारे माथे पर क्या कुछ लिखा है। मैं तेरी बीवी को छोड़ देता और कुछ दिन शांत होकर मेरे खिलाफ ही साजिश रचती। और ये जो तू धमकी दे रहा है ना इंसान भुगतेंगे... नाना ऐसे मामलों में जवाब तो अपनी अलबेली ही देगी... अलबेली इस चुतिये राजा को जरा ठीक से समझाओ...

अलबेली:– “सुन बे फटे दूध की खट्टी औलाद, चुतिये पृथ्वी के इंसान तो तेरे जुल्म पहले से भुगत रहे। तू इस बात का डर क्यों दिखा रहा की भुगतेंगे। हां पर तू शायद इंसान को ठीक से समझता न है। तो पहले तुझे मैं इंसान से परिचय करवा दूं। इंसान की उत्पत्ति के पहले, उनकी उत्पत्ति के वक्त और उनकी उत्तपत्ति के बाद भी पृथ्वी जो था, कई विशाल और खूंखार जानवर का घर हुआ करता था। ये बड़े–बड़े डायनाशोर जो अकेले ही लाखो इंसानों को मार सकते थे। उस दौर में शायद मारे भी होंगे लेकिन आज विलुप्त है।”

“जंगल का राजा शेर, इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होता है। आज वो विलुप्त के कगार पर है और इंसान उनका संरक्षण कर रहे। साले फटे ढोल के बेसुरा नतीजा ठीक से जानता भी है क्या इंसान को? इंसान वो है जो अपने उत्पात मचाने की ताकत से ईश्वर तक को पृथ्वी पर आने के लिये विवश कर चुके। उतना ही नही उन उत्तपाती इंसानों को ईश्वर अपने ईश्वरीय रूप में नही मार सकते थे, इसलिए इंसान को मारने के लिये ईश्वर तक को इंसान बनकर जन्म लेना पड़ा। तू ऐसे इंसान को घुटनों पर लायेगा जिनकी दुनिया में हम जैसे वेयरवोल्फ, इक्छाधरी नाग, अनेकों तरह के सुपरनैचुरल अपना अस्तित्व छिपाकर जीते है। कसम से एक बार अपने अस्तित्व का प्रमाण तू इंसानों के बीच दे दे, फिर तो हम छुट्टियां मनाने जायेंगे और तुझे जो अपने समुदाय के संख्या पर गुमान है, उसे फिर वही इंसान संरक्षित करके कहेंगे... “विलुप्त नायजो को मारना कानूनन अपराध होगा।” कुछ समझ में आया की नही मंद बुद्धि। इंसान जो है वो तेरे बाप है और पृथ्वी पर बाप बेटे के सामने झुकते नहीं।”

आर्यमणि:– कुछ समझ में आया बेसुरा नतीजा। इसलिए जहां है वहां शांति से राज कर और यहां पृथ्वी से अपने जैसों को समेटकर चलता बन। नही, यदि चुलक ज्यादा मची हो तो आज के बाद तुम में से कोई भी किसी इंसान को खरोच देकर बताना... पहले तो मैं ही इंसानो के सामने तुम्हारे अस्तित्व को उजागर कर दूंगा। साथ ही साथ करेनाराय तुझे मैं कांटों की ऐसी चिता पर लिटाऊंगा जिसके दर्द से तुझे भी जिंदा रहना गलती लगने लगेगा।

आर्यमणि अपनी बात कहकर लाइन डिस्कनेक्ट कर दिया। सभी सिस्टम समेट लिये। पलक तेजी से खुद को आजाद करती गुस्से में आर्यमणि पर चिल्लाने लगी...

आर्यमणि, पलक का गुस्सा समझते... “धीरे से थप्पड़ मारने पर वो रिएक्शन नहीं आता, जो तुम दे रही थी। क्या समझी?”

पलक, खुद को पूरा शांत करती.... “मैं थप्पड़ के लिये नही चिल्लाई। खैर, मैं समझ रही हूं, क्यों तुमने कहा था कि “पहले हमारे पास कोई नाम नहीं, लेकिन अब है।”... यदि मैं अजुर्मी का नाम नही बताती तो शायद यहां करेनाराय को टेलीपोर्ट करके लाते...

आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझी...

पलक:– सही वक्त पर मेरे मुंह से एक नाम निकल गया वर्ना दुश्मन को ठीक से न पहचान पाने के भूल की सजा भुगत रहे होते..

रूही:– क्या मतलब सजा भुगत रहे होते?

पलक:– आर्य ने तो टेलीपोर्ट करके अजुर्मी जैसे पापी को कोई मौका नहीं दिया, सीधा यहां ले आया। नतीजा पक्ष में रहा। पर करेनाराय बिलकुल उसका उलट शिकार होता। उसके पास अचानक पहुंचकर अजुर्मी की तरह टेलीपोर्ट नही कर सकते थे।

रूही:– ऐसा क्यों..

