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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Mujhe aisa kyun lag raha hai jaise Tri Kali ne Vyom se vivah kar liya hai.
Tri Kali ne Devi se prarthna mein Vyom ko maanga hai???

Let's see Vyom ko Aaraka island ke bare mein aur kya kya pata chalta hai.

Lovely update brother.
Vyom aur Trikali ki saadi?:woohoo:
Ha ye avasya ho sakta hai ki Trikali ne Devi se Vyom ko manga ho apne Jeevan sathi ke roop me:approve: Khair Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

ARCEUS ETERNITY

"अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तथैव च।"
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गोंजालो से युद्ध:
त्रिकाली तो व्योम केे प्यार में पड़ गयी भाई , मन ही मन उसने व्योम को अपना भी पति मान ही लिया |
ये त्रिकाली गले में रक्षासूत्र बान्धने से कही दोनों की शादी तो नहीं होगयी क्यूंकि त्रिकाली ने उस समय मंत्र भी बुदबुदाया , और उस समय त्रिकाली का मुस्कुराना ऐसा था जैसे उसने कोई विजय प्राप्त की हो|

व्योम की शक्ति का उसे खुद आभास नहीं है कि उसके पास कैसी शक्ति है और वो कितनी ताकतवार है |
कुल मिलाकर शानदार अपडेट|
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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त्रिकाली तो व्योम केे प्यार में पड़ गयी भाई , मन ही मन उसने व्योम को अपना भी पति मान ही लिया |
ये त्रिकाली गले में रक्षासूत्र बान्धने से कही दोनों की शादी तो नहीं होगयी क्यूंकि त्रिकाली ने उस समय मंत्र भी बुदबुदाया , और उस समय त्रिकाली का मुस्कुराना ऐसा था जैसे उसने कोई विजय प्राप्त की हो|

व्योम की शक्ति का उसे खुद आभास नहीं है कि उसके पास कैसी शक्ति है और वो कितनी ताकतवार है |
कुल मिलाकर शानदार अपडेट|
Trikali aur Vyom ki sadi hui ya aur kuch, iska pata aage hi chalega mitra 👍 Vyom ki shakti ka namuna to aap dekh hi chuke ho, aur aane wale updates me bhi uska jikar hoga, sayad aap pahchaan paao :shhhh: thank you so much for your wonderful review and support bhai :dost:
 

ak143

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#119.

गोंजालो से युद्ध:

(13 जनवरी 2002, रविवार, 07:10, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

पंचशूल प्राप्त करने के बाद व्योम को उसमें काफी शक्ति का अहसास होने लगा था।

व्योम ने एक नजर फिर उस मूर्ति वाली दिशा की ओर मारी और जंगल में उस दिशा की ओर बढ़ गया।

सुबह का समय था, हवाओं में ठंडक का अहसास था। सामरा घाटी में चारो ओर रंग बिरंगे फूल लगे थे, जो कि उस घाटी की सुंदरता को बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे।

रास्ते में लगे पेड़ों से व्योम ने फल खाकर पानी पी लिया था। व्योम को चलते हुए एक घंटा हो गया था।

रास्ते में व्योम को एक साफ पत्थर दिखाई दिया, व्योम कुछ देर के लिये उस पत्थर पर बैठकर इस घाटी के बारे में सोचने लगा।

व्योम को लग रहा था कि इस जंगल में अनेकों खतरों का सामना करना पड़ेगा, पर रास्ते में उसे कोई भी खतरा दिखाई नहीं दिया।

तभी व्योम को सूखे पत्ते के खड़कने की एक आवाज सुनाई दी। उसकी आँखें तुरंत आवाज की दिशा में घूम गईं।

व्योम को दूर से चलकर आता हुआ एक साया दिखाई दिया। ऐसे घने जंगल में किसी को देखकर, व्योम तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

धीरे-धीरे चलता हुआ वह साया व्योम के बगल से गुजरा। वह सामरा राज्य की खूबसूरत राजकुमारी त्रिकाली थी।

त्रिकाली का रंग दूध के समान गोरा और बाल भूरे रंग के थे।

त्रिकाली ने किसी पौराणिक राजकुमारी की तरह पीले रंग की सुंदर सी ड्रेस पहन रखी थी। उसके गले में सोने का हार और हाथों में सोने की चूड़ियां भी पहन रखीं थीं।

त्रिकाली के हाथ में एक सोने की थाली थी, जिसमें कुछ पूजा का सामान रखा था।

त्रिकाली को देखकर व्योम को बहुत आश्चर्य हुआ।

“इतने भयानक जंगल में इतनी सुंदर लड़की अकेले क्यों घूम रही है?” व्योम ने अपने मन में सोचा- “और... इसका पहनावा तो किसी राजकुमारी के जैसा है। इस लड़की के इस प्रकार घूमने में कुछ ना कुछ तो रहस्य अवश्य है?...कहीं यह उन बौनों की राजकुमारी तो नहीं है? मुझे इसका पीछा करके देखना चाहिये।”

यह सोच व्योम दबे कदमों से त्रिकाली के पीछे चल दिया।

त्रिकाली भी उसी दिशा में जा रही थी, जिधर व्योम ने एक ऊंची सी मूर्ति को पहाड़ से देखा था।

कुछ देर तक पीछा करते रहने के बाद व्योम को वह मूर्ति दिखाई देने लगी।

मूर्ति को देख व्योम हैरान रह गया। वह मूर्ति हिं..दू देवी महा…का..ली की थी। मूर्ति में देवी को नरमुंडों की माला पहने और जीभ निकाले दिखाया गया था। देवी ने अपने आठों हाथों में अलग-अलग शस्त्र को धारण कर रखा था।

“देवी की मूर्ति अटलांटिक महासागर के इस रहस्यमय द्वीप के जंगल में कहां से आयी?” व्योम को मूर्ति को देख बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा था।

त्रिकाली, मूर्ति के पास जाकर रुक गयी। त्रिकाली ने अपने हाथ में पकड़ी पूजा की थाली को वहीं जमीन पर रख दिया और देवी की मूर्ति के सामने हाथ जो ड़कर अपना सिर झुकाया।

अब त्रिकाली पूजा की थाली से सामान निकालकर देवी की पूजा करने लगी। व्योम अभी भी पेड़ के पीछे छिपा हुआ त्रिकाली को देख रहा था।

तभी व्योम की नजर त्रिकाली की ओर बढ़ रहे एक अजीब से जीव पर पड़ी।

वह जीव कई जानवरों का मिला-जुला रुप दिख रहा था।

उस जानवर का शरीर 6 फुट ऊंची एक विशाल बिल्ली की तरह का दिख रहा था, उसके सिर पर कुछ अजीब से पंखों का ताज जैसा लगा दिखाई दे रहा था। उसके शरीर पर मछली के समान गलफड़ बने थे, जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह जीव पानी में भी आसानी से साँस ले सकता है।

उस जानवर की पूंछ पीछे से किसी झाड़ू के समान थी। उसने अपने गले में धातु के लॉकेट में एक पीले रंग का रत्न पहन रखा था।

