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Incest 𝗚𝗮𝗼𝗻 𝗞𝗶 𝗗𝗲𝘀𝗶 𝗞𝗮𝗺𝘂𝗸 𝗞𝗮𝗵𝗮𝗻𝗶𝘆𝗮 (𝘋𝘢𝘪𝘭𝘺 𝘯𝘦𝘸 𝘴𝘵𝘰𝘳𝘺)

mamta singh

A sweet housewife and mom
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।। मम्मी मेरी सेक्सी टीचर।।
{New series Story}
माँ बेटे के बिच एक दूसरे के प्रति केयर और बढ़ते प्यार की कहानी, जो आगे चलके रिश्तो मे बदलाव का कारण बनती है।
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भाग 01भाग 02भाग 03भाग 04भाग 05भाग 06
 
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Naughtyrishabh

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STORY 04
हाय... मेरा ससुर दीवाना
🌹{PART 2}🌹

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" अब तक आपने जाना कि किस तरह मेरे ससुर जी, मेरी चूचियों के दर्शन किए और मेरे दीवाना बन गए! एक दिन, रात मे ससुर जी को खाना देकर बहुत देर से लौटी तब सासू मां ने मुझे शक भरी नजरों से देखी पर कुछ कहीं नहीं। मैं जाकर कमरे में सो गई और डर रही थी कि ना जाने सासू मां क्या-क्या सोच रही होगी? " अब आगे......

घनघोर बारिश हो रही थी, मैं खाना देने ससुर जी के पास आई थी और बारिश रुकने का इंतजार करती हुई खेत की कुटिया मे बैठी हुई थी।

बाहर बारिश के बूँदे केले के पत्ते पर गिर कर बहुत ही शुमधुर संगीत बजा रहे थे और ससुर जी मेरे बदन के हर चिकनी हिस्से को अपने हाथों से सहला रहे थे।
उउउउफ्फफ्फ्फ़ पापा जी क्या कर रहे हो, ये सब ठीक नहीं है।

पापाजी- कौन कहता है बहू की ठीक नहीं है एक बार मेरी बाहों में पूरी तरह समा कर तो देखो यह दुनिया भूल जाओगे!


यह कहते हुए ससुर जी ने मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया और मेरे ऊपर आकर मेरे गर्दन और गाल को चूमने लगे।

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मैं उनके बाहों में तड़पने लगी। और ससुर जी मेरे गाल से होते हुए मेरे होठों तक पहुंच गए। मेरे लाल-लाल होठों को अपने होठों में दबाकर अपने हाथों से मेरी मुलायम चूचियों को रगड़ते हुए चूसने लगे।
बाहर बारिश की ठंडी ठंडी हवाएं और अंदर ससुर जी का गर्म ज़िस्म, मेरी तन बदन में आग लगा रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पेट के नीचे गुदगुदी होने लगी। ससुर जी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने धोती पर रख दिया।
बाप रे... इतना बड़ा और मोटा.. ये क्या है।

ससुर जी अब अपने हाथ को मेरी कमर पर सरकाते हुए साड़ी के भीतर ले जाने लगे।
कुछ ही देर में ससुर जी मेरे भीगी पैंटी को अपने उंगलियों से रगड़ना शुरू कर दिए।
आआहहहह पापाजी उउउफ्फफ्फ्फ़....


उन्होंने अपनी उंगलियों को सरकाते हुए मेरे पैंटी के भीतर चिकनी चुत पर ले गए। अपनी बड़ी वाली उंगली को मेरी गीली चुत पर रगड़ते हुए, धीरे से भीतर घुसा दिए।

मै -आआआआआहहहहह... ससुरजी.... हहहएईई मर गयी.... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...।

तभी दरवाजे से आवाज आयी, खट.. खट... बहु दरवाजा खोलो आज कितना देर तक सोओगी?

मै नींद से जागते हुए उठ के बैठ गयी। "हाँ.. माँ जी अभी आयी।
मै (मन मे)-उफ्फ्फ्फ़ यह कैसी सपना थी अपने ही ससुर जी के साथ.. छी छी.. ये मै क्या सोचने लगी अब।


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बिस्तर से उठकर मैं बाथरूम में गई और नहाने के लिए सारे कपड़े उतार दिए। मेरी पैंटी में चुत की जगह उजली सफेद दाग हो गई थी। मुझे वह दाग देखकर बहुत शर्म आई और मैं पैंटी को धोकर नहाने लगी।
झटपट नहाने के बाद में नाश्ता तैयार करने लगी। सासू मां आज बहुत गुस्से में लग रही थी।
ससुर जी भी खेत से वापस आए हुए थे, नाश्ता करने के लिए। मैं जब उन्हें गर्म गर्म नाश्ता देने गई तब वह मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे, मैं भी उन्हें हल्की गर्म मुस्कान के साथ खाना दे आयी।

सासू मां के पास जब जाती तब वह मुझे गुस्से भरी नजरों से देखती।
सासू मां मुझे रोकते हुए पूछी -बहु कल रात इतनी देर क्यों लगी खाना देकर वापस आने मे...

मै घबरा गई, अब भला क्या जवाब देती कि ससुर जी के पास लेटे हुए सो गई थी।

लेकिन बात को संभालते हुए ससुर जी खाते हुए ही बोले -" अरे भाई, बहू को क्यों डांट रही हो? वह तो मेरी ही गलती थी जिसके कारण बहू कल देर से लौटी!" वह क्या है कि खाने के बाद मुझे जरा फ्रेश होना था तो मैं खेतों के बाहर चला गया और बहू को वही खेत देखने के लिए बोल दिया जब तक मैं फ्रेश हो के वापस आया तब तक बहू सो गई थी! उसके बाद मैंने उसे जगाया और घर भेजा, तब तक थोड़ी देर हो गई... इसमें इतना बिगड़ने वाली कौन सी बात है?

