- 30,172
- 68,632
- 304
इस thread per जाकर मुझे वोट दीजिए दोस्तों

Last edited:
To Rojer he rha urja roop me ishara dene wala Supreme Ship ko#76.
रोजर काफ़ी देर तक व्योम को देखता रहा और फ़िर वहां से उठकर पुनः लहरो पर दौड़ने लगा।
आकृति के पास से निकले, रोजर को लगभग 3 घंटे हो गये थे। रोजर के पास अभी भी 5 घंटे का वक्त था।
पर इतने बड़े समुद्र में वह सुप्रीम को ढूंढे कैसे? यह भी बड़ा प्रश्न था। क्योंकि रोजर को तो यह भी नहीं पता था कि सुप्रीम है किस दिशा में?
तभी रोजर को उन हरे कीड़ो का ध्यान आया-
“वह हरे कीड़े कैसे थे? और वह बूढ़ी महिला...हो ना हो वह महिला जरूर सुप्रीम की ही होगी... मुझे उसी दिशा में चलना चाहिए जिधर से वह कीड़े आ रहे थे।“ यह सोचकर रोजर ने उस दिशा की ओर दौड़ लगा दी।
रोजर को दौड़ते हुए लगभग 2:30 घंटे बीत गये, पर ‘सुप्रीम’ कहीं नजर नहीं आ रहा था।
तभी रोजर को पानी की एक लहर तेजी से अपनी ओर आती दिखाई दी।
रोजर यह देखकर वहीं लहरो पर खड़ा हो गया- “क्या यह किसी तरह का खतरा है? जो मेरी ओर आ रहा है।"
कुछ ही देर में पानी की वह लहर तेजी से रोजर के बगल से निकली। लहर की स्पीड बहुत ज्यादा थी फ़िर भी रोजर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे गया।
वह ऑक्टोपस की तरह का कोई विशालकाय जलीय जीव था, जिसकी एक भुजा में उसने लोथार को पकड़ रखा था।
उस जीव की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि रोजर के लिये उसका पीछा कर पाना असंभव था।
सेकंड से भी कम समय में वह जीव रोजर की आँखो से ओझल हो गया।
“अब तो पक्का हो गया कि सुप्रीम इसी दिशा में है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया और फ़िर पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ लगा दी।
कुछ ही देर में रोजर को ‘सुप्रीम’ नजर आने लगा।
लगभग 8 घंटे होने वाले थे। रोजर को पता था कि उसके पास समय बहुत कम है। इसिलये वह तेजी से दौड़ रहा था और इतनी ही तेजी से दौड़ रहा था रोजर का दिमाग भी।
जाने क्यों रोजर को आकृति पर भरोसा नहीं हो पाया था। उसे लग रहा था कि आकृति जरूर कुछ ना कुछ झूठ बोल रही थी।
रोजर के पास कोई चारा नहीं था, आकृति की बात मानने के सिवा, पर उसने सोच लिया था कि वह कैप्टन सुयश को सही राह ही दिखाएगा, भले ही आकृति उसे इसकी सजा ही क्यों ना दे दे।
क्यों कि सुप्रीम की जिम्मेदारी उसकी भी थी और वह नहीं चाहता था कि इतने खतरनाक द्वीप पर सुप्रीम पहुंचे।
बहरहाल उसकी सोच पर विराम लग गया क्यों कि तभी सुप्रीम से सिग्नल फ्लेयर आसमान में फ़ेंके जाने लगे।
रोजर समझ गया कि सुप्रीम के लोगो ने उसे देख लिया है।
वह फ्लेयर तेजी से आसमान में जाकर फट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे बीच समुद्र में ‘दीपावली’ या ‘बैस्ताइल डे’ मनाया जा रहा हो।
अब रोजर सुप्रीम के काफ़ी पास पहुंच गया था। रोजर को सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े दिखाई देने लगे।
अब रोजर सुप्रीम के बिल्कुल नीचे पहुंच गया।
उसे डेक पर खड़े सुयश, असलम, ब्रेंडन सहित जहाज के बहुत से लोग दिखाई दे गये। एक पल के लिये सबको इतने पास पाकर रोजर जैसे सब कुछ भूल गया।
क्षण भर के लिये मानो समय रुक सा गया।
डेक पर खड़े सभी लोग सम्मोहित अवस्था में विश्व के उस आठवें आश्चर्य को देख रहे थे। किसी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।
रोजर की निगाह अब लगातार सुयश पर थी। उसके चेहरे के भाव तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन यकीनन उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कुराहट थी।
अच्छा ही हुआ कि रोजर के शरीर से इतनी तेज रोशनी निकल रही थी, वरना उसकी चेहरा देखकर ना जाने कितने यात्री बेहोश होकर गिर जाते और सबसे ज़्यादा अचंभा तो सुयश को होता।
अचानक जैसे रोजर को कुछ याद आया। उसने पहले सुयश की ओर देखा और फ़िर अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से एक दिशा में इशारा किया।
और इससे पहले की रोजर कोई और इशारा कर पाता, रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और एक पल के लिये रोजर की आँखे बंद हो गई।
जब उसकी आँखे खुली तो वह आकृति के सामने उसके कमरे में था।
रोजर का ऊर्जा-रूप अब गायब था और रोजर का शरीर भी पत्थर से फ़िर सामान्य बन गया था।
‘सुप्रीम’ को याद कर रोजर की आँखो से 2 बूंद आँसू निकल गये, जिसे उसने तुरंत पोंछ लिया।
“क्या रहा?“ आकृति ने रोजर से पूछा- “काम हुआ या नहीं?"