पलक:– “गुरियन नामक एक पूरा प्लेनेट है। शायद पृथ्वी से भी बहुत बड़ा प्लेनेट होगा। उस प्लेनेट पर 300 करोड़ नायजो आबादी बसती है। उस पूरी आबादी को अकेला करेनाराय नियंत्रित करता है। पृथ्वी का पहला एक्सपेरिमेंटेड बॉडी और लगभग 450 वर्ष की आयु। नायजो की कुछ खास बातें तुम सबको समझनी जरूरी है। नायजो की शक्तियां कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी है और प्रकृति से जुड़े रहस्य को खोज निकालने में वो माहिर होते है। सोलस, नायजो इतिहास और रहस्य की पुस्तक ले आओ”...

“तुम सब इस पुस्तक को जरूर पढ़ना। बाकी संक्षिप्त जानकारी मैं करेनाराय के बारे में दे देती हुं। वह अनोखे पत्थरों का जानकर है और उनके इस्तमाल करने में महारत हासिल किया है। कोई भी यदि करेनाराय को बिना उसकी मर्जी के छूने जायेगा तो वह एक अभेद जाल में फंसकर रह जायेगा। उसके सीने पर लटक रहा सौभाग्य पत्थर वह पत्थर है, जिसका सौदा तो हुर्रीयेंट और विषपर प्लेनेट पर बसने वाले नायजो के मुखिया भी करना चाहते है।”

“इन दो ग्रहों के नायजो आज भी अपने पुराने धरोहर को गुप्त रूप से आगे बढ़ाते है जिनमे... जड़ी–बूटी विज्ञान, दुर्लभ पत्थर विज्ञान, कंबाइंड नेचुरल एंड आर्टिफिशियल साइंस और हाई–टेक मॉडर्न साइंस आते है। यूं समझ लो की विषपर और हुर्रीयेंट के नायजो ऊंचे दर्जे के नायजो है, जो अपने बारे में किसी से बात नही करते। अपने किसी भी टेक्नोलॉजी का राज नही खोलते। हमे बस उनका बनाया समान मिलता है जिन्हे हम इस्तमाल कर सकते है, लेकिन वह बनता कैसे है इस बात को जान नही सकते।”

“करेनाराय ने वह सौभाग्य पत्थर कहां से पाया किसी को नही पता। लेकिन उस पत्थर के गुण अजूबे है। ये पत्थर न तो किसी प्रकार का विध्वंश फैलता है ना ही इसके कोई वास्तविक प्रत्यक्ष गुण है। केवल अप्रत्यक्ष गुण है और उस गुण के चलते यह पत्थर ऊंचे कुल वाले विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट के नायजो को भी चाहिए। सौभाग्य पत्थर सौभाग्य लाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो इसके बहुत फायदे हैं लेकिन यदि बात करे किसी हमले की तो”...

“किसी भी प्रकार का हमला क्यों न हो। घटना छोटी, मध्यम या कितनी ही बड़ी क्यों न हो... सौभाग्य पत्थर अपने धारक को हर घटना से दूर रखता है। अब करेनाराय को सुई चुभोने जाओ या उसे एटम बॉम्ब से मारो, सौभाग्य पत्थर दोनो ही घटना को निष्क्रिय कर देगा। निर्जीव चीज निष्क्रिय हो तो किसी को पता नही चलता। किंतु सोचकर देखो यदि तुम करेनाराय के ऊपर हाथ रखे और हाथ रखते ही निष्क्रिय अवस्था में आ जाओ तब”..

आर्यमणि:– हम्मम... मतलब वो करेनाराय डरा नही बल्कि उल्टा वो हमले की तैयारी कर रहा होगा। मैने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी...

पलक:– अंदर से खून उबाल मार रहा है। क्या कहूं तुम्हारे इस बेवकूफी पर। फिर से एकतरफा योजना जहां दुश्मन को पूर्ण रूप से जाने बगैर फैसला किये। इस बार इंसानों की जान वाकई खतरे में है। अब तो आमने–सामने की लड़ाई होगी, जिसमे पता न कितना जान जायेगा।

ओजल:– थोड़े बेवकूफ है तो अब पूरा बेवकूफ बना जाये... चलो करेनाराय को वाकई में डराया जाये। जो पत्थर करेनाराय से ऊंचे खून वाले, न जाने किस–किस ग्रह के नायजो न ले पाये उसे हम लेकर आते हैं।

सभी एक साथ.... “मतलब”..

