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UPDATE 207 मे थ्रीसम सेक्स सीन के दौरान मैने GIFS पोस्ट किये है
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ताकि अगर मुझे जरुरत लगे तो मै gif editer app मे बदलाव करू , क्योकि मुझे शक है कि वर्तमान समय मै जिस app से gif edit कर रहा हु वो शायद इस साइट पर run नही कर पा रहा है ।
कृपया सही जानकारी साझा करे ।
धन्यवाद
Ab lgta h dhire se poori family ek hogi mazza aayega next updateUPDATE 207
अमन के घर
दस बजने को हो रहे थे और मुरारी अमन को इशारे से अपने पास बुलाता है ।
पापा के बुलाने पर अमन चुपचाप उनके साथ बाहर निकल गया और बगल के अनाज वाले गोदाम मे चला जाता है ।
अमन चौकी पर बैठता हुआ - पापा यहा क्यूँ बुलाया
मुरारी- अरे तुझसे जो बातें करनी है उसके लिये यही जगह ठिक है , वो लाया है ?
अमन - क्या ?
मुरारी- अरे तेरा मोबाईल, कुछ डाउनलोड किया क्या ?
अमन समझ गया - अह नही पापा सॉरी वो रह गया ।
मुरारि थोडा उदास होकर - अच्छा, कोई बात नही लेकिन ये बता ये हनीमून पर तेरी साली जा रही है उसका क्या चक्कर है ।
अमन का गल सूखने लगा कि अब वो क्या जवाब दे - पता नही पापा, मम्मी से सोनल की कुछ बात हुई थी । मुझे तो समझ ही नही आ रहा है ।
मुरारी- मुझे भी तेरी मा का कुछ समझ नही आता , कल मैने इस बारे मे कुछ सवाल किया तो बिना मिर्च मसाले के ही मुझपे भडक गयि ।
अमन हस कर - हा तो आप ही नही कही ले जाते हो घुमाने उन्हे हिहिही
मुरारी- माना भाई गलती हुई है इस्का मतलब ये तो नही कि हर बात के लिए एक ही ताना दो
अमन - हिहिही
मुरारी- अब मुझे कुछ और नही सुनना , ये ले देख मुझे लगता है यही तेरी मा सही साइज़ है ।
मुरारी ने अपने कुर्ते की जेब से ममता की एक ब्रा निकाली और अमन को दिया
अमन उसे खोलता है और वापस से उसको हाथो मे छिपा कर दरवाजे खिड़की निहारता है कि कही उसे कोई देख तो नही रहा - पापा आप ये कहा से ?
मुरारी- अरे भाई चुरा कर लाया हु , मागने जाता तो इसके लिए भी चार बात दे देती मुझे कि शादी के साल भर बस मेरा ख्याल रखा उसके बाद भूल गये ।
अमन हसता हुआ ब्रा फैला कर उसके लेबल पढता हुआ - हा लेकिन वो कच्छी का साइज़ क्या है ?
मुरारी- वो कहा से लाऊ अब
अमन - अरे जहा से ये ली वहा कच्छी भी रही होगी ना
मुरारी- नही मिल सकती बेटा
अमन - क्यूँ?
मुरारी- दरअसल तेरी मा कच्छी पहनती ही नही है
अमन चौक कर - क्या ? सच मे ? लेकिन क्यू ?
मुरारी थोडा झेप कर थोडा शर्मा कर - वो मैने बताया था उसके साइज़ की यहा लोकल बाजार मे नही मिलती तो?
अमन - हा लेकिन जहा से ब्रा लेती है वहा तो मिलती होगी ना !
मुरारी के चेहरे पर अब हसी के छिपे हुए भाव उभर रहे थे
अमन को शन्का हुई - क्या बात है पापा बताओ साफ साफ
मुरारी थोड़ा असहज होकर हसता हुआ - अह अब क्या बताऊ बेटा, दरअसल उसके कच्छी ना पहनने की एक वजह मै भी हूँ
अमन - मतलब ?
मुरारी मुस्कुरा कर - मैने बताया था ना कि पहले हम गाव मे थे और तब हमारा खानदान बडा हुआ करता था , घर मे लोग भरे रह्ते थे और हमे अकेले मिलने का समय ही नही मिल पाता था , ज्यादातार तो रात मे भी मुझे बाहर सोना पड़ता था , घर के बाकी मर्दो के साथ ।
अमन - क्या शादी के बाद भी ?
मुरारी- हा बेटा और उस दुपहर की तेरी मा के मिलन से हम दोनो एक दुसरे के लिए तडपते रहते थे तो कभी भूसे वाले घर मे तो कभी अनाज वाले कमरे मे , रात मे कभी जीने के निचे तो कभी दुपहर को कमरे मे , जब कही हमे मौका मिलता हम प्यार करने मे लग जाते है । ऐसे मे कहा मै तेरी मा की कच्छी उतारता और कब हम सेक्स करते इसीलिए मैने तेरी मा की सारी कच्छीया चोरी करके छिपा देता था और वो वैसे ही रहती थी साडी के निचे
अमन हसता हुआ - हिहिहिही तो क्या आप लोग अभी ऐसे ही चोरी चोरी करते हो क्या जो मम्मी अब भी नही पहनती कच्छी ।
मुरारी - अरे नही बेटा, दरअसल ये सब गाव मे कई साल तक चला फिर जब तु बड़ा हुआ तो तेरी पढ़ाई का बोल कर हम इस नये कस्बे मे आ गये । मगर इन सालों मे तेरी मा की कच्छी पहनने आदत छूट गयि तो वो नही पहनती है ।
अमन - ओह्ह
मुरारी- देख ना बेटा इसके नाप से वो तेरी मा की कच्छी का साइज़ नही मिल जायेगा
अमन - मिल तो जायेगा लेकिन !
