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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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nain11ster

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king cobra

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nain11ster आपसे अनुरोध है कि आप अपडेट एक साथ न देकर एक-एक अपडेट प्रतिदिन दें , अपडेट आराम से पढ़ने और समझने और अपडेट का रोमांच लेने के लिए समय मिलेगा
एक ही दिन में दो-तीन अपडेट आ जाना उसके बाद दो-तीन दिन की छुट्टी
प्रतिदिन एक अपडेट मिलता रहेगा तो उसका अलग ही आनंद और रोमांच रहेगा
प्रतिदिन एक अपडेट से आपके थ्रेड पर रिव्यू देने और कहानी के अगले अपडेट का इंतजार कि nain11ster कल फिर अगला अपडेट देंगे
आप लेखक हैं बाकी आप अपनी सुविधानुसार अपडेट दें भाई हमसे तो एक पैराग्राफ़ भी नहीं लिख सकते
अगले रोमांचकारी अपडेट के इंतजार में
han ek update subah ek update shaam ko den roj to achcha rahega :dost:
 

Lust_King

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भाग:–126


सोलस:– आपकी ये बचकानी कमी कब दूर होगी। आंखों के सामने जो दुश्मन इतना गहरा गड्ढा कर सकता है, वह कहीं और से निकलने की योजना बनाने के बाद ही गड्ढा किया होगा। और तो और वो इस गड्ढे को उतनी ही तेजी से भर भी सकता है।

पलक:– माफ करना सोलस... लेकिन हम उसे भागने नही दे सकते...

सोलस:– वुल्फ अपने पैक के बिना जायेगा कहां। ऊपर से 36 घंटे के लिये आपने उसे पैरालाइज किया है, खुद से तो भाग सकता नही। तो जरूर अपने पैक में से किसी को मदद के लिये बुलायेगा। पीछे चलिए, असली खेल वहीं से होगा। हमारे सैकड़ों लोग जिन्हे हम बचा सकते है, बचा भी लेंगे...

एकलाफ:– ये सोलस तो आम सा एक सदस्य है, फिर तुम इसकी क्यों सुन रही?

पलक:– क्योंकि ये मुझे सुनाने के काबिल है और मेरे मुंह पर सुनाने की हिम्मत रखता है, इसलिए सुन रही हुं। सबको धैर्य से सुनती हूं इसलिए बहुत से नतीजों पर पहुंचती हूं। सोलस डायनिंग टेबल पर रखा लैपटॉप उठाओ और इसे खोलकर अंदर की जानकारी लो। आर्य भाग गया है, हमारे हाथ न लगा। पता न कब बाजी पलट दे, कम से कम उसका ट्रैपर हम इस्तमाल कर पाये तो हाथ से निकली बाजी भी वापिस आ जायेगी...

सोलस:– जैसा आप कहें मैम.. अब चलिए वरना हम अपने बहुत से लोगों को खो देंगे...

पलक काफी तेजी में निकल ही रही थी कि तभी महा.... “मैं और मेरी टीम क्या करे पलक?”...

पलक:– तुम तो यहां बात–चित के लिये आये थे, बात हो जाये तो चले जाना। यदि बात न हो पाये तो आर्यमणि को लापता घोषित कर देना। हां लेकिन कुछ भी करना पर पीछे मत आना, वरना तुम अपने और अपने टीम की हानी के लिये स्वयं जिम्मेदार रहोगे...

महा:– जैसा आप कहो मैम....