“मैंने तो अपनी तरफ से कैप्टन सुयश को द्वीप की ओर आने का इशारा कर दिया, अब बाकी उसके ऊपर है कि वह मेरी बात मानता है या नहीं।" रोजर ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।
“बहुत अच्छे.... तुमने अपना काम ईमानदारी से किया है, जल्दी ही मैं तुमहें यहाँ से छोड़ दूंगी।" आकृति
ने कहा और कमरे से बाहर निकलने लगी, तभी रोजर ने आकृति को रोक लिया।
“क्या मैं आपसे कुछ प्रश्न कर सकता हूँ?" रोजर ने पूछा।
यह सुन आकृति पलटकर वापस कमरे में आ गयी और रोजर की ओर देखते हुए बोली-
“कहो.... क्या पूछना चाहते हो?"
“मैंने देखा, ये द्वीप पानी पर घूम रहा था, ऐसा कैसे संभव है?" रोजर ने पूछा।
“यह एक साधारण द्वीप नहीं है। यह देवताओ के द्वारा निर्मित द्वीप है। इसिलये यह पानी पर तैर सकता है।" आकृति ने जवाब दिया।
“पानी पर तैरना एक बात होती है, पर यह द्वीप गोल-गोल घूम रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई इसे चला रहा हो? इसके अलावा मैंने इस द्वीप से कुछ तरंगे भी निकलती हुई देखी है जो यह साबित करती है कि जरूर इस द्वीप का नियंत्रण किसी के पास है।"
रोजर के प्रश्नो में दम था क्यों कि शायद आकृति के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।
आकृति कुछ देर खामोश रही और फ़िर बोली- “इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं है। शायद देवताओ ने इस द्वीप की रक्षा के लिये, इसका नियंत्रण किसी के हाथ में दे रखा हो?"
“यह उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य है?" रोजर ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।
“वह उड़ने वाली झोपड़ी तिलिस्मा में प्रवेश करने का द्वार है। उस झोपड़ी में हम घुस तो अपनी मर्जी से सकते हैं, पर निकल नहीं सकते। वह झोपड़ी इंसान को सीधा तिलिस्मा में ले जाती है। जिसे तोड़ कर ही कोई इंसान बाहर निकल सकता है।"
आकृति ने रोजर को देखते हुए कहा- “पर मानना पड़ेगा तुम्हें, एक दिन बाहर निकलते ही बहुत कुछ देख लिया तुमने? .... और कोई प्रश्न पूछना है या मैं जाऊं?"
“एक सवाल और ...।" जिद्दी रोजर ने मस्कुराते हुए एक सवाल और कर दिया- “वह उड़नतश्तरी किसकी है और उसमें मौजूद हरे कीड़े मृत लोगों को कहाँ ले जाते हैं?"