मुरारी- लेकिन क्या बेटा
अमन - अरे पापा ये सेट वाले आईटेम फैंसी बहुत आते है , पता नही मम्मी को पसंद आयेगा या नही
मुरारी- कैसे फैंसी एक दो दिखा ना जरा
अमन ने एक प्लस साइज़ थोंग पैंटी पहनी हुई मॉडल की तस्वीर दिखाई जिसकी बड़ी सी गाड़ पर बस पैंटी की लास्टीक दिख रही थी और बाकी पूरी गाड़ नन्गी थी ।
मुरारी ने आखे फ़ाड पर उस बड़ी गाड़ वाली मॉडल को देखा तो उस्का लन्ड फड़फडाने लगा - इसने वो पीछे वाला कपड़ा कहा है
अमन मुस्कुरा कर - पापा वो बीच मे घुसा रहा है पीछे से
मुरारी ममता को इस तरह की पैंटी मे कल्प्ना कर गिनगिना गया उसके आंखो के सामने ममता की बड़ी सी मटके वाली गाड़ थिरकने लगी जिसकी दरारो मे पैंटी फसी हुई थी ।
अमन - इसीलिए कह रहा था पता नही मम्मी को पसंद आयेगा कि नही
मुरारी अपनी कल्प्ना से बाहर आकर जोश मे - नही बेटा तु कर दे यही वाला ।
अमन - लेकिन मम्मी अगर बोली तो
मुरारी- अरे तेरी मा को कैसे मनाना है मै जानता हूँ ।
अमन हस कर शरारत भरे लहजे मे - हिहिही कैसे ?
मुरारी हसता हुआ - धत्त बदमाश कही का हाहहहा ये बता कब तक आ जायेगा ।
अमन - अगर आज ऑर्डर कर दूंगा तो परसो तक आ जायेगा और इसमे ऑप्शन भी है कि 75 रुपया शिपिंग चार्ज देने पर 24 घन्टे मे ही डिलेवरी कर देगा ।
मुरारी- सिर्फ़ 75 ना , कर दे कर दे
अमन मुस्कुरा कर अपने बाप की खुशी देख रहा था और उसने ऑर्डर कर दिया ।
अमन - लेकिन पापा ये तो गलत है ना
मुरारी- क्या हुआ ?
अमन - आप मजे करने की प्लानिंग कर रहे हो मुझे सख्त लौंडा बना कर रखा हुआ है पता है कल रात तो मै बहक ही गया होता , वो तो आपसे वादा किया था तो !
मुरारी उत्सुक होकर आंखो मे चमक लिये - क्या हुआ कल रात
अमन - अब जाने दो ,
मुरारी- अरे बोल ना बेटा , बहू ने खुद से कुछ किया क्या ?
अमन - हम्म
मुरारी का लन्ड फड़का - क्या किया
अमन - रात मे सोते समय वो नहा कर आई थी और वो नाइटी मे थी अन्दर कुछ नही
मुरारी- अच्छा फिर
अमन - उसके दूध देख कर तो मै पागल ही हो गया था पापा , नुकीले और बाहर की ओर निकले हुए । बत्ती बुझा कर सोने का नाटक किया मगर ये सोने नही दे रहा था ।
अमन ने अपने लन्ड की ओर इशारा किया
मुरारी हस कर अपना सुपाडा भिन्चता हुआ - हाहाहा होता है ऐसा फिर
अमन - फिर रात मे वो मुझसे चिपक गयि , पैर उपर फेक कर मुझे जकड़ लिया
मुरारी- क्या सच में ? बहू इतनी तेज है !
अमन - पापा हमारी लव मैरिज है , आपकी तरह अरैंज वाली थोड़ी । हम तो पहले भी हग किस्स कर चुके है लेकिन कल रात ...
मुरारी थुक गटक कर - फिर क्या हुआ
अमन - पापा वो मेरे सीने पर हाथ रखे हुए थी मेरी बाजू उसके दूध के बीच मे थी , समझ सकते हो कितनी गुदगुदी होती है ।
मुरारी- हा बेटा बात तो तेरी सही है , कभी तेरी मा भी ऐसे सट जाती है मुझसे और उसके दूध कितने बड़े और मुलायम है मेरा तो रों रों खड़ा हो जाता है ।
अमन हस कर - सिर्फ़ रोम रोम ही क्या पापा हिहिही
मुरारि- चुप शैतान कही का , फिर आगे
अमन - अरे पापा मेरी तो हालत खराब थी उसपे से उसके पैर भी मेरे खूँटे पर रखा था
मुरारी चिंता जताते हुए - ओहो मेरे बच्चे कितना सहा तु उफ्फ़ मै होता तो पिघल जाता , अब क्या सोचा है तुने
अमन - आप बताओ मै क्या बोलूं , आप ही मेरे गुरु हो ना । आप जैसा कहोगे वही करूंगा
मुरारी को लगा उसने सच ने अमन के साथ ज्यादती कर दी है - अह बेटा मुझे लगता है कि तुझे अब बहू से मिलन कर लेना चाहिए
अमन चहक कर - सच पापा !!
