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अध्याय 02 का अपडेट 18
THE EROTIC SUNDAY
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UPDATE 019
THE EROTIC SUNDAY 03
ममता के घर
सुबह के 10 बजने वाले थे । मदन की बेचैनी बढ़ रही थी , सुबह भोर से उसकी नीद उड़ गई थी । मंजू का एकदम से उसकी लाइफ में वापस आना किसी बड़े झटके से कम नहीं था ।
ममता के आवाज देने पर वो भी अपने कमरे से निकल कर हाल में नाश्ते के लिए आया
मुरारी पहले से ही सोफे पर बैठा था नहा कर लेकिन उसकी भी आंखों के अभी भी नीद बरकरार थी
ममता दोनों के लिए नाश्ता लाकर देती है
मुरारी : वो मंजू ने नाश्ता किया
ममता मुस्कुरा कर मदन को देखी और बोली : ऊहू , अभी वो नहाने गई है ।
मुरारी : ठीक है ऊपर वाला गेस्ट रूम उसके लिए सेट करवा दो
ममता मदन के मजे लेते हुए : अरे हफ्ते दो हफ्ते की बात है , आखिर रहना तो उसे देवर जी के साथ ही है न
मदन चौक गया और मुरारी मुस्कुरा कर : तुम भी न अमन की मां, वो सब ठीक है लेकिन समाज को देख कर ही चलना है हमे और तुम भाई मदन जैसे भी करना चाहते हो शादी सोच लो और शाम तक बताओ
मदन चुप रहा अपने भैया का मान रखता हुआ
फिर मुरारी नाश्ता कर निकल गया अपने रूम में सोने के लिए
मौका देखते ही ममता मदन के पास बैठ गई और कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर उसके लंड को टटोलने लगी : ओह्ह्ह्ह देवर जी तो हो जाए
मदन उसका हाथ झटक कर : क्या भाभी तुम भी न , सारी रात मजे से पेलवाती रही और सुबह सुबह ही इतना बड़ा धमाका
ममता खिलखिलाई : क्यों पसंद नहीं आया सरप्राईज
मदन : पता नहीं , समझ नहीं आ रहा है क्या रिएक्ट करु
ममता : अरे साथ बैठो कुछ बातें करो , चीजें सुलझ जाएगी ।
मदन चुप हो कर ममता की बातो पर गौर करने लगा
ममता मुस्कुराई: ओहो पुराना माल वापस मिल रहा है तो इतना क्या सोच रहे हो उम्मम
मदन मुस्कुराया और ममता को देख कर : तुम कितनी छिनाल हो भाभी , कैसे कर लेती हो ये सब , पहले तो ऐसे नहीं देखा आपको
ममता मुस्कुराई: औरत जब अपना असल रूप दिखाती है तो मर्द के पसीने छूट जाते है देवर जी , अभी आपने मुझे जाना ही कहा है हिहीही
मदन मुस्कुराने लगा और कुछ टिप्पणी करने जा रहा था कि ममता की नजर मंजू पर गई । ऑफ वाइट शिफॉन सारी में गजब की खूबसूरत दिख रही थी । मोटे बड़े रसीले मम्में से भरे भरे हुए ब्लाउज , नंगी कमर और उठे हुए मोटे चर्बीदार कूल्हे , थोड़ी लजाती थोड़ी मुस्कुराती हुई वो हाल में आई और सोफे के पीछे खड़ी हो गईं ।
ममता मुस्कुराई और उठ कर उसे अपने पास बिठाया : आओ बैठो , नाश्ता करो
मंजू मदन को देख रही थी , उसके भीतर भी अलग ही बेचैनी थी । सुबह से दोनों ने एक दूसरे को देखने के सिवा एक शब्द नहीं कहा । मंजू में जहन में वहीं डर था कि क्या मदन उसे अपनाएगा ? वो क्या सोच रहा होगा उसके बारे में ?
ममता : अरे इनसे शरमाओ मत , उठाओ चाय
मंजू मुस्कुरा कर चाय लेकर पीने लगी और मदन थोड़ा असहज होकर उठने लगा कि ममत ने खींच कर उसे बिठाया : आप कहा चले देवर जी , उम्मम शादी के पहले तो मिलने के लिए बड़ा तड़पते थे अब क्या हुआ उम्मम
हालांकि ममता ये सब बाते मजाक में कह रही थी लेकिन दोनों को ये बात बहुत चुभी क्योंकि मंजू के शादी के पहले की यादें ताजा होने पर दोनों के दिल को तकलीफ हुई थी । जवानी का एक बड़ा समय लगभग बीसीओ साल बीत गए थे और वो अपने परिवार के लिए मदन को छोड़ गई थी ।
लेकिन असहज होकर ही सही दोनों जबरन मुस्कुरा रहे थे ममता की बातों पर
ममता : वैसे मुझे बहुत ज्यादा तो पता नहीं है क्योंकि तब मै आई नहीं थी लेकिन ये तो बताओ , मिलते कहा थे तुम लोग
इस बार मंजू के जहन अरहर दुपहर वाली वो यादें ताजा हो गई और वो थोड़ा मुस्कुरा कर शर्माई । जिससे उसके गाल गुलाबी हो गए ।
मुस्कराहट तो मदन के चेहरे पर भी आई थी लेकिन इस दौरान जब उसकी निगाहे मंजू से टकराई तो वो उसे पी गया । मंजू समझ गई कि मदन को जुदाई का दुख बहुत ताजा है ।
ममता : अरे आप ही बता दो देवर जी हाहाहाहाहा
मदन को अब ममता का मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उखड़ कर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला गया।
मंजू की आंखे भी डबडबा गई , उसे वो उम्मीद भी टूटती दिखने लगी जिसकी आश लिए वो आई थी ।
ममता समझ रही थी कि चीजें उतनी आसान नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं और उसने उदास बैठी मंजू को देखा तो उसके हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए : जाओ उनके पास
मंजू थोड़ी चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
ममता : दोनो साथ बैठोगे तो ही दिल का बोझ हल्का होगा , जाओ
फिर ममता उसे मदन के कमरे के बाहर छोड़ कर अपने कमरे कि ओर चल दी
जहां उसका पति लेता हुआ था और ममता मुस्कुरा कर धीरे से उसके पास आकर उससे लिपट कर सो गई
: उम्हू मेरी जान , आजाओ ( मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी ओर खींच लिया आंखे बंद किए हुए ही )
: मुझे लगा आप सो गए होंगे ( ममता मुस्कुरा कर बोली )
: तुम्हारे बिना चैन की नींद नहीं आती अमन की मां
: क्यों क्या हो गया , कुछ परेशान है आप
: वही सोच रहा हूं कि मंजू को वापस लाकर कोई गलती तो नहीं की । मदन से एक बार बात कर लेना चाहिए था सुबह से वो कितना गुमसुम है एक बार भी किसी से कुछ नहीं बोला ।
ममता मुस्कुराई और खिसक कर मुरारी के सीने से लिपट कर : अरे थोड़ा समय दीजिए उनको , इतने साल बाद अचानक से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है ।
मुरारी : हा ठीक ही कह रही हो वैसे
ममता ने कोई जवाब भी दिया चुप होकर मदन और मंजू के बारे ने सोचने लगी उसे आगे क्या करना है ।
वही दूसरी ओर मदन के कमरे का भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर मंजू अंदर गई तो देखा कि मदन अपने एक कुर्सी पर दरवाजे की ओर पीठ किए हुए बैठा था , दरवाजा खुला तो उसे लगा कि शायद ममता आई है : भाभी प्लीज , बाद में
मंजू हल्की आवाज में हिम्मत कर : मै हूं
मदन को झटका लगा और उसने गर्दन फेर कर देखा तो मंजू खड़ी थी , वो भी थोड़ा असहज हुआ और खड़ा हो गया : अच्छा तुम हो , आओ बैठो
मंजू फीकी मुस्कुराहट से उसके पास गई और बिस्तर पर बैठ गई ।
मंजू : आप भी बैठो
मदन मंजू के मुंह से "आप" सुनकर मुस्कुराया , उसे उन दिनों की झलकियां मिली जब मंजू उसे मां बहन की गाली तक देती थी । उनका रिश्ता कितना दोस्ताना था ।
मदन भी उसके पास थोड़ा सा दूर होकर बैठ गया
मंजू थोड़ी देर चुप रही और हिम्मत करके बोली : आपने आज तक मुझे माफ नहीं किया न
मंजू के ये शब्द तीर की तक चुभे मदन को और उसका दिल भर आया और उसने गहरी सांस ली।
मंजू : अच्छा ही किया , जैसे मैने फैसला लिया उसके लिए मेरे साथ जो हुआ वो अच्छा ही था । मै उसी के लायक हूं
मदन कभी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि मंजू खुद को कोसे ऐसे गलती के लिए जो उसकी गलती थी नहीं ,
लेकिन मदन ने वापस से अपना कलेजा मजबूत कर : बस करो मंजू , तुम वापस क्यों आई इतने साल बाद
मदन के सवाल से मंजू समझ गई कि मदन को गहरा दुख है कि वो उसे छोड़ गई थी । और उसकी आंखे बहने लगी : मेरी कहा हिम्मत थी कि मै उस रोज के बाद आपका सामना कर पाऊं , वो तो भइया.....
मदन मुरारी का जिक्र आते ही चुप हो गया
मंजू : आती भी किस मुंह से , लेकिन आपने मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दी ।
मदन : प्यार करता था मंजू मै , शादी हो या न हो लेकिन मेरे जीवन में पत्नी कहलाने का हक सिर्फ मैने तुम्हे दिया था ।
मंजू की आंखे लगातार बह रही थी : और अब
उसने भरी हुई आंखों से मदन को देखा जो खुद की भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था : अब नहीं करते है क्या ?
मदन का दिल पसीज गया ये शब्द सुनकर , उसका दिल रो पड़ा लेकिन वो नाराजगी अभी भी बरकरार थी ।
मदन की आंखे भी डबडबा गई : नहीं
मंजू समझ गई कि मदन झूठ बोल रहा है और वो मुस्कुरा कर : तो फिर अपने दीदी के नन्द से शादी क्यों नहीं किए ,
मदन चौक कर : तुम्हे किसने ? ये भाभी न
मंजू मुस्कुराई : झूठ तो आज भी नहीं बोल पाते हो तुम , सॉरी आप
मदन को थोड़ी चिढ़ सी हुई : मै तो वैसा ही हूं जैसे तुम छोड़ गई तुम , लेकिन तुम तो तभी बदल गई
मदन ने जैसे मंजू के मन पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया हो और मंजू की हिम्मत एक बार फिर डगमगाने लगी
मंजू ने फिर से हिम्मत जुटाई : मै यहां आपसे शादी करने नहीं आई थी
मदन के लिए अब ये नया झटका था कि कही उसकी बातें सुनकर मंजू नाराज तो नहीं हुई ।
मंजू सुबकते हुए : बस भइया के कहने पर आई हूं , इस घर ने सबको सिर्फ आपकी फिकर है । भइया को लगता है कि मेरे वापस आने से आपकी जीवन में खुशियां वापस आ सकती हैं । लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे अपनाएंगे नहीं ।
मदन थोड़ा सोच कर : तुम यहां मेरे लिए अपना घर परिवार छोड़ आई हो , मेरे लिए
मंजू अपने आंसू पोंछ कर : मेरा अब कोई परिवार नहीं है । ना ससुराल न मायका। मै ****** शहर में अकेली रहती थी , जिससे मेरी शादी हुई वो सालों पहले गुजर गए ।
मदन : और बच्चे ?
मंजू ने ना में सर हिलाते हुए रोते हुए मदन को देखा ।
मदन का दिल भर आया : तुमने कभी बताया क्यों नहीं
मंजू फफक कर : किस मुंह से बताती , जानती थी कि आप न कभी मुझे माफ करोगे और न ही अपनाओगे
मदन उसके करीब आकर : अब अगर एक बार भी दुबारा तुमने से शब्द बोला तो थप्पड़ लगा दूंगा । पागल कही की इधर आओ
मदन ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और मंजू फूट फूट कर रोने लगी । मदन का दिल पसीज गया और उसकी आंखे बहने लगी : पगली तेरे इंतजार में ही तो मैं बैठा था और कहती है अपनाऊंगा नहीं ।
मंजू उससे लिपटी हुई रो रही थी : मुझे माफ कर दो प्लीज
मदन उसको अपने सामने कर उसके गाल से आंसू साफ करता हुआ : अच्छा चुप हो जाओ , एकदम चुप
मंजू सुबक रही थी और हिचकियां खा रही थी रोते हुए । मदन ने उसे पानी दिया
किसी छोटे बच्चे के जैसे उसने पानी पिया और पानी से उसके होठ पूरे गिले हो गए थे , मानो कितना रस हो उनमें , मदन का पल भर को जी ललचा ही गया और वो पल उसके जहन के उभर आए जब वो उन्हीं गुलाबी लबों को चूसता था ।
उसने रुमाल से उसके होठ और चेहरे को साफ किया , मंजू उसे देख रही थी और वो उसे ।
मदन : मेरी एक शर्त है
मंजू थोड़ा सोचने लगी : क्या
मदन : मैने तुमसे शादी करूंगा एक शर्त पर , अगर आज करोगी तो
मंजू हसने लगी : हा मंजूर है
मदन हस कर : सोच लो सुहागरात भी आज ही होगी फिर
मंजू शर्मा कर हसने लगी : धत्त गंदे , तुम नहीं सुधरोगे
मदन हसने लगा और फिर एकदम से दोनों की नजरे टकराई , फिर दोनों के दिल की धड़कने तेज होने लगी और होठ सूखने लगे । मदन खुद को रोक नहीं पाया और उसने मंजू के लिप्स पर किस कर दिया , वो अहसास पाते ही मंजू खुद को रोक नहीं सकी और उसने भी मदन को चूमना शुरू कर दिया
उनकी किस गहरी होने लगी , दोनो के मन वो अनुभव वापस से ताजा होने लगे जब दोनों किस किया करते थे ।
" अह उम्हू"
एकदम से चौक कर दोनों अलग हुए और देखा तो दरवाजे पर ममता खड़ी थी ।दोनो शर्म से लाल अपना मुंह पोंछते हुए मुस्कुराने लगे
: ओहो देखो तो इन ठरकी जोड़ो को , इतने साल बाद भी अकल नहीं आई । पहले अरहर दुपहर करते पकड़े जाते थे और अब घर में ही
मदन शर्म से मुस्कुरा कर : भाभी क्या आप भी
ममता : देखो आपके भैया ने साफ साफ कहा है कि जबतक शादी नहीं हो जाती , देवरानी जी तो इधर नहीं आएंगी और सही भी है । पता नहीं क्या कांड कर जाओ तुम लोग
मदन शर्म से झेप गया और मंजू बस सर नीचे किए हुए मुस्करा रही थी लाज से और फिर धीरे से निकल गई कमरे से
ममता मदन को छेड़ती हुई : मुझे थोड़ा रुक कर आना चाहिए था क्यों ?