व्योम ने आज तक किताबों में भी कभी ऐसा जीव नहीं देखा था।

वह जीव दबे पाँव त्रिकाली की ओर बढ़ रहा था।

व्योम देखते ही समझ गया कि यह जीव त्रिकाली पर हमला करने जा रहा है। व्योम ने अपनी जेब से चाकू को निकालकर तुरंत अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे उस जीव की ओर बढ़ने लगा।

उस विचित्र जीव का पूरा ध्यान त्रिकाली पर था, इसलिये उसने पीछे से आते व्योम को नहीं देखा।

व्योम ने उस जीव के पास पहुंच, जोर से आवाज की।

इससे पहले कि वह जीव कुछ समझ पाता, व्योम छलांग मारकर उसकी पीठ पर चढ़ गया और अपने दोनों हाथों की कुण्डली बना उस जीव का गला पकड़ लिया।

व्योम की आवाज सुन त्रिकाली ने पीछे पलटकर देखा। त्रिकाली की नजर जैसे ही उस जीव पर पड़ी, वह उस जीव को पहचान गयी।

वह जीव जैगन का सेवक गोंजालो था, जिसमें अनेकों विचित्र शक्तियां थीं।

गोंजालो को देख त्रिकाली डर गयी, क्यों कि वह गोंजालो की शक्तियों से भली-भांति परिचित थी।

तभी त्रिकाली की नजर गोंजालो की पीठ पर बैठे व्योम की ओर गयी, जो एक साधारण चाकू से गोंजालो से भिड़ा हुआ था।

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।

तभी गोंजालो ने अपनी पीठ को नीचे की ओर सिकोड़ा और फिर बहुत तेजी से ऊपर कर दिया।

व्योम को गोंजालो के इस दाँव का कोई अंदाजा नहीं था, इसलिये व्योम गोंजालो की पीठ से उछलकर एक पेड़ से जा टकराया।

वह टक्कर इतनी प्रभावशाली थी कि वह पेड़ ही अपने स्थान से उखड़ गया।

त्रिकाली को लगा कि इतनी भयानक टक्कर के बाद तो व्योम उठ भी नहीं पायेगा, पर त्रिकाली की आशा के विपरीत व्योम उछलकर खड़ा हुआ और फिर से गोंजालो को घूरने लगा।

अब गोंजालो ने अपने सिर को एक झटका दिया। ऐसा करते ही उसके सिर पर लगे पंखों के ताज से कुछ पंख निकलकर तेजी से व्योम की ओर बढ़े। उन पंखों के आगे के सिरे, काँटों जैसे नुकीले थे।

उन पंखों का निशाना व्योम के दोनों पैरों की ओर था। काँटों को अपनी तरफ बढ़ते देख व्योम तेजी से उछला।

पर जैसे ही व्योम उछला, वह 50 फुट ऊपर तक हवा में चला गया।

यह देख गोंजालो और त्रिकाली को छोड़ो, व्योम स्वयं ही आश्चर्य में पड़ गया। व्योम अब हवा में धीरे-धीरे किसी पतंग की मानिंद लहरा रहा था।

“यह मैं हवा में कैसे लहरा रहा हूं? क्या यह उस पंचशूल की किसी शक्ति का असर है?” व्योम ने सोचा।

तभी गोंजालो की पूंछ तेजी से लंबी हुई और व्योम के पैरों में लिपट गई।
इससे पहले कि व्योम कुछ समझ पाता, गोंजालो ने व्योम को अपनी पूंछ में लपेटकर बिजली की तेजी से एक चट्टान पर पटक दिया।

एक बहुत जोरदार आवाज हुई और चट्टान के टुकड़े-टुकड़े हो गये, पर व्योम को एक खरोंच भी नहीं आयी।

यह देख त्रिकाली मंत्रमुग्ध हो गई- “वाह! कितना बलशाली पुरुष है, मैं तो इसे साधारण मानव समझ रही थी, पर इसमें तो बहुत सी शक्तियां हैं।”

त्रिकाली को अब इस युद्ध में मजा आने लगा था। वह किसी दर्शक की भांति एक पेड़ के पास खड़ी होकर इस युद्ध का पूर्ण आनन्द उठाने लगी थी।

व्योम भी स्वयं की शक्तियों से आश्चर्य में था।

इस बार व्योम ने गोंजालो की पूंछ को पकड़कर जोर से घुमाया और उसे आसमान में दूर उछाल दिया।

यह व्योम की एक छोटी सी ताकत का नमूना था। गोंजालो आसमान में बहुत ऊंचे तक गया, पर अचानक उसने अपने शरीर को सिकोड़कर अपने वेग को नियंत्रित किया और आसमान से लहराते हुए नीचे की ओर आने लगा।

इस बार गोंजालो के शरीर के मछली वाले भाग से एक बिजली निकलकर कड़कती हुई व्योम की ओर बढ़ी।

वह बिजली व्योम के शरीर से जाकर टकराई।

गोंजालो पूरा निश्चिंत था कि इस बार व्योम के शरीर के चिथड़े उड़ जायेंगे, पर गोंजालो की बिजली का व्योम पर कोई असर नहीं हुआ।

इस बार व्योम ने अपना दाहिना हाथ झटककर गोंजालो की ओर बढ़ाया।
व्योम के दाहिने हाथ में अब पंचशूल नजर आने लगा।

पंचशूल से एक बिजली की लहर निकलकर गोंजालो पर पड़ी और गोंजालो का पूरा जिस्म उस तेज बिजली से झुलस गया।

तभी हवा में एक गोला प्रकट हुआ। गोंजालो उस गोले में समा कर गायब हो गया।

उधर त्रिकाली लगातार व्योम की अद्भुत शक्तियों को देख रही थी। अब उससे रहा ना गया और वह बोल उठी- “तुम कौन हो पराक्रमी? तुम में तो देवताओं जैसी अद्भुत शक्तियां हैं।”

अपना काम करके पंचशूल वापस हवा में विलीन हो गया।

त्रिकाली को अंग्रेजी भाषा में बात करते देख व्योम आश्चर्य से भर उठा।

“मेरा नाम व्योम है, मैं तो एक साधारण इंसान हूं, यह सारी शक्तियां तो मुझे इस रहस्यमय घाटी से प्राप्त हुईं हैं। मैं अभी स्वयं इन्हें समझने की कोशिश कर रहा हूं। पर आप कौन हैं? और इस खतरनाक घाटी में अकेली क्या कर रहीं हैं? और आप इतनी अच्छी अंग्रेजी भाषा कैसे बोल रहीं हैं?”

“मेरा नाम त्रिकाली है। मैं इसी द्वीप की रहने वाली हूं और मुझे अंग्रेजी ही नहीं, और भी कई भाषाएं आती हैं।” त्रिकाली ने कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आ गये? यहां पर तो किसी का भी पहुंचना बिल्कुल
नामुमकिन सा है।”

“इस क्षेत्र में मेरी बोट का एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण भटककर मैं यहां आ गया।” व्योम ने मुस्कुराते हुए कहा- “वैसे इस द्वीप का नाम क्या है? और यह किस देश के अंतर्गत आता है?”