“वह उड़नतश्तरी ‘बुद्ध ग्रह’ की रासायिनक प्रयोगशाला है। वह हरे कीड़े भी वहीं के निवासी हैं, और उन लाशों पर कुछ प्रयोग कर रहे हैं।
इसका रहस्य पिरामिड से ही पता चल सकता है। क्यों कि ‘बुद्ध ग्रह’ के लोगो का देवता भी ‘जैगन’ ही है। इससे ज़्यादा मुझे उन हरे कीडो के बारे में कुछ नहीं पता।" आकृति ने कहा।
“बुद्ध ग्रह!" रोजर यह सुनकर हैरान हो गया- “तो क्या वह हरे कीड़े ‘एलियन’ हैं?"
“हां! कुछ ऐसा ही समझ लो।" आकृति ने कहा।
रोजर के पास फ़िलहाल कोई प्रश्न नहीं बचा था। उसने जानबूझकर व्योम वाली घटना आकृति को नहीं बताई।
आकृति रोजर को शांत होते देख वापस मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गयी।
रोजर ने आकृति के जाने के बाद एक गहरी साँस भरी और वहां रखे फलों की थाली से एक फल निकालकर खाने लगा। उसने सोच लिया था कि इस द्वीप का पूरा रहस्य जानकर ही रहेगा।
शलाका महल (8 जनवरी 2002, मंगलवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)
चलते-चलते फ़िर शाम गहराने लगी थी। पर जंगल में कोई भी ऐसी जगह किसी को नहीं दिखी थी, जहां पर रात बितायी जा सके।
“अब हम क्या करेंगे कैप्टन?" असलम ने सुयश से कहा- “हमें अभी तक रात गुजारने के लिये कोई जगह नहीं मिली है और अंधेरा होने में कुछ ही मिनट अब बचा है।"
“सामने बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिसकी वजह से आगे का दृश्य ज़्यादा नजर नहीं आ रहा है, थोड़ा और आगे देखते हैं, अगर इन पेडों के पीछे भी कोई जगह ना दिखी तो हमें आज रात पेडों पर बितानी पड़ेगी।" सुयश ने कहा।
पेडों पर रात बिताने का सुन जैक और जॉनी के शरीर में झुरझुरी सी उठी, पर उन्होंने बोला कुछ नहीं।
तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला समाप्त हो गया और उन्हें कुछ दूरी पर खंडहर से नजर आये।
“अरे वाह!" एलेक्स ने खुशी से किलकारी मारते हुए कहा- “मिल गयी रात बिताने की जगह। रात बिताने के लिये ये खंडहर बिल्कुल सही हैं।"
“कोई भागकर वहां नहीं जायेगा।" अल्बर्ट ने चीखकर कहा- “पहले हमें वह जगह चेक कर लेने दो।"
अल्बर्ट की आवाज सुन भागता हुआ एलेक्स अपनी जगह पर रुक गया।
सभी अब खंडहर के अंदर पहुंच गये। खंडहर काफ़ी प्राचीन लग रहे थे। खंडहर के बाहर एक कुंआ भी बना था, जिस पर एक धातु की बाल्टी रस्सी से बंधी हुई रखी थी।
तौफीक ने बाल्टी को कुंए में डाल, पानी निकाल कर देखा। पानी बिल्कुल साफ और पीने योग्य था।
“लगता है आज से हजारों साल पहले यहां कोई रहता था?" जेनिथ ने खंडहर की दीवार को देखते हुए कहा- “खंडहर की दीवारें काफ़ी पुरानी लग रही हैं ।"
अब सभी खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।
“यह खंडहर बहुत बड़े हैं, शायद यह पहले किसी का महल रहे होंगे?" क्रिस्टी ने कहा।
“कहीं ये देवी शलाका का महल तो नहीं?" शैफाली ने एक खंभे को छूते हुए कहा- “क्यों कि ध्यान से देखिये, हर दीवार पर कुछ वैसी ही आधी-अधूरी आकृतियां हैं, जैसी हमें देवी शलाका के महल में दिखि थी?"
“आपको सामने दीवार पर कोई आकृति नहीं दिख रही क्या?" शैफाली ने ब्रेंडन से आश्चर्य से पूछा।
“नहीं!" ब्रेंडन ने संछिप्त उत्तर दिया।
अब सभी की नजर सामने की दीवार पर थी, पर किसी को भी सामने कुछ भी नजर नहीं आया। सामने की दीवार पर केवल धूल और मिट्टी दिखाई दे रही थी।
यह देख शैफाली आगे बढ़ी और उसने अपने दाहिनी हाथ से सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को हाथ से पोंछ दिया। मिट्टी के पीछे नटराज की तस्वीर थी, जो समय के साथ आधी खराब हो गयी थी।
जारी रहेगा_________![]()
Suspense kafi sulaj rhe hai to kahe ulaj rhe hai lekin safar kafi romanchakari hota jaa raha hai or majedaar bhi#77.