ओजल:– मतलब साफ है कि आज यहां से करेनाराय को बिना डराये गये, तब वह इंसानों के लिये और खासकर अपने परिवार के लिये बड़ा खतरा बन जायेगा। तो चलो उसके सौभाग्य पत्थर को छीनकर न सिर्फ करेनाराय को डराए, बल्कि समस्त नायजो के उन सभी वीर को डरा दे, जो अलौकिक वस्तु अपने पास रखकर खुद को वीर समझते हैं। करेनाराय आज एक उधारहण बनकर उभरेगा जिसकी हालत देख दूसरे नायजो कितना भी बलवान क्यों न हो, खौफ में आ जायेगा...

आर्यमणि:– हां लेकिन ये होगा कैसे... अभी–अभी तो उसकी बीवी को उसके प्लेनेट से टेलीपोर्ट किया था। अभी तो वो पूरे सुरक्षा का इंतजाम कर चुका होगा। ऊपर से करेनाराय के पास वो पत्थर भी है... वहां जाने का मतलब खुद की जान ऐसे फेंक कर आ जाना..

रूही:– ये लड़की ना हाथ से निकल गयी है। पता न इसके दिमाग में क्या चलते रहता है। ठीक है जा, लेकिन जिंदा आना...

आर्यमणि:– रूही.... ये क्या कह रही हो.... हम कोई और रास्ता देखते है। इतना खतरा उठाकर नही जाना...

ओजल:– ओ जीजू भरोसा रखो.... उसे डराना जरूरी है। शिवम् सर और निशांत मेरे साथ चल रहे। आपलोग इंतजार करो...

निशांत जो अब तक सेकंड फ्लोर पर छिपा सब कुछ लाइव देख रहा था, वह नीचे आया। आर्यमणि अपने बाजू से एनर्जी फायर निकालकर संन्यासी शिवम् के हाथ में दे दिया। तीनो ही सीधा टेलीपोर्ट होकर करेनाराय के महल के बड़े से उस कमरे में थे, जहां करेनाराय अपने बड़े–बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठा हुआ था।

जैसे ही तीनो टेलीपोर्ट होकर पहुंचे, तीनो जिस स्थान पर थे, उसके चारो ओर पॉइंट बन गये, और देखते ही देखते उन पॉइंट्स से तेज रौशनी सिलिंग तक गयी। यह पॉइंट्स एक गोल घेरे का निर्माण कर रहे थे जिसमे संन्यासी शिवम्, ओजल और निशांत फ्रीज हो चुके थे। पर ये क्या रौशनी के बने एक गोले में तीनो ही फ्रिज थे और उस हॉल के दूसरे हिस्से में भी तीनो नजर आ रहे थे।

इधर तीनो जैसे टेलीपोर्ट होकर उस स्थान पर पहुंचे, निशांत का भ्रम जाल उसी वक्त फैल चुका था। हां लेकिन वो लोग भी तब चौंक गये, जब उनके भ्रम को ही फ्रिज कर दिया गया और वास्तविक रूप में तीनो कहां थे ये सबको नजर आने लगा था।

निशांत:– ओजल जो भी सोचकर आयी थी उसे अभी ही कर दो। इनकी शक्ति तो देखो, मेरे भ्रम तक को कैद कर लिये।

“बस हो ही गया”.... कहते हुये ओजल अपने नब्ज काट चुकी थी। बहते खून के साथ फ्रीज होने के मंत्र वो पढ़ चुकी थी। और चूंकि ओजल एक नायजो थी, इसलिए उसके मंत्र के प्रभाव से वहां माजूद हर नायजो फ्रीज हो चुका था, सिवाय करेनाराय के...

कारेनाराय:– हरामजादी मुझे फ्रीज तो नही कर पायी, लेकिन अब देख मैं क्या करता हूं...

कारेनाराय की बात समाप्त हुई और अगले ही पल वापस से कई बिंदु तीनो को चारो ओर से घेर लिये। हां लेकिन इस से पहले की आगे उन्हे फ्रीज किया जाता, करेनाराय खुद ही फ्रिज हो चुका था। हुआ ये की कल्पवृक्ष दंश की मदद से ओजल पूरा माहोल फ्रीज कर चुकी थी। बस 2 सेकंड का वक्त चाहिए था करेनाराय को जड़ों में जकड़ने के लिये, जिसका मौका खुद करेनाराय ने दे चुका था, अपना डायलॉग मारकर। बस उतने ही वक्त में करेनाराय जड़ों की चपेट में था और जड़ों की कई साखा पर न सिर्फ वह सौभाग्य पत्थर लटक रहा था बल्कि 112 और अनोखे पत्थर थे...
What a great scenery you have created Biradar.
Everything was just fine as fuck😍
Aakhir ka scene just awesome.
This was fucking mind boggling
👍
 

Pahakad Singh

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भाग:–136


ओजल और निशांत तेजी दिखाते हुये उन पत्थरों को इकट्ठा करने लगे।.... “तुम्हे कैसे यकीन था कि करेनाराय जड़ों ने लिपटा जायेगा”..