सासु माँ -आप कभी नहीं सुधरने वाले, बेमतलब मैंने बहु को डांट दी।


इसी तरह ससुर जी और सासू मां में मीठी नोक झोक होने लगी और मैं अपने नाश्ते की तैयारी में लगी रही।

थोड़ी देर बाद सासू मां किसी काम के लिए बाहर चली गई तब ससुर जी अपने बाल को संवारते हुए मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे। हालांकि उनके सर पर बाल नहीं थे लेकिन अगल-बगल जो थोड़े बहुत बाल थे, वे उसी को किसी नौजवान के तरह अपने बालों को सवारते हुए मुझे देखकर स्माइल कर रहे थे। तभी बाहर से सासु माँ आती दिखी तब ससुर जी भीगी बिल्ली बन कर बाहर चले गए। मुझे उनकी इस दीवानगी पर हंसी आ गई।

सासु माँ - इन्हे बुढ़ारी मे जवानी का शौक चढ़ा है।


इसी तरह बदबूदाते हुए सासू मां कमरे के अंदर चली गई और मैं दिन भर अपने काम करने मे लगी रही।

शाम को सासू मां ने मुझे खाना ले जाने के लिए मना कर दी और बोली कि "मैं खुद चली जाऊंगी"!
मैं अपने मन मायूस कर के बैठ गयी "हाय आज अपने ससुर जी के दीवानापन न देख पाऊँगी।"
फिर जाने सासू मां को क्या हुआ वह बोली कि "तू ही दे आना मैं जा रही हूं सोने"!
फिर उस रात मै अपने आप को तैयार की और खाना लेकर ससुर जी के पास खेतों पर चली गई।..

मैं जब खेतों पर पहुंची तो मेरे पायलों की हल्की आवाज से ही ससुर जी को पता चल गया कि मैं उनके पास आ गई हूं।
वे मुंडेर पर लेटे हुए थे और चांद को निहार रहे थे.।
वे लेटे हुए ही मुझसे बोले..

ससुरजी- ऊपर मुंडेर पर ही आ जाओ बहू!


मैं उनकी आवाज़ मिलते ही मुंडेर पर चढ़ गई और उनके सामने खाना परोस दी।

वह मुझसे बातें करते हुए खाने को खत्म किया और फिर मेरे मना करने के बाद भी मुझे अपने साथ लेटा कर बातें करने लगे।

मै मना कर रही थी की "पापाजी आज भी लेट हुई तो सासु माँ कुछ गलत समझ लेंगी और बहुत डाट पड़ेगी"।

ससुरजी - बहु तुम घबराओ मत आज तुम्हें देर नहीं होगी मैं जल्द ही तुम्हें विदा कर दूंगा!

मै - पापा जी यदि सासू मां को तनिक भी खबर हुई कि मैं आपके साथ यहां रुक कर बातें करती हूं तो बहुत बिगड़ेंगी।

ससुरजी - अब भला बातें करने में क्या बुराई है हां यदि तुम्हारी सासू मां हम दोनों को ऐसे लेटे हुए देख ले तब वह जरूर बिगड़ेंगी।

यह कहते हुए हम दोनों हसने लगे। उनकी मजाकिया बाते मुझे हसने पर मजबूर कर दिया।

ससुरजी - और बहु तुम चिंता मत करो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!

अच्छा सुनो बहू क्या तुम्हें मेरे साथ बातें करना अच्छा लगता है?

उनकी गर्म सांसे मेरी कानों के पास महसूस हुई वह मेरे बिल्कुल नजदीक आ गए थे।

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मै - अगर अच्छी ना लगती तो क्या मैं यहां बैठी होती?

ससुरजी - क्या बात है! बहू वाह मजा आ गया!

अच्छा सुनो मैं अपने हाथ से तुम्हारे कोमल हथेलियां को छू रहा हूं तब तुम्हें गलत तो नहीं लग रहा।

यह कहते हुए वह मेरी नंगी बाहों को सहलाने लगे। मेरी पूरे बदन में गुदगुदी होने लगी। मेरे मुंह से कोई आवाज ना निकली।

ससुरजी - बहु यदि मैं तुम्हारे गोरे पैरों को अपने पैरों से छूकर महसूस करूं तो तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा?


अब भला मैं क्या ही जवाब दे पाती उनके हरकतों ने मेरी तन बदन में गुदगुदी कर रखी थी। उनकी गर्म सांस मेरे गर्दन पर महसूस हो रही थी और अपने हाथों के हरकतों से मेरे बदन को सहला रहे थे।

उफ्फफ्फ्फ़... हाय मेरी आँखे बंद होने लगी।
तभी ससुरजी धीरे से मेरी होठो पर अपने होंठ रगड़ दिए। जैसे ही उनकी गर्म होंठ मेरे कोमल होंठ से टकराई मेरी धड़कन तेज हो गयी, मै उन्हें दूर धकेल दी, और उठ के बैठ गयी।


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ससुरजी -क्या हुआ बहु? तुम ठीक हो न!

मेरी मुँह से आवाज गायब हो गए थे। मै शर्म से गड़ी जा रही थी। मै उठकर बर्तन उठाई और जाने को हुई...

मै -अच्छा पापाजी मै चलती हु।

यह कहते हुए, मैं उनकी तरफ देख ना सकी और जाने लगी।

ससुरजी -अच्छा बहु, अच्छे से जाना!