मुरारी- हा बेटा, बहू भी बेचारी तड़पती होगी लेकिन सन्स्कार बस मुह नही खोलती होगी ।
अमन - हम्म शायद
मुरारी- अच्छा उसने कुछ इशारे किये या इस बारे मे बात की थी
अमन - किस बारें मे
मुरारी- अरे सेक्स और सुहागरात के बारे मे
अमन लजाता हुआ - नही पापा वो बहुत शर्मिली है और मै भी हिहिही
मुरारी- हा वो देख कर ही लग रहा है हाहाहा , लेकिन एक राज की बात बता रहा हु आज पहली बार होगा बहू का तो दो बार करना
अमन - दो बार क्यूँ
मुरारी- अरे पहली बार दर्द के लिए और दूसरी बार मजे के लिए , नही तो उसके जहन मे अगर दर्द बैठ गया तो आगे बहुत मुश्किल होगी ।
अमन - ओह्ह ऐसा क्या , थैंक यू पापा
मुरारी- हम्म चल अब चलते है
फिर दोनो बाप बेटे निकल जाते है घर की ओर
रंगी की दुकान
दोपहर का वक़्त हो चला था ।
जंगी खाली समय होने के कारण रन्गी के पास पहुच गया था ।
रंगी - अरे छोटे तु यहा , सब ठिक तो है
जंगी रन्गी को इशारा कर अन्दर केबिन मे चलने को कहता है ।
रंगी दुकान के नौकर को बोल कर केबिन मे चला गया
रन्गी - क्या हुआ भाई सब खैरियत तो है
जंगी - हा भैया सब ठिक है वो दोपहर मे ग्राहक थे नही तो सोचा आपसे मिल लूँ और आपको कुछ बताना भी था ।
रंगी अन्जादा लगा कर - क्या , निशा की मा के बारे मे कुछ बात है क्या
जंगी - हा भैया , वो कल रात जैसा आपने कहा था वैसा ही हुआ
रंगी - मतलब , क्या हुआ
जन्गी - भैया आपके कहे अनुसार मैने मेरे व्यव्हार मे कोई कमी नही रखी और उसके साथ सम्भोग किया और
रंगी का लन्ड कसने लगा था - फिर
जन्गी - भैया फिर मैने उसको अपनी बाहों मे भर कर सोनल बिटिया की शादी को लेके बातें छेड़ दी और शादी मे उसकी खूबसूरती को लेके थोड़ा बहुत उसे उकसाया ।
रंगी - अच्छा फिर
जंगी - मैने उससे कहा , पता है कमल भाई की नजर थी तेरे पर ,उस दिन बैकलेस डिजाईन वाले ब्लाउज मे उनकी नजरे तुझ पर थी ।
रंगी - ओह्ह फिर
जंगी - वो लजाई और
*********
शालिनी जंगी की बाहों मे चिपकी हुई - अच्छा तो आप मुझे छोड़ कर ये देख रहे थे कि कौन कौन मुझे देख रहा है , मै तो आपके लिए ही तैयार हुई थी ना हुह
जंगी - हा लेकिन जिसकी बीवी इतनी सेक्सी हो उसको चारों ओर नजर रखनी पड़ती है मेरी जान , वैसे कमल भाई कुछ ज्यादा ही देख रहे थे तुझे
शालिनी इतरा कर - हम्म पता है मुझे
जंगी - अच्छा सच मे , फिर तो तुने भी उन्हे रिझाने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी क्यूँ
शालिनी - धत्त क्या आप भी , मै आपको ऐसी लगती हूँ , वो भरसक मेरे आगे पीछे लट्टू थे हिहिही और पता है आज सुबह क्या हुआ
जन्गी - क्या क्या बता ना
शालिनी - वो मै सुबह पोछा लगा रही थी वो दुकान मे से खैनी फाकते हुए आ रहे थे और मेरे चोली से झाकते मेरे दूध देख कर अटक से गये । हीही अब मुझसे उनके सामने पल्लू भी सही करता नही बन रहा था ।
जन्गी - क्यूँ
शालिनी - अरे मैने ऐसा दिखाया था कि मै उनको देख नही रही हूँ
जन्गी - बड़े ठरकी मिजाज के लगते है कमल भाई यार
शालिनी हसती शर्माती - हा वो तो है , तभी ना रज्जो जीजी के कुल्हे फूला रखे है
जंगी हस - क्या तु भी
शालिनी हस कर - अब बनो मत , मैने देखा है आपको कैसे निहारते हो आप उनका बड़ा सा पिछवाडा