ओजल:– जड़े तो प्रकृति है, और भाला प्रकृति किसी के बदन को छुए तो इसमें मुझे नही लगता की कोई भी पत्थर उसे दुश्मन समझेगा...

निशांत:– कम समय में कमाल की समीक्षा... चलो यहां से चला जाये...

बिना वक्त गवाए ओजल अपना काम पूरा करके सबके साथ वापस लौट आयी। जैसे ही वह पहुंची, रूही ओजल के कलाई को पकड़कर.... “शिवम भैया, इस लड़की को जल्दी से अपने साथ ले जाओ वरना बली प्रथा से जादू के चक्कर में ये एक दिन अपनी जान ले लेगी”...

ओजल बड़े प्यार से अपनी दीदी के गले लगी। ये स्पर्श और एहसास ही कुछ अलग था।... “जा रही हूं दीदी, और बली प्रथा से जादू को अलविदा कहकर लौटूंगी।”..

पलक तालियां बजाती... “कमाल का विश्वास और कमाल का काम.. जब इतना कर लिये तो कारेनाराय को लेते ही चले आते। उसकी जिंदगी समाप्त कर देते फिर तो सब एलियन पृथ्वी छोड़ आज ही भाग जाते”...

संन्यासी शिवम्:– या पृथ्वी पर अनचाहा युद्ध का खतरा आ जाता। किसी को अपने क्षेत्र से भागना हो तो उन्हे डराना चाहिए। और यदि युद्ध चाहिए तो जान से मार देना चाहिए। यह ठीक उसी प्रकार से था पलक जैसे मरते हुये विकृत नायजो को तुमने चाकू मारने का विचार दिया। वह मर तो रहे ही थे। खोने को कुछ न था, फिर क्या चाकू चलाए, उनका नतीजा सबके सामने था। करेनाराय अब पूर्ण रूप से डरा होगा। उसके साथ–साथ वो लोग भी सकते में आ गये होंगे जिन्हें लगता होगा की अपने तिलिस्म के दम पर वह कुछ भी कर सकते है। आज के मीटिंग का मकसद ही डराना था जो पूरा हुआ।

आर्यमणि:– सही कहे शिवम् सर.. हम सब भी यहीं सभा समाप्त करते है, लेकिन इतने सारे दुर्लभ पत्थर का करे क्या? चूंकि पलक इसकी जानकर है इसलिए इसे समझने के बाद अभी ही इसपर कोई फैसला लेकर चलेंगे.....

पालन ने अपने खास साथी सोलस को इशारा किया। वह तुरंत ही एक बैग के साथ लौटा। पलक बैग से एक छोटी सी चमचमाती छेनी, हथौड़ी और एक चिमटा निकाली। एक पत्थर को सोलस ने चिमटे से पकड़ा और पलक ने छेनी से उस पत्थर को तराशना शुरू किया। एक इंच लंबे, चौड़े और मोटे पत्थर के बीच से चमकता हुआ छोटा मोती जैसा हिस्सा निकाली। सोलस के लाये बैग से 4 इंच चौड़ा और 12 इंच लम्बा एक प्लेन पत्थर के टुकड़े की सतह पर उस मोती से पत्थर को कुछ देर घिसने के बाद.... “लो ये पत्थर अपने सबसे प्रबल रूप में आ गया है। देखना चाहोगे कमाल”.....

इतना कहकर पलक ने वह पत्थर मुट्ठी में दबाया और दौड़ लगा दी... वह ऐसे दौड़ी जैसे अदृश्य हो गयी हो। लोगों ने जब भी उसे देखा अपनी जगह पर ही देखा, लेकिन उनके आस पास की चीजें कब अस्त व्यस्त हुई पता भी नही चला। रुक कर जब वो अपनी मुट्ठी खोली, उसके हाथ में बस धूल ही धूल थे..

पूरा अल्फा पैक बड़े ध्यान देखने लगा। मन में जिज्ञासा आना लाजमी था, और सवाल अपने आप होटों पर... “अभी इस पत्थर की मदद से कोई जादू हुआ था क्या? और ये पत्थर कणों में कैसे तब्दील हो गया?

पलक:– “आराम से सब बताती हूं। पत्थर की शक्तियों को जितना इस्तमाल करेंगे, वह पत्थर उतना ही अपने अंत के करीब जायेगी। पत्थर का मूल रूप उसके मध्य में होता है, जिसके ऊपर पत्थर की कठोड़ परत पड़ी होती है। जैसे की अभी लाये पत्थर में से ये पत्थर गति को इतना बढ़ा देता है कि लोग अदृश्य लगने लगते है। परंतु यह पत्थर एक बार इस्तमाल में लाये जाने के बाद ध्वस्त हो गया।”