मै उन्हें पलट के देख भी ना सकी और झटपट घर आकर बिस्तर मे लेट गयी।

मेरे तन बदन में अभी भी झुरझुरी हो रही थी। उनके होठो से होठो का मिलना मुझे भीतर तक शर्म और वासना मे डुबो दिया था। अब तो नींद भी नहीं आ रही थी। इन्ही बातो को सोच सोच करवट बदलती रही। लगभग आधे से अधिक राते बीतने के बाद मै गहरी नींद के आगोश मे चली गयी।

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धन्यवाद।।
मिलते है अगले भाग मे।।
शानदार भाग 👌👌👏👏
 
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🌹{STORY 05}🌹
मम्मी को मिली बैगन से आजादी।

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हेलो दोस्तों,
मेरा नाम शुभम है। मेरी उम्र 22 साल है। मजबूत शरीर और तगड़ा लंड वाला हु।
सुन्दर शरीर की वजह से लड़किया पटाना मेरे बाये हाथ का खेल है। लेकिन मुझे ज्यादा मजा आंटी मे आता है।

आंटियों की बड़ी-बड़ी चूचियां और गांड मुझे बहुत पसंद है।

मेरी मम्मी का नाम सुमन है और वह अभी 42 साल की है। उनका फिगर 36 32 38 है। दिखने मे बहुत सुन्दर और सुडोल शरीर की मालकिन है। गोरा बदन और ग़दराई हुई जवानी है। मम्मी ज्यादातर साड़ी ब्लाउज पहनती है लेकिन कभी-कभार सूट सलवार भी पहन लेती है। मम्मी दोनों ही तरह के कपड़ों में बहुत ज्यादा सेक्सी लगती हैं।

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मेरे अलावा मेरी दो छोटी बहनें हैं जो अभी स्कूल जाती है। पापा दूसरे शहर में काम करते हैं और वह 6 महीने या साल भर पर घर आते हैं।
मैं मम्मी और मेरी दोनों बहने घर पर रहते हैं।

मम्मी मेरी धार्मिक और संस्कारी औरत है, वह पूजा पाठ करने के बाद ही खाना खाती है। पड़ोस की आंटी, मम्मी को कितना ही बहकाई कि कोई पाटनर बना लो पर मम्मी हमेशा मना कर देती है। मम्मी सोचती है कि यदि कोई बाहरी पार्टनर से सेक्स किया जाए तो घर की इज्जत खराब होने की डर रहती है। मम्मी साल साल भर पापा की याद में प्यासी रहती है। मम्मी के इस तरह संस्कारी विचार से मैं बहुत खुश था।

गर्मियों की सुबह-सुबह मैं घर के पीछे सब्जी के खेत में पानी डाल रहा था। मेरे घर के पीछे थोड़े खाली जगह थे तो उसमें बैगन भिंडी और भी कुछ सब्जियां लगाए हुए थे। मैं उन पौधों में पानी डाल रहा था तभी मम्मी आई और सब्जी बनाने के लिए बैगन तोड़ने लगी।


मैं मम्मी को देख रहा था वह बैंगन को बड़ा ही चुन चुन कर तोड़ रही थी। जो छोटा और पतला था उसे नहीं तोड़ रही थी और जो लंबा और मोटा था उसे तोड़ कर रख लेती।

मै -अरे उसे क्यों छोड़ दिया, वह भी तो सब्जी बनने लायक हो गया है. उसे भी तोड़ लो।

मम्मी -ये वाली बहुत ज्यादा मोटा है। ये नहीं जा पायेगी!

मै -बैगन मोटा है तो क्या हुआ मम्मी, सब्जी बनाने मे भला कहा डालना है जो नहीं जायेगा।


मम्मी अपनी जीभ काटते हुए,
मम्मी-तू पानी डाल पौधों को, मै वही तोडूंगी जिसकी सब्जी स्वादिस्ट लगेगी।

मै-वो भी तो अभी ठीक ही था। आप केवल बड़े और तगड़े बैगन ही तोड़ रही हो।

मम्मी -तू अपना काम कर ना, सब्जी मुझे बनानी है न मै सोच समझ कर तोड़ लुंगी।


मुझे उनकी बातें समझ में नहीं आई। मैं अपना काम करने लगा और मम्मी बैंगन तोड़कर अंदर चली गई।
मैं भी पौधों को पानी डालकर अपना काम खत्म किया और दूसरा काम करने लगा।

शाम को जब मैं बाहर से घूम कर आ रहा था तब घर के बाहर कुछ तगड़े बैंगन मुरझाए हुए मिले।

मै मन मे -अरे यह तो मेरे ही खेत के बैगन है, इसे ऐसे ही सूखा कर फेक दिया क्या?
लेकिन मम्मी तो सब्जी बनाने के लिए तोड़ी थी। शायद रखे रखे सुख गयी होंगी तो मम्मी ने इसे फेक दिया होगा।


फिर मैं घर आ गया और हाथ मुँह धोकर पढ़ने बैठ गया मम्मी किचन में खाना बना रही थी।
मेरे साथ मेरे दोनों बहने भी पढ़ रही थी।
जब खाना तैयार हुआ तब मम्मी हम सभी को खाने के लिए बुलाई। हम सभी हाथ मुँह धोकर टेबल पर खाने के लिए बैठ गए।मम्मी आज भिंडी की सब्जी बनाई हुई थी।

मै - मम्मी आज आप भिंडी बनाई हुई हो? सुबह तो आप बैंगन तोड़कर लाई थी!

मम्मी - हां सुबह तोड़कर लाई थी। फिर मुझे लगा कि रोज-रोज बैगन से खुजली ना हो जाए इसलिए भिंडी तोड़कर लाई।

मै - लेकिन मम्मी आप बैंगन की सब्जी बनाती कहां हो। कई दिन हो गए सब्जी खाए हुए और मैंने देखा कि घर के बाहर कुछ सूखे हुए बैंगन फेके हुए थे।


मम्मी थोड़ी सी घबराई लेकिन फिर बोली -हाँ वो बैगन सुख गए थे तो मै उसे फेक दी।

मै - जब बैंगन बनाना ही नहीं था तो थोड़ी क्यों?

मम्मी - तू चुपचाप खाना खा ना तुम्हें उससे क्या मतलब है?

मै - मैं तो ऐसे ही कह रहा था!


