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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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अध्याय 02 का नया भाग
अपडेट 016 (A)
रागिनी अनुज स्पेशल

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पेज नंबर 1272 पर पोस्ट कर दिया गया है
कृपया पढ़ कर रेवो जरूर करें ।
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Nice update bro
Yhan to SB ek dusre se lge hn or Raj thakurain k peeche
Designer bnrk mza lootne

Hope your medical emergency are over now but now my medical condition is not good pray for me and in this mega update there is no anuj ragini scene after waiting so much and don't when you will post next update hope that I can read a anuj ragini update and full family sex before dying as your are giving update after a month routine

Super Update Bhai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ Keep it update ❤️❤️❤️❤️❤️ Awesome waiting for more

Amazing wonderful awesome update

Lajawab update Bhai....



Sonal ka intezar hai.......

कामुकता की इन्तेहा कर दिए हो भाई इस अपडेट में।

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

Kamal ka update diye hai maja aa gaya

Excellent. Now Waiting for next.

Aman & Sonal are on long honeymoon. When will they come ?

Bahut hi damdar tha bhai aapka mega update maja aa gaya.
Rangi ko kisne jate dekha ye sawal janna jaruri hai abto

बहुत ही शानदार

Superb hot update

Superb bhai ji kya update diya h tha to sab ek dusre ko santust karne me lage h

Bhai ji aap to salini or rahul ko to bhul hi Gaye h unka bhi kuch hi jata to maja dugna ho jata

कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है
पढ़ कर रेवो जरूर करें।
 

jemsaa

New Member
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Mind blowing
Bahut hhi
💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 15



चमनपुरा

किताबें लेकर अनुज किचन में टेबल पर बैठा हुआ था , बीच बीच में रागिनी उससे बात कर रही थी और अनुज की नजर भी रागिनी पर थी , स्कर्ट में उठे हुए रागिनी के मोटे चूतड़ पर सोनल के मुलायम स्कर्ट का कपड़ा एकदम चिपका था और बिना पैंटी के उसके चूतड़ों के उभार और दरार साफ झलक रहे थे,जिन्हें देख कर अनुज का लंड अकड़ रहा था ।

रागिनी सब्जी चला कर उसके पास आई और अनुज को किताबों में खोया देख उसके सर पर हाल फेरती हुई : भूख लगी न मेरा बेटा
अपनी के मुलायम और ममता भरे स्पर्श से अनुज के बदन में कंपकपी सी हुई और वो पिघलने लगा मानो : हा मम्मी , बहुत तेज
रागिनी : ठीक है तू हाथ धो ले फिर खाना लगाती हूं
फिर अनुज किताब नोट बुक्स साइड के रख कर हाथ धूल कर खड़ा हो गया और उसे कोई तौलिया नहीं मिल रहा था पोछने के लिए

रागिनी उसको इधर उधर देखता हुआ : क्या हुआ
अनुज गिले हाथों से : तौलिया ?
रागिनी ने देखा कि फिलहाल किचन में भी कोई रुमाल ऐसा नहीं था : इसीलिए मै साड़ी पहनती हूं, हाथ पोछने के लिए कपड़ा नहीं खोजना पड़ता

अनुज मुस्कुरा कर : कोई बात नहीं , मम्मी मै बाथरूम में से लेकर आता हूं
अनुज लपक कर बाथरूम में गया और वहां से तौलिया झटके से खींचा तो तौलिए के नीचे हैंगर में टंगी हुई ब्रा पैंटी की जोड़ी नीचे बाथरूम के फर्श पर गिर गई
अनुज ने जैसे ही बाथरूम के फर्श पर ब्रा पैंटी का जोड़ा गिरा पाया तो उसके मन में अपनी मां का ही ख्याल आया और उसने एक नजर दरवाजे से बाहर कमरे की ओर देखा और बिना एक पल गवाए फौरन अपने नथुनों से लगा लिया : उम्ममम मम्मी क्या मस्त खुशबू है अह्ह्ह्ह
उसका लंड पजामे के ठुमके लगाने लगा
फिर वो हड़बड़ी में अपनी मां की पैंटी को फैलाया और उसका साइज देखते ही उसे कुछ शक हुआ , क्योंकि जबसे वो दुकान पर बैठने लगा था उसे साइज के बारे में अच्छी जानकारी हो गई थी । और उस पैंटी का साइज देखने के बाद उसने जल्दी जल्दी उसका लेबल खोजा , तो उसपर 50 नंबर लिखा था । उसने अपना दिमाग दौड़ाया , भला उसके घर इतनी बड़ी गाड़ किसकी होगी । एक पल को उसका ध्यान रज्जो मौसी और शिला बुआ पर गया , मगर वो सब भी 46 वाली साइज के थे ।
जब उसने ब्रा का साइज पढ़ा तो 44E अब तो उसका माथा ही घूम गया क्योंकि इतने बड़े बड़े चूचों वाला तो उसके जानने वाले में कोई नहीं । सबसे बड़ी बात ना इस ब्रांड और साइज की पूरे चमनपुरा में कोई दुकान होगी जो ऐसे अच्छी क्वालिटी में ब्रा पैंटी रखता हो ।


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तभी बाहर से रागिनी ने आवाज दी और वो झट से कपड़े टांग कर बाहर आ गया ।
फिर दोनों के टीवी के आगे खाना खाने लगे , अनुज के दिमाग में अभी वो सवाल घूम रहे थे कि आखिर ये किसके हो सकते है लेकिन वो अपनी मां से पूछे भी तो कैसे ?
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा , खा न
अनुज बिना कुछ बोले खाना खाने लगा और फिर कुछ देर बाद कमरे में रागिनी आई : अच्छा सुन आज तू भी यही सो जाना
अनुज जो कि आज रात अपनी नई इंस्टा आईडी खोलने की सोच रहा था तो उसने जल्दीबाजी में बोल दिया कि उसे पढ़ाई करनी है अभी

रागिनी : हा तो ठीक है यही कर लेना न
अनुज को थोड़ा पछतावा होने लगा कि कल संडे हो जाएगा और वो लाली से बात भी नहीं कर पाएगा ।
रागिनी : राज भी आयेगा नहीं , और तेरे पापा वो तो ससुराल जाकर भूल ही गए है हम सबको , एक बार भी फोन नहीं किए , न हाल चाल लिया ।
अनुज : अरे मम्मी , न आपके पास फोन है और न मेरे तो किसके पास करेंगे ?
तभी अनुज का माथा ठनका " अरे यार हॉटस्पॉट भी तो नहीं है , राज भैया नहीं है तो "
फिर उसने सोचा क्यों न अपनी मां के साथ ही नजदीकिया बढ़ाई जाए ।
रागिनी मुंह बनाती हुई : अरे फिर भी हाल चाल होना चाहिए न , ना जाने क्या मिल गया है उन्हें वहां। तेरी मामी के साथ भाग गए तो
अनुज एकदम से खिलखिलाया : क्या मम्मी आप भी हीहीही
रागिनी हंसते हुए बिस्तर लगा रही थी : और क्या , तेरी मामी कहा गोरी और जवान और मै तो एक बिटिया भी ब्याह चुकी हूं
अनुज थोड़ा पोजेस हुआ जब रागिनी ने खुद को कम बताया और घुड़क कर : हा तो उससे क्या हुआ , आप मामी से ज्यादा सुंदर हो लेकिन

ये दूसरी बार था जब रागिनी ने अनुज के मुंह अपने लिए ऐसा कुछ सीरियस जैसा महसूस किया और हस्ती हुई : हा भाई मान गई, अब मुंह मत बना मै भी नहीं कहूंगी कुछ तेरी मम्मी के बारे में हीहीही खुश अब
अनुज थोड़ा शर्माने लगा और मुस्कुराने भी
रागिनी कम्बल रखती हुई : आजा बिस्तर पर वो लाइट बुझा दे , अगर पढ़ना नहीं है तो
अनुज ने सोचा अगर बत्ती बुझ गई तो उसकी जो योजना है वो विफल हो सकती है इसलिए हड़बड़ाया: नहीं मुझे लिखना है अभी कितना सारा, आज ये खत्म कर लूंगा तो कल जाऊंगा मिस जी के यहां से दूसरे नोट्स लेने है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है भाई तू लिख ले आह्ह्ह्ह मै तो सोउंगी अरे दादा उम्मम कमर अकड़ सी गई
अनुज धीरे से भुनभुनाया : और करो डांस
रागिनी हस्ती हुई : क्या बोला , पागल कही का
अनुज हसने लगा : हा इतनी तेज तेज कमर हिला रही थी तो होगा नहीं दर्द
रागिनी कुछ सोच कर मुस्कुराती हुई उसे देखी
अनुज : बाम लगा दु ?
रागिनी : अरे तू तो डांटने भी लगा अब हीही
अनुज : भक्क मम्मी , चलो लेट जाओ अच्छे से

फिर रागिनी पेट के बल होकर लेट गई और अनुज ने उसकी कमर पर बाम लगा कर उसकी नंगी चर्बीदार मुलायम कमर और आधी पीठ तक हाथ से सहलाने ।
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह तेरे हाथ कितने नरम है , तुझे तो मसाज वाली होना चाहिए था
अनुज : भक्क मम्मी
रागिनी : सच में , गांव में पहले मसाज वाली होती थी
अनुज ने पहले कभी नहीं सुना था कि गांव में मसाज वाली होती है ।
रागिनी : वो सब बड़े घरों के यहां औरतों की मालिश करती थी ।
अनुज : और मर्दों की ?
रागिनी : हा उनकी भी करती थी , लेकिन कुछ खास लोगों की ही
अनुज : क्यों ?
रागिनी : अरे पहले का पहनावा और माहौल अलग था
अनुज : मतलब ?
रागिनी : मुझे देख रहा है , ऐसे ही पहले गांव के मालिश वाली घूमती थी बिना अपनी छाती ढके , घुटने तक घाघरे को लहराते हुए , ताकि बड़े घरानों के मर्द उनको देख कर आकर्षित हो और उन्हें मालिश के लिए बुलाए और उन्हें ज्यादा पैसा मिले
अनुज कुछ सोचता हुआ : तो क्या वो लोग उनके साथ कुछ जबरजस्ती नहीं करते थे
रागिनी : होता था बहुत बार , लेकिन ज्यादातर मालिश वाली खुद इनसब के लिए तैयार होती थी ।
अनुज का लंड अब हरकत करने लगा था और उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था जिससे उसकी धड़कने तेज होने लगी थी । लेकिन वो चुप था
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा है
अनुज : मम्मी आपको एक बात बताऊं, आपकी कसम मै झूठ नहीं बोल रहा

रागिनी फिकर में उसे अपने पास करती हुई सीने से लगाने लगी : हा बोल न बेटा , इतना डर क्यों रहा है ।
अनुज अपनी मां से चिपका हुआ और भी कमोतेजित महसूस कर रहा था : वो जब हम लोग नानू के यहां जाते थे तो मैने वहां दो तीन बार नानू के कमरे में एक औरत को जाते देखा था फिर वो घंटे भर तक कमरे बंद रखते थे । एक बार उनसे पूछा तो कि नानू वो कौन थी तो कह रहे थे कि मालिश वाली है ।

रागिनी एकदम से चुप हो गई क्योंकि वो अपने बाप बनवारी की हरकतों से परिचित थी
अनुज : क्या हुआ मम्मी बोलो न
रागिनी : हा वो थोड़ा तेरे नाना को पैर के दिक्कत होती है , उसी की तो दवा भी चलती है ।
अनुज : और एक बात बताऊं मम्मी
रागिनी का दिल डर रहा था कि कही गलती से अनुज ने अपने नाना को गलत हालातों में देख न लिया हो ।
रागिनी : हा बोल बेटा
अनुज : नानू बहुत गंदे है
रागिनी की सांसे तेज होने लगी और वो समझ गई कि जरूर अनुज ने बनवारी को कुछ ठरकीपना करते देखा है : नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते , तू अभी ये सब समझने के लिए बहुत छोटा है ।

अनुज : मै सच कह रहा हूं मम्मी , आपकी कसम , भैया की कसम
रागिनी की हालात खराब होने लगी कि वो कैसे उसे समझाए : बेटा देख अम्मा ( अनुज की नानी ) को गुजरे कई साल हो गए हैं जब हम लोग छोटे थे तभी और बाउजी थोड़े रोमेंटिक है ये बाती सब जानते है । लेकिन बेटा वो किसी के साथ जबरजस्ती नहीं करते । उनकी अपनी जरूरत है बस इसीलिए ।

अनुज अब चुप था और फिर बोला : लेकिन दो दो औरतों के साथ
रागिनी चौकी : क्या दो दो के साथ ?
अनुज : अब कभी चलना नानू के यहां तो मै दिखाऊंगा आपको कौन थी वो दोनों
रागिनी : अच्छा ठीक है ठीक है, छोड़ अब वो बातें । कहा से तेरे दिमाग में आ गई । पढ़ ले थोड़ा
अनुज मुस्कुरा कर किताबों की ओर हो गया और रागिनी करवट लेकर घूम गई ।
अपनी मां से इतनी बड़ी बाते साझा कर उसने समझा कि शायद उसे अब इतना भी नहीं डरना चाहिए जितना वो डरता है और उसके जहन में एक और सवाल ने जगह बना ली ।

अनुज : मम्मी
रागिनी : अब क्या हुआ ?
अपनी मां की खीझा देख
अनुज एकदम से डाउन हो गया : सॉरी कुछ नहीं
रागिनी कम्बल से मुंह निकाल कर करवट लेकर उसकी ओर घूमती हुई : क्या हुआ भाई बोल न
अनुज : वो आपके बाथरूम में किसी गेस्ट के अंडरगारमेट छूट गए है , जब मैने तौलिया लेने गया तो नीचे गिर गया था
रागिनी हंसते हुई : पागल गेस्ट के कहा से रहेंगे , मेरे होगे
अनुज : नहीं , उतना बड़ा थोड़ी न आपका होगा
अनुज की बात सुनकर कर एकदम से रागिनी का माथा ठनका और उसे याद आया कि वो अपनी समधन ममता की ब्रा पैंटी मांग कर लाई थी । इससे पहले वो कुछ बोलती अनुज झट से बेड से उछल कर बाथरूम में भागा: रुको दिखाता हु

फिर अगले ही पल बिजली की तरह वापस आ गया : देखो , 50 नंबर और ये 44 इतना बड़ा कोई नहीं पहनता ।

रागिनी को हंसी भी आ रही थी और थोड़ी शर्म भी अनुज के आगे , लेकिन अनुज एकदम कैजुअल था
अनुज उसके हाथों में देता हुआ : किसकी है ये
रागिनी : ठीक है रख दे तेरी मौसी या बुआ की होगी
अनुज : नहीं मम्मी, मौसी की कैसे होगी उनकी ब्रा का साइज 42 है
रागिनी ने एकदम से घूरा
अनुज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल रागिनी की ये सोच कर हसी आई कि इसे कैसे पता रज्जो का साइज ।
अनुज सफाई देता हुआ : वो जब पिछले साल पूजा पर मौसी आई थी तो आप ही दुकान से निकाल कर लेकर गई थी उनके लिए भूल गई ।
रागिनी को याद आया कि रज्जो कपड़े लेकर नहीं आती थी और रज्जो को उसके ब्लाउज फिट नहीं आ रहे थे इसीलिए वो उसको ब्रा निकाल कर दी थी

रागिनी अपना माथा पकड़ कर : हे भगवान , क्या क्या याद रखता है तू । छोड़ होगी किसी की
अनुज : लेकिन किसकी ?
रागिनी थोड़ी बिगड़ी : सब कुछ तुझे जानना जरूरी है । पढ़ाई तो तुझे करनी नहीं है इधर उधर की बाते कर रहा है । बत्ती बुझा कर सो जा ।
अनुज को पसंद नहीं आया और वो अपनी किताबें उठाया और बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर निकल गया ।
रागिनी ने उसको आवाज दी लेकिन वो राज के कमरे में चला गया ।
रागिनी खुद को कोसने लगी कि क्यों उसने डाटा उसे , जानती है कि वो कितना भोला है, जल्दी चिढ़ जाता है कुछ बोलो तो ।
लेकिन गलती तो उसकी ही थी , लापरवाही में उसने सोचा ही नहीं कि काम के बाद समान उसके जगह पर होना चाहिए। अब कोई चारा नहीं था सिवाय अनुज को मनाने का इसलिए वो उठ कर गई राज के कमरे की ओर जाने लगी ।


शिला के घर

" उम्ममम अभी छोड़ दे बेटा , खाने के बाद आती हूं न तेरे पास अह्ह्ह्ह उम्मम"


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" उफ्फ बड़ी मामी कितना मुलायम दूध है आपका , अह्ह्ह्ह उम्मम " अरुण रज्जो के ब्लाउज खोलकर उसके चूचे चूस रहा था दोनों हाथ से पकड़ कर ।
रज्जो खड़े खड़े उसके सर को सहलाती हुई : बस अह्ह्ह्ह्ह रुक न उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो उससे अलग होकर अपना बड़ा सा मम्मा हाथ से अपनी ब्लाउज में डाली और हुक लगाती हुई अपना पल्लू सही करने लगी
फिर अरुण की ओर देखा जो लोवर में बने तंबू को ऊपर से मुठिया रहा था और उसकी आंखों में चुदाई की तड़प तैर रही थी : बदमाश कही का हिहिही
अरुण : मामी पक्का आओगी न
रज्जो : मै अपना वादा नहीं भूलती
फिर रज्जो उसके कमरे से निकल कर किचन की ओर गई , जहां कम्मो एक नाइटी में थाली में खाना परोस रही थी
रज्जो उसके पास गई और उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : अब किसको परोसने जा रही हो जानेमन
कम्मो : ओह भाभी आप ,
रज्जो : तू तो बड़ी चालू निकली , मैने सोचा आग लगाऊंगी थोड़ा ड्रामा होगा
कम्मो : चालू तो आप भी कम नहीं है , मुझे दीदी के पास भेज कर खुद भाई साहब के साथ उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : अब क्या करती , बेचारे की बीवी उन्हें धोखा दे रही थी तो अब उनको संभालना भी तो जरूरी था , नहीं तो टूट जाते बेचारे
कम्मो : सही किया , मै भी क्या करती खड़ा हथियार हम बहनों की कमजोरी है
रज्जो : ओह्ह्ह
कम्मो: और क्या , हम बहने हथियार हथियार में भेद नहीं करती । मिल बाट कर रहने में क्या बुराई है भला ।
रज्जो : वैसे दो चार हथियार मायके में भी है , वहा से भेदभाव क्यों हीहीहीही
कम्मो के कान खड़े हो गए : क्या धत्त तुम भी न भाभी , छोड़ो जरा भाई साहब को खाना दे दु ।
रज्जो : और उनको ( रामसिंह )
कम्मो मुस्कुराई और इठलाती हुई : वो अपनी खुराक ले रहे है ऊपर
फिर किचन से मानसिंह के पास चली गई ।
बिना एक पल गवाए फौरन वो भी उसके पीछे हो ली
इधर कम्मो जैसे ही मानसिंह के कमरे में दाखिल हुई : उम्हू इतना किसे याद कर रहे है
रज्जो कमरे के बाहर रुक गई और हल्के से अंदर झांका तो देखा मानसिंह अभी भी नीचे कुछ नहीं पहना था और उसका खड़ा लंड उसके हाथ था और वो सोफे पर था
मानसिंह कम्मो को देखते ही अपना लैपटॉप साइड कर कम्मो को अपनी गोद में बिठाता हुआ : आह मेरी जान , तुम्हारे बिना इसका मन नहीं लग रहा था तो भुलवा रहा था मै
कम्मो उसका खड़ा लंड पकड़ती हुई : अच्छा जी , फिर तो इसे भूख भी नहीं लग रही होगी
मानसिंह सिहरता हुआ : भूख तो बहुत है इसे मेरी जान , पर मेरी भूख का क्या ?
कम्मो : तब तो आप दोनों की भूख एक साथ मिटानी पड़ेगी
और अगले ही पल कम्मो ने अपनी जांघें खोलते हुए अपनी नाइटी उठाने लगी और मुंह से थूक लेकर उसे मानसिंह के सुपाड़े पर लगा कर अपनी बुर पर टिकाते हुए 8 इंच का मोटा लंबा तना हुआ लन्ड अपनी बुर में लेती हुई बैठ गई , उसकी चिपकी हुई सुखी बुर में मानसिंह का लंड रगड़ता हुआ अंदर जाने लगा और कम्मो जब पूरा लंड अंदर ले ली तो अपने साथ लाई हुई थाली आगे करके एक एक निवाला बनाती हुई मानसिंह को खिलाने लगी : अब ठीक है न
मानसिंह मुस्कुराने लगा और वही रज्जो कमरे में आती हुई : अरे ठीक क्यों नहीं रहेगा , ऊपर नीचे दोनों तरफ से परोस रही हो
एकदम से रज्जो के आने से कम्मो शर्मा गई

रज्जो : उन्हूं उठना मत वरना मै बैठ जाऊंगी
रज्जो ने मानसिंह को आंख मारी और मानसिंह मुस्कुराने निवाला चबाते हुए
कम्मो : धत्त भाभी ,आप तो ऊपर जा रही थी न
रज्जो : हा लेकिन फिर सोचा कही नंदोई जी को कुछ नमकीन चाहिए होगा तो पूछ लु , क्यों नंदोई जी नमक कम तो नहीं
मानसिंह कम्मो के कूल्हे आगे पीछे करता हुआ : चटक खाना मुझे पसंद है भाभी , मिल तो कोई बुराई नहीं
रज्जो समझ गई और अगले ही पल सोफे पर आकर खड़ी होकर साड़ी उठाती ही अपनी बुर को मानसिंह के मुंह के पास ले गया


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मानसिंह उसकी गदराई जांघों को थमता हुआ उसके बुर ने अपना मुंह दे दिया : सीईईईई अह्ह्ह्ह थोड़ा आराम से नंदोई जी गिर जाऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम
कम्मो रज्जो की हरकत देख कर जोश में आ गई और मानसिंह के लंड पर मथने लगी , उसका लंड अपने बुर ने नचाने लगी और उसका लंड अपनी बुर ने पूरी तरह चोक कर सुरकने लगी : अह्ह्ह्ह मेरी जान उफ्फ तेरी इसी अदा पर तो मै उम्ममम यश माय बेबी उम्मम फक्क मीईई
रज्जो अलग हो गई और मानसिंह के बगल में बैठ गई और सीने पर हाथ फेरने लगी , वही मानसिंह कम्मो के चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा
कम्मो मानसिंह का मोटा लंड अपनी बुर में अंदर तक महसूस कर रही थी और उसपर मस्ती छा रही थी
उसके कम्मो की नाइटी निकाल दी और उसको पूरी नंगी कर दिया
कम्मो के गोल और कसे हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे देख कर रज्जो की आँखें फैल गई


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और इधर मानसिंह देरी न करते हुए कम्मो का की एक छाती पकड़ कर मुंह लगा दिया : उफ्फ मेरे राजा उम्मम यशस्श उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सक इट उम्मम सीई अह्ह्ह्ह गॉड
कम्मो पूरी तरह पगला गई थी , और तेजी से मानसिंह के लंड पर मथने लगी , मानसिंह की चुची का निप्पल खींच रहा था
रज्जो से रहा नहीं गया वो भी कम्मो की दूसरी हिलती हुई छाती को छूने लगी : उफ्फ कम्मो रानी तुम्हारे जोबन तो बड़े कड़े अह्ह्ह्ह
कम्मो रज्जो के स्पर्श से अकड़ने लगी , उसकी जांघें फड़फड़ाने लगी , जिसका सीधा असर मानसिंह के लंड पर हो रहा था : सीईईईई अह्ह्ह्ह भाभी यह क्या कर उम्ममम अह्ह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
रज्जो उसके निप्पल पर पास उंगलियों को घुमाती हुई : क्या हो रहा है मेरी जान , यहां कुछ हो रहा है
कम्मो तड़प कर सिसकती हुई मानसिंह के लंड पर अपनी गाड़ हिला रही थी : हा भाभी उफ्फ नहीइई ( एकदम से रज्जो ने उसके निप्पल पर जीभ फिराई और होठों से चूसने लगी ) सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् आयेगा आयेगा अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
एकदम से कम्मो कांपने लगी, उसने एक हाथ से मानसिंह का तो दूसरे हाथ से रज्जो से सहारा ले रखा था ,लेकिन नीचे उसके पैर थरथरा रहे थे और मानसिंह के लंड पर वो ऐसे झड़ रही थी मानो पेशाब कर रही थी
जैसे जैसे कम्मो झड़ रही थी , दोनो उसके चूचों को कस कर चूस रहे थे और फिर एकदम से सुस्त हो गई और मानसिंह के सीने पर ढह गई । लेकिन रज्जो के बुर में अभी भी चूल हो रही थी और मानसिंह को देखा तो वो भी सुस्ता रहा था , जैसे मानो कम्मो के साथ वो भी झड़ गया हो ।
रज्जो ने उन्हें आराम करने दिया और अपने लिए खाना लेने किचन की ओर चली गई