“प्रयोग में लाये जाने के हिसाब से पत्थर की शक्ति निर्भर करती है। अब जैसे ओजल के दंश का पत्थर, वह एक अलौकिक और अंतहीन पत्थर है। इसका कितना भी प्रयोग करो कहीं से भी क्रैक नही होगा। उसके बड़े से आकर को देखो। मूल रूप से पत्थर का मध्य भाग जो मोती से ज्यादा बड़ा नहीं होता बस उतना ही काम का हिस्सा रहता है, और वो हिस्सा जितना कवर रहेगा उतना ही असर कम दिखाएगा। परंतु ओजल के दंश का पत्थर जो है वह अपने मूल रूप में है। इतना बड़ा दुर्लभ पत्थर पूरे ब्रह्मांड में बहुत ही मुश्किल से मिलेंगे।”

“अंतहीन पत्थर काफी दुर्लभ होते है, मिलना मुश्किल और मिल गया तो संभालना मुश्किल और संभाल लिये तो दुश्मनों से अपना जान बचाना मुश्किल... उसके अलावा निचले स्तर के पत्थर आते है, जिन्हे मैं कैटिगरी 1, 2, और 3 में बांटे हूं... कटीगरी 3 के पत्थर एक बार ही प्रयोग में लाये जा सकते है। जिस पत्थर को अभी सबने देखा। कैटोगरी 2 के पत्थर 10 साल तक चलते है, लेकिन जैसे–जैसे प्रयोग में आता जायेगा, उसका असर धीरे–धीरे कम होता जायेगा और फिर दम तोड़ देगा। पहले कैटोगेरी के प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर का कितना भी इस्तमाल करो उसका असर कभी कम नही होता, लेकिन कोई निश्चित नही की कब उन पत्थरों में क्रैक आ जाये और वो नष्ट हो जाये। हां लेकिन ऐसे पत्थर को पौराणिक तरीके से बचाने का उपाय पहले से है। हिंदू आस्था के प्रतीक शिव लिंग के कई अलौकिक रूप को ऐसे ही संरक्षित किया जाता है। उन विधि को यदि पूरे नियम से माने जाये तो कैटिगरी 1 के पत्थर को अंतहीन पत्थर को तरह इस्तमाल कर सकते हैं। फिर उनसे मिलने वाले लाभ कभी कम न होंगे न कभी खत्म होंगे और कैटोगारी 1 के पत्थर मिलने में थोड़े आसान भी होते हैं।

आर्यमणि:– पत्थरों की अद्भुत जानकारी तुम्हे मिली कहां से...

पलक:– मैं पिछले कई महीनों से बस इसी पर रिसर्च तो कर रही हूं। दुनियाभर के बड़े–बड़े पुस्तकालय को ही छान रही थी। जितनी जानकारी जहां से भी मिली, बटोर रही थी।

संन्यासी शिवम:– पलक तुम सभी पत्थरों को यहां तरासो। उनके गुण और अवगुण सभी को बताओ। किस वर्ग का कौन सा पत्थर है, वो भी बताना। फिर मैं बताऊंगा की उन पत्थरों को आसानी से संरक्षित कैसे रख सकते हैं और प्रयोग में लाये जाने वाले एक भी पत्थर कैसे प्रयोग करने वाले से कभी चुराया नही जा सकता...

पलक खुशी से उछल गयी। उछलकर वह सीधे संन्यासी शिवम के गले लग गयी। रूही पलक को उनसे अलग करती.... “मतलब अब शिवम् सर पर डोरे डाल रही।”..

पलक:– अब क्या दूसरों पर भी डोरे न डालूं.. क्या चाहती है, तेरे पति पर ही डोरे डालूं...

रूही:– नाना मैं तो तुझे तेरी उस हाहाकारी की याद दिला रही थी जिसके बारे में तुमने बताया था... एक पहले से है, तब क्यों सबके गले पड़ रही...

आर्यमणि:– चुप हो जाओ रे तुम सब। इन लड़कियों की बात समाप्त ही नही होती... लो पत्थरों का ढेर लग गया।

पत्थरों के ढेर में वह पत्थर भी था जो आचार्य जी निकलते वक्त आर्यमणि और अपस्यु को दिये थे। डायनिंग टेबल पर कुल मिलाकर 848 पत्थर थे। सब लोगों की मदद से काम जल्द ही समाप्त हो गया। एनर्जी फायर और नागमणि को छोड़कर कुल 22 पत्थर थे जो अंतहीन पत्थर थे। ज्यादातर अंतहीन पत्थर सुकेश के घर से चोरी की हुई पत्थरों में से था। कुछ पलक पास अंतहीन पत्थर थे तो कुछ पत्थर करेनाराय से मिला था।

128 पत्थर जो थे वह कैटोगारी 1 के पत्थर थे, जिन्हे संभाल कर रखते तो अंतहीन इस्तमाल किया जा सकता था। इन पत्थरों में वह पत्थर भी सामिल थे जो अल्फा पैक को मंत्र सिद्ध करने दिये गये थे। बचे हुये पत्थर को भी अलग–अलग कैटोगारी में बांटा जा चुका था।