फिर हम सब ने खाना खत्म किया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।

आधी रात को मुझे प्यास लगी। अपने कमरे में पानी ढूंढने लगा तो बोतल खाली मिला। शायद रात को पानी रखना भूल गया। फिर मै उठकर किचन में गया, मेरी नींद मे आँखे आधी बंद थी और आधी खुली,
अलास्य जैसा किया हुआ किचन में फ्रिज के पास गया और खोलकर अंदर देखने पर एक बोतल पानी मिला मुझे।
किचेन के सेट पर बैठ गया और पानी पीने लगा कमरे में अंधेरा था। केवल फ्रीज के पास हल्की रोशनी थी।

मैं पानी पी रहा था कि तभी मुझे पायल की आवाज किचन की तरफ आती हुई सुनाई दी। थोड़ी ही देर में किचन के गेट से मम्मी अंदर आई। मम्मी सलवार सूट पहनी हुई थी दिखने में बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

जब वह झुक कर फ्रिज से कुछ उठा रही थी तो उनकी बड़ी-बड़ी गांड मेरे सामने थी मन किया कि अभी लंड घुसा दूं। मैं अंधेरे में किचन के सेट पर बैठा पानी पी रहा था तो मम्मी मुझे नहीं देख पाई लेकिन मैं मम्मी को निहार रहा था। मम्मी फ्रीज़ से एक मोटा तगड़ा बैंगन निकाली और हाथ में लेकर सहलाने लगी।
मैं मम्मी को देखकर हैरान रह गया इतनी रात को मम्मी बैंगन को लेकर क्या करने वाली है। मम्मी बड़े प्यार से बैंगन को सहला रही थी। जैसे कि वह बैंगन नहीं, किसी का मोटा लंड हो।

मैं पीछे से आवाज दिया

मै-मम्मी..........


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मम्मी घबराई हुई, उनके हाथ से बैंगन छूट गया और वह मेरी तरफ पलट कर आंखें फाड़ कर देखने लगी...
मम्मी हकलाती हुई बोली..

मम्मी- बबबब.. बेटा तुम यहाँ?

मै- वही तो मैं आपसे जानना चाहता हूं मम्मी आप इतनी रात को यहां? और वैसे भी मैं तो केवल पानी पीने आया था।

मम्मी- बबब.. बेटा मै भी तो पानी ही पिने आई थी।

मै- लेकिन आप बैगन को हाथ मे लेकर क्यों सहला रही थी।

मम्मी-.......... ख़ामोशी छा गयी।

मै-क्या बात है मम्मी मुझे बताओ?

मम्मी-........

मै- क्या आप मुझ पर भरोसा नहीं करती? कोई भी बात हो आप मुझसे कर सकती हो मम्मी मैं आपकी मदद करूंगा।


मम्मी थोड़ी राहत की सांस लेते हुए मेरी ओर देख कर बोली..
मम्मी- बेटा तुम तो जानते हो तुम्हारे पापा साल भर में एक बार आते हैं!

और सोसाइटी की महिलाएं जिस तरह से वासना भरी बातें करती हैं, मेरे अंदर की इच्छाएं जाग जाती है। उनके तो घर में पति है और बाहर से भी बॉयफ्रेंड रखती हैं, उनकी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है पर मैं अपनी इच्छाएं दबाते दबाते दम घुटने लगती है। इसीलिए मुझे बैंगन का सहारा लेना पड़ता है।
मैं नहीं चाहती कि कोई बाहरी व्यक्ति हमारे घर की इज्जत पर हाथ डाले और हमारी जिंदगी बर्बाद करें।
मैं सोचती थी की पूजा पाठ करने से शायद इन इच्छाओं पर काबू पाया जा सके परंतु उसे भी नहीं हो पाया, इसलिए मुझे बैंगन का सहारा लेना पड़ा। मुझे माफ़ करदे बेटा।

मैं मम्मी के आंसू पोछते हुए उन्हें गले लगा लिया है और बोला..

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मै- आपने कुछ भी गलत नहीं किया है मम्मी। लेकिन फिर भी बैंगन, से इस समस्या का हल तो नहीं हो सकता। कहीं इसकी भी आपको आदत लग गई तो आप परेशान ही रहोगी।

मम्मी- लेकिन फिर भी बेटा कर भी क्या सकते हैं यही तो एक सहारा है।

मै- आपको कोई ऐसा मर्द चाहिए जो आपको पूरी तरह संतुष्ट कर दे।

मम्मी- लेकिन ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है बेटा और तो और घर की इज्जत की भी डर रहेगी!

मै- यदि आप बुरा ना मानो तो आपको ऐसा मर्द मिल सकता है और वह भी घर में ही।

मम्मी मेरी ओर बड़े गौर से देखने लगी। मैं अपना पेंट उतार कर लंड उनके सामने कर दिया। मेरा तगड़ा और बड़ा लंड मम्मी के सामने फनफनाता हुआ सलामी देने लगा।


मम्मी शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी और बोली..
मम्मी- लेकिन तू मेरा बेटा है मैं तुम्हारे साथ यह सब कैसे कर सकती हूं।

मै- मैं आपको बस खुश देखना चाहता हूं मम्मी। मुझे आपके साथ कोई आपत्ति नहीं है।


मम्मी मुझसे लिपट गई मेरा खड़ा लंड मम्मी के कपड़े के ऊपर से ही उनके चुत को छूकर सलाम करने लगा।
मम्मी मेरे गाल और मेरे होठो को चूमने लगी।

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आज पहली बार मम्मी के रसीले होठों को अपने होठों में लेकर चूस रहा था। मम्मी की ग़दराई हुई जवानी मेरी बाहों में थी और मैं उनके रसीले चिकनी बदन को छूकर महसूस कर रहा था।

मैं-उफ्फ्फफ्फ्फ़ क्या मस्त ज़िस्म है उउउउउह्म्मम्म्म्महाहह..

मम्मी- आआहहहहहह बेटा... आराम से ऊऊह्ह्ह्ह...