“इस द्वीप का नाम अराका है और यह एक स्वतंत्र द्वीप है। यह किसी देश की सीमा में नहीं आता और मैं इस द्वीप के राजा कलाट की बेटी हूं। मैं यहां देवी की पूजा के लिये आयी थी। तभी पीछे से उस जीव ने आक्रमण कर दिया था, पर आपने मुझे बचा लिया। इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।”

“अच्छा तो आप इस द्वीप की राजकुमारी हैं।” व्योम ने थोड़ा झुककर त्रिकाली को सम्मान देते हुए कहा- “लेकिन आप इतने भयानक जंगल में अकेले यहां क्या कर रहीं हैं? यहां तो हर कदम पर खतरे भरे हुए हैं।”

“मैं पूजा पर हमेशा अकेली ही आती हूं।” त्रिकाली ने कहा- “वैसे मेरे गले में हमेशा रक्षा कवच रहता है, जिसकी वजह से जंगल के कोई भी जानवर मुझ पर आक्रमण नहीं करते हैं, पर आज नहाने के बाद, मैं रक्षा कवच गले में पहनना भूल गई।”

यह कहकर त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक काले रंग का मोटा सा धागा निकाला, जिसके नीचे एक लाल रंग का रत्न लगा हुआ था।

“क्या आप यह रक्षा कवच मेरे गले में बांध सकते हैं?” त्रिकाली ने रक्षा कवच को व्योम की आँखों के आगे लहराते हुए कहा।

“जी हां! क्यों नहीं ।” व्योम ने त्रिकाली के हाथों से रक्षा कवच लेकर एक नजर उस पर डाली और फिर उसके पीछे की ओर आ गया।

त्रिकाली ने अपने भूरे बालों को अपने हाथों से आगे की ओर कर लिया। व्योम की नजर त्रिकाली की दूध सी सफेद गोरी गर्दन की ओर गई।

व्योम थोड़ी देर तक त्रिकाली को निहारने लगा, तभी त्रिकाली बोल उठी- “क्या हुआ बंध नहीं रहा है क्या?”

“न...नहीं...नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...वो...वो...मैं कुछ सोचने लगा था?” व्योम ने घबरा कर कहा और त्रिकाली के गले में उस धागे को बांध दिया।

जब व्योम, त्रिकाली के गले में रक्षा कवच बांध रहा था, तो त्रिकाली ने देवी का..ली को देखते हुए आँख बंद करके होंठो ही होंठो में कोई मंत्र बुदबुदाया, जो व्योम को दिखाई नहीं दिया।

रक्षा कवच गले में बंधते ही त्रिकाली के होंठो पर एक गहरी मुस्कान छा गई।

“ठीक से तो बांधा है ना?” त्रिकाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “कहीं खुल तो नहीं जायेगा?”

“नहीं ... नहीं …. मेरी बांधी गांठ कभी नहीं खुलती।” यह बोलते हुए व्योम के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी।

तभी त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक और रक्षा कवच निकाल लिया। व्योम की नजर अब दूसरे रक्षा कवच पर थी, जैसे वह पूछना चाहता हो कि अब इसका क्या?

त्रिकाली व्योम को इस प्रकार देखते पाकर बोल उठी- “अरे यह तुम्हारे लिये है। यहां कदम-कदम पर खतरे भरे पड़े हैं, इसलिये तुम्हारा बचाव भी जरुरी है।”

व्योम पहले तो हिचकिचाया फिर उसने त्रिकाली से रक्षा कवच अपने गले में बंधवा लिया।

रक्षा कवच बांधने के बाद त्रिकाली व्योम से बिना कुछ कहे अपनी अधूरी पूजा को पूरा करने के लिये दोबारा से देवी की मूर्ति के पास बैठ गई।

व्योम ने बीच में कुछ कहना ठीक ना समझा, इसलिये वह भी अपने जूते उतारकर, त्रिकाली के पास वहीं जमीन पर बैठ गया।

व्योम अब आँख बंद किये, हाथ जोड़े बैठी त्रिकाली को अपलक निहार रहा था।

थोड़ी देर पूजा करने के बाद त्रिकाली ने आँखें खोली और व्योम को बगल में बैठा देख मुस्कुरा उठी। फिर त्रिकाली ने देवी के सामने हाथ जोड़कर सिर झुकाया।

“तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।”

व्योम ने कुछ सोचा और फिर उसने भी देवी के सामने सिर झुकाया।

व्योम के सिर झुकाते ही उसके गले में पड़ा रक्षा कवच का लाल रत्न एक बार तेजी से चमका, जिसे चमकते देख त्रिकाली के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी।

त्रिकाली अब उठकर खड़ी हो गयी और एक दिशा की ओर चल दी।

“अरे-अरे... कहां जा रही हो आप?” त्रिकाली को जाते देख व्योम बोल उठा- “अभी तो मुझे आपसे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब चाहिये।”

“अगर जवाब चाहिये तो मेरे साथ चलना पड़ेगा। मैं यहां पर तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकती।” त्रिकाली ने कहा।

“ठीक है मैं चलने के लिये तैयार हूं।” व्योम भी त्रिकाली के पीछे-पीछे चल दिया।

जारी रहेगा_______✍️
Awesome update... Lag rha shadi hi kr li trikali ne😃
 

Raj_sharma

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Ajju Landwalia

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#118.

चैपटर-5: रेत मानव

(12 जनवरी 2002, शनिवार, 18:25, मायावन, अराका द्वीप)

चट्टानों के बाद रेत वाला क्षेत्र शुरु हो गया था।

सुयश की टीम में अब सिर्फ 5 लोग ही बचे थे। जेनिथ अब रास्ते भर मन में नक्षत्रा से बात करके खुश हो लेती थी।

तौफीक जेनिथ के अचानक बदले इस व्यवहार को समझ नहीं पा रहा था।

कभी-कभी वह जेनिथ से बोलने की कोशिश करता था, पर जेनिथ के रेस्पांस ना करने की वजह से अब वह बिल्कुल शांत हो चुका था।

क्रिस्टी भी ऐलेक्स के ना रहने की वजह से अब बोर होने लगी थी।

अलबर्ट के जाने के बाद शैफाली को भी कुछ झटका लगा था, पर वह धीरे-धीरे जंगल के हिसाब से ढल गयी थी।

एक सुयश ही था, जो कुछ नार्मल रहने की कोशिश कर रहा था।

“लगता है कैप्टेन और शैफाली को छोड़कर हम सभी इस रहस्यमय जंगल के अंधकार में खो जायेंगे?” क्रिस्टी ने दुखी होते हुए जेनिथ से कहा।

“तुम ऐसा क्यों सोच रही हो क्रिस्टी?” जेनिथ ने क्रिस्टी की ओर आश्चर्य से देखते हुए कहा।

“कैप्टेन को टैटू के रुप में कुछ शक्तियां मिल गयीं। शैफाली को आँखें मिल गयीं और कोई अंजान शक्ति उसे बार-बार बचा रही है। पर इसके अलावा जितने भी लोग हैं, वह सब एक-एक करके इस रहस्यमय जंगल का शिकार हो रहे हैं। शायद कल मेरा या तुम्हारा नाम भी गायब हो जाने वाले लोगों की लिस्ट में आ जाये।” क्रिस्टी ने नकारात्मक अंदाज में कहा।

क्रिस्टी की बात सुन जेनिथ को कुछ बोलते ना बना क्यों कि क्रिस्टी कह तो सही रही थी।

