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Shekhu69

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Story ki main theme maa bete ki love and hate relationship hai. To main focus uspe rakho.

Kisko kisse chudwana hai ye important nahi hai.

Kahani ki theme harem nahi hai jo sari female ko hero ke niche lana pade.
Incest prefix hai to Abhay aur Sandhya ka angle sahi rahega.

Agar Abhay tharki banke sabki lega to payal ke barso ke intezar ka koi matlab nahi rehta.

Sandhya aur Abhay par focus rakho, baki sab ke sath kaisa relation rakhna hai it's completely upto you.

Apne idea ke sath chaloge to behtar hoga.
Bas Bhai ji main yahin chuk gaya 👌 👌
 

Redhu420

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Bhai story insect base kyun banai fir Adultery change kardo bakii story main Chandni sis show ki hai fir angel kyun change kar rahe ho ek tarf tho phone pe Chandni mom se firlt show kar rahe ho dusri side aap Chandni ka new anggl show kar rahe ho
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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UPDATE 25


अगली सुबह अभय और राज उठ गए राज अपने घर चला गया तयार होने के लिए इधर अभय भी तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ राज और अभय एक साथ कॉलेज में आते ही राजू और लल्ला मिले...

राजू – (अभय और राज से) क्या बात है आज तुम दोनों कॉलेज एक साथ आ रहे हो

राज – हा यार कल हम दोनो रात में खंडर में गए थे

लल्ला – (चौक के) क्या तुम दोनो फिर क्या हुआ

अभय – (अपने मोबाइल में वीडियो प्ले कर के दिखाते हुए दोनो को) फिर ये हुआ

राजू और लल्ला दोनो ने वीडियो देख के जोर से हसने लगे दोनों को हस्त देख राज बोला..

राज – अबे पगला गए हो क्या ऐसे कहे हस रहे हो दोनो बे

राजू – (हस्ते हुए) अबे हसी नही रुक हसी और तू बोल रहा है हस क्यों रहे हो

अभय –(हैरानी से) ऐसी क्या बात है जो तुम दोनो की हसी नही रुक रही है

राजू – (राज से) अभय का समझ आता है लेकिन तू कैसे भूल गया बे

राज – मैं क्या भूल गया बे सही से बात बता पहेली मत भुजा

लल्ला – अबे ये पुतला है तमाशा दिखाने वालो का

अभय – तुझे कैसे पता ये पुतला है मैने तो बताया नहीं ये पुतला है

राजू – अभय शायद तुझे पता न हो यहां हर साल कुल देवी के मंदिर में मेला लगता है वहा पे बंजारे हर साल कुछ ना कुछ नया करते है जड़ी बूटियों की दवा , मिट्टी के खिलौने , पुतलो का तमाशा घरेलू सामान सब लाते है हर साल और ये पुतला इसका इस्तमाल करके तमाशा में कहानी बनाके से सुनाते है यार...

राजू की बात सुन अभय और राज एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – मतलब बंजारो में से कोई उस खंडर में है लेकिन उनका वहा क्या काम हो सकता है

राज – ये भी हो सकता है किसी ने वो पुतला बंजारो से लेलिया हो

राजू – साला तुम दोनो का दिमाग लगता है खिसक गया है जरूरत क्या थी तुम दोनो को अकेले जाने की उस खंडर में हमे भी साथ ले चलते आखिर क्या पता चला ये तो बताओ

राज – (खंडर में जो हुआ सब बता दिया बोला) यार ये अभय बात सुने तब तो

लल्ला – ऐसी क्या बात थी जो अभय सुनने को तयार नही था
फिर राज ने जो बात हुई दिन में वो बताया जिसे सुनने के बाद राजू बोला...