सरोजा के घर

रात गहरा रही थी और बाहर के मेहमान लगभग सब जा चुके थे , घर की कुछ औरते और बच्चे थे उन सब को ठकुराइन खाना खिलाने और सुलाने की व्यवस्था देख रही थी ।
राज सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल देख रहा था , आज उसके नीलू दीदी वाले व्हाट्सअप ग्रुप में भी हॉस्टल की मस्तियों वाली तस्वीरें आई थी , सिम्मी जो अपने घर गई थी वो शायद वहा की मस्ती मिस कर रही थी
ऐसे में राज ने भी सरोजा के घर का स्नैप बना कर डाल दिया

नीलू : yo bro !! Smart choice 😎
तभी सिम्मी ने भी रिप्लाई किया : yaar sb koi masti kar rahe hai , ek mai hu ki ghar par aayi hu
तभी चारु ने एक फोटो डाली जिसमें कुछ लड़कियां बैठी चियर कर रही थी और राज ने देखा उसमें एक लड़की के हाथ में बियर बोटल थी ।
तभी झट से नीलू ने वो फोटो डिलीट कर दी । राज समझ गया हॉस्टल में सर्दियां कुछ ज्यादा ही है ।
अक्सर इस ग्रुप में मैसेज फोटो आते है राज कभी उन पर उतना ध्यान नहीं देता , बस चुपचाप सीन करके निकल जाता है । तभी उसकी नजर सिम्मी के डीपी पर गई और उसने उसका प्रोफ़ाइल खोला


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क्या गजब की खूबसूरत दिख रही थी वो , वही बिंदास अंदाज खुले बाल कैजुअल लुक और उभरे हुए गोल मटोल चूचे एकदम टाइट और कड़े ।

" वाव सो सेक्सी , वैसे कौन है ये " , एकदम से राज के कानों में संजीव ठाकुर की आवाज आई और वो हड़बड़ा गया ।
राज अपने बगल में देखता हुआ झट से मोबाइल लॉक कर दिया : अरे अंकल आप ?
संजीव : रिलैक्स बेटा , वैसे थी कौन वो
राज हड़बड़ाने लगा : जी अंकल वो मेरी बुआ की लड़की है उसकी दोस्त है
संजीव : बात होती है
राज अभी भी थोड़ा डर रहा था : हा हम सब एक कॉमन ग्रुप में है बस उसी में
संजीव : कभी पर्सनली हाय हैलो नहीं किया
राज : जी नहीं
संजीव : बेटा कब करेगा , चलो अभी करो
राज मुस्कुराने लगा : नहीं मै बाद में कर लूंगा
संजीव : अरे मै जानता हु तुम्हारी भी आदत रंगी की तरह से टालते तुम दोनों को ,
राज : अगर उसे पसंद नहीं आया तो ?
संजीव : पहले ट्राई तो करो , इतना भी क्या डरना
राज : आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे , वो पट ही जाएगी हीहीही
संजीव : अगर तुझे नहीं करना ट्राई तो नंबर मुझे दे मै बात कर लूंगा
राज हंसता हुआ आंखे बड़ी कर : हा , बोलूं आंटी को
संजीव ठहर गया : क्या यार तू भी
राज समझ रहा था कि वो नशे में है शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही फ्रांक हो रहा है ।
राज मुस्कुरा कर : अच्छा ठीक है नहीं कहता , लेकिन मुझे शक है जरूर बाहर कोई gf होगी आपकी क्यों ? हीहीही
संजीव उसके कंधे पर हाथ रखे हुए अपनी लाल आंखों से मुस्कुराया : तू और तेरे पापा दोनों बहुत चालू चीज हो , बात कहा तेरी थी अब मेरे ऊपर घुमा दिया , सही है गुरु
राज हसने लगा : आखिर बेटा तो उन्हीं का हू हीहीही, वैसे एक बात पूछूं अंकल
संजीव : हा बोल न बेटा
राज : कम से कम 3 4 तो होंगी ही आपकी हिहीही क्यों ?
संजीव : खींच रहा अब मेरी हां ?
राज हंसता हुआ : सॉरी हीही
संजीव : 3 4 नहीं है , बस एक ही है और खबरदार अपनी आंटी को बताया तो ?
राज की आंखों के चमक उठी और वो चहक कर : फोटो दिखाओ तब न मानू
संजीव ने फिर अपने कोट की जेब से अपना मोबाइल निकाला और कुछ टिप टॉप कर एक फोटो दिखाई


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क्या गजब का गोल चेहरा , बड़ी बड़ी आंखे , बड़ी ही बिंदी माथे पर सिंदूर , बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में चुस्त और चौड़े कूल्हे उसकी वेशभूषा को देखते ही राज के मुंह से निकला : बंगाली है ?
संजीव आस पास देखा : हा , तुझे कैसे पता ?
राज मुस्कुराने लगा : बस पता चल जाता है , लेकिन तो शादी शुदा है
संजीव दबे हुए आवाज में : अफेयर में क्या कुंवारी या शादी वाली , खुल कर देने वाली होनी चाहिए
राज एकदम से चौक गया और सन्न भरी मुस्कुराहट से संजीव को देखा ।
राज : वैसे अन्दर और भी फोटो है देखा मैने , वो सब कौन है
संजीव ने आस पास देखा और धीरे से फोल्डर से एक दो तस्वीरें निकाली ,
वो फोटो देखते ही राज की आंखे बड़ी हो गई, एक होटल में स्विमिंग पूल की तस्वीरें थी जिसमें वो दो बड़ी बड़ी मोटी मोटी गाड़ और चूचियों वाली औरतें पूरी तरह से नंगी पूल में थी


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राज : ये कौन है और इनके साथ आप कैसे ?
संजीव : एक बार फॉरेन ट्रिप का पैकेज मिल था , मेरे बिजनेस कंपनी से वही की है , सुजैन और मरियम , सीईईई कमाल की औरत थी दोनो

राज थूक गटक कर : दोनो के साथ ?
संजीव : अरे वहा तो जितना बड़ा चाहो ग्रुप बना लो , मुझे बड़ी दिग्गी का शौक है तो ....
फिर संजीव मुस्कुराने लगा
राज आंखे नचा कर मुस्कुराता हुआ : वैसे फिर कभी और ट्रिप पर नहीं गए
संजीव : अभी इसी साल समर में बना रहा था , लेकिन तेरे पापा तैयार नहीं हुए
राज चौक कर : क्या पापा के साथ ?
संजीव : हा वो सोनल बिटिया की शादी तय हो गई थी न
राज अभी भी हैरान था : हा लेकिन पापा के साथ ? क्या वो भी बाहर ?
संजीव एकदम से चुप हो गया
राज : अंकल बोलिए न
संजीव : अह ये मै ... सॉरी बेटा मुझे
राज : प्लीज अब तो बता दो , कौन सा मै मम्मी से कहने जाऊंगा ये सब बातें
संजीव हस कर : ये हुई न बात , फिर तो जोड़ी जमेगी अपनी , वैसे ड्रिंक करते हो
राज ने भिनक कर नाक सिकोड़ते हुए ना में सर हिलाया तो संजीव : चलो कोई नहीं , तुम तो हम दोनो की दोस्ती जानते हो । लेकिन जैसे तुम्हारे पापा के नाम में रंगी है वो बहुत ही रंगीला आदमी है ।
राज मुस्कुराने लगा और वो समझ भी रहा था ।
संजीव : वैसे खाना खाया तुमने
राज : हा खा लिया
संजीव उसका कंधा थपथपा कर : चलो थोड़ा खुले में चलते है और फिर वो ऊपर जाने लगे , तभी ऊपर के गलियारे से सरोजा नाइट गाउन में आती दिखी ।
संजीव ने जैसे ही सरोजा को देखा तो असहज हो गया और सरोजा भी नजरे चुराने लगी ।
लेकिन हम उसे गलियारे से होकर जाना था तो संजीव : सरोज , जरा बाकी मेहमानों का देख लेना उन्हें सोने का दिक्कत न हो
सरोजा : जी भैया और वो नजरे नीची किए हुए निकल गई और जाते हुए एक बार संजीव ने घूम कर उसको देखा ।
राज को समझ आ रहा था थोड़ी देर पहले कुछ जरूर हुआ था लेकिन बात तो तब खुलेगी जब वो सरोजा से बात करेगा ।
संजीव : आओ राज इधर
ये ठकुराइन का ही कमरा था
राज : मुझे लगा हम छत पर जा रहे है
संजीव : अरे भाई सर्दी है कहा ऊपर जाएंगे
फिर संजीव उसे आराम से सोफे पर बैठने को कहता है
राज उसके बोलने की राह देख रहा था
संजीव : ओह हा , एक बात कहूं यकीन करोगे ?
राज मुस्कुरा कर : कहिए
संजीव : मुझे बिगाड़ने वाला रंगी ही था , शादी के पहले से हमारी दोस्ती थी जब वो लोग गांव पर रहते थे । कभी बाग बगीचे घूमना , मेरी गाड़ी पर घूमने का बड़ा शौक था रंगी को ।
राज बड़ी उत्सुकता से सुन रहा था ।
संजीव : मै उसे अपने शहर के कालेज के बारे में बताया , वहा की लड़कियों के बारे में , ऐसे में उसे एक रोज अपने कालेज ले गया गाड़ी से ही , बिना घर बताए हम दोनो निकल गए । भाई मेरा लड़कियों को देखने के तरस रहा था तो मैने भी ठाना इसको शहर की हवा खिला दु , पूरे 65 km मै बाइक चला कर ले गया और वहां जाने के बाद हमने 2 घंटे कैंपस में लड़कियां देखी , और यकीन नहीं मानोगे वहां उसे लड़की पसंद आ गई
राज की आंखों में चमक उठी : क्या सच में
संजीव हस कर : ठरकी ने आधे घंटे तक मुझे छोड़ कर उसका पीछा किया , उसका दिल आ गया था उस लड़की के मोटे चूतड़ों पर
राज थोड़ा खुले शब्दों से असहज हुआ मगर संजीव को जैसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था : उसके चक्कर अब लगभग हर हफ्ते उसे मै कैंपस लेकर आता और 3 महीने की मेहनत के बाद वो सेट हो गई । वो बाद में उसने बताया कि कमीना बीच बीच में खुद बस से शहर जाता था देखने के लिए।
राज हसने लगा : फिर
संजीव : फिर क्या , शहर के पार्क में चुम्मिया साझा हुई लेकिन तड़प तो उसे किसी और चीज की थी , आखिर उसने मुझे अपनी दिल की बात कह दी और कहा कि मै कुछ कमरे का बंदोबस्त करु
राज चौक कर : क्या सच में , वो सब करने के लिए
संजीव : हा भाई ,
राज : फिर आपने क्या किया
संजीव : वही कालेज में मेरी एक दोस्त थी , कुसुम उसका घर वही शहर में था ।
राज : ओह दोस्त या फिर हिही
संजीव हस कर : हा भाई वही थी,
राज : सीरियस वाली या टाइम पास
संजीव : सीरियस कुछ तेरे बाप ने रहने कहा दिया , छोड़ आगे बताऊंगा वो सब
राज हसने लगा
संजीव : तो मैने कुसुम के यहां बात की , पहले वो नहीं मानी लेकिन फिर मैने उसे मना लिया अपने तरीके से , फिर उन्हें एक कमरा मिला और उस रोज भाई की सील टूटी , 3घंटे तक साला बाहर नहीं आया ।
राज हस रहा था
संजीव : फिर उस रोज के बाद कई बार मैने उन्हें कुसुम के यहां मिलवाया , फिर वो हर हफ्ते मिलने को कहता तो जब मुझे लगा बात बिगड़ रही है , तो मै मना करने लगा, और उसको समझाने लगा कि बता किसी दिन बिगड़ जाएगी लेकिन वो नहीं माना और वो खुद बिना मुझे बताए कुसूम से रिक्वेस्ट करके मिलने लगा इस बीच वो लड़की अपने गांव चली गई और इसकी तड़प कम नहीं हुई साला मुझे भनक तक नहीं लगी और उस ठरकी ने मेरी बंदी कुसुम को पता लिया , कुछ बार के बाद उसने खुद मुझे सब बताया और मुझे समझ आ गया कि जैसा नाम वैसी उसकी फितरत है हाहाहाहा
राज संजीव को मुस्कुराता देख : आपको बुरा नहीं लगा कि पापा ने आपकी gf पटा ली
संजीव : उस पर मेरी जिंदगी उधार है बेटा , अगर वो कहे कि मै वसु को पटा लू तो भी मै उसे रोकूंगा नहीं
राज : वसु कौन ?
संजीव : अरे मेरी बीवी तेरी आंटी वसु
राज : क्या ?
संजीव बेशर्मी से हस्ते हुए : और मुझे पता भी है साला देखता भी होगा वसु को , उस ठरकी का कोई भरोसा नहीं ।
राज मुस्कुराने लगा : वैसे आंटी है ही ऐसी कि कोई उन्हें न देखे ऐसा हो ही नहीं सकता
संजीव ने उसे गौर से देखा तो राज हस कर सफा देने लगा : मेरा मतलब बहुत खूबसूरत है
संजीव मुस्कुरा कर : हा पता है मुझे
राज : तो आप कुछ बता रहे थे
संजीव : हा , फिर जब उसने कुसुम के बारे में बताया तो साथ में एक ऑफर भी दिया कि अपनी बंदी मुझसे मिलवाएगा
राज हैरान होकर मुस्कुराता हुआ : क्या सच में ?
संजीव : हा और उसने अपना वादा निभाया लेकिन जगह हमने दूसरी चुनी , शहर के बाद एक खंडर था वहा गए और मैने तब पहली बार अहसास किया कि क्यों रंगी उस लड़की के लिए पागल था
राज थूक गटक कर अपना लंड पेंट में दबाता हुआ : क्यों ?
संजीव आंखे बंद कर हवा में हाथ लहराने लगा , और छवियां बनाने लगा : सीईईई उस पल को सोचता हूं तो आज भी खड़ा हो जाता है , और उसके मोटे मोटे रबर जैसे नरम चर्बीदार चूतड़ों का अहसास , खासकर उसको घोड़ी बना कर चोदने में जो मजा था , जितना तेज मारो उतना उछाल देती सीई

संजीव : लेकिन कालेज खत्म होने के बाद कुसुम और उससे मिलना छूट गया और हम दोनो तनहा हो गए । फिर रंगी के पिता जी ने गांव में कुछ जमीन बेच कर यहां चमनपुरा में जमीन लेली बजार में फिर दुकान खुल गई तो हम दोनो पहले से ज्यादा मिलने लगे । पता है वो तुम्हारे पुराने घर के सामने वाले मुहल्ले में रुबीना रहती है ।
राज समझ गया : हा हा जानता हूं
संजीव : मैने कुछ खबर सुनी थी कि उसके यहां लोग पैसे देकर जाते है और मैने ये बात रंगी से कही , रुबीना के भड़कीले चूतड़ों की चाल किसे पसंद नहीं आती और मैने उसे दिखाया । उसकी तड़प बढ़ गई लेकिन दिक्कत ये थी कि हम लड़के थे और वो हमसे ज्यादा बड़ी थी । शब्बो उसकी लड़की तब छोटी थी । जैसे किस्मत बुलंद थी हमारी उन दिनों और एक रोज मैने उसे यहां अपने गोदाम पर देखा । बाउजी ने बुलाया था ।
राज ने चौंकने का नाटक किया : क्या ?
संजीव : अब जरूरतें तो सबकी होती है बेटा , मैने एक चिट्ठी लिखी ब्लैकमेल भरी रुबीना को कि मै ये बात अपनी अम्मा को कह दूंगा और फिर वो तैयार हो गई । फिर हमने तय किया कि उसे ऐसी जगह बुलाया जाए जहां किसी को कोई शक न हो और तब हमने तय किया कि रंगी की नई बर्तन वाली दुकान पर बुलाते है । सबसे पहले रंगी ने अपने बाउजी को बताया कि उसने सुना है चमनपुरा में बाहर से चोर आए है । उन दिनों संजोग से कुछ बंजारे करतब दिखाने के लिए गांव के बाहर नदी के पास डेरा लगाए थे । रंगी के बाउजी को यकीन हो गया लेकिन पहले दो दिन तो वो ही रात के खाने के बाद सोने आए , फिर तीसरे रोज रंगी आया और फिर उस रात तुम्हारी दुकान बर्तन देर रात तक खनकते रहे । बारी बारी से हमने रूबीना के छेद भरे ।
राज का लंड ये कहानी सुन कर हथौड़ा हो गया था और उसे जरा भी हिचक नहीं हो रही थी संजीव के सामने अपना सुपाड़ा मिजने में

संजीव मुस्कुरा कर : अभी से परेशान हो गए
राज मुस्कुराने लगा : अच्छा तभी से आपको बड़ी दिग्गी वाली गाड़ी पसंद आने लगी
संजीव ठहाका लगाते हुए : सही कहा , लेकिन फिर बारी बारी हमारी शादी हो गई । कुछ साल तक रंगी ये सब भूल गया और एकदम से सब कुछ बंद कर दिया , क्योंकि उसे तुम्हारी मां से बहुत मुहब्बत थी , मैने भी उसके नक्शे कदम पर चलना चाहा मगर मेरे काम ने मेरा साथ नहीं दिया ।
राज : फिर
संजीव : बिजनेस कंपनी की ट्रिप और बड़ी दिग्गी की लालच में मैने कुछ साल बाद फिर शुरू कर दिया , लेकिन मुझे पुरानी बाते याद आती और मेरे दोस्त का साथ याद आता । तो मैने एक प्लान बनाया और बिजनेस के सिलसिले में उसे भी साथ ले गया । होटल में हमने एक ही कमरा लिया और फिर डिनर के मेन्यू के साथ एक और बुक आई ।
उसने खोला था वो भी एक खास तरह का मेनू था जिसमें लड़कियां चुन कर रात बीता सकते थे । वो एकदम से मना कर दिया तो मैने उसे अपनी दोस्ती की कसम देदी और फिर जबरन उसे मेरे खातिर एक गदराई औरत चुनी और फिर हमने मिलकर उसको नहलाया । लेकिन मै मान गया रंगी को उसने ये बात बिल्कुल भी तुम्हारी मां से नहीं छिपाई और बता दिया
राज : क्या सच में ? फिर
संजीव : पता नहीं क्या बात हुई लेकिन रंगी ने उसके बारे में कोई चर्चा नहीं किया । और आगे मुझे कभी उसके जबरजस्ती नहीं करनी पड़ी । जब मेरा मूड होता वो तैयार होता , कभी एक तो कभी दो दो के साथ बदल बदल कर हमने मस्ती की समझा ।

राज ने गहरी सांस ली: उफ्फ मान गए आप लोगों को हिही
तभी संजीव की नजर दरवाजे के बाहर गुजरती हुई सरोजा पर गई और वो थोड़ा उठने लगा , लेकिन राज इस बात से बेखबर था ।
राज : क्या हुआ
संजीव : कुछ नहीं , तुम यही आराम करो कमरे में , मै थोड़ा नीचे देख लू सब कुछ ठीक है न
राज : लेकिन ये तो आपका कमरा है
संजीव : तुम कोई गेस्ट नहीं मेरे , बेटा कि तुम्हारे लिए अलग कमरा देखूंगा तो आराम करो यही , तुम्हारा ही घर है ।
राज मुस्कुराने लगा और संजीव तेजी से बाहर निकल गया । राज भी खड़ा होकर अपना लंड सेट करता हुआ कमरे के बाथरूम में चला गया ।

मंजू - मुरारी

ड्राइवर के होने से मुरारी एकदम शांत हो गया था और उसे बेबस देख कर मंजू की हंसी नहीं रुक रही थी । अब तो बस रात भर का सफर बचा था और सुबह तड़के चमनपुरा पहुंचने वाले थे । लेकिन मुरारी आज इस मौके को छोड़ना नहीं चाहता था ।
वो धीरे धीरे सरक कर मंजू की ओर आ गया , ड्राइवर अपने सुरूर में कान में इयरफोन लगाए किसी से बात करते हुए आगे देख रहा था ।
जैसे ही मुरारी उसके करीब हुआ मंजू शांत हो गई उसके बदन में कंपकपी सी होने लगी , उसकी सांसे तेज होने लगी और वो ना में सर हिला कर मुरारी को किसी भी तरह की हरकत के लिए मना करने लगी ।
मुरारी ने नीचे ही अंधेरे में अपना हाथ पीछे के जाकर उसकी कमर में हाथ डाल दिया और फिर उसके फैले हुए कूल्हे सहलाने लगा । मंजू उसके स्पर्श से कसमसाने लगी और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
तभी मुरारी ने पीछे से वो हाथ निकाल कर आगे उसके नरम चर्बीदार पेट पर फिराने लगा , उसकी नरम चर्बीदार नाभि को हथेली में भरने लगा , मंजू ने सिसक कर उसकी कलाई पकड़ ली : उम्मम नहीं प्लीज
मुरारी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पजामे में बने हुए तंबू पर रख दिया : उफ्फ अब रहा नहीं जा रहा
मंजू उसके लंड का सुपाड़े का कड़कपन महसूस कर पूरी तरह से घिनघिना गई , उसकी सांसे गर्माहट से भरने लगी , आज पूरे दिन मुरारी ने जितनी हरकते की और उसकी बातों से वो खुद वासना से भर चुकी थी । और आज मुरारी ने उसपर जो अहसान किए उसके धुएं ने अब मदन की छवि धुंधली कर दी थी । वो चाह कर भी मुरारी को कुछ भी मनमानी करने से रोक नहीं रही थी और उसकी हथेली में आलू जैसे कड़े सुपाड़े का अहसास उसे बदन में बिजलियां गिरा रहा था ।
मंजू : हम पकड़े जाएंगे , आप समझते क्यों नहीं
मुरारी ने एकदम से उसका हाथ छोड़ दिया और बैग से एक बड़ी सी चादर निकाल कर दोनों को ढक दिया ।
मंजू निशब्द हो गई थी मुरारी की चतुराई के आगे और उसने मुस्कुरा कर मुरारी को देखा ।
मुरारी फिर से उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर रख दिया और एक बार फिर मंजू के भीतर बादल घुमड़ने जैसा हुआ और उसकी नथुनों से गर्म सांसे उफनाने लगी , मुरारी ने उसकी हथेली को कस कर अपने लंड पर दबाया और उसका लंड उससे दुगनी ताकत के साथ अपनी नसे टाइट कर दी और ऊपर उठने लगा । मंजू ने महसूस किया कि किसी असल फौलाद को पकड़े हुए थे , उसकी गर्मी से अब उसकी हथेली पसीजने लगी थी और उसने थाम लिया उसका लंड पूरा सुपाड़े के नीचे पजामे में आलू की तरह उसका सुपाड़ा उभर आया ।
मुरारी की सांसे चढ़ने लगी और मंजू की नरम हथेली ने उसका लंड हिलाने लगी ।
मुरारी ने वापस चादर के नीचे और पीछे से मंजू की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने करीब कर लिया
मंजू हल्की सी सिसकी और मुरारी की ओर देखने लगी फिर उसके कंधे पर सर टिका दी ।
अब गाड़ी के साथ साथ मुरारी का पिस्टन भी ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी शरारती उंगलियां दूसरी तरफ से चादर के नीचे ही मंजू के ब्लाउज तक आ गई थी
मंजू दांत पिसती हुई : वहा कहा ले जा रहे है सीईईईई आह्ह्ह्ह आराम से उम्मम
मंजू के कहने से पहले ही मुरारी ने उसके चूचे को पकड़ लिया और उसको सफेदा आम की तरह टटोल टटोल कर घुलाने लगा , मंजू की पकड़ और मजबूत हो गई मुरारी के लंड पर
मुरारी ने दूसरा हाथ भी लगा दिया और अब दोनो हाथों से वो मंजू के दोनों चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसल रहा था । मंजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन मस्ती में वो भी झूम रही थी ।
बात आगे बढ़ी और मुरारी हुक खोलने लगा एक हुक खुला तो एकदम से मंजू चिहुकी और सीने पर उसका हाथ रोक दिया : नहीं पागल मत बनिए अब
मुरारी उसको नाराज नहीं करना चाहता था : अच्छा ठीक है नहीं खोलता हु
और अगले ही पल उसने अपनी सामने वाला हाथ ऊपर से उसके कसे ब्लाउज में घुसा दिया और दूसरी तरफ वाली नंगी चुची को पूरा हथेली में भर दिया , मंजू एकदम से चौक गई , उसकी पीठ पर ब्लाउज पूरा टाइट हो गया था और आगे से मुरारी उसकी तनी हुई घुंडी घुमा रहा , उसकी हालत खराब होने लगी उसने पूरी ताकत से मुरारी का लंड पकड़ लिया: उम्ममम निकालिए न दर्द हो रहा है
मुरारी : इसीलिए तो खोल रहा था
मंजू : धत्त बड़े वो हो आप अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
मुरारी हल्की आवाज में : परेशान न हो उसे भनक नहीं होगी
मंजू तो जैसे फुसल गई और मुरारी एक एक करके उसके सारे हुक खोल दिया और उसकी नंगी आजाद चुचियों को भर भर कर मसलने लगा । मंजू अपनी सिसकियां पीने लगी और मुरारी की कड़क हथेली में मिजती अपनी चूचियों अजीब सी ना मिटने वाली कुलबुलाहट महसूस करने लगी
मुरारी : अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है दूध तुम्हारे मंजू
मंजू सिसक कर : बोलना जरूरी है
मुरारी उसके गाल चूम कर : नाराज क्यों होती हो , तारीफ ही तो कर रहा हूं ये लो अह्ह्ह्ह
मुरारी वही दूसरी ओर अपना पजामा खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया और मंजू को पकड़वा दिया ।
मोटा लंबा खूंटे जैसा तपता लंड का स्पर्श पाकर मंजू पूरी तरह हिल गई : कितना टाइट है
मुरारी : जबसे तुम्हारे चूतड़ों को देखा है तबसे ऐसे ही है
मंजू भुनकती हुई : ऐसा कुछ बचा है जो नहीं देखा आपने , ऊपर नीचे सब तो देख लिए सीईईई अह्ह्ह्ह
मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ उसके अपने लंड की ओर झुकाने लगा : जाओ तुम भी देख लो
मंजू उसक इरादा समझ रही थी और उसे हंसी आ रही थी , फिर मुरारी ने जगह बनाई और मंजू सरक कर चादर के नीचे उसकी गोद में आ गई पेट पर जहां मुरारी का लंड ठीक उसके आगे था जिसमें से तेज मादक गंध आ रही थी और मंजू के नथुने फूलने लगे , थूक से मुंह भरने लगा और उसने ऊपर मुंह उठाए सुपाड़े का मुंह अपने होठों के पास लिया और भर लिया
मंजू के गिले नरम होठों का स्पर्श पाकर मुरारी का लंड और फूलने लगा , मंजू की बेचैनी उसकी बुर से रिसाने लगी थी वो मुरारी का लंड पाकर पूरी तरह से अब झिझकना छोड़ चुकी थी और उसने वैसे ही मुरारी की गोद में लेटे हुए उसका लंड चूसने लगी । मुरारी इस बात का पूरा ध्यान दे रहा था कि ड्राइवर को पता भी चले इसलिए उसने मंजू को अच्छे से धक रखा था और चादर के नीचे अभी भी उसका एक हाथ मंजू की नंगी चूचियां टटोल रहा था ।
मंजू चादर नीचे अब अफ़नाने लगी थी , सही पोजीशन न होने से उसके मुंह में दर्द होने लगा था और मुरारी का लंड एकदम कड़ा था ।
उसने लेटे हुए अपने ब्लाउज सही किए और धीरे से उठ गई ।
मुरारी सवालिया अंदाज में : क्या हुआ
मंजू मुंह बना कर अपने गाल छूती हुई : दर्द होने लगा और क्या
मुरारी मुस्कुराया : इसलिए तो कह रहा था होटल में रुकते है
मंजू : धत्त , उसकी छोड़ो अब क्या करें मुझे , मै ... परेशान हु बहुत ज्यादा
मुरारी : तो क्या करे , इधर हम लोग एक्सप्रेस वे पर है , कुछ घंटे तक होटल नहीं आयेगे ।
मंजू : भक्क , आप बहुत बुरे हो, खुद परेशान थे मुझे भी कर दिया
मुरारी : सॉरी न, अब क्या करु
मंजू तुनक कर मुंह फूला ली : पता नहीं मै नहीं जानती
मुरारी उसकी नाराजगी समझ रहा था और अब उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे तो उसने नीचे से मंजू की साड़ी ऊपर करनी शुरू कर दी और मंजू एकदम से चौक गई और चादर में थोड़ी हाथों की नोक झोंक होने लगी: क्या कर रहे है आप
मुरारी : शीई, तुम्हारी परेशानी कम कर रहा हूं
मंजू उसे रोकती तबतक चादर के नीचे मुरारी के हाथ उसकी जांघों तक पहुंच गए और उन्हें दबोचने लगे , मंजू की सिसकिया उठने लगी और धीरे धीरे उसकी उंगलियां मंजू के बुर की के बढ़ने लगी और उसने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर छूने लगा ।
मंजू की सांसे एक बार फिर बिगड़ने लगी और लंबा सफर अब और लंबा होने लगा , गाड़ी हाइवे पर आगे बढ़ रही थी और इधर मुरारी की उंगलियों ने अपना करतब शुरू कर दिया था ।