धीरे-धीरे शाम होने को आ रही थी। वह रेतीला क्षेत्र सभी को कम खतरनाक दिख रहा था।

ऐसा लग रहा था कि जैसे पहले कभी इधर से कोई नदी निकलती रही हो और अब उस नदी के सूख जाने की वजह से वह पूरा क्षेत्र रेत में बदल गया हो।

तभी इन्हे उसी रेत के एक तरफ एक छोटा पानी का जोहड़ दिखाई दिया।

“कैप्टेन, शाम होने वाली है, इस समय जंगल के अंदर कोई सुरक्षित स्थान ढूंढना बहुत मुश्किल होगा, क्यों ना हम आज रात इस रेत वाली जगह पर ही बिता लें? यहां पानी भी हमें मिल गया है।” तौफीक ने सुयश
को देखते हुए कहा।

सुयश को तौफीक का विचार सही लगा, इसलिये उसने अपना सिर हिला कर तौफीक को अनुमति दे दी।

सभी वहीं एक साफ-सुथरी जगह देख बैठ गये।

सुयश ने 2 पत्थरों की मदद से आग जला ली। खाना खा कर सभी वहीं सो गये। रात में किसी भी प्रकार की कोई मुश्किल नहीं आयी।

सुबह सभी लोग नित्य कर्मों से निवृत होकर चलने के लिये तैयार हो गये। चूंकि क्रिस्टी पहले तैयार हो गयी थी, इसलिये वह अकेली रेत पर बैठकर एक छोटी सी लकड़ी की मदद से जमीन पर ऐलेक्स का चित्र
बनाने लगी।

क्रिस्टी की ड्रांइग अच्छी थी। कुछ ही देर में उसने ऐलेक्स का चेहरा और एक हाथ जमीन पर ड्रा कर दिया, तभी जेनिथ की आवाज सुन वह लकड़ी को वहीं फेंक, अधूरा चित्र छोड़कर जेनिथ की ओर बढ़ गयी।

तभी एक अजीब सी घटना घटी। वह जमीन पर बनी अधूरी आकृति सजीव हो गयी।

उसने जमीन से अपना सिर उठा कर स्वयं को देखा और फिर कुछ दूर पड़ी लकड़ी को उठाकर अपने आधे बने चित्र को पूरा करने लगा।

लगभग 1 मिनट में ही उसने अपने पूरे शरीर को ड्रा कर दिया। अब वह रेत पर बना इंसान, सजीव होकर रेत से बाहर आ गया। धीरे-धीरे उसका शरीर बड़ा होने लगा।

तभी सुयश की निगाह उस रेत मानव पर पड़ गयी।

“सभी लोग सावधान! एक नया खतरा हमारे सिर पर मंडरा रहा है।” सुयश ने सभी को सचेत करते हुए कहा।

सुयश की बात सुनकर सभी का ध्यान अब उस रेत मानव की ओर गया। अब रेत मानव का आकार लगभग 50 फुट का हो गया था।

अब वह पास खड़े तौफीक पर झपट पड़ा। तौफीक किसी प्रकार गुलाटी मार कर रेत मानव की पकड़ से बच निकला।

यह देख रेत मानव ने दोबारा तौफीक को अपनी हथेली से पकड़ने के लिये अपना हाथ तौफीक की ओर बढ़ाया, पर इस बार तौफीक सावधान था, उसने तेजी से अपनी जेब से चाकू निकालकर रेत मानव की उंगलियां काट दीं।

रेत मानव ने अपनी कटी हुई उंगलियों की ओर देखा, तभी आश्चर्यजनक तरीके से रेत मानव की उंगलियां फिर से निकल आयीं।

यह देख तौफीक घबरा कर दूर भागने लगा।

“यह रेत मानव यहां आया कहां से?” सुयश ने चिल्लाते हुए सभी से पूछा- “क्यों कि मैंने इसे कहीं से आते हुए नहीं देखा?”

“कैप्टेन शायद यह इसी रेत से प्रकट हुआ है।” जेनिथ ने कहा- “क्यों कि मैंने भी इसे कहीं से आते हुए नहीं देखा।“

तभी रेत मानव ने क्रिस्टी पर हमला कर दिया। क्रिस्टी लगातार रेत मानव के चेहरे को देख रही थी।

उसे यह चेहरा कुछ जाना-पहचाना लग रहा था। क्रिस्टी ने उछलकर रेत मानव के वार से स्वयं को बचाया।

तभी उसकी नजर अपने द्वारा बनाये गये उस चित्र की ओर गई। वह चित्र इस समय पूरा बना हुआ था। यह देख क्रिस्टी हैरान हो गई।

“कैप्टेन!” क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “मैं अभी रेत पर ऐलेक्स का चित्र बना रही थी, यह रेत मानव शायद उसी चित्र से प्रकट हुआ है?”

इस बार रेत मानव ने सुयश पर हमला कर दिया। रेत मानव का घन जैसा घूंसा सुयश से आकर टकराया।

सुयश इस शक्तिशाली प्रहार से दूर जा गिरा। भला था कि हर जगह रेत थी, जिससे सुयश को जमीन पर गिरने से चोट नहीं लगी।

उधर क्रिस्टी समझ गयी कि यह किसी प्रकार की जादुई रेत है, जिस पर बनाई कोई भी आकृति सजीव हो जाती है।

यह सोचकर क्रिस्टी ने रेत पर इस बार एक तलवार की आकृति बना दी।

रेत पर तलवार की आकृति बनते ही तलवार सजीव हो गई, पर यह क्या? तलवार ने सजीव होते ही क्रिस्टी पर ही आक्रमण कर दिया।

यह देख क्रिस्टी भागकर उस तलवार से बचने लगी।

“कैप्टेन, मैंने रेत पर तलवार बनायी, मगर अब यह तलवार भी हम पर अटैक कर रही है।” क्रिस्टी ने चिल्लाते हुए सुयश से कहा।

“तो फिर अब रेत पर कुछ मत बनाना, यह रेत ही हम लोगों की दुश्मन है, तुम इस पर जो कुछ भी बनाओगी, वह हमसे ही लड़ने लगेगी।” सुयश ने कहा।

अब एक नहीं बल्कि 2-2 खतरे उनके सामने थे। रेत मानव लगातार सुयश पर आक्रमण कर रहा था, तो वहीं तलवार क्रिस्टी के पीछे पड़ी थी।

शैफाली एक किनारे खड़ी हो कर सब कुछ शांति से देख रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे इस लड़ाई से कोई मतलब ही ना हो या फिर उसे पता हो कि यह युद्ध कौन जीतने वाला है?

“नक्षत्रा !” जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारा- “अब तो तुम्हारी समय रोकने की शक्ति रीचार्ज हो गयी होगी, क्या अब हमें उसका उपयोग करना चाहिये?”

“बिल्कुल नहीं।” जेनिथ की आशा के विपरीत नक्षत्रा ने उत्तर दिया- “जब तक बहुत जरुरी ना लगे, तब तक तो बिल्कुल नहीं। क्यों कि यहां से बचने के बाद अगर कोई इससे भी बड़ी समस्या आयी, तो क्या होगा? इसलिये थोड़ी देर तक चुपचाप खड़ी हो कर इस युद्ध का आनन्द उठाओ, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है?”