पलक चल दी डंपिंग ग्राउंड पर जहां भारती के साथ सैकड़ों नयजो कांटों की चिता पर लेटे थे और मौत को भी भयभीत करने वाली खौफनाक आवाज केवल भारती निकाल रही थी, बाकी सबके मुंह बंधे थे। पलक की टीम पहले ही वहां पहुंच चुकी थी और पहुंचकर कांटों में फसे लोगों को निकालने की कोशिश करने में जुटी थी।

तेजस और नित्या की तरह ये लोग भी कैद थे। पलक समझ गयी की जो लोग मृत्यु सैल्य पर लेटे हैं, उनका कुछ नही हो सकता.... “तुम लोग बेकार कोशिश कर रहे हो। इन्हे जो जहर दिया गया है वह 8 घंटे बाद किसी को मौत के घाट उतरेगा और जिस जोड़ों में ये फसे है, वो 7 घंटे बाद खुलेगा। कोई अपना है तो उन्हे आखरी बार देख लो और बाकियों को छुड़ा लो। सोलस इनका वुल्फ पैक कहां है? यहां तो कोई भी नजर नहीं आ रहा?

सोलस:– हां मैं भी वही देख रहा हूं। अभी कुछ देर पहले तो यहां थे, अभी कहां चले गये?

पलक:– लैपटॉप देखो तुम... कही थी ना बाजी पलटने वाली बात... वो बाजी पलटने गये है?

सोलस:– मतलब..

पलक:– आर्यमणि के पैरालिसिस को हटाने का उपाय ढूंढने...

सोलस:– इसकी जानकारी उसे नही मिल सकती...

पलक:– इतना विश्वास सेहत के लिये हानिकारक है। तुम लैपटॉप पर काम करो.. उसका पूरा ट्रैप अपने कब्जे में होना चाहिए...

सोलस:– लैपटॉप तो ऑन ही है और स्क्रीन को देखो तो समझ में आ जायेगा की कैसा ट्रैप है।

पलक:– क्या ये लैपटॉप ही मुख्य सर्वर है या ये मात्र इस लैपटॉप से ऑपरेट करते है।

सोलस:– नही ये ऑपरेटिंग लैपटॉप है। सर्वर कहीं और है...

पालक:– कहां है सर्वर... पता करो और पूरा सॉफ्टवेयर अपने कब्जे में लो.. और कोई मुझे बतायेगा, ले लोग गये कहां...

सोलस:– गये कहीं भी हो, बाजी पलटने के लिये वापस जरूर आयेंगे... जैसा आप चाहती थी,जर्मनी में जहां भी मुलाकात हो वो जगह आपके अनुकूल हो... तो ये जगह आपके अनुकूल बन गयी है।

पलक:– तुम कमाल के हो सोलस। जीत के बाद हम कुछ दिन साथ बिताएंगे... लेकिन उस से पहले इस जगह को पूर्णतः अपने अनुकूल बनाओ और मुझे एक शानदार जीत दो... चलो, चलो सभी काम पर लग जाओ...

इसके पूर्व आर्यमणि और अलबेली जब मीटिंग हॉल में थे, तभी दोनो अपने शरीर के अंदर चल रहे रिएक्शंस को भांप चुके थे। पर अफसोस इतना वक्त नहीं मिला की उसपर कुछ कर सकते। कुछ करने या सोचने से पहले ही दोनो पैरालाइज हो चुके थे। बदन भी अजीब तरह से अकड़ गया था। अलबेली जब गिरी तो किसी लोहे की मूर्ति की तरह गिरी।

अलबेली जिस पल नीचे गिरी, आर्यमणि का दिमाग सी कुछ पल के लिये सुन्न पड़ गया। बिलकुल खाली और ब्लैंक होना जिसे कहते हैं। अलबेली की मृत्यु का सदमा जैसे रोम–रोम में दौड़ गया हो। हां लेकिन अगले ही पल सुकून भी था, क्योंकि एकलाफ, अलबेली को काटने के लिये तलवार निकाल रहा था।

आर्यमणि अपने मन के संवाद में.... “बेटा ठीक है?”

अलबेली:– दादा मैं सुरक्षित हूं, बस शरीर बेजान लग रहा। अपनी उंगली तक हिला नही पा रही।

आर्यमणि:– बाद में बात करते है। अभी सुरक्षा मंत्र का मजबूत घेरा बनाओ और वायु विघ्न मंत्र का जाप करती रहो। इन कमीनो के पास वायु की वह शक्ति है, जो सुरक्षा चक्र को तोड़ देगी।

अलबेली:– दादा ये क्या सीधा मारने की योजन बनाकर आयी थी?