प्रतापपुर

राजेश को गए काफी समय हो गए थे, बबीता की चूत रस से सनी हुई थी , उसने मोबाइल खंगाल कर पुराने वीडियो निकाले थे जिसमें उसके पापा किसी के साथ चुदाई कर रहे थे और उन्हें देखते हुए कंबल में झड़ गई ।
फिर थोड़ी देर फिल्म देखा और फिर उसका दिल नहीं माना तो वापस से दूसरी विडियोज देखने लगी , उसके पापा का मोटा लंड जब किसी की बुर में घुसता उसकी बुर चिपकने लगती आपस में और दाना फड़कने लगता वो सिन देख कर , मोबाइल में समय 11 बजने को हो रहे थे और बबीता जो सोच कर आई थी राजेश ने उसपर जरा भी ध्यान नहीं दिया । बस काम में लगा रहा ।
कंबल के नीचे बिस्तर पर टेक लेकर अपनी गीली बुर को कुरेद रही थी , उसकी ऊनी पैजामी उसकी घुटनों के नीचे थे , ब्लूमर के जांघों की लास्टिक की खींच कर उंगली बुर को छू रही थी ।
मोबाइल में बड़ा ही रसदार सिन चल रहा था , जिसमें राजेश किसी औरत की रसीली छातियां मिज रहा था और वो औरत सिसक रही थी ।
इधर राजेश भी काम के बीच में बबीता के हाल चाल लेने कमरे में आया तो देखा कमरे की बत्ती बुझी है और उसे हल्की आवाज आ रही थी मोबाइल से लेकिन स्पष्ट नहीं ।
वो समझ गया कि बबीता अभी भी जाग रही थी ।
उसने कमरे में आते ही दरवाजा लगाया और बत्ती जला दी : गुड़िया , अभी सोई नहीं बेटा
बबीता ने जल्दी जल्दी मोबाइल में प्लेयर बदल कर एक मूवी चालू कर दिया जिसका वॉल्यूम तेज था : वो मै फिल्म देख रही थी , आपका काम हो गया क्या पापा
राजेश ने अपनी आंखे महीन की : फिर से झूठ , अभी मै आया तो फिल्म की आवाज इतनी तेज तो नहीं आई , क्या देख रही थी तू
राजेश के मुस्कुराते चेहरे को देखकर बबीता को जरा भी डर नहीं लगा और वो मुस्कुराने लगी और कम्बल में दुबकने लगी
राजेश उसके पास जाकर कंबल उठा तो देखा बबीता की पायाजामी घुटने के नीचे : फिर से ! मना किया था न तुझे
राजेश उसके पास बैठ गया और बबीता चुप हो गई : सॉरी पापा
राजेश : सॉरी की बच्ची , मार खाएगी अब बदमाश
बबीता मुस्कुराने लगी और अपने पापा से चिपकने लगी
राजेश : कबसे देख रही है तू उम्मम जबसे गया हु तबसे न
बबीता : नहीं बस अभी अभी चालू किया
राजेश ने उसकी आंखों में देखा कितनी चंचल और मादक थी : रुक अभी पता चल जाएगा
और अगले ही पल उसने कम्बल हटाया और बबीता की जांघें खींच कर फैला दी : अह्ह्ह्ह
बबीता की सिसकी निकल गई और उसकी सांसे तेज हो गई और तभी राजेश ने अपनी उंगलियां उसकी गीली ब्लूमर पर चूत के पास रख कर टटोली , और वो पूरी तरह से गीली थी : मुझसे झूठ बोल रही है, कबसे देख रही थी तभी न इतना निकला है
बबीता शर्माने लगी और राजेश की उंगलियों के स्पर्श ने उसकी बुर की फड़फड़ाहट बढ़ा दी ।
बबीता ने खुद से वहा मच रही खुजली के लिए अपनी उंगलियों से रगड़ा
राजेश : अरे फिर से
बबीता : नहीं वो खुजली हो रही है वहां
राजेश खुद से उसके ब्लूमर को जांघों के पास साइड कर बुर गीली बुर पर उंगली रखते हुए : यहां पर क्या
बबीता ने आंखे बंद कर ली और सिसकने लगी : हा पापा वही पर
राजेश उंगली फिराने लगा और बबीता की बुर टपकने लगी : उफ्फ कितनी गीली कर ली है तूने , इतना अच्छा लग रहा था वीडियो
बबीता आंखे बंद किए : हम्ममम बहुत सीईईई आप देखोगे तो आपका भी हो जायेगा
राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने बबीता को छोड़ कर मोबाइल में वही वीडियो चालू कर दिया जो बबीता ने छोड़ा था । आवाज आते ही बबीता की आंखे खुली और वो चौक गई कि उसके पापा उसके आगे ही वीडियो चला रहे है : अह्ह्ह्ह सच कर रही है तू , सीमा की छातियां बड़ी मुलायम है

बबीता : ये कौन है पापा
राजेश अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ : मम्मी से तो नहीं कहेगी न
बबीता ने मुस्कुरा कर न सर हिलाया
राजेश : ये मेरे दोस्त की बहन है
बबीता : क्या ?
राजेश : हम्म्म , है न खूबसूरत
बबीता मोबाइल में अपने पापा को उस औरत की रसीली छातियां नंगी मिजते देख कर अपनी बुर सहलाने लगी और राजेश भी अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह पता है एक बात बताऊं इसके बारे में
बबीता गर्म होने लगी : हा पापा बताओ न
राजेश : इसके दूध पकड़ो तो ये नीचे कस कर पकड़ लेती थी
बबीता मुस्कुराने लगी थोड़ी शर्म आ रही थी उसे , राजेश उसे शर्माता देख : अह्ह्ह्ह सोच कर परेशान हो गया
बबीता : बाहर कर लो न
राजेश ने उसे देखा और मुस्कुरा कर अपना पजामा और अंडरवियर के लंड बाहर कर दिया
एकदम अकड़ा खूंटे जैसा टाइट लाल सुपाड़ा ऊपर की ओर मुंह उठाए : अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उफ्फ दर्द होने लगा था अंदर
बबीता बस आंखे फाड़ कर उसके लंड को देखे जा रही थी , उसकी बुर रस बहा रही थी और अंदर से टपक रही थी
राजेश : क्या हुआ गुड़िया

बबीता हसरत भरी नजरो से मुस्कुराकर ना में सर हिलाते हुए वीडियो देखने लगी जिसमें वो औरत उसके पापा का लंड घुटने के बल होकर उसके दोनों हाथों से सहला रही थी


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राजेश अपना लंड हिलाते हुए : उम्मम कितना नशा सा हो जाता है उसके छूने से
बबीता मुस्कुराने लगी वो अपने पापा का इरादा समझ चुकी थी लेकिन पहल कैसे करे ।
राजेश बबीता को फुसलाता हुआ : पता है तेरी मम्मी को भी मेरा ये खूब पसंद है वो तो मिल जाए तो छोड़े न इसे
बबीता मुस्कुराकर अपने पापा को देखी : पापा मै पकड़ लूं
राजेश के कान में ये शब्द आते ही उसके लंड की नशे तन गई और धड़कने तेज : हा पकड़ कर देख कैसा है
बबीता ने हाथ निकाला और राजेश का लंड थाम किया , एकदम टाइट जैसे कोई बांस का खूंटा , कड़क तपता हुआ : गरम और कड़ा है उफ्फ बड़ा भी है वीडियो से


GIF-20250805-154827-973
राजेश आंखे बंद करके सिहर उठा बबीता की कोमल हथेलियों में अपना लंड महसूस कर : उफ्फ गुड़िया तेरे हाथ कितने नरम है
बबीता उसका लंड आगे पीछे करने लगी और दूसरा हाथ भी उसका अपनी बुर मसल रहा था : आपको अच्छा लगता है न पापा ऐसे
राजेश के भीतर जैसे कामुकता के बादल घुमड़ने लगे और वो आंखे बंद कर गहरी सास लेता हुआ : सीईईई हा बेटा बहुत ओह्ह्ह्ह
गुड़िया : पापा आपका ये बहुत अच्छा है , बड़ा भी है
राजेश ने दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़ कर अपने हाथ उसके जांघ पर ले गया : तुझे पसंद आया बेटी उम्मम
बबीता ने उसकी ओर देख हा में सर हिलाया और उसके करीब हो गई क्योंकि वो समझ रही थी उसके पापा किस ओर बढ़ रहे है और अगले ही पल वापस से राजेश ने बबीता की बुर को सहलाने लगा


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बबीता की आंखे उलटने लगी , जिस तरह से राजेश उसके फांके कुरेद रहा था और वो तड़पने लगी : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम कितना अच्छा लग रहा है उम्ममम और करो ऐसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
राजेश तेजी से उसकी बुर सहलाने लगी और एक उंगली डाल कर उसकी बुर का जायजा लिया और उसकी उंगली आसानी से अंदर चली गई । राजेश समझ गया कि बबीता बे बहुत उंगलियां चलाई है अपनी चूत में
और वही बबीता झटके खाने लगी , उसने अपनी स्वेटर खोलकर कर ब्रा के ऊपर से अपनी छातियां दबाने लगी
राजेश इस दौरान लगातार उसे मोबाइल पर वीडियो दिखा रहा था जिसमें वो औरत उसका लंड चूस रही थी , जिसे देख कर बबीता को लालच आ रहा था और उसकी लार टपकने लगी थी
राजेश : उफ्फ क्या मस्त चुस्ती है ये उम्मम
बबीता राजेश का लंड सहलाती हुई : पापा मै कर दूं
राजेश चौक कर : तुझे आता है ?
बबीता थोड़ा लजा कर थोड़ी मुस्कुराकर : वीडियो देख कर , कर लूंगी
राजेश अब क्या बोले और उसकी चुप्पी हो हा समझ कर बबीता ने अपना पोजिशन बदलते हुए राजेश की गोद में आ गई और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया
राजेश सिसक पड़ा : ओह्ह्ह गुड़िया उम्मम कितने रसीले होंठ है तेरे उम्मम उम्मम.


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बबीता ने वीडियो देखना छोड़ दिया था आंखे बंद कर पूरे रस लेते हुए अपने पापा का लंड चूसने लगी
राजेश का और मोटा होने लगा और वो उसके ब्रा में हाथ घुसा कर उसकी


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कोमल नरम मौसमी जैसी चूचियां पकड़ लिया और उसने सहलाने लगा , उसकी निप्पल को खींचने लगा , वही बबीता कभी उसका लंड पकड़ कर अपने होठों से रगड़ती कभी गहरे मुंह में ले जाती
राजेश उसके सर को हौले हौले दबाता ताकि वो और गले तक लंड को ले
बबीता ने थूक से उसका लंड गिला कर दिया था
वही वीडियो में चुदाई चल रही थी जिसमें वो औरत बबीता के पापा की गोद में बैठ कर लंड को अपनी बुर में में भर कर अपने मोटे चूतड़ पटक रही थी
बबीता एकदम से उठ गई
राजेश चौक कर : क्या हुआ बेटा
बबीता मुस्कुराई और उसके आगे अपनी ब्लूमर निकालने लगी
राजेश को समझते देर नहीं और उसने भी आगे कोई सवाल जवाब नहीं किया ।झट से अपना पजामा और अंडरवियर निकाल पोजिशन में आ गया
फिर लंड सहलाते हुए : आजा मेरा बेटा आजा
बिना एक पल गवाए बबीता ने पैर फेक कर अपनी टांगे फोल्ड करती हुई राजेश के लंड को अपने बुर पर लगाने लगी और राजेश ने अपना सुपाड़ा सेट करके उसको अपने लंड पर बिठा लिया
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े को सरकता हुआ महसूस कर सिसक पड़ी और उसके कंधे को पकड़ कर लिपट गई : आह्ह्ह्ह पापा उम्मम
वही राजेश को अपने सुपाड़े पर गर्म लावा की दीवारों में चीरते हुए घुसना पसंद आ रहा था वो बबीता की बुर अंत तक पहुंच गया : बस बेटा आराम से ऊपर नीचे होना अब , दर्द तो नहीं हो रहा
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े वाले लंड को छोड़ने के फिराक में नहीं थी तो उसने ना में सर झटका और हल्का हल्का ऊपर नीचे होने लगी : उम्ममम पापा अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह यस्स पापा उफ्फ


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राजेश ने उसको अपनी बाहों में कस लिया और अपने पंजे से उसके चूतड़ों को फैलाते हुए नीचे से लंड चलाने लगा ।
राजेश के ऐसा करने से बबीता की बुर बुरी तरह से फड़कने लगी , राजेश उसकी बजबजाई बुर में तेजी से लंड भेदने लगा जिससे बबीता ने उसका चेहरा पकड़ कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिया और चूसने लगीं
राजेश उसके जोश और भी कामोत्तेजक हो गया : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम और और उम्मम अच्छा लग रहा ऐसे ही उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह
राजेश पूरे जोश में नीचे से अपने कमर को झटकर देता हुआ बबीता की बुर में पेलने लगा : अच्छा लग रहा मेरी गुड़िया को और मजा चाहिए
बबीता उसकी आंखों में मदहोशी दे देखती हुई : हा पापा और दो मुझे और प्यार करो अह्ह्ह्ह्ह उम्मम


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राजेश ने उसके उछलते नंगे चूचे मुंह में भर लिए और तेजी से नीचे से उसकी बुर में लंड देने लगा , जिससे बबीता एकदम से तड़प कर झड़ने लगी , गर्म गर्म रस धार से राजेश का सुपाड़ा बिलबिला उठा और उसके आड़ से वीर्य ऊपर आने लगा वो एकदम से अकड़ गया : उठ जा बेटा आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता झट से उठी और अपने पापा लंड पकड़ कर मुंह लेकर चूसने लगी और एकदम से फव्वारा फूट पडा : अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बेटा उम्मम गुड़िया आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह


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बबीता ने आखिर तक अपने होठ लगाए हुए उसका लंड हिलाती रही और राजेश का लंड पंप होकर सुपाड़े से मलाई उसके गालों और होठों पर उड़ेलता रहा ।
राजेश समझ चुका था कि उसकी बेटी पहले ही खेली खाई है , मगर सवाल था किसके साथ
लेकिन वो बेफिक्र था क्योंकि अभी रात अभी रात लंबी थी

जारी रहेगी
sexy' update
Kamukta se bharpur
AP ki mehnat ko salam
 

Akaash04

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💥 Chapter: 02 💥
UPDATE 15



Chamanpura

Anuj was sitting on the table in the kitchen with books, Ragini was talking to him in between and Anuj was also keeping an eye on Ragini, the cloth of Sonal's soft skirt was completely stuck on Ragini's thick buttocks raised in the skirt and without panties. The bulges and cracks of her buttocks were clearly visible, seeing which Anuj's penis was stiffening.

Ragini came to him after serving vegetables and seeing Anuj lost in books, she was looking at his head: I am not hungry, my son
Anuj's body trembled due to his soft and affectionate touch and he started melting as if: Yes mom, very fast
Ragini: Okay, you wash your hands and then I will serve food
Then Anuj stood with his hands dusting with his books on the side and could not find any towel to wipe

Ragini looking at him here and there: What happened
Anuj with wet hands: Towel?
Ragini saw that at present there was no handkerchief like this even in the kitchen: that is why I wear saree, I do not have to search for clothes to wipe my hands

Anuj smiled: No problem, mom, I will bring it from the bathroom
Anuj jumped into the bathroom and jerked the towel from there and the pair of bra panties hanging in the hanger under the towel fell down on the bathroom floor
As soon as Anuj was able to drop a pair of bra and panty on the bathroom floor, he thought of his mother and he looked out of the door towards the room and without wasting a moment he immediately hugged his nostrils: Ummmm Mummy what a wonderful fragrance ahhh
His penis started dancing like pajamas
Then he hurriedly spread his mother's panty and as soon as he saw its size, he became suspicious, because ever since he started sitting at the shop, he had good knowledge about the size. And after seeing the size of that panty, he quickly searched for its label, so the number 50 was written on it. He racked his brain as to who would have such a big ass in his house. For a moment his attention went to Rajjo aunty and Shila aunt, but they were also of 46 size.
जब उसने ब्रा का साइज पढ़ा तो 44E अब तो उसका माथा ही घूम गया क्योंकि इतने बड़े बड़े चूचों वाला तो उसके जानने वाले में कोई नहीं । सबसे बड़ी बात ना इस ब्रांड और साइज की पूरे चमनपुरा में कोई दुकान होगी जो ऐसे अच्छी क्वालिटी में ब्रा पैंटी रखता हो ।


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तभी बाहर से रागिनी ने आवाज दी और वो झट से कपड़े टांग कर बाहर आ गया ।
फिर दोनों के टीवी के आगे खाना खाने लगे , अनुज के दिमाग में अभी वो सवाल घूम रहे थे कि आखिर ये किसके हो सकते है लेकिन वो अपनी मां से पूछे भी तो कैसे ?
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा , खा न
अनुज बिना कुछ बोले खाना खाने लगा और फिर कुछ देर बाद कमरे में रागिनी आई : अच्छा सुन आज तू भी यही सो जाना
अनुज जो कि आज रात अपनी नई इंस्टा आईडी खोलने की सोच रहा था तो उसने जल्दीबाजी में बोल दिया कि उसे पढ़ाई करनी है अभी

रागिनी : हा तो ठीक है यही कर लेना न
अनुज को थोड़ा पछतावा होने लगा कि कल संडे हो जाएगा और वो लाली से बात भी नहीं कर पाएगा ।
रागिनी : राज भी आयेगा नहीं , और तेरे पापा वो तो ससुराल जाकर भूल ही गए है हम सबको , एक बार भी फोन नहीं किए , न हाल चाल लिया ।
अनुज : अरे मम्मी , न आपके पास फोन है और न मेरे तो किसके पास करेंगे ?
तभी अनुज का माथा ठनका " अरे यार हॉटस्पॉट भी तो नहीं है , राज भैया नहीं है तो "
फिर उसने सोचा क्यों न अपनी मां के साथ ही नजदीकिया बढ़ाई जाए ।
रागिनी मुंह बनाती हुई : अरे फिर भी हाल चाल होना चाहिए न , ना जाने क्या मिल गया है उन्हें वहां। तेरी मामी के साथ भाग गए तो
अनुज एकदम से खिलखिलाया : क्या मम्मी आप भी हीहीही
रागिनी हंसते हुए बिस्तर लगा रही थी : और क्या , तेरी मामी कहा गोरी और जवान और मै तो एक बिटिया भी ब्याह चुकी हूं
अनुज थोड़ा पोजेस हुआ जब रागिनी ने खुद को कम बताया और घुड़क कर : हा तो उससे क्या हुआ , आप मामी से ज्यादा सुंदर हो लेकिन

ये दूसरी बार था जब रागिनी ने अनुज के मुंह अपने लिए ऐसा कुछ सीरियस जैसा महसूस किया और हस्ती हुई : हा भाई मान गई, अब मुंह मत बना मै भी नहीं कहूंगी कुछ तेरी मम्मी के बारे में हीहीही खुश अब
अनुज थोड़ा शर्माने लगा और मुस्कुराने भी
रागिनी कम्बल रखती हुई : आजा बिस्तर पर वो लाइट बुझा दे , अगर पढ़ना नहीं है तो
अनुज ने सोचा अगर बत्ती बुझ गई तो उसकी जो योजना है वो विफल हो सकती है इसलिए हड़बड़ाया: नहीं मुझे लिखना है अभी कितना सारा, आज ये खत्म कर लूंगा तो कल जाऊंगा मिस जी के यहां से दूसरे नोट्स लेने है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है भाई तू लिख ले आह्ह्ह्ह मै तो सोउंगी अरे दादा उम्मम कमर अकड़ सी गई
अनुज धीरे से भुनभुनाया : और करो डांस
रागिनी हस्ती हुई : क्या बोला , पागल कही का
अनुज हसने लगा : हा इतनी तेज तेज कमर हिला रही थी तो होगा नहीं दर्द
रागिनी कुछ सोच कर मुस्कुराती हुई उसे देखी
अनुज : बाम लगा दु ?
रागिनी : अरे तू तो डांटने भी लगा अब हीही
अनुज : भक्क मम्मी , चलो लेट जाओ अच्छे से