जेनिथ को नक्षत्रा से किसी ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह हैरान रह गई।

क्रिस्टी अपनी फुर्ती से लगातार तलवार से बच रही थी। तभी उसके दिमाग में एक विचार आया।

अब वह तलवार से बचते-बचते रेत मानव के पैरों के पास पहुंच गई।

तलवार ने जैसे ही क्रिस्टी पर वार किया, क्रिस्टी ने झुककर वह वार बचाया, पर तलवार का वह वार रेत मानव का एक पैर काट गया।

रेत मानव सुयश पर वार करते-करते पैर कटने की वजह से लड़खड़ाया।

“कैप्टेन!” क्रिस्टी ने तेज आवाज में सुयश से कहा- “आप यहां से हट जाओ, मैं इन दोनों को अकेले ही संभाल लूंगी।“

यह कह क्रिस्टी अब रेत मानव के दूसरे पैर के पास खड़ी हो गई। तलवार ने एक बार फिर से क्रिस्टी पर वार किया।

क्रिस्टी ने भी पुनरावृति कर रेत मानव का दूसरा पैर भी तलवार से कटवा दिया।

सुयश अब जेनिथ और शैफाली के पास जा कर खड़ा हो गया और क्रिस्टी का यह अभूतपूर्व प्रदर्शन देखने लगा।

रेत मानव अब दोनों पैर कट जाने से जमीन पर गिर गया था। उसके पैर दोबारा से उगना शुरु हो गये थे।

क्रिस्टी अब किसी रबर की गुड़िया की तरह रेत मानव के शरीर पर चढ़ गयी और तलवार से लगातार रेत मानव के अंगों को कटवाने लगी।

रेत मानव का आक्रमण तो इस समय रुक गया था, पर उसके कटे अंग तेजी से वापस जुड़ रहे थे।
क्रिस्टी को लग गया कि इस तरह से वह इन दोनों रेत की शक्तियों से नहीं जीत सकती।

यह सोच इस बार क्रिस्टी उछलकर उस स्थान पर आ गयी, जहां पर उसने उस रेत मानव को जमीन पर ड्रा किया था।

तलवार अब भी क्रिस्टी के पीछे थी। क्रिस्टी ने तलवार से बचते हुए, रेत मानव के चित्र को, जमीन पर
हाथ फेर कर मिटा दिया।

क्रिस्टी का सोचना बिल्कुल सही था। क्रिस्टी के द्वारा रेत मानव की आकृति के मिटाए जाते ही रेत मानव वापस से बिखरकर रेत बन गया और वहां की जमीन में वापस समा गया।

यह देख सभी खुशी से चीख कर क्रिस्टी का हौसला बढ़ाने लगे।

तभी क्रिस्टी पर लगातार वार कर रही वह तलवार अचानक से रुक गयी।

अब वह तलवार क्रिस्टी पर वार करने की जगह तेजी से जमीन पर एक शेर की आकृति को ड्रा करने लगी।

जब तक क्रिस्टी कुछ समझ पाती, तलवार ने जमीन पर शेर की आकृति को पूर्णतया ड्रा कर दिया।

तलवार के द्वारा बनाई शेर की आकृति अब सजीव होकर क्रिस्टी की ओर आगे बढ़ने लगी।

यह देख सुयश तेजी से आगे बढ़कर तलवार की ओर झपटा।

पर अचानक से तलवार ने सुयश पर हमला कर दिया। सुयश अब आकृति को मिटाने की जगह स्वयं तलवार से बचने की कोशिश करने लगा।

तलवार अब एक बार सुयश पर वार करती और जब तक सुयश उठता, तब तक वह रेत पर एक भालू का चित्र ड्रा करने लगी।

उधर क्रिस्टी भी अब शेर से बचने में पूरी तरह से व्यस्त हो गयी थी। यह देख जेनिथ भागकर उस स्थान पर पहुंच गई, जहां पर क्रिस्टी ने रेत पर तलवार का चित्र बनाया था।

जेनिथ ने आगे बढ़कर रेत से तलवार का चित्र मिटा दिया, परंतु तब तक तलवार ने भालू का चित्र पूरा कर दिया था।

अब तलवार तो रेत में मिल गई, पर रेत से भालू उठकर खड़ा हो गया। लेकिन भालू ने खड़े होते ही किसी पर हमला नहीं किया, बल्कि एक तेज आवाज कर शेर का ध्यान भी अपनी ओर करवाया।

शेर अब क्रिस्टी से लड़ना छोड़ कर भालू की ओर देखने लगा।

किसी को भी समझ नहीं आया कि ये दोनों जानवर लड़ना छोड़कर रुक क्यों गये? तभी भालू और शेर एक दिशा की ओर भागे।

सभी को लगा कि जैसे वह जीत गये हों, इसलिये वह दोनों जानवर वहां से भाग रहे हैं।

पर वह दोनों जानवर बहुत विचित्र थे। भागते हुए जब दोनों जानवर रेत में काफी दूर तक पहुंच गये, तो दोनों अचानक से रुक कर, जमीन पर भयानक जानवरों की आकृतियां ड्रा करने लगे।

एक पल में क्रिस्टी समझ गयी कि अब क्या होने वाला है। उसने तेजी से भालू और शेर की बनी आकृतियों को ढूंढ कर रेत से मिटा दिया।

शेर और भालू मारे गये थे, परंतु तब तक शेर और भालू ने 5 खतरनाक जानवरों को और रेत से जिंदा कर दिया था, और उन जानवरों के चित्र उन सबसे बहुत दूर बना ये गये थे।

अब धीरे-धीरे रेत के उस किनारे पर भयानक जानवर बढ़ते जा रहे थे। जो भी जानवर रेत से उत्पन्न होता, वह हमला करने की जगह अन्य जानवरों का निर्माण शुरु कर दे रहा था।

“क्रिस्टी!” सुयश ने क्रिस्टी की ओर देखते हुए कहा- “अब हम कुछ भी नहीं कर सकते, रेत पर जानवरों की फौज बढ़ती जा रही है। किसी भी पल ये सब हम पर हमला कर सकते हैं और हम अब इनकी आकृतियों को रेत से मिटा भी नहीं सकते। हमें अब भागना ही पड़ेगा।”

“नहीं कैप्टेन, क्रिस्टी भागने वालों में से नहीं है, माना कि मेरे पास कोई चमत्कारी शक्ति नहीं है, फिर भी मैं आपसे वादा करती हूं कि मैं यहीं पर खड़े-खड़े इन सारे जानवरों को मार सकती हूं।”

क्रिस्टी के शब्दों में ज्वाला सी नजर आने लगी।

सभी भौचक्के से क्रिस्टी के चेहरे को देख रहे थे। किसी की समझ में नहीं आया कि क्रिस्टी कैसे बिना किसी शक्ति के इन सारे जानवरों को एक साथ मारने का दावा कर रही है।

तभी रेत के उस ओर से सैकड़ों की संख्या में जंगली जानवर उनकी ओर गर्जना करते हुए चल पड़े।

क्रिस्टी ध्यान से सभी को अपनी ओर आते देख रही थी, तभी क्रिस्टी ने जेनिथ, तौफीक, शैफाली और सुयश की ओर देखते हुए कहा-

“सभी लोग एक गहरी साँस ले लीजिये और नहाने के लिये तैयार हो जाइये।”

इससे पहले कि कोई क्रिस्टी के शब्दों को समझ पाता , क्रिस्टी ने रेत पर बैठकर एक नदी को ड्रा कर दिया।