मदन : हा और क्या , अभी शुरू ही किया था
ममता मुस्कुराई और उसके पास जाके : तो मेरे साथ खत्म कर लो मेरे राजा
मदन एकदम से चौक गया : भाभी क्या कर रही हो , हटो
ममता घूर कर : अच्छा बच्चू , बीवी मिल रही है तो भाभी को भूल जाओगे । अब देखती हूं कैसे मिलते हो उससे जबतक शादी नहीं हो जाती फटकने तक नहीं दूंगी हूह
ये बोलकर ममता तुनक कर बाहर चली गई और मदन उसे रोकना चाहा लेकिन समझ गया कि ममता थोड़ी नाराज हो गई है ।
शिला के घर
" सीईईई ओह्ह्ह पी ले बेटा उम्मन अह्ह्ह्ह सीईईईईई सॉरी कल तेरे पापा ने रात भर नहीं छोड़ा मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह"
कमरे में रज्जो अपनी नाइटी खोलकर अपने चूचे निकाल कर अरुण को पिला रही थी और अरुण उसने मसल मसल कर बारी बारी चूचे बदल कर चूस रहा था
: उम्मम मामी आपके दूध कितने मुलायम है और बड़े है जी करता है इसी में लंड डाल कर चोद दूं
रज्जो अरुण के सर को अपने छातियों में रगड़ते हुए : हा बेटा खोल मै खुद कर दूंगी
अरुण जल्दी जल्दी पेंट खोलकर सोफे पर बैठ गया
: ओह्ह्ह्ह लंड के मामले में तुम बाप बेटे एक जैसे हो
अरुण मुस्कुराया और रज्जो नीचे बैठ गई , उसके अरुण का लंड हाथ में लिया और उसको सहलाने लगी । अरुण की आंखे बंद हो गई और उसके कूल्हे अकड़ने लगे जब रज्जो ने अपने उंगलियों से मुंह की लार को टोपे पर लगाया तो : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
फिर रज्जो ने उसका बड़ा सा खड़ा लंड अपने दोनों चूचों के बीच रख कर आगे पीछे करने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह गॉड मामी कितनी सॉफ्टी है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्यों मजा आया न बेटा
: हम्ममम
अरुण की सांसे बेचैन थी वो सामने अपनी गोद ने रज्जो की चुचियों के बीच अपना लंड मिजवा रहा था और उसका लंड रज्जो ने चूचों से निकल कर रज्जो ने मुंह तक जा रहा था
रज्जो ने भी जीभ निकाल कर उसका सुपाड़ा चाट लिया और अरुण बिलबिला उठा : ओह्ह्ह्ह मामी उम्मम सीईईई ओह्ह्ह कितनी मस्त हो आप उम्मम तभी तो सोचूं क्यों बड़ी मां आपको लेकर आने के लिए परेशान थी ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने मुंह खोलकर उसके मोटा लंड मुंह में भर कर चूसने लगी अरुण की सांसे तेज होने लगी वो अपने चूतड़ सख्त कर अपने कूल्हे उठाने लगा और रज्जो के बाल सहलाने लगा : उम्मम मामी कितनी सॉफ्टी और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह और लोह उफ्फफ सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अरुण की आदत थी कि उसकी कामुकता तीव्र थी वो बहुत जल्दी वाइल्ड हो जाता था और उसने रज्जो का सर अपने लंड पर दबाने लगा, इतने दिनों से चूत न मिलने की तड़प ने उसके भीतर का जानवर जगा दिया था और वो दांत पीस कर अपना लंड पूरा टाइट कर रज्जो का सर पकड़ कर पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह और लोह उम्मम शक बेबी सक ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह पूरा घोट जाओ ओह्ह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो की आँखें बड़ी होने लगी और देखते ही देखते अनुज खड़ा होकर रज्जो के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लंड पेलने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी कितनी प्यासी है तू लंड की ओह्ह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह लेह ओह्ह्ह बहनचोद ओह्ह्ह्
अरुण ने गले तक अपना लंड भर दिया और रज्जो को घुटन सी होने लगी और एक झटके में उसके लंड बाहर निकाला
रज्जो आंखे बड़ी कर उसे गुस्से से घूर रही थी और अरुण अपना गिला लंड सहलाते हुए उसके मुंह पर अपने आड़ रख दिए और उसके गाल पर थपकी देके : चूस न रंडी इसे भी
रज्जो अरुण के एकदम से बदले हुए तेवर से हैरान थी लेकिन उसे अरुण का ये अंदाज भा रहा था कच्ची उम्र एक डोमिनेट मर्द साबित करने की अदा
उसने भी जीभ निकाल कर उसके बाल चाटने शुरू कर दिए : ओह्ह्ह्ह यश बेबी ओह्ह्ह्ह यशस्स उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह माय सेक्सी बिच ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रज्जो उसके अखरोट मुंह लेकर चुबलाती हुई अपने नंगे चूचों को मसलने लगी और उसके हाथ अपनी जांघें खोलकर अपनी बुर को सहलाने लगे थे
अरुण ने उसको खड़ा कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए एक गहरा चुम्बन और अनुज ने उसे घुमा पर बिस्तर पर लिटा दिया
मोटी मोटी गदराई जांघों को फैलाते हुए रज्जो ने अपनी बुर पर उंगली फिराने लगी और अरुण अपना सारे कपड़े निकाल कर उसके पास आया
उसके हाथ रज्जो की नंगी जांघों को सहला थे , अरुण की ये आदत रज्जो को पसंद आ रही थी कि एक पल को वो उसकी आंखों से आंख मिलाए बिना नहीं रहता और ये रज्जो को बहुत रोमांचित कर रहा था
उसकी जांघों को घुटने से चूमते हुए अरुण उसके बुर के पास गया और एक लंबी सांस लेते हुए रज्जो के बुर की गंध को अपने सांसों के भरने लगा
एकदम से रज्जो तड़प उठी उसकी बुर फड़फड़ाने लगी और अरुण ने जीभ फिराई: सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
फिर होठ: ओह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम
एकदम से रज्जो के चूतड़ टाइट हो गए
अगले ही पल अरुण ने पूरे होठ खोलकर नीचे से जीभ को फ़िराते हुए बुर से बहती मलाई को चाटते हुए उसके फांकों को चुभलाने लगा
एकदम से तड़प उठी रज्जो : सीईईई क्या करता है ओह्ह्ह्ह मर गई रे सीईईई कहा से सिखा है ये सब तू उम्ममम
अरुण बिना कुछ बोले उसके बुर के फांके मुंह में लेकर चुबला रहा था और रज्जो बिस्तर पर अकड़ती जा रही थी
: उम्मम मामी तुम्हारी बुर कितनी रसीली है और सॉफ्टी ( अरुण अपनी दो उंगलियां उसके बुर के फांके पर टहलाते हुए बोला )
रज्जो की सांसे रुकने लगी थी मानो आंखे बंद कर वो उस हरकत को अपनी बुर में महसूस कर रही थी जब अरुण अपनी उंगलियों को वहा रेंगा रहा था और एकदम से उसकी आंखे बड़ी हो गई जब अरुण से दोनों उंगलियां एक साथ उसकी बुर ने घुसा दी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम और ऐसे ही उम्मन डाल पेल और उम्मम कितना अच्छे से ये सब करता है तू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण ने वापस से अपना मुंह उसके बुर पर रख दिया और दाने को ट्रिगर करते हुए तेजी से उंगलियों को बुर के पेले जा रहा था
रज्जो एकदम फड़फड़ाने लगी थी उसकी बुर को लंड लेने की तलब और तेज हो गई थी : अह्ह्ह्ह बेटा लंड कब डालेगा ओह्ह्ह्ह वो घुसा ना और मजा आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम
अरुण उठ गया और अपना लंड उसके गिले बुर पर लगाते है घुसा दिया , बहती हुई चूत में लंड आसानी से उतर गया : अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा पेल ओह्ह्ह् और अंदर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
अरुण रज्जो की जांघें खोले तेजी से लंड अंदर डालने लगा और सिसकने लगा : ओह्ह्ह मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी मस्त चूत है इतनी गर्म है और मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे हमुच हमुच कर फाड़ दूं उम्मम ओह्ह्ह्ह
रज्जो को अपनी बुर में एक अलग ही कड़कपन महसूस हो रहा था , अरुण का फूला हुआ सुपाड़ा उसके चूत के दीवारों में चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा : ओह्ह्ह्ह बेटा कुछ तो है तेरे अंदर ओह्ह्ह्ह तेरा हथियार आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने रज्जो की टांग को घुमा दिया और उसको करवट करके उसके गर्दन को पकड़ कर लंड को और गहराई के के गया
रज्जो की आंखे बड़ी होने लगी , चूत में जलन सी होने लगी : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बहुत अच्छा कर रहा है सीईईई ओह्ह्ह ऐसी चुदाई मेरी कभी नहीं हुई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : क्यों मामी मजा आ रहा है न उम्मम और डालू क्या उन
रज्जो उसकी आंखों में देखते हुए : हा और अंदर ओह ऐसे ही उम्मम घुसा दे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरा आ रहा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अरुण अपना मुंह भींच कर तेजी से रज्जो को पेलने लगा और रज्जो की चीखे तेज ही गई : ओह ओह्ह्ह्ह ले बहिनचोद ओह्ह्ह साली रंडी चुदक्कड़ ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है मामी तुम्हारी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह यश ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने इधर अपनी चूत कस ली और झड़ने लगी अरुण के लंड पर : ओह्ह्ह बेटा आ रहा है मेरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और पेल ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्ममम
रज्जो झड़ रही थी और अरुण ने लंड निकाल कर उसके चूतड़ पर थपथपा कर उसे घोड़ी बनने का इशारा किया और रज्जो घुटने के बल हो गई
उस रस टपकती चूत को देखते हुए अरुण ने अपना मुंह लगा दिया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बड़ा ही एक्सपर्ट लगता है इनसब में ओह्ह्ह्ह चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह उधर भी करना है कर ले खा जा मेरी गाड़ उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम मैय्या सीईईई ओह्ह्ह तेरी जीभ मुझे पागल कर रही है
अरुण रज्जो के चर्बीदार चूतड़ों को फैलाकर कर उसके गाड़ के सुराख में मुंह दे दिया था और जीभ से उसे गिला कर रहा था
रज्जो के जिस्म में फिर से अकड़न होने लगी और वो अपने गाड़ को अरुण के मुंह पर उठाने लगी
अरुण उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाड़ के छेद को चाट रहा था और फिर वो खड़ा हुआ अपना गिला सुपाड़ा सीधा गाड़ के छेद पर
रज्जो थोड़ी घबराई : बेटा कर लेगा न
अरुण ने उसका जवाब अपना सुपाड़ा रज्जो के कसी हुई चूतड़ की सुराख्मे घुसाते हुए दिया : अह्ह्ह्ह बेटा आराम से तेरा आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरा चौड़ा कर दिया तूने ओह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह मामी कितनी टाइट गाड़ है तुम्हारी सीईईई ओह्ह्ह कबसे इसको चोदने के सपने देखता था ओह्ह्ह्ह फ़ाइनली आज ओह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने हौले हौले लंड आगे पीछे करना शुरू किया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम आराम से ओह्ह्ह्ह सूखा है तेरा लंड एकदम से
रज्जो की बात सुनकर अरुण मुंह में लार बटोरी और सीधा रज्जो की टाइट गाड़ के सुराख पर जिसने उसका आधा लंड घुसा था उसी पर थूका और फिर उंगली से लिपने लगा
रज्जो : ओह्ह्ह सीईईई क्या नए नए तरीके निकलता हैं तू ओह्ह्ह्ह , ऐसे ही तू अपनी बड़ी मां की गाड़ खोल दे उसे तो जन्नत का मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई मत तड़पाओ मुझे ओह्ह्ह्ह
रज्जो समझ गई और मुस्कुरा कर : पसंद करता है न अपनी बड़ी मां को , चोदेगा उनकी बड़ी सी गाड़ , बोल डालेगा उसमें लंड
अरुण तो अब दुगने जोश में आ आ गया और रज्जो की गाड़ को पकड़ कर पूरे जोश में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह क्यों नहीं मामी, लेकिन कैसे अह्ह्ह्ह्ह मम्मी और बड़ी मम्मी आपस में खुश है उन्हें मेरी फ़िक्र नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई, कितना तरसता हु इस घर में मै अकेला
रज्जो : तेरी उस बुर चटोरी बड़ी मम्मी को नई कुंवारी चूत बहुत पसंद है, कोई हो तो उसे घर लाकर मिलवा दे तेरा काम हो जाएगा
अरुण पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था : सच में मामी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो : हा बेटा फिर तू मेरी भी उसकी गाड़ में लंड डालेगा बोल डालेगा न
अरुण : हा मुझे चाहिए , बड़ी मम्मी की गाड़ मुझे बहुत पसंद ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह
तेजी से वो रज्जो की गाड़ में लंड पेलता हुआ अपना लंड बाहर निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ मजा आ गया मामी
थैंक्यू
उसने झुक कर रज्जो के चूतड़ों पर चुम्मी ली और बिस्तर पर आ गया
रज्जो मुस्कुरा कर : मजा तो मुझे भी आया , कितने दिनों बाद ऐसे मजा मिला चूत और गाड़ एकदम हीही
अरुण थोड़ा शर्मा रहा था
रज्जो ने उसे छेड़ा : अब शर्मा रहा है देखो तो हाहाहाहा
कमरे में खिलखिला सा माहौल हो गया
जारी रहेगी
Romanchak updateUPDATE 019
THE EROTIC SUNDAY 03
ममता के घर
सुबह के 10 बजने वाले थे । मदन की बेचैनी बढ़ रही थी , सुबह भोर से उसकी नीद उड़ गई थी । मंजू का एकदम से उसकी लाइफ में वापस आना किसी बड़े झटके से कम नहीं था ।
ममता के आवाज देने पर वो भी अपने कमरे से निकल कर हाल में नाश्ते के लिए आया
मुरारी पहले से ही सोफे पर बैठा था नहा कर लेकिन उसकी भी आंखों के अभी भी नीद बरकरार थी
ममता दोनों के लिए नाश्ता लाकर देती है
मुरारी : वो मंजू ने नाश्ता किया
ममता मुस्कुरा कर मदन को देखी और बोली : ऊहू , अभी वो नहाने गई है ।
मुरारी : ठीक है ऊपर वाला गेस्ट रूम उसके लिए सेट करवा दो
ममता मदन के मजे लेते हुए : अरे हफ्ते दो हफ्ते की बात है , आखिर रहना तो उसे देवर जी के साथ ही है न
मदन चौक गया और मुरारी मुस्कुरा कर : तुम भी न अमन की मां, वो सब ठीक है लेकिन समाज को देख कर ही चलना है हमे और तुम भाई मदन जैसे भी करना चाहते हो शादी सोच लो और शाम तक बताओ
मदन चुप रहा अपने भैया का मान रखता हुआ
फिर मुरारी नाश्ता कर निकल गया अपने रूम में सोने के लिए
मौका देखते ही ममता मदन के पास बैठ गई और कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर उसके लंड को टटोलने लगी : ओह्ह्ह्ह देवर जी तो हो जाए
मदन उसका हाथ झटक कर : क्या भाभी तुम भी न , सारी रात मजे से पेलवाती रही और सुबह सुबह ही इतना बड़ा धमाका
ममता खिलखिलाई : क्यों पसंद नहीं आया सरप्राईज
मदन : पता नहीं , समझ नहीं आ रहा है क्या रिएक्ट करु
ममता : अरे साथ बैठो कुछ बातें करो , चीजें सुलझ जाएगी ।
मदन चुप हो कर ममता की बातो पर गौर करने लगा
ममता मुस्कुराई: ओहो पुराना माल वापस मिल रहा है तो इतना क्या सोच रहे हो उम्मम
मदन मुस्कुराया और ममता को देख कर : तुम कितनी छिनाल हो भाभी , कैसे कर लेती हो ये सब , पहले तो ऐसे नहीं देखा आपको
ममता मुस्कुराई: औरत जब अपना असल रूप दिखाती है तो मर्द के पसीने छूट जाते है देवर जी , अभी आपने मुझे जाना ही कहा है हिहीही
मदन मुस्कुराने लगा और कुछ टिप्पणी करने जा रहा था कि ममता की नजर मंजू पर गई । ऑफ वाइट शिफॉन सारी में गजब की खूबसूरत दिख रही थी । मोटे बड़े रसीले मम्में से भरे भरे हुए ब्लाउज , नंगी कमर और उठे हुए मोटे चर्बीदार कूल्हे , थोड़ी लजाती थोड़ी मुस्कुराती हुई वो हाल में आई और सोफे के पीछे खड़ी हो गईं ।
ममता मुस्कुराई और उठ कर उसे अपने पास बिठाया : आओ बैठो , नाश्ता करो
मंजू मदन को देख रही थी , उसके भीतर भी अलग ही बेचैनी थी । सुबह से दोनों ने एक दूसरे को देखने के सिवा एक शब्द नहीं कहा । मंजू में जहन में वहीं डर था कि क्या मदन उसे अपनाएगा ? वो क्या सोच रहा होगा उसके बारे में ?
ममता : अरे इनसे शरमाओ मत , उठाओ चाय
मंजू मुस्कुरा कर चाय लेकर पीने लगी और मदन थोड़ा असहज होकर उठने लगा कि ममत ने खींच कर उसे बिठाया : आप कहा चले देवर जी , उम्मम शादी के पहले तो मिलने के लिए बड़ा तड़पते थे अब क्या हुआ उम्मम
हालांकि ममता ये सब बाते मजाक में कह रही थी लेकिन दोनों को ये बात बहुत चुभी क्योंकि मंजू के शादी के पहले की यादें ताजा होने पर दोनों के दिल को तकलीफ हुई थी । जवानी का एक बड़ा समय लगभग बीसीओ साल बीत गए थे और वो अपने परिवार के लिए मदन को छोड़ गई थी ।
लेकिन असहज होकर ही सही दोनों जबरन मुस्कुरा रहे थे ममता की बातों पर
ममता : वैसे मुझे बहुत ज्यादा तो पता नहीं है क्योंकि तब मै आई नहीं थी लेकिन ये तो बताओ , मिलते कहा थे तुम लोग
इस बार मंजू के जहन अरहर दुपहर वाली वो यादें ताजा हो गई और वो थोड़ा मुस्कुरा कर शर्माई । जिससे उसके गाल गुलाबी हो गए ।
मुस्कराहट तो मदन के चेहरे पर भी आई थी लेकिन इस दौरान जब उसकी निगाहे मंजू से टकराई तो वो उसे पी गया । मंजू समझ गई कि मदन को जुदाई का दुख बहुत ताजा है ।
ममता : अरे आप ही बता दो देवर जी हाहाहाहाहा
मदन को अब ममता का मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उखड़ कर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला गया।
मंजू की आंखे भी डबडबा गई , उसे वो उम्मीद भी टूटती दिखने लगी जिसकी आश लिए वो आई थी ।
ममता समझ रही थी कि चीजें उतनी आसान नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं और उसने उदास बैठी मंजू को देखा तो उसके हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए : जाओ उनके पास
मंजू थोड़ी चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
ममता : दोनो साथ बैठोगे तो ही दिल का बोझ हल्का होगा , जाओ
फिर ममता उसे मदन के कमरे के बाहर छोड़ कर अपने कमरे कि ओर चल दी
जहां उसका पति लेता हुआ था और ममता मुस्कुरा कर धीरे से उसके पास आकर उससे लिपट कर सो गई
: उम्हू मेरी जान , आजाओ ( मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी ओर खींच लिया आंखे बंद किए हुए ही )
: मुझे लगा आप सो गए होंगे ( ममता मुस्कुरा कर बोली )
: तुम्हारे बिना चैन की नींद नहीं आती अमन की मां
: क्यों क्या हो गया , कुछ परेशान है आप
: वही सोच रहा हूं कि मंजू को वापस लाकर कोई गलती तो नहीं की । मदन से एक बार बात कर लेना चाहिए था सुबह से वो कितना गुमसुम है एक बार भी किसी से कुछ नहीं बोला ।
ममता मुस्कुराई और खिसक कर मुरारी के सीने से लिपट कर : अरे थोड़ा समय दीजिए उनको , इतने साल बाद अचानक से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है ।
मुरारी : हा ठीक ही कह रही हो वैसे
ममता ने कोई जवाब भी दिया चुप होकर मदन और मंजू के बारे ने सोचने लगी उसे आगे क्या करना है ।
वही दूसरी ओर मदन के कमरे का भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर मंजू अंदर गई तो देखा कि मदन अपने एक कुर्सी पर दरवाजे की ओर पीठ किए हुए बैठा था , दरवाजा खुला तो उसे लगा कि शायद ममता आई है : भाभी प्लीज , बाद में
मंजू हल्की आवाज में हिम्मत कर : मै हूं
मदन को झटका लगा और उसने गर्दन फेर कर देखा तो मंजू खड़ी थी , वो भी थोड़ा असहज हुआ और खड़ा हो गया : अच्छा तुम हो , आओ बैठो
मंजू फीकी मुस्कुराहट से उसके पास गई और बिस्तर पर बैठ गई ।
मंजू : आप भी बैठो
मदन मंजू के मुंह से "आप" सुनकर मुस्कुराया , उसे उन दिनों की झलकियां मिली जब मंजू उसे मां बहन की गाली तक देती थी । उनका रिश्ता कितना दोस्ताना था ।
मदन भी उसके पास थोड़ा सा दूर होकर बैठ गया
मंजू थोड़ी देर चुप रही और हिम्मत करके बोली : आपने आज तक मुझे माफ नहीं किया न
मंजू के ये शब्द तीर की तक चुभे मदन को और उसका दिल भर आया और उसने गहरी सांस ली।
मंजू : अच्छा ही किया , जैसे मैने फैसला लिया उसके लिए मेरे साथ जो हुआ वो अच्छा ही था । मै उसी के लायक हूं
मदन कभी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि मंजू खुद को कोसे ऐसे गलती के लिए जो उसकी गलती थी नहीं ,
लेकिन मदन ने वापस से अपना कलेजा मजबूत कर : बस करो मंजू , तुम वापस क्यों आई इतने साल बाद
मदन के सवाल से मंजू समझ गई कि मदन को गहरा दुख है कि वो उसे छोड़ गई थी । और उसकी आंखे बहने लगी : मेरी कहा हिम्मत थी कि मै उस रोज के बाद आपका सामना कर पाऊं , वो तो भइया.....
