ranipyaarkidiwani
Rajit singh
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सही कहे मित्र.. सहमत हूँ, परंतु TheBlackBlood मित्र के दर्द को भी समझते हैं.. यहां इस फोरम में सिर्फ प्रसंसा प्रतिक्रिया समीक्षा पाने के लिए ही लेखक अपनी रचनाओं को लेकर आते हैं वे हम पाठकगण उन्हें पूरी ऊर्जा देते हैं अपनी-अपनी समीक्षा से..इस आभासी दुनिया के नकारात्मक वातावरण से अगर आप परेशान होने लगे तब आप रीयल लाइफ मे लगभग रोज आने वाली प्रॉब्लम से कैसे जूझेंगे !
कहते हैं अपनी पसंद की चीज हासिल न हो तो हासिल चीज को पसंद करना सीख लेना चाहिए।
आपके जो भी रीडर्स है , उसी से संतुष्ट होना सीखिए।
कबीर दास ने कहा है -
" गो धन गज धन बाजि धन और रतन धन खान
जब आए संतोष धन तब सब धुरी समान "
अपडेट की बात करते है -
भाई भाई के बीच मतभेद सिर्फ लालच और स्वार्थ भाव का परिणाम है। जगन ने अपने स्वार्थ के लिए भाई का कत्ल कर दिया और फिर वो सफेदपोश के ब्लैकमेल का शिकार होकर तांत्रिक का भी खून कर दिया।
यह होना ही था। लोग समझ नही पाते है कि वो जिसे अपना सुनहरा भविष्य मानकर चल रहे है वो उन्हे मौत के करीब ले जा रहा है।
जापान मे युद्ध के दौरान एक लड़का अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद रहा था। यह देख एक सिपाही ने उससे कहा कि तुम इस भार को यही उतार दो क्योंकि तु बहुत थका हुआ लगता है और आगे बढ़ने मे असमर्थ है। यह सुनकर उस बालक ने कहा -" यह भार नही है। यह मेरा भाई है। " सिपाही उसकी भावना समझ गया और बहुत रोया।
" ये भार नही है , ये मेरा भाई है...." अगर वह गिर जाए तो उसे उठा लेना , थक जाने पर उसकी मदद करना , और अगर वह कमजोर है तो उसे सहारा देना , अगर वह गलती करता है तो उसे माफ कर देना , और अगर दुनिया छोड़ देती है तो उसे अपने कंधो पर ले लो क्योंकि वो भार नही है , वो तुम्हारा भाई है।
जहां तक साहूकारों की बात है , गलती कहें या चतुराई , किया सिर्फ मणिशंकर ने है। इस एक व्यक्ति ने पुरे साहूकारों को संकट मे डाल दिया।
बहुत खुबसूरत अपडेट शुभम भाई।
निराश बिल्कुल ही नही होने का। कर्म करते रहिए और फल की इच्छा ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए।
बेदर्दी बालमा तुझको मेरा दिल लिवर किडनी सब याद करते हैं... ये तो..... पूरी नाइंसाफी है हम पाठकों के लिए विगत 2 वर्षो से आपकी कहानी से जुड़े हुए हैं और इतने अन्तराल के बाद भी आप के आशिक है तू सी भी हम इश्कजादो को अपने इसक मे फिसल कर गिरने मत दो...Jab story puri ho jayegi to har din aap sabko ek ek update inbox me send karta rahuga...lekin ab unke liye thread me koi update post nahi karuga jo padh ke chup chaap nikal lete hain....
Aisa to nahi ho sakta apan se
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अरे भाई, फोरम ने हम जैसों का इनबॉक्स लिमिट कर रखा है, फिर हम कैसे पढ़ेंगे??Jab story puri ho jayegi to har din aap sabko ek ek update inbox me send karta rahuga...lekin ab unke liye thread me koi update post nahi karuga jo padh ke chup chaap nikal lete hain....
Aisa to nahi ho sakta apan se
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ये कौन सी बात हुई??ठीक है! हम पाठकों का बंदोबस्त तो हो जाएगा इस तरह।
हाँ - दोस्ती बनी रहे, बस!![]()
इस फोरम पर कई लेखक ये समझते हे की वो कोई महाकाव्य लिख रहे हे ,अगर वो नहीं लिखेंगे तो पाठक उनसे मनुहार करेंगे ,विनती करेंगे नहीं नहीं आप लिखना मत छोड़िये ,आप नहीं लिखेंगे तो हम ज्ञान से वंचित हो जायेंगे ,हम आपकी रचना ना लिखने के गम में डूब जायेंगे।कहानी का ये अपडेट मैंने लिख लिया था इस लिए पोस्ट कर दिया है मगर अब इस कहानी में कोई अपडेट नहीं आएगा। ये कहानी भी अब ठंडे बस्ते में चली जाएगी और इसका जिम्मेदार लेखक नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ रीडर्स हैं।
अलविदा![]()
जैसा मैंने कहा - दोस्ती बनी रहेये कौन सी बात हुई??
बाकी का क्या? फोरम वाले पुराने मैसेज डिलीट भी नही करने देते की इनबॉक्स में जगह बनाई जा सके
इस फोरम पर कई लेखक ये समझते हे की वो कोई महाकाव्य लिख रहे हे ,अगर वो नहीं लिखेंगे तो पाठक उनसे मनुहार करेंगे ,विनती करेंगे नहीं नहीं आप लिखना मत छोड़िये ,आप नहीं लिखेंगे तो हम ज्ञान से वंचित हो जायेंगे ,हम आपकी रचना ना लिखने के गम में डूब जायेंगे।
कोई ये ग़लतफ़हमी नहीं रखे ,आप महीनो नहीं लिखेंगे फिर एकदम अवतरित होंगे ,3 -4 पार्ट लिखेंगे ,उम्मीद ये करेंगे की सेकड़ो की संख्या में पाठक अपनी प्रतिक्रिया दे ,वो आपको नहीं मिलती तो फिर से नाराज हो जाते हे की अब नहीं लिखेंगे।
मत लिखो आपके लिखने या ना लिखने से किसी को रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ता हे आप लिख रहे हे तो कोई एहसान नहीं कर रहे हे किसी पर ,आपसे अच्छा सा अच्छा लिखने वाले हे इस फोरम पर।
आपकी आदत में शुमार हे की पाठक आपके हर वाक्य पर वाह वह करे तो आप को संतुष्टि मिलती हे
अलविदा