क्रिस्टी के नदी को ड्रा करते ही उफान मारती नदी की एक लहर आयी, जिससे रेत पर बने सभी निशान एक साथ मिट गये और इसी के साथ गायब हो गया, हर वह जानवर जो कि रेत से बना था।

नदी की लहर ने रेत पर बनी नदी के चित्र को भी मिटा दिया, परंतु ना जाने क्यों वह नदी गायब नहीं हुई।

सभी पानी से निकलकर किनारे पड़ी रेत पर वापस आकर लेट गये।

इस खतरनाक युद्ध ने सभी को थका दिया था, फिर भी सभी की आँखों में क्रिस्टी के लिये प्रशंसा के भाव थे।

“देखा क्रिस्टी, मैं ना कहती थी कि तुम्हें इस जंगल में कुछ नहीं होगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा-
“तुम्हें पता है कि दुनिया में उत्पन्न हर जानवर चाहे एक दिन खत्म हो जाये, पर इंसान कभी खत्म नहीं होगा। क्यों कि उसके हौसले से बढ़कर कुछ नहीं है और तुम्हें एक बात और बताऊं, तुम्हें कभी भी किसी चमत्कारी शक्ति की जरुरत नहीं पड़ेगी, तुम्हारी शारीरिक फुर्ती और दिमाग ही तुम्हारी शक्ति है। आज तुमने वो कर दिखाया, जो शायद कोई चमत्कारी शक्ति वाला नहीं कर पाता। शायद इस रहस्यमयी जंगल ने तुम्हें इसीलिये चुना है।”

क्रिस्टी जेनिथ के शब्दों को सुनकर खुश हो गयी। उसने जेनिथ को गले से लगा लिया। यह देख शैफाली भी उनसे आकर लिपट गयी।

कुछ देर गले लगे रहने के बाद क्रिस्टी सबसे अलग हो गयी।

तभी क्रिस्टी को नदी में कोई सुनहरी वस्तु चमकती हुई दिखाई दी। क्रिस्टी सबसे अलग हो कर ध्यान से उस चमकीली वस्तु को देखने लगी।

क्रिस्टी के देखते ही उस वस्तु की चमक थोड़ी और बढ़ गयी। यह देख क्रिस्टी ने एक गहरी साँस भरी और पानी में छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में क्रिस्टी नदी से बाहर आ गयी। अब उसके हाथ में एक काँच की पेंसिल थी। पेन्सिल के अंदर सुनहरी रेत थी, जो अपने आप पेन्सिल के अंदर घूम रही थी। उसी रेत से सुनहरी रोशनी निकल रही थी।

“यह क्या चीज है?” सुयश ने पेन्सिल को देखते हुए पूछा।

“मुझे भी नहीं पता, मुझे तो बस ये चमकता दिखाई दिया, इसलिये मैं इसे ले आयी।” क्रिस्टी ने कहा।

“शायद इस जंगल के तिलिस्म ने आपको, आपकी ड्रांइग के लिये यह पेन्सिल दी है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “एक बार चला कर देखिये, कहीं यह कोई जादुई पेंसिल तो नहीं ?”

“एक मिनट रुको ।” सुयश ने क्रिस्टी को चेतावनी देते हुए कहा-
“एक तो यह पेन्सिल इस रेत पर मत चलाना, दूसरा अगर इससे कुछ बनाना तो ऐसी कोई खतरनाक चीज मत बनाना जो फिर से हम पर हमला कर दे।”

क्रिस्टी ने सुयश की बात को ध्यान से सुना और धीरे से सहमति से सिर हिला दिया।

क्रिस्टी ने पेन्सिल से अपनी हथेली पर एक सेब बना लिया। सुनहरी इंक से बना सेब काफी अच्छा लग रहा था।

पर उस सेब को बनाने से कोई चमत्कारी घटना नहीं घटी, यह देख सभी खुश हो गये।

क्रिस्टी ने वह पेन्सिल उस भयानक युद्ध के एक प्रतीक के तौर पर अपनी जेब में रख ली।

सभी अब उठकर आगे चलने की तैयारी करने लगे।


जारी रहेगा_______✍️

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Romanch ki koi kami nahi hone de rahe ho aap.............

Har update ke baad badhta hi ja raha he

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

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#119.

गोंजालो से युद्ध:

(13 जनवरी 2002, रविवार, 07:10, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

पंचशूल प्राप्त करने के बाद व्योम को उसमें काफी शक्ति का अहसास होने लगा था।

व्योम ने एक नजर फिर उस मूर्ति वाली दिशा की ओर मारी और जंगल में उस दिशा की ओर बढ़ गया।

सुबह का समय था, हवाओं में ठंडक का अहसास था। सामरा घाटी में चारो ओर रंग बिरंगे फूल लगे थे, जो कि उस घाटी की सुंदरता को बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे।

रास्ते में लगे पेड़ों से व्योम ने फल खाकर पानी पी लिया था। व्योम को चलते हुए एक घंटा हो गया था।

रास्ते में व्योम को एक साफ पत्थर दिखाई दिया, व्योम कुछ देर के लिये उस पत्थर पर बैठकर इस घाटी के बारे में सोचने लगा।

व्योम को लग रहा था कि इस जंगल में अनेकों खतरों का सामना करना पड़ेगा, पर रास्ते में उसे कोई भी खतरा दिखाई नहीं दिया।

तभी व्योम को सूखे पत्ते के खड़कने की एक आवाज सुनाई दी। उसकी आँखें तुरंत आवाज की दिशा में घूम गईं।

व्योम को दूर से चलकर आता हुआ एक साया दिखाई दिया। ऐसे घने जंगल में किसी को देखकर, व्योम तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

धीरे-धीरे चलता हुआ वह साया व्योम के बगल से गुजरा। वह सामरा राज्य की खूबसूरत राजकुमारी त्रिकाली थी।

त्रिकाली का रंग दूध के समान गोरा और बाल भूरे रंग के थे।

त्रिकाली ने किसी पौराणिक राजकुमारी की तरह पीले रंग की सुंदर सी ड्रेस पहन रखी थी। उसके गले में सोने का हार और हाथों में सोने की चूड़ियां भी पहन रखीं थीं।

त्रिकाली के हाथ में एक सोने की थाली थी, जिसमें कुछ पूजा का सामान रखा था।

त्रिकाली को देखकर व्योम को बहुत आश्चर्य हुआ।

“इतने भयानक जंगल में इतनी सुंदर लड़की अकेले क्यों घूम रही है?” व्योम ने अपने मन में सोचा- “और... इसका पहनावा तो किसी राजकुमारी के जैसा है। इस लड़की के इस प्रकार घूमने में कुछ ना कुछ तो रहस्य अवश्य है?...कहीं यह उन बौनों की राजकुमारी तो नहीं है? मुझे इसका पीछा करके देखना चाहिये।”

यह सोच व्योम दबे कदमों से त्रिकाली के पीछे चल दिया।

त्रिकाली भी उसी दिशा में जा रही थी, जिधर व्योम ने एक ऊंची सी मूर्ति को पहाड़ से देखा था।