राजू – देख अभय तू यहां नही था , 10 साल बाद वापस आया है तू तेरे पीठ पीछे यहां क्या हुआ तुझे इसका अंदाजा तक नही है और तू अपनी मां के लिए ऐसी बात कर रहा है कम से कम बोलने से पहले सोच के बोला कर तू

अभय – देख यार मुझे इस बारे में अब कोई बात नही करनी है वो अपनी जिदंगी में खुश है और मैं अपनी अब मुझे कोई मतलब नहीं वो क्या करती है क्या नही मुझे कोई लेने देना नही उससे

राज –( बीच में) चल जाने दे यार वो देख पायल आ रही है तू जाके बात कर उससे

पायल का नाम सुनते ही अभय उस तरफ चला गया अभय के जाते ही राज ने राजू और लल्ला को वो बात बताई जो अपनी मां को बताई जिसे सुनने के बाद राजू बोला...

राजू – तो तूने अभय को क्यों नही बताया बे

राज – यहीं बात मां ने बोली थी मुझे लेकिन यार मैं क्या करता अभय कुछ सुनने को राजी नही है मैं क्या करू

राजू – मैं पहले से बोलता आया हू ये साला रमन ठाकुर एक नंबर का हरामी आदमी है दादा ठाकुर के नाम को खराब कर रहा है अपनी नीच हरकत से लेकिन ये सरपंच की बीवी का समझ नही आया मुझे रमन ठाकुर के साथ इस तरह

राज – सरपंच की तरह उसकी पत्नी भी पालतू है रमन ठाकुर की

लल्ला – (कॉलेज गेट देखते हुए) ये क्या चमत्कार है यार आज अमन ठाकुर पैदल आ रहे है कॉलेज में
राजू और राज दोनो कॉलेज गेट देख के हैरान हो जाते है...

राजू – हा यार आज ये अमनवा पैदल आ रहा है

राज – कही टायर पंचर तो नही हो गया बाइक का..

बोल कर तीनों हसने लगते है जोर से जिसे अमन कॉलेज में आते हुए देखता है जबकि इस तरफ अभय जाता है पायल के पास जो अपनी सहेली नूर और नीलम के साथ बाते कर रही थी अपनी तरफ अभय को आते देख नीलम बोली...

नीलम – (पायल से) वो देख तेरा दीवाना आ रहा है इस तरफ

नूर – (अभय को देख के) बड़ा जिगरा है इसमें जिसके पीछे अमन ठाकुर दीवाना है उसी पे लाइन मार रहा है ये मानना पड़ेगा इसे

पायल – ऐसा कुछ नही है यार तुम दोनो भी ना

इससे पहले पायल आगे कुछ बोलती अभय पास आके बोला..

अभय – कैसी हो पायल मैने सुना काकी की तबियत खराब थी कल अब कैसी है काकी

पायल – मैं अच्छी हू और मां अब ठीक है ( नूर और नीलम को देख के) ये मेरी सहेली है नूर और नीलम

अभय – हेल्लो कैसे हो आप दोनो

नूर और नीलम – अच्छे है हम भी

नीलम – आपने तो गांव में आते ही कमाल कर दिया हर कोई बस आपकी तारीफ करता है जब से आपने गांव वालो को उनकी जमीन दिलवाई है

अभय – मैने ऐसा कुछ नही किया मैं तो सिर्फ पेड़ काटने की खिलाफ था (पायल) चलो क्लास का वक्त हो रहा है चलते है..

बोल के पायल के साथ चलने लगा साथ में नूर और नीलम भी चलते हुए आ गए राज , राजू और लल्ला के पास आते ही अभय बोला...

अभय –क्या बात है तुमलोग इतना हस क्यों रहे हो

राजू – आज हमारे अमन ठाकुर पैदल कॉलेज आए है बस तभी हसी आ रही है शायद टायर पंचर हो गया होगा...

बोल के सब हसने लगे साथ में जाने लगे क्लास में के तभी राज पीछे रुक गया किसी को देख के सब राज को आवाज देते रहे लेकिन राज तो कही खोया हुआ था


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जब सबने राज की नजरो का पीछा किया तो देखा संध्या ठाकुर अपनी कार से आई हुई थी साथ में शनाया और चांदनी थी और राज सिर्फ चांदनी को आते हुए देख रहा था....

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उसी वक्त कॉलेज का एक लड़का जिसका नाम अमित है वहा से गुजर रहा था जिसे राजू ने बुला के पूछा...