संन्यासी शिवम वहां मजूद जितने भी आज के साथी थे, महा से लेकर 52 नायजो और अल्फा पैक, सबको तरासे हुये पत्थर मिले। लेकिन उन्हें यूं ही हाथ में नही दिया गया। बल्कि सन्यासी शिवम् के बड़े से योजन में ओजल और निशांत ने हिस्सा लिया। उन लोगों ने पलक से वह अनोखी धातु मांगी जिसे हाइवर मेटल कहते थे और जो सूरज की भट्टी में तपकर तैयार होता था।

उनकी मदद से तीनो ने मिलकर सबके लिये एमुलेट बनाया। अभिमंत्रित एमुलेट जिसके मध्य में एक बड़ा पत्थर लगा सकते थे और धातु के उस गोलाकार बॉक्स के बीच में कई सारे मोती जैसे पत्थरों को भी रखा जा सकता था। हर एमुलेट उसके पहनने वाले के नाम से अभिमंत्रित किया गया। यदि किसी कारणवश किसी भी वायक्ति की मृत्यु हुई फिर वह एमुलेट स्वतः ही आश्रम पहुंच जाएगी।

कोई चोर एमुलेट को एक क्षण के लिये चुरा जरूर सकता था, लेकिन अगले ही क्षण वो एमुलेट गायब होकर उसके धारक के पास पहुंच जायेगी। कोई ऐसा मंत्र नही था जो एमुलेट को उसके मंत्र से अलग कर सके क्योंकि एक संपूर्ण सुरक्षा घेरे के बीच मंत्र को सिद्ध किया गया था। कोई साधक उसे तोड़ने की कोशिश करता तो पहले सुरक्षा मंत्र को तोड़ना पड़ता, जिसके लिये उसे खुद सामने आकर आश्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़नी पड़ती। कई अलौकिक एमुलेट की रचना की गयी जिसमे कम से कम एक पत्थर डालकर सबको सौंप दी गयी।


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सबसे ज्यादा मेहनत अल्फा पैक और पलक के एमुलेट पर किया गया। जिसे हर मानक चिह्न को सिद्ध करते, ग्रहों की संपूर्ण दिशा को साधकर वह एमुलेट बनाया गया था। सबसे ज्यादा पत्थर आर्यमणि के एमुलेट में ही थे, जिसमे 25 तराशे हुये अंतहीन एनर्जी स्टोन को एक चेन में लगाया गया था, जिसके बीच एक रक्षा स्टोन था, जिसे आचार्य जी ने दिया था। ठीक वैसे ही एमुलेट की रचना बाकियों के लिये भी किया गया था, जिसमे पत्थर की संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।

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सबको अपना अपना एमुलेट मिल गया था। तराशा हुआ सौभाग्य पत्थर संन्यासी शिवम ने ओजल को उसकी सूझ–बूझ और बुद्धिमता के लिये दे दिये। पलक के पास जो 5 स्टोन थे वह भी अंतहीन स्टोन ही थे, जिसे उसके एमुलेट में डाल दिया गया था। इसके अलावा पलक के एमुलेट में 6 कैटोग्री 1 वाले तराशे पत्थर भी थे, जिन्हे सन्यासी शिवम् अपनी स्वेक्षा से पलक को सौंपे थे। सबसे ज्यादा खतरे के बीच पलक ही थी, इस बात को ध्यान में रख कर।

इतनी अलौकिक वस्तु पाकर पलक और उसकी टीम काफी खुश थी। सबके एमुलेट में तराशे हुये कई नये पत्थरों को रखा जा सकता था। पलक ने एमुलेट के तर्ज पर ही एक बड़ा बॉक्स बनवाया, जिसके अंदर जो पत्थर एक बार गयी, फिर कभी चोरी न हो सके। क्योंकि उसे पता था, नायजो के पास अलौकिक पत्थरों की कमी नहीं थी।

बातों के दौरान ही पलक अपनी शक्तियों के राज से पर्दा उठाती हुई कहने लगी... “मैं शक्ति के पीछे नही थी और न ही मैं प्रथम श्रेणी की नायजो हूं। मेरे पास तो केवल बिजली की शक्ति थी, जिसका ज्ञान मुझे गुरु निशि के आश्रम से लौटने के बाद हुआ था। तुम सब विश्वास नही करोगे, उस छोटी उम्र में मैं कितनी विचलित थी और दिमाग पर पूरे समाज से ही अपनी मां के खोने का बदला लेना था। मैने वैसा किया भी। अपने बाप को बिजली के झटके दिये। अपनी मां को दिया। दोनो मुंह फाड़कर मुझ पर ऐसे हंसे जैसे मेरे विचलित मन की खिल्ली उड़ा रहे हो।”