जंगी शर्माता है तो शालिनी हसती हुई - वैसे अभी तो रज्जो दीदी यही है , लेकिन कुछ समय बाद आपको उनकी याद आये तो कहना , चल चलेंगे जानीपुर हिहिही कमल भाईसाहब भी बुला रहे थे हम सबको
जंगी - अच्छा तुझे बड़ा मन हो रहा है कमल भाई के यहा जाने का
शालिनी खिलखिला कर - क्यू जलन हो रही है आपको अब मेरे आशिकों से हिहिही
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रन्गी - हम्म्म मतलब मामला सीरियस है और कमल भाई का गहरा असर पड़ा है उसपे ।
जन्गी - भैया मै आपकी वजह से शान्त था नही तो मेरा मन भीतर से जल रहा था बस
रंगी - अरे छोटे शान्त हो जाता और ले पानी पी
तभी केबिन का दरवाजा खुला और सामने से आवाज आई - अरे सिर्फ पानी ही नही खाना भी आ गया है ।
रन्गी - अरे दीदी आप , आज बड़ा जल्दी खाना ले आई
शिला - हा आज जल्दी तैयार हो गया तो आ गयि और छोटे तु भी यहा ।
जन्गी का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था वो फीकी मुस्कान के साथ - अह हा दिदी वो बस ऐसे ही कुछ काम से आया था । आप लोग खाना खाओ मै भी चलता हूँ ।
रंगी उसको रोकता है मगर जंगी खड़ा होने लगता है
जन्गी का उतरा हुआ चेहरा देख कर शिला ने इशारे से रन्गी से पूछा क्या हुआ ।
रन्गी ने हा मे सर हिला कर मामले की गम्भीरता के लिए अपनी हामी दी ।
रन्गी - मुझे लगता है हमे उपर चल कर बात करनी चाहिए
शिला - क्या बात है भैया , छोटे बोल ना
रंगी - दीदी चलिये उपर चलते है वही बात करना सही होगा , आओ जन्गी
शिला टिफ़िन लेके रन्गी के साथ आगे बढ़ गयि
उपर कमरे मे
रंगी - आओ दीदी बैठो , तुम भी बैठो जन्गी
रन्गी के पास जन्गी और उसके बगल मे शीला बैठा गयि - क्या हुआ भैया ये जन्गी को क्या दिक्कत है
रन्गी - अह दरअसल दीदी बात बहुत गम्भीर है जिसकी वजह से जंगी परेशान है
शिला जन्गी के कन्धे पर हाथ रख कर - क्या हुआ छोटे बोल ना , अपनी दिदी से छिपायेगा
शिला दुलार और मुलायम स्पर्श पाकर जन्गी का जिस्म सिहर उठा , उसके सख्त जजबात बर्फ के जैसे गलने लगे ।
रन्गी - मै बताता हु दिदी , हुआ यूँ कि
फिर रन्गी शालिनी और कमलनाथ के भी किचन मे हुए सम्भोग की बात बताती है ।
शिला के दिल मे शुरु से ही जन्गी के लिए एक सॉफ़्ट कोर्नर रहा था । वो उसके दुख सह नही पाती थी आज वो उसे अपना वही छोटा भाई नजर आता था जो बचपन मे हुआ करता था । एक मा के जैसे उसने पाला दुलारा था उसे ।
रन्गी की बातो से जन्गी की आंखे शर्मीन्दी भरी आसुओ से डबडबा गयि और उसके रुआंसा देख शिला का दिल पसीज उठा उसने सर पक्ड कर अपने छातियो से लगाते हुए - अरे तो इसमे बच्चो जैसे आस गिराने से क्या होगा , मर्द है तु
जन्गी - दीदी मुझे इसका बुरा नही लगा कि उसने किसी के साथ संबंध बनाया , बल्कि कल रात उसने मेरे साथ सम्भोग करते वक़्त उसे इस बात की जरा भी ग्लानि नही थी और ना उसने मुझसे इस बारे मे कुछ कहा । ये छीपा कर रखना मुझे अखर रहा है ।
शिला उसके चेहरे को दुलार उसके आसू पोछती हुई - ओहो अब ये सब बातें दिल पर ना लें , ये कमल भाईसाहब की नियत खराब है ये तो मुझे भी पता था , मगर शालिनी भी बहक जायेगी हुह
रन्गी और जन्गी शौक्ड होकर- क्या ?