राजू – (अमित से) ओ अमित ये ठकुराइन के साथ ये दोनो लड़की कॉन है बे

अमित – पता नही यार इन दोनो को पहली बार देख रहा हू

अभय –(धीरे से बोला) दीदी 😳😳

राजू और लल्ला ने सुन लिया जिसे दोनो ने अभय की तरफ देखा...

राजू –(धीरे से) दोनो तेरी दी

अभय –(धीरे से) अबे ये नही है वो है मेरी दीदी

राजू और लल्ला –(धीरे से अभय से) दीदी मतलब वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट 😳😳😳


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इस तरफ सामने से आती हुई साड़ी में चांदनी ने देखा एक लड़का सामने की तरफ जमीन में बैठ के उसे देखे जा रहा है जिसपे बिना ध्यान दिए चांदनी राज के बगल से निकली साथ ही उसकी साड़ी का पल्लू राज को छूते हुए निकले जिससे राज जमीन में गिरा

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जबकि इस तरफ राजू और लल्ला की बात पर अभय ने सिर हिला के हा कहा जिसके बाद तीनों सिर्फ 😳😳😳😳😳 आखें फाड़ के देखने लगे जबकि राज तो ऐसा खोया हुआ था जैसे कोई खजाना मिल गया हो ऐसी हालत थी उसकी और तभी राज के गाने की आवाज आई....

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चांद मेरा दिल , चांदनी हो तुम
चांद से है दूर , चांदनी कहा


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तब चांदनी पलट के वापस आई और बोली...

चांदनी – रैगिंग बराबर वालो के साथ करते है टीचर के साथ नही समझे मिस्टर

बोल के पलट के जाने लगी तभी फिर से राज के गाने की आवाज आई...

लौट के आना , है यही तुमको
जा रहे हो दूर , जाओ मेरी जान


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गाना की आवाज सुन राज के सभी दोस्त अपना मू खोले उसे देखे जा दे थे वही चांदनी वापस आई राज से बोली..

चांदनी – (गुस्से में) 5 मिनट में प्रिंसिपल रूम में मिलो तुम

बोल के चांदनी चली गई जबकि थोड़ा दूर से ये नजारा देख शनाया बोली संध्या से...

शनाया – (संध्या से) ये कैसे स्टूडेंट्स है अपनी टीचर के साथ..

संध्या – (चौक के) सबके लिए नही कह सकती पर ये राज ऐसा नहीं है लेकिन आज इसको क्या हो आया है समझ नही आई बात

शनाया – कॉन राज

संध्या – वही जिसने अभी गाना गया चांदनी के लिए हमारे गांव का मशहूर शायर है ये

शनाया – (मुस्कुरा के) आप मेरा परिचय कराने के लिए आई थी यह पर लेकिन लगता है मुझे ये काम खुद करना होगा

बोल के संध्या और शनाया हस्ते हुए ऑफिस की तर्क चल दिए जबकि इस तरफ चांदनी के जाते ही सभी राज के पास आए...

पायल – ओहो तो जनाब को कोई लड़की पसंद आ गई तभी गाना गाने लगे

राजू – हा बे ये तो शायर से गवईया बन गया

अभय – क्या बोल के गई तेरे को

राज – (मुस्कुरा के) 5 में मिनट में बुलाया है अपने पास

सभी एक साथ – क्या

राज – अरे प्रिंसिपल ऑफिस में बुलाया है यार तुमलोग रुको मैं अभी आता हूं और इंतजार नही करा सकता उसको...

बोल के राज तुरंत दौड़ के चला गया प्रिंसिपल ऑफिस जबकि पीछे से सभी आवाज देते रहे उसे राज को इस तरह जाते देख पायल , नूर और नीलम तीनों हस्ते हुए कॉल्स में चले गए जबकि राजू , लल्ला और अभय आपस में बोले...

अभय – अब क्या होगा

लल्ला – आज ये पंडित तो गयोरे

राजू – यार मेरी बाई आंख भड़क रही है


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इतना बोल के राजू कुछ इस तरह से इमेजिन करने लगा...