मदन मुरारी का जिक्र आते ही चुप हो गया
मंजू : आती भी किस मुंह से , लेकिन आपने मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दी ।
मदन : प्यार करता था मंजू मै , शादी हो या न हो लेकिन मेरे जीवन में पत्नी कहलाने का हक सिर्फ मैने तुम्हे दिया था ।
मंजू की आंखे लगातार बह रही थी : और अब
उसने भरी हुई आंखों से मदन को देखा जो खुद की भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था : अब नहीं करते है क्या ?
मदन का दिल पसीज गया ये शब्द सुनकर , उसका दिल रो पड़ा लेकिन वो नाराजगी अभी भी बरकरार थी ।
मदन की आंखे भी डबडबा गई : नहीं
मंजू समझ गई कि मदन झूठ बोल रहा है और वो मुस्कुरा कर : तो फिर अपने दीदी के नन्द से शादी क्यों नहीं किए ,
मदन चौक कर : तुम्हे किसने ? ये भाभी न
मंजू मुस्कुराई : झूठ तो आज भी नहीं बोल पाते हो तुम , सॉरी आप
मदन को थोड़ी चिढ़ सी हुई : मै तो वैसा ही हूं जैसे तुम छोड़ गई तुम , लेकिन तुम तो तभी बदल गई
मदन ने जैसे मंजू के मन पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया हो और मंजू की हिम्मत एक बार फिर डगमगाने लगी
मंजू ने फिर से हिम्मत जुटाई : मै यहां आपसे शादी करने नहीं आई थी
मदन के लिए अब ये नया झटका था कि कही उसकी बातें सुनकर मंजू नाराज तो नहीं हुई ।
मंजू सुबकते हुए : बस भइया के कहने पर आई हूं , इस घर ने सबको सिर्फ आपकी फिकर है । भइया को लगता है कि मेरे वापस आने से आपकी जीवन में खुशियां वापस आ सकती हैं । लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे अपनाएंगे नहीं ।
मदन थोड़ा सोच कर : तुम यहां मेरे लिए अपना घर परिवार छोड़ आई हो , मेरे लिए
मंजू अपने आंसू पोंछ कर : मेरा अब कोई परिवार नहीं है । ना ससुराल न मायका। मै ****** शहर में अकेली रहती थी , जिससे मेरी शादी हुई वो सालों पहले गुजर गए ।
मदन : और बच्चे ?
मंजू ने ना में सर हिलाते हुए रोते हुए मदन को देखा ।
मदन का दिल भर आया : तुमने कभी बताया क्यों नहीं
मंजू फफक कर : किस मुंह से बताती , जानती थी कि आप न कभी मुझे माफ करोगे और न ही अपनाओगे
मदन उसके करीब आकर : अब अगर एक बार भी दुबारा तुमने से शब्द बोला तो थप्पड़ लगा दूंगा । पागल कही की इधर आओ
मदन ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और मंजू फूट फूट कर रोने लगी । मदन का दिल पसीज गया और उसकी आंखे बहने लगी : पगली तेरे इंतजार में ही तो मैं बैठा था और कहती है अपनाऊंगा नहीं ।
मंजू उससे लिपटी हुई रो रही थी : मुझे माफ कर दो प्लीज
मदन उसको अपने सामने कर उसके गाल से आंसू साफ करता हुआ : अच्छा चुप हो जाओ , एकदम चुप
मंजू सुबक रही थी और हिचकियां खा रही थी रोते हुए । मदन ने उसे पानी दिया
किसी छोटे बच्चे के जैसे उसने पानी पिया और पानी से उसके होठ पूरे गिले हो गए थे , मानो कितना रस हो उनमें , मदन का पल भर को जी ललचा ही गया और वो पल उसके जहन के उभर आए जब वो उन्हीं गुलाबी लबों को चूसता था ।
उसने रुमाल से उसके होठ और चेहरे को साफ किया , मंजू उसे देख रही थी और वो उसे ।
मदन : मेरी एक शर्त है
मंजू थोड़ा सोचने लगी : क्या
मदन : मैने तुमसे शादी करूंगा एक शर्त पर , अगर आज करोगी तो
मंजू हसने लगी : हा मंजूर है
मदन हस कर : सोच लो सुहागरात भी आज ही होगी फिर
मंजू शर्मा कर हसने लगी : धत्त गंदे , तुम नहीं सुधरोगे
मदन हसने लगा और फिर एकदम से दोनों की नजरे टकराई , फिर दोनों के दिल की धड़कने तेज होने लगी और होठ सूखने लगे । मदन खुद को रोक नहीं पाया और उसने मंजू के लिप्स पर किस कर दिया , वो अहसास पाते ही मंजू खुद को रोक नहीं सकी और उसने भी मदन को चूमना शुरू कर दिया
उनकी किस गहरी होने लगी , दोनो के मन वो अनुभव वापस से ताजा होने लगे जब दोनों किस किया करते थे ।
" अह उम्हू"
एकदम से चौक कर दोनों अलग हुए और देखा तो दरवाजे पर ममता खड़ी थी ।दोनो शर्म से लाल अपना मुंह पोंछते हुए मुस्कुराने लगे
: ओहो देखो तो इन ठरकी जोड़ो को , इतने साल बाद भी अकल नहीं आई । पहले अरहर दुपहर करते पकड़े जाते थे और अब घर में ही
मदन शर्म से मुस्कुरा कर : भाभी क्या आप भी
ममता : देखो आपके भैया ने साफ साफ कहा है कि जबतक शादी नहीं हो जाती , देवरानी जी तो इधर नहीं आएंगी और सही भी है । पता नहीं क्या कांड कर जाओ तुम लोग
मदन शर्म से झेप गया और मंजू बस सर नीचे किए हुए मुस्करा रही थी लाज से और फिर धीरे से निकल गई कमरे से
ममता मदन को छेड़ती हुई : मुझे थोड़ा रुक कर आना चाहिए था क्यों ?
मदन : हा और क्या , अभी शुरू ही किया था
ममता मुस्कुराई और उसके पास जाके : तो मेरे साथ खत्म कर लो मेरे राजा
मदन एकदम से चौक गया : भाभी क्या कर रही हो , हटो
ममता घूर कर : अच्छा बच्चू , बीवी मिल रही है तो भाभी को भूल जाओगे । अब देखती हूं कैसे मिलते हो उससे जबतक शादी नहीं हो जाती फटकने तक नहीं दूंगी हूह
ये बोलकर ममता तुनक कर बाहर चली गई और मदन उसे रोकना चाहा लेकिन समझ गया कि ममता थोड़ी नाराज हो गई है ।
शिला के घर
" सीईईई ओह्ह्ह पी ले बेटा उम्मन अह्ह्ह्ह सीईईईईई सॉरी कल तेरे पापा ने रात भर नहीं छोड़ा मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह"
कमरे में रज्जो अपनी नाइटी खोलकर अपने चूचे निकाल कर अरुण को पिला रही थी और अरुण उसने मसल मसल कर बारी बारी चूचे बदल कर चूस रहा था
: उम्मम मामी आपके दूध कितने मुलायम है और बड़े है जी करता है इसी में लंड डाल कर चोद दूं
रज्जो अरुण के सर को अपने छातियों में रगड़ते हुए : हा बेटा खोल मै खुद कर दूंगी
अरुण जल्दी जल्दी पेंट खोलकर सोफे पर बैठ गया
: ओह्ह्ह्ह लंड के मामले में तुम बाप बेटे एक जैसे हो
अरुण मुस्कुराया और रज्जो नीचे बैठ गई , उसके अरुण का लंड हाथ में लिया और उसको सहलाने लगी । अरुण की आंखे बंद हो गई और उसके कूल्हे अकड़ने लगे जब रज्जो ने अपने उंगलियों से मुंह की लार को टोपे पर लगाया तो : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
फिर रज्जो ने उसका बड़ा सा खड़ा लंड अपने दोनों चूचों के बीच रख कर आगे पीछे करने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह गॉड मामी कितनी सॉफ्टी है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्यों मजा आया न बेटा
: हम्ममम
अरुण की सांसे बेचैन थी वो सामने अपनी गोद ने रज्जो की चुचियों के बीच अपना लंड मिजवा रहा था और उसका लंड रज्जो ने चूचों से निकल कर रज्जो ने मुंह तक जा रहा था
रज्जो ने भी जीभ निकाल कर उसका सुपाड़ा चाट लिया और अरुण बिलबिला उठा : ओह्ह्ह्ह मामी उम्मम सीईईई ओह्ह्ह कितनी मस्त हो आप उम्मम तभी तो सोचूं क्यों बड़ी मां आपको लेकर आने के लिए परेशान थी ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने मुंह खोलकर उसके मोटा लंड मुंह में भर कर चूसने लगी अरुण की सांसे तेज होने लगी वो अपने चूतड़ सख्त कर अपने कूल्हे उठाने लगा और रज्जो के बाल सहलाने लगा : उम्मम मामी कितनी सॉफ्टी और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह और लोह उफ्फफ सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अरुण की आदत थी कि उसकी कामुकता तीव्र थी वो बहुत जल्दी वाइल्ड हो जाता था और उसने रज्जो का सर अपने लंड पर दबाने लगा, इतने दिनों से चूत न मिलने की तड़प ने उसके भीतर का जानवर जगा दिया था और वो दांत पीस कर अपना लंड पूरा टाइट कर रज्जो का सर पकड़ कर पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह और लोह उम्मम शक बेबी सक ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह पूरा घोट जाओ ओह्ह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो की आँखें बड़ी होने लगी और देखते ही देखते अनुज खड़ा होकर रज्जो के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लंड पेलने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी कितनी प्यासी है तू लंड की ओह्ह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह लेह ओह्ह्ह बहनचोद ओह्ह्ह्
अरुण ने गले तक अपना लंड भर दिया और रज्जो को घुटन सी होने लगी और एक झटके में उसके लंड बाहर निकाला
रज्जो आंखे बड़ी कर उसे गुस्से से घूर रही थी और अरुण अपना गिला लंड सहलाते हुए उसके मुंह पर अपने आड़ रख दिए और उसके गाल पर थपकी देके : चूस न रंडी इसे भी
रज्जो अरुण के एकदम से बदले हुए तेवर से हैरान थी लेकिन उसे अरुण का ये अंदाज भा रहा था कच्ची उम्र एक डोमिनेट मर्द साबित करने की अदा
उसने भी जीभ निकाल कर उसके बाल चाटने शुरू कर दिए : ओह्ह्ह्ह यश बेबी ओह्ह्ह्ह यशस्स उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह माय सेक्सी बिच ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रज्जो उसके अखरोट मुंह लेकर चुबलाती हुई अपने नंगे चूचों को मसलने लगी और उसके हाथ अपनी जांघें खोलकर अपनी बुर को सहलाने लगे थे
अरुण ने उसको खड़ा कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए एक गहरा चुम्बन और अनुज ने उसे घुमा पर बिस्तर पर लिटा दिया
मोटी मोटी गदराई जांघों को फैलाते हुए रज्जो ने अपनी बुर पर उंगली फिराने लगी और अरुण अपना सारे कपड़े निकाल कर उसके पास आया
उसके हाथ रज्जो की नंगी जांघों को सहला थे , अरुण की ये आदत रज्जो को पसंद आ रही थी कि एक पल को वो उसकी आंखों से आंख मिलाए बिना नहीं रहता और ये रज्जो को बहुत रोमांचित कर रहा था
उसकी जांघों को घुटने से चूमते हुए अरुण उसके बुर के पास गया और एक लंबी सांस लेते हुए रज्जो के बुर की गंध को अपने सांसों के भरने लगा
एकदम से रज्जो तड़प उठी उसकी बुर फड़फड़ाने लगी और अरुण ने जीभ फिराई: सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
फिर होठ: ओह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम
एकदम से रज्जो के चूतड़ टाइट हो गए
अगले ही पल अरुण ने पूरे होठ खोलकर नीचे से जीभ को फ़िराते हुए बुर से बहती मलाई को चाटते हुए उसके फांकों को चुभलाने लगा
एकदम से तड़प उठी रज्जो : सीईईई क्या करता है ओह्ह्ह्ह मर गई रे सीईईई कहा से सिखा है ये सब तू उम्ममम
अरुण बिना कुछ बोले उसके बुर के फांके मुंह में लेकर चुबला रहा था और रज्जो बिस्तर पर अकड़ती जा रही थी
: उम्मम मामी तुम्हारी बुर कितनी रसीली है और सॉफ्टी ( अरुण अपनी दो उंगलियां उसके बुर के फांके पर टहलाते हुए बोला )
रज्जो की सांसे रुकने लगी थी मानो आंखे बंद कर वो उस हरकत को अपनी बुर में महसूस कर रही थी जब अरुण अपनी उंगलियों को वहा रेंगा रहा था और एकदम से उसकी आंखे बड़ी हो गई जब अरुण से दोनों उंगलियां एक साथ उसकी बुर ने घुसा दी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम और ऐसे ही उम्मन डाल पेल और उम्मम कितना अच्छे से ये सब करता है तू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण ने वापस से अपना मुंह उसके बुर पर रख दिया और दाने को ट्रिगर करते हुए तेजी से उंगलियों को बुर के पेले जा रहा था
रज्जो एकदम फड़फड़ाने लगी थी उसकी बुर को लंड लेने की तलब और तेज हो गई थी : अह्ह्ह्ह बेटा लंड कब डालेगा ओह्ह्ह्ह वो घुसा ना और मजा आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम
अरुण उठ गया और अपना लंड उसके गिले बुर पर लगाते है घुसा दिया , बहती हुई चूत में लंड आसानी से उतर गया : अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा पेल ओह्ह्ह् और अंदर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
अरुण रज्जो की जांघें खोले तेजी से लंड अंदर डालने लगा और सिसकने लगा : ओह्ह्ह मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी मस्त चूत है इतनी गर्म है और मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे हमुच हमुच कर फाड़ दूं उम्मम ओह्ह्ह्ह
रज्जो को अपनी बुर में एक अलग ही कड़कपन महसूस हो रहा था , अरुण का फूला हुआ सुपाड़ा उसके चूत के दीवारों में चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा : ओह्ह्ह्ह बेटा कुछ तो है तेरे अंदर ओह्ह्ह्ह तेरा हथियार आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने रज्जो की टांग को घुमा दिया और उसको करवट करके उसके गर्दन को पकड़ कर लंड को और गहराई के के गया
रज्जो की आंखे बड़ी होने लगी , चूत में जलन सी होने लगी : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बहुत अच्छा कर रहा है सीईईई ओह्ह्ह ऐसी चुदाई मेरी कभी नहीं हुई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : क्यों मामी मजा आ रहा है न उम्मम और डालू क्या उन
रज्जो उसकी आंखों में देखते हुए : हा और अंदर ओह ऐसे ही उम्मम घुसा दे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरा आ रहा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अरुण अपना मुंह भींच कर तेजी से रज्जो को पेलने लगा और रज्जो की चीखे तेज ही गई : ओह ओह्ह्ह्ह ले बहिनचोद ओह्ह्ह साली रंडी चुदक्कड़ ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है मामी तुम्हारी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह यश ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने इधर अपनी चूत कस ली और झड़ने लगी अरुण के लंड पर : ओह्ह्ह बेटा आ रहा है मेरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और पेल ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्ममम
रज्जो झड़ रही थी और अरुण ने लंड निकाल कर उसके चूतड़ पर थपथपा कर उसे घोड़ी बनने का इशारा किया और रज्जो घुटने के बल हो गई
उस रस टपकती चूत को देखते हुए अरुण ने अपना मुंह लगा दिया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बड़ा ही एक्सपर्ट लगता है इनसब में ओह्ह्ह्ह चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह उधर भी करना है कर ले खा जा मेरी गाड़ उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम मैय्या सीईईई ओह्ह्ह तेरी जीभ मुझे पागल कर रही है
अरुण रज्जो के चर्बीदार चूतड़ों को फैलाकर कर उसके गाड़ के सुराख में मुंह दे दिया था और जीभ से उसे गिला कर रहा था
रज्जो के जिस्म में फिर से अकड़न होने लगी और वो अपने गाड़ को अरुण के मुंह पर उठाने लगी
अरुण उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाड़ के छेद को चाट रहा था और फिर वो खड़ा हुआ अपना गिला सुपाड़ा सीधा गाड़ के छेद पर
