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इस thread per जाकर मुझे वोट दीजिए दोस्तों

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Mera maan na hai ki kahani do tarfa hi jyada achi chalti hai bhai, is liye, aur Antarctica jaane ki bhi ek khaas wajah hai, jo jaldi hi pata lag jayegaBahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,
Shaifali ki request par us ped ne apne sab fal de diye................
Lekin aap Atlantis se seedha Antarctica kyun pahuch gaye???
Keep rocking Bro
Bohot sahi ja rahe ho mitra, Supreme per bhi tumhare ek do andaaje bilkul sateek baithe the, abhi Antarctica and araka per bhi ho sakta haiBadhiya update bhai
Lagta ha sari chijen shefali ke liye hi hi rahi ha wo hi bahut important person ha Araka dwip ke liye tabhi to mayavi ped bhi shefali ke sath aisa behave kiya ki jaise ki uska dost hi ho
Udhar ab sidha antarctica pahunch gaye udhar mile han kisi nayi sabhyata ke avshesh jo ki shayd atlantis se jude hon
Wo kya hai na bhaiya, aap thahre guru ghantaal, aur main spoiler dekar kahani ka maja nahi kharaab karna chahta, kyuki jise nahi bhi idea hoga, usko bhi ho jayega,पंडित जी , अब तो स्वीकार कर लीजिए कि वैशाली एक साधारण लड़की नही बल्कि आप के समुद्र के तथाकथित गाॅड पाॅसडाइन की ही वंशज है । वह ऐलेना का पुनर्जन्म है या इस पीढ़ी के आखिरी लड़की ' शलाका ' की , यह आप को डिक्लियर करना है ।
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....#58.
“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।
“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"
सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।
वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।
शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।
पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।
मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।
“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।
“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।
“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"
“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"
शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।
“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।
अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-
“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"
“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।
“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।
“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।
शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।
फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।
सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।
शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।
चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)
7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका
अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।
आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।
“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।
“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"
“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"
“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"
लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"
जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।
थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।
“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।
गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।
“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।
अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।
“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।
“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।
ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।
“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।
जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।
यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।
“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।
यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।
थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।
एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।
“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“
अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।
अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।
विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।
“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।
“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या ....?"
विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।
“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।
“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"
विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"
“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।
“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।
विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-
“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"
“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।
जारी रहेगा________![]()
बोहोत बोहोत आभार आप का कश्यप भाई, साथ बने रहिए।Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
Mast update#59.
मगरमच्छ मानव (7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)
चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।
चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।
झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।
“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।
“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।
सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।
“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"
यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।
“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"
अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।
“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"
“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।
“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"
खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।
अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।
जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।
“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"
सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।
अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।
देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।
अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“
सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।
परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।
“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"
यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।
जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।
तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।
उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।
भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।
कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।
इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।
मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।
धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।
“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"
तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।
पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।
सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।
जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।
जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।
उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।
वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।
“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"
मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।
तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।
उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।
वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।
मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।
तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।
झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।
मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।
सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।
तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"
मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।
शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।
शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।
शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।
किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।
सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।
ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।
“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।
तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।
जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।
बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।
शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।
कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।
जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।
झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।
इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।
एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।
“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।
“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।
“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।
“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"
जारी रहेगा_________![]()
Nice
जहाज के लगभग सभी पैसेंजर को मार कर , जहाज को समंदर मे डुबोकर अब यह किस युग , किस सभ्यता मे ले जा रहे हैं हम मासूम रीडर्स को !
पहले आप जहाज के पैसेंजर को जिंदा कीजिए , जहाज को समंदर से बिल्कुल सुरक्षित उसी रूप मे बाहर निकालिए , फिर हम आप के इस सभ्यता की कहानी सुनेंगे ।
वैसे इस बार आपने एक नवयुवक और उसके गर्लफ्रेंड के माध्यम से अटलांटिस के रहस्य बताने का मन बनाया है जिससे बहुत कम लोग भिज्ञ होंगे । लेकिन इस ट्विस्ट के साथ कि इसमे भारतीय पौराणिक काल का जिक्र होगा , साइंस की बात होगी और ग्रीक कल्चर का भी समावेश होगा ।
यह वास्तव मे बहुत ही कठिन टास्क होगा । इतने सारे विषयों को एक सूत्र मे पिरोना सहज कार्य तो हरगिज नही ।
खैर देखते हैं आगे आगे क्या होता है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।आउटस्टैंडिंग अपडेट ।
Maine toh pehle hi bol diya tha yahan... ke jahaj dubne wala hai...yeh Raj sir ek din Titanic dekh lete hai agle din Jumanji ke script daal de yahan
Ab dekhte hoon kya jawab aata hai![]()
Interesting update
Sure
Nice
Nope main ise sach isliye nahi manta hoon kyonki ye sabhi chije yadi sach hai hoti to sabhi ke liye ek god hota sabhi religion ka alag alag god kyon hai, mujhe lagta hai sabhi religion ne apne apne religion ko superior samjhne ke liye apne apne religion ko bata diya hai ki uske god ne pure universe ko create kiya hai.