“ये कैसे हो सकता है?" जॉनी ने डरते हुए शैफाली की ओर देखा- “दीवार के पीछे छिपी आकृति शैफाली को कैसे नजर आ गयी?"
“मुझे लगता है कि शैफाली की आँखे जादुई तरीके से सही हुई है, इसिलये इसकी आँखों में कोई शक्ति आ गयी है?" अल्बर्ट ने शैफाली की आँखों की ओर देखते हुए कहा।
सभी को अल्बर्ट की बातों में दम दिखाई दिया।
तभी शैफाली दूसरी दीवार की ओर देखते हुए आश्चर्य से भर उठी-
“ये कैसे संभव है?"
शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उस दीवार की ओर गया, पर पिछली बार की तरह इस बार भी किसी को कुछ नहीं दिखाई दिया।
सुयश को ये कोतूहल रास ना आया इसलिए उसने आगे बढ़कर उस दीवार से भी मिट्टी को साफ कर दिया।
पर मिट्टी साफ करते ही इस बार हैरान होने की बारी सबकी थी, क्यों कि उस दीवार पर वही सूर्य की आकृति बनी थी, जो कि सुयश की पीठ पर टैटू के रूप में मौजूद थी।
अब मानो सबके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया। काफ़ी देर तक किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूटा।
“कैप्टन!"
आख़िरकार ब्रेंडन बोल उठा- “आप तो कह रहे थे कि यह टैटू का निशान आपके दादाजी के हाथ पर बना था, जो आपको अच्छा लगा और आपने इस टैटू को अपनी पीठ पर बनवा लिया। पर आपके दादाजी तो भारत में रहते थे, फ़िर बिल्कुल उसी तरह का निशान यहां इस रहस्यमयी द्वीप पर कैसे मौजूद है?"
“मुझे लगता था कि यह निशान साधारण है, पर अब मुझे याद आ गया कि बचपन में जब मैं अपने दादाजी के साथ अपने कुलदेवता के मंदिर जाता था, तो मैंने यह निशान वहां भी बना देखा था।"
सुयश ने बचपन की बातों को याद करते हुए कहा- “दरअसल हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं, मुझे लगता है कि यह निशान हमारे कुल का प्रतीक है। अब यह निशान यहां कहां से आया, ये मुझे भी नहीं पता?"
“कैप्टन, लेकिन एक बात तो श्योर है कि देवी शलाका का जुड़ाव भारतीय संस्कृति से कुछ ज़्यादा ही था।" अल्बर्ट ने एक बार फ़िर खंडहारों के देखते हुए कहा।
“शैफाली।" जेनिथ ने शैफाली को देखते हुए कहा- “जरा एक बार ध्यान से पूरे खंडहर को देखो। शायद तुम्हे कुछ और रहस्यमयी चीज मिल जाए?"
शैफाली अब ध्यान से खंडहर की दीवार और छत को देखने लगी। सभी शैफाली के पीछे थे।
एक दीवार के पास जाकर शैफाली कि गयी और दीवार को ध्यान से देखते हुए बोली-
“इस दीवार पर देवी शलाका की तस्वीर है।"
देवी शलाका का नाम सुनते ही सुयश की आँखों के सामने देवी शलाका का प्रतिबिंब उभर आया।
वह एक क्षण रुका और फ़िर सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को साफ करने लगा।
जैसे ही सुयश ने देवी शलाका की मूर्ति को स्पर्श किया, वहां से हजारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक गुलाबी मुस्कान बिखर गयी।
शलाका ने अपनी आँखों को बंद किया और धीरे से हवा में फूंक मारते हुए बुदबुदाई- “आर्यन!"
इधर अचानक सुयश को एक झटका सा महसूस हुआ। उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कान के पास ‘आर्यन’ पुकारा हो।
सुयश को झटका लगते देख अल्बर्ट ने पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टन? आपको कुछ महसूस हुआ क्या?"