रज्जो थोड़ी घबराई : बेटा कर लेगा न
अरुण ने उसका जवाब अपना सुपाड़ा रज्जो के कसी हुई चूतड़ की सुराख्मे घुसाते हुए दिया : अह्ह्ह्ह बेटा आराम से तेरा आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरा चौड़ा कर दिया तूने ओह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह मामी कितनी टाइट गाड़ है तुम्हारी सीईईई ओह्ह्ह कबसे इसको चोदने के सपने देखता था ओह्ह्ह्ह फ़ाइनली आज ओह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने हौले हौले लंड आगे पीछे करना शुरू किया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम आराम से ओह्ह्ह्ह सूखा है तेरा लंड एकदम से
रज्जो की बात सुनकर अरुण मुंह में लार बटोरी और सीधा रज्जो की टाइट गाड़ के सुराख पर जिसने उसका आधा लंड घुसा था उसी पर थूका और फिर उंगली से लिपने लगा
रज्जो : ओह्ह्ह सीईईई क्या नए नए तरीके निकलता हैं तू ओह्ह्ह्ह , ऐसे ही तू अपनी बड़ी मां की गाड़ खोल दे उसे तो जन्नत का मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई मत तड़पाओ मुझे ओह्ह्ह्ह
रज्जो समझ गई और मुस्कुरा कर : पसंद करता है न अपनी बड़ी मां को , चोदेगा उनकी बड़ी सी गाड़ , बोल डालेगा उसमें लंड
अरुण तो अब दुगने जोश में आ आ गया और रज्जो की गाड़ को पकड़ कर पूरे जोश में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह क्यों नहीं मामी, लेकिन कैसे अह्ह्ह्ह्ह मम्मी और बड़ी मम्मी आपस में खुश है उन्हें मेरी फ़िक्र नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई, कितना तरसता हु इस घर में मै अकेला
रज्जो : तेरी उस बुर चटोरी बड़ी मम्मी को नई कुंवारी चूत बहुत पसंद है, कोई हो तो उसे घर लाकर मिलवा दे तेरा काम हो जाएगा
अरुण पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था : सच में मामी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो : हा बेटा फिर तू मेरी भी उसकी गाड़ में लंड डालेगा बोल डालेगा न
अरुण : हा मुझे चाहिए , बड़ी मम्मी की गाड़ मुझे बहुत पसंद ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह
तेजी से वो रज्जो की गाड़ में लंड पेलता हुआ अपना लंड बाहर निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ मजा आ गया मामी
थैंक्यू
उसने झुक कर रज्जो के चूतड़ों पर चुम्मी ली और बिस्तर पर आ गया
रज्जो मुस्कुरा कर : मजा तो मुझे भी आया , कितने दिनों बाद ऐसे मजा मिला चूत और गाड़ एकदम हीही
अरुण थोड़ा शर्मा रहा था
रज्जो ने उसे छेड़ा : अब शर्मा रहा है देखो तो हाहाहाहा
कमरे में खिलखिला सा माहौल हो गया
जारी रहेगी
Excellent updateUPDATE 019
THE EROTIC SUNDAY 03
ममता के घर
सुबह के 10 बजने वाले थे । मदन की बेचैनी बढ़ रही थी , सुबह भोर से उसकी नीद उड़ गई थी । मंजू का एकदम से उसकी लाइफ में वापस आना किसी बड़े झटके से कम नहीं था ।
ममता के आवाज देने पर वो भी अपने कमरे से निकल कर हाल में नाश्ते के लिए आया
मुरारी पहले से ही सोफे पर बैठा था नहा कर लेकिन उसकी भी आंखों के अभी भी नीद बरकरार थी
ममता दोनों के लिए नाश्ता लाकर देती है
मुरारी : वो मंजू ने नाश्ता किया
ममता मुस्कुरा कर मदन को देखी और बोली : ऊहू , अभी वो नहाने गई है ।
मुरारी : ठीक है ऊपर वाला गेस्ट रूम उसके लिए सेट करवा दो
ममता मदन के मजे लेते हुए : अरे हफ्ते दो हफ्ते की बात है , आखिर रहना तो उसे देवर जी के साथ ही है न
मदन चौक गया और मुरारी मुस्कुरा कर : तुम भी न अमन की मां, वो सब ठीक है लेकिन समाज को देख कर ही चलना है हमे और तुम भाई मदन जैसे भी करना चाहते हो शादी सोच लो और शाम तक बताओ
मदन चुप रहा अपने भैया का मान रखता हुआ
फिर मुरारी नाश्ता कर निकल गया अपने रूम में सोने के लिए
मौका देखते ही ममता मदन के पास बैठ गई और कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर उसके लंड को टटोलने लगी : ओह्ह्ह्ह देवर जी तो हो जाए
मदन उसका हाथ झटक कर : क्या भाभी तुम भी न , सारी रात मजे से पेलवाती रही और सुबह सुबह ही इतना बड़ा धमाका
ममता खिलखिलाई : क्यों पसंद नहीं आया सरप्राईज
मदन : पता नहीं , समझ नहीं आ रहा है क्या रिएक्ट करु
ममता : अरे साथ बैठो कुछ बातें करो , चीजें सुलझ जाएगी ।
मदन चुप हो कर ममता की बातो पर गौर करने लगा
ममता मुस्कुराई: ओहो पुराना माल वापस मिल रहा है तो इतना क्या सोच रहे हो उम्मम
मदन मुस्कुराया और ममता को देख कर : तुम कितनी छिनाल हो भाभी , कैसे कर लेती हो ये सब , पहले तो ऐसे नहीं देखा आपको
ममता मुस्कुराई: औरत जब अपना असल रूप दिखाती है तो मर्द के पसीने छूट जाते है देवर जी , अभी आपने मुझे जाना ही कहा है हिहीही
मदन मुस्कुराने लगा और कुछ टिप्पणी करने जा रहा था कि ममता की नजर मंजू पर गई । ऑफ वाइट शिफॉन सारी में गजब की खूबसूरत दिख रही थी । मोटे बड़े रसीले मम्में से भरे भरे हुए ब्लाउज , नंगी कमर और उठे हुए मोटे चर्बीदार कूल्हे , थोड़ी लजाती थोड़ी मुस्कुराती हुई वो हाल में आई और सोफे के पीछे खड़ी हो गईं ।
ममता मुस्कुराई और उठ कर उसे अपने पास बिठाया : आओ बैठो , नाश्ता करो
मंजू मदन को देख रही थी , उसके भीतर भी अलग ही बेचैनी थी । सुबह से दोनों ने एक दूसरे को देखने के सिवा एक शब्द नहीं कहा । मंजू में जहन में वहीं डर था कि क्या मदन उसे अपनाएगा ? वो क्या सोच रहा होगा उसके बारे में ?
ममता : अरे इनसे शरमाओ मत , उठाओ चाय
मंजू मुस्कुरा कर चाय लेकर पीने लगी और मदन थोड़ा असहज होकर उठने लगा कि ममत ने खींच कर उसे बिठाया : आप कहा चले देवर जी , उम्मम शादी के पहले तो मिलने के लिए बड़ा तड़पते थे अब क्या हुआ उम्मम
हालांकि ममता ये सब बाते मजाक में कह रही थी लेकिन दोनों को ये बात बहुत चुभी क्योंकि मंजू के शादी के पहले की यादें ताजा होने पर दोनों के दिल को तकलीफ हुई थी । जवानी का एक बड़ा समय लगभग बीसीओ साल बीत गए थे और वो अपने परिवार के लिए मदन को छोड़ गई थी ।
लेकिन असहज होकर ही सही दोनों जबरन मुस्कुरा रहे थे ममता की बातों पर
ममता : वैसे मुझे बहुत ज्यादा तो पता नहीं है क्योंकि तब मै आई नहीं थी लेकिन ये तो बताओ , मिलते कहा थे तुम लोग
इस बार मंजू के जहन अरहर दुपहर वाली वो यादें ताजा हो गई और वो थोड़ा मुस्कुरा कर शर्माई । जिससे उसके गाल गुलाबी हो गए ।
मुस्कराहट तो मदन के चेहरे पर भी आई थी लेकिन इस दौरान जब उसकी निगाहे मंजू से टकराई तो वो उसे पी गया । मंजू समझ गई कि मदन को जुदाई का दुख बहुत ताजा है ।
ममता : अरे आप ही बता दो देवर जी हाहाहाहाहा
मदन को अब ममता का मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उखड़ कर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला गया।
मंजू की आंखे भी डबडबा गई , उसे वो उम्मीद भी टूटती दिखने लगी जिसकी आश लिए वो आई थी ।
ममता समझ रही थी कि चीजें उतनी आसान नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं और उसने उदास बैठी मंजू को देखा तो उसके हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए : जाओ उनके पास
मंजू थोड़ी चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
ममता : दोनो साथ बैठोगे तो ही दिल का बोझ हल्का होगा , जाओ
फिर ममता उसे मदन के कमरे के बाहर छोड़ कर अपने कमरे कि ओर चल दी
जहां उसका पति लेता हुआ था और ममता मुस्कुरा कर धीरे से उसके पास आकर उससे लिपट कर सो गई
: उम्हू मेरी जान , आजाओ ( मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी ओर खींच लिया आंखे बंद किए हुए ही )
: मुझे लगा आप सो गए होंगे ( ममता मुस्कुरा कर बोली )
: तुम्हारे बिना चैन की नींद नहीं आती अमन की मां
: क्यों क्या हो गया , कुछ परेशान है आप
: वही सोच रहा हूं कि मंजू को वापस लाकर कोई गलती तो नहीं की । मदन से एक बार बात कर लेना चाहिए था सुबह से वो कितना गुमसुम है एक बार भी किसी से कुछ नहीं बोला ।
ममता मुस्कुराई और खिसक कर मुरारी के सीने से लिपट कर : अरे थोड़ा समय दीजिए उनको , इतने साल बाद अचानक से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है ।
मुरारी : हा ठीक ही कह रही हो वैसे
ममता ने कोई जवाब भी दिया चुप होकर मदन और मंजू के बारे ने सोचने लगी उसे आगे क्या करना है ।
वही दूसरी ओर मदन के कमरे का भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर मंजू अंदर गई तो देखा कि मदन अपने एक कुर्सी पर दरवाजे की ओर पीठ किए हुए बैठा था , दरवाजा खुला तो उसे लगा कि शायद ममता आई है : भाभी प्लीज , बाद में
मंजू हल्की आवाज में हिम्मत कर : मै हूं
मदन को झटका लगा और उसने गर्दन फेर कर देखा तो मंजू खड़ी थी , वो भी थोड़ा असहज हुआ और खड़ा हो गया : अच्छा तुम हो , आओ बैठो
मंजू फीकी मुस्कुराहट से उसके पास गई और बिस्तर पर बैठ गई ।
मंजू : आप भी बैठो
मदन मंजू के मुंह से "आप" सुनकर मुस्कुराया , उसे उन दिनों की झलकियां मिली जब मंजू उसे मां बहन की गाली तक देती थी । उनका रिश्ता कितना दोस्ताना था ।
मदन भी उसके पास थोड़ा सा दूर होकर बैठ गया
मंजू थोड़ी देर चुप रही और हिम्मत करके बोली : आपने आज तक मुझे माफ नहीं किया न
मंजू के ये शब्द तीर की तक चुभे मदन को और उसका दिल भर आया और उसने गहरी सांस ली।
मंजू : अच्छा ही किया , जैसे मैने फैसला लिया उसके लिए मेरे साथ जो हुआ वो अच्छा ही था । मै उसी के लायक हूं
मदन कभी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि मंजू खुद को कोसे ऐसे गलती के लिए जो उसकी गलती थी नहीं ,
लेकिन मदन ने वापस से अपना कलेजा मजबूत कर : बस करो मंजू , तुम वापस क्यों आई इतने साल बाद
मदन के सवाल से मंजू समझ गई कि मदन को गहरा दुख है कि वो उसे छोड़ गई थी । और उसकी आंखे बहने लगी : मेरी कहा हिम्मत थी कि मै उस रोज के बाद आपका सामना कर पाऊं , वो तो भइया.....
मदन मुरारी का जिक्र आते ही चुप हो गया
मंजू : आती भी किस मुंह से , लेकिन आपने मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दी ।
मदन : प्यार करता था मंजू मै , शादी हो या न हो लेकिन मेरे जीवन में पत्नी कहलाने का हक सिर्फ मैने तुम्हे दिया था ।
मंजू की आंखे लगातार बह रही थी : और अब
उसने भरी हुई आंखों से मदन को देखा जो खुद की भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था : अब नहीं करते है क्या ?
मदन का दिल पसीज गया ये शब्द सुनकर , उसका दिल रो पड़ा लेकिन वो नाराजगी अभी भी बरकरार थी ।
मदन की आंखे भी डबडबा गई : नहीं
मंजू समझ गई कि मदन झूठ बोल रहा है और वो मुस्कुरा कर : तो फिर अपने दीदी के नन्द से शादी क्यों नहीं किए ,
मदन चौक कर : तुम्हे किसने ? ये भाभी न
मंजू मुस्कुराई : झूठ तो आज भी नहीं बोल पाते हो तुम , सॉरी आप
मदन को थोड़ी चिढ़ सी हुई : मै तो वैसा ही हूं जैसे तुम छोड़ गई तुम , लेकिन तुम तो तभी बदल गई
मदन ने जैसे मंजू के मन पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया हो और मंजू की हिम्मत एक बार फिर डगमगाने लगी
मंजू ने फिर से हिम्मत जुटाई : मै यहां आपसे शादी करने नहीं आई थी
मदन के लिए अब ये नया झटका था कि कही उसकी बातें सुनकर मंजू नाराज तो नहीं हुई ।
मंजू सुबकते हुए : बस भइया के कहने पर आई हूं , इस घर ने सबको सिर्फ आपकी फिकर है । भइया को लगता है कि मेरे वापस आने से आपकी जीवन में खुशियां वापस आ सकती हैं । लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे अपनाएंगे नहीं ।
मदन थोड़ा सोच कर : तुम यहां मेरे लिए अपना घर परिवार छोड़ आई हो , मेरे लिए
मंजू अपने आंसू पोंछ कर : मेरा अब कोई परिवार नहीं है । ना ससुराल न मायका। मै ****** शहर में अकेली रहती थी , जिससे मेरी शादी हुई वो सालों पहले गुजर गए ।
मदन : और बच्चे ?
मंजू ने ना में सर हिलाते हुए रोते हुए मदन को देखा ।
मदन का दिल भर आया : तुमने कभी बताया क्यों नहीं
मंजू फफक कर : किस मुंह से बताती , जानती थी कि आप न कभी मुझे माफ करोगे और न ही अपनाओगे
मदन उसके करीब आकर : अब अगर एक बार भी दुबारा तुमने से शब्द बोला तो थप्पड़ लगा दूंगा । पागल कही की इधर आओ
मदन ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और मंजू फूट फूट कर रोने लगी । मदन का दिल पसीज गया और उसकी आंखे बहने लगी : पगली तेरे इंतजार में ही तो मैं बैठा था और कहती है अपनाऊंगा नहीं ।
मंजू उससे लिपटी हुई रो रही थी : मुझे माफ कर दो प्लीज
मदन उसको अपने सामने कर उसके गाल से आंसू साफ करता हुआ : अच्छा चुप हो जाओ , एकदम चुप
मंजू सुबक रही थी और हिचकियां खा रही थी रोते हुए । मदन ने उसे पानी दिया
किसी छोटे बच्चे के जैसे उसने पानी पिया और पानी से उसके होठ पूरे गिले हो गए थे , मानो कितना रस हो उनमें , मदन का पल भर को जी ललचा ही गया और वो पल उसके जहन के उभर आए जब वो उन्हीं गुलाबी लबों को चूसता था ।
उसने रुमाल से उसके होठ और चेहरे को साफ किया , मंजू उसे देख रही थी और वो उसे ।
मदन : मेरी एक शर्त है
मंजू थोड़ा सोचने लगी : क्या
मदन : मैने तुमसे शादी करूंगा एक शर्त पर , अगर आज करोगी तो
मंजू हसने लगी : हा मंजूर है
मदन हस कर : सोच लो सुहागरात भी आज ही होगी फिर
मंजू शर्मा कर हसने लगी : धत्त गंदे , तुम नहीं सुधरोगे
मदन हसने लगा और फिर एकदम से दोनों की नजरे टकराई , फिर दोनों के दिल की धड़कने तेज होने लगी और होठ सूखने लगे । मदन खुद को रोक नहीं पाया और उसने मंजू के लिप्स पर किस कर दिया , वो अहसास पाते ही मंजू खुद को रोक नहीं सकी और उसने भी मदन को चूमना शुरू कर दिया
उनकी किस गहरी होने लगी , दोनो के मन वो अनुभव वापस से ताजा होने लगे जब दोनों किस किया करते थे ।
" अह उम्हू"
एकदम से चौक कर दोनों अलग हुए और देखा तो दरवाजे पर ममता खड़ी थी ।दोनो शर्म से लाल अपना मुंह पोंछते हुए मुस्कुराने लगे
: ओहो देखो तो इन ठरकी जोड़ो को , इतने साल बाद भी अकल नहीं आई । पहले अरहर दुपहर करते पकड़े जाते थे और अब घर में ही
मदन शर्म से मुस्कुरा कर : भाभी क्या आप भी
ममता : देखो आपके भैया ने साफ साफ कहा है कि जबतक शादी नहीं हो जाती , देवरानी जी तो इधर नहीं आएंगी और सही भी है । पता नहीं क्या कांड कर जाओ तुम लोग
मदन शर्म से झेप गया और मंजू बस सर नीचे किए हुए मुस्करा रही थी लाज से और फिर धीरे से निकल गई कमरे से
ममता मदन को छेड़ती हुई : मुझे थोड़ा रुक कर आना चाहिए था क्यों ?