आर्यमणि:– जो जैसे करेंगे, उनको वैसा ही लौटाएंगे... बेटा बातें बाद में तुम मंत्र जपना शुरू करो...

अलबेली अपने मन में मंत्र जाप करने लगी वहीं आर्यमणि रूही से संपर्क करते.... “रूही एक समस्या हो गयी है और विस्तार से बताने का वक्त नहीं। जितना कहूं उतना करो..

रूही:– हां जान, बोलो...

आर्यमणि:– मन के अंदर ध्यान लगाओ और अपने पास की जमीन से जड़ों को कमांड दो कम से कम 200 फिट नीचे जाये। वहां से उन जड़ों को, हॉल में जहां मैं बैठा था, वहां के आसपास 3 मीटर के गोल हिस्से में फैलाकर भेजो। मुझे और अलबेली को खींचकर नीचे के गड्ढे को मत भरना। हम जैसे ही वहां पहुंचे, संन्यासी शिवम सर हम सबको लेकर अंतर्ध्यान होने के लिये तैयार रहे।

रूही:– बस एक ही सवाल है, अंतर्ध्यान होकर किस जगह जायेंगे...

आर्यमणि:– कैलाश मठ, आचार्य जी के पास...

फिर कोई बात नही हुई। गंध से अल्फा पैक को खबर लग चुकी थी कि उनके आस–पास बहुत सारे लोग आ रहे है। रूही ने मामला बताया और ध्यान लगा दी। निशांत सबको शांत रहने का इशारा करते, भ्रम जाल पूरा फैला दिया, जिसमे अल्फा पैक अलग–अलग जगह पर खड़े होकर अपने दुश्मनों को देख रहे, जबकि सब साथ में खड़े थे।

इधर रूही ने आर्यमणि और अलबेली को खींचा और उधर संन्यासी शिवम् सबको टेलीपोर्ट करके कैलाश मठ ले गये। आर्यमणि और अलबेली को ऐसे अकड़े देख सबको आश्चर्य हो रहा था। संन्यासी शिवम और आचार्य जी कुछ परीक्षण करने के बाद....

“कुछ दुर्लभ जड़ी–बूटी को श्वान के माध्यम से शरीर में पहुंचाया गया है, जिस वजह से ये दोनो पैरालाइज हैं।”

आर्यमणि, रूही से कहा और रूही आचार्य जी से पूछने लगी.... “आचार्य जी वहां बहुत सारे लोग थे लेकिन इसका असर केवल आर्य और अलबेली पर ही क्यों हुआ?”

आचार्य जी:– इसका एक ही निष्कर्ष निकलता है। वहां जितने भी लोग होंगे वो लोग इस जड़ी बूटी का तोड़ अपने शरीर में पहले से लेकर पहुंचे होंगे। इसलिए उन पर कोई असर नहीं किया। लेकिन एक बात जो मेरे समझ में नहीं आयी, उन लोगों को गुरुदेव या अलबेली के शरीर की इतनी जानकारी कैसे, जो तेजी से हील करने वाले को इतनी मात्रा दे गयी की वो पैरालाइज कर जाये।

रूही:– मैं समझी नहीं आचार्य जी। क्या हमारा हीलिंग सिस्टम इस जहर को हील करने के लिये सक्षम है।

आचार्य जी:– जिसने भी ये जहर दिया है उसे भी पता था कि तुम सबका शरीर इस जहर की एक निश्चित मात्रा को हिल कर लेगा। यही नहीं वह निश्चित मात्र किसी सामान्य इंसान के मुकाबले 1000 गुणा ज्यादा दिया जाये तभी तुम लोग पैरालाइज होगे। इतनी ज्यादा मात्रा देने के बारे में सोचना तभी संभव है, जबतक उसने पहले कोई परीक्षण किया हो..