मैं मम्मी के बदन की हर हीसे को चूम रहा था और उनकी बड़ी-बड़ी गांड को सहला रहा था। मम्मी की सेब जैसे गालों को दांतों से हल्के-हल्के काट रहा था। मम्मी अपनी आंखें बंद करके मेरे बालों को सहलाती हुई,मेरे होंठ को चुस्ती हुई साथ दे रही थी।

मैं मम्मी के नाडे को खींचकर खोल दिया और उनकी सलवार सरकती हुई नीचे चली गई। उनकी गोरी गोरी जांघों को अपने हाथों से सहलाने लगा। मेरा लंड उनके पैंटी के ऊपर से चुत को रगड़ने लगा।


मम्मी के सूट को भी निकाल दिया अब वह सिर्फ काले रंग के ब्रा और पैंटी में खड़ी थी उनकी चूचियां को देखकर मुझसे रहा नहीं गया। मैं ब्रा का हुक खोला और चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। बहुत ही मदमस्त और कम्मोत्तेजक चूचियाँ थी मम्मी की। मैं उसे लेकर मुंह में चूसना शुरू कर दिया।

मम्मी- आआआहहहह... बेटा चुसो अपनी मम्मी की चूचियों को, उउउउउफ्फ्फ्फर.... आअह्ह्ह....


मैं उनकी गोरी गोरी जांघों को मसलते हुए मुलायम मुलायम चूचियों को पी रहा था। मम्मी मेरी बालों को सहलाती हुई अपने दूध को मेरे मुंह में डाल रही थी।

मैं अपने शर्ट भी निकाल दिया और पूरा नंगा हो गया मम्मी के होठो को चूसते हुए उनके पैंटी को नीचे सरका दिया और उसके बाद हम दोनों किचन मे बिल्कुल नंगे हो गए।

मैं नीचे बैठा और मम्मी के पैरों को फैला कर उनके चुत को चाटना शुरू किया। मम्मी मेरे सर को अपनी चुत में घुसा लेना चाहती थी। वह मेरे बालों को सहलाती हुई अपनी चुत चटाई का मजा ले रही थी। मम्मी लगातार अपनी चुत से रसमलाई छोड़ रही थी और मैं उसे पी रहा था।

उसके बाद मम्मी नीचे बैठी और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी। मम्मी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उनके गुलाबी जीभ मेरे लंड में गर्मी पैदा कर रही थी। मैं अपने लंड को जोश जोश में उनके गले तक उतार देता और वह खांसने लग जाती है।

फिर मैं मम्मी को गोद में उठाया और किचन के सेट पर बैठा दिया उनके टांगों को फैला कर अपने लंड उनके चुत पर रगड़ने लगा।

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मम्मी - बदमाश और कितना तड़पाएगा अब डाल भी दे।

आआआहहहह.... मम्मी ये लो अपने बेटे का लंड...


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यह कहते हुए मैंने आधा से अधिक लंड मम्मी के चुत में घुसा दिया। मम्मी का मुंह खुला का खुला रह गया। मैं उनकी चूचियों को सहलाने लगा और आधे लंड से ही चुदाई करने लगा। मम्मी थोड़ी शांत हुई तो मैंने पूरा लंड भीतर घुसा दिया मम्मी अपने मुंह पर हाथ रख ली और चिल्लाने से बचने की कोशिश करने लगी।

मम्मी की कामोंत्तेजक गर्म सांसे पूरे किचन में गुंजने लगी और मैं सटा सट मम्मी के चुत में धक्के मार रहा था।

मम्मी - हाय..... आआहहहहह...... उफ्फ्फ्फ़.....

मै - उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़... मामम्मी क्या रशीली चुत है आपकी... आअह्ह्ह...


मम्मी अपनी चुत से पानी भी छोड़ रही थी, जिसकी वजह से लंड चिकना होकर और तेजी से अंदर बाहर हो रहा था।

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हम दोनों काफी तेजी से हाफ रहे थे। मैं थोड़ा देर के लिए रुका और अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मम्मी को किचन के सेट से नीचे उतरा और किचन के सेट पर उल्टा झुका दिया। फिर पीछे से उनके चुत में लंड डालकर चुदाई शुरू कर दी।

बहुत ही तेजी से उनकी चुत चोदना शुरू कर दिया। पीछे से ही दोनों गांड पर जब मैं चोट मारता तो तबले की तरह आवाज आती। उनके गालों को चूमते हुए लंड को तेजी से भीतर घुस रहा था।
मम्मी की दोनों चूचियाँ दबाते हुए उनकी चुदाई करने में खूब मजा आ रहा था। मम्मी कई बार झड़ चुकी थी। अब मेरे लंड में तनाव इतना ज्यादा आ चुका था, ऐसा लगता कि कभी भी फट जाएगा।

मम्मी को सीधा किया और किचन पर एक पैर रख उनकी चुत में धक्के लगाने लगा और उनकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा।
मैं अब झड़ने ही वाला था उनकी रसीले होठों को पीते हुए जोर-जोर से धक्के लगाने लगा और हाफ्ते हुए दो-तीन पिचकारी उनके चुत में मार दी।

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मेरे लंड और उनके चुत की पानी उनके जांघो पर बहने लगी और मेरा लंड उनके चुत में अभी भी पड़ा हुआ था।

हम दोनों धीरे-धीरे शांत हो गए और अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिए। जब हम लोग कपड़े पहन लिए तब मम्मी मुझे बाहों में पकड़ ली और मेरे होठों पर एक किस देते हुए बोली

मम्मी - आज तुमने मुझे बैगन से आजादी दिला दी।

मै - अब से आपको बैगन को छूने की भी जरूरत नहीं है! बैंगन हम सिर्फ सब्जी खाने के लिए ही उपयोग करेंगे! बाकी आपको शांति तो मेरे.....


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हम दोनों मुस्कुराने लगे और फिर मम्मी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में।

The End...