वह मेरे गुस्से का कारण पूछते रहे पर मैं पूछ न सकी की मेरी मां, अब मुझे मां क्यों नही लगती। धीरे–धीरे वक्त बिता और मैं अपनी शक्ति को अपना अभिशाप समझने लगी, जो मेरे पास तो थी पर किसी काम की नही थी। क्या करूं क्या न करूं कुछ समझ ने नही आ रहा था। मायूसी ने ऐसा घेर रखा था कि मैं पूरी दुनिया से ही अलग–थलग हो गयी। मेरी 10 वर्ष की आयु रही होगी जब अमरावती में मैने किसी महात्मा के मुख से गुरु निशि की एक बहुप्रचलित बात सुनी.... “शक्ति का पास में होना किसी को बलवान नही बनता। शक्तियों के साथ धैर्य और संतुलन ही आपको बलवान बनाता है।”...

“इस छोटे से वाक्य ने मेरी जिंदगी को जैसे बदल दिया हो। 10 साल की आयु के बाद से ही मैं अपने बिजली की ताकत को निखारती रही। बस फिर धीरे–धीरे वही शक्तियां निखरती चली गयी। मेरे आंखों में कौन सी शक्ति है, वो मैं नही बता सकती, क्योंकि उसका ज्ञान मुझे भी नही। जो चीज कहीं दूर से इरिटेट करती है, उसे उड़ाने के ख्याल से देख लो और बूम।”..

पलक की बात को सभी ने बड़े ध्यान से सुना। आर्यमणि ने वहीं से अपस्यु को भी कॉल लगा दिया। वो भारत तो पहुंच चुका था लेकिन अभी योजनाबद्ध काम शुरू करने से पहले बाकी चीजों पर ध्यान दे रहा था। आर्यमणि के कहने पर अपस्यु ने पलक के साथ एक साल काम करने पर राजी हो गया। हालांकि अपस्यु का कहना था... “मैं तो मात्र कुछ इंसान से भिड़ने जा रहा है, राह ज्यादा मुश्किल नही होगी।”

जबकि आर्यमणि का कहना था कि... “सबसे ज्यादा खतरे के बीच वही जा रहा क्योंकि इंसान से बड़ा धूर्त कोई नही और धूर्त के बीच जीत चाहिए तो धैर्य जरूरी है। धैर्य किसे कहते हैं वो पलक से सीखना साथ में उस से पत्थर के रहस्य को भी समझाना।”

हालांकि आर्यमणि का अपस्यु से संपर्क करने के पीछे एक छिपा मकसद भी था। बात जब आखरी चरण में थी तब आर्यमणि ने इशारा दिया और अपस्यु टेलीपैथी के जरिए आर्यमणि से मन के भीतर संवाद करने लगा, जहां आर्यमणि ने अपनी मनसा जाहिर करते हुये कहा.... “पलक की परख करनी जरूरी है। मैं भरोसा करके बार–बार धोखा नही खाना चाहता। इसके अलावा पलक यदि सही है तो पलक और तुम्हारी कहानी लगभग एक सी है। दोनो के पिता ने ही मां का साया बड़ी बेरहमी से छीन लिया। पलक को जब अपने मां के कातिलों के बीच धार्य से काम करते देखोगे तब तुम्हे भी बुरे से बुरे परिस्थिति में धैर्य रखने का साहस मिलेगा।

आर्यमणि और अपस्यु की बातें समाप्त हो चुकी थी। इधर पलक भी सब पैक करके तैयार थी। वह महा और कुछ लोगों के साथ पोलैंड निकलती, जहां उसके दो विश्वशघाती दोस्त प्रिया और सार्थक से हिसाब लेने के बाद भारत पहुंचती... जाने से पहले आर्यमणि ने नकली अनंतकीर्ति की पुस्तक पलक को दे दिया। अंततः जर्मनी की सभा समाप्त हुई। अल्फा पैक पलक और महा को छोड़ने वुल्फ हाउस की सीमा तक पैदल ही निकले।

कुछ दूर चलते ही पलक आर्यमणि से कहने लगी.... “अच्छा हुआ याद आ गया। तुमने जब समान ढूंढने वालों को साफ किया था, उसमे कोई मोनक नाम का लड़का मिला था...

आर्यमणि:– नही जानता, मतलब मर गया है।

पलक:– 220 में अपने काम के 2 ही लोग थे। उसके बचने को भी सभावना नही लगती... चलो कोई न, किसी और को ढूंढना होगा।

आर्यमणि:– मैने एक एलियन को कैद में अब तक रखा है, नाम है जुल...

पलक:– क्या कहा तुमने...

आर्यमणि:– जुल...

पलक एक बार फिर उछली। उसे देख रूही ने जैसे भांप लिया और आर्यमणि को खींचकर अपने पीछे करती... “जुल के आगे बोल जूली”...