जबकि इस तरफ प्रिंसिपल ऑफिस में शनाया , संध्या और चांदनी बैठे थे तभी दरवाजे को खटखटाया किसी ने...

शनाया – कम इन

राज – (ऑफिस के अन्दर आते हुए) हेलो मैडम कैसे हो आप

शनाया – क्या नाम है आपका

राज – जी मेरा नाम राज शर्मा है

शनाया – तो मिस्टर शर्मा आप कॉलेज में अपनी टीचर्स के साथ ऐसा मजाक करते है

राज – मजाक मैने कब किया मैडम

शनाया – बाहर क्या कर रहे थे आप (चांदनी की तरफ इशारा करके) इन मैडम के साथ

राज – (पलटा के चांदनी को देखते हुए) ये टीचर है कमाल है इनको देख के लगता नही है

राज की बात सुन संध्या अपने सर नीचे करके धीरे से हसने लगी संध्या को देख शनाया को भी हसी आ गई राज की बात पर अपनी हसी कंट्रोल करके बोली...

शनाया – तो आपको क्या ये स्टूडेंट लगी

राज –(चांदनी को देख के बोला)
कुछ लम्हे पुराने लिख दू , कुछ नटखट तो कुछ शैतानी लिख दू
इजाजत दे के देखिए , आप पर एक कहानी लिख दू


राज की शायरी सुन के शनाया और संध्या एक दूसरे को देख के हल्का सा हसी वही चांदनी को हल्की हसी आई इससे पहले कुछ और बात होती संध्या ने शनाया को इशारा किया जिसके बाद शनाया बोली..

शनाया – ठीक है मिस्टर अब आप जा सकते है अपनी कॉल्स में और जो हुआ वो दुबारा ना हो आज पहला दिन है मेरा कॉलेज में और मैं नही चाहती किसी के साथ गलत करू

राज –(शनाया की बात सुन के) ओके मैडम

बोल के चांदनी को देखने लगा जिसे देख शनाया बोली..

शनाया – आपको क्लास नहीं जाना है क्या अपनी

राज –(अंजान बनते हुए) क्लास कॉन से क्लास मैडम

राज की बात सुन शनाया गुस्से में देखने लगी राज को जिसे देख राज तुरंत बोला...

राज – ओह हा मैडम सॉरी मैं अभी जाता हू..

बोल के राज भाग गया क्लास की तरफ उसके जाते ही पूछे से संध्या और शनाया जोर से हसने लगे जिसे सके चांदनी बोली...

चांदनी – आप एसे क्यों हस रहे है

संध्या – लगता है कॉलेज के पहले दिन ही तुम्हे तुम्हारा फेवरेट स्टूडेंट मिल गया है

चांदनी – आप भी ना ठकुराइन जी वो मजाक कर रहा होगा मुंह स्टूडेंट समझ के..

बोल के चांदनी चली गई क्लास की तरफ पीछे संध्या और शनाया बैठे थे ऑफिस में तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया...

शनाया – कम इन

आदमी – हेलो मैडम

शनाया – हेलो जी आप कॉन

आदमी –(अपने फाइल देते हुए) जी मेरा ट्रांसफर हुआ कॉलेज में वैसे मैं कल आने वाला था लेकिन वो ट्रेन लेट हो गई मेरी इसीलिए आज ज्वाइन किया मैने

शनाया – ओह कोई बात नही स्वागत है आपका मिस्टर

आदमी – मुंडे , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज

शनाया – (बबल गम लेते हुए) शुक्रिया , और इनसे मिलिए इनका नाम संध्या ठाकुर है और ये है इस गांव की ठकुराइन के साथ ये कॉलेज भी इनका है

मुरली मनोहर मुंडे – हेलो मैडम मेरा नाम M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज

संध्या – (हल्का मुस्कुरा के बबल गम लेते हुए) शुक्रिया

शनाया – अच्छा मुरली जी आप आज से क्लासेज शुरू कर दीजिए अपनी

मुरली मनोहर मुंडे – ठीक है मैडम
बोल के मुंडे चला गया क्लासेज लेने अपनी उसके जाते ही शनाया बोली...