ये धोखा है भाई। बेईमंठी है।
ऐसे थोड़े न करना चाहिए!! गेम के बीच में ही नियम बदल दिए ई चूतड पोसाइडन ने।
कुछ कुछ मेरी कहानी श्राप जैसा है ये तो !!
वेगा तो सम्मोहन क्रिया में दक्ष है। तो वीनस उसकी क्या है? Sex slave?
अब (जादुई लकड़ी के बाद) पेड़ का भी चमत्कार देख लेंगे।
बढ़िया है।![]()
वेगा= असलम??
बढ़िया अपडेट भाई जी![]()
Bahut hi shandaar update …. Ab dekhna hai deep par inke saath kya romanchak hoga…
Bahut badhiya likh rahe hai aap….
Superb update Bhai
To sabhi logo ne milkar suyash ko vapas captain bana diya hai or ab sab logo ne yah nirnay kar liya hai ki vo motor boat se mile resources ko lekar jungle me jayenge or vaha se niklane ka koi rasta dhundenge
Or ye ped bhi kafi vichitra tha
Dekte hai ab aage kya hota hai
Kafi majedaar hai Atlantic ka past lekin adhura hai abhi jane kab iske bare me or jankari milegi
.
Lekin ab esa lagata hai jis tarh se Vega bat kar raha hai jaroor ho na ho ye Vega Insaan shyad na ho
Kher
Ab aaya hai Story ka second part jaha Supreme Ship to chala gaya lekin baki ke bache hue log rat bitane ke bad subah ek sath tayaar ho gaye aage ki ladai ladane ke leye ab dekhte hai inke leye aage ye Island kya kya dikkate khadi karne wala hai
.
Jordar Update hai Raj_sharma bhai
Awesome update
सुयश ने मोटर बोट में बचे हुए समान और साथियों के साथ द्वीप की यात्रा स्टार्ट कर दी,
शुरुआत में शेफाली के सिटी वाले हल्के फुल्के मजाक से माहौल थोड़ा तनाव से बाहर आया और बगीचे में पहुंच कर एक फल वाले पेड़ के रहस्यमई हरकत से फिर तनाव ग्रस्त हो गया,
क्या शेफाली कुछ और अपने दिमाग से राय देकर स्थिति को संभालेगी या कुछ खतरनाक माहोल बनने वाला है
द्वीप की पोसडाइन वाली मूर्ति ने शेफाली के कानों में अराका की आवाज बोलकर उसका स्वागत किया या कोई चेतावनी दी,
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है शैफाली ने मर्डर केस पर अपना विचार बता दिया जो शैफाली ने बताया है वह एक दम सच हो सकता है जहाज डार्क जोन में चला गया है ये सब उसने किया है जिसने कंट्रोल रूम के स्टाफ को बेहोश कर दिया है अब ये नीली रोशनी वाली क्या थी
Khani badi h padhna kale time' chahiye
or sex wali me khud na padhati.. time hoyaga to apun padegaa pakka
शुभस्य शीघ्रम्
Nice update Raj_sharma bhai
Ab Antarctica mei bhi khoj shru hogi
Abhi abhi sokar utha hu
बहुत ही मस्त लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
मायावी पेड जिसने मन ही मन की हुई शेफाली की विनती मान कर खुद ही उनके सामने फलों का ढीग लगा दिया ये व्दीप पर पुरा मायाजाल फैला हुआ हैं जो पेड शेफाली के बाय बोलने पर खुप भी बाय का इशारा करता हैं
वैसे अंटार्क्टिका के बर्फिली जगह पर जेम्स और विल्मर ने वो रहस्यमयी सुनहरी ढाल और दिवार धुंड ली वो क्या हो सकता हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
nice update
Shaandar jabardast Romanchak Update![]()
Nice update....
Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,
Shaifali ki request par us ped ne apne sab fal de diye................
Lekin aap Atlantis se seedha Antarctica kyun pahuch gaye???
Keep rocking Bro
Badhiya update bhai
Lagta ha sari chijen shefali ke liye hi hi rahi ha wo hi bahut important person ha Araka dwip ke liye tabhi to mayavi ped bhi shefali ke sath aisa behave kiya ki jaise ki uska dost hi ho
Udhar ab sidha antarctica pahunch gaye udhar mile han kisi nayi sabhyata ke avshesh jo ki shayd atlantis se jude hon
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
Beshak shefaali ke bina koi bhi nahi bach sakta yaha per, jagah hi aisi haiMast update
Magar manav intersting
Jaisa anuman tha shefali hi khewanhar hai is musibaton ki ghadi me,