“हां प्रोफेसर, मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे कान के पास ‘आर्यन’ कहकर पुकारा।" सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा।
“यह नाम भी भारतीय ही लग रहा है।“
क्रिस्टी ने कहा- “यहां कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर है? जो यहां है तो, पर हमें नजर नहीं आ रहा।"
“तुम्हारा यह कहने का मतलब है, कि यहां पर कोई अदृश्य शक्ति मौजूद है?" एलेक्स ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।
“कभी शैफाली के कानो में, तो कभी कैप्टन के कानो में यह अजीब सी आवाज सुनाई देना, यह साबित करता है, कि अवश्य ही कोई ऐसी शक्ति यहां है, जो या तो अदृश्य है या फ़िर किसी जगह से लगातार हम पर नजर रखे है।" क्रिस्टी के शब्दो में विश्वास की झलक दिख रही थी।
तभी ऐमू उड़कर एक दरवाजे के बीच लगे घंटे के आसपास मंडराते हुए जोर-जोर से चिल्लाया-
“घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे .... घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे।"
सुयश ने एक पल को कुछ सोचा और फ़िर आगे जाकर दरवाजे पर लगे घंटे को बजा दिया।
“टन्ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
घंटे की आवाज जोर से पूरे खण्डहरों में गूंजी। अचानक से उन खण्डहरों की जमीन और छत कांपने लगी।
“भूकंप ..... ये भूकम्प के लक्षण हैं।" जैक जोर से चिल्लाया।
तभी उस कमरे की जमीन, एक जगह से अंदर की ओर धंस गयी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उस जगह से जमीन के नीचे से एक प्लैटफ़ॉर्म ऊपर आता दिखाई दिया।
उस प्लैटफ़ॉर्म के ऊपर एक सुनहरे रंग की धातु का सिंहासन रखा हुआ था। जो किसी पौराणिक सम्राट का नजर आ रहा था।
उस सिंहासन के बीचोबीच एक विशालकाय ‘हिमालयन यति’ का चित्र बना था, जो अपने हाथो में एक गदा जैसा अस्त्र लिए हुए था। बाकी उस सिंहासन के चारो तरफ बर्फ़ की घाटी के सुंदर चित्र, फूल और पौधे बने हुए थे।
सिंहासन के जमीन से निकलते ही जमीन का हिलना बंद हो गया। सभी मन्त्रमुग्ध से उस चमत्कारी सिंहासन को देख रहे थे।
“कोई अभी इसे छुएगा नहीं, यह भी उन विचित्र घटनाओं का हिस्सा हो सकता है।" अल्बर्ट ने सबको हिदायत देते हुए कहा।
तभी ऐमू जाकर उस सिंहासन के ऊपर बैठ गया। कोई भी विचित्र घटना ना घटते देख सुयश भी आगे बढ़कर उस सिंहासन पर बैठ गया।
जैसे ही सुयश सिंहासन पर बैठा, उसका शरीर बेजान होकर उसी सिंहासन पर ढुलक गया।
यह देख सभी घबरा गये। अल्बर्ट भागकर सुयश का शरीर चेक करने लगा।
सुयश के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।
अल्बर्ट ने सुयश के शरीर को हिलाया, पर सुयश का शरीर बिल्कुल बेजान सा लग रहा था।
अल्बर्ट ने घबराकर सुयश की नाक के पास अपना हाथ लगाया और फ़िर उसकी नब्ज चेक करने लगा।
“कैप्टन! अब इस दुनियां में नहीं हैं।"
अल्बर्ट के शब्द किसी बम के धमाके की तरह से पूरे कमरे में गूंजे। जिसने भी सुना वह सदमें से वहीं बैठ गया।
“यह कैसे हो सकता है? कोई सिंहासन पर बैठने से भला कैसे मर सकता है?" तौफीक की आँखों में दुनियां भर का आश्चर्य दिख रहा था।
“आप सब परेशान मत होइये, कैप्टन अंकल अभी मरे नहीं हैं।" शैफाली ने कहा।
“मैं उनके शरीर से जुड़ी जीवन की डोर को स्पस्ट देख रही हूं। इसका मतलब उनका सूक्ष्म शरीर यहां पर नहीं है, परंतु उनकी मौत नहीं हुई है। वो किसी रहस्यमय यात्रा पर हैं।