रूही:– मतलब कोई एक ग्राम जड़ी बूटी को सूंघे तब वो पैरालाइज होगा। लेकिन यदि हमें पैरालाइज करना हो तो मात्रा 1 किलो देना होगा। इतना तो कोई सपने में भी नही सोच सकता। लेकिन आचार्य जी इतनी मात्रा को हवा में उड़ाने की गंध आर्य और अलबेली को क्यों नही हुई...

आचार्य जी:– क्योंकि तुमने एक ग्राम का उधारहन दिया, जबकि ऐसी चीजें आधे मिलीग्राम या एक चौथाई मिलीग्राम में ही काम कर जाति है या उस से भी कम में। मेरे ख्याल से 0.10 मिलीग्राम में एक सामान्य इंसान पैरालाइज करता होगा। गुरुदेव और अलबेली के लिये वह मात्रा 100 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम के बीच होगी। यानी की 1 ग्राम का दसवां हिस्सा से लेकर एक ग्राम के बीच। इतनी मात्र तो हवा में बड़ी आसानी से फैला सकते है।

रूही:– लेकिन कैसे... हाथ में पाउडर डालकर उड़ाते तो हम सुरक्षा मंत्र का प्रयोग कर लेते...

आचार्य जी:– भूलो मत की जो समुदाय हवा में पाये जाने वाले कण से तीर और भाला बना ले, वो हवा में 100 मिलीग्राम तो क्या तुम जितनी मात्रा बोली हो ना... उसका भी 100 गुना ज्यादा ले लो। यानी की वो लोग एक क्विंटल हवा में घोल देंगे तब भी पता न चलने देंगे। हां लेकिन ऐसा करेंगे नही... क्योंकि इतनी मात्रा का तोड़ वो लोग पहले से लेकर नही घूम सकते। इसलिए पैरालाइज करने वाला जहर दिये निश्चित मात्र में ही होंगे, ताकि उतना डोज के हिसाब से वो लोग अपने बदन के अंदर उसका तोड़ पहले से ले सके।

ओजल:– बॉस के हालत की जिम्मेदार मैं और इवान हैं। हम दोनो 3 दिन के लिये पलक के पास कैद थे।

रूही:– “बहुत शातिर है। वह तुम दोनो (ओजल और इवान) को इसलिए नहीं पकड़ी थी कि हमारे प्लान की इनफॉर्मेशन निकाल सके। बल्कि पूछ–ताछ के वक्त ही वो लोग दवा की निश्चित मात्रा का पता लगा रहे होंगे। इस हिसाब से उन्होंने केवल एक दावा का परीक्षण किया हो, ऐसा मान नही सकती। उन्होंने पहले दिन ही सारा एक्सपेरिमेंट कर लिया होगा। उसके बाद तो महज औपचारिकता बची होगी, कब आर्य तुम्हे छुड़ाए, या वहीं रहने दे, उनका काम तो हो चुका था। पूरे मामले पर कैसा कवर भी चढ़ाया। तुम दोनो (ओजल और इवान) के बहरूपिए को भेज दी। ताकि हमारी सोच किसी और ही दिशा में रहे... पलक, पलक, पलक... इतनी शातिर... हां”

ओह हां यह महत्वपूर्ण बात तो रह गयी थी। जिस दिन बहरूपिया ओजल और इवान जर्मनी पहुंचे थे, उसी दिन असली ओजल और इवान को छुड़ा लिया गया था। उन्हे छुड़ाना कोई बड़ी बात नही थी। अंतर्ध्यान होकर सीधा अड्डे पर पहुंचे। पहले नकली वाले को अपने साथ गायब करके असली वाले के पास ले आये। फिर वहां नकली वाले को फंसाकर असली वाले को लेकर अंतर्ध्यान हो गये।