शनाया – एक से एक बंदे देखने को मिल रहे है पहले दिन ही मुझे

संध्या – (हस्ते हुए) जैस ये बबल गम वाले (बोल के दोनो साथ हसने लगे फिर संध्या बोली) अच्छा आप अपना ऑफिस संभालिए अगर कोई भी दिक्कत या जरूरत पड़े बताईयेगा...

बोल के संध्या चली गई इस तरफ क्लास में राज के आते ही अभय के बगल में बैठ गया साथ ही बगल वाली सीट पर राजू , लल्ला बैठे थे...

तीनों ने एक साथ – क्या हुआ प्रिंसिपल रूम में

राज – कुछ खास नही बस हाल चाल पूछने के लिए बुलाया था भाई

अभय – अबे सही से बता क्या हुआ वहा पर

राज – आज फर्स्ट टाइम है इसीलिए वार्निंग दे के छोड़ दिया है

अभय – चलो अच्छी बात हुई ये तो

राज – यार कॉन है वो क्या नाम है उसका कैसे पता करू

अभय – चांदनी नाम है उनका वो मेरी बहन है

राज – अरे वाह इसे बोलते है बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा , अब तो बन गया काम मेरा

अभय – क्या मतलब है तेरा...

इससे पहले राज बोल्ट तभी टीचर आ गए पढ़ाने तब राज बोला...

राज – छुट्टी के बाद तुझे कॉल करूंगा भाई...


कुछ समय के बाद कॉलेज के खतम होते ही सब निकल गए अपने अपने घर की तरफ चांदनी हवेली जा रही थी तभी रास्ते में किसी ने उसे पुकारा जिसे देख चांदनी हैरानी से देख बोली...8

चांदनी – (हैरानी से) चीफ आप यहां पर इस तरह खुलेआम आप ने बोला था जरूरत पड़ने पर आप कॉल करेगे लेकिन..

चीफ – (बीच में बात काट के) लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे मजबूर कर दिया मुझे इसीलिए मुझे तुरंत मिलना पड़ा तुमसे

चांदनी – ऐसा क्या किया अभय ने

चीफ – अभय ने वो किया जो कोई नही कर पाया आज तक हा अगर मैने तुम्हे बताए तो शायद अभय की खैर नहीं लेकिन जो काम किया वो भी काबिले तारीफ है

चांदनी – अभय ने ऐसा क्या कर दिया तारीफ का काम बताईये तो सही

चीफ – कल रात में अभय खंडर में गया था अकेला

चांदनी –(चिल्ला के) क्या ये कैसे हो...

चीफ – (चुप रहने का इशारा करते हुए) अब समझ आया मै क्यों खुले आम मिलने आया तुमसे यही वजह है

चांदनी – I M SORRY CHIEF लेकिन अभय उस खंडर में क्यों गया था

चीफ – ये तो पता नही मुझे लेकिन एक बात और है अभय के जाने के बाद एक लड़का और भी गया था उस खंडर में

चांदनी – एक और लड़का वो कॉन है

चीफ – (हस्ते हुए) वही तुम्हारा दीवाना राज

चांदनी – (हैरानी से) वो वहा क्या कर रहा था

चीफ – शायद तुम्हे पता नही है राज और अभय बचपन के दोस्त है जब अभय खंडर में गया था उसके कुछ मिनट के बाद राज भी गया था और जानती हो अगले 2 घंटे बाद वो दोनो खंडर से तेजी से भागते हुए निकले थे भूत भूत चिल्लाते हुए

चांदनी – भूत चिल्लाते हुए भागे दोनो

चीफ – हा है ना अजीब बात ये

चांदनी –(गुस्से में) आज मैं अभय को छोड़ऊ गि नही उसकी हिम्मत कैसे हुई वहा जाने की

चीफ – अपने गुस्से में एक बात भूल रही हो तुम चांदनी

चांदनी – चीफ आपने ही कहा था आपके चार ट्रेंड ऑफिसर गए थे उस खंडर में जिनका आज तक पता नही चला जिंदा है या मर गए अब अभय वहा गया वो भी बिना मुझ से सलाह किए इसमें गुस्सा नही आएगा तो क्या करू मैं