वो जल्दी ही अपने शरीर में वापस लौटेंगे। हमें यहां बैठकर उनकी वापसी का इंतजार करना चाहिए।"
शैफाली के शब्द सुन सभी शैफाली को देखने लगे। किसी की समझ में तो कुछ नहीं आ रहा था, पर शैफाली की बातों को झुठलाना किसी के बस की बात नहीं थी। इसिलये सभी चुपचाप से उस सिंहासन के चारो ओर बैठकर सिंहासन को देखने लगे।
चैपटर-7: कैलाश रहस्य (आज से 5020 वर्ष पहले, वेदालय, कैलाश पर्वत, हिमालय)
सिंहासन पर बैठते ही सुयश को अपना शरीर हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गयी हो।
उसका सूक्ष्म शरीर हवा में बहुत तीव्र गतिमान था।
गाढ़े अंधकार के बाद सुयश को भिन्न - भिन्न प्रकार की रोशनियो से गुजरना पड़ा।
कुछ रोशनी इतनी तेज थी कि सुयश की आँखें ही बंद हो गयी। जब सुयश की आँखें खुली तो उसने अपना शरीर बर्फ के पहाड़ो पर उड़ते हुए पाया।
“क्या मैं मर चुका हूं? या.....या फ़िर किसी रहस्यमयी शक्ति के प्रभाव में हूं?" सुयश अपने मन ही मन में बड़बड़ाया- “यह तो बहुत ही विचित्र और सुखद अनुभूति है।"
थोड़ी देर उड़ने के बाद सुयश को नीचे जमीन पर पानी की 2 झीलें दिखायी दी। एक का आकार सूर्य के समान गोल था, तो दूसरी का आकार चन्द्रमा के समान था।
तभी सुयश को सामने एक विशालकाय बर्फ का पर्वत दिखाई दिया, जो चौमुखी आकार का लग रहा था। उस पर्वत से 4 नदियां निकलती हुई दिखाई दे रही थी।
उस पर्वत को पहचान कर सुयश ने श्रद्धा से अपने शीश को झुका लिया। वह कैलाश पर्वत था। देवों के देव, का निवास स्थान- कैलाश।
जारी रहेगा_________![]()
To main bhi ye padhne ke liye hi to likh raha hu beHe bhagwaan?
Itne saare sawaal? Ye sawal padh kar hi dimaak hil gayeab to hum paaka padhunga,
![]()
Bhai jiएक बार फ्लैशबैक मे चलते है , बीस हजार साल पूर्व के फ्लैशबैक मे । ग्रीक गाॅड पोसाइडन ने एक सुन्दरी क्लिटो से शादी करने के बाद धरती पर एक स्वर्ग की स्थापना की जिसे अटलांटिस का नाम दिया गया ।
अपनी पत्नी को उन्होने उपहार मे एक गोलाकार बड़ी सी मोती भेंट करी जिनमे ब्रह्माण्ड की अपार शक्तियां समाहित थी । यह मोती ब्रह्माण्ड के सात तत्वों - अग्नि , जल , वायु , पृथ्वी , आकाश , ध्वनि और प्रकाश को नियंत्रित करता था ।
पोसाइडन ने क्लिटो को एक अंगुठी भी भेट की थी और इस अंगुठी को धारण करने वाला ही इस मोती को कंट्रोल कर सकता था ।
इस दौरान क्लिटो ने अटलांटिस की सभ्यता को आधुनिक एवं चमत्कारिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुख सुविधा से लैस कर दिया ।
पर दुर्भाग्य से पोसाइडन किसी बात पर अपने पत्नी से क्रोधित हुए और उन्हे एक तिलिस्म मे कैद कर दिया और साथ मे अंगुठी को किसी पर्वत पर फेंक दिया ।
इस तिलिस्म के अट्ठाइस द्वार थे जिसे खोलना असम्भव था ।
लेकिन यह सब होने से पहले क्लिटो ने पांच बार जुड़वे बच्चों को जन्म दिया था और उनमे सबसे बड़ा लड़का एटलस इस अटलांटिस का शासक बना । बाकी के नौ लड़के अन्य नौ क्षेत्र के शासक बने जिसे क्लिटो ने स्थापित किया था ।
एटलस अपनी मां के साथ हुए अन्याय से दुखी भी था और क्रोधित भी । उसने अपने भाई और सैनिकों के साथ पोसाइडन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया , परिणाम स्वरूप सभी के सभी मारे गए । सिर्फ एटलस की प्रेग्नेंट बीवी लिडिया बची रही ।