इतना करने के पीछे एक ही मकसद था कि पलक खुद को एक कदम आगे की सोचते रहे। उसे शुरू से लगता रहे की नकली ओजल और इवान अल्फा पैक के साथ है, और असली पलक के गुप्त स्थान के तहखाने में। लेकिन अब पूरे अल्फा पैक को समझ में आ रहा था कि पलक को असली और नकली से घंटा फर्क नही पड़ना था। उसे जो करना था वो कर चुकी थी।

आर्यमणि:– अभी इतनी समीक्षा क्यों... आचार्य जी से कहो जल्द से जल्द मुझे ठीक करे।

रूही:– आचार्य जी मेरी जान कह रहे है कि आप आराम से उनका उपचार करे, हम खतरे से बहुत दूर आ चुके है।

आचार्य जी:– मैं टेलीपैथी सुन सकता हूं...

रूही:– मतलब...

आचार्य जी:– मतलब मन के अंदर चल रही बात को सुन सकता हूं। लेकिन मुझे जिनसे पूछना चाहिए उनसे पूछता हूं... निशांत, शिवम् क्या करे?

निशांत:– आचार्य जी, आर्य अभी एक अनजाने खतरे से बचकर आया है। हमे नही पता की पलक क्या योजना बनाकर आयी है, और वो कितनी खतरनाक हो सकती है...

संन्यासी शिवम्:– हां तो आज के बाद फिर कभी पलक को जानने का मौका भी नहीं मिलेगा। और सबसे अहम बात, अचानक निकलने के क्रम में हमने अपनी बहुत सी चीजें और जानकारी वुल्फ हाउस में छोड़ दिया है। वोल्फ हाउस में वो लोग जितनी देर छानबीन करेंगे, हमारे बारे में उतना ज्यादा जानेंगे। हमे बिना देर किये जाना चाहिए। आचार्य जी, आयुर्वेदाचार्य को मैं ले आता हूं,जबतक आप यहां मौजूद सभी संन्यासियों को सूचना दीजिए कि उन्हें तुरंत निकलना होगा।

रूही:– शिवम् सर ज्यादा लोग मतलब ज्यादा खतरा...

संन्यासी शिवम मुस्कुराते हुये.... “फिर तुम्हे यहीं रुकना चाहिए।

रूही:– अरे माफ कीजिए सर...

संन्यासी शिवम्:– मैं जब तक आता हूं, तब तक गुरुदेव और अलबेली के मस्तिष्क को हील कीजिए। ध्यान रहे 2 मिनट हील करना है और 1 मिनट का रेस्ट। निशांत ये ध्यान रखना आपकी जिम्मेदारी है।

संन्यासी शिवम् और्वेदाचार्य को लाने के लिये अंतर्ध्यान हो गये। वहीं रूही, ओजल और इवान आर्यमणि और अलबेली का माथा थामे उसे हील करने लगे। जैसे ही 2 मिनट हुआ, निशांत ने तीनो का हाथ हटाया। जबतक हील कर रहे थे तब तक तो पता नही चला लेकिन हाथ हटाते ही तीनो का सर चक्करघिन्नी की तरह नाचने लगा.... “कमिनी वो पलक हील करने के बारे में भी सोच रही होगी। किसी तरह उनसे छिपकर हम आर्य को हील करे और हम भी आर्य की तरह पड़े रहे।”...

निशांत, आर्यमणि के चेहरे पर हाथ फेरते.... “कोई इतनी होशियार महज एक साल में नही हो सकती। ये लड़की पैदाइशी होशियार और सबसे टेढ़ा काम हाथ में लेने वाली लगती है। और आर्य उसके नाक के नीचे से उसे उल्लू बनाकर निकला था। उसके कलेजे में आग तो लगेगी ही। पर दोस्त तूने भी कभी जिक्र नहीं किया की पलक जो दिख रही वो मात्र कवर है।”

रूही:– देवर जी क्या बड़बड़ा रहे हो...

निशांत:– चूहे बिल्ली के खेल में जज नही कर पा रहा की कौन बेहतर है।

रूही:– हमसे साझा करो, शायद मदद कर सके। नही भी कर पाये तो कम से कम 2 बेहतर खिलाड़ी का तो पता चलेगा...