कुछ देर तक पीछा करते रहने के बाद व्योम को वह मूर्ति दिखाई देने लगी।

मूर्ति को देख व्योम हैरान रह गया। वह मूर्ति हिं..दू देवी महा…का..ली की थी। मूर्ति में देवी को नरमुंडों की माला पहने और जीभ निकाले दिखाया गया था। देवी ने अपने आठों हाथों में अलग-अलग शस्त्र को धारण कर रखा था।

“देवी की मूर्ति अटलांटिक महासागर के इस रहस्यमय द्वीप के जंगल में कहां से आयी?” व्योम को मूर्ति को देख बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा था।

त्रिकाली, मूर्ति के पास जाकर रुक गयी। त्रिकाली ने अपने हाथ में पकड़ी पूजा की थाली को वहीं जमीन पर रख दिया और देवी की मूर्ति के सामने हाथ जो ड़कर अपना सिर झुकाया।

अब त्रिकाली पूजा की थाली से सामान निकालकर देवी की पूजा करने लगी। व्योम अभी भी पेड़ के पीछे छिपा हुआ त्रिकाली को देख रहा था।

तभी व्योम की नजर त्रिकाली की ओर बढ़ रहे एक अजीब से जीव पर पड़ी।

वह जीव कई जानवरों का मिला-जुला रुप दिख रहा था।

उस जानवर का शरीर 6 फुट ऊंची एक विशाल बिल्ली की तरह का दिख रहा था, उसके सिर पर कुछ अजीब से पंखों का ताज जैसा लगा दिखाई दे रहा था। उसके शरीर पर मछली के समान गलफड़ बने थे, जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह जीव पानी में भी आसानी से साँस ले सकता है।

उस जानवर की पूंछ पीछे से किसी झाड़ू के समान थी। उसने अपने गले में धातु के लॉकेट में एक पीले रंग का रत्न पहन रखा था।

व्योम ने आज तक किताबों में भी कभी ऐसा जीव नहीं देखा था।

वह जीव दबे पाँव त्रिकाली की ओर बढ़ रहा था।

व्योम देखते ही समझ गया कि यह जीव त्रिकाली पर हमला करने जा रहा है। व्योम ने अपनी जेब से चाकू को निकालकर तुरंत अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे उस जीव की ओर बढ़ने लगा।

उस विचित्र जीव का पूरा ध्यान त्रिकाली पर था, इसलिये उसने पीछे से आते व्योम को नहीं देखा।

व्योम ने उस जीव के पास पहुंच, जोर से आवाज की।

इससे पहले कि वह जीव कुछ समझ पाता, व्योम छलांग मारकर उसकी पीठ पर चढ़ गया और अपने दोनों हाथों की कुण्डली बना उस जीव का गला पकड़ लिया।

व्योम की आवाज सुन त्रिकाली ने पीछे पलटकर देखा। त्रिकाली की नजर जैसे ही उस जीव पर पड़ी, वह उस जीव को पहचान गयी।

वह जीव जैगन का सेवक गोंजालो था, जिसमें अनेकों विचित्र शक्तियां थीं।

गोंजालो को देख त्रिकाली डर गयी, क्यों कि वह गोंजालो की शक्तियों से भली-भांति परिचित थी।

तभी त्रिकाली की नजर गोंजालो की पीठ पर बैठे व्योम की ओर गयी, जो एक साधारण चाकू से गोंजालो से भिड़ा हुआ था।

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।

तभी गोंजालो ने अपनी पीठ को नीचे की ओर सिकोड़ा और फिर बहुत तेजी से ऊपर कर दिया।

व्योम को गोंजालो के इस दाँव का कोई अंदाजा नहीं था, इसलिये व्योम गोंजालो की पीठ से उछलकर एक पेड़ से जा टकराया।

वह टक्कर इतनी प्रभावशाली थी कि वह पेड़ ही अपने स्थान से उखड़ गया।

त्रिकाली को लगा कि इतनी भयानक टक्कर के बाद तो व्योम उठ भी नहीं पायेगा, पर त्रिकाली की आशा के विपरीत व्योम उछलकर खड़ा हुआ और फिर से गोंजालो को घूरने लगा।

अब गोंजालो ने अपने सिर को एक झटका दिया। ऐसा करते ही उसके सिर पर लगे पंखों के ताज से कुछ पंख निकलकर तेजी से व्योम की ओर बढ़े। उन पंखों के आगे के सिरे, काँटों जैसे नुकीले थे।

उन पंखों का निशाना व्योम के दोनों पैरों की ओर था। काँटों को अपनी तरफ बढ़ते देख व्योम तेजी से उछला।

पर जैसे ही व्योम उछला, वह 50 फुट ऊपर तक हवा में चला गया।

यह देख गोंजालो और त्रिकाली को छोड़ो, व्योम स्वयं ही आश्चर्य में पड़ गया। व्योम अब हवा में धीरे-धीरे किसी पतंग की मानिंद लहरा रहा था।

“यह मैं हवा में कैसे लहरा रहा हूं? क्या यह उस पंचशूल की किसी शक्ति का असर है?” व्योम ने सोचा।

तभी गोंजालो की पूंछ तेजी से लंबी हुई और व्योम के पैरों में लिपट गई।
इससे पहले कि व्योम कुछ समझ पाता, गोंजालो ने व्योम को अपनी पूंछ में लपेटकर बिजली की तेजी से एक चट्टान पर पटक दिया।

एक बहुत जोरदार आवाज हुई और चट्टान के टुकड़े-टुकड़े हो गये, पर व्योम को एक खरोंच भी नहीं आयी।

यह देख त्रिकाली मंत्रमुग्ध हो गई- “वाह! कितना बलशाली पुरुष है, मैं तो इसे साधारण मानव समझ रही थी, पर इसमें तो बहुत सी शक्तियां हैं।”

त्रिकाली को अब इस युद्ध में मजा आने लगा था। वह किसी दर्शक की भांति एक पेड़ के पास खड़ी होकर इस युद्ध का पूर्ण आनन्द उठाने लगी थी।

व्योम भी स्वयं की शक्तियों से आश्चर्य में था।

इस बार व्योम ने गोंजालो की पूंछ को पकड़कर जोर से घुमाया और उसे आसमान में दूर उछाल दिया।

यह व्योम की एक छोटी सी ताकत का नमूना था। गोंजालो आसमान में बहुत ऊंचे तक गया, पर अचानक उसने अपने शरीर को सिकोड़कर अपने वेग को नियंत्रित किया और आसमान से लहराते हुए नीचे की ओर आने लगा।

इस बार गोंजालो के शरीर के मछली वाले भाग से एक बिजली निकलकर कड़कती हुई व्योम की ओर बढ़ी।

वह बिजली व्योम के शरीर से जाकर टकराई।

गोंजालो पूरा निश्चिंत था कि इस बार व्योम के शरीर के चिथड़े उड़ जायेंगे, पर गोंजालो की बिजली का व्योम पर कोई असर नहीं हुआ।

इस बार व्योम ने अपना दाहिना हाथ झटककर गोंजालो की ओर बढ़ाया।
व्योम के दाहिने हाथ में अब पंचशूल नजर आने लगा।

पंचशूल से एक बिजली की लहर निकलकर गोंजालो पर पड़ी और गोंजालो का पूरा जिस्म उस तेज बिजली से झुलस गया।

तभी हवा में एक गोला प्रकट हुआ। गोंजालो उस गोले में समा कर गायब हो गया।

उधर त्रिकाली लगातार व्योम की अद्भुत शक्तियों को देख रही थी। अब उससे रहा ना गया और वह बोल उठी- “तुम कौन हो पराक्रमी? तुम में तो देवताओं जैसी अद्भुत शक्तियां हैं।”

अपना काम करके पंचशूल वापस हवा में विलीन हो गया।

त्रिकाली को अंग्रेजी भाषा में बात करते देख व्योम आश्चर्य से भर उठा।

“मेरा नाम व्योम है, मैं तो एक साधारण इंसान हूं, यह सारी शक्तियां तो मुझे इस रहस्यमय घाटी से प्राप्त हुईं हैं। मैं अभी स्वयं इन्हें समझने की कोशिश कर रहा हूं। पर आप कौन हैं? और इस खतरनाक घाटी में अकेली क्या कर रहीं हैं? और आप इतनी अच्छी अंग्रेजी भाषा कैसे बोल रहीं हैं?”