फिर रागिनी पेट के बल होकर लेट गई और अनुज ने उसकी कमर पर बाम लगा कर उसकी नंगी चर्बीदार मुलायम कमर और आधी पीठ तक हाथ से सहलाने ।
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह तेरे हाथ कितने नरम है , तुझे तो मसाज वाली होना चाहिए था
अनुज : भक्क मम्मी
रागिनी : सच में , गांव में पहले मसाज वाली होती थी
अनुज ने पहले कभी नहीं सुना था कि गांव में मसाज वाली होती है ।
रागिनी : वो सब बड़े घरों के यहां औरतों की मालिश करती थी ।
अनुज : और मर्दों की ?
रागिनी : हा उनकी भी करती थी , लेकिन कुछ खास लोगों की ही
अनुज : क्यों ?
रागिनी : अरे पहले का पहनावा और माहौल अलग था
अनुज : मतलब ?
रागिनी : मुझे देख रहा है , ऐसे ही पहले गांव के मालिश वाली घूमती थी बिना अपनी छाती ढके , घुटने तक घाघरे को लहराते हुए , ताकि बड़े घरानों के मर्द उनको देख कर आकर्षित हो और उन्हें मालिश के लिए बुलाए और उन्हें ज्यादा पैसा मिले
अनुज कुछ सोचता हुआ : तो क्या वो लोग उनके साथ कुछ जबरजस्ती नहीं करते थे
रागिनी : होता था बहुत बार , लेकिन ज्यादातर मालिश वाली खुद इनसब के लिए तैयार होती थी ।
अनुज का लंड अब हरकत करने लगा था और उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था जिससे उसकी धड़कने तेज होने लगी थी । लेकिन वो चुप था
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा है
अनुज : मम्मी आपको एक बात बताऊं, आपकी कसम मै झूठ नहीं बोल रहा

रागिनी फिकर में उसे अपने पास करती हुई सीने से लगाने लगी : हा बोल न बेटा , इतना डर क्यों रहा है ।
अनुज अपनी मां से चिपका हुआ और भी कमोतेजित महसूस कर रहा था : वो जब हम लोग नानू के यहां जाते थे तो मैने वहां दो तीन बार नानू के कमरे में एक औरत को जाते देखा था फिर वो घंटे भर तक कमरे बंद रखते थे । एक बार उनसे पूछा तो कि नानू वो कौन थी तो कह रहे थे कि मालिश वाली है ।

रागिनी एकदम से चुप हो गई क्योंकि वो अपने बाप बनवारी की हरकतों से परिचित थी
अनुज : क्या हुआ मम्मी बोलो न
रागिनी : हा वो थोड़ा तेरे नाना को पैर के दिक्कत होती है , उसी की तो दवा भी चलती है ।
अनुज : और एक बात बताऊं मम्मी
रागिनी का दिल डर रहा था कि कही गलती से अनुज ने अपने नाना को गलत हालातों में देख न लिया हो ।
रागिनी : हा बोल बेटा
अनुज : नानू बहुत गंदे है
रागिनी की सांसे तेज होने लगी और वो समझ गई कि जरूर अनुज ने बनवारी को कुछ ठरकीपना करते देखा है : नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते , तू अभी ये सब समझने के लिए बहुत छोटा है ।

अनुज : मै सच कह रहा हूं मम्मी , आपकी कसम , भैया की कसम
रागिनी की हालात खराब होने लगी कि वो कैसे उसे समझाए : बेटा देख अम्मा ( अनुज की नानी ) को गुजरे कई साल हो गए हैं जब हम लोग छोटे थे तभी और बाउजी थोड़े रोमेंटिक है ये बाती सब जानते है । लेकिन बेटा वो किसी के साथ जबरजस्ती नहीं करते । उनकी अपनी जरूरत है बस इसीलिए ।

अनुज अब चुप था और फिर बोला : लेकिन दो दो औरतों के साथ
रागिनी चौकी : क्या दो दो के साथ ?
अनुज : अब कभी चलना नानू के यहां तो मै दिखाऊंगा आपको कौन थी वो दोनों
रागिनी : अच्छा ठीक है ठीक है, छोड़ अब वो बातें । कहा से तेरे दिमाग में आ गई । पढ़ ले थोड़ा
अनुज मुस्कुरा कर किताबों की ओर हो गया और रागिनी करवट लेकर घूम गई ।
अपनी मां से इतनी बड़ी बाते साझा कर उसने समझा कि शायद उसे अब इतना भी नहीं डरना चाहिए जितना वो डरता है और उसके जहन में एक और सवाल ने जगह बना ली ।

अनुज : मम्मी
रागिनी : अब क्या हुआ ?
अपनी मां की खीझा देख
अनुज एकदम से डाउन हो गया : सॉरी कुछ नहीं
रागिनी कम्बल से मुंह निकाल कर करवट लेकर उसकी ओर घूमती हुई : क्या हुआ भाई बोल न
अनुज : वो आपके बाथरूम में किसी गेस्ट के अंडरगारमेट छूट गए है , जब मैने तौलिया लेने गया तो नीचे गिर गया था
रागिनी हंसते हुई : पागल गेस्ट के कहा से रहेंगे , मेरे होगे
अनुज : नहीं , उतना बड़ा थोड़ी न आपका होगा
अनुज की बात सुनकर कर एकदम से रागिनी का माथा ठनका और उसे याद आया कि वो अपनी समधन ममता की ब्रा पैंटी मांग कर लाई थी । इससे पहले वो कुछ बोलती अनुज झट से बेड से उछल कर बाथरूम में भागा: रुको दिखाता हु

फिर अगले ही पल बिजली की तरह वापस आ गया : देखो , 50 नंबर और ये 44 इतना बड़ा कोई नहीं पहनता ।

रागिनी को हंसी भी आ रही थी और थोड़ी शर्म भी अनुज के आगे , लेकिन अनुज एकदम कैजुअल था
अनुज उसके हाथों में देता हुआ : किसकी है ये
रागिनी : ठीक है रख दे तेरी मौसी या बुआ की होगी
अनुज : नहीं मम्मी, मौसी की कैसे होगी उनकी ब्रा का साइज 42 है
रागिनी ने एकदम से घूरा
अनुज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल रागिनी की ये सोच कर हसी आई कि इसे कैसे पता रज्जो का साइज ।
अनुज सफाई देता हुआ : वो जब पिछले साल पूजा पर मौसी आई थी तो आप ही दुकान से निकाल कर लेकर गई थी उनके लिए भूल गई ।
रागिनी को याद आया कि रज्जो कपड़े लेकर नहीं आती थी और रज्जो को उसके ब्लाउज फिट नहीं आ रहे थे इसीलिए वो उसको ब्रा निकाल कर दी थी

रागिनी अपना माथा पकड़ कर : हे भगवान , क्या क्या याद रखता है तू । छोड़ होगी किसी की
अनुज : लेकिन किसकी ?
रागिनी थोड़ी बिगड़ी : सब कुछ तुझे जानना जरूरी है । पढ़ाई तो तुझे करनी नहीं है इधर उधर की बाते कर रहा है । बत्ती बुझा कर सो जा ।
अनुज को पसंद नहीं आया और वो अपनी किताबें उठाया और बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर निकल गया ।
रागिनी ने उसको आवाज दी लेकिन वो राज के कमरे में चला गया ।
रागिनी खुद को कोसने लगी कि क्यों उसने डाटा उसे , जानती है कि वो कितना भोला है, जल्दी चिढ़ जाता है कुछ बोलो तो ।
लेकिन गलती तो उसकी ही थी , लापरवाही में उसने सोचा ही नहीं कि काम के बाद समान उसके जगह पर होना चाहिए। अब कोई चारा नहीं था सिवाय अनुज को मनाने का इसलिए वो उठ कर गई राज के कमरे की ओर जाने लगी ।


शिला के घर

" उम्ममम अभी छोड़ दे बेटा , खाने के बाद आती हूं न तेरे पास अह्ह्ह्ह उम्मम"


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" उफ्फ बड़ी मामी कितना मुलायम दूध है आपका , अह्ह्ह्ह उम्मम " अरुण रज्जो के ब्लाउज खोलकर उसके चूचे चूस रहा था दोनों हाथ से पकड़ कर ।
रज्जो खड़े खड़े उसके सर को सहलाती हुई : बस अह्ह्ह्ह्ह रुक न उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो उससे अलग होकर अपना बड़ा सा मम्मा हाथ से अपनी ब्लाउज में डाली और हुक लगाती हुई अपना पल्लू सही करने लगी
फिर अरुण की ओर देखा जो लोवर में बने तंबू को ऊपर से मुठिया रहा था और उसकी आंखों में चुदाई की तड़प तैर रही थी : बदमाश कही का हिहिही
अरुण : मामी पक्का आओगी न
रज्जो : मै अपना वादा नहीं भूलती
फिर रज्जो उसके कमरे से निकल कर किचन की ओर गई , जहां कम्मो एक नाइटी में थाली में खाना परोस रही थी
रज्जो उसके पास गई और उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : अब किसको परोसने जा रही हो जानेमन
कम्मो : ओह भाभी आप ,
रज्जो : तू तो बड़ी चालू निकली , मैने सोचा आग लगाऊंगी थोड़ा ड्रामा होगा
कम्मो : चालू तो आप भी कम नहीं है , मुझे दीदी के पास भेज कर खुद भाई साहब के साथ उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : अब क्या करती , बेचारे की बीवी उन्हें धोखा दे रही थी तो अब उनको संभालना भी तो जरूरी था , नहीं तो टूट जाते बेचारे
कम्मो : सही किया , मै भी क्या करती खड़ा हथियार हम बहनों की कमजोरी है
रज्जो : ओह्ह्ह
कम्मो: और क्या , हम बहने हथियार हथियार में भेद नहीं करती । मिल बाट कर रहने में क्या बुराई है भला ।
रज्जो : वैसे दो चार हथियार मायके में भी है , वहा से भेदभाव क्यों हीहीहीही
कम्मो के कान खड़े हो गए : क्या धत्त तुम भी न भाभी , छोड़ो जरा भाई साहब को खाना दे दु ।
रज्जो : और उनको ( रामसिंह )
कम्मो मुस्कुराई और इठलाती हुई : वो अपनी खुराक ले रहे है ऊपर
फिर किचन से मानसिंह के पास चली गई ।
बिना एक पल गवाए फौरन वो भी उसके पीछे हो ली
इधर कम्मो जैसे ही मानसिंह के कमरे में दाखिल हुई : उम्हू इतना किसे याद कर रहे है
रज्जो कमरे के बाहर रुक गई और हल्के से अंदर झांका तो देखा मानसिंह अभी भी नीचे कुछ नहीं पहना था और उसका खड़ा लंड उसके हाथ था और वो सोफे पर था
मानसिंह कम्मो को देखते ही अपना लैपटॉप साइड कर कम्मो को अपनी गोद में बिठाता हुआ : आह मेरी जान , तुम्हारे बिना इसका मन नहीं लग रहा था तो भुलवा रहा था मै
कम्मो उसका खड़ा लंड पकड़ती हुई : अच्छा जी , फिर तो इसे भूख भी नहीं लग रही होगी
मानसिंह सिहरता हुआ : भूख तो बहुत है इसे मेरी जान , पर मेरी भूख का क्या ?
कम्मो : तब तो आप दोनों की भूख एक साथ मिटानी पड़ेगी
और अगले ही पल कम्मो ने अपनी जांघें खोलते हुए अपनी नाइटी उठाने लगी और मुंह से थूक लेकर उसे मानसिंह के सुपाड़े पर लगा कर अपनी बुर पर टिकाते हुए 8 इंच का मोटा लंबा तना हुआ लन्ड अपनी बुर में लेती हुई बैठ गई , उसकी चिपकी हुई सुखी बुर में मानसिंह का लंड रगड़ता हुआ अंदर जाने लगा और कम्मो जब पूरा लंड अंदर ले ली तो अपने साथ लाई हुई थाली आगे करके एक एक निवाला बनाती हुई मानसिंह को खिलाने लगी : अब ठीक है न
मानसिंह मुस्कुराने लगा और वही रज्जो कमरे में आती हुई : अरे ठीक क्यों नहीं रहेगा , ऊपर नीचे दोनों तरफ से परोस रही हो
एकदम से रज्जो के आने से कम्मो शर्मा गई

रज्जो : उन्हूं उठना मत वरना मै बैठ जाऊंगी
रज्जो ने मानसिंह को आंख मारी और मानसिंह मुस्कुराने निवाला चबाते हुए
कम्मो : धत्त भाभी ,आप तो ऊपर जा रही थी न
रज्जो : हा लेकिन फिर सोचा कही नंदोई जी को कुछ नमकीन चाहिए होगा तो पूछ लु , क्यों नंदोई जी नमक कम तो नहीं
मानसिंह कम्मो के कूल्हे आगे पीछे करता हुआ : चटक खाना मुझे पसंद है भाभी , मिल तो कोई बुराई नहीं
रज्जो समझ गई और अगले ही पल सोफे पर आकर खड़ी होकर साड़ी उठाती ही अपनी बुर को मानसिंह के मुंह के पास ले गया


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मानसिंह उसकी गदराई जांघों को थमता हुआ उसके बुर ने अपना मुंह दे दिया : सीईईईई अह्ह्ह्ह थोड़ा आराम से नंदोई जी गिर जाऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम
कम्मो रज्जो की हरकत देख कर जोश में आ गई और मानसिंह के लंड पर मथने लगी , उसका लंड अपने बुर ने नचाने लगी और उसका लंड अपनी बुर ने पूरी तरह चोक कर सुरकने लगी : अह्ह्ह्ह मेरी जान उफ्फ तेरी इसी अदा पर तो मै उम्ममम यश माय बेबी उम्मम फक्क मीईई
रज्जो अलग हो गई और मानसिंह के बगल में बैठ गई और सीने पर हाथ फेरने लगी , वही मानसिंह कम्मो के चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा
कम्मो मानसिंह का मोटा लंड अपनी बुर में अंदर तक महसूस कर रही थी और उसपर मस्ती छा रही थी
उसके कम्मो की नाइटी निकाल दी और उसको पूरी नंगी कर दिया
कम्मो के गोल और कसे हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे देख कर रज्जो की आँखें फैल गई


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और इधर मानसिंह देरी न करते हुए कम्मो का की एक छाती पकड़ कर मुंह लगा दिया : उफ्फ मेरे राजा उम्मम यशस्श उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सक इट उम्मम सीई अह्ह्ह्ह गॉड
कम्मो पूरी तरह पगला गई थी , और तेजी से मानसिंह के लंड पर मथने लगी , मानसिंह की चुची का निप्पल खींच रहा था
रज्जो से रहा नहीं गया वो भी कम्मो की दूसरी हिलती हुई छाती को छूने लगी : उफ्फ कम्मो रानी तुम्हारे जोबन तो बड़े कड़े अह्ह्ह्ह
कम्मो रज्जो के स्पर्श से अकड़ने लगी , उसकी जांघें फड़फड़ाने लगी , जिसका सीधा असर मानसिंह के लंड पर हो रहा था : सीईईईई अह्ह्ह्ह भाभी यह क्या कर उम्ममम अह्ह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
रज्जो उसके निप्पल पर पास उंगलियों को घुमाती हुई : क्या हो रहा है मेरी जान , यहां कुछ हो रहा है
कम्मो तड़प कर सिसकती हुई मानसिंह के लंड पर अपनी गाड़ हिला रही थी : हा भाभी उफ्फ नहीइई ( एकदम से रज्जो ने उसके निप्पल पर जीभ फिराई और होठों से चूसने लगी ) सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् आयेगा आयेगा अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
एकदम से कम्मो कांपने लगी, उसने एक हाथ से मानसिंह का तो दूसरे हाथ से रज्जो से सहारा ले रखा था ,लेकिन नीचे उसके पैर थरथरा रहे थे और मानसिंह के लंड पर वो ऐसे झड़ रही थी मानो पेशाब कर रही थी
जैसे जैसे कम्मो झड़ रही थी , दोनो उसके चूचों को कस कर चूस रहे थे और फिर एकदम से सुस्त हो गई और मानसिंह के सीने पर ढह गई । लेकिन रज्जो के बुर में अभी भी चूल हो रही थी और मानसिंह को देखा तो वो भी सुस्ता रहा था , जैसे मानो कम्मो के साथ वो भी झड़ गया हो ।
रज्जो ने उन्हें आराम करने दिया और अपने लिए खाना लेने किचन की ओर चली गई

सरोजा के घर

रात गहरा रही थी और बाहर के मेहमान लगभग सब जा चुके थे , घर की कुछ औरते और बच्चे थे उन सब को ठकुराइन खाना खिलाने और सुलाने की व्यवस्था देख रही थी ।
राज सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल देख रहा था , आज उसके नीलू दीदी वाले व्हाट्सअप ग्रुप में भी हॉस्टल की मस्तियों वाली तस्वीरें आई थी , सिम्मी जो अपने घर गई थी वो शायद वहा की मस्ती मिस कर रही थी
ऐसे में राज ने भी सरोजा के घर का स्नैप बना कर डाल दिया

नीलू : yo bro !! Smart choice 😎
तभी सिम्मी ने भी रिप्लाई किया : yaar sb koi masti kar rahe hai , ek mai hu ki ghar par aayi hu
तभी चारु ने एक फोटो डाली जिसमें कुछ लड़कियां बैठी चियर कर रही थी और राज ने देखा उसमें एक लड़की के हाथ में बियर बोटल थी ।
तभी झट से नीलू ने वो फोटो डिलीट कर दी । राज समझ गया हॉस्टल में सर्दियां कुछ ज्यादा ही है ।
अक्सर इस ग्रुप में मैसेज फोटो आते है राज कभी उन पर उतना ध्यान नहीं देता , बस चुपचाप सीन करके निकल जाता है । तभी उसकी नजर सिम्मी के डीपी पर गई और उसने उसका प्रोफ़ाइल खोला


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क्या गजब की खूबसूरत दिख रही थी वो , वही बिंदास अंदाज खुले बाल कैजुअल लुक और उभरे हुए गोल मटोल चूचे एकदम टाइट और कड़े ।

" वाव सो सेक्सी , वैसे कौन है ये " , एकदम से राज के कानों में संजीव ठाकुर की आवाज आई और वो हड़बड़ा गया ।
राज अपने बगल में देखता हुआ झट से मोबाइल लॉक कर दिया : अरे अंकल आप ?
संजीव : रिलैक्स बेटा , वैसे थी कौन वो
राज हड़बड़ाने लगा : जी अंकल वो मेरी बुआ की लड़की है उसकी दोस्त है
संजीव : बात होती है
राज अभी भी थोड़ा डर रहा था : हा हम सब एक कॉमन ग्रुप में है बस उसी में
संजीव : कभी पर्सनली हाय हैलो नहीं किया
राज : जी नहीं
संजीव : बेटा कब करेगा , चलो अभी करो
राज मुस्कुराने लगा : नहीं मै बाद में कर लूंगा
संजीव : अरे मै जानता हु तुम्हारी भी आदत रंगी की तरह से टालते तुम दोनों को ,
राज : अगर उसे पसंद नहीं आया तो ?
संजीव : पहले ट्राई तो करो , इतना भी क्या डरना
राज : आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे , वो पट ही जाएगी हीहीही
संजीव : अगर तुझे नहीं करना ट्राई तो नंबर मुझे दे मै बात कर लूंगा
राज हंसता हुआ आंखे बड़ी कर : हा , बोलूं आंटी को
संजीव ठहर गया : क्या यार तू भी
राज समझ रहा था कि वो नशे में है शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही फ्रांक हो रहा है ।
राज मुस्कुरा कर : अच्छा ठीक है नहीं कहता , लेकिन मुझे शक है जरूर बाहर कोई gf होगी आपकी क्यों ? हीहीही
संजीव उसके कंधे पर हाथ रखे हुए अपनी लाल आंखों से मुस्कुराया : तू और तेरे पापा दोनों बहुत चालू चीज हो , बात कहा तेरी थी अब मेरे ऊपर घुमा दिया , सही है गुरु
राज हसने लगा : आखिर बेटा तो उन्हीं का हू हीहीही, वैसे एक बात पूछूं अंकल
संजीव : हा बोल न बेटा
राज : कम से कम 3 4 तो होंगी ही आपकी हिहीही क्यों ?
संजीव : खींच रहा अब मेरी हां ?
राज हंसता हुआ : सॉरी हीही
संजीव : 3 4 नहीं है , बस एक ही है और खबरदार अपनी आंटी को बताया तो ?
राज की आंखों के चमक उठी और वो चहक कर : फोटो दिखाओ तब न मानू
संजीव ने फिर अपने कोट की जेब से अपना मोबाइल निकाला और कुछ टिप टॉप कर एक फोटो दिखाई


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क्या गजब का गोल चेहरा , बड़ी बड़ी आंखे , बड़ी ही बिंदी माथे पर सिंदूर , बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में चुस्त और चौड़े कूल्हे उसकी वेशभूषा को देखते ही राज के मुंह से निकला : बंगाली है ?
संजीव आस पास देखा : हा , तुझे कैसे पता ?
राज मुस्कुराने लगा : बस पता चल जाता है , लेकिन तो शादी शुदा है
संजीव दबे हुए आवाज में : अफेयर में क्या कुंवारी या शादी वाली , खुल कर देने वाली होनी चाहिए
राज एकदम से चौक गया और सन्न भरी मुस्कुराहट से संजीव को देखा ।
राज : वैसे अन्दर और भी फोटो है देखा मैने , वो सब कौन है
संजीव ने आस पास देखा और धीरे से फोल्डर से एक दो तस्वीरें निकाली ,
वो फोटो देखते ही राज की आंखे बड़ी हो गई, एक होटल में स्विमिंग पूल की तस्वीरें थी जिसमें वो दो बड़ी बड़ी मोटी मोटी गाड़ और चूचियों वाली औरतें पूरी तरह से नंगी पूल में थी


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राज : ये कौन है और इनके साथ आप कैसे ?
संजीव : एक बार फॉरेन ट्रिप का पैकेज मिल था , मेरे बिजनेस कंपनी से वही की है , सुजैन और मरियम , सीईईई कमाल की औरत थी दोनो

राज थूक गटक कर : दोनो के साथ ?
संजीव : अरे वहा तो जितना बड़ा चाहो ग्रुप बना लो , मुझे बड़ी दिग्गी का शौक है तो ....
फिर संजीव मुस्कुराने लगा
राज आंखे नचा कर मुस्कुराता हुआ : वैसे फिर कभी और ट्रिप पर नहीं गए
संजीव : अभी इसी साल समर में बना रहा था , लेकिन तेरे पापा तैयार नहीं हुए
राज चौक कर : क्या पापा के साथ ?
संजीव : हा वो सोनल बिटिया की शादी तय हो गई थी न
राज अभी भी हैरान था : हा लेकिन पापा के साथ ? क्या वो भी बाहर ?
संजीव एकदम से चुप हो गया
राज : अंकल बोलिए न
संजीव : अह ये मै ... सॉरी बेटा मुझे
राज : प्लीज अब तो बता दो , कौन सा मै मम्मी से कहने जाऊंगा ये सब बातें
संजीव हस कर : ये हुई न बात , फिर तो जोड़ी जमेगी अपनी , वैसे ड्रिंक करते हो
राज ने भिनक कर नाक सिकोड़ते हुए ना में सर हिलाया तो संजीव : चलो कोई नहीं , तुम तो हम दोनो की दोस्ती जानते हो । लेकिन जैसे तुम्हारे पापा के नाम में रंगी है वो बहुत ही रंगीला आदमी है ।
राज मुस्कुराने लगा और वो समझ भी रहा था ।
संजीव : वैसे खाना खाया तुमने
राज : हा खा लिया
संजीव उसका कंधा थपथपा कर : चलो थोड़ा खुले में चलते है और फिर वो ऊपर जाने लगे , थोड़ा कैजुअल बातें करते हुए
संजीव : वैसे तू इंस्टाग्राम तो चलाता होगा न
राज ने हुंकारी भरी
संजीव झट से अपना मोबाइल खोलता हुआ : ओके तेरी id क्या है
राज अपनी id बताता है और मुस्कुराने लगता है जिस तरह से संजीव उससे क्लोज हो रहा था ।