चीफ – अब ध्यान से सुनो बात मेरी अभय वहा से सही सलामत जिंदा निकल के आया है वो भी अपने दोस्त के साथ वो भी पूरे 2 घंटे बाद तुम समझ रही हो मेरी बात का मतलब

चांदनी – (अपने सर पे हाथ रखके) ओह अब समझ आ गया चीफ इसका मतलब अभय जरूर वहा तक गया होगा जहा तक कोई नही जा पाया हो लेकिन ये भूत वाला क्या चक्कर है

चीफ – यही बात तो मुझे भी समझ नही आ रही है , तुम अभय से बात करना लेकिन जरा होशियारी से मुझे नही लगता वो तुम्हे इतनी आसानी से बात बताएगा जरूर कुछ तो ऐसा देखा होगा खंडर में उसने जो हमारे काम आ जाए बात पता करो तुम

चांदनी – चीफ मुझे कुछ सामान चाहिए साथ ही मुझे ये जानना है की दस साल पहले ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई , किसने और किसके कहने पर ये हुआ था और वो लाश किसकी थी जिसे अभय बताया गया था

चीफ – चांदनी ये काम रमन ठाकुर का नही हो सकता है इसमें और भी लोग शामिल है क्योंकि ठाकुर मनन सिंह की किसी से दुश्मनी नहीं रही है कभी लेकिन ठाकुर रतन सिंह की थी दुश्मनी कुछ लोगो से अब सवाल ये है की वो दुश्मन कॉन हो सकता है

चांदनी – आपने आज तक ठाकुर सुनैना सिंह का पता नही लगाया चीफ वो कहा है जिंदा है भी या नहीं आखिर वो गायब क्यों हुई थी या उन्हें गायब किया गया था

चीफ – यही पहेली सुलझ नही पाई है आज तक आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस वक्त , खेर तुम जाओ जरूरत पड़ी मै कॉल करूंगा तुम्हे...

इतना बोल के चीफ और चांदनी निकल गए अपने अपने रास्ते इधर संध्या हवेली में चांदनी के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जैसे ही चांदनी हवेली ए आते ही अपने कमरे में जाने लगी तभी संध्या ने इशारे से अपने कमरे में बुला लिया चांदनी के कमरे में जाते ही संध्या बोली...

संध्या – चांदनी वो क्या तुम अभी खाली हो

चांदनी – क्या बात है आप कुछ जल्दी में लग रही हो सब ठीक है ना

संध्या – हा सब ठीक है चांदनी वो दरसल मैने तुमसे कल कहा था ना बाइक के लिए

चांदनी –(हस्ते हुए) अच्छा ये बात है आपने मंगवा ली क्या

संध्या – हा आने वाली है इसीलिए...

चांदनी – (मुस्कुरा के) आप बिलकुल टेंशन फ्री रहीए और डिलेवरी वाले को शाम में बोलिए आने का अभी दिन का वक्त है अभय हॉस्टल में आराम कर रहा होगा खाना खा के

संध्या – अरे हा मैं भूल गई थी ठीक है मैं अभी बोल देती हू

चांदनी – ठीक है

शनाया – तुम आ गई काफी देर लगा दी आने में

चांदनी – हा गांव के हरे भरे खेत देखते हुए आ रही थी वक्त का पता नही चला

शनाया – हा ये बात सही कही तुमने गांव के हरे भरे खेतो का नजारा बेहद खूब सूरत होता है स्वर्ग की तरह खेर तुम फ्रेश होके तयार हो जाओ खाने का वक्त हो गया है...

कुछ देर में सब खाने की टेबल में साथ में बैठे थे तब अमन बोला...