“मेरा नाम त्रिकाली है। मैं इसी द्वीप की रहने वाली हूं और मुझे अंग्रेजी ही नहीं, और भी कई भाषाएं आती हैं।” त्रिकाली ने कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आ गये? यहां पर तो किसी का भी पहुंचना बिल्कुल
नामुमकिन सा है।”

“इस क्षेत्र में मेरी बोट का एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण भटककर मैं यहां आ गया।” व्योम ने मुस्कुराते हुए कहा- “वैसे इस द्वीप का नाम क्या है? और यह किस देश के अंतर्गत आता है?”

“इस द्वीप का नाम अराका है और यह एक स्वतंत्र द्वीप है। यह किसी देश की सीमा में नहीं आता और मैं इस द्वीप के राजा कलाट की बेटी हूं। मैं यहां देवी की पूजा के लिये आयी थी। तभी पीछे से उस जीव ने आक्रमण कर दिया था, पर आपने मुझे बचा लिया। इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।”

“अच्छा तो आप इस द्वीप की राजकुमारी हैं।” व्योम ने थोड़ा झुककर त्रिकाली को सम्मान देते हुए कहा- “लेकिन आप इतने भयानक जंगल में अकेले यहां क्या कर रहीं हैं? यहां तो हर कदम पर खतरे भरे हुए हैं।”

“मैं पूजा पर हमेशा अकेली ही आती हूं।” त्रिकाली ने कहा- “वैसे मेरे गले में हमेशा रक्षा कवच रहता है, जिसकी वजह से जंगल के कोई भी जानवर मुझ पर आक्रमण नहीं करते हैं, पर आज नहाने के बाद, मैं रक्षा कवच गले में पहनना भूल गई।”

यह कहकर त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक काले रंग का मोटा सा धागा निकाला, जिसके नीचे एक लाल रंग का रत्न लगा हुआ था।

“क्या आप यह रक्षा कवच मेरे गले में बांध सकते हैं?” त्रिकाली ने रक्षा कवच को व्योम की आँखों के आगे लहराते हुए कहा।

“जी हां! क्यों नहीं ।” व्योम ने त्रिकाली के हाथों से रक्षा कवच लेकर एक नजर उस पर डाली और फिर उसके पीछे की ओर आ गया।

त्रिकाली ने अपने भूरे बालों को अपने हाथों से आगे की ओर कर लिया। व्योम की नजर त्रिकाली की दूध सी सफेद गोरी गर्दन की ओर गई।

व्योम थोड़ी देर तक त्रिकाली को निहारने लगा, तभी त्रिकाली बोल उठी- “क्या हुआ बंध नहीं रहा है क्या?”

“न...नहीं...नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...वो...वो...मैं कुछ सोचने लगा था?” व्योम ने घबरा कर कहा और त्रिकाली के गले में उस धागे को बांध दिया।

जब व्योम, त्रिकाली के गले में रक्षा कवच बांध रहा था, तो त्रिकाली ने देवी का..ली को देखते हुए आँख बंद करके होंठो ही होंठो में कोई मंत्र बुदबुदाया, जो व्योम को दिखाई नहीं दिया।

रक्षा कवच गले में बंधते ही त्रिकाली के होंठो पर एक गहरी मुस्कान छा गई।

“ठीक से तो बांधा है ना?” त्रिकाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “कहीं खुल तो नहीं जायेगा?”

“नहीं ... नहीं …. मेरी बांधी गांठ कभी नहीं खुलती।” यह बोलते हुए व्योम के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी।

तभी त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक और रक्षा कवच निकाल लिया। व्योम की नजर अब दूसरे रक्षा कवच पर थी, जैसे वह पूछना चाहता हो कि अब इसका क्या?

त्रिकाली व्योम को इस प्रकार देखते पाकर बोल उठी- “अरे यह तुम्हारे लिये है। यहां कदम-कदम पर खतरे भरे पड़े हैं, इसलिये तुम्हारा बचाव भी जरुरी है।”

व्योम पहले तो हिचकिचाया फिर उसने त्रिकाली से रक्षा कवच अपने गले में बंधवा लिया।

रक्षा कवच बांधने के बाद त्रिकाली व्योम से बिना कुछ कहे अपनी अधूरी पूजा को पूरा करने के लिये दोबारा से देवी की मूर्ति के पास बैठ गई।

व्योम ने बीच में कुछ कहना ठीक ना समझा, इसलिये वह भी अपने जूते उतारकर, त्रिकाली के पास वहीं जमीन पर बैठ गया।

व्योम अब आँख बंद किये, हाथ जोड़े बैठी त्रिकाली को अपलक निहार रहा था।

थोड़ी देर पूजा करने के बाद त्रिकाली ने आँखें खोली और व्योम को बगल में बैठा देख मुस्कुरा उठी। फिर त्रिकाली ने देवी के सामने हाथ जोड़कर सिर झुकाया।

“तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।”

व्योम ने कुछ सोचा और फिर उसने भी देवी के सामने सिर झुकाया।

व्योम के सिर झुकाते ही उसके गले में पड़ा रक्षा कवच का लाल रत्न एक बार तेजी से चमका, जिसे चमकते देख त्रिकाली के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी।

त्रिकाली अब उठकर खड़ी हो गयी और एक दिशा की ओर चल दी।

“अरे-अरे... कहां जा रही हो आप?” त्रिकाली को जाते देख व्योम बोल उठा- “अभी तो मुझे आपसे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब चाहिये।”

“अगर जवाब चाहिये तो मेरे साथ चलना पड़ेगा। मैं यहां पर तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकती।” त्रिकाली ने कहा।

“ठीक है मैं चलने के लिये तैयार हूं।” व्योम भी त्रिकाली के पीछे-पीछे चल दिया।

जारी रहेगा_______✍️

Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Trikali ko is ajeeb se jiv se vyom ne bacha liya.........

Vyom me ab kitni shaktiya aa gayi he use khud ko nahi pata............

Raksha Kavach ke rup me kaun sa locket trikali ne vyom ke gale me bandha he...........

Gazab Bhai,

Keep rocking
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

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Har update ke baad badhta hi ja raha he

Keep rocking Bro
Romanch ki kami ho jaye to Raj Sharma kis kaam ka :?: keep reading 📚 thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
 
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