मदन : हा और क्या , अभी शुरू ही किया था
ममता मुस्कुराई और उसके पास जाके : तो मेरे साथ खत्म कर लो मेरे राजा
मदन एकदम से चौक गया : भाभी क्या कर रही हो , हटो
ममता घूर कर : अच्छा बच्चू , बीवी मिल रही है तो भाभी को भूल जाओगे । अब देखती हूं कैसे मिलते हो उससे जबतक शादी नहीं हो जाती फटकने तक नहीं दूंगी हूह
ये बोलकर ममता तुनक कर बाहर चली गई और मदन उसे रोकना चाहा लेकिन समझ गया कि ममता थोड़ी नाराज हो गई है ।
शिला के घर
" सीईईई ओह्ह्ह पी ले बेटा उम्मन अह्ह्ह्ह सीईईईईई सॉरी कल तेरे पापा ने रात भर नहीं छोड़ा मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह"
कमरे में रज्जो अपनी नाइटी खोलकर अपने चूचे निकाल कर अरुण को पिला रही थी और अरुण उसने मसल मसल कर बारी बारी चूचे बदल कर चूस रहा था
: उम्मम मामी आपके दूध कितने मुलायम है और बड़े है जी करता है इसी में लंड डाल कर चोद दूं
रज्जो अरुण के सर को अपने छातियों में रगड़ते हुए : हा बेटा खोल मै खुद कर दूंगी
अरुण जल्दी जल्दी पेंट खोलकर सोफे पर बैठ गया
: ओह्ह्ह्ह लंड के मामले में तुम बाप बेटे एक जैसे हो
अरुण मुस्कुराया और रज्जो नीचे बैठ गई , उसके अरुण का लंड हाथ में लिया और उसको सहलाने लगी । अरुण की आंखे बंद हो गई और उसके कूल्हे अकड़ने लगे जब रज्जो ने अपने उंगलियों से मुंह की लार को टोपे पर लगाया तो : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
फिर रज्जो ने उसका बड़ा सा खड़ा लंड अपने दोनों चूचों के बीच रख कर आगे पीछे करने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह गॉड मामी कितनी सॉफ्टी है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्यों मजा आया न बेटा
: हम्ममम
अरुण की सांसे बेचैन थी वो सामने अपनी गोद ने रज्जो की चुचियों के बीच अपना लंड मिजवा रहा था और उसका लंड रज्जो ने चूचों से निकल कर रज्जो ने मुंह तक जा रहा था
रज्जो ने भी जीभ निकाल कर उसका सुपाड़ा चाट लिया और अरुण बिलबिला उठा : ओह्ह्ह्ह मामी उम्मम सीईईई ओह्ह्ह कितनी मस्त हो आप उम्मम तभी तो सोचूं क्यों बड़ी मां आपको लेकर आने के लिए परेशान थी ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने मुंह खोलकर उसके मोटा लंड मुंह में भर कर चूसने लगी अरुण की सांसे तेज होने लगी वो अपने चूतड़ सख्त कर अपने कूल्हे उठाने लगा और रज्जो के बाल सहलाने लगा : उम्मम मामी कितनी सॉफ्टी और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह और लोह उफ्फफ सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अरुण की आदत थी कि उसकी कामुकता तीव्र थी वो बहुत जल्दी वाइल्ड हो जाता था और उसने रज्जो का सर अपने लंड पर दबाने लगा, इतने दिनों से चूत न मिलने की तड़प ने उसके भीतर का जानवर जगा दिया था और वो दांत पीस कर अपना लंड पूरा टाइट कर रज्जो का सर पकड़ कर पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह और लोह उम्मम शक बेबी सक ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह पूरा घोट जाओ ओह्ह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो की आँखें बड़ी होने लगी और देखते ही देखते अनुज खड़ा होकर रज्जो के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लंड पेलने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी कितनी प्यासी है तू लंड की ओह्ह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह लेह ओह्ह्ह बहनचोद ओह्ह्ह्
अरुण ने गले तक अपना लंड भर दिया और रज्जो को घुटन सी होने लगी और एक झटके में उसके लंड बाहर निकाला
रज्जो आंखे बड़ी कर उसे गुस्से से घूर रही थी और अरुण अपना गिला लंड सहलाते हुए उसके मुंह पर अपने आड़ रख दिए और उसके गाल पर थपकी देके : चूस न रंडी इसे भी
रज्जो अरुण के एकदम से बदले हुए तेवर से हैरान थी लेकिन उसे अरुण का ये अंदाज भा रहा था कच्ची उम्र एक डोमिनेट मर्द साबित करने की अदा
उसने भी जीभ निकाल कर उसके बाल चाटने शुरू कर दिए : ओह्ह्ह्ह यश बेबी ओह्ह्ह्ह यशस्स उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह माय सेक्सी बिच ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रज्जो उसके अखरोट मुंह लेकर चुबलाती हुई अपने नंगे चूचों को मसलने लगी और उसके हाथ अपनी जांघें खोलकर अपनी बुर को सहलाने लगे थे
अरुण ने उसको खड़ा कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए एक गहरा चुम्बन और अनुज ने उसे घुमा पर बिस्तर पर लिटा दिया
मोटी मोटी गदराई जांघों को फैलाते हुए रज्जो ने अपनी बुर पर उंगली फिराने लगी और अरुण अपना सारे कपड़े निकाल कर उसके पास आया
उसके हाथ रज्जो की नंगी जांघों को सहला थे , अरुण की ये आदत रज्जो को पसंद आ रही थी कि एक पल को वो उसकी आंखों से आंख मिलाए बिना नहीं रहता और ये रज्जो को बहुत रोमांचित कर रहा था
उसकी जांघों को घुटने से चूमते हुए अरुण उसके बुर के पास गया और एक लंबी सांस लेते हुए रज्जो के बुर की गंध को अपने सांसों के भरने लगा
एकदम से रज्जो तड़प उठी उसकी बुर फड़फड़ाने लगी और अरुण ने जीभ फिराई: सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
फिर होठ: ओह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम
एकदम से रज्जो के चूतड़ टाइट हो गए
अगले ही पल अरुण ने पूरे होठ खोलकर नीचे से जीभ को फ़िराते हुए बुर से बहती मलाई को चाटते हुए उसके फांकों को चुभलाने लगा
एकदम से तड़प उठी रज्जो : सीईईई क्या करता है ओह्ह्ह्ह मर गई रे सीईईई कहा से सिखा है ये सब तू उम्ममम
अरुण बिना कुछ बोले उसके बुर के फांके मुंह में लेकर चुबला रहा था और रज्जो बिस्तर पर अकड़ती जा रही थी
: उम्मम मामी तुम्हारी बुर कितनी रसीली है और सॉफ्टी ( अरुण अपनी दो उंगलियां उसके बुर के फांके पर टहलाते हुए बोला )
रज्जो की सांसे रुकने लगी थी मानो आंखे बंद कर वो उस हरकत को अपनी बुर में महसूस कर रही थी जब अरुण अपनी उंगलियों को वहा रेंगा रहा था और एकदम से उसकी आंखे बड़ी हो गई जब अरुण से दोनों उंगलियां एक साथ उसकी बुर ने घुसा दी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम और ऐसे ही उम्मन डाल पेल और उम्मम कितना अच्छे से ये सब करता है तू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण ने वापस से अपना मुंह उसके बुर पर रख दिया और दाने को ट्रिगर करते हुए तेजी से उंगलियों को बुर के पेले जा रहा था
रज्जो एकदम फड़फड़ाने लगी थी उसकी बुर को लंड लेने की तलब और तेज हो गई थी : अह्ह्ह्ह बेटा लंड कब डालेगा ओह्ह्ह्ह वो घुसा ना और मजा आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम
अरुण उठ गया और अपना लंड उसके गिले बुर पर लगाते है घुसा दिया , बहती हुई चूत में लंड आसानी से उतर गया : अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा पेल ओह्ह्ह् और अंदर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
अरुण रज्जो की जांघें खोले तेजी से लंड अंदर डालने लगा और सिसकने लगा : ओह्ह्ह मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी मस्त चूत है इतनी गर्म है और मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे हमुच हमुच कर फाड़ दूं उम्मम ओह्ह्ह्ह
रज्जो को अपनी बुर में एक अलग ही कड़कपन महसूस हो रहा था , अरुण का फूला हुआ सुपाड़ा उसके चूत के दीवारों में चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा : ओह्ह्ह्ह बेटा कुछ तो है तेरे अंदर ओह्ह्ह्ह तेरा हथियार आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने रज्जो की टांग को घुमा दिया और उसको करवट करके उसके गर्दन को पकड़ कर लंड को और गहराई के के गया
रज्जो की आंखे बड़ी होने लगी , चूत में जलन सी होने लगी : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बहुत अच्छा कर रहा है सीईईई ओह्ह्ह ऐसी चुदाई मेरी कभी नहीं हुई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : क्यों मामी मजा आ रहा है न उम्मम और डालू क्या उन
रज्जो उसकी आंखों में देखते हुए : हा और अंदर ओह ऐसे ही उम्मम घुसा दे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरा आ रहा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अरुण अपना मुंह भींच कर तेजी से रज्जो को पेलने लगा और रज्जो की चीखे तेज ही गई : ओह ओह्ह्ह्ह ले बहिनचोद ओह्ह्ह साली रंडी चुदक्कड़ ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है मामी तुम्हारी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह यश ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने इधर अपनी चूत कस ली और झड़ने लगी अरुण के लंड पर : ओह्ह्ह बेटा आ रहा है मेरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और पेल ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्ममम
रज्जो झड़ रही थी और अरुण ने लंड निकाल कर उसके चूतड़ पर थपथपा कर उसे घोड़ी बनने का इशारा किया और रज्जो घुटने के बल हो गई
उस रस टपकती चूत को देखते हुए अरुण ने अपना मुंह लगा दिया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बड़ा ही एक्सपर्ट लगता है इनसब में ओह्ह्ह्ह चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह उधर भी करना है कर ले खा जा मेरी गाड़ उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम मैय्या सीईईई ओह्ह्ह तेरी जीभ मुझे पागल कर रही है
अरुण रज्जो के चर्बीदार चूतड़ों को फैलाकर कर उसके गाड़ के सुराख में मुंह दे दिया था और जीभ से उसे गिला कर रहा था
रज्जो के जिस्म में फिर से अकड़न होने लगी और वो अपने गाड़ को अरुण के मुंह पर उठाने लगी
अरुण उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाड़ के छेद को चाट रहा था और फिर वो खड़ा हुआ अपना गिला सुपाड़ा सीधा गाड़ के छेद पर
रज्जो थोड़ी घबराई : बेटा कर लेगा न
अरुण ने उसका जवाब अपना सुपाड़ा रज्जो के कसी हुई चूतड़ की सुराख्मे घुसाते हुए दिया : अह्ह्ह्ह बेटा आराम से तेरा आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरा चौड़ा कर दिया तूने ओह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह मामी कितनी टाइट गाड़ है तुम्हारी सीईईई ओह्ह्ह कबसे इसको चोदने के सपने देखता था ओह्ह्ह्ह फ़ाइनली आज ओह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने हौले हौले लंड आगे पीछे करना शुरू किया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम आराम से ओह्ह्ह्ह सूखा है तेरा लंड एकदम से
रज्जो की बात सुनकर अरुण मुंह में लार बटोरी और सीधा रज्जो की टाइट गाड़ के सुराख पर जिसने उसका आधा लंड घुसा था उसी पर थूका और फिर उंगली से लिपने लगा
रज्जो : ओह्ह्ह सीईईई क्या नए नए तरीके निकलता हैं तू ओह्ह्ह्ह , ऐसे ही तू अपनी बड़ी मां की गाड़ खोल दे उसे तो जन्नत का मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई मत तड़पाओ मुझे ओह्ह्ह्ह
रज्जो समझ गई और मुस्कुरा कर : पसंद करता है न अपनी बड़ी मां को , चोदेगा उनकी बड़ी सी गाड़ , बोल डालेगा उसमें लंड
अरुण तो अब दुगने जोश में आ आ गया और रज्जो की गाड़ को पकड़ कर पूरे जोश में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह क्यों नहीं मामी, लेकिन कैसे अह्ह्ह्ह्ह मम्मी और बड़ी मम्मी आपस में खुश है उन्हें मेरी फ़िक्र नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई, कितना तरसता हु इस घर में मै अकेला
रज्जो : तेरी उस बुर चटोरी बड़ी मम्मी को नई कुंवारी चूत बहुत पसंद है, कोई हो तो उसे घर लाकर मिलवा दे तेरा काम हो जाएगा
अरुण पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था : सच में मामी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो : हा बेटा फिर तू मेरी भी उसकी गाड़ में लंड डालेगा बोल डालेगा न
अरुण : हा मुझे चाहिए , बड़ी मम्मी की गाड़ मुझे बहुत पसंद ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह
तेजी से वो रज्जो की गाड़ में लंड पेलता हुआ अपना लंड बाहर निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ मजा आ गया मामी
थैंक्यू
उसने झुक कर रज्जो के चूतड़ों पर चुम्मी ली और बिस्तर पर आ गया
रज्जो मुस्कुरा कर : मजा तो मुझे भी आया , कितने दिनों बाद ऐसे मजा मिला चूत और गाड़ एकदम हीही
अरुण थोड़ा शर्मा रहा था
रज्जो ने उसे छेड़ा : अब शर्मा रहा है देखो तो हाहाहाहा
कमरे में खिलखिला सा माहौल हो गया
जारी रहेगी
Yeh rajjo toh bohut Badi chuddakr Randi lagta hai yeh Jane pehle shila k sasur se bhi chud jayegi aur Arun ko madarchod banakeUPDATE 019
THE EROTIC SUNDAY 03
ममता के घर
सुबह के 10 बजने वाले थे । मदन की बेचैनी बढ़ रही थी , सुबह भोर से उसकी नीद उड़ गई थी । मंजू का एकदम से उसकी लाइफ में वापस आना किसी बड़े झटके से कम नहीं था ।
ममता के आवाज देने पर वो भी अपने कमरे से निकल कर हाल में नाश्ते के लिए आया
मुरारी पहले से ही सोफे पर बैठा था नहा कर लेकिन उसकी भी आंखों के अभी भी नीद बरकरार थी
ममता दोनों के लिए नाश्ता लाकर देती है
मुरारी : वो मंजू ने नाश्ता किया
ममता मुस्कुरा कर मदन को देखी और बोली : ऊहू , अभी वो नहाने गई है ।
मुरारी : ठीक है ऊपर वाला गेस्ट रूम उसके लिए सेट करवा दो
ममता मदन के मजे लेते हुए : अरे हफ्ते दो हफ्ते की बात है , आखिर रहना तो उसे देवर जी के साथ ही है न
मदन चौक गया और मुरारी मुस्कुरा कर : तुम भी न अमन की मां, वो सब ठीक है लेकिन समाज को देख कर ही चलना है हमे और तुम भाई मदन जैसे भी करना चाहते हो शादी सोच लो और शाम तक बताओ
मदन चुप रहा अपने भैया का मान रखता हुआ
फिर मुरारी नाश्ता कर निकल गया अपने रूम में सोने के लिए
मौका देखते ही ममता मदन के पास बैठ गई और कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर उसके लंड को टटोलने लगी : ओह्ह्ह्ह देवर जी तो हो जाए
मदन उसका हाथ झटक कर : क्या भाभी तुम भी न , सारी रात मजे से पेलवाती रही और सुबह सुबह ही इतना बड़ा धमाका
ममता खिलखिलाई : क्यों पसंद नहीं आया सरप्राईज
मदन : पता नहीं , समझ नहीं आ रहा है क्या रिएक्ट करु
ममता : अरे साथ बैठो कुछ बातें करो , चीजें सुलझ जाएगी ।
मदन चुप हो कर ममता की बातो पर गौर करने लगा
ममता मुस्कुराई: ओहो पुराना माल वापस मिल रहा है तो इतना क्या सोच रहे हो उम्मम
मदन मुस्कुराया और ममता को देख कर : तुम कितनी छिनाल हो भाभी , कैसे कर लेती हो ये सब , पहले तो ऐसे नहीं देखा आपको
ममता मुस्कुराई: औरत जब अपना असल रूप दिखाती है तो मर्द के पसीने छूट जाते है देवर जी , अभी आपने मुझे जाना ही कहा है हिहीही
मदन मुस्कुराने लगा और कुछ टिप्पणी करने जा रहा था कि ममता की नजर मंजू पर गई । ऑफ वाइट शिफॉन सारी में गजब की खूबसूरत दिख रही थी । मोटे बड़े रसीले मम्में से भरे भरे हुए ब्लाउज , नंगी कमर और उठे हुए मोटे चर्बीदार कूल्हे , थोड़ी लजाती थोड़ी मुस्कुराती हुई वो हाल में आई और सोफे के पीछे खड़ी हो गईं ।
ममता मुस्कुराई और उठ कर उसे अपने पास बिठाया : आओ बैठो , नाश्ता करो
मंजू मदन को देख रही थी , उसके भीतर भी अलग ही बेचैनी थी । सुबह से दोनों ने एक दूसरे को देखने के सिवा एक शब्द नहीं कहा । मंजू में जहन में वहीं डर था कि क्या मदन उसे अपनाएगा ? वो क्या सोच रहा होगा उसके बारे में ?