रंगी - क्या कमल भाई ने आपके साथ भी कुछ बदतमिजि की
शिला चुप थी और दोनो भाई उसकी ओर निहारे जा रहे थे अपने सवाल के जवाब मे ।
शिला - अह नही भैया वो सब जो भी हुआ उसे बदतमिजि नही कह सकते , संयोग से हुआ था सब लेकिन मुझे कही ना कही लगता था कि उनकी नियत ठिक नही है ।
जंगी - दीदी साफ साफ बात बताओ क्या हुआ था
शिला - अह छोटे वो सबसे पहले पूजा वाले दिन हमे हवन के लिए लड़की लाने जाना था , और भैया आपने ही हमे भेजा था याद है ना
रंगी - हा हा , फिर
शिला - वो गाव की खड़न्जे वाली उबड़-खाबड़ सड़क तो जानते ही है आप और उसके स्कूटी चलाना
जंगी - ओह तो साला ये वहा फायदा उठा कर आपको यहा वहा छु रहा था
शिला - नही नही , वो बेचारे तो खुद परेशान थे
रंगी - फिर बात क्या थी दिदी
शिला - वो वहा लकड़िया बटोरते हुए मुझे पेसाब लगी थी और मै बिना बताये एक कोने मे चली गयि मुझे क्या पता वो मुझे खोजते चले आयेन्गे उधर ही
जंगी - क्या , उन्होने आपको वहा देखा , मतलब पीछे से
शिला नजरे झुकाये हुए - हा लेकिन मैने इसे संयोग समझ कर टाल दिया और फिर उसी रात मेरे जनमदिन पर जब लाईट भागी थी
रन्गी - हा हा
शिला - पहले किसी ने मेरे चुतड़ छुए , मुझे बहुत अजीब लगा और जब लाईट जली तो देखा वही मेरे पीछे खड़े थे ।
चुतड़ दबाने की बात पर जंगी का मुह सील गया क्योकि उस रात ये हरकत जंगी ने की थी ना कि कमलनाथ ने ।
रंगी - ओह्ह फिर
शिला - एक बार तो मै नहा रही थी राज के क्मरे मे तो वहा भी आ गये पता नही कैसे , पूछने पर बोले कि उनका बैग यही है रखा है और उस समय मै सिर्फ तौलिये मे थी
रंगी - अब पता नही दीदी जितना आप बता रही है , वो सब संजोगवश भी हो सकता है या फिर कमल भाई की होशियारी भी ।
जंगी भी थोड़ा थोड़ा रन्गी की बात से सहमत था क्योंकि शिला की गाड़ उसने ही दबोची थी - हा लेकिन मुझे शालिनी की बात खल रही है, उसने मुझ्से छिपाया क्यूँ
जन्गी के ड्रामे पर शिला खिझी और आंख दिखा कर - अच्छा तूने उसको जैसे सब बता रखा है
जन्गी शिला का इशारा समझ गया और चुप हो गया
रन्गी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या दीदी अब इसने क्या छिपाया निशा की मा से ।
शिला मुस्कुराने लगी - बोल , बता दूँ
जन्गी ना मे सर हिलाने लगा ।
रंगी आंखे बड़ी कर - क्या बात है छोटे जो मुझसे छिपा रहा है ।
शिला हस कर - ये बड़ा छिपारुस्तम है , कमल भाईसाहब को ये गालियां दे रहा है और खुद की हरकतें नही दिखती इसे ।
रन्गी - मतलब क्या किया इसने
शिला - अरे भैया ये तो अपने दुकान मे आने वाली औरतों को भी ताडता है और बड़ा भोला बन रहा है हमारे आगे । अरे उस दिन शुक्र कर घर पर मै थी नही तो ना जाने क्या क्या हल्ला कर देती वो औरत ।
रन्गी - क्या भाई क्या है ये सब
जन्गी - भैया उस समय शालिनी मायके गयि हुई थी और मै परेशान था बहुत और वो औरत भी कम नही थी पहले उसने भी दाम कम करवाने के लिए खुब इशारे किये और जब पैसे देने की बारी आई तो बहसने लगी ।
रन्गी - हम्म इसी की सजा मिली है तुझे हाहाहा क्यू दीदी
जन्गी मुस्कुरा कर शिला को देखता हुआ - सजा तो उसी दिन दीदी ने मुझे दे दी थी ।
शिला लजाती हुई मुस्कुराती है ।
रंगी - अच्छा, फिर क्या सजा मिली थी तुझे
जंगी - बता दूँ दीदी
शिला आंखे दिखा कर हसती हुई - क्या बोले जा रहा है तु , हो गया अब तेरा मूड सही चल भाई मै चलती हूँ ।
शिला उठ कर जाने को हुई
तो जन्गी ने रन्गी को इशारा किया और उसने लपक कर शिला का हाथ पकडते हुए उसके पीछे खडा हो गया और उसके चुतड सहलाता - आह्ह दीदी वो सजा मुझे भी देते जाओ ना
शिला की आंखे फैल गयि और वो शौक्ड थी , तबतक जन्गी भी दूसरी ओर उसके बगल के खड़ा होकर उसके दुसरे चुतड़ को दबोचता हुआ - हम्म दीदी प्लीज ना