तभी ऊपर के गलियारे से सरोजा नाइट गाउन में आती दिखी ।
संजीव ने जैसे ही सरोजा को देखा तो असहज हो गया और सरोजा भी नजरे चुराने लगी ।
लेकिन हम उसे गलियारे से होकर जाना था तो संजीव : सरोज , जरा बाकी मेहमानों का देख लेना उन्हें सोने का दिक्कत न हो
सरोजा : जी भैया और वो नजरे नीची किए हुए निकल गई और जाते हुए एक बार संजीव ने घूम कर उसको देखा ।
राज को समझ आ रहा था थोड़ी देर पहले कुछ जरूर हुआ था लेकिन बात तो तब खुलेगी जब वो सरोजा से बात करेगा ।
संजीव : आओ राज इधर
ये ठकुराइन का ही कमरा था
राज : मुझे लगा हम छत पर जा रहे है
संजीव : अरे भाई सर्दी है कहा ऊपर जाएंगे
फिर संजीव उसे आराम से सोफे पर बैठने को कहता है
राज उसके बोलने की राह देख रहा था
संजीव : ओह हा , एक बात कहूं यकीन करोगे ?
राज मुस्कुरा कर : कहिए
संजीव : मुझे बिगाड़ने वाला रंगी ही था , शादी के पहले से हमारी दोस्ती थी जब वो लोग गांव पर रहते थे । कभी बाग बगीचे घूमना , मेरी गाड़ी पर घूमने का बड़ा शौक था रंगी को ।
राज बड़ी उत्सुकता से सुन रहा था ।
संजीव : मै उसे अपने शहर के कालेज के बारे में बताया , वहा की लड़कियों के बारे में , ऐसे में उसे एक रोज अपने कालेज ले गया गाड़ी से ही , बिना घर बताए हम दोनो निकल गए । भाई मेरा लड़कियों को देखने के तरस रहा था तो मैने भी ठाना इसको शहर की हवा खिला दु , पूरे 65 km मै बाइक चला कर ले गया और वहां जाने के बाद हमने 2 घंटे कैंपस में लड़कियां देखी , और यकीन नहीं मानोगे वहां उसे लड़की पसंद आ गई
राज की आंखों में चमक उठी : क्या सच में
संजीव हस कर : ठरकी ने आधे घंटे तक मुझे छोड़ कर उसका पीछा किया , उसका दिल आ गया था उस लड़की के मोटे चूतड़ों पर
राज थोड़ा खुले शब्दों से असहज हुआ मगर संजीव को जैसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था : उसके चक्कर अब लगभग हर हफ्ते उसे मै कैंपस लेकर आता और 3 महीने की मेहनत के बाद वो सेट हो गई । वो बाद में उसने बताया कि कमीना बीच बीच में खुद बस से शहर जाता था देखने के लिए।
राज हसने लगा : फिर
संजीव : फिर क्या , शहर के पार्क में चुम्मिया साझा हुई लेकिन तड़प तो उसे किसी और चीज की थी , आखिर उसने मुझे अपनी दिल की बात कह दी और कहा कि मै कुछ कमरे का बंदोबस्त करु
राज चौक कर : क्या सच में , वो सब करने के लिए
संजीव : हा भाई ,
राज : फिर आपने क्या किया
संजीव : वही कालेज में मेरी एक दोस्त थी , कुसुम उसका घर वही शहर में था ।
राज : ओह दोस्त या फिर हिही
संजीव हस कर : हा भाई वही थी,
राज : सीरियस वाली या टाइम पास
संजीव : सीरियस कुछ तेरे बाप ने रहने कहा दिया , छोड़ आगे बताऊंगा वो सब
राज हसने लगा
संजीव : तो मैने कुसुम के यहां बात की , पहले वो नहीं मानी लेकिन फिर मैने उसे मना लिया अपने तरीके से , फिर उन्हें एक कमरा मिला और उस रोज भाई की सील टूटी , 3घंटे तक साला बाहर नहीं आया ।
राज हस रहा था
संजीव : फिर उस रोज के बाद कई बार मैने उन्हें कुसुम के यहां मिलवाया , फिर वो हर हफ्ते मिलने को कहता तो जब मुझे लगा बात बिगड़ रही है , तो मै मना करने लगा, और उसको समझाने लगा कि बता किसी दिन बिगड़ जाएगी लेकिन वो नहीं माना और वो खुद बिना मुझे बताए कुसूम से रिक्वेस्ट करके मिलने लगा इस बीच वो लड़की अपने गांव चली गई और इसकी तड़प कम नहीं हुई साला मुझे भनक तक नहीं लगी और उस ठरकी ने मेरी बंदी कुसुम को पता लिया , कुछ बार के बाद उसने खुद मुझे सब बताया और मुझे समझ आ गया कि जैसा नाम वैसी उसकी फितरत है हाहाहाहा
राज संजीव को मुस्कुराता देख : आपको बुरा नहीं लगा कि पापा ने आपकी gf पटा ली
संजीव : उस पर मेरी जिंदगी उधार है बेटा , अगर वो कहे कि मै वसु को पटा लू तो भी मै उसे रोकूंगा नहीं
राज : वसु कौन ?
संजीव : अरे मेरी बीवी तेरी आंटी वसु
राज : क्या ?
संजीव बेशर्मी से हस्ते हुए : और मुझे पता भी है साला देखता भी होगा वसु को , उस ठरकी का कोई भरोसा नहीं ।
राज मुस्कुराने लगा : वैसे आंटी है ही ऐसी कि कोई उन्हें न देखे ऐसा हो ही नहीं सकता
संजीव ने उसे गौर से देखा तो राज हस कर सफा देने लगा : मेरा मतलब बहुत खूबसूरत है
संजीव मुस्कुरा कर : हा पता है मुझे
राज : तो आप कुछ बता रहे थे
संजीव : हा , फिर जब उसने कुसुम के बारे में बताया तो साथ में एक ऑफर भी दिया कि अपनी बंदी मुझसे मिलवाएगा
राज हैरान होकर मुस्कुराता हुआ : क्या सच में ?
संजीव : हा और उसने अपना वादा निभाया लेकिन जगह हमने दूसरी चुनी , शहर के बाद एक खंडर था वहा गए और मैने तब पहली बार अहसास किया कि क्यों रंगी उस लड़की के लिए पागल था
राज थूक गटक कर अपना लंड पेंट में दबाता हुआ : क्यों ?
संजीव आंखे बंद कर हवा में हाथ लहराने लगा , और छवियां बनाने लगा : सीईईई उस पल को सोचता हूं तो आज भी खड़ा हो जाता है , और उसके मोटे मोटे रबर जैसे नरम चर्बीदार चूतड़ों का अहसास , खासकर उसको घोड़ी बना कर चोदने में जो मजा था , जितना तेज मारो उतना उछाल देती सीई

संजीव : लेकिन कालेज खत्म होने के बाद कुसुम और उससे मिलना छूट गया और हम दोनो तनहा हो गए । फिर रंगी के पिता जी ने गांव में कुछ जमीन बेच कर यहां चमनपुरा में जमीन लेली बजार में फिर दुकान खुल गई तो हम दोनो पहले से ज्यादा मिलने लगे । पता है वो तुम्हारे पुराने घर के सामने वाले मुहल्ले में रुबीना रहती है ।
राज समझ गया : हा हा जानता हूं
संजीव : मैने कुछ खबर सुनी थी कि उसके यहां लोग पैसे देकर जाते है और मैने ये बात रंगी से कही , रुबीना के भड़कीले चूतड़ों की चाल किसे पसंद नहीं आती और मैने उसे दिखाया । उसकी तड़प बढ़ गई लेकिन दिक्कत ये थी कि हम लड़के थे और वो हमसे ज्यादा बड़ी थी । शब्बो उसकी लड़की तब छोटी थी । जैसे किस्मत बुलंद थी हमारी उन दिनों और एक रोज मैने उसे यहां अपने गोदाम पर देखा । बाउजी ने बुलाया था ।
राज ने चौंकने का नाटक किया : क्या ?
Sanjeev: Now everyone has needs son, I wrote a letter to the blackmailed Rubina that I will tell this to my mother and then she agreed. Then we decided to call him to a place where no one had any doubt and then we decided to call him to Rangi's new utensil shop. First of all Rangi told her aunt that she had heard that thieves had come to Chamanpura from outside. In those days, some nomads from Sanjog had camped outside the village near the river to perform tricks. Rangi's aunt was convinced but for the first two days he came to sleep after dinner, then for the third day Rangi came and then that night your shop utensils kept tinkling till late night. One by one we filled Rubina's holes.
Raj's penis had become a hammer after hearing this story and he was not hesitating at all in front of Sanjeev

Sanjeev smiled: Already upset
Raj started smiling: Okay, since then you started liking the big car
Sanjeev laughed: You are right, but then one by one we got married. Rangi forgot all this for a few years and suddenly stopped everything, because she loved your mother very much, I also wanted to follow her footsteps but my work did not support me.
Raj: Then
Sanjeev: Due to the greed of business company trip and elder Diggi, I started again after a few years, but I would remember old things and the company of my friend. So I made a plan and took him along with me in connection with business. We took only one room in the hotel and then another book came with the dinner menu.
He had opened it, that too was a special kind of menu in which girls could choose and spend the night. When she suddenly refused, I swore to her about my friendship and then forcibly chose her as a donkey for me and then together we bathed her. But I agreed, he did not hide this thing from your mother at all and told it to Rangi
Raj: What really? Then
Sanjeev: Don't know what happened but Rangi did not discuss anything about it. And I never had to force him again. Whenever I was in a mood, he would be ready, sometimes one and sometimes two. We thought we had fun by changing it.

राज ने गहरी सांस ली: उफ्फ मान गए आप लोगों को हिही
तभी संजीव की नजर दरवाजे के बाहर गुजरती हुई सरोजा पर गई और वो थोड़ा उठने लगा , लेकिन राज इस बात से बेखबर था ।
राज : क्या हुआ
संजीव : कुछ नहीं , तुम यही आराम करो कमरे में , मै थोड़ा नीचे देख लू सब कुछ ठीक है न
राज : लेकिन ये तो आपका कमरा है
संजीव : तुम कोई गेस्ट नहीं मेरे , बेटा कि तुम्हारे लिए अलग कमरा देखूंगा तो आराम करो यही , तुम्हारा ही घर है ।
राज मुस्कुराने लगा और संजीव तेजी से बाहर निकल गया । राज भी खड़ा होकर अपना लंड सेट करता हुआ कमरे के बाथरूम में चला गया ।

मंजू - मुरारी

ड्राइवर के होने से मुरारी एकदम शांत हो गया था और उसे बेबस देख कर मंजू की हंसी नहीं रुक रही थी । अब तो बस रात भर का सफर बचा था और सुबह तड़के चमनपुरा पहुंचने वाले थे । लेकिन मुरारी आज इस मौके को छोड़ना नहीं चाहता था ।
वो धीरे धीरे सरक कर मंजू की ओर आ गया , ड्राइवर अपने सुरूर में कान में इयरफोन लगाए किसी से बात करते हुए आगे देख रहा था ।
जैसे ही मुरारी उसके करीब हुआ मंजू शांत हो गई उसके बदन में कंपकपी सी होने लगी , उसकी सांसे तेज होने लगी और वो ना में सर हिला कर मुरारी को किसी भी तरह की हरकत के लिए मना करने लगी ।
मुरारी ने नीचे ही अंधेरे में अपना हाथ पीछे के जाकर उसकी कमर में हाथ डाल दिया और फिर उसके फैले हुए कूल्हे सहलाने लगा । मंजू उसके स्पर्श से कसमसाने लगी और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
तभी मुरारी ने पीछे से वो हाथ निकाल कर आगे उसके नरम चर्बीदार पेट पर फिराने लगा , उसकी नरम चर्बीदार नाभि को हथेली में भरने लगा , मंजू ने सिसक कर उसकी कलाई पकड़ ली : उम्मम नहीं प्लीज
मुरारी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पजामे में बने हुए तंबू पर रख दिया : उफ्फ अब रहा नहीं जा रहा
मंजू उसके लंड का सुपाड़े का कड़कपन महसूस कर पूरी तरह से घिनघिना गई , उसकी सांसे गर्माहट से भरने लगी , आज पूरे दिन मुरारी ने जितनी हरकते की और उसकी बातों से वो खुद वासना से भर चुकी थी । और आज मुरारी ने उसपर जो अहसान किए उसके धुएं ने अब मदन की छवि धुंधली कर दी थी । वो चाह कर भी मुरारी को कुछ भी मनमानी करने से रोक नहीं रही थी और उसकी हथेली में आलू जैसे कड़े सुपाड़े का अहसास उसे बदन में बिजलियां गिरा रहा था ।
मंजू : हम पकड़े जाएंगे , आप समझते क्यों नहीं
मुरारी ने एकदम से उसका हाथ छोड़ दिया और बैग से एक बड़ी सी चादर निकाल कर दोनों को ढक दिया ।
मंजू निशब्द हो गई थी मुरारी की चतुराई के आगे और उसने मुस्कुरा कर मुरारी को देखा ।
मुरारी फिर से उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर रख दिया और एक बार फिर मंजू के भीतर बादल घुमड़ने जैसा हुआ और उसकी नथुनों से गर्म सांसे उफनाने लगी , मुरारी ने उसकी हथेली को कस कर अपने लंड पर दबाया और उसका लंड उससे दुगनी ताकत के साथ अपनी नसे टाइट कर दी और ऊपर उठने लगा । मंजू ने महसूस किया कि किसी असल फौलाद को पकड़े हुए थे , उसकी गर्मी से अब उसकी हथेली पसीजने लगी थी और उसने थाम लिया उसका लंड पूरा सुपाड़े के नीचे पजामे में आलू की तरह उसका सुपाड़ा उभर आया ।
मुरारी की सांसे चढ़ने लगी और मंजू की नरम हथेली ने उसका लंड हिलाने लगी ।
मुरारी ने वापस चादर के नीचे और पीछे से मंजू की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने करीब कर लिया
मंजू हल्की सी सिसकी और मुरारी की ओर देखने लगी फिर उसके कंधे पर सर टिका दी ।
अब गाड़ी के साथ साथ मुरारी का पिस्टन भी ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी शरारती उंगलियां दूसरी तरफ से चादर के नीचे ही मंजू के ब्लाउज तक आ गई थी
मंजू दांत पिसती हुई : वहा कहा ले जा रहे है सीईईईई आह्ह्ह्ह आराम से उम्मम
मंजू के कहने से पहले ही मुरारी ने उसके चूचे को पकड़ लिया और उसको सफेदा आम की तरह टटोल टटोल कर घुलाने लगा , मंजू की पकड़ और मजबूत हो गई मुरारी के लंड पर
मुरारी ने दूसरा हाथ भी लगा दिया और अब दोनो हाथों से वो मंजू के दोनों चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसल रहा था । मंजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन मस्ती में वो भी झूम रही थी ।
बात आगे बढ़ी और मुरारी हुक खोलने लगा एक हुक खुला तो एकदम से मंजू चिहुकी और सीने पर उसका हाथ रोक दिया : नहीं पागल मत बनिए अब
मुरारी उसको नाराज नहीं करना चाहता था : अच्छा ठीक है नहीं खोलता हु
और अगले ही पल उसने अपनी सामने वाला हाथ ऊपर से उसके कसे ब्लाउज में घुसा दिया और दूसरी तरफ वाली नंगी चुची को पूरा हथेली में भर दिया , मंजू एकदम से चौक गई , उसकी पीठ पर ब्लाउज पूरा टाइट हो गया था और आगे से मुरारी उसकी तनी हुई घुंडी घुमा रहा , उसकी हालत खराब होने लगी उसने पूरी ताकत से मुरारी का लंड पकड़ लिया: उम्ममम निकालिए न दर्द हो रहा है
मुरारी : इसीलिए तो खोल रहा था
मंजू : धत्त बड़े वो हो आप अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
मुरारी हल्की आवाज में : परेशान न हो उसे भनक नहीं होगी
मंजू तो जैसे फुसल गई और मुरारी एक एक करके उसके सारे हुक खोल दिया और उसकी नंगी आजाद चुचियों को भर भर कर मसलने लगा । मंजू अपनी सिसकियां पीने लगी और मुरारी की कड़क हथेली में मिजती अपनी चूचियों अजीब सी ना मिटने वाली कुलबुलाहट महसूस करने लगी
मुरारी : अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है दूध तुम्हारे मंजू
मंजू सिसक कर : बोलना जरूरी है
मुरारी उसके गाल चूम कर : नाराज क्यों होती हो , तारीफ ही तो कर रहा हूं ये लो अह्ह्ह्ह
मुरारी वही दूसरी ओर अपना पजामा खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया और मंजू को पकड़वा दिया ।
मोटा लंबा खूंटे जैसा तपता लंड का स्पर्श पाकर मंजू पूरी तरह हिल गई : कितना टाइट है
मुरारी : जबसे तुम्हारे चूतड़ों को देखा है तबसे ऐसे ही है
मंजू भुनकती हुई : ऐसा कुछ बचा है जो नहीं देखा आपने , ऊपर नीचे सब तो देख लिए सीईईई अह्ह्ह्ह
मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ उसके अपने लंड की ओर झुकाने लगा : जाओ तुम भी देख लो
मंजू उसक इरादा समझ रही थी और उसे हंसी आ रही थी , फिर मुरारी ने जगह बनाई और मंजू सरक कर चादर के नीचे उसकी गोद में आ गई पेट पर जहां मुरारी का लंड ठीक उसके आगे था जिसमें से तेज मादक गंध आ रही थी और मंजू के नथुने फूलने लगे , थूक से मुंह भरने लगा और उसने ऊपर मुंह उठाए सुपाड़े का मुंह अपने होठों के पास लिया और भर लिया
मंजू के गिले नरम होठों का स्पर्श पाकर मुरारी का लंड और फूलने लगा , मंजू की बेचैनी उसकी बुर से रिसाने लगी थी वो मुरारी का लंड पाकर पूरी तरह से अब झिझकना छोड़ चुकी थी और उसने वैसे ही मुरारी की गोद में लेटे हुए उसका लंड चूसने लगी । मुरारी इस बात का पूरा ध्यान दे रहा था कि ड्राइवर को पता भी चले इसलिए उसने मंजू को अच्छे से धक रखा था और चादर के नीचे अभी भी उसका एक हाथ मंजू की नंगी चूचियां टटोल रहा था ।
मंजू चादर नीचे अब अफ़नाने लगी थी , सही पोजीशन न होने से उसके मुंह में दर्द होने लगा था और मुरारी का लंड एकदम कड़ा था ।
उसने लेटे हुए अपने ब्लाउज सही किए और धीरे से उठ गई ।
मुरारी सवालिया अंदाज में : क्या हुआ
मंजू मुंह बना कर अपने गाल छूती हुई : दर्द होने लगा और क्या
मुरारी मुस्कुराया : इसलिए तो कह रहा था होटल में रुकते है
मंजू : धत्त , उसकी छोड़ो अब क्या करें मुझे , मै ... परेशान हु बहुत ज्यादा
मुरारी : तो क्या करे , इधर हम लोग एक्सप्रेस वे पर है , कुछ घंटे तक होटल नहीं आयेगे ।
मंजू : भक्क , आप बहुत बुरे हो, खुद परेशान थे मुझे भी कर दिया
मुरारी : सॉरी न, अब क्या करु
मंजू तुनक कर मुंह फूला ली : पता नहीं मै नहीं जानती
मुरारी उसकी नाराजगी समझ रहा था और अब उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे तो उसने नीचे से मंजू की साड़ी ऊपर करनी शुरू कर दी और मंजू एकदम से चौक गई और चादर में थोड़ी हाथों की नोक झोंक होने लगी: क्या कर रहे है आप
मुरारी : शीई, तुम्हारी परेशानी कम कर रहा हूं
मंजू उसे रोकती तबतक चादर के नीचे मुरारी के हाथ उसकी जांघों तक पहुंच गए और उन्हें दबोचने लगे , मंजू की सिसकिया उठने लगी और धीरे धीरे उसकी उंगलियां मंजू के बुर की के बढ़ने लगी और उसने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर छूने लगा ।
मंजू की सांसे एक बार फिर बिगड़ने लगी और लंबा सफर अब और लंबा होने लगा , गाड़ी हाइवे पर आगे बढ़ रही थी और इधर मुरारी की उंगलियों ने अपना करतब शुरू कर दिया था ।


प्रतापपुर

राजेश को गए काफी समय हो गए थे, बबीता की चूत रस से सनी हुई थी , उसने मोबाइल खंगाल कर पुराने वीडियो निकाले थे जिसमें उसके पापा किसी के साथ चुदाई कर रहे थे और उन्हें देखते हुए कंबल में झड़ गई ।
फिर थोड़ी देर फिल्म देखा और फिर उसका दिल नहीं माना तो वापस से दूसरी विडियोज देखने लगी , उसके पापा का मोटा लंड जब किसी की बुर में घुसता उसकी बुर चिपकने लगती आपस में और दाना फड़कने लगता वो सिन देख कर , मोबाइल में समय 11 बजने को हो रहे थे और बबीता जो सोच कर आई थी राजेश ने उसपर जरा भी ध्यान नहीं दिया । बस काम में लगा रहा ।
कंबल के नीचे बिस्तर पर टेक लेकर अपनी गीली बुर को कुरेद रही थी , उसकी ऊनी पैजामी उसकी घुटनों के नीचे थे , ब्लूमर के जांघों की लास्टिक की खींच कर उंगली बुर को छू रही थी ।
मोबाइल में बड़ा ही रसदार सिन चल रहा था , जिसमें राजेश किसी औरत की रसीली छातियां मिज रहा था और वो औरत सिसक रही थी ।
इधर राजेश भी काम के बीच में बबीता के हाल चाल लेने कमरे में आया तो देखा कमरे की बत्ती बुझी है और उसे हल्की आवाज आ रही थी मोबाइल से लेकिन स्पष्ट नहीं ।
वो समझ गया कि बबीता अभी भी जाग रही थी ।
उसने कमरे में आते ही दरवाजा लगाया और बत्ती जला दी : गुड़िया , अभी सोई नहीं बेटा
बबीता ने जल्दी जल्दी मोबाइल में प्लेयर बदल कर एक मूवी चालू कर दिया जिसका वॉल्यूम तेज था : वो मै फिल्म देख रही थी , आपका काम हो गया क्या पापा
राजेश ने अपनी आंखे महीन की : फिर से झूठ , अभी मै आया तो फिल्म की आवाज इतनी तेज तो नहीं आई , क्या देख रही थी तू
राजेश के मुस्कुराते चेहरे को देखकर बबीता को जरा भी डर नहीं लगा और वो मुस्कुराने लगी और कम्बल में दुबकने लगी
राजेश उसके पास जाकर कंबल उठा तो देखा बबीता की पायाजामी घुटने के नीचे : फिर से ! मना किया था न तुझे
राजेश उसके पास बैठ गया और बबीता चुप हो गई : सॉरी पापा
राजेश : सॉरी की बच्ची , मार खाएगी अब बदमाश
बबीता मुस्कुराने लगी और अपने पापा से चिपकने लगी
राजेश : कबसे देख रही है तू उम्मम जबसे गया हु तबसे न
बबीता : नहीं बस अभी अभी चालू किया
राजेश ने उसकी आंखों में देखा कितनी चंचल और मादक थी : रुक अभी पता चल जाएगा
और अगले ही पल उसने कम्बल हटाया और बबीता की जांघें खींच कर फैला दी : अह्ह्ह्ह
बबीता की सिसकी निकल गई और उसकी सांसे तेज हो गई और तभी राजेश ने अपनी उंगलियां उसकी गीली ब्लूमर पर चूत के पास रख कर टटोली , और वो पूरी तरह से गीली थी : मुझसे झूठ बोल रही है, कबसे देख रही थी तभी न इतना निकला है
बबीता शर्माने लगी और राजेश की उंगलियों के स्पर्श ने उसकी बुर की फड़फड़ाहट बढ़ा दी ।
बबीता ने खुद से वहा मच रही खुजली के लिए अपनी उंगलियों से रगड़ा
राजेश : अरे फिर से
बबीता : नहीं वो खुजली हो रही है वहां
राजेश खुद से उसके ब्लूमर को जांघों के पास साइड कर बुर गीली बुर पर उंगली रखते हुए : यहां पर क्या
बबीता ने आंखे बंद कर ली और सिसकने लगी : हा पापा वही पर
राजेश उंगली फिराने लगा और बबीता की बुर टपकने लगी : उफ्फ कितनी गीली कर ली है तूने , इतना अच्छा लग रहा था वीडियो
बबीता आंखे बंद किए : हम्ममम बहुत सीईईई आप देखोगे तो आपका भी हो जायेगा
राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने बबीता को छोड़ कर मोबाइल में वही वीडियो चालू कर दिया जो बबीता ने छोड़ा था । आवाज आते ही बबीता की आंखे खुली और वो चौक गई कि उसके पापा उसके आगे ही वीडियो चला रहे है : अह्ह्ह्ह सच कर रही है तू , सीमा की छातियां बड़ी मुलायम है

बबीता : ये कौन है पापा
राजेश अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ : मम्मी से तो नहीं कहेगी न
बबीता ने मुस्कुरा कर न सर हिलाया
राजेश : ये मेरे दोस्त की बहन है
बबीता : क्या ?
राजेश : हम्म्म , है न खूबसूरत
Babita, seeing her father sucking the woman's juicy breasts naked on her mobile, started caressing her pussy and Rajesh also started massaging his penis: Ahhhh I know, let me tell you one thing about it
Babita started getting hot: Yes Papa, tell me
Rajesh: If you hold her milk, she would hold it tightly below
Babita started smiling, she was feeling a little shy, Rajesh got upset thinking about seeing her shy: Ahhhh
Babita: Take it out
Rajesh looked at her and smiled and took out his pajama and underwear penis
Very stiff peg-like tight red Supada raised her face upwards: Ahhhh, how comfortable it is, uff, it was hurting inside
Babita was just looking at his penis with wide eyes, her pussy was shedding juice and dripping from inside
Rajesh: What happened Gudiya

Babita smiled with longing eyes and started watching the video of her nodding her head in Na, in which the woman was on her knees caressing her father's penis with both his hands


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Rajesh shaking his penis: Ummm, it becomes so intoxicating when he touches it
Babita started smiling, she had understood her father's intention but how to take the initiative.
Rajesh luring Babita: I know your mother also likes this of mine very much, if she finds it then don't leave it
Babita smiled and looked at her father: Papa, let me catch you
As soon as these words came to Rajesh's ear, his penis became intoxicated and his heartbeat increased: Yes, hold on and see how it is
बबीता ने हाथ निकाला और राजेश का लंड थाम किया , एकदम टाइट जैसे कोई बांस का खूंटा , कड़क तपता हुआ : गरम और कड़ा है उफ्फ बड़ा भी है वीडियो से


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राजेश आंखे बंद करके सिहर उठा बबीता की कोमल हथेलियों में अपना लंड महसूस कर : उफ्फ गुड़िया तेरे हाथ कितने नरम है
बबीता उसका लंड आगे पीछे करने लगी और दूसरा हाथ भी उसका अपनी बुर मसल रहा था : आपको अच्छा लगता है न पापा ऐसे
राजेश के भीतर जैसे कामुकता के बादल घुमड़ने लगे और वो आंखे बंद कर गहरी सास लेता हुआ : सीईईई हा बेटा बहुत ओह्ह्ह्ह
गुड़िया : पापा आपका ये बहुत अच्छा है , बड़ा भी है
राजेश ने दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़ कर अपने हाथ उसके जांघ पर ले गया : तुझे पसंद आया बेटी उम्मम
बबीता ने उसकी ओर देख हा में सर हिलाया और उसके करीब हो गई क्योंकि वो समझ रही थी उसके पापा किस ओर बढ़ रहे है और अगले ही पल वापस से राजेश ने बबीता की बुर को सहलाने लगा


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बबीता की आंखे उलटने लगी , जिस तरह से राजेश उसके फांके कुरेद रहा था और वो तड़पने लगी : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम कितना अच्छा लग रहा है उम्ममम और करो ऐसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
राजेश तेजी से उसकी बुर सहलाने लगी और एक उंगली डाल कर उसकी बुर का जायजा लिया और उसकी उंगली आसानी से अंदर चली गई । राजेश समझ गया कि बबीता बे बहुत उंगलियां चलाई है अपनी चूत में
और वही बबीता झटके खाने लगी , उसने अपनी स्वेटर खोलकर कर ब्रा के ऊपर से अपनी छातियां दबाने लगी
राजेश इस दौरान लगातार उसे मोबाइल पर वीडियो दिखा रहा था जिसमें वो औरत उसका लंड चूस रही थी , जिसे देख कर बबीता को लालच आ रहा था और उसकी लार टपकने लगी थी
राजेश : उफ्फ क्या मस्त चुस्ती है ये उम्मम
बबीता राजेश का लंड सहलाती हुई : पापा मै कर दूं
राजेश चौक कर : तुझे आता है ?
बबीता थोड़ा लजा कर थोड़ी मुस्कुराकर : वीडियो देख कर , कर लूंगी
राजेश अब क्या बोले और उसकी चुप्पी हो हा समझ कर बबीता ने अपना पोजिशन बदलते हुए राजेश की गोद में आ गई और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया
राजेश सिसक पड़ा : ओह्ह्ह गुड़िया उम्मम कितने रसीले होंठ है तेरे उम्मम उम्मम.