ममता : अरे इनसे शरमाओ मत , उठाओ चाय
मंजू मुस्कुरा कर चाय लेकर पीने लगी और मदन थोड़ा असहज होकर उठने लगा कि ममत ने खींच कर उसे बिठाया : आप कहा चले देवर जी , उम्मम शादी के पहले तो मिलने के लिए बड़ा तड़पते थे अब क्या हुआ उम्मम
हालांकि ममता ये सब बाते मजाक में कह रही थी लेकिन दोनों को ये बात बहुत चुभी क्योंकि मंजू के शादी के पहले की यादें ताजा होने पर दोनों के दिल को तकलीफ हुई थी । जवानी का एक बड़ा समय लगभग बीसीओ साल बीत गए थे और वो अपने परिवार के लिए मदन को छोड़ गई थी ।
लेकिन असहज होकर ही सही दोनों जबरन मुस्कुरा रहे थे ममता की बातों पर
ममता : वैसे मुझे बहुत ज्यादा तो पता नहीं है क्योंकि तब मै आई नहीं थी लेकिन ये तो बताओ , मिलते कहा थे तुम लोग
इस बार मंजू के जहन अरहर दुपहर वाली वो यादें ताजा हो गई और वो थोड़ा मुस्कुरा कर शर्माई । जिससे उसके गाल गुलाबी हो गए ।
मुस्कराहट तो मदन के चेहरे पर भी आई थी लेकिन इस दौरान जब उसकी निगाहे मंजू से टकराई तो वो उसे पी गया । मंजू समझ गई कि मदन को जुदाई का दुख बहुत ताजा है ।
ममता : अरे आप ही बता दो देवर जी हाहाहाहाहा
मदन को अब ममता का मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उखड़ कर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला गया।
मंजू की आंखे भी डबडबा गई , उसे वो उम्मीद भी टूटती दिखने लगी जिसकी आश लिए वो आई थी ।
ममता समझ रही थी कि चीजें उतनी आसान नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं और उसने उदास बैठी मंजू को देखा तो उसके हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए : जाओ उनके पास
मंजू थोड़ी चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
ममता : दोनो साथ बैठोगे तो ही दिल का बोझ हल्का होगा , जाओ
फिर ममता उसे मदन के कमरे के बाहर छोड़ कर अपने कमरे कि ओर चल दी
जहां उसका पति लेता हुआ था और ममता मुस्कुरा कर धीरे से उसके पास आकर उससे लिपट कर सो गई
: उम्हू मेरी जान , आजाओ ( मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी ओर खींच लिया आंखे बंद किए हुए ही )
: मुझे लगा आप सो गए होंगे ( ममता मुस्कुरा कर बोली )
: तुम्हारे बिना चैन की नींद नहीं आती अमन की मां
: क्यों क्या हो गया , कुछ परेशान है आप
: वही सोच रहा हूं कि मंजू को वापस लाकर कोई गलती तो नहीं की । मदन से एक बार बात कर लेना चाहिए था सुबह से वो कितना गुमसुम है एक बार भी किसी से कुछ नहीं बोला ।
ममता मुस्कुराई और खिसक कर मुरारी के सीने से लिपट कर : अरे थोड़ा समय दीजिए उनको , इतने साल बाद अचानक से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है ।
मुरारी : हा ठीक ही कह रही हो वैसे
ममता ने कोई जवाब भी दिया चुप होकर मदन और मंजू के बारे ने सोचने लगी उसे आगे क्या करना है ।
वही दूसरी ओर मदन के कमरे का भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर मंजू अंदर गई तो देखा कि मदन अपने एक कुर्सी पर दरवाजे की ओर पीठ किए हुए बैठा था , दरवाजा खुला तो उसे लगा कि शायद ममता आई है : भाभी प्लीज , बाद में
मंजू हल्की आवाज में हिम्मत कर : मै हूं
मदन को झटका लगा और उसने गर्दन फेर कर देखा तो मंजू खड़ी थी , वो भी थोड़ा असहज हुआ और खड़ा हो गया : अच्छा तुम हो , आओ बैठो
मंजू फीकी मुस्कुराहट से उसके पास गई और बिस्तर पर बैठ गई ।
मंजू : आप भी बैठो
मदन मंजू के मुंह से "आप" सुनकर मुस्कुराया , उसे उन दिनों की झलकियां मिली जब मंजू उसे मां बहन की गाली तक देती थी । उनका रिश्ता कितना दोस्ताना था ।
मदन भी उसके पास थोड़ा सा दूर होकर बैठ गया
मंजू थोड़ी देर चुप रही और हिम्मत करके बोली : आपने आज तक मुझे माफ नहीं किया न
मंजू के ये शब्द तीर की तक चुभे मदन को और उसका दिल भर आया और उसने गहरी सांस ली।
मंजू : अच्छा ही किया , जैसे मैने फैसला लिया उसके लिए मेरे साथ जो हुआ वो अच्छा ही था । मै उसी के लायक हूं
मदन कभी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि मंजू खुद को कोसे ऐसे गलती के लिए जो उसकी गलती थी नहीं ,
लेकिन मदन ने वापस से अपना कलेजा मजबूत कर : बस करो मंजू , तुम वापस क्यों आई इतने साल बाद
मदन के सवाल से मंजू समझ गई कि मदन को गहरा दुख है कि वो उसे छोड़ गई थी । और उसकी आंखे बहने लगी : मेरी कहा हिम्मत थी कि मै उस रोज के बाद आपका सामना कर पाऊं , वो तो भइया.....
मदन मुरारी का जिक्र आते ही चुप हो गया
मंजू : आती भी किस मुंह से , लेकिन आपने मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दी ।
मदन : प्यार करता था मंजू मै , शादी हो या न हो लेकिन मेरे जीवन में पत्नी कहलाने का हक सिर्फ मैने तुम्हे दिया था ।
मंजू की आंखे लगातार बह रही थी : और अब
उसने भरी हुई आंखों से मदन को देखा जो खुद की भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था : अब नहीं करते है क्या ?
मदन का दिल पसीज गया ये शब्द सुनकर , उसका दिल रो पड़ा लेकिन वो नाराजगी अभी भी बरकरार थी ।
मदन की आंखे भी डबडबा गई : नहीं
मंजू समझ गई कि मदन झूठ बोल रहा है और वो मुस्कुरा कर : तो फिर अपने दीदी के नन्द से शादी क्यों नहीं किए ,
मदन चौक कर : तुम्हे किसने ? ये भाभी न
मंजू मुस्कुराई : झूठ तो आज भी नहीं बोल पाते हो तुम , सॉरी आप
मदन को थोड़ी चिढ़ सी हुई : मै तो वैसा ही हूं जैसे तुम छोड़ गई तुम , लेकिन तुम तो तभी बदल गई
मदन ने जैसे मंजू के मन पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया हो और मंजू की हिम्मत एक बार फिर डगमगाने लगी
मंजू ने फिर से हिम्मत जुटाई : मै यहां आपसे शादी करने नहीं आई थी
मदन के लिए अब ये नया झटका था कि कही उसकी बातें सुनकर मंजू नाराज तो नहीं हुई ।
मंजू सुबकते हुए : बस भइया के कहने पर आई हूं , इस घर ने सबको सिर्फ आपकी फिकर है । भइया को लगता है कि मेरे वापस आने से आपकी जीवन में खुशियां वापस आ सकती हैं । लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे अपनाएंगे नहीं ।
मदन थोड़ा सोच कर : तुम यहां मेरे लिए अपना घर परिवार छोड़ आई हो , मेरे लिए
मंजू अपने आंसू पोंछ कर : मेरा अब कोई परिवार नहीं है । ना ससुराल न मायका। मै ****** शहर में अकेली रहती थी , जिससे मेरी शादी हुई वो सालों पहले गुजर गए ।
मदन : और बच्चे ?
मंजू ने ना में सर हिलाते हुए रोते हुए मदन को देखा ।
मदन का दिल भर आया : तुमने कभी बताया क्यों नहीं
मंजू फफक कर : किस मुंह से बताती , जानती थी कि आप न कभी मुझे माफ करोगे और न ही अपनाओगे
मदन उसके करीब आकर : अब अगर एक बार भी दुबारा तुमने से शब्द बोला तो थप्पड़ लगा दूंगा । पागल कही की इधर आओ
मदन ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और मंजू फूट फूट कर रोने लगी । मदन का दिल पसीज गया और उसकी आंखे बहने लगी : पगली तेरे इंतजार में ही तो मैं बैठा था और कहती है अपनाऊंगा नहीं ।
मंजू उससे लिपटी हुई रो रही थी : मुझे माफ कर दो प्लीज
मदन उसको अपने सामने कर उसके गाल से आंसू साफ करता हुआ : अच्छा चुप हो जाओ , एकदम चुप
मंजू सुबक रही थी और हिचकियां खा रही थी रोते हुए । मदन ने उसे पानी दिया
किसी छोटे बच्चे के जैसे उसने पानी पिया और पानी से उसके होठ पूरे गिले हो गए थे , मानो कितना रस हो उनमें , मदन का पल भर को जी ललचा ही गया और वो पल उसके जहन के उभर आए जब वो उन्हीं गुलाबी लबों को चूसता था ।
उसने रुमाल से उसके होठ और चेहरे को साफ किया , मंजू उसे देख रही थी और वो उसे ।
मदन : मेरी एक शर्त है
मंजू थोड़ा सोचने लगी : क्या
मदन : मैने तुमसे शादी करूंगा एक शर्त पर , अगर आज करोगी तो
मंजू हसने लगी : हा मंजूर है
मदन हस कर : सोच लो सुहागरात भी आज ही होगी फिर
मंजू शर्मा कर हसने लगी : धत्त गंदे , तुम नहीं सुधरोगे
मदन हसने लगा और फिर एकदम से दोनों की नजरे टकराई , फिर दोनों के दिल की धड़कने तेज होने लगी और होठ सूखने लगे । मदन खुद को रोक नहीं पाया और उसने मंजू के लिप्स पर किस कर दिया , वो अहसास पाते ही मंजू खुद को रोक नहीं सकी और उसने भी मदन को चूमना शुरू कर दिया
उनकी किस गहरी होने लगी , दोनो के मन वो अनुभव वापस से ताजा होने लगे जब दोनों किस किया करते थे ।
" अह उम्हू"
एकदम से चौक कर दोनों अलग हुए और देखा तो दरवाजे पर ममता खड़ी थी ।दोनो शर्म से लाल अपना मुंह पोंछते हुए मुस्कुराने लगे
: ओहो देखो तो इन ठरकी जोड़ो को , इतने साल बाद भी अकल नहीं आई । पहले अरहर दुपहर करते पकड़े जाते थे और अब घर में ही
मदन शर्म से मुस्कुरा कर : भाभी क्या आप भी
ममता : देखो आपके भैया ने साफ साफ कहा है कि जबतक शादी नहीं हो जाती , देवरानी जी तो इधर नहीं आएंगी और सही भी है । पता नहीं क्या कांड कर जाओ तुम लोग
मदन शर्म से झेप गया और मंजू बस सर नीचे किए हुए मुस्करा रही थी लाज से और फिर धीरे से निकल गई कमरे से
ममता मदन को छेड़ती हुई : मुझे थोड़ा रुक कर आना चाहिए था क्यों ?
मदन : हा और क्या , अभी शुरू ही किया था
ममता मुस्कुराई और उसके पास जाके : तो मेरे साथ खत्म कर लो मेरे राजा
मदन एकदम से चौक गया : भाभी क्या कर रही हो , हटो
ममता घूर कर : अच्छा बच्चू , बीवी मिल रही है तो भाभी को भूल जाओगे । अब देखती हूं कैसे मिलते हो उससे जबतक शादी नहीं हो जाती फटकने तक नहीं दूंगी हूह
ये बोलकर ममता तुनक कर बाहर चली गई और मदन उसे रोकना चाहा लेकिन समझ गया कि ममता थोड़ी नाराज हो गई है ।
शिला के घर
" सीईईई ओह्ह्ह पी ले बेटा उम्मन अह्ह्ह्ह सीईईईईई सॉरी कल तेरे पापा ने रात भर नहीं छोड़ा मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह"
कमरे में रज्जो अपनी नाइटी खोलकर अपने चूचे निकाल कर अरुण को पिला रही थी और अरुण उसने मसल मसल कर बारी बारी चूचे बदल कर चूस रहा था
: उम्मम मामी आपके दूध कितने मुलायम है और बड़े है जी करता है इसी में लंड डाल कर चोद दूं
रज्जो अरुण के सर को अपने छातियों में रगड़ते हुए : हा बेटा खोल मै खुद कर दूंगी
अरुण जल्दी जल्दी पेंट खोलकर सोफे पर बैठ गया
: ओह्ह्ह्ह लंड के मामले में तुम बाप बेटे एक जैसे हो
अरुण मुस्कुराया और रज्जो नीचे बैठ गई , उसके अरुण का लंड हाथ में लिया और उसको सहलाने लगी । अरुण की आंखे बंद हो गई और उसके कूल्हे अकड़ने लगे जब रज्जो ने अपने उंगलियों से मुंह की लार को टोपे पर लगाया तो : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
फिर रज्जो ने उसका बड़ा सा खड़ा लंड अपने दोनों चूचों के बीच रख कर आगे पीछे करने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह गॉड मामी कितनी सॉफ्टी है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्यों मजा आया न बेटा
: हम्ममम
अरुण की सांसे बेचैन थी वो सामने अपनी गोद ने रज्जो की चुचियों के बीच अपना लंड मिजवा रहा था और उसका लंड रज्जो ने चूचों से निकल कर रज्जो ने मुंह तक जा रहा था
रज्जो ने भी जीभ निकाल कर उसका सुपाड़ा चाट लिया और अरुण बिलबिला उठा : ओह्ह्ह्ह मामी उम्मम सीईईई ओह्ह्ह कितनी मस्त हो आप उम्मम तभी तो सोचूं क्यों बड़ी मां आपको लेकर आने के लिए परेशान थी ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने मुंह खोलकर उसके मोटा लंड मुंह में भर कर चूसने लगी अरुण की सांसे तेज होने लगी वो अपने चूतड़ सख्त कर अपने कूल्हे उठाने लगा और रज्जो के बाल सहलाने लगा : उम्मम मामी कितनी सॉफ्टी और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह और लोह उफ्फफ सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अरुण की आदत थी कि उसकी कामुकता तीव्र थी वो बहुत जल्दी वाइल्ड हो जाता था और उसने रज्जो का सर अपने लंड पर दबाने लगा, इतने दिनों से चूत न मिलने की तड़प ने उसके भीतर का जानवर जगा दिया था और वो दांत पीस कर अपना लंड पूरा टाइट कर रज्जो का सर पकड़ कर पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह और लोह उम्मम शक बेबी सक ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह पूरा घोट जाओ ओह्ह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो की आँखें बड़ी होने लगी और देखते ही देखते अनुज खड़ा होकर रज्जो के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लंड पेलने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी कितनी प्यासी है तू लंड की ओह्ह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह लेह ओह्ह्ह बहनचोद ओह्ह्ह्
अरुण ने गले तक अपना लंड भर दिया और रज्जो को घुटन सी होने लगी और एक झटके में उसके लंड बाहर निकाला
रज्जो आंखे बड़ी कर उसे गुस्से से घूर रही थी और अरुण अपना गिला लंड सहलाते हुए उसके मुंह पर अपने आड़ रख दिए और उसके गाल पर थपकी देके : चूस न रंडी इसे भी
रज्जो अरुण के एकदम से बदले हुए तेवर से हैरान थी लेकिन उसे अरुण का ये अंदाज भा रहा था कच्ची उम्र एक डोमिनेट मर्द साबित करने की अदा
उसने भी जीभ निकाल कर उसके बाल चाटने शुरू कर दिए : ओह्ह्ह्ह यश बेबी ओह्ह्ह्ह यशस्स उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह माय सेक्सी बिच ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रज्जो उसके अखरोट मुंह लेकर चुबलाती हुई अपने नंगे चूचों को मसलने लगी और उसके हाथ अपनी जांघें खोलकर अपनी बुर को सहलाने लगे थे
अरुण ने उसको खड़ा कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए एक गहरा चुम्बन और अनुज ने उसे घुमा पर बिस्तर पर लिटा दिया
मोटी मोटी गदराई जांघों को फैलाते हुए रज्जो ने अपनी बुर पर उंगली फिराने लगी और अरुण अपना सारे कपड़े निकाल कर उसके पास आया
उसके हाथ रज्जो की नंगी जांघों को सहला थे , अरुण की ये आदत रज्जो को पसंद आ रही थी कि एक पल को वो उसकी आंखों से आंख मिलाए बिना नहीं रहता और ये रज्जो को बहुत रोमांचित कर रहा था
उसकी जांघों को घुटने से चूमते हुए अरुण उसके बुर के पास गया और एक लंबी सांस लेते हुए रज्जो के बुर की गंध को अपने सांसों के भरने लगा
एकदम से रज्जो तड़प उठी उसकी बुर फड़फड़ाने लगी और अरुण ने जीभ फिराई: सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
फिर होठ: ओह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम
एकदम से रज्जो के चूतड़ टाइट हो गए
अगले ही पल अरुण ने पूरे होठ खोलकर नीचे से जीभ को फ़िराते हुए बुर से बहती मलाई को चाटते हुए उसके फांकों को चुभलाने लगा
एकदम से तड़प उठी रज्जो : सीईईई क्या करता है ओह्ह्ह्ह मर गई रे सीईईई कहा से सिखा है ये सब तू उम्ममम
अरुण बिना कुछ बोले उसके बुर के फांके मुंह में लेकर चुबला रहा था और रज्जो बिस्तर पर अकड़ती जा रही थी
: उम्मम मामी तुम्हारी बुर कितनी रसीली है और सॉफ्टी ( अरुण अपनी दो उंगलियां उसके बुर के फांके पर टहलाते हुए बोला )
रज्जो की सांसे रुकने लगी थी मानो आंखे बंद कर वो उस हरकत को अपनी बुर में महसूस कर रही थी जब अरुण अपनी उंगलियों को वहा रेंगा रहा था और एकदम से उसकी आंखे बड़ी हो गई जब अरुण से दोनों उंगलियां एक साथ उसकी बुर ने घुसा दी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम और ऐसे ही उम्मन डाल पेल और उम्मम कितना अच्छे से ये सब करता है तू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण ने वापस से अपना मुंह उसके बुर पर रख दिया और दाने को ट्रिगर करते हुए तेजी से उंगलियों को बुर के पेले जा रहा था