शिला का शरीर पूरा गनगना गया
वो आंख कर भीतर से काप रही थी और उसकी थन जैसी चुचिया कुर्ती के निचे कस चुसी थी , निप्प्ल उभर आये थे । लेगी के उपर से अपने चुतड पर रेंगते अपने दोनो भाइयों के पंजे मह्सूस कर उसने अपने गाड़ टाइट करने लगी ।
शिला - उम्म्ं भाइया तुम लोग ये क्या कर उउह्ह्ह्ह आह्ह
तभी रन्गी ने हाथ आगे बढा कर शिला की चुन्नी उसके गले से उतारता हुए उसकी छातीया मिजते हुए उसके कान गाल गरदन पर चुम्मिया करने लगा - उम्म्ंम दीदी , आज मैने भी एक औरत की छाती देखी है मुझे भी सजा दो ना दीदी ।
शिला पूरी पागल हो चुकी थी
जंगी अपने पन्जे उसकी लेगी के भीतर घुसा कर चुतडो का जायजा ले रहा था , शिला कसमसा रही थी ।
शिला - उह्ह्ह भैयाआ किसकी देख ली तुमने उम्म्ं भाभी से शिकायत करूंगी तुम्हारी अह्ह्ह सिह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
रंगी उसके गरदन पर काटता हुआ शिला की कुर्ती के भीतर हाथ घुसा चुका था और ब्रा के उपर से दोनो चुचिया मिज रहा था
रंगी - कर दो ना दिदी जिसकी देखी थी उसकी ही दबा रहा है उम्म्ंम
शिला हसी - धत्त , अह्ह्ह सीई उह्ह्ह्ह जन्गीईईई औह्ह क्या कर रहा है उम्म्ं
जंगी अब तक निचे बैठ कर शिला की लेगी उतार उसकी चुतड़ मे मुह दे दिया था ।
रन्गी ने शिला की कुर्ती उतारने लगा था और शिला ने हाथ उपर कर दिये ।
कुरती फेक कर रन्गी ने एक बार फिर उसकी चुचिया दोनो हाथो मे भर ली और उन्हे मिजते हुए - आह्ह दीदी सुबह सुबह देख कर इन्हे पागल हो गया था उह्ह्ह
शिला जंगी की जीभ की हरकत से रंगी की बाहो मे छ्टपटाती हुई - ऊहह भैयाआ आह्ह आराम से आह्ह कब देख लिया मेरी छातियां उंम्म
रन्गी आगे झुक कर उसकी चुचिया नंगी करता हुआ मुह मे भर लिया और फिर बोला - आह्ह दीदी जब तुम चाय देने आयी थी
शिला के पैर हिलने लगे क्योकि जन्गी ने उसकी जांघो के बिच से उसकी बुर के फाको मे उंगलिया पेल दी और गाड़ चाटने लगा ।
शिला पीछे की ओर गाड़ फेके हुए सिस्क रही थी और आगे रन्गी उसको पकड़े हुए उसकी छातिया चुसते हुए मजे ले रहा था ।
शिला - आह्ह छोटे ऊहह ऐसे तो गिरा देगा मुझे उह्ह्ह
जंगी पीछे हुआ और खड़ा होकर शिला के बगल मे आ गया और उसने भी दूसरी ओर से उसकी चुची पकड कद मिजते हुए मुह मे भरने लगा
शिला - आह्ह तुम दोनो भाई कब से साथ मे उह्ह्ह मह्ह्ह आराम से छोटे अह्ह्ह
जंगी दोनो हाथ से उसकी एक चुचि पक्ड कर उसका निप्प्ल मुह मे ले लिया
वही रन्गी एक हाथ से उसकी चुचिया मिजता हुआ उसके लिप्स को चुसने लगा ।
जंगी - आह्ह दिदी भैया से मै कुछ नही छिपाता उह्ह्ह और भैया ने भी मुझे बता दिया
शिला - ऊहह सिह्ह्ह उम्म्ं , तो मुझे भी बता देते पहले ना
रंगी उसको बिस्तर धकेल कर उसकी लेगी निकालता हुआ - अरे दीदी , इसमे अभी जल्दी मुह खोला है
जन्गी अपना पैंट उतार कर अपना लन्ड बाहर निकालने लगा - हा तो तुमने भी कहा बताया था पहले ।
शिला मुस्कुराई और घुटने के बल आकर बैठ गयी
सामने उसके दोनो भाई अपना मोटे मोटे लन्ड हाथ मे लेके हिला रहे थे ।
रन्गी मुस्कुरा कर - किसका लोगि दिदी पहले
जंगी - दिदी मुझसे ज्यादा प्यार करती है वो मेरा लेंगी क्यू दिदी
रन्गी - क्यू भाई मै बड़ा हूँ पहले मै
शिला - अरे मेरे भाइयो तुम्हारी दिदी तुम दोनो को बराबर प्यार करती है आओ
और शिला ने दोनो मुस्ल पक्ड कर उसके सुपादो को नयी अपने होठो लगाते हुए अपनी जीभ एक साथ दोनो के पी होल पर फिराई और दोनो की सासे अटक गयी ।
दोनो भाई भितर से गीनगिना गये और उसने दोनो सुपाड़े अपनी थूथ पर रगड़ने लगी
नरम नरम स्पर्श उसपे से दोनो भाईयो को सुपाड़े की आपस मे रगड़ भी मह्सूस हो रही थी जिस्से दोनो को अजीब सा रोमांच महसुस हो रहा था और तभी शिला ने लपक कर जन्गी का लन्ड मुह मे भर चुसने लगी , दुसरे हाथ से रन्गी के लन्ड को हिला रही थी ।