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बबीता ने वीडियो देखना छोड़ दिया था आंखे बंद कर पूरे रस लेते हुए अपने पापा का लंड चूसने लगी
राजेश का और मोटा होने लगा और वो उसके ब्रा में हाथ घुसा कर उसकी


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कोमल नरम मौसमी जैसी चूचियां पकड़ लिया और उसने सहलाने लगा , उसकी निप्पल को खींचने लगा , वही बबीता कभी उसका लंड पकड़ कर अपने होठों से रगड़ती कभी गहरे मुंह में ले जाती
राजेश उसके सर को हौले हौले दबाता ताकि वो और गले तक लंड को ले
बबीता ने थूक से उसका लंड गिला कर दिया था
वही वीडियो में चुदाई चल रही थी जिसमें वो औरत बबीता के पापा की गोद में बैठ कर लंड को अपनी बुर में में भर कर अपने मोटे चूतड़ पटक रही थी
बबीता एकदम से उठ गई
राजेश चौक कर : क्या हुआ बेटा
बबीता मुस्कुराई और उसके आगे अपनी ब्लूमर निकालने लगी
राजेश को समझते देर नहीं और उसने भी आगे कोई सवाल जवाब नहीं किया ।झट से अपना पजामा और अंडरवियर निकाल पोजिशन में आ गया
Then caressing the penis: Come my son, come
Without wasting a moment, Babita threw her legs and folded her legs and started applying Rajesh's penis on her pussy and Rajesh set his Supada and made her sit on his penis
Babita felt her father's thick head sliding and sobbed and hugged him holding his shoulder: Ahhhh Papa Ummam
Rajesh was liking to enter the walls of hot lava on his Supada, he reached Babita's pussy till the end: Just son, be up and down comfortably now, it is not hurting
Babita was not planning to leave her father's thick capada penis, so she shook her head and started moving up and down slightly: Ummmm papa, I am feeling good ahhh ummmm mummyi ohhh yss papa uff


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Rajesh held her tightly in his arms and started moving his penis from below, spreading her buttocks with his paws.
Due to Rajesh doing this, Babita's pussy started twitching badly, Rajesh started penetrating the penis rapidly in her ringing pussy, due to which Babita held her face and joined her lips with her lips and started sucking
Rajesh Her enthusiasm became even more erotic: Ahhhh Papa Ummm and and Ummm I feel good like this Ummm Mummy Ohhh
Rajesh, while giving his waist from below with full enthusiasm, started inserting it into Babita's pussy: It feels good, my doll needs more fun
Babita looked into his eyes intoxicated: Ha Papa, give me more and love me ahhhh ummm


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Rajesh filled her bouncing naked breasts in his mouth and quickly started inserting his penis into her pussy from below, due to which Babita suddenly started ejaculating in agony, Rajesh's Supada started writhing with hot juice and semen started coming up from behind her. He suddenly became stiff: Get up son, my ahhhh ceeeee ohhhh
Babita immediately got up and her father held the penis and started sucking it with her mouth and suddenly the fountain burst: Ahhhh ohhh son ummm doll ahhhh ohhhh


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Babita kept shaking his penis with her lips on it till the end and Rajesh's penis got pumped and kept pouring cream from Supada on her cheeks and lips.
Rajesh had understood that his daughter had already played, but the question was with whom
But he was carefree because the night was still long

Will continue
Okay I am not asking to show direct sex of anuj ragini in one update although much time passed since the story started they should have sex till now never mind come to my point don't show direct sex but can you long the length of their mommet and conversation their part is not even 1/4 of whole update at least you can focus their part half of the update
And why anuj ragini sequence is so slow and I know you are writer of the story and will do as per your wish but still telling change your some patten why ragini still treat anuj a child she should have suspect him having sex gf and his change personality you didn't take or need 20 update to make Rajesh babita and banwari Geeta equation but you are slowing for anuj you explain me earlier but bro from that time since so much time passed so we can accept more
Because now there is no story where sex is very open but at same time focus on story like katha chodampur ki but it also stopped so we all readers eyes on you to give update timely and give a better story
Anyway update was good
 

LustyArjuna

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💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 15



चमनपुरा

किताबें लेकर अनुज किचन में टेबल पर बैठा हुआ था , बीच बीच में रागिनी उससे बात कर रही थी और अनुज की नजर भी रागिनी पर थी , स्कर्ट में उठे हुए रागिनी के मोटे चूतड़ पर सोनल के मुलायम स्कर्ट का कपड़ा एकदम चिपका था और बिना पैंटी के उसके चूतड़ों के उभार और दरार साफ झलक रहे थे,जिन्हें देख कर अनुज का लंड अकड़ रहा था ।

रागिनी सब्जी चला कर उसके पास आई और अनुज को किताबों में खोया देख उसके सर पर हाल फेरती हुई : भूख लगी न मेरा बेटा
अपनी के मुलायम और ममता भरे स्पर्श से अनुज के बदन में कंपकपी सी हुई और वो पिघलने लगा मानो : हा मम्मी , बहुत तेज
रागिनी : ठीक है तू हाथ धो ले फिर खाना लगाती हूं
फिर अनुज किताब नोट बुक्स साइड के रख कर हाथ धूल कर खड़ा हो गया और उसे कोई तौलिया नहीं मिल रहा था पोछने के लिए

रागिनी उसको इधर उधर देखता हुआ : क्या हुआ
अनुज गिले हाथों से : तौलिया ?
रागिनी ने देखा कि फिलहाल किचन में भी कोई रुमाल ऐसा नहीं था : इसीलिए मै साड़ी पहनती हूं, हाथ पोछने के लिए कपड़ा नहीं खोजना पड़ता

अनुज मुस्कुरा कर : कोई बात नहीं , मम्मी मै बाथरूम में से लेकर आता हूं
अनुज लपक कर बाथरूम में गया और वहां से तौलिया झटके से खींचा तो तौलिए के नीचे हैंगर में टंगी हुई ब्रा पैंटी की जोड़ी नीचे बाथरूम के फर्श पर गिर गई
अनुज ने जैसे ही बाथरूम के फर्श पर ब्रा पैंटी का जोड़ा गिरा पाया तो उसके मन में अपनी मां का ही ख्याल आया और उसने एक नजर दरवाजे से बाहर कमरे की ओर देखा और बिना एक पल गवाए फौरन अपने नथुनों से लगा लिया : उम्ममम मम्मी क्या मस्त खुशबू है अह्ह्ह्ह
उसका लंड पजामे के ठुमके लगाने लगा
फिर वो हड़बड़ी में अपनी मां की पैंटी को फैलाया और उसका साइज देखते ही उसे कुछ शक हुआ , क्योंकि जबसे वो दुकान पर बैठने लगा था उसे साइज के बारे में अच्छी जानकारी हो गई थी । और उस पैंटी का साइज देखने के बाद उसने जल्दी जल्दी उसका लेबल खोजा , तो उसपर 50 नंबर लिखा था । उसने अपना दिमाग दौड़ाया , भला उसके घर इतनी बड़ी गाड़ किसकी होगी । एक पल को उसका ध्यान रज्जो मौसी और शिला बुआ पर गया , मगर वो सब भी 46 वाली साइज के थे ।
जब उसने ब्रा का साइज पढ़ा तो 44E अब तो उसका माथा ही घूम गया क्योंकि इतने बड़े बड़े चूचों वाला तो उसके जानने वाले में कोई नहीं । सबसे बड़ी बात ना इस ब्रांड और साइज की पूरे चमनपुरा में कोई दुकान होगी जो ऐसे अच्छी क्वालिटी में ब्रा पैंटी रखता हो ।


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तभी बाहर से रागिनी ने आवाज दी और वो झट से कपड़े टांग कर बाहर आ गया ।
फिर दोनों के टीवी के आगे खाना खाने लगे , अनुज के दिमाग में अभी वो सवाल घूम रहे थे कि आखिर ये किसके हो सकते है लेकिन वो अपनी मां से पूछे भी तो कैसे ?
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा , खा न
अनुज बिना कुछ बोले खाना खाने लगा और फिर कुछ देर बाद कमरे में रागिनी आई : अच्छा सुन आज तू भी यही सो जाना
अनुज जो कि आज रात अपनी नई इंस्टा आईडी खोलने की सोच रहा था तो उसने जल्दीबाजी में बोल दिया कि उसे पढ़ाई करनी है अभी

रागिनी : हा तो ठीक है यही कर लेना न
अनुज को थोड़ा पछतावा होने लगा कि कल संडे हो जाएगा और वो लाली से बात भी नहीं कर पाएगा ।
रागिनी : राज भी आयेगा नहीं , और तेरे पापा वो तो ससुराल जाकर भूल ही गए है हम सबको , एक बार भी फोन नहीं किए , न हाल चाल लिया ।
अनुज : अरे मम्मी , न आपके पास फोन है और न मेरे तो किसके पास करेंगे ?
तभी अनुज का माथा ठनका " अरे यार हॉटस्पॉट भी तो नहीं है , राज भैया नहीं है तो "
फिर उसने सोचा क्यों न अपनी मां के साथ ही नजदीकिया बढ़ाई जाए ।
रागिनी मुंह बनाती हुई : अरे फिर भी हाल चाल होना चाहिए न , ना जाने क्या मिल गया है उन्हें वहां। तेरी मामी के साथ भाग गए तो
अनुज एकदम से खिलखिलाया : क्या मम्मी आप भी हीहीही
रागिनी हंसते हुए बिस्तर लगा रही थी : और क्या , तेरी मामी कहा गोरी और जवान और मै तो एक बिटिया भी ब्याह चुकी हूं
अनुज थोड़ा पोजेस हुआ जब रागिनी ने खुद को कम बताया और घुड़क कर : हा तो उससे क्या हुआ , आप मामी से ज्यादा सुंदर हो लेकिन

ये दूसरी बार था जब रागिनी ने अनुज के मुंह अपने लिए ऐसा कुछ सीरियस जैसा महसूस किया और हस्ती हुई : हा भाई मान गई, अब मुंह मत बना मै भी नहीं कहूंगी कुछ तेरी मम्मी के बारे में हीहीही खुश अब
अनुज थोड़ा शर्माने लगा और मुस्कुराने भी
रागिनी कम्बल रखती हुई : आजा बिस्तर पर वो लाइट बुझा दे , अगर पढ़ना नहीं है तो
अनुज ने सोचा अगर बत्ती बुझ गई तो उसकी जो योजना है वो विफल हो सकती है इसलिए हड़बड़ाया: नहीं मुझे लिखना है अभी कितना सारा, आज ये खत्म कर लूंगा तो कल जाऊंगा मिस जी के यहां से दूसरे नोट्स लेने है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है भाई तू लिख ले आह्ह्ह्ह मै तो सोउंगी अरे दादा उम्मम कमर अकड़ सी गई
अनुज धीरे से भुनभुनाया : और करो डांस
रागिनी हस्ती हुई : क्या बोला , पागल कही का
अनुज हसने लगा : हा इतनी तेज तेज कमर हिला रही थी तो होगा नहीं दर्द
रागिनी कुछ सोच कर मुस्कुराती हुई उसे देखी
अनुज : बाम लगा दु ?
रागिनी : अरे तू तो डांटने भी लगा अब हीही
अनुज : भक्क मम्मी , चलो लेट जाओ अच्छे से

फिर रागिनी पेट के बल होकर लेट गई और अनुज ने उसकी कमर पर बाम लगा कर उसकी नंगी चर्बीदार मुलायम कमर और आधी पीठ तक हाथ से सहलाने ।
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह तेरे हाथ कितने नरम है , तुझे तो मसाज वाली होना चाहिए था
अनुज : भक्क मम्मी
रागिनी : सच में , गांव में पहले मसाज वाली होती थी
अनुज ने पहले कभी नहीं सुना था कि गांव में मसाज वाली होती है ।
रागिनी : वो सब बड़े घरों के यहां औरतों की मालिश करती थी ।
अनुज : और मर्दों की ?
रागिनी : हा उनकी भी करती थी , लेकिन कुछ खास लोगों की ही
अनुज : क्यों ?
रागिनी : अरे पहले का पहनावा और माहौल अलग था
अनुज : मतलब ?
रागिनी : मुझे देख रहा है , ऐसे ही पहले गांव के मालिश वाली घूमती थी बिना अपनी छाती ढके , घुटने तक घाघरे को लहराते हुए , ताकि बड़े घरानों के मर्द उनको देख कर आकर्षित हो और उन्हें मालिश के लिए बुलाए और उन्हें ज्यादा पैसा मिले
अनुज कुछ सोचता हुआ : तो क्या वो लोग उनके साथ कुछ जबरजस्ती नहीं करते थे
रागिनी : होता था बहुत बार , लेकिन ज्यादातर मालिश वाली खुद इनसब के लिए तैयार होती थी ।
अनुज का लंड अब हरकत करने लगा था और उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था जिससे उसकी धड़कने तेज होने लगी थी । लेकिन वो चुप था
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा है
अनुज : मम्मी आपको एक बात बताऊं, आपकी कसम मै झूठ नहीं बोल रहा

रागिनी फिकर में उसे अपने पास करती हुई सीने से लगाने लगी : हा बोल न बेटा , इतना डर क्यों रहा है ।
अनुज अपनी मां से चिपका हुआ और भी कमोतेजित महसूस कर रहा था : वो जब हम लोग नानू के यहां जाते थे तो मैने वहां दो तीन बार नानू के कमरे में एक औरत को जाते देखा था फिर वो घंटे भर तक कमरे बंद रखते थे । एक बार उनसे पूछा तो कि नानू वो कौन थी तो कह रहे थे कि मालिश वाली है ।

रागिनी एकदम से चुप हो गई क्योंकि वो अपने बाप बनवारी की हरकतों से परिचित थी
अनुज : क्या हुआ मम्मी बोलो न
रागिनी : हा वो थोड़ा तेरे नाना को पैर के दिक्कत होती है , उसी की तो दवा भी चलती है ।
अनुज : और एक बात बताऊं मम्मी
रागिनी का दिल डर रहा था कि कही गलती से अनुज ने अपने नाना को गलत हालातों में देख न लिया हो ।
रागिनी : हा बोल बेटा
अनुज : नानू बहुत गंदे है
रागिनी की सांसे तेज होने लगी और वो समझ गई कि जरूर अनुज ने बनवारी को कुछ ठरकीपना करते देखा है : नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते , तू अभी ये सब समझने के लिए बहुत छोटा है ।

अनुज : मै सच कह रहा हूं मम्मी , आपकी कसम , भैया की कसम
रागिनी की हालात खराब होने लगी कि वो कैसे उसे समझाए : बेटा देख अम्मा ( अनुज की नानी ) को गुजरे कई साल हो गए हैं जब हम लोग छोटे थे तभी और बाउजी थोड़े रोमेंटिक है ये बाती सब जानते है । लेकिन बेटा वो किसी के साथ जबरजस्ती नहीं करते । उनकी अपनी जरूरत है बस इसीलिए ।

अनुज अब चुप था और फिर बोला : लेकिन दो दो औरतों के साथ
रागिनी चौकी : क्या दो दो के साथ ?
अनुज : अब कभी चलना नानू के यहां तो मै दिखाऊंगा आपको कौन थी वो दोनों
रागिनी : अच्छा ठीक है ठीक है, छोड़ अब वो बातें । कहा से तेरे दिमाग में आ गई । पढ़ ले थोड़ा
अनुज मुस्कुरा कर किताबों की ओर हो गया और रागिनी करवट लेकर घूम गई ।
अपनी मां से इतनी बड़ी बाते साझा कर उसने समझा कि शायद उसे अब इतना भी नहीं डरना चाहिए जितना वो डरता है और उसके जहन में एक और सवाल ने जगह बना ली ।

अनुज : मम्मी
रागिनी : अब क्या हुआ ?
अपनी मां की खीझा देख
अनुज एकदम से डाउन हो गया : सॉरी कुछ नहीं
रागिनी कम्बल से मुंह निकाल कर करवट लेकर उसकी ओर घूमती हुई : क्या हुआ भाई बोल न
अनुज : वो आपके बाथरूम में किसी गेस्ट के अंडरगारमेट छूट गए है , जब मैने तौलिया लेने गया तो नीचे गिर गया था
रागिनी हंसते हुई : पागल गेस्ट के कहा से रहेंगे , मेरे होगे
अनुज : नहीं , उतना बड़ा थोड़ी न आपका होगा
अनुज की बात सुनकर कर एकदम से रागिनी का माथा ठनका और उसे याद आया कि वो अपनी समधन ममता की ब्रा पैंटी मांग कर लाई थी । इससे पहले वो कुछ बोलती अनुज झट से बेड से उछल कर बाथरूम में भागा: रुको दिखाता हु

फिर अगले ही पल बिजली की तरह वापस आ गया : देखो , 50 नंबर और ये 44 इतना बड़ा कोई नहीं पहनता ।

रागिनी को हंसी भी आ रही थी और थोड़ी शर्म भी अनुज के आगे , लेकिन अनुज एकदम कैजुअल था
अनुज उसके हाथों में देता हुआ : किसकी है ये
रागिनी : ठीक है रख दे तेरी मौसी या बुआ की होगी
अनुज : नहीं मम्मी, मौसी की कैसे होगी उनकी ब्रा का साइज 42 है
रागिनी ने एकदम से घूरा
अनुज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल रागिनी की ये सोच कर हसी आई कि इसे कैसे पता रज्जो का साइज ।
अनुज सफाई देता हुआ : वो जब पिछले साल पूजा पर मौसी आई थी तो आप ही दुकान से निकाल कर लेकर गई थी उनके लिए भूल गई ।
रागिनी को याद आया कि रज्जो कपड़े लेकर नहीं आती थी और रज्जो को उसके ब्लाउज फिट नहीं आ रहे थे इसीलिए वो उसको ब्रा निकाल कर दी थी

रागिनी अपना माथा पकड़ कर : हे भगवान , क्या क्या याद रखता है तू । छोड़ होगी किसी की
अनुज : लेकिन किसकी ?
रागिनी थोड़ी बिगड़ी : सब कुछ तुझे जानना जरूरी है । पढ़ाई तो तुझे करनी नहीं है इधर उधर की बाते कर रहा है । बत्ती बुझा कर सो जा ।
अनुज को पसंद नहीं आया और वो अपनी किताबें उठाया और बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर निकल गया ।
रागिनी ने उसको आवाज दी लेकिन वो राज के कमरे में चला गया ।
रागिनी खुद को कोसने लगी कि क्यों उसने डाटा उसे , जानती है कि वो कितना भोला है, जल्दी चिढ़ जाता है कुछ बोलो तो ।
लेकिन गलती तो उसकी ही थी , लापरवाही में उसने सोचा ही नहीं कि काम के बाद समान उसके जगह पर होना चाहिए। अब कोई चारा नहीं था सिवाय अनुज को मनाने का इसलिए वो उठ कर गई राज के कमरे की ओर जाने लगी ।


शिला के घर

" उम्ममम अभी छोड़ दे बेटा , खाने के बाद आती हूं न तेरे पास अह्ह्ह्ह उम्मम"


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" उफ्फ बड़ी मामी कितना मुलायम दूध है आपका , अह्ह्ह्ह उम्मम " अरुण रज्जो के ब्लाउज खोलकर उसके चूचे चूस रहा था दोनों हाथ से पकड़ कर ।
रज्जो खड़े खड़े उसके सर को सहलाती हुई : बस अह्ह्ह्ह्ह रुक न उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो उससे अलग होकर अपना बड़ा सा मम्मा हाथ से अपनी ब्लाउज में डाली और हुक लगाती हुई अपना पल्लू सही करने लगी
फिर अरुण की ओर देखा जो लोवर में बने तंबू को ऊपर से मुठिया रहा था और उसकी आंखों में चुदाई की तड़प तैर रही थी : बदमाश कही का हिहिही
अरुण : मामी पक्का आओगी न
रज्जो : मै अपना वादा नहीं भूलती
फिर रज्जो उसके कमरे से निकल कर किचन की ओर गई , जहां कम्मो एक नाइटी में थाली में खाना परोस रही थी
रज्जो उसके पास गई और उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : अब किसको परोसने जा रही हो जानेमन
कम्मो : ओह भाभी आप ,
रज्जो : तू तो बड़ी चालू निकली , मैने सोचा आग लगाऊंगी थोड़ा ड्रामा होगा
कम्मो : चालू तो आप भी कम नहीं है , मुझे दीदी के पास भेज कर खुद भाई साहब के साथ उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : अब क्या करती , बेचारे की बीवी उन्हें धोखा दे रही थी तो अब उनको संभालना भी तो जरूरी था , नहीं तो टूट जाते बेचारे
कम्मो : सही किया , मै भी क्या करती खड़ा हथियार हम बहनों की कमजोरी है
रज्जो : ओह्ह्ह
कम्मो: और क्या , हम बहने हथियार हथियार में भेद नहीं करती । मिल बाट कर रहने में क्या बुराई है भला ।
रज्जो : वैसे दो चार हथियार मायके में भी है , वहा से भेदभाव क्यों हीहीहीही
कम्मो के कान खड़े हो गए : क्या धत्त तुम भी न भाभी , छोड़ो जरा भाई साहब को खाना दे दु ।
रज्जो : और उनको ( रामसिंह )
कम्मो मुस्कुराई और इठलाती हुई : वो अपनी खुराक ले रहे है ऊपर
फिर किचन से मानसिंह के पास चली गई ।
बिना एक पल गवाए फौरन वो भी उसके पीछे हो ली
इधर कम्मो जैसे ही मानसिंह के कमरे में दाखिल हुई : उम्हू इतना किसे याद कर रहे है
रज्जो कमरे के बाहर रुक गई और हल्के से अंदर झांका तो देखा मानसिंह अभी भी नीचे कुछ नहीं पहना था और उसका खड़ा लंड उसके हाथ था और वो सोफे पर था
मानसिंह कम्मो को देखते ही अपना लैपटॉप साइड कर कम्मो को अपनी गोद में बिठाता हुआ : आह मेरी जान , तुम्हारे बिना इसका मन नहीं लग रहा था तो भुलवा रहा था मै
कम्मो उसका खड़ा लंड पकड़ती हुई : अच्छा जी , फिर तो इसे भूख भी नहीं लग रही होगी
मानसिंह सिहरता हुआ : भूख तो बहुत है इसे मेरी जान , पर मेरी भूख का क्या ?
कम्मो : तब तो आप दोनों की भूख एक साथ मिटानी पड़ेगी
और अगले ही पल कम्मो ने अपनी जांघें खोलते हुए अपनी नाइटी उठाने लगी और मुंह से थूक लेकर उसे मानसिंह के सुपाड़े पर लगा कर अपनी बुर पर टिकाते हुए 8 इंच का मोटा लंबा तना हुआ लन्ड अपनी बुर में लेती हुई बैठ गई , उसकी चिपकी हुई सुखी बुर में मानसिंह का लंड रगड़ता हुआ अंदर जाने लगा और कम्मो जब पूरा लंड अंदर ले ली तो अपने साथ लाई हुई थाली आगे करके एक एक निवाला बनाती हुई मानसिंह को खिलाने लगी : अब ठीक है न
मानसिंह मुस्कुराने लगा और वही रज्जो कमरे में आती हुई : अरे ठीक क्यों नहीं रहेगा , ऊपर नीचे दोनों तरफ से परोस रही हो
एकदम से रज्जो के आने से कम्मो शर्मा गई