अमन –(संधा से) बड़ी मां आपने आज उस राज को कॉलेज से बाहर क्यों नही निकलवा दिया किस तरह से खुले आम कॉलेज की टीचर में छेड़ रहा था

मालती और ललिता एक साथ – क्या कॉन राज और किसे छेड़ रहा था वो

अमन – (चांदनी की तरफ इशारा करके) इनको छेड़ रहा था वो..

जहा अमन की बात सुनते ही शनाया और संध्या को हसी आने लगी दिन की बात सोच के वही चांदनी को देख के साफ पता चल रहा था कितनी गुस्से में है इस वक्त चांदनी को देख संध्या बोली...

संध्या – (मुस्कुरा के हैंडनी के हाथ में अपना हाथ रख अमन से बोली) गलतियों तो हर किसी से होती रहती है कोई पकड़ा जाता है तो कोई खुद बच के दूसरो को फसा के हस्ता है

अमन – लेकिन कॉलेज की टीचर से इस तेरह से...

संध्या – (बीच में) चुप चाप खाना खाओ अपना कॉलेज की बात कॉलेज में घर में फालतू की बाते नही करनी है मुझे...

इतना बोल संध्या ने चांदनी को आंख से इशारा करके खाना खाने के लिए बोला वही आज अमन को करारा जवाब मिलते ही उसका मू बन गया लेकिन इस बात से आज मालती मुस्कुरा उठी जाने क्या सोच के ऐसा किया उसने खाने के बाद सब कमरे में गए आराम करने तब शनाया बोली चांदनी से...

शनाया – वैसे लड़का अच्छा है वो

चांदनी – (चौक के) क्यों किसकी
बात कर रहे हो आप

शनाया – उसी लड़के की जिसने तुम्हारे लिए गाना गाया

चांदनी – आप भी ना मैडम वो बस...

शनाया – उसने जो भी गया और जो भी बोला दिल से किया है चांदनी इसीलिए बोला मैने वो अच्छा लड़का है अपने बारे में भी तो सोचो तुम क्या पता शायद यही वो हो जिसकी तुम्हे तलाश हो सोच के देखो..

चांदनी हल्की स्माइल करके के बेड में लेट गई जबकि इस तरफ अभय हॉस्टल में आ राम कर रहा था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया जिसे देख कॉल रिसीव कर के...

अभय – हा भाई बता क्या बात है

राज –
आखों की गहराई को समझ नही सकते , होठों से कुछ कह नहीं सकते , कैसे बया करे हम आपको यह दिल का हाल की , तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते

अभय – अबे गलत नंबर मिला दिया तूने भाई सही नंबर डायल करके वहा बोल दिल का हल

राज – अबे सुन तो सही यार नंबर सही मिलाया है मैने तू बस ये बता कैसे लगी ये शायरी मस्त है ना तेरी दीदी को पसंद आएगी ना

अभय – क्या मतलब है तेरा मेरी बहन को पटाने के लिए मेरे से.....पगला गया है क्या बे तू जानता है वो क्या है

राज –
यार न हीरो की तमन्ना है और ना पारियों पर मरता हू
वो एक भोली सी लड़की है
जिसे मैं मोहोबत करता हू


अभय – सच सच बता किस लिए कॉल किया है मुझे

राज – भाई नंबर देदे ना अपनी बहन का उसके बाद तुझे डिस्टर्ब के बजाय डायरेक्ट उसे शायरी मैसेज कर दिया करूगा प्लीज

अभय – और अगर दीदी को पता चल गया नंबर मैने दिया है तो मैं नही बचूगा

राज – यार अपने बचपन के दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है क्या भाई

अभय – एक कम कर कल कॉलेज में मिलेगी दीदी से उनसे लेलेना नंबर

राज – यार उसे देखते ही दिल अपने आप गाना गाने लगता है नंबर कैसे मांगूगा उससे

अभय – देख भाई ये तेरी परेशानी है मेरी नही अब तू खुद सोच ले क्या और कैसे करना हु

राज – अच्छा अब तू मुझ से ऐसे बात करेगा ठीक हू साले

अभय – ओए क्या बोला बे

राज – सही सुना तूने साले साले साले तेरी बहन से शादी होने के बाद तू साला ही बनेगा मेरा अभी से साले सुनने की प्रैक्टिस डाल ले तू

अभय – (जोर से हस्ते हुए) देख ले भाई देख ले दिन के ख्वाब कभी सच नही होते है 😂😂😂

राज – अबे दिन क्या अब तो सुबह शाम उसी के ख्वाब देखूगा साले (जोर से हस्ते हुए कॉल कट कर दिया)

अभय – हेलो हेलो कॉल काट दिया..