धन्यवाद।।
baingan chutkara mila aur bete ko chut... waaahhhh mast short and crisp chudai ki kahani
 

Naughtyrishabh

Well-Known Member
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🌹{STORY 05}🌹
मम्मी को मिली बैगन से आजादी।

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हेलो दोस्तों,
मेरा नाम शुभम है। मेरी उम्र 22 साल है। मजबूत शरीर और तगड़ा लंड वाला हु।
सुन्दर शरीर की वजह से लड़किया पटाना मेरे बाये हाथ का खेल है। लेकिन मुझे ज्यादा मजा आंटी मे आता है।

आंटियों की बड़ी-बड़ी चूचियां और गांड मुझे बहुत पसंद है।

मेरी मम्मी का नाम सुमन है और वह अभी 42 साल की है। उनका फिगर 36 32 38 है। दिखने मे बहुत सुन्दर और सुडोल शरीर की मालकिन है। गोरा बदन और ग़दराई हुई जवानी है। मम्मी ज्यादातर साड़ी ब्लाउज पहनती है लेकिन कभी-कभार सूट सलवार भी पहन लेती है। मम्मी दोनों ही तरह के कपड़ों में बहुत ज्यादा सेक्सी लगती हैं।

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मेरे अलावा मेरी दो छोटी बहनें हैं जो अभी स्कूल जाती है। पापा दूसरे शहर में काम करते हैं और वह 6 महीने या साल भर पर घर आते हैं।
मैं मम्मी और मेरी दोनों बहने घर पर रहते हैं।

मम्मी मेरी धार्मिक और संस्कारी औरत है, वह पूजा पाठ करने के बाद ही खाना खाती है। पड़ोस की आंटी, मम्मी को कितना ही बहकाई कि कोई पाटनर बना लो पर मम्मी हमेशा मना कर देती है। मम्मी सोचती है कि यदि कोई बाहरी पार्टनर से सेक्स किया जाए तो घर की इज्जत खराब होने की डर रहती है। मम्मी साल साल भर पापा की याद में प्यासी रहती है। मम्मी के इस तरह संस्कारी विचार से मैं बहुत खुश था।

गर्मियों की सुबह-सुबह मैं घर के पीछे सब्जी के खेत में पानी डाल रहा था। मेरे घर के पीछे थोड़े खाली जगह थे तो उसमें बैगन भिंडी और भी कुछ सब्जियां लगाए हुए थे। मैं उन पौधों में पानी डाल रहा था तभी मम्मी आई और सब्जी बनाने के लिए बैगन तोड़ने लगी।


मैं मम्मी को देख रहा था वह बैंगन को बड़ा ही चुन चुन कर तोड़ रही थी। जो छोटा और पतला था उसे नहीं तोड़ रही थी और जो लंबा और मोटा था उसे तोड़ कर रख लेती।

मै -अरे उसे क्यों छोड़ दिया, वह भी तो सब्जी बनने लायक हो गया है. उसे भी तोड़ लो।

मम्मी -ये वाली बहुत ज्यादा मोटा है। ये नहीं जा पायेगी!

मै -बैगन मोटा है तो क्या हुआ मम्मी, सब्जी बनाने मे भला कहा डालना है जो नहीं जायेगा।


मम्मी अपनी जीभ काटते हुए,
मम्मी-तू पानी डाल पौधों को, मै वही तोडूंगी जिसकी सब्जी स्वादिस्ट लगेगी।

मै-वो भी तो अभी ठीक ही था। आप केवल बड़े और तगड़े बैगन ही तोड़ रही हो।

मम्मी -तू अपना काम कर ना, सब्जी मुझे बनानी है न मै सोच समझ कर तोड़ लुंगी।


मुझे उनकी बातें समझ में नहीं आई। मैं अपना काम करने लगा और मम्मी बैंगन तोड़कर अंदर चली गई।
मैं भी पौधों को पानी डालकर अपना काम खत्म किया और दूसरा काम करने लगा।

शाम को जब मैं बाहर से घूम कर आ रहा था तब घर के बाहर कुछ तगड़े बैंगन मुरझाए हुए मिले।

मै मन मे -अरे यह तो मेरे ही खेत के बैगन है, इसे ऐसे ही सूखा कर फेक दिया क्या?
लेकिन मम्मी तो सब्जी बनाने के लिए तोड़ी थी। शायद रखे रखे सुख गयी होंगी तो मम्मी ने इसे फेक दिया होगा।


फिर मैं घर आ गया और हाथ मुँह धोकर पढ़ने बैठ गया मम्मी किचन में खाना बना रही थी।
मेरे साथ मेरे दोनों बहने भी पढ़ रही थी।
जब खाना तैयार हुआ तब मम्मी हम सभी को खाने के लिए बुलाई। हम सभी हाथ मुँह धोकर टेबल पर खाने के लिए बैठ गए।मम्मी आज भिंडी की सब्जी बनाई हुई थी।

मै - मम्मी आज आप भिंडी बनाई हुई हो? सुबह तो आप बैंगन तोड़कर लाई थी!

मम्मी - हां सुबह तोड़कर लाई थी। फिर मुझे लगा कि रोज-रोज बैगन से खुजली ना हो जाए इसलिए भिंडी तोड़कर लाई।

मै - लेकिन मम्मी आप बैंगन की सब्जी बनाती कहां हो। कई दिन हो गए सब्जी खाए हुए और मैंने देखा कि घर के बाहर कुछ सूखे हुए बैंगन फेके हुए थे।


मम्मी थोड़ी सी घबराई लेकिन फिर बोली -हाँ वो बैगन सुख गए थे तो मै उसे फेक दी।

मै - जब बैंगन बनाना ही नहीं था तो थोड़ी क्यों?

मम्मी - तू चुपचाप खाना खा ना तुम्हें उससे क्या मतलब है?

मै - मैं तो ऐसे ही कह रहा था!