रज्जो : उन्हूं उठना मत वरना मै बैठ जाऊंगी
रज्जो ने मानसिंह को आंख मारी और मानसिंह मुस्कुराने निवाला चबाते हुए
कम्मो : धत्त भाभी ,आप तो ऊपर जा रही थी न
रज्जो : हा लेकिन फिर सोचा कही नंदोई जी को कुछ नमकीन चाहिए होगा तो पूछ लु , क्यों नंदोई जी नमक कम तो नहीं
मानसिंह कम्मो के कूल्हे आगे पीछे करता हुआ : चटक खाना मुझे पसंद है भाभी , मिल तो कोई बुराई नहीं
रज्जो समझ गई और अगले ही पल सोफे पर आकर खड़ी होकर साड़ी उठाती ही अपनी बुर को मानसिंह के मुंह के पास ले गया


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मानसिंह उसकी गदराई जांघों को थमता हुआ उसके बुर ने अपना मुंह दे दिया : सीईईईई अह्ह्ह्ह थोड़ा आराम से नंदोई जी गिर जाऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम
कम्मो रज्जो की हरकत देख कर जोश में आ गई और मानसिंह के लंड पर मथने लगी , उसका लंड अपने बुर ने नचाने लगी और उसका लंड अपनी बुर ने पूरी तरह चोक कर सुरकने लगी : अह्ह्ह्ह मेरी जान उफ्फ तेरी इसी अदा पर तो मै उम्ममम यश माय बेबी उम्मम फक्क मीईई
रज्जो अलग हो गई और मानसिंह के बगल में बैठ गई और सीने पर हाथ फेरने लगी , वही मानसिंह कम्मो के चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा
कम्मो मानसिंह का मोटा लंड अपनी बुर में अंदर तक महसूस कर रही थी और उसपर मस्ती छा रही थी
उसके कम्मो की नाइटी निकाल दी और उसको पूरी नंगी कर दिया
कम्मो के गोल और कसे हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे देख कर रज्जो की आँखें फैल गई


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और इधर मानसिंह देरी न करते हुए कम्मो का की एक छाती पकड़ कर मुंह लगा दिया : उफ्फ मेरे राजा उम्मम यशस्श उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सक इट उम्मम सीई अह्ह्ह्ह गॉड
कम्मो पूरी तरह पगला गई थी , और तेजी से मानसिंह के लंड पर मथने लगी , मानसिंह की चुची का निप्पल खींच रहा था
रज्जो से रहा नहीं गया वो भी कम्मो की दूसरी हिलती हुई छाती को छूने लगी : उफ्फ कम्मो रानी तुम्हारे जोबन तो बड़े कड़े अह्ह्ह्ह
कम्मो रज्जो के स्पर्श से अकड़ने लगी , उसकी जांघें फड़फड़ाने लगी , जिसका सीधा असर मानसिंह के लंड पर हो रहा था : सीईईईई अह्ह्ह्ह भाभी यह क्या कर उम्ममम अह्ह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
रज्जो उसके निप्पल पर पास उंगलियों को घुमाती हुई : क्या हो रहा है मेरी जान , यहां कुछ हो रहा है
कम्मो तड़प कर सिसकती हुई मानसिंह के लंड पर अपनी गाड़ हिला रही थी : हा भाभी उफ्फ नहीइई ( एकदम से रज्जो ने उसके निप्पल पर जीभ फिराई और होठों से चूसने लगी ) सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् आयेगा आयेगा अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
एकदम से कम्मो कांपने लगी, उसने एक हाथ से मानसिंह का तो दूसरे हाथ से रज्जो से सहारा ले रखा था ,लेकिन नीचे उसके पैर थरथरा रहे थे और मानसिंह के लंड पर वो ऐसे झड़ रही थी मानो पेशाब कर रही थी
जैसे जैसे कम्मो झड़ रही थी , दोनो उसके चूचों को कस कर चूस रहे थे और फिर एकदम से सुस्त हो गई और मानसिंह के सीने पर ढह गई । लेकिन रज्जो के बुर में अभी भी चूल हो रही थी और मानसिंह को देखा तो वो भी सुस्ता रहा था , जैसे मानो कम्मो के साथ वो भी झड़ गया हो ।
रज्जो ने उन्हें आराम करने दिया और अपने लिए खाना लेने किचन की ओर चली गई

सरोजा के घर

रात गहरा रही थी और बाहर के मेहमान लगभग सब जा चुके थे , घर की कुछ औरते और बच्चे थे उन सब को ठकुराइन खाना खिलाने और सुलाने की व्यवस्था देख रही थी ।
राज सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल देख रहा था , आज उसके नीलू दीदी वाले व्हाट्सअप ग्रुप में भी हॉस्टल की मस्तियों वाली तस्वीरें आई थी , सिम्मी जो अपने घर गई थी वो शायद वहा की मस्ती मिस कर रही थी
ऐसे में राज ने भी सरोजा के घर का स्नैप बना कर डाल दिया

नीलू : yo bro !! Smart choice 😎
तभी सिम्मी ने भी रिप्लाई किया : yaar sb koi masti kar rahe hai , ek mai hu ki ghar par aayi hu
तभी चारु ने एक फोटो डाली जिसमें कुछ लड़कियां बैठी चियर कर रही थी और राज ने देखा उसमें एक लड़की के हाथ में बियर बोटल थी ।
तभी झट से नीलू ने वो फोटो डिलीट कर दी । राज समझ गया हॉस्टल में सर्दियां कुछ ज्यादा ही है ।
अक्सर इस ग्रुप में मैसेज फोटो आते है राज कभी उन पर उतना ध्यान नहीं देता , बस चुपचाप सीन करके निकल जाता है । तभी उसकी नजर सिम्मी के डीपी पर गई और उसने उसका प्रोफ़ाइल खोला


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क्या गजब की खूबसूरत दिख रही थी वो , वही बिंदास अंदाज खुले बाल कैजुअल लुक और उभरे हुए गोल मटोल चूचे एकदम टाइट और कड़े ।

" वाव सो सेक्सी , वैसे कौन है ये " , एकदम से राज के कानों में संजीव ठाकुर की आवाज आई और वो हड़बड़ा गया ।
राज अपने बगल में देखता हुआ झट से मोबाइल लॉक कर दिया : अरे अंकल आप ?
संजीव : रिलैक्स बेटा , वैसे थी कौन वो
राज हड़बड़ाने लगा : जी अंकल वो मेरी बुआ की लड़की है उसकी दोस्त है
संजीव : बात होती है
राज अभी भी थोड़ा डर रहा था : हा हम सब एक कॉमन ग्रुप में है बस उसी में
संजीव : कभी पर्सनली हाय हैलो नहीं किया
राज : जी नहीं
संजीव : बेटा कब करेगा , चलो अभी करो
राज मुस्कुराने लगा : नहीं मै बाद में कर लूंगा
संजीव : अरे मै जानता हु तुम्हारी भी आदत रंगी की तरह से टालते तुम दोनों को ,
राज : अगर उसे पसंद नहीं आया तो ?
संजीव : पहले ट्राई तो करो , इतना भी क्या डरना
राज : आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे , वो पट ही जाएगी हीहीही
संजीव : अगर तुझे नहीं करना ट्राई तो नंबर मुझे दे मै बात कर लूंगा
राज हंसता हुआ आंखे बड़ी कर : हा , बोलूं आंटी को
संजीव ठहर गया : क्या यार तू भी
राज समझ रहा था कि वो नशे में है शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही फ्रांक हो रहा है ।
राज मुस्कुरा कर : अच्छा ठीक है नहीं कहता , लेकिन मुझे शक है जरूर बाहर कोई gf होगी आपकी क्यों ? हीहीही
संजीव उसके कंधे पर हाथ रखे हुए अपनी लाल आंखों से मुस्कुराया : तू और तेरे पापा दोनों बहुत चालू चीज हो , बात कहा तेरी थी अब मेरे ऊपर घुमा दिया , सही है गुरु
राज हसने लगा : आखिर बेटा तो उन्हीं का हू हीहीही, वैसे एक बात पूछूं अंकल
संजीव : हा बोल न बेटा
राज : कम से कम 3 4 तो होंगी ही आपकी हिहीही क्यों ?
संजीव : खींच रहा अब मेरी हां ?
राज हंसता हुआ : सॉरी हीही
संजीव : 3 4 नहीं है , बस एक ही है और खबरदार अपनी आंटी को बताया तो ?
राज की आंखों के चमक उठी और वो चहक कर : फोटो दिखाओ तब न मानू
संजीव ने फिर अपने कोट की जेब से अपना मोबाइल निकाला और कुछ टिप टॉप कर एक फोटो दिखाई


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क्या गजब का गोल चेहरा , बड़ी बड़ी आंखे , बड़ी ही बिंदी माथे पर सिंदूर , बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में चुस्त और चौड़े कूल्हे उसकी वेशभूषा को देखते ही राज के मुंह से निकला : बंगाली है ?
संजीव आस पास देखा : हा , तुझे कैसे पता ?
राज मुस्कुराने लगा : बस पता चल जाता है , लेकिन तो शादी शुदा है
संजीव दबे हुए आवाज में : अफेयर में क्या कुंवारी या शादी वाली , खुल कर देने वाली होनी चाहिए
राज एकदम से चौक गया और सन्न भरी मुस्कुराहट से संजीव को देखा ।
राज : वैसे अन्दर और भी फोटो है देखा मैने , वो सब कौन है
संजीव ने आस पास देखा और धीरे से फोल्डर से एक दो तस्वीरें निकाली ,
वो फोटो देखते ही राज की आंखे बड़ी हो गई, एक होटल में स्विमिंग पूल की तस्वीरें थी जिसमें वो दो बड़ी बड़ी मोटी मोटी गाड़ और चूचियों वाली औरतें पूरी तरह से नंगी पूल में थी


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राज : ये कौन है और इनके साथ आप कैसे ?
संजीव : एक बार फॉरेन ट्रिप का पैकेज मिल था , मेरे बिजनेस कंपनी से वही की है , सुजैन और मरियम , सीईईई कमाल की औरत थी दोनो

राज थूक गटक कर : दोनो के साथ ?
संजीव : अरे वहा तो जितना बड़ा चाहो ग्रुप बना लो , मुझे बड़ी दिग्गी का शौक है तो ....
फिर संजीव मुस्कुराने लगा
राज आंखे नचा कर मुस्कुराता हुआ : वैसे फिर कभी और ट्रिप पर नहीं गए
संजीव : अभी इसी साल समर में बना रहा था , लेकिन तेरे पापा तैयार नहीं हुए
राज चौक कर : क्या पापा के साथ ?
संजीव : हा वो सोनल बिटिया की शादी तय हो गई थी न
राज अभी भी हैरान था : हा लेकिन पापा के साथ ? क्या वो भी बाहर ?
संजीव एकदम से चुप हो गया
राज : अंकल बोलिए न
संजीव : अह ये मै ... सॉरी बेटा मुझे
राज : प्लीज अब तो बता दो , कौन सा मै मम्मी से कहने जाऊंगा ये सब बातें
संजीव हस कर : ये हुई न बात , फिर तो जोड़ी जमेगी अपनी , वैसे ड्रिंक करते हो
राज ने भिनक कर नाक सिकोड़ते हुए ना में सर हिलाया तो संजीव : चलो कोई नहीं , तुम तो हम दोनो की दोस्ती जानते हो । लेकिन जैसे तुम्हारे पापा के नाम में रंगी है वो बहुत ही रंगीला आदमी है ।
राज मुस्कुराने लगा और वो समझ भी रहा था ।
संजीव : वैसे खाना खाया तुमने
राज : हा खा लिया
संजीव उसका कंधा थपथपा कर : चलो थोड़ा खुले में चलते है और फिर वो ऊपर जाने लगे , थोड़ा कैजुअल बातें करते हुए
संजीव : वैसे तू इंस्टाग्राम तो चलाता होगा न
राज ने हुंकारी भरी
संजीव झट से अपना मोबाइल खोलता हुआ : ओके तेरी id क्या है
राज अपनी id बताता है और मुस्कुराने लगता है जिस तरह से संजीव उससे क्लोज हो रहा था ।
तभी ऊपर के गलियारे से सरोजा नाइट गाउन में आती दिखी ।
संजीव ने जैसे ही सरोजा को देखा तो असहज हो गया और सरोजा भी नजरे चुराने लगी ।
लेकिन हम उसे गलियारे से होकर जाना था तो संजीव : सरोज , जरा बाकी मेहमानों का देख लेना उन्हें सोने का दिक्कत न हो
सरोजा : जी भैया और वो नजरे नीची किए हुए निकल गई और जाते हुए एक बार संजीव ने घूम कर उसको देखा ।
राज को समझ आ रहा था थोड़ी देर पहले कुछ जरूर हुआ था लेकिन बात तो तब खुलेगी जब वो सरोजा से बात करेगा ।
संजीव : आओ राज इधर
ये ठकुराइन का ही कमरा था
राज : मुझे लगा हम छत पर जा रहे है
संजीव : अरे भाई सर्दी है कहा ऊपर जाएंगे
फिर संजीव उसे आराम से सोफे पर बैठने को कहता है
राज उसके बोलने की राह देख रहा था
संजीव : ओह हा , एक बात कहूं यकीन करोगे ?
राज मुस्कुरा कर : कहिए
संजीव : मुझे बिगाड़ने वाला रंगी ही था , शादी के पहले से हमारी दोस्ती थी जब वो लोग गांव पर रहते थे । कभी बाग बगीचे घूमना , मेरी गाड़ी पर घूमने का बड़ा शौक था रंगी को ।
राज बड़ी उत्सुकता से सुन रहा था ।
संजीव : मै उसे अपने शहर के कालेज के बारे में बताया , वहा की लड़कियों के बारे में , ऐसे में उसे एक रोज अपने कालेज ले गया गाड़ी से ही , बिना घर बताए हम दोनो निकल गए । भाई मेरा लड़कियों को देखने के तरस रहा था तो मैने भी ठाना इसको शहर की हवा खिला दु , पूरे 65 km मै बाइक चला कर ले गया और वहां जाने के बाद हमने 2 घंटे कैंपस में लड़कियां देखी , और यकीन नहीं मानोगे वहां उसे लड़की पसंद आ गई
राज की आंखों में चमक उठी : क्या सच में
संजीव हस कर : ठरकी ने आधे घंटे तक मुझे छोड़ कर उसका पीछा किया , उसका दिल आ गया था उस लड़की के मोटे चूतड़ों पर
राज थोड़ा खुले शब्दों से असहज हुआ मगर संजीव को जैसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था : उसके चक्कर अब लगभग हर हफ्ते उसे मै कैंपस लेकर आता और 3 महीने की मेहनत के बाद वो सेट हो गई । वो बाद में उसने बताया कि कमीना बीच बीच में खुद बस से शहर जाता था देखने के लिए।
राज हसने लगा : फिर
संजीव : फिर क्या , शहर के पार्क में चुम्मिया साझा हुई लेकिन तड़प तो उसे किसी और चीज की थी , आखिर उसने मुझे अपनी दिल की बात कह दी और कहा कि मै कुछ कमरे का बंदोबस्त करु
राज चौक कर : क्या सच में , वो सब करने के लिए
संजीव : हा भाई ,
राज : फिर आपने क्या किया
संजीव : वही कालेज में मेरी एक दोस्त थी , कुसुम उसका घर वही शहर में था ।
राज : ओह दोस्त या फिर हिही
संजीव हस कर : हा भाई वही थी,
राज : सीरियस वाली या टाइम पास
संजीव : सीरियस कुछ तेरे बाप ने रहने कहा दिया , छोड़ आगे बताऊंगा वो सब
राज हसने लगा
संजीव : तो मैने कुसुम के यहां बात की , पहले वो नहीं मानी लेकिन फिर मैने उसे मना लिया अपने तरीके से , फिर उन्हें एक कमरा मिला और उस रोज भाई की सील टूटी , 3घंटे तक साला बाहर नहीं आया ।
राज हस रहा था
संजीव : फिर उस रोज के बाद कई बार मैने उन्हें कुसुम के यहां मिलवाया , फिर वो हर हफ्ते मिलने को कहता तो जब मुझे लगा बात बिगड़ रही है , तो मै मना करने लगा, और उसको समझाने लगा कि बता किसी दिन बिगड़ जाएगी लेकिन वो नहीं माना और वो खुद बिना मुझे बताए कुसूम से रिक्वेस्ट करके मिलने लगा इस बीच वो लड़की अपने गांव चली गई और इसकी तड़प कम नहीं हुई साला मुझे भनक तक नहीं लगी और उस ठरकी ने मेरी बंदी कुसुम को पता लिया , कुछ बार के बाद उसने खुद मुझे सब बताया और मुझे समझ आ गया कि जैसा नाम वैसी उसकी फितरत है हाहाहाहा
राज संजीव को मुस्कुराता देख : आपको बुरा नहीं लगा कि पापा ने आपकी gf पटा ली
संजीव : उस पर मेरी जिंदगी उधार है बेटा , अगर वो कहे कि मै वसु को पटा लू तो भी मै उसे रोकूंगा नहीं
राज : वसु कौन ?
संजीव : अरे मेरी बीवी तेरी आंटी वसु
राज : क्या ?
संजीव बेशर्मी से हस्ते हुए : और मुझे पता भी है साला देखता भी होगा वसु को , उस ठरकी का कोई भरोसा नहीं ।
राज मुस्कुराने लगा : वैसे आंटी है ही ऐसी कि कोई उन्हें न देखे ऐसा हो ही नहीं सकता
संजीव ने उसे गौर से देखा तो राज हस कर सफा देने लगा : मेरा मतलब बहुत खूबसूरत है
संजीव मुस्कुरा कर : हा पता है मुझे
राज : तो आप कुछ बता रहे थे
संजीव : हा , फिर जब उसने कुसुम के बारे में बताया तो साथ में एक ऑफर भी दिया कि अपनी बंदी मुझसे मिलवाएगा
राज हैरान होकर मुस्कुराता हुआ : क्या सच में ?
संजीव : हा और उसने अपना वादा निभाया लेकिन जगह हमने दूसरी चुनी , शहर के बाद एक खंडर था वहा गए और मैने तब पहली बार अहसास किया कि क्यों रंगी उस लड़की के लिए पागल था
राज थूक गटक कर अपना लंड पेंट में दबाता हुआ : क्यों ?
संजीव आंखे बंद कर हवा में हाथ लहराने लगा , और छवियां बनाने लगा : सीईईई उस पल को सोचता हूं तो आज भी खड़ा हो जाता है , और उसके मोटे मोटे रबर जैसे नरम चर्बीदार चूतड़ों का अहसास , खासकर उसको घोड़ी बना कर चोदने में जो मजा था , जितना तेज मारो उतना उछाल देती सीई

संजीव : लेकिन कालेज खत्म होने के बाद कुसुम और उससे मिलना छूट गया और हम दोनो तनहा हो गए । फिर रंगी के पिता जी ने गांव में कुछ जमीन बेच कर यहां चमनपुरा में जमीन लेली बजार में फिर दुकान खुल गई तो हम दोनो पहले से ज्यादा मिलने लगे । पता है वो तुम्हारे पुराने घर के सामने वाले मुहल्ले में रुबीना रहती है ।
राज समझ गया : हा हा जानता हूं
संजीव : मैने कुछ खबर सुनी थी कि उसके यहां लोग पैसे देकर जाते है और मैने ये बात रंगी से कही , रुबीना के भड़कीले चूतड़ों की चाल किसे पसंद नहीं आती और मैने उसे दिखाया । उसकी तड़प बढ़ गई लेकिन दिक्कत ये थी कि हम लड़के थे और वो हमसे ज्यादा बड़ी थी । शब्बो उसकी लड़की तब छोटी थी । जैसे किस्मत बुलंद थी हमारी उन दिनों और एक रोज मैने उसे यहां अपने गोदाम पर देखा । बाउजी ने बुलाया था ।
राज ने चौंकने का नाटक किया : क्या ?
संजीव : अब जरूरतें तो सबकी होती है बेटा , मैने एक चिट्ठी लिखी ब्लैकमेल भरी रुबीना को कि मै ये बात अपनी अम्मा को कह दूंगा और फिर वो तैयार हो गई । फिर हमने तय किया कि उसे ऐसी जगह बुलाया जाए जहां किसी को कोई शक न हो और तब हमने तय किया कि रंगी की नई बर्तन वाली दुकान पर बुलाते है । सबसे पहले रंगी ने अपने बाउजी को बताया कि उसने सुना है चमनपुरा में बाहर से चोर आए है । उन दिनों संजोग से कुछ बंजारे करतब दिखाने के लिए गांव के बाहर नदी के पास डेरा लगाए थे । रंगी के बाउजी को यकीन हो गया लेकिन पहले दो दिन तो वो ही रात के खाने के बाद सोने आए , फिर तीसरे रोज रंगी आया और फिर उस रात तुम्हारी दुकान बर्तन देर रात तक खनकते रहे । बारी बारी से हमने रूबीना के छेद भरे ।
राज का लंड ये कहानी सुन कर हथौड़ा हो गया था और उसे जरा भी हिचक नहीं हो रही थी संजीव के सामने अपना सुपाड़ा मिजने में

संजीव मुस्कुरा कर : अभी से परेशान हो गए
राज मुस्कुराने लगा : अच्छा तभी से आपको बड़ी दिग्गी वाली गाड़ी पसंद आने लगी
संजीव ठहाका लगाते हुए : सही कहा , लेकिन फिर बारी बारी हमारी शादी हो गई । कुछ साल तक रंगी ये सब भूल गया और एकदम से सब कुछ बंद कर दिया , क्योंकि उसे तुम्हारी मां से बहुत मुहब्बत थी , मैने भी उसके नक्शे कदम पर चलना चाहा मगर मेरे काम ने मेरा साथ नहीं दिया ।
राज : फिर
संजीव : बिजनेस कंपनी की ट्रिप और बड़ी दिग्गी की लालच में मैने कुछ साल बाद फिर शुरू कर दिया , लेकिन मुझे पुरानी बाते याद आती और मेरे दोस्त का साथ याद आता । तो मैने एक प्लान बनाया और बिजनेस के सिलसिले में उसे भी साथ ले गया । होटल में हमने एक ही कमरा लिया और फिर डिनर के मेन्यू के साथ एक और बुक आई ।
उसने खोला था वो भी एक खास तरह का मेनू था जिसमें लड़कियां चुन कर रात बीता सकते थे । वो एकदम से मना कर दिया तो मैने उसे अपनी दोस्ती की कसम देदी और फिर जबरन उसे मेरे खातिर एक गदराई औरत चुनी और फिर हमने मिलकर उसको नहलाया । लेकिन मै मान गया रंगी को उसने ये बात बिल्कुल भी तुम्हारी मां से नहीं छिपाई और बता दिया
राज : क्या सच में ? फिर
संजीव : पता नहीं क्या बात हुई लेकिन रंगी ने उसके बारे में कोई चर्चा नहीं किया । और आगे मुझे कभी उसके जबरजस्ती नहीं करनी पड़ी । जब मेरा मूड होता वो तैयार होता , कभी एक तो कभी दो दो के साथ बदल बदल कर हमने मस्ती की समझा ।