उसकी लटकी हुई नंगी चुचिया खुब हिल रही थी
लन्ड बदल कर वो रन्गी पर झपटी और उसका लन्ड गले तक लेते हुए जंगी के लन्ड को भींच रही थी
रन्गी - आह्ह जीजी ऊहह सच मे कमाल हो तुम उह्ह्ह ऊहह
जंगी - हा भैया दीदी के होठो का जवाब नही उह्ह्ह सीईई
शिला लन्ड बदल बदल कर चुस रही थी
जन्गी - जीजा हमारा किसमत वाला है भैया , उह्ह्ह दीदी इतना गदराया माल साला पहले वो पेल गया
रन्गी जिसे हकिकत मालूम थी - आह्ह नही भाई असली किसमत वाला वो नही कोई और था
शिला मुह से लन्ड निकाल कर - भैया क्या बोल रहे हो और कौन रहेगा
रन्गी उसको खड़ा किया और बिस्तर पर लिटाये हुए अपना लन्ड उसकी चुत पर लगाया और हचाक से आधा अंदर
शिला सिसकी और जन्गी अपना लन्ड लेके शिला के मुह की ओर पहुच गया - हा भैया कौन था वो
रन्गी शिला की चुत की गहराइयों मे लन्ड उतारता हुआ - अह्ह्ह अरे भूल गया , वो लखना , अपने मामा का लड़का
जंगी अपना लन्ड शिला के मुह मे दिया हुआ था जो और फूलने लगा - आह्ह क्या सच मे दीदी
शिला ने मुह से लन्ड निकाला और रन्गी को मुस्कुरात देख आंखे दिखाई और लन्ड को हिलाते हुए बोली - हा जन्गीईई आह्ह मेरी चुत मे सबसे पहले लखन भैया ने ही उह्ह्ह्ह उम्म्ं भैया और तेज्ज उह्ह्ह मह्ह्ह ऐसे ही ऊहह कहा घुसा दिया उह्ह्ह ऊहह माह्ह
रन्गी - आह्ह दीदी आपकी गाड़ मे ही तो असली मजा है उह्ह्ह हहह सीई ऊहह कितनी कसी हुई गाड़ उम्म्ं
जंगी आगे लपक कर उसकी हिलती हुई चुचिया मसलता हुआ निप्प्ल मरोडने लगा - अह्ह्ह दीदी ये आपने सही नही किया , अपने छोटे भाई पर जरा भी तरस नही आया
शिला सिस्क कर- आह्ह कमीने छोड़ उसे अह्ह्ह सीई ऊहह दर्द करने लगा उह्ह्ह्ह भैयाअह्ह्ह ऊहह ,
जन्गी अब प्यार से उसके चुचे दुलारता हुआ - आह्ह बताओ ना दिदी
शिला - अरे तरस ही खाया था तुझपे पागल, उह्ह्ह उम्म्ंम भाइयहा उह्ह्ह उह्ह्ह रुकना नही नही ऊहह उह्ह्ह फक्क फक्क मीई ओह्ह्ह ऊहह
शिला जोर जोर से अपनी बुर मे उंगलियाँ पेलने लगी और रन्गी हचक ह्चक के लन्ड उसकी गाड मे भरने लगा ।
शिला तेजी से झड रही थी और जंगी का लन्ड पकड़े हुए थी
जन्गी - आह्ह दीदी बताओ ना
शिला - आह्ह तब तु 7वीं मे भाई कहा से लेती तेरा
रन्गी ठहाका लेता हुआ हसने लगा और शिला भी मुस्कुराती हुई उठने लगी
रंगी ने पोजीशन बदली और सोफे पर पैर लटका बैठ गया और शिला आई और उसकी ओर पीठ करके उसका लन्ड गाड़ मे लेके बैठ गयी
रंगी के एक बार फिर निचे से उसकी जान्घे फैला कर तेज झटके देने शुरु कर दिये
ये जंगी के लिए खुला आमंत्रण था सामने शिला की रस छोड़ती बुर थी
जंगी ने लन्ड को मुठियाते हुए उस्की बुर के मुहाने लगा
शिला - अह्ह्ह बाबू आराम से डालना वअह्ह्ह उह्ह्ह जन्गीईई उम्मममं आह्ह मर गयि रेह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह अह्ह्ह
रन्गी - हो गया क्या सेट
जंगी - हा भैया
शिला - अह्ह्व बहिनचोद आराम से हहह उह्ह्ह भैयाअज उह्ह्ह
जंगी हसता हुआ शिला की बुर मे लन्ड पेलने लगा - अह्ह्ह दिदी कितनी गर्मी है आपमे उह्ह्ह सीई उम्म्ंम
शिला पुरा जोश मे आ चुकी थी उसके दोनो छेड़ मे दो दो बड़े मोटे लन्ड भसड मचा रहे थे , और शिला चिखे जा रही थी
जन्गी आगे हाथ बढ़ा कर उसकी चुचिया मिजता हुआ - आह्ह दीदी बहुत मजा आ रहा है, ऊहह कितना मस्त सिन है , जीजा देखता तो पागल हो जाता
रन्गी - हा भाई आह्ह बहिनचोद को दिखा दे क्या कि हमारी दीदी को खुश कैसे रखा जाता है अह्ह्ह
जन्गी - हा भैया , इस बार जब दीदी घर जायेंगी तो प्कका उन्हे जीजा से शिकायत रहेगी
शिला सिस्कती हुई - काहे की शिकायत भाई अह्ह्ह उह्ह्ह पेलो ना उह्ह्ह और तेज उह्ह्ह