फिर हम सब ने खाना खत्म किया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।

आधी रात को मुझे प्यास लगी। अपने कमरे में पानी ढूंढने लगा तो बोतल खाली मिला। शायद रात को पानी रखना भूल गया। फिर मै उठकर किचन में गया, मेरी नींद मे आँखे आधी बंद थी और आधी खुली,
अलास्य जैसा किया हुआ किचन में फ्रिज के पास गया और खोलकर अंदर देखने पर एक बोतल पानी मिला मुझे।
किचेन के सेट पर बैठ गया और पानी पीने लगा कमरे में अंधेरा था। केवल फ्रीज के पास हल्की रोशनी थी।

मैं पानी पी रहा था कि तभी मुझे पायल की आवाज किचन की तरफ आती हुई सुनाई दी। थोड़ी ही देर में किचन के गेट से मम्मी अंदर आई। मम्मी सलवार सूट पहनी हुई थी दिखने में बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

जब वह झुक कर फ्रिज से कुछ उठा रही थी तो उनकी बड़ी-बड़ी गांड मेरे सामने थी मन किया कि अभी लंड घुसा दूं। मैं अंधेरे में किचन के सेट पर बैठा पानी पी रहा था तो मम्मी मुझे नहीं देख पाई लेकिन मैं मम्मी को निहार रहा था। मम्मी फ्रीज़ से एक मोटा तगड़ा बैंगन निकाली और हाथ में लेकर सहलाने लगी।
मैं मम्मी को देखकर हैरान रह गया इतनी रात को मम्मी बैंगन को लेकर क्या करने वाली है। मम्मी बड़े प्यार से बैंगन को सहला रही थी। जैसे कि वह बैंगन नहीं, किसी का मोटा लंड हो।

मैं पीछे से आवाज दिया

मै-मम्मी..........


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मम्मी घबराई हुई, उनके हाथ से बैंगन छूट गया और वह मेरी तरफ पलट कर आंखें फाड़ कर देखने लगी...
मम्मी हकलाती हुई बोली..

मम्मी- बबबब.. बेटा तुम यहाँ?

मै- वही तो मैं आपसे जानना चाहता हूं मम्मी आप इतनी रात को यहां? और वैसे भी मैं तो केवल पानी पीने आया था।

मम्मी- बबब.. बेटा मै भी तो पानी ही पिने आई थी।

मै- लेकिन आप बैगन को हाथ मे लेकर क्यों सहला रही थी।

मम्मी-.......... ख़ामोशी छा गयी।

मै-क्या बात है मम्मी मुझे बताओ?

मम्मी-........

मै- क्या आप मुझ पर भरोसा नहीं करती? कोई भी बात हो आप मुझसे कर सकती हो मम्मी मैं आपकी मदद करूंगा।


मम्मी थोड़ी राहत की सांस लेते हुए मेरी ओर देख कर बोली..
मम्मी- बेटा तुम तो जानते हो तुम्हारे पापा साल भर में एक बार आते हैं!

और सोसाइटी की महिलाएं जिस तरह से वासना भरी बातें करती हैं, मेरे अंदर की इच्छाएं जाग जाती है। उनके तो घर में पति है और बाहर से भी बॉयफ्रेंड रखती हैं, उनकी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है पर मैं अपनी इच्छाएं दबाते दबाते दम घुटने लगती है। इसीलिए मुझे बैंगन का सहारा लेना पड़ता है।
मैं नहीं चाहती कि कोई बाहरी व्यक्ति हमारे घर की इज्जत पर हाथ डाले और हमारी जिंदगी बर्बाद करें।
मैं सोचती थी की पूजा पाठ करने से शायद इन इच्छाओं पर काबू पाया जा सके परंतु उसे भी नहीं हो पाया, इसलिए मुझे बैंगन का सहारा लेना पड़ा। मुझे माफ़ करदे बेटा।

मैं मम्मी के आंसू पोछते हुए उन्हें गले लगा लिया है और बोला..

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मै- आपने कुछ भी गलत नहीं किया है मम्मी। लेकिन फिर भी बैंगन, से इस समस्या का हल तो नहीं हो सकता। कहीं इसकी भी आपको आदत लग गई तो आप परेशान ही रहोगी।

मम्मी- लेकिन फिर भी बेटा कर भी क्या सकते हैं यही तो एक सहारा है।

मै- आपको कोई ऐसा मर्द चाहिए जो आपको पूरी तरह संतुष्ट कर दे।

मम्मी- लेकिन ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है बेटा और तो और घर की इज्जत की भी डर रहेगी!

मै- यदि आप बुरा ना मानो तो आपको ऐसा मर्द मिल सकता है और वह भी घर में ही।

मम्मी मेरी ओर बड़े गौर से देखने लगी। मैं अपना पेंट उतार कर लंड उनके सामने कर दिया। मेरा तगड़ा और बड़ा लंड मम्मी के सामने फनफनाता हुआ सलामी देने लगा।


मम्मी शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी और बोली..
मम्मी- लेकिन तू मेरा बेटा है मैं तुम्हारे साथ यह सब कैसे कर सकती हूं।

मै- मैं आपको बस खुश देखना चाहता हूं मम्मी। मुझे आपके साथ कोई आपत्ति नहीं है।


मम्मी मुझसे लिपट गई मेरा खड़ा लंड मम्मी के कपड़े के ऊपर से ही उनके चुत को छूकर सलाम करने लगा।
मम्मी मेरे गाल और मेरे होठो को चूमने लगी।

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आज पहली बार मम्मी के रसीले होठों को अपने होठों में लेकर चूस रहा था। मम्मी की ग़दराई हुई जवानी मेरी बाहों में थी और मैं उनके रसीले चिकनी बदन को छूकर महसूस कर रहा था।

मैं-उफ्फ्फफ्फ्फ़ क्या मस्त ज़िस्म है उउउउउह्म्मम्म्म्महाहह..

मम्मी- आआहहहहहह बेटा... आराम से ऊऊह्ह्ह्ह...