निशांत:– “खिलाड़ी है पलक और आर्य.... आर्य जनता था कि उसे आखरी समय में कोई सरप्राइज जरूर मिलेगा, इसलिए पूरी टीम को 2 हिस्से में बांट दिया। खुद पलक से मिला जबकि हमे दूर रखा। मेरा दिमाग कहता है कि पलक इस वक्त वुल्फ हाउस में ही होगी। जैसे उसे पहले से पता हो की आर्य उसके चंगुल से भागेगा ही।”

“वो बैठकर वुल्फ हाउस में हमारा इंतजार कर रही है, इस उम्मीद में कि उसने जो जहर आर्य को दिया है, उस से किसी न किसी विधि से आर्य पार पा जायेगा। ना पलक आर्य को अभी मारने का सोच रही, और न ही आर्य पलक को अभी मारने का सोच रहा। दोनो बस हर संभावना को देखते हुये जैसे एक दूसरे को परख रहे हो...

रूही:– परख रहे हो का मतलब...शादी करेगी क्या मेरे पति से। उसकी लाश मैं ही गिराऊंगी...

निशांत:– अभी अपने गुस्से को काबू रखिए। हमने नायजो के बारे में जितनी भी जानकारी जुटाई है, वह अधूरी लग रही है। अभी एक ही विनती है आवेश में नही आइएगा... वरना सबकी जान खतरे में पड़ जायेगी..

रूही:– देवर जी मैं अपने और अपने बच्चों की जिम्मेदारी लेती हूं... किसी को भी आवेश में आने नही दूंगी...

लगभग 1 घंटे लग गये। संन्यासी शिवम किसी को लेकर आ रहे थे। इधर जबतक 2 मिनट का हील और एक मिनट का आराम चल रहा था। आयुर्वेदाचार्य जी आर्यमणि और अलबेली के नब्ज को देखे। फिर कुछ औषधि को दोनो के नाक में पूरा ठूंसकर छोड़ दिये। 10 सेकंड बीते होंगे जब आर्यमणि और अलबेली का चेहरा लाल होने लगा। 10 सेकंड और बीते तब माथे पर सिकन आने लगी। और पूरे 30 सेकंड बाद अलबेली और आर्यमणि खांसते हुये उठकर बैठ गये। दोनो को उठकर बैठे देख रूही, ओजल और इवान ऐसे झपटकर गले लगे की पांचों जमीन पर ही बिछ गये।
Hero hee lapet Diya chalo acha hee h jyada mitha bhi kadwa hota h .. samne wale bhi to maarne ko h soch palak aur aarya ki same si h but ab writer Saab ki marji h jo palak ko jinda rakhna chahte h 🤣🤣. Dusri bhabhi banane k chakkar me to nhi ho na sir ji vaise roohi ka character uske aage bhut kam h agar taakat k maamle me dekha jaye but very nice bro
 

Monty cool

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नैन भाई कमल धमाल और बेमिसाल अपडेट है लेकिन जहाँ तक़ अपने दिखया था वहां तक़ तो यही समझ मे आया की न्याजो की पूरी जानकारी आर्य के पास पहुंच गई है लेकिन लास्ट अपडेट के हिसाब से लगता है अभी बहुत कुछ बाकि है