जंगी - वहा आपको कहा दो लन्ड मजा मिलेगा हहहाहा
रन्गी निचे से कमर उछालता हुआ - हा दीदी , आपको हमारी याद नही आयेगी उम्मममं
शिला - आह्ह बहुत ज्यादा आयेगी ऊहह अपने भाइयों को कौन भूला है भला अह्ह्ह और तुम जैसे बहिनचोद भाइयो को कौन भूलेगा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह और उम्म्ं मजा आ रहा है
जन्गी - भैया एक बात कहू मुझे एक आईडिया आया
रन्गी - क्या बोल ना
जंगी - ऐसे नही पहले मुझे दीदी की गाड़ मे घुसाने दो
रंगी हसता हुआ - अरे तो ले ना , घूम जाओ दीदी
शिला के चुत और गाड़ के लन्ड निकले तो वो अपने दोनो छेद सहलाती हुई उठी और रन्गी का लन्ड चुत मे भर लिया और जंगी ने सुपाडा सेट कर खुली हुई गाड़ मे लन्ड हचाक से उतार दिया
शिला - अह्ह्ह साले आराम से उह्ह्ह ऊहह
जंगी - आपकी गाड़ बहुत टाइट है दीदी , लगता है जीजा अच्छे से लेता नही उम्म्ंम
रन्गी - वो तू क्या बता रहा था
जंगी शिला की गाड़ मे पेलता हुआ -अह्ह्ह भैया बहुत मजेदार आईडिया है लेकिन दीदी की मदद लगेगी
शिला कसमसा कर दोनो के बीच पिसती हुई सिस्कती हुई - अह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क फ्क्क्क उह्ह्ह ऊहह तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी मेरे भाई आह्ह उह्ह्ह बोल ना , ऐसा मजा कहा मिलेहा मुझे उह्ह्ह
रन्गी निचे से लन्ड शिला के भोस्ड़े मे उछलता हुआ - हा भाइ बोल ना
जंगी जोश मे आया और पूरी ताकत से लन्ड शिल की गाड़ मे भरने लगा - मै सोच रहा था भैया , क्यू ना क्म्मो को भी शामिल किया और फिर हम चारो भाई बहन एक साथ
रन्गी को कम्मो का नाम सुनते ही ससुर सा छा गया उसका लन्ड दुगने जोश से शिला की बुर मे चलने लगा - अह्ह्ह भाई क्या बात कही है उह्ह्ह दीदी उह्ंम्ंम्ं क्या ये हो सकता है अह्ह्ह करो ना कुछ औह्ह्ह अह्ह्ह अब मुझसे और नही रुका जायेगा अह्ह्ब दीदी आ रहा है मेरा
जन्गी - हा भैया कम्मो के बार मे सोच कर ही मै भी पागल हो रहा हु उह्ह्ह ऊहह आओ दीदी आ राहा है
दोनो भाई ने लन्ड बाहर खिंच और खड़े होकर हिलाने लगा , शिला निचे बैठ कर मुह खोल कर उनकी पिचकारियां ले ने लगीझडने के बाद दोनो का लन्ड चुसा और खुद को साफ करने लगी
वही दोनो भाई सोफे पर बैठ कर खुद को शान्त करने लगे
सामने शिला अपने छातियों और चेहरे पर लगे रस को साफ कर चाट रही थी
रंगी - तोह दीदी क्या सोचा इस बारे मे
जंगी - हा दीदी करते है ना
शिला मुस्कुरा कर - मुझे कोई दिक्कत नही है, लेकिन कम्मो को मनाना आसान नही है ।
जंगी - इसीलिए तो हमे आपकी हैल्प चाहिये , आप ही उसे अच्छे से समझती है और इतने सालों से साथ रह रही है
रन्गी - हा दीदी जंगी सही कह रहा है , करों ना कुछ
शिला उठी - हुहू ना मतलब ना , मै इसमे कोई हेलप नही करने वाली , तुम दोनो ही राजी करो उसे
ये बोलकर शिला बाथरूम मे चली गयी ।
जंगी - भैया कुछ करो ना , बिना दीदी के ये काम न्ही हो पायेगा
रन्गी मुस्कुराकर उस्को इशारे से शान्त रहने का बोलता है
और इधर शिला बाथरूम मे जाकर मुह धूल कर वापस आई , अभी तक दोनो भाइ वैसे ही थे ।
शिला- अरे तुम लोग अभी तक ऐसे क्यूँ हो
रन्गी और जन्गी आपस मे मुस्कुरा कर अपना मोटे मोटे लन्ड को दुलारते हुए फिर से खड़ा करने लगे ।
जारी रहेगी
Shi hai bhai..
पाठकगण कृप्या ध्यान दें
UPDATE 207 मे थ्रीसम सेक्स सीन के दौरान मैने GIFS पोस्ट किये है
क्या वो आपके स्क्रीन पर gifs form में runnig हो रहे है या फिर सिर्फ photos हैं
कृपया मुझे इस बारे मे रिप्लाई करें
ताकि अगर मुझे जरुरत लगे तो मै gif editer app मे बदलाव करू , क्योकि मुझे शक है कि वर्तमान समय मै जिस app से gif edit कर रहा हु वो शायद इस साइट पर run नही कर पा रहा है ।
कृपया सही जानकारी साझा करे ।
धन्यवाद