मैं मम्मी के बदन की हर हीसे को चूम रहा था और उनकी बड़ी-बड़ी गांड को सहला रहा था। मम्मी की सेब जैसे गालों को दांतों से हल्के-हल्के काट रहा था। मम्मी अपनी आंखें बंद करके मेरे बालों को सहलाती हुई,मेरे होंठ को चुस्ती हुई साथ दे रही थी।

मैं मम्मी के नाडे को खींचकर खोल दिया और उनकी सलवार सरकती हुई नीचे चली गई। उनकी गोरी गोरी जांघों को अपने हाथों से सहलाने लगा। मेरा लंड उनके पैंटी के ऊपर से चुत को रगड़ने लगा।


मम्मी के सूट को भी निकाल दिया अब वह सिर्फ काले रंग के ब्रा और पैंटी में खड़ी थी उनकी चूचियां को देखकर मुझसे रहा नहीं गया। मैं ब्रा का हुक खोला और चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। बहुत ही मदमस्त और कम्मोत्तेजक चूचियाँ थी मम्मी की। मैं उसे लेकर मुंह में चूसना शुरू कर दिया।

मम्मी- आआआहहहह... बेटा चुसो अपनी मम्मी की चूचियों को, उउउउउफ्फ्फ्फर.... आअह्ह्ह....


मैं उनकी गोरी गोरी जांघों को मसलते हुए मुलायम मुलायम चूचियों को पी रहा था। मम्मी मेरी बालों को सहलाती हुई अपने दूध को मेरे मुंह में डाल रही थी।

मैं अपने शर्ट भी निकाल दिया और पूरा नंगा हो गया मम्मी के होठो को चूसते हुए उनके पैंटी को नीचे सरका दिया और उसके बाद हम दोनों किचन मे बिल्कुल नंगे हो गए।

मैं नीचे बैठा और मम्मी के पैरों को फैला कर उनके चुत को चाटना शुरू किया। मम्मी मेरे सर को अपनी चुत में घुसा लेना चाहती थी। वह मेरे बालों को सहलाती हुई अपनी चुत चटाई का मजा ले रही थी। मम्मी लगातार अपनी चुत से रसमलाई छोड़ रही थी और मैं उसे पी रहा था।

उसके बाद मम्मी नीचे बैठी और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी। मम्मी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उनके गुलाबी जीभ मेरे लंड में गर्मी पैदा कर रही थी। मैं अपने लंड को जोश जोश में उनके गले तक उतार देता और वह खांसने लग जाती है।

फिर मैं मम्मी को गोद में उठाया और किचन के सेट पर बैठा दिया उनके टांगों को फैला कर अपने लंड उनके चुत पर रगड़ने लगा।

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मम्मी - बदमाश और कितना तड़पाएगा अब डाल भी दे।

आआआहहहह.... मम्मी ये लो अपने बेटे का लंड...


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यह कहते हुए मैंने आधा से अधिक लंड मम्मी के चुत में घुसा दिया। मम्मी का मुंह खुला का खुला रह गया। मैं उनकी चूचियों को सहलाने लगा और आधे लंड से ही चुदाई करने लगा। मम्मी थोड़ी शांत हुई तो मैंने पूरा लंड भीतर घुसा दिया मम्मी अपने मुंह पर हाथ रख ली और चिल्लाने से बचने की कोशिश करने लगी।

मम्मी की कामोंत्तेजक गर्म सांसे पूरे किचन में गुंजने लगी और मैं सटा सट मम्मी के चुत में धक्के मार रहा था।

मम्मी - हाय..... आआहहहहह...... उफ्फ्फ्फ़.....

मै - उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़... मामम्मी क्या रशीली चुत है आपकी... आअह्ह्ह...


मम्मी अपनी चुत से पानी भी छोड़ रही थी, जिसकी वजह से लंड चिकना होकर और तेजी से अंदर बाहर हो रहा था।

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हम दोनों काफी तेजी से हाफ रहे थे। मैं थोड़ा देर के लिए रुका और अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मम्मी को किचन के सेट से नीचे उतरा और किचन के सेट पर उल्टा झुका दिया। फिर पीछे से उनके चुत में लंड डालकर चुदाई शुरू कर दी।

बहुत ही तेजी से उनकी चुत चोदना शुरू कर दिया। पीछे से ही दोनों गांड पर जब मैं चोट मारता तो तबले की तरह आवाज आती। उनके गालों को चूमते हुए लंड को तेजी से भीतर घुस रहा था।
मम्मी की दोनों चूचियाँ दबाते हुए उनकी चुदाई करने में खूब मजा आ रहा था। मम्मी कई बार झड़ चुकी थी। अब मेरे लंड में तनाव इतना ज्यादा आ चुका था, ऐसा लगता कि कभी भी फट जाएगा।

मम्मी को सीधा किया और किचन पर एक पैर रख उनकी चुत में धक्के लगाने लगा और उनकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा।
मैं अब झड़ने ही वाला था उनकी रसीले होठों को पीते हुए जोर-जोर से धक्के लगाने लगा और हाफ्ते हुए दो-तीन पिचकारी उनके चुत में मार दी।

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मेरे लंड और उनके चुत की पानी उनके जांघो पर बहने लगी और मेरा लंड उनके चुत में अभी भी पड़ा हुआ था।

हम दोनों धीरे-धीरे शांत हो गए और अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिए। जब हम लोग कपड़े पहन लिए तब मम्मी मुझे बाहों में पकड़ ली और मेरे होठों पर एक किस देते हुए बोली

मम्मी - आज तुमने मुझे बैगन से आजादी दिला दी।

मै - अब से आपको बैगन को छूने की भी जरूरत नहीं है! बैंगन हम सिर्फ सब्जी खाने के लिए ही उपयोग करेंगे! बाकी आपको शांति तो मेरे.....


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हम दोनों मुस्कुराने लगे और फिर मम्मी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में।

The End...

धन्यवाद।।
एकदम मस्त चुदाई से परिपूर्ण भाग, आनन्द आ गया ❤️❤️
 
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