नैन भाई आर्य को चाहिए था की इन रॉयल ब्लड वालो को आनंत कीर्ति की पुस्तक के करीब ला कर उनकी पूरी जानकारी निकलता और फिर हमला करता लेकिन कहानी के जिस मोड़ पर आर्य गलती कर रहा है उससे लगता है की अब उसे भारी खामियाजा चुकाना पड़ेगा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 
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इस विहंगम युद्ध की पहली बाजी आर्य के नाम पर रही तो दूसरी बाजी पलक के सेहरा बंधी।
नित्या के बाद उसकी एलियन बहन भारती ने भी अच्छी तरह से महसूस कर लिया कि यह धरती उन एलियन के लिए तो बिल्कुल ही अनुकूल नही है। यहां की मौत कभी सुकून भरा एहसास दिला देता है तो कभी दर्द का सैलाब बन जाता है।
भारती और उसके करीब आठ सौ साथियों का जो हश्र हुआ , वो इन एलियन के लिए दर्द का विहंगम सैलाब ही था।
नैन भाई की अद्भुत सोच को सलाम। क्या क्या ही लाजवाब आइडियाज लेकर आते हो आप ! एलियन को जमींदोज कर देना , स्वचालित सीढी बनाना , फर्श के अंदर सैकड़ो फिट के गड्ढे के अंदर से आर्य और अलबेली को हैरतअंगेज तरीके से अन्तर्ध्यान हो जाना ; यह सब काल्पनिक होकर भी रियलिस्टिक का आभास करा गया।

ओजल और इवान का पलक के शिकंजे मे फंसना भी पलक के एक जबरदस्त प्लानिंग का हिस्सा था। कोई सोच ही नही सकता था कि वो वुल्फ पैक के शरीर पर रिसर्च करने के लिए ऐसा कार्य की थी ।
इसी रिसर्च का परिणाम था कि आर्य को हार का मुंह देखना पड़ा और फिर वहां से भागना पड़ा । अर्थात रणछोड़ होना पड़ा । एक तरह से यह रणछोड़ ही था।

पलक ने एक बार फिर से सिद्ध किया कि वो इस कहानी की सबसे प्रमुख किरदार है। भले ही नेगेटिव किरदार ही क्यों न हो !

अद्भुत अपडेट नैन भाई।
जगमग जगमग अपडेट।
 
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इस विहंगम युद्ध की पहली बाजी आर्य के नाम पर रही तो दूसरी बाजी पलक के सेहरा बंधी।
नित्या के बाद उसकी एलियन बहन भारती ने भी अच्छी तरह से महसूस कर लिया कि यह धरती उन एलियन के लिए तो बिल्कुल ही अनुकूल नही है। यहां की मौत कभी सुकून भरा एहसास दिला देता है तो कभी दर्द का सैलाब बन जाता है।
भारती और उसके करीब आठ सौ साथियों का जो हश्र हुआ , वो इन एलियन के लिए दर्द का विहंगम सैलाब ही था।
नैन भाई की अद्भुत सोच को सलाम। क्या क्या ही लाजवाब आइडियाज लेकर आते हो आप ! एलियन को जमींदोज कर देना , स्वचालित सीढी बनाना , फर्श के अंदर सैकड़ो फिट के गड्ढे के अंदर से आर्य और अलबेली को हैरतअंगेज तरीके से अन्तर्ध्यान हो जाना ; यह सब काल्पनिक होकर भी रियलिस्टिक का आभास करा गया।

ओजल और इवान का पलक के शिकंजे मे फंसना भी पलक के एक जबरदस्त प्लानिंग का हिस्सा था। कोई सोच ही नही सकता था कि वो वुल्फ पैक के शरीर पर रिसर्च करने के लिए ऐसा कार्य की थी ।
इसी रिसर्च का परिणाम था कि आर्य को हार का मुंह देखना पड़ा और फिर वहां से भागना पड़ा । अर्थात रणछोड़ होना पड़ा । एक तरह से यह रणछोड़ ही था।

पलक ने एक बार फिर से सिद्ध किया कि वो इस कहानी की सबसे प्रमुख किरदार है। भले ही नेगेटिव किरदार ही क्यों न हो !

अद्भुत अपडेट नैन भाई।
जगमग जगमग अपडेट।
 

RAJIV SHAW

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Super update hai Bhai
 

Tiger 786

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Nainu bhai ab aap update nahi updates dena vo bi 2 ya 3 taki palak or aarya ka Amna samna dekhne ko mile pura.varna beach mai suspense dal dete ho aap.
Baki apki Marzi prabhu🙏🙏🙏🙏🙏
 

king cobra

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waiting waiting waiting
 
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