पोसाइडन ने इस के बाद एक कृत्रिम तिलिस्म द्वीप ' अराका ' का निर्माण कर क्लिटो को उसमे कैद किया था । और उसने ऐसी व्यवस्था बना दी थी कि काला मोती जो क्लिटो के पास थी , वही प्राप्त कर सकता है जो एक लड़की हो , वह लड़की सिर्फ मानव हो और साथ मे देव पुत्री भी हो ।
कई हजार साल बाद इस खानदान मे ' ऐलेना ' नामक एक लड़की का जन्म हुआ । शायद यह सात हजार साल बाद हुआ । ऐलेना की शादी आकाशगंगा के एक योद्धा आर्गस से हुई । फिर इनके सात पुत्र और एक पुत्री हुई । पुत्री का नाम ' शलाका ' रखा गया ।
अब बात करते है ताजा अपडेट के बारे मे । सम्राट शिप का इस क्षेत्र मे पहुंचना कुछ प्रयोग था पर उसके अधिक संयोग था । असलम ने इस शिप को इस क्षेत्र मे लाने के लिए तिकड़म बैठाई पर सुयश और शैफाली का इस द्वीप पर आना हंड्रेड प्रतिशत कुदरती और संयोग था ।
क्यों की शैफाली के अलावा काले मोती को कोई भी धारण नही कर सकता ।
लेकिन फिर भी इस मोती को धारण करने से समस्या का हल नही होने वाला है जब तक अंगुठी की तलाश पुरी न हो । अंगुठी कहां है किसी को भी नही पता !
सुयश साहब की मुख्य भुमिका तिलिस्म के उन अट्ठाइस द्वार को पार करने मे बहुत अधिक होगी । सुयश साहब वैसे भी कुदरत प्रदत सूर्य टैटूज धारण किए हुए है और यह टैटूज कोई मानव द्वारा रचित टैटूज तो बिल्कुल ही नही होना चाहिए । मानव रचित टैटूज नर-भक्षी वृक्ष से उनकी रक्षा कतई नही कर सकता ।
कहानी वाकई बहुत ही बेहतरीन है पर सवाल कभी कम होने का नाम ही नही ले रहा है । आकृति से सुयश साहब का सम्बन्ध वर्तमान से सम्बंधित हो सकता है लेकिन शलाका से उनका सम्बन्ध धुंधला नजर आ रहा है ।
जैसा कामदेव भाई ने कहा , आप देवकी नंदन खत्री साहब और वेद प्रकाश शर्मा साहब के उपन्यास की याद दिला रहे है । मैने उन दोनो की उपन्यास पढ़ी है ।
हमेशा की तरह जगमग जगमग अपडेट शर्मा जी ।
Sahi kah rahe ho mitra,, wo jhopdi hi tilishma me jaane ka marg hai,To Rojer he rha urja roop me ishara dene wala Supreme Ship ko
Ek bat to clear ho gaye ki Samunder me kaise log gayab hue kaha gaye pata chal gaya sabhi ko alien ship me jaya gaya Kisi Research ke leye ab jane wo kya hai or kaise hai I Think jaroor ye bhi Suspense kafi tagada wala hone wala hai
.
Kher ek bat to pata chal gye ki Tilism me jane ka rasta वो हवा में उड़ती झोपडी है
Ab sawal ye hai उस झोपडी tak pahauche koi kaise or sath me wo kaun hai jo is Tilism me jayga use todne
.
Very well update Raj_sharma bhai
Kya hi batau man, ab suyash yaha aaya hai ya laaya gaya hai, ye kuch had tak story ne bata diya hai,Suspense kafi sulaj rhe hai to kahe ulaj rhe hai lekin safar kafi romanchakari hota jaa raha hai or majedaar bhi
.
Esa lagata hai Suyash jaroor Shalaka ke pass aaya hai is bar ab dekhte hai ye kitna such hai
Aap kya bolte ho Raj_sharma bhai![]()
Bolo kab chahiye update?Shalaka Devi ka mandir ka indian connection yoh sach mei connect ho gaya. Suyash ka shahir wahi hai lekin aatma ne toh space-time travel kar li. Pahuch gaya 5020 saal pehle..
Agle update ka intezaar hai..