बोल के बेड में सो गया शाम को सायरा के जागने पर नीद खुली अभय की उठते ही...

अभय – कैसे हो मैडम

सायरा – में तो अच्छी हू तुम बताओ जरा अपने हाल चाल

अभय – क्या बात है आज मेरे हाल चल लिए जा रहे है बात क्या है आखिर

सायरा –(अपने हाथ में बंदूक दिखाते हुए) जरा बताओ तो ये किसकी बंदूक है

अभय –(सायरा के हाथ अपनी बंदूक देख) ये तुम्हे कहा से मिली

सायरा – यही बेड पर तुम्हारे बिस्तर के नीचे आखिर तुम्हे बंदूक की जरूरत क्यों है अभय वो भी हाई टेक्नोलॉजी की गन कहा से आए ये तुम्हारे पास

अभय – ये गन मुझे KING 👑 ने दी है

सायरा – कॉन से KING 👑 की बात कर रहे हो तुम

अभय – (देखता रहा सायरा को)

सायरा –(अभय के गौर से देखने को समझ के) नही तुम मजाक कर रहे हो भला KING 👑 तुम्हे बंदूक क्यों देगा

अभय – तो सोचो जरा हाई टेक्नोलॉजी की ये गन मेरे पास कहा से आई जबकि ये INDIAN भी नही है

सायरा – इसका मतलब तुमने KING 👑 को देखा है हैना

अभय – हा देखा है मैने

सायरा – तो तुमने चांदनी को क्यों नही बताया

अभय – देखो सायरा तुम दोस्त हो मेरी मैने अगर दीदी को नही बताया है इसका मतलब तुम समझ सकती हो बात को

सायरा – लेकिन अभय...

अभय –(बीच में बात काटते हुए) सायरा दोस्ती के नाते मैने तुमसे कुछ नही छिपाया अब तुम्हारी मर्जी है तुम मेरा विश्वास तोड़ो या बना के रखो ये तुम पर है
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Interesting Chandni ka angle aap kaise show karte ho dekhna important hoga...aur chief ka introduction hua hai....Chandni ab Abhay ke sath kya karti hai ye bhi ek note karne wali baat hai...
 

DEVIL MAXIMUM

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Waise writer shahab pichle bar hamare baaton ka bura maan gyee thee....aur mujhe ye bhi ptaa hai ke mujhe dusron ke story ko criticise kerne ka koye hak nhi hai ....

Per me ek baat bolunga ...writer sahab ko is story me abay aur sandhya ka emotional sence jyada se jyada dalna chahye...fir ye story kamal ke ben jayege ...aur to aur fir kisi ko sikayet bhi nhi hogee....

Jo original story thee uska main focus he abhay aur sandhya per thaa ...

I hope writer sahab iss bar mujh per gussa nhi honge ...me apka hatter nhi hu ...me buss apke story ko aur batter banane ke ummid rekhne wala ek reder hu ...
 

Samar_Singh

Conspiracy Theorist
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Bhai story insect base kyun banai fir Adultery change kardo bakii story main Chandni sis show ki hai fir angel kyun change kar rahe ho ek tarf tho phone pe Chandni mom se firlt show kar rahe ho dusri side aap Chandni ka new anggl show kar rahe ho
To incest me ye kisne kaha ki sare relation me sex dikhana jaruri hai.

Prefix justify karne ke liye ek ke sath bhi dikha sakta hai vo kafi hai aur vo ek koi bhi ho sakta hai. Ye writer decide karega.

Agar Chandni ki mom se flirt kar rha hai to bhi ye jaruri nahi ki chandni ke sath bhi abhay kuch kare.
 
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