रज्जो एकदम फड़फड़ाने लगी थी उसकी बुर को लंड लेने की तलब और तेज हो गई थी : अह्ह्ह्ह बेटा लंड कब डालेगा ओह्ह्ह्ह वो घुसा ना और मजा आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम
अरुण उठ गया और अपना लंड उसके गिले बुर पर लगाते है घुसा दिया , बहती हुई चूत में लंड आसानी से उतर गया : अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा पेल ओह्ह्ह् और अंदर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
अरुण रज्जो की जांघें खोले तेजी से लंड अंदर डालने लगा और सिसकने लगा : ओह्ह्ह मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी मस्त चूत है इतनी गर्म है और मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे हमुच हमुच कर फाड़ दूं उम्मम ओह्ह्ह्ह
रज्जो को अपनी बुर में एक अलग ही कड़कपन महसूस हो रहा था , अरुण का फूला हुआ सुपाड़ा उसके चूत के दीवारों में चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा : ओह्ह्ह्ह बेटा कुछ तो है तेरे अंदर ओह्ह्ह्ह तेरा हथियार आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने रज्जो की टांग को घुमा दिया और उसको करवट करके उसके गर्दन को पकड़ कर लंड को और गहराई के के गया
रज्जो की आंखे बड़ी होने लगी , चूत में जलन सी होने लगी : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बहुत अच्छा कर रहा है सीईईई ओह्ह्ह ऐसी चुदाई मेरी कभी नहीं हुई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : क्यों मामी मजा आ रहा है न उम्मम और डालू क्या उन
रज्जो उसकी आंखों में देखते हुए : हा और अंदर ओह ऐसे ही उम्मम घुसा दे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरा आ रहा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अरुण अपना मुंह भींच कर तेजी से रज्जो को पेलने लगा और रज्जो की चीखे तेज ही गई : ओह ओह्ह्ह्ह ले बहिनचोद ओह्ह्ह साली रंडी चुदक्कड़ ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है मामी तुम्हारी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह यश ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने इधर अपनी चूत कस ली और झड़ने लगी अरुण के लंड पर : ओह्ह्ह बेटा आ रहा है मेरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और पेल ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्ममम
रज्जो झड़ रही थी और अरुण ने लंड निकाल कर उसके चूतड़ पर थपथपा कर उसे घोड़ी बनने का इशारा किया और रज्जो घुटने के बल हो गई
उस रस टपकती चूत को देखते हुए अरुण ने अपना मुंह लगा दिया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बड़ा ही एक्सपर्ट लगता है इनसब में ओह्ह्ह्ह चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह उधर भी करना है कर ले खा जा मेरी गाड़ उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम मैय्या सीईईई ओह्ह्ह तेरी जीभ मुझे पागल कर रही है
अरुण रज्जो के चर्बीदार चूतड़ों को फैलाकर कर उसके गाड़ के सुराख में मुंह दे दिया था और जीभ से उसे गिला कर रहा था
रज्जो के जिस्म में फिर से अकड़न होने लगी और वो अपने गाड़ को अरुण के मुंह पर उठाने लगी
अरुण उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाड़ के छेद को चाट रहा था और फिर वो खड़ा हुआ अपना गिला सुपाड़ा सीधा गाड़ के छेद पर
रज्जो थोड़ी घबराई : बेटा कर लेगा न
अरुण ने उसका जवाब अपना सुपाड़ा रज्जो के कसी हुई चूतड़ की सुराख्मे घुसाते हुए दिया : अह्ह्ह्ह बेटा आराम से तेरा आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरा चौड़ा कर दिया तूने ओह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह मामी कितनी टाइट गाड़ है तुम्हारी सीईईई ओह्ह्ह कबसे इसको चोदने के सपने देखता था ओह्ह्ह्ह फ़ाइनली आज ओह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने हौले हौले लंड आगे पीछे करना शुरू किया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम आराम से ओह्ह्ह्ह सूखा है तेरा लंड एकदम से
रज्जो की बात सुनकर अरुण मुंह में लार बटोरी और सीधा रज्जो की टाइट गाड़ के सुराख पर जिसने उसका आधा लंड घुसा था उसी पर थूका और फिर उंगली से लिपने लगा
रज्जो : ओह्ह्ह सीईईई क्या नए नए तरीके निकलता हैं तू ओह्ह्ह्ह , ऐसे ही तू अपनी बड़ी मां की गाड़ खोल दे उसे तो जन्नत का मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई मत तड़पाओ मुझे ओह्ह्ह्ह
रज्जो समझ गई और मुस्कुरा कर : पसंद करता है न अपनी बड़ी मां को , चोदेगा उनकी बड़ी सी गाड़ , बोल डालेगा उसमें लंड
अरुण तो अब दुगने जोश में आ आ गया और रज्जो की गाड़ को पकड़ कर पूरे जोश में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह क्यों नहीं मामी, लेकिन कैसे अह्ह्ह्ह्ह मम्मी और बड़ी मम्मी आपस में खुश है उन्हें मेरी फ़िक्र नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई, कितना तरसता हु इस घर में मै अकेला
रज्जो : तेरी उस बुर चटोरी बड़ी मम्मी को नई कुंवारी चूत बहुत पसंद है, कोई हो तो उसे घर लाकर मिलवा दे तेरा काम हो जाएगा
अरुण पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था : सच में मामी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो : हा बेटा फिर तू मेरी भी उसकी गाड़ में लंड डालेगा बोल डालेगा न
अरुण : हा मुझे चाहिए , बड़ी मम्मी की गाड़ मुझे बहुत पसंद ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह
तेजी से वो रज्जो की गाड़ में लंड पेलता हुआ अपना लंड बाहर निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ मजा आ गया मामी
थैंक्यू
उसने झुक कर रज्जो के चूतड़ों पर चुम्मी ली और बिस्तर पर आ गया
रज्जो मुस्कुरा कर : मजा तो मुझे भी आया , कितने दिनों बाद ऐसे मजा मिला चूत और गाड़ एकदम हीही
अरुण थोड़ा शर्मा रहा था
रज्जो ने उसे छेड़ा : अब शर्मा रहा है देखो तो हाहाहाहा
कमरे में खिलखिला सा माहौल हो गया
जारी रहेगी
No part of anuj and ragini alas overall update is good but small waiting for next updateUPDATE 019
THE EROTIC SUNDAY 03
ममता के घर
सुबह के 10 बजने वाले थे । मदन की बेचैनी बढ़ रही थी , सुबह भोर से उसकी नीद उड़ गई थी । मंजू का एकदम से उसकी लाइफ में वापस आना किसी बड़े झटके से कम नहीं था ।
ममता के आवाज देने पर वो भी अपने कमरे से निकल कर हाल में नाश्ते के लिए आया
मुरारी पहले से ही सोफे पर बैठा था नहा कर लेकिन उसकी भी आंखों के अभी भी नीद बरकरार थी
ममता दोनों के लिए नाश्ता लाकर देती है
मुरारी : वो मंजू ने नाश्ता किया
ममता मुस्कुरा कर मदन को देखी और बोली : ऊहू , अभी वो नहाने गई है ।
मुरारी : ठीक है ऊपर वाला गेस्ट रूम उसके लिए सेट करवा दो
ममता मदन के मजे लेते हुए : अरे हफ्ते दो हफ्ते की बात है , आखिर रहना तो उसे देवर जी के साथ ही है न
मदन चौक गया और मुरारी मुस्कुरा कर : तुम भी न अमन की मां, वो सब ठीक है लेकिन समाज को देख कर ही चलना है हमे और तुम भाई मदन जैसे भी करना चाहते हो शादी सोच लो और शाम तक बताओ
मदन चुप रहा अपने भैया का मान रखता हुआ
फिर मुरारी नाश्ता कर निकल गया अपने रूम में सोने के लिए
मौका देखते ही ममता मदन के पास बैठ गई और कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर उसके लंड को टटोलने लगी : ओह्ह्ह्ह देवर जी तो हो जाए
मदन उसका हाथ झटक कर : क्या भाभी तुम भी न , सारी रात मजे से पेलवाती रही और सुबह सुबह ही इतना बड़ा धमाका
ममता खिलखिलाई : क्यों पसंद नहीं आया सरप्राईज
मदन : पता नहीं , समझ नहीं आ रहा है क्या रिएक्ट करु
ममता : अरे साथ बैठो कुछ बातें करो , चीजें सुलझ जाएगी ।
मदन चुप हो कर ममता की बातो पर गौर करने लगा
ममता मुस्कुराई: ओहो पुराना माल वापस मिल रहा है तो इतना क्या सोच रहे हो उम्मम
मदन मुस्कुराया और ममता को देख कर : तुम कितनी छिनाल हो भाभी , कैसे कर लेती हो ये सब , पहले तो ऐसे नहीं देखा आपको
ममता मुस्कुराई: औरत जब अपना असल रूप दिखाती है तो मर्द के पसीने छूट जाते है देवर जी , अभी आपने मुझे जाना ही कहा है हिहीही
मदन मुस्कुराने लगा और कुछ टिप्पणी करने जा रहा था कि ममता की नजर मंजू पर गई । ऑफ वाइट शिफॉन सारी में गजब की खूबसूरत दिख रही थी । मोटे बड़े रसीले मम्में से भरे भरे हुए ब्लाउज , नंगी कमर और उठे हुए मोटे चर्बीदार कूल्हे , थोड़ी लजाती थोड़ी मुस्कुराती हुई वो हाल में आई और सोफे के पीछे खड़ी हो गईं ।
ममता मुस्कुराई और उठ कर उसे अपने पास बिठाया : आओ बैठो , नाश्ता करो
मंजू मदन को देख रही थी , उसके भीतर भी अलग ही बेचैनी थी । सुबह से दोनों ने एक दूसरे को देखने के सिवा एक शब्द नहीं कहा । मंजू में जहन में वहीं डर था कि क्या मदन उसे अपनाएगा ? वो क्या सोच रहा होगा उसके बारे में ?
ममता : अरे इनसे शरमाओ मत , उठाओ चाय
मंजू मुस्कुरा कर चाय लेकर पीने लगी और मदन थोड़ा असहज होकर उठने लगा कि ममत ने खींच कर उसे बिठाया : आप कहा चले देवर जी , उम्मम शादी के पहले तो मिलने के लिए बड़ा तड़पते थे अब क्या हुआ उम्मम
हालांकि ममता ये सब बाते मजाक में कह रही थी लेकिन दोनों को ये बात बहुत चुभी क्योंकि मंजू के शादी के पहले की यादें ताजा होने पर दोनों के दिल को तकलीफ हुई थी । जवानी का एक बड़ा समय लगभग बीसीओ साल बीत गए थे और वो अपने परिवार के लिए मदन को छोड़ गई थी ।
लेकिन असहज होकर ही सही दोनों जबरन मुस्कुरा रहे थे ममता की बातों पर
ममता : वैसे मुझे बहुत ज्यादा तो पता नहीं है क्योंकि तब मै आई नहीं थी लेकिन ये तो बताओ , मिलते कहा थे तुम लोग
इस बार मंजू के जहन अरहर दुपहर वाली वो यादें ताजा हो गई और वो थोड़ा मुस्कुरा कर शर्माई । जिससे उसके गाल गुलाबी हो गए ।
मुस्कराहट तो मदन के चेहरे पर भी आई थी लेकिन इस दौरान जब उसकी निगाहे मंजू से टकराई तो वो उसे पी गया । मंजू समझ गई कि मदन को जुदाई का दुख बहुत ताजा है ।
ममता : अरे आप ही बता दो देवर जी हाहाहाहाहा
मदन को अब ममता का मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उखड़ कर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चला गया।
मंजू की आंखे भी डबडबा गई , उसे वो उम्मीद भी टूटती दिखने लगी जिसकी आश लिए वो आई थी ।
ममता समझ रही थी कि चीजें उतनी आसान नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं और उसने उदास बैठी मंजू को देखा तो उसके हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए : जाओ उनके पास
मंजू थोड़ी चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
ममता : दोनो साथ बैठोगे तो ही दिल का बोझ हल्का होगा , जाओ
फिर ममता उसे मदन के कमरे के बाहर छोड़ कर अपने कमरे कि ओर चल दी
जहां उसका पति लेता हुआ था और ममता मुस्कुरा कर धीरे से उसके पास आकर उससे लिपट कर सो गई
: उम्हू मेरी जान , आजाओ ( मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी ओर खींच लिया आंखे बंद किए हुए ही )
: मुझे लगा आप सो गए होंगे ( ममता मुस्कुरा कर बोली )
: तुम्हारे बिना चैन की नींद नहीं आती अमन की मां
: क्यों क्या हो गया , कुछ परेशान है आप
: वही सोच रहा हूं कि मंजू को वापस लाकर कोई गलती तो नहीं की । मदन से एक बार बात कर लेना चाहिए था सुबह से वो कितना गुमसुम है एक बार भी किसी से कुछ नहीं बोला ।
ममता मुस्कुराई और खिसक कर मुरारी के सीने से लिपट कर : अरे थोड़ा समय दीजिए उनको , इतने साल बाद अचानक से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है ।
मुरारी : हा ठीक ही कह रही हो वैसे
ममता ने कोई जवाब भी दिया चुप होकर मदन और मंजू के बारे ने सोचने लगी उसे आगे क्या करना है ।
वही दूसरी ओर मदन के कमरे का भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर मंजू अंदर गई तो देखा कि मदन अपने एक कुर्सी पर दरवाजे की ओर पीठ किए हुए बैठा था , दरवाजा खुला तो उसे लगा कि शायद ममता आई है : भाभी प्लीज , बाद में
मंजू हल्की आवाज में हिम्मत कर : मै हूं
मदन को झटका लगा और उसने गर्दन फेर कर देखा तो मंजू खड़ी थी , वो भी थोड़ा असहज हुआ और खड़ा हो गया : अच्छा तुम हो , आओ बैठो
मंजू फीकी मुस्कुराहट से उसके पास गई और बिस्तर पर बैठ गई ।
मंजू : आप भी बैठो
मदन मंजू के मुंह से "आप" सुनकर मुस्कुराया , उसे उन दिनों की झलकियां मिली जब मंजू उसे मां बहन की गाली तक देती थी । उनका रिश्ता कितना दोस्ताना था ।
मदन भी उसके पास थोड़ा सा दूर होकर बैठ गया
मंजू थोड़ी देर चुप रही और हिम्मत करके बोली : आपने आज तक मुझे माफ नहीं किया न
मंजू के ये शब्द तीर की तक चुभे मदन को और उसका दिल भर आया और उसने गहरी सांस ली।
मंजू : अच्छा ही किया , जैसे मैने फैसला लिया उसके लिए मेरे साथ जो हुआ वो अच्छा ही था । मै उसी के लायक हूं
मदन कभी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि मंजू खुद को कोसे ऐसे गलती के लिए जो उसकी गलती थी नहीं ,
लेकिन मदन ने वापस से अपना कलेजा मजबूत कर : बस करो मंजू , तुम वापस क्यों आई इतने साल बाद
मदन के सवाल से मंजू समझ गई कि मदन को गहरा दुख है कि वो उसे छोड़ गई थी । और उसकी आंखे बहने लगी : मेरी कहा हिम्मत थी कि मै उस रोज के बाद आपका सामना कर पाऊं , वो तो भइया.....
मदन मुरारी का जिक्र आते ही चुप हो गया
मंजू : आती भी किस मुंह से , लेकिन आपने मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दी ।
मदन : प्यार करता था मंजू मै , शादी हो या न हो लेकिन मेरे जीवन में पत्नी कहलाने का हक सिर्फ मैने तुम्हे दिया था ।
मंजू की आंखे लगातार बह रही थी : और अब
उसने भरी हुई आंखों से मदन को देखा जो खुद की भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था : अब नहीं करते है क्या ?
मदन का दिल पसीज गया ये शब्द सुनकर , उसका दिल रो पड़ा लेकिन वो नाराजगी अभी भी बरकरार थी ।
मदन की आंखे भी डबडबा गई : नहीं
मंजू समझ गई कि मदन झूठ बोल रहा है और वो मुस्कुरा कर : तो फिर अपने दीदी के नन्द से शादी क्यों नहीं किए ,
मदन चौक कर : तुम्हे किसने ? ये भाभी न
मंजू मुस्कुराई : झूठ तो आज भी नहीं बोल पाते हो तुम , सॉरी आप
मदन को थोड़ी चिढ़ सी हुई : मै तो वैसा ही हूं जैसे तुम छोड़ गई तुम , लेकिन तुम तो तभी बदल गई
मदन ने जैसे मंजू के मन पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया हो और मंजू की हिम्मत एक बार फिर डगमगाने लगी
मंजू ने फिर से हिम्मत जुटाई : मै यहां आपसे शादी करने नहीं आई थी
मदन के लिए अब ये नया झटका था कि कही उसकी बातें सुनकर मंजू नाराज तो नहीं हुई ।
मंजू सुबकते हुए : बस भइया के कहने पर आई हूं , इस घर ने सबको सिर्फ आपकी फिकर है । भइया को लगता है कि मेरे वापस आने से आपकी जीवन में खुशियां वापस आ सकती हैं । लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे अपनाएंगे नहीं ।
मदन थोड़ा सोच कर : तुम यहां मेरे लिए अपना घर परिवार छोड़ आई हो , मेरे लिए
मंजू अपने आंसू पोंछ कर : मेरा अब कोई परिवार नहीं है । ना ससुराल न मायका। मै ****** शहर में अकेली रहती थी , जिससे मेरी शादी हुई वो सालों पहले गुजर गए ।
मदन : और बच्चे ?