पलक खुश होकर रूही के ही गले लगती... “अरे वही तो अपने काम का बंदा है।”

आर्यमणि:– लेकिन वो तो एक्सपेरिमेंट बॉडी वाला नायजो है।

पलक:– उसे सोलस ने सेलेक्स्ट किया था, आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हूं।...

आर्यमणि:– 80 इंसान और एक नाजयो का पता भेज दिया हूं। छुड़ा लेना... चलो अब तुम्हे निकालना चाहिए... हम भी यहां से सब समेटकर निकलेंगे...

पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
Now its time for next plot.
Ab sabke mantro ko siddh karne ka time aa gya h ( may be if writer doesn't want anything 😏 )
Both updates were amazing
Keep it up Biradar
👌
 

CFL7897

Be lazy
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Bhai bite Dinon ke sath sath ojal apni shaktiyon ko badhate ja rahi hai apne Dans se ho Kuchh had Tak Kabu Pa chuki hai. Kya powerful najara dikhaya usne Jab Shivam Sanyasi ne ojal ko Antar Dhyan Karke karnaya ke rajdarbar mein pahuncha diya tha FIR vahan se ojal Shivam Ne Milkar Jo Bhram Jaal failaya Uske vajah se vahan maujud Sare Darbar Ke Log aur Sang Raja bhramit hokar Rah Gaye aur unko freez bhi gazab tarike Se Kiya Gaya....
😃😃

Albeli ne kya mast dialog chipkaya sare najron ki gand Maar Ke Rakh Li.
Ek Mast live action k bad mast dialog ka Gajab Ka sestion chala..
😁😁
Palak ne bhi apni shaktiyon ke Raj paise Parda uthaya ki kaise ho Chhote per Se Hi Apne man Baap jo ki nakali the unke bare me kuch kuch samaj rakhati thi....bijali ke jhtake dene se lwkar kudh ko sambhalane ka jo aatmbisbiwas pesh kiya hai gazab ka hai...
😈😈😈
Shandar update bhai..
 
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इन अपडेट्स मे बहुत कुछ हो गया। अधर्मी को दूसरे प्लेनेट से पृथ्वी पर ला वही मौत दिया गया जैसा उसने गुरू निशी और मासूम बच्चो को आग मे झोंक कर दी थी। पहली बार इन एलियन को डर का एहसास दिलाया गया। पहली बार इनके सम्राट करेना राय को मात खानी पड़ी।
लेकिन सबसे बेहतर था अलबेली की वो बुलंद भरी ललकार जो उसने करेना राय को दी थी। चराचर जगत मे जितने भी प्राणी अब तक हुए , उनमे सबसे शक्तिशाली मनुष्य ही हुए। या वो राक्षस के रूप मे हुए या ईश्वर के रूप मे या आज के दौर मे साइंटिस्ट के रूप मे हुए।

पलक ने कहा , करेना राय के पास तीन सौ करोड़ की सेना है। इसी पृथ्वी पर महिषासुर और शुम्भ - निशुम्भ भाईयों के पास तो कई अरबों की सेना थी। इसके अलावा खुद कई चमत्कारिक शक्तियों से लैस भी थे। लेकिन फिर भी उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा। सिर्फ माता भगवती ने इन सभी का विनाश कर दिया।

शिवम जी ने भी सही कहा , जब तक दुश्मन के शिविर मे भय का माहौल न होगा , तब तक दुश्मन सांप की तरह अपना फन यदा कदा उठाता रहेगा।
और शायद मुझे लगता है गुरियन प्लेनेट से सौभाग्य पत्थर , अंतहीन पत्थर और अन्य करिश्माई पत्थर आने के बाद उन्हे डर का एहसास तो हो ही गया होगा।
इन पत्थर के जिक्र से याद आया , ओजल , निशांत और शिवम मुनि ने गजब का कारनामा कर दिखाया। सौभाग्य पत्थर को प्राप्त करना बेहद मुश्किल था। खासकर ओजल की शाबाशी तो बनती है।
आर्य के पैक पर पहले मै थोड़ा कन्फ्यूज था। लेकिन अब समझ आया कि इस पैक के वगैर आर्य यह युद्ध जीत ही नही सकता था। सभी एक से बढ़कर एक है।

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट नैन भाई। आउटस्टैंडिंग।
और जगमग जगमग।
 
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Monty cool

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मज़ा आगया नैन भाई वो राजा को उठने वाला वाक्य वाकई मज़ेदार था और तो और गुरु निशी के कातिल को भी क्या मस्त मारा है सच लास्ट के दो अपडेट देख कर दिल खुश होगया नैन भाई
 

king cobra

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Nainu bhai kuch bacha hai kya abhi sabko to set kar diya aapne to kya abhi kuch update aur milega hamko
 
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