राज ने गहरी सांस ली: उफ्फ मान गए आप लोगों को हिही
तभी संजीव की नजर दरवाजे के बाहर गुजरती हुई सरोजा पर गई और वो थोड़ा उठने लगा , लेकिन राज इस बात से बेखबर था ।
राज : क्या हुआ
संजीव : कुछ नहीं , तुम यही आराम करो कमरे में , मै थोड़ा नीचे देख लू सब कुछ ठीक है न
राज : लेकिन ये तो आपका कमरा है
संजीव : तुम कोई गेस्ट नहीं मेरे , बेटा कि तुम्हारे लिए अलग कमरा देखूंगा तो आराम करो यही , तुम्हारा ही घर है ।
राज मुस्कुराने लगा और संजीव तेजी से बाहर निकल गया । राज भी खड़ा होकर अपना लंड सेट करता हुआ कमरे के बाथरूम में चला गया ।

मंजू - मुरारी

ड्राइवर के होने से मुरारी एकदम शांत हो गया था और उसे बेबस देख कर मंजू की हंसी नहीं रुक रही थी । अब तो बस रात भर का सफर बचा था और सुबह तड़के चमनपुरा पहुंचने वाले थे । लेकिन मुरारी आज इस मौके को छोड़ना नहीं चाहता था ।
वो धीरे धीरे सरक कर मंजू की ओर आ गया , ड्राइवर अपने सुरूर में कान में इयरफोन लगाए किसी से बात करते हुए आगे देख रहा था ।
जैसे ही मुरारी उसके करीब हुआ मंजू शांत हो गई उसके बदन में कंपकपी सी होने लगी , उसकी सांसे तेज होने लगी और वो ना में सर हिला कर मुरारी को किसी भी तरह की हरकत के लिए मना करने लगी ।
मुरारी ने नीचे ही अंधेरे में अपना हाथ पीछे के जाकर उसकी कमर में हाथ डाल दिया और फिर उसके फैले हुए कूल्हे सहलाने लगा । मंजू उसके स्पर्श से कसमसाने लगी और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
तभी मुरारी ने पीछे से वो हाथ निकाल कर आगे उसके नरम चर्बीदार पेट पर फिराने लगा , उसकी नरम चर्बीदार नाभि को हथेली में भरने लगा , मंजू ने सिसक कर उसकी कलाई पकड़ ली : उम्मम नहीं प्लीज
मुरारी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पजामे में बने हुए तंबू पर रख दिया : उफ्फ अब रहा नहीं जा रहा
मंजू उसके लंड का सुपाड़े का कड़कपन महसूस कर पूरी तरह से घिनघिना गई , उसकी सांसे गर्माहट से भरने लगी , आज पूरे दिन मुरारी ने जितनी हरकते की और उसकी बातों से वो खुद वासना से भर चुकी थी । और आज मुरारी ने उसपर जो अहसान किए उसके धुएं ने अब मदन की छवि धुंधली कर दी थी । वो चाह कर भी मुरारी को कुछ भी मनमानी करने से रोक नहीं रही थी और उसकी हथेली में आलू जैसे कड़े सुपाड़े का अहसास उसे बदन में बिजलियां गिरा रहा था ।
मंजू : हम पकड़े जाएंगे , आप समझते क्यों नहीं
मुरारी ने एकदम से उसका हाथ छोड़ दिया और बैग से एक बड़ी सी चादर निकाल कर दोनों को ढक दिया ।
मंजू निशब्द हो गई थी मुरारी की चतुराई के आगे और उसने मुस्कुरा कर मुरारी को देखा ।
मुरारी फिर से उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर रख दिया और एक बार फिर मंजू के भीतर बादल घुमड़ने जैसा हुआ और उसकी नथुनों से गर्म सांसे उफनाने लगी , मुरारी ने उसकी हथेली को कस कर अपने लंड पर दबाया और उसका लंड उससे दुगनी ताकत के साथ अपनी नसे टाइट कर दी और ऊपर उठने लगा । मंजू ने महसूस किया कि किसी असल फौलाद को पकड़े हुए थे , उसकी गर्मी से अब उसकी हथेली पसीजने लगी थी और उसने थाम लिया उसका लंड पूरा सुपाड़े के नीचे पजामे में आलू की तरह उसका सुपाड़ा उभर आया ।
मुरारी की सांसे चढ़ने लगी और मंजू की नरम हथेली ने उसका लंड हिलाने लगी ।
मुरारी ने वापस चादर के नीचे और पीछे से मंजू की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने करीब कर लिया
मंजू हल्की सी सिसकी और मुरारी की ओर देखने लगी फिर उसके कंधे पर सर टिका दी ।
अब गाड़ी के साथ साथ मुरारी का पिस्टन भी ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी शरारती उंगलियां दूसरी तरफ से चादर के नीचे ही मंजू के ब्लाउज तक आ गई थी
मंजू दांत पिसती हुई : वहा कहा ले जा रहे है सीईईईई आह्ह्ह्ह आराम से उम्मम
मंजू के कहने से पहले ही मुरारी ने उसके चूचे को पकड़ लिया और उसको सफेदा आम की तरह टटोल टटोल कर घुलाने लगा , मंजू की पकड़ और मजबूत हो गई मुरारी के लंड पर
मुरारी ने दूसरा हाथ भी लगा दिया और अब दोनो हाथों से वो मंजू के दोनों चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसल रहा था । मंजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन मस्ती में वो भी झूम रही थी ।
बात आगे बढ़ी और मुरारी हुक खोलने लगा एक हुक खुला तो एकदम से मंजू चिहुकी और सीने पर उसका हाथ रोक दिया : नहीं पागल मत बनिए अब
मुरारी उसको नाराज नहीं करना चाहता था : अच्छा ठीक है नहीं खोलता हु
और अगले ही पल उसने अपनी सामने वाला हाथ ऊपर से उसके कसे ब्लाउज में घुसा दिया और दूसरी तरफ वाली नंगी चुची को पूरा हथेली में भर दिया , मंजू एकदम से चौक गई , उसकी पीठ पर ब्लाउज पूरा टाइट हो गया था और आगे से मुरारी उसकी तनी हुई घुंडी घुमा रहा , उसकी हालत खराब होने लगी उसने पूरी ताकत से मुरारी का लंड पकड़ लिया: उम्ममम निकालिए न दर्द हो रहा है
मुरारी : इसीलिए तो खोल रहा था
मंजू : धत्त बड़े वो हो आप अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
मुरारी हल्की आवाज में : परेशान न हो उसे भनक नहीं होगी
मंजू तो जैसे फुसल गई और मुरारी एक एक करके उसके सारे हुक खोल दिया और उसकी नंगी आजाद चुचियों को भर भर कर मसलने लगा । मंजू अपनी सिसकियां पीने लगी और मुरारी की कड़क हथेली में मिजती अपनी चूचियों अजीब सी ना मिटने वाली कुलबुलाहट महसूस करने लगी
मुरारी : अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है दूध तुम्हारे मंजू
मंजू सिसक कर : बोलना जरूरी है
मुरारी उसके गाल चूम कर : नाराज क्यों होती हो , तारीफ ही तो कर रहा हूं ये लो अह्ह्ह्ह
मुरारी वही दूसरी ओर अपना पजामा खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया और मंजू को पकड़वा दिया ।
मोटा लंबा खूंटे जैसा तपता लंड का स्पर्श पाकर मंजू पूरी तरह हिल गई : कितना टाइट है
मुरारी : जबसे तुम्हारे चूतड़ों को देखा है तबसे ऐसे ही है
मंजू भुनकती हुई : ऐसा कुछ बचा है जो नहीं देखा आपने , ऊपर नीचे सब तो देख लिए सीईईई अह्ह्ह्ह
मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ उसके अपने लंड की ओर झुकाने लगा : जाओ तुम भी देख लो
मंजू उसक इरादा समझ रही थी और उसे हंसी आ रही थी , फिर मुरारी ने जगह बनाई और मंजू सरक कर चादर के नीचे उसकी गोद में आ गई पेट पर जहां मुरारी का लंड ठीक उसके आगे था जिसमें से तेज मादक गंध आ रही थी और मंजू के नथुने फूलने लगे , थूक से मुंह भरने लगा और उसने ऊपर मुंह उठाए सुपाड़े का मुंह अपने होठों के पास लिया और भर लिया
मंजू के गिले नरम होठों का स्पर्श पाकर मुरारी का लंड और फूलने लगा , मंजू की बेचैनी उसकी बुर से रिसाने लगी थी वो मुरारी का लंड पाकर पूरी तरह से अब झिझकना छोड़ चुकी थी और उसने वैसे ही मुरारी की गोद में लेटे हुए उसका लंड चूसने लगी । मुरारी इस बात का पूरा ध्यान दे रहा था कि ड्राइवर को पता भी चले इसलिए उसने मंजू को अच्छे से धक रखा था और चादर के नीचे अभी भी उसका एक हाथ मंजू की नंगी चूचियां टटोल रहा था ।
मंजू चादर नीचे अब अफ़नाने लगी थी , सही पोजीशन न होने से उसके मुंह में दर्द होने लगा था और मुरारी का लंड एकदम कड़ा था ।
उसने लेटे हुए अपने ब्लाउज सही किए और धीरे से उठ गई ।
मुरारी सवालिया अंदाज में : क्या हुआ
मंजू मुंह बना कर अपने गाल छूती हुई : दर्द होने लगा और क्या
मुरारी मुस्कुराया : इसलिए तो कह रहा था होटल में रुकते है
मंजू : धत्त , उसकी छोड़ो अब क्या करें मुझे , मै ... परेशान हु बहुत ज्यादा
मुरारी : तो क्या करे , इधर हम लोग एक्सप्रेस वे पर है , कुछ घंटे तक होटल नहीं आयेगे ।
मंजू : भक्क , आप बहुत बुरे हो, खुद परेशान थे मुझे भी कर दिया
मुरारी : सॉरी न, अब क्या करु
मंजू तुनक कर मुंह फूला ली : पता नहीं मै नहीं जानती
मुरारी उसकी नाराजगी समझ रहा था और अब उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे तो उसने नीचे से मंजू की साड़ी ऊपर करनी शुरू कर दी और मंजू एकदम से चौक गई और चादर में थोड़ी हाथों की नोक झोंक होने लगी: क्या कर रहे है आप
मुरारी : शीई, तुम्हारी परेशानी कम कर रहा हूं
मंजू उसे रोकती तबतक चादर के नीचे मुरारी के हाथ उसकी जांघों तक पहुंच गए और उन्हें दबोचने लगे , मंजू की सिसकिया उठने लगी और धीरे धीरे उसकी उंगलियां मंजू के बुर की के बढ़ने लगी और उसने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर छूने लगा ।
मंजू की सांसे एक बार फिर बिगड़ने लगी और लंबा सफर अब और लंबा होने लगा , गाड़ी हाइवे पर आगे बढ़ रही थी और इधर मुरारी की उंगलियों ने अपना करतब शुरू कर दिया था ।


प्रतापपुर

राजेश को गए काफी समय हो गए थे, बबीता की चूत रस से सनी हुई थी , उसने मोबाइल खंगाल कर पुराने वीडियो निकाले थे जिसमें उसके पापा किसी के साथ चुदाई कर रहे थे और उन्हें देखते हुए कंबल में झड़ गई ।
फिर थोड़ी देर फिल्म देखा और फिर उसका दिल नहीं माना तो वापस से दूसरी विडियोज देखने लगी , उसके पापा का मोटा लंड जब किसी की बुर में घुसता उसकी बुर चिपकने लगती आपस में और दाना फड़कने लगता वो सिन देख कर , मोबाइल में समय 11 बजने को हो रहे थे और बबीता जो सोच कर आई थी राजेश ने उसपर जरा भी ध्यान नहीं दिया । बस काम में लगा रहा ।
कंबल के नीचे बिस्तर पर टेक लेकर अपनी गीली बुर को कुरेद रही थी , उसकी ऊनी पैजामी उसकी घुटनों के नीचे थे , ब्लूमर के जांघों की लास्टिक की खींच कर उंगली बुर को छू रही थी ।
मोबाइल में बड़ा ही रसदार सिन चल रहा था , जिसमें राजेश किसी औरत की रसीली छातियां मिज रहा था और वो औरत सिसक रही थी ।
इधर राजेश भी काम के बीच में बबीता के हाल चाल लेने कमरे में आया तो देखा कमरे की बत्ती बुझी है और उसे हल्की आवाज आ रही थी मोबाइल से लेकिन स्पष्ट नहीं ।
वो समझ गया कि बबीता अभी भी जाग रही थी ।
उसने कमरे में आते ही दरवाजा लगाया और बत्ती जला दी : गुड़िया , अभी सोई नहीं बेटा
बबीता ने जल्दी जल्दी मोबाइल में प्लेयर बदल कर एक मूवी चालू कर दिया जिसका वॉल्यूम तेज था : वो मै फिल्म देख रही थी , आपका काम हो गया क्या पापा
राजेश ने अपनी आंखे महीन की : फिर से झूठ , अभी मै आया तो फिल्म की आवाज इतनी तेज तो नहीं आई , क्या देख रही थी तू
राजेश के मुस्कुराते चेहरे को देखकर बबीता को जरा भी डर नहीं लगा और वो मुस्कुराने लगी और कम्बल में दुबकने लगी
राजेश उसके पास जाकर कंबल उठा तो देखा बबीता की पायाजामी घुटने के नीचे : फिर से ! मना किया था न तुझे
राजेश उसके पास बैठ गया और बबीता चुप हो गई : सॉरी पापा
राजेश : सॉरी की बच्ची , मार खाएगी अब बदमाश
बबीता मुस्कुराने लगी और अपने पापा से चिपकने लगी
राजेश : कबसे देख रही है तू उम्मम जबसे गया हु तबसे न
बबीता : नहीं बस अभी अभी चालू किया
राजेश ने उसकी आंखों में देखा कितनी चंचल और मादक थी : रुक अभी पता चल जाएगा
और अगले ही पल उसने कम्बल हटाया और बबीता की जांघें खींच कर फैला दी : अह्ह्ह्ह
बबीता की सिसकी निकल गई और उसकी सांसे तेज हो गई और तभी राजेश ने अपनी उंगलियां उसकी गीली ब्लूमर पर चूत के पास रख कर टटोली , और वो पूरी तरह से गीली थी : मुझसे झूठ बोल रही है, कबसे देख रही थी तभी न इतना निकला है
बबीता शर्माने लगी और राजेश की उंगलियों के स्पर्श ने उसकी बुर की फड़फड़ाहट बढ़ा दी ।
बबीता ने खुद से वहा मच रही खुजली के लिए अपनी उंगलियों से रगड़ा
राजेश : अरे फिर से
बबीता : नहीं वो खुजली हो रही है वहां
राजेश खुद से उसके ब्लूमर को जांघों के पास साइड कर बुर गीली बुर पर उंगली रखते हुए : यहां पर क्या
बबीता ने आंखे बंद कर ली और सिसकने लगी : हा पापा वही पर
राजेश उंगली फिराने लगा और बबीता की बुर टपकने लगी : उफ्फ कितनी गीली कर ली है तूने , इतना अच्छा लग रहा था वीडियो
बबीता आंखे बंद किए : हम्ममम बहुत सीईईई आप देखोगे तो आपका भी हो जायेगा
राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने बबीता को छोड़ कर मोबाइल में वही वीडियो चालू कर दिया जो बबीता ने छोड़ा था । आवाज आते ही बबीता की आंखे खुली और वो चौक गई कि उसके पापा उसके आगे ही वीडियो चला रहे है : अह्ह्ह्ह सच कर रही है तू , सीमा की छातियां बड़ी मुलायम है

बबीता : ये कौन है पापा
राजेश अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ : मम्मी से तो नहीं कहेगी न
बबीता ने मुस्कुरा कर न सर हिलाया
राजेश : ये मेरे दोस्त की बहन है
बबीता : क्या ?
राजेश : हम्म्म , है न खूबसूरत
बबीता मोबाइल में अपने पापा को उस औरत की रसीली छातियां नंगी मिजते देख कर अपनी बुर सहलाने लगी और राजेश भी अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह पता है एक बात बताऊं इसके बारे में
बबीता गर्म होने लगी : हा पापा बताओ न
राजेश : इसके दूध पकड़ो तो ये नीचे कस कर पकड़ लेती थी
बबीता मुस्कुराने लगी थोड़ी शर्म आ रही थी उसे , राजेश उसे शर्माता देख : अह्ह्ह्ह सोच कर परेशान हो गया
बबीता : बाहर कर लो न
राजेश ने उसे देखा और मुस्कुरा कर अपना पजामा और अंडरवियर के लंड बाहर कर दिया
एकदम अकड़ा खूंटे जैसा टाइट लाल सुपाड़ा ऊपर की ओर मुंह उठाए : अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उफ्फ दर्द होने लगा था अंदर
बबीता बस आंखे फाड़ कर उसके लंड को देखे जा रही थी , उसकी बुर रस बहा रही थी और अंदर से टपक रही थी
राजेश : क्या हुआ गुड़िया

बबीता हसरत भरी नजरो से मुस्कुराकर ना में सर हिलाते हुए वीडियो देखने लगी जिसमें वो औरत उसके पापा का लंड घुटने के बल होकर उसके दोनों हाथों से सहला रही थी


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राजेश अपना लंड हिलाते हुए : उम्मम कितना नशा सा हो जाता है उसके छूने से
बबीता मुस्कुराने लगी वो अपने पापा का इरादा समझ चुकी थी लेकिन पहल कैसे करे ।
राजेश बबीता को फुसलाता हुआ : पता है तेरी मम्मी को भी मेरा ये खूब पसंद है वो तो मिल जाए तो छोड़े न इसे
बबीता मुस्कुराकर अपने पापा को देखी : पापा मै पकड़ लूं
राजेश के कान में ये शब्द आते ही उसके लंड की नशे तन गई और धड़कने तेज : हा पकड़ कर देख कैसा है
बबीता ने हाथ निकाला और राजेश का लंड थाम किया , एकदम टाइट जैसे कोई बांस का खूंटा , कड़क तपता हुआ : गरम और कड़ा है उफ्फ बड़ा भी है वीडियो से


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राजेश आंखे बंद करके सिहर उठा बबीता की कोमल हथेलियों में अपना लंड महसूस कर : उफ्फ गुड़िया तेरे हाथ कितने नरम है
बबीता उसका लंड आगे पीछे करने लगी और दूसरा हाथ भी उसका अपनी बुर मसल रहा था : आपको अच्छा लगता है न पापा ऐसे
राजेश के भीतर जैसे कामुकता के बादल घुमड़ने लगे और वो आंखे बंद कर गहरी सास लेता हुआ : सीईईई हा बेटा बहुत ओह्ह्ह्ह
गुड़िया : पापा आपका ये बहुत अच्छा है , बड़ा भी है
राजेश ने दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़ कर अपने हाथ उसके जांघ पर ले गया : तुझे पसंद आया बेटी उम्मम
बबीता ने उसकी ओर देख हा में सर हिलाया और उसके करीब हो गई क्योंकि वो समझ रही थी उसके पापा किस ओर बढ़ रहे है और अगले ही पल वापस से राजेश ने बबीता की बुर को सहलाने लगा


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बबीता की आंखे उलटने लगी , जिस तरह से राजेश उसके फांके कुरेद रहा था और वो तड़पने लगी : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम कितना अच्छा लग रहा है उम्ममम और करो ऐसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
राजेश तेजी से उसकी बुर सहलाने लगी और एक उंगली डाल कर उसकी बुर का जायजा लिया और उसकी उंगली आसानी से अंदर चली गई । राजेश समझ गया कि बबीता बे बहुत उंगलियां चलाई है अपनी चूत में
और वही बबीता झटके खाने लगी , उसने अपनी स्वेटर खोलकर कर ब्रा के ऊपर से अपनी छातियां दबाने लगी
राजेश इस दौरान लगातार उसे मोबाइल पर वीडियो दिखा रहा था जिसमें वो औरत उसका लंड चूस रही थी , जिसे देख कर बबीता को लालच आ रहा था और उसकी लार टपकने लगी थी
राजेश : उफ्फ क्या मस्त चुस्ती है ये उम्मम
बबीता राजेश का लंड सहलाती हुई : पापा मै कर दूं
राजेश चौक कर : तुझे आता है ?
बबीता थोड़ा लजा कर थोड़ी मुस्कुराकर : वीडियो देख कर , कर लूंगी
राजेश अब क्या बोले और उसकी चुप्पी हो हा समझ कर बबीता ने अपना पोजिशन बदलते हुए राजेश की गोद में आ गई और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया
राजेश सिसक पड़ा : ओह्ह्ह गुड़िया उम्मम कितने रसीले होंठ है तेरे उम्मम उम्मम.


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बबीता ने वीडियो देखना छोड़ दिया था आंखे बंद कर पूरे रस लेते हुए अपने पापा का लंड चूसने लगी
राजेश का और मोटा होने लगा और वो उसके ब्रा में हाथ घुसा कर उसकी


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कोमल नरम मौसमी जैसी चूचियां पकड़ लिया और उसने सहलाने लगा , उसकी निप्पल को खींचने लगा , वही बबीता कभी उसका लंड पकड़ कर अपने होठों से रगड़ती कभी गहरे मुंह में ले जाती
राजेश उसके सर को हौले हौले दबाता ताकि वो और गले तक लंड को ले
बबीता ने थूक से उसका लंड गिला कर दिया था
वही वीडियो में चुदाई चल रही थी जिसमें वो औरत बबीता के पापा की गोद में बैठ कर लंड को अपनी बुर में में भर कर अपने मोटे चूतड़ पटक रही थी
बबीता एकदम से उठ गई
राजेश चौक कर : क्या हुआ बेटा
बबीता मुस्कुराई और उसके आगे अपनी ब्लूमर निकालने लगी
राजेश को समझते देर नहीं और उसने भी आगे कोई सवाल जवाब नहीं किया ।झट से अपना पजामा और अंडरवियर निकाल पोजिशन में आ गया
फिर लंड सहलाते हुए : आजा मेरा बेटा आजा
बिना एक पल गवाए बबीता ने पैर फेक कर अपनी टांगे फोल्ड करती हुई राजेश के लंड को अपने बुर पर लगाने लगी और राजेश ने अपना सुपाड़ा सेट करके उसको अपने लंड पर बिठा लिया
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े को सरकता हुआ महसूस कर सिसक पड़ी और उसके कंधे को पकड़ कर लिपट गई : आह्ह्ह्ह पापा उम्मम
वही राजेश को अपने सुपाड़े पर गर्म लावा की दीवारों में चीरते हुए घुसना पसंद आ रहा था वो बबीता की बुर अंत तक पहुंच गया : बस बेटा आराम से ऊपर नीचे होना अब , दर्द तो नहीं हो रहा
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े वाले लंड को छोड़ने के फिराक में नहीं थी तो उसने ना में सर झटका और हल्का हल्का ऊपर नीचे होने लगी : उम्ममम पापा अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह यस्स पापा उफ्फ


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राजेश ने उसको अपनी बाहों में कस लिया और अपने पंजे से उसके चूतड़ों को फैलाते हुए नीचे से लंड चलाने लगा ।
राजेश के ऐसा करने से बबीता की बुर बुरी तरह से फड़कने लगी , राजेश उसकी बजबजाई बुर में तेजी से लंड भेदने लगा जिससे बबीता ने उसका चेहरा पकड़ कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिया और चूसने लगीं
राजेश उसके जोश और भी कामोत्तेजक हो गया : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम और और उम्मम अच्छा लग रहा ऐसे ही उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह
राजेश पूरे जोश में नीचे से अपने कमर को झटकर देता हुआ बबीता की बुर में पेलने लगा : अच्छा लग रहा मेरी गुड़िया को और मजा चाहिए
बबीता उसकी आंखों में मदहोशी दे देखती हुई : हा पापा और दो मुझे और प्यार करो अह्ह्ह्ह्ह उम्मम


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राजेश ने उसके उछलते नंगे चूचे मुंह में भर लिए और तेजी से नीचे से उसकी बुर में लंड देने लगा , जिससे बबीता एकदम से तड़प कर झड़ने लगी , गर्म गर्म रस धार से राजेश का सुपाड़ा बिलबिला उठा और उसके आड़ से वीर्य ऊपर आने लगा वो एकदम से अकड़ गया : उठ जा बेटा आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता झट से उठी और अपने पापा लंड पकड़ कर मुंह लेकर चूसने लगी और एकदम से फव्वारा फूट पडा : अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बेटा उम्मम गुड़िया आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह


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बबीता ने आखिर तक अपने होठ लगाए हुए उसका लंड हिलाती रही और राजेश का लंड पंप होकर सुपाड़े से मलाई उसके गालों और होठों पर उड़ेलता रहा ।
राजेश समझ चुका था कि उसकी बेटी पहले ही खेली खाई है , मगर सवाल था किसके साथ
लेकिन वो बेफिक्र था क्योंकि अभी रात अभी रात लंबी थी

जारी रहेगी

अति उत्तेजना से ओतप्रोत, बहुत कामुक अपडेट दिये हो भाई।
परन्तु सोनल और निशा को आप भुल रहे हैं पिछले कुछ अपडेट से।
 
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