मंजू ने ना में सर हिलाते हुए रोते हुए मदन को देखा ।
मदन का दिल भर आया : तुमने कभी बताया क्यों नहीं
मंजू फफक कर : किस मुंह से बताती , जानती थी कि आप न कभी मुझे माफ करोगे और न ही अपनाओगे
मदन उसके करीब आकर : अब अगर एक बार भी दुबारा तुमने से शब्द बोला तो थप्पड़ लगा दूंगा । पागल कही की इधर आओ
मदन ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और मंजू फूट फूट कर रोने लगी । मदन का दिल पसीज गया और उसकी आंखे बहने लगी : पगली तेरे इंतजार में ही तो मैं बैठा था और कहती है अपनाऊंगा नहीं ।
मंजू उससे लिपटी हुई रो रही थी : मुझे माफ कर दो प्लीज
मदन उसको अपने सामने कर उसके गाल से आंसू साफ करता हुआ : अच्छा चुप हो जाओ , एकदम चुप
मंजू सुबक रही थी और हिचकियां खा रही थी रोते हुए । मदन ने उसे पानी दिया
किसी छोटे बच्चे के जैसे उसने पानी पिया और पानी से उसके होठ पूरे गिले हो गए थे , मानो कितना रस हो उनमें , मदन का पल भर को जी ललचा ही गया और वो पल उसके जहन के उभर आए जब वो उन्हीं गुलाबी लबों को चूसता था ।
उसने रुमाल से उसके होठ और चेहरे को साफ किया , मंजू उसे देख रही थी और वो उसे ।
मदन : मेरी एक शर्त है
मंजू थोड़ा सोचने लगी : क्या
मदन : मैने तुमसे शादी करूंगा एक शर्त पर , अगर आज करोगी तो
मंजू हसने लगी : हा मंजूर है
मदन हस कर : सोच लो सुहागरात भी आज ही होगी फिर
मंजू शर्मा कर हसने लगी : धत्त गंदे , तुम नहीं सुधरोगे
मदन हसने लगा और फिर एकदम से दोनों की नजरे टकराई , फिर दोनों के दिल की धड़कने तेज होने लगी और होठ सूखने लगे । मदन खुद को रोक नहीं पाया और उसने मंजू के लिप्स पर किस कर दिया , वो अहसास पाते ही मंजू खुद को रोक नहीं सकी और उसने भी मदन को चूमना शुरू कर दिया
उनकी किस गहरी होने लगी , दोनो के मन वो अनुभव वापस से ताजा होने लगे जब दोनों किस किया करते थे ।
" अह उम्हू"
एकदम से चौक कर दोनों अलग हुए और देखा तो दरवाजे पर ममता खड़ी थी ।दोनो शर्म से लाल अपना मुंह पोंछते हुए मुस्कुराने लगे
: ओहो देखो तो इन ठरकी जोड़ो को , इतने साल बाद भी अकल नहीं आई । पहले अरहर दुपहर करते पकड़े जाते थे और अब घर में ही
मदन शर्म से मुस्कुरा कर : भाभी क्या आप भी
ममता : देखो आपके भैया ने साफ साफ कहा है कि जबतक शादी नहीं हो जाती , देवरानी जी तो इधर नहीं आएंगी और सही भी है । पता नहीं क्या कांड कर जाओ तुम लोग
मदन शर्म से झेप गया और मंजू बस सर नीचे किए हुए मुस्करा रही थी लाज से और फिर धीरे से निकल गई कमरे से
ममता मदन को छेड़ती हुई : मुझे थोड़ा रुक कर आना चाहिए था क्यों ?
मदन : हा और क्या , अभी शुरू ही किया था
ममता मुस्कुराई और उसके पास जाके : तो मेरे साथ खत्म कर लो मेरे राजा
मदन एकदम से चौक गया : भाभी क्या कर रही हो , हटो
ममता घूर कर : अच्छा बच्चू , बीवी मिल रही है तो भाभी को भूल जाओगे । अब देखती हूं कैसे मिलते हो उससे जबतक शादी नहीं हो जाती फटकने तक नहीं दूंगी हूह
ये बोलकर ममता तुनक कर बाहर चली गई और मदन उसे रोकना चाहा लेकिन समझ गया कि ममता थोड़ी नाराज हो गई है ।
शिला के घर
" सीईईई ओह्ह्ह पी ले बेटा उम्मन अह्ह्ह्ह सीईईईईई सॉरी कल तेरे पापा ने रात भर नहीं छोड़ा मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह"
कमरे में रज्जो अपनी नाइटी खोलकर अपने चूचे निकाल कर अरुण को पिला रही थी और अरुण उसने मसल मसल कर बारी बारी चूचे बदल कर चूस रहा था
: उम्मम मामी आपके दूध कितने मुलायम है और बड़े है जी करता है इसी में लंड डाल कर चोद दूं
रज्जो अरुण के सर को अपने छातियों में रगड़ते हुए : हा बेटा खोल मै खुद कर दूंगी
अरुण जल्दी जल्दी पेंट खोलकर सोफे पर बैठ गया
: ओह्ह्ह्ह लंड के मामले में तुम बाप बेटे एक जैसे हो
अरुण मुस्कुराया और रज्जो नीचे बैठ गई , उसके अरुण का लंड हाथ में लिया और उसको सहलाने लगी । अरुण की आंखे बंद हो गई और उसके कूल्हे अकड़ने लगे जब रज्जो ने अपने उंगलियों से मुंह की लार को टोपे पर लगाया तो : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
फिर रज्जो ने उसका बड़ा सा खड़ा लंड अपने दोनों चूचों के बीच रख कर आगे पीछे करने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह गॉड मामी कितनी सॉफ्टी है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्यों मजा आया न बेटा
: हम्ममम
अरुण की सांसे बेचैन थी वो सामने अपनी गोद ने रज्जो की चुचियों के बीच अपना लंड मिजवा रहा था और उसका लंड रज्जो ने चूचों से निकल कर रज्जो ने मुंह तक जा रहा था
रज्जो ने भी जीभ निकाल कर उसका सुपाड़ा चाट लिया और अरुण बिलबिला उठा : ओह्ह्ह्ह मामी उम्मम सीईईई ओह्ह्ह कितनी मस्त हो आप उम्मम तभी तो सोचूं क्यों बड़ी मां आपको लेकर आने के लिए परेशान थी ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने मुंह खोलकर उसके मोटा लंड मुंह में भर कर चूसने लगी अरुण की सांसे तेज होने लगी वो अपने चूतड़ सख्त कर अपने कूल्हे उठाने लगा और रज्जो के बाल सहलाने लगा : उम्मम मामी कितनी सॉफ्टी और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह और लोह उफ्फफ सीईईईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अरुण की आदत थी कि उसकी कामुकता तीव्र थी वो बहुत जल्दी वाइल्ड हो जाता था और उसने रज्जो का सर अपने लंड पर दबाने लगा, इतने दिनों से चूत न मिलने की तड़प ने उसके भीतर का जानवर जगा दिया था और वो दांत पीस कर अपना लंड पूरा टाइट कर रज्जो का सर पकड़ कर पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह और लोह उम्मम शक बेबी सक ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह पूरा घोट जाओ ओह्ह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो की आँखें बड़ी होने लगी और देखते ही देखते अनुज खड़ा होकर रज्जो के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लंड पेलने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी कितनी प्यासी है तू लंड की ओह्ह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह लेह ओह्ह्ह बहनचोद ओह्ह्ह्
अरुण ने गले तक अपना लंड भर दिया और रज्जो को घुटन सी होने लगी और एक झटके में उसके लंड बाहर निकाला
रज्जो आंखे बड़ी कर उसे गुस्से से घूर रही थी और अरुण अपना गिला लंड सहलाते हुए उसके मुंह पर अपने आड़ रख दिए और उसके गाल पर थपकी देके : चूस न रंडी इसे भी
रज्जो अरुण के एकदम से बदले हुए तेवर से हैरान थी लेकिन उसे अरुण का ये अंदाज भा रहा था कच्ची उम्र एक डोमिनेट मर्द साबित करने की अदा
उसने भी जीभ निकाल कर उसके बाल चाटने शुरू कर दिए : ओह्ह्ह्ह यश बेबी ओह्ह्ह्ह यशस्स उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह माय सेक्सी बिच ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रज्जो उसके अखरोट मुंह लेकर चुबलाती हुई अपने नंगे चूचों को मसलने लगी और उसके हाथ अपनी जांघें खोलकर अपनी बुर को सहलाने लगे थे
अरुण ने उसको खड़ा कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए एक गहरा चुम्बन और अनुज ने उसे घुमा पर बिस्तर पर लिटा दिया
मोटी मोटी गदराई जांघों को फैलाते हुए रज्जो ने अपनी बुर पर उंगली फिराने लगी और अरुण अपना सारे कपड़े निकाल कर उसके पास आया
उसके हाथ रज्जो की नंगी जांघों को सहला थे , अरुण की ये आदत रज्जो को पसंद आ रही थी कि एक पल को वो उसकी आंखों से आंख मिलाए बिना नहीं रहता और ये रज्जो को बहुत रोमांचित कर रहा था
उसकी जांघों को घुटने से चूमते हुए अरुण उसके बुर के पास गया और एक लंबी सांस लेते हुए रज्जो के बुर की गंध को अपने सांसों के भरने लगा
एकदम से रज्जो तड़प उठी उसकी बुर फड़फड़ाने लगी और अरुण ने जीभ फिराई: सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
फिर होठ: ओह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम
एकदम से रज्जो के चूतड़ टाइट हो गए
अगले ही पल अरुण ने पूरे होठ खोलकर नीचे से जीभ को फ़िराते हुए बुर से बहती मलाई को चाटते हुए उसके फांकों को चुभलाने लगा
एकदम से तड़प उठी रज्जो : सीईईई क्या करता है ओह्ह्ह्ह मर गई रे सीईईई कहा से सिखा है ये सब तू उम्ममम
अरुण बिना कुछ बोले उसके बुर के फांके मुंह में लेकर चुबला रहा था और रज्जो बिस्तर पर अकड़ती जा रही थी
: उम्मम मामी तुम्हारी बुर कितनी रसीली है और सॉफ्टी ( अरुण अपनी दो उंगलियां उसके बुर के फांके पर टहलाते हुए बोला )
रज्जो की सांसे रुकने लगी थी मानो आंखे बंद कर वो उस हरकत को अपनी बुर में महसूस कर रही थी जब अरुण अपनी उंगलियों को वहा रेंगा रहा था और एकदम से उसकी आंखे बड़ी हो गई जब अरुण से दोनों उंगलियां एक साथ उसकी बुर ने घुसा दी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम और ऐसे ही उम्मन डाल पेल और उम्मम कितना अच्छे से ये सब करता है तू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण ने वापस से अपना मुंह उसके बुर पर रख दिया और दाने को ट्रिगर करते हुए तेजी से उंगलियों को बुर के पेले जा रहा था
रज्जो एकदम फड़फड़ाने लगी थी उसकी बुर को लंड लेने की तलब और तेज हो गई थी : अह्ह्ह्ह बेटा लंड कब डालेगा ओह्ह्ह्ह वो घुसा ना और मजा आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम
अरुण उठ गया और अपना लंड उसके गिले बुर पर लगाते है घुसा दिया , बहती हुई चूत में लंड आसानी से उतर गया : अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा पेल ओह्ह्ह् और अंदर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
अरुण रज्जो की जांघें खोले तेजी से लंड अंदर डालने लगा और सिसकने लगा : ओह्ह्ह मामी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी मस्त चूत है इतनी गर्म है और मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे हमुच हमुच कर फाड़ दूं उम्मम ओह्ह्ह्ह
रज्जो को अपनी बुर में एक अलग ही कड़कपन महसूस हो रहा था , अरुण का फूला हुआ सुपाड़ा उसके चूत के दीवारों में चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा : ओह्ह्ह्ह बेटा कुछ तो है तेरे अंदर ओह्ह्ह्ह तेरा हथियार आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने रज्जो की टांग को घुमा दिया और उसको करवट करके उसके गर्दन को पकड़ कर लंड को और गहराई के के गया
रज्जो की आंखे बड़ी होने लगी , चूत में जलन सी होने लगी : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बहुत अच्छा कर रहा है सीईईई ओह्ह्ह ऐसी चुदाई मेरी कभी नहीं हुई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : क्यों मामी मजा आ रहा है न उम्मम और डालू क्या उन
रज्जो उसकी आंखों में देखते हुए : हा और अंदर ओह ऐसे ही उम्मम घुसा दे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मेरा आ रहा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अरुण अपना मुंह भींच कर तेजी से रज्जो को पेलने लगा और रज्जो की चीखे तेज ही गई : ओह ओह्ह्ह्ह ले बहिनचोद ओह्ह्ह साली रंडी चुदक्कड़ ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है मामी तुम्हारी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह यश ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने इधर अपनी चूत कस ली और झड़ने लगी अरुण के लंड पर : ओह्ह्ह बेटा आ रहा है मेरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और पेल ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्ममम
रज्जो झड़ रही थी और अरुण ने लंड निकाल कर उसके चूतड़ पर थपथपा कर उसे घोड़ी बनने का इशारा किया और रज्जो घुटने के बल हो गई
उस रस टपकती चूत को देखते हुए अरुण ने अपना मुंह लगा दिया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम तू बड़ा ही एक्सपर्ट लगता है इनसब में ओह्ह्ह्ह चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह उधर भी करना है कर ले खा जा मेरी गाड़ उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम मैय्या सीईईई ओह्ह्ह तेरी जीभ मुझे पागल कर रही है
अरुण रज्जो के चर्बीदार चूतड़ों को फैलाकर कर उसके गाड़ के सुराख में मुंह दे दिया था और जीभ से उसे गिला कर रहा था
रज्जो के जिस्म में फिर से अकड़न होने लगी और वो अपने गाड़ को अरुण के मुंह पर उठाने लगी
अरुण उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाड़ के छेद को चाट रहा था और फिर वो खड़ा हुआ अपना गिला सुपाड़ा सीधा गाड़ के छेद पर
रज्जो थोड़ी घबराई : बेटा कर लेगा न
अरुण ने उसका जवाब अपना सुपाड़ा रज्जो के कसी हुई चूतड़ की सुराख्मे घुसाते हुए दिया : अह्ह्ह्ह बेटा आराम से तेरा आगे से बहुत मोटा है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरा चौड़ा कर दिया तूने ओह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह मामी कितनी टाइट गाड़ है तुम्हारी सीईईई ओह्ह्ह कबसे इसको चोदने के सपने देखता था ओह्ह्ह्ह फ़ाइनली आज ओह्ह्ह्ह सीईईई
अरुण ने हौले हौले लंड आगे पीछे करना शुरू किया : ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम आराम से ओह्ह्ह्ह सूखा है तेरा लंड एकदम से
रज्जो की बात सुनकर अरुण मुंह में लार बटोरी और सीधा रज्जो की टाइट गाड़ के सुराख पर जिसने उसका आधा लंड घुसा था उसी पर थूका और फिर उंगली से लिपने लगा
रज्जो : ओह्ह्ह सीईईई क्या नए नए तरीके निकलता हैं तू ओह्ह्ह्ह , ऐसे ही तू अपनी बड़ी मां की गाड़ खोल दे उसे तो जन्नत का मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
अरुण : ओह्ह्ह्ह मामी सीईईईई मत तड़पाओ मुझे ओह्ह्ह्ह
रज्जो समझ गई और मुस्कुरा कर : पसंद करता है न अपनी बड़ी मां को , चोदेगा उनकी बड़ी सी गाड़ , बोल डालेगा उसमें लंड
अरुण तो अब दुगने जोश में आ आ गया और रज्जो की गाड़ को पकड़ कर पूरे जोश में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह क्यों नहीं मामी, लेकिन कैसे अह्ह्ह्ह्ह मम्मी और बड़ी मम्मी आपस में खुश है उन्हें मेरी फ़िक्र नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई, कितना तरसता हु इस घर में मै अकेला
रज्जो : तेरी उस बुर चटोरी बड़ी मम्मी को नई कुंवारी चूत बहुत पसंद है, कोई हो तो उसे घर लाकर मिलवा दे तेरा काम हो जाएगा
अरुण पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था : सच में मामी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो : हा बेटा फिर तू मेरी भी उसकी गाड़ में लंड डालेगा बोल डालेगा न
अरुण : हा मुझे चाहिए , बड़ी मम्मी की गाड़ मुझे बहुत पसंद ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह
तेजी से वो रज्जो की गाड़ में लंड पेलता हुआ अपना लंड बाहर निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ मजा आ गया मामी
थैंक्यू
उसने झुक कर रज्जो के चूतड़ों पर चुम्मी ली और बिस्तर पर आ गया
रज्जो मुस्कुरा कर : मजा तो मुझे भी आया , कितने दिनों बाद ऐसे मजा मिला चूत और गाड़ एकदम हीही
अरुण थोड़ा शर्मा रहा था
रज्जो ने उसे छेड़ा : अब शर्मा रहा है देखो तो हाहाहाहा
कमरे में खिलखिला सा माहौल हो गया
जारी रहेगी